भारत के त्यौहार पर निबंध (Indian Festivals Essay In Hindi)

भारत के त्यौहार पर निबंध (Indian Festivals Essay In Hindi)

आज   हम भारत के त्यौहार पर निबंध (Essay On Festivals Of India In Hindi) लिखेंगे। भारत के त्यौहार पर लिखा यह निबंध बच्चो (kids) और class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए लिखा गया है।

भारतीय त्यौहार  पर लिखा हुआ यह निबंध (Essay On Indian Festivals In Hindi) आप अपने स्कूल या फिर कॉलेज प्रोजेक्ट के लिए इस्तेमाल कर सकते है। आपको हमारे इस वेबसाइट पर और भी कही विषयो पर हिंदी में निबंध मिलेंगे , जिन्हे आप पढ़ सकते है।

Table of Contents

हमारा देश भारत विभिन्नता का एक ऐसा समूह है, जो अत्यंत अदभुत ओर दुर्लभ भी है। इस दुर्लभता ओर अद्भुत स्वरूप को देखकर मन मे खुशियों का उल्लास छा जाता है। हमारे देश भारत मे जो भी त्योहार मनाए जाते है, उनमें अनेक रूप दिखाई देते है।

जैसे कि कोई त्योहार ऋतु ओर मौसम पर आधारित है, तो कुछ सांस्कृतिक या किसी घटना विशेष से सम्बंधित होकर सम्पन्न होते है। हमारे देश मे तो जैसे त्योहारों का जाल सा बिछा है।

हमारे देश के त्योहार

हमारे देश के त्योहारों के बारे में ये कहना अत्युक्ति अथवा अनुचित बात नहीं होंगी की यंहा आये दिन कोई न कोई त्योहार पड़ता ही रहता है। ऐसा इसलिए कि हमारे देश के ये त्योहार किसी एक ही वर्ग, जाती या सम्प्रदाय से ही सम्बंधित नहीँ होते है। अपितु ये विभिन्न वर्गों, जातियों और सम्प्रदायो के द्वारा सम्पन्न ओर आयोजित होते रहते है।

जिसे हम सभी मिलकर खुशयो के साथ मनाते है। ये त्योहार धार्मिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक और सामाजिक होते है। इन सभी प्रकार के त्योहारों का कुछ ना कुछ विशिष्ट अर्थ होता है।इस विशिष्ट अर्थ के साथ इनका कोई न कोई महत्व भी अवश्य होता है। इस महत्व में मानव की प्रकृति और दशा किसी न किसी रूप में अवश्य झलकती हैं।

मानवीय मूल्यों और मानविय आदर्श के त्योहार

मानवीय मूल्यों और मानवीय आदर्शो को स्थापित करने वाले हमारे देश के त्योहार तो श्रंखलाबद्ध है। जैसे ही एक त्योहार समाप्त हुआ कि दूसरा त्योहार आ धमकता है। कहने का मतलब बस इतना है कि हमारे देश मे पूरे साल ही त्योहार चलते रहते है।

हमें इन त्योहार से फुरसत तो समझो मिल ही नहीं सकती। हमारे देश के प्रमुख त्योहार में दीपावली, रक्षाबंधन, होली, जन्माष्ठमी, बैसाखी, रथयात्रा, दशहरा, ईद, मुहर्रम, बकरी ईद, क्रिसमस, ओणाम, नागपंचमी, बुद्ध -पूर्णिमा, राम-नवमी आदि है।

रक्षाबंधन के त्योहार का महत्व प्राचीन परंपरा के अनुसार गुरु-महत्व को प्रतिपादित करने से है। लोगो की यह मान्यता है कि इस दिन गुरु अपने शिष्य यथाशक्ति दान – दक्षिणा देकर अपनी श्रद्धा – निष्ठा को प्रकट करता है।

आज की परंपरा के अनुसार बहने अपने भाईयों के हाथ मे राखी का बंधन बांधकर उससे परस्पर प्रेम के निर्वाह का वचन दान लेती है। भाद्र मास जन्माष्टमी का त्योहार श्रीकृष्ण जनमोत्स्व के रूप में मनाया जाता है।

दशहरा का त्योहार पूरे देश मे आश्विनी मास में मनाया जाता है। यधपि इस त्योहार के मनाने के विभिन्न तोर तरीके है, जिनसे हमारी धार्मिक भावनाएं जुड़ी हुई है। यह त्योहार लगातार आश्विन मास के पूरे शुक्ल-पक्ष तक परम् हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाता है।

वही नागपंचमी शुक्ल पक्ष की पंचमी को नाग पूजा उत्सव के रूप में पूरे देश मे धूम-धाम से मनाया जाता है। नागपंचमी के दिन शेषनाग के प्रति श्रद्धा भक्ति व्यक्त करते है। लोगो का मानना है कि इस दिन नाग देवता प्रसन्न होते है। इससे हमारे धार्मिक संस्कार जागृत होते है।

फिर इन त्योहारो में दिवाली के त्योहार को कैसे भूल सकते है। दिवाली का त्योहार कार्तिक मास की अमावस्या के अंधकार को पराजित करने के लिए आयोजित करते है। यह अज्ञान को छिन्न भिन्न करके ज्ञान की स्थापना करता है।

मान्यतानुसार इस दीन श्रीराम जी ने रावण को पराजित करके अपने घर अयोध्या लौटे थे और उनके स्वागत में अनगिनत दीपो को जलाकर, अमावस्या का अंधेरा मिटाकर श्रीराम जी का अयोध्या में स्वागत किया गया था।

होली जैसे त्योहार के बारे में कोन नहीँ जानता। इस आनंद ओर उमंग के त्योहार को प्रत्येक प्रकार की कटुता भुलाकर हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाता है। इसी प्रकार ईद, क्रिसमस, बकरी ईद इनसभी त्योहार का अपना – अपना महत्व है।

हमारे देश भारत के त्योहार के ज्वार

हमारे देश मे त्योहारों का ज्वार आये दिन उमड़ता ही रहता है। कोई भी ऐसा दिन नहीँ होता, जो किसी तिथि, पर्व या त्योहार का दिन न हो। हमारे इन पर्वो, तिथियों ओर त्योहारो से हमारी सांस्कृतिक एकता की तरंगें उछलती, कूदती ओर उमड़ती हुई हमारे देश के कण-कण को स्नेह सुधा से सिंचित करती चलती है।

हमारे देश का चाहे उत्तरी भाग हो या दक्षिणी, पूर्वी हो या पश्चिमी अथवा ह्रदय स्थल ही क्यों ना हो। सभी को संजीवनी प्रदान करने वाले हमारे तिथि, त्योहार ओर पर्व ही है। जिस प्रकार से हमारे देश में जातीय भिन्नता ओर भौगोलिक असमानता है, उसी प्रकार से हमारे यहाँ सम्पन्न होने वाले त्यौहारों की एकरूपता नही है।

कोई इतना बड़ा त्योहार होता है की उसे पूरा देश खुशी से गले लगता है। तो कोई इतना छोटा है कि वह केवल सीमित स्थान में ही जनप्रिय होता है। होली, दशहरा, दिवाली जँहा व्यापक रूप से पूरे देश मे बड़े धूमधाम के साथ मनाते है। वही क्षेत्रीय त्योहार जैसे उत्तर प्रदेश, बिहार का घट त्यौहार, तमिलनाडु का पोंगल, पंजाब की बैसाखी आदि है।

भारत देश के त्यौहार का आगमन

हमारे देश के त्योहार का आगमन या आयोजन ऋतुचक्र से होता है। हमारी सांस्कृतिक चेतना का जीवंत प्रतिनिधि के रूप में है। जिससे हमारी सामाजिक और राष्टीय मान्यताएं झांकती हुई दिखाई देती है। हमारी मनोवर्तिया इससे सपष्ट होती है। हमारी जातियां दिखाई देती है।

हम क्या है और हमारी अवधारणाएं क्या है। हम दूसरों की अपेक्षा क्या है या हम दूसरों को क्या समझते है, इन सभी प्रश्नों का उत्तर और स्पष्टीकरण इन त्योहारों के माध्यम से होता है।अतएव हमें अपने यहां सम्पन्न होने वाले त्यौहारों का यथोचित उल्लेख करना आवश्यक प्रतीत होता है।

रक्षाबंधन का त्योहार राखी, रखड़ी, कई नामो से चर्चित है। जो वर्षाऋतु के श्रावण पूर्णिमा के दिन श्रद्धा विश्वास ओर प्रेम के त्रिकोण से प्रकट होता हैं। प्राचीनकाल से इसके प्रति अनेक धारणाएं रही है, लेकिन आधुनिक इस त्यौहार का खुला ओर सच्चा रूप भाई-बहन के परस्पर स्नेह और मंगल भावनाओ के द्वारा सामने आता हैं।

पूरे देश मे यह हर्ष ओर उल्लास के साथ मनाया जाता हैं। विजय का प्रेरक ओर दृढ़ संकल्प का प्रतीक दशहरा का त्योहार आश्विन मास के शुक्लपक्ष की दशमी को अन्याय और अत्याचार के विरुद्ध लड़ने का पाठ पढ़ाता है।

दशहरा के त्यौहार को श्री राम द्वारा प्राप्त रावण पर विजय के रूप में सम्पूर्ण देश मे व्यापक ढंग से मनाया जाता है। राष्ट्रीय स्तर पर निष्ठा और श्रद्धा के रूप में मनाया जाने वाला त्योहार दीपावली का त्योहार कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है।

दिवाली का त्यौहार समशीतोष्ण ऋतु की मुस्कान को दीपो की सुंदर और मनमोहक लो के साथ प्रस्तुत करके हमारे ज्ञान दिप को प्रज्ज्वलित करने की सचेतना प्रदान करता है। राष्टीय स्तर पर मनाए जाने वाले अल्पसंख्यक वर्ग के त्योहारों में ईद, मुहर्रम ओर क्रिसमस के त्योहार भी हममें परस्पर मेल-मिलाप ओर बन्दुत्व की भावना को जाग्रत करते है। जिन्हे हम सभी मिलजुल कर मनाते हैं।

हमारे देश भारत में त्योहार के महत्व

हमारे देश भारत के त्योहार का महत्व इसलिए भी है, क्योंकि इसमें परस्पर एकता, एकरूपता ओर एकात्मकता का पाठ पड़ाते है। यही कारण है कि हम हिन्दू, मुसलमानों, ईसाइयों, सिक्खों आदि के त्योहार ओर पर्वो को अपना त्योहार ओर पर्व मानकर उसमे भाग लेते है और आपस मे एक दुसरो को ह्रदय से लगाते है।

इसी तरह से मुसलमान, सिक्ख, ईसाई भी हमारे हिन्दू त्योहारों को पर्वो को तन और मन से अपनाकर के अभिन्न भावनाओ को प्रकट करते है। अतएव हमारे देश के त्योहार का महत्व धार्मिक, सास्कृतिक, सामाजिक ओर आद्यात्मिक दृष्टि से बहुत अधिक है।

राष्टीय महत्व की दृष्टि से 15 अगस्त, 26 जनवरी, 2 अक्टूबर, 14 नबंवर का महत्व अधिक है। संक्षेप में हम कह सकते है कि हमारे देश के त्योहार विशुद्ध प्रेम, भेदभाव ओर सहानुभूति का महत्व रखते है।

इनसे आपस मे मित्रता, एकता और सद्भावना प्रकट होती है। एक प्रकार से अगर ये त्योहार नहीं होते तो समझ लीजिए हमारा जीवन कितना बेरंग ओर नीरस होता। हमें एक दूसरे से कोई मतलब नही होता। पर इन त्योहारों की बजह से ही हम भारतीय आपस मे जुड़े हुए है ओर इन त्योहारों की खुशियों को आपस मे मिलकर बाटते है।

हमारा देश भारत त्योहारों का देश है। यहां कोई भी त्योहार हो उससे कोई फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि हमारे देश मे सभी लोग हर जाति और धर्म को भुलाकर त्यौहारों का आनन्द उठाते है। हमारे देश में धर्म का इतना कोई महत्व नहीं है, जितना त्योहारों का है।

इसलिये भारत देश ऐसे ही नही पूरे विश्व मे अपनी साम्प्रदायिकता ओर अखंडता के लिए त्योहारों के नाम से विख्यात है। ये त्योहारों से जुड़ी एकता केवल हमारे देश भारत मे ही देखने को मिलती है।

सबसे बड़ी बात तो यह होती है कि ये त्योहार अपने जन्मकाल से लेकर अब तक उसी पवित्रता और सात्विकता की भावना को संजोए हुए है। युग बदले, कई परिवर्तन हुए है और हो भी रहे है, पर इन त्योहारों पर इसका कोई प्रभाव नही पड़ा।

इन त्योहार का रूप चाहे बड़ा हो, चाहे छोटा, चाहे एक क्षेत्र विशेष तक ही सीमित हो या चाहे सम्पूर्ण समाज और राष्ट को प्रभावित करने वाला हो। ये त्योहार शुद्धता, नैतिकता और विश्वास का प्रतीक है, ये भारत के त्योहार है।

List Of Festivals Of India In Hindi

तो यह था भारत के त्यौहार पर निबंध (Festivals Of India Essay In Hindi) , आशा करता हूं कि भारतीय त्यौहार  पर हिंदी में लिखा निबंध (Hindi Essay On Indian Festivals) आपको पसंद आया होगा। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा है , तो इस लेख को सभी के साथ शेयर करे।

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मेरा पसंदीदा त्योहार पर निबंध (10 lines Essay On My Favourite Festival in Hindi) 100, 200, 300, 500, शब्दों में

essay of festival in hindi

Essay On My Favourite Festival in Hindi – मुख्य हिंदू त्योहार दिवाली को कभी-कभी रोशनी का त्योहार भी कहा जाता है। भारत में कई त्यौहार बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाये जाते हैं। प्रत्येक उत्सव का आनंद लेने का एक अनोखा तरीका होता है। यहां “मेरा पसंदीदा त्योहार दिवाली ” पर कुछ नमूना निबंध दिए गए हैं।

मेरे पसंदीदा त्यौहार पर 10 पंक्तियाँ (10 Lines on My Favourite Festival in Hindi)

  • दिवाली मेरा पसंदीदा त्यौहार है
  • दिवाली को ‘दीपावली’ के नाम से भी जाना जाता है।
  • हम यह त्यौहार हर साल अक्टूबर या नवंबर में मनाते हैं।
  • दिवाली पर हम नए कपड़े पहनते हैं.
  • दिवाली के दौरान हम मिठाइयाँ और स्वादिष्ट भोजन खाते हैं।
  • हम अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ मिठाइयाँ भी बाँटते हैं।
  • दिवाली रोशनी का त्योहार है.
  • हम अपने घरों में दीये, मोमबत्तियाँ और दीपक जलाते हैं।
  • मैं इस त्योहार को लेकर रोमांचित हूं।’
  • मुझे यह त्यौहार बहुत पसंद है.

मेरा पसंदीदा त्योहार दिवाली पर 100 शब्दों का निबंध (100 Words Essay on My Favourite Festival Diwali)

दिवाली, जिसे अक्सर “रोशनी का त्योहार” के रूप में जाना जाता है, दीये जलाकर और रॉकेट और पटाखे चलाकर आनंद लिया जाता है। यह राक्षसी राजा रावण से अपनी पत्नी सीता को बचाने के बाद भगवान राम की अयोध्या में शानदार वापसी का सम्मान करने वाला एक उत्सव है। हम अपने घर को रोशन करने के लिए मिट्टी के तेल के लैंप का उपयोग करते हैं जिन्हें दीया कहा जाता है। हम उन्हें घी या तेल में डूबी रुई की बाती का उपयोग करके जलाते हैं। दिवाली बुराई की हार और अंधकार के उन्मूलन का प्रतीक है। हम अपने प्रियजनों के साथ मिठाइयाँ बाँटने का भी आनंद लेते हैं। मेरे लिए, अपने परिवार के साथ फुलझड़ियाँ जलाना मेरा व्यक्तिगत पसंदीदा हिस्सा है। मुझे अपने परिवार और दोस्तों के साथ दिवाली मनाना पसंद है, इस बड़े दिन पर हम सभी पारंपरिक भारतीय कपड़े पहनते हैं और एक-दूसरे को दिवाली की शुभकामनाएं देते हैं।

मेरा पसंदीदा त्योहार दिवाली पर 200 शब्दों का निबंध (200 Words Essay on My Favourite Festival Diwali in Hindi)

हर साल, मैं उत्सुकता से अपनी पसंदीदा छुट्टी, दिवाली का इंतजार करता हूं। यह अक्टूबर या नवंबर की शुरुआत में मनाया जाता है। इस अवसर पर हमारे स्कूल में छुट्टियाँ होती हैं। धनतेरस दिवाली उत्सव की शुरुआत का प्रतीक है। इस दिन लोग चांदी और सोने के सामान के साथ-साथ बरतन भी खरीदते हैं। इन दिनों बाजार में खूब भीड़ रहती है. अगले दिन को छोटी दिवाली या नरक चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है। लोग अपने घरों की सफ़ाई करते हैं और अतिरिक्त कूड़ा-कचरा हटा देते हैं। इस घटना के दौरान कहा जाता है कि देवी लक्ष्मी हमारे घर आती हैं। लोग अपने घरों को सजाने के लिए रंगोली और खूबसूरत लाइटों का इस्तेमाल करते हैं।

दिवाली के त्योहार पर देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है। शाम को मिट्टी के दीये और मोमबत्तियाँ जलाई जाती हैं। दिवाली की रात को पूरा क्षेत्र जगमगाता हुआ दिखाई देता है। इसके अतिरिक्त, लोगों के बीच उपहारों और मिठाइयों का आदान-प्रदान किया जाता है। दिवाली इसलिए मनाई जाती है क्योंकि इस दिन भगवान राम चौदह वर्ष का वनवास बिताने के बाद अपने सिंहासन पर लौटे थे। दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा होती है और उसके बाद भाई दूज मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की सुरक्षा और खुशी के लिए प्रार्थना करती हैं। दीपावली शांति, एकता और पीढ़ीगत मूल्यों के मूल्य की याद दिलाती है। हर कोई जश्न मनाने, उपहार देने और लेने के लिए एक साथ आता है, और धन, खुशी और समृद्धि के लिए प्रार्थना करता है।

मेरा पसंदीदा त्योहार दिवाली पर 300 शब्दों का निबंध (300 Words Essay on My Favourite Festival Diwali)

हर साल मैं अपने पसंदीदा त्योहार दिवाली का बेहद इंतजार करता हूं। यह अक्टूबर या कभी-कभी नवंबर में मनाया जाता है। इस त्यौहार पर हमें स्कूल से छुट्टियाँ मिलती हैं। दिवाली का जश्न धनतेरस से शुरू होता है. इस दिन लोग बर्तन और सोने-चांदी की वस्तुएं खरीदते हैं। इन दिनों में बाज़ार में असामान्य भीड़ का सामना करना पड़ता है।

सभी दुकानें अच्छी तरह से सजाई गई हैं जो बड़ी संख्या में ग्राहकों को आकर्षित करती हैं। अगले दिन को नरक चतुर्दशी या छोटी दिवाली के रूप में मनाया जाता है। लोग अपने घरों की साफ-सफाई करते हैं और घर का पुराना कचरा बाहर फेंक देते हैं। ऐसा कहा जाता है कि इस त्योहार के दौरान देवी लक्ष्मी हमारे घर आती हैं। लोग अपने घरों को सजावटी रोशनी और रंगोली से सजाते हैं।

दिवाली के दिन भगवान गणेश के साथ देवी लक्ष्मी की भी पूजा की जाती है। इस दिन हम नए कपड़े पहनते हैं। शाम के समय मोमबत्तियाँ और मिट्टी के दीये जलाए जाते हैं। दिवाली की रात पूरा वातावरण जगमग नजर आता है। लोग एक-दूसरे को मिठाइयाँ और उपहार भी देते हैं। दिवाली इसलिए मनाई जाती है क्योंकि इस दिन भगवान राम चौदह वर्ष के वनवास के बाद अपने राज्य लौटे थे। दिवाली के एक दिन बाद गोवर्धन पूजा होती है और फिर हम भाई दूज मनाते हैं। इस दिन बहनें अपने भाइयों की सलामती और सुखद भविष्य के लिए प्रार्थना करती हैं। 

दिवाली के दिन यहां का पूरा माहौल बेहद खूबसूरत दिखता है। अँधेरी रात में दीयों और मोमबत्तियों की रोशनी हमें यह अहसास कराती है कि बुराई का अंधेरा तो और भी बढ़ सकता है लेकिन सच्चाई की चमक को नहीं छुपा सकता। दीपावली दर्शाती है कि पारिवारिक मूल्य, एकता और सद्भाव कितने महत्वपूर्ण हैं। हर कोई एक साथ मिलकर जश्न मनाता है, एक-दूसरे को उपहार देता है और पृथ्वी पर शांति और समृद्धि के लिए प्रार्थना करता है।

मेरा पसंदीदा त्योहार दिवाली पर 500 शब्दों का निबंध (500 Words Essay on My Favourite Festival Diwali)

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि भारत वर्ष भर में कई त्यौहार मनाता है। इन सभी त्यौहारों में से एक प्रमुख त्यौहार है दिवाली। इसे दीपावली या रोशनी का त्योहार भी कहा जाता है। दिवाली हिंदुओं के लिए एक बड़ा महत्व रखती है। यह आमतौर पर अक्टूबर या नवंबर के महीने में मनाया जाता है। हालाँकि, दिवाली एक दिन का त्योहार नहीं है, यह भारत में मनाया जाने वाला पांच दिनों का त्योहार है। यह उत्सव धनतेरस से शुरू होता है और भाई दूज पर समाप्त होता है। दिवाली का यह अनोखा त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत को दर्शाता है।

मेरा पसंदीदा त्यौहार – दिवाली

मुझे सभी त्यौहार मनाना पसंद है लेकिन दिवाली मेरा पसंदीदा है। मैं इस त्योहार का पूरे साल इंतजार करता हूं।’ मुझे घर सजाना बहुत पसंद है. दिवाली के दौरान सभी घर और दुकानें बहुत खूबसूरत लगती हैं। शहर में पटाखे फोड़ने की आवाज गूंज उठती है. लोग एक-दूसरे के घर जाकर बधाई देते हैं और मिठाइयां बांटते हैं। इस त्यौहार के बारे में एक और चीज़ जो मुझे सबसे अधिक पसंद है वह है छुट्टियाँ। हमारा स्कूल कुछ दिनों के लिए बंद रहता है ताकि हम इस त्योहार का आनंद उठा सकें। मुझे अपने दोस्तों के साथ पटाखे फोड़ना भी पसंद है। 

मैं दिवाली कैसे मनाता हूँ

दिवाली उत्सव की तैयारी उत्सव से कुछ सप्ताह पहले शुरू हो जाती है। हम अपने घर को पेंट करना शुरू करते हैं और फिर उसकी सफाई करते हैं। घर को सजाने के लिए तरह-तरह की सजावटी लाइटों का इस्तेमाल किया जाता है। हम शॉपिंग भी करने जाते हैं. हम अलग-अलग चीजें खरीदते हैं जैसे नए कपड़े, मिठाइयां, उपहार, पटाखे, रंगोली के रंग, दीये (मिट्टी के दीपक), मोमबत्तियां और कई अन्य सजावटी सामान। धनतेरस के दिन हम बर्तन और सोने की चीजें खरीदने के लिए बाजार जाते हैं। दिवाली से एक दिन पहले के दिन को लेकर मैं हमेशा उत्साहित रहता हूं। इस दिन मैं अपने घर के प्रवेश द्वार पर रंगोली बनाती हूं।

दिवाली की सुबह हम मंदिर जाते हैं. शाम को हम नए कपड़े पहनते हैं और देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा करते हैं। पूजा के बाद, हम घर को सजाने के लिए मिट्टी के दीये और मोमबत्तियाँ जलाते हैं। फिर मैं अपने दोस्तों और भाई-बहनों के साथ पटाखों और फुलझड़ियों का आनंद लेता हूं। हालांकि ये आतिशबाजी हमारे पर्यावरण के लिए अच्छी नहीं है, इसलिए हम इको-फ्रेंडली दिवाली मनाने की कोशिश करते हैं। हम एक साथ मिठाइयों और स्नैक्स का आनंद लेते हैं। दिवाली के बाद हम गोवर्धन पूजा और भाई दूज भी मनाते हैं।

हम दिवाली क्यों मनाते हैं?

