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श्रीनिवास रामानुजन का जीवन परिचय

श्रीनिवास रामानुजन अयंगर भारत के महानतम गणितज्ञों में से एक थे, जिन्होंने अपनी अलौकिक ज्ञान से गणित के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण योगदान दिए थे। उन्हें आधुनिक काल के महानतम गणित विचारकों में गिना जाता है। उनके द्धारा गणित में किए गए प्रयोगों का इस्तेमाल आज तक किया जाता है।

वे एक ऐसे गणितज्ञ थे, जिन्होंने गणित विषय में कभी कोई विशेष प्रशिक्षण नहीं लिया था, लेकिन फिर भी गणित के क्षेत्र में अपनी महान खोजों के माध्यम से एक महान गणितज्ञ के रुप में पूरे विश्व में अपनी एक अलग पहचान बनाई थी। आपको बता दें कि उन्होंने अपने अल्प जीवन काल में गणित की करीब 3900 प्रमेयों का संकलन किया और करीब 120 सूत्र लिखे थे। उनके द्धारा संकलित की गई प्रमेयों में से रामानुजन प्राइम और रामानुजन थीटा प्रसद्धि हैं।

इसके अलावा उनकी शोधों को इंटरनेशनल प्रकाशन रामानुजन जर्नल में भी प्रकाशित किया है, ताकि उनके द्धारा किए गए गणित प्रयोगों का इस्तेमाल पूरे विश्व भर में किया जा सके। तो आइए जानते हैं गणित के क्षेत्र में अपना महत्वपूर्ण योगदान देने वाले इस महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन के जीवन के बारे में-

महान भारतीय गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन का जीवन परिचय – Srinivasa Ramanujan Biography in Hindi

Srinivasa Ramanujan

एक नजर में –

प्रारंभिक जीवन –.

श्रीनिवास रामानुजन 22 दिसम्बर 1887 को भारत के तमिलनाडु के कोयंबटूर के ईरोड गांव में एक पारंपरिक ब्राह्मण परिवार में जन्में थे। उनके पिता श्रीनिवास अय्यंगर  एक साड़ी की दुकान में मुनीम थे। उनकी माता, कोमल तम्मल एक घरेलू गृहिणी थी और साथ ही स्थानीय मंदिर की गायिका भी थीं। उन्हें अपनी माता से काफी लगाव था। वह अपने परिवार के साथ शुरुआत में कुम्भकोणम गांव में रहते थे।

शिक्षा –

रामानुजन ने अपनी शुरुआती शिक्षा कुंभकोणम के प्राथमिक स्कूल से ही हासिल की थी। इसके बाद मार्च 1894 में, रामानुजन का दाखिला तमिल मीडियम स्कूल में करवाया गया। हालांकि, शुरु से ही गणित विषय से अत्याधिक लगाव की वजह से रामानुजन का मन पारंपरिक शिक्षा में नहीं लगता था।

इसके बाद उन्होंने 10 साल की उम्र में प्राइमरी परीक्षा में जिले में सबसे अधिक अंक प्राप्त किए और आगे की शिक्षा टाउन हाईस्कूल से प्राप्त की। वे शुरु से ही काफी होनहार और मेधावी छात्र एवं सरल एवं सौम्य स्वभाव के बालक थे। उन्होंने अपने स्कूल के दिनों में ही उच्च स्तर की गणित का अच्छा ज्ञान हो गया था।

वहीं गणित और अंग्रेजी विषय में रामानुजन के सबसे अच्छे अंक आने की वजह से उन्हें स्कॉलरशिप भी मिली थी, धीरे-धीरे रामानुजन गणित में इतने खो गए कि उन्होंने अन्य विषयों को पढ़ना तक छोड़ दिया था, जिसकी वजह से वे गणित को छोड़कर अन्य सभी विषयों में फेल हो गए और वे 12वीं में पास नहीं कर सके।

विपरीत परस्थितियों में भी गणित के शोध चलाते रहे –

रामानुजन को अपने युवावस्था में काफी संघर्ष का सामना करना पड़ा। उनके जीवन में एक दौर ऐसा भी आया था, जब वे गरीबी और बेरोजगारी से बुरी तरह जूझ रहे थे। वे किसी तरह ट्यूशन आदि पढ़ाकर अपना गुजर-बसर करते थे। वहीं गणित की शिक्षा हासिल करना उनके लिए एक बड़ी चुनौती बन गया था।

यहां तक की उन्हें लोगों के सामने भीख तक मांगनी पड़ी थी। लेकिन इन विपरीत परस्थितियों में भी श्रीनिवास रामानुजन ने कभी हिम्मत नहीं हारी और गणित से संबंधित अपनी रिसर्च जारी रखी। हालांकि इस दौरान उन्हें अपने काम के लिए सड़कों पर पड़े कागज उठाने के लिए मजबूर होना पड़ा था, कई बार तो वे नीली स्याही से लिखे कागजों पर लाल कलम से लिखते थे।

साल 1908 में रामानुजन की मां ने इनकी शादी जानकी नाम की लड़की से कर दी। इसके बाद वे अपनी शादीशुदा जिंदगी की जिम्मेदारी उठाने के लिए नौकरी की तलाश में मद्रास चले गए और लेकिन 12वीं में उत्तीर्ण नहीं होने के कारण उन्हें नौकरी नहीं मिली, दूसरी तरफ उनकी हेल्थ में भी लगातार गिरावट आ रही थी।

जिसकी वजह से इन्हें वापस अपने घऱ कुंभकोणम का रुख करना पड़ा। हालांकि अपने दृढ़संकल्प के प्रति अडिग रहने वाले रामानुजन अपने स्वास्थ्य में सुधार होते देख एक बार फिर से मद्रास नौकरी की तलाश में चले गए और इस बार वे अपने गणित की रिसर्च को दिखाने लगे। फिर कुछ दिनों के कड़े संघर्ष और चुनौतियों के बाद उनकी मुलाकात वहां के डिप्टी कलेक्टर श्री वी. रामास्वामी अय्यर से हुईं, जो कि गणित के प्रकंड विद्वान थे।

इसके बाद ही उनका जीवन बदल दिया। अय्यर ने उनकी गणित की विलक्षण प्रतिभा को पहचान लिया और फिर उनके लिए  25 रूपये मासिक स्कॉलरशिप देने का प्रावधान दिया। जिसके सहारे रामानुजन ने मद्रास में एक साल रहते हुए अपना पहला शोधपत्र “जर्नल ऑफ इंडियन मैथेमेटिकल सोसाइटी” में प्रकाशित किया।

इसका शीर्षक था “बरनौली संख्याओं के कुछ गुण”। उनके इस शोधपत्र को काफी सराहना मिली और वे गणित के महान विव्दान के रुप में पहाचाने जाने लगे। इसके बाद उन्होंने साल 1912 में मद्रास पोर्ट ट्रस्ट में क्लर्क की नौकरी ज्वॉइन कर ली। नौकरी के साथ-साथ वे अपनी कल्पना शक्ति के बल पर गणित के रिसर्च और नए-नए सूत्र लिखते थे।

मशहूर गणितज्ञ प्रोफेसर हार्डी से पत्राव्यवहार एवं विदेश जाना –

विलक्षण प्रतिभा के धनी रामानुजन दिन पर दिन गणित पर नए रिसर्च कर रहे थे। हालांकि उस दौरान रामानुजन को गणित संबंधी रिसर्च काम को आगे बढ़ाने के लिए अंग्रेजी गणितज्ञ की सहायता की जरूरत थी, लेकिन उस दौरान भारतीय गणितज्ञ को अंग्रेज वैज्ञानिकों के सामने अपनी प्रस्तुत करने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता था।

लेकिन रामानुजन ने अपने कुछ प्रशंसकों और मित्रों की मद्द से अपने गणितीय सिद्धांत के सूत्रों को प्रोफेसर शेषू अय्यर को दिखाए जिसके बाद उन्होंने इसे प्रसिद्ध गणितज्ञ प्रोफेसर हार्डी के पास भेजने की सलाह दी। साल 1913 में रामानुजन ने प्रोफेसर हार्डी को पत्र लिखकर गणित में खोजी गईं उनकी प्रमेयों की लिस्ट भेजी, जिसे पहले तो हार्डी की समझ में नहीं आई, लेकिन बाद में वे रामानुजन की गणित की अद्भुत प्रतिभा का अंदाजा हो गया था।

इसके बाद रामानुजन और हार्डी के बीच पत्राव्यवहार शुरु हो गया और फिर प्रोफेसर हार्डी ने रामानुजन को इंग्लैंड के कैम्ब्रिज में गणित संबंधी रिसर्च करने के लिए कहा। इसके बाद रामानुजन कैम्ब्रिज के ट्रिनिटी कॉलेज में जाकर हार्डी के साथ मिलकर रिसर्च करने लगे और कई शोधपत्र प्रकाशित किए।

इस दौरान श्रीनिवास रामानुजन की गणित की एक विशेष रिसर्च के लिए उन्हें कैंब्रिज यूनिवर्सिटी ने बी . ए . की उपाधि से भी नवाजा। इस दौरान वे अपने करियर में सफलता के नए आयाम छू रहे थे, तो वहीं दूसरी तरफ रामानुजन की हेल्थ उनका साथ नहीं दे रही थी, उस दौरान वे टीबी रोग से ग्रसित हो गए और फिर कुछ दिन उन्होंने सेनेटोरियम में बिताए।

सबसे कम उम्र में रॉयल सोसाइटी की सदस्यता पाने वाले पहले व्यक्ति –

गणित के क्षेत्र में उनकी विलक्षण प्रतिभा को देखते हुए रॉयल सोसाइटी का फेलो चुना गया। वे रॉयल सोसाइटी सदस्यता ग्रहण करने वाले इतिहास के सबसे कम उम्र के व्यक्ति थे। इसके बाद ट्रिनिटी कॉलेज की फेलोशिप पाने वाले वे पहले ऐसे भारतीय बने। इसके साथ ही उन्हें कैम्ब्रिज फिलोसॉफिक सोसायटी का फेलो भी चुना गया था।

इसके बाद वे अपनी अद्भुत कल्पना शक्ति से गणित में एक के बाद एक नए प्रयोग करते रहे, इस दौरान वे अपने कैरियर में काफी उपलब्धियां हासिल कर रहे हैं, लेकिन दूसरी तरफ उनका लगातार बिगड़ता स्वाथ्य उनके मार्ग में रुकावट पैदा कर रहा था। वहीं इसके बाद डॉक्टरों की सलाह पर वे भारत वापस लौटे और फिर मद्रास यूनिवर्सिटी में अध्यापन और रिसर्च कामों में फिर से जुट गए।

निधन –

महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन अपनी जिंदगी के आखिरी समय में काफी बीमार रहने लगे थे, वे टीबी रोग से ग्रसित हो गए थे, जिसकी वजह से उनके स्वास्थ्य में लगातार गिरावट आती रही, जिसके चलते उन्होंने महज 33 साल की अल्पआयु में 26 अप्रैल, 1920 को अपनी आखिरी सांस ली।

महत्वपूर्ण जानकारी –

  • श्रीनिवास रामानुजन स्कूल में हमेशा ही अकेले रहते थे। उनके सहयोगी उन्हें कभी समझ नही पाए थे। रामानुजन गरीब परीवार से सम्बन्ध रखते थे और अपने गणितों का परीणाम देखने के लिए वे पेपर की जगह कलमपट्टी का इस्तेमाल करते थे। शुद्ध गणित में उन्हें किसी प्रकार का प्रशिक्षण नही दिया गया था।
  • गवर्नमेंट आर्ट कॉलेज में पढ़ने के लिए उन्हें अपनी शिष्यवृत्ति खोनी पड़ी थी और गणित में अपने लगाव के कारण अन्य दूसरे विषयो में वे फेल हो गए थे।
  • रामानुजन ने कभी कोई कॉलेज डिग्री प्राप्त नही की। फिर भी उन्होंने गणित के काफी प्रचलित प्रमेयों को लिखा। लेकिन उनमे से कुछ को वे सिद्ध नही कर पाये।
  • इंग्लैंड में हुए जातिवाद के रामानुजन गवाह बने थे।
  • उनकी उपलब्धियों को देखते हुए 1729 नंबर हार्डी-रामानुजन नंबर के नाम से जाना जाता है।
  • 2014 में उनके जीवन पर आधारीत तमिल फ़िल्म ‘रामानुजन का जीवन’ बनाई गई थी।
  • रामानुजन की 125 वीं एनिवर्सरी पर गूगल ने डूगल बनाकार उन्हें सम्मान अर्जित कीया था।
  • श्रीनिवास रामानुजन को गणित में दिए गए उनके महत्वपूर्ण योगदानों के लिए हमेशा याद किया जाता रहेगा।

12 thoughts on “श्रीनिवास रामानुजन का जीवन परिचय”

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Tell the death date of srinivasa ramanujan

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Stay connected, टॉप 10 भारतीय गणितज्ञ का जीवन परिचय – famous mathematicians of india in hindi.

भारतीय गणितज्ञ का जीवन परिचय | Famous Mathematicians Of India In Hindi

जानें भारतीय गणितज्ञ का जीवन परिचय , 10 भारतीय गणितज्ञ के नाम, Famous Mathematicians of India in Hindi, भारतीय गणितज्ञ का योगदान के बारें में।

भारत में आर्यभट्ट, ब्रहमगुप्त, रामानुजन और डी. आर. कापरेकर, नीना गुप्ता जैसे कई महान गणितज्ञ हुए। जिन्होंने अपने कार्य से सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में अपना नाम किया।

थोड़ा सा कल्पना कीजिये अगर भारत के गणितज्ञ आर्यभट्ट दुनियाँ को शून्य का ज्ञान नहीं दिया होता तब क्या होता। हम कालकुलेशन कैसे करते। इस लेख में भारत के टॉप 10 भारतीय गणितज्ञ का जीवन परिचय और उनके योगदान का जिक्र किया गया है।

अगर आप किसी एक भारतीय गणितज्ञ का जीवन परिचय के बारें में विस्तार से जानना चाहते हैं तो यह लेख आपके लिए उपयोगी हो सकता है। इसमें कुछ प्रसिद्ध भारतीय गणितज्ञ का नाम जन्म तिथि जन्म स्थान शिक्षा खोज गणित में योगदान संबंधित जानकारी दी गई है।

आशा है की भारतीय गणितज्ञ का जीवन परिचय शीर्षक वाला यह लेख आपको जरूर पसंद आएगा।

भारतीय गणितज्ञ का जीवन परिचय - Famous Mathematicians of India in Hindi

टॉप 10 भारतीय गणितज्ञ का जीवन परिचय – Famous Mathematicians of India in Hindi

1. आर्यभट्ट (aryabhata).

भारतीय के गणितज्ञ सूची में आर्यभट्ट का नाम सर्वोपरि है। दुनियाँ को शून्य संख्या से परिचय करने वाला प्राचीन भारत का महान गणितज्ञ आर्यभट्ट को माना जाता है। उन्होंने ही विश्व को शून्य का ज्ञान दिया। आर्यभट्ट को प्राचीन भारत का महान गणितज्ञ-खगोलविद माना जाता है।

भारत इस गणितज्ञ विद्वान ने गणित के साथ साथ खगोल विज्ञान के क्षेत्र में भी अहम योगदान दिया। इन्होंने बीजगणित, त्रिकोणमिति, भिन्न, द्विघात समीकरण और अंकगणित के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

उनके द्वारा रचित ग्रंथ आर्यभटीय आज भी गणित के छात्र के लिए अत्यंत उपयोगी ग्रंथ है। भारत सरकार ने इनके सम्मान में भारत के प्रथम उपग्रह का नाम ‘आर्यभट’ रखा था। भारत के इस पहले सेटलाइट का परिक्षेपण किया। आर्यभटटा की मृत्यु 550 ईस्वी में हुई।

विस्तार से पढ़ें : – आर्यभट्ट का जीवन परिचय और गणित में योगदान

2. ब्रह्मगुप्त (Brahmagupta)

प्राचीन भारत के गणितज्ञ में ब्रहमगुप्त का नाम सर्वोपरि है। गणितज्ञ ब्रह्मगुप्त का जन्म राजस्थान के ‘भीनमाल नामक स्थान पर ईस्वी सन् 598 में माना जाता है। इनका नाम प्राचीन भारत के महान गणितज्ञ में लिया जाता है।

गणितज्ञ के अलावा ब्रह्मगुप्त प्राचीन भारतवर्ष के प्रसिद्ध ज्योतिशचार्य और खगोलशास्त्री भी थे। उन्हें हर्षवर्धन का समकालीन माना जाता है तथा वे उज्जैन वैधशाला के प्रमुख भी रहे। इन्होंने संख्या प्रणाली और रैखिक समीकरण पर गहन कार्य किया।

ब्रह्मगुप्त ने ही सर्वप्रथम शून्य के नियम और उनके गुणों से अवगत कराया। साथ ही उन्होंने शून्य के उपयोग का नियम प्रतिपादित किया। इन्होंने ब्रह्मस्फुट सिद्धान्त और खण्ड-खाद्यक नामक ग्रंथ की रचना की।

विस्तार से पढ़ें : – प्राचीन भारत के महान गणितज्ञ ब्रह्मगुप्त की जीवनी

3. भास्कराचार्य (Bhaskaracharya)

भारत के प्राचीन गणितज्ञ भास्कराचार्य, भास्कर II के नाम से भी प्रसिद्ध हैं। 12 वीं शताब्दी के सबसे प्रसिद्ध गणितज्ञों में इनका नाम सम्मिलित है। भास्कराचार्य का जन्म 1114 ईस्वी में कर्नाटक के बिज्जरगी नामक स्थान पर हुआ था।

बचपन से अति प्रतिभाशाली रहे भास्कर ने गणित का ज्ञान अपने पिता से सीखी। भास्कराचार्य को ब्रह्मगुप्त की संख्या प्रणाली पर आगे कार्य करने के लिए जाना जाता है। इन्होंने प्रसिद्ध ग्रंथ सिद्धांत शिरोमणि की रचना की।

इस ग्रंथ को चार अध्याय लीलावती, ग्रहगणिता, बीजगणित और गोलाध्याय में विभाजित है। इनका गणित की विविध शाखाओं जैसे की त्रिकोणमिति, ग्रहगणित, बीजगणित, अंकगणित, ज्यामिति, सांख्यिकी आदि में अमूल्य योगदान दिया।

विस्तार से पढ़ें : – भारत के गणितज्ञ भास्कराचार्य का जीवन परिचय विस्तार से

4. गणितज्ञ एस रामानुजन (S. Ramanujan)

भारत के गणितज्ञ के नाम में श्रीनिवास रामानुजन की गिनती एक महान गणितज्ञ के रूप में की जाती है। गणित में इनके योगदान के लिए पूरे विश्व में अलग पहचान है। भारतीय गणितज्ञ रामानुजन का व्यक्तित्व एवं गणित में योगदान अविस्मरणीय रहा है।

गणित के विश्लेषण एवं संख्या सिद्धांत के क्षेत्र में उनका योगदान भूलने योग्य नहीं है। श्रीनिवास रामानुजन को सर्वप्रथम संख्याओं के सिद्धांत को प्रतिपादन के लिए जाना जाता है। श्रीनिवास रामानुजन ने गणित विषयों के करीब 3,884 प्रमेयों का संकलन किया।

उन्होंने अंकगणित सहित गणित के सभी आयामों को छुआ तथा गणित से जुड़े अनेकों फार्मूला का आविष्कार किया। गणित की दुनियाँ में उनका नाम बड़े ही आदर के साथ लिया जाता है।

उन्हें पाई के अध्ययन में योगदान के लिए भी जाना जाता है। गणित के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान हेतु उनके नाम पर विश्व प्रसिद्ध रामानुजन पुरस्कार प्रदान किया जाता है।

विस्तार से पढ़ें : भारत के महान गणितज्ञ रामानुजन का जीवन परिचय विस्तार से

5. भारत के प्रसिद्ध गणितज्ञ ‘ डी आर. कापरेकर ‘

दत्तात्रेय रामचंद्र कापरेकर जी का मनोरंजात्मक गणित के क्षेत्र में अहम योगदान माना जाता है। भारत के इस गणितज्ञ को प्राकृतिक संख्याओं के विभिन्न वर्गों का विशेष अध्ययन के लिए जाना जाता है।

उन्होंने संख्या सिद्धांत के क्षेत्र में कार्य करते हुए कई महत्वपूर्ण परिणाम प्राप्त किए। उन्होंने संख्याओं के कई गुणों का वर्णन कर गणित के प्रसिद्ध सिद्धांत दिया। उनका यह सिद्धांत कापरेकर स्थिरांक के नाम से जाना जाता है।

