मेरे प्रिय नेता पर निबंध- Mera Priya Neta Nibandh in Hindi

इस निबंध में हम सुभाष चंद्र बोस, महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, लोकमान्य टिळक, मोदी जी , डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर, ए.पी.जे. अब्दुल कलाम जी के बारे में पढ़ेंगे। यह निबंध Class 5, 6, 7, 8, 9, 10th, 11th और 12th के लिए लिखा गया है और सभी निबंध को श्रेणी अनुशार रखा गया है। “ मेरे प्रिय नेता पर निबंध (My Favourite Leader Essay in hindi) ” सभी कक्षाओं में बहुत बार पूछा जाता है यहाँ से आप निबंध को पढ़ कर अपने कार्य को पूरा कर सकते है.

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मेरे प्रिय नेता पर निबंध- Mera Priya Neta Nibandh in Hindi 1

मेरे प्रिय नेता: नेताजी सुभाष चंद्र बोस पर निबंध | Netaji Subhash chandra bose

नेता वही कहलाता है जो किसी देश या किसी भी संगठन का भली -भाँती नेतृत्व करे, साथ ही देश और लोगो को एक साथ एकता के साथ बांधे रखे। मेरे प्रिय नेता है नेताजी सुभाष चंद्र बोस । नेता जी के बारे में लगभग हम सभी भारतीय जानते है। उनका लोकप्रिय नारा “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हे आजादी दूंगा के” विषय में सभी जानते है। नेताजी एक महान भारतीय राष्ट्रवादी सोच और विचारधारा के व्यक्ति थे। सभी लोग जानते है, वह अपने देश से कितना प्रेम करते थे। नेताजी का जन्म 1897 में 23 जनवरी को हुआ था। सबसे ज़्यादा अत्याचारी और कट्टर ब्रिटिश शासन के खिलाफ वे बहादुरी के साथ लड़े। सुभाष चंद्र बोस निश्चित रूप से एक क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होंने अपने देश के लिए अपना परिवार को भी समर्पित कर दिया था।

नेताजी के पिताजी का नाम जानकीनाथ बोस था। उनके पिताजी उच्च स्तर के वकील थे। उन्होंने अपनी शुरुआती शिक्षा कटक में प्राप्त की। नेताजी ने अपने आगे की शिक्षा प्रेसीडेंसी कॉलेज से प्राप्त की। उसके पश्चात आई सी एस की परीक्षा देने के लिए इंग्लैंड चले गए। आई सी ए स की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद वह चाहते तो आराम और सुख सुविधा पूर्ण जीवनयापन कर सकते थे। परन्तु उन्होंने ऐसा नहीं किया। उनके मन में देश को आज़ाद कराने की लौ जल रही थी। नेताजी ने भारत को स्वतंत्र कराने के लिए त्याग और बलिदान का मार्ग चुना। वे अपने देश से असीम और अनंत प्रेम करते थे, जिसके लिए उन्होंने अपने जीवन में सारे सुख सुविधाओं का त्याग किया।

नेताजी भगवत गीता में काफी विश्वास रखते थे जिससे उन्हें अंग्रेज़ो के खिलाफ लड़ने की प्रेरणा मिलती थी।  स्वामी विवेकानंद के सिखाये हुए मार्ग यानी उनकी शिक्षाओं का नेताजी अनुकरण किया करते थे।

राजनीति में उन्होंने अपना पहला कदम, असहयोग आंदोलन से किया था। नेताजी ने नमक आंदोलन का नेतृत्व सन 1930 में किया था। नेताजी ने प्रिंस ऑफ़ वेल्स के आगमन पर विरोध आंदोलन किया था।  इसके लिए उन्हें सरकार की तरफ से छह महीने का दंड दिया गया। नेताजी ने ब्रिटिश सरकार को सबक सिखाने के लिए कई तरह की राजनितिक गतिविधियों में भाग लेने लगे थे। जनता के मन में नेताजी ने घर बना लिया था।

सुभाष चंद्र बोस ने सिविल डिसओबेडिएंस मूवमेंट में भाग लिया था। यही से सुभाष चंद्र बोस भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का हिस्सा बन गए थे। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य नेताजी बन गए। इसके पश्चात वह, 1939 में पार्टी के अध्यक्ष बने। यह  सिर्फ  केवल थोड़े समय के लिए था। बाद में उन्होंने इस पद से इस्तीफा दे दिया था।

ब्रिटिश को नेताजी से बड़ी परेशानी थी। नेताजी से मन ही मन वे डरते थे। इसलिए ब्रिटिश सरकार ने नेताजी को घर पर नज़र बंद करके रखा था। लेकिन नेताजी ने अपनी चतुराई से वहां से निकल पड़े और सन 1941  को वह रहस्मयी तरीके से देश से बाहर चले गए।  लेकिन इसके पीछे उनका एक ही उद्देश्य था, देश को आज़ादी दिलाना।

फिर वह अंग्रेजों के खिलाफ मदद मांगने के लिए वे यूरोप गए। उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ने हेतु रूस और जर्मनों जैसे देशो से  की मदद मांगी। नेताजी सन 1943 में जापान गए थे। ऐसा इसलिए था क्योंकि जापानियों ने भारत को आज़ाद करवाने का उनका प्रस्ताव मंज़ूर किया। जापान में सुभाष चंद्र बोस ने भारतीय राष्ट्रीय सेना के गठन का आरम्भ कर दिया था।

बोस लगातार दूसरे बार कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए थे। लेकिन गांधी और कांग्रेस के साथ उनके कुछ मतभेद हो गए, जिसके कारण  बोस ने इस्तीफा दे दिया। बोस महात्मा गांधी के अहिंसा के दृष्टिकोण से असहमत थे । गाँधी जी और नेहरू का भली भांति समर्थन ना मिलने का कारण नेताजी ने इस्तीफा दे दिया था।

भारतीय राष्ट्रीय सेना ने भारत के उत्तर-पूर्वी हिस्सों पर हमला किया। यह हमला सुभाष चंद्र बोस के नेतृत्व में हुआ। आई-एन-ए कुछ भागों को लेने में सफल रहा।  हालांकि, बोस ने आत्मसमर्पण करने से इनकार कर दिया। नेताजी विमान में बच कर निकल रहे थे, लेकिन कुछ तकनीकी खराबी के कारण विमान संभवतः दुर्घटनाग्रस्त हो गया। कहा जाता है 18 अगस्त 1945 को सुभाष चंद्र बोस का निधन हो गया। लेकिन नेताजी की मौत को लेकर अभी भी संदेह बना हुआ है।

कांग्रेस की विचारधाराओं से वे कुछ ख़ास सहमत नहीं थे। इसलिए उन्होंने आज़ाद हिन्द फ़ौज का गठन किया था। देश के लोगो ने सुभाष चंद्र बोस के फ़ौज की गठन के लिए काफी मदद की।

निष्कर्ष सुभाष चंद्र बोस के चले जाने से देश को काफी झटका लगा। वे निडर होकर देश की सेवा में लगे रहे। उन्होंने कई कठिनाईओं का सामना किया। नेताजी वीर राष्ट्र नेता थे और आज भी हम सबके दिलो में ज़िंदा है। देशवासी आज भी देशभक्त नेताजी को उतना ही प्यार और सम्मान देते थे, जितना की पहले। ऐसे सच्चे नेताओं की ज़रूरत आज  देश को है। हम अपने आपको भाग्यशाली मानते है, नेताजी जैसे नेता ने हमारे देश का नेतृत्व किया और अपने सारे इच्छाओं की कुर्बानी देकर, देश हित को सर्वप्रथम रखा। हम सर झुकाकर ऐसे देशभक्त का नमन करते है। नेताजी के इन्ही गुणों के कारण वह मेरे प्रिय नेता है।

मेरे प्रिय नेता पर निबंध- Mera Priya Neta Nibandh in Hindi 2

मेरे प्रिय नेता: महात्मा गांधी पर निबंध | Mahatma Gandhi ji

प्रस्तावना : महात्मा गांधी, जिन्हें राष्ट्रपिता के रूप में भारतीयों ने सम्मान दिया है, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान नेता और आदर्श मानवीयता के प्रतीक थे। उनकी अहिंसा, सत्य और आत्म-नियंत्रण की प्रेरणा ने दुनियाभर के लोगों को प्रभावित किया और उनका योगदान आज भी हमारे समाज में महत्वपूर्ण है।

महात्मा गांधी का जीवन: मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर, गुजरात में हुआ था। वे एक संगीतकार के पुत्र थे और उनका बचपन आसपास की गांवों में बीता। उन्होंने विद्या प्राप्त की और वकालत की पढ़ाई की, परंतु उनकी आत्म-अभिवादना के चलते उन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ सत्याग्रह आरंभ किया।

सत्याग्रह और अहिंसा के प्रयोग: महात्मा गांधी ने अहिंसा और सत्य के माध्यम से भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की मार्गदर्शन की। उन्होंने विभाजन और शांति के लिए सत्याग्रह का सिद्धांत प्रस्तुत किया और उनके नेतृत्व में भारतीय जनता ने अपनी आवाज उठाई और स्वतंत्रता की प्राप्ति के लिए संघर्ष किया।

नमक-चक्र और खिलाफत आंदोलन: महात्मा गांधी ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अपनी अनूठी तकनीकें अपनाई, जैसे कि नमक-चक्र और खिलाफत आंदोलन। वे विभाजन को समाप्त करने और हिन्दू-मुस्लिम एकता को स्थापित करने के प्रयासों में भी सक्रिय रहे।

स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नेता: महात्मा गांधी ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नेता के रूप में अपनी प्रमुखता और दृढ संकल्प दिखाई। उन्होंने सत्य और अहिंसा के प्रति अपने अटूट संकल्प के लिए प्रसिद्धता प्राप्त की और उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा दिलाई।