भारत में अधिकतर त्यौहार पौराणिक कथाओं से जुड़े हुए हैं। 14 साल के वनवास के बाद भगवान राम (विष्णु का एक रूप) के आगमन का आनंद लेने के लिए दिवाली मनाई जाती है। वह राक्षस रावण का वध करके घर आये। दशहरे के दिन उन्होंने रावण का वध किया और अपने घर लौटने में उन्हें 14 दिन लगे। इसीलिए दशहरे के 14 दिन बाद दिवाली मनाई जाती है। ऐसा कहा जाता है कि भगवान राम के अयोध्या आगमन की खुशी में लोगों ने पूरे शहर को दीयों और रोशनी से सजाया था। तभी से दिवाली का जश्न मनाया जाने लगा।  

भारत में लोगों के लिए इस त्यौहार का विशेष महत्व है। जैसा कि हम सभी जानते हैं, आतिशबाजी का बड़े पैमाने पर उपयोग हवा को प्रदूषित करता है। इससे पर्यावरण प्रदूषण में भारी वृद्धि होती है। हालाँकि, यह बच्चों के लिए खतरनाक हो सकता है। इसलिए, हमें दिवाली को ऐसे तरीके से मनाने का प्रयास करना चाहिए जो पर्यावरण और परिवेश दोनों के लिए अच्छा हो।

मुझे आशा है कि ऊपर दिया गया मेरा पसंदीदा त्यौहार दिवाली पर निबंध इस त्यौहार को विस्तार से समझने में सहायक होगा।

मेरे पसंदीदा त्यौहार दिवाली पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

Q.1 दिवाली उत्सव कब शुरू हुआ था.

उत्तर. दिवाली उत्सव 2,500 साल से भी पहले का है।

Q.2 दिवाली शब्द का क्या अर्थ है?

उत्तर. दिवाली शब्द का अर्थ है “रोशनी की पंक्ति”।

Q.3 दिवाली पर देवी लक्ष्मी की पूजा क्यों की जाती है?

उत्तर. लक्ष्मी धन, विलासिता, सौभाग्य और सफलता की देवी हैं। चूँकि दिवाली बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाती है, इसलिए दिवाली पर सौभाग्य लाने के लिए लक्ष्मी की पूजा की जाती है।

Q.4 2022 में दिवाली किस दिन मनाई जाएगी?

उत्तर. 2022 में दिवाली उत्सव 24 अक्टूबर को होगा।

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By: savita mittal

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भारत देश ‘ अनेकता में एकता’ का देश है। भौगोलिक विविधता के कारण यहाँ विभिन्न धर्मों, जातियों एवं सम्प्रदायों के लोग रहते हैं। अनेक धर्मों व जातियों के लोग होने से, यहाँ सभी के अपने-अपने त्योहार हैं। इस दृष्टिकोण से देखा आए, तो भारत में प्रत्येक माह किसी-न-किसी त्योहार की धूम रहती है। त्योहार जीवन में नवस्फूर्ति, चेतना, उमंग, स्नेह एवं आनन्द का अनुभव कराते हैं, साथ ही मानवीय गुणों को स्थापित कर लोगों में प्रेम, भाईचारे एवं नैतिकता का सन्देश देते हैं। ये त्योहार देश की एकता और अखण्डता को भी मजबूत बनाते हैं।

भारतवर्ष में सभी त्योहारों का अपना महत्त्व है। यहाँ मनाए जाने वाले त्योहारों में होली, रक्षाबन्धन, दुर्गापूजा, हरा, गणेश-चतुर्थी, दीपावली, बैसाखी, गुडफाइडे, क्रिसमस, सिंह, ओणम, पोंगल, ईद, मुहर्रम, सरहुल, गुरुपर्व आदि प्रमुख हैं। इनमें से हिन्दू सम्प्रदाय से सम्बन्धित कुछ त्योहार धार्मिक रीति-रिवाजों, वेदों और पुराणों की घटनाओं एवं मान्यताओं के अनुसार मनाए जाते हैं। भारत में मनाए जाने वाले कुछ प्रमुख त्योहारों के विषय में जानकारी प्राप्त करते हैं।

Major Festivals of India Essay in Hindi

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होली रंगों का त्योहार है। यह फाल्गुन मास की समाप्ति के बाद चैत्र मास के प्रथम दिन (प्रतिपदा को) मनाया जाता है। चैत्र मास हिन्दू कैलेण्डर का प्रथम मास होता है। इस प्रकार, होली हिन्दुओं के लिए नववर्ष का त्योहार भी है। इस त्योहार में लोग एक-दूसरे को रंग, अबीर एवं गुलाल लगाते हैं, अपने लड़ाई-झगड़ों को भूलकर एक-दूसरे से गले मिलते हैं एवं सभी के साथ मिलकर नाचते-गाते हैं। इस प्रकार, बसन्त ऋतु में मनाया जाने बाला यह त्योहार रंग-बिरंगा एवं मस्ती से परिपूर्ण होता है।

होली के त्योहार के पीछे कई पौराणिक कथाएँ विद्यमान हैं, जिनमें से प्रह्लाद एवं होलिका की कथा सर्वाधिक मान्य एवं प्रचलित है। ‘विष्णु पुराण’ की एक कथा के अनुसार, हिरण्यकश्यप, विष्णु भगवान को नहीं मानता था तथा विष्णु की पूजा-आराधना करने को मना किया करता था। बिडम्बना यह थी कि उसका अपना ही पुत्र प्रह्लाद, भगवान विष्णु का परम भक्त था। हिरण्यकश्यप को यह ज्ञात होते ही उसने प्रह्लाद को तरह-तरह के कष्ट देने प्रारम्भ कर दिए।

जब इन सभी का प्रह्लाद पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा, तब उसने अपनी बहन होलिका को बुलाया, जिसे अग्नि में न जलने का बरदान प्राप्त था। हिरण्यकश्यप ने होलिका को आदेश दिया कि वह प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठ जाए। होलिका प्रह्लाद को अपनी गोद में लेकर अग्नि में बैठ गई, किन्तु होलिका अग्नि में भस्म हो गई और प्रह्लाद बच गया। विष्णु भगवान ने हिरण्यकश्यप का वध करके प्रह्लाद को पिता के कष्टों से मुक्ति दिलाई।

इस प्रकार, लोग इस घटना को स्मरण कर होलिका दहन करके अगले दिन रंगों से होली खेलते हैं। होली का साहित्य में भी विवरण हुआ है। कविवर “निराला जी कहते हैं- “नयनों के डोरे लाल गुलाल भरे, खेली होली।”

होली का त्योहार राधा और कृष्ण के पवित्र प्रेम से भी सम्बन्धित है। इसलिए श्रीकृष्ण की नगरी मथुरा एवं वृन्दावन में होली अत्यधिक धूमधाम से मनाई जाती है। भारत में होली का त्योहार पूरे हर्षोल्लास से मनाया जाता है, किन्तु क्षेत्रीय विविधता के कारण देश के कई क्षेत्रों में इसे अन्य नाम भी दिए गए हैं। पश्चिम बंगाल में होली को ‘बसन्तोत्सव’ के रूप में मनाया जाता है।

पंजाब में इस त्योहार को ‘होला मोहल्ला’ कहा जाता है। तमिलनाडु में इसे ‘कामन पोडिगई’ कहा जाता है। हरियाणा में इसे ‘पुलेण्डी’ कहा जाता है। महाराष्ट्र में इसे ‘रंग-पंचमी’ के रूप में मनाया जाता है। भारत में होली किसी भी नाम से मनाई जाए, लेकिन समानता यह है कि इस लोग रंग, अबीर एवं गुलाल का प्रयोग करके ही खेलते हैं।

होली के अवसर पर कुछ लोग शराब पीकर धमा चौकड़ी करते हैं। ऐसी घटनाएँ होली की पवित्रता को नष्ट करती हैं। होली के अवसर पर आजकल रासायनिक रंगों का प्रयोग किया जा रहा है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। अतः को रासायनिक रंगों के प्रयोग से बचना चाहिए एवं प्राकृतिक रंगों का ही प्रयोग करना चाहिए। यह पवित्र त्योहार मुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।

दुर्गापूजा हिन्दुओं का ऐसा त्योहार है, जिसकी धूम पूरे दस दिनों तक रहती है। वैसे तो यह त्योहार वर्ष में दो बार आता है, एक बार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष में, जिसे वासन्तिक नवरात्र कहते हैं एवं दूसरी बार आश्विन मास के शुक्ल पक्ष में, जिसे शारदीय नवरात्र कहा जाता है, किन्तु इन दोनों में शारदीय नवरात्र अधिक प्रचलित है। नवरात्र का प्रारम्भ कलश एवं दुर्गा माँ की प्रतिमा स्थापित करके किया जाता है।

दुर्गापूजा का सम्बन्ध एक पौराणिक कथा से है। इस कथा को अनुसार, एक समय देवताओं के राजा इन्द्र एवं दैत्यों के राजा महिषासुर के बीच भयंकर युद्ध छिड़ गया। इस युद्ध में देवराज इन्द्र की पराजय हुई। देवताओं को महिषासुर के प्रकोप से बचाने के लिए दुर्गा माँ ने उसके साथ लगातार नौ दिनो तक युद्ध किया और दसवें दिन उसको पराजित कर उसका वध कर दिया। इसी कारण उन्हें ‘महिषासुरमर्दिनी’ कहा जाता है।

यह त्योहार बंगाल में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। बंगाल में पष्ठी के दिन प्राण-प्रतिष्ठा के इस विधान को बोधन अर्थात् आरम्भ कहा जाता है। इसी दिन माता के 1 से आवरण हटाया जाता है। गुजरात में शारदीय नवरात्र के दौरान गरबा की धूम रहती है। नवयुवक एवं नवयुवतियाँ अपने साथियों के साथ गरबा खेलते हैं। इस दौरान लोग व्रत रखते है, देवी की अखण्ड ज्योत जलाते हैं और प्रतिदिन हवन करते हैं।

इस प्रकार, दुर्गापूजा पूरे नौ दिनों तक चलती है। नौ दिनों तक माँ दुर्गा की पूजा के बाद दशमी के दिन शाम को उनकी प्रतिमा का विसर्जन कर दिया जाता है। इस दिन को विजयादशमी या दशहरा के रूप में मनाया जाता है। दशमी को बिजयादशमी के रूप में मनाने के पीछे भी एक पौराणिक कथा है। भगवान राम ने रावण पर विजय पाने के लिए दुर्गा की पूजा की थी, इसलिए इस दिन को लोग शक्ति-पूजा के रूप में भी मनाते हैं एवं अपने अस्त्र-शस्त्र की पूजा करते हैं। अन्ततः श्रीराम इसी दिन माँ दुर्गा के आशीर्वाद से रावण पर विजय प्राप्त करने में सफल रहे थे, तब से इस दिन को बिजयादशमी के रूप में मनाया जाता है।

विजयादशमी के पूर्व शहरों एवं गाँवों में रामलीला का आयोजन किया जाता है। विजयादशमी वाले दिन रावण, कुम्भकरण और मेघनाद के पुतले जलाए जाते हैं। हिमाचल प्रदेश के ‘कुल्लू’ शहर में दशहरे का मेला प्रसिद्ध है, जो कई दिनों तक रहता है। विजयादशमी का त्योहार अनीति, अत्याचार तथा तामसिक ॐ प्रवृत्तियों के नाश का प्रतीक है। यह त्योहार दुर्गा माँ (सिंहवाहिनी) की असीम शक्ति और रामचन्द्र जी के आदर्शों का आभास कराता है।

भारत के प्रमुख त्योहार पर निबंध

दीपावली का शाब्दिक अर्थ होता है- दीपों की पंक्ति । इस त्योहार में लोग दीपों को पंक्तिबद्ध रूप में अपने घर के अन्दर एवं बाहर जलाते हैं। इस प्रकार, यह प्रकाश का त्योहार है। यह कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मनाया जाता है। इस दिन लोग गणेश-लक्ष्मी का पूजन करते हैं, जिन्हें पौराणिक कथा के अनुसार धन, समृद्धि, विघ्नहरण एवं ऐश्वर्य का भगवान माना जाता है। दीपावली से एक दिन पहले का दिन ‘घन त्रयोदशी’ या ‘धनतेरस’ अतिशुभ माना जाता है। इस दिन लोग सोना-चाँदी एवं बर्तन खरीदते हैं।

धनतेरस मनाने के पीछे का पौराणिक कारण इस प्रकार है-कहा जाता है कि समुद्र मंथन के पश्चात् लक्ष्मी की उत्पत्ति इसी दिन हुई थी इसलिए इस दिन लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है। समुद्र मंथन से ही धनवन्तरि, जिन्हें औषध विज्ञान का प्रणेता माना जाता है, की उत्पत्ति कार्तिक मास की त्रयोदशी को हुई थी। इसलिए इस दिन को धनतेरस के रूप में मनाया जाता है। श्रीरामचन्द्र जी जब रावण का वध एवं चौदह वर्ष का बनवास व्यतीत करके अयोध्या वापस लौटे, तो अयोध्यावासियों ने उनके स्वागत में अपने घर एवं नगर को घी के दीपों से जगमगा दिया था। गोस्वामी तुलसीदास जी ने ‘गीतावली’ में इसका रमणीय वर्णन किया है

“साँझ समय रघुवीर पुरी की शोभा आजु बनी। ललित दीप मालिका बिलोकहि हितकरि अवध धनी।।”

पश्चिम बंगाल में लोग दीपावली को काली पूजा के रूप में मनाते हैं। वहाँ बड़े-बड़े एवं भव्य पण्डालों के अन्दर माँ काली की प्रतिमा प्रतिस्थापित की जाती है। काली पूजा के बाद वहाँ लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है। दीपावली का अपना धार्मिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक महत्त्व है, किन्तु आज इस त्योहार में कई प्रकार की बुराइयाँ भी समाहित हो गई हैं। इस त्योहार के नाम पर लोग अपनी सामर्थ्य का प्रदर्शन करते हुए हज़ारों रुपये पटाखों में उड़ा देते हैं। अत्यधिक पटाखे जलाना जिस डाल पर बैठे, उसी डाल को काटने जैसा है।

जिस शुद्ध हवा में हम साँस लेते हैं, उसी को पटाखों से हम अशुद्ध करते हैं, यह कितनी अज्ञानता है। जुआ खेलना इस त्योहार की सबसे बड़ी बुराई है, यदि जुआ नहीं खेला जाए तथा पटाखे न जलाए जाएँ, तो यह त्योहार अन्धकार पर प्रकाश की विजय के अपने सन्देश को सार्थक करता नज़र आएगा। आज इन बुराइयों को दूर कर इस त्योहार के उद्देश्यों को सार्थक करने की आवश्यकता है।

यदि एक ऐसे अन्तर्राष्ट्रीय त्योहार का नाम पूछा जाए, जो भारत में धार्मिक सहिष्णुता एवं भाईचारे का प्रतीक बन गया हो, तो नि:सन्देह सभी का जवाब ‘ईद’ ही होगा, क्योंकि यह मुसलमानों का एक ऐसा त्योहार है, जिसे दुनिया के कई मुस्लिम देशों में भले ही बड़ी धूमधाम से मनाया जाता हो, किन्तु अन्य देशों से अलग भारत एक ऐसा देश है, जहाँ दूसरे धर्मों के लोग भी मुसलमान भाइयों को ईद की मुबारकबाद देते हुए इस पवित्र त्योहार में सम्मिलित होकर भारत की सर्वप्रमुख विशेषता ‘अनेकता में एकता’ का सर्वोत्तम उदाहरण प्रस्तुत करते हैं।

ईद दो तरह की होती है- एक ईद-उल-फितर एवं दूसरी ईद-उल-जुहा जब हम ईद की बात करते हैं, तो इसका तात्पर्य ईद-उल-फ़ितर ही होता है। ईद-उल-जुहा को बकरीद कहा जाता है।

पहली ईद-उल-फितर पैगम्बर मुहम्मद ने 624 ई. में जंग-ए-बदर के बाद मनाई थी। ईद-उल-फितर इस्लाम के उपवास के महीने ‘रमज़ान’ के समाप्त होने के बाद मनाई जाती है। इस्लामी कैलेण्डर के सभी महीनों की तरह इसकी शुरुआत भी नए चाँद के दिखने पर होती है। इस ईद में मुसलमान तीस दिनों तक रोजा रखने के बाद पहली बार दिन में खाना खाते हैं और अल्लाह का शुक्रिया अदा करते हैं कि उन्होंने उन्हें महीनेभर रोज़ा रखने की शक्ति दी। ईद की तिथि के काफ़ी पहले से ही लोग इस त्योहार की तैयारी में जुट जाते हैं।

घरों की साफ-सफाई की जाती है एवं परिवार के सभी सदस्यों के लिए नए कपड़े सिलवाए जाते हैं। ईद के दौरान नए पकवान बनाने के अतिरिक्त, नए कपड़े भी पहने जाते हैं और परिवार तथा मित्रों के बीच उपहारों का आदान-प्रदान किया जाता है। ईद के दिन मस्जिद में सुबह की नमाज़ से पहले, नमाजी गरीबों को खैरात या दान देते हैं, जिसे ज़कात-उल-फितर कहा जाता है।

ईद के दिन ईदगाह में जाकर सबके साथ नमाज़ अदा करना शुभ माना जाता है। नमाज़ के दौरान छोटे-बड़े का कोई अन्तर नहीं रहता। राजा हो या रंक, सभी एक ही पंक्ति में खड़े होकर नमाज़ पढ़ते हैं। नमाज समाप्त होने के बाद ईद की मुबारकबाद ‘ईद मुबारक’ कहकर देते हैं। उम्र में अपने से छोटे लोगों को आशीर्वाद स्वरूप जो उपहार एवं धन दिया जाता है, उसे ईदी कहा जाता है। सेवइयों का ईद के दिन अपना अलग ही महत्त्व है, इसी के कारण इसे ‘मीठी ईद’ के नाम से भी जाना जाता है।

ईद का वर्णन नजीर अकबराबादी ने अपनी नज्म में भली-भाँति किया है “”है आधियों को तअत-ओ-तजरीद की ख़ुशी और जाहिदों को जुहद की तमहीद की ख़ुशी ऐसी न शब-ए-बारात न बकरीद की ख़ुशी जैसी कि हर एक दिल में है इस ईद की खुशी।”

शब्दार्थ –आबिद श्रद्धालु, तअत श्रद्धा, जाहिद इबादत करने वाला, जुहद की तमहीद धर्म की बात की शुरुआत। कहने का अर्थ है कि ईंद एक ऐसा त्योहार है, जिसकी खुशी ‘शब-ए-बारात’ और ‘बकरीद’ जैसे अन्य त्योहारों से भी बढ़कर है। इस त्योहार में श्रद्धालुओं को जहाँ अल्लाह के प्रति श्रद्धा की खुशी होती है, यहीं इबादत करने वाले को इस बात की खुशी होती है कि धर्म की बातों की फिर शुरुआत हुई है।

ईद का त्योहार भाईचारे एवं मैत्री का सन्देश देता है। इस्लाम के संस्थापक मुहम्मद साहब का सन्देश केवल मुसलमानों के लिए ही नहीं, बल्कि पूरी मानवता के लिए कल्याणकारी है। ईद-उल-फितर से पूर्व रोजा रखना हमें त्याग एवं तपस्या की प्रेरणा देता है। यह हमें सिखाता है कि हमारा जीवन केवल सुख-सुविधाओं एवं आराम का उपयोग करने के लिए नहीं है, बल्कि इसमें त्याग, अनुशासन एवं बलिदान को भी स्थान देना अनिवार्य है।

ईसाइयों में भी दो प्रमुख त्योहार मनाए जाते हैं-क्रिसमस और गुडफ्राइडे। ये दोनों त्योहार ईसा मसीह से सम्बन्ध रखते हैं। गुडफ्राइडे को ईसा मसीह के बलिदान दिवस के रूप में तथा क्रिसमस की ईसा मसीह के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है। क्रिसमस को बड़ा दिन’ के नाम से भी जाना जाता है। ईसाई मान्यता के अनुसार, पहला क्रिसमस रोम में 336 ई. में मनाया गया था।

ईसाइयों के धर्मग्रन्थ ‘न्यू टेस्टामेण्ट’ में वर्णित क्रिसमस से सम्बन्धित एक कथा है। ईश्वर ने मरियम नामक एक कुँबारी लड़की के पास एक देवदूत भेजा, जिसका नाम गैब्रियल था। उस देवदूत ने मरियम को बताया कि वह ईश्वर के पुत्र को जन्म देगी तथा बालक का नाम जीसस रखा जाएगा। वह बड़ा होकर राजा बनेगा तथा उसके राज्य की कोई सीमा नहीं होगी।

देवदूत गैब्रियल जोसेफ के पास भी गए और उन्होंने उसे बताया कि मरियम एक बच्चे को जन्म देगी और उसे सलाह दी कि वह मरियम की देखभाल करे व उसका परित्याग न करे। जब राजकीय आदेशानुसार सभी नागरिकों को अपने मूल जन्मस्थान पर जनगणना में शामिल होने के लिए कहा गया, तब एक रात मरियम और जोसेफ नाजरथ से येथलेहम जाने के लिए निकले।

तभी रास्ते में तूफानी हवाओं और खराब मौसम के कारण उन्होंने एक अस्तबल में शरण ली, जहाँ मरियम ने 25 दिसम्बर की आधी रात को जीसस को जन्म दिया। जीसस के जन्मदिन के स्मरणस्वरूप ही प्रत्येक वर्ष 25 दिसम्बर को क्रिसमस का त्योहार मनाया जाता है।

जीसस का जन्म अर्द्धरात्रि को हुआ था, इसलिए क्रिसमस के समारोह अर्द्धरात्रि के बाद शुरू होते हैं। इसमें मोमबत्तियाँ जलाकर चर्च व घरों में जीसस क्राइस्ट एवं माता मरियम की सामूहिक पूजा की जाती है। इसके बाद जीसस क्राइस्ट की प्रशंसा में लोग कैरोल (सामूहिक गीत) गाते हैं तथा घर-घर जाकर गाने के रूप में क्राइस्ट का शुभ सन्देश एवं आने वाले नववर्ष के लिए शुभकामनाएँ देते हैं। ‘जिंगल बेल्स जिंगल बेल्स, जिंगल ऑल द बे’ क्रिसमस के अवसर पर गाया जाने वाला एक प्रसिद्ध गीत है।

क्रिसमस की बात हो और लाल व सफेद ड्रेस पहने हुए सफेद बाल एवं दाढ़ी वाले मोटे वृद्ध सान्ता क्लॉज, जो अपने बाहन रेडियर पर सवार रहता है, की कोई चर्चा न हो भला ऐसा कैसे हो सकता है। यही तो वह पात्र है, जिसकी प्रतीक्षा क्रिसमस के दिन प्रत्येक बच्चे को होती है। सान्ता क्लॉज एक क्रिश्चियन पौराणिक पात्र है, जो नए साल के आगमन से कुछ दिन पूर्व क्रिसमस की रात बच्चों को ढेर सारे उपहार एवं मिठाइयाँ दिया करता था। इसलिए कुछ लोग क्रिसमस के अवसर पर सान्ता क्लॉज बनकर बच्चों को उपहार एवं मिठाइयाँ देते हैं।