इन्होंने कापरेकर संख्या और डेमलो संख्या की खोज की थी। लेकिन दुख की बात यह है की उन्हें अपने देश में ख्याति और सम्मान तब मिला जब अमेरिका के बैज्ञानिक मार्टिन गार्डनर ने इनके शोध को एक पत्रिका में पढ़ कर प्रभावित हुए थे।

विस्तार से पढ़ें – भारतीय गणितज्ञ डी आर. कापरेकर की जीवनी विस्तार से

6. गणितज्ञ ‘नरेन्द्र कृष्ण करमाकर ‘

नरेन्द्र कृष्ण करमाकर (Mathematician NarendraKrishna Karmakar)- भारत के महान गणितज्ञ थे। गणित के क्षेत्र में अमूल्य योगदान के लिए नरेंद्र कृष्ण कर्मकार का नाम प्रसिद्ध हैं।

इन्हें गणित के जटिल एलगोरिथम ‘कर्मकार एलगोरिथम’ के खोज के लिए जाना जाता है। उनका यह एलगोरिथम छात्रों के लिए बहुत उपयोगी साबित हुआ। नरेंद्र कृष्ण कर्मकार का जन्म 15 नवंबर 1957 ईस्वी में भारत के मध्यप्रदेश में हुआ है।

उनहोंने भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के रुप मे भी अपना योगदान दिया। वे सन 1988 से 2005 तक टाटा इंस्टीटयूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च, पुणे मे अध्याक्ष के पद पर भी कार्य किए। गणित में योगदान के लिए उन्हें कई सम्मान और पुरस्कार प्राप्त हुए।

विस्तार से पढ़ें : – गणितज्ञ नरेन्द्र कृष्ण करमाकर की जीवनी विस्तार से

7. भारतीय महिला गणितज्ञ ‘नीना गुप्ता’

गणितज्ञ नीना गुप्ता विश्व प्रसिद्ध रामानुजन अवॉर्ड जीतने वाली भारत की तीसरी महिला हैं।  आधुनिक भारत की प्रसिद्ध गणितज्ञ नीना गुप्ता ने उस बक्त सबको चौंका दिया जब उन्होंने 62 साल पुरानी गणित की जटिल समस्या को हल करने में कामयाबी हासिल की।

वर्तमान में नीना गुप्ता कोलकाता के इंडियन स्टैस्टिकल इंस्टीट्यूट की फैकल्टी मेंबर के रूप में कार्यरत हैं। श्रीनिवास रामानुजन पुरस्कार पाने वली वे भारत की चौथे गणितज्ञ हैं।

गणितज्ञ नीना गुप्ता को  2019 में भारत के प्रसिद्ध शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार भी प्रदान किया गया था। यह पुरस्कार उन्हें साइंस और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए दिया गया।

उन्हें जरिस्की कैंसिलेशन प्रॉब्लम को सुलझाने के लिए 2014 में इंडियन नेशनल साइंस अकेडमी का यंग साइंटिस्ट अवॉर्ड भी प्रदान किया गया था।

विस्तार से पढ़ें – भारत की इन प्रसिद्ध महिला मैथमेटिशियन के बारे में

8. गणितज्ञ ‘डॉ हरीश चन्द्र ‘

डॉ हरीशचन्द्र महरोत्रा   भारत के प्रसिद्ध गणितज्ञ और भौतिक वैज्ञानिक थे। कहते हैं की जिस तरह रामानुजन ने गणित के क्षेत्र में अपना नाम कमाया। उसी प्रकार डॉ हरीश चन्द्र ने भी गणितज्ञों के बीच में बहुत प्रसिद्ध हुए।

कहा जाता है की शुरुआत में उनकी रुचि भौतिक शास्त्र में थी लेकिन बाद में उनका झुकाव गणित के तरफ अधिक हो गया। उन्होंने उन्होंने गणित पर शोध करते हुए मॉडर्न मेथमेटिक्स के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देकर दुनियाँ का ध्यान उनकी तरफ आकृष्ट किया।

आज उनकी गिनती उन्नीसवीं शदाब्दी के महान गणितज्ञ में की जाती है। गणितज्ञ हरीश चन्द्र महरोत्रा  का जन्म 11 अक्तूबर 1923 ईस्वी में कानपुर में हुआ था। 

उनके सम्मान में प्रयागराज यूनिवर्सिटी के प्रसिद्ध संस्थान “मेहता रिसर्च इन्सटिट्यूट” का नाम बदल कर  हरिश्चंद्र अनुसंधान संस्थान  किया गया।

विस्तार से पढ़ें – भारत के प्रसिद्ध गणितज्ञ डॉ हरीश चन्द्र का जीवन परिचय

9. प्राचीन भारत के गणितज्ञ ‘वाराहमिहिर’

वाराहमिहिर अति प्राचीन भारत के प्रसिद्ध गणितज्ञ, ज्योतिष और खगोलशास्त्री माने जाते हैं। अपने समय में वाराहमिहिर सबसे सटीक भविष्यवाणी के लिए प्रसिद्ध थे। वाराहमिहि को शून्य के आविष्कारक आर्यभट्ट  का शिष्य कहा जाता है।

वे गणित के साथ-साथ ज्योतिष विज्ञान के परम ज्ञाता थे। साथ ही उन्हें वेद का भी असधारण जानकारी थी। गणित में प्रकांड विद्वान वाराहमिहिर को ज्योतिष शास्त्र और सटीक भविष्यवाणी के लिए अत्यंत ही प्रसिद्ध हुए।

अपने विद्वता के वल पर ही उन्होंने राजा विक्रमादित्य द्वितीय के दरवार में नौ रत्नों में एक कहलाये। उन्होंने गणित व ज्योतिष ज्ञान से संबंधित एक वृहद ग्रंथ तैयार किया। जो पंचसिद्धांतिका के नाम से जानी जाती है। आज भी उनका यह ग्रंथ को मानक ग्रंथ के रूप में पहचान है।

विस्तार से पढ़ें : – प्राचीन भारतीय गणितज्ञ वाराहमिहिर की जीवनी

10. भारतीय महिला गणितज्ञ ‘शकुंतला देवी ‘

मानव कम्प्यूटर के नाम से प्रसिद्ध शकुंतला देवी को कठिन से कठिन मानसिक गणितीय गणना को चुटकियों में सुलझाने के लिए जाना जाता है। उन्होंने अपने कंप्युटर जैसे तेज दिमाग का कारण अपने प्रतिभा से दुनियाँ में एक अलग छाप मुकाम हासिल कर भारत को गौरान्वित किया।

एक निर्धन परिवार में पली-बढ़ी शकुंतला देवी के बारें में कहा जाता है की बचपन से ही उनके अंदर अद्भुत प्रतिभा मौजूद थी। जटिल से जटिल गणितीय मानसिक गणनाएं को पलक में हल कर देना मानों गॉड गीफटेड थे। सबसे बड़ी बात यह रही की उनकी कोई औपचारिक शिक्षा भी नहीं हुई थी।

विस्तार से पढ़ें : – भारतीय गणितज्ञ मानव कंप्युटर शकुंतला देवी

11. भारतीय महिला गणितज्ञ ‘सुजाता रामदोरई’

भारतीय महिला गणितज्ञ में सुजाता रामदोरई का नाम शामिल है। भारत में इनका  गणित के क्षेत्र में जानी पहचानी नाम हैं। उन्होंने लंबे समय तक TIFR मुंबई में गणित की प्रोफेसर के रूप में कार्य कि।

डॉ. रामदोराई ने द्विघात रूपों के बीजगणितीय सिद्धांत, अंकगणितीय ज्यामिति तथा इवासावा सिद्धांत के क्षेत्रों में भी उत्कृष्ट योगदान दिया। हालांकि प्रारंभ में उन्होंने द्विघात रूपों के बीज गणितीय सिद्धांत पर अपना ध्यान केंद्रित किया।

गणित के क्षेत्र में उनके योगदान को देखते हुए 2004 में उन्हें भारत का सर्वोच्च वैज्ञानिक सम्मान शांतिस्वरूप भटनागर पुरस्कार प्रदान किया गया।

वर्ष 2006 में उन्होंने गणित के क्षेत्र में विश्व का का सबसे बड़े सम्मान रामानुजन पुरस्कार से अलंकृत किया गया। इस प्रकार रामानुजन पुरस्कार को पाने वाली गणितज्ञ सुजाता रामदोरई प्रथम भारतीय हैं।

विस्तार से पढ़ें – भारतीय महिला गणितज्ञ सुजाता रामदोरई

12. गणितज्ञ ‘अमलेंदु कृष्णा’

अमलेंदु कृष्णा की गिनीति भारत के प्रसिद्ध गणितज्ञ के रूप में की जाती है। टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ़ फंडामेंटल रिसर्च से जुड़े अमलेंदु कृष्णा को 3 अगस्त 2015 को वर्ष 2015 के लिए रामानुजन पुरस्कार प्रदान किया गया।

इस पुरस्कार को पाने वाले वे दूसरे भारतीय हैं।  डॉ कृष्णा ने एल्ज़ेब्रिक के थ्योरी, एल्ज़ेब्रिक साइकिल और थ्योरी ऑफ़ मोटिव्स में उत्कृष्ट योगदान दिया। अमलेंदु कृष्ण का जन्म बिहार के मधुबनी में 1971 में हुआ था।

13. भारतीय गणितज्ञ ‘राज चन्द्र बोस ‘

राजचन्द्र बोस एक महान भारतीय-अमेरिकी गणितज्ञ एवं सांख्यिकीविद कहलाते हैं। उन्हें प्रयोगों के डिजाइन और बहु-विषयक विश्लेषण पर विशेष शोध के लिए प्रसिद्ध हैं।

उन्होंने ‘ डिजाइन सिद्धान्त’  तथा ‘ थिअरी ऑफ एरर करेक्टिंग कोड्स ‘ पर काम करते हुए दुनियाँ में नाम कमाया। इस सिद्धांत की खोज के कारण राम चंद्र बोस समूचे दुनियाँ में गणितज्ञ के रूप में प्रसिद्ध हो गए। गणित जगत में उनका नाम बड़े ही सम्मान के साथ लिया जाता है।

विस्तार से पढ़ें – गणितज्ञ राज चन्द्र बोस का जीवन परिचय

14. गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह

महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह का जन्म बिहार के भोजपुर जिले में हुआ था। कहते हैं की उनकी विलक्षण प्रतिभा का डंका सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि विदेश तक सुनाई दी। गणित के ‘चक्रीय सदिश समष्टि सिद्धान्त’ पर उनके द्वारा किए गए उल्लेखनीय योगदान ने उन्हें विश्व प्रसिद्ध बना दिया।

अपने कैरियर में उन्हें नासा में भी काम करने का मौका मिला। लेकिन अफसोस बस उन्हें एक जटिल मानसिक विमारी ने जकड़ लिया। जिससे वे जीवन पर्यंत जूझते रहे और वर्ष 2019 में पटना में उनका निधन हो गया।

15. प्राचीन गणितज्ञ ‘कात्यायन’ (Katyayana)

कात्यायन को वैदिककाल के आखरी गणितज्ञ कहे जाते हैं। उन्होंने कात्यायन सुलभ सूत्र की रचना की। जिसमें उन्होंने 2 के वर्ग मूल की पांच सही दशमलव स्थानों से गणनाविधि बतलाई। इसके अलावा उनका ज्यामिति और पाइथागोरस प्रेमय के संबंध में भी उल्लेखनीय योगदान दिया।

16. गणितज्ञ भास्कर प्रथम (Bhaskar First)

साथ ही भास्कर प्रथम को संख्या को दशमलव के रुप में हिंदू और अरबी शैली में लिखने के लिए जाना जाता है। भास्कर प्रथम प्राचीन भारत के महान गणितज्ञ थे। उनका जन्म करीब 600 ईस्वी में माना जाता है।

इसके अलावा उन्होंने आर्यभट्ट की कृतियों पर टीका लिखी आर्यभटीयभाष्य के नाम से गणित एवं खगोलशास्त्र की प्रथम पुस्तक मानी जाती है। उन्होंने अंकगणित और बीजगणित में उल्लेखनीय योगदान दिया।

17. गणितज्ञ जयदेव (Jaidev)

जयदेव को भारत के नौवीं शताब्दी के प्रसिद्ध गणितज्ञ के रूप में जाना जाता है। उन्हें गणित के चक्रीय विधि(चक्रवला) विकसित करने के लिए जाना जाता है। उन्होने चक्रवाल विधि को और अधिक उन्नत बनाकर गणित में प्रसिद्धि हासिल की।

18. प्राचीन गणितज्ञ ‘पिंगला’ (Pingala)

प्राचीन भारत के महान गणितज्ञों में पिंगला का भी नाम लिया जाता है। उन्होंने संस्कृत में छंद शास्त्र की रचना की। बाइनोमियल थियोरम यानि द्विपद प्रमेय के जानकारी के बिना ही उन्होंने पास्कल त्रिकोणमिति को बतलाया था।

19. गणितज्ञ ‘संगमग्राम के माधव’

संगमग्राम के माधव दक्षिण भारत के महान गणितज्ञ और खगोलज्ञ थे। भारत के केरल राज्य के कोचीन के पास इरन्नलक्कुता के रहने वाले संगमग्राम के माधव को केरल स्कूल ऑफ एस्ट्रोनॉमी एंड मैथेमैटिक्स का संस्थापक भी कहा जाता है।

20. गणितज्ञ ‘श्रीराम शंकर अभयंकर’

श्रीराम शंकर अभयंकर एक भारतीय-अमेरिकी गणितज्ञ थे, जिन्हें उनके बीजगणितीय ज्यामिति (Algebraic Geometry) के लिए जाना जाता था। अपनी जिंदगी के आखिरी समय में वे ‘मार्शल पर्ड्यू विश्वविद्यालय’ में गणित के विशिष्ट प्रोफेसर प्रोफेसर थे।

विस्तार से पढ़ें : – भारत के प्रसिद्ध गणितज्ञ श्रीराम शंकर अभयंकर की जीवनी विस्तार से

21. भारतीय गणितज्ञ ‘सी आर राव’

सी आर राव भारत के प्रसिद्ध गणितज्ञ हैं उन्हें ‘थ्योरी ऑफ़ इस्टीमेशन’ के लिए पहचाना जाता है। इसकी महानता का अंदाजा इस बाद से लगाया जा सकता है की विश्व के 18 देशों के विश्वविद्यालयों द्वारा उन्हें डॉक्टरेट की डिग्रियां प्रदान की गई। उनके दर्जनों किताब और सैकड़ों शोधपत्र प्रकाशित हो चुके हैं।

विस्तार से पढ़ें : गणितज्ञ सी आर राव का जीवन परिचय विस्तार से

22. गणितज्ञ ‘सी एस शेषाद्री’ –

भारत के इस महान गणितज्ञ सी एस शेषाद्री को एलजेबरिक जओमिट्री में अमूल्य योगदान के लिए जाना जाता है। उन्होंने मद्रास विश्वविद्यालय से गणित में स्नातक के बाद बॉम्बे विश्वविद्यालय में शोध करते हुए पीएचडी की डिग्री प्राप्त की।

उन्हें शेषाद्री कॉन्सटेंट और नराईशम-शेषाद्री कॉन्सटेंट की खोज के लिए भी जाना जाता है। भारत सरकार ने उन्हें वर्ष 2009 में भारत के बड़े नागरिक सम्मान पद्म भूषण से अलंकृत किया।

इन नामों के अलावा भी आधुनिक भारत के गणितज्ञ में और भी कई नाम लिए जाते हैं जिनका गणित में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। इसमें तिरुक्कनपुरम विजयराघवन, एमएस नरसिम्हन, वी एन भट, अमित गर्ग, एल महादेवन आदि के नाम लिए जा सकते हैं।

भारतीय गणितज्ञ का योगदान – Famous Indian Mathematician and their Contribution in Hindi

भारत के गणितज्ञ का योगदान की बात करें तो उन्होंने अपने अमूल्य योगदान के द्वारा गणित को एक नई दिशा मिली। भारत के गणितज्ञ ने विश्व को शून्य, बीजगणित, दशमलव प्रणाली, त्रिकोणमिति, नकारात्मक संख्या के साथ साथ कई अमूल्य योगदान दिया है।

प्रश्न – भारत का सबसे बड़ा गणितज्ञ कौन है?

हमारे सूची में टॉप पांच भारतीय गणितज्ञ के नाम में आर्यभट्ट, रामानुजन, वराहमिहिर, हरीश चंद्र, नीना गुप्ता और भाषकराचार्य को शामिल करना चाहूँगा। वैसे मेरे लिस्ट में भारत के का सबसे बड़ा गणितज्ञ में आर्यभट्ट और रामानुजन है।

प्रश्न – भारत के प्रथम गणितज्ञ का क्या नाम है?

भारत के प्रथम गणितज्ञ में आर्यभट्ट का नाम लिया जा सकता है। भारत के 5 महान गणितज्ञ में आर्यभट का नाम सर्वोपरि है।

गणित में वर्ल्ड पाई डे कब मनाया जाता है?

गणित की संख्या वर्ल्ड पाई डे 14 मार्च को मनाया जाता है

बाहरी कड़ियाँ (External links)

भारतीय गणितज्ञों की सूची – यूनियनपीडिया

संशोधन की अंतिम तिथि : 25-05-2022

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श्रीनिवास रामानुजन पर निबंध – Srinivasa Ramanujan Essay in Hindi & English Pdf Download

Srinivasa Ramanujan Essay in Hindi

भारतीय गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन का जन्म 22 दिसंबर, 1887 में मद्रास, भारत में हुआ था। सोफी जर्मिन की तरह, उन्हें गणित में कोई औपचारिक शिक्षा नहीं मिली लेकिन उन्होंने गणित के उन्नयन में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

गणित में उनका मुख्य योगदान मुख्य रूप से विश्लेषण, गेम सिद्धांत और अनंत श्रृंखला में है।

उन्होंने प्रकाश और नए उपन्यास विचारों को लाकर विभिन्न गणितीय समस्याओं को हल करने के लिए गहराई से विश्लेषण किया, जिसने गेम सिद्धांत की प्रगति को बढ़ावा दिया।

इस दिन पर बहुत से स्कूल एवं विश्विद्यालय में essay और speech compatition होता है|