स्वतंत्रता की प्राप्ति: महात्मा गांधी के नेतृत्व में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम ने अंग्रेज साम्राज्य के खिलाफ संघर्ष किया और उसने अपनी अहिंसा और सत्य के सिद्धांतों के माध्यम से भारत को स्वतंत्रता दिलाने का कार्य किया। 1947 में भारत ने आजाद होकर स्वतंत्रता प्राप्त की और महात्मा गांधी की मेहनत और संघर्ष की भूमिका महत्वपूर्ण थी।

समाज सुधार और आदर्श मानवता : महात्मा गांधी के योगदान का केंद्रिय हिस्सा समाज में सुधार और आदर्श मानवता की प्रोत्साहना था। उन्होंने विभिन्न समाजिक मुद्दों पर अपने विचार और क्रियाएँ साझा की, जैसे कि वर्ण व्यवस्था, असहमति का मूल्यांकन आदि।

आखिरी शब्द: महात्मा गांधी के विचार, सिद्धांत और योगदान ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को एक नया दिशा दिलाया और उनका प्रेरणास्त्रोत बनकर लोग आज भी उनके महान कार्यों को याद करते हैं। उनकी आदर्श मानवता, सत्य और अहिंसा की प्रेरणा हमें आज भी सही मार्ग दिखाती है और हमें उनके योगदान के प्रति कृतज्ञ रहना चाहिए।

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मेरा प्रिय नेता: पंडित जवाहरलाल नेहरू पर निबंध | Pt. Jawaharlal Nehru

प्रस्तावना : पंडित जवाहरलाल नेहरू भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान नेता और पहले प्रधानमंत्री थे। उनका नाम भारतीय राजनीति और स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में स्थायी रूप से स्थापित है। मैं उनकी सोच, कर्मठता और देश के प्रति समर्पण को सराहता हूँ और उनके प्रति आदरभावना रखता हूँ।

पंडित जवाहरलाल नेहरू का जीवन : पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवम्बर 1889 को इलाहाबाद में हुआ था। उन्होंने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त की और फिर इंग्लैंड में आईआईटी कॉलेज से कानून की पढ़ाई की।

नेहरू जी का संघर्ष : नेहरू जी ने गांधी जी के प्रेरणास्त्रोत बनकर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया और उन्होंने भारतीय युवाओं को स्वतंत्रता संग्राम में शामिल होने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने बच्चों के प्रति अपनी विशेष स्नेहभावना के लिए भी प्रसिद्ध थे और उन्हें ‘चाचा नेहरू’ के रूप में संदर्भित किया जाता है।

प्रथम प्रधानमंत्री: भारत की स्वतंत्रता के बाद, पंडित नेहरू ने पहले प्रधानमंत्री के रूप में देश की कई महत्वपूर्ण पहलुओं को संचालित किया। उन्होंने भारत की सामाजिक, आर्थिक और विज्ञानिक दिशा में विकास की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए।

शिक्षा और विज्ञान में दृष्टिकोण: नेहरू जी ने शिक्षा को महत्वपूर्ण साधना मानते थे और उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में नई दिशाएँ देखने की प्रेरणा दी। उन्हें बच्चों के विकास की ओर महत्वपूर्ण कदम उठाने का विशेष ध्यान था, जिसका परिणाम स्थानीय और विशेषज्ञ शिक्षा के क्षेत्र में उनके प्रति महत्वपूर्ण योगदान के रूप में दिखाई दिया।

नेहरू जी और शांति: नेहरू जी ने विश्वयुद्ध के बाद भारत को शांति और सहयोग की दिशा में अग्रसर करने के लिए कई महत्वपूर्ण पहलुओं का समर्थन किया। उन्हें विश्वयुद्ध के दुखों और त्रासदियों के बावजूद भारत को विकास और प्रगति की दिशा में आगे बढ़ने की दिशा में नेतृत्व करने का महत्वपूर्ण काम था।

निष्कर्ष : पंडित जवाहरलाल नेहरू भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान नेता, शिक्षाविद्, और दृढ शांतिप्रेमी थे। उनके नेतृत्व में भारत ने विश्व स्तर पर अपनी पहचान बनाई और विकास की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए। उनकी विचारधारा, दृढता और देशभक्ति हम सभी के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं।

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मेरा प्रिय नेता: लोकमान्य टिळक पर निबंध | Lokmanya Balgangadhar Tilak

प्रस्तावना : लोकमान्य बाल गंगाधर टिळक भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान नेता और विचारक थे। उनका नाम भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के उद्घाटनकर्ता के रूप में महत्वपूर्ण है। वे गांधीजी के साथ स्वतंत्रता संग्राम के महत्वपूर्ण प्रमुख रहे हैं। मैं उनकी सोच, कार्यक्षमता और देशप्रेम को सराहता हूँ और उनके प्रति आदरभावना रखता हूँ।

लोकमान्य टिळक का जीवन: लोकमान्य टिळक का जन्म 23 जुलाई, 1856 को महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले के चुंद्रपूर गांव में हुआ था। उन्होंने अपनी शिक्षा पुणे और बेनारस विश्वविद्यालय से प्राप्त की। उन्होंने विशेष रूप से संस्कृत और वेदांत की अध्ययन किया और उन्हें विचारधारा में मजबूती प्राप्त हुई।

विचारों का प्रवर्धन : लोकमान्य टिळक ने ‘स्वराज्य हमारी जन्मसिद्ध हक्क आहे, आणि तो मिलेल’ (स्वतंत्रता हमारा जन्मसिद्ध हक्क है, और वह मिलेगा) यह उक्ति देशभक्ति और स्वतंत्रता के प्रति उनके प्रतिबद्धन का प्रतीक है। उन्होंने देशभक्ति के उद्देश्य के लिए महाराष्ट्रीय लोगों को उत्तेजित किया और स्वतंत्रता संग्राम के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

स्वतंत्रता संग्राम में योगदान: लोकमान्य टिळक ने ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ सख्त विरोध किया और उन्होंने विशेष रूप से स्वतंत्रता संग्राम के अभियानों का संचालन किया। उन्होंने ‘केसरी’ और ‘मराठा’ नामक पत्रिकाओं के माध्यम से लोगों को जागरूक किया और उन्हें आजादी की दिशा में प्रेरित किया।

शिक्षा के प्रति समर्पण: लोकमान्य टिळक ने शिक्षा को एक महत्वपूर्ण उपाय मानते थे जो लोगों को आदर्श नागरिक बनाता है। उन्होंने विशेष रूप से महिलाओं की शिक्षा को महत्व दिया और उन्हें समाज में समानता की दिशा में अग्रसर करने के लिए उत्साहित किया।

निष्कर्ष : लोकमान्य बाल गंगाधर टिळक भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक महान नेता और विचारक थे। उनके नेतृत्व में लोगों की आवश्यकताओं की पहचान होती थी और उन्होंने देश की स्वतंत्रता के लिए प्रतिबद्धता से काम किया। उनका योगदान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में अमर है और हम सभी को उनके महान कार्यों का सम्मान करना चाहिए।

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मेरे प्रिय नेता: नरेंद्र मोदी पर निबंध | Narendra Modi

प्रस्तावना : नेता वह व्यक्ति होता है जिसका दिल देश और समाज की सेवा में लगा रहता है। एक अच्छा नेता अपने लोगों के प्रति कर्तव्यभावना और समर्पण से भरपूर होता है और वह उनके सुख-समृद्धि की प्राथमिकता को समझता है। मेरे प्रिय नेता के बारे में यह निबंध लिखने जा रहा हूँ, जिनका मैं गहरा समर्थन करता हूँ और उनकी सोच, कार्यक्षमता और नेतृत्व को प्रेरणा स्रोत मानता हूँ।

मेरे प्रिय नेता – नरेंद्र मोदी: मेरे प्रिय नेता के रूप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम आता है। वह भारतीय राजनीति में अपने प्रगतिशील सोच और कर्मठता से प्रसिद्ध हैं। मैं उनके दृढ़ नेतृत्व को सलाही देता हूँ, जिनसे वह देश की सर्वांगीण विकास की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं।

नरेंद्र मोदी जी का जन्म 17 सितंबर, 1950 को गुजरात के वडनगर जिले के वडनगर गांव में हुआ था। उन्होंने अपनी जीवनी में गरीबी और संघर्षों से गुजरकर कड़ी मेहनत और समर्पण से अपने लक्ष्यों को प्राप्त किया। उनका संघर्ष एक सामाजिक कार्यकर्ता से राष्ट्रीय स्तर के नेता बनने की उनकी कड़ी मेहनत और निष्ठा का प्रतीक है।

नरेंद्र मोदी जी का नेतृत्व उनके सकारात्मक दृष्टिकोण, विकास के प्रति अपनी संकल्पित भावना और निष्ठा में छिपा होता है। उन्होंने ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ के सिद्धांत के साथ देश के विकास में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।

नरेंद्र मोदी जी का सपना ‘न्यू इंडिया’ की रचना करना है, जिसमें देश का युवा पीढ़ी विश्वस्तरीय तकनीकी और व्यावसायिक शिक्षा प्राप्त करे और उच्चतम आदर्शों का पालन करने में समर्थ हो। उनके नेतृत्व में ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ जैसे महत्वपूर्ण समाजिक योजनाओं की शुरुआत हुई, जो समाज में समानता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं।

नरेंद्र मोदी जी का सख्त नेतृत्व और समर्पण देश को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर गर्वित करता है। उन्होंने भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान की शुरुआत की, जिससे देश की आर्थिक मजबूती में सुधार हुआ है।