क्रिसमस के मौके पर घर के आँगन में क्रिसमस ट्री लगाने तथा इसे सजाने की भी परम्परा है। सिटीको एवं समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। इस दिन चर्च को भी सजाया जाता है तथा जीसस क्राइस्ट की जन्मसम्बन्धी झांकियां लगाई जाती है।

इस दिन पृथ्वी पर अवतरित होकर जीसस फ्राइस्ट ने अपने छोटे से जीवनकाल में मानवता के कल्याण के लिए सदावरण एवं सहनशीलता का अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत करते हुए सबको प्रेम एवं भाईचारे का सन्देश दिया था। यह उत्सव सुख, शान्ति व समृद्धि का सूचक है। जीसस ने कहा था कि ईयर सभी व्यक्तियों से प्यार करते हैं, इसलिए हमें प्रेम को जीवन में अपनाकर ईश्वर की सेवा करनी चाहिए। ईश्वर की सेवा का सबसे उत्तम मार्ग गरीबों की सेवा करना है, फ्रिसमस का त्योहार हमें यही सन्देश देता है। अत: इसे सार्थक करने के लिए हमें अपने व्यावहारिक जीवन में जीसस के सन्देशों को लागू करना चाहिए। 

सिखों के भी अपने त्योहार होते हैं। इनमें ‘मैसाखी’ और ‘लोहड़ी’ प्रमुख है। वैसाखी के त्योहार को मनाने की मान्यता है कि इसी दिन 1699 ई. में सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोबिन्द सिंह ने खालसा पन्थ’ की स्थापना की थी। इस स्थापना से गुरु गोबिन्द सिंह का मुख्य उद्देश्य था- लोगों को तत्कालीन मुगल शासकों के अत्याचारों से मुक्त करके, उनके धार्मिक, नैतिक और व्यावहारिक जीवन को श्रेष्ठ बनाना। इस दिन सिख लोग गुरुद्वारों में जाते हैं और पवित्र ‘गुरु ग्रन्थ साहिब’ का पाठ करते हैं। यह त्योहार उत्तर भारत में दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश सहित कई क्षेत्रों में मनाया जाता है।

इन त्योहारों की तरह तमिलनाडु में ‘पोंगल’, केरल में ‘ओणम’ एवं असम में ‘बिह’ को भी बड़ी धूमधाम से मनाने की परम्परा है। इन प्रसिद्ध त्योहारों के अतिरिक्त जैनियों की ‘महावीर जयन्ती’, बौद्धों की ‘बुद्ध जयन्ती’ एवं सिखों की ‘गुरुनानक जयन्ती’ भी हमारे देश के मुख्य पर्व है। भारत देश में धार्मिक एवं सांस्कृतिक त्योहारों की भाँति राष्ट्रीय त्योहार भी मनाए जाते हैं। इनमें 2 अक्टूबर ‘गाँधी जयन्ती’, 14 नवम्बर ‘बाल दिवस’, 15 अगस्त स्वतन्त्रता दिवस’ और 26 जनवरी ‘गणतन्त्र दिवस’ के रूप में उत्साहपूर्वक मनाए जाते हैं।

विभिन्न प्रकार के पर्व-त्योहार हमारे जीवन में खुशियों एवं मनोरंजन के रंग भरते हैं और नीरसता को समाप्त करते हैं। हमारी भारतीय संस्कृति की परम्परा विशेष समय में विशेष प्रकार के त्योहार मनाने की रही हैं। ये त्योहार सभ्यता-संस्कृति के अभिन्न अंग है। ये सभी त्योहार राष्ट्र को एकता के सूत्र में बाँधे रहने में अहम भूमिका का निर्वाह करते हैं। हमें चाहिए कि हम अपनी इस संस्कृति एवं एकता को बनाए रखने में विशेष योगदान दें और जाति, धर्म के भेद जैसी अफवाहों से बचें। हमें राष्ट्र को गौरवान्वित एवं समृद्धशाली बनाने के लिए लोगों में भाईचारे और बन्धुत्व की भावना जागृत करनी चाहिए तथा त्योहार के महत्व को जीवन में उतारना चाहिए।

26 जनवरी हम देशवासियों के लिए अति शुभ एवं गौरवपूर्ण दिन है। स्वतन्त्रता प्राप्ति के लगभग ढाई वर्ष बाद इसी ऐतिहासिक तिथि 26 जनवरी, 1950 को स्वतन्त्र भारत का संविधान लागू हुआ था। इस तिथि को डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने भारत के प्रथम राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली थी और तत्कालीन वायसराय श्री राजगोपालाचारी ने विधिवत् रूप से अपने समस्त अधिकार उन्हें सौंपे थे।

डॉ. भीमराव अम्बेडकर एवं उनके सहयोगियों के अथक प्रयास से निर्मित संविधान के जारीहोते ही भारत सम्प्रभुता सम्पन्न गणराज्य बन गया। इसी उपलक्ष्य में प्रत्येक वर्ष 26 जनवरी, गणतन्त्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। गणतन्त्र का अर्थ है-ऐसी शासन व्यवस्था, जिसमे सत्ता जनसाधारण में समाहित हो अतः सागू होने के साथ ही भारत 26 जनवरी, 1950 से गणतन्त्र राष्ट्र बन गया।

गणतन्त्र दिवस हमारा राष्ट्रीय पर्व है। इस दिन प्रत्येक भारतीय, देश की आजादी में अपने प्राणों की आहत देने शहीदों को याद कर उन्हें श्रद्धाजलि अर्पित करते है| गणतन्त्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति राष्ट्र के नाम सन्देश देने है, जिसका सीधा प्रसारण रेडियो एवं दूरदर्शन पर किया जाता है। इण्डिया गेट, विजय पथ, नई दिल्ली में गणतन्त्र दिवस का समारोह विशेष रूप से आयोजित किया जाता है।

देश के अतिथि के रूप में प्राय: किसी देश के राष्ट्राध्यक आमन्त्रित किया जाता है। राष्ट्रपति द्वारा राष्ट्रीय ध्वज फहराने के बाद भव्य झांकी का आयोजन किया जाता है। नेट से लेकर विजय पथ तक इसे देखने के लिए लाखों लोगों की भीड़ उमड़ पड़ती है। थल सेना, नौसेना, वायु सेना एवं अर्द्धसैनिक बलों की परेड इस समारोह की सर्वाधिक मनोरम दृश्य होती है। इसके अतिरिक्त, पूरे देश की संस्कृति का आभास कराते हुए प्रायः सभी प्रदेशों की भव्य एवं खूबसूरत झाँकियाँ लोगों का मन मोह लेती है।

इस समारोह में देश के लिए अपनी जान की बाजी लगा देने वाले जवानों को विशेष रूप से सम्मानित किया जाता है। देश के कोने-कोने से किसी विशेष अवसर पर अपनी सूझ-बूझ एवं वीरता का प्रदर्शन करने वाले बहादुर बच्चों को भी इस दिन राष्ट्रपति द्वारा पुरस्कृत किया जाता है। परेड के अन्त में वायु सेना के जहाज आकाश में कलाबाजियाँ प्रस्तुत कर दर्शकों का मन मोह लेते हैं। प्रजातन्त्र एवं लोकतन्त्र गणतन्त्र के ही समानार्थी शब्द है। प्रजातान्त्रिक शासन प्रणाली के अनेक लाभ है।

प्रजातान्त्रिक शासन में राज्य की अपेक्षा व्यक्ति को अधिक महत्त्व दिया जाता है। राज्य व्यक्ति के विकास के लिए पूर्व अवसर प्रदान कराता है। जिस प्रकार व्यक्ति और समाज को अलग करके दोनों के अस्तित्व की कल्पना नहीं की जा सकती, ठीक उसी प्रकार प्रजातान्त्रिक शासन प्रणाली में प्रजा और सरकार को अलग-अलग नहीं देखा जा सकता प्रजातन्त्र के अनेक लाभ हैं, तो इससे कई प्रकार की हानियाँ भी सम्भव हैं। प्रजातन्त्र की सफलता के लिए यह आवश्यक है कि जनता शिक्षित हो एवं अपना हित समझती हो। जनता को यह समझना होगा कि आज़ादी हमें सरलता से नहीं मिली है।

इसके लिए हज़ारों लोगों ने अपने प्राण गँवाए हैं। आज़ादी मिलने के बाद देश का गणतन्त्र बनना हमारे लिए दोहरी खुशी है। इस शुभ दिन का सभी को आदर करना चाहिए। गणतन्त्र दिवस आजादी के शहीदों को याद करने एवं उन्हें श्रद्धांजलि देने में मुख्य भूमिका निभाता है। इस दिन राष्ट्रपति भवन में अनेक राजकीय समारोह आयोजित किए जाते हैं। विदेशी राजनयिक, वरिष्ठ सम्माननीय जन व पदक बिजेता यहाँ एकत्र होते हैं। रात्रि को राष्ट्रपति भवन, सचिवालय, इण्डिया गेट व अन्य राजकीय कार्यालय रंग-बिरंगे प्रकाश से जगमगा उठते हैं। लालकिले के प्रांगण में कवि सम्मेलन का आयोजन किया जाता है।

स्कूलों में देशभक्ति एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। राष्ट्रीय एकता का यह पर्व सभी धर्मों के लोगों को मिल-जुलकर रहने एवं प्रेम-भाईचारे का सन्देश देता है। यह हमें देश की स्वतन्त्रता, अखण्डता एवं सम्प्रभुता बनाए रखने की सीख देता है।

यह नहीं भूलना चाहिए कि हम आज जिस आज़ादी की साँस ले रहे हैं, वह वीर जवानों की देन है। सरहद पर जवान सर्दी-गर्मी आदि परेशानियों को सहते हुए भी हर समय दुश्मनों पर केवल इसलिए दृष्टि रखते कि हमारा गणतन्त्र सुरक्षित रह सके। हमें भी अपनी स्वतन्त्रता एवं अखण्डता बनाए रखने का संकल्प लेते हुए, देश के बिकास में हर सम्भव योगदान देना चाहिए। महान् सन्त ‘रामतीर्थ’ कहते थे-“राष्ट्र के हित के लिए प्रयत्न करना विश्व की शक्तियों अर्थात् देवताओं की आराधना करना है।”

reference Major Festivals of India Essay in Hindi

essay of festival in hindi

मेरा नाम सविता मित्तल है। मैं एक लेखक (content writer) हूँ। मेैं हिंदी और अंग्रेजी भाषा मे लिखने के साथ-साथ एक एसईओ (SEO) के पद पर भी काम करती हूँ। मैंने अभी तक कई विषयों पर आर्टिकल लिखे हैं जैसे- स्किन केयर, हेयर केयर, योगा । मुझे लिखना बहुत पसंद हैं।

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मेरा पसंदीदा त्योहार पर निबंध (My Favourite Festival Essay in Hindi)

भारत विविधताओं में एकता प्रदर्शित करने वाला देश है। यहां कई धर्म के लोग एक साथ मिलजुलकर रहते हैं, और प्रेम पूर्वक त्योहारों को भी एक साथ मनाते है। हम सब एक साथ मिलकर पूरे जोश और हर्ष के साथ त्योहार को मनाते है और आपसी प्रेम और खुशी को सब में बांटते है। सभी त्योहार हमारे लिए खास होते है पर इनमें से हमारे कुछ पसंदीदा त्योहार होते है, जो हमको सबसे अधिक पसंद होते है। हम इस त्योहार का भरपूर आनंद लेते है। मैंने नीचे अपनी पसंदीदा त्योहारों की चर्चा की है, जो आपको भी रोमांचित करेगी।

मेरा पसंदीदा त्योहार पर छोटे और बड़े निबंध (Short and Long Essay on My Favourite Festival in Hindi, Mera Pasandida Tyohar par Nibandh Hindi mein)

निबंध – 1 मेरा पसंदीदा त्योहार – ईद-उल-फितर (250 शब्द).

त्योहार हम सभी के लिए एक रिफ्रेशमेंट की तरह हैं। हम सभी पूरे दिन अपने-अपने कामों में व्यस्त रहते हैं और यही त्योहार हमें अपने कामों के बोझ से थोड़ा आराम दिलाते हैं। त्योहारों के माध्यम से हमें अपने परिवार और रिश्तेदारों के साथ समय बिताने का मौका मिलता हैं। बच्चों के लिए यह समय आनंद से भरा होता हैं।

मेरा प्रिय त्योहार

सभी त्योहारों में से जो त्योहार मुझे सबसे ज्यादा पसंद है, वो है “ईद-उल-फितर”। यह दुनिया भर में मनाये जाने वाले इस्लाम धर्म का सबसे बड़ा त्योहार है। इस त्योहार की शुरुआत एक महीने पहले ही रमजान के रोजे के साथ हो जाती है। रमजान के आखिरी में जब आकाश में चाँद और तारा एक सीध में दिखाई दे देता है तो उसके अगले दिन ईद-उल-फितर या ईद का त्योहार मनाया जाता है। लोग मस्जिदों में इस दिन एक साथ नमाज़ अदा करते हैं और एक दूसरे से गले मिल ईद की मुबारकबाद और शुभकामनाएं देते हैं। सभी इस त्योहार को बहुत ही उत्साह के साथ मनाते हैं। इस दिन सभी नए कपड़े पहनते हैं और एक दूसरे से मिलने और मुबारकबाद देने जाते हैं। सभी के घरों में अनेक प्रकार के स्वादिष्ट पकवान बनाये जाते हैं। लोग एक दूसरे से मिल उपहार देते है और लजीज भोजन का आनंद एक साथ लेते हैं।

मुझे यह त्योहार बहुत ही पसंद है क्योंकि इसमें विशेष रूप से तैयार की गई सेवइयां, मिठाइयां और पकवान मुझे बेहद पसंद है। मैं ऐसे लजीज खाने का बहुत शौखिन हूं। इस दिन मैं अपने दोस्त के बुलावे पर मैं उसके घर जाता हूं। वह मेरा बड़े ही आदर के साथ स्वागत करता है और खाने के लिए कुछ नमकीन और स्नैक्स लाता है और बाद में वो मुझे सेवइयां और अन्य पकवान भी खिलाता हैं।

इस त्योहार की एक खाश प्रथा

इस त्योहार की एक खाश प्रथा है, लोग अपनी कमाई का कुछ हिस्सा गरीबों में दान देते हैं। इस प्रथा को “ज़कात” के नाम से जानते है। दान में लोग पैसे, कपड़े, खाने की चीजें, इत्यादि देते है। इसका मुख्य उद्देश्य उन लोगों में खुशी और प्यार बाटना हैं।

रमजान का महत्त्व

रमजान के पवित्र मौके पर लोग उपवास रखते है, और यह उपवास सुबह से लेकर रात तक की जाती है। रमजान के पावन अवसर पर उपवास रखने की प्रथा धार्मिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। यह हमारे पूरे शरीर को विषहरण (डिटॉक्स) करने में मदद करता है। यह मोटापे से हमारे शरीर का रक्षा करता है और हमारे पाचन तंत्र को भी नियंत्रित करता है।

ईद-उल-फितर मुसलमानों का सबसे महत्वपूर्ण त्योहार है। सब इसे मिलजुलकर बड़े ही प्यार और सौहार्द के साथ मनाते है, जिसके कारण चारों ओर केवल खुशी और भाईचारे का वतावरण हमेशा बना रहे।

निबंध – 2 मेरा प्रिय त्योहार – होली (400 शब्द)

त्योहार हमारी संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। ऐसे कई त्योहार है जो देश के साथ-साथ पूरे विश्व भर में मनाये जाते हैं। त्योहारों के माध्यम से हम खुद को आनंदित और ताजगी भरा महसूस करते हैं, इसलिए हम सभी त्योहारों को बड़े ही धूम-धाम से मनाते हैं। होली का त्यौहार उनमें से ही एक है जिसे हम बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाते है, और यह मेरा पसंदीदा त्योहारों में से एक है।

होली हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है और हम इसे बड़े ही धूमधाम से मनाते है। होली रंगों का त्योहार है, इसलिए इसे रंगोत्सव भी कहा जाता है। यह त्योहार फरवरी-मार्च के महीने में पड़ता है। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार यह फाल्गुन महीने में मनाया जाता है।

होली का इतिहास

प्राचीन काल में हिरण्यकश्यप नाम का एक असुर था। वह अपने बल के कारण तीनों लोकों का स्वामी बन बैठा था, और वह चाहता था की दुनिया उसे भगवान माने और उसकी पूजा करें। मृत्यु की डर से लोग उसकी पूजा किया करते थे, पर उसके ही बेटे प्रहलाद ने उसे भगवान मानने से इंकार कर दिया। वह भगवान विष्णु का भक्त था और उन्हीं की आराधना करता था।

प्रहलाद अपने पिता के आदेश को नहीं माना और भगवान विष्णु की पूजा करता रहा। जिसे देख हिरण्यकश्यप बहुत क्रोधित हुआ और वह उसे मारना चाहता था। हिरण्यकश्यप की बहन होलिका थी, जिसे वरदान था की उसे अग्नि जला नहीं सकती। इसलिए हिरण्यकश्यप के कहने पर होलिका ने प्रहलाद को लेकर अग्नि में बैठ गई। पर विष्णु की कृपा से प्रहलाद को कुछ नहीं हुआ और होलिका जल गई। प्रहलाद सुरक्षित बच निकला फिर बाद में विष्णु ने नरसिम्हा के अवतार में हिरण्यकश्यप को मार डाला। तब से होली का यह पर्व मनाया जाता है।

होली मनाने के तरीके

होली के त्योहार पर लोग सफेद या पुराने कपड़ो को पहन के घर से बाहर निकलते हैं और होली के रंगों का आनंद लेते हैं। लोग आपस में मिलजुलकर एक-दूसरे को रंग लगाते है और होली की शुभकामनाएं और बधाइयां देते हैं। कुछ स्थानों पर होली खेलने का अलग ही अंदाज़ होता है लोग फूल, मिट्टी, पानी आदि से भी होली का त्योहार मनाते है। होली में भांग पिने की भी एक प्रथा हैं। होली का त्योहार बच्चों के लिए बहुत ही आनंद दायक होता हैं। वह अपने हम उम्र के साथ होली खेलते हैं और लोगों पर रंगों भरा गुब्बारा भी फेंकते हैं।

दोपहर के बाद लोग अपने ऊपर लगे रंगों को साफ कर नहाते हैं और नए कपड़े को धारण करते हैं। इस खास अवसर पर बने मिठाई गुझिया का सभी आनंद लेते है। घरों में अनेक प्रकार के व्यंजन भी तैयार किये जाते हैं। लोग होली की शुभकामनाएं और बधाइयां देने एक-दूसरे के घरों पर जाते हैं।

होली के इस उत्सव को मैं अपने स्कूल में जमकर मनाता हूं। हम सभी होली के उत्सव को बड़े धूमधाम से मनाते हैं, हम एक-दूसरे को रंग लगाते हैं और सबको खाने के लिए मिठाईयां और नमकीन दिए जाते हैं। सभी मिलकर नाच-गाने और गीत-संगीत का आनंद लेते हैं।

सुरक्षित होली

आजकल के रंगों में केमिकल मिले होते है, इसलिए हमें ऐसे रंगों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। इससे त्वचा में जलन और चेहरे खराब हो जाने का डर होता हैं। पानी के बचाव और जैविक रंगों की होली हमें खेलनी चाहिए ताकि हमारे पर्यावरण के साथ-साथ हम भी सुरक्षित रहें।

होली का यह त्योहार हमें आपसी मतभेद को भूलकर एकजुट होकर एक रंग में रंग जाने का सन्देश देता हैं। यह आपसी प्यार, सौहार्द और भाईचारे का एक प्रतिक है।

Essay on My Favourite Festival

निबंध – 3 मेरा प्रिय त्योहार – दीपावली (600 शब्द)

त्योहार हमारे जीवन के एक अंग हैं। यह हमारे जीवन में खुशियां लाते हैं। त्योहारों को मनाने के पीछे इतिहास और अपना एक महत्त्व होता है।

दीवाली का त्योहार मेरे पसंदीदा त्योहारों में से एक है। हर वर्ष मैं दीवाली के त्योहार का बड़ी बेसब्री से इंतजार करता हूं। दीवाली के 4-5 दिन बहुत ही आनंददायी और दिलचस्प होते हैं। यह अक्टूबर या नवंबर के महीने में पड़ता है और यह हिन्दुओं का एक महत्वपूर्ण त्योहार है।

दीवाली की तैयारियां

दीवाली के नजदीक आने के साथ ही घरों और दुकानों की साफ-सफाई और उसकी रंगाई की जाती है। कमरों की अच्छी तरह से सफाई की जाती है और उसे सजाया जाता है, क्योंकि पुरानी मान्यता है की इस दिन देवी लक्ष्मी घरों में आती है और अपने आशीर्वाद की वर्षा करती हैं। इस दिन हम सभी मिट्टी के दीयों में सरसो के तेल से दिये जलाते हैं। इस दिन लक्ष्मी और गणेश की पूजा की जाती हैं। इन दिनों बाजार नए सामानों से भरे पड़े होते है और बाजारों में इन दिनों काफी भीड़ होती है। लोग अपने अपने पसंद की चीजें खरीदते हैं और वही बच्चे अपने लिए पटाखे और नए कपड़े लेते हैं और दिवाली को बहुत ही उत्साह के साथ मनाते है।

दिवाली का पर्व

दिवाली से एक दिन पहले धनतेरस का त्योहार पड़ता है। धनतेरस के दिन बाजारों में काफी रौनक देखने को मिलती है और लोग बर्तन, सोने, चांदी इत्यादि खरीदते हैं। दिवाली के दिन हम अपने घरों के दरवाजे पर रंगोली बनाते है और फूलों के मालाओं से घर को सजाते हैं। लोग इस दिन नए कपड़े पहनते हैं और शाम को लक्ष्मी और गणेश की पूजा करते हैं। घर के दरवाजे और खिड़कियां खुली रखी जाती हैं ताकि देवी लक्ष्मी हमारे घरों में आये। बाद में प्रसाद ग्रहण करने के बाद हम छतों और कमरों में दिये जलाते हैं। चारों ओर दिये जलाने के बाद हम छत पर जाकर पटाखे फोड़ने का आनंद लेते हैं।

यह त्योहर मुझे बेहद पसंद है क्योंकि इस त्योहर में एक सादगी होती है। जब सारा परिवार एक साथ मिलकर प्रार्थना करता है तो मुझे बहुत ही अच्छा लगता है। हमें प्रसाद के रूप लड्डू खाने को मिलता हैं। चारों तरफ बस प्रकाश ही प्रकाश होता है जो बहुत ही मनमोहक होता है।

दिवाली के अवसर पर मेरे स्कूल में रंगोली प्रतियोगिता

दीवाली के अवसर पर रंगोली बनाने का प्रचलन बहुत ही आम है। दिवाली की छुट्टियों से पहले मेरे स्कूल में रंगोली बनाने की एक प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है। रंगोली बनाने का शौख रखने वाले छात्र इस प्रतियोगिता में भाग लेते हैं और अपनी कला का प्रदर्शन रंगोली बनाकर करते हैं। रंगोली की प्रतियोगिता एकल या समूह के रूप में आयोजित की जाती है। छात्र इस प्रतियोगिता को लेकर बहुत ही उत्साहित रहते है और छात्र फूल, रंग, चावल, आटा,  इत्यादि के सहारे अपनी कला का प्रदर्शन करते है। छात्र अपने हुनर से तरह-तरह के रंग-बिरंगे रंगोली बनाते है। सबसे अच्छी रंगोली बनाने वाले छात्र को पुरस्कृत किया जाता है।