Srinivasa ramanujan par nibandh

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Srinivasa Ramanujan – श्रीनिवास रामानुजन् इयंगर एक महान भारतीय गणितज्ञ थे। उन्हें आधुनिक काल के महानतम गणित विचारकों में गिना जाता है। उन्हें गणित में कोई विशेष प्रशिक्षण नहीं मिला, फिर भी उन्होंने विश्लेषण एवं संख्या सिद्धांत के क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिये। उन्होंने गणित के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण प्रयोग किये थे जो आज भी उपयोग किये जाते है। उनके प्रयोगों को उस समय जल्द ही भारतीय गणितज्ञो ने मान्यता दे दी थी। जब उनका हुनर ज्यादातर गणितज्ञो के समुदाय को दिखाई देने लगा। तब उन्होंने इंग्लिश गणितज्ञ जी.एच्. हार्डी से भागीदारी कर ली। उन्होंने पुराने प्रचलित थ्योरम की पुनः खोज की ताकि उसमे कुछ बदलाव करके नया थ्योरम बना सके। श्रीनिवास रामानुजन / Srinivasa Ramanujan ज्यादा उम्र तक तो जी नही पाये लेकिन अपने छोटे जीवन में ही उन्होंने लगभग 3900 के आस-पास प्रमेयों का संकलन कीया। इनमें से अधिकांश प्रमेय सही सिद्ध किये जा चुके है। और उनके अधिकांश प्रमेय लोग जानते है। उनके बहोत से परीणाम जैसे की रामानुजन प्राइम और रामानुजन थीटा बहोत प्रसिद्ध है। यह उनके महत्वपूर्ण प्रमेयों में से एक है। उनके काम को उन्होंने उनके अंतर्राष्ट्रीय प्रकाशन रामानुजन जर्नल में भी प्रकाशित किया है। ताकि उनके गणित प्रयोगों को सारी दुनिया जान सके और पूरी दुनिया में उनका उपयोग हो सके। उनका यह अंतर्राष्ट्रीय प्रकाशन पुरे विश्व में प्रसिद्ध हो गया था। और काफी लोग गणित के क्षेत्र में उनके अतुल्य योगदान से प्रभावित भी हुए थे। श्रीनिवास रामानुजन का प्रारंभिक जीवन / Srinivasa Ramanujan Biography in Hindi श्रीनिवास रामानुजन / Srinivasa Ramanujan का जन्म 22 दिसम्बर 1887 को भारत के दक्षिणी भूभाग में स्थित कोयंबटूर के ईरोड, मद्रास (अभी का तमिलनाडु) नाम के गांव में हुआ था। वह पारंपरिक ब्राह्मण परिवार में जन्मे थे। उनके पिता श्रीनिवास अय्यंगर जिले की ही एक साडी की दुकान में क्लर्क थे। उनकी माता, कोमल तम्मल एक गृहिणी थी और साथ ही स्थानिक मंदिर की गायिका थी। वह अपने परीवार के साथ कुम्भकोणम गाव में सारंगपाणी स्ट्रीट के पास अपने पुराने घर में रहते थे। उनका परीवारीक घर आज एक म्यूजियम है। जब रामानुजन देड (1/5) साल के थे, तभी उनकी माता ने एक और बेटे सदगोपन को जन्म दिया, जिसका बाद में तीन महीनो के भीतर ही देहांत हो गया। दिसंबर 1889 में, रामानुजन को चेचक की बीमारी हो गयी। इस बीमारी से पिछले एक साल में उनके जिले के हजारो लोग मारे गए थे। लेकिन रामानुजन जल्द ही इस बीमारी से ठीक हो गये थे। इसके बाद वे अपने माता के साथ मद्रास (चेन्नई) के पास के गाव कांचीपुरम में माता-पिता के घर में रहने चले गए। नवंबर 1891 और फीर 1894 में, उनकी माता ने दो और बच्चों को जन्म दिया। लेकिन फिर से उनके दोनों बच्चो की बचपन में ही मृत्यु हो गयी। 1 अक्टूबर 1892 को श्रीनिवास रामानुजन / Srinivasa Ramanujan को स्थानिक स्कूल में डाला गया। मार्च 1894 में, उन्हें तामील मीडियम स्कूल में डाला गया। उनके नाना के कांचीपुरम के कोर्ट में कर रहे जॉब को खो देने के बाद, रामानुजन और उनकी माता कुम्भकोणम गाव वापिस आ गयी और उन्होंने रामानुजन को कंगयां प्राइमरी स्कूल में डाला। जब उनके दादा का देहांत हुआ, तो रामानुजन को उनके नाना के पास भेज दिया गया। जो बाद में मद्रास में रहने लगे थे। रामानुजन को मद्रास में स्कूल जाना पसन्द नही था, इसीलिए वे ज्यादातर स्कूल नही जाते थे। उनके परिवार ने रामानुजन के लिये एक चौकीदार भी रखा था ताकि रामानुजन रोज स्कूल जा सके। और इस तरह 6 महीने के भीतर ही रामानुजन कुम्भकोणम वापिस आ गये। जब ज्यादातर समय रामानुजन के पिता काम में व्यस्त रहते थे। तब उनकी माँ उनकी बहोत अच्छे से देखभाल करती थी। रामानुजन को अपनी माता से काफी लगाव था। अपनी माँ से रामानुजन ने प्राचीन परम्पराओ और पुराणों के बारे में सीखा था। उन्होंने बहोत से धार्मिक भजनों को गाना भी सीख लिया था ताकि वे आसानी से मंदिर में कभी-कभी गा सके। ब्राह्मण होने की वजह से ये सब उनके परीवार का ही एक भाग था। कंगयां प्राइमरी स्कूल में, रामानुजन एक होनहार छात्र थे। बस 10 साल की आयु से पहले, नवंबर 1897 में, उन्होंने इंग्लिश, तमिल, भूगोल और गणित की प्राइमरी परीक्षा उत्तीर्ण की और पुरे जिले में उनका पहला स्थान आया। उसी साल, रामानुजन शहर की उच्च माध्यमिक स्कूल में गये जहा पहली बार उन्होंने गणित का अभ्यास कीया। Srinivasa Ramanujan Childhood: 11 वर्ष की आयु से ही श्रीनिवास रामानुजन / Srinivasa Ramanujan अपने ही घर पर किराये से रह रहे दो विद्यार्थियो से गणित का अभ्यास करना शुरू कीया था। बाद में उन्होंने एस.एल. लोनी द्वारा लिखित एडवांस ट्रिग्नोमेट्री का अभ्यास कीया। 13 साल की अल्पायु में ही वे उस किताब के मास्टर बन चुके थे और उन्होंने खुद कई सारे थ्योरम की खोज की। 14 वर्ष की आयु में उन्हें अपने योगदान के लिये मेरिट सर्टिफिकेट भी दिया गया और साथ ही अपनी स्कूल शिक्षा पुरी करने के लिए कई सारे अकादमिक पुरस्कार भी दिए गए और सांभर तंत्र की स्कूल में उन्हें 1200 विद्यार्थी और 35 शिक्षको के साथ प्रवेश दिया गया। गणित की परीक्षा उन्होंने दिए गए समय से आधे समय में ही पूरी कर ली थी। और उनके उत्तरो से ऐसा लग रहा था जैसे ज्योमेट्री और अनंत सीरीज से उनका घरेलु सम्बन्ध हो। रामानुजन ने 1902 में घनाकार समीकरणों को आसानी से हल करने के उपाय भी बताये और बाद में क्वार्टीक (Quartic) को हल करने की अपनी विधि बनाने में लग गए। उसी साल उन्होंने जाना की क्विन्टिक (Quintic) को रेडिकल्स (Radicals) की सहायता से हल नही किया जा सकता।

Essay about srinivasa ramanujan

Srinivasa ramanujan par nibandh

Srinivasa Ramanujan was one of India’s greatest mathematical geniuses. He made substantial contributions to the analytical theory of numbers and worked on elliptic functions, continued fractions, and infinite series. Ramanujan was born in his grandmother’s house in Erode, a small village about 400 km southwest of Madras. When Ramanujan was a year old his mother took him to the town of Kumbakonam, about 160 km nearer Madras. His father worked in Kumbakonam as a clerk in a cloth merchant’s shop. In December 1889 he contracted smallpox. When he was nearly five years old, Ramanujan entered the primary school in Kumbakonam although he would attend several different primary schools before entering the Town High School in Kumbakonam in January 1898. At the Town High School, Ramanujan was to do well in all his school subjects and showed himself an able all round scholar. In 1900 he began to work on his own on mathematics summing geometric and arithmetic series. Ramanujan was shown how to solve cubic equations in 1902 and he went on to find his own method to solve the quartic. The following year, not knowing that the quintic could not be solved by radicals, he tried (and of course failed) to solve the quintic. It was in the Town High School that Ramanujan came across a mathematics book by G S Carr called Synopsis of elementary results in pure mathematics. This book, with its very concise style, allowed Ramanujan to teach himself mathematics, but the style of the book was to have a rather unfortunate effect on the way Ramanujan was later to write down mathematics since it provided the only model that he had of written mathematical arguments. The book contained theorems, formulae and short proofs. It also contained an index to papers on pure mathematics which had been published in the European Journals of Learned Societies during the first half of the 19th century. The book, published in 1856, was of course well out of date by the time Ramanujan used it. By 1904 Ramanujan had begun to undertake deep research. He investigated the series ∑(1/n) and calculated Euler’s constant to 15 decimal places. He began to study the Bernoulli numbers, although this was entirely his own independent discovery. Ramanujan, on the strength of his good school work, was given a scholarship to the Government College in Kumbakonam which he entered in 1904. However the following year his scholarship was not renewed because Ramanujan devoted more and more of his time to mathematics and neglected his other subjects. Without money he was soon in difficulties and, without telling his parents, he ran away to the town of Vizagapatnam about 650 km north of Madras. He continued his mathematical work, however, and at this time he worked on hypergeometric series and investigated relations between integrals and series. He was to discover later that he had been studying elliptic functions. In 1906 Ramanujan went to Madras where he entered Pachaiyappa’s College. His aim was to pass the First Arts examination which would allow him to be admitted to the University of Madras. He attended lectures at Pachaiyappa’s College but became ill after three months study. He took the First Arts examination after having left the course. He passed in mathematics but failed all his other subjects and therefore failed the examination. This meant that he could not enter the University of Madras. In the following years he worked on mathematics developing his own ideas without any help and without any real idea of the then current research topics other than that provided by Carr’s book. Continuing his mathematical work Ramanujan studied continued fractions and divergent series in 1908. At this stage he became seriously ill again and underwent an operation in April 1909 after which he took him some considerable time to recover. He married on 14 July 1909 when his mother arranged for him to marry a ten year old girl S Janaki Ammal. Ramanujan did not live with his wife, however, until she was twelve years old. Ramanujan continued to develop his mathematical ideas and began to pose problems and solve problems in the Journal of the Indian Mathematical Society. He devoloped relations between elliptic modular equations in 1910. After publication of a brilliant research paper on Bernoulli numbers in 1911 in the Journal of the Indian Mathematical Society he gained recognition for his work. Despite his lack of a university education, he was becoming well known in the Madras area as a mathematical genius. In 1911 Ramanujan approached the founder of the Indian Mathematical Society for advice on a job. After this he was appointed to his first job, a temporary post in the Accountant General’s Office in Madras. It was then suggested that he approach Ramachandra Rao who was a Collector at Nellore. Ramachandra Rao was a founder member of the Indian Mathematical Society who had helped start the mathematics library. He writes in [30]:- A short uncouth figure, stout, unshaven, not over clean, with one conspicuous feature-shining eyes- walked in with a frayed notebook under his arm. He was miserably poor. … He opened his book and began to explain some of his discoveries. I saw quite at once that there was something out of the way; but my knowledge did not permit me to judge whether he talked sense or nonsense. … I asked him what he wanted. He said he wanted a pittance to live on so that he might pursue his researches.

श्रीनिवास रामानुजन निबंध

जन्म: 22 दिसम्बर 1887 मृत्यु: 26 अप्रैल 1920 कार्यक्षेत्र: गणित उपलब्धियां: लैंडॉ-रामानुजन् स्थिरांक, रामानुजन्-सोल्डनर स्थिरांक, रामानुजन् थीटा फलन, रॉजर्स-रामानुजन् तत्समक, रामानुजन् अभाज्य, कृत्रिम थीटा फलन, रामानुजन् योग दुनिया में कभी-कभी ऐसी विलक्षण प्रतिभाएं जन्म लेती हैं जिनके बारे में जानकार सभी आश्चर्य चकित रह जाते हैं। महान गणितग्य श्रीनिवास अयंगर रामानुजन एक ऐसी ही भारतीय प्रतिभा का नाम है जिनपर न केवल भारत को परन्तु पूरे विश्व को गर्व है। महज 33 वर्ष की उम्र में शायद ही किसी वैज्ञानिक और गणितग्य ने इतना कुछ किया हो जितना रामानुजन ने किया। यह आश्चर्य की ही बात है कि किसी भी तरह की औपचारिक शिक्षा न लेने के बावजूद उन्होंने उच्च गणित के क्षेत्र में ऐसी विलक्षण खोजें कीं जिससे इस क्षेत्र में उनका नाम हमेशा के लिए अमर हो गया। ये न केवल भारत बल्कि समूचे विश्व का दुर्भाग्य था कि गणित का ये साधक मात्र तैंतीस वर्ष की आयु में तपेदिक के कारण परलोक सिधार गया। रामानुजन बचपन से ही विलक्षण प्रतिभा के धनी थे। आपको ये जानकार हैरानी होगी कि इन्होंने स्वयं गणित सीखा और अपने चिर जीवनकाल में गणित के 3,884 प्रमेयों का संकलन किया। उनके द्वारा दिए गए अधिकांश प्रमेय गणितज्ञों द्वारा सही सिद्ध किये जा चुके हैं। उन्होंने अपने प्रतिभा के बल पर बहुत से गणित के क्षेत्र में बहुत से मौलिक और अपारम्परिक परिणाम निकाले जिनपर आज भी शोध हो रहा है। हाल ही में रामानुजन के गणित सूत्रों को क्रिस्टल-विज्ञान में प्रयुक्त किया गया। इनके कार्य से प्रभावित गणित के क्षेत्रों में हो रहे काम के लिये और इस महान गणितग्य को सम्मानित करने के लिए रामानुजन जर्नल की स्थापना भी की गई है। प्रारंभिक जीवन श्रीनिवास अयंगर रामानुजन का जन्म 22 दिसम्बर 1887 को तमिल नाडु के कोयंबटूर के ईरोड नामक गांव में एक पारंपरिक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम श्रीनिवास अय्यंगर और माता का नाम कोमलताम्मल था। जब बालक रामानुजन एक वर्ष के थे तभी उनका परिवार कुंभकोणम में आकर बस गया था। इनके पिता एक स्थानिय व्यापारी के पास मुनीम का कार्य करते थे। शुरू में बालक रामानुजन का बौद्धिक विकास दूसरे सामान्य बालकों जैसा नहीं था और वह तीन वर्ष की आयु तक बोलना भी नहीं सीख पाए थे, जिससे उनके माता-पिता को चिंता होने लगी। जब बालक रामानुजन पाँच वर्ष के थे तब उनका दाखिला कुंभकोणम के प्राथमिक विद्यालय में करा दिया गया। पारंपरिक शिक्षा में रामानुजन का मन कभी भी नहीं लगा और वो ज्यादातर समय गणित की पढाई में ही बिताते थे। आगे चलकर उन्होंने दस वर्ष की आयु में प्राइमरी परीक्षा में पूरे जिले में सर्वोच्च अंक प्राप्त किया और आगे की शिक्षा के लिए टाउन हाईस्कूल गए। रामानुजन बड़े ही सौम्य और मधुर व्यवहार के व्यक्ति थे। वह इतने सौम्य थे कि कोई इनसे नाराज हो ही नहीं सकता था। धीरे-धीरे इनकी प्रतिभा ने विद्यार्थियों और शिक्षकों पर अपना छाप छोड़ना शुरू कर दिया। वह गणित में इतने मेधावी थे कि स्कूल के समय में ही कॉलेज स्तर का गणित पढ़ लिया था। हाईस्कूल की परीक्षा में इन्हें गणित और अंग्रेजी मे अच्छे अंक लाने के कारण छात्रवृत्ति मिली जिससे कॉलेज की शिक्षा का रास्ता आसान हो गया। उनके अत्यधिक गणित प्रेम ने ही उनकी शिक्षा में बाधा डाला। दरअसल, उनका गणित-प्रेम इतना बढ़ गया था कि उन्होंने दूसरे विषयों को पढना छोड़ दिया। दूसरे विषयों की कक्षाओं में भी वह गणित पढ़ते थे और प्रश्नों को हल किया करते थे। इसका परिणाम यह हुआ कि कक्षा 11वीं की परीक्षा में वे गणित को छोड़ बाकी सभी विषयों में अनुत्तीर्ण हो गए जिसके कारण उनको मिलने वाली छात्रवृत्ति बंद हो गई। उनके परिवार की आर्थिक स्थिति पहले से ही ठीक नहीं थी और छात्रवृत्ति बंद होने के कारण कठिनाईयां और बढ़ गयीं। यह दौर उनके लिए मुश्किलों भरा था। घर की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए रामानुजन ने गणित के ट्यूशन और कुछ एकाउंट्स का काम किया। वर्ष 1907 में उन्होंने बारहवीं कक्षा की प्राइवेट परीक्षा दी लेकिन इस बार भी वह अनुत्तीर्ण हो गए। इस असफलता के साथ उनकी पारंपरिक शिक्षा भी समाप्त हो गई। संघर्ष का समय बारहवीं कक्षा की प्राइवेट परीक्षा में अनुत्तीर्ण होने के बाद के कुछ वर्ष उनके लिए बहुत हताशा और गरीबी भरे थे। इस दौरान रामानुजन के पास न कोई नौकरी थी और न ही किसी संस्थान अथवा प्रोफेसर के साथ काम करने का अवसर। इन विपरीत परिस्थितियों में भी रामानुजन ने गणित से सम्बंधित अपना शोध जारी रखा। गणित के ट्यूशन से महीने में कुल पांच रूपये मिलते थे और इसी में गुजारा करना पड़ता था। यह समय उनके लिए बहुत कष्ट और दुःख से भरा था। उन्हें अपने भरण-पोषण और गणित की शिक्षा को जारी रखने के लिए इधर उधर भटकना पड़ा और लोगों से सहायता की मिन्नतें भी करनी पड़ी। इधर रामानुजन बेरोजगारी और गरीबी से जूझ ही रहे थे कि उनकी माता ने इनका विवाह जानकी नामक कन्या से कर दिया। आर्थिक तंगी और पत्नी की बढ़ी जिम्मेदारी को पूरा करने के लिए वे नौकरी की तलाश में मद्रास चले गए। चूँकि उन्होंने बारहवीं की परीक्षा उत्तीर्ण नहीं की थी इसलिए इन्हें नौकरी नहीं मिल पा रही थी और इसी बीच उनका स्वास्थ्य भी बुरी तरह खराब हो गया जिसके कारण वापस कुंभकोणम लौटना पड़ा। स्वास्थ्य ठीक होने के बाद वे दोबारा मद्रास गए और कुछ संघर्षों के बाद वहां के डिप्टी कलेक्टर श्री वी. रामास्वामी अय्यर से मिले जो गणित के बड़े विद्वान थे। अय्यर ने उनकी दुर्लभ प्रतिभा को पहचाना और अपने जिलाधिकारी रामचंद्र राव से कह कर इनके लिए 25 रूपये मासिक छात्रवृत्ति का प्रबंध करा दिया। 25 रूपये की इस छात्रवृत्ति पर रामानुजन ने मद्रास में एक साल रहते हुए अपना प्रथम शोधपत्र “जर्नल ऑफ इंडियन मैथेमेटिकल सोसाइटी” में प्रकाशित किया। इसका शीर्षक था “बरनौली संख्याओं के कुछ गुण”। राव की सहायता से उन्होंने मद्रास पोर्ट ट्रस्ट में क्लर्क की नौकरी कर ली। इस नौकरी में उन्हें गणित के लिए पर्याप्त समय मिल जाता था।

essay in english

आप ये जानकारी हिंदी, इंग्लिश, मराठी, बांग्ला, गुजराती, तमिल, तेलगु, आदि की जानकारी देंगे जिसे आप अपने स्कूल के निबंध प्रतियोगिता, कार्यक्रम या निबंध प्रतियोगिता में प्रयोग कर सकते है| ये निबंध कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए दिए गए है|

Srinivasa Ramanujan, (born December 22, 1887, Erode, India—died April 26, 1920, Kumbakonam), Indian mathematician whose contributions to the theory of numbers include pioneering discoveries of the properties of the partition function. When he was 15 years old, he obtained a copy of George Shoobridge Carr’s Synopsis of Elementary Results in Pure and Applied Mathematics, 2 vol. (1880–86). This collection of thousands of theorems, many presented with only the briefest of proofs and with no material newer than 1860, aroused his genius. Having verified the results in Carr’s book, Ramanujan went beyond it, developing his own theorems and ideas. In 1903 he secured a scholarship to the University of Madras but lost it the following year because he neglected all other studies in pursuit of mathematics. Ramanujan continued his work, without employment and living in the poorest circumstances. After marrying in 1909 he began a search for permanent employment that culminated in an interview with a government official, Ramachandra Rao. Impressed by Ramanujan’s mathematical prowess, Rao supported his research for a time, but Ramanujan, unwilling to exist on charity, obtained a clerical post with the Madras Port Trust. In 1911 Ramanujan published the first of his papers in the Journal of the Indian Mathematical Society. His genius slowly gained recognition, and in 1913 he began a correspondence with the British mathematician Godfrey H. Hardy that led to a special scholarship from the University of Madras and a grant from Trinity College, Cambridge. Overcoming his religious objections, Ramanujan traveled to England in 1914, where Hardy tutored him and collaborated with him in some research. Ramanujan’s knowledge of mathematics (most of which he had worked out for himself) was startling. Although he was almost completely unaware of modern developments in mathematics, his mastery of continued fractions was unequaled by any living mathematician. He worked out the Riemann series, the elliptic integrals, hypergeometric series, the functional equations of the zeta function, and his own theory of divergent series. On the other hand, he knew nothing of doubly periodic functions, the classical theory of quadratic forms, or Cauchy’s theorem, and he had only the most nebulous idea of what constitutes a mathematical proof. Though brilliant, many of his theorems on the theory of prime numbers were wrong. In England Ramanujan made further advances, especially in the partition of numbers (the number of ways that a positive integer can be expressed as the sum of positive integers; e.g., 4 can be expressed as 4, 3 + 1, 2 + 2, 2 + 1 + 1, and 1 + 1 + 1 + 1). His papers were published in English and European journals, and in 1918 he was elected to the Royal Society of London. In 1917 Ramanujan had contracted tuberculosis, but his condition improved sufficiently for him to return to India in 1919. He died the following year, generally unknown to the world at large but recognized by mathematicians as a phenomenal genius, without peer since Leonhard Euler (1707–83) and Carl Jacobi (1804–51). Ramanujan left behind three notebooks and a sheaf of pages (also called the “lost notebook”) containing many unpublished results that mathematicians continued to verify long after his death.

