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विद्यार्थी का दायित्व पर निबंध | Essay on Responsibility of Student in Hindi

Vidyarthi Ka Daitva par nibandh : इस निबंध के द्वारा आप विद्यार्थियों के दायित्वों और कर्तव्यों को अच्छी तरह से समझ सकते हैं। साथ ही विभिन्न परीक्षाओं में इस निबंध को बेहतर तरीके से लिख सकते हैं। 

Essay on Duties of Student in Hindi

विद्यार्थी का दायित्व पर निबंध

संकेत बिंदु - (1) अध्ययन, मनन द्वारा विद्या अर्जन (2) अनुशासन का पालन (3) संस्कार-काल और परिवार और समाज के प्रतिदायित्व (4) प्रत्येक कार्य सीमा के भीतर (5) आपातकाल में परिवार और समाज के प्रतिदायित्व।

अध्ययन, मनन द्वारा विद्या अर्जन

अध्ययन, चिन्तन, मनन द्वारा विद्या अर्जित करना विद्यार्थी का दायित्व है। गुरुजनों का आज्ञाकारी बनना तथा विद्यालयीय अनुशासन में रहना विद्यार्थी का दायित्व है। धार्मिक संस्कारों को अपने हृदय में विकसित करना विद्यार्थी का दायित्व है। समाज और राष्ट्र के क्रिया-कलापों से अवगत रहना विद्यार्थी का दायित्व है। समाज अथवाराष्ट्र पर कोई विपत्ति या संकट आने पर राष्ट्र-रक्षा के लिए अपने को समर्पित करना विद्यार्थी का दायित्व है।

'दायित्व' का शाब्दिक अर्थ है जिम्मेदारी। दूसरे शब्दों में किसी कार्य की पूर्ति का भार। दायित्व के निर्वाह से शिक्षा मिलती है, बल की प्राप्ति होती है, जीवन का विकास होता है। मुंशी प्रेमचन्द के शब्दों में, 'जब हम राह भूलकर भटकने लगते हैं, तो दायित्व का ज्ञान हमारा विश्वसनीय पथ-प्रदर्शक बन जाता है।'

विद्यार्थी अर्थात् विद्या का अभिलाषी। विद्या प्राप्ति का इच्छुक। विद्या पढ़ने वाला विद्यार्थी कहलाता है, इसलिए अपने नाम के अर्थ के अनुरूप उसका सर्वप्रथम दायित्व है विद्या ग्रहण करना।

विद्या ग्रहण के लिए चाहिए निरन्तर अध्ययन, चिन्तन और मनन। अध्ययन ज्ञान का द्वार खोलता है, मस्तिष्क को परिष्कृत करता है तथा हृदय को सुसंस्कृत बनाता है। बेकन के शब्दों में 'अध्ययन, आनन्द, अलंकरण और योग्यता का काम करता है।' चिन्तन और मनन अध्ययन की परिचारिकाएँ हैं। इनके द्वारा ही अधीत विषय मानसिक माला में गुंथते हैं।

अध्ययन, चिन्तन तथा मनन के लिए नीतिज्ञ चाणक्य ने विद्यार्थी को आठ बातें छोड़ने की सलाह दी है-

कामं क्रोधं तथा लोभं स्वादं श्रृंगारकौतुके। अतिनिद्रातिसेवा च, विद्यार्थी ह्यष्ट वर्जयेत्॥

अर्थात् काम, क्रोध, लोभ, स्वाद, श्रृंगार, तमाशे, अधिक निद्रा और अत्यधिक सेवा विद्यार्थी के लिए वर्जित हैं।

अनुशासन का पालन

विद्यालय के अनुशासन को स्वीकार करना विद्यार्थी का प्रमुख दायित्व है। इस दायित्व-निर्वाह से विद्यालय का वातावरण अध्ययनानुकूल बनेगा, जो विद्यार्थी के विकास का मार्ग प्रशस्त करेगा, मन को परिष्कृत करेगा, प्रतिभा को योग्यता में परिणत करेगा, भावी जीवन की सफलता और उज्ज्वलता में सहायक होगा।

गुरुजनों की आज्ञा का पालन करना और विद्यालय के अनुशासन को बनाए रखना विद्यार्थी का दूसरा दायित्व है । कक्षा में अध्ययन करते हुए गुरु के वचनों को एकाग्रचित होकर सुनना, ग्रहण करना तथा घर पर प्रदत्त पाठ-कार्य की पूर्ति विद्यार्थी का महत्त्वपूर्ण दायित्व है। इससे पाठ पर पकड़ बढ़ेगी, पाठ मस्तिष्क में पूरी तरह बैठ जाएगा।

संस्कार-काल और परिवार और समाज के प्रतिदायित्व

केवल विद्यार्जन ही विद्यार्थी का दायित्व नहीं। विद्यार्थी-जीवन संस्कार-काल भी है। अन्तःकरण में सुसंस्कारों को उद्दीप्त करने का स्वर्ण अवसर है। कारण, विद्यार्थी-जीवन के संस्कार हृदय में बद्धमूल हो जाते हैं, जो जीवन-पर्यन्त साथ नहीं छोड़ते। ये संस्कार ही धर्म, समाज तथा राष्ट्र के प्रति कर्तव्य पूर्ति की प्रेरणा देते हैं, जीवन-समर्पण और उत्सर्ग के लिए प्रेरित करते हैं। अतः सुसंस्कारों का विकास विद्यार्थी का दायित्व बन जाता है।

विद्यार्थी विद्या-अध्ययन के प्रति समर्पित होते हुए भी परिवार, समाज, देश तथा धर्म के प्रति दायित्वों से विमुख नहीं हो सकता। आज का विद्यार्थी समाज और नगर से दूर गुरुकुलका छात्र नहीं है, जिसे दीन-दुनिया की कोई खबर न हो।आज का विद्यार्थी परिवार के कार्यों में हाथ बँटाता है। समाज-सेवा में रुचि लेता है। धार्मिक कृत्यों और उत्सवों में भाग लेता है। देश की समस्याओं के समाधानार्थ अपने को प्रस्तुत करता है । राजनीति को ओढ़ता है। चुनाव में भाग लेकर प्रांत का कर्णधार (मुख्यमंत्री) बनता है। इस रूप में विद्यार्थी के दायित्व का क्षेत्र विस्तृत और विशाल हो जाता है।

प्रत्येक कार्य सीमा के भीतर

प्रत्येक कार्य एक सीमा में ही सुशोभित होता है। 'अति' विनास की ओर अग्रसर करती है। दैनन्दिन पारिवारिक कार्यों में हाथ बंटाकर परिवार की सहायता करना विद्यार्थी का दायित्व है, परन्तु विद्यालय के पश्चात् सम्पूर्ण समय परिवार के लिए समर्पण करना अति है। समाज के छोटे-मोटे कार्यों में समय देकर समाज की सेवा करना विद्यार्थी का दायित्व है, क्योंकि वह समाज का एक घटक है, जिसमें वह विकसित हो रहा है, किन्तु सामाजिक कार्यों में ही अपने को समर्पित करना अति है। यह अति' अध्ययन में व्यवधान डालेगी, मूल दायित्व (विद्या-प्राप्ति की इच्छा) से उपेक्षित रखेगी। मूल दायित्व को त्यागना, उसे उपेक्षित करना या उसमें प्रवंचना करना विद्यार्थी का दायित्व नहीं, दायित्व के प्रति विमुखता है, पाप है।

राष्ट्र-सेवा और राज्य-सेवा विद्यार्थी का दायित्व नहीं। राजनीति के पंक में फंसना विद्यार्थी के लिए उचित नहीं। कारण, राजनीति वेश्या की भाँति अनेक रूपिणी है, जो विद्यार्थी के मूल दायित्व को अपने आकर्षण से भस्म कर देती है, कर्तव्य से च्युत कर देती है, लोकेषणा के पंख पर उड़ाकर उसको आत्म-विस्मृत कर देती है।

आपातकाल में परिवार और समाज के प्रतिदायित्व

किन्तु 'आपत्काले मर्यादा नास्ति।' परिवार, समाज, संस्कृति या राष्ट्र पर आपत्ति आ जाए, तो आपत्ति रूपी अग्नि में कूदना अनुचित नहीं। गुलामी के प्रतिकार के लिए गाँधी जी के आह्वान पर, आपत्काल में लोकनायक जयप्रकाश के आह्वान पर छात्रों का राजनीति में कूदना, अपने समर्पण से भारत माता का भाल उन्नत करना, प्रथम दायित्व था। असमी संस्कृति पर संकट आने पर असम के छात्र-छात्राओं का राजनीति में कूदना मातृभूमि के प्रति अपरिहार्य दायित्व था।

विद्या का अर्जन विद्यार्थी का प्रथम और महत्त्वपूर्ण कर्तव्य है। अध्ययन, मनन और चिन्तन इस दायित्व पूर्ति की सीढ़ियाँ हैं। मन की एकाग्रता, एकांतता और एकनिष्ठता लक्ष्य-पूर्ति के साधन हैं।

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विद्यार्थी का दायित्व पर निबंध - Duties of A Student Essay in Hindi

विद्यार्थी का दायित्व पर निबंध - Duties of A Student Essay in Hindi : अध्ययन, चिंतन और मनन द्वारा विद्या अर्जित करना विद्यार्थी का दायित्व है। गुरुजनों का आज्ञाकारी बनना तथा विद्यालय अनुशासन में रहना विद्यार्थी का दायित्व है। धार्मिक संस्कारों को अपने हृदय में विकसित करना विद्यार्थी का दायित्व है। दायित्व का शाब्दिक अर्थ है जिम्मेवारी। दूसरे शब्दों में किसी कार्य की पूर्ति का भार। दायित्व के निर्वाह से शिक्षा मिलती है और बल की प्राप्ति होती है, जीवन का विकास होता है। मुंशी प्रेमचंद के शब्दों में जब हम राह भूलकर भटकने लगते हैं तो दायित्व का ज्ञान हमारा विश्वसनीय पथ प्रदर्शक बनता है। विद्यार्थी अर्थात विद्या का अभिलाषी। विद्या प्राप्ति का इच्छुक। विद्या पढ़ने वाला विद्यार्थी कहलाता है इसलिए अपने नाम के अर्थ के अनुरूप उसका सर्व प्रथम दायित्व है विद्या ग्रहण करना।

विद्यार्थी का दायित्व पर निबंध - D uties of A Student Essay in Hindi

Duties of A Student Essay in Hindi

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विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध Essay on Student and Discipline in Hindi

विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध Essay on Student and Discipline in Hindi

इस लेख में आप विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध (Essay on Student and Discipline in Hindi) पढेंगे। जिसमें हमने विद्यार्थी और अनुशासन का अर्थ, प्रकार, भूमिका, महत्व और दस वाक्यों को बेहद आकर्षक और सरल रूप से लिखा है।

Table of Contents

प्रस्तावना (विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध Essay on Student and Discipline in Hindi)

विद्यार्थी जीवन में कठिन परिश्रम और अनुशासन की आवश्यकता सबसे अधिक होती है। जिस विद्यार्थी में इन गुणों की कमी होती है उसका बौद्धिक और मानसिक विकास नहीं हो पाता।

विद्या अध्ययन को बेहद कठिन और एकाग्रतासाध्य काम माना जाता है। जिसमें उच्चकोटि का ध्यान और समर्पण की आवश्यकता होती है।

बाल्यावस्था किसी भी विषय को सीखने के लिए सबसे अच्छा समय होता है। ऐसा माना जाता है कि किसी भी मनुष्य का अधिकतम मानसिक विकास पंद्रह वर्ष की उम्र तक हो जाता है।

जो विद्यार्थी मेहनत और अनुशासन को अपने जीवन का प्रमुख लक्ष्य बनाते हैं वे एक सफल विद्यार्थी बनने के साथ-साथ एक आदर्श नागरिक भी बनते हैं।

दुनिया में किसी भी कार्य की उपलब्धि के लिए सतत संघर्ष और अनुशासन का होना अत्यंत आवश्यक है। जीवन की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए इसके अलावा अन्य कोई दूसरा विकल्प नहीं है।

विद्यार्थी जीवन पूरे जीवन काल में सबसे महत्वपूर्ण समय होता है  जहां अनुशासन की आवश्यकता और उपयोगिता और भी बढ़ जाती है। आसान शब्दों में विद्यार्थी जीवन को पूरे जीवन काल की आधारशिला कहा जा सकता है क्योंकि इस समय में वह जो कुछ भी सीखता है उसका प्रभाव पूरे जीवन  जीवन भर दिखाई देता है।

विद्यार्थी और अनुशासन का अर्थ Definition of Student and Discipline in Hindi

अनुशासन शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है अनु+शासन। इसका अर्थ होता है कि किसी भी नियम के अधीन रहकर कार्य करना अथवा नियमों के शासन में रहना।

सरल शब्दों में कहा जाए तो अनुशासन के अंतर्गत सभी मनुष्य को अपनी स्वतंत्र भावनाओं तथा शक्तियों को किसी निर्धारित नियम के द्वारा नियंत्रित करना होता है।

दुनिया के महान तथा सफल लोगों ने इसका महत्व बताया है कि किस प्रकार अनुशासन ही उद्देश्य तथा उपलब्धि के बीच का सेतु होता है।

सामान्य जीवन में ऐसे लक्ष्यों अथवा कार्यों को प्राथमिकता देना जो आने वाले भविष्य पर प्रत्यक्ष रुप से प्रभाव डालते हैं उनका अनुसरण करना ही अनुशासन कहलाता है।

सच कहा जाए तो अनुशासन ही मानव सभ्यता के विकास का प्रथम चरण है। जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में इसका होना अत्यंत आवश्यक है।

विद्यार्थी जीवन में अनुशासन के प्रकार Types of Disciplines of Student life in Hindi

आमतौर पर जीवन के हर विषय में अनुशासन के विभिन्न प्रकार होते हैं। प्रत्येक कार्य को पूरा करने के लिए धैर्य  तथा अनुशासन की आवश्यकता होती है।

किंतु सामान्य रूप से देखा जाए तो अनुशासन के दो प्रकार होते हैं- बाहरी अनुशासन तथा आंतरिक अनुशासन।

बाहरी अनुशासन का तात्पर्य इस बात से है, यदि किसी व्यक्ति की इच्छा के बिना उस पर जबरजस्ती किसी नियम कानून को थौंपा जाए तो वह बाहरी अनुशासन कहलाता  है।

आज के समय में विद्यार्थियों को किसी भी शैक्षणिक स्थान में कड़ी नियम कानूनों द्वारा बांध दिया जाता है लेकिन उन्हें अनुशासन के वास्तविक महत्व के बारे में पूर्ण जानकारी नहीं दी जाती।

दूसरा अनुशासन वही होता है जो स्वयं अपनी इच्छा से किसी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अपने जीवन को पूरी तरह से अपने कार्य के प्रति समर्पित कर देना अथवा कड़े नियमों का पालन  करना ही आंतरिक अनुशासन कहलाता है।

विद्यार्थी और अनुशासन की भूमिका Role of Student and Discipline in Hindi

जीवन में ऐसा कोई भी क्षेत्र नहीं है जहां अनुशासन की आवश्यकता न होती हो। विद्यालयों में बच्चों के लिए कड़े नियम कानून बनाए जाते हैं, जिससे वे सही-गलत का फर्क कर सके और अच्छे अंक प्राप्त कर सके।

प्रत्येक मनुष्य अपने प्रारंभिक जीवन में एक विद्यार्थी होता है। विद्यार्थी जीवन इसीलिए इतना महत्वपूर्ण है। क्योंकि इस समय में  बच्चे जो कुछ भी सीख पाते हैं उसका प्रभाव उनके चरित्र  तथा भविष्य पर प्रत्यक्ष रूप से दिखता है।

विद्यार्थी जीवन में किसी भी प्रकार के कला को बहुत सरलता से सीखा जा सकता है। इसीलिए मानव जीवन के इस स्वर्णिम समय में अनुशासन का होना बहुत आवश्यक है।

अध्यापक अपने विद्यार्थियों को नियमित रूप से अनुशासन का पालन करना सिखाते हैं। शिक्षक बच्चों को अपने से बड़ों का आदर सम्मान करना, रोजाना समय पर कक्षा में हाजिर रहना अपने मित्रों के साथ झगड़ा ना करना और झूठ न बोलना आदि जैसे अच्छी बातें भी सिखाते हैं।

अनुशासन का पालन करने से विद्यार्थियों में संयम तथा सद्गुण जैसे कई गुण विकसित होते हैं। एक आदर्श विद्यार्थी अनुशासन का महत्व भली-भांति समझता है इसीलिए अपने से बड़ों की बात कभी भी नजरअंदाज नहीं करता।

एक अच्छा विद्यार्थी हमेशा अपने समय को नई चीजों को सीखने में लगाता है तथा निर्धारित समय पर अपना अभ्यास कार्य करता है। वहीं दूसरी ओर एक सामान्य विद्यार्थी पढ़ने के लिए हमेशा टालमटोल करता है तथा अनुशासन का कभी भी पालन नहीं करता।

इस बात से नकारा नहीं जा सकता कि कोई भी व्यक्ति अनुशासन के महत्व को समझे बगैर सफलता प्राप्त नहीं कर सकता। केवल कड़े अनुशासन का पालन करके ही बड़ी से बड़ी उपलब्धियां प्राप्त की जा सकतीं हैं।

विद्यार्थी और अनुशासन का महत्व Importance of Students and Discipline in Hindi

विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का महत्व उतना ही आवश्यक है, जिस प्रकार जीवित रहने के लिए भोजन आवश्यक होता है।

भारत में प्राचीन काल में बाल्यावस्था से ही बच्चों को शिक्षा के लिए गुरुकुल भेज दिया जाता था जहां उन्हें कड़े  नियम कानून के अंतर्गत शिक्षा दिया जाता था। गुरुकुल में सभी विद्यार्थी पूरे अनुशासन के साथ अपनी शिक्षा  पूरी करते थे।

अपने जीवन में सफल होने का केवल एक ही रास्ता होता है वह अनुशासन के साथ अपने लक्ष्य के लिए निरंतर प्रयास करना है।

किसी भी राष्ट्र की वास्तविक संपदा वहां के विद्यार्थी होते हैं। यही बच्चे पढ़ लिख कर आगे चलकर बड़े-बड़े डॉक्टर, इंजीनियर, पॉलीटिशियंस, कलाकार, पायलट इत्यादि बनते हैं।

यह कहना बिल्कुल भी गलत नहीं होगा कि एक अनुशासित विद्यार्थी ही अपने लक्ष्य को प्राप्त करके अपने देश  के विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है।

अनुशासन ही सफलता का मूल मंत्र होता है। इसीलिए इसके जरिए जीवन में कठिन से कठिन परिस्थितियों को पार कर सफल जीवन की कामना की जा सकती है। 

एक विद्यार्थी की उन्नति का मुख्य द्वार अनुशासन ही होता है तथा इसी से एक सभ्य समाज के साथ-साथ एक विकसित राष्ट्र का निर्माण भी होता है।

इसका प्रयोग करके विद्यार्थी न केवल परीक्षा में अच्छे अंक ही प्राप्त कर सकते हैं बल्कि आगे चलकर समाज में एक अच्छे नागरिक भी बनते हैं।