त्योहार को लेकर यह हमारे अंदर एक अलग उमंग पैदा करती है और यह एक अच्छा तरीका भी है जिससे हमारे अंदर की प्रतिभा को बाहर निकालने का एक मौका मिलता है। इस प्रतियोगिता के बाद हम सभी छात्रों में मिठाइयों का वितरण भी किया जाता हैं।

त्योहार मनाने के पीछे धार्मिक विश्वास

दिवाली के त्योहार को मनाने के पीछे कई धार्मिक कहानियां हैं। भारत विभिन्न सांस्कृतिक और धार्मिक मान्यताओं का देश है, इसलिए दीवाली के पर्व को मनाने के पीछे कई धार्मिक विश्वास भी हैं। इन सभी मान्यताओं में सबसे अधिक लोकप्रिय मान्यता भगवान श्री राम के 14 वर्ष के वनवास को पूरा कर अयोध्या लौटने की है। वनवास के दौरान राक्षस रावण ने माता सीता का हरण कर लंका ले गया था, और भगवान राम ने रावण का वध कर सीता को आजाद करा कर इसी दिन अयोध्या वापस लौटे थे। राम, सीता और लक्ष्मण के अयोध्या वापस आने के उपलक्ष्य में लोग इस दिन को बड़े ही खुशी और हर्षोल्लास के साथ दियों से अयोध्या को सजाया था। लोगों ने बड़े ही उदार मन से अयोध्या नगरी में राम का स्वागत किया था।

इस पर्व की सारी मान्यताओं को देखा जाये तो हम कह सकते हैं कि यह बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतिक हैं। दियों या प्रकाश की रोशनी का त्योहार अंधेरों और बुराइयों पर विजय और खुशियों का त्योहार हैं। यह त्योहार हमें एक सन्देश भी देता हैं कि हमें हमेशा सच्चाई और अच्छाई के रास्ते पर चलना चाहिए।

प्रदुषण मुक्त दिवाली मनाने पर जोर

हम हर साल दिवाली के पर्व को बड़े ही धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाते है। इस दिन बहुत से लोग पटाखे भी जलाते हैं। पटाखों से ढेर सारे धुएं निकलते है जिसके कारण हमारा वातावरण बहुत ही प्रदूषित होता हैं। पटाखों से निकले धुओं में कई हानिकारक तत्व शामिल होते हैं। इससे हमारी वायु गुणवत्ता सूचकांक (AIQ) खराब होती है, जो हमारी सेहत को बहुत भारी नुकसान पहुंचाती हैं। पटाखों के इन धुओं की वजह से हमारा वातावरण भी काफी जहरीला हो जाता है, जिससे जीव-जन्तुओं को काफी हानि होती हैं। पटाखों के द्वारा होने वाला शोर हमारे बच्चों, बुजुर्गों और पशुओं पर गहरा असर करता हैं।

दिवाली के इस पर्व पर सारी दुकाने, घर, मंदिर और आसपास के सभी जगह रोशनी से जगमगाते हैं, जो हमें बहुत ही मनमोहक दृश्य देते हैं। हिन्दुओं के इस प्रमुख त्योहार को देश और विदेश के सभी धर्मों के लोग बड़े ही धूम-धाम से मनाते हैं। यह पर्व अंधेरों पर प्रकाश और बुराई पर अच्छाई की विजय के प्रतिक के रूप में भी मनाया जाता है।

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होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi): इतिहास, महत्व, 200 से 500 शब्दों में होली पर हिंदी में निबंध लिखना सीखें

Updated On: March 07, 2024 12:55 pm IST

  • होली पर निबंध 200 शब्दो में (Essay on Holi in …
  • होली पर निबंद 500 शब्दो में (Essay on Holi in …

होली पर निबंध 10 लाइन (Holi Par Nibandh 10 Lines)

होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi)

होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi)  - होली एक ऐसा रंगबिरंगा त्योहार है, जिसे हिन्दू धर्म के लोग पूरे उत्साह और सौहार्द के साथ मनाते हैं। प्यार भरे रंगों से सजा यह पर्व हिन्दू धर्म के लोगो के बीच भाई-चारे का संदेश देता है। इस दिन सभी लोग अपने पुराने गिले-शिकवे भूल कर गले लगते हैं और एक दूजे को गुलाल लगाते हैं। बच्चे और युवा रंगों से खेलते हैं। होली रंगो और खुशियों का त्योहार है। होली का त्यौहार विश्व भर में प्रसिद्ध है। होली का त्यौहार (Holi Festival) हिंदू धर्म में मनाया जाने वाला दूसरा सबसे बड़ा त्यौहार है। इस त्यौहार को रंगो के त्यौहार के नाम से भी जाना जाता है। होली का त्यौहार भारत के साथ-साथ नेपाल, बांग्लादेश, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा जैसे कई देशों में भी प्रसिद्ध है। इस त्यौहार को सभी वर्गों के लोग मनाते हैं। वर्तमान में तो अन्य धर्मों को मानने वाले लोग भी इस त्यौहार को बड़ी धूमधाम से मनाने लगे हैं। इस त्यौहार में ऐसी शक्ति है कि वर्षों पुरानी दुश्मनी भी इस दिन दोस्ती में बदल जाती है। इसीलिए होली को सौहार्द का त्यौहार भी कहा गया है। ऐसा माना जाता है कि होली का त्योहार (Festival of Holi) हजारों वर्षों से मनाया जा रहा है। होली का त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। ये भी पढ़ें - अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर भाषण होली पर निबंध (Holi Par Nibandh) लिखने के इच्छुक छात्र इस लेख के माध्यम से 200 से 500 शब्दों तक हिंदी में होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi)  लिखना सीख सकते हैं। 

होली पर निबंध 200 शब्दो में (Essay on Holi in 200 words)

होली पर निबंध (holi par nibandh) - होली का महत्व , होली पर निबंध (essay on holi in hindi) - होली कब और क्यों मनाई जाती है.

होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi) - होली के पर्व को हिन्दू कैलेंडर के मुताबिक फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। होली अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार अधिकतर फरवरी और मार्च के महीने में पड़ता है। इस त्योहार को बसंतोत्सव के रुप में भी मनाया जाता है। हर त्योहार के पीछे कोई न कोई कहानी या किस्सा प्रचलित होता है। ‘होली’ मनाए जाने के पीछे भी कहानी है। वैसे तो होली पर कई कहानियां सुनाई व बताई जाती है लेकिन कुछ कहानियां हैं जो गहराई से हमारी संस्कृति एंव भाव से जुड़ी है। तो आईये जानते है होली मनाने के पीछे का कारण और संस्कृति एंव भाव।

इसी तरह भगवान कृष्ण पर आधारित कहानी होली का पर्व किस खुशी में मनाया जाता है, इसके विषय में अनेक कथाएँ प्रचलित हैं। एक कथा के अनुसार भगवान कृष्ण ने दुष्टों का वध कर गोप व गोपियों के साथ रास रचाई तब से होली का प्रचलन हुआ। वृंदावन में श्री कृष्ण ने राधा और गोप गोपियों के साथ रंगभरी होली खेली थी इसी कारण वृंदावन की होली सबसे अच्छी और विश्व की सबसे प्रसिद्ध होली मानी जाती है। इस मान्यता के अनुसार जब श्री कृष्ण दुष्टों का संहार करके वृंदावन लौटे थे तब से होली का प्रचलन हुआ और तब से हर्षोल्लास के साथ होली मनाई जाती है।

होली पर निबंद 500 शब्दो में (Essay on Holi in 500 words)

प्रस्तावना .

होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi):  होली भारतीय संस्कृति का एक प्रमुख धार्मिक पर्व है। यह पर्व फागुन मास के शुक्ल पक्ष में मनाया जाता है और भारत वर्ष में खुशी, आनंद, प्रेम और एकता का प्रतीक है। होली एक सांस्कृतिक महोत्सव है जिसमें लोग अपनी पूर्वाग्रहों और विभिन्न सामाजिक प्रतिष्ठानों को छोड़कर आपसी भाईचारा और प्रेम का आनंद लेते हैं। यह पर्व विभिन्न आदतों, परंपराओं और धार्मिक आराधनाओं के साथ मनाया जाता है और भारतीय समाज के लिए एक महत्वपूर्ण और आनंदमय अवसर है।

होली का त्यौहार कैसे मनाया जाता है?

विश्व के अलग-अलग कोने में अलग-अलग तरह से होली खेली जाती है कहीं फूल भरी होली खेली जाती है तो कहीं लठमार होली तो कहीं होली का नाम ही अलग होता है। होली खेलने का तरीका भले ही सबका अलग अलग हो लेकिन होली हर जगह रंगों के साथ ज़रूर खेली जाती है। होलिका दहन के लिए बड़कुल्ले बनाना, होली की पूजा करना, पकवान बनाना, होलिका का दहन करना इत्यादि किया जाता है।

होली पर निबंध (Holi Par Nibandh) - होली की तैयारी कैसे करें?

पकवान बनाने के बाद घर के सभी लोग उसे एक थाली में सजाकर होलिका दहन वाली जगह जाते हैं। इसके अलावा वे अपने साथ बड़कुल्ले और पूजा का अन्य सामान भी लेकर जाते हैं जिसमें कच्चा कुकड़ा (सूती धागा), लौटे में जल, चंदन इत्यादि सम्मिलित हैं। फिर उस जगह पहुंचकर होली की पूजा की जाती हैं, पकवान का भोग लगाया जाता हैं और बड़कुल्लों को उस ढेर में रख दिया जाता हैं। उसके बाद सभी लोग कच्चे कुकड़े को उस गोल घेरे के चारों और बांधते हैं और भगवान से प्रह्लाद की रक्षा की प्रार्थना करते हैं। पूजा करने के पश्चात सभी अपने घर आ जाते हैं। 

रात में सूर्यास्त होने के बाद पंडित जी वहां की पूजा करते हैं। सभी लोग उस स्थल पर एकत्रित हो जाते हैं। उसके बाद उन लकड़ियों में अग्नि लगा दी जाती हैं। अग्नि लगाते ही, उस ढेर के बीच में रखे मोटे बांस (प्रह्लाद) को बाहर निकाल लिया जाता हैं। होलिका दहन को देखने के लिए लोग अपने घर से पानी का लौटा, कच्चा कुकड़ा, हल्दी की गांठ व कनक के बाल लेकर जाते हैं। पानी से होली को अर्घ्य दिया जाता है। दूर से उस अग्नि को कच्चा कुकड़ा, हल्दी की गांठ और कनक के बाल दिखाए जाते हैं। कुछ लोग होलिका दहन के पश्चात उसकी राख को घर पर ले जाते हैं। 

होली पर निबंध (Holi Par Nibandh in Hindi) - होली कैसे खेलते है?

इन सब के बाद शुरू होता हैं असली रंगों का त्यौहार। सभी लोग अपने मित्रों, रिश्तेदारों, जान-पहचान वालों के साथ होली का त्यौहार खेलते हैं। पहले के समय में केवल प्राकृतिक रंगों से ही होली खेलने का विधान था लेकिन आजकल कई प्रकार के रंगों से होली खेली जाती हैं।

इसी के साथ लोग फूलों, पानी, गुब्बारों से भी होली खेलते हैं। कई जगह लट्ठमार होली खेली जाती हैं तो कहीं पुष्प वर्षा की जाती हैं। कई जगह कपड़ा-फाड़ होली खेलते हैं तो कई लड्डुओं की होली भी खेलते है। यह राज्य व लोगों के अनुसार भिन्न-भिन्न प्रकार की होती हैं। बस रंग हर जगह उड़ाए जाते हैं।

यह उत्सव लगभग दोपहर तक चलता हैं और उसके बाद सभी अपने घर आ जाते हैं। इसके बाद होली का रंग उतार लिया जाता हैं, घर की सफाई कर ली जाती हैं और नए कपड़े पहनकर तैयार हुआ जाता हैं। भाषण पर हिंदी में लेख पढ़ें- 

होली पर निबंध (Holi Par Nibandh) -  होली के हानिकारक प्रभाव

होली  का इन्तजार लोगो को पुरे साल भर रहता है। लेकिन कई बार होली पर बहुत सी दुर्घटनाएं भी हो जाती है जिसका ध्यान रखना चाहिए। लोगों द्वारा होली के दिन गुलाल का प्रयोग न कर के केमिकल और कांच मिले रंगों का प्रयोग किया जाता है। जिससे चेहरा खराब हो जाता है कई लोग मादक पदार्थों का सेवन व भाग मिला कर नशा करते हैं जिससे कई लोग दुर्घटना का शिकार भी हो जाते हैं। ऐसे ही होली के दिन बच्चे गुब्बारों में पानी भर कर गाड़ियों के ऊपर फेंकते हैं या पिचकारी और रंगो को आँखों में फेंक के मरते हैं होली में ऐसे रंगों व हरकतों को न करें जिससे किसी व्यक्ति के जीवन पर बुरा प्रभाव पड़ें इसलिए होली के दिन सावधानीपूर्वक रंगो को खेलिये जिससे किसी के लिए हानिकारक न हो।

सुरक्षित तरीके से होली खेलने के सुझाव 

होली का त्योहार (Holi Festival) ऐसा त्योहार है, जिसमें सभी लोग इसके रंग में डूबे नजर आते हैं, लेकिन इसकी मौज-मस्ती आपको इन बातों का भी विशेष ख्याल रखना चाहिए ताकि इस प्यार भरे उत्सव का मजा किरकिरा न हो।

  • होली खेलने से पहले अपने पूरे शरीर और बालों पर अच्छी तरह तेल और मॉइश्चराइजर लगा लें। ताकि रंग आसानी से छूट जाएं।
  • होली खेलने के लिए नैचुरल और ऑर्गेनिक रंगों का इस्तेमाल करें, कैमिकल भरे रंगों के इस्तेमाल से बचें। क्योंकि कैमिकल वाले रंगों की वजह से कई बार स्किन एलर्जी तक हो जाती है।
  • होली में ज्यादा पानी को बर्बाद न करें।
  • होली पर फुल कपड़े पहनने की कोशिश करें, ताकि कलर ज्यादा स्किन पर न आए।
  • होली में किसी पर जबरदस्ती कलर नहीं डालें और ध्यान रखें कि मौज-मस्ती में किसी को चोट न आए।
  • होली की मौज-मस्ती में बच्चों का विशेष ख्याल रखें, कई बार ज्यादा समय तक पानी में गीले रहने से बच्चे बीमार भी पड़ जाते हैं

होली रंग का त्योहार है, जिसे मस्ती और आनंद के साथ मनाया जाता है। होली में पानी और रंग में भीगने के लिए तैयार रहें, लेकिन खुद को और दूसरों को नुकसान न पहुंचाने के लिए भी सावधान रहें। अपने दिमाग को खोलें, अपने अवरोधों को बहाएं, नए दोस्त बनाएं, दुखी लोगों को शांत करें और टूटे हुए रिश्तों को जोड़ें। चंचल बनें लेकिन दूसरों के प्रति भी संवेदनशील रहें। किसी को भी अनावश्यक रूप से परेशान न करें और हमेशा अपने आचरण की देखरेख करें। इस होली में केवल प्राकृतिक रंगों से खेलने का संकल्प लें।

होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi) - होली से जुड़ी सामाजिक कुरीतियां 

होली जैसे धार्मिक महत्व वाले पर्व को भी कुछ असामाजिक तत्व अपने गलत आचरण से प्रभावित करने की कोशिश करते हैं। कुछ असामाजिक तत्व मादक पदार्थों का सेवन कर आपे से बाहर हो जाते हैं और हंगामा करते नजर आते हैं। कुछ लोग होलिका में टायर जलाते हैं, उनको इस बात का अंदाजा नहीं होता कि इससे वातावरण को बहुत अधिक नुकसान पहुँचता है। कुछ लोग रंग और गुलाल की जगह पर पेंट और ग्रीस लगाने का गंदा काम करते हैं जिससे लोगों को शारीरिक क्षति होने की आशंका रहती है। अगर में होली से इन कुरीतियों को दूर रखा जाए तो होली का पर्व वास्तव में हैप्पी होली बन जाएगा। इसलिए होली में कुरीतियों से बचें और खुशुयों से होली मनाये यह लोगो के बीच एकता और प्यार लाता है। होली पर निबंध (Holi Par Nibandh) कुछ लाइनों में लिखने के इच्छुक छात्र इस लेख के माध्यम से होली पर निबंध 10 लाइनों (Holi Par Nibandh 10 Lines) में लिखना सीखें।

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दिवाली पर निबंध (Essay on Diwali in Hindi) - दीपावली पर निबंध हिंदी में

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दिवाली पर निबंध (Diwali Essay in Hindi) - दीपावली यानि प्रकाश का पर्व। दीपावली अंधकार पर प्रकाश, अज्ञान पर ज्ञान और बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। दिवाली हिंदुओं का सबसे बड़ा त्योहार है। दिवाली को दीपावली भी कहते हैं। इस महापर्व को मनाने के पीछे कई मान्यताएं हैं। सबसे प्रमुख मान्यता भगवान राम के वन से अध्योध्या आगमन की है। बुराई चाहे रावण जैसी बलवान और बुद्धिवान क्यों न हो उसका एक दिन अंत होकर ही रहता है। बुराई का साथ देने वाले भले इंद्रजीत, कुंभकर्ण जैसे महाबली क्यों न हों उनका भी विनाश होना तय है। अपने पूज्य राम के रावण के विजय और वनवास समाप्त कर अयोध्या वापसी की खुशी में अयोध्यावासियों ने धूमधाम और हर्ष-उल्लास के साथ सजावट और तैयारियांं कर इस दिन को उत्सव की तरह मनाया तब से हर साल इस दिन दीपावली का उत्सव मनाया जाता है। गुरु नानक जयंती पर निबंध

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दिवाली पर निबंध (Essay on Diwali in Hindi) - प्रस्तावना (Introduction)

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दिवाली पर निबंध (Essay on Diwali in Hindi) - दीपावली पर निबंध हिंदी में

दीपावली त्योहार तथा इसकी खूबियों से छात्रों को परिचित कराने के लिए छोटी कक्षाओं में दिवाली पर निबंध (Diwali Essay in Hindi) का प्रश्न हिंदी तथा अंग्रेजी दोनों भाषाओं में पूछा जाता है। इस हिंदी दिवाली निबंध (Diwali Essay in Hindi) से उन युवा शिक्षार्थियों को फायदा मिलेगा जो दीपावाली त्योहार पर हिंदी में निबंध (Diwali Essay in Hindi) लिखना चाहते हैं। हमने नीचे दिए गए निबंध में शुभ दिवाली त्योहार (Happy Diwali Festival in Hindi) के बारे में जानकारी उपलब्ध कराने का एक छोटा-सा प्रयास किया है। बच्चे दिवाली पर हिंदी के इस निबंध (Diwali Essay in Hindi) से सीखकर लाभ उठा सकते हैं तथा वाक्य कैसे बनाए तथा किन बातों को दीपावली निबंध में जगह दी जाए, जैसी बातों को समझने के साथ ही अपने हिंदी लेखन कौशल को भी बेहतर बना सकते हैं।

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दिवाली हिंदुओं के सबसे लोकप्रिय व महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है, जिसे बड़े ही उत्साहपूर्वक और धूमधाम के साथ मनाया जाता है। बच्चों को दिवाली पर निबंध (diwali per nibandh) लिखकर त्योहार के बारे में अपने आनंदमय अनुभव साझा करने का अवसर मिलता है। युवा आम तौर पर इस त्योहार को बहुत पसंद करते हैं क्योंकि यह सभी के लिए ढेर सारी खुशियाँ और उल्लास के पल लेकर आता है। वे अपने परिवार, दोस्तों और रिश्तेदारों से मिलते हैं तथा अपने प्रियजनों के साथ शुभकामनाएँ और उपहार साझा करते हैं।

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दिवाली पर निबंध (diwali per nibandh)

अधिकतर लोग इस दौरान ऑनलाइन साल 2024 में दिवाली कब है, ढूंढते रहते हैं (What is the real date of Diwali in 2024?)। ऐसे में आपकी जानकारी के लिए बता दें कि साल 2024 में दिवाली पर्व 31 अक्टूबर को मनाया जाएगा। हालांकि कुछ प्रदेशों में एक नवंबर को भी दीवाली मनाई जाएगी। इस दिन विशेष रूप से धन की देवी माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। छात्र इस लेख में नीचे दिए गए दिवाली त्योहार पर निबंध (Essay of Diwali Festival) की जांच कर सकते हैं और दिवाली त्योहार के बारे में अपने व्यक्तिगत अनुभव व्यक्त करने या साझा करने के लिए इस विषय पर कुछ पंक्तियां लिखने का प्रयास कर सकते हैं। दिवाली पर निबंध (diwali per nibandh) लिखने के लिए आपको इस लेख से मदद मिलेगी।

दिवाली के पावन अवसर पर धन की देवी माँ लक्ष्मी, विघ्नहर्ता गणेश जी व कुबेर जी की विधि-विधान से पूजा करने का विशेष महत्व माना गया है। लक्ष्मी पूजन प्रदोष काल में करने को सर्वाधिक फलदायक माना जाता है। इसके अलावा प्रदोष काल के दौरान स्थिर लग्न में लक्ष्मी पूजन विशेष फलदायक होता है। ऐसी मान्यता है कि स्थिर लग्न में की गई अपनी पूजा-आराधना से प्रसन्न होकर माता लक्ष्मी आराधक के घर में निवास करने लगती हैं। वर्ष 2024 में दीपावली का पर्व 31 अक्टूबर को मनाया जाएगा। हालांकि कुछ प्रदेशों में एक नवंबर को भी दीवाली मनाई जाएगी। साल 2023 में दिवाली के अवसर पर 12 नवंबर को लक्ष्मी पूजन मुहूर्त गृहस्थजनों के लिए सायं 05:41 मिनट से रात 07:37 मिनट तक है। लक्ष्मी पूजन मुहूर्त की कुल अवधि लगभग 01 घंटे 55 मिनट रहेगी। वहीं साल 2022 में, 24 अक्टूबर को दिवाली का त्योहार देश भर में मनाया गया था।

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दीपावली एक महत्वपूर्ण पर्व है जिस पर सभी एक-दूसरे के साथ अपनी खुशियां साझा करते हैं और दूसरों के सुखमय जीवन की कामनाएं करते हैं। दीपावली के शुभ अवसर पर परिजनों, ईष्टमित्रों से किन शब्दों में अपनी शुभकामना व्यक्त करें, यह उलझन होती है। नीचे कुछ दिवाली शुभकामना संदेश दिए गए हैं जिनकी मदद से आपको अपनी भावना व्यक्त करने में सहूलियत होगी-

  • प्रकाश व खुशियों के महापर्व दीपावाली आपके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लेकर आए। दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं...
  • देवी महालक्ष्मी की कृपा से आपके घर में हमेशा उमंग और आनंद की रौनक हो। इस पावन मौके पर आप सबको दीपावाली की हार्दिक शुभकामनाएं। शुभ दीपावली!
  • प्रकाश के महापर्व दीपावली पर मेरी कामना है कि आपको समृद्धि, खुशी और अपार सफलता मिले। शुभ दीपावली!
  • लक्ष्मी जी विराजें आपके द्वार, सोने चांदी से भर जाए आपका घर-बार, आपके जीवन में आए खुशियां अपार, यही कामना है आपके लिए उपहार। दीपावली की बधाई...
  • शुभं करोति कल्याणं आरोग्यं धनसंपदा । शत्रुबुद्धि-विनाशाय दीपज्योती नमोऽस्तुते ।। दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं।।
  • प्रकाश का महापर्व दीपावली आपके घर में लाए खुशहाली, आप और आपके परिवार को हैप्‍पी दिवाली।
  • गणपति और मां लक्ष्मी आपके दुखों का नाश करें। रोशनी के दीप आपके घर में खुशहाली लाएं। दिवाली की ढेर सारी बधाई...