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ஸ்ரீனிவாச ராமானுஜன் (இந்தியாவின் ஈரோடு, டிசம்பர் 22, 1887, இறந்தார் ஏப்ரல் 26, 1920, கும்பகோணம்) இந்திய கணிதவியலாளர்கள் எண்களின் கோட்பாட்டின் பங்களிப்பாளர்களாக உள்ளனர். அவர் 15 வயதாக இருந்தபோது, ​​ஜார்ஜ் ஷோவிரிட்ஜ் கார் இன் சஸ்பொபிஸ் ஆஃப் எலிமெண்டரி எஃபெக்ட்ஸ் இன் தூய அண்ட் அப்ளைடு கணிதத்தில், 2 தொகுதி. (1880-86). ஆயிரக்கணக்கான கோட்பாடுகளின் தொகுப்புகள், 1860 க்கும் மேலாக எந்தவொரு புதிய ஆதாரமும் இல்லாமல், அவற்றின் பலத்தை மட்டுமே அளித்த பலர் அவருடைய மேதைமையை தூண்டிவிட்டனர். காரியின் புத்தகத்தில் முடிவுகளை சரிபார்த்து, ராமானுஜன் அதைத் தாண்டி சென்று தனது சொந்த கோட்பாடுகளையும் கருத்துக்களையும் வளர்த்துக் கொண்டார். 1903 ஆம் ஆண்டில் அவர் மெட்ராஸ் பல்கலைக் கழகத்தில் ஸ்காலர்ஷிப்பைப் பெற்றார், ஆனால் அடுத்த ஆண்டு அதை கணிதத்தில் முனைப்புடன் நடத்தினார். ராமானுஜன் தனது வேலையைத் தொடர்ந்தார், வேலை இல்லாமல், மிக மோசமான சூழ்நிலைகளில் வாழ்ந்தார். 1909-ல் திருமணம் செய்துகொண்ட பிறகு, நிரந்தர வேலைவாய்ப்புக்காகத் தேட ஆரம்பித்தார், அது அரசாங்க அதிகாரி ராமச்சந்திர ராவுடன் ஒரு பேட்டியில் முடிந்தது. ராமானுஜன் கணித ரீதியிலான ஆர்வத்தால் ஈர்க்கப்பட்டார், ராவ் தனது ஆராய்ச்சியை ஒரு காலத்திற்கு ஆதரித்தார், ஆனால் ராமானுஜன், அறநெறிக்கு விருப்பமில்லாததால், சென்னை துறைமுக அறக்கட்டளைக்கு ஒரு மதகுரு பதவியைப் பெற்றார். 1911 இல் ராமானுஜன் இந்திய கணிதவியல் சங்கத்தின் ஜர்னலில் தனது ஆவணங்களில் முதன்முதலில் வெளியிட்டார். அவரது மேதையானது மெதுவாக அங்கீகாரம் பெற்றது, 1913 ஆம் ஆண்டில் அவர் பிரிட்டிஷ் கணிதவியலாளரான கோட்ஃபிரே ஹெர்டி உடன் ஒரு கடிதத்தைத் தொடங்கினார், அது மெட்ராஸ் பல்கலைக் கழகத்திலிருந்து சிறப்பு புலமைப்பரிசில் வழிவகுத்தது மற்றும் கேம்பிரிட்ஜ் டிரினிட்டி கல்லூரியில் இருந்து வழங்கப்பட்டது. அவரது மத எதிர்ப்புகளை மீறி, ராமானுஜன் 1914 இல் இங்கிலாந்திற்குப் பயணம் செய்தார், அங்கு ஹார்டி அவரை வழிநடத்தியார் மற்றும் சில ஆராய்ச்சிகளில் அவருடன் இணைந்து பணியாற்றினார். ராமானுஜன் கணித அறிவைப் பற்றி அறிந்திருந்தார் (அவற்றில் பெரும்பாலானவை அவர் தனக்காக வேலை செய்திருந்தன) திடுக்கிடும். அவர் கணிதத்தில் நவீன வளர்ச்சிகளை பற்றி முழுமையாக அறியவில்லை என்றாலும், எந்த கணிதவியலாளரும் தொடர்ந்து கூறுபாடுகளில் தேர்ச்சி பெற்றார். ரிமேன் தொடர், நீள்வட்ட ஒருங்கிணைப்பு, ஹைபர்ஜெக்ட்ரிக் தொடர், ஜெட்டா செயல்பாட்டின் செயல்பாட்டு சமன்பாடுகள், மற்றும் அவரது சொந்த தியரம் வேறுபட்ட தொடர் ஆகியவற்றை அவர் உருவாக்கினார். மறுபுறம், இரட்டையர் கால இடைவெளிகளையோ, இருபடி வடிவங்களின் பாரம்பரிய கோட்பாட்டையோ, அல்லது கோச்சியின் தேற்றம் பற்றியோ எதுவும் அவருக்குத் தெரியாது, மேலும் அவர் கணித ஆதாரங்களைக் கொண்டிருப்பது மிக அபூர்வமான கருத்தைத்தான் கொண்டிருந்தார். புத்திசாலித்தனமாக இருந்த போதினும், பிரதான எண்களின் கோட்பாட்டின் பல கோட்பாடுகள் தவறானவை. இங்கிலாந்தில் ராமானுஜன் மேலும் முன்னேற்றங்களைச் செய்தார், குறிப்பாக எண்களின் பகிர்வில் (நேர்மறை முழுமையாய் நேர்மறையான முழு எண்ணாக வெளிப்படுத்தக்கூடிய வழிகளின் எண்ணிக்கை, எ.கா 4, 4, 3 + 1, 2 + 2, 2 + 1 + 1 மற்றும் 1 + 1 + 1 + 1). அவருடைய தாள்கள் ஆங்கில மற்றும் ஐரோப்பிய இதழ்களில் வெளியிடப்பட்டன, மேலும் 1918 ஆம் ஆண்டில் லண்டனின் ராயல் சொசைட்டிக்கு தேர்ந்தெடுக்கப்பட்டார். 1917 ஆம் ஆண்டில் ராமானுஜன் காசநோய் தொடர்பாக ஒப்பந்தம் செய்தார். ஆனால் அவரது நிலை 1919 ல் இந்தியாவிற்குத் திரும்புவதற்கு அவருக்கு போதுமான அளவு முன்னேற்றம் கண்டது. அடுத்த ஆண்டு அவர் இறந்துவிட்டார், பொதுவாக கணிதவியலாளர்களால் தனிமனிதராக அறியப்பட்டவர், லியனார்ட் யூலர் (1707) -83) மற்றும் கார்ல் ஜாகோபி (1804-51). ராமானுஜன் மூன்று குறிப்பேடுகள் மற்றும் பக்கங்களின் ஒரு கூரையை (“இழந்த நோட்புக்” என்றும் அழைக்கப்படுகிறார்) கணிதவியலாளர்கள் அவரது மரணத்திற்குப் பிறகு நீண்ட காலத்திற்குத் தொடர்ந்து சரிபார்க்கப்பட்ட பல வெளியிடப்படாத முடிவுகளைக் கொண்டிருந்தனர்.

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10 मोटिवेशनल किताबें जो आपको ज़रूर पढ़नी चाहिएं

महान गणितज्ञ आर्यभट्ट.

Last Updated: April 5, 2017 By Gopal Mishra 11 Comments

भारत के इतिहास में जिसे ‘गुप्त काल’ या ‘सुवर्ण युग’ के नाम से जाना जाता है, उस समय भारत ने साहित्य, कला और विज्ञान क्षेत्रों में अभूतपूर्व प्रगति की। प्राचीन काल में भारतीय गणित और ज्योतिष शास्त्र अत्यंत उन्नत था। गुप्त काल में ही महान गणितज्ञ आर्यभट्ट का जन्म माना जाता है। भारत को विश्व में चमकाने वाले अनमोल नक्षत्र आर्यभट्ट ने वैज्ञानिक उन्नति में योगदान ही नहीं बल्कि इस क्षेत्र में चार चाँद लगाया। ‘ आर्यभट्टीय’ नामक ग्रंथ की रचना करके, उन्होंने भारत को विश्व में गौरवान्वित किया। आर्यभट्ट द्वारा की गई जीरो की खोज ने समस्त विश्व को नई दिशा दी।

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उस समय मगध विश्वविद्यालय विद्या का केन्द्र था। यहाँ पर खगोल शास्त्र के अध्ययन के लिये एक अलग विभाग था और बौद्ध धर्म विख्यात था। उस दौरान जैन धर्म भी अपने चरम पर था। लेकिन आर्यभट्ट के श्लोकों से लगता है कि वे इन धर्मो का अनुसरण नहीं करते थे । प्राचीन कृतियों के रचनाकारों की तरह वे अपने श्लोकों के प्रारंभ में इष्ट देव की स्तुति करते और माना जाता है कि ब्रह्मा के वरदान से ही उन्होंने सम्पूर्ण ज्ञान आदि प्राप्त किया था। हालांकि भारत में खगोल शास्त्र का जन्म आर्यभट्ट से पहले सदियों पूर्व हो चुका था। यहाँ पर पंचांग के नियम नक्षत्र विभाजन आदि ईसा के जन्म से 13-14 शताब्दी पूर्व ही बनाये जा चुके थे। वेदों में भी खगोल विद्या का विवरण मिलता है। किन्तु आर्यभट्ट के समय खगोल शास्त्र की स्थिति खास अच्छी नहीं थी। उस समय प्रचलित पितामह सिद्धान्त, सौर्य सिद्धान्त, वशिष्ठ सिद्धान्त रोमक सिद्धान्त और पॉली सिद्धान्त पुराने हो चुके थे। इनसे गणित के सिद्धान्त हल नहीं हो रहे थे। ग्रहण की स्थिति की सही जानकारी नहीं मिल पा रही थी, जिससे लोगों का विश्वास भारतीय ज्योतिष  से उठने लगा था। आर्यभट्ट ने, उसमें मौजूद त्रुटियों को दूर करके उसे नवीन तथा प्रभावी रूप प्रदान किया। गुप्त काल के महान गणितज्ञ और खगोल शास्त्री आर्य भट्ट ने तीन ग्रन्थ लिखे थे। दश गितिका, आर्यभट्टियम तथा तन्त्र। आर्यभट्ट का मानना था कि, रचना महान होती है रचनाकार नहीं।

अद्भुत प्रतिभा के धनी आर्यभट्ट ने अनेक कठिन प्रश्नों के उत्तर को एक श्लोक में समाहित कर दिया है, गणित के पाँच नियम एक ही श्लोक में प्रस्तुत करने वाले आर्यभट्ट ऐसे प्रथम नक्षत्र वैज्ञानिक थे, जिन्होंने यह बताया कि पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमती हुई सूर्य के चक्कर लगाती है। इन्होंने सूर्यग्रहण एवं चन्द्र ग्रहण होने वास्तविक कारण पर प्रकाश डाला। आर्यभट्ट को यह भी पता था कि चन्द्रमा और दूसरे ग्रह स्वयं प्रकाशमान नहीं हैं, बल्कि सूर्य की किरणें उसमें प्रतिबिंबित होती हैं।

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23 वर्ष की आयु में आर्यभट्ट ने ‘आर्यभट्टीय ग्रंथ’ लिखा था, जिससे प्रभावित होकर राजा बुद्ध गुप्त ने आर्यभट्ट को नालन्दा विश्वविद्यालय का प्रमुख बना दिया। उनके सम्मान में भारत के प्रथम उपग्रह का नाम आर्यभट्ट  रखा गया था। 16वीं सदी तक के सभी गुरुकुल में आर्यभट्ट के श्लोक पढाये जाते थे। आर्यभट्ट ने ही सबसे पहले  ‘पाई’ (pi) की वैल्यू और ‘साइन’ (SINE) के बारे में बताया। गणित के जटिल प्रश्नों को सरलता से हल करने के लिए उन्होंने ही समीकरणों का आविष्कार किया, जो पूरे विश्व में प्रख्यात हुआ। एक के बाद ग्यारह शून्य जैसी संख्याओं को बोलने के लिए उन्होंने नई पद्धति का आविष्कार किया। बीज गणित  में भी उन्होंने कई महत्वपूर्ण संशोधन किए और गणित ज्योतिष का ‘आर्य सिद्धांत’ प्रचलित किया।

भारत के पहले गणितज्ञ और खगोल शास्त्री आर्यभट्ट को सम्मान देते हुए 2012 को गणित वर्ष मनाया गया था। शिकागो से जारी वैज्ञानिकों की रिपोर्ट में आर्यभट्ट का नाम भी पूरे सम्मान से स्थापित किया गया है। आर्यभट्ट एक महान व्यक्ति थे, जिन्होंने गणित विषय का गहराई से अध्ययन और विश्लेषण किया। दुनिया को महानतम खोज देने वाले भारत के इस महान गणितज्ञ को हम हम शत शत नमन करते हैं।

अनिता शर्मा

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October 22, 2017 at 9:35 pm

दोस्तों प्रतिदिन इस तरह बताओ कि आपका दिन बेकार हो जाए और यह जो इस स्कॉलर ाबैठाया जा रहा है सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में इसे रोकने का प्रयास करो ताकि अच्छे स्टूडेंट अपने देश का भविष्य बने

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Srinivasa Ramanujan Quotes in Hindi: महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन के विचार, जो आपको करेंगे प्रेरित

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  • Updated on  
  • अप्रैल 26, 2024

Srinivasa Ramanujan Quotes in Hindi

भारत एक ऐसा राष्ट्र है जो ज्ञान-विज्ञान का खजाना रहा है, भारत एक ऐसा राष्ट्र है जिसने संसार को ज्ञान का सूर्य दिखाया है। हमारी इस महान मातृभूमि में कई ऐसे विद्वानों ने जन्म लिया है, जिनके अथक प्रयासों और ज्ञान ने विश्व को सद्मार्ग दिखाने का कार्य किया। ऐसे ही महान विद्वानों में से एक श्रीनिवास रामानुजन भी थे, जिनके गणित विषय के ज्ञान और उनकी खोजों ने विश्व की रूचि गणित विषय के प्रति रखी। विद्यार्थी जीवन में विद्यार्थियों को महान गणितज्ञों में से एक श्रीनिवास रामानुजन के विचारों को अवश्य पढ़ना चाहिए। इस ब्लॉग के माध्यम से आपको Srinivasa Ramanujan Quotes in Hindi को पढ़ने का अवसर प्राप्त होगा। श्रीनिवास रामानुजन के अनमोल विचार विश्व को ज्ञान के प्रकाश से प्रकाशित करेंगे, श्रीनिवास रामानुजन के अनमोल विचार पढ़ने के लिए आपको इस ब्लॉग को अंत तक पढ़ना पड़ेगा।

This Blog Includes:

श्रीनिवास रामानुजन का संक्षिप्त जीवन परिचय, top 10 srinivasa ramanujan quotes in hindi – श्रीनिवास रामानुजन कोट्स इन हिंदी, ramanujan thoughts in hindi, maths motivational quotes in hindi, srinivasa ramanujan quotes in english.

Srinivasa Ramanujan Quotes in Hindi पढ़ने से पहले आपको भारत के महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन का जीवन परिचय अवश्य पढ़ लेना चाहिए। श्रीनिवास रामानुजन का जन्म 22 दिसंबर 1887 को तमिलनाडु के कोयंबतूर जिले के इरोड नामक गांव में, एक साधारण से ब्राह्मण परिवार में हुआ। श्रीनिवास इयंगर और कोमल तम्मल की विलक्षण बुद्धि वाली इस संतान ने मात्र 33 वर्ष की आयु में ऐसे कर्म किए कि पूरा संसार उनको और उनके राष्ट्र को सम्मानजनक दृष्टि से देखने लगा।

श्रीनिवास रामानुजन ने मात्र 13 साल की आयु में एस.एल. लोनी द्वारा लिखित पुस्तक “एडवांस ट्रिगनोमेट्री” के मास्टर बन चुके थे, साथ ही उन्होंने बहुत सारी प्रमेय यानि कि थियोरम बनाई। फिर 17 साल की आयु में उन्होंने बर्नोली नम्बरों की जाँच की और दशमलव के 15 अंको तक ओएलर (Euler) कांस्टेंट की वैल्यू खोज की थी।

वर्ष 1918 में उन्होंने 31 साल की उम्र तक गणित के 120 सूत्र लिखे, साथ ही अपनी रिसर्च को अंग्रेजी प्रोफ़ेसर जी.एच. हार्डी के पास भेजा। गणित में अपने जीवन को खपा देने वाले महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन का टीबी की बीमारी के चलते वर्ष 26 अप्रैल 1920 को मात्र 33 साल की उम्र में निधन हो गया।

टॉप 10 Srinivasa Ramanujan Quotes in Hindi निम्नवत हैं, जो आपका मार्गदर्शन करेंगे-

गणित एक भाषा है।

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मेरे लिए एक समीकरण का कोई मतलब नहीं है, जब तक कि यह भगवान के बारे में एक विचार व्यक्त नहीं करता है।

गणित के बिना, आप कुछ भी नहीं कर सकते। आपके आसपास सब कुछ गणित है। आपके आस-पास सब कुछ नंबर है।

जैसे मोरों में शिखा और नागों में मणि का स्थान सबसे ऊपर हैं , वैसे ही वेदांग और शास्त्रों में गणित का स्थान सबसे ऊपर है।

बहुत प्रलाप करने से क्या लाभ हैं ? इस चराचर जगत में जो कोई भी वस्तु है वह गणित के बिना नहीं है, उसको गणित के बिना समझा नहीं जा सकता।

अपने दिमाग को सुरक्षित रखने के लिए मुझे भोजन चाहिए और अब यह मेरा पहला विचार है। आप का कोई भी सहानुभूतिपूर्ण पत्र यहाँ छात्रवृत्ति प्राप्त करने में मेरे लिए सहायक होगा।

अगर मैं फिर से अपनी पढ़ाई शुरू कर रहा था, तो मैं प्लेटो की सलाह का पालन करूँगा और गणित से शुरू करूँगा।

ज्यामिति की रेखाओं और चित्रों में हम वे अक्षर सीखतें हैं, जिनसे यह संसार रूपी महान पुस्तक लिखी गयी है।

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मेरी गणित में दिलचस्पी केवल एक रचनात्मक कला के रूप में है।

गणित एक ऐसा उपकरण है जिसकी शक्ति अतुल्य है और जिसका उपयोग सर्वत्र है।

श्रीनिवास रामानुजन के विचार विद्यार्थियों को हमेशा ही एक नई दिशा दिखाने का कार्य तो करेंगे ही, साथ ही शिक्षा के महत्व के बारे में छात्रों को समझाएंगे। विद्यार्थियों के लिए Ramanujan Thoughts in Hindi कुछ इस प्रकार हैं-

गणित की आजादी में ही इसका सार है।

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गणित संख्याओं, समीकरणों, एल्गोरिथ्म की गणना के बारे में नहीं है यह समझ के बारे में है।

मैंने हमेशा गणित का आनंद लिया है। यह किसी भी विचार को व्यक्त करने का सबसे सटीक और संक्षिप्त तरीका है।

ज्यामिति की रेखाओं और चित्रों में, हम उन अक्षरों को सीखते हैं जिनसे दुनिया की यह महान पुस्तक लिखी गई है।

गणित के मानकों से भी पांडुलिपि अव्यवस्थित दिखती है।

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इस ब्लॉग के माध्यम से आपको श्रीनिवास रामानुजन के सामाजिक विचारों के बारे में पढ़ने को मिल जाएगा, जो कि निम्नलिखित हैं-

लोटरी को मैं गणित न जानने वालों के ऊपर एक कर की भांति देखता हूँ।

गणित कोई वर्ण या भौगोलिक सीमा नहीं जानता है। गणित के लिए, सांस्कृतिक दुनिया केवल एक देश है।

गणित में खोज करना ही मेरे लिए ईश्वर की खोज करने के समान है।

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मैंने हमेशा गणित का आनंद लिया है यह किसी भी बिचार को व्यक्त करने का सबसे सटीक और संछिप्त तरीका है।

गणित संख्या समीकरणों एल्गोरिथम के बारे में नहीं है यह तो समझ के बारे में है।

इस ब्लॉग में आपको Srinivasa Ramanujan Quotes in English भी पढ़ने को मिल जाएंगे, जो कि निम्नलिखित हैं-

Mathematics is a language.

The essence of mathematics lies in its freedom.

I’ve always enjoyed mathematics. It is the most precise and concise way of expressing any idea.

Without mathematics, there’s nothing you can do. Everything around you is mathematics. Everything around you is numbers.

An equation for me has no meaning, unless it expresses a thought of God.

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To preserve my brain I want food and this is now my first consideration. Any sympathetic letter from you will be helpful to me here to get a scholarship.

If I were again beginning my studies, I would follow the advice of Plato and start with mathematics.

In the lines and pictures of geometry, we learn the letters from which this great book of the world has been written.

Just as Shikha among peacocks and Mani are at the top of Nagas, in the same way Vedang and Shastras are at the top of mathematics.