यही कारण है कि विद्यालयों में बच्चों की अनुशासनहीनता पर उन्हें अध्यापक द्वारा दंडित किया जाता है जिससे वे गलती को दोबारा नहीं दोहराते हैं। विद्यार्थी जीवन में धैर्य और समझदारी का निर्माण इसी के कारण होता है। 

विद्यार्थी और अनुशासन पर 10 लाइन Best 10 lines on Students and Discipline in Hindi

  • अनुशासन ही सफलता की वास्तविक कुंजी होती है।
  • आज तक जितने भी लोग महान तथा सफल हुए हैं वे लगातार संघर्ष और अनुशासन  के पालन से ही हुए हैं।
  • विद्यालय में विद्यार्थियों को अनुशासन के पालन करने पर मुख्य रुप से ध्यान दिया जाता है।
  • अनुशासन के अंतर्गत सभी मनुष्य को अपनी स्वतंत्र भावनाओं तथा शक्तियों को किसी निर्धारित नियम के द्वारा नियंत्रित करना होता है।
  • दुनिया में अधिकतर सफल लोग अपनी सफलता का कारण अनुशासन को ही ही बताते हैं।
  • अनुशासन के बिना एक सफल जीवन की कामना करना मूर्खता पूर्ण होता है।
  • वेदों में अनुशासन को इंसान के लिए सबसे जरुरी तपस्या बताया गया है।
  • महात्मा गांधी अपने आश्रम में अनुशासन को कड़ाई से पालन करवाते थे।
  • बाह्य अनुशासन के मुकाबले अंतः अनुशासन मुख्य होता है।
  • विद्यार्थी और अनुशासन ये दोनों एक दुसरे के पूरक होते हैं।

निष्कर्ष Conclusion

इस लेख में आपने विद्यार्थी और अनुशासन पर हिंदी में निबंध (Essay on Student and Discipline in Hindi) पढ़ा। आशा यह लेख आपको सरल तथा आकर्षक लगा हो। अगर यह निबंध आपको पसंद आया हो तो इसे शेयर जरुर करें। 

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विद्यार्थी जीवन पर निबंध 100, 150, 250, 500 शब्दों में | Student Life Essay in Hindi

दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे विद्यार्थी जीवन पर निबंध 100, 150, 250, 500 शब्दों में। हर किसी की जिंदगी में विद्यार्थी जीवन बहुत ही ज्यादा महत्व रखता है क्योंकि यही वह समय होता है जब विद्यार्थी सही और गलत में पहचान करना सीखते हैं। विद्यार्थी जीवन में एक गुरु का बहुत ज्यादा महत्व होता है क्योंकि वो ही विद्यार्थियों का सही मार्गदर्शन करते हैं। देखा जाए तो विद्यार्थी जीवन में पढ़ाई और अनुशासन सीखने के साथ-साथ विद्यार्थी सच्चे दोस्त भी बनाते हैं। तो ऐसे में अगर आपको विद्यार्थी जीवन पर निबंध अलग-अलग शब्दों में लिखना है तो हमारे आज के इस पोस्ट को सारा पढ़ें और जानें विद्यार्थी जीवन पर निबंध 100, 150, 250, 500 शब्दों में। 

विद्यार्थी जीवन पर निबंध

विद्यार्थी जीवन पर निबंध 100 शब्दों में

विद्यार्थी जीवन में सबसे ज्यादा महत्व अनुशासन और शिक्षा का होता है। इसके साथ ही साथ खेलकूद के महत्व को भी अनदेखा नहीं किया जा सकता। इसीलिए जो विद्यार्थी अपनी पढ़ाई करने के साथ-साथ खेलकूद में भी हिस्सा लेते हैं वो बहुत बुद्धिमान होते हैं। पढ़ाई लिखाई करके जब विद्यार्थी मानसिक रूप से थक जाते हैं तो ऐसे में खेलकूद से उनकी थकान को दूर किया जाता है। इस तरह से अपना पसंदीदा खेल खेलने के बाद विद्यार्थीयों में फिर से उर्जा भर जाती है। विद्यार्थी जीवन ही वह समय होता है जब विद्यार्थी ज्ञान प्राप्त करने के साथ-साथ संस्कार और अनुशासन जैसी चीजें सीखते हैं। 

विद्यार्थी जीवन पर निबंध 150 शब्दों में

किसी भी इंसान के लिए विद्यार्थी जीवन एक स्वर्णिम काल की तरह होता है क्योंकि इस समय वो अपने भविष्य की आधारशिला रखता है। विद्यार्थी जीवन में ही एक छात्र में शारीरिक और मानसिक गुणों के विकास के साथ-साथ आध्यात्मिक गुणों का भी विकास होता है। इस सब में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण योगदान अध्यापक का होता है, जो अपने सभी विद्यार्थियों को शिक्षा देने के साथ-साथ उन्हें सही रास्ते पर भी चलाते हैं। किसी भी इंसान के लिए शिक्षा हासिल करना आसान नहीं होता इसीलिए विद्यार्थियों को अपनी जिंदगी में एक कामयाब इंसान बनने के लिए दिन रात मेहनत करनी पड़ती है। 

किसी भी देश के लिए विद्यार्थी बहुत महत्व रखते हैं क्योंकि वे पढ़ लिख कर अपने देश के गौरव को ऊंचा बनाते हैं। इसके लिए कोई विद्यार्थी वैज्ञानिक बनता है, कोई डॉक्टर बनता है तो कोई इंजीनियर। इसीलिए अध्यापक अपने छात्रों में सहयोग, संयम, विनम्रता, सेवा और सह अस्तित्व जैसे गुणों को विकसित करने के लिए प्रयास करते हैं। इसमें कोई शक नहीं कि आज के विद्यार्थी आने वाले कल में देश का भविष्य होते हैं। 

विद्यार्थी जीवन पर निबंध 250 शब्दों में

विद्यार्थी जीवन वह समय होता है जब कोई व्यक्ति शिक्षा हासिल करने के लिए किसी स्कूल या फिर कॉलेज में जाता है। विद्यार्थी किसी भी देश के लिए सफलता की कुंजी माने जाते हैं क्योंकि वे देश का भविष्य होते हैं। विद्यार्थी जीवन किसी भी इंसान के जीवन का सबसे सुंदर और यादगार समय होता है। इतना ही नहीं यह किसी भी व्यक्ति के लिए सबसे कीमती समय भी होता है क्योंकि इसी दौरान उसके चरित्र का विकास होता है। 

विद्यार्थी जीवन का महत्व 

विद्यार्थी जीवन में इंसान बहुत सारी चीजें सीखता है। पढ़ाई लिखाई के अलावा उसे ऐसे बहुत सारे कौशल भी सीखने का मौका मिलता है जो आगे चलकर उसके बहुत काम आते हैं। विद्यार्थी के लिए स्कूल में बिताया गया समय बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण होता है क्योंकि उस समय में या तो उसके व्यक्तित्व को बनाया जा सकता है या फिर खराब किया जा सकता है। विद्यार्थी जीवन में एक छात्र को यह सीखने को मिलता है कि वह अपने जीवन में क्या क्या कर सकता है और इसके अलावा दोस्ती जैसे मजबूत रिश्ते भी विद्यार्थी जीवन में ही बनते हैं।  

विद्यार्थी जीवन के कर्तव्य 

विद्यार्थी जीवन के कर्तव्य एक नहीं बहुत सारे होते हैं जो कि निम्नलिखित हैं –

  • अपनी पढ़ाई लिखाई पर बहुत ज्यादा मेहनत करनी चाहिए।
  • दूसरे छात्रों के साथ अच्छा व्यवहार करना चाहिए।
  • अपने अध्यापक और माता-पिता के लिए सम्मान दिखाना चाहिए।
  • विद्यार्थी जीवन में सोशल मीडिया और मोबाइल पर गेम खेलने से बचना चाहिए।
  • छात्र को चाहिए कि वह अपने व्यक्तित्व और चरित्र के निर्माण पर ध्यान दे।
  • अगर कोई कठिन परिस्थिति आ जाए तो उससे निपटना आना चाहिए। 
  • अपने सहपाठियों की मदद करनी चाहिए। 

विद्यार्थी जीवन पर निबंध 500 शब्दों में

विद्यार्थी जीवन किसी भी इंसान के लिए सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण समय होता है। यही वो समय होता है जब छात्रों को नैतिक मूल्यों को ग्रहण करवाया जाता है। इस तरह से यह वह समय है जब कोई भी विद्यार्थी अपने भविष्य को संवारने के लिए सबसे पहली और मजबूत नींव रखता है। विद्यार्थी जीवन में छात्रों को भौतिक सुखों को छोड़कर पूरी मेहनत के साथ शिक्षा को हासिल करना होता है ताकि उनके अंदर मूल तत्वों का विकास हो सके। 

विद्यार्थी जीवन का मतलब 

विद्यार्थी शब्द विद्या+अर्थी से बना है जिसका मतलब होता है विद्या की इच्छा करने वाला। अगर संक्षेप में हम कहें तो विद्यार्थी जीवन का अर्थ होता है किसी भी विषय में निरंतर ज्ञान हासिल करना। जब बच्चा 5 साल का होता है तो तब उसकी शिक्षा का समय शुरू हो जाता है और वो लगभग 25 साल तक की उम्र तक चलता है। वैसे पढ़ाई लिखाई की कोई आयु नहीं होती है और इंसान चाहे तो किसी भी उम्र में शिक्षा हासिल कर सकता है। 

विधार्थी के मुख्य कर्तव्य 

जब कोई व्यक्ति विद्यार्थी जीवन में होता है तो तब उसके कुछ कर्तव्य होते हैं जोकि निम्नलिखित हैं –

  • विद्यार्थी को चाहिए कि वह अपने अंदर विनम्रता का गुण विकसित करें क्योंकि इसे विद्यार्थी जीवन की सबसे पहली सीढ़ी कहा जाता है।
  • विद्यार्थी को चाहिए कि वह अपने जीवन में अनुशासन को महत्व दें क्योंकि जो व्यक्ति अनुशासन को महत्व देता है वह जिंदगी में काफी आगे जा सकता है। 
  • शिक्षा हासिल करने के लिए विद्यार्थी जीवन में व्यक्ति को चाहिए कि वह खूब परिश्रम करें और दिल लगाकर अपनी पढ़ाई करें। 
  • दुनिया के दूसरे सभी सुखों को छोड़कर शिक्षा पर ध्यान देना चाहिए। 
  • ऐसे लोग जो बुरे कार्यों में लीन रहते हैं उनसे विद्यार्थियों को दूर रहना चाहिए।
  • छात्र को चाहिए कि वह अपने विचार ऊंचे रखे लेकिन सादा जीवन जिएं। 
  •  विद्यार्थी के अंदर किसी भी तरह का अभिमान नहीं होना चाहिए। 

विद्यार्थी जीवन में जाने वाली गलतियां 

वैसे तो विद्यार्थी जीवन किसी भी इंसान के लिए सुनहरा समय होता है पर विद्यार्थी जीवन में लोग बहुत सारी गलतियां भी करते हैं जैसे कि – 

  • विद्यार्थी जीवन में बहुत से लोग बुरी आदतें अपना लेते हैं जैसे कि सिगरेट पीना, शराब पीना और देर रात तक अपने घर से बाहर रहना।
  • गलत संगत में पड़ने की वजह से अकसर विद्यार्थी सही रास्ते से हटकर गलत रास्ते की तरफ चले जाते हैं।
  • विद्यार्थी जीवन में ऐसा भी होता है कि वो अपने बड़ों की बातों को ठीक नहीं मानते और उनकी बातों को जरा सा भी महत्व नहीं देते जो कि एक बहुत ही बुरी बात है। 
  • अपने घर की जिम्मेदारियां पूरी करने से भागते हैं और घर के कार्यों में जरा भी दिलचस्पी नहीं लेते। 
  • विद्यार्थी हमेशा अपने ही कामों में लगे रहते हैं और दूसरे कामों की तरफ बिल्कुल भी ध्यान नहीं देते।
  • बहुत से विद्यार्थी अपनी पढ़ाई की तरफ ध्यान देना छोड़ देते हैं और दूसरे बेकार के कामों में रूचि लेने लगते हैं। 
  • शिक्षा के महत्व को नहीं समझते और पढ़ाई से जान छुड़ाने की कोशिश करते हैं। 
  • आदर्श विद्यार्थी पर निबंध
  • अनुशासन पर निबंध
  • समय का महत्व पर निबंध
  • ऑनलाइन शिक्षा पर निबंध

दोस्तों यह था हमारा आर्टिकल विद्यार्थी जीवन पर निबंध 100, 150, 250, 500 शब्दों में। इस लेख में हमने आपको बताया कि विद्यार्थी जीवन पर आप अलग-अलग शब्दों में कैसे निबंध लिख सकते हैं। हमें पूरी आशा है कि आपको विद्यार्थी जीवन पर निबंध अवश्य उपयोगी लगा होगा। अगर आपको हमारा यह पोस्ट अच्छा लगा हो तो इसे उन लोगों के साथ भी जरूर शेयर करें जो विद्यार्थी जीवन पर निबंध 100, 150, 250, 500 शब्दों में ढूंढ रहें हैं। 

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आदर्श विद्यार्थी पर निबंध (Ideal Student Essay in Hindi)

एक आदर्श छात्र वह है जो समर्पित रूप से अध्ययन करता है, स्कूल और घर में ईमानदारी से व्यवहार करता है और साथ ही सह-पाठ्यचर्या वाली गतिविधियों में भाग लेता है। हर माता पिता चाहते हैं कि उनका बच्चा एक आदर्श छात्र बने जो दूसरों के लिए प्रेरणा स्रोत बन सके। आदर्श छात्रों का हर जगह (स्कूलों, कोचिंग सेंटरों और खेल अकादमियों में) स्वागत किया जाता है। आदर्श छात्र सटीकता के साथ उन्हें सौंपे गए सभी कार्यों को पूरा करते हैं। वे शीर्ष पर रहना पसंद करते हैं और उस स्थान को हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं।

आदर्श विद्यार्थी पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on Ideal Student in Hindi, Adarsh Vidyarthi par Nibandh Hindi mein)

आदर्श विद्यार्थी पर निबंध – 1 (250 – 300 शब्द).

एक आदर्श छात्र वह है जिसे हर दूसरा छात्र देखता है। कक्षा में या खेल के मैदान में अपने सभी कार्यों को पूरा करने के लिए उनकी सराहना की जाती है। वह अपने शिक्षकों का पसंदीदा होता है और स्कूल में विभिन्न कर्तव्यों का कार्यभार उसे सौंपा जाता है। हर शिक्षक चाहता है कि उनकी कक्षा ऐसे छात्रों से भरी रहे।

समाज के लिए बहुमूल्य

हर माता-पिता चाहते हैं कि उनके बच्चे दूसरों के लिए एक आदर्श उदाहरण बने। कई छात्र अपने माता-पिता की अपेक्षाओं को पूरा करना चाहते हैं लेकिन एक आदर्श छात्र बनने के लिए उनमें दृढ़ संकल्प और कई अन्य कारकों की कमी होती है। कुछ लोग प्रयास करते हैं और असफल होते हैं पर कुछ लोग प्रयास करने में ही असफ़ल हो जाते हैं लेकिन क्या अकेले छात्रों को इस विफलता के लिए दोषी ठहराया जाना चाहिए? शायदनहीं!

अन्य विद्यार्थियों के लिए प्रेरणा

एक आदर्श विद्यार्थी समाज के अन्य विद्यार्थियों के लिए प्रेरणा का स्रोत होता है। समाज के अन्य विद्यार्थी उसके आचरण और स्वभाव से सिखते है। आदर्श विद्यार्थी समाज के लिए एक बहुमूल्य रत्न होता है , जो समाज को नई ऊंचाइयों पर ले जाता है।

किसी ने भी परिपूर्ण या आदर्श रूप में जन्म नहीं लिया है। किसी भी छात्र में आदतें पैदा करने में लिए समय लगता है जिससे वही छात्र आदर्श बनता है। माता-पिता और शिक्षक दोनों को बच्चे में छिपी संभावितता पहचानने के लिए प्रयास करने चाहिए।

आदर्श छात्र पर निबंध : एक आदर्श छात्र की विशेषताएं – 2 (400 शब्द)

एक आदर्श छात्र वह है जो शिक्षा के साथ-साथ अन्य सह-पाठयक्रम गतिविधियों में भी अच्छा है। हर माता-पिता चाहते हैं कि उसका बच्चा स्कूल में अच्छा प्रदर्शन करे पर कुछ ही बच्चे अपने माता-पिता की उम्मीदें पूरी कर पाते हैं। माता-पिता की भूमिका न केवल अपने बच्चों को व्याख्यान देने और उनसे उच्च उम्मीदें लगाने की होती है बल्कि उन अपेक्षाओं को पूरा करने में उनकी मदद करने और उनका मार्गदर्शन करने की भी होती है।

एक आदर्श छात्र की विशेषताएं

यहां एक आदर्श छात्र की मुख्य विशेषताएं बताई गई हैं:

एक आदर्श छात्र लक्ष्य निर्धारित करता है और उन्हें प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत करता है। वह अध्ययन, खेल और अन्य गतिविधियों में सर्वश्रेष्ठ करना चाहता है और ऐसा करने के लिए अपने सर्वोत्तम प्रयास में शामिल होने से संकोच नहीं करता।

  • लक्ष्य निर्धारण करना

एक आदर्श छात्र कभी भी मुश्किल होने पर हार नहीं मानता। वह निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए निर्धारित रहता है और सफ़लता प्राप्त करने के लिए लगातार कार्य करता है।

  • समस्या निवारक

कई छात्र विद्यालय / कोचिंग सेंटर तक देर से पहुंचने, अपने होमवर्क को पूरा नहीं करने, परीक्षा में अच्छी तरह से प्रदर्शन नहीं करने आदि के लिए बहाने देते हैं। हालांकि एक आदर्श छात्र वह है जो बहाने मारने की बजाए ऐसी समस्याओं का हल ढूंढता है।

आदर्श छात्र भरोसेमंद होता है। शिक्षक अक्सर उन्हें अलग-अलग कर्तव्यों का आवंटन करते हैं जो वे बिना असफल हुए पूरा करते हैं।

एक आदर्श छात्र हमेशा सकारात्मक दृष्टिकोण रखता है। यदि पाठ्यक्रम बड़ा है, यदि शिक्षक अध्ययन करने के लिए समय दिए बिना परीक्षा लेता है, यदि कुछ प्रतियोगी गतिविधियां अचानक रखी जाती हैं तो भी आदर्श छात्र घबराता नहीं है। आदर्श विद्यार्थी हर स्थिति में सकारात्मक बना रहता है और मुस्कुराहट के साथ चुनौती स्वीकार करता है।

  • जानने के लिए उत्सुक

एक आदर्श छात्र नई चीजें सीखने के लिए उत्सुक रहता है। वह कक्षा में सवाल पूछने में संकोच नहीं करता। एक आदर्श छात्र भी पुस्तकों को पढ़ने और इंटरनेट पर सर्फ करने के अपने तरीके से अलग-अलग चीज़ों के बारे में अपने ज्ञान को बढ़ाने के लिए तत्पर रहता है।

  • पहल करता है

एक आदर्श छात्र भी पहल करने के लिए तैयार रहता है। यह ज्ञान और क्षमता को जानने, समझने और बढ़ाने का एक बढ़िया तरीका है।

एक आदर्श छात्र बनने के लिए दृढ़ संकल्प करना पड़ता है। परन्तु इसके लिए किए गए प्रयास अच्छे होने चाहिए। यदि कोई बच्चा कम उम्र से उपरोक्त विशेषताओं को विकसित करता है तो जैसे जैसे उसकी उम्र बढ़ती जाएगी वैसे-वैसे वह निश्चित रूप से बहुत कुछ हासिल कर लेगा।

आदर्श छात्र पर निबंध : आदर्श छात्र कैसे बने – 3 (500 शब्द)

हर एक व्यक्ति आदर्श छात्र बनना चाहता है लेकिन केवल कुछ ही ऐसा बनने में सक्षम हैं। इस प्रकार की उत्कृष्टता हासिल करने के लिए बहुत अधिक प्रयास किए जाने की ज़रूरत है। हालांकि एक बार जब आप इसे हासिल कर लेते हैं तो आपको कोई नहीं रोक सकता। हर चीज़ में अच्छा होना आदत हो जाती है और आप इससे कम कोई समझौता नहीं करना चाहते।

आदर्श छात्र कैसे बने?