नागरिकों के प्रति उनकी सेवा भावना और देश के विकास के प्रति उनकी समर्पणशीलता ने मुझे उन्हें मेरे प्रिय नेता के रूप में चुनने के लिए प्रेरित किया है।

निष्कर्ष : मेरे प्रिय नेता नरेंद्र मोदी जी के दृढ नेतृत्व, सकारात्मक सोच और कठिनाइयों का सामना करने की क्षमता ने मुझे आदर्श और प्रेरणा स्रोत के रूप में प्राप्त किया है। उनके कार्यों से पता चलता है कि सच्चे नेता किस प्रकार से देश के विकास में योगदान कर सकते हैं।

इस प्रकार, मेरे प्रिय नेता नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत को विकास और समृद्धि की दिशा में मजबूत कदम बढ़ाते देखने में मुझे गर्व होता है।

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मेरा प्रिय नेता: डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर पर निबंध | Dr BabaSaheb Ambedkar

प्रस्तावना : डॉ. भीमराव रामजी आंबेडकर, जिन्हें हम सम्मान से डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के नाम से जानते हैं, एक महान समाजसेवी, विचारक और भारतीय संविधान के मुख्य निर्माता रहे हैं। उनके योगदान ने भारतीय समाज को सामाजिक और आर्थिक उत्थान की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाने में मदद की है।

जीवनी : डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को महाराष्ट्र के माऊ गांव में हुआ था। वे दलित समुदाय से संबंधित थे और उन्होंने अपने जीवन में दलितों के अधिकारों की रक्षा करने का संकल्प लिया। उन्होंने अपनी मेहनत और प्रतिबद्धता से शिक्षा प्राप्त की और बाद में विदेश में पढ़ाई की।

समाजसुधारक दृष्टिकोण: बाबासाहेब आंबेडकर ने समाज की बदलावपूर्ण सोच और समाज सुधार के प्रति अपनी समर्पितता के लिए प्रसिद्ध हैं। उन्होंने दलित समुदाय के अधिकारों की रक्षा करने के लिए संघर्ष किया और उन्होंने उन्हें उनके अधिकारों की जानकारी देने के लिए जागरूक किया।

भारतीय संविधान के मुख्य निर्माता: डॉ. आंबेडकर का सबसे महत्वपूर्ण योगदान भारतीय संविधान की तैयारी में था। उन्होंने संविधान समिति के अध्यक्ष के रूप में काम किया और संविधान के निर्माण में उनका महत्वपूर्ण योगदान है। उन्होंने समाज में समानता, न्याय और स्वतंत्रता के मूल अधिकारों की रक्षा की और भारतीय संविधान को सम्पूर्णता से तैयार किया।

शिक्षा के प्रति समर्पण: डॉ. आंबेडकर ने शिक्षा को एक महत्वपूर्ण साधना माना और उन्होंने दलित समुदाय के लोगों को शिक्षा प्रदान करने के लिए कई प्रयास किए। उन्होंने उन्हें जागरूक किया कि शिक्षा केवल ज्ञान का स्रोत नहीं होती, बल्कि यह समाज में उन्नति और समाज सुधार की दिशा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

निष्कर्ष : डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर भारतीय समाज के उत्थान और समाजिक सुधार के प्रति अपने अद्भुत संकल्प और समर्पण के लिए प्रसिद्ध हैं। उनका योगदान भारतीय समाज को समाजिक और आर्थिक समानता की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान के रूप में स्मृति में बना रहेगा।

मेरे प्रिय नेता पर निबंध- Mera Priya Neta Nibandh in Hindi 7

मेरा प्रिय नेता: ए.पी.जे. अब्दुल कलाम पर निबंध | APJ Abdul Kamal Azad

प्रस्तावना : भारतीय ग्यारहवें राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम को हम सर्वप्रिय नेता के रूप में सम्मान देते हैं। उनका जीवन और उनके योगदान ने हम सभी को प्रेरित किया है और उनके नेतृत्व में भारत ने विज्ञान, प्रौद्योगिकी और शिक्षा के क्षेत्र में अनेक महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।

जीवनी: ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम गांव में हुआ था। उन्होंने अपनी शिक्षा तमिलनाडु में पूरी की और फिर विश्वविद्यालय से विज्ञान में स्नातक की डिग्री प्राप्त की।

वैज्ञानिक योगदान : अब्दुल कलाम ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अपने योगदानों से दुनियाभर में पहचान बनाई। उन्होंने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के नेतृत्व में कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं का संचालन किया, जैसे कि चंद्रयान-1 और अग्नि मिसाइल के विकास में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा।

शिक्षाकर्म : अब्दुल कलाम ने शिक्षा के क्षेत्र में भी अपना सकारात्मक प्रभाव दिखाया। उन्होंने शिक्षा के महत्व को समझाया और छात्रों को यह सिखाया कि वे अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए कठिनाइयों का सामना करें। उनकी मोतिवेशनल कविताएँ और उनके शिक्षानिष्ठ भाषण हमें आगे बढ़ने की प्रेरणा प्रदान करते हैं।

परम्परागत संविधान के पक्षधर: अब्दुल कलाम का आदर्श और संविधान ने हमें दिखाया कि व्यक्तिगत और व्यक्तिगत सीमाओं से ऊपर उठकर समाज में सकारात्मक परिवर्तन की दिशा में काम करना चाहिए। उन्होंने युवा पीढ़ी से प्रेरित किया कि वे अपने सपनों को पूरा करने के लिए कठिनाइयों का सामना करें और समाज में उन्हें सकारात्मक परिवर्तन की दिशा में जुटने की प्रेरणा दी।

निष्कर्ष : ए.पी.जे. अब्दुल कलाम हमारे समय के एक महान नेता थे जिन्होंने विज्ञान, प्रौद्योगिकी और शिक्षा के क्षेत्र में अपने योगदानों से हमारे देश का मानविक और वैज्ञानिक उत्थान किया। उनकी दृढ़ इच्छा, प्रेरणादायक वाणी और सेवाभावी मानसिकता ने हमें सही दिशा में आगे बढ़ने की प्रेरणा दी। वे एक सजीव उदाहरण थे कि संघर्ष और मेहनत से किसी भी लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है।

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सुभाष चन्द्र बोस पर निबंध (Subhash Chandra Bose Essay in Hindi)

सुभाष चन्द्र बोस

नेताजी सुभाष चन्द्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को हुआ और इनका निधन 18 अगस्त 1945 में हुआ था। जब इनकी मृत्यु हुयी तो ये केवल 48 वर्ष के थे। वो एक महान भारतीय राष्ट्रवादी नेता थे जिन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारत की आजादी के लिये द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान बड़ी हिम्मत से लड़ा था। नेताजी 1920 और 1930 के दौरान भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के स्वच्छंदभाव, युवा और कोर नेता थे। वो 1938 में कांग्रेस अध्यक्ष बने हालांकि 1939 में उन्हें हटा दिया गया था। नेताजी भारत के एक क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने बहुत संघर्ष किया और एक बड़ी भारतीय आबादी को स्वतंत्रता संघर्ष के लिये प्रेरित किया।

सुभाष चन्द्र बोस पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on Subhash Chandra Bose, Subhash Chandra Bose par nibandh Hindi mein)

सुभाष चन्द्र बोस पर निबंध – 1 (250 – 300 शब्द).

सुभाष चन्द्र बोस पूरे भारतवर्ष में नेताजी के नाम से मशहूर हैं। वो भारत के एकमहान क्रांतिकारी थे, जिन्होंने भारत की आजादी में बहुत योगदान दिया। 23 जनवरी 1897 को उड़ीसा में कटक के एक अमीर हिन्दू परिवार में इनका जन्म हुआ।

प्रारंभिक शिक्षा

सुभाषजी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा कटक में एंग्लों इंडियन स्कूल से पूरी की और कलकत्ता विश्वविद्यालय से दर्शनशास्त्र में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। वो एक बहादुर और महत्वाकांक्षी भारतीय युवा थे जिन्होंने सफलतापूर्वक आई.सी.एस परीक्षा पास होने के बावजूद, अपनी मातृभूमि की आजादी के लिये असहयोग आंदोलन से जुड़ गये।

आज़ाद हिन्द फ़ौज की स्थापना

महात्मा गांधी के साथ कुछ राजनीतिक मतभेदों के कारण, 1930 में कांग्रेस के अध्यक्ष होने के बावजूद उन्होंने कांग्रेस को छोड़ दिया। नेताजी ने अपनी खुद की भारतीय राष्ट्रीय शक्तिशाली पार्टी ‘आजाद हिन्द फौज’ बनायी क्योंकि उनका मानना था कि भारत को एक आजाद देश बनाने के लिये गांधीजी की अहिंसक नीति सक्षम नहीं है।

स्वतंत्रता संग्राम और मृत्यु

वो जर्मनी गये और कुछ भारतीय युद्धबंदियों और वहाँ रहने वाले भारतीयों की मदद से भारतीय राष्ट्रीय सेना का गठन किया। आजाद हिन्द फौज और एंग्लों अमेरिकन बलों के बीच एक हिंसक लड़ाई में दुर्भाग्यवश, नेताजी सहित आजाद हिन्द फौज को आत्मसमर्पण करना पड़ा। जल्द ही वे, टोक्यो के लिये प्लेन में छोड़े गये हालांकि फारमोसा के आंतरिक भाग में प्लेन दुर्घटनाग्रस्त हो गया। उस प्लेन दुर्घटना में नेताजी की मृत्यु हो गयी।

