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Essay on India in Hindi : छात्र ऐसे लिख सकते हैं हमारे देश भारत पर निबंध

conservation of animals essay in hindi

  • Updated on  
  • अगस्त 30, 2024

Essay on India in Hindi

Essay on India in Hindi : भारत एक विविधतापूर्ण देश है जो अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और इतिहास के लिए जाना जाता है। यह दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र और सबसे अधिक आबादी वाला देश है, जिसकी आबादी एक अरब से ज़्यादा है। भारत हिमालय पर्वतों से लेकर उष्णकटिबंधीय समुद्र तटों तक फैला हुआ है, जो इसकी भौगोलिक विविधता को दर्शाते हैं। यह देश विभिन्न धर्मों, भाषाओं और परंपराओं का घर है, जो विविधता में एकता का एक अनूठा मिश्रण है। आर्थिक रूप से, भारत ने महत्वपूर्ण प्रगति की है, प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष खोज और उद्योग में विश्व में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में उभरा है। गरीबी और सामाजिक असमानता जैसी चुनौतियों का सामना करने के बावजूद, भारत अपने सांस्कृतिक सार और लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए हुए प्रगति और विकास की दिशा में प्रयास कर रहा है।

भारत देश के बारे में जानकारी इसके प्रत्येक छात्र को होनी चाहिए। छात्रों को कई बार निबंध प्रतियोगिता और कक्षाओं में Essay on India in Hindi दिया जाता है और आपकी मदद के लिए कुछ सैंपल इस ब्लॉग में दिए गए हैं। 

This Blog Includes:

भारत पर 100 शब्दों में निबंध, भारत पर 200 शब्दों में निबंध, प्रस्तावना , भारत का इतिहास, भारत का भूगोल और संस्कृति, भारतीय राष्ट्रीय ध्वज और अन्य प्रतीक, भारत की नदियां  , भारत का भोजन, भारत की भाषाएं, भारत के त्यौहार, भारत की अनेकता में एकता, उपसंहार , भारत पर 10 लाइन – 10 lines essay on india in hindi.

भारत के लोग अपनी ईमानदारी और विश्वसनीयता के लिए जाने जाते हैं। विभिन्न संस्कृतियों और परंपराओं के लोग एक साथ शांतिपूर्वक रहते हैं। हिंदी भारत की एक प्रमुख भाषा है, लेकिन विभिन्न क्षेत्रों के लोग कई अन्य भाषाएँ भी बोलते हैं। भारत एक खूबसूरत देश है जहाँ कई महान व्यक्तियों ने जन्म लिया और उल्लेखनीय उपलब्धियाँ हासिल की। भारतीयों के द्वारा अतिथियों को ‘अतिथि देवों भव:’ की उपाधि दी जाती है। दूसरे देशों से आने वाले आगंतुकों का गर्मजोशी से स्वागत किया जाता है। भारत में सनातन धर्म (जीवन का एक प्राचीन दर्शन) का पालन किया जाता है, जो विविधता में एकता बनाए रखने में मदद करता है।

 भारत कई प्राचीन स्थलों, स्मारकों और ऐतिहासिक धरोहरों का घर है जो दुनिया भर से आगंतुकों को आकर्षित करते हैं। यह अपनी आध्यात्मिक प्रथाओं, योग और मार्शल आर्ट के लिए प्रसिद्ध है। विभिन्न देशों के कई तीर्थयात्री और भक्त भारत के प्रमुख मंदिरों, स्थलों और ऐतिहासिक विरासतों की सुंदरता का अनुभव करने के लिए आते हैं।

भारत का एक समृद्ध और गौरवशाली इतिहास है और इसे प्राचीन सभ्यता का जन्मस्थान माना जाता है। यह तक्षशिला और नालंदा विश्वविद्यालय के कारण शिक्षा का एक केंद्र रह चुका है, इसने इतिहास में दुनिया भर के छात्रों को अपने विश्वविद्यालयों में आकर्षित किया है। अपनी अनूठी और विविध संस्कृति और परंपराओं के लिए जाना जाने वाला भारत विभिन्न धर्मों के लोगों से प्रभावित है। भारत के धन वैभव को चुराने के लिए इस पर कई आक्रमण हुए। कई साम्राज्यों ने इसे गुलाम बनाने के लिए भी प्रयोग किया। कई स्वतंत्रता सैनानियों के प्रयासों और बलिदानों की बदौलत भारत को 1947 में ब्रिटिश शासन से आजादी मिली थी। 

हम हर साल 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस मनाते हैं, जिस दिन हमारी मातृभूमि आजाद हुई थी। पंडित जवाहरलाल नेहरू स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री थे। अपने समृद्ध प्राकृतिक संसाधनों के बावजूद, भारत में कई लोग गरीब हैं। रवींद्रनाथ टैगोर, सर जगदीश चंद्र बोस, सर सी.वी. रमन और डॉ. होमी जे. भाभा जैसी असाधारण हस्तियों की बदौलत देश लगातार प्रौद्योगिकी, विज्ञान और साहित्य में आगे बढ़ है। भारत एक शांतिपूर्ण देश है जहाँ लोग अपने त्यौहारों को खुलकर मनाते हैं और अपनी सांस्कृतिक परंपराओं का पालन करते हैं। कश्मीर को अक्सर धरती पर स्वर्ग के रूप में वर्णित किया जाता है। भारत प्रसिद्ध मंदिरों, मस्जिदों, गुरुद्वारों, नदियों, घाटियों, उपजाऊ कृषि भूमि और सबसे ऊँचे पहाड़ों का घर है।

भारत पर 500 शब्दों में निबंध

भारत पर 500 शब्दों में निबंध (500 Words Essay on India in Hindi) नीचे दिया गया है –

भारत एक अद्भुत देश है जहाँ लोग कई अलग-अलग भाषाएँ बोलते हैं। यहाँ विभिन्न जातियाँ, पंथ, धर्म और संस्कृतियाँ निवास करती हैं, फिर भी सभी लोग एक साथ सद्भाव से रहते हैं। यही कारण है कि भारत “विविधता में एकता” कहावत के लिए प्रसिद्ध है। भारत दुनिया का सातवाँ सबसे बड़ा देश भी है।

भारत का इतिहास और संस्कृति समृद्ध है और मानव सभ्यता के उदय के बाद से ही विकसित हुई है। विश्व की सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक सिंधु घाटी सभ्यता भारत में थी। इसकी शुरुआत प्राचीन सिंधु घाटी सभ्यता और दक्षिण भारत में शुरुआती कृषि समुदायों से हुई। समय के साथ, भारत ने विभिन्न संस्कृतियों के लोगों का निरंतर एकीकरण देखा। साक्ष्य बताते हैं कि शुरुआती दौर में, लोहे और तांबे जैसी धातुओं का उपयोग व्यापक था, जो महत्वपूर्ण प्रगति को दर्शाता है। चौथी सहस्राब्दी ईसा पूर्व के अंत तक, भारत एक अत्यधिक उन्नत सभ्यता के रूप में विकसित हो चुका था।

भारत दुनिया में सबसे बड़ी आबादी वाला देश है। इसे हिंदुस्तान और आर्यावर्त के नाम से भी जाना जाता है। यह तीन तरफ से महासागरों से घिरा हुआ है: पूर्व में बंगाल की खाड़ी, पश्चिम में अरब सागर और दक्षिण में हिंद महासागर। भारत का राष्ट्रीय पशु ‘ बाघ’ है, राष्ट्रीय पक्षी ‘ मोर’ है और राष्ट्रीय फल ‘ आम’ है। भारत का राष्ट्रगान जन गण मन है, और राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम है। भारत का राष्ट्रीय खेल हॉकी है। हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म, जैन धर्म, सिख धर्म, इस्लाम, ईसाई धर्म और यहूदी धर्म सहित विभिन्न धर्मों के लोग सदियों से भारत में एक साथ रहते आए हैं। भारत अपनी समृद्ध विरासत के लिए भी जाना जाता है, जिसमें स्मारक, मकबरे, चर्च, ऐतिहासिक इमारतें, मंदिर, संग्रहालय, प्राकृतिक सुंदरता, वन्यजीव अभयारण्य और प्रभावशाली वास्तुकला शामिल हैं।

भारतीय ध्वज तिरंगे में तीन रंग हैं: केसरिया, सफ़ेद और हरा। सबसे ऊपर का रंग केसरिया पवित्रता का प्रतीक है। बीच का रंग सफ़ेद शांति का प्रतीक है। सबसे नीचे का रंग हरा उर्वरता का प्रतीक है। सफ़ेद पट्टी के बीच में एक नीला अशोक चक्र है, जो 24 तीलियों वाला पहिया है जो कानून और न्याय के चक्र का प्रतीक है। बंगाल टाइगर राष्ट्रीय पशु है, जो शक्ति और शालीनता का प्रतिनिधित्व करता है। मोर यहां का राष्ट्रीय पक्षी है, जो शालीनता, सुंदरता और शान का प्रतीक है। ऐतिहासिक रूप से फील्ड हॉकी को भारत का राष्ट्रीय खेल माना जाता है, जो खेल में देश की उपलब्धियों का प्रतिनिधित्व करता है।

भारत में कई प्रमुख नदियाँ हैं, जिनमें से प्रत्येक का सांस्कृतिक, आर्थिक और पारिस्थितिक महत्व है। गंगा हिमालय से निकलती है और उत्तरी भारत से होकर बांग्लादेश में बहती है। यह हिंदू धर्म में सबसे पवित्र नदी मानी जाती है और लाखों लोगों के लिए पीने, कृषि और धार्मिक प्रथाओं के लिए महत्वपूर्ण है। यमुना हिमालय में यमुनोत्री ग्लेशियर से निकलने वाली गंगा की एक प्रमुख सहायक नदी है। यह दिल्ली और आगरा से होकर बहती है और अपने सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व के लिए महत्वपूर्ण है। 

ब्रह्मपुत्र तिब्बत में निकलती है और बांग्लादेश में प्रवेश करने से पहले असम और भारत के अन्य पूर्वोत्तर राज्यों से होकर बहती है। यह नदी अपने विशाल बेसिन और कृषि क्षेत्र के लिए जानी जाती है। सिंधु नदी का उद्गम तिब्बत में है और भारत से होते हुए यह पाकिस्तान में भी बहती है। कृष्णा नदी पश्चिमी घाट में उत्पन्न होती है और पूर्व की ओर बंगाल की खाड़ी में बहती है। दक्षिणी भारत में सिंचाई और जलविद्युत परियोजनाओं के लिए महत्वपूर्ण है। कावेरी नदी पश्चिमी घाट में उत्पन्न होती है और दक्षिण-पूर्व में बंगाल की खाड़ी में बहती है। कर्नाटक और तमिलनाडु के दक्षिणी राज्यों में कृषि के लिए महत्वपूर्ण है। महानदी छत्तीसगढ़ राज्य में उत्पन्न होकर पूर्व की ओर बंगाल की खाड़ी में बहती है। क्षेत्र में सिंचाई और प्रमुख बांधों के लिए महत्वपूर्ण है। नर्मदा नदी सतपुड़ा रेंज से पश्चिम की ओर अरब सागर में बहती है। यह अपनी प्राकृतिक सुंदरता और नर्मदा घाटी परियोजना के लिए जानी जाती है। ताप्ती नदी सतपुड़ा रेंज से पश्चिम की ओर अरब सागर में बहती है। यह क्षेत्र की कृषि और सिंचाई के लिए महत्वपूर्ण है।

भारतीय भोजन अपनी समृद्ध विविधता और जीवंत स्वादों के लिए प्रसिद्ध है। यह देश की विशाल सांस्कृतिक और क्षेत्रीय विविधताओं को दर्शाता है। भारत के भोजन में मसालों, जड़ी-बूटियों और सामग्रियों की एक विस्तृत श्रृंखला है जो जटिल और सुगंधित व्यंजन बनाती है। उत्तर की मसालेदार करी से लेकर दक्षिण के तीखे और नारियल आधारित व्यंजनों तक, भारतीय व्यंजन सभी के लिए कुछ न कुछ प्रदान करते हैं। लोकप्रिय व्यंजनों में बिरयानी, डोसा, समोसे और विभिन्न प्रकार की ब्रेड जैसे नान और रोटी शामिल हैं। भारतीय भोजन में गुलाब जामुन और जलेबी सहित कई तरह की मिठाइयाँ भी शामिल हैं। भोजन का आनंद अक्सर अचार, रायता और चटनी जैसी कई तरह की चीजों के साथ लिया जाता है। यह पाक विविधता भारतीय भोजन को देश की सांस्कृतिक विरासत का एक जीवंत और अभिन्न अंग बनाती है।

भारत एक भाषाई रूप से विविधतापूर्ण देश है, जिसके विशाल विस्तार में बोली जाने वाली भाषाओं की समृद्ध विविधता है। भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में 22 आधिकारिक रूप से मान्यता प्राप्त भाषाएँ हैं। भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में 22 आधिकारिक असमिया, बंगाली, बोडो, डोगरी, गुजराती, हिंदी, कन्नड़, कश्मीरी, कोंकणी, मैथिली, मलयालम, मणिपुरी, मराठी, नेपाली, उड़िया, पंजाबी, संस्कृत, संथाली, सिंधी, तमिल, तेलुगू, उर्दू है। प्रत्येक क्षेत्र की अपनी अलग भाषा या बोली होती है, जो उसकी सांस्कृतिक विरासत को दर्शाती है। देवनागरी लिपि में लिखी जाने वाली हिंदी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है, जबकि सरकारी और कानूनी उद्देश्यों के लिए अंग्रेजी एक सहयोगी आधिकारिक भाषा के रूप में कार्य करती है। कन्नड़, पंजाबी और गुजराती जैसी क्षेत्रीय भाषाएँ भी अपने-अपने क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। बहुभाषावाद भारत की सांस्कृतिक समृद्धि और भाषा और क्षेत्रीय पहचान के बीच के संबंधों को भी।उजागर करता है। भाषा भारत के सामाजिक ताने-बाने का एक महत्त्वपूर्ण पहलू बन जाती है।

भारत अपने जीवंत और विविध त्योहारों के लिए प्रसिद्ध है, जिन्हें पूरे देश में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। प्रमुख त्योहारों में दिवाली है यह रोशनी का त्योहार है जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। होली वसंत के अपने रंगीन और हर्षोल्लासपूर्ण उत्सव के लिए जानी जाती है। ईद दावतों और प्रार्थनाओं के साथ रमजान माह के अंत को चिह्नित करती है। नवरात्रि देवी दुर्गा का सम्मान करने वाला नौ रातों का त्योहार है। अन्य महत्वपूर्ण त्योहारों में क्रिसमस, पोंगल और दुर्गा पूजा शामिल हैं। ये त्यौहार भारत की समृद्ध सांस्कृतिक और धार्मिक विविधता को दर्शाते हैं, जो लोगों को हर्षोल्लासपूर्ण उत्सव, दावत और विभिन्न पारंपरिक अनुष्ठानों में एक साथ लाते हैं।

विविधता में एकता भारत की एक परिभाषित विशेषता है, जहाँ अनेक संस्कृतियाँ, भाषाएँ, धर्म और परंपराएँ सौहार्दपूर्वक सह-अस्तित्व में हैं। अपने लोगों के बीच भारी मतभेदों के बावजूद, भारत विभिन्न जातीयताओं और मान्यताओं के जीवंत ताने-बाने के रूप में खड़ा है। यह देश एक साझा राष्ट्रीय पहचान से एकजुट है। यह सिद्धांत देश के विविध त्योहारों के उत्सव, विभिन्न सांस्कृतिक प्रथाओं के प्रति सम्मान और विभिन्न क्षेत्रीय परंपराओं में दिखाई भी देता है। भारत की ताकत अपनेपन और साझा उद्देश्य की भावना को बढ़ावा देती है। विविधता में यह एकता भारत के सामाजिक सामंजस्य को बढ़ाती है और इसकी समृद्ध विरासत में योगदान देती है।

भारत एक ऐसा अद्भुत देश है जिसमें संस्कृतियों, जातियों, पंथों और धर्मों का एक समृद्ध मिश्रण है,ह अपनी विरासत, मसालों और इसे अपना घर कहने वाले लोगों के लिए प्रसिद्ध है। विविधता और एकता का यह मिश्रण ही है जिसकी वजह से भारत को अक्सर एक ऐसे स्थान के रूप में वर्णित किया जाता है जहाँ विविधता में एकता पनपती है। भारत आध्यात्मिकता, दर्शन, विज्ञान और प्रौद्योगिकी में अपने योगदान के लिए प्रसिद्ध है।

भारत पर 10 लाइन (10 Lines Essay on India in Hindi) यहां दी गई हैं –

  • भारत या एशिया में एक प्रायद्वीपीय देश है। भारत देश तीन तरफ से पानी से घिरा हुआ है।
  • अन्य देशों की तुपना में कुल क्षेत्रफल के मामले में भारत दुनिया का 7वां सबसे बड़ा देश है।
  • भारत की जनसंख्या लगघग 1.4286 बिलियन है। यह चीन की 1.4257 बिलियन की तुलना में दुनिया में दुनिया की सबसे बड़ी आबादी है।
  • झारत कर पश्चिमी भाग में अरब सागर, दक्षिणी भाग में हिंद महासागर और पूर्व में बंगाल की खाड़ी है।
  • भारत देश का उत्तरी भाग पहाड़ों से ढका हुआ है। हिमालय दुनिया की की प्रसिद्ध पर्वत श्रृंखलाओं में से एक है।
  • भारत में कई छोटी-बड़ी नदियाँ बहती हैं। नदियों में गंगा, यमुना, ब्रह्मपुत्र, नर्मदा, गोदावरी, कावेरी आदि प्रमुख हैं। 
  • भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा झंडा है। तिरंगे में सबसे ऊपर केसरिया, बीच में सफेद और नीचे हरा रंग है। इसके बीच में अशोक चक्र बना हुआ है जिसमें 24 तीलियां हैं।
  • भारत का राष्ट्रीय प्रतीक सारनाथ में अशोक का सिंह स्तंभ है। इसके नीचे लिखा सत्यमेव जयते है जिसका अर्थ है सत्य की ही जीत होती है।
  • भारत का राष्ट्रगान जन गण मन है। राष्ट्रगान की रचना रवींद्रनाथ टैगोर ने की थी। राष्ट्रगान को गाने में 52 सेकेंड लगते हैं। 
  • भारत का राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम है जिसकी रचना बंकिम चंद्र चटर्जी के द्वारा की गई थी।

संसदीय प्रणाली वाली प्रभुता संपन्न समाजवादी धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य जिसमें 28 राज्य और 8 केंद्र शासित प्रदेश।

ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन (लगभग 1757-1947) के दौरान, ब्रिटिश भारतीय उपमहाद्वीप को “इंडिया” कहते थे। यह शब्द सिंधु नदी से लिया गया था, जो ब्रिटिश भारत की पश्चिमी सीमा को चिह्नित करती थी। ब्रिटिश औपनिवेशिक प्रशासन ने आधिकारिक नाम के रूप में “इंडिया” का इस्तेमाल किया।

दुनिया भर में भारत विविधता में एकता का प्रतिनिधि है। भारत विभिन्न संस्कृतियों, जातियों, पंथों, धर्मों की भूमि है; अनेक मतभेदों के बावजूद हम सौहार्दपूर्वक रहते हैं। भारतीय शांतिप्रिय हैं और संकट के समय लोगों की मदद के लिए आगे आते हैं। हम “अतिथि देवो भव” के आदर्श वाक्य में विश्वास करते हैं, जिसका अर्थ है कि हमारे मेहमान हमारे भगवान हैं और हमारे देश में आने वाले पर्यटकों के प्रति विशेष रूप से सहायक और दयालु हैं। हमारा देश एक जीवंत देश है जो मेहनती लोगों, समृद्ध वनस्पतियों और जीवों और एक अद्भुत विरासत का घर है। मेहनती नागरिकों का प्रमाण, भारत धीरे-धीरे और लगातार दुनिया की महाशक्तियों में से एक बन रहा है।

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वायु प्रदूषण पर निबंध (Essay On Air Pollution In Hindi)

Essay On Air Pollution In Hindi

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वायु प्रदूषण पर 10 लाइन (10 Lines On Air Pollution In Hindi)

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जीवन जीने के लिए हमारा साँस लेना जरूरी है उसके लिए वायु का शुद्ध होना जरूरी है लेकिन समस्या की बात है कि जिस जीवन की ओर आगे बढ़ने के लिए हम जिस हवा में साँस ले रहे हैं वो हमें धीरे-धीरे जीवन से दूर कर रही है। यह बात सुनने में जितनी चिंताजनक लग रही है वास्तव में यह समस्या उससे कहीं ज्यादा बड़ी है। दुनिया भर में अलग अलग प्रकार के प्रदूषण की समस्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है, चाहे वो जल प्रदूषण हो, वायु प्रदूषण हो या वायु प्रदूषण हो सभी के प्रभाव से मानव जाती के साथ-साथ हर जीवित पर चीज पर बुरा असर पड़ रहा है। इन दिनों वायु प्रदूषण एक ऐसी समस्या है जो हमारे देश और दुनिया के लिए एक गहरी समस्या का विषय है। यह एक ऐसी गंभीर समस्या है जो हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित करती है और अपने साथ इससे जुड़ी और भी कई परेशानियां साथ लेकर आती है। वायु प्रदूषण के मुख्य कारण है जैसे गाड़ियां और उद्योगों से निकलने वाले धुएं, बाजारों में बिकने वाले प्लास्टिक के बैग्स, दूषित पानी और वायु प्रबंधक आदि है। इन सभी कारणों के चलते वायु प्रदूषण बढ़ता जा रहा है जो हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक है, क्योंकि ये इंसानों के फेफड़ों से जुड़ी कई बीमारियां उत्पन्न करता है। इस निबंध में वायु प्रदूषण के प्रभाव और उसको रोकने के तरीके भी बताए गए हैं। 

अगर आप काम शब्दों में वायु प्रदूषण पर निबंध या पैराग्राफ लिखना चाहते हैं तो नीचे दिए गए वायु प्रदूषण पर 10 लाइन जरूर पढ़ें। 

  • वातावरण की हवा में घुली हानिकारक गैसों और अशुद्ध कणों से वायु प्रदूषण होता है।
  • इसके मुख्य कारण विज्ञान और तकनीक से बढ़ती जनसंख्या और औद्योगीकरण है। 
  • इसके कारण अस्थमा, फेफड़ों के रोग, खांसी आदि बीमारियां बढ़ रही हैं। 
  • वायु प्रदूषण का सीधा असर मौसम पर पड़ता है। 
  • वायु प्रदूषण वनस्पति और पेड़-पौधों को नुकसान पहुंचाता है। 
  • इसको नजरअंदाज करने से गंभीर समस्या उत्पन्न हो सकती है। 
  • इस प्रदूषण का जिम्मेदार इंसान ही है। 
  • सरकार द्वारा इस प्रदूषण को कम करने के लिए योजनाएं आनी चाहिए। 
  • इंसान ही नहीं पर्यावरण और पक्षियों व अन्य जीवों पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ रहा है। 
  • इसका असर लोगों की औसत आयु पर पड़ रहा है। 

वायु प्रदूषण एक मुख्य समस्या है और यदि आपके बच्चे को इस विषय पर 200 से 300 शब्दों में निबंध लिखने को मिला है, तो उन्हें नीचे दिए गए शॉर्ट एस्से का सुझाव दे सकते हैं। 

जैसा कि आप जानते हैं, वायु प्रदूषण एक बड़ी समस्या है जो दुनिया भर में स्थायी नहीं है। देश के कई शहरों में वायु प्रदूषण की स्थिति खराब होती जा रही है। इस प्रदूषण के कारण अस्थमा और फेफड़ों के रोगों जैसी बिमारियों के लिए खतरनाक हो सकता है। ऐसा माना जा रहा है कि इन दिनों कई शहरों की वायु गुणवत्ता इतनी खराब होती जा रही है कि शहर के निवासियों की औसत आयु कम होती जा रही है। वायु प्रदूषण का मुख्य कारण वाहन और कारखानों से आने वाले टॉक्सिन होते हैं। इसके अलावा कचरे के ढेर, प्लास्टिक का उपयोग, जीवाश्म ईंधन का अधिक दोहन और जंगल की आग भी वायु प्रदूषण का मुख्य कारण हो सकते हैं। वायु प्रदूषण आज पूरी दुनिया भर में एक अहम मुद्दा बन चुका है इसके कारण प्रत्येक देश इसके हानिकारक प्रभावों को झेल रहा है। लोग सिर्फ अपने उद्योग कामों की तरफ ध्यान दे रहे हैं उनको पर्यावरण की बिलकुल भी चिंता नहीं है। 

Vayu Pradushan par nibandh

अगर आप अपने बच्चे को किसी निबंध प्रतियोगिता में भाग दिला रही हैं जिसमें उसे 400 से 500 शब्दों के बीच हिंदी में वायु प्रदूषण पर निबंध लिखना है तो आप उन्हें इस लॉन्ग एस्से का सुझाव दे सकती हैं। इससे वो लिखने के तरीके और सही शब्दों का इस्तेमाल करना सीखेगा। 

वायु प्रदूषण क्या है? (What Is Air Pollution?)