यहां कुछ ऐसी तकनीकें हैं जो आपको एक आदर्श छात्र बनने में मदद करती हैं:

यदि आप एक आदर्श छात्र बनने की कामना करते हैं तो सबसे पहले आपको यह करना होगा कि आप संगठित हो। सकारात्मक ऊर्जा लाने के लिए अपने कमरे, अलमारी, अध्ययन की मेज और आसपास की  व्यवस्था। अव्यवस्थित परिवेश मस्तिष्क को अव्यवस्थित कर देते हैं।

हर दिन एक निश्चित समय पर जागने और सोने की कोशिश करें। अपने अध्ययनों के साथ-साथ अन्य गतिविधियों को समायोजित करने के लिए एक सूची बनाएं। अपने समय को अधिकतम इस्तेमाल करने के लिए सही शेड्यूल बनाए रखें।

  • करने वाले कामों की सूची बनाएं

दैनिक कार्यों की सूची तैयार करना अच्छी आदत है। हर सुबह दिन में पूरा करने वाले कामों की आवश्यक चीज़ों की एक सूची तैयार करें। कार्यों को प्राथमिकता दें और उन्हें समय दें। अपने पास इस तरह की सूची रखने से बेहतर समय प्रबंधन में मदद मिलती है। जैसे आप काम को पूरा करते हैं तो उनको जांचते रहें। इससे आपको उपलब्धि की भावना मिलती है और आप प्रेरित रहते हैं।

स्कूल में और अन्य जगहों में पहल करने में संकोच न करें। अपनी क्षमताओं का परीक्षण करने के लिए नई परियोजनाएं बनाएं और समझें कि आपकी रुचि वास्तव में क्या है। इस तरह आप न केवल नई चीजों के बारे में सीखेंगे बल्कि उनका प्रदर्शन करने की अपनी क्षमता को भी समझेंगे।

  • कुछ नया सीखें

पढ़ने की आदत बनाएं, सूचनात्मक वीडियो और ऐसी अन्य सामग्री देखें। यह नई चीजें सीखने, विभिन्न दृष्टिकोणों को समझने और अपने संपूर्ण ज्ञान और क्षमता को बढ़ाने का एक अच्छा तरीका है।

  • अच्छे दोस्त बनाएं

ऐसा कहा जाता है आप जिन पांच लोगों के साथ सबसे ज्यादा समय व्यतीत करते हैं आप में उन पाँचों के औसत गुण आ जाते हैं इसलिए यदि आप एक आदर्श छात्र बनना चाहते हैं तो उन लोगों के साथ दोस्ती बनाएं जो अपनी पढ़ाई के प्रति गंभीर हैं और उनके साथ रहें जो प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित हैं बजाए उनके जो अपने जीवन को लापरवाही से लेते हैं।

  • स्वस्थ जीवन शैली का पालन करें

एक स्वस्थ जीवन शैली का पालन करना अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। इसमें नीचे साझा किए गए तीन पहलुओं का ध्यान रखना शामिल है:

  • स्वस्थ खाना खाएं

स्वस्थ रहने के लिए सभी आवश्यक पोषक तत्वों को शामिल करके उचित आहार लेना जरूरी है। आप केवल तब ही अच्छे प्रदर्शन कर पाएंगे जब आप शारीरिक और मानसिक रूप से फिट होंगे।

प्रत्येक दिन 8 घंटे नींद पूरा करना आवश्यक है। आपको अपनी नींद पर किसी भी मामले में समझौता नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे आप में सुस्ती और चेहरे पर थकावट दिखती है। ज़रूरत से ज्यादा सोना भी इस तरह के प्रभाव का कारण बन सकता है तो आपको उस से भी बचाना चाहिए।

जैसे-जैसे कोई छात्र उच्च कक्षा में प्रवेश करता है वैसे-वैसे उस छात्र का जीवन काफी व्यस्त हो जाता है। शारीरिक व्यायाम करने के लिए आधे घंटे से एक घंटे की कसरत करना अनिवार्य है। आप अपनी पसंद के किसी भी व्यायाम का चयन कर सकते हैं। टहलना, साइकिल चलाना, तैराकी, योग, नृत्य या किसी भी चीज में आपकी रुचि हो सकती है।

माता-पिता को यह समझना चाहिए कि उनका बच्चा अपने दम पर उत्कृष्टता प्राप्त नहीं कर सकता है। उसे उनके समर्थन की जरूरत है। माता-पिता को बच्चो से उच्च उम्मीदें रखने की बजाए उन्हें जीवन के विभिन्न चरणों में मदद करने के लिए तैयार रहना चाहिए।

Essay on Ideal Student in Hindi

निबंध – 4 (600 शब्द): क्या चीज़ छात्र को आदर्श बनाती है

आदर्श छात्र जन्म से आदर्श या संपूर्ण नहीं होते हैं। वे अपने माता-पिता और शिक्षकों द्वारा आदर्श बनाए जाते हैं। स्कूल में छात्र के प्रदर्शन पर, घर का वातावरण एक बड़ा प्रभाव डालता है। शिक्षक भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हालांकि माता-पिता और शिक्षक केवल छात्र का मार्गदर्शन कर सकते हैं और अंततः यह इस बात पर निर्भर करता है कि वह खुद को कैसे संचालित करता है।

क्या चीज़ छात्र को आदर्श बनाती है?

यहां कुछ चीजें हैं जो विद्यार्थी को आदर्श बनाती हैं:

  • आदर्श छात्र कक्षा में जितना ध्यान देते हैं और समझते हैं उतना ही अच्छा वे अपने कक्षा सत्रों में कर सकते हैं।
  • वे अपने संदेहों को स्पष्ट करने के लिए कक्षा में सवाल पूछने में संकोच नहीं करते।
  • वे यह सुनिश्चित करते हैं कि वे हर दिन घर पर जाने से पहले कक्षा में मिले कार्य को पूरा करें।
  • वे चीजों को व्यवस्थित रखते हैं।
  • वे न केवल अकादमिक रूप से बेहतर प्रदर्शन करने की कोशिश करते हैं बल्कि खेल, वाद-विवाद प्रतियोगिताओं, कला और शिल्प गतिविधियों जैसी अन्य गतिविधियों में भी हिस्सा लेते हैं।
  • वे पहल करते हैं और सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हैंI वे असफलता के डर के कारण अवसरों को नहीं छोड़ते।
  • वे विफल होने पर भी हार नहीं मानते हैं। वे चीजों को फिर से करने की कोशिश करते हैं जब तक वे वांछित परिणाम प्राप्त नहीं करते।

आदर्श छात्र स्कूल में पसंदीदा होते हैं

आदर्श छात्र वे होते हैं जो स्कूल में लगभग हर चीज में अच्छे होते हैं। वे सकारात्मक ऊर्जा पैदा करते हैं। कक्षा में हर कोई उनका मित्र बनना चाहता है। सर्वश्रेष्ठ छात्र के रूप में एक आदर्श छात्र होने पर शिक्षक और साथ ही अन्य छात्रों पर अच्छी छाप पड़ती है। अगर आपका मित्र पढ़ाई में अच्छा है तो आपको पढ़ाई में सहायता मिलती है। उनके नोट्स हमेशा आपके लिए आसानी से उपलब्ध होते हैं। वह आपको नियमित रूप से अध्ययन करने और खेल, संगीत, नृत्य जैसी अतिरिक्त पाठ्यचर्या वाली गतिविधियों में भाग लेने के लिए भी प्रेरित करता है। एक व्यक्ति की कंपनी विशेष रूप से उम्र के बढ़ने वाले वर्षों में उस पर एक बड़ा प्रभाव डालती है। जो अच्छे / आदर्श छात्रों का साथ रखते हैं उनमें अच्छी आदतें पैदा होना निश्चित है।

शिक्षकों के बीच आदर्श छात्र उनका पसंदीदा होता है। शिक्षक कक्षा में दूसरों को उनका उदाहरण देते हैं और उन्हें उनकी अच्छी आदतों को अपनाने के लिए कहते हैं। शिक्षक अपनी अनुपस्थिति में इन छात्रों को अन्य कार्य सौंप देते हैं जैसे कि परियोजनाओं की तैयारी, पुस्तकों/नोटबुक का वितरण और कक्षा की निगरानी। हर शिक्षक चाहता है कि उनकी कक्षा में हर छात्र आदर्श हों।

आदर्श छात्र होना जीवन में हमेशा मदद करता है

ऐसा कहा जाता है आप जो बार-बार करते असल में आप वैसे ही होते हैं। तब उत्कृष्टता जीवन का एक रास्ता बन जाती है। एक आदर्श छात्र हमेशा व्यवस्थित होता है। वह अपने कमरे, स्कूल बैग, किताबों और अन्य सामान को एक संगठित ढंग से रखता है ताकि जब उसे ज़रूरत पड़े तब समय की बर्बादी न हो। वह जानता है कि उसे सामान की तलाश कहां करनी है। संगठित होने का मतलब केवल चीजों को सही तरीके से रखने का मतलब नहीं है बल्कि इसका मतलब है कि अपने कार्य को एक कुशल तरीके से प्राथमिकता देने और संगठित करने की क्षमता है ताकि उन्हें समय पर पूरा किया जा सके। बाद में यह एक आदत बन जाती है और यहां तक ​​कि जब छात्र बड़े होते हैं तो इस आदत की वजह से संगठित रहते हैं। जो लोग संगठित होते हैं वे दोनों निजी और पेशेवर जीवन को कुशलता से प्रबंधित कर सकते हैं।

एक आदर्श छात्र जानता है कि कैसे विभिन्न गतिविधियों के बीच एक संतुलन को बनाए रखना है और वह जैसे-जैसे पेशेवर जीवन में बढ़ता है उसके लिए कार्य-जीवन का संतुलन बनाए रखना आसान हो जाता है। वह काफी कठिन काम करता है और केंद्रित रहता है और यही बाद के जीवन में उसे बहुत कुछ करने में मदद करता है।

एक आदर्श छात्र का जीवन दूर से मुश्किल लग सकता है। हालांकि आदर्श छात्र का जीवन वास्तव में उन लोगों की तुलना में बहुत अधिक सुलझा हुआ होता है जो अपनी पढ़ाई और अन्य कार्यों पर पूरा ध्यान नहीं देते हैं। आदर्श छात्रों को महत्वकांशी माना जाता है। वे अपने जीवन में उच्च लक्ष्य रखते हैं और उन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं।

FAQs: Frequently Asked Questions on Ideal Student (आदर्श विद्यार्थी पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

उत्तर- अनुशासन का पालन तथा आत्मनिर्भर होने की प्रवृत्ति।

उत्तर- भारत में प्रत्येक वर्ष 17 नवंबर को विद्यार्थी दिवस मनाया जाता है।

उत्तर- संपूर्ण विश्व डा. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की याद में 15 अक्टूबर को विश्व विद्यार्थी दिवस मनाता है।

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एक आदर्श विद्यार्थी पर निबंध 10 lines (An Ideal Student Essay in Hindi) 100, 200, 300, 500, शब्दों मे

essay on responsibility of students in hindi

An Ideal Student Essay in Hindi – एक छात्र कौन है? एक छात्र एक सीखने वाला होता है। एक व्यक्ति जो किसी विशेष क्षेत्र में ज्ञान और ज्ञान या कौशल प्राप्त करना चाहता है या अपनी बौद्धिक क्षमताओं को विकसित करना चाहता है, वह छात्र है। एक आदर्श विद्यार्थी होने के लिए, एक व्यक्ति में सम्मान, प्रेम, आत्म-अनुशासन, आत्म-संयम, विश्वास, एकाग्रता, सत्यवादिता, दृढ़ विश्वास, शक्ति और दृढ़ संकल्प के गुण होने चाहिए। ऐसे गुणों वाले व्यक्ति की उनके माता-पिता, शिक्षक और बड़े-बुजुर्ग सराहना करते हैं। एक आदर्श छात्र न केवल अपने शिक्षक के लिए एक वांछनीय छात्र होता है बल्कि अपने परिवार और राष्ट्र का गौरव भी होता है। 

एक आदर्श विद्यार्थी पर निबंध 10 पंक्तियाँ (An Ideal Student Essay 10 Lines in Hindi)100 – 150 Words

  • 1) एक आदर्श विद्यार्थी में एक अच्छे विद्यार्थी के सभी गुण होते हैं।
  • 2) एक आदर्श छात्र पढ़ाई और करियर पर अधिक ध्यान देता है।
  • 3) एक आदर्श विद्यार्थी को समय का पाबंद और अनुशासित होना चाहिए।
  • 4) एक आदर्श विद्यार्थी समय को महत्व देता है और उसका सही उपयोग करता है।
  • 5) आदर्श विद्यार्थी महत्वाकांक्षी होते हैं और जीवन में सफलता प्राप्त करते हैं।
  • 6) एक आदर्श विद्यार्थी हमेशा स्वस्थ आदतों का पालन करता है।
  • 7) मेहनती, दृढ़निश्चयी, जिम्मेदार आदि आदर्श विद्यार्थी के लक्षण होते हैं।
  • 8) एक आदर्श विद्यार्थी ईमानदार और मददगार होता है।
  • 9) एक आदर्श विद्यार्थी आज्ञाकारी और सभी का प्रिय होता है।
  • 10) आदर्श छात्र देश का भविष्य होते हैं।

एक आदर्श विद्यार्थी पर निबंध 200 शब्द (An Ideal Student Essay 200 words in Hindi)

एक आदर्श छात्र शिक्षा में अच्छा होता है, पाठ्येतर गतिविधियों में भाग लेता है, अच्छा व्यवहार करता है और अच्छी तरह से तैयार होता है। वह ऐसा व्यक्ति है जिसके जैसा हर कोई बनना चाहता है और उसके साथ दोस्ती करना चाहता है। शिक्षक भी ऐसे छात्रों के दीवाने होते हैं और वे जहां भी जाते हैं उनकी सराहना करते हैं।

हालाँकि, एक आदर्श छात्र वह भी होता है जिससे हर दूसरा छात्र गुप्त रूप से ईर्ष्या करता है। इसलिए जबकि हर कोई ऐसे छात्र के साथ बैठना या दोस्ती करना चाहता है, कई लोग उसके लिए अच्छा नहीं चाहते क्योंकि वे उससे ईर्ष्या करते हैं। फिर भी, यह एक आदर्श छात्र की भावना को कम नहीं करता है या नहीं करना चाहिए क्योंकि वह जीवन में उच्च चीजों को प्राप्त करना चाहता है।

अब, एक आदर्श छात्र जरूरी नहीं है कि वह पूर्ण हो और प्रत्येक परीक्षा में पूर्ण अंक प्राप्त करे या प्रत्येक खेल गतिविधि में पदक जीते, जिसमें वह भाग लेता है। वह वह है जो अनुशासित है और जीवन में एक दृष्टि रखता है। वह ऐसे व्यक्ति हैं जो पूरे दृढ़ संकल्प के साथ कड़ी मेहनत करते हैं और उनमें सच्ची खेल भावना है। वह वह नहीं है जो कभी असफल नहीं होता बल्कि वह है जो असफल होने पर हार नहीं मानता। वह तब तक बार-बार प्रयास करता है जब तक कि वह सफल न हो जाए। वह नई चीजें सीखने के इच्छुक हैं। वह सफलता का स्वाद चखने के लिए दृढ़ संकल्पित होता है और उसे हासिल करने के लिए जो कुछ भी करना पड़ता है वह करता है।

एक आदर्श विद्यार्थी पर निबंध 250 शब्द (An Ideal Student Essay 250 words in Hindi)

विद्यार्थी जीवन हर किसी के जीवन का एक महत्वपूर्ण पड़ाव होता है। एक विद्यार्थी के रूप में हमें अपना भविष्य संवारने का अवसर मिलता है। यह हमारे जीवन का सबसे अच्छा चरण होता है और हर छात्र छात्र जीवन में अपना सर्वश्रेष्ठ साबित करने और बहुत कुछ सीखने की कोशिश करता है।

एक आदर्श विद्यार्थी के लक्षण

छात्र जीवन के दौरान व्यक्ति को अधिक से अधिक ज्ञान और मूल्यों को मन में बैठाने का अवसर मिलता है। जो छात्र अपने समय का सर्वोत्तम उपयोग करते हैं और उनमें कई नैतिक मूल्य निहित होते हैं, वे आदर्श छात्र बनने की ओर होते हैं। एक आदर्श छात्र पढ़ाई, स्वास्थ्य और भविष्य के बारे में चिंतित होता है और इसलिए जो समय दिया जाता है उसे बर्बाद नहीं करता है।

एक आदर्श विद्यार्थी के मन में समय के महत्व का बोध होने पर वह उसी के अनुसार कार्य करता है। सुबह जल्दी उठना और समय पर स्कूल जाना। स्कूल जाना और सीखने के लिए स्कूल के समय का सर्वोत्तम उपयोग करना। शरीर को फिट रखने के लिए पढ़ाई के अलावा गेम खेलना। सभी बड़ों, शिक्षकों और माता-पिता का सम्मान करना और उनका पालन करना। ये दोस्तों और जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए हमेशा तैयार रहते हैं।

एक आदर्श विद्यार्थी की आकांक्षा उनकी प्राथमिकता है। एक आदर्श विद्यार्थी का जीवन अनुशासित और समन्वित होता है। वे अपने जीवन में नियमों और विनियमों के एक सेट का पालन करते हैं। आत्मसंयम का गुण एक आदर्श विद्यार्थी को किसी भी प्रकार के भटकाव, बुरी आदत या किसी भी गलत कार्य से रोकता है।

छात्र देश का भविष्य हैं। एक आदर्श छात्र बड़ा होकर एक जिम्मेदार बेटा या बेटी और हमारे देश का अच्छा नागरिक बनता है।

एक आदर्श विद्यार्थी पर निबंध 300 शब्द (An Ideal Student Essay 300 words in Hindi)