नेताजी का साहसिक कार्य आज भी लाखों भारतीय युवाओं को देश के लिये कुछ कर गुजरने के लिये प्रेरित करता है। सुभाष चंद्र बोस एक विचार के रूप में जन – जन के बीच सदा के लिए अमर रहेंगे। भारत देश ऐसे वीर सपूतों के योगदान के लिए सदा ऋणी रहेगा।

इसे यूट्यूब पर देखें : Subhash Chandra Bose par Nibandh

Subhash Chandra Bose par Nibandh – निबंध 2 (250 शब्द)

भारतीय इतिहास में सुभाष चन्द्र बोस एक सबसे महान व्यक्ति और बहादुर स्वतंत्रता सेनानी थे। भारत के इतिहास में स्वतंत्रता संघर्ष के लिये दिया गया उनका महान योगदान अविस्मरणीय हैं। वो वास्तव में भारत के एक सच्चे बहादुर हीरो थे जिसने अपनी मातृभूमि की खातिर अपना घर और आराम त्याग दिया था। वो हमेशा हिंसा में भरोसा करते थे और ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता पाने के लिये सैन्य विद्रोह का रास्ता चुना।

उनका जन्म एक समृद्ध हिन्दू परिवार में 23 जनवरी 1897 को उड़ीसा के कटक में हुआ था। उनके पिता जानकी नाथ बोस थे जो एक सफल बैरिस्टर थे और माँ प्रभावती देवी एक गृहिणी थी। एक बार उन्हें ब्रिटिश प्रिसिंपल के ऊपर हमले में शामिल होने के कारण कलकत्ता प्रेसिडेंसी कॉलेज से निकाल दिया गया था। उन्होंने प्रतिभाशाली ढंग से आई.सी.एस की परीक्षा को पास किया था लेकिन उसको छोड़कर भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई से जुड़ने के लिये 1921 में असहयोग आंदोलन से जुड़ गये।

नेताजी ने चितरंजन दास के साथ काम किया जो बंगाल के एक राजनीतिक नेता, शिक्षक और बंगलार कथा नाम के बंगाल सप्ताहिक में पत्रकार थे। बाद में वो बंगाल कांग्रेस के वालंटियर कमांडेंट, नेशनल कॉलेज के प्रिंसीपल, कलकत्ता के मेयर और उसके बाद निगम के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के रुप में नियुक्त किये गये।

अपनी राष्ट्रवादी क्रियाकलापों के लिये उन्हें कई बार जेल जाना पड़ा लेकिन वो इससे न कभी थके और ना ही निराश हुए। नेताजी कांग्रेस के अध्यक्ष के रुप में चुने गये थे लेकिन कुछ राजनीतिक मतभेदों के चलते गांधी जी के द्वारा उनका विरोध किया गया था। वो पूर्वी एशिया की तरफ चले गये जहाँ भारत को एक स्वतंत्र देश बनाने के लिये उन्होंने अपनी “आजाद हिन्द फौज” को तैयार किया।

Essay on Subhash Chandra Bose in Hindi – निबंध 3 (400 शब्द)

नेताजी सुभाष चन्द्र बोस भारत के एक महान देशभक्त और बहादुर स्वतंत्रता सेनानी थे। वो स्वदेशानुराग और जोशपूर्ण देशभक्ति के एक प्रतीक थे। हर भारतीय बच्चे को उनको और भारत की स्वतंत्रता के लिये किये गये उनके कार्यों के बारे में जरुर जानना चाहिये। इनका जन्म 23 जनवरी 1897 को उड़ीसा के कटक में एक हिन्दू परिवार में हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा उनके अपने गृह-नगर में पूरी हुयी थी जबकि उन्होंने अपना मैट्रिक कलकत्ता के प्रेसिडेंसी कॉलेज से किया और कलकत्ता विश्वविद्यालय के स्कॉटिश चर्च कॉलेज से दर्शनशास्त्र में ग्रेज़ुएशन पूरा किया। बाद में वो इंग्लैंड गये और चौथे स्थान के साथ भारतीय सिविल सेवा की परीक्षा को पास किया।

अंग्रेजों के क्रूर और बुरे बर्ताव के कारण अपने देशवासियों की दयनीय स्थिति से वो बहुत दुखी थे। भारत की आजादी के माध्यम से भारत के लोगों की मदद के लिये सिविल सेवा के बजाय उन्होंने राष्ट्रीय आंदोलन से जुड़ने का फैसला किया। देशभक्त देशबंधु चितरंजन दास से नेताजी बहुत प्रभावित थे और बाद में बोस कलकत्ता के मेयर के रुप में और उसके बाद भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गये। बाद में गांधी जी से वैचारिक मतभेदों के कारण उन्होंने पार्टी छोड़ दी। कांग्रेस पार्टी छोड़ने के बाद इन्होंने अपनी फारवर्ड ब्लॉक पार्टी की स्थापना की।

 सुभाष चन्द्र बोस

वो मानते थे कि अंग्रेजों से आजादी पाने के लिये अहिंसा आंदोलन काफी नहीं है इसलिये देश की आजादी के लिये हिंसक आंदोलन को चुना। नेताजी भारत से दूर जर्मनी और उसके बाद जापान गये जहाँ उन्होंने अपनी भारतीय राष्ट्रीय सेना बनायी, ‘आजाद हिन्द फौज’। ब्रिटिश शासन से बहादुरी से लड़ने के लिये अपनी आजाद हिन्द फौज में उन देशों के भारतीय रहवासियों और भारतीय युद्ध बंदियों को उन्होंने शामिल किया। सुभाष चन्द्र बोस ने अंग्रेजी शासन से अपनी मातृभूमि को मुक्त बनाने के लिये “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा” के अपने महान शब्दों के द्वारा अपने सैनिकों को प्रेरित किया।

ऐसा माना जाता है कि 1945 में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की मृत्यु एक प्लेन दुर्घटना में हुयी थी। ब्रिटिश शासन से लड़ने के लिये उनकी भारतीय राष्ट्रीय सेना की सभी उम्मीदें उनकी मृत्यु की बुरी खबर के साथ समाप्त हो गयी थी। उनकी मृत्यु के बाद भी, कभी न खत्म होने वाली प्रेरणा के रुप में भारतीय लोगों के दिलों में अपनी जोशपूर्ण राष्ट्रीयता के साथ वो अभी-भी जिदा हैं। वैज्ञानिक विचारों के अनुसार, अतिभार जापानी प्लेन दुर्घटना के कारण थर्ड डिग्री बर्न की वजह से उनकी मृत्यु हुयी। एक अविस्मरणीय वृतांत के रुप में भारतीय इतिहास में नेताजी का महान कार्य और योगदान चिन्हित रहेगा।

Essay on Subhas Chandra Bose in Hindi

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Hindi Essay on “Mera Priya Neta: Subhash Chander Bose” , ”मेरे प्रिय नेता: सुभाष चंद्रबोस” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

मेरे प्रिय नेता 

नेताजी सुभाष चंद्रबोस

‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा।’

खुना के बदले आजादी देने की घोषणा करने वाले भारत माता काा अमर सपूत सुभाषचंद्र बोस का जन्म उड़ीसा राज्य के कटक नामक नगर में 23 जनवरी 1897 में हुआ था। उनके पिता राय बहादुर जानकीनाथ बोस वहां की नगरपालिका एंव जिला बोर्ड के प्रधान तो थे ही, नगर के एक प्रमुख वकील भी थे। बालक सुभाष की आरंभिक शिखा एक पाश्चात्य स्कूल में हुई। कलकता विश्वविद्यालय से मैट्रिक परीक्षा उतीर्ण करने के बाद प्रेसिडैंसी महाविद्यालय में प्रविष्ट हुए। वहां के एक भारत-निदंक प्रोपऊेसर को चांटा रसीद करने के कारण निकाल दिए गए। उसके बाद स्कॉटिश चर्च कॉलेज में पढक़र कलकत्ता यूनिवर्सिटी से बी.ए. ऑनर्स की डिग्री पाई। सन 1919 में सिविल परीक्षा पास करने इंज्लैंड गए और पास कर वापस भारत लौट गए। लेकिन बचपन से ही विद्रोही और स्वतंत्रता प्रेमी होने के कारण ब्रिटिश सरकार की नौकरी से पिता के लाख चाहने-कहने पर भी स्पष्ट इंकार कर दिया।

नौकरी से मना करने के बाद सुभाष देशबंधु चितरंजन के साथ उनके सेवादत में भर्ती होकर देश और जन सेवा के कार्य करने लगे। चितंरजन बाबू ‘अग्रगामी’ नामक एक पत्र निकाल करते थे, सुभाष उसका संपादन-प्रकाशन भी देखने लगे। सन 1921 में जब आप स्वतंत्रता-प्राप्ति के लिए स्वंयसेवक संगठित करने लगे। अंग्रेज सरकार ने पकडक़र जेल में बंद कर दिया। प्रिंस ऑफ वेल्स के भारत में आने पर बंगाल में उनका बहिश्कार करने वालों के आगे सुभाष बाबू ही थे। देशबंधु द्वारा गठित स्वराज्य दल का कार्य करने लगे। इनके इन कार्यों से घबराई ब्रिटिश सरकार ने काले पानी की सजा सुना मॉडल भेज दिया पर जब उनका स्वास्थ्य अच्छा नहीं रहा था  तो उन्हें छोड़ दिया गया। सन 1927 में वह जेल से रिहा होकर वापस लौटे तो मद्रास कांग्रेस अधिवेशन के अवसर पर उन्हें मंत्री बना दिया गया।