वायु प्रदूषण एक ऐसी गंभीर समस्या है जिसमें हवा में कई प्रकार के धुएं, धूल और धुओं में मौजूद जहरीले पदार्थ मिल जाते हैं। इस जहरीले धुएं के कारण हवा की गुणवत्ता बिगड़ती है और साथ ही सांस लेने की वजह से हानिकारक हवा हमारे शरीर में भी प्रवेश कर जाती है। वायु प्रदूषण की समस्या शहरों में अधिक होती है क्योंकि यहाँ गाड़ियां, कारखाने, औधोगिक गतिविधियां अधिक होती हैं। वायु प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण हमारी अनुचित वातावरण व्यवस्था है। इसके कारण लोगों के श्वसन तंत्र पर बुरा असर पड़ रहा है। इसके बढ़ते प्रकोप के कारण कई तरह की बिमारियों की संख्या प्रतिदिन बढ़ती जा रही है जैसे अस्थमा, फेफड़ों में खराबी, सांस लेने में तकलीफ आदि। इस समस्या को रोकने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाना जरूरी है ताकि आने वाली पीढ़ी को इससे बचाया जा सके। 

वायु प्रदूषण के कारण (Reasons For Air Pollution) 

वायु प्रदूषण को बढ़ावा देने के वैसे तो कई कारण हैं लेकिन कुछ अहम कारण हैं जिनकी वजह से देश में इसका खतरा बढ़ता जा रहा है। ये रहे वो कारण –

  • पुराने ईंधन का जलना 
  • इंडस्ट्री से निकलने वाले जहरीले धुएं 
  • सिगरेट का धुआं  
  • जंगलों में लगने वाली आग 
  • पेड़-पौधों का कटना 
  • गंदा कचरा बाहर फेंकना 
  • बढ़ता यातायात 
  • निर्माण और तोड़-फोड़ करने वाले कार्य 
  • कृषि गतिविधियों में इस्तेमाल होने वाले उर्वरक या कीटनाशक 
  • रासायनिक और सिंथेटिक उत्पादों का उपयोग

वायु प्रदूषण के परिणाम (Consequences Of Air Pollution)

  • वायु प्रदूषण की वजह से शहरों और गांव दोनों जगह हवा की गुणवत्ता खराब होती जा रही है। 
  • वायु प्रदूषण के प्रभाव से लोग बीमार हो रहे हैं, जिससे सांस लेने में तकलीफ होती है और कैंसर की संभावना बढ़ जाती है।
  • वायु प्रदूषण की वजह से कई गंभीर बिमारियों जैसे अस्थमा, फेफड़ों के खराबी, कैंसर आदि खतरा बढ़ रहा है। 
  • जहरीला धुआं सिर्फ शहरों ही नहीं जंगलों पर भी प्रभाव डाल रहा है जिसका असर जानवरों और पेड़-पौधों पर नजर आता है। 
  • वायु प्रदूषण की वजह से लोगों की औसत उम्र कम होती जा रही है। 
  • वायु प्रदूषण के कारण जलवायु पर भी बुरा असर पड़ रहा है। 

वायु प्रदूषण को रोकने के उपाय (Ways To Prevent Air Pollution)

वैसे तो वायु प्रदूषण की स्थिति गंभीर होती जा रही है। लेकिन, अभी भी कुछ ऐसे तरीके हैं जिनसे हवा से वायु प्रदूषकों की संख्या कम की जा सकती है।

  • पुनर्वनीकरण (रिफॉरेस्टेशन) – अधिक से अधिक पेड़-पौधे लगाकर वायु की गुणवत्ता में सुधार लाया जा सकता है क्योंकि वे हवा को साफ और फिल्टर करते हैं।
  • उद्योगों के लिए नियम बनाना – देशों में गैसों के फिल्टर से संबंधित उद्योगों के लिए सख्त नियम लागू करने चाहिए। जिसकी वजह से कारखानों से निकलने वाले रासायनिक पदार्थों को कम कर सकते हैं।
  • पर्यावरण-अनुकूल ईंधन का उपयोग – हमें पर्यावरण-अनुकूल ईंधन जैसे एलपीजी (तरलीकृत पेट्रोलियम गैस), सीएनजी (संपीड़ित प्राकृतिक गैस), बायो-गैस और अन्य पर्यावरण-अनुकूल ईंधन के उपयोग को अपनाना चाहिए। ऐसा करने से हम हानिकारक जहरीली गैसों की मात्रा को कम कर सकते हैं।

हम कह सकते हैं कि जिस हवा में हम सांस ले रहे हैं वह दिन-प्रतिदिन अधिक प्रदूषित होती जा रही है। वायु प्रदूषण को बढ़ाने में सबसे बड़ा योगदान पुराने ईंधन का है जो नाइट्रिक और सल्फ्यूरिक ऑक्साइड का उत्पादन करते हैं। लेकिन, अब लोगों ने इस बढ़ती समस्या को गंभीरता से लेना शुरू कर दिया है और अपने द्वारा उत्पादित की गई समस्या को खत्म करने के लिए कई उपायों और योजनाओं पर काम करना शुरू कर दिया है।

  • हर साल वायु प्रदूषण दुनिया भर में लगभग 70 लाख असामयिक मौतों का कारण होता है। 
  • बच्चों पर वायु प्रदूषण का अधिक प्रभाव पड़ता है और इसके संपर्क में आने से सांस संबंधी रोग, कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती है।  
  • घर के अंदर का वायु प्रदूषण बाहरी वायु प्रदूषण से 10 गुना तक अधिक खराब हो सकता है। 
  • वायु प्रदूषण की वजह से एसिड रेन का खतरा बढ़ता है, जो कि इमारतों, जंगलों और पानी में रहने वाले जानवरों को नुकसान पहुंचाती है। 
  • यह प्रदूषण वातावरण में गर्मी को रोक लेता है और जिसके कारण ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन होता है। 
  • 90 प्रतिशत लोग यानी की लगभग 6.9 अरब लोग हर दिन प्रदूषित हवा में सांस लेते हैं।
  • वायु प्रदूषण स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़े पर्यावरणीय खतरों में से एक है।

बच्चे हमारे समाज का भविष्य हैं और उन्हें वायु प्रदूषण से होनी वाली समस्या के बारे में ज्ञात होना चाहिए ताकि वे इस समस्या को गंभीरता से लें। इस निबंध का मुख्य उद्देश्य बच्चों को वायु प्रदूषण के प्रभावों के बारें में बताना है और साथ ही उन्हें इसे रोकने के उपायों को भी समझाना है। ताकि भविष्य में वह पर्यावरण को बचाने के लिए खुद भी सही कदम उठाए और वह इस विषय पर अच्छे शब्दों का इस्तेमाल कर के निबंध का रूप भी दे सकते हैं। 

यहाँ वायु प्रदूषण से जुड़े ऐसे कई सवालों के जवाब दिए गए, जो आपका बच्चा जानना चाहेगा।

1. भारत में सर्वाधिक वायु प्रदूषित शहर कौन सा है ?

भारत में बेगूसराय, बिहार सर्वाधिक वायु प्रदूषित शहर है। 

2. भारत में कौन सा शहर सबसे कम वायु प्रदूषित है?

इंफाल, मणिपुर भारत में सबसे कम वायु प्रदूषित शहर है। 

3. विश्व का सर्वाधिक वायु प्रदूषित शहर कौन सा है ?

ओसोर्नो, चिली विश्व का सबसे अधिक प्रदूषित शहर है। 

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वन और वन्य जीवन संरक्षण पर निबंध Essay on Conservation of Forest and Wildlife in Hindi

संरक्षण के प्रयासो द्वारा पेड़, पौधो, पक्षियों की प्रजातीयां सुरक्षित रहती है एवम फलति फूलती है, जो हमारे पर्यावरण के लिए बहुत लाभदायक है। जंगली जानवरों की प्रजातीयां भी सुरक्षित रहे तो यह भी अति उपयोगी है।

Table of Content

वन और वन्य जीवन के संरक्षण से हमें क्या लाभ है? What are the Benefits of Conservation of Forest and Wildlife?

चूंकी मनुष्य प्रलोभी है, हर कार्य में अपना स्वार्थ देखता है, वन्यजीवन संरक्षण के बारे में भी जब सोचते है तो यही सवाल हमारे मन मे आते है। पानी, हवा, मिट्टि – तीनो ही पर्यावरण के अभिन्न अंग है। पानी जिसे हम पीते है और अनगिनत कार्यों में इस्तेमाल करते है, जिसके बिना हमारे जीवन की कल्पना करना भी संभव नही है।

हवा, जिसमें घुला होता है पेड़ो द्वारा निर्मित ऑक्सिजन, जिससे हमारी साँसे चलती है। मिट्टि, वो उपजाऊ मिट्टि जिसमें हम तरह तरह के अनाज, दाले, फल, सब्ज़ीयाँ आदी उगाते है, इन सभी से हमारे शरीर को पोषण मिलता है, स्वास्थ बना रहता है और नित नए व्यंजनो का स्वाद चखते है।

पर्यावरण में ही प्रकृती की सच्चि सुंदरता है – हरे हरे लहलहाते बाग़, भिन्न भिन्न प्रकार के पशु पक्षियों की प्रजातीयाँ जो मन मोहती है – यही तो वास्तविक लालित्य है। अगर यही नही बचा तो हमारे पास क्या शेष रह जाऐगा, सूखी बेजान बंजर ज़मीन और ख़राब आबोहवा, मनुष्य द्वारा बनाई गई वस्तुऐ तो सब कृत्रिम है, उनमें वो आँखो को ठंडक देने वाला रंग रूप कहाँ !!

वन और वन्य जीवन के संरक्षण की आवश्यकता क्यों? Why Conservation of Forest and Wildlife

पशुओ के मुलायम रुए से बने वस्त्र बहुत आर्कषित करते है, चाहे इसके लिए किसी बेज़ूबान की जान ही क्यों न लेनी पड़े, इस बात से मनुष्य को कोई फर्क नहीं पड़ता। मनुषय यह नहीं सोचता के इनमें भी जान है, इनको भी कष्ट होता है, बस आँखे मूंद के अपना स्वार्थ पूरा करने में लगा है।

सन 2003 ई. में कानून को संशोधित करके भारतीय वन्य जीव संरक्षण (संशोधित) अधिनियम 2002 में बदल दिया गया। यह कानून पशु, पक्षि, पौधो की प्रजातीयों के अवैध शिकार एवम व्यापार को रोकने का भरपूर प्रयास करता है।

अवैध कार्यकलाप वन विभाग में मौजूदा भ्रष्टाचार को दर्शाते है, अगर निपुणता से कार्य करे तो यह सब संभव ही न हो। सरकार द्वारा कई राज्यों में राष्ट्रीय उद्दान एवम वन्यजीव अभ्यारण स्थापित किए जा चुके है, जो कि सुचारू रूप से आज भी कार्यरत है, लक्ष्य एक ही था और है – वनो और वन्यजीवन को सुरक्षित करना, बचाए रखना। इन समस्याओं को कम करने के लिए सरकार के साथ साथ बहुत सारे गैरसरकारी विभाग भी बढ़ चढ़कर आगे आते है।

वन और वन्यजीवन के विनाश से पड़ने वाले प्रभाव Impact of the destruction of forests and wildlife

वनों एवम वन्यजीवन की महत्वता को देखते हूए, इसके रख रखाव और संरक्षण को अत्यधिक प्राथमिकता देनी चाहिए। यह तथ्य भी स्पष्ट होना चाहिए के वन्यजीवन संरक्षण किसी एक के प्रयासो से संभव नही है, सभी की कड़ी मेहनत से ही अच्छे परिणाम आएंगे।

केवल सरकार के सक्रिय होने से कुछ नही होगा, हमें देश का नागरिक होने के नाते अपना कर्तव्य समझना होगा। आज हम विज्ञान के क्षेत्र में इतना आगे बढ़ चुके है, तकनीकी रूप से इतने सक्षम है, क्या हम अपनी बुद्धिमता को पर्यावरण को सुरक्षित करने हेतू उपयोग नही कर सकते।  

पर्यावरण, जिसके दम पर हमारा जीवन है, अगर उसको ही अपने हाथो से नष्ट करेंगे तो फिर अंत तो दुर्भाग्यपूर्ण ही होगा।

वन और वन्यजीवन की रक्षा कैसे कैसे? How to Save and Conserve our Forest and Wildlife

कहने का तात्पर्य यह है के हम भी अपनी छोटी छोटी कोशिशों से अपनी भुमिका निभा सकते है, जैसे के –

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जंगली (वन्य) जीव पर निबंध / Essay on Wild Animals in Hindi

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जंगली (वन्य) जीव पर निबंध –  Essay on Wild Animals in Hindi!

संसार के विभिन्न भागों में बड़े-बड़े जंगल पाए जाते हैं । इन जंगलों में जंगली जीव निवास करते हैं । जंगली जीवों को अपने आवास से भोजन एवं सुरक्षा प्राप्त होती है । लेकिन जैसे-जैसे जंगल कटते जा रहे हैं वैसे-वैसे इनकी संख्या में कमी आती जा रही है |

जंगल में बड़े आकार वाले भयानक एवं हिंसक जीवों का निवास होता है । हाथी जंगल का एवं भूमि का सबसे बड़ा जीव है लेकिन यह शाकाहारी होता है । शेर, बाघ, भालू, चीता, लोमड़ी, अजगर आदि बड़े शरीर वाले जीव मांसाहारी होते हैं । शेर को जंगल का राजा माना जाता है क्योंकि यह बहुत शक्तिशाली होता है तथा इसकी चाल बड़ी रोबीली होती है । वन में हाथी ही एकमात्र जीव है जो इसका सामना करने की सामर्थ्य रखता है । इसीलिए मनुष्य हाथी पर सवार होकर जंगल भ्रमण पर निकलते हैं । हाथियों को देखकर शेर उनके पास नहीं आता है ।

जंगल में जहाँ बड़े खूँखार जीव रहते हैं वहीं जिराफ हिरन नीलगाय बंदर जैसे शाकाहारी जीवों की संख्या भी कम नहीं होती । शाकाहारी जंगली जीव वन में उपलब्ध हरी पत्तियों फलों एवं घास खाकर जीवित रहते हैं । मांसाहारी हिंसक जीव अपेक्षाकृत छोटे या कम शक्तिशाली जीवों का शिकार करते हैं एवं उनका मांस खाते हैं । इस प्रकार जंगल में आहार की एक संतुलित शृंखला है जो जंगल के अस्तित्व को बनाए रखने में मदद करती है ।

वन्य प्राणियों में विभिन्न प्रकार के पक्षियों एवं सरीसृपों का भी प्रमुख स्थान होता है । जंगलों में तोता, मोर, कौआ,कबूतर, चील, बाज, मैना, गौरैया जैसे सभी प्रमुख पक्षी निवास करते हैं । इनके अतिरिक्त विभिन्न प्रकार के साँप, बिच्छू, गिलहरी एवं भयंकर आकृति वाले कीड़े यहाँ बड़ी संख्या में रहते हैं । मधुमक्खियाँ तितलियाँ भौरई बर्रे जैसे उड़ने वाले कीट-पतंगे वन की शोभा बढ़ाते हैं ।

ADVERTISEMENTS:

जंगल में चारों ओर हरियाली होती है । यहाँ भांति- भांति के पेड़ होते हैं जिन पर पक्षियों, बंदरों, गिलहरियों, साँपों आदि का निवास स्थान होता है । बंदर पेड़ की शाखाओं पर रहता है, पक्षी पड़ा पर घोंसला बनाते हैं, साँप पेड़ के कोटरों में रहते हैं । हाथी, नीलगाय, जिराफ, हिरन जैसे जीव किसी अनुकूल स्थान पर अपने-अपने समूहों में रहते हैं । शेर गुफा में रहना पसंद करता है । पानी के लिए जंगली जीव जंगल के झरनों, तालाबों या नदियों पर निर्भर होते हैं ।

जंगली जीव न केवल जंगल की शोभा बढ़ाते हैं, अपितु इसकी रक्षा भी करते हैं । परंतु औद्‌योगीकरण एवं अन्य मानवीय आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए पिछले कुछ दशकों में जंगलों का भारी विनाश हुआ है । परिणामस्वरूप जंगली जीवों का जीवन संकटग्रस्त हो गया है । कई जंगली जीव तो ऐसे हैं जिनकी जाति ही नष्ट होती जा रही है ।

ज्यों-ज्यों वन सिकुड़ते जा रहे हैं, त्यों-त्यों इनके अस्तित्व पर खतरा मँडराता जाता है । विलुप्त होते जा रहे जंगली जीवों को बचाने के लिए सरकार ने कठोर नियम बनाए हैं । दुर्लभ जंगली जीवों के शिकार पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है । इन्हें समुचित आवास उपलब्ध कराने तथा संरक्षित रखने के लिए देश भर में वन्य जीव अभयारण्यों तथा प्राणी उद्‌यानों की स्थापना की गई है ।

कुछ लालची लोग अपने तात्कालिक लाभ के लिए दुर्लभ जंगली जीवों को मार देते हैं । बाघों को उनकी खाल के लिए, हाथियों को उनके दाँत के लिए, कस्तुरी मृगों को कसूरी के लिए तथा कुछ जन्तुओं को मांस के लिए मौत की नींद सुला दिया जाता है । कुछ जंगली जीव जब स्वभाववश वन से बाहर निकलकर खेतों में भटकते हैं तो ग्रामीण लोग उन्हें मार डालते हैं । इस तरह की गतिविधियों पर सख्ती से रोक लगाने की आवश्यकता है ।

जंगली जीवों की सुरक्षा का सर्वोत्तम उपाय है वनों के क्षेत्रफल में वृद्धि करना । यदि विस्तृत वन क्षेत्र होंगे तो वन्य प्राणी उसमें स्वच्छंदतापूर्वक निवास कर सकते हैं । अत: इस दिशा में गंभीरतापूर्वक कार्य करने की आवश्यकता है ।

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वन/वन संरक्षण पर निबंध- Essay on Forest, conservation, save trees, plant trees, deforestation in Hindi

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  • वन/वन संरक्षण पर निबंध

वन/वन संरक्षण पर निबंध – वन प्राणियों के लिए कितने आवश्यक हैं, ये सभी को पता है। कहा भी गया है कि वन ही जीवन है। इतना समझने के बावजूद भी दिन-प्रतिदिन वनों की अंधाधुंध कटाई होती है। यह समस्या दिन-प्रतिदिन विकराल रूप धारण करती जा रही है। इस लेख में हम इसी गंभीर समस्या पर निबंध ले कर आए हैं। आशा करते हैं कि यह निबंध जितना आपकी परीक्षाओं में सहायक होगा, उतना ही आपको वनों के संरक्षण के प्रति जागरूक करने में भी प्रेरक सिद्ध होगा।

forest

संकेत बिंदु  – (Content)

प्रस्तावना वन शब्द की उत्पत्ति वनों के प्रकार वनों का महत्त्व वनों की सार्वकालिक उपयोगिता वनों से मानव को लाभ (प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष) वनों की कटाई की समस्या भारत में वनों की स्थिति वन संरक्षण आवश्यक उपसंहार   प्रस्तावना जंगल मूल रूप से भूमि का एक टुकड़ा है जिसमें बड़ी संख्या में वृक्ष और पौधों की विभिन्न किस्में शामिल हैं। प्रकृति की ये खूबसूरत रचनाएँ जानवरों की विभिन्न प्रजातियों के लिए घर का काम करती हैं। घने पेड़ों, झाड़ियों, श्लेष्मों और विभिन्न प्रकार के पौधों द्वारा कवर किया गया, एक विशाल भूमि क्षेत्र को वन के रूप में जाना जाता है। दुनिया भर में विभिन्न प्रकार के वन हैं। ये अपने-अपने प्रकार की मिट्टी, पेड़ों और वनस्पतियों और जीवों की अन्य प्रजातियों के आधार पर वर्गीकृत किए गए हैं। जंगल पृथ्वी के पारिस्थितिक तंत्र का एक अनिवार्य हिस्सा हैं। वे ग्रह की जलवायु को बनाए रखने में मदद करते हैं, वातावरण को शुद्ध करते हैं, वाटरशेड की रक्षा करते हैं। वे जानवरों के लिए एक प्राकृतिक आवास और लकड़ी के एक प्रमुख स्रोत हैं जो कि हमारे दिन-प्रतिदिन जीवन में उपयोग किए जाने वाले कई उत्पादों के उत्पादन के लिए उपयोग की जाती है। वन पृथ्वी पर जैव विविधता को बनाए रखता है और इस प्रकार वन ग्रह पर एक स्वस्थ वातावरण बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है।

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वन शब्द की उत्पत्ति

वन शब्द की उत्पत्ति फ्रांसीसी शब्द से हुई है जिसका मतलब है कि बड़े पैमाने पर पेड़ों और पौधों का प्रभुत्व होना। इसे अंग्रेजी के एक ऐसे शब्द के रूप में पेश किया गया था जो कि जंगली भूमि को संदर्भित करता है जिसको लोगों ने शिकार के लिए खोजा था। इस भूमि पर पेड़ों द्वारा कब्जा हो भी सकता है या नहीं भी हो सकता। कुछ लोगों ने दावा किया कि जंगल शब्द मध्यकालीन लैटिन शब्द ‘फोरेस्टा’ से लिया गया था जिसका अर्थ था खुली लकड़ी। मध्यकालीन लैटिन में यह शब्द विशेष रूप से राजा के शाही शिकार के लिए प्रयुक्त मैदानों को संबोधित करने के लिए इस्तेमाल किया गया था।

वनों के प्रकार

दुनिया भर के वनों को विभिन्न श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है। यहाँ विभिन्न प्रकार के वनों का संक्षिप्त परिचय दिया गया है, जिससे आपको इन वनों के बारे में मूल जानकारी प्राप्त हो सके। ये वन पृथ्वी के पारिस्थितिक तंत्र का एक हिस्सा बनाते हैं – (1) ऊष्णकटिबंधीय वर्षा वन – ये बेहद घने जंगल हैं और इनमें बड़े पैमाने पर सदाबहार वृक्ष शामिल होते हैं, जो हर साल हरे भरे रहते हैं। इन वनों में वर्ष भर में बहुत अधिक बारिश होती है लेकिन फिर भी तापमान यहाँ अधिक है क्योंकि ये भू-मध्य रेखा के निकट स्थित हैं। (2) उप-उष्णकटिबंधीय वन – ये जंगल उष्णकटिबंधीय जंगलों के उत्तर और दक्षिण में स्थित हैं। ये जंगल ज्यादातर सूखा जैसी स्थिति का अनुभव करते हैं। यहाँ के पेड़ और पौधें गर्मियों में सूखे के अनुकूल होते हैं। (3) पर्णपाती वन – ये जंगल मुख्य रूप से उन पेड़ों के घर हैं, जो हर साल अपने पत्ते खो देते हैं। पर्णपाती वन ज्यादातर उन क्षेत्रों में हैं, जो हल्की सर्दियों और गर्मियों को अनुभव करते हैं। ये यूरोप, उत्तरी अमेरिका, न्यूजीलैंड, एशिया और ऑस्ट्रेलिया सहित दुनिया के विभिन्न हिस्सों में पाए जा सकते हैं। वालनट, ओक, मेपल, हिकॉरी और चेस्टनट पेड़ अधिकतर यहाँ पाए जाते हैं। (4) टेम्पेरेट वन – टेम्पेरेट वनों में पर्णपाती और शंकुधारी सदाबहार पेड़ों का विकास होता है। पूर्वोत्तर एशिया, पूर्वी उत्तरी अमेरिका और पश्चिमी पूर्वी यूरोप में स्थित इन जंगलों में पर्याप्त वर्षा होती है। (5) मोंटेन वन – ये बादल वनों के रूप में जाने जाते हैं, ऐसा इसलिए है क्योंकि इन जंगलों में अधिकतर बारिश धुंध से होती है, जो निचले इलाकों से होती है। ये ज्यादातर उष्णकटिबंधीय, उप उष्णकटिबंधीय और समशीतोष्ण क्षेत्रों में स्थित हैं। इन जंगलों में ठंड के मौसम के साथ-साथ गहन धूप का अनुभव होता है। इन वनों के बड़े भाग पर कोनीफर्स का कब्जा है। (6) बागान वन – ये मूल रूप से बड़े खेत हैं, जो कॉफी, चाय, गन्ना, तेल हथेलियों, कपास और तेल के बीज जैसे नकदी फसलों का उत्पादन करते हैं। बागान वन के जंगलों में लगभग 40% औद्योगिक लकड़ी का उत्पादन होता है। ये टिकाऊ लकड़ी और फाइबर के उत्पादन के लिए विशेष रूप से जानी जाती हैं। (7) भूमध्य वन – ये जंगल भूमध्यसागरीय, चिली, कैलिफ़ोर्निया और पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया के समुद्र तट के आसपास स्थित हैं। इनमें सॉफ्टवुड और दृढ़ लकड़ी के पेड़ों का मिश्रण है और लगभग सभी पेड़ सदाबहार हैं। (8) शंकुधारी वन – ये जंगल ध्रुवों ​​के पास पाए जाते हैं, मुख्य रूप से उत्तरी गोलार्ध और वर्ष भर में ठंड और हवा के मौसम का अनुभव करते हैं। ये दृढ़ लकड़ी और शंकुवृक्ष के पेड़ों के विकास का अनुभव करते हैं। पाइंस, फर, हेमलॉक्स और स्प्रूस का विकास यहाँ एक आम दृश्य है। शंकुवृक्ष के पेड़ सदैव सदाबहार होते हैं और यहाँ सूखे जैसी स्थिति को अच्छी तरह से अनुकूलित किया जाता है।

वनों का महत्त्व

कहा जाता है कि प्रकृति और मानव-सृष्टि के सन्तुलन का मूल आधार वन ही हैं। वन पारिस्थितिक तंत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। जंगलों को संरक्षित करने और अधिक पेड़ों का विकास करने की आवश्यकता पर अक्सर जोर दिया जाता है। ऐसा करने के कुछ प्रमुख कारण निम्नानुसार हैं – (i) वन तरह-तरह के फल-फूलों, वनस्पतियों, वनौषधियों और जड़ी-बूटियों की प्राप्ति का स्थल तो हैं ही, धरती पर जो प्राण-वायु का संचार हो रहा है उसके समग्र स्रोत भी वन ही हैं। (ii) वन धरती और पहाड़ों का क्षरण रोकते हैं। नदियों को बहाव और गतिशीलता प्रदान करते हैं। (iii) वन बादलों और वर्षा का कारण हैं। (iv) तरह-तरह के पशु-पक्षियों की उत्पत्ति, निवास और आश्रय स्थल हैं। (v) छाया के मूल स्रोत हैं। (vi) इमारती लकड़ी के आगार हैं। (vii) मनुष्य की ईंधन की आवश्यकता की भी बहुत कुछ पूर्ति करने वाले हैं। (viii) अनेक दुर्लभ मानव और पशु-पक्षियों आदि की जातियाँ-प्रजातियाँ आज भी वनों की सघनता में अपने बचे-खुचे रूप में पाई जाती हैं। (ix) यह सामान्य सा ज्ञान है कि पौधे ऑक्सीजन लेते हैं और कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ते हैं। वे अन्य ग्रीनहाउस गैसों को भी अवशोषित करते हैं जो वातावरण के लिए हानिकारक होती हैं। (x) पेड़ और जंगल हमें पूरी हवा के साथ-साथ वातावरण की भी सफ़ाई करने के लिए मदद करते हैं। (xi) वृक्ष जंगलों से निकल रही नदियों और झीलों पर छाया का निर्माण करते हैं और उन्हें सूखने से बचाए रखते हैं। (xii) लकड़ी के अन्य सामानों में टेबल, कुर्सियां और बिस्तरों के साथ फर्नीचर के विभिन्न टुकड़े बनाने के लिए उपयोग किया जाता है। वन विभिन्न प्रकार के जंगल के स्रोत के रूप में सेवा करते हैं। (xiii) दुनिया भर के लाखों लोग सीधे या अप्रत्यक्ष रूप से अपनी आजीविका के लिए जंगलों पर निर्भर हैं। वनों के संरक्षण और प्रबंधन के लिए लगभग 10 मिलियन लोग प्रत्यक्ष रूप से कार्यरत हैं। इस प्रकार वनों के और भी अनेक जीवन्त महत्त्व एवं उपयोग गिनाए जा सकते हैं।