What are the benefits of doing a lot of babbling? Whatever is in this pasture world is not without mathematics / it cannot be understood without mathematics.

आशा है कि Srinivasa Ramanujan Quotes in Hindi के माध्यम से आपको श्रीनिवास रामानुजन के विचारों को पढ़ने का अवसर प्राप्त होगा, जो कि आपको सदा प्रेरित करेंगे। इसी प्रकार के कोट्स पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट Leverage Edu के साथ बने रहें।

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मयंक विश्नोई

जन्मभूमि: देवभूमि उत्तराखंड। पहचान: भारतीय लेखक । प्रकाश परिवर्तन का, संस्कार समर्पण का। -✍🏻मयंक विश्नोई

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गणित दिवस पर निबंध एवं भाषण | Speech & Essay on National Mathematics Day in Hindi

Ramanujan-Speech-Essay-on--Mathematics-Day-in-Hindi

राष्ट्रीय गणित दिवस पर निबंध व भाषण (मैथमेटिक्स डे पर निबंध कैसे लिखे) गणित दिवस कब है और गणित दिवस क्यों मनाया जाता है गणित दिवस, रामानुजन पर निबंध हिंदी में (Speech and Essay on National Mathematics Day in Hindi, Essay on srinivasa ramanujan hindi)

22 दिसंबर को हर साल भारत में राष्ट्रीय गणित दिवस (National Mathematics Day) मनाया जाता है। 22 दिसंबर के दिन ही भारत के महान आधुनिक गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन पैदा हुए थे जिन्हें आधुनिक काल के महानतम गणितज्ञों में गिना जाता है।

यही कारण है कि National Mathematics Day के अवसर पर 22 दिसंबर को भारत में विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक और शिक्षा से जुड़े हुए कार्यक्रम आयोजित किए जाते है। इन कार्यक्रमों के जरिए भारत वासियों को भारत के महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन के जीवन और गणित में उनके योगदानों  के बारे में बताया जाता है और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है।

वैसे तो भारत में कई महान गणितज्ञ पैदा हुए हैं लेकिन श्रीनिवास रामानुजन को आर्यभट्ट के बाद भारत का सबसे महान गणितज्ञ माना जाता है जिन्होंने बिना किसी विशेष डिग्री के खुद से ही गणित का अध्ययन किया और 12वीं फेल होने के बावजूद भी गणित का जादूगर बन गए।

तो चलिए आज आपको इस आर्टिकल के जरिए राष्ट्रीय गणित दिवस के इतिहास (Hindi Essay on National Mathematics Day in Hindi) के बारे में बताते हैं।

विषय–सूची

राष्ट्रीय गणित दिवस पर निबंध एवं भाषण (Speech & Essay on National Mathematics Day in hindi)

राष्ट्रीय गणित दिवस भारत के द्वारा मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण दिवस है इस दिवस के माध्यम से हम महान गणितज्ञ श्रीनिवास अयंगर को हम लोग श्रद्धांजलि अर्पित कर उनको सम्मान देने का काम करते हैंI

गणित के क्षेत्र में उनका योगदान अतुलनीय है उनके द्वारा गणित के क्षेत्र में बनाए गए अनंत श्रृंखला, संख्या सिद्धांत, गणितीय विश्लेषण इत्यादि का अध्ययन मैथमेटिक्स की पढ़ाई करने वाले प्रत्येक छात्र को करना पड़ता हैI क्योंकि इसके माध्यम से ही आप मैथमेटिक्स का कोर्स पूरा कर पाएंगे यही वजह है कि 2012 में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने उनकी 125वीं वर्षगांठ के उपलक्ष में गणित दिवस मनाने की घोषणा की कि भारत में आपसे 22 दिसंबर राष्ट्रीय गणित दिवस के रूप में मनाया जाएगा और तब से ही राष्ट्रीय गणित दिवस मनाने की परंपरा शुरू हुई जो आज तक कायम है आने वाले भविष्य में भी कायम रहेगीI

Ramanujan-Speech-Essay on National Mathematics Day in Hindi

राष्ट्रीय गणित दिवस का संक्षिप्त विवरण (Essay on National Mathematics Day in hindi)

राष्ट्रीय गणित दिवस कब और क्यों मनाया जाता हैं (National Mathematics Day Kab Manaya Jata Hai)

राष्ट्रीय गणित दिवस 22 दिसंबर 2022 को भारत में उत्साह पूर्वक मनाया जाएगा इस दिन भारत के स्कूल और कॉलेजों में विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे जिसमें छात्रों को महान गणितज्ञ श्रीनिवास अयंगर रामानुजन जीवन के बारे में व्यापक जानकारी दी जाएगी उन्होंने गणित के क्षेत्र में क्या-क्या चीजें अविष्कार किया थाI

छात्र उनके जीवन से प्रेरणा लेकर गणित के क्षेत्र में अपना करियर बना कर देश के विकास में अपनी भागीदारी को ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा के साथ निर्वाह कर सकें गणित के क्षेत्र में श्रीनिवासन अयंगर राम अर्जुन का योगदान रहा उन्होंने गणित के ऐसे-ऐसे फामूर्लो की खोज की जिनका प्रयोग आज के आधुनिक युग में जटिल से जटिल गणनाओं की पहेली सुलझाने में किया जा रहा है।

राष्ट्रीय गणित दिवस के उद्देश्य (National Mathematics Day Aim)

राष्ट्रीय गणित दिवस का प्रमुख उद्देश्य लोगों के मन में मैथमेटिक्स के डर को दूर करना है जैसा कि आप लोग जानते हैं कि मैथमेटिक्स से कई लोग घबराते हैं क्योंकि मैथमेटिक्स में ऐसे नियम और सिद्धांत होते हैं जिसे समझ पाना सभी व्यक्ति के लिए संभव नहीं है राष्ट्रीय गणित दिवस के माध्यम से लोगों को मैथ के क्षेत्र में रुचि हो सके उसके लिए प्रोत्साहित करना राष्ट्रीय गणित दिवस का प्रमुख उद्देश्य है इसके अलावा मैथमेटिक्स का हमारे जीवन के साथ गहरा संबंध है क्योंकि दैनिक दिनचर्या में हम सभी लोग मैथमेटिक्स का इस्तेमाल करते हैं तभी जाकर हमारा जीवन सुचारू रूप से संचालित होता हैI

गणित दिवस के अवसर पर निबंध एवं रामानुजन जीवन से जुड़ी खास व रोचक बातें (Facts about Srinivasa Ramanujan in hindi)

  • रामानुजन का जन्म 22 दिसंबर 1887 के दिन 400 किलोमीटर दूर ईरोड नगर, मद्रास में हुआ था।
  • वह छोटी सी उम्र से ही अपने साथी दोस्तों को गणित की शिक्षा देते थे। उन्होंने सातवी कक्षा में ही बीए के छात्रों को गणित पढ़ाते थे।
  • वह दिन रात गणित के फामूलों बनाने में लगा देते थे।
  • उन्होंने अपने छोटे से जीवनकाल में गणित के 3000 से भी अधिक प्रेमेंयों का संकलन किया
  • रामानुजन ट्रिनीटी कॉलेज के फिलास्फर बनने वाले पहले भारतीय व्यक्ति थे।
  • 1913 में उन्होंने अपने सारे गणित के फामूर्लो को कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और गणिज्ञ जी.एच. हार्डी को भेज दिये।
  • उनकी चिट्ठी में ऐसे-ऐसे फामूर्ले लिखे हुये थे जिसे देखकर हार्डीं दंग रह गये थे।
  • 1918 में रामानुजन को कैम्ब्रिज फिलॉस्फिीकल सोसाइटी, रॉयल सोसाइटी तथा ट्रिनीटी कॉलेज का फेलो व सदस्य चुना गया। यह सम्मान पाने वाले वह पहले गणिज्ञ थे।
  • उन्होंने 1919 में मॉक थिटा की खोज उनके द्वारा की गई थी जिसका इस्तेमाल ब्लैक हॉल की पहली सुलझाई गई थी।
  • रामानुजन ने अनंत की श्रृंखला दिखाने के लिये 17 अलग-अलग फार्मूले लिखे थे।
  • रामानुजन की मृत्यु सन को टीवी के कारण हुई थी लेकिन जब उनकी तबीतयन ठीक नहीं थी तब भी वह पेट के बल गणित के फार्मूलों को लिखा करते थे।
  • उन्होंने अपनी मृत्यु से पहले तीन नोटबुक में लिखे गणित के हजारों फार्मूले जो कि ट्रिनीटी कॉलेज के ग्रंथालय में पहुंच गई। इंटरनेशनल सेंटर फॉर थियोरिकल फिजिक्स द्वारा 2005 में रामानुजन पुरस्कार देने की शुरूआत की गई। इस प्रतिष्ठित पुरस्कार को विभिन्न देशों के प्रतिभाशाली 45 वर्ष से कम आयु के युवाओं को गणित के क्षेत्र में कार्य करने वालों दिया जाता है।

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राष्ट्रीय गणित दिवस पर भाषण (Speech & Essay on National Mathematics Day in Hindi)

मेरे प्यारे सहपाठियों और माननीय शिक्षक और प्रधानाचार्य आप सभी को राष्ट्रीय गणित दिवस की हार्दिक शुभकामनाए।

मेरा सौभाग्य है कि मुझे आप लोगों ने श्रीनिवासन अयंगर रामानुजन जैसे महान व्यक्तित्व वाले व्यक्ति के जीवन के ऊपर अपना भाषण प्रस्तुत करने का अवसर दिया जैसा कि आप लोग जानते हैं। 

आपको बता दूं कि भारत में राष्ट्रीय गणित दिवस श्रीनिवास रामानुजन जैसे महान गणितज्ञ के जन्मदिन के उपलक्ष में मनाया जाता है। गणित के क्षेत्र में उनका योगदान कभी नहीं भुलाया जा सकता। उन्होंने अपने जीवन में गणित का प्रचार प्रसार पूरी दुनियां में किया और 3000 से अधिक गणितीय प्रेमियों का संकलन भी किया।

उनका जन्म 22 दिसंबर  1887 को मद्रास से 400 किलोमीटर दूर ईरोड नगर में हुआ था। उन्हें बचपन से ही गणित विषय में काफी रुचि थी यही कारण था कि वह पढ़ने के लिए गणित को ज्यादा समय देते थे जबकि दूसरे विषयों पर ध्यान नहीं देते।

इसी के चलते उन्हें 11वीं और 12वीं में फेल भी होना पड़ा था लेकिन उन्होंने अपनी गाड़ी साधना जारी रखी और पूरी दुनिया को दिखा दिया कि अगर इंसान ठान ले तो खुद से कुछ भी सीख सकता है।

श्रीनिवास रामानुजन न केवल भारत के महान गणितज्ञ हैं बल्कि उन्हें दुनिया में आज भी आधुनिक काल के महानतम गणितज्ञ में गिना जाता है। महज 32 साल के छोटे से जीवन में उन्होंने गणित के 3000 से भी अधिक प्रेमेंयों का संकलन किया और गणित पर विश्लेषण के माध्यम से कई सारे सिद्धांत प्रतिपादित किए जिन्हें आज दुनिया भर की स्कूल और यूनिवर्सिटीज में पढ़ाया जाता है।

उनके द्वारा प्रतिपादित गणित सिद्धांत व फार्मूलों का इस्तेमाल ब्लैक हॉल को समझने में किया जाता है। उनके फार्मूलो को शोधकर्ताओं एवं गणिज्ञाें भी नहीं समझ नहीं पाते थे। वह जटिल से जटिल गणित के समीकरणों को चुटकियों में सुलझा लेते थे उनके लिये गणित के फार्मूले बनाना उनकी दिनचर्या का महत्वपूर्ण अंग थे।

श्रीनिवास रामानुजन के इन्हीं योगदान ओं को देखते हुए उनके सम्मान में प्रतिवर्ष 22 दिसंबर को उनका जन्मदिन राष्ट्रीय गणित दिवस के रूप में मनाया जाता है बाकी लोग श्रीनिवास रामानुजन के जीवन और गणित में उनके योगदानों के बारे में जान सके और उनसे प्रेरणा ले सकें।

राष्ट्रीय गणित दिवस कब से मनाया जा रहा है ?

2012 में मनमोहन सिंह जो भारत के पूर्व प्रधानमंत्री थे उन्होंने श्रीनिवास रामानुजन के 125 वर्षगांठ पर इस बात की घोषणा की गई कि आप से भारत में 22 दिसंबर राष्ट्रीय गणित दिवस के रूप में मनाया जाएगाI

राष्ट्रीय गणित दिवस किसकी याद में मनाया जाता है?

श्रीनिवास रामानुजन के याद में राष्ट्रीय गणित दिवस 22 दिसंबर को मनाया जाता हैI

प्रथम राष्ट्रीय गणित दिवस कब मनाया गया?

2012 में तत्कालिन प्रधानमंत्री एवं अर्थशास्त्री डॉ- मनमोहन सिंह जी द्वारा सन 2012 में म मनाने की शुरुआत की गई।

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Hindi Essay (Hindi Nibandh) 100 विषयों पर हिंदी निबंध लेखन

Hindi Essay (Hindi Nibandh) | 100 विषयों पर हिंदी निबंध लेखन – Essays in Hindi on 100 Topics

हिंदी निबंध: हिंदी हमारी राष्ट्रीय भाषा है। हमारे हिंदी भाषा कौशल को सीखना और सुधारना भारत के अधिकांश स्थानों में सेवा करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। स्कूली दिनों से ही हम हिंदी भाषा सीखते थे। कुछ स्कूल और कॉलेज हिंदी के अतिरिक्त बोर्ड और निबंध बोर्ड में निबंध लेखन का आयोजन करते हैं, छात्रों को बोर्ड परीक्षा में हिंदी निबंध लिखने की आवश्यकता होती है।