उन दिनों कांग्रेस में नरमदल और गदम दल दो प्रकार के नेता हुआ करते थे। सुभाष गदम दली माने जाते थे। उन्होंने कांग्रेस को ओपनिवेशक स्वराज की मांग न कर पूर्ण स्वराज की मांग का समर्थन किया और कांग्रेस में यही प्रस्ताव पारित करा दिया। गांधी जी से सुभाष के विचार मेल न खाते थे फिर भी सुभाष उनका सम्मान और कार्य करते रहे। फिर सन 1930 में जेल में स्वास्थ्य बिगड़ जाने पर ब्रिटिश सरकार को राजी कर कुछ दिनों के लिए यूरोप चले गए। वहां रहकर भी भारतीय स्वतंत्रता के लिए वातावरण तैयार करते रहे वापस देश आने पर उनको हरिपुर कांग्रेस का अध्यक्ष बना दिया गया। अगले वर्षा गांधी जी की इच्छा न रहते हुए भी पट्टाभिसीतारभैया के विरुद्ध खड़े हो सुभाष बाबू जीत गए पर सुभाष जी की इस जीत को गांधी जी ने अपनी हा माना और जब त्रिपुरा कांग्रेस अधिवेशन के अवसर पर गांधी जी ने कांग्रेस त्याग देने की धमकी दे डाली, तो सुभाष बाबू ने स्वंय ही अध्यक्ष पद से त्याग पत्र दे दिया।

त्याग पत्र देने के बाद सुभाष बाबू ने अग्रगामी दल नाम से एक अलग दल का गठन किया और राष्ट्र की स्वतंत्रता के लिए कार्य करते रहे। इस पर जब ब्रिटिश सरकार ने सुरक्षा-कानून के अंतर्गत पुन: गिरफ्तार कर लिया तो सुभाश बाबू ने आमरण अनशन की घोषणा करके सरकार को असमंजस की स्थिति में डाल दिया। बहुत सोच-विचार के बाद सरकार ने उन्हें जेल में न बंद करके घर में ही नजरबंद कर दिया और चारों ओर कड़ा पहरा बैठा दिया। कुछ दिन बाद वहां से निकल भागने की तैयारी करते रहे। समाधि लगाने के नाम पर अकेले रहकर अपनी दाढ़ी-मूंछ बढ़ा ली। मौलवी के वेश बनाया और ठीक आधी रात के समय समूची ब्रिटिश सत्ता और उसकी कड़ी व्यवस्ािा को धत्ता बताकर घर से चुपचाप निकल गए। वहां कलकत्ता से निकल लाहौर में राह पेशावर पहुंचे। वहां उत्तम चंद नाम एक देशभक्त व्यक्ति की सहायता से एक गूंगा व्यक्ति और उसका नौकर बनकर काबुल पहुंचे फिर वहां से आसानी से जर्मन पहुंच गए।

जापान में रासबिहारी तथा कई भारतीय व्यक्तियों तथा जापान के सहयोग से बंदी बनाए गए भारतीय सैनिकों तथा युवकों की सहायता से ‘आजाद हिंद फौज’ का गठन किया इसी अवसर पर उन्होंने सैनिकों को उत्साहित करने वाले भाषण में कहा ‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा।’ उत्साह से भरकर सेना ने मणिपुर और इंफाल के मोर्चों तक ब्रिटिश साम्राज्य के छक्के छुड़ा दिए। बर्मा एंव मलाया तक अंग्रेजों को हराकर मार भगाया। उन्होंने गांधी और जवाहर के नाम पर सैनिक-ब्रिगेड गठित किए साथ ही ‘झांसी की रानी ब्रिगेड’ भी महिला सेना गठित कर बनाया। सन 1905 में सुभाष बाबू जब एक निर्णायक आक्रमण भारत की स्वतंत्रता के लिए करना चाहते थे कि जर्मन युद्ध में हार गए और उनका सपना अधूरा रह गया। बाद में वह एक हवाई दुर्घटना का शिकार हो गए और इस संसार से चले गए।

आजाद हिंद सेना के सिपाही तथा अनय सभी आदर से सुभाष बाबू जी को ‘नेताजी’ कहकर संबोधित करते हैं आज हम को ‘जयहिंद’ कहकर परस्पर अभिवादन करते हैं यह सुभाष बाबु की ही देन है। भारत के इतिहास में नेताजी सुभाष चंद्र बोस का नाम हमेशा अमर रहेगा।

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आज के नेता पर निबंध Aaj ke neta essay in hindi

Aaj ke neta essay in hindi.

आज हम देख रहे हैं कि हमारे देश के नेता किस तरह से काम कर रहे हैं वह अपने स्वार्थ की वजह से ना तो देश का विकास कर रहे है और ना ही जनता का विकास कर रहे है । हमारे देश की जनता दुखी है हमारे देश में सबसे ज्यादा बेरोजगारी फैल रही है फिर भी हमारे देश के नेता इस बात पर गौर नहीं कर रहे हैं वह लोग तो अपनी पार्टी की तरक्की और अपनी तरक्की के विषय में ही सोचते हैं। अगर वह हमारे देश की जनता की सहायता नहीं कर सकते तो वह नेता क्यों बन जाते हैं ।

Aaj ke neta essay in hindi

आजकल के नेता विकास के मुद्दों पर काम ना करके सिर्फ सामने वाली पार्टी को कैसे हराना है उस पर ही चर्चा करते हैं। आज के नेता सिर्फ चुनाव के समय ही जनता के बीच में जाकर कई लोगों से वादे करके जीत कर जनता को भूल जाते हैं । ना तो उनको गरीब जनता के विकास के बारे में पता होता है और ना ही देश के विकास का और देश का विकास कैसे होगा इस बात पर भी ध्यान नहीं देते हैं ।

आज हमारे देश के नेताओं में एक लीडरशिप क्वालिटी नहीं होती है पूरे देश को और जनता को किस तरह से विकास की ओर ले जाएं इस तरह की कोई प्लानिंग उनके पास नहीं होती है। कई नेता जनता को ₹100000 की मदद देने के लिए लाखों रुपए बेमतलब के बर्बाद कर देते हैं जिससे उनकी पार्टी का प्रचार हो और उनका प्रचार हो सके। आजकल के ज्यादातर नेता ऐसे होते हैं वह जनता को पागल बनाकर उनसे वोट लेकर जीत जाते हैं और 5 साल ना तो जनता के बीच में आते हैं और ना ही किये गए वादों को पूरा करते हैं वह सिर्फ अपने और अपने परिवार के बारे में और जिन्होंने उनको जीतने में मदद की है उनके बारे में ही सोचते हैं ।

वह कभी न तो किसान के बारे में सोचते हैं और ना ही हमारे देश की बेरोजगारी के बारे में। वह देश के खजाने को बर्बाद तो कर ही रहे हैं साथ में हमारे देश के विकास को भी रोक रहे हैं । राजनीति करने में वह इतने बिजी हो गए हैं कि उनको अपने देश के हित में कार्य करने का मौका तक नहीं मिल पा रहा है वह सिर्फ अपने और अपनी पार्टी का भला सोच रहे हैं । अगर वह अपने बारे में और अपनी पार्टी के बारे में सोचते रहेंगे तो हमारा देश का भला कब होगा और हमारी गरीब जनता का भला कब होगा ।

चुनाव के समय वह लंबे लंबे वादे करते हैं सड़क बनवा देंगे, स्कूल कॉलेज खुलवा देंगे, फैक्ट्री खुलवा देंगे जिससे बेरोजगारी दूर हो सके लेकिन वह यह सब नहीं करते। सड़को पर गड्ढों की भरमार है जिस से जनता परेशान हो रही है लेकिन उनको कोई फर्क नहीं पड़ता ।

हमारे देश की गरीब जनता के बच्चे पढ़ नहीं पा रहे हैं कुछ भी अच्छी सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं लेकिन आजकल के ज्यादातर नेता राजनीति में इस तरह से डूबे हुए हैं कि उनको जनता के बारे मैं सोचने का समय नही मिल पा रहा है ।

bharat ko kaisa neta chahiye essay in hindi

हमारे देश को ऐसे नेता की जरूरत है जो हमारे देश के बारे में सोच सके, हमारे देश की जनता के बारे में सोच सके । हमारे देश का नेता पढ़ा लिखा होना चाहिए जो हमारे देश के साथ-साथ हमारे देश की जनता के हित में कार्य करें और वह लोगों को गरीबी से बाहर निकाल कर एक अच्छी जिंदगी दे सके यह सोचने की शक्ति उस नेता के अंदर होना चाहिए ।

वह नेता चुनाव के बाद भी जनता के बीच में जाकर उनकी समस्याओं का निराकरण कर सके ऐसा नेता हमारे देश के नेता होना चाहिए और वह अच्छे अच्छे कार्य करें । एक लीडरशिप की क्वालिटी उस नेता के अंदर होना चाहिए जो सभी नेताओं को साथ लेकर देश के विकास के साथ-साथ गरीब जनता , किसान के हित में कार्य करें और किस तरह से वह देश के विकास में अपना योगदान दे सकता है इसकी जानकारी उसके पास होना चाहिए ।

विकासशील भारत बनाने के लिए किस तरह से लोगों को आगे बढ़ाना है यह उसको मालूम होना चाहिए उसकी भावनाएं बिल्कुल गंगाजल की तरह पवित्र होना चाहिए जिससे वह हमारे देश और देश की जनता के बारे में सोच सकें । उसका कोई स्वार्थ नहीं होना चाहिए नेता निस्वार्थ होना चाहिए क्योंकि जो व्यक्ति स्वार्थ के लिए काम करता है वह सिर्फ अपना भला सोचता है और किसी का भला नहीं सोच सकता है ।