सार्वकालिक उपयोगिता

यह स्पष्ट है कि आरम्भ से लेकर आज तक तो वनों की आवश्यकता-उपयोगिता बनी ही रही है, आगे भी बनी रहेगी, किन्तु मानव शिक्षित, ज्ञानी होते हुए भी लगातार वनों को काट कर प्रकृति का, धरती का, सारी मानवता का सन्तुलन बिगाड़ कर सभी कुछ तहस-नहस करके रख देना चाहता है। अपने निहित स्वार्थों की पूर्ति में मग्न होकर, हम यह समझ ही नहीं पा रहे हैं कि वनों का निरन्तर कटाव जारी रखकर हम वनों को उचित संरक्षण एवं संवर्द्धन न देकर प्रकृति और मानवता का तथा अपनी ही आने वाली पीढ़ियों का कितना बड़ा अहित कर रहे हैं। जीवन को अमृत पिलाने में समर्थ धरती को रूखा-सूखा और बेजान बना देना चाहते हैं। वन बने रहें, तभी धरती पर उचित मात्रा में वर्षा होगी, नदियों की धारा प्रवाहित रहेगी, पहाड़ों और धरती का क्षरण नहीं होगा। सूखा या बाढ़ और भूकम्प जैसी प्राकृतिक आपदाओं से रक्षा होती रहेगी। आवश्यक प्राण-वायु और प्राण-रक्षक औषधियाँ-वनस्पतियाँ आदि निरन्तर प्राप्त होती रहेंगी। अनेक खनिज प्राप्त हो रहे हैं, वे भी होते रहेंगे, अन्यथा उनके स्रोत भी बन्द हो जाएँगे। वनों की उपयोगिता जैसी सदियों पहले थी आज भी वैसे ही है और आने वाले प्रत्येक वर्ष में ऐसी ही रहेगी।

वनों से मानव को लाभ

प्राचीन काल से ही वनों की उपयोगिता के बारे में सभी जानते हैं। वनों से मिलने वाले लाभों से भी सभी वाकिफ़ हैं। वनों के कुछ प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष लाभ होते हैं। प्रत्यक्ष लाभ तो सभी को सामने दिखाई देते हैं परन्तु अप्रत्यक्ष लाभ के बारे में किसी-किसी को ज्ञान होता है। वनों से प्रत्यक्ष लाभ – प्रारम्भ में वन मानव को भोजन, वस्त्र, घर सब कुछ प्रदान करते थे। फिर भी मानव ने वनों का कटान कर अपनी खेती, व बस्ती बनाई। लेकिन मानव को वनों से भोजन पकाने के लिए तथा घर बनाने के लिए लकड़ी व खाने के लिए फल मिलते रहे। मनुष्य ने अपनी सुख-सुविधा के लिए वनों पर आधारित अनेक उद्योग-धन्धे खोल लिए हैं। रबर, लाख, गोद, दियासलाई, कागज, पैकिग बोर्ड, भलाई, रेलवे आदि उद्योग वनों पर आधारित है। फर्नीचर बनाने के कारखाने वनों से ही चलते हैं। वनों के पेड़ों का सुन (गोद व लीसा) निकाल कर मानव अपनी स्वार्थ-सिद्धि करता है। वनों से अप्रत्यक्ष लाभ – वन मानव को जीवन प्रदान करते हैं। वन तो प्राणीमात्र के ऐसे सच्चे मित्र हैं कि वे उनके खतरों को स्वयं ग्रहण कर उन्हें लाभ प्रदान करते हैं। श्वास जीव मात्र का जीवन है। जब हम श्वास लेते हैं तो ओक्सीजन वायु हमारे हृदय में जाती है और हम में प्राण धारण करती है और जब हम अपने श्वास बाहर छोड़ते हैं उस समय कार्बन-डाइऑक्साइड गैस को बाहर निकालते हैं। इस श्वास प्रक्रिया में पेड़ हमारी बड़ी सहायता करते हैं। पेड़ जीवों की रक्षा के लिए ऑक्सीजन छोड़ते है और कार्बन डाइआंकसाइड को ग्रहण करते हैं। कार्बन डाइऑक्साइड मानव के लिए हानिकारक है। पेड़ के न होने से वायु में उसकी मात्रा बढ़ती जाती है, जिससे जीवमात्र के लिए खतरा पैदा हो जाता है। पेड़ों के अभाव में ऑक्सीजन का अभाव भी होने लगेगा जिससे जीवमात्र का अस्तित्व भी मिटने लगेगा। पेड़ों के द्वारा वर्षा अधिक होती है। पेड़ बादलो को अपनी ओर खींचते हैं। पेड़ हमे प्रदूषण से बचाते है। प्रदूषण से कई प्रकार के रोग पैदा होते है, वायुमण्डल दूषित हो जाता है, ओंक्सीजन नष्ट हो जाती है। पेड़ इस प्रदूषण को मिटा देते है, वे दूषित वायु को स्वयं ग्रहण कर स्वच्छ वायु हमें प्रदान करते हैं। इस स्थिति  में  पेड़ से बढ्‌कर हमारा मित्र और कौन हो सकता है। इसलिए पेड़ों की रक्षा करना हमारा धर्म है।

वनों की कटाई की समस्या

वनों की कटाई की समस्या किसी एक की समस्या नहीं है अपितु सम्पूर्ण प्राणी जगत की समस्या है। यदि इस समस्या से निपटने के लिए कुछ नहीं किया गया तो पूरा प्राणी जगत समाप्त हो जायगा। वनों की कटाई जंगल के बड़े हिस्से में इमारतों के निर्माण जैसे उद्देश्यों के लिए पेड़ों को काटने की प्रक्रिया है। इस जमीन पर फिर से पेड़ों को लगाया नहीं जाता। आंकड़े बताते हैं कि औद्योगिक युग के विकास के बाद से दुनिया भर के लगभग आधे जंगलों को नष्ट कर दिया गया है। आने वाले समय में यह संख्या बढ़ने की संभावना है क्योंकि उद्योगपति लगातार निजी लाभ के लिए वन भूमि का उपयोग कर रहे हैं। लकड़ी और वृक्षों की अन्य घटकों से विभिन्न वस्तुओं के उत्पादन के लिए बड़ी संख्या में वृक्षों को भी काटा जाता है। वनों की कटाई के कारण पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इन्हीं कारणों से मिट्टी का क्षरण, जल चक्र का विघटन, जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता का नुकसान होता है। वनों की कटाई की ओर यदि कोई ध्यान नहीं दिया गया तो यह बहुत विकराल रूप धारण कर लेगा। वन जीवन के लिए बहुत ही अहम् है जब तक हम सभी इस बात को नहीं समझ लेते वनों की कटाई रुकना असंभव है। हम वनों को काट कर अपना ही नहीं अपनी आने वाली पीढ़ियों का जीवन भी खतरे में डाल रहे हैं। प्राय: वनों के समाप्त होने का मुख्य कारण इनका अंधाधुंध काटा जाना है। बढ़ती हुई जनसंख्या की उदरपूर्ति के लिए कृषि हेतु अधिक भूमि उपलब्ध कराने के लिए वनों का काटा जाना बहुत ही साधारण बात है। वनों को इस प्रकार नष्ट करने से कृषि पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। वैज्ञानिकों के अनुसार, स्वस्थ वातावरण (पर्यावरण) के लिए 33 प्रतिशत भूमि पर वन होने चाहिए। इससे पर्यावरण का संतुलन बना रहता है। दुःख और चिंता का विषय है कि भारत में सरकारी आँकड़ों के अनुसार मात्र 19.5 प्रतिशत क्षेत्र में ही वन हैं । गैर-सरकारी सूत्र केवल 10 से 15 प्रतिशत वन क्षेत्र बताते हैं। हम यदि सरकारी आँकड़े को ही सही मान लें तो भी स्थिति संतोषजनक नहीं है। चिंता का विषय यह है कि वनों के समाप्त होने की गति वनरोपण की अपेक्षा काफी तेज है। इन सारी स्थितियों को ममझने के वाद हमें कारगर उपायों पर विचार करना होगा।

भारत में वनों की स्थिति

भारत ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, चीन, कनाडा, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, रूसी संघ, संयुक्त राज्य अमेरिका, इंडोनेशिया और सूडान के साथ दुनिया के शीर्ष दस वन-समृद्ध देशों में से एक है। भारत के साथ ये देश दुनिया के कुल वन क्षेत्र का लगभग 67% हिस्सा है। अरुणाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र उन राज्यों में से हैं जिनके पास भारत में सबसे बड़ी वन क्षेत्र भूमि है। भारत में वानिकी एक प्रमुख ग्रामीण उद्योग है। यह बड़ी संख्या में लोगों के लिए आजीविका का एक साधन है। भारत संसाधित वन उत्पादों की एक विशाल श्रृंखला का उत्पादन करने के लिए जाना जाता है। इनमें केवल लकड़ी से बने उत्पाद शामिल नहीं होते बल्कि गैर-लकड़ी के उत्पादों की पर्याप्त मात्रा भी शामिल होती हैं। गैर-लकड़ी के उत्पादों में आवश्यक तेल, औषधीय जड़ी-बूटियों, रेजिन, फ्लेवर, सुगंध और सुगंध रसायन, गम्स, लेटेक्स, हस्तशिल्प, अगरबत्तियां और विभिन्न सामग्री शामिल है।

वन संरक्षण आवश्यक

हमारे शास्त्रों में पेड़ लगाने को बड़ा पुण्य कार्य बताया गया है। एक पेड़ लगाना एक यज्ञ करने के बराबर है। वनों के प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष लाभों को देखकर उनका संरक्षण करना हमारा कर्त्तव्य है। इस शताब्दी में वनों के विनाश के कारण होने वाले खतरो को भी विज्ञान समझ गया है, इसलिए आधुनिक वैज्ञानिकों ने प्रत्येक सरकार को वनों के संरक्षण की सलाह दी है। इसलिए संसार की प्रत्येक सरकारो ने अपने यहाँ वन संरक्षण की नीति बनाई है। अत्यावश्यक कार्यो के लिए हमें वनों का उपभोग करना चाहिए। वनों की कटाई से जहाँ प्रत्यक्ष लाभ होता है वहाँ अप्रत्यक्ष हानि होती है। वनों से प्रत्यक्ष लाभ कुछ ही व्यक्तियों को होता है लेकिन अप्रत्यक्ष हानि सारे जीव-जगत को होती है। इसलिए वनों का संरक्षण अत्यावश्यक है। वनों के संरक्षण के लिए सरकार भी उत्तरदायी है। क्योंकि वनों के अस्तित्व का सार्वकालिक महत्त्व एवं आवश्यकता है, इसलिए हर प्रकार से उनका संरक्षण होते रहना भी परमावश्यक है। केवल संरक्षण ही नहीं, क्योंकि कम-अधिक हम उन्हें काट कर उनका उपयोग करने को भी बाध्य हैं। इस कारण उन का नव-रोपण और परिवर्द्धन करते रहना भी बहुत जरूरी है। प्रकृति ने जहाँ जैसी मिट्टी है, जहाँ की जैसी आवश्यकता है, वहाँ वैसे ही वन लगा रखे हैं। हमें भी इन बातों का ध्यान रख कर ही नव वक्षारोपण एवं सम्वर्द्धन करते रहना है ताकि हमारी धरती, हमारे जीवन का सन्तुलन एवं शोभा बनी रहे। हमारी वे सारी आवश्यकताएँ युग-युगान्तरों तक पूरी होती रहें जिनका आधार वन हैं। इनकी रक्षा और जीविका भी आवश्यक थी, जो वनों को संरक्षित करके ही संभव एवं सुलभ हो सकती थी। आज भी वस्तु स्थिति उसमे बहुत अधिक भिन्न नहीं है। स्थितियों में समय के अनुसार कुछ परिवर्तन तो अवश्य माना जा सकता है। पर जो वस्तु जहाँ की है, वह वास्तविक शोभा और जीवन शक्ति वहीं से प्राप्त कर सकती है। इस कारण वन संरक्षण की आवश्यकता आज भी पहले के समय से ही ज्यों की त्यों बनी हुई है। इस सारे विवेचन-विश्लेषण से यह स्पष्ट हो जाता है कि वन संरक्षण कितना आवश्यक, कितना महत्त्वपूर्ण और मानव-सृष्टि के हक में कितना उपयोगी है या हो सकता है। लोभ-लालच में पड़कर अभी तक वनों को काट कर जितनी हानि पहुँचा चुके हैं। जितनी जल्दी उसकी क्षतिपूर्ति कर दी जाए, उतना ही मानवता के हित में रहेगा, ऐसा हमारा दृढ़ विश्वास है।

वन मानव जाति के लिए एक वरदान है। वन प्रकृति का एक सुंदर सृजन हैं। भारत को विशेष रूप से कुछ सुंदर जंगलों का आशीष मिला है जो पक्षियों और जानवरों की कई दुर्लभ प्रजातियों के लिए घर हैं। वनों के महत्व को पहचाना जाना चाहिए और सरकार को वनों की कटाई के मुद्दे पर नियंत्रण के लिए उपाय करना चाहिए। पेड़ लगाने के बराबर संसार में कोई पुण्य कार्य नहीं है, क्योंकि पेड़ से अनेकों जीवो का उद्धार होता है, दुश्मन को भी वह उतना ही लाभ पहुँचाते है।  वन पर्यावरण का एक अनिवार्य हिस्सा है। हालांकि दुर्भाग्य से मनुष्य विभिन्न प्रकार के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए पेड़ों को काट रहा है, जिससे पारिस्थितिक संतुलन बिगड़ रहा है। पेड़ों और जंगलों को बचाने की आवश्यकता को और अधिक गंभीरता से लिया जाना चाहिए। इस प्रकार मानव जाति के अस्तित्व के लिए वन महत्वपूर्ण हैं। ताजा हवा से लेकर लकड़ी तक जिसका इस्तेमाल हम सोने के लिए बिस्तर के रूप में करते हैं – यह सब कुछ जंगलों से प्राप्त होता है। इसलिए मानव को रोगों से, प्रदूषण से बचाने के लिए पेड़ों की सख्या बढ़ानी चाहिए। हमारी सरकार को भी वनों की सुरक्षा करनी चाहिए और उनकी वृद्धि के लिए नए पेड़ लगाने चाहिए। जीव जगत की वृद्धि के साथ पेड़ों की भी वृद्धि होनी चाहिए।

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Essay on Save Animals in Hindi- जीव जन्तु संरक्षण पर निबंध

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Essay on Save Animals in Hindi- जीव जन्तु संरक्षण पर निबंध

पृथ्वी एकमात्र ऐसा ग्रह है जहाँ पर जीवन संभव है और यहाँ पर मनुष्य और पशु दोनों ही रहते है। जीवन को अच्छे तरीके से चलानो के लिए दोनों को एक दुसरे का सहयोग जरूरी है। पशुओं के पास मनुष्य की तरह जुबान नहीं होती लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि मनुष्य उनका लाभ उठाए और उन्हें हानि पहुँचाए। इस धरती पर जानवरों का भी पूरा हक है और उन्हें अपनी जिंदगी जीने का पूरा अधिकार है। अगर पृथ्वी से एक भी प्रजाति को हम खत्म कर देते हैं तो उससे या तो दुसरी प्रजाति भी लुप्त हो जाती है या फिर कोई एक प्रजाति इतनी बढ़ जाती है कि अन्य प्रजातियों के लिए खतरा बन जाती है। पशु भी हमारी ही तरह समाज का एक हिस्सा है और हमें उन्हें हानि नहीं पहुँचानी चाहिए।

हमें पशुओं के बारे में सोचना चाहिए और उनका सरंक्षण करना चाहिए। बच्चों में और लोगों में पशु सरंक्षण के प्रति जागरूकता फैलानी चाहिए। पशुओं की प्रजाति लुप्त होने का सबसे बड़ा कारण जंगलो की कटाई और इंसान के द्वारा उनका शिकार करना है। हमें किसी भी पशु के जीलन के साथ खिलवाड़ नहीं करना चाहिए और न हीं उनके आवास स्थान को उनसे छिनना चाहिए।

पशुओं के लुप्त होने से हम बहुत सी औषधि से वंचित रह जाऐंगे साथ ही भोजन की चैन में भी खराबी आऐगी। हमें जानवरों को बचाना है और धरती पर जीवन को संतुलित रखना है। हमें जानवरों से छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए और जंगलों तो भी नहीं काटना चाहिए। हमें प्रदुषण भी नहीं फैलाना चाहिए क्योंकि उससे जानवरों को बहुत तकलीफ होतू है और खुले में फेंके हुए कचरे को खाकर बहुत से जानवर मर जाते हैं।

जंगल में पशु सरंक्षण के लिए टीम बनानी चाहिए जो कि शिकार पर प्रतिबंध लगाए और साथ ही जंगलों की कटाई को भी रोके। हम मनुष्यों को भी पशुओं के प्रति अपने दायित्व को समझना चाहिए और घायल हुए पशुओं की सहायता करनी चाहिए। हमें ग्लोबल वार्मिंग को कम कर पशुओं को उनके अनुकुल वातावरण देना होगा जिससे कि वो अच्छे ये अपनी जीवन व्यतीत कर सके। हमें जानवरों के शरीरों से बनी चीजों का बहिष्कार करना चाहिए ताकि जानवरों के शिकार को रोका जा सकें। हमें लुप्त हो रही प्रजातियों के लिए मैडिकल साईंस की मदद लेनी चाहिए जिससे कि उनको बचाया जा सके। वन्य जीवोम वाले जंगलों को सरंक्षित करना चाहिए और सुरक्षाकर्मी तैनात करने चाहिए जो कि उस जंगल और वहाँ के वन्य जीवों की सुरक्षा करें।

Save Tiger Essay in Hindi

Essay on Sparrow in Hindi

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वन्यजीव संरक्षण पर निबंध – Wildlife Conservation Essay in Hindi

Wildlife Conservation Essay in Hindi: वन सभ्यता का जीवन है। जंगल का सुरम्य वातावरण मानव हृदय को छू जाता है। चिड़ियाघरों में बाघों और शेरों को देखने और उन्हें मुक्त वातावरण में देखने के बीच बहुत बड़ा अंतर है। लेकिन विकासवादी ढंग से सभ्यता के विकास ने वनों के विनाश के साथ-साथ जंगली जानवरों के विलुप्त होने की भी शुरुआत कर दी है। धीरे-धीरे जंगली जानवरों की संख्या तेजी से घट रही है। इसके दूरगामी प्रभावों को देखते हुए विश्व के लगभग सभी देशों में वन्य जीव संरक्षण कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं।

वन्यजीव संरक्षण पर निबंध

प्रस्तावना – विभिन्न वन्यजीव – वन्यजीव संरक्षण की आवश्यकता – वन्यजीवों के संरक्षण और सुरक्षा के लिए प्रावधान – वन्यजीवों के संरक्षण और सुरक्षा के लिए प्रावधान – उपसंहार

वन्यजीव संरक्षण एक महत्वपूर्ण विषय है जिसे हमें गंभीरता से लेना चाहिए। वन्यजीव संरक्षण का मतलब है प्राकृतिक संसाधनों और वन्य जीवन की सुरक्षा और संरक्षण करना। वन्यजीव संरक्षण का मुख्य उद्देश्य प्राकृतिक जीवन को संरक्षित रखकर जीव-जंतुओं के अस्तित्व को सुनिश्चित करना होता है। वन्यजीव संरक्षण से हम भूमि पर रहने वाले हर जीव-जंतु के लिए समृद्ध वातावरण की सुनिश्चित करते हैं।

वन्यजीव संरक्षण की उपाधि मानव जाति के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। वन्यजीव संरक्षण के अभाव में, अनेक प्रजातियां समाप्त हो जाती हैं, जिसका प्रभाव पूरे पृथ्वी और उसके पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित करता है। वन्यजीव संरक्षण का महत्व सिर्फ जीव-जंतुओं को बचाने तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह जल, वायु, भूमि, और संसाधनों की संतुलनवादी उपयोग भी सुनिश्चित करता है।

wildlife conservation essay in Hindi

विभिन्न वन्यजीव

भारत के जंगलों में विभिन्न प्रकार के वन्यजीव देखने को मिलते हैं। इनमें हाथी, बाघ, शेर, भालू और अन्य जंगली जानवर शामिल हैं। पश्चिम बंगाल का सुंदरवन क्षेत्र बाघों का घर है। हाथी और बाघ ओडिशा, मध्य प्रदेश और कर्नाटक के जंगलों और हिमालय की तलहटी में देखे जाते हैं। इसके अलावा तेंदुआ, भेड़िया, हिरण, सांभर जैसे जानवर भारत के लगभग सभी जंगलों में हैं। भारत के जंगलों में साँप, सरीसृप, मोर, पक्षी आदि की विभिन्न प्रजातियाँ मौजूद हैं।

वन्यजीव संरक्षण की आवश्यकता

वन्यजीव प्राकृतिक संसाधनों में से एक है। वे प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से मानव समाज के हितैषी हैं। वनों की रक्षा वन्य जीवों द्वारा की जाती है। बहुमूल्य वन पारिस्थितिकी तंत्र की स्थिरता और विकास के लिए छोटे और बड़े निर्णयों में प्रत्येक जानवर की विशिष्ट भूमिका होती है। जीवन चक्र इन जानवरों और पौधों को एक दूसरे के साथ इतनी निकटता से बांधता है कि परस्पर निर्भरता के बिना उनका सामान्य विकास संभव नहीं होगा। वन उत्पादों का संग्रह, उनका उपयोग, उन पर निर्भर उद्योग, चिकित्सा और बहुमूल्य मानव जीवन की सुरक्षा अप्रत्यक्ष रूप से वन्यजीव पर निर्भर है। अत: जिस प्रकार सभ्यता-संस्कृति की रक्षा के लिए वन आवश्यक हैं, उसी प्रकार वनों की सुरक्षा के लिए वन्य जीवों का संरक्षण अत्यंत आवश्यक है। जंगल में भोजन की कमी के कारण हाथी ग्रामीण इलाकों और शहरों की तरफ आ जाते हैं। उनकी हिंसा बढ़ती जा रही है। अतः वन्य जीव संरक्षण की आवश्यकता आवश्यक प्रतीत होती है।

वन्यजीवों के संरक्षण और सुरक्षा के लिए प्रावधान:

वन पारिस्थितिकी तंत्र का ह्रास, आयतन में कमी के कारण वन्यजीव संख्या में भी कमी आयी है। कुछ जानवर तो धरती से लगभग लुप्त हो चुके हैं। जो बचे हैं उनके लिए खतरा पैदा होने के बाद उनकी सुरक्षा और प्रजनन के लिए समय पर उपाय किए जा रहे हैं। वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए 1972 में वन्यजीव संरक्षण अधिनियम बनाया गया था। वन्यजीवों की सुरक्षा और संरक्षण सुनिश्चित करने के लिए अधिनियम में संशोधन किया गया है। अवैध शिकार को बंद किया गया है। शिकार करने वाले दोषियों को कड़ी सजा दी जा रही है। इसके अलावा, राष्ट्रीय सरकार वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए 1983 से ‘नेशनल वाइल्ड लाइफ एक्शन प्लान’ नामक एक योजना लागू कर रही है। वन्यजीवों के लिए संरक्षित वन क्षेत्र की मात्रा को 3 प्रतिशत से बढ़ाकर 4 प्रतिशत करने का लक्ष्य है। वन्य प्राणियों की सुरक्षा एवं प्रजनन हेतु विभिन्न राज्यों के वन विभाग एवं सहयोगी द्वारा अनुसंधान कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं। कार्ययोजनाओं सहित विभिन्न कार्यक्रमों को क्रियान्वित करने के लिए निजी संस्थानों की मदद ली जा रही है। वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए हमारे देश में 80 राष्ट्रीय उद्यान और 441 अभयारण्य बनाए गए हैं। ये सभी समय के साथ बढ़ रहे हैं।

वन्यजीव एक महान प्राकृतिक घटना है। इनसे मानव समाज को बहुत लाभ होता है। जन जागरूकता, सख्त कानूनी उपाय, शिकारियों का अनुशासित व्यवहार, वन कर्मियों की ईमानदारी और समर्पण ही इन प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा कर सकते हैं। लालची पशु अंग व्यापारियों और शिकारियों को भारतीय संस्कृति के ‘जीव दया’ मंत्र से प्रेरित होना वांछनीय है। सभी को याद रखना चाहिए कि वन्यजीव मानव समाज के मित्र हैं।

आपके लिए: –

  • मृदा संरक्षण पर निबंध
  • जल संरक्षण पर निबंध
  • पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध
  • ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध

ये था वन्यजीव संरक्षण पर निबंध । उम्मीद है ये लेख पढ़ने के बाद आप अपने हिसाब वन्यजीव संरक्षण पर एक अच्छा निबंध लिख सकेंगे।

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Wildlife Conservation Essay in Hindi

वन्यजीव संरक्षण (conservation of wild life).