एक आदर्श छात्र वह होता है जिसे हर दूसरा छात्र देखता है। कक्षा या खेल के मैदान में अपने सभी कार्यों को करने के तरीके के लिए उसकी सराहना की जाती है। वह शिक्षकों के बीच एक पसंदीदा है और उसे स्कूल में विभिन्न कर्तव्यों को सौंपा गया है। हर शिक्षक चाहता है कि उसकी कक्षा ऐसे छात्रों से भरी रहे।

एक आदर्श विद्यार्थी को आकार देने में माता-पिता और शिक्षक की भूमिका

हर माता-पिता चाहते हैं कि उनका बच्चा अपनी कक्षा में दूसरों को मात दे और एक आदर्श छात्र बने। बहुत से छात्र अपने माता-पिता की अपेक्षाओं को पूरा करना चाहते हैं लेकिन उनमें दृढ़ संकल्प और कई अन्य कारकों की कमी होती है जो उन्हें एक आदर्श छात्र बनाते हैं। जबकि कुछ कोशिश करते हैं और असफल हो जाते हैं, दूसरे लोग पहली बार में प्रयास करने में असफल हो जाते हैं। लेकिन क्या इस असफलता के लिए अकेले छात्रों को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए? नहीं! माता-पिता को यह समझना चाहिए कि वे अपने बच्चे के समग्र व्यक्तित्व और जीवन के प्रति दृष्टिकोण को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह उनका कर्तव्य है कि वे अपने बच्चों को स्कूल में अच्छा प्रदर्शन करने के महत्व को समझने में मदद करें।

अब, कई माता-पिता अपने बच्चों को बड़ी तस्वीर दिखाते हैं और उन्हें बताते हैं कि कैसे अच्छे ग्रेड लाने और स्कूल के दिनों में कड़ी मेहनत करने से उन्हें बाद में अपने पेशेवर और व्यक्तिगत जीवन में आगे बढ़ने में मदद मिलेगी। हालांकि, उनमें से ज्यादातर अपने बच्चों को यह नहीं सिखाते हैं कि दृढ़ निश्चयी कैसे बने रहें और कड़ी मेहनत करने और निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रेरित हों। माता-पिता को बच्चों के साथ मिलकर उन्हें स्कूल में अच्छा प्रदर्शन करने में मदद करनी चाहिए।

शिक्षक भी अपने छात्रों के व्यक्तित्व को आकार देने में समान रूप से महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्हें सकारात्मक रूप से प्रभावित करने के तरीकों की तलाश करनी चाहिए और उन्हें हर कदम पर प्रोत्साहित करना चाहिए।

कोई भी जन्म से पूर्ण या आदर्श नहीं होता। विद्यार्थी को आदर्श बनाने वाली आदतों को विकसित करने में समय लगता है। बच्चे में छिपी क्षमता को बाहर लाने के लिए माता-पिता और शिक्षक दोनों को प्रयास करने की जरूरत है।

एक आदर्श विद्यार्थी पर निबंध 500 शब्द (An Ideal Student Essay 500 words in Hindi)

एक छात्र का जीवन निश्चित रूप से किसी व्यक्ति के जीवन का सबसे महत्वपूर्ण चरण होता है। व्यक्ति का भविष्य विद्यार्थी के जीवन पर निर्भर करता है। सबसे उल्लेखनीय, यह किसी व्यक्ति के जीवन में सबसे अधिक सीखने की अवधि है। इसलिए, एक छात्र के रूप में अत्यंत समर्पण और गंभीरता दिखानी चाहिए। यह समर्पण और गंभीरता तभी संभव है जब कोई एक आदर्श विद्यार्थी बने।

एक आदर्श विद्यार्थी को आकार देने में माता-पिता की भूमिका

लगभग सभी माता-पिता अपने बच्चों के लिए केवल सर्वश्रेष्ठ चाहते हैं। माता-पिता निश्चित रूप से अपने बच्चों के जीवन में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। कई बच्चे सफल होने का प्रयास करते हैं लेकिन एक आदर्श छात्र होने के गुणों की कमी होती है। तो क्या इसके लिए अकेले वही बच्चे जिम्मेदार हैं? जवाब बड़ा नहीं है।

ऐसा इसलिए है क्योंकि माता-पिता महत्वपूर्ण रूप से यह निर्धारित करते हैं कि कोई छात्र एक आदर्श छात्र होगा या नहीं। इसके अलावा, माता-पिता को यह समझना चाहिए कि वे बड़े पैमाने पर बच्चे के समग्र व्यक्तित्व और दृष्टिकोण को निर्धारित करते हैं। इसके अलावा, माता-पिता को बच्चों को स्कूलों के महत्व का एहसास कराना चाहिए।

शायद बहुत से माता-पिता अपने बच्चों को बड़ी तस्वीर दिखाते हैं। अधिकांश माता-पिता बच्चों को कड़ी मेहनत और अच्छे अंकों का मूल्य सिखाते हैं। हालाँकि, ये माता-पिता यह नहीं सिखाते हैं कि उस कठिन परिश्रम को करने के लिए दृढ़ संकल्पित और प्रेरित कैसे किया जाए। सबसे उल्लेखनीय, माता-पिता को बच्चों के साथ मिलकर उन्हें आदर्श छात्र बनने में मदद करनी चाहिए।

सबसे पहले, एक आदर्श छात्र के पास उच्च महत्वाकांक्षा होनी चाहिए। ऐसा विद्यार्थी जीवन में अपने लिए एक उच्च लक्ष्य निर्धारित करता है। इसके अलावा, ऐसा छात्र अपने शिक्षाविदों में अच्छा प्रदर्शन करता है। यह उनके अंदर सीखने की लगन और इच्छा के कारण है। इतना ही नहीं, ऐसा छात्र कई पाठ्येतर गतिविधियों में भी भाग लेता है।

एक आदर्श छात्र स्वभाव से चौकस होता है। वह अपने शिक्षकों और वयस्कों द्वारा पढ़ाए गए पाठों को स्पष्ट रूप से समझता है। इसके अलावा, वह जीवन के साधारण सुखों की कीमत पर इन पाठों की उपेक्षा नहीं करता है।

एक आदर्श विद्यार्थी की एक अन्य महत्वपूर्ण विशेषता अनुशासन और आज्ञाकारिता है। एक छात्र निश्चित रूप से अपने माता – पिता , शिक्षकों और बड़ों का पालन करता है। इसके अलावा, ऐसा छात्र जीवन की दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों में अनुशासन दिखाता है।

एक आदर्श छात्र जीवन के सभी क्षेत्रों में अनुशासन बनाए रखता है, चाहे वह परिवार, शैक्षणिक संस्थान या समाज में हो। नतीजतन, ऐसा व्यक्ति सभी सामाजिक और नैतिक कानूनों का पालन करता है। साथ ही, ऐसा छात्र बहकावे में नहीं आता और हमेशा आत्म-नियंत्रण का अभ्यास करता है।

आदर्श विद्यार्थी समय के मूल्य का सम्मान करता है। वह समय की अत्यंत पाबंदी दिखाता है। इसके अलावा, वह अपनी कक्षाओं या नियुक्तियों के लिए कभी देर नहीं करता। सबसे उल्लेखनीय, वह हमेशा सही समय पर सही काम करता है।

एक आदर्श छात्र बनने के लिए निश्चित रूप से शारीरिक और मानसिक रूप से फिट होना चाहिए। एक आदर्श विद्यार्थी नियमित रूप से व्यायाम करता है। इसके अलावा, वह नियमित रूप से खेल खेलने में शामिल होता है। इसके अलावा, एक आदर्श छात्र ज्ञान की पुस्तकों का एक उत्साही पाठक होता है। इसलिए वह लगातार अपने ज्ञान को बढ़ाने की कोशिश करता है।

एक आदर्श विद्यार्थी का जीवन के प्रति वैज्ञानिक दृष्टिकोण होता है। इसके अलावा, एक आदर्श छात्र कभी भी चीजों को उनके अंकित मूल्य पर स्वीकार नहीं करता है। ऐसा विद्यार्थी हमेशा विवरणों का विश्लेषण करता है। सबसे उल्लेखनीय, ऐसे छात्र का जिज्ञासु मन होता है और वह प्रश्न पूछता है। वह किसी बात को तभी सत्य मानता है जब उसके लिए उचित प्रमाण उपलब्ध हो।

अंत में, एक आदर्श छात्र होना सभी के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण आवश्यकता है। यदि कोई एक आदर्श विद्यार्थी बन जाता है तो उसे जीवन में सफलता प्राप्त करने से कोई नहीं रोक सकता। आदर्श छात्र निश्चित रूप से राष्ट्र के सफल भविष्य का नेतृत्व करेंगे।

एक आदर्श विद्यार्थी पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

Q1 एक तरीका बताएं जिससे माता-पिता एक आदर्श छात्र को आकार देते हैं.

A1 माता-पिता निश्चित रूप से एक आदर्श छात्र को आकार देते हैं। एक तरीका यह है कि माता-पिता बड़े पैमाने पर बच्चे के समग्र व्यक्तित्व और दृष्टिकोण को निर्धारित करते हैं।

Q2 एक आदर्श छात्र की कोई एक विशेषता बताएं?

A2 एक आदर्श छात्र की एक विशेषता समय की पाबंदी है। सबसे उल्लेखनीय, ऐसा छात्र हमेशा सही समय पर सही काम करता है।

Hindi Yatra

विद्यार्थी जीवन पर निबंध – Essay on Student Life in Hindi

Essay on Student Life in Hindi : आज हम विद्यार्थी जीवन पर निबंध कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 & 10 के विद्यार्थियों के लिए है.

वर्तमान की भागदौड़ भरी जिंदगी में विद्यार्थियों का जीवन कहीं भटक सा रहा है इसीलिए विद्यार्थियों को उनके जीवन के बारे में समझाने के लिए हमने यह निबंध लिखा है.

जो विद्यार्थी इस निबंध को पढता है वह भली-भांति समझ जाएगा कि उसका यह समय कितना महत्वपूर्ण है.

इस समय विद्यार्थियों का मस्तिष्क इतना चंचल होता है कि वह कुछ भी कर सकते है इसलिए अभिभावकों को भी अपने बच्चों को समय देना चाहिए.

Essay on Student Life in Hindi

Get Some Essay on Student Life in Hindi for class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 and 10 Students.

Best Essay on Student Life in Hindi 100 Words

विद्यार्थी जीवन किसी भी व्यक्ति के जीवन का अहम और प्रथम पड़ाव होता है इस समय बच्चों का शारीरिक और बौद्धिक विकास होता है. इस समय विद्यार्थी एक कच्चे घड़े के समान होता है जिसको ठोक-पीटकर, सहलाकर किसी भी आकार में ढाला जा सकता है.

इस समय विद्यार्थी को उचित मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है वह उसे विद्यालय में शिक्षकों द्वारा प्राप्त होता है. यही वह समय होता है जब विद्यार्थी को अच्छा-बुरा, सम्मान-असम्मान, गुण-अवगुण इत्यादि का ज्ञान होना प्रारंभ होता है.

इस समय जो विद्यार्थी लगन और मेहनत करके अच्छी शिक्षा हासिल कर लेते है वही आगे आने वाले जीवन में खुशहाल रहते है और एक अच्छे व्यक्तित्व की मिसाल बनते है.

Vidyarthi Jeevan Essay in Hindi 300 Words

मनुष्य के लिए विद्यार्थी जीवन अति महत्वपूर्ण होता है विद्यार्थी जीवन बाल्यकाल से ही प्रारंभ हो जाता है. विद्यार्थी जीवन किसी मकान की नींव की तरह होता है.

अगर किसी मकान की नींव कमजोर होती है तो उस पर बनाई गई मंजिल ढह जाएगी उसी प्रकार मनुष्य अगर अपने विद्यार्थी जीवन का उपयोग सही से नहीं करता है तो उसका पूरा जीवन व्यर्थ हो जाता है.

जीवन के इस काल में विद्यार्थी को समय का सदुपयोग करना आना चाहिए, विद्यार्थी जीवन से ही व्यक्ति का चरित्र निर्माण होने लग जाता है, उसे अच्छे-बुरे का एहसास होने लगता है हालांकि विद्यार्थी जीवन में व्यक्ति का मन बहुत चंचल होता है इसलिए वह सब कुछ करना चाहता है.

इस समय उसके ज्ञान की पिपासा सबसे ऊंच स्तर पर होती है इस ज्ञान की पिपासा को शांत करने के लिए एक गुरु की आवश्यकता होती है वह गुरु जो उसे सही मार्गदर्शन देकर जीवन में आने वाले उतार-चढ़ाव के बारे में बताएं अपनों से बड़ों का सम्मान करना सिखाए, से सभी भाषाओं का ज्ञान दें.

वर्तमान में विद्यार्थियों की गुरु की तलाश विद्यालय में जाकर पूरी होती है वहां पर अलग-अलग विषयों पर पारंगत शिक्षक गण मिलते है जो कि उन्हें ज्ञान देते है. इस समय विद्यार्थियों को भी संपूर्ण ध्यान एकाग्र करके ज्ञान प्राप्त करना होता है अगर वह इसमें किसी भी प्रकार की चूक करते हैं तो इसका मूल्य उन्हें भविष्य में देना पड़ता है.

विद्यार्थियों को पढ़ाई के अलावा अपने स्वास्थ्य के ऊपर भी ध्यान देना चाहिए क्योंकि अगर उनका स्वास्थ्य अच्छा नहीं होगा तो वह पढ़ाई नहीं कर पाएंगे इसलिए हमेशा विद्यालय में होने वाले खेल कूद प्रतियोगिताओं में उन्हें भाग लेते रहना चाहिए.

विद्यार्थियों के सामने संपूर्ण भविष्य बाहें फैलाए खड़ा रहता है उन्हें प्रत्येक क्षेत्र की जानकारी लेनी चाहिए और जिस क्षेत्र में उनकी रुचि अधिक हो उसमें ध्यान देना चाहिए.

यही उनके जीवन का सबसे उत्तम समय होता है जब वह अपने आप में हर प्रकार की क्षमता का विकास कर सकते है इसलिए विद्यार्थी जीवन में विद्यार्थियों को हमेशा सचेत और एकाग्र होकर व्यतीत करना चाहिए जिससे भविष्य में आने वाली कठिनाइयों को आसानी से सुलझा सकें.

Latest Essay on Student Life in Hindi 800 Words

विद्यार्थी जीवन खुशहाल भविष्य की ओर पहला कदम होता है. यह वह स्वर्णिम अवसर होता है जो कि जीवन में दोबारा कभी नहीं मिलता है.

यह मनुष्य के लिए ईश्वर का दिया गया सबसे अनमोल उपहार है जिसको अगर कोई व्यर्थ कर देता है तो उसका पूरा जीवन नष्ट भ्रष्ट हो जाता है.

विद्यार्थी जीवन मनुष्य के बाल्यकाल से ही प्रारंभ हो जाता है . बाल्यावस्था में मनुष्य का मन बहुत चंचल होता है उसमें किसी प्रकार का विकार तो नहीं होता लेकिन समाज के अराजक के लोगों द्वारा भटकाया जा सकता है.

इसीलिए विद्यार्थी को इस समय उत्तम शिक्षा और श्रेष्ठ शिक्षक की आवश्यकता होती है. पुरातन काल में माता-पिता अपने बच्चों को गुरुकुल भेज दिया करते थे जहां पर गुरु द्वारा उन्हें अच्छी शिक्षा दी जाती थी साथ ही बच्चों को अनुशासन में रहना और बड़ों का सम्मान करना भी सिखाया जाता था.

गुरु अपने आश्रम में कई सालों तक अपने शिष्यों की परीक्षा लेते थे और उन्हें विद्वानों और पराक्रमी बनाकर ही भेजते थे किंतु वर्तमान में गुरुकुल प्रथा खत्म हो गई है और उनकी जगह विद्यालय और कॉलेजों ने ले ली है यहां पर भी उसी प्रकार वर्तमान शिक्षा प्रणाली के अनुसार शिक्षा दी जाती है.

विद्यार्थियों के लिए विद्यालय की इस संसार में पहला कदम होता है. विद्यार्थी जीवन का यह कार्य ज्ञान अर्जित करने का सबसे अच्छा समय है क्योंकि इस समय विद्यार्थियों को किसी भी प्रकार की चिंता नहीं होती है साथ ही उनका मस्तिष्क पूरी तरह से ज्ञान अर्जित करने के लिए उत्सुक होता है.

मनुष्य का विद्यार्थी जीवन ही तय करता है कि भविष्य में वह कैसा इंसान बनेगा इसलिए विद्यार्थियों को हमेशा अपने समय का सदुपयोग करना चाहिए और हमेशा अपने शिक्षक के सुझाए गए मार्ग पर चलना चाहिए.

यह वह समय है जब विद्यार्थी कठोर परिश्रम करके शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत होता है इस समय जो विद्यार्थी मन लगाकर ज्ञान अर्जित नहीं करता वह धीरे-धीरे अपने साथियों से पिछड़ जाता है

और कुछ समय बाद वह इसी पिछड़ेपन के कारण कई गलत कामों का शिकार हो जाता है जिस कारण उसका पूरा भविष्य चौपट हो जाता है.

इस काल में विद्यार्थियों को भटकाने के लिए कई प्रकार की बाधाएं आती है वर्तमान में तो यह बताएं मनुष्य ने ही उत्पन्न की है जैसे मोबाइल, कंप्यूटर, टेलीविजन और अन्य प्रकार की भ्रामक वस्तुएं जोकि विद्यार्थी को अपनी ओर खींचती है.

इनके कारण कई विद्यार्थियों का भविष्य खराब हो चुका है लेकिन जो विद्यार्थी इन सब को चुनौती के रूप में लेकर आगे बढ़ता है उसी का भविष्य निखरता है.

इस स्वर्णिम काल में विद्यार्थी को अपने शिक्षक के दिशा निर्देश अनुसार पढ़ना चाहिए, माता-पिता द्वारा सुझाए गए सुझावो पर ध्यान देना चाहिए, अपने से बड़ों का सम्मान करना चाहिए

साथ ही अपने साथियों के साथ अच्छा व्यवहार करना चाहिए और कभी भी किसी से झूठ नहीं बोलना चाहिए क्योंकि जो एक बार झूठ बोल देता है फिर वह जीवन भर झूठ बोलता रहता है इसके कारण उसका पूरा भविष्य संकट में पड़ सकता है.

जो विद्यार्थी इस समय केवल मौज मस्ती और व्यर्थ के कार्यों में अपना मन लगाता है तो उसका विद्यार्थी जीवन तो माता पिता की शरण में अच्छा बीत जाता है लेकिन जब उसका जीवन के यथार्थ से सामना होता है तो ऐसा विद्यार्थी स्वंय को अयोग्य मानता है.

मनुष्य को अगर जीवन में सफल होना है तो उसे किसी ना किसी क्षेत्र में पारंगत होना जरूरी होता है और मनुष्य पारंगत तभी हो सकता है जब वह विद्यार्थी जीवन में अच्छी शिक्षा प्राप्त करें.

वर्तमान में तो योग्य व्यक्तियों को भी अपना जीवन चलाने के लिए बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है इसलिए जो अयोग्य है वो इस प्रतियोगिता भरी दुनिया में कुछ नहीं कर सकता है.