निबंध – Nibandh In Hindi – Hindi Essay Topics

  • सच्चा धर्म पर निबंध – (True Religion Essay)
  • राष्ट्र निर्माण में युवाओं का योगदान निबंध – (Role Of Youth In Nation Building Essay)
  • अतिवृष्टि पर निबंध – (Flood Essay)
  • राष्ट्र निर्माण में शिक्षक की भूमिका पर निबंध – (Role Of Teacher In Nation Building Essay)
  • नक्सलवाद पर निबंध – (Naxalism In India Essay)
  • साहित्य समाज का दर्पण है हिंदी निबंध – (Literature And Society Essay)
  • नशे की दुष्प्रवृत्ति निबंध – (Drug Abuse Essay)
  • मन के हारे हार है मन के जीते जीत पर निबंध – (It is the Mind which Wins and Defeats Essay)
  • एक राष्ट्र एक कर : जी०एस०टी० ”जी० एस०टी० निबंध – (Gst One Nation One Tax Essay)
  • युवा पर निबंध – (Youth Essay)
  • अक्षय ऊर्जा : सम्भावनाएँ और नीतियाँ निबंध – (Renewable Sources Of Energy Essay)
  • मूल्य-वृदधि की समस्या निबंध – (Price Rise Essay)
  • परहित सरिस धर्म नहिं भाई निबंध – (Philanthropy Essay)
  • पर्वतीय यात्रा पर निबंध – (Parvatiya Yatra Essay)
  • असंतुलित लिंगानुपात निबंध – (Sex Ratio Essay)
  • मनोरंजन के आधुनिक साधन पर निबंध – (Means Of Entertainment Essay)
  • मेट्रो रेल पर निबंध – (Metro Rail Essay)
  • दूरदर्शन पर निबंध – (Importance Of Doordarshan Essay)
  • दूरदर्शन और युवावर्ग पर निबंध – (Doordarshan Essay)
  • बस्ते का बढ़ता बोझ पर निबंध – (Baste Ka Badhta Bojh Essay)
  • महानगरीय जीवन पर निबंध – (Metropolitan Life Essay)
  • दहेज नारी शक्ति का अपमान है पे निबंध – (Dowry Problem Essay)
  • सुरीला राजस्थान निबंध – (Folklore Of Rajasthan Essay)
  • राजस्थान में जल संकट पर निबंध – (Water Scarcity In Rajasthan Essay)
  • खुला शौच मुक्त गाँव पर निबंध – (Khule Me Soch Mukt Gaon Par Essay)
  • रंगीला राजस्थान पर निबंध – (Rangila Rajasthan Essay)
  • राजस्थान के लोकगीत पर निबंध – (Competition Of Rajasthani Folk Essay)
  • मानसिक सुख और सन्तोष निबंध – (Happiness Essay)
  • मेरे जीवन का लक्ष्य पर निबंध नंबर – (My Aim In Life Essay)
  • राजस्थान में पर्यटन पर निबंध – (Tourist Places Of Rajasthan Essay)
  • नर हो न निराश करो मन को पर निबंध – (Nar Ho Na Nirash Karo Man Ko Essay)
  • राजस्थान के प्रमुख लोक देवता पर निबंध – (The Major Folk Deities Of Rajasthan Essay)
  • देशप्रेम पर निबंध – (Patriotism Essay)
  • पढ़ें बेटियाँ, बढ़ें बेटियाँ योजना यूपी में लागू निबंध – (Read Daughters, Grow Daughters Essay)
  • सत्संगति का महत्व पर निबंध – (Satsangati Ka Mahatva Nibandh)
  • सिनेमा और समाज पर निबंध – (Cinema And Society Essay)
  • विपत्ति कसौटी जे कसे ते ही साँचे मीत पर निबंध – (Vipatti Kasauti Je Kase Soi Sache Meet Essay)
  • लड़का लड़की एक समान पर निबंध – (Ladka Ladki Ek Saman Essay)
  • विज्ञापन के प्रभाव – (Paragraph Speech On Vigyapan Ke Prabhav Essay)
  • रेलवे प्लेटफार्म का दृश्य पर निबंध – (Railway Platform Ka Drishya Essay)
  • समाचार-पत्र का महत्त्व पर निबंध – (Importance Of Newspaper Essay)
  • समाचार-पत्रों से लाभ पर निबंध – (Samachar Patr Ke Labh Essay)
  • समाचार पत्र पर निबंध (Newspaper Essay in Hindi)
  • व्यायाम का महत्व निबंध – (Importance Of Exercise Essay)
  • विद्यार्थी जीवन पर निबंध – (Student Life Essay)
  • विद्यार्थी और राजनीति पर निबंध – (Students And Politics Essay)
  • विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध – (Vidyarthi Aur Anushasan Essay)
  • मेरा प्रिय त्यौहार निबंध – (My Favorite Festival Essay)
  • मेरा प्रिय पुस्तक पर निबंध – (My Favourite Book Essay)
  • पुस्तक मेला पर निबंध – (Book Fair Essay)
  • मेरा प्रिय खिलाड़ी निबंध हिंदी में – (My Favorite Player Essay)
  • सर्वधर्म समभाव निबंध – (All Religions Are Equal Essay)
  • शिक्षा में खेलकूद का स्थान निबंध – (Shiksha Mein Khel Ka Mahatva Essay)a
  • खेल का महत्व पर निबंध – (Importance Of Sports Essay)
  • क्रिकेट पर निबंध – (Cricket Essay)
  • ट्वेन्टी-20 क्रिकेट पर निबंध – (T20 Cricket Essay)
  • मेरा प्रिय खेल-क्रिकेट पर निबंध – (My Favorite Game Cricket Essay)
  • पुस्तकालय पर निबंध – (Library Essay)
  • सूचना प्रौद्योगिकी और मानव कल्याण निबंध – (Information Technology Essay)
  • कंप्यूटर और टी.वी. का प्रभाव निबंध – (Computer Aur Tv Essay)
  • कंप्यूटर की उपयोगिता पर निबंध – (Computer Ki Upyogita Essay)
  • कंप्यूटर शिक्षा पर निबंध – (Computer Education Essay)
  • कंप्यूटर के लाभ पर निबंध – (Computer Ke Labh Essay)
  • इंटरनेट पर निबंध – (Internet Essay)
  • विज्ञान: वरदान या अभिशाप पर निबंध – (Science Essay)
  • शिक्षा का गिरता स्तर पर निबंध – (Falling Price Level Of Education Essay)
  • विज्ञान के गुण और दोष पर निबंध – (Advantages And Disadvantages Of Science Essay)
  • विद्यालय में स्वास्थ्य शिक्षा निबंध – (Health Education Essay)
  • विद्यालय का वार्षिकोत्सव पर निबंध – (Anniversary Of The School Essay)
  • विज्ञान के वरदान पर निबंध – (The Gift Of Science Essays)
  • विज्ञान के चमत्कार पर निबंध (Wonder Of Science Essay in Hindi)
  • विकास पथ पर भारत निबंध – (Development Of India Essay)
  • कम्प्यूटर : आधुनिक यन्त्र–पुरुष – (Computer Essay)
  • मोबाइल फोन पर निबंध (Mobile Phone Essay)
  • मेरी अविस्मरणीय यात्रा पर निबंध – (My Unforgettable Trip Essay)
  • मंगल मिशन (मॉम) पर निबंध – (Mars Mission Essay)
  • विज्ञान की अद्भुत खोज कंप्यूटर पर निबंध – (Vigyan Ki Khoj Kampyootar Essay)
  • भारत का उज्जवल भविष्य पर निबंध – (Freedom Is Our Birthright Essay)
  • सारे जहाँ से अच्छा हिंदुस्तान हमारा निबंध इन हिंदी – (Sare Jahan Se Achha Hindustan Hamara Essay)
  • डिजिटल इंडिया पर निबंध (Essay on Digital India)
  • भारतीय संस्कृति पर निबंध – (India Culture Essay)
  • राष्ट्रभाषा हिन्दी निबंध – (National Language Hindi Essay)
  • भारत में जल संकट निबंध – (Water Crisis In India Essay)
  • कौशल विकास योजना पर निबंध – (Skill India Essay)
  • हमारा प्यारा भारत वर्ष पर निबंध – (Mera Pyara Bharat Varsh Essay)
  • अनेकता में एकता : भारत की विशेषता – (Unity In Diversity Essay)
  • महंगाई की समस्या पर निबन्ध – (Problem Of Inflation Essay)
  • महंगाई पर निबंध – (Mehangai Par Nibandh)
  • आरक्षण : देश के लिए वरदान या अभिशाप निबंध – (Reservation System Essay)
  • मेक इन इंडिया पर निबंध (Make In India Essay In Hindi)
  • ग्रामीण समाज की समस्याएं पर निबंध – (Problems Of Rural Society Essay)
  • मेरे सपनों का भारत पर निबंध – (India Of My Dreams Essay)
  • भारतीय राजनीति में जातिवाद पर निबंध – (Caste And Politics In India Essay)
  • भारतीय नारी पर निबंध – (Indian Woman Essay)
  • आधुनिक नारी पर निबंध – (Modern Women Essay)
  • भारतीय समाज में नारी का स्थान निबंध – (Women’s Role In Modern Society Essay)
  • चुनाव पर निबंध – (Election Essay)
  • चुनाव स्थल के दृश्य का वर्णन निबन्ध – (An Election Booth Essay)
  • पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं पर निबंध – (Dependence Essay)
  • परमाणु शक्ति और भारत हिंदी निंबध – (Nuclear Energy Essay)
  • यदि मैं प्रधानमंत्री होता तो हिंदी निबंध – (If I were the Prime Minister Essay)
  • आजादी के 70 साल निबंध – (India ofter 70 Years Of Independence Essay)
  • भारतीय कृषि पर निबंध – (Indian Farmer Essay)
  • संचार के साधन पर निबंध – (Means Of Communication Essay)
  • भारत में दूरसंचार क्रांति हिंदी में निबंध – (Telecom Revolution In India Essay)
  • दूरसंचार में क्रांति निबंध – (Revolution In Telecommunication Essay)
  • राष्ट्रीय एकता का महत्व पर निबंध (Importance Of National Integration)
  • भारत की ऋतुएँ पर निबंध – (Seasons In India Essay)
  • भारत में खेलों का भविष्य पर निबंध – (Future Of Sports Essay)
  • किसी खेल (मैच) का आँखों देखा वर्णन पर निबंध – (Kisi Match Ka Aankhon Dekha Varnan Essay)
  • राजनीति में अपराधीकरण पर निबंध – (Criminalization Of Indian Politics Essay)
  • प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर हिन्दी निबंध – (Narendra Modi Essay)
  • बाल मजदूरी पर निबंध – (Child Labour Essay)
  • भ्रष्टाचार पर निबंध (Corruption Essay in Hindi)
  • महिला सशक्तिकरण पर निबंध – (Women Empowerment Essay)
  • बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर निबंध (Beti Bachao Beti Padhao)
  • गरीबी पर निबंध (Poverty Essay in Hindi)
  • स्वच्छ भारत अभियान पर निबंध (Swachh Bharat Abhiyan Essay)
  • बाल विवाह एक अभिशाप पर निबंध – (Child Marriage Essay)
  • राष्ट्रीय एकीकरण पर निबंध – (Importance of National Integration Essay)
  • आतंकवाद पर निबंध (Terrorism Essay in hindi)
  • सड़क सुरक्षा पर निबंध (Road Safety Essay in Hindi)
  • बढ़ती भौतिकता घटते मानवीय मूल्य पर निबंध – (Increasing Materialism Reducing Human Values Essay)
  • गंगा की सफाई देश की भलाई पर निबंध – (The Good Of The Country: Cleaning The Ganges Essay)
  • सत्संगति पर निबंध – (Satsangati Essay)
  • महिलाओं की समाज में भूमिका पर निबंध – (Women’s Role In Society Today Essay)
  • यातायात के नियम पर निबंध – (Traffic Safety Essay)
  • बेटी बचाओ पर निबंध – (Beti Bachao Essay)
  • सिनेमा या चलचित्र पर निबंध – (Cinema Essay In Hindi)
  • परहित सरिस धरम नहिं भाई पर निबंध – (Parhit Saris Dharam Nahi Bhai Essay)
  • पेड़-पौधे का महत्व निबंध – (The Importance Of Trees Essay)
  • वर्तमान शिक्षा प्रणाली – (Modern Education System Essay)
  • महिला शिक्षा पर निबंध (Women Education Essay In Hindi)
  • महिलाओं की समाज में भूमिका पर निबंध (Women’s Role In Society Essay In Hindi)
  • यदि मैं प्रधानाचार्य होता पर निबंध – (If I Was The Principal Essay)
  • बेरोजगारी पर निबंध (Unemployment Essay)
  • शिक्षित बेरोजगारी की समस्या निबंध – (Problem Of Educated Unemployment Essay)
  • बेरोजगारी समस्या और समाधान पर निबंध – (Unemployment Problem And Solution Essay)
  • दहेज़ प्रथा पर निबंध (Dowry System Essay in Hindi)
  • जनसँख्या पर निबंध – (Population Essay)
  • श्रम का महत्त्व निबंध – (Importance Of Labour Essay)
  • जनसंख्या वृद्धि के दुष्परिणाम पर निबंध – (Problem Of Increasing Population Essay)
  • भ्रष्टाचार : समस्या और निवारण निबंध – (Corruption Problem And Solution Essay)
  • मीडिया और सामाजिक उत्तरदायित्व निबंध – (Social Responsibility Of Media Essay)
  • हमारे जीवन में मोबाइल फोन का महत्व पर निबंध – (Importance Of Mobile Phones Essay In Our Life)
  • विश्व में अत्याधिक जनसंख्या पर निबंध – (Overpopulation in World Essay)
  • भारत में बेरोजगारी की समस्या पर निबंध – (Problem Of Unemployment In India Essay)
  • गणतंत्र दिवस पर निबंध – (Republic Day Essay)
  • भारत के गाँव पर निबंध – (Indian Village Essay)
  • गणतंत्र दिवस परेड पर निबंध – (Republic Day of India Essay)
  • गणतंत्र दिवस के महत्व पर निबंध – (2020 – Republic Day Essay)
  • महात्मा गांधी पर निबंध (Mahatma Gandhi Essay)
  • ए.पी.जे. अब्दुल कलाम पर निबंध – (Dr. A.P.J. Abdul Kalam Essay)
  • परिवार नियोजन पर निबंध – (Family Planning In India Essay)
  • मेरा सच्चा मित्र पर निबंध – (My Best Friend Essay)
  • अनुशासन पर निबंध (Discipline Essay)
  • देश के प्रति मेरे कर्त्तव्य पर निबंध – (My Duty Towards My Country Essay)
  • समय का सदुपयोग पर निबंध – (Samay Ka Sadupyog Essay)
  • नागरिकों के अधिकारों और कर्तव्यों पर निबंध (Rights And Responsibilities Of Citizens Essay In Hindi)
  • ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध – (Global Warming Essay)
  • जल जीवन का आधार निबंध – (Jal Jeevan Ka Aadhar Essay)
  • जल ही जीवन है निबंध – (Water Is Life Essay)
  • प्रदूषण की समस्या और समाधान पर लघु निबंध – (Pollution Problem And Solution Essay)
  • प्रकृति संरक्षण पर निबंध (Conservation of Nature Essay In Hindi)
  • वन जीवन का आधार निबंध – (Forest Essay)
  • पर्यावरण बचाओ पर निबंध (Environment Essay)
  • पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध (Environmental Pollution Essay in Hindi)
  • पर्यावरण सुरक्षा पर निबंध (Environment Protection Essay In Hindi)
  • बढ़ते वाहन घटता जीवन पर निबंध – (Vehicle Pollution Essay)
  • योग पर निबंध (Yoga Essay)
  • मिलावटी खाद्य पदार्थ और स्वास्थ्य पर निबंध – (Adulterated Foods And Health Essay)
  • प्रकृति निबंध – (Nature Essay In Hindi)
  • वर्षा ऋतु पर निबंध – (Rainy Season Essay)
  • वसंत ऋतु पर निबंध – (Spring Season Essay)
  • बरसात का एक दिन पर निबंध – (Barsat Ka Din Essay)
  • अभ्यास का महत्व पर निबंध – (Importance Of Practice Essay)
  • स्वास्थ्य ही धन है पर निबंध – (Health Is Wealth Essay)
  • महाकवि तुलसीदास का जीवन परिचय निबंध – (Tulsidas Essay)
  • मेरा प्रिय कवि निबंध – (My Favourite Poet Essay)
  • मेरी प्रिय पुस्तक पर निबंध – (My Favorite Book Essay)
  • कबीरदास पर निबन्ध – (Kabirdas Essay)

इसलिए, यह जानना और समझना बहुत महत्वपूर्ण है कि विषय के बारे में संक्षिप्त और कुरकुरा लाइनों के साथ एक आदर्श हिंदी निबन्ध कैसे लिखें। साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं। तो, छात्र आसानी से स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए हिंदी में निबन्ध कैसे लिखें, इसकी तैयारी कर सकते हैं। इसके अलावा, आप हिंदी निबंध लेखन की संरचना, हिंदी में एक प्रभावी निबंध लिखने के लिए टिप्स आदि के बारे में कुछ विस्तृत जानकारी भी प्राप्त कर सकते हैं। ठीक है, आइए हिंदी निबन्ध के विवरण में गोता लगाएँ।

हिंदी निबंध लेखन – स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए हिंदी में निबन्ध कैसे लिखें?

प्रभावी निबंध लिखने के लिए उस विषय के बारे में बहुत अभ्यास और गहन ज्ञान की आवश्यकता होती है जिसे आपने निबंध लेखन प्रतियोगिता या बोर्ड परीक्षा के लिए चुना है। छात्रों को वर्तमान में हो रही स्थितियों और हिंदी में निबंध लिखने से पहले विषय के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं के बारे में जानना चाहिए। हिंदी में पावरफुल निबन्ध लिखने के लिए सभी को कुछ प्रमुख नियमों और युक्तियों का पालन करना होगा।

हिंदी निबन्ध लिखने के लिए आप सभी को जो प्राथमिक कदम उठाने चाहिए उनमें से एक सही विषय का चयन करना है। इस स्थिति में आपकी सहायता करने के लिए, हमने सभी प्रकार के हिंदी निबंध विषयों पर शोध किया है और नीचे सूचीबद्ध किया है। एक बार जब हम सही विषय चुन लेते हैं तो विषय के बारे में सभी सामान्य और तथ्यों को एकत्र करते हैं और अपने पाठकों को संलग्न करने के लिए उन्हें अपने निबंध में लिखते हैं।

तथ्य आपके पाठकों को अंत तक आपके निबंध से चिपके रहेंगे। इसलिए, हिंदी में एक निबंध लिखते समय मुख्य बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित करें और किसी प्रतियोगिता या बोर्ड या प्रतिस्पर्धी जैसी परीक्षाओं में अच्छा स्कोर करें। ये हिंदी निबंध विषय पहली कक्षा से 10 वीं कक्षा तक के सभी कक्षा के छात्रों के लिए उपयोगी हैं। तो, उनका सही ढंग से उपयोग करें और हिंदी भाषा में एक परिपूर्ण निबंध बनाएं।

हिंदी भाषा में दीर्घ और लघु निबंध विषयों की सूची

हिंदी निबन्ध विषयों और उदाहरणों की निम्न सूची को विभिन्न श्रेणियों में विभाजित किया गया है जैसे कि प्रौद्योगिकी, पर्यावरण, सामान्य चीजें, अवसर, खेल, खेल, स्कूली शिक्षा, और बहुत कुछ। बस अपने पसंदीदा हिंदी निबंध विषयों पर क्लिक करें और विषय पर निबंध के लघु और लंबे रूपों के साथ विषय के बारे में पूरी जानकारी आसानी से प्राप्त करें।

विषय के बारे में समग्र जानकारी एकत्रित करने के बाद, अपनी लाइनें लागू करने का समय और हिंदी में एक प्रभावी निबन्ध लिखने के लिए। यहाँ प्रचलित सभी विषयों की जाँच करें और किसी भी प्रकार की प्रतियोगिताओं या परीक्षाओं का प्रयास करने से पहले जितना संभव हो उतना अभ्यास करें।

हिंदी निबंधों की संरचना

Hindi Essay Parts

उपरोक्त छवि आपको हिंदी निबन्ध की संरचना के बारे में प्रदर्शित करती है और आपको निबन्ध को हिन्दी में प्रभावी ढंग से रचने के बारे में कुछ विचार देती है। यदि आप स्कूल या कॉलेजों में निबंध लेखन प्रतियोगिता में किसी भी विषय को लिखते समय निबंध के इन हिस्सों का पालन करते हैं तो आप निश्चित रूप से इसमें पुरस्कार जीतेंगे।

इस संरचना को बनाए रखने से निबंध विषयों का अभ्यास करने से छात्रों को विषय पर ध्यान केंद्रित करने और विषय के बारे में छोटी और कुरकुरी लाइनें लिखने में मदद मिलती है। इसलिए, यहां संकलित सूची में से अपने पसंदीदा या दिलचस्प निबंध विषय को हिंदी में चुनें और निबंध की इस मूल संरचना का अनुसरण करके एक निबंध लिखें।

हिंदी में एक सही निबंध लिखने के लिए याद रखने वाले मुख्य बिंदु

अपने पाठकों को अपने हिंदी निबंधों के साथ संलग्न करने के लिए, आपको हिंदी में एक प्रभावी निबंध लिखते समय कुछ सामान्य नियमों का पालन करना चाहिए। कुछ युक्तियाँ और नियम इस प्रकार हैं:

  • अपना हिंदी निबंध विषय / विषय दिए गए विकल्पों में से समझदारी से चुनें।
  • अब उन सभी बिंदुओं को याद करें, जो निबंध लिखने शुरू करने से पहले विषय के बारे में एक विचार रखते हैं।
  • पहला भाग: परिचय
  • दूसरा भाग: विषय का शारीरिक / विस्तार विवरण
  • तीसरा भाग: निष्कर्ष / अंतिम शब्द
  • एक निबंध लिखते समय सुनिश्चित करें कि आप एक सरल भाषा और शब्दों का उपयोग करते हैं जो विषय के अनुकूल हैं और एक बात याद रखें, वाक्यों को जटिल न बनाएं,
  • जानकारी के हर नए टुकड़े के लिए निबंध लेखन के दौरान एक नए पैराग्राफ के साथ इसे शुरू करें।
  • अपने पाठकों को आकर्षित करने या उत्साहित करने के लिए जहाँ कहीं भी संभव हो, कुछ मुहावरे या कविताएँ जोड़ें और अपने हिंदी निबंध के साथ संलग्न रहें।
  • विषय या विषय को बीच में या निबंध में जारी रखने से न चूकें।
  • यदि आप संक्षेप में हिंदी निबंध लिख रहे हैं तो इसे 200-250 शब्दों में समाप्त किया जाना चाहिए। यदि यह लंबा है, तो इसे 400-500 शब्दों में समाप्त करें।
  • महत्वपूर्ण हिंदी निबंध विषयों का अभ्यास करते समय इन सभी युक्तियों और बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए, आप निश्चित रूप से किसी भी प्रतियोगी परीक्षाओं में कुरकुरा और सही निबंध लिख सकते हैं या फिर सीबीएसई, आईसीएसई जैसी बोर्ड परीक्षाओं में।

हिंदी निबंध लेखन पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. मैं अपने हिंदी निबंध लेखन कौशल में सुधार कैसे कर सकता हूं? अपने हिंदी निबंध लेखन कौशल में सुधार करने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक किताबों और समाचार पत्रों को पढ़ना और हिंदी में कुछ जानकारीपूर्ण श्रृंखलाओं को देखना है। ये चीजें आपकी हिंदी शब्दावली में वृद्धि करेंगी और आपको हिंदी में एक प्रेरक निबंध लिखने में मदद करेंगी।

2. CBSE, ICSE बोर्ड परीक्षा के लिए हिंदी निबंध लिखने में कितना समय देना चाहिए? हिंदी बोर्ड परीक्षा में एक प्रभावी निबंध लिखने पर 20-30 का खर्च पर्याप्त है। क्योंकि परीक्षा हॉल में हर मिनट बहुत महत्वपूर्ण है। इसलिए, सभी वर्गों के लिए समय बनाए रखना महत्वपूर्ण है। परीक्षा से पहले सभी हिंदी निबन्ध विषयों से पहले अभ्यास करें और परीक्षा में निबंध लेखन पर खर्च करने का समय निर्धारित करें।

3. हिंदी में निबंध के लिए 200-250 शब्द पर्याप्त हैं? 200-250 शब्दों वाले हिंदी निबंध किसी भी स्थिति के लिए बहुत अधिक हैं। इसके अलावा, पाठक केवल आसानी से पढ़ने और उनसे जुड़ने के लिए लघु निबंधों में अधिक रुचि दिखाते हैं।

4. मुझे छात्रों के लिए सर्वश्रेष्ठ औपचारिक और अनौपचारिक हिंदी निबंध विषय कहां मिल सकते हैं? आप हमारे पेज से कक्षा 1 से 10 तक के छात्रों के लिए हिंदी में विभिन्न सामान्य और विशिष्ट प्रकार के निबंध विषय प्राप्त कर सकते हैं। आप स्कूलों और कॉलेजों में प्रतियोगिताओं, परीक्षाओं और भाषणों के लिए हिंदी में इन छोटे और लंबे निबंधों का उपयोग कर सकते हैं।

5. हिंदी परीक्षाओं में प्रभावशाली निबंध लिखने के कुछ तरीके क्या हैं? हिंदी में प्रभावी और प्रभावशाली निबंध लिखने के लिए, किसी को इसमें शानदार तरीके से काम करना चाहिए। उसके लिए, आपको इन बिंदुओं का पालन करना चाहिए और सभी प्रकार की परीक्षाओं में एक परिपूर्ण हिंदी निबंध की रचना करनी चाहिए:

  • एक पंच-लाइन की शुरुआत।
  • बहुत सारे विशेषणों का उपयोग करें।
  • रचनात्मक सोचें।
  • कठिन शब्दों के प्रयोग से बचें।
  • आंकड़े, वास्तविक समय के उदाहरण, प्रलेखित जानकारी दें।
  • सिफारिशों के साथ निष्कर्ष निकालें।
  • निष्कर्ष के साथ पंचलाइन को जोड़ना।

निष्कर्ष हमने एक टीम के रूप में हिंदी निबन्ध विषय पर पूरी तरह से शोध किया और इस पृष्ठ पर कुछ मुख्य महत्वपूर्ण विषयों को सूचीबद्ध किया। हमने इन हिंदी निबंध लेखन विषयों को उन छात्रों के लिए एकत्र किया है जो निबंध प्रतियोगिता या प्रतियोगी या बोर्ड परीक्षाओं में भाग ले रहे हैं। तो, हम आशा करते हैं कि आपको यहाँ पर सूची से हिंदी में अपना आवश्यक निबंध विषय मिल गया होगा।

यदि आपको हिंदी भाषा पर निबंध के बारे में अधिक जानकारी की आवश्यकता है, तो संरचना, हिंदी में निबन्ध लेखन के लिए टिप्स, हमारी साइट LearnCram.com पर जाएँ। इसके अलावा, आप हमारी वेबसाइट से अंग्रेजी में एक प्रभावी निबंध लेखन विषय प्राप्त कर सकते हैं, इसलिए इसे अंग्रेजी और हिंदी निबंध विषयों पर अपडेट प्राप्त करने के लिए बुकमार्क करें।