  • सामान्य अर्थ में वन्यजीव उन जीव-जन्तुओं के लिए प्रयुक्त होता है जो प्राकृतिक आवास में निवास करते हैं जैसे हाथी, शेर, गैंडा, हिरण आदि | किन्तु व्यापक रुप से ‘वन्य जीव’ प्रकृति में पाए जाने वाले सभी जीवजन्तुओं एवं पेड़-पौधो की जातियों के लिए प्रयुक्त किया जाता है। भारतवर्ष एक ऐसा देश है जो धार्मिक, सांस्कृतिक, राजनैतिक, जलवायु, भूमि एवं जैव विविधता से सम्पन्न है । उल्लेखनीय है कि हमारे देश की भूमि का क्षेत्रफल संसार की भूमि के क्षेत्रफल का मात्र 2.4 प्रतिशत है जबकि विश्व की कुल जैव विविधता में से 8.1 प्रतिशत जातियाँ हमारे देश में पायी जाती है । भारत में कुल मिलाकर स्तनधारियों की 500, पक्षियों की 4200, सर्पों की 220, ‘छिपकलियों की 150, कछुओं की 30, मगर एवं घडियाल की 30 ‘उभयचरों की 142, अलवणीय जल की मछलियों की 105, एवं अकशेरुकी जन्तुओं की हजारों जातिया पायी जाती है।
  • किन्तु वर्तमान में मानव के द्वारा ऐसे कारण उत्पन्न कर दिए गए हैं, जिससे वन्यजीवों का अस्तित्व समाप्त हो रहा है। मानव के अतिरिक्त कुछ प्राकृतिक कारण भी हैं जिससे वन्य जीव संकटग्रस्त हैं |

Wildlife Conservation Essay in Hindi

वन्य जीवों के विलुप्त होने के कारण :-

1. प्राकृतिक आवासों का नष्ट होना :- वन्य जीवों के प्राकृतिक आवासों के नष्ट होने के अनेक कारण है उनमें प्रमुख कारण प्राकृतिक आपदाऐं जैसे – ज्वालामुखी विस्फोट, भूकंप, सुनामी आदि हैं, अन्य कारण निम्नलिखित है।

  • जनंसख्या वृद्धि के कारण मानव की आवश्यकता बढती गई । मनुष्य ने आवास, कृषि, उद्योगों हेतु वन भूमि का उपयोग किया जिससे जीवों के आवास पर संकट उत्पन्न हो गया।
  • वृहद जल परियोजनाओं जैसे भाखडा नांगल, टिहरी बांध, व्यास परियोजना आदि से वन भूमि पानी में डूबती गई | जिससे वन्य जीवों के आवास में ह्स होने लगा।
  • जंगलों में खनन कार्य, वातावरण प्रदूषण से उत्पन्न अम्लीय वर्षा आदि से भी प्राकृतिक आवास नष्ट हुए।
  • समुद्रो में तेल टेंकरो से तेल का रिसाव समुद्री जीवों के आवास को नष्ट कर रहा है।
  • ग्रीन हाऊस प्रभाव के कारण पृथ्वी के आसपास वातावरण गर्म होता जा रहा है जिससे जैव विविधता नष्ट हो रही हैं।

2. वन्य जीवों का अवैध शिकार 3. प्रदूषण 4. मानव तथा वन्य जीवों में संघर्ष

उपर्युक्त कारणों के अतिरिक्त वन्य जीवों के विनाश के जो कारण है उनमें प्राकृतिक, आनुवांशिक एवं मानव जनित कारण भी हैं। भारत में वन्य-जीवन संरक्षण 1952 से 1972 तक राष्ट्रीय वन-नीति के अन्तर्गत होता था | वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए 1972 में वन्य जीवन सुरक्षा अधिनियम बनाया गया जो वर्तमान में कई संशोधनो के साथ लागू है | विश्व व्यापी चेतना के कारण 1948 में प्रकृति संरक्षण के लिए अन्तरराष्ट्रीय संस्था [TUCN (International union for conservation of nature) का गठन हुआ IUCN के द्वारा विलुप्ती & कगार पर पहुँच गई जातियों को एक पुस्तक में संकलित किया गया जिसे लाल आंकड़ा पुस्तक (Red data book) कहा गया | IUCN में निम्न पाँच जातियों को परिभाषित किया जिन्हें संरक्षण प्रदान करना है-

1. विलुप्त जातियाँ:- वे जातियाँ जो संसार से विलुप्त हो गई है तथा जीवित नही है, विलुप्त जातियों की श्रेणी में रखी हुई है। जैसे – डायनोसोर, रायनिया आदि | 2. संकटग्रस्त जातियाँ:- ये वे जातियाँ है जिनके संरक्षण के उपाय नहीं किये गए तो वे निकट भविष्य में समाप्त हो जाऐगी जैसे- गैण्डा, गोडावन, बब्बर शेर, बघेरा आदि |

Wildlife Conservation Essay in Hindi

3. सभेदय जातियाँ:- ये वे जातियाँ है जो शीघ्र ही संकटग्रस्त होने की स्थिति में है । 4. दुलर्भ जातियाँ:- ये वे जातियाँ है जिनकी संख्या विश्व में बहुत कम है तथा निकट भविष्य में संकटग्रस्त हो सकती है | ये सीमित क्षेत्रो में पायी जाती है । उदाहरण – हिमालयी भालू, विशाल पान्डा आदि | 5. अपर्याप्त ज्ञात जातियाँ:- ये वे जातियां है जो पृथ्वी पर है किन्तु इन के वितरण के बारे में अधिक पता नहीं है। वन्य जीवन के संरक्षण की दृष्टि से कुछ सुरक्षित क्षेत्र स्थापित किये गए इनमें राष्ट्रीय पार्क, वन्य जीव अभयारण्य, बायोस्पियर रिजर्व, ओरण प्रमुख है |

राष्ट्रीय उद्यान (National park)

  • राष्ट्रीय उद्यान वे प्राकृतिक क्षेत्र है जहां पर पर्यावरण के साथ-साथ वन्य जीवों एवं प्राकृतिक अवशेषों का संरक्षण किया जाता है इनमें पालतू पशुओं की चराई पर पूर्ण प्रतिबंध होता है | इनमें प्राइवेट संस्था द्वारा निजी कार्यों के लिए प्रवेश निषेध है| राष्ट्रीय पार्क का कुछ भाग पर्यटन उद्योग को बढावा देने हेतु विकसित किया जा सकता है | इन का नियंत्रण, प्रबंधन एवं नैति निर्धारण केन्द्र सरकार के अधीन होता है।

वन्यजीव संरक्षण पर निबंध (Wildlife Conservation Essay in Hindi)

अभयारण्य (Sanctuary)

  • ये भी संरक्षित क्षेत्र है इनमें वन्य जीवों के शिकार एवं आखेट पर पूर्ण प्रतिबंध होता है इनमें निजी संस्थाओं को उसी स्थिति में प्रवेश की अनुमति दी जाती है जब उनके क्रियाकलाप रचनात्मक हो एवं इससे वन्य जीवों पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता हो | भारत में स्थित कुछ अभयारण्य निम्नलिखित  है  नागार्जुन सागर (आन्ध्रप्रदेश), हजारी बाग प्राणी विहार (बिहार), नाल सरोवर प्राणी विहार (गुजरात), मनाली अभ्यारण्य (हिमाचल प्रदेश), चन्द्रप्रभा प्राणी विहार (उतरप्रदेश), केदारनाथ प्राणी विहार (उतरांचल) |

Conservation of wild life in Hindi

जीवमण्डल निचय या बायोस्फियर रिज॑व (Biosphere reserve)

  • ये वे प्राकृतिक क्षेत्र है जो वैज्ञानिक अध्ययन के लिए शांत क्षेत्र घोषित है। अब तक 128 देशों में 669 बायोस्फिर ‘रिजव स्थापित किये जा चुके है जिसमें से भारत में 18 क्षेत्र है । भारत में प्रथम बायोस्फिर रिजर्व 1986 में नीलगिरि मे अस्तित्व में आया।

Conservation of wild life in Hindi

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प्रमुख प्राकृतिक संसाधन FAQ –

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प्रश्न 1. संकटापन्न जातियों से क्या तात्पर्य है? उत्तर- वे जातियाँ जिनके संरक्षण के उपाय नहीं किये गये तो निकट भविष्य में समाप्त हो जायेंगी।

प्रश्न 2. राष्ट्रीय उद्यान क्या है? उत्तर- राष्ट्रीय उद्यान वे प्राकृतिक क्षेत्र हैं, जहाँ पर पर्यावरण के साथ-साथ वन्य जीवों एवं प्राकृतिक अवशेषों का संरक्षण किया जाता है।

प्रश्न 3. सिंचाई की विधियों के नाम बताइये। उत्तर- सिंचाई फव्वारा विधि व टपकन विधि से की जाती है।

प्रश्न 4. उड़न गिलहरी किस वन्य जीव अभयारण्य में पायी जाती है? उत्तर- सीतामाता तथा प्रतापगढ़ अभयारण्य

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प्रकृति संरक्षण पर निबंध (Conservation of Nature Essay in Hindi)

प्रकृति संरक्षण

प्रकृति का संरक्षण प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण से सबंधित है। इनमें मुख्यतः पानी, धूप, वातावरण, खनिज, भूमि, वनस्पति और जानवर शामिल हैं। इन संसाधनों में कुछ संसाधन का अधिक उपयोग हो रहा है जिस कारण वे तेज़ गति से कम हो रहे हैं। हमें प्रकृति के संरक्षण के महत्व को समझना चाहिए तथा पारिस्थितिक संतुलन सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए। प्रकृति का संरक्षण किसी भी मानवीय हस्तक्षेप के बिना स्वाभाविक रूप से बनने वाले संसाधनों का संरक्षण दर्शाता है।

प्रकृति संरक्षण पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on Conservation of Nature in Hindi, Prakriti Sanrakshan par Nibandh Hindi mein)

निबंध 1 (250 – 300 शब्द) – prakriti sanrakshan par nibandh.

प्रकृति हमें  पानी, भूमि, सूर्य का प्रकाश और पेड़-पौधे प्रदान करके हमारी बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा करती है। इन संसाधनों का उपयोग विभिन्न चीजों के निर्माण के लिए किया जा सकता है जो निश्चित ही मनुष्य के जीवन को अधिक सुविधाजनक और आरामदायक बनाते हैं।

दुर्भाग्य से, मनुष्य इन संसाधनों का उपयोग करने के बजाए नई चीजों का आविष्कार करने में इतना तल्लीन हो गया है कि उसने उन्हें संरक्षित करने के महत्व को लगभग भुला दिया है। फ़लस्वरूप, इन संसाधनों में से कई तेज़ गति से कम हो रहे हैं और यदि इसी तरह से ऐसा जारी रहा तो मानवों के साथ-साथ पृथ्वी पर रहने वाले अन्य जीवों का अस्तित्व मुश्किल में पड़ जाएगा।

प्रकृति के संरक्षण से अभिप्राय जंगलों, भूमि, जल निकायों की सुरक्षा से है तथा प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण खनिजों, ईंधन, प्राकृतिक गैसों जैसे संसाधनों की सुरक्षा से है जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि ये सब प्रचुर मात्रा में मनुष्य के उपयोग के लिए उपलब्ध रहें। ऐसे कई तरीके हैं जिससे आम आदमी प्रकृति के संरक्षण में मदद कर सकता है। यहां कुछ ऐसे ही तरीकों का विस्तृत वर्णन किया गया है जिससे मानव जीवन को बड़ा लाभ हो सकता है:-

पानी का सीमित उपयोग

पानी को बुद्धिमानी से इस्तेमाल किया जाना चाहिए। अगर पानी का सही तरीके से इस्तेमाल नहीं किया गया तो वह दिन दूर नहीं जब हमें थोड़े से पानी के लिए भी तरसना पड़ेगा। पानी का सही इस्तेमाल काफी तरीकों से किया जा सकता है जैसे अपने दांतों को ब्रश करते हुए बहता हुआ पानी बंद करके, फव्वारें के जगह बाल्टी के पानी से नहाकर, आरओ का अपशिष्ट पानी का उपयोग पौधों में देकर या घर को साफ करने के लिए इस्तेमाल करके ताकि पानी ज्यादा मात्रा में ख़राब न हो।

बिजली का सीमित उपयोग

प्रकृति के संरक्षण के लिए बिजली के उपयोग को भी सीमित करना आवश्यक है। बिजली की बचत हम कई तरह से कर सकते है जैसे विद्युत उपकरण बंद करके  खासकर जब वे उपयोग में ना हो या फिर ऐसे बल्ब अथवा ट्यूबलाइट का इस्तेमाल करके जिससे कम कम से बिजली की खपत हो उदाहरण के लिए एलईडी लाइट।

ज्यादा से ज्यादा पेड़-पौधे और सब्जियां उगाकर

जितना संभव हो सके उतने पेड़ लगाए तभी हर दिन जो पेड़ कट रहे हैं उनकी भरपाई हो सकेगी। पेशेवर खेती में उपयोग किए जाने वाले रासायनिक उर्वरकों के उपयोग को प्रतिबंधित करने के लिए कोशिश करें कि घर पर ही सब्जियां उगायें। इसके अलावा लोग पेपर के उपयोग को सीमित करके, वर्षा जल संचयन प्रणाली को नियोजित करके, कारों के उपयोग को सीमित कर और प्रकृति के संरक्षण के बारे में जागरूकता फैला कर अपना बहुमूल्य योगदान दे सकते हैं।

इसे यूट्यूब पर देखें : Essay on Conservation of Nature in Hindi

निबंध 2 (400 शब्द) – प्रकृति संरक्षण पर निबंध

प्रकृति ने हमें कई उपहार जैसे हवा, पानी, भूमि, धूप, खनिज, पौधों और जानवर दिए है। प्रकृति के ये सभी तोहफ़े हमारे ग्रह को रहने लायक जगह बनाते हैं। इन में से किसी के भी बिना पृथ्वी पर मनुष्य के जीवन का अस्तित्व संभव नहीं होगा। अब, जबकि ये प्राकृतिक संसाधन पृथ्वी पर प्रचुरता में मौजूद हैं, दुर्भाग्य से मानव आबादी में वृद्धि के कारण सदियों से इनमें से अधिकांश की आवश्यकता बढ़ गई है।

इनमे से कई प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग अधिक गति से किया जा रहा है जबकि उनका उत्पादन  क्षमता कम है। इस प्रकार प्रकृति के संरक्षण तथा प्रकृति द्वारा उपलब्ध कराये प्राकृतिक संसाधनों को बचाने की आवश्यकता है। यहां कुछ तरीकों पर एक विस्तृत नजर डाली गई है, जिनसे ये संसाधन संरक्षित किए जा सकते हैं:-

पानी की खपत कम करके

पृथ्वी पर पानी प्रचुरता में उपलब्ध है इसलिए लोग इसका उपयोग करने से पहले इसकी कम होती मात्रा की तरफ ज्यादा ध्यान देना जरुरी नहीं समझते। अगर हम पानी का इसी तेज़ गति से उपयोग करते रहें तो निश्चित ही रूप से हमे भविष्य में गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। पानी को बचने के लिए हम कुछ सरल चीजों को प्रयोग में ला सकते है जैसे ब्रश करने के दौरान नल को बंद करना, वॉशिंग मशीन में पानी का उपयोग कपड़ो की मात्रा के अनुसार करना तथा बचा हुआ पानी पौधों में देकर।

बिजली का उपयोग कम करके

बिजली की बचत करके ही बिजली बनाई जा सकती है। इसीलिए बिजली के सीमित उपयोग को करने का सुझाव दिया जाता है। सिर्फ इतना ध्यान रखकर जैसे कि अपने कमरे से बाहर निकलने से पहले रोशनी को बंद करना, उपयोग के बाद बिजली के उपकरणों को बंद करना और फ्लोरोसेंट या एलईडी बल्बों को ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल में लाना आदि बिजली बचाने में एक महतवपूर्ण कदम हो सकता है।

कागज़ का सीमित उपयोग करके

कागज़ पेड़ से बनता है। अधिक कागज़ का प्रयोग करने से मतलब है कि वनों की कटाई को प्रोत्साहित करना जो आज के समय में चिंता का विषय है। हमे यह सुनिश्चित करने कि जरुरत है कि जितना आवश्यकता है उतना ही कागज़ का उपयोग करें। प्रिंट आउट लेना और ई-कॉपी का उपयोग करना बंद करना होगा।

नई कृषि पद्धतियों का उपयोग करें

सरकार को चाहिए की वह किसानों को मिश्रित फसल, फसल रोटेशन तथा कीटनाशकों, खाद, जैव उर्वरक और जैविक खाद के उचित उपयोग करने सिखाए।

जागरूकता फैलाए

प्रकृति के संरक्षण के बारे में जागरूकता फ़ैलाना तथा इसके लिए इस्तेमाल होने वाली विधि का सही तरीका अपनाना अति महत्वपूर्ण है। यह लक्ष्य तभी प्राप्त किया जा सकता है जब अधिक से अधिक लोग इसके महत्व को समझें और जिस भी तरीके से वे मदद कर सकते हैं करे।

इसके अलावा अधिक से अधिक पौधे लगाना भी बेहद जरुरी है। लोग यात्रा के लिए साझा परिवहन का उपयोग करके और प्रकृति के संरक्षण के लिए वर्षा जल संचयन प्रणाली को नियोजित करके वायु प्रदूषण को कम करने की दिशा में अपना योगदान दे सकते है।

निबंध 3 (500 शब्द) – प्रकृति संरक्षण पर निबंध

प्रकृति का संरक्षण उन सभी संसाधनों के संरक्षण को संदर्भित करता है जो स्वाभाविक रूप से मनुष्यों की सहायता के बिना बने हैं। इनमें पानी, हवा, धूप, भूमि, वन, खनिज, पौधें और जानवर शामिल हैं।  ये सभी प्राकृतिक संसाधन पृथ्वी पर जीवन को जीने लायक बनाते हैं। पृथ्वी पर मौजूद हवा, पानी, धूप और अन्य प्राकृतिक संसाधनों के बिना मनुष्य का जीवन संभव नहीं है। इसलिए पृथ्वी पर जीवन तथा पर्यावरण को बरकरार रखने के लिए इन संसाधनों को संरक्षित करना अति आवश्यक है। यहां धरती पर मौजूद प्राकृतिक संसाधनों और इनका संरक्षण करने के तरीकों पर एक नजर डाली गई है:-

प्राकृतिक संसाधनों के प्रकार

  • अक्षय संसाधन:- यह ऐसे संसाधन हैं जो स्वाभाविक रूप से फिर से उत्पन्न हो सकते हैं जैसे वायु, पानी और सूरज की रोशनी।
  • गैर-अक्षय संसाधन:- यह ऐसे संसाधन हैं जो या तो फिर से उत्पन्न नहीं होते या बहुत धीमी गति से बनते हैं जैसे जीवाश्म ईंधन और खनिज आदि।
  • जैविक: ये जीवित प्राणियों तथा पौधों और जानवरों की तरह कार्बनिक सामग्री से आते हैं ।
  • अजैविक: ये गैर-जीवित चीजों और गैर-कार्बनिक पदार्थों से प्राप्त होते हैं। इसमें हवा, पानी और भूमि शामिल हैं, साथ ही लोहे, तांबे और चांदी जैसी धातुएं को भी इसमें गिना जा सकता है।

प्राकृतिक संसाधनों को भी वास्तविक संसाधन, आरक्षित संसाधन, स्टॉक संसाधन और उनके विकास के स्तर के आधार पर संभावित संसाधन जैसे श्रेणियों में विभाजित किया गया है।

प्रकृति संरक्षण के तरीके

प्रकृति का संरक्षण एक गंभीर विषय है जिस पर तुरंत ध्यान देने की आवश्यकता है।

प्रकृति के अधिकांश संसाधन तेज़ गति से घट रहे हैं। इसका कारण है इन संसाधनों की मांग अधिक होना जबकि उनके निर्माण की दर कम है। हालांकि, हमे यह समझने की जरूरत है कि प्रकृति ने हमें उन सभी संसाधनों को प्रचुर मात्रा में दिया है जिनकी हमें आवश्यकता है। हमें केवल उपलब्ध प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग बुद्धिमानी से करने की आवश्यकता है। इन संसाधनों को संरक्षित करने के लिए हमे  नीचे दिए गए तरीकों का पालन करना चाहिए:

सीमित उपयोग

जल और बिजली दो ऐसी चीजें हैं जो आज के समय में सबसे ज्यादा बर्बाद हो रही हैं। हमारे लिए इन दोनों को बचाने के महत्व को समझना आवश्यक है। कोशिश करें जितनी जरुरत हो उतने ही पानी को उपयोग में लायें। ऐसा ही नियम बिजली पर लागू करना होगा। बिजली के उपकरणों का उपयोग बुद्धिमानी से करें तथा जब वे प्रयोग में ना हो तब उन्हें बंद कर दें। इसी तरह कागज, पेट्रोलियम और गैस जैसे अन्य संसाधनों का उपयोग भी एक सीमित दर में होना चाहिए।

प्रकृति को फिर से हरा भरा बनाएं

लकड़ी के बने पेपर, फर्नीचर और अन्य वस्तुओं के निर्माण के लिए काटे गए पेड़ों की जगह अधिक से अधिक वनरोपण करें। इसके अलावा अपने क्षेत्र के आसपास सफाई सुनिश्चित करें तथा जल निकायों और अन्य जगहों में अपशिष्ट उत्पादों को न फेकें।

जागरूकता फैलाएं

अंत में, जितना हो सके प्रकृति के संरक्षण के महत्व के बारे में उतनी जागरूकता फैलाए।

प्राकृतिक संसाधनों की खपत अपने उत्पादन से अधिक है। यह हम में से हर एक का कर्तव्य है कि प्रकृति के इन उपहारों की बर्बादी को बंद करे और उन्हें बुद्धिमानी से उपयोग करना शुरू करें ताकि पृथ्वी पर पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखा जा सके। उपरोक्त दी विधियों का पालन करके हम प्रकृति के संरक्षण में अपना योगदान दे सकते है।

निबंध 4 (600 शब्द) – Prakriti Sanrakshan par Nibandh

प्रकृति का संरक्षण मूल रूप से उन सभी संसाधनों का संरक्षण है जो प्रकृति ने मानव जाति को भेंट की है। इसमें खनिज, जल निकायों, भूमि, धूप और वातावरण आदि शामिल हैं तथा इसमें वनस्पतियों और जीवों का संरक्षण भी शामिल हैं। प्रकृति द्वारा दिए ये सभी उपहार संतुलित वातावरण बनाने में मदद करते है तथा ये सब मनुष्य के अस्तित्व और पृथ्वी पर अन्य जीवों के अस्तित्व के लिए उपयुक्त है। इसलिए प्रकृति का संरक्षण अति महत्वपूर्ण है।

प्राकृतिक संसाधनों को उनकी विशेषताओं के आधार पर वर्गीकृत किया गया है। यहां इस वर्गीकरण पर एक नजर डाली गई है, जिसमें से प्रत्येक को संरक्षित करने के सुनियोजित तरीके हैं:

प्राकृतिक संसाधनों का वर्गीकरण

प्राकृतिक संसाधनों को मुख्यतः नवीनीकृत करने, विकास का स्रोत और विकास के स्तर पर अपनी क्षमता के आधार पर वर्गीकृत किया गया है। इन्हें आगे उप श्रेणियों में विभाजित किया गया है। इनकी विस्तृत जानकारी इस प्रकार से है:

कुछ संसाधन नवीकरणीय हैं जबकि अन्य गैर-नवीकरणीय हैं यहां इन दोनों श्रेणियों पर विस्तृत रूप से डाली गई है:

  • नवीकरणीय संसाधन : ये संसाधन वह है जो स्वाभाविक रूप से पुनः उत्पन्न होते हैं। इनमें हवा, पानी, भूमि और सूर्य का प्रकाश शामिल हैं।
  • गैर-नवीकरणीय संसाधन : ये संसाधन या तो बहुत धीमी गति उत्पन्न होते हैं या स्वाभाविक रूप से नहीं बनते। खनिज और जीवाश्म ईंधन इस श्रेणी के कुछ उदाहरण हैं।

उनके मूल के आधार पर, प्राकृतिक संसाधनों को दो प्रकारों में बांटा गया है:

  • अजैविक: ये वह संसाधन हैं जो गैर-जीवित चीजों और गैर-कार्बनिक पदार्थों से बनते हैं। इस प्रकार के प्राकृतिक संसाधनों के कुछ उदाहरणों में पानी, वायु, भूमि और धातु जैसे लोहा, तांबे, सोना और चांदी शामिल हैं।
  • जैविक: ये वह संसाधन है जो जीवित प्राणियों, पौधों और जानवरों जैसे कार्बनिक पदार्थों से उत्पन्न होते हैं। इस श्रेणी में जीवाश्म ईंधन भी शामिल है क्योंकि वे क्षययुक्त कार्बनिक पदार्थ से प्राप्त होते हैं।

विकास के स्तर के आधार पर, प्राकृतिक संसाधनों को निम्नलिखित तरीके से वर्गीकृत किया गया है:

  • वास्तविक संसाधन: इन संसाधनों का विकास प्रौद्योगिकी की उपलब्धता और लागत पर निर्भर है। ये संसाधन वर्तमान समय में उपयोग लिए जाते हैं।
  • रिज़र्व संसाधन: वास्तविक संसाधन का वह भाग जिसे भविष्य में सफलतापूर्वक विकसित और उपयोग में लाया जाए उसे रिज़र्व संसाधन कहा जाता है।
  • संभावित संसाधन: ये ऐसे संसाधन हैं जो कुछ क्षेत्रों में मौजूद होते हैं लेकिन वास्तव में इस्तेमाल में लाने से पहले उनमें कुछ सुधार करने की आवश्यकता होती है।
  • स्टॉक संसाधन: ये वह संसाधन हैं जिन पर इस्तेमाल में लाने के लिए सर्वेक्षण तो किए गए हैं लेकिन प्रौद्योगिकी की कमी के कारण अभी तक उपयोग में नहीं लाए जा सके हैं।

प्रकृति के संरक्षण के विभिन्न तरीके

चाहे नवीकरणीय हो या गैर नवीकरणीय, जैविक हो या गैर-जैविक, प्रकृति के संसाधनों का संरक्षण होना चाहिए। यहां कुछ ऐसे तरीके दिए गए हैं जो सरकार और व्यक्तियों को प्रकृति के संरक्षण के लिए प्रयोग में लाने चाहियें:

  • प्राकृतिक संसाधनों का अधिक उपयोग करना बंद कर देना चाहिए। उपलब्ध संसाधनों को अपव्यय के बिना समझदारी से उपयोग करने की जरुरत है।
  • वन्य जीवों के संरक्षण के लिए जंगली जानवरों का शिकार करना बंद कर दिया जाना चाहिए।
  • किसानों को मिश्रित फसल की विधि, उर्वरक, कीटनाशक, कीटनाशक, और फसल रोटेशन के उपयोग को सिखाया जाना चाहिए। खाद, जैविक उर्वरक और बायोफलाइलाइजर्स के इस्तेमाल को प्रोत्साहितकरने की जरुरत है।
  • वनों की कटाई को नियंत्रित करना चाहिए।
  • वर्षा जल संचयन प्रणाली स्थापित की जानी चाहिए।
  • सौर, जल और पवन ऊर्जा जैसे नवीकरणीय संसाधनों के उपयोग को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
  • कृषि प्रक्रियाओं में इस्तेमाल होने वाले पानी को दोबारा उपयोग में लाने की प्रणाली का पालन करना चाहिए।
  • कार-पूलिंग जीवाश्म ईंधन की खपत को कम करने का एक अच्छा तरीका है।
  • कागज के उपयोग को सीमित करें और रीसाइक्लिंग को प्रोत्साहित करें।
  • पुराने लाइट बल्ब की जगह फ्लोरोसेंट बल्ब को इस्तेमाल करके ऊर्जा की बचत करें जिससे बिजली बचाई जा सके। इसके अलावा जब आवश्यकता नहीं हो रोशनी के उपकरण और इलेक्ट्रॉनिक आइटम बंद करें।

संतुलित वातावरण सुनिश्चित करने के लिए प्रकृति का संरक्षण अत्यंत महत्वपूर्ण है हालांकि दुख की बात यह है कि बहुत से प्राकृतिक संसाधन तेज़ी से घट रहे हैं। उपर्युक्त विधियों का पालन करके प्रकृति के संरक्षण के लिए प्रत्येक व्यक्ति को अपना योगदान करना चाहिए।

Essay on Conservation of Nature in Hindi

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जानवरों को बचाने पर निबंध

Essay on Save Animals in Hindi: नमस्कार दोस्तों, दोस्तों जीवो में सबसे उच्च कोटि का जीव मानव माना जाता है और उसके बाद जानवर। जानवर हमारे प्रकृति के पारिस्थितिक तंत्र में विशेष योगदान निभाते हैं। हम आपको बता देना चाहते हैं, कि जानवरों के बिना हमारे संसार में कोई भी क्रियाकलाप नहीं किया जा सकता और कई वैज्ञानिकों का यहां तक मानना है, कि जानवर हमारे पारिस्थितिक तंत्र में अपनी अहम भूमिका निभाते हैं और जीवन जीने की शैली को विकसित करते हैं, इतना ही नहीं जानवर इसके साथ साथ हमारे प्रकृति को प्रदूषण से मुक्त भी करते हैं।

Essay-on-Save-Animals-in-Hindi

आज के इस निबंध में हम आप सभी लोगों को जानवरों को बचाने पर निबंध के विषय में बताने वाले हैं। यदि आप इसके लिए इच्छुक हैं, तो हमारे इस निबंध को अंत तक जरूर पढ़ें क्योंकि हमारा यहां निबंध विद्यार्थियों के लिए बहुत ही ज्यादा उपयोगी होने वाला है क्योंकि ऐसे निबंध परीक्षाओं में भी पूछे जाते हैं, तो चलिए शुरू करते हैं।

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जानवरों को बचाने पर निबंध | Essay on Save Animals in Hindi

जानवरों को बचाने पर निबंध (250 शब्द).