कुछ विद्यार्थी इस समय मेहनत तो करते है लेकिन थोड़ी सी कठिनाई आने पर ही वह अभ्यास करना छोड़ देते है दो कि उनके भविष्य के लिए अच्छा नहीं होता है विद्यार्थी जीवन का तो मतलब यह होता है कि निरंतर अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते जाना और कठिनाइयों को चुनौतियां समझते हुए उनका निराकरण करना चाहिए.

इस समय उम्र में इतना जोश होता है कि वह मुश्किल से मुश्किल कार्य को चुटकियों में कर सकते हैं इस समय उनके पास गुरु होता है जो कि उन्हें सफलता के मार्ग में आने वाली कठिनाइयों को सुलझाने में मदद करता है.

विद्यार्थी जीवन के बाद तो कई प्रकार की घरेलू और सामाजिक समस्याओं का बोझ मनुष्य पर आ जाता है फिर वह चाहकर भी शिक्षा प्राप्त नहीं कर सकता और अपना उत्तम भविष्य नहीं बना सकता है.

इसीलिए विद्यार्थी को मन को भटकाने वाली सभी वस्तुओं और जिज्ञासाओं से दूर रहना चाहिए जो विद्यार्थी इस समय मन लगाकर मेहनत कर लेता है वह अपना बाकी का जीवन सुख में और खुशहाली से ही व्यतीत करता है.

वास्तव में विद्यार्थी जीवन कठोर अनुशासन, मेहनत और शिष्टाचार का दूसरा नाम है जिस प्रकार सोना आग में तप कर अधिक मूल्यवान कुंदन बन जाता है उसी प्रकार विद्यार्थी जीवन में किया गया कठोर परिश्रम, अनुशासन ही विद्यार्थी को संसार में प्रतिष्ठा और सम्मान दिलाता है.

यही आगे के भविष्य का निर्माण करता है क्योंकि आज तक विद्यार्थी ने जो भी सीखा है उसी से वह धन अर्जित करता है और अपने परिवार का पालन पोषण करता है.

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13 thoughts on “विद्यार्थी जीवन पर निबंध – Essay on Student Life in Hindi”

Vidhyarthi jeevan

Amazing Bro keep it up 😎

thank you daksh

Nice paragraph 👌👌👌

Thank you Devansh for appreciation.

Great essay. Was able to write full 4 pages for my project and even then half of it was left.

Thank you for your appreciation.

This is amazing nibhandh I got full 5 marks in nibhandh

Thank you Kajal for appreciation.

खाने का रिफाईंड तेल पर निबंध लिखें

वसंत तुळशीराम कन्नाके जी हम जल्द ही रिफाईंड तेल पार भी निबंध लिखंगे, अपना सुझाव देने के लिए आप का बहुत बहुत धन्यवाद

I love this site I got full 10 marks with clapping👏👏

Thank you Jiya Verma for appreciation.

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Nibandh

विद्यार्थी और सामाजिक सेवा पर निबंध

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रूपरेखा : प्रस्तावना - छात्र जीवन - छात्रों से समाज की अपेक्षा - एक छात्र का कर्तव्य - समाज के लिए छात्र क्या कर सकते हैं - उपसंहार।

छात्र समाज में बहुत ही महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे ऊर्जा और नए विचारों से परिपूर्ण होते हैं। वे अपने चारों ओर बड़े परिवर्तन का नेतृत्व कर सकते हैं। अपने ज्ञान की सहायता से वे दूसरों के लिए बहुत कुछ कर सकते हैं। ऐसे ही क्षेत्रों में से एक क्षेत्र सामाजिक सेवाओं का है। वे इसके लिए काफी योगदान कर सकते हैं। वे अपने समाज का उत्थान कर सकते हैं।

एक समय आता है जब बालक या युवक किसी शिक्षा-संस्था में अध्ययन करता है, वह जीवन ही 'छात्र जीवन' है । कमाई की चिंता से मुक्त अध्ययन का समय ही छात्र-जीवन है। भारत की प्राचीन विद्या-विधि में पचीस वर्ष की आयु तक छात्र घर से दूर आश्रमों में रहकर विविध विद्याओं में निपुणता प्राप्त करता था, किन्तु देश की परिस्थिति-परिवर्तन से यह प्रथा गायब हो गई। इसका स्थान विद्यालयों, महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों ने ले लिया। इन तीनों संस्थाओं में जब तक बालक या युवक पढ़ते है, वह छात्र कहलाते है। उसकी अध्ययन पद में उसका जीवन 'छात्र-जीवन' नाम से नामांकित किया जाता है।

छात्रों से समाज की अपेक्षा अधिक है क्योंकि हमारे देश में बहुत-से गाँव और शहर हैं जहाँ अच्छे विद्यालयों का अभाव है। ऐसे स्थानों में छात्र अपने अवकाश के दौरान जाकर बच्चों को पढ़ा सकते हैं। वे अपने क्षेत्र के गरीब बच्चों और वयस्कों को भी पढ़ा सकते हैं। यह देश की साक्षरता-दर बढ़ाएगी। वे स्वच्छता, स्वास्थ्य-विज्ञान, पोषण आदि-जैसे विषयों के प्रति लोगों को जागरूक बना सकते हैं। वे सामूहिक स्वच्छता कार्यक्रम चला सकते हैं। यह पर्यावरणीय समस्याओं का समाधान करेगा और प्रत्येक व्यक्ति स्वस्थ रहेगा। लोग डॉक्टरों और दवाओं से छुटकारा पाएँगे यही उम्मीद समाज की छात्रों से है।

छात्र-जीवन उन छात्रों, कलाओं के शिक्षण का काल है, जिनके द्वारा वह छात्र-जीवन में ही कमाई कर अपने परिवार का देखभाल कर सके यही एक छात्र का कर्तव्य है। यह काल संघर्षमय संसार में सम्मानपूर्वक जीने तथा निर्माण करने का समय है। इन सबके निमित्त सीखना, शारीरिक और मानसिक विकास करने, नैतिकता द्वारा आत्मा को विकसित करने की स्वर्णिम समय है यह छात्र जीवन। निश्चित-पादयक्रम के अध्ययन से छात्र सीखता है। समाचार पत्र-पत्रिकाओं, पुस्तकों के अध्ययन तथा आचार्यों के प्रवचनों से वह मानसिक विकास करता है। शैक्षणिक-प्रवास और भारत-दर्शन कार्यक्रम उसके मानसिक-विकास में विकास करता हैं। हर रोज सुबह उठकर व्यायाम कर अपना शारीरिक विकास करता है।

समाज के लिए छात्र बहुत कुछ कर सकते हैं जैसे आज बहुत-से अशिक्षित लोग हमारी सरकार द्वारा लागू योजनाओं एवं नीतियों के प्रति जागरूक नहीं होते। छात्र उन सब के प्रति उन्हें जागरूक बना सकते हैं। जागरूक होने पर लोग उन योजनाओं एवं नीतियों से लाभ उठा सकते हैं। गरीब और जरूरतमंदों को व्यावसायिक प्रशिक्षण उपलब्ध कराया जा सकता है। यह बेरोजगारी के मुद्दे हल करेगा। यह उनकी आर्थिक स्थिति को उन्नत करेगा। विरुद्ध बाल-श्रम, बाल-विवाह एवं मादा भ्रूण-हत्या-जैसे मामलों के संघर्ष करने में सरकार की सहायता छात्र कर सकते हैं। वे दहेज प्रथा के कुप्रभावों के बारे में लोगों को बता सकते हैं। इस प्रकार सामाजिक कुप्रथाओं और उनके कुप्रभावों को दूर करने में वे लोगों की सहायता कर सकते हैं और समाज को बेहतर बनाने के लिए अपना योगदान दें सकते हैं।

छात्र समाज का निर्माण करते हैं। अतः उन्हें सामाजिक सेवाओं के लिए मदद करनी चाहिए। यह हमारे समाज को बेहतर बनाएगा। उनके प्रयास हमारी सरकार की कई बड़ी समस्याओं का समाधान कर सकते हैं। यह भारत को एक बेहतर देश बनाएगा। अतः प्रत्येक छात्र को सामाजिक सेवाओं में भाग लेना चाहिए। छात्र ही समाज से अंधविश्वास जैसे विचार को खत्म कर सकते है और समाज को एक बेहतर और शिक्षित समाज बनाने का कार्य कर सकते हैं जिससे आने वाले कल में समाज में भेद-भाव, जाति भेद, रंग भेद, दहेज प्रथा, लड़का-लड़की में असमानता आदि से मुक्त हो सकेंगे। अतः छात्रों को सामाजिक सेवाओं में अपना योगदान देना चाहिए।

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विद्यार्थी जीवन पर निबंध (Student Life Essay In Hindi)

विद्यार्थी जीवन पर निबंध (Student Life Essay In Hindi Language)

आज   हम विद्यार्थी जीवन पर निबंध (Essay On Student Life In Hindi) लिखेंगे। विद्यार्थी जीवन पर लिखा यह निबंध बच्चो (kids) और class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए लिखा गया है।

विद्यार्थी जीवन पर लिखा हुआ यह निबंध (Essay On Student Life In Hindi) आप अपने स्कूल या फिर कॉलेज प्रोजेक्ट के लिए इस्तेमाल कर सकते है। आपको हमारे इस वेबसाइट पर और भी कई विषयो पर हिंदी में निबंध मिलेंगे , जिन्हे आप पढ़ सकते है।

जीवन का सबसे अहम पहलू विद्यार्थी जीवन को माना जाता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि यही वह समय होता है जब कोई भी व्यक्ति अपने जीवन के सार को सीख पाता है। यदि कोई व्यक्ति अपने जीवन में पूर्ण रूप से सफल होता है, तो उसके पीछे विद्यार्थी जीवन ही होता है। जब उसने अपने जीवन के कठिन पहलुओं को सार्थक बनाया होता है और कई सारी ऐसी बातों को सिखा होता है, जिनके माध्यम से वह अपने जीवन को आगे बढ़ाता है।

विद्यार्थी जीवन का महत्व

जब भी कोई बच्चा स्कूल में होता है तो सबसे पहले उसे वह शिक्षा दी जाती है जो उसे जीवन में काम आती है। जिसमें सबसे पहले बड़ों का सम्मान करना, अपने कार्यों को अपने हाथ से करना, जीवन में अपने महत्वपूर्ण लक्ष्य निर्धारित करना आदि शामिल होते हैं।

अगर विद्यार्थी जीवन में नियमित रूप से कर्तव्य शीलता, अनुशासन को अपनाया जाए तो निश्चित रूप से ही जीवन में सफलता मिल सकती है। विद्यार्थी जीवन का महत्व इसलिए भी महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि इस समय किसी भी विद्यार्थी के भविष्य का निर्धारण हो पाता है।

जीवन में वही विद्यार्थी सफलतापूर्वक आगे बढ़ता है, जिसने पूरे अनुशासन और धैर्य के साथ खुद को आगे बढ़ाया है।

विद्यार्थी जीवन में माता-पिता का योगदान

कई बार हमने ऐसा देखा है कि जब बच्चा अपने विद्यार्थी जीवन में होता है, तो माता-पिता लाड़ दुलार की वजह से उस पर ज्यादा ध्यान नहीं दे पाते और हमेशा उस की फरमाइश को पूरा करते हैं। ऐसे में माता-पिता यह भूल जाते हैं कि विद्यार्थी जीवन में बच्चों को इतना ज्यादा प्यार देने पर कई बार बच्चों के बिगड़ने की संभावनाएं बढ़ जाती है।

ऐसे में माता-पिता का योगदान है कि वह बच्चों के मन को समझते हुए कार्य को आगे बढ़ाएं और उनके परस्पर मित्रता का व्यवहार करें। विद्यार्थीों के जीवन को सही प्रकार से साकार करने के लिए माता-पिता का योगदान सबसे महत्वपूर्ण है।

क्योंकि माता-पिता को ही बच्चों का पहला गुरु माना जाता है। ऐसे में बच्चों को समझाते हुए माता पिता अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हैं। ऐसे में निश्चित रूप से बच्चों को सफलता मिल सकती है।

विद्यार्थी जीवन में शिक्षकों का बेहतरीन महत्व

बच्चों का मन बहुत ही कोमल होता है। ऐसे में जब भी वह अपने विद्यार्थी जीवन की शुरुआत करते हैं, तो सबसे पहले उनके सामने उनके शिक्षक होते हैं। शिक्षक ऐसे व्यक्तित्व के धनी होते हैं, जो अपने विद्यार्थीों को देखते ही उनके बारे में जानकारी हासिल कर लेते हैं।

ऐसे में शिक्षकों की भूमिका होती है कि वे अपने विद्यार्थीों को सही दिशा की ओर मार्गदर्शन करें और उन्हें अच्छे भविष्य के लिए प्रेरित करते रहें। कई बार विद्यार्थी अपने शिक्षकों से डर जाते हैं और उनसे अपने दिल की बात नहीं कर पाते हैं।

ऐसे में शिक्षकों की विशेष भूमिका बन जाती है कि वे अपने विद्यार्थियों का सही तरीके से ध्यान रखें और उन्हें गलत राह में जाने से रोके।

विद्यार्थी जीवन है संपूर्ण जीवन का आधार

हमेशा विद्यार्थी जीवन को, जीवन के आधार के रूप में जाना जाता है। क्योंकि यही वह समय होता है जब जीवन में काफी कुछ हासिल कर सकते हैं और नया सीख भी सकते हैं। जो उनके जीवन में काम आ सकता है और जीवन के लिए जरूरी माना गया है।

सामान्य रूप से ऐसा देखा जाता है कि जो बच्चे सही तरीके से चीजों को नहीं सीखते, उन्हें नियमित रूप से दिक्कत होने लगती है और उनके जीवन का आधार बिगड़ने लगता है। ऐसे में यदि अपने विद्यार्थी जीवन से ही अपने भविष्य के बारे में सोच लिया जाए, तो जीवन को सही बनाते हुए आगे बढ़ा जा सकता है।

जिसमें अपने भविष्य को भी सही दिशा दी जा सकती है और किसी भी प्रकार की अनहोनी से बचा जा सकता है।

विद्यार्थी जीवन में होने वाली गलतियां

विद्यार्थी जीवन में हमसे कई प्रकार की गलतियां होती हैं। लेकिन हमें इसका अंदाजा बाद में होता है। आज हम यहां पर विद्यार्थी जीवन में होने वाली गलतियों के बारे में विचार करने वाले है। जो की कुछ  प्रकार है।

  • ऐसे समय में हम ज्यादातर बड़ों की बातों को नकार देते हैं और उनकी बातों को महत्त्व भी नहीं देते हैं, जो कि गलत है।
  • हमेशा अपने काम में ही व्यस्त रहते हैं और किसी पर भी ध्यान नहीं देते हैं।
  • घर की जिम्मेदारियों से दूर भागते हैं और अपनी जिम्मेदारियों को किसी दूसरे के कंधे पर लाद देते हैं।
  • विद्यार्थी जीवन में सबसे महत्वपूर्ण योगदान हमारी पढ़ाई का होता है और उस समय हम पढ़ाई पर ध्यान ना देकर दूसरी स्थिति की तरफ ज्यादा ध्यान देने लगते हैं, जो कि जीवन की बड़ी गलतियों में से एक है।
  • अक्सर विद्यार्थी, जीवन में अपने सही मार्ग से पीछे हट जाते हैं और गलत संगत में आने लगते हैं। जिससे जीवन खतरे में हो सकता है।
  • बुरी आदतों के साथ-साथ बुरी हरकतें भी घर करने लगती हैं, जिसमें स्मोकिंग करना, ड्रिंक करना, रात भर घर से बाहर रहना इस तरह की बुरी आदतें शामिल है।

विद्यार्थी जीवन में उद्देश्य का निर्धारण

विद्यार्थी जीवन में हमेशा अपने उद्देश्य का निर्धारण करना चाहिए। कहने का मतलब यह है कि हमेशा जीवन में होने वाली गतिविधियों या अपने भविष्य के लिए सजग रहते हुए आगे बढ़ना चाहिए। जिससे बाद में किसी भी प्रकार का पश्चाताप ना होने पाए। ऐसे में मुख्य भूमिका परिवार की भी मानी जाती है।

इस प्रकार से हमने देखा कि विद्यार्थी जीवन हमारे लिए सबसे महत्वपूर्ण समय होता है। जब आसानी से ही समस्या का हल निकाला जा सकता है और भविष्य को सही दिशा की ओर ले जाया जा सकता है। कई बार ऐसा होता है कि विद्यार्थी जीवन में भटकाव आने लगता है। ऐसे में किसी भी तरह से बहकावे में ना आए और जो सही लगता हो उसी के तरफ कदम बढ़ाए।

विद्यार्थी जीवन में चली आ रही दिक्कतों को दूर करते हुए अगर आप आगे बढ़ेंगे, तो निश्चित रूप से ही भविष्य में सफलता प्राप्त कर सकेंगे और किसी भी प्रकार की मुसीबत को आसानी से ही दूर कर सकेंगे। ऐसे में हमेशा अपने विद्यार्थी जीवन में धैर्य रखते हुए, मेहनत करते रहें और सही दिशा की ओर हमेशा अग्रसर रहे|

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  • विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का महत्त्व पर हिंदी निबंध
  • जीवन में गुरु का महत्व पर निबंध (Jeevan Me Guru Ka Mahatva Essay In Hindi)
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  • आदर्श विद्यार्थी पर निबंध (Ideal Student Essay In Hindi)

तो यह था विद्यार्थी जीवन पर निबंध (Student Life Essay In Hindi) , आशा करता हूं कि विद्यार्थी जीवन पर हिंदी में लिखा निबंध (Hindi Essay On Student Life) आपको पसंद आया होगा। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा है , तो इस लेख को सभी के साथ शेयर करे।

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छात्र के कर्तव्य || Duties of Students Essay in Hindi

August 21, 2021 by Souvik Leave a Comment

||  छात्र के कर्तव् ||

परिचय – ‘स्टूडेंट’ शब्द का अर्थ है वह जिसका मुख्य व्यवसाय अध्ययन करना है। आम तौर पर सभी व्यक्ति जो अध्ययन में लगे हुए हैं उन्हें छात्र कहा जा सकता है। हालांकि, यह शब्द काफी हद तक उन लोगों के लिए लागू होता है जो किसी भी अध्ययन कर रहे हैं शैक्षिक संस्था। एक छात्र Bueh के कर्तव्य कई हैं। इन उनके प्राथमिक कर्तव्यों के साथ-साथ अन्य कर्तव्यों को भी शामिल करें।

एक छात्र का प्राथमिक कर्तव्य – एक छात्र का प्राथमिक कर्तव्य अध्ययन करना है। इसका मतलब है कि उसे चाहिए प्रत्येक विषय की उसकी निर्धारित पाठ्य पुस्तकों का अच्छी तरह से अध्ययन करें और कोशिश भी करें उनकी सामग्री को समझें। उसे इस बात पर पूरा ध्यान देना चाहिए कि उसका क्या है शिक्षक कक्षा में कहते हैं। उसे ईमानदार, ईमानदार और मेहनती होना चाहिए। कक्षा के बाहर भी उसे सीखने के लिए उत्सुक होना चाहिए। फिर तभी वह खुद को भविष्य के लिए फिट बना पाएगा।