हमारे देश में कई ऐसे नेता भी रह चुके हैं जिन्होंने हमारे देश को विकास की ओर बढ़ाया है जैसे कि हम बात करें अटल बिहारी वाजपेई जी की जिन्होंने देश के लिये इतने अच्छे काम किए हैं और बे सभी पार्टी के नेताओं को सम्मान देकर देश हित में बात करते थे उनका तो सिर्फ एक ही उद्देश्य था देश का विकास। जब देश के विकास के बारे में बात आती थी तो वह विपक्ष से भी हाथ मिला लेते थे उनके इस अच्छे स्वभाव के कारण विपक्ष की पार्टी के लोग भी उनको याद करते हैं ।

उन्होंने अपनी अच्छी सोच के माध्यम से काम कर देश को विकास की ओर बढ़ाया है वास्तव में हमारे देश को ऐसे ही नेता की आवश्यकता है जो जनता के हित मैं कार्य करे, उनकी सोच सही हो और वह देश हित में कार्य कर सके, एक अच्छी लीडरशिप क्वालिटी उनके अंदर हो। जब ऐसे नेता हमारे देश के मंत्री बनेंगे तो देश का विकास दिन प्रतिदिन बढ़ता जाएगा जिससे हमारे भारत का विकास होगा ।

adarsh neta essay in hindi

एक आदर्श नेता वह नेता होता है जो 24 घंटे जनता के हित मैं कार्य करता रहे और निस्वार्थ से जनता के, अपने देश के हित मे कार्य करें। वह हर वक्त जनता की भलाई के बारे में सोचें उनके बीच में जाकर उनकी दुख तकलीफ के बारे में जाने और जितनी मदद हो सके उनकी मदद कर सके ।

एक आदर्श नेता को सोचना चाहिए कि वह देश को किस तरह से आगे बढ़ा सकता है और किस तरह से वह देश में फैली बेरोजगारी को खत्म करके लोगों को रोजगार देकर उनका विकास कर सकता हैं क्योंकि जब तक हर व्यक्ति के पास रोजगार नहीं होगा तब तक हमारे देश का विकास भी संभव नहीं है । उस नेता के अंदर एक लीडरशिप क्वालिटी भी होना बहुत आवश्यक है । जब तक अच्छी क्वालिटी उसके अंदर नहीं होगी तब तक वह कई नेताओं को एक साथ मिलाकर कार्य नहीं कर सकता क्योंकि एक व्यक्ति पूरे देश को विकास की ओर नहीं ले जा सकता वास्तव में देश को विकास की ओर ले जाना है तो सभी को मिलकर साथ काम करना होगा ।

जब सभी साथ मिलकर काम करेंगे तो हमारे देश का विकास दिन प्रतिदिन होता जाएगा। जब कोई एक लीडर खड़ा होगा जिस लीडर में लीडरशिप क्वालिटी होगी तो वह नए भारत बनाने और देश को विकास की ऊंचाइयों पर पहुंचाने में सभी नेताओं के साथ मिलकर योगदान दे सकेंगे।

आदर्श नेता वह नेता होता है जो आवश्यकता पड़ने पर देश के हित में बड़े बड़े फैसले ले सके, हमारे देश में जो लोग गलत काम कर रहे हैं उनको सजा दिला कर उनको अच्छे रास्ते पर लाने का प्रयास कर सकें । आदर्श नेता हमेशा जनता की सुनता है और जनता की भलाई के लिए कार्य करता है। आदर्श नेता सिर्फ पार्टी के लिए काम नहीं करता है वह सिर्फ काम करता है जनता के लिए।

आदर्श नेता हमेशा शिक्षा को कैसे बढ़ाया जाए और हमारे देश के गरीबों को किस तरह से बढ़ाया जाए, देश को किस तरह से विकासशील देश बनाया जाए उस बारे में ही सोचता है । आदर्श नेता जनता के बीच में जाकर उनसे सलाह मशवरा करके और उनके फेवर में कार्य करत है जिससे जनता के विकास के रास्ते खुले और देश, जनता दोनों का विकास हो सके ।

हमारा देश एक ऐसा देश रहा है जहां पर कई महावीर पैदा हुए हैं जैसे की महात्मा गांधी , चंद्र शेखर आजाद इन लोगों ने अपनी चिंता ना करके हमारे देश को आजाद कराने में अपना योगदान दिया है । अब हमारी बारी है, हमारे देश में सभी नेताओं की बारी है कि वह स्वार्थ छोड़कर देश हित में कार्य करें और देश की जनता और देश का विकास करें।

  • नेता पर हास्य कविता Hasya kavita on netaji in hindi
  • मेरा प्रिय नेता नरेन्द्र मोदी पर निबंध Mera priya neta narendra modi essay in hindi

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मेरा प्रिय नेता पर निबंध Mera Priya Neta Essay In Hindi

Mera Priya Neta Essay In Hindi – Mera Priya Neta Nibandh दोस्तों आज हम आपको इस ब्लॉग में मेरे प्रिय नेता पर निबंध किस प्रकार से लिखा जाता है इस विषय पर जानकारी एवं निबंध लिख कर दूंगा ताकि आपको आसानी हो सके कि किस प्रकार से निबंध लिखा जाता है और क्या-क्या शब्द इस निबंध में अपने प्रिय नेता के बारे में लिखते हैं वह सब भी बताने वाला हूं अगर आपको इस विषय पर निबंध लिखने को दिया गया है तो इस ब्लॉग को अंत तक अवश्य पढ़ें

चलिए शुरू करते हैं

Mera Priya Neta Essay In Hindi

मेरा प्रिय नेता पर निबंध – Mera Priya Neta Essay In Hindi

Mera priya neta nibandh.

भारत देश में वर्तमान समय में जितने भी नेता है वह सभी भ्रष्टाचार से भरे हुए हैं जिस वजह से इस समय के लोग को उसके अंदर नेता का शब्द सुनते ही एक अलग सा ही गुस्सा दौड़ होता है क्योंकि वह सभी मात्र अपने मतलब के लिए हमारे देश में नेता बने हुए हैं ताकि उनके पास पावर पैसा बना रहे लेकिन जो हमारा देश ब्रिटिश सरकार का गुलाम था तब जितने भी नेता थे वह सभी हमारे देश को आजादी दिलाने एवं जन कल्याण के लिए कार्य किया करते थे इसलिए उस समय के नेता मुझे बहुत ज्यादा पसंद थे वर्तमान समय के नेताओं के मुकाबले।

वर्तमान समय में जितना भी भ्रष्टाचार बढ़ रहा है उसमें से लगभग 90% नेताओं का योगदान है क्योंकि यदि किसी के परिवार में कोई नेता है तब उसके परिवार में किसी को भी संविधान के कानूनों से कुछ फर्क नहीं पड़ता वह बहुत ही आसानी से जुर्म करके बच जाते हैं।

वर्तमान समय में नेता बनना मतलब खुद के बारे में पहले सोचना जैसा हो गया है लोग दूसरे को बारे में बिल्कुल भी विचार नहीं करते वहां अपने परिवार एवं अपनी सुख-सुविधाओं का पहले ख्याल करते हैं। इसलिए यह इनमें से कोई भी नेता मेरे प्रिय नेता नहीं है मेरे प्रिय नेता दो है जो मुझे बहुत ज्यादा पसंद है पहले सुभाष चंद्र बोस तथा महात्मा गांधी यह दोनों नेता देश को आजादी दिलाने के लिए कड़ी संघर्ष एवं ब्रिटिश सरकार के खिलाफ जंग लड़ी थी।

मैं महात्मा गांधी से ज्यादा नेता सुभाष चंद्र बोस जी को प्रेम करता हूं क्योंकि मुझे भी यह लगता है कि किसी भी कार्य को हम शांति से नहीं कर सकते जब तक हम सामने वाले से लड़ेंगे नहीं तब तक किसी भी कार्य को अंजाम तक नहीं पहुंचाया जा सकता इसलिए नेता सुभाष चंद्र बोस मेरे पसंदीदा नेता है जिनका जन्म 23 जनवरी सन 18 सो 97 में हुआ था यह अत्याचार के खिलाफ बहुत ही सख्त थे और यह ब्रिटिश सरकार से बहुत ही बहादुर के साथ जंग लड़ी थी और अंत में एक समय ऐसा आया था जब यह ब्रिटिश सरकार के द्वारा पकड़े जाते तब उन्होंने स्वयं को गोली मारकर शहीद कर दिया।

नेता सुभाष चंद्र बोस पढ़ने में बहुत अधिक होशियार थे और उन्होंने अपनी आरंभिक शिक्षा अपने ही स्थानीय विद्यालय से प्राप्त की थी उसके पश्चात यह प्रेसिडेंसी कॉलेज में अपना दाखिला कराएं और वहां पर पढ़ना आरंभ किए वहां पर पढ़ाई संपन्न करने के पश्चात इन्होंने आईसीएस की परीक्षा के लिए इंग्लैंड गए और उन्होंने इस परीक्षा को अच्छे तरीके से उत्तीर्ण कर लिया उन्होंने जब यह परीक्षा उत्तीर्ण की तब उनको एक बहुत ही अच्छी नौकरी प्राप्त हो जाती जिसके पश्चात वह सारे सुख सुविधाओं के साथ अपना जीवन सरलता से जी सकते थे लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया और देश को आजादी दिलाने के लिए अपना सब कुछ त्याग कर आजादी की राह पर चलने लगे

जरूर पढिये: 

Mera Priya Neta Hindi Nibandh

नेता सुभाष चंद्र बोस स्वामी विवेकानंद को अपने गुरु मानते थे उनके द्वारा बताए गए हर एक मार्ग को वहां अपनाया करते थे तथा इसके साथ साथ हुआ श्रीमद्भागवत गीता में भी यकीन रखते थे जिससे उनको बहुत हौसला और ब्रिटिश सरकार के खिलाफ लड़ने की प्रेरणा प्राप्त होती थी।