दोस्तों जानवर हमारे इस प्रकृति का एक सबसे अनोखा और अभिन्न अंग है। प्रकृति के पारिस्थिति की तंत्र में हर एक जानवर अपनी-अपनी एक विशेष भूमिका निभाता है और यह जानवर संतुलित खाद्य श्रृंखला को बनाए रखने के लिए अपने जीवन को समाप्त कर देते हैं।

दोस्तों इसी को देखते हुए हम सभी लोगों को जानवरों को बचाने के लिए बड़े से बड़े कदम को उठाना चाहिए और जानवरों को विलुप्त होने से बचाना चाहिए। जानवर हमारे दैनिक जीवन में भी अपनी एक अहम भूमिका निभाते हैं। बहुत से ग्रामीण इलाकों में लोग खेती परिवहन इत्यादि के लिए जानवरों का उपयोग करते हैं और इतना ही नहीं सभी लोग जानवरों से दूध निकाल कर अपना जीवन यापन भी करते हैं। अतः इन सभी गतिविधियों के लिए जानवरों को बचाना आवश्यक है।

भारत सरकार के द्वारा ही नहीं बल्कि इस पृथ्वी के हर एक देश के द्वारा अपने अपने क्षेत्र में पाए जाने वाले जानवरों को बचाने के लिए अंबिका उठाई जा रही है, जिसके लिए वन्य जीव अभ्यारण और आरक्षित राष्ट्रीय उद्यान बनाकर जानवरों को सुरक्षित किया जा रहा है।

दोस्तों जीवो के विलुप्त होने का एक महत्वपूर्ण और विशेष कारण वनों की अंधाधुंध कटाई हुई है। जीव खुद को जीवित रखने के लिए वनों में ही रहते हैं और वनों से उन्हें एक अच्छा पारिस्थितिक तंत्र मिलता है, जिसके कारण भी अपने जीवन को लंबे समय तक जी पाते हैं, परंतु वनों की अंधाधुंध कटाई होने के कारण उनका प्राकृतिक आवास छिन जाता है और वह खुद को जीवित रखने के लिए सक्षम नहीं रह पाते हैं और यह जीवो के पति का सबसे बड़ा कारण है।

इतना ही नहीं इन सभी के अलावा जानवर हमारे देश के आर्थिक विकास में भी अपना योगदान दर्शाते हैं। अब आप सोच रहे होंगे क्या किस जानवर हमारे देश के आर्थिक स्थिति में किस प्रकार से मदद करते हैं। दोस्तों वन्य जीव पर्यटन हम सभी लोगों के देश की आर्थिक विकास में हमारी मदद करते हैं और वन्य जीव जानवर ही होते हैं।

हमारे देश में बहुत से ऐसे जीव पाए जाते हैं, जो इस दुनिया भर में कहीं नहीं पाया जाते और उन जानवरों को देखने के लिए विदेशों से पर्यटक आते हैं और अच्छे खासे आर्थिक पूंजी भी देते हैं, जिससे हमारे देश का आर्थिक विकास बहुत ही तेजी से होता है। एक औसत के मुताबिक किसी भी देश का लगभग 5% से 10% तक आर्थिक व्यवस्था पर्यटन स्थल से ही होती है।

जानवरों को बचाने पर निबंध (850 शब्द)

दोस्तों जानवर हमारे प्रकृति का सबसे अनमोल और बड़ा हिस्सा है। यहां तक की इस पूरे संसार में हर एक जीव यहां तक कि मानव भी जानवरों का ही एक रूप है। वैज्ञानिकों के मुताबिक मानव का निर्माण चिंपांजी नामक बंदरों से हुई थी। दोस्तों इस दुनिया भर में सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात किया है, कि हर 1 वर्ष में प्रकृति से अनेकों प्रकार के जानवर गायब होते जा रहे हैं और बहुत से ऐसे जानवर हो चुके हैं, जो लगभग विलुप्त होने के कगार पर हैं।

जब भी कोई जानवर अपने विलुप्त होने की कगार पर आ जाता है, तो उसे बचाना बहुत ही मुश्किल हो जाता है और बहुत कम ही ऐसे जानवर होते हैं, जिन्हें विलुप्त होने से बचाया जा पा रहा है। ऐसे में इन जानवरों को बचाना सबसे महत्वपूर्ण काम है जानवरों को बचाने के लिए हमें सबसे पहले इन के प्राकृतिक आवास को बचाना होगा, जो कि वन है।

दोस्तों मानव के बढ़ती इच्छाएं और इसकी बढ़ती इच्छाओं को पूरा करने के लिए जंगलों की बहुत ही तेजी से कटाई की जा रही है और इसके साथ साथ जानवरों का भी शिकार किया जा रहा है। इस प्रकार से जानवरों के विलुप्त होने का सबसे बड़ा कारण मानव शिकारी ही है, जो जानवरों को अपने व्यक्तित्व, अपने पर्सनल लाभ के लिए मारता जा रहा है।

इन्हीं सभी को देखते हुए भारत सरकार के द्वारा अनेकों नए से नए नियम लागू किए जाते हैं और भारत सरकार ने वनों को बचाने के लिए हरे पेड़ों को काटने पर प्रतिबंध लगा दिया है और इसके बावजूद भी जंगलों से पेड़ों की तस्करी की जाने लगी है, उन्हें काटकर चुराया जाने लगा है। दोस्ती यदि आप जिंदा रहना चाहते हैं, तो वनों की कटाई कम कर दें और जानवरों का शिकार बिल्कुल भी ना करें।

जानवरों का महत्व

दोस्तों जानवरों का हमारे जीवन में बहुत ही ज्यादा महत्व है। ग्रामीण इलाकों में सभी किसान अपने खेतों की जुताई करने के लिए जानवरों का उपयोग करते हैं और परिवहन के लिए बैल का उपयोग किया जाता है, अतः इन सभी के साथ साथ ग्रामीण लोग अपने जीवन यापन के लिए जानवरों को दूध को बेचते हैं, जिसके कारण उनका परिवार चलता है।

हमारे देश में जानवरों के द्वारा लगभग 5% से 10% तक आर्थिक फंड जमा किया जाता है, जो कि पर्यटकों से प्राप्त होता है। दोस्तों हमने आपको ऊपर ही बताया, कि हमारे भारत में बहुत से ऐसे जानवर पाए जाते हैं, जो पूरी दुनिया में कहीं नहीं पाए जाते हैं और इसी के लिए देश-विदेश से लोग यहां पर उन जानवरों को देखने आते हैं।

जानवर खेती के लिए घरेलू कार्यों के लिए बहुत ही ज्यादा कारगर सिद्ध हो रहे हैं और पुराने समय में लोग पूरी तरह से जानवरों पर ही निर्भर रहते थे, क्योंकि उन्हें उनके परिवार को चलाने के लिए आर्थिक लाभ जानवरों से ही मिलता था।

जानवरों को कैसे बचाया जाए?

जानवरों को बचाने के लिए हम सभी लोगों के पास अनेकों उपाय है जिनके विषय में नीचे निम्नलिखित पॉइंट्स के माध्यम से बताया गया है।

  • जानवरों को बचाने के लिए हम सभी लोगों को जीवो के प्राकृतिक आवास को संरक्षित करना होगा।
  • वनों की कटाई को रोककर हम सभी लोग जानवरों को बचा सकते हैं।
  • हम सभी लोग जानवरों के चमड़े से बनने वाली चीजों का त्याग करके भी जानवरों को बचा सकते हैं।
  • जानवरों का शिकार करके उन्हें बेचने वाले लोगों पर हम सभी लोग जेल के अंदर करवा कर भी जानवरों की मदद कर सकते हैं।
  • जानवरों अवैध शिकार करना अवैध है और इस पर हम सभी लोग केस भी कर सकते हैं।
  • जानवरों की कई प्रजातियां शिकारियों से बहुत ही ज्यादा पीड़ित है और इसके लिए वह खुद को ही मार दे रहे हैं, अतः इसके बचाव में हम सभी लोगों को विशेष कदम उठाने चाहिए।
  • हम सभी लोगों को जानवरों को बचाने के लिए अपनी क्रूरता को नष्ट करना चाहिए।
  • इंसानों को जानवरों का उपयोग चिड़िया घरों में, फिल्मों में, सर्कस इत्यादि में नहीं करना चाहिए।
  • जानवरों को बचाने के लिए हम सभी लोगों को उन्हें उनका प्राकृतिक आवास देना चाहिए और उन्हीं के प्राकृतिक आवास में उन्हें संरक्षित कर देना चाहिए।

हमने आप सभी लोगों को जानवरों के जीवन की रक्षा के लिए विशेष बातें बताई हैं और इसके साथ-साथ हमने आपको मानव जीवन में जानवरों की भूमिका एवं महत्वता को भी बताया है। दोस्तों जानवरों के जीवन के मूल को समझने के लिए आप सभी लोगों को खुद को जागरूक बनाना होगा और उन्हें विलुप्त होने से बचाना होगा।

यदि हम सभी लोग जानवरों को विलुप्त होने से बचा लेते हैं, तो हम भी जीवित रह पाएंगे अन्यथा यदि हमारे पारिस्थितिक तंत्र में से जानवरों को निकाल दिया जाए, तो मानव 1 दिन भी जीवित नहीं रह सकता। यदि आप सभी लोग जानवरों को बचाने के लिए वास्तव में भावुक हैं तो अपने स्थानीय पशु विभाग में जाकर इसके लिए धरना प्रदर्शन जरूर करें ताकि वह पूरी सख्ती से जानवरों को बचाने के लिए विशेष कार्य कर सकें।

दोस्तों हम आप सभी लोगों से उम्मीद करते हैं, कि आप सभी लोगों को हमारे द्वारा लिखा गया निबंध जानवरों को बचाने पर निबंध (Essay on Save Animals in Hindi) पसंद आया होगा, यदि आपको हमारा यह निबंध वाकई में पसंद आया हो, तो कृपया इसे शेयर करना बिल्कुल भी ना भूले और यदि आपके मन में इस लेख को लेकर किसी भी प्रकार का कोई सवाल या फिर सुझाव है, तो कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।

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वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972

  • 19 May 2021
  • 15 min read
  • सामान्य अध्ययन-III
  • सामान्य अध्ययन-II
  • सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप
  • 42वें संशोधन अधिनियम, 1976 के माध्यम से वन और जंगली जानवरों एवं पक्षियों के संरक्षण को राज्य सूची से समवर्ती सूची में स्थानांतरित कर दिया गया था।
  • संविधान के अनुच्छेद 51 A (g) में कहा गया है कि वनों एवं वन्यजीवों सहित प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा और उसमें सुधार करना प्रत्येक नागरिक का मौलिक कर्तव्य होगा।
  • राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों के तहत अनुच्छेद 48A के मुताबिक, राज्य पर्यावरण संरक्षण व उसको बढ़ावा देने का काम करेगा और देश भर में जंगलों एवं वन्यजीवों की सुरक्षा की दिशा में कार्य करेगा।
  • यह अधिनियम जम्मू-कश्मीर को छोड़कर पूरे देश में लागू है।
  • वर्तमान में भारत में 101 राष्ट्रीय उद्यान हैं।
  • केंद्र सरकार, वन्यजीव संरक्षण निदेशक और उसके अधीनस्थ सहायक निदेशकों तथा अन्य अधिकारियों की नियुक्ति करती है।
  • राज्य सरकारें एक ‘मुख्य वन्यजीव वार्डन’ (CWLW) की नियुक्ति करती हैं, जो विभाग के वन्यजीव विंग का प्रमुख होता है और राज्य के भीतर संरक्षित क्षेत्रों (PAs) पर पूर्ण प्रशासनिक नियंत्रण रखता है।

अधिनियम की मुख्य विशेषताएँ

  • वह मानव जीवन या संपत्ति (किसी भी भूमि पर मौजूद फसल सहित) के लिये खतरा बन जाता है।
  • वह विकलांग है या ऐसी बीमारी से पीड़ित है जिससे निजात पाना संभव नहीं है।
  • अपवाद: हालाँकि ‘मुख्य वन्यजीव वार्डन’ शिक्षा, वैज्ञानिक अनुसंधान, किसी जड़ी-बूटी के संरक्षण आदि के उद्देश्य से किसी विशिष्ट पौधे को उखाड़ने या एकत्र करने की अनुमति दे सकता है या फिर केंद्र सरकार द्वारा अनुमोदित कोई संस्थान/व्यक्ति ऐसा कर सकता है।
  • सरकार किसी क्षेत्र को राष्ट्रीय उद्यान भी घोषित कर सकती है।
  • अभयारण्य के रूप में घोषित क्षेत्र को प्रशासित करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा एक कलेक्टर की नियुक्ति की जाती है।
  • विभिन्न निकायों का गठन: यह अधिनियम राष्ट्रीय तथा राज्य वन्यजीव बोर्ड, केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण और राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण जैसे निकायों के गठन का प्रावधान करता है।
  • सरकारी संपत्ति: अधिनियम के मुताबिक, शिकार किये गए जंगली जानवर (कीड़े के अलावा), जानवरों की खाल से बनी वस्तुओं या किसी जंगली जानवर का मांस और भारत में आयात किये गए हाथी दाँत एवं ऐसे हाथी दाँत से बनी वस्तु सरकार की संपत्ति मानी जाएगी।

अधिनियम के तहत गठित निकाय

  • यह बोर्ड वन्यजीव संबंधी सभी मामलों की समीक्षा के लिये और राष्ट्रीय उद्यानों तथा अभयारण्यों में एवं आसपास के क्षेत्रों में किसी भी प्रकार की परियोजना के अनुमोदन के लिये एक शीर्ष निकाय के रूप में कार्य करता है।
  • पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री बोर्ड का उपाध्यक्ष होता है।
  • यह बोर्ड 'सलाहकार' प्रकृति का है और केवल सरकार को वन्यजीवों के संरक्षण के लिये नीति बनाने पर सलाह दे सकता है।
  • इस समिति की अध्यक्षता पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री द्वारा की जाती है।
  • राज्य/केंद्रशासित प्रदेश के मुख्यमंत्री बोर्ड का अध्यक्ष होता है।
  • संरक्षित क्षेत्रों के रूप में घोषित किये जाने वाले क्षेत्रों का चयन और प्रबंधन।
  • वन्यजीवों के संरक्षण हेतु नीति तैयार करने।
  • किसी अनुसूची में संशोधन से संबंधित कोई मामला।
  • पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री इसका अध्यक्ष होता है।
  • यह राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चिड़ियाघरों में जानवरों को स्थानांतरित करने संबंधी नियमों का भी निर्धारण करता है। 
  • केंद्रीय पर्यावरण मंत्री इसका अध्यक्ष, जबकि राज्य पर्यावरण मंत्री इसका उपाध्यक्ष होता है।
  • भारत में 50 से अधिक वन्यजीव अभयारण्यों को टाइगर रिज़र्व के रूप में नामित किया गया है, जो कि वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत संरक्षित क्षेत्र हैं।
  • ब्यूरो का मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है।
  • संगठित वन्यजीव अपराध गतिविधियों से संबंधित सूचना एकत्र कर उसका विश्लेषण करना और अपराधियों को पकड़ने के लिये यह सूचना राज्य को प्रदान करना।
  • एक केंद्रीकृत वन्यजीव अपराध डेटा बैंक स्थापित करना।
  • वन्यजीव अपराधों से संबंधित मुकदमों में सफलता सुनिश्चित करने के लिये राज्य सरकारों की सहायता करना।
  • राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रभाव वाले वन्यजीव अपराधों, प्रासंगिक नीति और कानूनों से संबंधित मुद्दों पर भारत सरकार को सलाह देना।

अधिनियम के तहत अनुसूचियाँ

वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के तहत विभिन्न पौधों और जानवरों की सुरक्षा स्थिति को निम्नलिखित छह अनुसूचियों के तहत विभाजित किया गया है:

  • इसमें उन लुप्तप्राय प्रजातियों को शामिल किया गया है, जिन्हें सर्वाधिक सुरक्षा की आवश्यकता है। इसके तहत शामिल प्रजातियों को अवैध शिकार, हत्या, व्यापार आदि से सुरक्षा प्रदान की जाती है।
  • इस अनुसूची के तहत कानून का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति को सबसे कठोर दंड दिया जाता है।
  • इस अनुसूची के तहत शामिल प्रजातियों का पूरे भारत में शिकार करने पर प्रतिबंध है, सिवाय ऐसी स्थिति के जब वे मानव जीवन के लिये खतरा हों अथवा वे ऐसी बीमारी से पीड़ित हों, जिससे ठीक होना संभव नहीं है।
  • बंगाल टाइगर
  • धूमिल तेंदुआ 
  • हिमालयी भालू
  • एशियाई चीता
  • कश्मीरी हिरण
  • लायन-टेल्ड मैकाक 
  • कस्तूरी मृग
  • ब्रो-एंटलर्ड डियर
  • चिंकारा 
  • कैप्ड लंगूर 
  • गोल्डन लंगूर
  • हूलॉक गिब्बन
  • इस सूची के अंतर्गत आने वाले जानवरों को भी उनके संरक्षण के लिये उच्च सुरक्षा प्रदान की जाती है, जिसमें उनके व्यापार पर प्रतिबंध आदि शामिल हैं।
  • इस अनुसूची के तहत शामिल प्रजातियों का भी पूरे भारत में शिकार करने पर प्रतिबंध है, सिवाय ऐसी स्थिति के जब वे मानव जीवन के लिये खतरा हों अथवा वे ऐसी बीमारी से पीड़ित हों, जिससे ठीक होना संभव नहीं है।
  • असमिया मैकाक, पिग टेल्ड मैकाक, स्टंप टेल्ड मैकाक
  • बंगाल हनुमान लंगूर
  • हिमालयन ब्लैक बियर
  • हिमालयन सैलामैंडर
  • उड़ने वाली गिलहरी, विशाल गिलहरी
  • स्पर्म व्हेल
  • भारतीय कोबरा, किंग कोबरा
  • जानवरों की वे प्रजातियाँ, जो संकटग्रस्त नहीं हैं उन्हें अनुसूची III और IV के अंतर्गत शामिल किया गया है।
  • इसमें प्रतिबंधित शिकार वाली संरक्षित प्रजातियाँ शामिल हैं, लेकिन किसी भी उल्लंघन के लिये दंड पहली दो अनुसूचियों की तुलना में कम है।
  • चित्तीदार हिरण
  • नीलगाय 
  • सांभर (हिरण)
  • नीलकण्ठ पक्षी
  • हॉर्सशू क्रैब
  • इस अनुसूची में ऐसे जानवर शामिल हैं जिन्हें ‘कृमि’ (छोटे जंगली जानवर जो बीमारी फैलाते हैं और पौधों तथा भोजन को नष्ट करते हैं) माना जाता है। इन जानवरों का शिकार किया जा सकता है।
  • फ्रूट्स बैट्स 
  • यह निर्दिष्ट पौधों की खेती को विनियमित करता है और उनके कब्ज़े, बिक्री और परिवहन को प्रतिबंधित करता है।
  • निर्दिष्ट पौधों की खेती और व्यापार दोनों ही सक्षम प्राधिकारी की पूर्व अनुमति से ही किया जा सकता है।
  • साइकस बेडडोमि 
  • ब्लू वांडा (ब्लू ऑर्किड)
  • रेड वांडा (रेड ऑर्किड)
  • कुथु (सौसुरिया लप्पा)
  • स्लीपर ऑर्किड
  • पिचर प्लांट (नेपेंथेस खासियाना)

conservation of animals essay in hindi

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वन्य जीव संरक्षण पर निबंध vanya jeev sanrakshan essay in hindi – wildlife conservation.

Know information about Vanya Jeev Sanrakshan in Hindi (वन्य जीव संरक्षण) which is known as Wildlife Conservation. Read Vanya Jeev Sanrakshan Essay in Hindi वन्य जीव संरक्षण पर निबंध (Essay on Wildlife Conservation in Hindi).

Vanya Jeev Sanrakshan Essay in Hindi

वन्य जीव संरक्षण पर निबंध Vanya Jeev Sanrakshan Essay in Hindi

Vanya Jeev Sanrakshan essay in Hindi 150 Words

वन्य जीवों का वनो से अटूट रिश्ता है। वनों में रहने वाले जीव – जंतु और पक्षियों के लिए यही वन उनका घर है। मनुष्य के लिए वन प्रकृति का ऐसा वरदान है, जिस पर उसका अस्तित्व,उन्नति एवं समद्धि निर्भर है। वन्य जीवों से मानव जाति को अनेकानेक लाभ प्राप्त हो रहे है। पर्यटन के क्षेत्र में वन्य प्राणियों की भूमिका महत्वपूर्ण है। वन्य प्राणियों से प्राकृतिक संतुलन बना रहता है।

औद्योगिकरण और बढ़ती जनसंख्या के कारण वनक्षेत्र सिमटते चले जा रहे है। इसके कारण वन्य जीवों की प्रजाति नष्ट होने लगी है। वन्य जीवों का नष्ट एवं विलुप्त होना हमारे लिए खतरे का संकेत है। मानव जाति को यदि अपना अस्तित्व बनाए रखना है, पर्यावरण को संतुलित रखना है,पर्यटन को बढ़ावा देना है, एवं वनों को बचाए रखना है तो वन्य जीवों का संरक्षण करना होगा।

वन्य जीवों को सुरक्षित रखना मानव जाति का आवश्यक कर्तव्य है। आज पूरे देश में वन्य जीवों का रक्षण करने के लिए राष्ट्रीय उद्यान एवं अभ्यारण्यों की स्थापना की गई है।

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जंगल/वन पर निबंध

conservation of animals essay in hindi

By विकास सिंह

Essay on jungle in hindi

एक जंगल मूल रूप से भूमि का एक टुकड़ा होता है जिसमें बड़ी संख्या में पेड़ और विभिन्न किस्मों के पौधे शामिल होते हैं। प्रकृति की ये खूबसूरत रचनाएँ विभिन्न प्रजातियों के जानवरों के लिए घर का काम करती हैं। घने वृक्षों, झाड़ियों, काई और विविध प्रकार के पौधों से आच्छादित एक विशाल विस्तार को जंगल के रूप में जाना जाता है। दुनिया भर में विभिन्न प्रकार के वन हैं जो वनस्पतियों और जीवों की विभिन्न किस्मों के लिए घर हैं।

वन पर निबंध, Essay on jungle in hindi (200 शब्द)

एक जंगल को एक जटिल पारिस्थितिकी तंत्र के रूप में जाना जाता है जो पेड़ों, झाड़ियों, घास और काई से घनी होती है। जंगलों का एक हिस्सा बनने वाले पेड़ और अन्य पौधे एक ऐसा वातावरण बनाते हैं जो जानवरों की कई प्रजातियों के प्रजनन के लिए स्वस्थ होता है। इस प्रकार जंगली जानवरों और पक्षियों की एक विशाल विविधता के लिए एक निवास स्थान है।

दुनिया के विभिन्न हिस्सों में विभिन्न प्रकार के जंगल उगते हैं। इन्हें मुख्य रूप से तीन श्रेणियों में बांटा गया है- वर्षा वन, शंकुधारी वन और पर्णपाती वन। वन मुख्य रूप से पारिस्थितिक तंत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं क्योंकि वे जैव विविधता में प्रमुख रूप से सहायता करते हैं। जंगलों की उपस्थिति के कारण ही बड़ी संख्या में पक्षी और जानवर जीवित रहते हैं।

हालांकि, दुर्भाग्य से वनों को विभिन्न उद्देश्यों की पूर्ति के लिए तीव्र गति से काटा जा रहा है। विभिन्न जंगलों में उगने वाले पेड़ों से प्राप्त विभिन्न वस्तुओं की मांग में वृद्धि और बढ़ती आबादी को समायोजित करने की आवश्यकता वनों की कटाई के प्रमुख कारणों में से हैं। यह महसूस करना महत्वपूर्ण है कि मानव जाति के अस्तित्व के लिए वन आवश्यक हैं। वन वातावरण को शुद्ध करने में मदद करते हैं, जलवायु नियंत्रण में सहायता करते हैं, प्राकृतिक जल के रूप में कार्य करते हैं और कई लोगों के लिए आजीविका का स्रोत हैं।

इस प्रकार वनों को संरक्षित किया जाना चाहिए। वनों की कटाई एक वैश्विक मुद्दा है और इस मुद्दे को नियंत्रित करने के लिए प्रभावी उपाय किए जाने चाहिए।

वन पर निबंध, Essay on forest in hindi (300 शब्द)

वन को आम तौर पर विभिन्न प्रकार के पौधों और पेड़ों से आच्छादित एक विशाल क्षेत्र के रूप में जाना जाता है। ये ज्यादातर विभिन्न जंगली जानवरों और पक्षियों की विभिन्न प्रजातियों के लिए एक निवास स्थान हैं। वन विभिन्न परतों से बने होते हैं जिनका अपना महत्व और कार्य होता है।

वनों का महत्व:

वन पारिस्थितिक तंत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। वनों को संरक्षित करने और अधिक पेड़ उगाने की आवश्यकता पर अक्सर जोर दिया जाता है। ऐसा करने के लिए कुछ शीर्ष कारण इस प्रकार हैं:

वायुमंडल की शुद्धि : यह सामान्य ज्ञान है कि पौधे ऑक्सीजन और साँस कार्बन डाइऑक्साइड को बाहर निकालते हैं। वे अन्य ग्रीनहाउस गैसों को भी अवशोषित करते हैं जो वायुमंडल के लिए हानिकारक हैं। पेड़ और जंगल इस प्रकार हवा को शुद्ध करने में मदद करते हैं और साथ ही साथ वायुमंडल को भी पूरा करते हैं।

वातावरण नियंत्रण:  पेड़ और मिट्टी वाष्पीकरण की प्रक्रिया के माध्यम से वायुमंडलीय तापमान को नियंत्रित करते हैं। यह जलवायु को स्थिर करने में सहायक है। वन तापमान को ठंडा रखते हैं। उनके पास अपने स्वयं के माइक्रॉक्लाइमेट बनाने की शक्ति भी है। उदाहरण के लिए, अमेज़ॅन वायुमंडलीय स्थिति बनाता है जो आसपास के क्षेत्रों में नियमित वर्षा को बढ़ावा देता है।