छात्र के कर्तव्य || Duties of Students Essay in Hindi || Assamstudyhub

  अन्य कर्तव्य   – अध्ययन के अलावा एक छात्र के पास कई अन्य कर्तव्य भी हो सकते हैं हमारे छात्र गरीब परिवारों से आते हैं। उनके माता-पिता प्रदान नहीं कर सकते हैं उन्हें अच्छे भोजन, पोशाक या अन्य आवश्यक चीजों के साथ। इसे में रखते हुए ऐसे छात्रों को अपने परिवार चलाने में अपने माता-पिता की मदद करनी चाहिए। वे विशेष रूप से होली के दिनों में खेतों में या खेतों में उनकी मदद कर सकते हैं। एक छात्रा भी घरेलू कामों में अपनी माँ की मदद कर सकती है।

छात्रों में समाज सेवा की भावना का विकास करना चाहिए। वे कर सकते हैं बाढ़, भूकंप या चक्रवात जैसी प्राकृतिक आपदाओं के समय समाज की मदद करें। वे आम आदमी को स्वच्छता और स्वच्छता का महत्व सिखा सकते हैं- जीनिक जीवन। कॉलेज और विश्वविद्यालय के छात्र दूर करने में मदद कर सकते हैं अपने पड़ोस से निरक्षरता |  

                पाठ्य पुस्तकों को पढ़ने के अलावा एक छात्र को समाचार पत्र पढ़ना चाहिए, पत्रिकाएँ और अन्य अच्छी पुस्तकें इस तरह के पढ़ने से उनके दायरे का विस्तार होगा ज्ञान का हालांकि, अगर वह परवाह नहीं करता है तो अकेले पढ़ना पर्याप्त नहीं है उसके स्वास्थ्य के लिए। कहा जाता है कि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन का वास होता है। इसलिए उसे अच्छा खाना खाकर और करके अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखने की कोशिश करनी चाहिए नियमित शारीरिक व्यायाम। उसे अलग-अलग तरह के आउटडोर खेलना चाहिए एक मोटा शरीर बनाए रखने के लिए गढ़े।

निष्कर्ष – चूँकि विद्यार्थी जीवन मनुष्य के जीवन का मूल समय होता है, अत: विद्यार्थी को इस अवस्था में सभी प्रकार की अच्छी आदतों को ग्रहण करने का प्रयास करना चाहिए और बुरे लोगों से दूर रहना चाहिए। इस अवधि का एक-एक पल कीमती माना जाना चाहिए

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शिक्षा का महत्व पर निबंध

essay on responsibility of students in hindi

By विकास सिंह

essay on importance of education in hindi

शिक्षा का महत्व हमें अपने जीवन में शिक्षा का मूल्य बताता है। शिक्षा का अर्थ सभी के जीवन में बहुत कुछ है क्योंकि यह हमारे सीखने, ज्ञान और कौशल को सुविधाजनक बनाता है। यह हमारे दिमाग और व्यक्तित्व को पूरी तरह से बदल देता है और हमें सकारात्मक दृष्टिकोण प्राप्त करने में मदद करता है।

विषय-सूचि

शिक्षा का महत्व पर निबंध, essay on importance of education in hindi (100 शब्द)

जीवन में आगे बढ़ने और सफलता पाने के लिए सभी के लिए बेहतर शिक्षा बहुत आवश्यक है। यह आत्मविश्वास विकसित करता है और व्यक्ति के व्यक्तित्व के निर्माण में मदद करता है।

स्कूली शिक्षा सभी के जीवन में एक महान भूमिका निभाती है। पूरी शिक्षा को प्राथमिक शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा और उच्चतर माध्यमिक शिक्षा जैसे तीन प्रभागों में विभाजित किया गया है।

शिक्षा के सभी प्रभागों का अपना महत्व और लाभ है। प्राथमिक शिक्षा आधार तैयार करती है जो जीवन भर मदद करती है, माध्यमिक शिक्षा आगे के अध्ययन के लिए रास्ता तैयार करती है और उच्चतर माध्यमिक शिक्षा भविष्य और पूरे जीवन का अंतिम रास्ता तैयार करती है।

हमारी अच्छी या बुरी शिक्षा यह तय करती है कि हम भविष्य में किस प्रकार के व्यक्ति होंगे।

हमारे जीवन में शिक्षा का महत्व पर निबंध, essay on value of education in hindi (150 शब्द)

ऐसी प्रतिस्पर्धी दुनिया में, सभी के लिए अच्छी शिक्षा होना आवश्यक है। अच्छी नौकरी और पद पाने के लिए उच्च शिक्षा का महत्व बढ़ गया है। उचित शिक्षा भविष्य में आगे बढ़ने के बहुत सारे रास्ते बनाती है। यह हमारे ज्ञान स्तर, तकनीकी कौशल और नौकरी में अच्छी स्थिति को बढ़ाकर हमें मानसिक, सामाजिक और बौद्धिक रूप से मजबूत बनाता है।

हर बच्चे के जीवन में कुछ अलग करने का अपना सपना होता है। कभी-कभी माता-पिता अपने बच्चों को डॉक्टर, आईएएस अधिकारी, पीसीएस अधिकारी, इंजीनियर और अन्य उच्च स्तरीय पदों के लिए सपने देखते हैं। सभी सपनों का एक ही तरीका है जो अच्छी शिक्षा है।

जो छात्र खेल, खेल, नृत्य, संगीत आदि जैसे अन्य क्षेत्रों में रुचि रखते हैं, वे डिग्री, ज्ञान, कौशल और आत्मविश्वास के लिए अपनी विशिष्टताओं के साथ अपने आगे के अध्ययन को जारी रखते हैं। शिक्षा के कई बोर्ड हैं जैसे कि यूपी बोर्ड, बिहार बोर्ड, आईसीएसई बोर्ड, सीबीएसई बोर्ड, आदि। शिक्षा एक बहुत अच्छा साधन है जो जीवन में सभी को लाभ देता है।

विद्यार्थी जीवन में शिक्षा का महत्व पर निबंध, importance of education essay in hindi (200 शब्द)

जीवन में सफल होने और कुछ अलग पाने के लिए शिक्षा बहुत महत्वपूर्ण उपकरण है। यह जीवन कठिन जीवन की चुनौतियों को कम करने में बहुत मदद करता है। शिक्षा अवधि के दौरान प्राप्त ज्ञान प्रत्येक व्यक्ति को उनके जीवन के बारे में आश्वस्त करता है।

यह जीवन में बेहतर संभावनाओं को प्राप्त करने के अवसरों के लिए विभिन्न द्वार खोलता है ताकि कैरियर के विकास को बढ़ावा मिले। ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा के मूल्य को बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा कई जागरूकता कार्यक्रम चलाए गए हैं। यह समाज में सभी लोगों के बीच समानता की भावना लाता है और देश के विकास और विकास को बढ़ावा देता है।

शिक्षा आधुनिक तकनीकी दुनिया में एक सर्वोपरि भूमिका निभाता है। अब-एक दिन, शिक्षा के स्तर को बढ़ाने के कई तरीके हैं। शिक्षा के पूरे मानदंड अब बदल दिए गए हैं। हम नौकरी के साथ 12 वीं कक्षा के बाद दूरस्थ शिक्षा कार्यक्रमों के माध्यम से अध्ययन कर सकते हैं।

शिक्षा इतनी महंगी नहीं है, कम पैसे वाला कोई भी व्यक्ति लगातार अध्ययन कर सकता है। हम दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से कम फीस वाले बड़े और लोकप्रिय विश्वविद्यालयों में प्रवेश पा सकते हैं। अन्य छोटे प्रशिक्षण संस्थान विशेष क्षेत्र में कौशल स्तर को बढ़ाने के लिए शिक्षा प्रदान कर रहे हैं।

शिक्षा का महत्व पर निबंध, essay on importance of education in hindi (250 शब्द)

शिक्षा पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए समान रूप से होनी चाहिए क्योंकि दोनों एक साथ एक स्वस्थ और शिक्षित समाज बनाते हैं। यह उज्ज्वल भविष्य पाने के लिए एक आवश्यक उपकरण है और साथ ही देश के विकास और प्रगति में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

देश के नागरिक देश के बेहतर भविष्य और विकास के लिए जिम्मेदार बनते हैं। उच्च शिक्षित लोग विकसित देश का आधार बनते हैं। इसलिए, उचित शिक्षा व्यक्ति और देश दोनों का उज्ज्वल भविष्य बनाती है। यह केवल शिक्षित नेता हैं जो राष्ट्र का निर्माण करते हैं और इसे सफलता और प्रगति की ऊंचाई तक ले जाते हैं। शिक्षा लोगों को यथासंभव परिपूर्ण और श्रेष्ठ बनाती है।

अच्छी शिक्षा जीवन को कई उद्देश्य देती है जैसे व्यक्तिगत उन्नति, सामाजिक स्थिति में वृद्धि, सामाजिक स्वास्थ्य में वृद्धि, आर्थिक प्रगति, राष्ट्र को सफलता, जीवन के लक्ष्य निर्धारित करना, हमें कई सामाजिक मुद्दों के बारे में जागरूक करना और पर्यावरण को हल करने के लिए समाधान देना समस्याओं और अन्य संबंधित मुद्दों।

दूरस्थ शिक्षा कार्यक्रमों के कार्यान्वयन के कारण, अब-एक दिन, शिक्षा बहुत सरल और आसान हो गई है। आधुनिक शिक्षा प्रणाली विभिन्न जाति, धर्म और जाति के लोगों के बीच अशिक्षा और असमानता के सामाजिक मुद्दों को दूर करने में पूरी तरह से सक्षम है।

शिक्षा लोगों के दिमाग को एक बड़े स्तर पर विकसित करती है और समाज के सभी मतभेदों को दूर करने में मदद करती है। यह हमें एक अच्छा सीखने और जीवन के हर पहलू को समझने में सक्षम बनाता है। यह देश के प्रति सभी मानव अधिकारों, सामाजिक अधिकारों, कर्तव्यों और जिम्मेदारियों को समझने की क्षमता प्रदान करता है।

शिक्षा का महत्व पर निबंध, essay on importance of education in hindi (300 शब्द)

शिक्षा हम सभी के उज्ज्वल भविष्य के लिए एक आवश्यक उपकरण है। हम शिक्षा के उपकरण का उपयोग करके जीवन में कुछ भी अच्छा हासिल कर सकते हैं। उच्च स्तर की शिक्षा लोगों को सामाजिक और पारिवारिक सम्मान और अद्वितीय पहचान अर्जित करने में मदद करती है।

व्यक्तिगत और सामाजिक रूप से सभी के लिए शिक्षा का समय जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह एक व्यक्ति को जीवन और कल्याण की भावना में एक अनूठा मानक प्रदान करता है। शिक्षा किसी भी बड़े सामाजिक और पारिवारिक और यहां तक ​​कि राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर की समस्याओं को हल करने की क्षमता प्रदान करती है।

हममें से कोई भी हर सूरत में जीवन में शिक्षा के महत्व को अनदेखा नहीं कर सकता है। यह मन को जीवन में सकारात्मकता की ओर मोड़ता है और सभी मानसिक समस्याओं और नकारात्मकता को दूर करता है।

यह सकारात्मक विचारों को लाकर और नकारात्मक विचारों को हटाकर लोगों की सोच को बदल देता है। हमारे माता-पिता बचपन से शिक्षा के प्रति हमारे मन को बदलने में एक महान भूमिका निभाते हैं। वे हमें लोकप्रिय शिक्षण संस्थानों से अच्छी शिक्षा देने की पूरी कोशिश करते हैं।

यह हमें तकनीकी और उच्च कुशल ज्ञान प्राप्त करने के साथ-साथ पूरी दुनिया में अपने विचारों को बढ़ाने का अवसर प्रदान करता है। कौशल और ज्ञान के स्तर को बढ़ाने का सबसे अच्छा तरीका समाचार पत्र पढ़ने, टीवी पर शैक्षिक कार्यक्रमों को देखने, अच्छे लेखकों की किताबें पढ़ने आदि का अभ्यास करना है।

शिक्षा हमें अधिक सभ्य और बेहतर शिक्षित बनाती है। यह हमें समाज में बेहतर स्थिति बनाने में मदद करता है और नौकरी में सपने की स्थिति को प्राप्त करता है। यह हमें जीवन में एक अच्छा डॉक्टर, इंजीनियर, अधिकारी, पायलट, शिक्षक, आदि बनने में सक्षम बनाता है। नियमित और उचित अध्ययन हमें जीवन का लक्ष्य बनाकर सफलता की ओर ले जाता है।

पहले शिक्षा प्रणाली इतनी सख्त थी और सभी जातियों के लोग अपनी इच्छा के अनुसार शिक्षा प्राप्त करने में सक्षम नहीं थे। उच्च लागत की वजह से महाविद्यालयों में प्रवेश लेना बहुत कठिन था। लेकिन अब शिक्षा में आगे बढ़ना इतना सरल और आसान हो गया है।

शिक्षा का महत्व पर निबंध, essay on importance of education in hindi (400 शब्द)

घर शिक्षा का पहला स्थान है और माता-पिता सभी के जीवन में पहले शिक्षक हैं। बचपन में, हमें अपने घर से शिक्षा का पहला आभास मिलता है, विशेष रूप से हमारी माँ का।

हमारे माता-पिता हमें जीवन में अच्छी शिक्षा का महत्व बताते हैं। जब हम तीन या चार साल के हो जाते हैं, तो हम उचित, नियमित और अनुक्रमिक अध्ययन के लिए स्कूल भेजते हैं, जहाँ हमें कई परीक्षाएँ देनी होती हैं और फिर हमें एक कक्षा के लिए एक पास प्रमाणपत्र मिलता है।

धीरे-धीरे हम 12 वीं कक्षा तक सफलतापूर्वक उत्तीर्ण होने तक अपनी एक कक्षा को पास करके आगे बढ़ते हैं। फिर तकनीकी या पेशेवर डिग्री में प्रवेश पाने के लिए तैयारी शुरू करें जिसे उच्च अध्ययन कहा जाता है। जीवन में अच्छी और तकनीकी नौकरी पाने के लिए सभी के लिए उच्च अध्ययन बहुत आवश्यक है।

हम अपने माता-पिता और शिक्षकों के प्रयासों से जीवन में एक शिक्षित व्यक्ति बन जाते हैं। वे हमारे वास्तविक शुभचिंतक हैं जो हमें अपने जीवन को सफलता की ओर ले जाने में मदद करते हैं। अब-एक दिन, शिक्षा प्रणाली को बढ़ाने के लिए कई सरकारी कार्यक्रम लागू किए गए हैं ताकि सभी को उचित शिक्षा प्राप्त हो सके।

टीवी और समाचारों पर बहुत सारे विज्ञापन दिखाए जाते हैं और लोगों को शिक्षा के लाभों और महत्व के बारे में जागरूक करने के लिए विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में क्योंकि पिछड़े या ग्रामीण क्षेत्रों में लोग शिक्षा के प्रति गरीब और अनुचित समझ के कारण अध्ययन नहीं करना चाहते हैं।

पहले शिक्षा प्रणाली इतनी सख्त और महंगी थी, 12 वीं कक्षा के बाद गरीब लोग उच्च शिक्षा प्राप्त करने में सक्षम नहीं थे। लोगों में समाज में बहुत मतभेद और असमानता थी। उच्च जाति के लोग अच्छी तरह से अध्ययन कर रहे थे और निम्न जाति के लोगों को स्कूलों और कॉलेजों में पढ़ने की अनुमति नहीं थी।

हालाँकि वर्तमान में, शिक्षा के पूरे मानदंड और विषय को एक बड़े स्तर पर बदल दिया गया है। भारत सरकार द्वारा शिक्षा प्रणाली को सभी स्तर के लोगों के लिए सुलभ और कम खर्चीली बनाने के लिए कई नियम और कानून बनाए गए हैं और उन्हें लागू किया गया है।

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि दूरस्थ शिक्षा कार्यक्रमों ने उच्च अध्ययन को इतना सरल और सस्ता बना दिया है कि पिछड़े क्षेत्रों के लोग, गरीब लोग और अच्छी जिंदगी जीने वाले लोग भविष्य में शिक्षा और सफलता तक समान पहुंच प्राप्त कर सकते हैं। अच्छी तरह से शिक्षित लोग देश के स्वस्थ स्तंभ बनाते हैं और भविष्य में इसे आगे बढ़ाते हैं। तो, शिक्षा वह उपकरण है जो जीवन, समाज और राष्ट्र में हर असंभव चीज को संभव बना सकता है।

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विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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mujhe shiksha ka current level or positive thinking topic chahiye

Nice get 20 marks in this

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विद्यार्थी जीवन में माता-पिता की भूमिका पर निबंध | Essay On Role Of Parents And Teachers In Students Life In Hindi

नमस्कार साथियों आपका स्वागत हैं, आज हम विद्यार्थी जीवन में माता-पिता की भूमिका पर निबंध | Essay On Role Of Parents And Teachers In Students Life In Hindi   का निबंध लेकर आए है.

आज के निबंध, भाषण, अनुच्छेद, स्पीच में यह जानने का प्रयत्न करेगे कि स्टूडेंट लाइफ (विद्यार्थी जीवन) में बच्चों के प्रति माता- पिता पेरेंट्स अथवा शिक्षक (टीचर्स) का क्या दायित्व कर्तव्य योगदान महत्व और उनकी भूमिका हैं.

विद्यार्थी जीवन में माता-पिता की भूमिका पर निबंध

विद्यार्थी जीवन में माता-पिता की भूमिका पर निबंध | Essay On Role Of Parents And Teachers In Students Life In Hindi

वैसे तो हमारे सम्पूर्ण जीवन में अपने माता- पिता का अहम किरदार हैं, मगर जब बात विशेष रूप से छात्र जीवन की करी जाए तो उनकी जिम्मेदारियां और अधिक बढ़ जाती हैं.

यकीनन एक बालक के जीवन का सर्वाधिक महत्वपूर्ण कोई अवधि होती हैं तो वह स्टूडेंट लाइफ ही हैं. बालक के सम्पूर्ण भावी जीवन की नीव भी विद्यार्थी जीवन अथवा बाल्यावस्था या किशोरावस्था ही होती हैं.

एक नाजुक उम्रः के दौर में बच्चों को स्वयं के भले बुरे की समझ नहीं होती हैं. वे अपने कर्तव्यों को पूरा करने की बजाय अपने मन को अधिक सुख देने वाले कार्य में अधिक भाग लेते हैं जैसे खेलना आदि.

एक सफल विद्यार्थी बनने के लिए यह नितांत जरूरी हैं कि माता पिता एवं शिक्षक बच्चें का पूरा ख्याल करें. उनके सहयोग और मार्गदर्शन से ही छात्र जीवन को सफल बनाया जा सकता हैं.

विद्यार्थी जीवन में पेरेंट्स का बच्चों को भरपूर सहयोग एवं मार्गदर्शन नहीं मिलता हैं तो वह समुचित रूप से शिक्षा ग्रहण नहीं कर सकेगा. बालक की अनौपचारिक शिक्षा से उसके परिवार से ही शुरू होती हैं, वह बोलना चीजों को समझना अपने परिवार से ही शुरू करता हैं.