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  • प्रदूषण पर निबंध
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यहां बच्चों के लिए दिवाली पर हिंदी में निबंध दिया गया है, जिसकी मदद निबंध लिखते समय ली जा सकती है:

दीपावली का अर्थ: दिवाली जिसे "दीपावली" के नाम से भी जाना जाता है, भारत और दुनिया भर में रहने वाले हिंदुओं के सबसे पवित्र त्योहारों में से एक है। ‘दीपावली' संस्कृत के दो शब्दों से मिलकर बना है – दीप + आवली। ‘दीप’ का अर्थ होता है ‘दीपक’ तथा ‘आवली’ का अर्थ होता है ‘शृंखला’, जिसका मतलब हुआ दीपों की शृंखला या दीपों की पंक्ति। दीपावली का त्योहार कार्तिक मास के अमावस्या के दिन मनाया जाता है। यह त्योहार दुनिया भर के लोगों द्वारा बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है। हालांकि इसे हिंदू त्योहार माना जाता है, लेकिन विभिन्न समुदायों के लोग भी पटाखे और आतिशबाजी के जरिए इस उज्ज्वल त्योहार को मनाते हैं।

दीपावली त्योहार की तैयारी: दीपावली त्योहार की तैयारियां दिवाली से कई दिनों पहले ही आरंभ हो जाती है। दीपावली के कई दिनों पहले से ही लोग अपने घरों की साफ-सफाई व रंगाई-पुताई करने में जुट जाते हैं क्योंकि ऐसी मान्यता है कि जो घर साफ-सुथरे होते हैं, उन घरों में दिवाली के दिन माँ लक्ष्मी विराजमान होती हैं तथा अपना आशिर्वाद प्रदान करके वहां सुख-समृद्धि में बढ़ोतरी करती हैं। दिवाली के नजदीक आते ही लोग अपने घरों को दीपक और तरह-तरह के लाइट्स से सजाना शुरू कर देते हैं।

दिवाली में पटाखों का महत्व: दीपावली को "रोशनी का त्योहार - प्रकाश पर्व" कहा जाता है। इस दिन लोग मिट्टी के बने दीपक जलाते हैं और अपने घरों को विभिन्न रंगों और प्रकारों की रोशनी से सजाते हैं, जिसे देखकर कोई भी मंत्रमुग्ध हो सकता है। इस पर्व में बच्चों को पटाखे जलाना और विभिन्न तरह के आतिशबाजी जैसे फुलझड़ियां, रॉकेट, फव्वारे, चक्री आदि बहुत पसंद होते हैं।

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दिवाली का इतिहास : हिंदू मान्यताओं के अनुसार, दिवाली के दिन ही भगवान श्री राम 14 वर्षों के वनवास के बाद अपनी पत्नी सीता, भाई लक्ष्मण और उनके उत्साही भक्त हनुमान के साथ अयोध्या लौटे थे, अमावस्या की रात होने के कारण दिवाली के दिन काफी अंधेरा होता है, जिस वजह से उस दिन पूरे अयोध्या को दीपों और फूलों से भगवान श्री राम चंद्र के लिए सजाया गया था, ताकि भगवान राम के आगमन में कोई परेशानी न हो, तब से लेकर आज तक इसे दीपों का त्योहार और अंधेरे पर प्रकाश की जीत के रूप में मनाया जाता है।

इस शुभ अवसर पर, बाजारों में भगवान गणेश जी, लक्ष्मी जी, राम जी आदि की मूर्तियों की खरीदारी की जाती है। इस दौरान बाजारों में खूब चहल-पहल होती है। लोग इस अवसर पर नए कपड़े, बर्तन, मिठाइयां आदि खरीदते है। हिंदुओं द्वारा देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है, क्योंकि व्यापारी दिवाली के पर्व पर नए बहीखाते की शुरुआत करते हैं। साथ ही, लोगों का मानना है कि यह खूबसूरत त्योहार सभी के लिए धन, समृद्धि और सफलता लाता है। लोग दिवाली के त्योहार के अवसर पर अपने परिवार, दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ उपहारों का आदान-प्रदान करने के लिए तत्पर रहते हैं।

दीपवाली से जुड़ी सामाजिक कुरीतियां

दीपावाली जैसे धार्मिक महत्व वाले पर्व के पावन अवसर पर भी कुछ असामाजिक तत्व अपने बुरी आदत जैसे शराब का सेवन, जुआ खेलना, टोना-टोटका करना और पटाखों के गलत इस्तेमाल से इसे ख़राब करने में जुटे रहते हैं। अगर समाज में दीपावाली के दिन इन कुरीतियों को दूर रखा जाए तो दिवाली का पर्व वास्तव में शुभ दीपावली हो जाएगा।

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दिवाली स्वयं के अंदर के अंधकार को मिटा कर समूचे संसार को प्रकाशमय बनाने का त्योहार है। बच्चे इस दिन अपनी इच्छानुसार बम, फुलझड़ियाँ तथा अन्य पटाखे खरीदते हैं और आतिशबाजी का आनंद उठाते हैं। हमें इस बात को समझना होगा कि दीपावली के त्योहार का अर्थ दीप, प्रेम तथा सुख-समृद्धि से है। ऐसे में पटाखों का इस्तेमाल सावधानी पूर्वक और अपने बड़ों के सामने रहकर करना चाहिए। दिवाली का त्योहार हमें हमेशा आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। दीपावली का त्योहार सांस्कृतिक और सामाजिक सद्भाव का प्रतीक है। इस त्योहार के कारण लोगों में आज भी सामाजिक एकता बनी हुई है। हिंदी साहित्यकार गोपालदास नीरज ने भी कहा है, "जलाओ दिए पर रहे ध्यान इतना, अँधेरा धरा पर कहीं रह न जाए।" इसलिए दीपावली पर प्रेम और सौहार्द को बढ़ावा देने के प्रयत्न करने चाहिए।

दीपावली के साथ मनाए जाने वाले उत्सव (Celebrations celebrated with Deepawali)

  • दीपावली का त्योहार लगभग 5 दिनों का होता है। जिस के पहले दिन धनतेरस होता है। धनतेरस के दिन लोग धातु की वस्तुएं जैसे सोने और चांदी के आभूषण को खरीद कर अपने घर जरूर लेकर जाते हैं।
  • दीपावली का दूसरा दिन नरक चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। कुछ लोग इस दिन को छोटी दिवाली के रूप में भी मनाते हैं।
  • तीसरा दिन दीपावली त्योहार का मुख्य दिन होता है। इस दिन देवी महालक्ष्मी और भगवान गणेश जी की पूजा की जाती है।
  • दीपावली के चौथे दिन गोवर्धन पूजा की जाती है क्योंकि इस दिन भगवान कृष्ण ने इंद्र के क्रोध से हुई मूसलाधार वर्षा से लोगों को बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी एक उंगली पर उठा लिया था।
  • दिवाली के त्योहार के आखिरी दिन को भाई दूज के रूप में मनाया जाता है।

ये भी देखें :

  • दशहरा पर निबंध
  • हिंदी में निबंध- भाषा कौशल, लिखने का तरीका जानें

1) दीपावली को दीपों का त्योहार या दीपोत्सव भी कहा जाता है।

2) दिवाली भारत के सबसे लोकप्रिय और महत्वपूर्ण त्यौहारों में से एक है।

3) यह त्यौहार भगवान राम की याद में मनाया जाता है जो चौदह वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे।

4) इस अवसर पर हिंदू अनुयायी मिट्टी के दीपक जलाते हैं और अपने घरों को रंगोली से सजाते हैं।

5) बच्चे इस त्योहार पर पटाखे जलाकर बहुत खुश होते हैं।

6) हिंदुओं में इस अवसर पर धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं।

7) बच्चे, बूढ़े और जवान, सभी इस दिन धन की देवी माता लक्ष्मी और विघ्नहर्ता भगवान श्री गणेश की पूजा करते हैं।

8) इस दिन सभी लोग अपने दोस्तों और पड़ोसियों को मिठाइयाँ और उपहार देते हैं।

9) भारत में इस दिन सार्वजनिक अवकाश रहता है और लोग इस त्योहार को बड़े धूम-धाम के साथ मनाते हैं।

10) यह हिंदुओं के सबसे प्रिय और आनंददायक त्योहारों में से एक है, जिसे अन्य धर्म और संप्रदाय के लोग भी आपस में मिलजुल कर मनाते हैं।

इन्हें भी देखें

  • सीबीएसई क्लास 10वीं सैंपल पेपर
  • यूके बोर्ड 10वीं डेट शीट
  • यूपी बोर्ड 10वीं एडमिट कार्ड
  • आरबीएसई 10वीं का सिलेबस

Frequently Asked Question (FAQs)

दिवाली 14 साल के वनवास के बाद भगवान राम की अयोध्या वापसी और साथ ही अंधकार पर रोशनी का प्रतीक है। अपने घरों की सफाई और उन्हें तरह तरह के लाइट से सजाने के बाद लक्ष्मी गणेश की पूजा के साथ दीपावली का त्योहार धूम धाम से मनाया जाता है, तथा रात के समय बच्चे आतिशबाजी का भी लुफ्त उठाते हैं।

इस त्योहार के दौरान, लोग अपने घरों को रंगोली और तेल के दीयों से सजाते हैं, जिन्हें दीपक कहा जाता है। सभी एक दूसरे को बधाई देते हैं, अच्छे अच्छे पकवान बनाते हैं, पटाखों से आतिशबाजी करते हैं और मिल-जुल कर सौहार्द के साथ दिवाली के पर्व को मनाते हैं।

दीपावली' संस्कृत के दो शब्दों से मिलकर बना है – दीप + आवली। ‘दीप’ अर्थात ‘दीपक’ और ‘आवली’ अर्थात ‘श्रृंखला’, जिसका मतलब हुआ दीपकों की श्रृंखला या दीपों की पंक्ति।

आप इस लेख की सहायता से दिवाली पर हिंदी में निबंध लिख सकते है, पूरे लेख को ध्यान से पढ़ें और समझें की आप किस तरह से दिपावली पर हिंदी निबंध लिख सकते हैं।  

दिवाली का त्योहार मिट्टी के दीप या फिर तरह -तरह के लाइट और रंगोली से अपने घर को सजा कर, खुशियां बाँट कर, लक्ष्मी गणेश की पूजा करके, अच्छे अच्छे पकवान बना कर हर्ष और उल्लास के साथ दिवाली का त्योहार मनाया जाता है।

साल 2024 में दिवाली 31 अक्टूबर को मनाई जाएगी। हालांकि कुछ प्रदेशों में 1 नवंबर को भी दीपावली मनाई जाएगी। 

लक्ष्मी पूजन प्रदोष काल में करना सर्वाधिक फलदायक माना जाता है। प्रदोष काल के दौरान स्थिर लग्न में लक्ष्मी पूजन का और विशेष महत्व है। साल 2023 में दिवाली के अवसर पर 12 नवंबर को लक्ष्मी पूजन मुहूर्त गृहस्थजनों के लिए सायं 05:41 मिनट से रात 07:37 मिनट तक है। लक्ष्मी पूजन मुहूर्त की कुल अवधि लगभग 01 घंटे 55 मिनट रहेगी। 

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Questions related to CBSE Class 10th

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Waitlist: Many schools maintain waitlists after their initial application rounds close.  If a student who secured a seat decides not to join, the school might reach out to students on the waitlist.  So, even if the application deadline has passed,  it might be worth inquiring with schools you're interested in if they have a waitlist and if they would consider adding you to it.

Schools with ongoing admissions: Some schools, due to transfers or other reasons, might still have seats available even after the main admission rush.  Reach out to the schools directly to see if they have any open seats in 10th grade.

Consider other good schools: There might be other schools in your area that have a good reputation but weren't on your initial list. Research these schools and see if they have any seats available.

Focus on excelling in your current school: If you can't find a new school this year, focus on doing well in your current school. Maintain good grades and get involved in extracurricular activities. This will strengthen your application for next year if you decide to try transferring again.

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The dates of the CBSE Class 10th and Class 12 exams are February 15–March 13, 2024 and February 15–April 2, 2024, respectively. You may obtain the CBSE exam date sheet 2024 PDF from the official CBSE website, cbse.gov.in.

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The paper of class 7th is not issued by respective boards so I can not find it on the board's website. You should definitely try to search for it from the website of your school and can also take advise of your seniors for the same.

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The eligibility age criteria for class 10th CBSE is 14 years of age. Since your son will be 15 years of age in 2024, he will be eligible to give the exam.

Popular CBSE Class 10th Questions

A boy standing on a stationary lift (open from above) throws a ball upwards with the maximum initial speed he can, equal to 49 m s-1. How much time does the ball take to return to his hands? If the lift starts moving up with a uniform speed of 5 m s-1 and the boy again throws the ball up with the maximum speed he can, how long does the ball take to return to his hands?

A player throws a ball upwards with an initial speed of 29.4ms ?1 . (a) What is the direction of acceleration during the upward motion of the ball ? (b) What are the velocity and acceleration of the ball at the highest point of its motion ? (c) Choose x = 0 m and t = 0 s to be the location and time of the ball at its highest point, vertically downward direction to be the positive direction of x-axis, and give the signs of position, velocity and acceleration of the ball during its upward, and downward motion. (d) To what height does the ball rise and after how long does the ball return to the players hands ? (Take g=9.8m/s 2 and neglect air resistance).

Choose the correct statement of the following a. conversion of solid into vapours without passing through the liquid state is called vapourisation. b. conversion of vapours into solid without passing through the liquid state is called sublimation. c. conversion of vapours into solid without passing through the liquid state is called freezing. d. conversion of solid into liquid is called sublimation.

Fill in the blanks: a. Evaporation of a liquid at room temperature leads to a __________ effect. b. At room temperature the forces of attraction between the particles of solid substances are __________ than those which exist in the gaseous state. c. The arrangement of particles is less ordered in the _________ state. However, there is no order in the _______ state. d. _____________ is the change of gaseous state directly to solid state without going through the _____________ state. e. The phenomenon of change of a liquid into the gaseous state at any temperature below its boiling point is called ___________.

For the following statements, write T for True and F for False. (a) J.J. Thomson proposed that the nucleus of an atom contains only nucleons. (b) A neutron is formed by an electron and a proton combining together. Therefore, it is neutral. (c) The mass of an electron is about 1/2000 times that of proton. (d) An isotope of iodine is used for making tincture iodine, which is used as a medicine.

General electronic configuration of outermost and penultimate shell of an atom is (n-1)s^{2} (n-1)p^{6} (n -1)d^{x} ns^{2} . If n=4  the number of proton in the nucleus is

In an electrical circuit three incandescent bulbs A, B and C of rating 40 W, 60 W and 100 W respectively are connected in parallel to an electric source. Which of the following is likely to happen regarding their brightness? a. Brightness of all the bulbs will be the same b. Brightness of bulb A will be the maximum c. Brightness of bulb B will be more than that of A d. Brightness of bulb C will be less than that of B

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essay of festival in hindi

Essay on Festivals Of India in Hindi

भारत एक ऐसा देश है जिस को विश्व स्तर पर सबसे ज्यादा त्यौहार वाला देश माना जाता है। यहां बहुत सारे धर्मों के लोग रहते हैं। हर धर्म के लोगों का अपनी अपनी अलग संस्कृति और परंपराओं के अनुसार त्यौहार निर्धारित किया गया है। भारत को एक धर्मनिरपेक्ष (Essay on Festivals Of India in Hindi) देश भी कहा जाता है। यहां हर कोई एक दूसरे के साथ भाईचारा का रिश्ता रखता है। यहां हर कोई अपने और हर धर्म के लोगों के द्वारा मनाया जाने वाला त्यौहार को धूमधाम से मनाते हैं। लोगों की मेलजोल और उनके प्रियता का प्रतीक इन त्योहारों के समय पर ही मिलता है। हर त्यौहार का अपना अलग महत्व और विशेषता है जो कि महिलाओं और बच्चों में अलग-अलग उत्साह को दिखाकर के साबित करता है। भारत एक ऐसा देश है जहां विभिन्न धर्मों के साथ अनेकता में एकता जैसे मूल्यवान शब्दों का उपयोग भी किया जाता है।

भारतीय त्योहार:-

चाहे त्यौहार किसी भी धर्म का हो परंतु भारत देश में हर कोई हर किसी धर्म के त्योहार को बहुत धूमधाम से और मिलजुल कर मनाते हैं। हर कोई अपने आप से भेदभाव को भूलकर के भारत में त्योहारों को एक साथ आनंदित करके बनाते हैं और उससे हर्षोल्लास पूरे भारत में फैलता हैं। त्योहार के समय में हर कोई एक दूसरे के धर्म में पूरी तरीके से रंग जाता है और बड़े ही उत्साह और आनंद के साथ त्यौहार का आनंद लेता है। इसके अलावा भारतीय त्योहारों में अनेक संस्कृति और प्राकृतिक (Essay on Festivals Of India in Hindi) मत भावना भी देखने को मिलती है जो कि हर किसी के लिए अपनी अपनी अलग स्तर पर होती है। त्योहारों के आने पर स्त्रियों और बच्चे बहुत ज्यादा आनंदित हो जाते हैं वहीं पर पुरुष अपने सारे कार्य भूल कर के उस दिन परिवार के साथ अपनी खुशियां सांझा करते हैं।

भारतीयों द्वारा मनाया जाने वाला त्यौहार:-

भारत में बहुत सारे अलग-अलग धर्मों के त्योहार है जिनका अपना अलग-अलग महत्व है। भारत में हर त्यौहार को मनाने के लिए अलग-अलग धार्मिक सांस्कृतिक और पारंपरिक कारण है। त्यौहार को तीन प्रमुख हिस्सों में बांटा गया है।

भारत में कई सारे अलग-अलग धर्म है जैसे कि हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई और अन्य धर्म। यहां हर किसी के धर्म की पहचान उनके नाम और पहनावे से होती है। धर्मों को अलग-अलग परंपराओं और संस्कृति के हिसाब से रखा जाता है। कुछ पारंपरिक और धार्मिक त्योहारों में आते हैं होली, दिवाली, दशहरा, रक्षाबंधन, कृष्ण जन्माष्टमी, आदि इन (Essay on Festivals Of India in Hindi) त्योहारों को हिंदू धर्म में मुख्य रूप से बनाया जाता है। वही मुस्लिम धर्मो द्वारा ईद, उल फितर, बारावफात मुहर्रम इत्यादि जैसे मुख्य त्योहार मनाए जाते हैं। क्रिसमस, गुड फ्राइडे, ईस्टर जैसे त्यौहारों को क्रिश्चियन द्वारा मनाया जाता है इन सभी त्योहारों को उनके धर्म के हिसाब से विभाजित किया गया है।

हमारे भारत देश में संस्कृति को सबसे पहले देखा जाता है मुख्य रूप से संस्कृति ही हमारे भारत देश के स्थापित का कारण है। यहां कई सारे ऐसे सांस्कृतिक त्योहार मनाए जाते हैं जो हर किसी द्वारा मिलजुल कर आनंदित किए जाते हैं।

इसी गिनती में कुछ ऐसे त्यौहार भी देखे जाते हैं जो परंपरागत आज तक चलते आ रहे हैं और आगे भी चलते रहेंगे। इसकी शुरुआत यदि किसी ने प्राचीन में कर दी तो आज तक लोग उसी परंपरा के अनुसार चले जा रहे हैं। यही कारण है कि भारत में अनेक प्रकार के त्योहारों को अपने-अपने परंपरा और संस्कारों के हिसाब से मनाया जाता है।

भारत के अनेक त्यौहार और उनकी विशेषता:-

भारत में बहुत सारे त्यौहार है जो अपने लिए अलग-अलग विशेषता लेकर चलती है। हर त्यौहार के पीछे कोई ना कोई कारण होता है जो कि विशेष रूप से लोगों के सामने आता है और लोगों को उसे मानना पड़ता है। कुछ ऐसे ही त्यौहार और उनकी विशेषता के बारे में हम बात करेंगे:-

हिन्दू भगवान के आयोधया पुनः आगमन पर लाखों दीप जला कर के उनका स्वागत किया गया था इस दिन को दिवाली के नाम से आज तक मनाया जाता है। दिवाली को हर धर्म द्वारा मनाया जाता है। दिवाली की विशेषता यही है कि इसको हर कोई अपने कर्मों को भूल कर के एक दूसरे के साथ मिलजुलकर इस त्यौहार का आनंद लेते हैं और अपने अंदर की बुराइयों को मिटाते हैं।

दिवाली के बाद भारत में सबसे ज्यादा मनाया जाने वाला त्यौहार होली है जो हर वर्ष साल की शुरुआत में आता है और बहुत सारे रंगों से हमारे पूरे साल को रंग जाता है। इसमें हर कोई रंग लगाकर अपनी अपनी खुशियों को एक दूसरे के साथ सांझा करता है और बहुत सारे पकवानों को मिलजुल कर बांटते हैं।

मुस्लिम धर्म द्वारा मनाया जाने वाला ईद आज भारत में हर किसी द्वारा मनाया जाने लगा है इस दिन लोग हर किसी से गले मिलकर अपनी खुशी जाहिर करते हैं और सारे गिले-शिकवे भूलकर एक दूसरे के साथ सेवइयां खाते हैं।

वैसे तो क्रिसमस को ईसाई धर्म द्वारा बनाया जाता था परंतु आज के समय में यह हर किसी का सबसे मन पसंदीदा त्यौहार बन चुका है बच्चों को तोहफे देते हैं और हर किसी के लिए खुशी की कामना करते हैं। केवल भारत ही नहीं पूरे विश्व में क्रिसमस को बहुत धूमधाम से मनाया जाता है।

हमारे देश में हर धर्म के लिए अलग-अलग त्योहारों को मनाया गया है परंतु जब त्यौहार आते हैं तो हर कोई अपना धर्म भूल कर एक दूसरे के साथ मिल जाता है। त्यौहार की यही खासियत है जो हर किसी को एक दूसरे से जुड़े रखते हैं। यहां पर त्यौहार का अर्थ खुशियां हैं जो लोग एक दूसरे के साथ पाते हैं और मिल जुलकर त्यौहारों (Essay on Festivals Of India in Hindi) को मना कर अपनी खुशियां जाहिर करते हैं। कुछ यही कारण है कि भारत को सबसे ज्यादा त्योहारों का देश कहा जाता है क्योंकि यहां हर धर्म के लिए एक समान आदर और प्रेम रखा गया है।

1. भारत में कोन कोन से धर्मो के त्योहार मनाए जाते है ?

उत्तर:-  भारत में हर धर्म के त्योहार मनाए जाते है जैसे हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई आदि।

2. मुस्लिम द्वारा कौन-कौन से मुख्य त्योहार मनाए जाते हैं?

उत्तर:- मुस्लिम धर्मो द्वारा ईद उल फितर बारावफात मुहर्रम इत्यादि जैसे मुख्य त्योहार मनाए जाते हैं।

3. त्योहारों को किन चीजों के विशेषण पर बांटा गया है?

उत्तर:- भारत में हर त्यौहार को मनाने के लिए अलग-अलग धार्मिक सांस्कृतिक और पारंपरिक कारण है। त्यौहार को तीन प्रमुख हिस्सों में बांटा गया है।

4. त्यौहार का क्या अर्थ होता है?