पशु और पक्षियों के लिए आवास:  वन जंगली जानवरों और पक्षियों की कई प्रजातियों के लिए एक घर के रूप में काम करते हैं। ये इस प्रकार जैव विविधता को बनाए रखने के लिए एक महान साधन हैं जो स्वस्थ वातावरण बनाए रखने के लिए अत्यंत आवश्यक हैं।

प्राकृतिक जलग्रहण:  पेड़ जंगल से चलने वाली नदियों और झीलों के ऊपर एक छाया बनाते हैं और उन्हें सूखने से बचाते हैं।

लकड़ी का स्रोत:  लकड़ी का उपयोग फर्नीचर के विभिन्न टुकड़ों को बनाने के लिए किया जाता है, जिसमें अन्य चीजों के अलावा टेबल, कुर्सियां ​​और बेड शामिल हैं। वन विभिन्न प्रकार की लकड़ियों के स्रोत के रूप में कार्य करते हैं।

आजीविका के साधन:  दुनिया भर में लाखों लोग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अपनी आजीविका के लिए जंगलों पर निर्भर हैं। वनों के संरक्षण और प्रबंधन के लिए लगभग 10 मिलियन सीधे कार्यरत हैं।

निष्कर्ष:

इस प्रकार वन मानव जाति के अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण हैं। ताजी हवा से हम उस लकड़ी की साँस लेते हैं जिसे हमें सोने के लिए बिस्तर बनाने की आवश्यकता होती है – सब कुछ जंगलों से प्राप्त होता है।

वन पर निबंध, Essay on jungle in hindi (400 शब्द)

वन वृक्षों से आच्छादित एक विशाल विस्तार है। दुनिया भर में विभिन्न प्रकार के वन हैं। इन्हें उनके प्रकारों की मिट्टी, पेड़ों और वनस्पतियों और जीवों की अन्य प्रजातियों के आधार पर वर्गीकृत किया गया है। पृथ्वी का एक बड़ा भाग वनों से आच्छादित है।

शब्द की उत्पत्ति – वन:

वन शब्द पुराने फ्रांसीसी शब्द से आया है जिसका अर्थ है विशाल भूमि जो मुख्य रूप से पेड़ों और पौधों के प्रभुत्व वाली है। इसे अंग्रेजी में एक शब्द के रूप में पेश किया गया था, जिसमें जंगली भूमि का उल्लेख था जिसे लोगों ने शिकार के लिए खोजा था। पेड़ों पर इसका कब्जा हो भी सकता है और नहीं भी।

यदि यह मामला था, तो कुछ लोगों ने दावा किया कि वन शब्द मध्यकालीन लैटिन शब्द फॉरेला से लिया गया था जिसका अर्थ खुली लकड़ी होता था। मध्यकालीन लैटिन में इस शब्द का उपयोग विशेष रूप से राजा के शाही शिकार के मैदान को संबोधित करने के लिए किया जाता था।

एक जंगल में विभिन्न परतें:

एक जंगल अलग-अलग परतों से बना होता है जो एक साथ जगह रखने में अपनी भूमिका निभाते हैं। इन परतों को फॉरेस्ट फ्लोर, अंडरस्टोरी, कैनोपी और इमर्जेंट लेयर की संज्ञा दी गई है। इनमें से, इमर्जेंट परत केवल उष्णकटिबंधीय वर्षा वनों में मौजूद है। यहाँ इन परतों में से प्रत्येक पर एक करीब से देखो:

जंगल की ज़मीन: इस परत में पत्तियों, मृत पौधों, टहनियों और पेड़ों और जानवरों की बूंदों को विघटित करना शामिल है। इन चीजों के सड़ने से नई मिट्टी बनती है और पौधों को आवश्यक पोषक तत्व भी मिलते हैं।

अंडरस्टोरी: यह परत झाड़ियों और पेड़ों से बनी होती है, जिनका उपयोग चंदवा की छाँव में उगने और रहने के लिए किया जाता है। यह पर्याप्त धूप से रहित होने के लिए जाना जाता है।

चंदवा: यह तब बनता है जब विशाल पेड़ों की शाखाओं, टहनियों और पत्तियों की एक बड़ी संख्या परस्पर जुड़ जाती है। ये पूरी तरह से विकसित पेड़ सूर्य के प्रकाश की अधिकतम मात्रा प्राप्त करते हैं और जंगल में पौधों और पेड़ों के बाकी हिस्सों के लिए एक सुरक्षात्मक परत बनाते हैं।

यह सबसे मोटी परत के रूप में जाना जाता है। यह बारिश के अधिकांश पौधों और पेड़ों को कवर करने से रोकता है। बंदरों, मेंढकों, आलसियों, सांपों, छिपकलियों और पक्षियों की विभिन्न प्रजातियों को यहाँ रहने के लिए जाना जाता है।

आकस्मिक परत: यह परत, जो उष्णकटिबंधीय वर्षा वन का एक हिस्सा बनाती है, बिखरी हुई पेड़ की शाखाओं से बनी होती है और उस परत को चंदवा के ऊपर छोड़ देती है। सबसे ऊंचे पेड़ इस जगह तक पहुंचते हैं और इस परत का एक हिस्सा बनाते हैं।

वन पर्यावरण का एक अनिवार्य हिस्सा हैं। हालांकि, दुर्भाग्यवश मानव विभिन्न उद्देश्यों की पूर्ति के लिए नेत्रहीन रूप से पेड़ों को काट रहा है जिससे पारिस्थितिक संतुलन बिगड़ रहा है। वृक्षों और वनों को बचाने की आवश्यकता को अधिक गंभीरता से लिया जाना चाहिए।

जंगल पर निबंध, 500 शब्द:

एक जंगल एक विशाल भूमि है जिसमें बड़ी संख्या में पेड़, बेलें, झाड़ियाँ और पौधों की अन्य किस्में शामिल हैं। जंगलों में काई, कवक और शैवाल भी होते हैं। ये पक्षियों, सरीसृपों, सूक्ष्मजीवों, कीड़े और जानवरों की एक विस्तृत विविधता के लिए घर हैं। वन पृथ्वी पर जैव विविधता बनाए रखते हैं और इस प्रकार ग्रह पर स्वस्थ वातावरण बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण हैं।

जंगलों के प्रकार:

दुनिया भर के वनों को विभिन्न श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है। यहाँ विभिन्न प्रकार के वनों पर एक नज़र है जो पृथ्वी की पारिस्थितिक प्रणाली का एक हिस्सा बनाते हैं:

ऊष्णकटिबंधीय वर्षावन:

ये बेहद घने जंगल हैं और प्रमुख या पूरी तरह से सदाबहार पेड़ों से युक्त होते हैं जो पूरे साल हरे-भरे रहते हैं। हालाँकि, आप चारों ओर हरे-भरे हरियाली देख सकते हैं, क्योंकि ये चंदवा और उसी के ऊपर एक उभरती हुई परत से ढके होते हैं, ये पर्याप्त धूप से रहित होते हैं और इस तरह ज्यादातर गहरे और नम होते हैं। वे वर्ष भर खूब वर्षा करते हैं लेकिन फिर भी यहाँ का तापमान अधिक है क्योंकि ये भूमध्य रेखा के पास स्थित हैं। जानवरों, पक्षियों और मछलियों की कई प्रजातियाँ यहाँ प्रजनन करती हैं।

उप-उष्णकटिबंधीय वन: 

ये वन उष्णकटिबंधीय जंगलों के उत्तर और दक्षिण में स्थित हैं। ये जंगल ज्यादातर सूखे जैसी स्थिति का अनुभव करते हैं। यहाँ के पेड़ और पौधे गर्मियों के सूखे को बनाए रखने के लिए अनुकूलित हैं।

पर्णपाती वन:

ये जंगल मुख्य रूप से उन पेड़ों के लिए घर हैं जो हर साल अपने पत्ते खो देते हैं। पर्णपाती वन ज्यादातर क्षेत्रों में प्रवेश करते हैं जो हल्के सर्दियों और गर्म अभी तक नम गर्मियों का अनुभव करते हैं। ये यूरोप, उत्तरी अमेरिका, न्यूजीलैंड, एशिया और ऑस्ट्रेलिया सहित दुनिया के विभिन्न हिस्सों में पाए जा सकते हैं। अखरोट, ओक, मेपल, हिकॉरी और चेस्टनट के पेड़ ज्यादातर यहां पाए जाते हैं।

समशीतोष्ण वन: 

शीतोष्ण वनों में पर्णपाती और शंकुधारी सदाबहार पेड़ों की वृद्धि देखी जाती है। उत्तर पूर्वी एशिया, पूर्वी उत्तरी अमेरिका और पश्चिमी और पूर्वी यूरोप में स्थित इन जंगलों में पर्याप्त वर्षा होती है।

मोन्टेन वन: 

इन्हें मेघ वनों के रूप में जाना जाता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इन वनों से उनके अधिकांश नीचे कोहरे या धुंध से आते हैं जो तराई से आते हैं। ये ज्यादातर उष्णकटिबंधीय, उपोष्णकटिबंधीय और समशीतोष्ण क्षेत्रों में स्थित हैं। ये जंगल ठंड के मौसम के साथ-साथ तेज धूप का अनुभव करते हैं। इन जंगलों के बड़े हिस्से में कोनिफर्स का कब्जा है।

वृक्षारोपण वन: 

ये मूल रूप से बड़े खेत हैं जो नकदी फसलों जैसे कॉफी, चाय, गन्ना, तेल हथेलियों, कपास और तेल के बीज उगाते हैं। वृक्षारोपण वन में लगभग 40% औद्योगिक लकड़ी का उत्पादन होता है। ये विशेष रूप से टिकाऊ लकड़ी और फाइबर के उत्पादन के लिए जाने जाते हैं।

भूमध्यसागरीय वन: 

ये वन भूमध्यसागरीय, चिली, कैलिफोर्निया और पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया के तटों के आसपास स्थित हैं। इनमें सॉफ्टवुड और दृढ़ लकड़ी के पेड़ों का मिश्रण है और यहाँ के लगभग सभी पेड़ सदाबहार हैं।

शंकुधारी वन: 

ये जंगल ध्रुवों के पास पाए जाते हैं, मुख्य रूप से उत्तरी गोलार्ध में, और पूरे वर्ष के दौरान ठंडी और घुमावदार जलवायु का अनुभव करते हैं। वे दृढ़ लकड़ी और शंकुधारी पेड़ों के विकास का अनुभव करते हैं। पाइंस, फ़िरोज़, हेमलॉक और स्प्रेज़ की वृद्धि यहां एक आम दृश्य है। शंकुधारी पेड़ सदाबहार होते हैं और अच्छी तरह से सूखे की स्थिति के अनुकूल होते हैं।

वन प्रकृति की एक सुंदर रचना हैं। हमारे ग्रह के विभिन्न हिस्सों में विभिन्न प्रकार के वन शामिल हैं जो विभिन्न पौधों और जानवरों के लिए घर हैं और कई लोगों के लिए आजीविका का साधन हैं।

जंगल पर निबंध, Essay on jungle in hindi (600 शब्द)

पेड़ों, पौधों और झाड़ियों से ढकी एक विशाल भूमि और जंगली जानवरों की विभिन्न प्रजातियों के लिए ज्यादातर घर एक जंगल के रूप में संदर्भित हैं। वन पृथ्वी की पारिस्थितिक प्रणाली का एक अनिवार्य हिस्सा हैं वे ग्रह की जलवायु को बनाए रखने में मदद करते हैं, वातावरण को शुद्ध करते हैं, वाटरशेड की रक्षा करते हैं, जानवरों के लिए एक प्राकृतिक आवास और लकड़ी का एक प्रमुख स्रोत है जो हमारे दिन-प्रतिदिन के जीवन में उपयोग किए जाने वाले कई उत्पादों के उत्पादन के लिए उपयोग किया जाता है।

भारत – सबसे बड़े वन आवरण वाले देशों में से एक:

भारत दुनिया के शीर्ष दस वन-समृद्ध देशों में से है, जिसमें अन्य लोग ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, चीन, कनाडा, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो, रूसी संघ, संयुक्त राज्य अमेरिका, इंडोनेशिया और सूडान हैं। भारत के साथ ये देश दुनिया के कुल वन क्षेत्र का लगभग 67% हिस्सा हैं।

अरुणाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र उन राज्यों में से हैं, जिनका भारत में सबसे बड़ा वन क्षेत्र है।

भारत में कुछ वन:

भारत कई हरे-भरे जंगलों को घेरने के लिए जाना जाता है। इनमें से कई को पर्यटक स्थलों में भी बदल दिया गया है। दूर-दूर के लोग जंगल में जंगल का अनुभव करने के लिए और उनके द्वारा दी जाने वाली शांति का आनंद लेते हैं। यहाँ देश के कुछ शीर्ष जंगलों पर एक नज़र है:

सुंदरबन, पश्चिम बंगाल: 

पश्चिम बंगाल में स्थित सुंदरवन के जंगल इस सूची में शीर्ष पर हैं जब यह देश के सबसे आकर्षक जंगलों में आता है। ये सफेद बाघ का घर हैं जो शाही बंगाल बाघ का एक प्रकार है।

गिर वन, गुजरात:

गुजरात के जूनागढ़ जिले में 1,412 वर्ग किलोमीटर से अधिक के क्षेत्र में फैला, गिर जंगल एशियाई शेर का घर है।

जिम कॉर्बेट, उत्तराखंड:

वर्ष 1936 में स्थापित, यह स्थान वन्यजीव प्रेमियों के लिए एक खुशी की बात है। यह देश का एक ऐसा जंगल है जो दुनिया भर से पर्यटकों की अधिकतम संख्या को आकर्षित करने के लिए जाना जाता है।

रणथंभौर, राजस्थान:

भारतीय राज्य राजस्थान के सवाई माधोपुर शहर के पास स्थित रणथंभौर में तेंदुए, बाघ और दलदली मगरमच्छ हैं। यह पदम तालाओ झील के लिए भी जाना जाता है जो पानी के लिली की प्रचुरता को बढ़ाती है।

खासी वन, मेघालय:

पूर्वोत्तर भारत में यह जगह अपनी हरी भरी हरियाली के लिए जानी जाती है। खासी जंगलों में अधिक मात्रा में वर्षा होती है और पूरे साल यह हरा-भरा रहता है।

भारत में वानिकी:

भारत में वानिकी एक प्रमुख ग्रामीण उद्योग है। यह बड़ी संख्या में लोगों की आजीविका का साधन है। भारत प्रसंस्कृत वन उत्पादों की एक विशाल श्रृंखला का उत्पादन करने के लिए जाना जाता है। इनमें सिर्फ लकड़ी से बने सामान ही नहीं, बल्कि गैर-लकड़ी उत्पादों की भी पर्याप्त मात्रा शामिल है। इसके गैर-लकड़ी उत्पादों में आवश्यक तेल, औषधीय जड़ी-बूटियां, रेजिन, फ्लेवर, सुगंध और सुगंध रसायन, मसूड़े, लेटेक्स, हस्तशिल्प, अगरबत्ती और खुजली वाली सामग्री शामिल हैं।

वनों की कटाई की समस्या:

वनों की कटाई, खेती और इमारतों के निर्माण जैसे उद्देश्यों के लिए जंगल के एक बड़े हिस्से से पेड़ों को साफ करने की प्रक्रिया है। ऐसी भूमि पर पेड़ कभी नहीं लगाए जाते हैं।

आंकड़े बताते हैं कि औद्योगिक युग के विकास के बाद से दुनिया भर के लगभग आधे जंगल नष्ट हो गए हैं। आने वाले समय में संख्या बढ़ने की संभावना है क्योंकि उद्योगपति लगातार निजी लाभ के लिए वन भूमि का उपयोग कर रहे हैं। लकड़ी और पेड़ों के अन्य घटकों से बने विभिन्न सामानों के उत्पादन के लिए बड़ी संख्या में पेड़ों को भी काटा जाता है।

वनों की कटाई का पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसके कारण होने वाली कुछ समस्याएं मिट्टी का कटाव, जल चक्र का विघटन, जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता का नुकसान हैं।

वन मानव जाति के लिए वरदान हैं। भारत विशेष रूप से कुछ सबसे सुंदर जंगलों के साथ धन्य है जो पक्षियों और जानवरों की कई दुर्लभ प्रजातियों के लिए घर हैं। वनों के महत्व को पहचानना चाहिए और वनों की कटाई के मुद्दे को नियंत्रित करने के लिए सरकार को उपाय करना चाहिए।

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विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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जैव विविधता और संरक्षण

पृथ्वी पर पाए जाने वाले पौधों, जानवरों, कवकों और सूक्ष्मजीवों सहित जीवन के अन्य सभी रूपों की विस्तृत श्रृंखला में काफी अधिक विविधता पाई जाती है. इसी विविधता को ही जैव विविधता कहा जाता है. जीवन के अलावा इसमें उस पर्यावरण को भी शामिल किया जाता है, जो इन जीवों का आवास है. यह हमारे ग्रह के स्वास्थ्य और कार्यक्षमता का एक महत्वपूर्ण पहलू है. जैव विवधता पारिस्थितिक तंत्र को बरकार रखने में दवा का काम कर इसे स्वस्थ्य बनाए रखता है. साथ ही इससे हमें प्राकृतिक ‘ सांस्कृतिक मूल्य ‘ भी प्राप्त होता है.

जैव विविधता को आनुवंशिक , प्रजाति विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र के विविधता में वर्गीकृत किया गया है. जैव विविधता प्राकृतिक दुनिया और पृथ्वी पर जीवन के स्वास्थ्य में अद्वितीय भूमिका निभाता है. लेकिन, जीवों के प्राकृतिक आवास के विनाश और जलवायु परिवर्तन जैसे नकारात्मक खतरों से कई प्रजातियों के विलुप्ति का संकट पैदा हुआ है. कई तो विलुप्त हो गए है या होने के करीब है. इसलिए जैव विविधता के संरक्षण का सामूहिक प्रयास जरुरी है.

बढ़ते प्रदुषण , बढ़ती जन आबादी, प्रकृति में बढ़ते मानवीय हस्तक्षेप, घटते वन और मानव द्वारा अन्य जीवों के आवास के अतिक्रमण से कई जीव-जंतुओं, पौधों, पक्षी और सूक्ष्मजीवों के अस्तित्व पर गहरा संकट पड़ा है. इससे धरती के जैविक विविधता को नुकसान हुआ है और इसमें निरंतर वृद्धि हो रही है. पृथ्वी पर जीवन और जीवधारियों पर आए इस संकट को ही जैव विविधता संकट कहा जाता है.

जैविक विविधता पर कन्वेंशन (Convention on Biodiversity – CBD) और साइट्स (CITES – Convention on International Trade in Endangered Species of Wild Fauna and Flora) जैसे अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों और संधियों का संबंध जैव विविधता संरक्षण से है. संयुक्त राष्ट्र द्वारा अपने दशकीय और सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) में एकीकरण जैसी पहलों के माध्यम से भी जैव विविधता को संरक्षित करने का प्रयास किया जा रहा है.

Table of Contents

परिचय और इतिहास (Introduction and History)

जैव विविधता (Biodiversity) दो शब्दों – जैविक (Biological) और विविधता (Diversity) – से बंना है. इस शब्द के प्रथम प्रयोग के बारे में विवाद है. विकिपीडिया के अंग्रेजी संस्करण के अनुसार, 1980 में थॉमस लवजॉय ने एक किताब में वैज्ञानिक समुदाय के लिए जैविक विविधता (Biological Diversity) शब्द पेश किया. इसके बाद इस शब्द का व्यापक इस्तेमाल सामान्य होते चला गया.

एडवर्ड ओ. विल्सन (Edward O. Wilson) के अनुसार, 1985 में जैव विविधता का अनुबंधित (Contracted) रूप डब्ल्यू. जी. रोसेन (W. G. Rosen) द्वारा गढ़ा गया था. इसके तर्क में उन्होंने कहा कि “जैव विविधता पर राष्ट्रीय मंच” की कल्पना वाल्टर जी.रोसेन ने की थी. इसी दौरान उन्होंने जैव विविधता (Biodiversity) शब्द के उपयोग की शुरुआत की. इसलिए जैव विविधता का प्रथम इस्तेमाल करने का श्रेय वाल्टर जी. रोसेन को दिया जा सकता है.

जैव विविधता क्या है(What is Biodiversity in Hindi)?

अलग-अलग विद्वानों ने ‘ जैव विविधता ‘ शब्द का कई परिभाषाएँ दी है. इसे किसी क्षेत्र के जीन, प्रजातियों और पारिस्थितिक तंत्र की समग्रता’ के रूप में भी परिभाषित किया जा सकता है. इसमें प्रजातियों के भीतर, प्रजातियों के बीच और पारिस्थितिक तंत्र की विविधता शामिल है.

जैव विविधता को विभिन्न पारिस्थितिक तंत्रों में मौजूद जीवों के बीच सापेक्ष विविधता के माप के रूप में भी देखा जाता है. इस परिभाषा में, विविधता में प्रजातियों के भीतर और प्रजातियों के बीच भिन्नता और पारिस्थितिक तंत्र के बीच तुलनात्मक विविधता शामिल है.

गैस्टन और स्पाइसर (2004) के अनुसार, यह ‘ जैविक संगठन के सभी स्तरों पर जीवन की विविधता ‘ है.

1992 में रियो डि जेनेरियो में आयोजित पृथ्वी सम्मेलन के अनुसार, “ जैव विविधता समस्त स्रोतों, यथा-अंतर्क्षेत्राीय, स्थलीय, सागरीय एवं अन्य जलीय पारिस्थितिक तंत्रों के जीवों के मध्य अंतर और साथ ही उन सभी पारिस्थितिक समूह, जिनके ये भाग हैं, में पाई जाने वाली विविधताएँ हैं. इसमें एक प्रजाति के अंदर पाई जाने वाली विविधता, विभिन्न जातियों के मध्य विविधता तथा पारिस्थितिकीय विविधता सम्मिलित है. “

जैविक विविधता पर कन्वेंशन (ग्लोका एट अल, 1994) के अनुसार, “ जैव विविधता को सभी स्रोतों से जीवित जीवों के बीच परिवर्तनशीलता के रूप में परिभाषित किया गया, जिसमें अन्य चीजें, स्थलीय, समुद्री और अन्य जलीय पारिस्थितिक तंत्र और पारिस्थितिक परिसर शामिल हैं; जिनका वे हिस्सा हैं “.

जैव विविधता के स्तर (Levels of Biodiversity in Hindi)

Levels of Biodiversity

जैव विविधता को तीन स्तरों में विभाजित किया जा सकता है. ये तीनों मिलकर पृथ्वी पर जीवन के संभावनाओं को साकार करते है. ये है:

  • आनुवंशिक विविधता
  • प्रजाति विविधता
  • पारिस्थितिकी तंत्र विविधता

1. आनुवंशिक विविधता (Genetic Diversity in Hindi)

एक प्रजाति के भीतर वंशानुगत जानकारी (जीन) की बुनियादी इकाइयों में विविधता को आनुवंशिक विविधता कहा जाता है. जीनोम किसी जीव की आनुवंशिक सामग्री (यानी, डीएनए) का पूरा सेट है.

यह एक पीढ़ी से दूसरे पीढ़ी में हस्तांतरित होता है. मतलब कोई संतान अपने माता-पिता से इस गुण को प्राप्त करता है. इसी के कारण एक जीव का अगला पीढ़ी अपने पिछले पीढ़ी के समान गुण का होता है. किसी प्रजाति के दो जीवों के गुणों, बनावट, खानपान व व्यवहार में अंतर् का कारण भी आनुवंशिक विविधता ही है. इसी कारण दो मनुष्यों के चेहरे, रंगरूप व गुणों में अंतर होते है. वास्तव में, आनुवंशिक विविधता ही जैव विविधता का मूल स्त्रोत है और विभिन्न प्रजातियों का आधार है.

एक ही प्रजाति के पक्षियों के स्वर, पंखों के रंग, सेब और अन्य खाद्य पदार्थों के रंग, स्वाद और बनावट इत्यादि अलग-अलग होने का कारण आनुवंशिक विविधता ही है.

आनुवंशिक विविधता यह निर्धारित करता है कि कोई जीव अपने पर्यावरण के प्रति किस हद तक अनुकूलन कर सकता है. धरती पर जलवायु परिवर्तन के इतिहास को देखते हुए, यह अनुकूलन उक्त जीव के अस्तित्व के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है. लेकिन जानवरों के सभी समूहों में आनुवंशिक विविधता समान नहीं होती है. आनुवंशिक विविधता को संरक्षित करने के लिए, एक प्रजाति की विभिन्न आबादी को संरक्षित किया जाना चाहिए.

इस तरह बदलते पर्यावरण और मौसम के कारण आनुवंशिक गुण व जीन प्रकृति के लिए महत्वपूर्ण हो जाते है. इसी को ध्यान में रखते हुए विश्व में जीनों को संरक्षित करने के प्रयास भी किए जा रहे है. ग्लोबल जीनोम इनिशिएटिव एक ऐसा ही प्रोजेक्ट है. जीनोम के नमूनों को एकत्रित व संरक्षित कर पृथ्वी की जीनोमिक जैव विविधता को बचाना ही इसका लक्ष्य है.

2. प्रजातीय विविधता (Species Diversity in Hindi)

प्रजाति विविधता से तात्पर्य किसी पारिस्थितिक तंत्र में विभिन्न प्रजातियों की विविधता से है. दो प्रजाति समान नहीं होते है, जैसे इंसान और चिम्पांजी. दोनों के जीन में 98.4 प्रतिशत का समानता होता है. लेकिन दोनों अलग-अलग जीवधारी है. यहीं अंतर प्रजति विविधता कहलाता है.

दूसरे शब्दों में, किसी प्रजाति की आबादी के भीतर या किसी समुदाय की विभिन्न प्रजातियों के बीच पाई जाने वाली परिवर्तनशीलता ही प्रजातीय विविधता है. प्रजाति किसी जीव का बुनियादी इकाई होता है, जिसका उपयोग जीवों को वर्गीकृत करने के लिए किया जाता है. इसका इस्तेमाल जैव विविधता का वर्णन करने में सबसे अधिक होता है. इसी से किसी प्रजाति के समुदाय के समृद्धि, प्रचुरता और पर्यावरण से अनुकूलता का पता चलता है.

यदि प्रजातियों की संख्या और प्रकार के साथ ही प्रति प्रजाति अधिक आबादी से जैविक विविध परिस्थिति का पता चलता है. प्रजातीय विविधता को 0 से एक के बीच मापा जाता है. 0 सबसे अधिक विविधता को दर्शाता है, जबकि 1 सबसे कम विविधता को दर्शाता है. यदि किसी परिस्थिति में प्रजातीय विविधता 1 है तो माना जाता है कि उक्त जगह सिर्फ एक प्रजाति निवास कर रहा है.

किसी भी पारिस्थितिक तंत्र में प्रजातीय विविधता कायम होना उसके सुरक्षा के लिए नितांत जरुरी है. उदाहरण के लिए, नाइट्रोजन चक्र में बैक्टीरिया, पौधे और केंचुए भाग लेते है. इससे मिटटी को उर्वरता प्राप्त होता है. यदि इनमें कोई एक जीव विलुप्त हो जाए तो नाइट्रोजन चक्र समाप्त हो जाएगा. इससे मिटटी के उर्वरता के साथ-साथ मानव खाद्य श्रृंखला भी प्रभावित होगी.