इसी कारण माँ को बच्चे की प्रथम गुरु कहा जाता हैं. जब छात्र माँ बाप की छाया से निकलकर स्कूल जाता हैं तो अध्यापक उसे प्रशिक्षित करते हैं तथा घर आने पर माता पिता ही उसे गाइड करते हैं समस्त शैक्षिक आवश्यकताओं को पूर्ण किया जाता हैं.

छात्र अपने बाल्यकाल में दो तरह की शिक्षा प्राप्त करता हैं पहली सैद्धांतिक जो उसे विद्यालय में गुरु द्वारा दी जाती हैं, जबकि माता- पिता द्वारा उसे व्यवहारिक शिक्षा दी जाती हैं. जैसे उसे किनके साथ कैसा व्यवहार करना हैं.

समाज के साथ जीवन कैसे जिया जाता हैं, मानवीय मूल्यों एवं संस्कारों को नीव परिवार में ही रखी जाती हैं. अच्छा छात्र बनने में सारी मेहनत बालक स्वयं करता है मगर उसे सही दिशा तो पेरेंट्स और टीचर ही दिखाते हैं.

छात्र जीवन में माता पिता की क्या भूमिका हैं इसे सही ढंग से परिभाषित करने के लिए यह कहे कि बच्चों के जीवन को आकार देने वाले सांचे की भूमिका माँ बाप और अध्यापक की होती हैं. बच्चों को जन्म से प्यार दुलार और उनकी देखभाल की जाती हैं.

उन्हें संस्कार सिखाए जाते हैं तथा भावी जीवन के लिए तैयार किया जाता हैं. उम्रः की दो महत्वपूर्ण अवस्थाएं बाल्यावस्था और किशोरावस्था मूल रूप से विद्यार्थी जीवन के दौरान ही होती हैं.

खासकर किशोरावस्था में बालक एक कठिन दौर से होकर गुजरता हैं, अमूमन बच्चें यहाँ सही मार्गदर्शन न पाकर राह भटक जाते हैं. इस उम्रः में लड़के लड़की पर माता-पिता को विशेष ध्यान देने की आवश्यकता पडती हैं.

अन्यथा गलत दोस्तों की राह पर चलकर अपने भविष्य को अन्धकार में भी धकेल सकते हैं. माता- पिता को बालक के प्रति अपनी सभी जिम्मेदारियों का पूरी ईमानदारी से निर्वहन करना चाहिए.

पेरेंट्स को यह भी ध्यान रखना चाहिए कि विद्यार्थी काल में उन्हें अपने तरीके से पढ़ने, उनकी रूचि के मुताबिक़ विषय चयन का अवसर दिया जाना चाहिए.

कई बार अधिक अपेक्षाओं और अपने निर्णयों को बच्चों पर थोपने के कारण वे उस बोझ तले दब जाते हैं इस कारण उनकी प्रतिभा निखरने की बजाय खत्म हो जाती हैं. माँ बाप को अपने जीवन के सच्चे अनुभव भी बच्चों के साथ साझा करना चाहिए जो उनके लिए उपयोगी हो.

हम ऐसे पेरेंट्स से भी मिलते हैं जो बच्चों को बस अपनी मर्जी के मुताबिक़ चलाना चाहते हैं. उनकी इच्छा रहती हैं कि किसी तरह उसका बच्चा हर क्षेत्र में प्रथम आए जिससे समाज में उनका स्टेट्स बढ़ सके. भले ही इस झूठी शानो शौकत में बच्चे का बचपन भी खत्म हो जाए.

जब बच्चा प्राथमिक विद्यालय में पढ़ रहा होता हैं तो माता पिता उनके लिए अच्छे आईआईटी या मेडिकल कॉलेज को खोज में लग जाते हैं. यह मानसिकता बच्चों के न केवल विद्यार्थी काल को बर्बाद कर देगी बल्कि उसे एक मानसिक रोगी भी बना देगी, इसलिए उन्हें निर्बाध रूप से रूचि के अनुसार आगे बढ़ने के अवसर दीजिए.

उक्त विवरण से स्पष्ट है विद्यार्थी जीवन में माता पिता का उच्च स्थान हैं. वहीँ बच्चों के भी कुछ दायित्व हैं. माता- पिता हमारे लिए ईश्वर से बढ़कर पूजनीय हैं उनका स्थान सबसे ऊंचा हैं, हमारे लिए वे ही सृष्टि के रचयिता हैं.

हमें सदैव उनका सम्मान देना चाहिए तथा उनके आशीर्वाद से जीवन में कामयाबी प्राप्त करनी चाहिए. हमारा अच्छा शारीरिक, मानसिक और बौद्धिक विकास केवल माता-पिता के सानिध्य उनके प्रेम में ही सम्भव हैं.

हम एक अच्छे सफल मनुष्य बन सके, इसके लिए वे अपना पूरा जीवन दांव पर लगा देते हैं. हमें अपने पेरेंट्स और टीचर्स को सम्मान देना चाहिए क्योंकि वे इसके अधिकारी हैं तथा हमारा यह कर्तव्य भी हैं.

एक संदेश माता पिता पेरेंट्स के लिए भी हैं, वे बड़े होकर अपने पुत्र पुत्री को डॉक्टर, इंजीनियर, साइंटिस्ट, सी.ए. जैसे किसी पद पर बैठा हुआ देखना चाहते हैं, अपने इस सपने को साकार करने के लिए उन्हें महंगी शिक्षा दिलाते हैं ट्यूशन भी करवाते हैं.

मगर उन्हें चरित्रवान, संस्कारी बनाने की तरफ ध्यान किसी का नहीं जाता हैं. आज के छात्रों में इन नैतिक मूल्यों की कमी देखने को मिलती हैं. इसके साथ ही बच्चों को खेलों से बिलकुल अलग थलग कर दिया हैं जो कि शिक्षा और समुचित विकास का एक अंग हैं,

बच्चों को इनडोर गेम्स के साथ ही साथ बाहर के खेल खेलने का अवसर देवे, उनके साथ समय बिताएं, उन्हें छोटी छोटी कामयाबियों पर प्रोत्साहन देने, अपने बच्चें को सुने उनके विचारों को सम्मान देवे.

इससे फायदा यह होगा कि बालक भी अपने माता- पिता को सम्मान देगे. विद्यार्थी जीवन में यदि पेरेंट्स और बच्चों के मधुर और नजदीकी सम्बन्ध रहते हैं तो शेष जीवन में भी उसकी छाप दिखाई देती हैं.

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Question and Answer forum for K12 Students

Hindi Essay (Hindi Nibandh) 100 विषयों पर हिंदी निबंध लेखन

Hindi Essay (Hindi Nibandh) | 100 विषयों पर हिंदी निबंध लेखन – Essays in Hindi on 100 Topics

हिंदी निबंध: हिंदी हमारी राष्ट्रीय भाषा है। हमारे हिंदी भाषा कौशल को सीखना और सुधारना भारत के अधिकांश स्थानों में सेवा करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। स्कूली दिनों से ही हम हिंदी भाषा सीखते थे। कुछ स्कूल और कॉलेज हिंदी के अतिरिक्त बोर्ड और निबंध बोर्ड में निबंध लेखन का आयोजन करते हैं, छात्रों को बोर्ड परीक्षा में हिंदी निबंध लिखने की आवश्यकता होती है।

निबंध – Nibandh In Hindi – Hindi Essay Topics

  • सच्चा धर्म पर निबंध – (True Religion Essay)
  • राष्ट्र निर्माण में युवाओं का योगदान निबंध – (Role Of Youth In Nation Building Essay)
  • अतिवृष्टि पर निबंध – (Flood Essay)
  • राष्ट्र निर्माण में शिक्षक की भूमिका पर निबंध – (Role Of Teacher In Nation Building Essay)
  • नक्सलवाद पर निबंध – (Naxalism In India Essay)
  • साहित्य समाज का दर्पण है हिंदी निबंध – (Literature And Society Essay)
  • नशे की दुष्प्रवृत्ति निबंध – (Drug Abuse Essay)
  • मन के हारे हार है मन के जीते जीत पर निबंध – (It is the Mind which Wins and Defeats Essay)
  • एक राष्ट्र एक कर : जी०एस०टी० ”जी० एस०टी० निबंध – (Gst One Nation One Tax Essay)
  • युवा पर निबंध – (Youth Essay)
  • अक्षय ऊर्जा : सम्भावनाएँ और नीतियाँ निबंध – (Renewable Sources Of Energy Essay)
  • मूल्य-वृदधि की समस्या निबंध – (Price Rise Essay)
  • परहित सरिस धर्म नहिं भाई निबंध – (Philanthropy Essay)
  • पर्वतीय यात्रा पर निबंध – (Parvatiya Yatra Essay)
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  • मनोरंजन के आधुनिक साधन पर निबंध – (Means Of Entertainment Essay)
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  • विद्यार्थी जीवन पर निबंध – (Student Life Essay)
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  • क्रिकेट पर निबंध – (Cricket Essay)
  • ट्वेन्टी-20 क्रिकेट पर निबंध – (T20 Cricket Essay)
  • मेरा प्रिय खेल-क्रिकेट पर निबंध – (My Favorite Game Cricket Essay)
  • पुस्तकालय पर निबंध – (Library Essay)
  • सूचना प्रौद्योगिकी और मानव कल्याण निबंध – (Information Technology Essay)
  • कंप्यूटर और टी.वी. का प्रभाव निबंध – (Computer Aur Tv Essay)
  • कंप्यूटर की उपयोगिता पर निबंध – (Computer Ki Upyogita Essay)
  • कंप्यूटर शिक्षा पर निबंध – (Computer Education Essay)
  • कंप्यूटर के लाभ पर निबंध – (Computer Ke Labh Essay)
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  • शिक्षा का गिरता स्तर पर निबंध – (Falling Price Level Of Education Essay)
  • विज्ञान के गुण और दोष पर निबंध – (Advantages And Disadvantages Of Science Essay)
  • विद्यालय में स्वास्थ्य शिक्षा निबंध – (Health Education Essay)
  • विद्यालय का वार्षिकोत्सव पर निबंध – (Anniversary Of The School Essay)
  • विज्ञान के वरदान पर निबंध – (The Gift Of Science Essays)
  • विज्ञान के चमत्कार पर निबंध (Wonder Of Science Essay in Hindi)
  • विकास पथ पर भारत निबंध – (Development Of India Essay)
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  • मोबाइल फोन पर निबंध (Mobile Phone Essay)
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  • विज्ञान की अद्भुत खोज कंप्यूटर पर निबंध – (Vigyan Ki Khoj Kampyootar Essay)
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  • महंगाई की समस्या पर निबन्ध – (Problem Of Inflation Essay)
  • महंगाई पर निबंध – (Mehangai Par Nibandh)
  • आरक्षण : देश के लिए वरदान या अभिशाप निबंध – (Reservation System Essay)
  • मेक इन इंडिया पर निबंध (Make In India Essay In Hindi)
  • ग्रामीण समाज की समस्याएं पर निबंध – (Problems Of Rural Society Essay)
  • मेरे सपनों का भारत पर निबंध – (India Of My Dreams Essay)
  • भारतीय राजनीति में जातिवाद पर निबंध – (Caste And Politics In India Essay)
  • भारतीय नारी पर निबंध – (Indian Woman Essay)
  • आधुनिक नारी पर निबंध – (Modern Women Essay)
  • भारतीय समाज में नारी का स्थान निबंध – (Women’s Role In Modern Society Essay)
  • चुनाव पर निबंध – (Election Essay)
  • चुनाव स्थल के दृश्य का वर्णन निबन्ध – (An Election Booth Essay)
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  • यदि मैं प्रधानमंत्री होता तो हिंदी निबंध – (If I were the Prime Minister Essay)
  • आजादी के 70 साल निबंध – (India ofter 70 Years Of Independence Essay)
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  • संचार के साधन पर निबंध – (Means Of Communication Essay)
  • भारत में दूरसंचार क्रांति हिंदी में निबंध – (Telecom Revolution In India Essay)
  • दूरसंचार में क्रांति निबंध – (Revolution In Telecommunication Essay)
  • राष्ट्रीय एकता का महत्व पर निबंध (Importance Of National Integration)
  • भारत की ऋतुएँ पर निबंध – (Seasons In India Essay)
  • भारत में खेलों का भविष्य पर निबंध – (Future Of Sports Essay)
  • किसी खेल (मैच) का आँखों देखा वर्णन पर निबंध – (Kisi Match Ka Aankhon Dekha Varnan Essay)
  • राजनीति में अपराधीकरण पर निबंध – (Criminalization Of Indian Politics Essay)
  • प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर हिन्दी निबंध – (Narendra Modi Essay)
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  • भ्रष्टाचार पर निबंध (Corruption Essay in Hindi)
  • महिला सशक्तिकरण पर निबंध – (Women Empowerment Essay)
  • बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर निबंध (Beti Bachao Beti Padhao)
  • गरीबी पर निबंध (Poverty Essay in Hindi)
  • स्वच्छ भारत अभियान पर निबंध (Swachh Bharat Abhiyan Essay)
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  • गंगा की सफाई देश की भलाई पर निबंध – (The Good Of The Country: Cleaning The Ganges Essay)
  • सत्संगति पर निबंध – (Satsangati Essay)
  • महिलाओं की समाज में भूमिका पर निबंध – (Women’s Role In Society Today Essay)
  • यातायात के नियम पर निबंध – (Traffic Safety Essay)
  • बेटी बचाओ पर निबंध – (Beti Bachao Essay)
  • सिनेमा या चलचित्र पर निबंध – (Cinema Essay In Hindi)
  • परहित सरिस धरम नहिं भाई पर निबंध – (Parhit Saris Dharam Nahi Bhai Essay)
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  • वर्तमान शिक्षा प्रणाली – (Modern Education System Essay)
  • महिला शिक्षा पर निबंध (Women Education Essay In Hindi)
  • महिलाओं की समाज में भूमिका पर निबंध (Women’s Role In Society Essay In Hindi)
  • यदि मैं प्रधानाचार्य होता पर निबंध – (If I Was The Principal Essay)
  • बेरोजगारी पर निबंध (Unemployment Essay)
  • शिक्षित बेरोजगारी की समस्या निबंध – (Problem Of Educated Unemployment Essay)
  • बेरोजगारी समस्या और समाधान पर निबंध – (Unemployment Problem And Solution Essay)
  • दहेज़ प्रथा पर निबंध (Dowry System Essay in Hindi)
  • जनसँख्या पर निबंध – (Population Essay)
  • श्रम का महत्त्व निबंध – (Importance Of Labour Essay)
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  • भ्रष्टाचार : समस्या और निवारण निबंध – (Corruption Problem And Solution Essay)
  • मीडिया और सामाजिक उत्तरदायित्व निबंध – (Social Responsibility Of Media Essay)
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  • पर्यावरण बचाओ पर निबंध (Environment Essay)
  • पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध (Environmental Pollution Essay in Hindi)
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  • मेरा प्रिय कवि निबंध – (My Favourite Poet Essay)
  • मेरी प्रिय पुस्तक पर निबंध – (My Favorite Book Essay)
  • कबीरदास पर निबन्ध – (Kabirdas Essay)

इसलिए, यह जानना और समझना बहुत महत्वपूर्ण है कि विषय के बारे में संक्षिप्त और कुरकुरा लाइनों के साथ एक आदर्श हिंदी निबन्ध कैसे लिखें। साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं। तो, छात्र आसानी से स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए हिंदी में निबन्ध कैसे लिखें, इसकी तैयारी कर सकते हैं। इसके अलावा, आप हिंदी निबंध लेखन की संरचना, हिंदी में एक प्रभावी निबंध लिखने के लिए टिप्स आदि के बारे में कुछ विस्तृत जानकारी भी प्राप्त कर सकते हैं। ठीक है, आइए हिंदी निबन्ध के विवरण में गोता लगाएँ।

हिंदी निबंध लेखन – स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए हिंदी में निबन्ध कैसे लिखें?

प्रभावी निबंध लिखने के लिए उस विषय के बारे में बहुत अभ्यास और गहन ज्ञान की आवश्यकता होती है जिसे आपने निबंध लेखन प्रतियोगिता या बोर्ड परीक्षा के लिए चुना है। छात्रों को वर्तमान में हो रही स्थितियों और हिंदी में निबंध लिखने से पहले विषय के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं के बारे में जानना चाहिए। हिंदी में पावरफुल निबन्ध लिखने के लिए सभी को कुछ प्रमुख नियमों और युक्तियों का पालन करना होगा।

हिंदी निबन्ध लिखने के लिए आप सभी को जो प्राथमिक कदम उठाने चाहिए उनमें से एक सही विषय का चयन करना है। इस स्थिति में आपकी सहायता करने के लिए, हमने सभी प्रकार के हिंदी निबंध विषयों पर शोध किया है और नीचे सूचीबद्ध किया है। एक बार जब हम सही विषय चुन लेते हैं तो विषय के बारे में सभी सामान्य और तथ्यों को एकत्र करते हैं और अपने पाठकों को संलग्न करने के लिए उन्हें अपने निबंध में लिखते हैं।

तथ्य आपके पाठकों को अंत तक आपके निबंध से चिपके रहेंगे। इसलिए, हिंदी में एक निबंध लिखते समय मुख्य बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित करें और किसी प्रतियोगिता या बोर्ड या प्रतिस्पर्धी जैसी परीक्षाओं में अच्छा स्कोर करें। ये हिंदी निबंध विषय पहली कक्षा से 10 वीं कक्षा तक के सभी कक्षा के छात्रों के लिए उपयोगी हैं। तो, उनका सही ढंग से उपयोग करें और हिंदी भाषा में एक परिपूर्ण निबंध बनाएं।

हिंदी भाषा में दीर्घ और लघु निबंध विषयों की सूची

हिंदी निबन्ध विषयों और उदाहरणों की निम्न सूची को विभिन्न श्रेणियों में विभाजित किया गया है जैसे कि प्रौद्योगिकी, पर्यावरण, सामान्य चीजें, अवसर, खेल, खेल, स्कूली शिक्षा, और बहुत कुछ। बस अपने पसंदीदा हिंदी निबंध विषयों पर क्लिक करें और विषय पर निबंध के लघु और लंबे रूपों के साथ विषय के बारे में पूरी जानकारी आसानी से प्राप्त करें।

विषय के बारे में समग्र जानकारी एकत्रित करने के बाद, अपनी लाइनें लागू करने का समय और हिंदी में एक प्रभावी निबन्ध लिखने के लिए। यहाँ प्रचलित सभी विषयों की जाँच करें और किसी भी प्रकार की प्रतियोगिताओं या परीक्षाओं का प्रयास करने से पहले जितना संभव हो उतना अभ्यास करें।

हिंदी निबंधों की संरचना

Hindi Essay Parts

उपरोक्त छवि आपको हिंदी निबन्ध की संरचना के बारे में प्रदर्शित करती है और आपको निबन्ध को हिन्दी में प्रभावी ढंग से रचने के बारे में कुछ विचार देती है। यदि आप स्कूल या कॉलेजों में निबंध लेखन प्रतियोगिता में किसी भी विषय को लिखते समय निबंध के इन हिस्सों का पालन करते हैं तो आप निश्चित रूप से इसमें पुरस्कार जीतेंगे।