उत्तर:- त्यौहार का अर्थ होता है खुशियां जो कि लोग एक दूसरे के साथ त्यौहार को मना कर बांटते है।

1Hindi

जीवन में त्यौहारों का महत्व निबंध Essay on Importance of Festivals in Life (Hindi)

जीवन में त्यौहारों का महत्व निबंध Essay on Importance of Festivals in Life (Hindi)

इस लेख में जीवन में त्यौहारों का महत्व निबंध Essay on Importance of Festivals in Life (Hindi) को सरल रूप में लिखा गया है। त्यौहारों के महत्व पर निबंध कक्षा 4 से 12 तक विविध रूपों में पूछा जाता है। इस लेख उत्सवों के महत्व पर निबंध से आवश्यक परीक्षाओं में लिखने के लिए मदद लिया जा सकता है।

Table of Content

त्यौहारों में समाज को जोड़े रखने की क्षमता होती है इसलिए त्यौहारों का महत्व और भी बढ़ जाता है क्योंकि दौड़ भाग भरी जिंदगी में लोग इतने व्यस्त रहते हैं कि उन्हें वर्तमान की कोई खबर नहीं रहती।

संसार में जितने धर्म, समुदाय तथा जाति के लोग रहते हैं उनसे जुड़े हुए इतिहास में कुछ अच्छी और बुरी घटनाएँ घटी हैं। अच्छी घटनाओं से इंसान प्रसन्न रहते हैं और बुरी घटनाओं से दुखी, इसलिए अच्छी घटनाओं को पुनरावर्तित करने के लिए त्यौहारों का निर्माण किया गया है।

कुछ त्यौहार बहुत पुराने हैं और कुछ समय और घटनाओं के साथ इंसानों ने बनाया है। त्यौहार लोगों के जीवन को मनोरंजन और ढेर सारी ख़ुशियों से भरते तथा उनमें नवीनता का संचार करते हैं।

क्यों जरूरी हैं जीवन में त्यौहार? Why Festivals and Events are Important in Life?

मानव जीवन में त्यौहारों का बहुत ही महत्व है, धरती पर विभिन्न जाति तथा धर्म के लोग रहते हैं और सभी के अपने-अपने त्यौहार भी हैं लेकिन उन सभी के त्यौहारों में एक ही समानता दिखाई देती है वह है “समाजिक  जुड़ाव तथा प्रसन्नता का निर्माण।

सभी त्यौहारों के साथ बदलाव के कुछ ना कुछ संदेश अवश्य जुड़े होते हैं, जिनका उद्देश्य मानव के विचारों को नवीन बना कर उनमें उनके समाज और राष्ट्र के प्रति समर्पण का भाव पैदा करना है। उदाहरण स्वरूप भारत में प्रमुख त्यौहार दीपावली है और उसका मूल उद्देश्य समाज में न्याय और सदभावना का विचार भरना है।

पटाखे और दीप तो सिर्फ एक साधन हैं लेकिन मूल उद्देश्य दीपावली के इतिहास तथा परिभाषा में छुपी है। दूसरी ओर त्यौहार समाजिक समरसता की सीख भी देते हैं क्योंकि त्यौहारों के दिन सभी की छुट्टी होती है और उन्हें परस्पर मिलने जुलने का समय मिलता है।

भारत देश को त्यौहारों का देश भी कहा जाता है क्योंकि यहाँ सभी धर्मों के लोग रहते हैं और हर महीने किसी न किसी त्यौहार का आवागमन लगा रहता है। भारत में त्यौहार को सिर्फ त्यौहार की तरह देखा जाता है तो चाहे वह किसी भी धर्म या संप्रदाय का क्यों न हो और भारत के प्रत्येक त्यौहार में अपनी विधि और परंपरा के साथ समाज और देश के लिए कोई न कोई विशेष संदेश निहित होता है।

मुस्लिम धर्म में ईद को बहुत हर्ष और उल्लास के साथ पूरी दुनियाँ के मुसलमानों द्वारा मनाया जाता है जिसका मुख्य उद्देश्य भाईचारा और खुद के अंदर के पशुत्व को क़ुर्बान करना है। इस त्यौहार में पूरे एक महीने तक मुस्लिमों द्वारा रोजा रखा जाता है।

इसमें जमात उल विदा का पाक महोत्सव मनाया जाता है जिससे सभी लोगों के मन में एक दूसरे के लिए भाईचारे तथा प्रेम की भावना जागृत होती है। इसी प्रकार ईसाईयों द्वारा मनाए जाने वाले क्रिस्मस त्यौहार में लोग एक दूसरे की ग़लतियाँ माफ करके उनके लिए शुभ कामना करते हैं।

त्यौहारों के द्वारा मिलती सीख Learnings from the Festivals

माना जाता है लोगों में एकता और एक दूसरे के प्रति भाईचारा का भाव जागृत करने के लिए कुछ त्यौहारों का गठन किया गया था लेकिन समय बीतने के साथ लोग समाज में होने वाले उत्सवों में बहुत कम रुचि ले रहें हैं जैसे की हाल में ही भारत के द्वारा निर्मित त्यौहार “ अन्तराष्ट्रीय योग दिवस ” की शुरुवात मानव जीवन को स्वस्थ शरीर और मन प्रदान करने के लिए हुआ था लेकिन फिर भी योग को करने वालों की संख्या बहुत ही कम है।

ठीक ऐसे ही दूसरा त्यौहार राजा राम मोहन राय द्वारा निर्मित गणेश चतुर्थी है जिसका निर्माण हिन्दू समाज को एकजुट करने के लिए बनाया गया था इस त्यौहार में हिन्दू समाज अपनी आजीविका का छोटा सा हिस्सा चंदा के रूप में निकाल उससे गणेश भगवान की प्रतिमा को स्थापित करते हैं और उनकी पूजा करते हैं तथा एक हफ्ते के बाद भगवान गणेश की प्रतिमा को बड़े जलाशय में विसर्जित कर दिया जाता है।

इसी प्रकार दुर्गा पूजा, बाल दिवस , गांधी जयंती, महावीर जयंती , भगवान बुद्ध जयंती इत्यादि त्यौहारों का निर्माण किया गया था लेकिन अब लोगों का इन त्यौहारों के द्वारा दिए जा रहे सीखों के प्रति रूझान कम होता जा रहा है और उनकी सोच सिर्फ चिन्हों तक सिमित होकर रह गयी है।

सुधार के रूप में इन त्यौहारों का नवीनीकरण होना चाहिए और इनके पीछे छिपे उद्देश्यों को जन जन तक पहुँचाना चाहिए जैसे की सिर्फ पर्यावरण दिवस पर पर्यावरण से प्रेम करने के स्थान पर पूरे वर्ष ही अपने छोटे-बड़े कर्मों से पर्यावरण की रक्षा करनी चाहिए और मात्र ईद पर अपने दिल के कुविचारों को दूर करने के स्थान पर पूरे वर्ष ही अपने कुवृत्तियों को दूर कर सद्वृत्तियों को बढ़ाना चाहिए।

त्यौहारों के समय बरती जाने वाली सावधानियाँ Precautions to be taken during festivals

हाल की जीवन में त्यौहारों का महत्व बहुत ज्यादा है परंतु आज पैसे खर्च करना और प्रकृति को नुकसान पहुंचाना वर्तमान में त्यौहार की परिभाषा बना दी गई है। होली जैसे पवित्र त्यौहार को लोग केवल प्रकृति को दूषित करना और बुरी चीजों का सेवन करना ही समझते हैं जबकि यह  त्यौहार सभी को बुराइयों को छोड़ने का संदेश देता है।

दीवाली जैसे पवित्र पर्व पर लोग पटाखे जला कर प्रकृति को प्रदूषित करते हैं, जिससे बेजुबान पशु पक्षियों को बहुत आघात पहुँचता है। ऐसे ही ईद जैसे पवित्र पर्व पर लोग बेजुबान पशुओं की बलि देते हैं जबकि यह त्यौहार लोगों को अपने अंदर की पशु वृत्ति की बलि देने का संदेश प्रदान करता है।

त्यौहारों की सबसे बड़ी सावधानी के रूप सबसे जरुरी चीज़ है उनकी सही और सात्विक परिभाषा समझना साथ ही त्यौहारों को इस प्रकार मोड़ना जिससे प्रकृति को लाभ हो न की हानि। उदा. कुछ त्यौहारों में रोड पर लोगों का समूह एकत्रित हो जाता है जिससे सामान्य लोगों को तथा एम्बुलेंस जैसे जरूरी वाहनों को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है

जहाँ त्यौहार ज्ञान और ख़ुशियों का माध्यम बनते हैं वहीँ दूसरी ओर अगर पर्याप्त सावधानियाँ न बरती जाए तो बहुत नुकसान भी कर सकती हैं हालाँकि त्यौहार जैसे पर्यावरण दिवस या योग दिवस जैसे त्यौहारों से कोई खतरा नहीं होता पर ज्यादातर त्यौहारों में सतर्कता बरतने की जरुरत होती है।

कुछ भारतीय त्यौहार जिनका भारत मे बहुत महत्व है Some Indian festivals which are very important in India

भारत देश त्यौहारों का देश है। जहाँ पूरे साल भर त्यौहार बड़े ही हर्ष और उल्लास से मनाये जाते हैं। हमारे भारत देश में कई धर्मों के लोग साथ मिल जुल कर त्यौहारों को मनाते हैं।

इतनी सारी विभिन्नताएं होने के बावजूद भी सभी धर्मों और जातियों के लोग त्यौहारों का लुत्फ़ लेते हैं। चाहे वह हिन्दुओं की दीवाली और होली ही क्यों न हो, मुसलमानों की ईद ही क्यों न हो, सिक्खों की लोहड़ी ही क्यों न हो और ईसाइयों का क्रिशमस ही क्यों न हो।

त्यौहार शब्द सुनते ही मन में हर्ष और उल्लास जाग जाता है, मन अपने आप ही प्रफुल्लित हो उठता है। भारतीय अपने त्यौहारों को विशेष महत्त्व देते हैं। त्यौहारों को मनाने के लिए पहले से ही तैयारियां शुरू हो जाती हैं।

किसी भी धर्म सम्प्रदाय के लोग हो, गांव हो या शहर हर तरफ त्यौहारों की होड़ लगी रहती है। भारत देश का हर एक त्यौहार लोगों के प्रति प्रेम, एकता, हर्ष और उल्लास का सन्देश देता है।

हर किसी त्यौहारों से जुडी हुई कोई न कोई कहानी है जो हमारी परम्पराओं के अनुसार लम्बे समय से चली आ रही है। अपनी इस संस्कृति और परम्परों को यथावत रखने के लिए हमें त्यौहारों को मनाते रहना चाहिए।

त्यौहार मनाने से हमारे घर – परिवार , आस – पड़ोस और मित्रों के बीच एक अच्छा माहौल बनता है। जो हमारे रिश्तों को और भी मजबूत रखता है।

निम्नलिखित भारतीय त्यौहारों का महत्व बहुत ही अधिक है –

दीवाली – यह त्यौहार मुख्य रूप से हिन्दुओं का है। दीवाली के दिन माता लक्ष्मी और गणेश जी का पूजन किया जाता है जो समृद्धि को दर्शाता है। रात्रि में घर और हर स्थान को दीयों से प्रकाशित किया जाता है। इसे प्रकाश पर्व भी कहा जाता है।

पढ़ें : दिवाली पर निबंध

होली – होली यानि की रंगों का पर्व। होली के एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है और दूसरे दिन सभी को रंग – गुलाल लगा कर इस त्यौहार को मनाते हैं। यह त्यौहार सभी धर्मों के लोग बड़े ही हर्ष और उल्लास के साथ मनाते हैं।

विभिन्न तरह के पकवान इत्यादि बनाये जाते हैं। ‘गुजिया’ एक विशेष प्रकार का पकवान है जो ख़ास तौर पर होली के दौरान बनाई जाती है और सबको वितरित की जाती है।

पढ़ें : होली पर निबंध

रक्षा-बंधन – यह त्यौहार भाई-बहनों के प्रेम को समर्पित है। बहन भाई की कलाई पर राखी बांधती है। ऐसा माना जाता है कि वह राखी सदा भाई की रखा करेगी और भाई प्रण लेता है कि वह अपनी बहन की सदा रक्षा करेगा।

यह त्यौहार सावन के महीने में आता है। सावन का पूरा महीना भगवान शिव जी को समर्पित है। इस पूरे महीने लोग व्रत भी रखते हैं और शिव भगवान का ध्यान करते हैं। इसीलिए ये पूरा महीना एक त्यौहार के रूप में मनाया जाता है।

पढ़ें : रक्षाबंधन पर निबंध

गणेश उत्सव – यह त्यौहार महारष्ट्र में बड़े ही धूम – धाम के साथ मनाया जाता है। भगवान गणेश जी की मूर्ती को लोग अपने घरों, आस – पड़ोस में स्थापित  करते हैं व सात दिनों के उपरान्त जल में विसर्जित करते हैं।

महारष्ट्र के अलावा भारत के अन्य क्षेत्रों में भी भगवान गणेश जी की मूर्ती को स्थापित किया जाता है। जिसे लोग बड़े ही हर्ष और उल्लास के साथ मनाते हैं।

पढ़ें : गणेश चतुर्थी पर निबंध

दुर्गा पूजा – यह त्यौहार पश्चिम बंगाल में मनाया जाता है। इसमें माँ दुर्गा, माँ काली की मूर्तियों को स्थापित किया जाता है। बड़े ही श्रद्धा भाव से माँ की पूजा अर्चना की जाती है।

भारत के अन्य क्षेत्रो में भी माँ दुर्गा का उसी भक्ति – भावना से नवरात्रि के दौरान पूजन किया जाता है। लोग 9 दिनों तक व्रत रखते हैं। कई स्थानों पर तो भव्य मेला भी लगता है।

पढ़ें : दुर्गा पूजा पर निबंध

दशहरा – नवरात्रि के 9 दिन पूरे होने के बाद दशहरा मनाया जाता है। जो बुराई पर अच्छाई की जीत को दर्शाता है। पुरानी मान्यताओं के आधार पर रावण के पुतले को जलाया जाता है।

पढ़ें : दशहरा पर निबंध

महाशिवरात्रि – महाशिवरात्रि भगवान शिव जी को समर्पित है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन सृष्टि का आरम्भ हुआ था और शिव भगवान और माता पार्वती का विवाह भी इसी दिन हुआ था।

पढ़े : महाशिवरात्रि पर निबंध

मकर संक्रांति – पूरा भारत इस पर्व को बड़े ही उत्साह के साथ मनाता है। ऐसा कहा जाता है कि जब सूर्य पौष महीने में मकर राशि पर आता है तब इस पर्व को मनाया जाता है। इस दिन गंगा में स्नान करने का विशेष महत्त्व है। इस त्यौहार को काइट फेस्टिवल के रूप में भी मनाते हैं। गुजरात व अन्य क्षेत्रों में इस दिन पतंग उड़ाई जाती है।

पढ़ें : मकर संक्रांति पर निबंध

ईद – यह त्यौहार मुस्लिम्स का मुख्य त्यौहार है। पूरा भारतवर्ष इस त्यौहार को हर्ष और उल्लास के साथ मनाता है। पूरे एक महीने तक रोजा रखने के बाद जब नया चाँद  उदय होता है उसके अगले दिन ईद मनाई जाती है।

इसे ईद-उल-फितर भी कहा जाता है। यह त्यौहार भाई – चारे की भावना को दर्शाता है। अच्छे – अच्छे पकवान बनाये जाते हैं। ख़ास तौर पर ‘सेवईं’ बनाई जाती है। सभी एक – दूसरे के घर जाकर ईद की मुबारकवाद देते हैं।

पढ़ें : ईद पर निबंध

क्रिश्मस – यह त्यौहार ईसाइयों का मुख्य त्यौहार है। जो न केवल भारत में बल्कि पूरे विश्व में बड़े ही हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन ईशा मसीह का जन्म हुआ था। इसीलिए ईशाई इस त्यौहार को प्रसन्नता पूर्वक मनाते हैं।

पढ़ें : क्रिश्मस पर निबंध

गुरुपर्व – यह सिक्खों का त्यौहार है। सिक्खों के पहले गुरु ‘ गुरु नानक जी ‘ के जन्म दिन पर यह त्यौहार मनाया जाता है।

हमारे देश के कुछ राष्ट्रीय त्यौहार भी हैं जैसे – 15 अगस्त (स्वतंत्रता दिवस) – 15 अगस्त, 1947 को हमारा देश अंग्रेजो की गुलामी से आज़ाद हुआ था, इसीलिए इस त्यौहार को पूरा भारता मनाता है। 2 अक्टूबर (गाँधी जयंती) – गाँधी जी के जन्म दिवस के उपलक्ष्य में यह त्यौहार मनाया जाता है क्योंकि वे हमारे राष्टपिता हैं। 26 जनवरी (गणतंत्र दिवस) – इस दिन हमारे देश का संविधान लागू हुआ था। इसीलिए 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते हैं।

भारत में कई राज्य हैं जो अपनी – अपनी परंपरा व संस्कृति को संजोय रखे हुए हैं। कुछ ऐसे भी त्यौहार हैं जो अलग – अलग राज्यों में मनाये जाते हैं जैसे – केरल में ओणम मनाया जाता है, पोंगल त्यौहार जो तमिल मनाते हैं, फसल की कटाई होने पर इस त्यौहार को मनाते हैं।

नवरोज़ त्यौहार नव वर्ष के रूप में पारसी समुदाय के लोग मनाते हैं। जैन लोगों के त्यौहार उनके गुरुओं को समर्पित हैं। जैसे – तीर्थंकर, जिनवाणी और महावीर जयंती आदि, जिसे वे प्रेम पूर्वक मनाते हैं।

इतनी सारी विभिन्नताएं होने के बादवजूद भी हमारे देश के लोग हर तरह के त्यौहारों को सभी के साथ मिल – जुल कर मनाते हैं। ये त्यौहार ही हैं जो हमें अनेकता से एकता की तरफ ले जाते हैं व भाई-चारे की भावना को जाग्रत करते हैं। इस प्रकार जीवन में त्यौहारों का महत्व बहुत ही ज्यादा है।

8 thoughts on “जीवन में त्यौहारों का महत्व निबंध Essay on Importance of Festivals in Life (Hindi)”

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त्योहारों के महत्व निबंध | importance of festivals hindi essay.

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जीवन में त्योहारों का महत्व पर निबंध | Essay on The Importance of Festivals in Our Life in Hindi

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जीवन में त्योहारों का महत्व पर निबंध | Essay on The Importance of Festivals in Our Life in Hindi!

ADVERTISEMENTS:

मानव जीवन अनेक विविधताओं से भरा हुआ है । अपने जीवनकाल में उसे अनेक प्रकार के कर्तव्यों व दायित्वों का निर्वाह करना पड़ता है । इनमें वह प्राय: इतना अधिक व्यस्त हो जाता है कि अपनी व्यस्त जिंदगी से स्वयं के मनोरंजन आदि के लिए समय निकालना भी कठिन हो जाता है ।

इन परिस्थितियों में त्योहार उसके जीवन में सुखद परिवर्तन लाते हैं तथा उसमें हर्षोंल्लास व नवीनता का संचार करते हैं । त्योहार अथवा पर्व सामाजिक मान्यताओं, परंपराओं व पूर्व संस्कारों पर आधारित होते हैं । जिस प्रकार प्रत्येक समुदाय, जाति व धर्म की मान्यताएँ होती हैं उसी प्रकार इन त्योहारों को मनाने की विधियों में भिन्नता होती है ।

सभी त्योहारों की अपनी परंपरा होती है जिससे संबंधित जन-समुदाय इनमें एक साथ भाग लेता है । सभी जन त्योहार के आगमन से प्रसन्नचित्त होते हैं व विधि-विधान से, पूर्ण हर्षोल्लास के साथ इन त्योहारों में भाग लेते हैं ।

प्रत्येक त्योहार में अपनी विधि व परंपरा के साथ समाज, देश व राष्ट्र के लिए कोई न कोई विशेष संदेश निहित होता है । भारत में विजयादशमी का पर्व जिस प्रकार असत्य पर सत्य की तथा अधर्म पर धर्म की विजय का संदेश देता है उसी प्रकार रक्षाबंधन का पावन पर्व भाई-बहन के पवित्र प्रेम और भाई का बहन की आजीवन रक्षा करने के संकल्प को याद कराता है । इसी प्रकार रंगों का त्योहार होली हमें संदेश देता है कि हम आपसी कटुता व वैमनस्य को भुलाकर अपने शत्रुओं से भी प्रेम करें ।

ईसाइयों का त्योहार क्रिसमस संसार से पाप के अंधकार को दूर करने का संदेश देता है तो मुसलमानों की ईद भाईचारे का संदेश देती है । इस प्रकार सभी त्योहारों के पीछे समाजोत्थान का कोई न कोई महान उद्‌देश्य अवश्य ही निहित होता है । लोग एक-दूसरे के करीब आते हैं जिससे आपसी वैमनस्य घटता है । त्योहारों के अवसर पर दान देने, सत्कर्म करने की जो परंपरा है, उससे सामाजिक ताने-बाने को बनाए रखने में मदद मिलती है ।

ये त्योहार मनुष्य के जीवन को हर्षोल्लास से भर देते हैं । इन त्योहारों से उसके जीवन की नीरसता समाप्त होती है तथा उसमें एक नवीनता व सरसता का संचार होता है । त्योहारों के आगमन से पूर्व ही मनुष्य की उत्कंठा व उत्साह उसमें एक सकारात्मक व सुखद परिवर्तन लाना प्रारंभ कर देते हैं । वह संपूर्ण आलस्य व नीरसता को त्याग कर पूरे उत्साह के साथ त्योहारों की तैयारी व प्रतीक्षा करता है ।

त्योहारों के शुभ अवसर पर निर्धन से निर्धन व्यक्ति भी नए वस्त्र धारण करते हैं एवं समस्त दुख-अवसादों को भुलाकर त्योहार की खुशियाँ मनाते हैं । त्योहारों के अवसर पर पंडितों, गरीबों तथा अन्य लोगों को दान आदि देकर संतुष्ट करने की प्रथा का भी समाज पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है । भूखे को भोजन, निर्धनों को वस्त्र आदि बाँटकर लोग सामाजिक समरसता लाने का प्रयास करते हैं ।

त्योहार पारिवारिक, सामाजिक व राष्ट्रीय एकता में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं । त्योहारों का आनंद और भी अधिक होता है जब परिवार के सभी सदस्य एक साथ त्योहारों में हिस्सा लेते हैं । परिवार के सदस्यों का त्योहार के शुभ अवसर पर एकत्र होने से कार्य की व्यस्तता के कारण जो संवादहीनता या परस्पर दुराव उत्पन्न होता है वह समाप्त हो जाता है । संवेदनाओं व परस्पर मेल आदि से मानवीय भावनाएँ पुनर्जीवित हो उठती हैं । इसके अतिरिक्त पारिवारिक संस्कार आदि का बच्चों पर उत्तम प्रभाव पड़ता है ।

त्योहारों को समाज के सभी वर्गों के साथ मनाने से सामाजिक एकता में प्रगाढ़ता आती है । इसी प्रकार हमारे कुछ राष्ट्रीय पर्व जैसे गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस, बाल दिवस, शिक्षक दिवस व गाँधी जयंती को सभी धर्मों, जातियों व संप्रदायों के लोग मिल-जुल कर खुशी से मनाते हैं ।

इन अवसरों पर सारा राष्ट्र उन महापुरुषों व देशभक्तों को याद करता है जिन्होंने देश की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों को सहर्ष न्यौछावर कर दिया । इस प्रकार हमारे ये राष्ट्रीय पर्व देश को एक सूत्र में बाँधे रखने में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं । दूसरे शब्दों में, हमारे त्योहार राष्ट्रीय एकता को मजबूत करते हैं । वे भारतीय नागरिकों के मन में देशप्रेम व बंधुत्व का भाव जगाते हैं ।

हमारे त्योहार हमारी भारतीय सांस्कृतिक परंपरा व भारतीय सभ्यता के प्रतीक हैं । ये त्योहार हमारी संस्कृति की धरोहर हैं । इन पर्वों व त्योहारों के माध्यम से हमारी संस्कृति की वास्तविक पहचान होती है । इस प्रकार हम देखते हैं कि त्योहारों का हमारे जीवन में विशेष महत्व है । ये त्योहार हमारी नीरसता को समाप्त कर उसमें नया उत्साह व खुशी का रस भरते हैं । इसके अतिरिक्त हमारी पारिवारिक, सामाजिक व राष्ट्रीय एकता को प्रगाढ़ बनाने में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं ।

हम सभी भारतीय नागरिकों का यह पुनीत कर्तव्य है कि हम त्योहारों को सादगी व पवित्रता से मनाएं । अपने निजी स्वार्थों से उनकी छवि को धूमिल न करें । उन तत्वों का बहिष्कार करें जो इनकी गरिमा को धूमिल करने की चेष्टा करते हैं ।

त्योहारों को मनाने की विधियों में जो विकृतियाँ आ गई हैं, यथा – मदिरापान, जुआ खेलना, धार्मिक उन्माद उत्पन्न करना, ध्वनि प्रदूषण व वायु प्रदूषण को बढ़ावा देना, उन्हें शीघ्रातिशिघ्र समाप्त करना होगा । हम त्योहारों को उनकी मूल भावना के साथ मनाएँ ताकि सुख-शांति में वृद्धि हो सके ।

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Festivals in Hindi : जानिए भारत के प्रमुख त्योहार कौन से हैं और कब मनाए जाते हैं?