3. पारिस्थितिकीय विविधता (Ecological Diversity in Hindi)

पारिस्थितिकी तंत्र जीवन के जैविक घटकों का एक समूह है जो आपस में और पर्यावरण के निर्जीव या अजैविक घटकों के साथ परस्पर सम्बन्धित होते है. मतलब, पारिस्थितिकी तंत्र जीवों और भौतिक पर्यावरण का एक साथ पारस्परिक क्रिया है. पारिस्थितिकी तंत्र के उदाहरण में ग्रेट बैरियर रीफ, मकड़ी का जाल, तालाब, पहाड़, रेगिस्तान, समुद्र तट और नदी शामिल है. यहां अलग-अलग प्रकार के जीव निवास करते है.

इसलिए पारिस्थितिक तंत्र विविधता , आवासों की विविधता है, जहां जीवन विभिन्न रूपों में पाए जाते है. ऐसे स्थानों पर ख़ास प्रकार के जीव स्वाभाविक रूप से पाए जाते है. जैसे रेगिस्तान में कैक्टस, ऊँचे पर्वतों पर शंकुधारी वृक्ष, तालाबों में जलकुम्भी व मीठे जल की मछली इत्यादि, पारिस्थितिकीय विविधता का उदाहरण है.

जैव विविधता प्रवणता (Biodiversity Gradients in Hindi)

जलवायु जनित परिस्तिथियों के कारण बायोमास और प्रजातियों की संख्या में क्रमिक कमी जैव विविधता प्रवणता कहलाता है. इसके कारण जीवन के सघनता में निम्न प्रकार से बदलाव देखा जाता है-

  • उच्च अक्षांशों से निम्न अक्षांशों (ध्रुवों से भूमध्य रेखा) में जाने पर जीवों की संख्या और जैव विविधता में कमी पाया जाता है.
  • पर्वतीय क्षेत्रों में ऊंचाई के साथ ही विविधता में कमी होते जाता है.
  • टुंड्रा व टैगा जलवायु क्षेत्रों में विषुवतीय व उष्णकटिबंधीय वर्षावन वाले क्षेत्रों के तुलना में कम विविधता होता है.

इसके अलावा सागरीय पारिस्थितिकी भी जैव विविधता प्रवणता से प्रभावित होता है. समुद्र की गहराई बढ़ने के साथ-साथ जानवरों की संख्या कम हो जाती है, लेकिन प्रजातियों की विविधता बहुत अधिक होती है. सतह के करीब वाले समुद्री हिस्से अधिक उत्पादक होते हैं, क्योंकि उन्हें निचली गहराई की तुलना में अधिक प्रकाश प्राप्त होता है. यह उच्च उत्पादकता उन्हें विभिन्न प्रकार के जीवन रूपों का समर्थन करने की अनुमति देती है.

उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में बायोमास और अत्यधिक जनसंख्या के निम्नलिखित कारण है-

  • मैदानी व उष्णकटिबंधीय इलाकों में जीवन आसान होता है, जबकि टुंड्रा जैसे ठन्डे और पहाड़ों के चोटी पर जीवन कठिन होता है.
  • भूमध्य रेखा पर धुप की किरणे सीधी पड़ती है, इससे पौधों को अधिक ऊर्जा प्राप्त होता है. अधिक पौधें शाकाहारी जीवों के विकास में योगदान देते है और मांसभक्षियों की संख्या भी बढ़ जाती है.

जैव विविधता मापन के घटक (Components of Biodiversity Measurement in Hindi)

measurement of biodiversity alpha beta and gama

किसी स्थान में जैव विविधता के समृद्धि या एकरूपता का पता लगा के लिए विभिन्न तरीकों अपनाया जाता है. समुदाय और पारिस्थितिकी तंत्र के स्तर पर विविधता 3 स्तरों पर मौजूद है. पहली है अल्फा विविधता (सामुदायिक विविधता के भीतर), दूसरी है बीटा विविधता (समुदायों की विविधता के बीच) और तीसरी है गामा विविधता (कुल परिदृश्य या भौगोलिक क्षेत्र में आवासों की विविधता). इनकी व्याख्या इस प्रकार है:

1. अल्फा ( α ) विविधता (Alpha Diversity in Hindi):

किसी पारिस्थितिकी तंत्र में प्रजातियों की विविधता को मापती है. इसे आम तौर पर उस पारिस्थितिकी तंत्र में प्रजातियों की संख्या से व्यक्त किया जाता है. अल्फा विविधता एक समुदाय के भीतर छोटे पैमाने पर या स्थानीय स्तर पर प्रजातियों की विविधता का वर्णन करती है, आमतौर पर एक पारिस्थितिकी तंत्र के आकार की. जब हम लापरवाही से किसी क्षेत्र में विविधता की बात करते हैं, तो अक्सर इसका तात्पर्य अल्फा विविधता से होता है.

2. बीटा ( β ) विविधता (Beta Diversity in Hindi):

दो समुदायों या दो पारिस्थितिक तंत्रों के बीच प्रजातियों की विविधता में परिवर्तन का माप बीटा विविधता कहलाता है. यह आवासों या समुदायों की एक प्रवणता के साथ जातियों के विस्थापन दर से संबंधित है. यह जीवों की विविधता मापने का बड़ा पैमाना है और दो अलग-अलग अवयवों के बीच प्रजातियों की विविधता की तुलना करता है. ये अक्सर नदी या पर्वत श्रृंखला जैसी स्पष्ट भौगोलिक बाधा से विभाजित होती हैं.

3. गामा ( γ ) विविधता (Gama Diversity in Hindi):

एक बड़े भौगोलिक क्षेत्र की समग्र जैव विविधता को मापती है. यह एक क्षेत्र में विभिन्न पारिस्थितिक तंत्रों के लिए समग्र विविधता का माप है. गामा विविधता में विविधता का अध्ययन बहुत बड़े पैमाने पर किया जाता है. जैसे एक बायोम, जहां कई पारिस्थितिक तंत्रों के बीच प्रजातियों की विविधता की तुलना की जाती है. यह किसी पर्वत की संपूर्ण ढलान, या समुद्र तट के संपूर्ण तटीय क्षेत्र तक विस्तृत हो सकता है.

α, β और γ विविधता का महत्त्व (Importance of α, β and γ Diversity)

Alpha Beta and Gama Diversity Diagram for UPSC and Other State PCS Competitive Examination

विविधता के एक या दो स्तरों पर मानवीय हस्तक्षेप के काफी बढ़ गया है. इससे समग्र गामा विविधता में गिरावट हो रही है. इंसानों ने अपने आवश्यकताओं के पूर्ति के लिए प्रकृति का भरपूर दोहन किया है. जंगल के जगह खेत, शहर, सड़के और अन्य मानवीय संरचनाओं का निर्माण हुआ है, जो पारिस्थितिक तंत्र के सिकुड़ने का कारण बन गया.

इन छोटे तंत्रों में सड़कों और शहरों के अवरोध उत्पन्न हुए है. यह दो समुदायों के सम्पर्क में बाधा के तौर पर उभरा है. साथ ही, एक तरह के जैवीय वातावरण बना है, जिससे बीटा विविधता में वृद्धि हुई है.

इसके साथ ही दुनियाभर में गामा विविधता में गिरावट देखा जा रहा है. अल्फा विविधता स्थिर हो या मामूली रूप से कम हो रही है या बीटा-विविधता में उतार-चढ़ाव हो, दुनिया के विभिन्न स्थानों पर बड़े पैमाने पर जीवों की विलुप्ति गामा विविधता में कमी का स्पष्ट प्रमाण है.

जैव विविधता सूचकांक (Biodiversity Index in Hindi)

ये सूचकांक किसी पारिस्थितिकी तंत्र की जैव विविधता का मूल्य है. चूँकि कोई एक सूचकांक जैव विविधता के सभी पहलुओं का आकलन नहीं कर पाता है. इसलिए अनुसंधानकर्ताओं द्वारा विविधता का मूल्यांकन के लिए कई प्रकार के सूचकांकों का इस्तेमाल किया जाता है. यह मूल्यांकन मुख्यतः निम्नलिखित दो कारकों पर निर्भर होता है:

  • प्रचुरता (Richness)
  • समानता (Evenness)

1. प्रचुरता (Richness)

किसी सैंपल में उपलब्ध प्रजातियों की संख्या जितनी अधिक होगी, उसे उतना ही प्रचुर कहा जाएगा. विविधता के गणना के लिए प्रजाति के जीवों की संख्या का गणना नहीं किया जाता है. उदाहरण के लिए, किसी सैंपल में उपलब्ध आम के 5 पेड़ और कटहल के 25 पेड़ों को दो प्रजाति माना जाता है.

सैंपल में प्रजाति के जिस जीव या पौध का संख्या कम हो उसे अधिक भार दिया जाता है. उपरोक्त उदाहरण में आम के 5 पेड़ों को कटहल के 25 पेड़ों के तुलना में अधिक भार दिया जाएगा.

2. समानता (Evenness)

किसी सैंपल में विभिन्न प्रजातियों की सापेक्षिक उपलब्धता को सैंपल का समानता कहा जाता है. इसे आसानी से समझने के लिए नीचे दिए गए तालिका पर गौर करें:

प्रजातिसैंपल 1सैंपल 2
बरगद512129
लीची4871173
कटहल501198
कुल15001500

इस उदारहरण में पहला सैंपल अधिक समान है, क्योंकि इसमें तीनों प्रजातियों की संख्या लगभग समान है. इसलिए इसे अधिक विविध माना जाएगा.

जिस सैंपल में अत्यधिक प्रचुरता और समानता का गुण हो, उसमें उतना ही अधिक विविधता होता है.

जैव विविधता के अन्य सूचकांक (Other Indices of Biodiversity in Hindi)

विभिन्न जीव विज्ञानियों द्वारा अलग-अलग सूचकांक विकसित किए गए है. इनके माध्यम विविधता के सम्बन्ध में कई प्रकार के जानकारियां आसानी से प्राप्त हो जाते है. इनमें कुछ प्रमुख और विख्यात सूचकांक इस प्रकार है:

1. सिम्पसन विविधता सूचकांक (Simpson’s Diversity Index)

इसमें सूचकांक में समानता और प्रचुरता, दोनों का ध्यान रखा गया है. प्रचुरता और समानता, दोनों के लिए एक अंक निर्धारित किया गया है. सिम्पसन विविधता सूचकांक जैव विविधता को मापने के लिए काफी उपयोगी है. विविधता मापने के लिए कई अन्य सूचकांक भी है. अन्य सूचकांक, जैसे कि स्पीशीज़ समृद्धि और स्पीशीज़ समानता, कभी-कभी अधिक उपयुक्त होते हैं.

सिम्पसन विविधता सूचकांक का सूत्र निम्नलिखित है:

D = 1 – Σ n(n-1)/N(N-1)

D = सिम्पसन विविधता सूचकांक n = समुदाय में ख़ास प्रजाति के जीवों की संख्या N = समुदाय में सभी प्रजातियों के जीवों की संख्या

इस सूचकांक का मान 0 से 1 के बीच होता है. 0 का मतलब समुदाय में केवल एक प्रजाति के मौजूद होने का संकेत देता है, जबकि 1 का मान समुदाय में सभी प्रजातियों की समान प्रचुरता को दर्शाता है.

मतलब विविधता का मान उच्च होना प्रजातियों के विस्तृत श्रृंखला के उपस्थिति को दर्शाता है. यह प्रत्येक जीव की आनुपातिक तौर पर पर्याप्त प्रचुरता होना निर्धारित करता है. दूसरी तरफ,संख्या का मान कम होने का मतलब है समुदाय में प्रजाति की संख्या और प्रचुरता कम है.

सिम्पसन विविधता सूचकांक का उपयोग अक्सर जैव विविधता के नुकसान को ट्रैक करने के लिए किया जाता है. जैसे-जैसे प्रजातियां विलुप्त होती हैं, समुदाय में प्रजातियों की संख्या और प्रचुरता कम होते जाता है.विविधता में कमी के अनुसार सिम्पसन विविधता सूचकांक भी कम हो जाता है. इससे किसी ख़ास क्षेत्र के विविधता में हो रहे बदलाव का पता चल जाता है.

सिम्पसन विविधता सूचकांक का उदाहरण

प्रजातिसंख्या (n)n(n-1)
साल22
चन्दन856
सागवान10
शीशम10
महुआ36
कुल1564
N = 15Σ n(n-1) = 64

यहाँ सिम्पसन फॉर्मूले में Σ n(n-1) और N का मान रखने पर हमें विविधता का मान 0.7 प्राप्त होता है. यह एक के करीब है, इसलिए यह इलाका समान और प्रचुर विविधता के करीब माना जा सकता है.

सिम्पसन सूचकांक के लाभ और हानि (Advantages and Disadvantages of Simpson Index)

सिम्पसन विविधता सूचकांक के कुछ लाभ और नुकसान निम्नलिखित हैं:

लाभ (Advantages):

  • यह एक सरल और समझने में आसान सूचकांक है.
  • यह समुदाय में प्रजातियों की संख्या और प्रचुरता दोनों को ध्यान में रखता है.

नुकसान (Disadvantages):

  • यह प्रजातियों के आकार या वितरण को ध्यान में नहीं रखता है.
  • यह प्रजातियों के बीच संबंधों को ध्यान में नहीं रखता है.

2. शेनॉन-वीनर सूचकांक (Shannon-Weiner Index in Hindi)

यह सूचकांक मूलतः क्लाउड शेनॉन (Claude Shannon) द्वारा 1948 में प्रस्तुत किया गया था. यह सूचकांक सबसे अधिक प्रचलित है. इसमें प्रचुरता और समानता दोनों तरह के विविधता का ध्यान रखा गया है. इस सूचकांक का सबसे बड़ा खासियत इसका लॉग (Log) पर आधारित होना है, जो क्लाउड ई. शैनन और नॉर्बर्ट वीनर द्वारा विकसित सूचना के सिद्धांतों पर आधारित है.

सूचकांक का सूत्र निम्नलिखित है:

H’ = -\sum_{i=1}^{S} p_i \log_e p_i

H’ = शेनॉन – वीनर सूचकांक p_i = समुदाय में iवीं प्रजाति की प्रचुरता S = समुदाय में प्रजातियों की कुल संख्या

सिम्पसन सूचकांक के भांति शेनॉन-विनर सूचकांक का मान भी 0 से 1 के बीच होता है. 0 का मान पूर्ण रूप से एकल समुदाय को दर्शाता है. मललब इलाके में सिर्फ एक ही प्रजाति मौजूद है. वहीं, 1 का मान पूर्ण रूप से विविध समुदाय को दर्शाता है. मतलब इलाके में विभिन्न प्रजातियों के जीव समान रूप से प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है.

इस सूचकांक का उपयोग विभिन्न प्रकार के पारिस्थितिक समुदायों, जैसे कि वन, घास के मैदान, झीलें और महासागरों में प्रजातियों की विविधता को मापने के लिए किया जाता है. यह सूचकांक हमें यह समझने में मदद करता है कि प्रजातियों की विविधता को कैसे संरक्षित किया जाए. इसलिए यह पारिस्थितिकीय संरक्षण के लिए भी उपयोगी है.

खासियत और खामी

शेनॉन – वीनर सूचकांक के कुछ फायदे निम्नलिखित हैं:

  • यह सूचकांक सरल और आसानी से समझने योग्य है.
  • यह विभिन्न प्रकार के पारिस्थितिक समुदायों में प्रजातियों की विविधता को मापने के लिए उपयोग किया जा सकता है.
  • यह हमें यह समझने में मदद करता है कि प्रजातियों की विविधता को कैसे संरक्षित किया जाए.

शेनॉन – वीनर सूचकांक के कुछ नुकसान निम्नलिखित हैं:

  • यह प्रजातियों की प्रचुरता के आकार पर निर्भर करता है.
  • यह प्रजातियों के आकार या आवास के प्रकार जैसे अन्य कारकों को ध्यान में नहीं रखता है.

जीवीय विविधता के महत्व (Importance of Biological Diversity in Hindi)

मानव अपने जीवन को बनाए रखने के लिए प्रकृति से कई प्रकार के वस्तुएं प्राप्त करता है. इसलिए मानव जीवन के लगभग सभी पहलुओं में जैव विविधता का अत्यधिक महत्व है. जैव विविधता के विविध उपयोगों में शामिल हैं:

1. उपभोग्य उपयोग (Consumptive Uses):

जैव विविधता के उपभोग का अर्थ जीवीय उत्पादों की कटाई और उपभोग से है, जैसे ईंधन, भोजन, औषधियाँ, औषधियाँ, रेशे आदि. जंगली पौधे और जानवरों की एक बड़ी संख्या मनुष्यों के भोजन का स्रोत हैं. दुनिया की लगभग 75% आबादी दवाओं के लिए पौधों या पौधों के अर्क पर निर्भर है.

उदाहरण के लिए, एंटीबायोटिक के रूप में उपयोग की जाने वाली दवा पेनिसिलिन, पेनिसिलियम नामक कवक से प्राप्त होती है. वहीं टेट्रासाइक्लिन एक जीवाणु से प्राप्त होता है. मलेरिया का इलाज के लिए जरूरी कुनैन भी सिनकोना पेड़ की छाल से प्राप्त किया जाता है.

विनब्लास्टिन और विन्क्रिस्टिन नाम की दो कैंसर रोधी दवाएं कैथरैन्थस पौधे से प्राप्त की जाती हैं. इसके अलावा इंसान जंगलों का उपयोग सदियों से ईंधन की लकड़ी के लिए करते रहे है. जीवाश्म ईंधन कोयला, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस भी जैव विविधता के उत्पाद हैं.

2. उत्पादक उपयोग (Productive Use)

इसका तात्पर्य पशु उत्पाद जैसे कस्तूरी मृग से कस्तूरी, रेशमकीट से रेशम, भेड़ से ऊन, कई जानवरों से प्राप्त फर, लाख के कीड़ों से प्राप्त लाख आदि इत्यादि के व्यापार से है. इसके अलावा, कई उद्योग विविध जीव के उत्पादक उपयोग पर निर्भर हैं, जैसे, कागज और लुगदी, प्लाईवुड, रेलवे स्लीपर, कपड़ा, चमड़ा और मोती उद्योग इत्यादि.

3. सामाजिक महत्व (Social Value)

लोगों के सामाजिक जीवन, रीति-रिवाज, धर्म, मानसिक-आध्यात्मिक इत्यादि पहलू प्रकृति से जुड़े होते है. मतलब, जैव विविधता का अलग-अलग समाजों में विशिष्ट सामाजिक मूल्य होता है. उदाहरण के लिए बिश्नोई समाज के लोग काले हिरण को अपने गुरु जंबाजी उर्फ जंबेश्वर भगवान का रूप मानते है. भगवान् बुद्ध को भी बोधि वृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्त हुआ है. हिन्दू धर्म में भी तुलसी, पीपल, आम, कमल आदि कई पौधों को पवित्र माना जाता है और पूजा भी जाता है. कई पौधों के पत्तियों, सूखे टहनियों, फलों या फूलों का उपयोग पूजा में किया जाता है. आदिवासियों का सामाजिक जीवन, गीत, नृत्य और रीति-रिवाज वन्य जीवन से जुड़े हुए हैं. इस प्रकार जीवीय विविधता का समाज में विशेष महत्व होता है.

4. नैतिक या अस्तित्व मूल्य (Ethical or Existence Value)

यह ‘जियो और जीने दो’ की अवधारणा पर आधारित है. मतलब मानव जीवन के सुरक्षा के लिए पृथ्वी का विविधता बचाए रखना जरुरी है. इसलिए धरती पर सभी प्रकार के जीवन को सुरक्षित किया जाना चाहिए.

5. सौन्दर्यपरक मूल्य (Aesthetic Value)

सौंदर्यपूर्ण पर्यावरण का उपयोग पर्यटन और मनोरंजन के लिए किया जाता है. लोग प्राकृतिक सुंदरता और विविधता का आनंद लेने के लिए दूर-दूर तक का सफर तय करते है. इसमें उनके बड़ा धन खर्च होता है और समय की बर्बादी भी होती है. लेकिन, इससे प्राप्त होने वाला ताजगी मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद होता है. इसलिए जैव विविधता का सौंदर्य संबंधी महत्व बहुत अधिक है.

6. पारिस्थितिकी तंत्र सेवा मूल्य (Ecosystem Service Values in Hindi)

मानव कल्याण और निर्वाह के लिए अपरिहार्य वस्तुओं और सेवाओं के समुच्चय को पारिस्थितिकी तंत्र सेवाएँ (ESs) कहा जाता है. वहीं, पारिस्थितिकी तंत्र कार्यप्रणाली (Ecosystem Function) इसके भीतर होने वाली प्रक्रियाओं और घटकों को संदर्भित करता है. ‘पारिस्थितिकी तंत्र सेवा मूल्य (ESVs)’ पारिस्थितिकी तंत्र की वस्तुओं और सेवाओं और उसके कार्यों को आर्थिक मूल्य निर्धारित करने और निर्दिष्ट करने का एक दृष्टिकोण है.

हमे पारिस्थितिक तंत्र द्वारा कई प्रकार के सेवाएं और लाभ प्राप्त होते है. उदाहरण के लिए, मिट्टी के कटाव को रोकना, बाढ़ की रोकथाम, मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखना, पोषक तत्वों का चक्रण, नाइट्रोजन का स्थिरीकरण, पानी का चक्रण, प्रदूषक अवशोषण और ग्लोबल वार्मिंग के खतरे को कम करना इत्यादि में पारिस्थितिकी तंत्र के विभिन्न घटकों द्वारा प्राप्त लाभ है.

बढ़ती मांग और प्राकृतिक संसाधनों के अत्यधिक दोहन के कारण स्थानीय से लेकर वैश्विक स्तर पर पारिस्थितिकी तंत्र की संरचना और कार्यप्रणाली गंभीर रूप से प्रभावित होते हैं. इसलिए विविधता का संरक्षण आवश्यक हो जाता है.

पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं का वर्गीकरण चार प्रकार में किया गया है:

  • खाद्य : फसल, पशुधन, मछली
  • पानी : जलाशय, नदियां, झीलें
  • लकड़ी : इमारती लकड़ी, कागज
  • दवाएं : औषधीय पौधे, जंतु उत्पाद
  • बाढ़ नियंत्रण: नदी के किनारों पर पेड़, जंगल
  • मिट्टी संरक्षण: वन, घास के मैदान
  • जलवायु नियमन: वन, समुद्री वनस्पति
  • रोग नियंत्रण: परभक्षी, रोगाणुरोधी पौधे
  • कृषि, पशुपालन, मत्स्य पालन
  • पर्यटन, मनोरंजन
  • वन्यजीव अवलोकन
  • शिक्षा, अनुसंधान
  • आध्यात्मिक मूल्य
  • मनोवैज्ञानिक लाभ
  • सांस्कृतिक पहचान

इसके अलावा जैव विविधता द्वारा संचालित वे कार्य जो जैव विविधता, पोषण चक्र तथा अन्य सेवाओं को यथावत कायम रखने में सहायक हो, सहायक सेवा कहा जा सकता है.

7. जैव विविधता का कृषि में महत्व

कृषि कार्य में जैव विविधता का काफी अहम योगदान होता है. राइजोबियम, एज़ोटोबैक्टर और साइनोबैक्टीरिया जैसे जीवाणु नाइट्रोजन स्थिरीकरण में हिस्सा लेकर जमीन में नाइट्रोजन का मात्रा बढ़ाते है. वहीं, केंचुआ मिटी को मुलायम और भुरभुरी बनाए रखने में मदद करता है. इसलिए केंचुए को किसान का मित्र कहा जाता है.

दुनिया में करीब 1400 प्रकार के पौधों को खाद्य उत्पाद के लिए उगाया जाता है. इनमें 80 फीसदी को परागण का जरूरत होता है. मधुमक्खियाँ, भृंग, तितलियाँ, चींटियाँ, हमिंगबर्ड, चमगादड़, कृंतक, नींबू, छिपकली, ततैया, पतंगे और स्लग इसमें मदद करते है.

विविधता में ह्रास के कारण उपरोक्त जीवों के संख्या में ह्रास हुआ है. बढ़ती आबादी को खाद्य सुरक्षा उपलब्ध करवाने के लिए आधुनिक कृषि प्राद्यौगिकी व उत्पाद का इस्तेमाल किया जाने लगा है. इनमें कीटनाशकों व रासायनिक उर्वरकों का इस्तेमाल भी शामिल है. इससे कृषि में सहायक जीवों के जीवन पर खतरा उत्पन्न हुआ है.

प्रदुषण से भी कृषि पादपों के प्रजाति पर असर हुआ है. अनुमानतः 940 के करीब कृषि प्रजातियों पर संकट मंडरा रहा है.

8. वैज्ञानिक और विकासवादी मूल्य (Scientific and Evolutionary Values)

प्रत्येक प्रजाति का विशेषता मिलकर ये बताने में सक्षम होते है कि पृथ्वी पर जीवन कैसे विकसित हुआ और कैसे विकसित होता रहेगा. जीवन कैसे कार्य करता है और पारिस्थितिक तंत्र को बनाए रखने में प्रत्येक प्रजाति की भूमिका क्या है, जैसे मुद्दों को भी विविधता द्वारा समझा जा सकता है. इसके अलावा भी जैव विविधता के अन्य कई अन्य महत्व है.

जैव विविधता हानि के कारण (Causes of Biodiversity Loss in Hindi)

पृथ्वी पर जैव विविधता का नुकसान हमारे ग्रह और इसके लोगों के स्वास्थ्य के लिए एक गंभीर खतरा है. जैव विविधता के नुकसान के कारणों को समझकर ही हम अपनी प्राकृतिक दुनिया की रक्षा के लिए कदम उठा सकते है. इसलिए इन कारणों को समझना जरुरी है. जैव विविधता के हानि का कारण या तो प्राकृतिक या फिर मानवीय हो सकता है.