इस संरचना को बनाए रखने से निबंध विषयों का अभ्यास करने से छात्रों को विषय पर ध्यान केंद्रित करने और विषय के बारे में छोटी और कुरकुरी लाइनें लिखने में मदद मिलती है। इसलिए, यहां संकलित सूची में से अपने पसंदीदा या दिलचस्प निबंध विषय को हिंदी में चुनें और निबंध की इस मूल संरचना का अनुसरण करके एक निबंध लिखें।

हिंदी में एक सही निबंध लिखने के लिए याद रखने वाले मुख्य बिंदु

अपने पाठकों को अपने हिंदी निबंधों के साथ संलग्न करने के लिए, आपको हिंदी में एक प्रभावी निबंध लिखते समय कुछ सामान्य नियमों का पालन करना चाहिए। कुछ युक्तियाँ और नियम इस प्रकार हैं:

  • अपना हिंदी निबंध विषय / विषय दिए गए विकल्पों में से समझदारी से चुनें।
  • अब उन सभी बिंदुओं को याद करें, जो निबंध लिखने शुरू करने से पहले विषय के बारे में एक विचार रखते हैं।
  • पहला भाग: परिचय
  • दूसरा भाग: विषय का शारीरिक / विस्तार विवरण
  • तीसरा भाग: निष्कर्ष / अंतिम शब्द
  • एक निबंध लिखते समय सुनिश्चित करें कि आप एक सरल भाषा और शब्दों का उपयोग करते हैं जो विषय के अनुकूल हैं और एक बात याद रखें, वाक्यों को जटिल न बनाएं,
  • जानकारी के हर नए टुकड़े के लिए निबंध लेखन के दौरान एक नए पैराग्राफ के साथ इसे शुरू करें।
  • अपने पाठकों को आकर्षित करने या उत्साहित करने के लिए जहाँ कहीं भी संभव हो, कुछ मुहावरे या कविताएँ जोड़ें और अपने हिंदी निबंध के साथ संलग्न रहें।
  • विषय या विषय को बीच में या निबंध में जारी रखने से न चूकें।
  • यदि आप संक्षेप में हिंदी निबंध लिख रहे हैं तो इसे 200-250 शब्दों में समाप्त किया जाना चाहिए। यदि यह लंबा है, तो इसे 400-500 शब्दों में समाप्त करें।
  • महत्वपूर्ण हिंदी निबंध विषयों का अभ्यास करते समय इन सभी युक्तियों और बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए, आप निश्चित रूप से किसी भी प्रतियोगी परीक्षाओं में कुरकुरा और सही निबंध लिख सकते हैं या फिर सीबीएसई, आईसीएसई जैसी बोर्ड परीक्षाओं में।

हिंदी निबंध लेखन पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. मैं अपने हिंदी निबंध लेखन कौशल में सुधार कैसे कर सकता हूं? अपने हिंदी निबंध लेखन कौशल में सुधार करने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक किताबों और समाचार पत्रों को पढ़ना और हिंदी में कुछ जानकारीपूर्ण श्रृंखलाओं को देखना है। ये चीजें आपकी हिंदी शब्दावली में वृद्धि करेंगी और आपको हिंदी में एक प्रेरक निबंध लिखने में मदद करेंगी।

2. CBSE, ICSE बोर्ड परीक्षा के लिए हिंदी निबंध लिखने में कितना समय देना चाहिए? हिंदी बोर्ड परीक्षा में एक प्रभावी निबंध लिखने पर 20-30 का खर्च पर्याप्त है। क्योंकि परीक्षा हॉल में हर मिनट बहुत महत्वपूर्ण है। इसलिए, सभी वर्गों के लिए समय बनाए रखना महत्वपूर्ण है। परीक्षा से पहले सभी हिंदी निबन्ध विषयों से पहले अभ्यास करें और परीक्षा में निबंध लेखन पर खर्च करने का समय निर्धारित करें।

3. हिंदी में निबंध के लिए 200-250 शब्द पर्याप्त हैं? 200-250 शब्दों वाले हिंदी निबंध किसी भी स्थिति के लिए बहुत अधिक हैं। इसके अलावा, पाठक केवल आसानी से पढ़ने और उनसे जुड़ने के लिए लघु निबंधों में अधिक रुचि दिखाते हैं।

4. मुझे छात्रों के लिए सर्वश्रेष्ठ औपचारिक और अनौपचारिक हिंदी निबंध विषय कहां मिल सकते हैं? आप हमारे पेज से कक्षा 1 से 10 तक के छात्रों के लिए हिंदी में विभिन्न सामान्य और विशिष्ट प्रकार के निबंध विषय प्राप्त कर सकते हैं। आप स्कूलों और कॉलेजों में प्रतियोगिताओं, परीक्षाओं और भाषणों के लिए हिंदी में इन छोटे और लंबे निबंधों का उपयोग कर सकते हैं।

5. हिंदी परीक्षाओं में प्रभावशाली निबंध लिखने के कुछ तरीके क्या हैं? हिंदी में प्रभावी और प्रभावशाली निबंध लिखने के लिए, किसी को इसमें शानदार तरीके से काम करना चाहिए। उसके लिए, आपको इन बिंदुओं का पालन करना चाहिए और सभी प्रकार की परीक्षाओं में एक परिपूर्ण हिंदी निबंध की रचना करनी चाहिए:

  • एक पंच-लाइन की शुरुआत।
  • बहुत सारे विशेषणों का उपयोग करें।
  • रचनात्मक सोचें।
  • कठिन शब्दों के प्रयोग से बचें।
  • आंकड़े, वास्तविक समय के उदाहरण, प्रलेखित जानकारी दें।
  • सिफारिशों के साथ निष्कर्ष निकालें।
  • निष्कर्ष के साथ पंचलाइन को जोड़ना।

निष्कर्ष हमने एक टीम के रूप में हिंदी निबन्ध विषय पर पूरी तरह से शोध किया और इस पृष्ठ पर कुछ मुख्य महत्वपूर्ण विषयों को सूचीबद्ध किया। हमने इन हिंदी निबंध लेखन विषयों को उन छात्रों के लिए एकत्र किया है जो निबंध प्रतियोगिता या प्रतियोगी या बोर्ड परीक्षाओं में भाग ले रहे हैं। तो, हम आशा करते हैं कि आपको यहाँ पर सूची से हिंदी में अपना आवश्यक निबंध विषय मिल गया होगा।

यदि आपको हिंदी भाषा पर निबंध के बारे में अधिक जानकारी की आवश्यकता है, तो संरचना, हिंदी में निबन्ध लेखन के लिए टिप्स, हमारी साइट LearnCram.com पर जाएँ। इसके अलावा, आप हमारी वेबसाइट से अंग्रेजी में एक प्रभावी निबंध लेखन विषय प्राप्त कर सकते हैं, इसलिए इसे अंग्रेजी और हिंदी निबंध विषयों पर अपडेट प्राप्त करने के लिए बुकमार्क करें।

बच्चों का माता-पिता के प्रति कर्तव्य पर निबंध |Essay on Children’s Duty towards Parents in Hindi

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ADVERTISEMENTS:

बच्चों का माता-पिता के प्रति कर्तव्य पर निबंध |Essay on Children’s Duty towards Parents in Hindi!

मनुष्य का जीवन अनेक उतार-चढ़ावों से होकर गुजरता है । उसकी नवजात शिशु अवस्था से लेकर विद्‌यार्थी जीवन, फिर गृहस्थ जीवन तत्पश्चात् मृत्यु तक वह अनेक प्रकार के अनुभवों से गुजरता है ।

अपने जीवन में वह अनेक प्रकार के कार्यों व उत्तरदायित्वों का निर्वाह करता है । परंतु अपने माता-पिता के प्रति कर्तव्य व उत्तरदायित्वों को वह जीवन पर्यत नहीं चुका सकता है । माता-पिता से संतान को जो कुछ भी प्राप्त होता है वह अमूल्य है । माँ की ममता व स्नेह तथा पिता का अनुशासन किसी भी मनुष्य के व्यक्तित्व निर्माण में सबसे प्रमुख भूमिका रखते हैं ।

किसी भी मनुष्य को उसके जन्म से लेकर उसे अपने पैरों तक खड़ा करने में माता-पिता को किन-किन कठिनाइयों से होकर गुजरना पड़ता है इसका वास्तविक अनुमान संभवत: स्वयं माता या पिता बनने के उपरांत ही लगाया जा सकता है । हिंदू शास्त्रों व वेदों के अनुसार मनुष्य को 84 लाख योनियो के पश्चात् मानव शरीर प्राप्त होता है । इस दृष्टि से माता-पिता सदैव पूजनीय होते हैं जिनके कारण हमें यह दुर्लभ मानव शरीर की प्राप्ति हुई ।

आज संसार में यदि हमारा कुछ भी अस्तित्व है या हमारी इस जगत में कोई पहचान है तो उसका संपूर्ण श्रेय हमारे माता-पिता को ही जाता है । यही कारण है कि भारत के आदर्श पुरुषों में से एक राम ने माता-पिता के एक इशारे पर युवराज पद का मोह त्याग दिया और वन चले गए ।

कितने कष्टों को सहकर माता पुत्र को जन्म देती है, उसके पश्चात् अपने स्नेह रूपी अमृत से सींचकर उसे बड़ा करती है । माता-पिता के स्नेह व दुलार से बालक उन संवेदनाओं को आत्मसात् करता है जिससे उसे मानसिक बल प्राप्त होता है ।

हमारी अनेक गलतियों व अपराधों को वे कष्ट सहते हुए भी क्षमा करते हैं और सदैव हमारे हितों को ध्यान में रखते हुए सद्‌मार्ग पर चलने हेतु प्रेरित करते हैं । पिता का अनुशासन हमें कुसंगति के मार्ग पर चलने से रोकता है एवं सदैव विकास व प्रगति के पथ पर चलने की प्रेरणा देता है ।

यदि कोई डॉक्टर, इंजीनियर व उच्च पदों पर आसीन होता है तो उसके पीछे उसके माता-पिता का त्याग, बलिदान व उनकी प्रेरणा की शक्ति निहित होती है । यदि प्रांरभ से ही माता-पिता से उसे सही सीख व प्ररेणा नहीं मिली होती तो संभवत: समाज में उसे वह प्रतिष्ठा व सम्मान प्राप्त नहीं होता ।

अत: हम जीवन पथ पर चाहे किसी भी ऊँचाई पर पहुँचें हमें कभी भी अपने माता-पिता के सहयोग, उनके त्याग और बलिदान को नहीं भूलना चाहिए । हमारी खुशियों व उन्नति के पीछे हमारे माता-पिता की अनगिनत खुशियों का परित्याग निहित होता है । अत: हमारा यह परम दायित्व बनता है कि हम उन्हें पूर्ण सम्मान प्रदान करें और जहाँ तक संभव हो सके खुशियाँ प्रदान करने की चेष्टा करें ।

माता-पिता की सदैव यही हार्दिक इच्छा होती है कि पुत्र बड़ा होकर उनके नाम को गौरवान्वित करे । अत: हम सबका उनके प्रति यह दायित्व बनता है कि हम अपनी लगन, मेहनत और परिश्रम के द्‌वारा उच्चकोटि का कार्य करें जिससे हमारे माता-पिता का नाम गौरवान्वित हो । हम सदैव यह ध्यान रखें कि हमसे ऐसा कोई भी गलत कार्य न हो जिससे उन्हें लोगों के सम्मुख शर्मिंदा होना पड़े ।

आज की भौतिकवादी पीढ़ी में विवाहोपरांत युवक अपने निजी स्वार्थों में इतना लिप्त हो जाते हैं कि वे अपने बूढ़े माता-पिता की सेवा तो दूर अपितु उनकी उपेक्षा करना प्रारंभ कर देते हैं । यह निस्संदेह एक निंदनीय कृत्य है । उनके कर्मों व संस्कार का प्रभाव भावी पीढ़ी पर पड़ता है । यही कारण है कि समाज में नैतिक मूल्यों का ह्रास हो रहा है । टूटते घर-परिवार व समाज सब इसी अलगाववादी दृष्टिकोण के दुष्परिणाम हैं ।

अत: जीपन पर्यंत मनुष्य को अपने माता-पिता के प्रति कर्तव्यों व उत्तरदायित्वों का निर्वाह करना चाहिए । माता-पिता की सेवा सच्ची सेवा है । उनकी सेवा से बढ़कर दूसरा कोई पुण्य कार्य नहीं है । हमारे वैदिक ग्रंथों में इन्हीं कारणों से माता को देवी के समकक्ष माना गया है ।

माता-पिता की सेवा द्‌वारा प्राप्त उनके आशीर्वाद से मनुष्य जो आत्म संतुष्टि प्राप्त करता है वह समस्त भौतिक सुखों से भी श्रेष्ठ है । ”मातृदेवो भव, पितृदेवो भव” वाली वैदिक अवधारणा को एक बार फिर से प्रतिष्ठित करने की आवश्यकता है ताकि हमारे देश का गौरव अक्षुण्ण बना रहे ।

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English Essay on “Duties and Responsibilities of Student Life” 350 Words Essay-Paragraph-Speech for Class 8, 9, 10, 11 and 12 Board Exam.

Duties and responsibilities of student life.

Student life is the best and happiest period of life. It is a life free from all cares and anxieties. It may be called ‘the seed time of life. If properly utilised, he can lay the foundation of future success; if misused, defeat is sure to come.

The first duty of a student is to read and prepare for life. It is the proper time for him to build his health, form good habits, and lay the foundation of character. As he has plenty of time to read books and acquire knowledge, he should make the best use of his time to equip himself properly and be an ideal citizen. He should take part in games and sports and take regular physical exercise. He should acquire the virtues of honesty, loyalty, truthfulness, and fellow feeling. He should give up evil company and learn to obey his superiors. A student, above all, cultivates the virtue of discipline. The duty of a student is to build up his character which is the crown and glory of life. A student is the future bread-earner of his family. He is the backbone of the nation and the pride and glory of his country. He must, therefore, be dutiful to himself, to family, and to the country. It is not proper for him to rush into politics, for he will get plenty of time for it later.

A student lives in society, he has his duty to serve it. Our country has a lot of problems like illiteracy, rural uplift, etc. During long vacations, students may go back to their villages and impart elementary education to uneducated boys and adults. They can also clear jungles, and repair roads. It is in this way that they can know the country and feel for it.

Student life has, therefore, smiles and tears, joys and sorrows, privileges and duties. So a student should form good habits and give up bad ones. He should be guided by his guardian or teacher who is supposed to be his ‘friend, philosopher, and guide.

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    ADVERTISEMENTS: विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध | Essay on Student and Discipline in Hindi! मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है । किसी समाज के निर्माण में अनुशासन की महत्वपूर्ण ...

  9. एक आदर्श विद्यार्थी पर निबंध 10 lines (An Ideal Student Essay in Hindi

    An Ideal Student Essay in Hindi - एक छात्र कौन है?एक छात्र एक सीखने वाला होता है। एक व्यक्ति जो किसी विशेष क्षेत्र में ज्ञान और ज्ञान या कौशल प्राप्त करना चाहता है या अपनी ...

  10. विद्यार्थी जीवन पर निबंध

    Latest Essay on Student Life in Hindi 800 Words. विद्यार्थी जीवन खुशहाल भविष्य की ओर पहला कदम होता है. यह वह स्वर्णिम अवसर होता है जो कि जीवन में दोबारा कभी नहीं ...

  11. शिक्षक और विद्यार्थी पर निबंध

    Essay In Hindi कक्षा 1 से 4 के लिए निबंध कक्षा 5 से 9 के लिए निबंध कक्षा 10 से 12 के लिए निबंध प्रतियोगी परीक्षा के लिए निबंध ऋतुओं पर निबंध त्योहारों ...

  12. विद्यार्थी और सामाजिक सेवा पर निबंध

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  13. विद्यार्थी जीवन पर निबंध (Student Life Essay In Hindi)

    विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का महत्त्व पर हिंदी निबंध. जीवन में गुरु का महत्व पर निबंध (Jeevan Me Guru Ka Mahatva Essay In Hindi) अनुशासन पर निबंध (Discipline Essay In Hindi ...

  14. छात्र के कर्तव्य || Duties of Students Essay in Hindi

    छात्र के कर्तव्य || Duties of Students Essay in Hindi || Assamstudyhub. अन्य कर्तव्य - अध्ययन के अलावा एक छात्र के पास कई अन्य कर्तव्य भी हो सकते हैं. हमारे छात्र गरीब ...

  15. Essay on importance of education in hindi: शिक्षा का महत्व पर निबंध

    शिक्षा का महत्व पर निबंध, essay on importance of education in hindi (400 शब्द) घर शिक्षा का पहला स्थान है और माता-पिता सभी के जीवन में पहले शिक्षक हैं। बचपन में ...

  16. विद्यार्थी जीवन में माता-पिता की भूमिका Essay On Role Of Parents Students

    नमस्कार साथियों आपका स्वागत हैं, आज हम विद्यार्थी जीवन में माता-पिता की भूमिका पर निबंध | Essay On Role Of Parents And Teachers In Students Life In Hindi का निबंध लेकर आए है ...

  17. Hindi Essay (Hindi Nibandh)

    Hindi Essay (Hindi Nibandh) | 100 विषयों पर हिंदी निबंध लेखन - Essays in Hindi on 100 Topics ... (Student Life Essay) विद्यार्थी और राजनीति पर ... (Rights And Responsibilities Of Citizens Essay In Hindi) पर्यावरण के मुद्दें ...

  18. essay on responsibility of student in Hindi ...

    essay on responsibility of student in Hindi।। विद्यार्थी के दायित्व पर हिंदी में निबंधAbout this video:-This video is about ...

  19. छात्र के कर्तव्य पर निबंध हिंदी में || essay on duties of student in hindi

    छात्र के कर्तव्य पर निबंध हिंदी में || essay on duties of student in hindiThanks for watching🌷🙏

  20. Essays On Responsibility

    Long Essay on Responsibility for Students. The essential duties of a student are to learn and procure information. Their primary obligation consists of improving their acumen and broadening their psychological capacities. Shockingly, numerous understudies fail to remember this objective and spend their school days pointlessly getting a charge ...

  21. बच्चों का माता-पिता के प्रति कर्तव्य पर निबंध |Essay on Children's Duty

    बच्चों का माता-पिता के प्रति कर्तव्य पर निबंध |Essay on Children's Duty towards Parents in Hindi! मनुष्य का जीवन अनेक उतार-चढ़ावों से होकर गुजरता है । उसकी नवजात शिशु अवस्था से लेकर ...

  22. Responsibility of Students Essay

    Responsibility of Students Essay: Good morning respected teachers and my dear friends. There are some words that are associated with our daily life. Life revolves around some gestures that make us social beings. Amongst such things, responsibility is one major activity that our life requires. Being responsible is a basic key to success in our life.

  23. Duties and Responsibilities of Student Life

    English Essay on "Duties and Responsibilities of Student Life" 350 Words Essay-Paragraph-Speech for Class 8, 9, 10, 11 and 12 Board Exam.