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  • Updated on  
  • जनवरी 12, 2024

Festivals in Hindi

विश्व में भारत ही ऐसा देश है जहां पूरे वर्ष पर्व एवं त्योहार मनाए जाते हैं। भारत में त्योहार अपने साथ उत्साह और खुशी की लहर लेकर आते हैं। भारत में लगभग हर छोटे-बड़े अवसर पर जश्न मनाया जाता है। चाहे वसंत का आगमन हो, या फसलों की कटाई या कुछ और, आपके पास जश्न मनाने के कारणों और मौसमों की कभी कमी नहीं होगी। राज्यों के हिसाब से भी विभिन्न प्रकार के त्योहार (Tyohar in Hindi) मनाए जाते हैं। हमारे त्योहारों की चमक पूरा विश्व देखता है और कई बार त्योहारों जुड़े प्रश्न परीक्षाओं और इंटरव्यू में पूछे जाते हैं, इसलिए इस ब्लाॅग में हम Festivals in Hindi के बारे में विस्तार से जानेंगे।

This Blog Includes:

Festival in hindi 2024, टॉप 20 नेशनल फेस्टिवल्स कौन से हैं, कौन से फेस्टिवल कौन से महीने में आते हैं, कृष्ण जन्माष्टमी, गुरु नानक जयंती, मकर संक्रांति, दक्षिण भारत के प्रसिद्ध त्योहार कौन से हैं, भारत में त्योहारों का महत्व.

Festival in Hindi 2023 की लिस्ट इस प्रकार दी गई हैः

यह भी पढ़ें- Diwali Kab Hai : 2023 में दिवाली कब है ?

भारत में टाॅप 20 राष्ट्रीय त्योहारों की लिस्ट इस प्रकार हैः

  • दुर्गा पूजा
  • गणेश चतुर्थी
  • महाशिवरात्रि

महीनों के अनुसार त्योहारों की सूची इस प्रकार दी जा रही है:

January Festivals in Hindi

  • गणतंत्र दिवस 

February Festivals in Hindi

  • विश्वकर्मा जयंती।

March Festivals in Hindi / April Festivals in Hindi

  •  गुड़ी पड़वा
  •  गणगौर 
  • महावीर जयंती 
  • हनुमान जयंती 

May Festivals in Hindi / June Festivals in Hindi

  • बुद्ध पूर्णिमा 
  • गुरु पूर्णिमा 
  • बैसाखी। 

July Festivals in Hindi / August Festivals in Hindi

  •  नाग पंचमी
  •  जन्माष्टमी।

September Festivals in Hindi / October Festivals in Hindi

  • स्वतंत्रता दिवस 
  • गणेश चतुर्थी 
  • रक्षाबंधन 
  •  दुर्गा पूजा 
  • शरद पूर्णिमा
  • करवाचौथ 
  • धनतेरस 
  • दीपावली 
  • गोवर्धन पूजा।

November Festivals in Hindi / December Festivals in Hindi

  • गुरु पर्व 

Festivals in Hindi

  • बारावफात 
  • ईद उल फितर 
  • ईद-उल-जुहा 
  • शबे बारात 
  • मिलादुन्नबी
  • जमात अलविदा।

यह भी पढ़े- Dussehra in Hindi : दशहरा क्यों मनाया जाता है और क्या है इसकी कहानी?

भारत के प्रमुख त्योहार

भारत में मनाए जाने वाले सभी प्रमुख त्योहारों के बारे में यहां जानेंगे, जिन्हें लगभग सभी राज्यों में मनाया जाता हैः

Festivals in Hindi

कार्तिक मास की अमावस्या को यह त्योहार अक्टूबर/नवंबर में मनाया जाता है। यह धन वैभव की देवी लक्ष्मी के पूजन का त्यौहार होता है। दीपावली अथवा दिवाली प्रकाश का उत्सव है जो सत्य की जीत व अज्ञान को दूर करने का प्रतीक माना जाता है। दीपावली शब्द का शाब्दिक अर्थ ‘दीपों की पंक्तियां’ होता है। यह त्योहार भगवान राम के 14 वर्ष के वनवास के बाद अपने राज्य वापस लौटने की स्मृति में मनाया जाता है।भारत में सभी त्योहारों में सबसे सुंदर त्योहार दीपावली का है क्योंकि इस त्योहार में गालियां, घर, सड़के,दुकाने आदि सभी जगह दियों व लाईटो से सजाया जाता है। इस त्योहार पर विभिन्न प्रकार कि मिठाइयां, नए वस्त्र, आतिशबाजी आदि इस त्योहार को और भी महत्वपूर्ण बनाते हैं। 

Festivals in Hindi

होली भी  हिंदुओं का एक प्रसिद्ध त्योहार है इसको रंगो के त्योहार के रूप में भी जाना जाता है। यह त्योहार हर साल फाल्गुन की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है और अगले दिन  रंग-बिरंगे रंगों की होली खेली जाती है। यह त्योहार (Festivals in Hindi) सामाजिक भाईचारे को बढ़ावा देने वाला त्यौहार होता है।यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत और बसंत के आगमन का प्रतीक होता है। 

Festivals in Hindi

दशहरा भारत के प्रसिद्ध त्योहारों में से एक है इसे विजयादशमी या आयुध पूजा के रूप में भी जाना जाता है। इसे भी हिंदुओं के प्रसिद्ध त्योहारों (Festivals in Hindi) के रूप में जाना जाता है। यह त्योहार क्वार मास के शुक्ल पक्ष की दशमी को मनाया जाता है। इसमें मुख्य रूप से क्षत्रियों का त्योहार माना जाता है, दशहरा वाले दिन क्षत्रिय शस्त्रों की पूजा करते हैं। इस दिन (Festivals in Hindi) भगवान श्रीराम ने लंकापति रावण को मारकर विजय प्राप्त की थी इसलिए इसे असत्य पर सत्य की जीत के रूप में मनाया जाता है।इस त्यौहार(Festivals in Hindi) के उपलक्ष पर देश में कई स्थानों पर रामलीला का आयोजन किया जाता है जिसके बाद दशहरे के दिन रावण, कुंभकरण और मेघनाथ के पुतले जलाए जाते हैं। कोटा में दशहरे को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। 

Festivals in Hindi

रक्षाबंधन जिसे राखी का त्यौहार भी कहा जाता है यह त्योहार (Festivals in Hindi) हिंदी कैलेंडर के सावन मास की पूर्णिमा को मनाये जाने वाला यह त्यौहार भाई-बहन के स्नेह बंधन को मजबूती प्रदान करता है। राखी का त्यौहार (Festivals in Hindi) संपूर्ण भारत वर्ष में अत्यंत हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है।यह सिर्फ एक त्यौहार (Festivals in Hindi) नहीं बल्कि हमारी परंपराओं का प्रतीक भी माना जाता है। इस दिन बहनें अपने भाईयों की आरती उतारती है, उन्हें तिलक लगाती है, कलाई पर राखी बांधकर उनकी लंबी उम्र की कामना करती है जिसके बदले में भाई अपनी बहन को उनकी रक्षा करने का वचन देते हैं। 

Festivals in Hindi

जन्माष्टमी का त्योहार(Festivals in Hindi) भगवान विष्णु के, श्री कृष्ण के रूप में मनाया जाता है हिंदुओं का यह त्यौहार(Festivals in Hindi) जुलाई-अगस्त के कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन मनाया जाता है। हिंदू पौराणिक कथा के अनुसार कृष्ण का जन्म मथुरा के असुर राजा कंस का अंत करने के लिए हुआ था। जन्माष्टमी के अवसर पर महिला व पुरुष दोनों ही उपवास रखकर प्रार्थना करते हैं। उत्तर प्रदेश के वृंदावन के मंदिरों में इस अवसर पर खर्चीले व रंगारंग समारोह आयोजित किए जाते हैं इस त्यौहार (Festivals in Hindi) को कृष्णअष्टमी व गोकुलाष्टामि के नाम से भी जाना जाता है। 

Festivals in Hindi

लोहड़ी पंजाबी लोगों का एक प्रसिद्ध त्योहार (Festivals in Hindi) है। यह त्योहार मकर सक्रांति के एक दिन पहले मनाया जाता है वैसे तो यह त्योहार (Festivals in Hindi) संपूर्ण भारत में मनाया जाता है लेकिन विशेष रूप से इसे उत्तर भारत में पंजाब  हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली  उत्तर प्रदेश, जम्मू और उत्तराखंड जैसे राज्यों में मनाया जाता है। इस दिन परिवार और आस पड़ोस के लोग रात्रि में खुले स्थान पर जमा होकर आग के किनारे गोला बनाकर नाचते हैं और आग में रेवड़ी,मूंगफली आदि मिठाइयां सेक कर खाते हैं।

Festivals in Hindi

क्रिसमस ईसाइयों का सबसे प्रमुख और प्रसिद्ध त्योहार है। इसे ईसाई धर्म के अलावा दूसरे धर्म के लोग भी उत्साह के साथ मनाते हैं। इस त्योहार को ईसा मसीह के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है, इस दिन को बड़ा दिन भी कहा जाता है। यह त्योहार हर साल 25 दिसंबर को संपूर्ण विश्व में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। क्रिसमस (Festivals in Hindi) के दिन चर्च को फूलों और रोशनी से सजाया जाता है और शाम को प्रार्थनाएं करके केक काटा जाता है। 

Festivals in Hindi

ईद-उल-फितर, ईद-उल-जुहा, सब-ए-बारात, मोहरम, बरबाफत आदि मुसलमानों के प्रमुख त्योहार (Festivals in Hindi) हैं। ईद का मतलब ही खुशी है। इस्लामी कैलेंडर के अनुसार रमजान के पाक महीने के बाद चांद दिखाई देने पर ईद मनाई जाती है। ईद उल फितर पूरी दुनिया में सामूहिक रूप से मनाया जाता है। इस दिन मस्जिदों में विशेष नमाज होती है।

Festivals in Hindi

सिख धर्म के अनुयायियों के लिए, गुरु नानक जयंती सबसे महत्वपूर्ण त्योहार है। यह सिख समुदाय को आकार देने और मजबूत करने के लिए है। गुरु नानक जयंती सबसे प्रमुख सिख त्योहारों में से एक है जिसे उनके पहले गुरु, गुरु नानक के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। सिख धर्म के संस्थापक, गुरु नानक ने सिख समुदाय को आकार देने और मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, इसलिए इस दिन उन्हें याद किया जाता है। कुछ सिख समुदायों का मानना है कि गुरु नानक का जन्म कार्तिक की पूर्णिमा के दिन हुआ था, इसलिए इस दिन उनकी जयंती मनाई जाती है।

Festivals in Hindi

रामनवमी भगवान श्रीराम की स्मृति को समर्पित है। रामनवमी के दिन श्रद्धालु बड़ी संख्या में मंदिरों में जाते हैं और श्रीराम की प्रशंसा में भक्ति पूर्ण भजन गाते हैं तथा उनके जन्मोत्सव को मनाने के लिए मूर्तियों को पालने में भी झुलाते हैं। इस महान राजा की कहानी का वर्णन करने के लिए काव्य तुलसी रामायण से पाठ किया जाता है। भगवान राम का जन्म स्थान अयोध्या,रामनवमी त्योहार (Festivals in Hindi) के महान अनुष्ठान का केंद्र बिंदु होता है। भगवान राम, सीता, लक्ष्मण व भक्त हनुमान की रथयात्रा बहुत से मंदिरों से निकाली जाती है और सभी हिंदू घरों में भी रामनवमी की पूजा की जाती है। 

Festivals in Hindi

ओणम केरल का त्योहार है। आमतौर पर हर साल अगस्त और सितंबर के महीने में आता  है। ओणम  को थिरुवोणम का त्योहार भी कहा जाता है । यह एक फसल उत्सव भी है और मलयालम कैलेंडर के अनुसार 22 वें नक्षत्र पर  आता  है। ओणम त्यौहार मलयालम लोगों का प्रसिद्ध त्यौहार है। ओणम का उत्सव केरल की परंपराओं और संस्कृति को सबसे अनोखे तरीके से दर्शाता है। केरल में ओणम त्योहार हिंदुओं के लिए एक बहुत महत्व रखता है, लेकिन इस अवसर का हर धर्म द्वारा आनंद लिया जाता है।

Festivals in Hindi

भारत अपनी सांस्कृतिक विविधता के लिए जाना जाता है। भारत के उत्तर से दक्षिण की ओर और पूर्व से पश्चिम की ओर बढ़ते हुए, आप विभिन्न और अनूठी संस्कृतियों और परंपराओं से रूबरू होंगे। मकर संक्रांति का उत्सव, जिसे भारतीय राज्यों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है, लेकिन संक्षेप में, एक ही विचारों का उत्सव है। मकर संक्रांति एक हिंदू हार्वेस्ट फेस्टिवल है जो सूर्य देव यानी सूर्य देव को समर्पित है। मकर संक्रांति का त्योहार भी सर्दियों के महीनों के बाद वसंत का स्वागत करने का एक तरीका है। यह आमतौर पर 14/15 जनवरी को हिंदू महीने मकर की शुरुआत के साथ मनाया जाता है और उत्सव में पतंगबाजी, अलाव, मेले, नदी में सूर्य पूजा आदि शामिल है।

  • मकर संक्रांति का उत्सव सूर्य भगवान को समर्पित है ताकि उन्हें कृषि के लिए धन्यवाद दिया जा सके जिससे उन्होंने दुनिया को समृद्ध किया है। इसके अलावा, सूर्य दुनिया में मौजूद अच्छाई को गले लगाने और अंधेरे या बुराई को दूर करने का प्रतीक है।
  • मकर संक्रांति एक शुभ अवधि यानी वसंत की शुरुआत का प्रतीक है।
  • यह भी माना जाता है कि मकर संक्रांति के दिन दुनिया दिव्य चेतना से भरी होती है और एकता और भलाई सुनिश्चित करने के लिए इस पक्ष को अपनाया जा सकता है।
  • मकर संक्रांति पर पतंगबाजी साल भर की सबसे लोकप्रिय गतिविधियों में से एक है, जहां लोग अपने घरों की छतों पर या विस्तृत खेल के मैदानों पर रंगीन और विशिष्ट रूप से डिजाइन की गई पतंग उड़ाते हैं।
  • मकर संक्रांति पर, लोग अपने पिछले कार्यों के लिए क्षमा मांगने के लिए पवित्र नदियों में डुबकी लगाते हैं। 
  • तिल की मिठाई जो मकर संक्रांति पर खाई जाती है, एकता, आनंद और आंतरिक आत्मा की शुद्धि का प्रतीक है। 

Festivals in Hindi

भाई दूज का शाब्दिक अर्थ दो शब्दों भाई और दूज से मिलकर बना है। ‘भाई’ का अर्थ है भाई और ‘दूज’ अमावस्या के निकलने का दूसरा दिन है। यह दिवाली के दूसरे दिन मनाया जाता है। इसे भाई दूज (उत्तरी भारत), भाऊ बीज (महाराष्ट्र और गुजरात में) या भाई फोंटा (बंगाल) भी कहा जाता है। इस दिन भारतीय महिलाएं अपने भाइयों की लंबी उम्र और खुशियों के लिए प्रार्थना करती हैं। बहनें अपने भाइयों की सलामती की प्रार्थना करते हुए उनके माथे पर तिलक लगाती हैं। बदले में पुरुष अपनी बहनों को उपहार देते हैं।

ओणम और पोंगल दक्षिण भारत के प्रमुख फसल उत्सव हैं जो क्रमशः अगस्त-सितंबर और जनवरी में मनाए जाते हैं। इसके अलावा, केरल में नेहरू ट्रॉफी रेस एक लोकप्रिय त्योहार है जिसमें प्रतियोगिता देखने के लिए बड़ी संख्या में दर्शक आते हैं। दक्षिण भारत के प्रसिद्ध त्योहारों में से एक हम्पी महोत्सव है। भारत में ये उत्सव कर्नाटक में आयोजित किए जाते हैं और संगीत, नृत्य, नाटक और कला के माध्यम से संस्कृति और इतिहास का सार प्रदर्शित करते हैं।

Festivals in Hindi जानने के साथ ही भारतीय त्योहारों का महत्व समझना जरूरी है। भारतीय त्योहारों को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है और हर एक त्योहार खास महत्व के साथ मनाया जाता है। हमारे देश में आएदिन कोई-न-कोई त्योहार पड़ता ही रहता है। ये त्योहार धार्मिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक और सामाजिक होते हैं। इन सभी प्रकार के त्योहार का कुछ न कुछ विशिष्ट अर्थ और महत्त्व होता है।

इन त्योहार का महत्व समाज और राष्ट्र की एकता, प्रेम-एकता, मेल-मिलाप के दृष्टि से है। भारतीय त्योहार (Festivals in Hindi) समय-समय पर हमारे अंदर सामाजिक-समानता लाते हैं।

त्योहार का रूप बड़ा हो या छोटा या किसी एक क्षेत्र विशेष तक ही सीमित हो, चाहे सम्पूर्ण समाज और राष्ट्र को प्रभावित करने वाला हो, यह देश के सभी संप्रदाय को एक साथ जोड़ देता है जैसे विभिन्न रंगों के फूलों को एक माला में पिरो दिया गया हो। 

धार्मिक एवं सामाजिक पर्वों के अतिरिक्त भी हमारे राष्ट्रीय पर्व जैसे गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस , गांधी जयंती आदि पूरे भारतवर्ष में हर्ष और उल्लास के साथ मनाए जाते हैं। 

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हिंदू लोग होली, दीपावली, रक्षाबंधन तथा दशहरा के त्योहार मनाते हैं । भारत में असम में बिहू, तमिलनाडु में पोंगल, केरल में ओणम, उत्तर भारत, पंजाब और हिमाचल प्रदेश में बैसाखी आदि का त्योहार फसलों की कटाई के समय मनाए जाते हैं ।

हिंदुओं का सबसे बड़ा त्योहार दीवाली (Deepawali) है। इसे रोशनी का त्यौहार भी कहा जाता है क्योंकि ‘दीपावली’ का अर्थ होता है ‘दीपों की माला’।

गणतंत्र दिवस, स्वतंत्र दिवस और गांधी जयंती राष्ट्रीय त्योहार हैं।

भारत का सबसे बड़ा त्योहार दीपावली माना जाता है।

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Festivals of India Essay for Students and Children

500+ words essay on festival of india.

Festivals are larger than life celebrations of various things. They occur at regular intervals and helping in breaking the monotony of life. Furthermore, they give you the chance to celebrate the little and big things in life. Festivals are the carriers of peace and joy in the communities. All nations of the world have certain religious and cultural festivals. However, India is one of the largest countries to celebrate numerous festivals. As India is a very cultural and diverse country , so are the festivals. They divide into three general categories of national, religious and seasonal.

Festivals Of India Essay

Types of Indian Festivals

As we can divide the Indian festivals into national, religious and seasonal, we see how they differ from each other. In general, national festivals are celebrated in honor of reputable people and events. The religious ones follow legends of faiths and their beliefs. The seasonal ones are celebrated with each season that we experience that varies from region to region.

National Festivals

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Moreover, they help in setting aside the differences of the countrymen and unite each other like never before. The capital of India, New Delhi is the seat of national festivals. For instance, it witnesses the grand parade of the Republic Day. The flag hoisting takes place in New Delhi, which is broadcasted on national television for the whole country to see.

Religious Festivals

The religious festivals are one of the most famous festivals not only throughout India but over the world. Some of the most prominent religious festivals are Diwali, Eid-Ul-Fitr, Christmas, Guru Nanak Jayanti, Holi and many more. Diwali and Holi are the most prominent festivals of the Hindu religion. They are very colorful and full of lights.

Next up, Eid-Ul-Fitr is an Islamic festival which celebrates the end of Ramadan. It is about delectable dishes and family gatherings. Christmas celebrates the birthday of Jesus Christ. Furthermore, it is about Christmas trees and Santa Claus. Guru Nanak Jayanti celebrates the birthday of Guru Nanak Dev.

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Seasonal Festivals

Finally, the particular regions of the country celebrate seasonal festivals. For instance, Bihu is a festival of Assam. Likewise, Tamil Nadu celebrates Pongal. In addition, there is Basant Panchami which people celebrate through North India and West Bengal as well.

Importance of Festivals

Festivals are very important. They make us forget our cultural and religious differences . They unite people and they come together for the sole purpose of celebration and happiness. Other than that, festivals also help us embrace our culture and religion. They are very helpful in breaking the monotony of life.

Moreover, people look forward to festivals all-round the year. Festivals spark joy and give people something to look forward to. In addition, people also repair their homes and paint them that look like brand new. It beautifies the look of the locality.

In short, festivals fill our lives with colors and enthusiasm. They bring us closer every year and eliminate any feelings of communal hatred. Further, they strengthen the bonds of the community and remove the malice from people’s hearts. Therefore, festivals are quite important and must be celebrated with passion.

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  • Festivals Of India Essay

Festivals of India Essay

500+ words essay on the festivals of india.

India is a land of fairs and festivals. People of different religions and communities live here and therefore, many festivals are celebrated in India every year. One can capture the Indian tradition and culture best at its fairs and festivals marked by dance, music, sweets, etc. All the festivals are celebrated with great enthusiasm and happiness in a colourful atmosphere. An Essay on Festivals in India is a very common topic and is expected to be asked in the English exam. So, students are recommended to practise essays on this topic to score high marks in the writing section. This sample Essay on Festivals of India will give them some ideas and tips to organise their thoughts to form an effective essay.

Different Types of Indian Festivals

India is well known for its cultural and traditional festivals all over the world. As it is a secular country full of diversity in religions, languages, cultures and castes, every month, some festival celebration happens. Among these festivals, some are religious, some are based on the seasons and some are of national importance. Each and every festival is celebrated uniquely in different ways according to the various rituals and beliefs. Each festival has its own history, legend and significance of the celebration. Festivals bring bonding, love, cross-cultural exchange and happiness among people.

National Festivals

Festivals and fairs are significant parts of Indian cultural life. Some of the festivals are celebrated at a national level, whereas others are at a regional level. National festivals such as Gandhi Jayanti, Independence Day and Republic Day are celebrated by people of all religions across the entire nation. These festivals fill us with great pride and remind us of the freedom fighters who sacrificed their lives to make India independent and free from British rule. The whole nation unites together to celebrate these festivals and the spirit of togetherness, patriotism and nationalism can be found everywhere.

Religious Festivals

There are some religious festivals which are celebrated as a whole by different communities.

These include Diwali, Dussehra, Rakhsha Bandhan, Eid-ul-Fitr, Eid-ul-Zuha, Christmas, Ganesh Chaturthi, etc., which are accompanied by religious rituals of one kind or the other. These traditional festivals have two aspects. One is worship which is performed according to specific religious norms. Another is composite culture, as the members of any community can participate in and celebrate these religious festivals. Thus, our festivals represent unity and encourage social bonding.