A. प्राकृतिक

  • प्राकृतिक आपदाएँ : भूकंप, भू-स्खलन, ज्वालामुखी विस्फोट, सुनामी, तूफान, बाढ़-सुखाड़ और जंगल की आग जैसी प्राकृतिक आपदाएँ आवासों को नष्ट कर सकती हैं और बड़ी संख्या में पौधों और जानवरों को मार सकती हैं.
  • जलवायु परिवर्तन : जलवायु परिवर्तन के कारण तापमान, वर्षा और समुद्र के स्तर में परिवर्तन हो रहा है. इससे कई प्रजातियों के लिए प्रतिकूल जलवायु परिस्थितियां उत्पन्न होते है. इससे पारिस्थितिक तंत्र बाधित होता है और प्रजातियों के नुकसान का कारण बन जाता है.
  • आक्रामक प्रजातियाँ : आक्रामक प्रजातियाँ गैर-देशी प्रजातियाँ हैं. जब ये नए वातावरण में प्रवेश करते है तो यहाँ इनका कोई प्राकृतिक शिकारी या प्रतिस्पर्धी नहीं होता है. इसके कारण ये तेजी से फैलकर देशी और स्थानीय प्रजातियों को विस्थापित कर सकती हैं, जिससे स्थानीय विविधता का नुकसान हो सकता है.
  • सहविलुप्तता : जब एक प्रजाति विलुप्त होती है तब उस पर आधारित दूसरी जंतु व पादप जातियाँ भी विलुप्त होने लगते है. उदाहरण के लिए, जब एक परपोषी मत्स्य जाति विलुप्त होती है तब उसके विशिष्ट परजीवि भी विलुप्त होने लगते है. दूसरा उदाहरण सह-उद्भव व विकास (Co – evolution and Development ), परागण (Pollination) और सहोपकारिता (Mutualism) का है. परागण में पौधों के विलोपन से किट-पतंगों का भी विनाश होने लगता है.

B. मानव निर्मित

i) प्रत्यक्ष

  • पर्यावास का विनाश : पर्यावास का विनाश जैव विविधता हानि का सबसे प्रमुख कारण है. मनुष्य कृषि, विकास और अन्य उद्देश्यों के लिए जंगलों, घास के मैदानों और अन्य प्राकृतिक आवासों को साफ़ करते है. यह पौधों और जानवरों के घरों को नष्ट कर देता है, जिससे उन्हें नए क्षेत्रों में जाना पड़ता है अन्यथा भोजन के अभाव में अपना जीवन त्यागना पड़ता है.
  • अतिशोषण : अतिशोषण जानवरों और पौधों के उपभोग के उस दर से होती है जो क्रमशः उनके प्रजनन और रोपण के तुलना में तेज़ होती है. इससे आबादी का पतन होता है और यहां तक कि विलुप्ति भी हो सकती है.
  • प्रदूषण : प्रदूषण आवासों को दूषित कर सकता है और उन्हें पौधों और जानवरों के लिए अनुपयुक्त बना सकता है. यह सीधे तौर पर पौधों और जानवरों के लिए जहर का काम भी कर सकता है. औद्योगिक कचरे, प्लास्टिक, जल में औद्योगिक रसायन द्वारा प्रदुषण इत्यादि इसके उदाहरण है.

ii) अप्रत्यक्ष

  • जलवायु परिवर्तन : जलवायु परिवर्तन मुख्य रूप से मानवीय गतिविधियों जैसे जीवाश्म ईंधन के जलने के कारण होता है. जैसा कि ऊपर चर्चा की गई है, जलवायु परिवर्तन का जैव विविधता पर विनाशकारी प्रभाव पड़ सकता है.
  • आक्रामक प्रजातियों का परिचय : मनुष्य अक्सर व्यापार, यात्रा और अन्य गतिविधियों के माध्यम से अनजाने में आक्रामक प्रजातियों को नए वातावरण में पेश करता है. उदाहरण के लिए, ज़ेबरा मसल्स को 1980 के दशक में उत्तरी अमेरिका में लाया गया था और तब से यह ग्रेट लेक्स में एक प्रमुख आक्रामक प्रजाति बन गई है.
  • रोग : मनुष्य जंगली पौधों और जानवरों में बीमारियाँ फैला सकते हैं, जिससे बड़े पैमाने पर मृत्यु और विलुप्ति हो सकती है. उदाहरण के लिए, चेस्टनट ब्लाइट कवक 1900 के दशक की शुरुआत में उत्तरी अमेरिका में लाया गया था और इसने अरबों अमेरिकी चेस्टनट पेड़ों को नष्ट कर दिया था.

जैव विविधता संरक्षण (Conservation of Biodiversity in Hindi)

Methods of Biodiversity Conservation in Hindi for UPSC Infographics 1

जैव विविधता संरक्षण क्या है (What is Biodiversity Conservation in Hindi)?

सतत विकास के लिए प्रकृति से संसाधन प्राप्ति को उस प्रकार प्रबंधित करने से है जिससे जैव विविधता को कम से कम या नहीं के बराबर हानि हो, जैव विविधता का संरक्षण है. इस तरह विविधता संरक्षण का उद्देश्य प्राकृतिक संसाधनों के सदुपयोग से है.

जैव विविधता संरक्षण के तीन मुख्य उद्देश्य हैं:

  • प्रजातियों की विविधता को संरक्षित करना.
  • प्रजातियों और पारिस्थितिकी तंत्र का सतत उपयोग को बरकरार रखना.
  • पृथ्वी के जीवन-सहायक प्रणालियों और आवश्यक पारिस्थितिक प्रक्रियाओं को बनाए रखना.

जैव विविधता संरक्षण के रणनीतियां (Strategies of Biodiversity Protection)

प्रकृति में विविधता बनाए रखने के लिए निम्नलिखित उपाय अपनाए जा सकते है:

  • जीवों के प्राकृतिक आवास को न तो नष्ट करना चाहिए और न ही इनमें कोई बदलाव किया जाना चाहिए.
  • जीवन के लिए जरूरी मृदा, जल, हवा और ऊर्जा को सुरक्षित रखना चाहिए, ताकि सभी जीवों के लिए यह सुलभ हो.
  • सभी प्रकार के जीवों को प्राकृतिक आवास में ही सुरक्षा मिले. यदि ऐसा संभव न हो तो चिड़ियाघर या जंतु शाला (Zoological Park) में इन्हें संरक्षित किया जा सकता है.
  • असुरक्षित, संकटापन्न या विलुप्तप्राय जीवों के संरक्षण के लिए विशेष क़ानूनी प्रावधान होना चाहिए. यदि प्राकृतिक आवास पर इन्हें संरक्षित नहीं किया जा सके तो कृत्रिम आवास में इन्हें संरक्षित करना चाहिए.
  • जंगलों का सीमांकन स्पष्ट होना चाहिए और विविधता के दृश्कों से महत्वपूर्ण क्षेत्रों में बाह्य प्रवेश निषिद्ध होना चाहिए.
  • पशुओं के आहार, जलाशय, विश्राम स्थल और प्रजनन पर ध्यान दिया जाना चाहिए.
  • पारिस्थितिकी तंत्र का सिमित उपभोग करना चाहिए. साथ ही उपयोग उत्पादन दर के अनुरूप होना चाहिए.
  • असुरक्षित प्रजातियों के व्यापार पर अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबन्ध होना चाहिए.
  • एक जीव के स्थान पर सम्पूर्ण पारिस्थितिक तंत्र के सुरक्षा पर ध्यान देना चाहिए, ताकि संतुलन बना रहे.
  • जीवों के शिकार पर प्रतिबन्ध हो.
  • अत्यधिक प्रवणता वाले क्षेतों को संरक्षित घोषित करने से बड़े पैमाने पर जैव विविधता का संरक्षण किया जा सकता है. यदि यह प्रयास वैश्विक स्तर पर हो तो परिणाम कई गुना फलित होंगे.
  • समाज में जागरूकता होने से संरक्षण की संभावना बढ़ती है. शैक्षणिक पाठ्यक्रमों में जैव विविधता के महत्व और सुरक्षा के उपायों को शामिल करके भी जागरूकता फैलाया जा सकता है.

जैव विविधता संरक्षण के तरीके (Methods of Biodiversity Conservation in Hindi)

जैव विविधता से तात्पर्य पृथ्वी पर जीवन की परिवर्तनशीलता से है. इसे निम्नलिखित तरीकों से संरक्षित किया जा सकता है:

  • स्वस्थाने संरक्षण (In-situ Conservation)

अस्थानिये संरक्षण (Ex-situ Conservation)

1. स्वस्थाने संरक्षण (in-situ conservation).

यह प्राकृतिक आवास के भीतर प्रजातियों के संरक्षण का तरीका है. इस विधि से सम्पूर्ण प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र का रखरखाव एवं संरक्षण किया जाता है. इस रणनीति में उच्च जैव विविधता वाले क्षेत्र का पता लगाया जाता है. ये वैसे क्षेत्र है जिसमें पौधे और जानवर बड़ी संख्या में मौजूद हो. इस उच्च जैव विविधता वाले क्षेत्र को प्राकृतिक पार्क, वन्यजीव अभयारण्य, जीव मंडल आरक्षित क्षेत्र आदि के रूप में कवर किया किया जाता है. इस प्रकार जैव विविधता को मानवीय गतिविधियों से बचाकर उनके प्राकृतिक आवास में संरक्षित किया जा सकता है.

इस प्रकार के संरक्षण से अधिक लाभ होता है, जो इस प्रकार है.

  • यह सुविधाजनक और सस्ता तरीका है.
  • इस प्रकार के संरक्षण में लक्षित जीवों के साथ ही अन्य जीवों का सुरक्षा भी हो जाता है. इससे संरक्षित जीवों की संख्या बढ़ जाती है.
  • प्राकृतिक परिवेश में जीवों को जीवन से जुड़े बाधाओं से झूझना पड़ता है. इससे इनका बेहतर विकास होता है. साथ ही, विभिन्न वातावरण में समायोजित होने का गुण भी बरकरार रहता है.

भारत सरकार द्वारा इस विधि का उपयोग करते हुए निम्नलिखित आरक्षित क्षेत्र बनाए गए है:

1. राष्ट्रीय उद्यान (National Parks)

ये सरकार द्वारा संरक्षित छोटे क्षेत्र है. इसकी सीमाएँ अच्छी तरह से सीमांकित हैं और चराई, वानिकी, आवास और खेती जैसी मानवीय गतिविधियाँ निषिद्ध हैं. उदाहरण के लिए, कान्हा राष्ट्रीय उद्यान, और बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान.

2. वन्यजीव अभयारण्य (Wildlife Sanctuary)

ये वे क्षेत्र हैं जहां केवल जंगली जानवर पाए जाते हैं. लकड़ी की कटाई, खेती, लकड़ियों और अन्य वन उत्पादों का संग्रह जैसी मानवीय गतिविधियों को तब तक अनुमति दी जाती है जब तक वे संरक्षण परियोजना में हस्तक्षेप नहीं करते हैं. पर्यटकों को इन इलाकों में आने दिया जाता है.

3. बायोस्फीयर रिजर्व (Biosphere Reserve)

बायोस्फीयर रिजर्व बहुउद्देश्यीय संरक्षित क्षेत्र हैं, जहां वन्य जीवन, निवासियों की पारंपरिक जीवनशैली और पालतू पौधों और जानवरों की रक्षा की जाती है. यहां पर्यटक और अनुसंधान गतिविधियों की अनुमति है.

सरक्षण के इस तकनीक में जैव विविधता को प्राकृतिक आवास के बाहर कृत्रिम पारिस्थितक तंत्र में संरक्षित किया जाता है. चिड़ियाघर, नर्सरी, वनस्पति उद्यान, जीन बैंक आदि इसके उदाहरण है. इसमें आनुवंशिक संसाधनों के साथ-साथ जंगली और खेती या प्रजातियों का संरक्षण शामिल है. इसके लिए विभिन्न तकनीकों और सुविधाओं का उपयोग किया जाता है.

अस्थानिये संरक्षण के निम्नलिखित लाभ हैं:

  • जीवों को भोजन, पानी और आवास के लिए कम संघर्ष करना पड़ता है. इससे उन्हें प्रजनन और आराम के लिए लम्बा समय मिलता है.
  • कैदी प्रजातियों को जंगल में फिर से बसाया जा सकता है.
  • लुप्तप्राय प्रजातियों के संरक्षण के लिए आनुवंशिक तकनीकों का उपयोग हो सकता है.
  • ऐसे कृषि बीज, जो प्रकृति में सुरक्षित नहीं रह सकते को जीन में सुरक्षित किया जा सकता.
  • जीन बैंक में सुरक्षित बीजों का उपयोग भविष्य में अनुसंधान और रोपण कार्य किया जा सकता है.
  • पुरे दुनिया में करीब 60 करोड़ लोग हरेक वर्ष चिड़िया घर व अन्य संरक्षित पार्क घूमने जाते है.

अस्थानिये जैव विविधता संरक्षण निम्नलिखित तरीके से किया जा सकता है:

  • जीन बैंक बनाकर : इसमें बीज, शुक्राणु और अंडाणु को बेहद कम तापमान और आर्द्रता पर संग्रहित किया जाता है.
  • शुक्राणु और अंडाणु बैंक, बीज बैंक इत्यादि बहुत कम जगह में पौधों और जानवरों की बड़ी विविधता वाली प्रजातियों को बचाने में बहुत मददगार है.
  • चिड़ियाघर और वनस्पति उद्यान का निर्माण : अनुसंधान उद्देश्य के लिए और जलीय जीवों, चिड़ियाघरों और वनस्पति उद्यानों के लिए जीवित जीवों को इकट्ठा कर सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाना.
  • इन विट्रो प्लांट टिश्यू और माइक्रोबियल कल्चर का संग्रह.
  • जंगल में फिर से प्रवेश करवाने के उद्देश्य के साथ जानवरों का बंदी प्रजनन और पौधों का कृत्रिम प्रसार.

जैव विविधता का संरक्षण क्यों करें (Why to Protect Biodiversity)?

प्रजातियों के अधिक सघनता वाले क्षेत्र विविधता के दृष्टिकोण से अधिक स्थिर होते है. हम कई प्रकार से सजीवों से प्राप्य उत्पादों पर निर्भर है. साथ ही, यह हमें आर्थिक, औषधीय, सांस्कृतिक, नैतिक व सौंदर्य लाभ प्रदान करता है. इसलिए इनका संरक्षण जरुरी है.

इसे भी पढ़ें – भारत के 6 जैव विविधता हॉटस्पॉट

“जैव विविधता और संरक्षण” पर 1 विचार

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Very very very nice contant of biodiversity,I am very happy to read this contant

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वन संरक्षण पर निबंध- essay on forest conservation in hindi.

वन संरक्षण पर निबंध- Essay on Forest Conservation 2020-21 in Hindi/Van Sanrakshan Nibandh 500 words for  for class 9th, 10th, 11th & 12th/van sanrakshan essay in hindi 250 & 500 words

  • प्रस्‍तावना
  • वृक्षारोपण उपासनावनो
  • वनों से होने वाले प्रत्‍यक्ष लाभ
  • अप्रत्‍यक्ष लाभ वनो से होने वाले
  • वनों के कटाव से हानि
  • वृक्षारोपण के सरकारी प्रयास
  • वन महोत्‍सव

“वृक्ष है तो पर्यावरण है और पर्यावरण से ही हम सब है”

1. प्रस्‍तावना – वन हमारी सभ्‍यता व संस्‍कृति के प्रतीक है। वन महत्‍वपूर्ण प्राकृतिक संसाधन है। प्रारंभ में ऐसा अनुमान है कि पृथ्‍वी के एक चौथाई भाग पर वन थे। परंतु अब लकडी, ईधन, आवास के लिए वनों की कटाई कर दी गई परिणाम स्‍वरूप अब पृथ्‍वी के 15 प्रतिशत् भाग पर ही वन पाए जाते है। वनों की लगातार कटाई से मृदा अपवर्दन, अतिवृष्टि अनावृष्टि जैसी समस्‍याऍं मानव के समक्ष आ खडी हुई है। अत: वनों का संरक्षण अतिआवश्‍यक है। वन प्राकृतिक वनस्‍पति के जन्‍म स्‍थल है। इन्‍हे बचाना हमारा कर्तव्‍य है।

2. वृक्षारोपण उपासना – वन और संस्‍कृति का अटूक संबंध है। भारत में वंनों को भगवान के समान पूजा जाता है। इनमें से तुलसी, बरगद, एवं पीपल की पूजा की जाती है। अश्‍व वृक्ष के तो ईष्‍ट में ही विष्‍णु मध्‍य में शिव पश्‍य में ब्रम्‍हा का निवास होता है। ऐसी मान्‍यताऍ भारत में वृक्षो को लेकर है।

3. वनो से होने वाले प्रत्‍यक्ष लाभ – वनो से हमें कई प्रकार की लकडी प्राप्‍त होती है जैसे सागौन, अलसी, चीड एवं देवदार जो फर्नीचर बनाने के काम आती है। वनो के कारण वर्षा होती है जिससे मानव जीवन चलता है। वन सरकार के राजस्‍व का एक भाग है। डॉ पीएच चटखल के शब्‍दो में ‘’ वन राष्‍टीय  सम्‍पत्ति है” सभ्‍यता के लिए वनो की निरान्‍त आवश्‍यकता है। ये केवल लकडी ही प्रदान नही करते बल्कि अनेके प्रकार के फल, पशुओ के लिए चारा आदि भी प्रदान करते है।

वनों के द्वारा कई बेरोजगार व्‍यक्तियों का रोजगार चल रहा है। वनों से प्राप्‍त होने वाली जडी बूटियां, फल, इत्‍यादि हमारे दैनिक जीवन में खाद्य रूप में उपयोग की जाने वाली वस्‍तुएं हैं। वनों से प्राप्‍त होने वाली लकडियों से कई प्रकार की वस्‍तुए बनाई जाती हैं। जो मानव दैनिक जीवन में उपयोग करता है। पूजा पाठ के लिये कई प्रकार की लकडियां जैसे चंदन की लकडी, हवन में प्रयोग की जाने वाली लकडियां इत्‍यादि वनों के द्वारा ही प्राप्‍त होती हैं। कई प्रकार के जानवरों के लिये वन एक आवास है। दआने वाले तूफानों, आंधियों, सुनामी इत्‍यादि से लोगों की रक्षा करने में वन ही सहायक होते हैं।

4. अप्रत्‍यक्ष लाभ वनो से होने वाले –

वन मानव जाति एवं अन्‍य जीवों को जीवन प्रदान करते हैं। वन हमारे सच्‍चे दोस्‍त है एसे हमारे दोस्‍त मुशिबत में हमारी रक्षा करते है वैसे ही वन भी हमें कई बडे खतरो से बचाता है। वनो से प्राप्‍त जो ऑक्सिजन हम लेते है उससे ही हमारे शरीर में सांसे चलती है।

वन अप्रत्‍यक्ष रूप से हमें लाभ पहुचाते है जैसे मृदा अपर्दन को वृक्ष रोकते है, वर्षा होने का करण भी वन ही है वन बादल को अपनी ओर खिंचते है जिसके कारण वर्षा होती है, वनो के कारण हमारे वातावरण में कार्बनडाई ऑक्सिाईड की मात्रा भी बहुत कम रहती है। यह गैस हमारे शरीर के लिए हानिकारक होती है।

वनों से भूमि उपजाऊ बनती है। वन जो कि मृदा को बांधे रखते हैं जिससे मृदा संरक्षण हो जाता है। एवं बाढ आने पर आने वाले जल के वेग को कम कर देते हैं। जिससे जन हानि नहीं होती है। वनों की उपस्थिति से तापमान स्थिर रहता है। वनों के होने से समय-समय पर वर्षा होती है। इससे सिचाई की समस्‍या समाप्‍त होती है। वन कार्बनडाई ऑक्‍साइड को ग्रहण करते हैं तथा बदले में मनुष्‍य के लिये जीवनदायिनी गैस ऑक्‍सीजन को देते हैं। सूर्य से आने वाली हानिकारक किरणों से प्राणी जगत की रक्षा भी वन करते हैं।

5. वनों के कटाव से हानि

वन कटाई की समस्या किसी केवल एक जीव की समस्या नहीं है अपितु सम्पूर्ण जीव एवं मानव जगत की समस्या है। यदि इस समस्या से निपटने के लिए कुछ नहीं किया गया तो पूरा मानव जीवन समाप्त हो जायगा। जंगल की कटाई करके बडी बडी इमारते बनाई जा रही है लगभग आधे जंगलों को नष्ट कर दिया गया है। वैज्ञानिकों के अनुसार, स्वस्थ वातावरण (पर्यावरण) के लिए 33 प्रतिशत भूमि पर वन होने चाहिए। इससे पर्यावरण का संतुलन बना रहता है। आने वाले समय में यह संख्या बढ़ने की संभावना है क्योंकि उद्योगपति लगातार निजी लाभ के लिए वन भूमि का उपयोग कर रहे हैं।

लकड़ी और वृक्षों की अन्य घटकों से विभिन्न वस्तुओं के उत्पादन के लिए बड़ी संख्या में जंगलो को भी काटा जाता है। जंगलों की कटाई के कारण पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इन्हीं कारणों से मिट्टी का क्षरण, जल चक्र का विघटन, जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता, वातावरण प्रदुशण  होता है। हम वनों/जंगलों को काट कर अपना ही नहीं अपनी आने वाली पीढ़ियों का जीवन भी खतरे में डाल रहे हैं। बढ़ती हुई जनसंख्या की पूर्ति के लिए कृषि हेतु अधिक भूमि उपलब्ध कराने के लिए वनों/जंगलों की कटाई जाना बहुत ही साधारण बात है। वनों/जंगलों को इस प्रकार नष्ट करने से कृषि पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।

6. वृक्षारोपण के सरकारी प्रयास

-सरकार द्वारा वृक्षारोपण करने के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं वृक्षारोपण संबंधी अनुदान सहायता राशि योजना भी सरकार द्वारा चलाई गई हमारा पर्यावरण प्रदूषण से बजा रहे इसके लिए सरकार द्वारा वृक्षारोपण की कई योजनाएं चलाई गई है जिसके अंतर्गत मुफ्त में पक्षियों को बांटा गया है एवं इन्हें लगाने के लिए लोगों को प्रोत्साहित किया गया है.

सरकार द्वारा स्कूलों में बच्चों को एक-एक वृक्ष लगाने के निर्देश दिए गए जिससे हमारी प्रकृति का वातावरण कार्बन डाइऑक्साइड मुक्त हो सके एवं स्वच्छ हवा में आम व्यक्ति हर सांस ले सकें

वन संरक्षण पर निबंध- Essay on Forest Conservation in Hindi

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वन्य जीव संरक्षण पर नारे स्लोगन- Slogans on Save Animals in Hindi

We Welcome You, Here We Bring Some Slogans About Save Animals in Hindi Or Slogans on Save Animals in Hindi Language. वन्य जीव संरक्षण पर नारे स्लोगन ओन सेव वाइल्डलाइफ कंजर्वेशन एनिमल हिंदी.

वन्य जीव संरक्षण पर नारे – Slogans on Save Animals in Hindi

वन्य जीव संरक्षण पर नारे स्लोगन- Slogans on Save Animals in Hindi

1. सभीको है प्यारे है अपने प्राण फिर चाहे प्राणी हो या हो इसान

2. पारिस्थितिकी मे है इनका अहम योगदान मत बनों नादान लों इनके प्राण

3. पशु है प्रकृति का आधार मारोगे इन्हें तो होंगे लाचार

4. जो मानव ले किसी प्राणी के प्राण वो मानव नहीं है वो है हैवान

5.वन्य प्राणियों को बचाऐंगे पृथ्वी पर जीवन को संतुलित बनाएगे

6. वन्य जीवों को मारोगे तो बहुत पछताओगे आने वाले समय में इन्हे किताबों में ही ढूढ़ पाओगे

7. मत काटो जंगलो को इन्हे रहने का आवास दो इनमे चलती सासे है इन्हे भी सत्कार दो

8. जीवों पर अत्याचार तुम करो बद पशुओं शिकार पर भी लगाओ प्रतिबंध

9. वन्य प्राणी है जंगल की शान हमे होना चाहिए उनपर अभिमान

10. घायल वन्य प्राणियों की  करो सेवा मत बनो इनके लिए जानलेवा

Animals Slogans in Hindi

1. वन्य जीवो के लिए प्रेम जगाओ, वन को तुम न आग लगाओ.

2. बेजुबान है वन्य जीव बेचारे लेकिन है सच्चे मित्र हमारे

3. वन्य जीवों को मारने से बिगड़ेगा धरती का संतुलन रक्षा करों इनकी तो सुखमय होगा हमारा जीवन

4. जीव संरक्षण की कसम खाओं हर एक जीव को आज से बचाओ.

5. सब गडबड हो जाएगा यह पारिस्थितिक तंत्र, उस वक्त कहा से लाओगे जीवन का मन्त्र.

6. सभी अपना कर्तव्य पहचानों, वन्य जीव को बचाओ.

7. जंगल बचाओ, वन्य जीव बचाओ, इस धरा को चलो स्वर्ग बनाओ.

8. मत करो करों जीव हत्या का काम वन्य जीवों का भी है स्वाभिमान.

9. हमे बचानी है अब जंगल की जान, जीवो को बचाने वालो को प्रणाम.

10.वन्य जीव हैं प्रकृति का वरदान करना सीखों इनका सम्मान

Slogans On Save Animals And Birds In Hindi

जानवरों के हक़ के लिए लड़ो, उनको मारने के लिए पीछे मत पड़ो.

अगर कहते हो खुद को इंसान, तो जानवरों के प्रति बनो दयावान.

पृथ्वी की शान हैं – इंसान और प्राणी, महापुरुषों और वैज्ञानिको की है वाणी.

बे-जुबान जानवरों की यह पुकार, छोड़ दो हमें, मत करो संहार.

वन बचाएंगे, वन्य जीव बचाएंगे, हमारी पृथ्वी को स्वर्ग बनायेंगे.

जरा पक्षियों और नन्ही मधुमक्खियों के बारे में सोचो, पेड़ काटना बंद करो, जरा अपने बारें में भी सोचो.

अपने लोभ को बेड़ियाँ लगाओ, इंसानियत की ये शोभा नहीं हैं, जानवरों के हक़ के लिय लड़ो, जानवरों को मारना जरूरी नहीं हैं.

आपका परिवार आपको प्यारा हैं, जानवरों का परिवार उनको भी प्यारा हैं.

पक्षी उड़ते हुए अच्छे लगते हैं, मछली समुद्र में अच्छी लगती हैं, पिंजरे में पक्षी और एक्वेरियम में मछली की तकदीर काली लगती हैं.

उनको पिंजरे में मत बांधो, खुले आसमान में उड़ने दो, बेजुबान हैं लेकिन दिल उनके भी हैं, इसलिए एक दुसरे से जुड़ने दो, जुड़ने दो.

हीरो बनकर किसी जानवर की जान बचाओ, जो करते हैं इनका संहार, मिलकर उनको भगाओ.

जानवर को जानवर ही मारता हैं, इन्सान तो उनको बचाता हैं.

कौन कहता हैं जानवर खुश नहीं होते, प्यार से अपना हाथ बढाकर तो देखो, हो सकता हैं आपको नया दोस्त मिल जाए.

चाहे इंसान हो या जानवर, दिल सबका धडकता हैं.

इस धरती पर जानवर आपके पड़ोसी हैं उनका सम्मान करो.

उनको मारो मत, उनसे प्यार करो, रिश्ते बनाओ, उनके मन में कोई लालच नहीं हैं.

जानवर बचाओ, पेड़ बचाओ, इन्सान बचाओ, धरती बचाओ.

जानवरों को खिलाओ, जानवरों को मत खाओ.

चाहे जानवर हो या इंसान. हर किसी का अपना प्यार होता है.

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