It's Hindi

जन्म : 476 कुसुमपुर अथवा अस्मक

मृत्यु : 550

कार्य : गणितग्य, खगोलशाष्त्री

आर्यभट्‍ट प्राचीन समय के सबसे महान खगोलशास्त्रीयों और गणितज्ञों में से एक थे। विज्ञान और गणित के क्षेत्र में उनके कार्य आज भी वैज्ञानिकों को प्रेरणा देते हैं। आर्यभट्‍ट उन पहले व्यक्तियों में से थे जिन्होंने बीजगणित (एलजेबरा) का प्रयोग किया। आपको यह जानकार हैरानी होगी कि उन्होंने अपनी प्रसिद्ध रचना ‘आर्यभटिया’ (गणित की पुस्तक) को कविता के रूप में लिखा। यह प्राचीन भारत की बहुचर्चित पुस्तकों में से एक है। इस पुस्तक में दी गयी ज्यादातर जानकारी खगोलशास्त्र और गोलीय त्रिकोणमिति से संबंध रखती है। ‘आर्यभटिया’ में अंकगणित, बीजगणित और त्रिकोणमिति के 33 नियम भी दिए गए हैं।

आज हम सभी इस बात को जानते हैं कि पृथ्वी गोल है और अपनी धुरी पर घूमती है और इसी कारण रात और दिन होते हैं। मध्यकाल में ‘निकोलस कॉपरनिकस’ ने यह सिद्धांत प्रतिपादित किया था पर इस वास्तविकता से बहुत कम लोग ही परिचित होगें कि ‘कॉपरनिकस’ से लगभग 1 हज़ार साल पहले ही आर्यभट्ट ने यह खोज कर ली थी कि पृथ्वी गोल है और उसकी परिधि अनुमानत: 24835 मील है। सूर्य और चन्द्र ग्रहण के हिन्दू धर्म की मान्यता को आर्यभट्ट ने ग़लत सिद्ध किया। इस महान वैज्ञानिक और गणितग्य को यह भी ज्ञात था कि चन्द्रमा और दूसरे ग्रह सूर्य की किरणों से प्रकाशमान होते हैं। आर्यभट्ट ने अपने सूत्रों से यह सिद्ध किया कि एक वर्ष में 366 दिन नहीं वरन 365.2951 दिन होते हैं।

प्रारंभिक जीवन

आर्यभट्ट ने अपने ग्रन्थ ‘आर्यभटिया’ में अपना जन्मस्थान कुसुमपुर और जन्मकाल शक संवत् 398 (476) लिखा है। इस जानकारी से उनके जन्म का साल तो निर्विवादित है परन्तु वास्तविक जन्मस्थान के बारे में विवाद है। कुछ स्रोतों के अनुसार आर्यभट्ट का जन्म महाराष्ट्र के अश्मक प्रदेश में हुआ था और ये बात भी तय है की अपने जीवन के किसी काल में वे उच्च शिक्षा के लिए कुसुमपुरा गए थे और कुछ समय वहां रहे भी थे। हिन्दू और बौध परम्पराओं के साथ-साथ सातवीं शताब्दी के भारतीय गणितज्ञ भाष्कर ने कुसुमपुरा की पहचान पाटलिपुत्र (आधुनिक पटना) के रूप में की है। यहाँ पर अध्ययन का एक महान केन्द्र, नालन्दा विश्वविद्यालय स्थापित था और संभव है कि आर्यभट्ट इससे जुड़े रहे हों। ऐसा संभव है कि गुप्त साम्राज्य के अन्तिम दिनों में आर्यभट्ट वहां रहा करते थे। गुप्तकाल को भारत के स्वर्णिम युग के रूप में जाना जाता है।

आर्यभट्ट के कार्यों की जानकारी उनके द्वारा रचित ग्रंथों से मिलती है। इस महान गणितग्य ने आर्यभटिय, दशगीतिका, तंत्र और आर्यभट्ट सिद्धांत जैसे ग्रंथों की रचना की थी। विद्वानों में ‘आर्यभट्ट सिद्धांत’ के बारे में बहुत मतभेद है । ऐसा माना जाता है कि ‘आर्यभट्ट सिद्धांत’ का सातवीं शदी में व्यापक उपयोग होता था। सम्प्रति में इस ग्रन्थ के केवल 34 श्लोक ही उपलब्ध हैं और इतना उपयोगी ग्रंथ लुप्त कैसे हो गया इस विषय में भी विद्वानों के पास कोई निश्चित जानकारी नहीं है।

आर्यभटीय उनके द्वारा किये गए कार्यों का प्रत्यक्ष विवरण प्रदान करता है। ऐसा माना जाता है कि आर्यभट्ट ने स्वयं इसे यह नाम नही दिया होगा बल्कि बाद के टिप्पणीकारों ने आर्यभटीय नाम का प्रयोग किया होगा। इसका उल्लेख भी आर्यभट्ट के शिष्य भास्कर प्रथम ने अपने लेखों में किया है। इस ग्रन्थ को कभी-कभी आर्य-शत-अष्ट (अर्थात आर्यभट्ट के 108 – जो की उनके पाठ में छंदों कि संख्या है) के नाम से भी जाना जाता है। आर्यभटीय  में वर्गमूल, घनमूल, समान्तर श्रेणी तथा विभिन्न प्रकार के समीकरणों का वर्णन है। वास्तव में यह ग्रन्थ गणित और खगोल विज्ञान का एक संग्रह है। आर्यभटीय के गणितीय भाग में अंकगणित, बीजगणित, सरल त्रिकोणमिति और गोलीय त्रिकोणमिति शामिल हैं। इसमे सतत भिन्न (कँटीन्यूड फ़्रेक्शन्स), द्विघात समीकरण (क्वड्रेटिक इक्वेशंस), घात श्रृंखला के योग (सम्स ऑफ पावर सीरीज़) और ज्याओं की एक तालिका (Table of Sines) शामिल हैं। आर्यभटीय में कुल 108 छंद है, साथ ही परिचयात्मक 13 अतिरिक्त हैं। यह चार पदों अथवा अध्यायों में विभाजित है:

  • कालक्रियापाद

आर्य-सिद्धांत

आर्य-सिद्धांत खगोलीय गणनाओं के ऊपर एक कार्य है। जैसा कि ऊपर बताया जा चुका है, यह ग्रन्थ अब लुप्त हो चुका है और इसके बारे में हमें जो भी जानकारी मिलती है वो या तो आर्यभट्ट के समकालीन वराहमिहिर के लेखनों से अथवा बाद के गणितज्ञों और टिप्पणीकारों जैसे ब्रह्मगुप्त और भास्कर प्रथम आदि के कार्यों और लेखों से। हमें इस ग्रन्थ के बारे में जो भी जानकारी उपलब्ध है उसके आधार पर ऐसा प्रतीत होता है कि यह कार्य पुराने सूर्य सिद्धांत पर आधारित है और आर्यभटीय के सूर्योदय की अपेक्षा इसमें मध्यरात्रि-दिवस-गणना का उपयोग किया गया है। इस ग्रन्थ में ढेर सारे खगोलीय उपकरणों का भी वर्णन है। इनमें मुख्य हैं शंकु-यन्त्र, छाया-यन्त्र, संभवतः कोण मापी उपकरण, धनुर-यन्त्र / चक्र-यन्त्र, एक बेलनाकार छड़ी यस्ती-यन्त्र, छत्र-यन्त्र और जल घड़ियाँ।

उनके द्वारा कृत एक तीसरा ग्रन्थ भी उपलब्ध है पर यह मूल रूप में मौजूद नहीं है बल्कि अरबी अनुवाद के रूप में अस्तित्व में है – अल न्त्फ़ या अल नन्फ़। यह ग्रन्थ आर्यभट्ट के ग्रन्थ का एक अनुवाद के रूप में दावा प्रस्तुत करता है, परन्तु इसका वास्तविक संस्कृत नाम अज्ञात है। यह फारसी विद्वान और इतिहासकार अबू रेहान अल-बिरूनी द्वारा उल्लेखित किया गया है।

आर्यभट्ट का योगदान

आर्यभट का भारत और विश्व के गणित और ज्योतिष सिद्धान्त पर गहरा प्रभाव रहा है। भारतीय गणितज्ञों में सबसे महत्वपूर्ण स्थान रखने वाले आर्यभट ने 120 आर्याछंदों में ज्योतिष शास्त्र के सिद्धांत और उससे संबंधित गणित को सूत्ररूप में अपने प्रसिद्ध ग्रंथ ‘आर्यभटीय’ में प्रस्तुत किया है।

उन्होंने गणित के क्षेत्र में महान आर्किमिडीज़ से भी अधिक सटीक ‘पाई’ के मान को निरूपित किया और खगोलविज्ञान के क्षेत्र में सबसे पहली बार यह घोषित किया गया कि पृथ्वी स्वयं अपनी धुरी पर घूमती है।

स्थान-मूल्य अंक प्रणाली आर्यभट्ट के कार्यों में स्पष्ट रूप से विद्यमान थी। हालांकि उन्होंने शुन्य दर्शाने के लिए किसी प्रतीक का प्रयोग नहीं किया, परन्तु गणितग्य ऐसा मानते हैं कि रिक्त गुणांक के साथ, दस की घात के लिए एक स्थान धारक के रूप में शून्य का ज्ञान आर्यभट्ट के स्थान-मूल्य अंक प्रणाली में निहित था।

यह हैरान और आश्चर्यचकित करने वाली बात है कि आजकल के उन्नत साधनों के बिना ही उन्होंने लगभग डेढ़ हजार साल पहले ही ज्योतिषशास्त्र की खोज की थी। जैसा कि हम पहले ही बता चुके हैं, कोपर्निकस (1473 से 1543 इ.) द्वारा प्रतिपादित सिद्धांत की खोज आर्यभट हजार वर्ष पहले ही कर चुके थे। “गोलपाद” में आर्यभट ने सर्वप्रथम यह सिद्ध किया कि पृथ्वी अपने अक्ष पर घूमती है।

इस महान गणितग्य के अनुसार किसी वृत्त की परिधि और व्यास का संबंध 62,832 : 20,000 आता है जो चार दशमलव स्थान तक शुद्ध है। आर्यभट्ट कि गणना के अनुसार पृथ्वी की परिधि 39,968.0582 किलोमीटर है, जो इसके वास्तविक मान 40,075.0167 किलोमीटर से केवल 0.2 % कम है।

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Essay on Srinivasa Ramanujan

500 words essay on srinivasa ramanujan.

Srinivasa Ramanujan is one of the world’s greatest mathematicians of all time. Furthermore, this man, from a poor Indian family, rose to prominence in the field of mathematics. This essay on Srinivasa Ramanujan will throw more light on the life of this great personality.

Essay On Srinivasa Ramanujan

                                                                                             Essay On Srinivasa Ramanujan

Early Life of Srinivasa Ramanujan

Ramanujan was born in Erode on December 22, 1887, in his grandmother’s house.  Furthermore, he went to primary school in Kumbakonamwas when he was five years old.  Moreover, he would attend several different primary schools before his entry took place to the Town High School in Kumbakonam in January 1898.

At the Town High School, Ramanujan proved himself as a talented student and did well in all of his school subjects. In 1900, he became involved with mathematics and began summing geometric and arithmetic series on his own.

In the Town High School, Ramanujan began reading a mathematics book called ‘Synopsis of Elementary Results in Pure Mathematics’. Furthermore, this book was by G. S. Carr.

With the help of this book, Ramanujan began to teach himself mathematics . Furthermore, the book contained theorems, formulas and short proofs. It also contained an index to papers on pure mathematics.

His Contribution to Mathematics

By 1904, Ramanujan’s focus was on deep research. Moreover, an investigation took place by him of the series (1/n). Moreover, calculation took place by him of Euler’s constant to 15 decimal places. This was entirely his own independent discovery.

Ramanujan gained a scholarship because of his outstanding performance in his studies. Consequently, he was a brilliant student at Kumbakonam’s Government College. Moreover, his fascination and passion for mathematics kept on growing.

In the spring of 1913, there was the presentation of Ramanujan’s work to British mathematicians by Narayana Iyer, Ramachandra Rao and E. W. Middlemast. Afterwards, M.J.M Hill did not made an offer to take Ramanujan on as a student, rather, he provided professional advice to him. With the help of friends, Ramanujan sent letters to leading mathematicians at Cambridge University and was ultimately selected.

Ramanujan spent a significant time period of five years at Cambridge. At Cambridge, collaboration took place of Ramanujan with Hardy and Littlewood. Most noteworthy, the publishing of his findings took place there.

Ramanujan received the honour of a Bachelor of Arts by Research degree in March 1916. This honour was due to his work on highly composite numbers, sections of the first part whose publishing had taken place the preceding year. Moreover, the paper’s size was more than fifty pages long.

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Conclusion of the Essay on Srinivasa Ramanujan

Srinivasa Ramanujan is a man whose contributions to the field of mathematics are unmatchable. Furthermore, experts in mathematics worldwide all recognize his tremendous worth. Most noteworthy, Srinivasa Ramanujan made his country proud at a time when India was still under British occupation.

FAQs For Essay on Srinivasa Ramanujan

Question 1: What is Srinivasa Ramanujan famous for?

Answer 1: Srinivas Ramanujan is famous for his discoveries that have influenced several areas of mathematics. Furthermore, he is famous for his contributions to number theory and infinite series. Moreover, he came up with fascinating formulas that facilitate in the calculation of the digits of pi in unusual ways.

Question 2: What is the special quality of number 1729 discovered by Srinivasa Ramanujan?

Answer 2:  Srinivas Ramanujan discovered that the number 1729 had a special characteristic.  Furthermore, this quality is that the number 1729 is the only number whose expression can take place as the sum of the cubes of two different sets of numbers. Consequently, people call 1729 the magic number.

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Hindi Essay | हिंदी में निबंध for Class 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12

Hindi essay for classes 3 to 12 students.

hindi essay

Benefits of essay writing:

To be efficient in any language it is crucial to enhance the writing power in that significant language. Essay writhing is the most positive way of developing students’ skills and knowledge upon writing. Students get to know about different topics when they research to write about any important fact. Besides that, essay writing is beneficial to increase the vocabulary power of students as they use various words to express their views and thoughts. From essay writing students will be encouraged to upgrade their other skills. They will be interested to participate in many events of writing which is effective to improve their talents in extra-curricular activities. When students get the correct guidance and suggestions from their school environment they will eventually start to focus on a specific aspect of learning more. So, it is teachers’ responsibility to encourage children for writing essays on their own language for expressing their thoughts. Essay writing in Hindi is equally important for students who have Hindi as a subject in school. If they focus on Hindi learning from the beginning level then they do not have to worry about learning critical chapters in higher studies. Besides that they should focus on enhancing their essay writing skills which will enable them to give better performance in final exam. As a result, they will score well in exam and feel satisfied with their learning outcomes. The most important fact is that, essay writing skill will reduce the fear of writing among students. They will feel more interested to write essay on any given topic at any time after gathering the knowledge about the perfect ways of writing essays.

Essay writing in Hindi:

It is quite natural that students having Hindi as important subject in school must learn Hindi from the basic concepts. We find Hindi as important basically in CBSE and ICSE schools where students have options to choose Hindi or any other regional language. But for schools governed by state boards the entire education mode comes in Hindi medium. So, in both cases students have to focus on learning their Hindi language from the starting level. Essay writing is the significant part of their Hindi curriculum like all other languages. It will be beneficial for themselves if they focus on writing Hindi essays from the beginning level. They should understand each part of Hindi essays including pattern, style, word count to present a compete essay. By understanding each part students will be efficient in writing Hindi essays which will affect their overall score in exam. Some students may find it difficult to write Hindi essays on any topic smoothly. For that we are advising to grasp the basic knowledge of writing pattern and expressing their thoughts in a definite way. It is not possible for students to write Hindi essays from the beginning of their academics. They first need proper guidance and suggestions which they can find in examples of Hindi essays on different topics. Students of state level boards have to write Hindi essays from the primary section whereas CBSE and ICSE students write Hindi essays after primary education. We have provided Hindi essays on significant topics for all classes based on different boards. Students will be definitely benefitted if they follow the writing pattern and style of using language in those essays completely. They can rely on the essays fully as all are prepared according to the board guidelines by expert teachers. We are hopeful that students will take the help of these Hindi essays for enhancing their writing quality and using of language. We have provided the direct links to download all essays in this article. So, students do not need to search here and there for getting list of Hindi essays. They can easily download all the essays from the links in pdf format and read according to their convenience.

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Conclusion:

It is mandatory for all students learning Hindi to follow essay writing pattern and styles closely. Students of all classes require study materials of Hindi essays for overviewing the knowledge on different topics and practice regularly before exam. With the aim of helping students to go through effectively in essay writing in Hindi we have attached many Hindi essays on significant and important topics. We are hopeful that students will find all the topics important from exam perspective and satisfied after reading the essays with its quality writing. Students will get chances of self-analysis from their essay writing which is essential for improving their writing skills. They should practice more by following the writing pattern in the given Hindi essays for enhancing their skills. They will feel more encouraged to writing Hindi essays after getting proper guidance. They will be efficient to solve all their queries regarding Hindi essay writing after practicing regularly. Students are advised to focus on Hindi essay writing from the basic level to grasp complete knowledge over writing.

FAQs:      

  • Who need to write Hindi essays?

Answer. Students studying in CBSE, ICSE and different state boards who have Hindi as a significant language in syllabus have to learn essay writing in Hindi language.

  • What is beneficial for Hindi essay writing?

Answer. Students should focus on learning Hindi language from the basic level with which they can understand the pattern and style of essay writing completely.

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होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi): इतिहास, महत्व, 200 से 500 शब्दों में होली पर हिंदी में निबंध लिखना सीखें

Updated On: March 07, 2024 12:55 pm IST

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होली पर निबंध 10 लाइन (Holi Par Nibandh 10 Lines)

होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi)

होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi)  - होली एक ऐसा रंगबिरंगा त्योहार है, जिसे हिन्दू धर्म के लोग पूरे उत्साह और सौहार्द के साथ मनाते हैं। प्यार भरे रंगों से सजा यह पर्व हिन्दू धर्म के लोगो के बीच भाई-चारे का संदेश देता है। इस दिन सभी लोग अपने पुराने गिले-शिकवे भूल कर गले लगते हैं और एक दूजे को गुलाल लगाते हैं। बच्चे और युवा रंगों से खेलते हैं। होली रंगो और खुशियों का त्योहार है। होली का त्यौहार विश्व भर में प्रसिद्ध है। होली का त्यौहार (Holi Festival) हिंदू धर्म में मनाया जाने वाला दूसरा सबसे बड़ा त्यौहार है। इस त्यौहार को रंगो के त्यौहार के नाम से भी जाना जाता है। होली का त्यौहार भारत के साथ-साथ नेपाल, बांग्लादेश, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा जैसे कई देशों में भी प्रसिद्ध है। इस त्यौहार को सभी वर्गों के लोग मनाते हैं। वर्तमान में तो अन्य धर्मों को मानने वाले लोग भी इस त्यौहार को बड़ी धूमधाम से मनाने लगे हैं। इस त्यौहार में ऐसी शक्ति है कि वर्षों पुरानी दुश्मनी भी इस दिन दोस्ती में बदल जाती है। इसीलिए होली को सौहार्द का त्यौहार भी कहा गया है। ऐसा माना जाता है कि होली का त्योहार (Festival of Holi) हजारों वर्षों से मनाया जा रहा है। होली का त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। ये भी पढ़ें - अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर भाषण होली पर निबंध (Holi Par Nibandh) लिखने के इच्छुक छात्र इस लेख के माध्यम से 200 से 500 शब्दों तक हिंदी में होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi)  लिखना सीख सकते हैं। 

होली पर निबंध 200 शब्दो में (Essay on Holi in 200 words)

होली पर निबंध (holi par nibandh) - होली का महत्व , होली पर निबंध (essay on holi in hindi) - होली कब और क्यों मनाई जाती है.

होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi) - होली के पर्व को हिन्दू कैलेंडर के मुताबिक फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। होली अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार अधिकतर फरवरी और मार्च के महीने में पड़ता है। इस त्योहार को बसंतोत्सव के रुप में भी मनाया जाता है। हर त्योहार के पीछे कोई न कोई कहानी या किस्सा प्रचलित होता है। ‘होली’ मनाए जाने के पीछे भी कहानी है। वैसे तो होली पर कई कहानियां सुनाई व बताई जाती है लेकिन कुछ कहानियां हैं जो गहराई से हमारी संस्कृति एंव भाव से जुड़ी है। तो आईये जानते है होली मनाने के पीछे का कारण और संस्कृति एंव भाव।

इसी तरह भगवान कृष्ण पर आधारित कहानी होली का पर्व किस खुशी में मनाया जाता है, इसके विषय में अनेक कथाएँ प्रचलित हैं। एक कथा के अनुसार भगवान कृष्ण ने दुष्टों का वध कर गोप व गोपियों के साथ रास रचाई तब से होली का प्रचलन हुआ। वृंदावन में श्री कृष्ण ने राधा और गोप गोपियों के साथ रंगभरी होली खेली थी इसी कारण वृंदावन की होली सबसे अच्छी और विश्व की सबसे प्रसिद्ध होली मानी जाती है। इस मान्यता के अनुसार जब श्री कृष्ण दुष्टों का संहार करके वृंदावन लौटे थे तब से होली का प्रचलन हुआ और तब से हर्षोल्लास के साथ होली मनाई जाती है।

होली पर निबंद 500 शब्दो में (Essay on Holi in 500 words)

प्रस्तावना .

होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi):  होली भारतीय संस्कृति का एक प्रमुख धार्मिक पर्व है। यह पर्व फागुन मास के शुक्ल पक्ष में मनाया जाता है और भारत वर्ष में खुशी, आनंद, प्रेम और एकता का प्रतीक है। होली एक सांस्कृतिक महोत्सव है जिसमें लोग अपनी पूर्वाग्रहों और विभिन्न सामाजिक प्रतिष्ठानों को छोड़कर आपसी भाईचारा और प्रेम का आनंद लेते हैं। यह पर्व विभिन्न आदतों, परंपराओं और धार्मिक आराधनाओं के साथ मनाया जाता है और भारतीय समाज के लिए एक महत्वपूर्ण और आनंदमय अवसर है।

होली का त्यौहार कैसे मनाया जाता है?

विश्व के अलग-अलग कोने में अलग-अलग तरह से होली खेली जाती है कहीं फूल भरी होली खेली जाती है तो कहीं लठमार होली तो कहीं होली का नाम ही अलग होता है। होली खेलने का तरीका भले ही सबका अलग अलग हो लेकिन होली हर जगह रंगों के साथ ज़रूर खेली जाती है। होलिका दहन के लिए बड़कुल्ले बनाना, होली की पूजा करना, पकवान बनाना, होलिका का दहन करना इत्यादि किया जाता है।

होली पर निबंध (Holi Par Nibandh) - होली की तैयारी कैसे करें?

पकवान बनाने के बाद घर के सभी लोग उसे एक थाली में सजाकर होलिका दहन वाली जगह जाते हैं। इसके अलावा वे अपने साथ बड़कुल्ले और पूजा का अन्य सामान भी लेकर जाते हैं जिसमें कच्चा कुकड़ा (सूती धागा), लौटे में जल, चंदन इत्यादि सम्मिलित हैं। फिर उस जगह पहुंचकर होली की पूजा की जाती हैं, पकवान का भोग लगाया जाता हैं और बड़कुल्लों को उस ढेर में रख दिया जाता हैं। उसके बाद सभी लोग कच्चे कुकड़े को उस गोल घेरे के चारों और बांधते हैं और भगवान से प्रह्लाद की रक्षा की प्रार्थना करते हैं। पूजा करने के पश्चात सभी अपने घर आ जाते हैं। 

रात में सूर्यास्त होने के बाद पंडित जी वहां की पूजा करते हैं। सभी लोग उस स्थल पर एकत्रित हो जाते हैं। उसके बाद उन लकड़ियों में अग्नि लगा दी जाती हैं। अग्नि लगाते ही, उस ढेर के बीच में रखे मोटे बांस (प्रह्लाद) को बाहर निकाल लिया जाता हैं। होलिका दहन को देखने के लिए लोग अपने घर से पानी का लौटा, कच्चा कुकड़ा, हल्दी की गांठ व कनक के बाल लेकर जाते हैं। पानी से होली को अर्घ्य दिया जाता है। दूर से उस अग्नि को कच्चा कुकड़ा, हल्दी की गांठ और कनक के बाल दिखाए जाते हैं। कुछ लोग होलिका दहन के पश्चात उसकी राख को घर पर ले जाते हैं। 

होली पर निबंध (Holi Par Nibandh in Hindi) - होली कैसे खेलते है?

इन सब के बाद शुरू होता हैं असली रंगों का त्यौहार। सभी लोग अपने मित्रों, रिश्तेदारों, जान-पहचान वालों के साथ होली का त्यौहार खेलते हैं। पहले के समय में केवल प्राकृतिक रंगों से ही होली खेलने का विधान था लेकिन आजकल कई प्रकार के रंगों से होली खेली जाती हैं।

इसी के साथ लोग फूलों, पानी, गुब्बारों से भी होली खेलते हैं। कई जगह लट्ठमार होली खेली जाती हैं तो कहीं पुष्प वर्षा की जाती हैं। कई जगह कपड़ा-फाड़ होली खेलते हैं तो कई लड्डुओं की होली भी खेलते है। यह राज्य व लोगों के अनुसार भिन्न-भिन्न प्रकार की होती हैं। बस रंग हर जगह उड़ाए जाते हैं।

यह उत्सव लगभग दोपहर तक चलता हैं और उसके बाद सभी अपने घर आ जाते हैं। इसके बाद होली का रंग उतार लिया जाता हैं, घर की सफाई कर ली जाती हैं और नए कपड़े पहनकर तैयार हुआ जाता हैं। भाषण पर हिंदी में लेख पढ़ें- 

होली पर निबंध (Holi Par Nibandh) -  होली के हानिकारक प्रभाव

होली  का इन्तजार लोगो को पुरे साल भर रहता है। लेकिन कई बार होली पर बहुत सी दुर्घटनाएं भी हो जाती है जिसका ध्यान रखना चाहिए। लोगों द्वारा होली के दिन गुलाल का प्रयोग न कर के केमिकल और कांच मिले रंगों का प्रयोग किया जाता है। जिससे चेहरा खराब हो जाता है कई लोग मादक पदार्थों का सेवन व भाग मिला कर नशा करते हैं जिससे कई लोग दुर्घटना का शिकार भी हो जाते हैं। ऐसे ही होली के दिन बच्चे गुब्बारों में पानी भर कर गाड़ियों के ऊपर फेंकते हैं या पिचकारी और रंगो को आँखों में फेंक के मरते हैं होली में ऐसे रंगों व हरकतों को न करें जिससे किसी व्यक्ति के जीवन पर बुरा प्रभाव पड़ें इसलिए होली के दिन सावधानीपूर्वक रंगो को खेलिये जिससे किसी के लिए हानिकारक न हो।

सुरक्षित तरीके से होली खेलने के सुझाव 

होली का त्योहार (Holi Festival) ऐसा त्योहार है, जिसमें सभी लोग इसके रंग में डूबे नजर आते हैं, लेकिन इसकी मौज-मस्ती आपको इन बातों का भी विशेष ख्याल रखना चाहिए ताकि इस प्यार भरे उत्सव का मजा किरकिरा न हो।

  • होली खेलने से पहले अपने पूरे शरीर और बालों पर अच्छी तरह तेल और मॉइश्चराइजर लगा लें। ताकि रंग आसानी से छूट जाएं।
  • होली खेलने के लिए नैचुरल और ऑर्गेनिक रंगों का इस्तेमाल करें, कैमिकल भरे रंगों के इस्तेमाल से बचें। क्योंकि कैमिकल वाले रंगों की वजह से कई बार स्किन एलर्जी तक हो जाती है।
  • होली में ज्यादा पानी को बर्बाद न करें।
  • होली पर फुल कपड़े पहनने की कोशिश करें, ताकि कलर ज्यादा स्किन पर न आए।
  • होली में किसी पर जबरदस्ती कलर नहीं डालें और ध्यान रखें कि मौज-मस्ती में किसी को चोट न आए।
  • होली की मौज-मस्ती में बच्चों का विशेष ख्याल रखें, कई बार ज्यादा समय तक पानी में गीले रहने से बच्चे बीमार भी पड़ जाते हैं

होली रंग का त्योहार है, जिसे मस्ती और आनंद के साथ मनाया जाता है। होली में पानी और रंग में भीगने के लिए तैयार रहें, लेकिन खुद को और दूसरों को नुकसान न पहुंचाने के लिए भी सावधान रहें। अपने दिमाग को खोलें, अपने अवरोधों को बहाएं, नए दोस्त बनाएं, दुखी लोगों को शांत करें और टूटे हुए रिश्तों को जोड़ें। चंचल बनें लेकिन दूसरों के प्रति भी संवेदनशील रहें। किसी को भी अनावश्यक रूप से परेशान न करें और हमेशा अपने आचरण की देखरेख करें। इस होली में केवल प्राकृतिक रंगों से खेलने का संकल्प लें।

होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi) - होली से जुड़ी सामाजिक कुरीतियां 

होली जैसे धार्मिक महत्व वाले पर्व को भी कुछ असामाजिक तत्व अपने गलत आचरण से प्रभावित करने की कोशिश करते हैं। कुछ असामाजिक तत्व मादक पदार्थों का सेवन कर आपे से बाहर हो जाते हैं और हंगामा करते नजर आते हैं। कुछ लोग होलिका में टायर जलाते हैं, उनको इस बात का अंदाजा नहीं होता कि इससे वातावरण को बहुत अधिक नुकसान पहुँचता है। कुछ लोग रंग और गुलाल की जगह पर पेंट और ग्रीस लगाने का गंदा काम करते हैं जिससे लोगों को शारीरिक क्षति होने की आशंका रहती है। अगर में होली से इन कुरीतियों को दूर रखा जाए तो होली का पर्व वास्तव में हैप्पी होली बन जाएगा। इसलिए होली में कुरीतियों से बचें और खुशुयों से होली मनाये यह लोगो के बीच एकता और प्यार लाता है। होली पर निबंध (Holi Par Nibandh) कुछ लाइनों में लिखने के इच्छुक छात्र इस लेख के माध्यम से होली पर निबंध 10 लाइनों (Holi Par Nibandh 10 Lines) में लिखना सीखें।

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The Simple Math That Could Swing the Election to Biden

mathematician essay in hindi

By Mark Penn

Mr. Penn was a pollster and an adviser to President Bill Clinton and Hillary Clinton from 1995 to 2008. He is chairman of the Harris Poll and chief executive of Stagwell Inc.

President Biden appears behind in all the swing states, and his campaign appears all too focused on firming up his political base on the left with his new shift on Israel , a $7 trillion budget and massive tax increases and is failing to connect on the basic issues of inflation , immigration and energy . By pitching too much to the base, he is leaving behind the centrist voters who shift between parties from election to election and, I believe, will be the key factor deciding the 2024 race.

I’ve spent decades looking at the behavior of swing voters and how candidates appeal to them, including for Bill Clinton’s re-election campaign in 1996. If Mr. Biden wants to serve another four years, he has to stop being dragged to the left and chart a different course closer to the center that appeals to those voters who favor bipartisan compromises to our core issues, fiscal discipline and a strong America.

People usually assume that turning out so-called base voters in an election matters most, since swing voters are fewer in number. And it’s true that in today’s polarized environment, Mr. Biden and Mr. Trump have about 40 percent of voters each and nothing will change those people’s minds. But in that remaining 20 percent of the electorate, voters have disproportionate power because of their potential to switch. It’s simple math: Take a race tied in the run-up 5 to 5. If one voter swings, the tally becomes 6 to 4. Two voters would then need to be turned out just to tie it up, and a third one would be needed to win.

The simple power of this math — which drove the campaigns of Mr. Clinton (with his message about “building a bridge to the 21st century”), George W. Bush (“compassionate conservatism”) and Barack Obama (“hope and change”) — has been obscured, undoubtedly by base groups like unions or PACs that have a vested interest in maintaining their sway and power. Take Michigan, a battleground state where Mr. Trump has led Mr. Biden by as many as three percentage points in the past month. To overcome that gap, Mr. Biden would need to bring out nearly 250,000 additional voters (3 percent of more than eight million registered voters) just to tie it up in a state that has already achieved a record of over 70 percent turnout in a presidential year. Or Mr. Biden could switch just 125,000 swing voters and win.

Despite this math, scared candidates are, in my experience, easily sold the idea that the Democratic base or Republican base is going to stay home in November unless they are constantly fed what they want to hear. One call from the head of a religious group, a civil rights group, a labor group and others (often called the groups), and fear runs through a campaign. A New York Times article this winter about Black pastors warning the Biden White House that his Gaza war policy could imperil re-election is a good example. Maybe if Mr. Biden were running against a well-liked centrist opponent, concern could be justified. But during a fall election against Mr. Trump, the final month of this campaign is going to see a frenzy of get-out-the-vote efforts, and I doubt the Democratic base is going to sit idly by at the thought of the Trump limo cruising up Pennsylvania Avenue. The reality is that swing voters in battleground states who are upset about immigration, inflation and what they see as extreme climate policies and weakness in foreign affairs are likely to put Mr. Trump back in office if they are not blunted.

Consider some Democratic electoral history. Mr. Biden got 81 percent of the vote in the Michigan Democratic presidential primary in February. He got roughly similar percentages in the Colorado, Texas and Massachusetts primaries — not too far below other incumbent presidents with a weak job rating. And yet for months, liberal commentators and activists pointed to the Michigan protest vote as proof that he is doomed in November over his Israel stance. But Michigan was hardly a repeat of the 1968 New Hampshire primary that effectively ended Lyndon Johnson’s re-election bid; Eugene McCarthy got 42 percent, and that was a truly sizable protest.

I believe most of the 101,000 uncommitted votes that Mr. Biden lost in Michigan will come home in the end because they have nowhere else to go and the threat Mr. Trump poses will become clearer and scarier in the next six months. But regardless, there’s a much bigger opportunity for Mr. Biden if he looks in the other direction. Mr. Trump lost nearly 300,000 votes to Nikki Haley in the Michigan Republican primary. These people are in the moderate center, and many of them could be persuaded to vote for Mr. Biden if he fine-tuned his message to bring them in. And remember to multiply by two: Persuading those 300,000 Republicans to cross party lines would have the equivalent force of turning out 600,000 Democrats. The same math applies to other battleground states, like Pennsylvania, where 158,000 people voted for Ms. Haley instead of Mr. Trump in the Republican primary, even though she dropped out seven weeks earlier.

Unfortunately, Mr. Biden is not reaching out to moderate voters with policy ideas or a strong campaign message. He is not showing clear evidence of bringing in large numbers of swing voters in the battleground states at this point. Those swing voters look for fiscal restraint without tax increases, climate policies that still give people a choice of cars and fuels and immigration policies that are compassionate to those who are here but close the borders. The balanced budget remains one of the single strongest measures that swing and other voters want. Mr. Clinton’s efforts to balance the budget set off the revolution that resulted in an eight-point win, even with third-party candidates in 1996, and catapulted his job approval ratings to above 70 percent. Instead of pivoting to the center when talking to 32 million people tuned in to his State of the Union address, Mr. Biden doubled down on his base strategy with hits like class warfare attacks on the rich and big corporations, big tax increases, student loan giveaways and further expansions of social programs despite a deficit of more than $1.1 trillion. The results quickly dissipated.

Mr. Biden’s campaign has fundamentally miscalculated on Israel. Those Haley voters are strong defense voters who would back our ally Israel unreservedly and, I believe, want to see a president who would put maximum pressure on Hamas to release hostages. By pandering to base voters with no choice, Biden is pushing the Haley vote to Mr. Trump, and so his first instincts on Israel were both good policy and good politics. Eighty-four percent of independents surveyed said they supported Israel more than Hamas in the conflict, and 63 percent said they believed a cease-fire should occur only after the hostages have been released. The more Mr. Biden has pandered to the left by softening his support of Israel, the weaker he looks, and the more his foreign policy ratings have declined. Rather than pull decisively away from Israel, Mr. Biden should instead find a plan that enables Israel to go into Rafah and that has enough precautions for Rafah’s civilians so the American president can back it.

At this point, Mr. Biden also needs to give a serious speech on the issues of crime and immigration and what they are doing to our inner cities. He has to combine policies of fair policing and treatment of DACA recipients with tougher crime and immigration policies. Seventy-eight percent of independents polled said they wanted the Biden administration to make it tougher to get into the United States illegally, but 63 percent said they ultimately wanted compromise legislation that strengthens the border while giving DACA recipients a path to citizenship. On crime, despite many violent crime metrics returning to their pre-Covid levels last year, voters have been more worried than ever. Eighty-three percent of voters said they wanted shoplifting laws to be enforced strictly , and 69 percent said they supported Justice Department intervention against city district attorneys who are pulling back prosecution of violent offenders. Mr. Biden has to be more responsive to these concerns.

Mr. Biden’s energy policies, especially his push for more electric vehicles, are not popular, either. Fifty-nine percent of Americans said they opposed the mandate that half of cars sold in the United States by 2030 be electric. In Michigan, Mr. Trump has identified a potentially killer strategy by going around telling autoworkers that electric vehicles will destroy their jobs. Unlike foreign policy issues, threats concerning the loss of auto industry jobs could directly affect hundreds of thousands of voters in Michigan.

The 2024 election is a rematch, but Mr. Biden should not assume that he will get the same result as he did in 2020 in Michigan, Pennsylvania, Arizona, Georgia and other battleground states by running the same playbook. This time around, he is seen as older, and the assessment of the job that he has done is in negative territory. While he won’t get any younger, he could still move more to the center, vacuum up swing voters who desperately want to reject Mr. Trump, strengthen his image as a leader by destroying Hamas and rally the base at the end. But that means first pushing back against the base rather than pandering to it and remembering that when it comes to the math of elections, swing is king.

Mark Penn was a pollster and an adviser to President Bill Clinton and Hillary Clinton from 1995 to 2008. He is chairman of the Harris Poll and chief executive of Stagwell Inc.

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  13. गणित दिवस पर निबंध एवं भाषण

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  14. भारतीय गणितज्ञ और उनके योगदान Upsc के लिए यहाँ विस्तार से पढ़ें।

    भारतीय गणितज्ञ और उनके योगदान (Indian Mathematicians and their Contributions in Hindi) गणित के क्षेत्र में बहुत बड़ा है। शून्य के आविष्कार का श्रेय भारतीयों को जाता है और यह अन्य देशों ...

  15. Hindi Essay (Hindi Nibandh)

    Hindi Essay (Hindi Nibandh) | 100 विषयों पर हिंदी निबंध लेखन - Essays in Hindi on 100 Topics. January 31, ... Selina Concise Mathematics Class 8 ICSE Solutions Chapter 7 Percent and Percentage. Gender/Ling in Hindi - लिंग - परिभाषा, भेद और उदाहरण ...

  16. आर्यभट्ट की जीवनी

    आज हम सभी इस बात को जानते हैं कि पृथ्वी गोल है और अपनी धुरी पर घूमती है और इसी कारण रात और दिन होते हैं। मध्यकाल में 'निकोलस कॉपरनिकस' ने यह सिद्धांत ...

  17. Srinivasa Ramanujan

    Srinivasa Ramanujan [a] (22 December 1887 - 26 April 1920) was an Indian mathematician. Though he had almost no formal training in pure mathematics, he made substantial contributions to mathematical analysis, number theory, infinite series, and continued fractions, including solutions to mathematical problems then considered unsolvable.

  18. Essay on Aryabhatta for Students and Children

    Essay on Arayabhatta - Aryabhatta was the first Indian mathematician and astronomer. He had immense knowledge in the field of mathematics. Moreover, he did he may discoveries during his era. For instance, some of them were the discovery of algebraic identities, trigonometrical functions, the value of pi, Place value system, etc.

  19. Essay On Srinivasa Ramanujan in English for Students

    500 Words Essay On Srinivasa Ramanujan. Srinivasa Ramanujan is one of the world's greatest mathematicians of all time. Furthermore, this man, from a poor Indian family, rose to prominence in the field of mathematics. This essay on Srinivasa Ramanujan will throw more light on the life of this great personality.

  20. Hindi Essay

    Hindi Essay for Classes 3 to 12 Students. Hindi is the mostly spoken language by people in the whole country. People from all regions of India know Hindi more or less which increases the ways of inter-relation in different culture. People can go to any part of the country depending on their needs of study or job without any second thought for ...

  21. आर्यभट

    आर्यभट (४७६-५५०) प्राचीन भारत के एक महान ज्योतिषविद् और गणितज्ञ ...

  22. होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi): इतिहास, महत्व, 200 से 500

    होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi) - होली एक ऐसा रंगबिरंगा त्योहार है, जिसे हिन्दू धर्म के लोग पूरे उत्साह और सौहार्द के साथ मनाते हैं। प्यार भरे रंगों से सजा यह ...

  23. Mathematician Essay In Hindi

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  24. AMS :: Trans. Amer. Math. Soc. -- Volume 377, Number 6

    Published by the American Mathematical Society since 1900, Transactions of the American Mathematical Society is devoted to longer research articles in all areas of pure and applied mathematics. ISSN 1088-6850 (online) ISSN 0002-9947 (print)

  25. The Simple Math That Could Swing the Election to Biden

    To overcome that gap, Mr. Biden would need to bring out nearly 250,000 additional voters (3 percent of more than eight million registered voters) just to tie it up in a state that has already ...