नेता सुभाष चंद्र बोस अपना राजनीतिक कदम असहयोग आंदोलन से आरंभ किया था उसके पश्चात उन्होंने कई सारे आंदोलनों का नेतृत्व एवं सारे आंदोलन में हिस्सा लिया ऐसे नमक आंदोलन उसके पश्चात प्रिंस ऑफ वेल्स का आगमन भारत में हो रहा था तब उसके विरोध में आंदोलन किया था उसमें भी नेता सुभाष चंद्र बोस बहुत बढ़ चढ़कर हिस्सा लिए थे और इस वजह से उनको ब्रिटिश सरकार की तरफ से सजा भी दी गई थी लेकिन उनके द्वारा किए गए कार्य एवं लोगों की मदद ने नेता सुभाष चंद्र बोस को बहुत ही कम समय में लोगों के दिलों पर राज करने लगे थे

सुभाष चंद्र बोस हमारे देश को आजाद कराने के लिए बहुत सारे आंदोलन में हिस्सा लिया और हमारी सबसे पुरानी राष्ट्रीय पार्टी राष्ट्रीय कांग्रेस के यह एक सदस्य बने उसके पश्चात पार्टी का अध्यक्ष सन 1939 में बनाया गया लेकिन इस पद पर वह अधिक समय तक कार्यरत ना रह सके और कुछ समय पश्चात ही उन्होंने इस पद को छोड़ दिया था। सुभाष चंद्र बोस एक बहुत ही साहसी स्वतंत्रता सेनानी थे जिस वजह से ब्रिटिश सरकार की परेशानी बढ़ गई थी वह इनसे बहुत अधिक डरते थे और इसी वजह से नेता सुभाष चंद्र बोस को नजरबंद करके रखा गया था लेकिन वहां से भी सुभाष भाग निकले

नेता सुभाष चंद्र बोस महात्मा गांधी के अहिंसा वादी होने से परेशान थे उनका मानना था कि अहिंसा से हम अपने देश को आजाद नहीं करा सकते इस वजह से उनके मध्य मतभेद होता था और यही कारण है कि जब वह दूसरी बार कांग्रेस के अध्यक्ष बने थे उसके पश्चात भी इन्होंने उस पद को छोड़कर इस्तीफा दिया। नेता सुभाष चंद्र बोस रूस और जर्मनी को भी देश को आजादी के लिए मांग की थी लेकिन कुछ खास मदद नहीं मिली उसके पश्चात वह जापान के लोगों से मदद मांगी और उन्होंने इनकी मांग को पूरा करने का प्रस्ताव किया और वहां पर नेता सुभाष चंद्र बोस ने राष्ट्रीय सेना की शुरुआत की।

नेता सुभाष चंद्र बोस एक बहुत ही प्रसिद्ध नेता थे जिनको हम प्रतिवर्ष बहुत ज्यादा सम्मान के साथ याद करते हैं क्योंकि इनका पूरे जीवन में मात्र एक ही मकसद था हमारे देश को आजादी दिलाना।

दोस्तों अभी हमने आपको इस ब्लॉग में मेरे प्रिय नेता पर निबंध लिखकर बताएं अगर आपको यह पसंद आया हो तो आपसे अपने दोस्तों के साथ भी साझा करें और यदि आपका कोई सवाल है तो आप उनसे कमेंट में अवश्य पूछे एवं अपने सुझाव को आप हमें कमेंट करके दे।

अगर हमारे द्वारा Mera Priya Neta Essay In Hindi में दी गई जानकारी में कुछ भी गलत है तो आप हमें तुरंत Comment बॉक्स और Email में लिखकर सूचित करें। यदि आपके द्वारा दी गई जानकारी सही है, तो हम इसे निश्चित रूप से बदल देंगे। दोस्तों अगर आपके पास Mera Priya Neta Nibandh In Hindi के बारे में हिंदी में और जानकारी है तो हमें कमेंट बॉक्स में बताएं। हम Hindi Essay On Mera Priya Neta इसमे जरूर बदलाव करेंगे। और ऐसेही रोमांचक जानकारी को पाने के लीएं HINDI.WIKILIV.COM पे आते रहिएं धन्यवाद

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Essay : (मेरा प्रिय नेता) MERA PRIYA NETA Nibandh in Hindi

मेरा प्रिय नेता पर निबंध ( Mera Priya Neta Essay in Hindi ): Given below some lines of Short Essay / Nibandh on Mera Priya Neta in Hindi. मेरे प्रिय नेता महात्मा गांधी जी हैं। महात्मा गाँधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी था। महात्मा गाँधी का जन्म 2 अक्टूबर सन 1869 में पोरबन्दर में हुआ था। मैट्रिक परीक्षा पास करने के बाद वह उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैण्ड गए। वहां से लौटने पर उन्होंने वकालत प्रारंभ क़ी। गाँधी जी का सार्वजानिक जीवन दक्षिण अफ्रीका में प्रारंभ हुआ। उन्होंने भारतीयों क़ी सहायता क़ी। उन्होंने सत्याग्रह आन्दोलन प्रारंभ किया। उन्होंने अनेक कष्ट सहे। उनको अपमानित किया गया। अंत में उन्हें सफलता मिली। गाँधी जी भारत वापस आये और स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया। वह कई बार जेल गए। अब सारा देश उनके साथ था। लोग उन्हें राष्ट्रपिता कहने लगे। अंत में भारत को 1947 में स्वतंत्रता प्राप्त हुई। गाँधी जी सादा जीवन बिताते थे। वह 'सादा जीवन, उच्च विचार' को मानने वाले थे। उन्होंने हमको 'अहिंसा' का पाठ पढ़ाया। वह एक समाज सुधारक थे। उन्होंने छुआ-छूत को दूर करने का प्रयत्न किया। उन्होंने गॉवों कि दशा सुधारने का पूरा प्रयत्न किया। उन्हें भारत के 'राष्ट्रपिता' के रूप में जाना जाता है।

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नेताजी सुभाष चंद्र बोस पर निबंध (Netaji Subhash Chandra Bose Essay In Hindi)

नेताजी सुभाष चंद्र बोस पर निबंध (Netaji Subhash Chandra Bose Essay In Hindi)

आज के इस लेख में हम नेताजी सुभाष चंद्र बोस पर निबंध (Essay On Netaji Subhash Chandra Bose In Hindi) लिखेंगे। नेताजी सुभाष चंद्र बोस पर लिखा यह निबंध बच्चो (kids) और class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए लिखा गया है।

नेताजी सुभाष चंद्र बोस पर लिखा हुआ यह निबंध (Essay On Netaji Subhash Chandra Bose In Hindi) आप अपने स्कूल या फिर कॉलेज प्रोजेक्ट के लिए इस्तेमाल कर सकते है। आपको हमारे इस वेबसाइट पर और भी कही विषयो पर हिंदी में निबंध मिलेंगे, जिन्हे आप पढ़ सकते है।

सुभाष चंद्र बोस पर निबंध (Subhash Chandra Bose Essay In Hindi)

“तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा”।

यह वाक्य इस धरती के सपूत का है। जिसने जन्मभूमि, राष्ट्र को अपनी जन्म दात्री से भी बढ़कर श्रेष्ठ माना था। स्वतंत्रता के अमर सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस के विषय में एक कवि की यह युक्ति बड़ी ही सटीक और चरितार्थ रूप में सिद्ध होती है।

जन्म दात्री मां अपरिमित प्रेम में विख्यात है।

किंतु वह अपनी जन्मभूमि के सामने बस माता है।

नेताजी सुभाष चंद्र जी का जन्म और शिक्षा

नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी सन 1897 में उड़ीसा राज्य की राजधानी कटक में हुआ था। इनके पिता श्री जानकीनाथ बोस कटक के सुप्रसिद्ध वकील थे। सुभाष जी के सगे भाई सरतचंद्र बोस भी देशभक्तों में उचित स्थान रखते थे।

सुभाष चंद्र जी की आरंभिक शिक्षा एक यूरोपियन स्कूल में हुई थी। सुभाष जी ने सन 1913 में मैट्रिक की परीक्षा में कोलकाता विश्वविद्यालय में दूसरे स्थान को प्राप्त किया था। इसके बाद उनको उच्च शिक्षा के लिए कोलकाता के प्रेसिडेंसी कॉलेज में प्रवेश दिलाया गया।

इस कॉलेज का एक अंग्रेज अध्यापक भारतीयों का अपमान करने के अर्थ में जाना जाता था। सुभाष चंद्र बोस से इस प्रकार का अपमान सहन ना हुआ और उस अध्यापक की उन्होंने पिटाई कर दी। पिटाई करने के कारण वे कॉलेज से निकाल दिए गए थे।

इसके बाद अपने सकाटीश विद्यालय से प्रथम श्रेणी में आई. सी. एस की परीक्षा पास करके स्वदेश आकर सरकारी नौकरी करने लगे।

नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी के भाई – बहन 

नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी के पिता का नाम जानकीनाथ और उनकी माता का नाम प्रभावती था। इनकी 6 बेटियां और 8 बेटे थे, सुभाष चंद्र बोस जी उनकी नौवीं संतान और पांचवें नंबर के बेटे थे।

उनके सभी भाइयों में सुभाष चंद्र जी के पिता सुभाष चंद्र बोस जी से अधिक स्नेह और प्यार रखते थे। नेता जी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा कटक के रेवे शॉप कॉलेजिएट स्कूल से प्राप्त करी थी।

नेताजी का स्वदेश प्रेम

सुभाष चंद्र बोस आराम -परस्त जिंदगी से बेहतर स्वराष्ट्र की दशा और जीवन को आराम-परस्त जीवन बनाने के अधिक पक्षधर थे। इसलिए उन्होंने सरकारी नौकरी पर लातमार कर स्वदेश प्रेम को महत्व दिया।