Seasonal Festivals

In India, most festivals are seasonal in nature. They announce the change in the season and mark the harvesting seasons. All the seasonal festivals are celebrated during two harvesting seasons, Kharif and Rabi. Besides, spring is another period of seasonal festivals. In Punjab, the Lohri festival indicates the harvesting of the winter crop. Pongal, Bihu and Onam celebrations mark the harvesting of paddy crops. Similarly, Holi and Baisakhi are celebrated to mark the harvesting of new rabi crops. Thus, these festivals symbolise the arrival of joy and wealth to farmers’ lives.

It is said that the “Greatness of a culture can be found in its festivals”. India has proved this saying as a variety of festivals are celebrated with full joy and happiness across the country. Different cultures and religions get tied together in bonds of love with invisible threads of celebrations. That’s why India is also known for unity in cultural diversity. Festivals teach us how to fight evil and falsehood and establish the truth. The festivals are marked by fervour, hope, and prayers for a better tomorrow.

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Frequently Asked Questions on Festivals of India Essay

Why are festivals given so much importance in india.

India has several religions and Indians enjoy celebrating these festivals. Festivals also involve the worship of various deities and also increase the interaction between family members.

What are some of the largely celebrated festivals in India?

Some of the festivals celebrated in India: 1. Diwali 2. Christmas 3. Ramzan 4. Ganesh Chaturthi 5. Dussehra/Vijayadashami

What are some of the values associated with the celebration of festivals?

1. Family bonding and interaction 2. Charity and helping the needy 3. Thanksgiving and showing gratitude

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In Nashua, Vasant Festival celebrates the birth of spring and the culture of India

The India Association of New Hampshire welcomed spring with its Vasant Festival this weekend at Nashua High School South.

The Vasant Festival was hosted by the India Association of NH.

Jyoti Sharma is part of the India Association of New Hampshire , which hosts the annual event. She says India is a diverse country, and this is a place for the diaspora to share their cultural heritage.

" What we are doing here is just felicitating the Indian community to come and share their talents, especially the kids over here," she said. "They go to a lot of, you know, dance classes, music classes, and that's one way for Indian parents to educate their kids about Indian culture, which is otherwise very difficult because, you know, we have to create that environment for them in order for them to understand."

The festival also included judged arts events including live-drawing, music and dance.

Among the cultural highlights of the Vasant Festival 2024, classical and non-classical dance took center stage May 18, 2024 in Nashua, NH.

Sneha Swaminathan of Merrimack was one of the participants.

" This is about the Basant or the spring. So there's a lot of happiness," she said. "There's different festivals in different parts of India. Which is to celebrate the birth of spring, which kind of coincides with the U.S. also. So it brings joy, happiness, you know, harvest things like that. So it's very special, especially [in] my home state."

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Women Lead Indian Summer at Cannes

By Naman Ramachandran

Naman Ramachandran

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All We Imagine as Light

This year marks a milestone for India at the Cannes Film Festival , with nine films from the country across its various strands.

The majority of the Indian films on the Croisette are by or about women. This includes Payal Kapadia ‘s “ All We Imagine as Light ,” the first Indian film in competition in three decades since Shaji N. Karun’s “Swaham” in 1994. Kapadia won Cannes’ Golden Eye award in 2021 for her documentary “A Night of Knowing Nothing.” Narrative fiction film “All We Imagine as Light” follows two nurses who are roommates in bustling Mumbai. A trip to a beach town allows them to find a space for their desires to manifest.

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There are two India-set films at the festival’s Un Certain Regard strand, both two-handers revolving around women. In Sandhya Suri’s “Santosh,” newly widowed Santosh inherits her husband’s police constable job in the rural badlands of northern India. When an underage girl is murdered, Santosh is pulled into the investigation by charismatic feminist inspector Sharma.

Also bowing in Un Certain Regard is Bulgarian-American filmmaker Konstantin Bojanov’s “The Shameless,” where protagonist Renuka escapes from a Delhi brothel after killing a policeman, seeks refuge in a community of sex workers in a small town in northern India and develops a forbidden romance with Devika, a young girl condemned to a life of prostitution. “Thank you to the women who came before me for paving the way so that I could walk on it. What an amazing time for us,” said Omara, who plays Devika.

What is common to all the Indian or India-themed films at Cannes is that they are from the independent sector, as opposed to the mainstream Bollywood film industry. “It’s fantastic to see so many women getting their due and particularly this year, it’s super exciting with the films that are going,” says Anasuya Sengupta, who plays Renuka. “For me personally, with each of the films, we’re close friends. Payal is a friend. I have friends who are in the crew for ‘Santosh,’ so it feels like a non-Bollywood team, because we we struggle in the indie sphere to even just get a pat on the back. So this is great. And even better that it’s women-led.”

The cherry on the cake is Los Angeles-based org Women in Film announcing at Cannes the formation of new chapter, WIF: India, which will be led by Oscar-winning producer Guneet Monga Kapoor .

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Lok Sabha Elections 2024: Aishwarya Rai casts her vote, interacts warmly with the media: video inside

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Aditi Rao Hydari says 'I Cannes' as she leaves for film festival with her team

Aditi rao hydari will be representing india at the prestigious cannes 2024. she shared a couple of photos of herself before she left the country with her team..

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A photo of Aditi Rao Hydari.

  • Aditi Rao Hydari will represent India at the Cannes Film Festival 2024
  • She shared a couple of photos and wrote, 'I Cannes'
  • Going by the post, Aditi left for the event with her team

Actor Aditi Rao Hydari will be attending the prestigious Cannes Film Festival 2024. She shared a couple of photos as she left the country with her team. After Kiara Advani, Aditi will represent India at the French Riviera and is expected to make a few appearances representing a cosmetic brand. Over the past few weeks, the actor has been in the news for her recently released show, 'Heeramandi'.

On May 20, Aditi shared her photos and requested her followers to wish them luck as they headed for Cannes. In the photos, she can be seen wearing a black T-shirt, a pair of trousers and a white full-sleeved jacket.

She captioned the post, "I Cannes. Wish me luck! We Cannes! Sanu, Eli poo , Sandy, Esther , Vaishnav, santu, panks, Shakeel. May the force be with us! We are worth it!!!! (sic)."

View this post on Instagram A post shared by Aditi Rao Hydari (@aditiraohydari)

Aditi Rao Hydari made her Cannes debut in 2022 and has been attending it for two consecutive years now. The 77th edition of the festival will run from May 14 to May 25.

Apart from Aditi, Cannes 2024 was attended by Aishwarya Rao Bachchan, Sobhita Dhulipala and Kiara Advani from Bollywood. Many TV personalities and influencers from India have also been chosen to attend the film festival this year.

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American society of cinematographers re-elects shelly johnson as president, sets other officers.

Indian films in Cannes

Made In India: The World’s Biggest Film Industry Hasn’t Had A Film In The Cannes Competition Since 1994 … Until Now

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This included India, with Chetan Anand’s social-realist drama Neecha Nagar , and, for a decade at least, the country was a regular fixture in Competition. After Anand came V. Shantaram with Amar Bhoopali (1952), then Raj Kapoor with Awaara (1953), and Bimal Roy with Do Bigha Zamin (1954). But the film that put India on the map in Cannes was the debut feature by director Satyajit Ray, whose film Pather Panchali — the first of his now-famous ‘Apu Trilogy’ — was championed by prime minister Jawaharlal Nehru and won the one-off honor of Best Human Document. After Ray’s Devi in 1962, however, the run was broken, and, for a while, it seemed that Shaji N. Karun’s Swaham (1994), a Malayalam-language drama, might be the last Indian film ever to play in competition.

Indian films in Cannes

But now India is about to break its 30-year hiatus with Mumbai-based filmmaker Payal Kapadia’s ambitious fiction feature debut All We Imagine As Light . Shot over 25 late summer days in Mumbai, followed by an extra 15 in the rainy western port town of Ratnagiri, the Malayalam-Hindi language feature tells the story of two young women — Prabha, a nurse from Mumbai, and Anu, her roommate. A rare French-Indo co-production, it is a collaboration between the Paris-based producers Thomas Hakim and Julien Graff, of petit chaos, and Zico Maitra of Chalk & Cheese Films out of Mumbai.

“I met Payal in 2018 at the Berlinale where she was presenting her short film And What is the Summer Saying ,” Hakim says as he sneaks away from the editing suite where he and Kapadia are completing their final cut. “As we were living in different parts of the world, it didn’t seem like were meant to meet or work together. But I felt a deep connection with her cinema as if we were speaking a common language.” 

Indian Films in Canne

Hakim says European development funds like Rotterdam’s Hubert Bals grant, and the Cannes Cinéfondation Residency, allowed Kapadia to reside in Europe, where they could develop their joint practice before mounting the ambitious production in her native India. “The French and European funding system, through CNC, Eurimages, the Gan Foundation, Cineworld, Visions Sud Est, and Hubert Bals, along with private partners like Arte, Luxbox, Condor, and Pulpa Film allowed us to gather the financing and shoot the entire film in India, with a 99% Indian cast and crew,” he adds. “In the process, it was important that this co-production stayed organic and didn’t alter Payal’s vision with unnecessary constraints.”

An alumnus of the state-run Film and Television Institute of India (FTII), Kapadia has history at Cannes. In 2017, she screened Afternoon Clouds , a 13-minute project, as part of the festival’s Cinéfondation shorts sidebar. Her last film, the non-fiction project A Night of Knowing Nothing (2021), also produced by Hakim and Graff for petit chaos, screened in Director’s Fortnight, where it won the Golden Eye for best documentary.

Set mainly at the FTII, A Night of Knowing Nothing is perhaps best described as a kaleidoscopic mix of fiction and documentary filmmaking centered around India’s anti-caste movement, as explored through the lives of two film students who have been forced to end their inter-caste relationship. Kapadia began shooting it in the wake of a months-long student strike at FTII, protesting against the Narendra Modi government’s appointment of TV actor and right-wing politician Gajendra Chauhan as the university’s new chairman.

Similar themes are explored by British-Indian filmmaker Sandhya Suri in her feature Santosh , also set for the Riviera, where it will debut in Un Certain Regard. Developed at Sundance’s screenwriting and directing labs, Santosh follows a recently widowed woman, played by Shahana Goswami ( Zwigato , A Suitable Boy ), who inherits her husband’s job as a police constable in Northern India. When a low-caste girl is found raped and murdered, she is pulled into the investigation. 

Suri explains that the film was born of her desire to find a “meaningful way” to talk about violence against women. “I was in India researching and working with various NGOs when I came across an image,” she says. It was a photograph taken at one of the nationwide protests following the notorious case of 2012, in which a 22-year-old physiotherapy student was gang-raped and fatally wounded on a public bus (the anonymous woman was initially known as ‘Nirbhaya’ — a Hindi word meaning  ‘fearless’ — since Indian law prohibited the naming of rape victims).

Indian films in Cannes

Santosh is Suri’s narrative directorial debut. Backed by the BFI and BBC Film in co-production with ZDF/ARTE and the CNC, the Hindi-language film was shot over 44 days around the city of Lucknow, Uttar Pradesh, India. An alumnus of the U.K.’s National Film and Television School, she’s best known internationally for the feature documentary I For India, which premiered in the World Competition section at the Sundance Film Festival in 2006 and charts her family’s experience migrating from India to Britain in the 1960s. She also directed the BAFTA-nominated short The Field .

“I’ve been developing and researching this film for almost a decade,” says Suri, “so it’s been a long, slow burn and such a huge delight to be selected after all that to Un Certain Regard for my first fiction film.” 

Also in Un Certain Regard is Bulgarian filmmaker Konstantin Bojanov, who has also turned to India for his Un Certain Regard title The Shameless , his follow-up to the 2017 Barry Keoghan-starrer Light Thereafter . The film deals with the taboo subject of sex work, telling the story of a woman who flees a Delhi brothel after stabbing a policeman to death. Meanwhile, in Directors’ Fortnight, Karan Kandhari’s black comedy Sister Midnight follows a smalltown misfit (Radhika Apte) struggling with an arranged marriage. The British Council has described it as, “A fantastical punk comedy, a feminist revenge film, and a revamped vampire movie rolled into one. ”

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And if the return of Indian voices isn’t enough, All We Imagine As Light is about to make another kind of history: Kapadia will be the first Indian woman ever to compete for the Palme d’Or. 

“The outpouring of love all across the country for the historical Cannes selection has been heartening to witness,” says Zico Maitra. “I hope there will be more and more support from Indian financiers for independent films and filmmakers like Payal, and that the success of this film can be the catalyst that humbly inspires others.”

Kapadia described her selection as “thrilling and humbling” in a statement shortly after Thierry Frémaux’s opening press conference. “I admire many directors selected in this section,” she said, “both in the past and present. It’s an immense honor to be showing my film among them.” Meanwhile, rushing back to the editing suite, Hakim adds: “We are very proud that our film brings India back to the main Competition of Cannes.”

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There’s a New Covid Variant. What Will That Mean for Spring and Summer?

Experts are closely watching KP.2, now the leading variant.

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A man wearing a mask coughs into his hand on a subway train.

By Dani Blum

For most of this year, the JN.1 variant of the coronavirus accounted for an overwhelming majority of Covid cases . But now, an offshoot variant called KP.2 is taking off. The variant, which made up just one percent of cases in the United States in mid-March, now makes up over a quarter.

KP.2 belongs to a subset of Covid variants that scientists have cheekily nicknamed “FLiRT,” drawn from the letters in the names of their mutations. They are descendants of JN.1, and KP.2 is “very, very close” to JN.1, said Dr. David Ho, a virologist at Columbia University. But Dr. Ho has conducted early lab tests in cells that suggest that slight differences in KP.2’s spike protein might make it better at evading our immune defenses and slightly more infectious than JN.1.

While cases currently don’t appear to be on the rise, researchers and physicians are closely watching whether the variant will drive a summer surge.

“I don’t think anybody’s expecting things to change abruptly, necessarily,” said Dr. Marc Sala, co-director of the Northwestern Medicine Comprehensive Covid-19 Center in Chicago. But KP.2 will most likely “be our new norm,’” he said. Here’s what to know.

The current spread of Covid

Experts said it would take several weeks to see whether KP.2 might lead to a rise in Covid cases, and noted that we have only a limited understanding of how the virus is spreading. Since the public health emergency ended , there is less robust data available on cases, and doctors said fewer people were using Covid tests.

But what we do know is reassuring: Despite the shift in variants, data from the C.D.C. suggests there are only “minimal ” levels of the virus circulating in wastewater nationally, and emergency department visits and hospitalizations fell between early March and late April.

“I don’t want to say that we already know everything about KP.2,” said Dr. Ziyad Al-Aly, the chief of research and development at the Veterans Affairs St. Louis Healthcare System. “But at this time, I’m not seeing any major indications of anything ominous.”

Protection from vaccines and past infections

Experts said that even if you had JN.1, you may still get reinfected with KP.2 — particularly if it’s been several months or longer since your last bout of Covid.

KP.2 could infect even people who got the most updated vaccine, Dr. Ho said, since that shot targets XBB.1.5, a variant that is notably different from JN.1 and its descendants. An early version of a paper released in April by researchers in Japan suggested that KP.2 might be more adept than JN.1 at infecting people who received the most recent Covid vaccine. (The research has not yet been peer-reviewed or published.) A spokesperson for the C.D.C. said the agency was continuing to monitor how vaccines perform against KP.2.

Still, the shot does provide some protection, especially against severe disease, doctors said, as do previous infections. At this point, there isn’t reason to believe that KP.2 would cause more severe illness than other strains, the C.D.C. spokesperson said. But people who are 65 and older, pregnant or immunocompromised remain at higher risk of serious complications from Covid.

Those groups, in particular, may want to get the updated vaccine if they haven’t yet, said Dr. Peter Chin-Hong, an infectious disease specialist at the University of California, San Francisco. The C.D.C. has recommended t hat people 65 and older who already received one dose of the updated vaccine get an additional shot at least four months later.

“Even though it’s the lowest level of deaths and hospitalizations we’ve seen, I’m still taking care of sick people with Covid,” he said. “And they all have one unifying theme, which is that they’re older and they didn’t get the latest shot.”

The latest on symptoms and long Covid

Doctors said that the symptoms of both KP.2 and JN.1 — which now makes up around 16 percent of cases — are most likely similar to those seen with other variants . These include sore throat, runny nose, coughing, head and body aches, fever, congestion, fatigue and in severe cases, shortness of breath. Fewer people lose their sense of taste and smell now than did at the start of the pandemic, but some people will still experience those symptoms.

Dr. Chin-Hong said that patients were often surprised that diarrhea, nausea and vomiting could be Covid symptoms as well, and that they sometimes confused those issues as signs that they had norovirus .

For many people who’ve already had Covid, a reinfection is often as mild or milder than their first case. While new cases of long Covid are less common now than they were at the start of the pandemic, repeat infections do raise the risk of developing long Covid, said Fikadu Tafesse, a virologist at Oregon Health & Science University. But researchers are still trying to determine by how much — one of many issues scientists are trying to untangle as the pandemic continues to evolve.

“That’s the nature of the virus,” Dr. Tafesse said. “It keeps mutating.”

Dani Blum is a health reporter for The Times. More about Dani Blum

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    Essay On Indian Festival In Hindi त्यौहार किसी की परंपरा, संस्कृति और रीति-रिवाजों का एक अभिन्न और महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। भारत को त्योहारों के देश के रूप में

  8. मेरा पसंदीदा त्योहार पर निबंध (My Favourite Festival Essay in Hindi)

    मेरा पसंदीदा त्योहार पर छोटे और बड़े निबंध (Short and Long Essay on My Favourite Festival in Hindi, Mera Pasandida Tyohar par Nibandh Hindi mein) निबंध - 1 मेरा पसंदीदा त्योहार - ईद-उल-फितर (250 शब्द)

  9. होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi)

    होली पर निबंध (Essay Holi in Hindi) - होली पर निबंध 10 लाइन (holi essay in hindi 10 lines) 1) होली को रंगों का त्योहार कहा जाता है।. 2) होली भारत के सबसे लोकप्रिय त्यौहारों ...

  10. होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi): इतिहास, महत्व, 200 से 500

    होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi) - होली एक ऐसा रंगबिरंगा त्योहार है, जिसे हिन्दू धर्म के लोग पूरे उत्साह और सौहार्द के साथ मनाते हैं। प्यार भरे रंगों से सजा यह ...

  11. Essay On Festival in Hindi

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  12. दिवाली पर निबंध (Essay on Diwali in Hindi)

    दिवाली पर निबंध (Diwali Essay in Hindi) - दीपावली यानि प्रकाश का पर्व। दीपावली अंधकार पर प्रकाश, अज्ञान पर ज्ञान और बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। दिवाली ...

  13. Essay on Festivals Of India in Hindi

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  14. Essay on Indian Festivals in Hindi

    Essay on Indian Festivals in Hindi - भारतीय त्योहार पर निबंध: Here you will get Paragraph, Short and Long Essay on Importance of National Festivals of India in Hindi Language for students of all Classes in 100, 200 and 1500 words.

  15. हिंदी में निबंध, भाषण (Speech, Essay In Hindi): प्रमुख त्योहारों पर

    हिंदी में निबंध, भाषण (Speech, Essay In Hindi): प्रमुख त्योहारों पर निबंध, भाषण, कविता इस पेज से देखें

  16. मेरा प्रिय त्योहार पर निबंध- Essay on My Favourite Festival in Hindi

    Essay on Diwali in Hindi. ध्यान दें - प्रिय दर्शकों Essay on My Favourite Festival in Hindi आपको अच्छा लगा तो जरूर शेयर करे ।. We are providing information about My Favourite Festival in Hindi. मेरा प्रिय त्योहार पर ...

  17. जीवन में त्यौहारों का महत्व निबंध Essay on Importance of Festivals in

    इस लेख में जीवन में त्यौहारों का महत्व निबंध Essay on Importance of Festivals in Life (Hindi) को सरल रूप में लिखा गया है। त्यौहारों के महत्व पर निबंध कक्षा 4 से 12 तक विविध रूपों में ...

  18. त्योहारों के महत्व निबंध

    त्योहारों के महत्व निबंध | Importance of Festivals Hindi Essay. अगस्त 22, 2023. कक्षा 1 से कक्षा 10 के लिए निबंध / essay for class 1 to class 10. icse question - त्योहार हमें उमंग एवं उल्लास से ...

  19. दीपावली

    दीपावली (संस्कृत: दीपावलिः = दीप + आवलिः = पंक्ति, अर्थात् पंक्ति में रखे हुए दीपक) शरदृतु (उत्तरी गोलार्ध) में प्रतिवर्ष मनाया जाने वाला एक पौराणिक सनातन ...

  20. जीवन में त्योहारों का महत्व पर निबंध

    जीवन में त्योहारों का महत्व पर निबंध | Essay on The Importance of Festivals in Our Life in Hindi! मानव जीवन अनेक विविधताओं से भरा हुआ है । अपने जीवनकाल में उसे अनेक प्रकार के कर्तव्यों व ...

  21. Festivals in Hindi

    जन्माष्टमी का त्योहार(Festivals in Hindi) भगवान विष्णु के, श्री कृष्ण के रूप में मनाया जाता है हिंदुओं का यह त्यौहार(Festivals in Hindi) जुलाई-अगस्त के ...

  22. Festivals of India Essay for Students and Children

    The religious festivals are one of the most famous festivals not only throughout India but over the world. Some of the most prominent religious festivals are Diwali, Eid-Ul-Fitr, Christmas, Guru Nanak Jayanti, Holi and many more. Diwali and Holi are the most prominent festivals of the Hindu religion. They are very colorful and full of lights.

  23. Festivals of India Essay for Students in English

    500+ Words Essay on the Festivals of India. India is a land of fairs and festivals. People of different religions and communities live here and therefore, many festivals are celebrated in India every year. One can capture the Indian tradition and culture best at its fairs and festivals marked by dance, music, sweets, etc.

  24. Cannes Film Festival: More From India Than Just Bollywood

    May 11, 2024. For the first time in 30 years at the Cannes Film Festival, an Indian film will compete for the Palme d'Or in the main competition, alongside new movies from Francis Ford Coppola ...

  25. In Nashua, Vasant Festival celebrates the birth of spring and the

    "There's different festivals in different parts of India. Which is to celebrate the birth of spring, which kind of coincides with the U.S. also. So it brings joy, happiness, you know, harvest ...

  26. Women Lead Indian Summer at Cannes

    Women Lead Indian Summer at Cannes. This year marks a milestone for India at the Cannes Film Festival, with nine films from the country across its various strands. The majority of the Indian films ...

  27. Lok Sabha Elections 2024: Aishwarya Rai casts her vote ...

    Aishwarya Rai Bachchan has long been a focal point at the Cannes Film Festival, representing India with her bold fashion choices. However, this year,

  28. Aditi Rao Hydari says 'I Cannes' as she leaves for film festival with

    Going by the post, Aditi left for the event with her team. Actor Aditi Rao Hydari will be attending the prestigious Cannes Film Festival 2024. She shared a couple of photos as she left the country with her team. After Kiara Advani, Aditi will represent India at the French Riviera and is expected to make a few appearances representing a cosmetic ...

  29. India Movies At Cannes 2024: 'All We Imagine As Light' In ...

    By Zac Ntim. May 18, 2024 12:01am. The first iteration of the Cannes Film Festival, planned for 1939, was scuppered when Germany invaded Poland to trigger the start of World War II. But when the ...

  30. What to Know About New Covid Variants, 'FLiRT': Symptoms, Vaccines and

    Doctors said that the symptoms of both KP.2 and JN.1 — which now makes up around 16 percent of cases — are most likely similar to those seen with other variants. These include sore throat ...