नेताजी सुभाष चंद्र बोस भारत को स्वतंत्र करने के अग्रणी दूत महात्मा गांधी के संपर्क में, सन 1920 में नागपुर में होने वाले कांग्रेस अधिवेशन के समय आए थे। महात्मा गांधी के प्रभाव में आकर उन्होंने अनेक प्रकार की यातनाओ को सहते हुए आजादी की सांस ली है। बिना विश्राम का दृढ़ संकल्प करके इसका आजीवन निर्वाह भी किया।

आजाद हिंद फौज का गठन

नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने पूर्ण स्वराज्य की प्राप्ति के प्रयास में फॉरवर्ड ब्लॉक दल का संगठन किया और आजादी के लिए सक्रिय कदम उठाया। इसी के लिए इन्होंने कांग्रेस दल से त्यागपत्र भी दे दिया था।

इनके अतः उत्साह और अद्भुत सूझ-बूझ सहित बेमिसाल योजना के कार्यान्वयन से अंग्रेजी सत्ता काँपने लगी। इसी कारण इनको कई बार गिरफ्तार भी किया गया और मुक्त भी किया गया।

एक बार इनको इनके ही घर में नजरबंद कर दिया गया था। तब यह वेश बदलकर नजरबन्दी से निकलकर काबुल के मार्ग से जर्मनी जा पहुंचे। उस समय के शासक हिटलर ने इनका सम्मान किया।

सन् 1942 में नेताजी ने जापान में आजाद हिंद फौज का संगठन किया। सुभाष चंद्र बोस द्वारा गठित यह आजाद हिंद फौज बहुत ही हिम्मती और बहादुरी वाली थी। जिनसे अखंड ब्रिटिश सत्ता कई बार कांप उठी थी।

इनके सामने ब्रिटिश शक्ति के पांव उखड़ने लगे थे। आजाद हिंद फौज के संगठन का नेतृत्व के द्वारा नेता जी ने संपूर्ण गुलाम नागरिकों को उत्साहित करते हुए यह बुलंद आवाज दी थी कि “तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा”।

साधनों और सुविधाओं के अभाव को झेलते हुए भी आजाद हिंद की फौज में अदम्य और अपार शक्ति का संचार था। जिसने कई बार अंग्रेज सैन्य शक्ति को कई मोर्चों पर परास्त किया था। लेकिन बाद में जर्मनी और जापान के पराजय के फल स्वरुप आजाद हिंद फौज को भी विवश होकर हथियार डालने पड़े थे।

नेताजी सुभाष चंद्र बोस के सुविचार

नेताजी सुभाष चंद्र जी के जीवन से जुड़े अद्भुत और हम सभी को सही राह दिखाने वाले कुछ विचार थे। जिन्हें हमें हमारे जीवन में उतार कर अपना जीवन सफल बनाना चाहिए।नेताजी के सुविचार कुछ इस प्रकार है।

(1) सबसे बड़ा अपराध अन्याय सहना और गलत व्यक्ति के साथ समझौता करना है।

(2) सबसे महत्वपूर्ण विचार सुभाष चंद्र बोस जी ने दिया था “तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा”

(3) हमेशा हमारे जीवन में आशा की किरण आती रहती है, हमें बस उसे पकड़ कर रखना चाहिए, भटकना नहीं चाहिए।

(4) यह हमारा फर्ज है कि हम आजादी की कीमत अपने और अपने त्याग और बलिदान से दे, जो आजादी हमें मिले उसकी रक्षा करने की ताकत हमें हमारे अंदर रखनी चाहिए।

(5) हमारा जीवन कितना भी कस्टमय, दर्द भरा क्यों ना हो, लेकिन हमें हमेशा आगे बढ़ते रहना चाहिए, क्योंकि मेहनत और लगन से सफलता मिलना तय है।

(6) जो अपनी ताकत पर भरोसा करता है वह सफलता जरूर पाता है। उधार की सफलता पाने वाला व्यक्ति हमेशा घायल सा ही रहता है। इसलिए अपनी मेहनत से सफलता प्राप्त करें।

(7) अपने देश के लिए अपना जीवन निछावर करना।

(8) हमेशा साहस अपने जीवन में बनाए रखें, ताकत से और मातृभूमि से प्रेम बनाए रखें, तो सफलता जरूर मिलती है।

नेताजी सुभाष चंद्र के यह विचार उन स्वतंत्रता सेनानियों के योद्धाओं में से एक हैं, जिन्होंने बताया कि स्वतंत्रता के लिए और अपने मातृभूमि के लिए यदि मेरा जीवन भी समाप्त होता है तो मुझे अपनी मातृभूमि पर गर्व होगा, जिस मातृभूमि पर मैंने जन्म लिया।

नेताजी सुभाष चंद्र बोस और महात्मा गांधी 

भारत में 1921 में बढ़ती हुई राजनीति के बारे में जब सुभाष चंद्र बोस जी ने समाचार पत्र में पढ़ा, तो वह अपनी उम्मीदवारी को छोड़कर वापस से भारत में आ गये। सिविल सर्विस को छोड़कर के भारतीय कांग्रेस से जुड़ गए।

सुभाष चंद्र बोस महात्मा गांधी जी के अहिंसा के विचारों से सहमत नहीं थे। क्योंकि वो थे गर्म मिजाज के जोशीले क्रांतिकारी और महात्मा गांधी जी उदारदल के थे। महात्मा गांधी और सुभाष चंद्र जी के विचार भले ही अलग हो, लेकिन दोनों का मकसद एक ही था।

सुभाष चंद्र बोस जी और महात्मा गांधी जी जानते थे, कि हमारे विचार आपस में नहीं मिलते हैं लेकीन हमारा मकसद एक है जो की था देश को स्वतंत्रता दिलाना। इन सब तालमेल के ना मिलने के बाद भी सुभाष चंद्र बोस जी ने महात्मा गांधी जी को राष्ट्रपिता के नाम से संबोधित किया था।

पर जब 1938 में सुभाष चंद्र बोस के राष्ट्रीय कांग्रेस का अध्यक्ष निर्वाचित हुए, तब इन्होंने राष्ट्रीय योजना आयोग का गठन किया। परंतु इनकी यह नीति गांधीवादी विचारों के अनुकूल नहीं थी।

1939 में सुभाष चंद्र बोस जी ने गांधीवादी प्रतिद्वंदी को हराकर जीत हासिल कि। लेकिन अब गांधीजी ने इसे अपनी हार मानी और जब गांधी जी को अध्यक्ष चुना गया तो उन्होंने कहा, कि सुभाष चंद्र बोस के जीत में भी हार है और मुझे ऐसा लगने लगा कि वह कांग्रेस से त्यागपत्र दे देंगे।

गांधीजी के विरोध के चलते उनके विद्रोही अध्यक्ष ने त्यागपत्र दे दिया। गांधीजी के लगातार विरोध के कारण सुभाष चंद्र बोस जी ने स्वयं कांग्रेस को छोड़ दिया। उसके कुछ दिन बाद दूसरा विश्व युद्ध छिड़ गया था।

सुभाष चन्द्र जी की बेटी अनीता बोस

आप सभी को शायद ये बात ना पता हो कि सुभाष चन्द्र जी की एक बेटी भी है, जिनका नाम अनीता बोस है। जो हमेशा से भारत सरकार से ये मांग करती रही कि जापान के जिस मन्दिर में उनके पिता की अस्थियां रखी गई है, उनका डी. एन. ए. टेस्ट करा कर भारत लाया जाए।

अनीता कहती है जब वो चार साल की थी, तब सुभाष चन्द्र जी का निधन 18 अगस्त 1945 में एक विमान हादसे में हो गया। बताया जाता है की उसके बाद में सुभाष चन्द्र जी के जिंदा होने की खबरें खूब उड़ी, लेकिन सत्य क्या है वो आज तक नहीं पता चला।

उनकी मां ने अनीता बोस को कठिन परिस्थितियों में पाला और बड़ा किया था। दुनिया में ये किसी को नहीं पता था कि सुभाष जी ने शादी कर ली है और उनकी एक बेटी भी है। अनीता तब चार साल की थीं जब सुभाष जी का निधन 18 अगस्त 1945 को तायहोकू में एक विमान हादसे में बताया गया।

उसके बाद से सुभाष जी के जिंदा होने को लेकर खबरें तो खूब उड़ीं, लेकिन वो कभी सामने नहीं आए। उनकी मां ने कठिन स्थितियों में उन्हें पाला और बड़ा किया। बाहरी दुनिया में ये किसी को नहीं मालूम था कि सुभाष जी ने शादी कर ली थी और उन्हें एक बेटी भी है।

आजादी के बाद ये सच्चाई सामने आई, जब जवाहर लाल नेहरु जी ने इस बात से सभी को रूबरू करवाया। उन्होंने सुभाष चन्द्र बोस जी की पत्नी एंमली के लिए आर्थिक मदद भारत सरकार की ओर से दि। ये मदत कई सालो तक भारत सरकार की ओर से उन्हें मिलती रही।

अनीता सुभाष चन्द्र जी की बेटी, जब 18 साल की थी तब भारत आईं, तो उनका बहुत सम्मान किया गया।

नेताजी सुभाष चंद्र की मृत्यु पर शंका

23 अगस्त 1945 टोक्यो आकाशवाणी ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की दुख पूर्ण मृत्यु का समाचार प्रसारित किया। कहा जाता है कि उनकी मृत्यु हवाई जहाज की दुर्घटना पूर्ण स्थिति के फल स्वरुप हुई थी।

अब भी नेता जी के अनन्य श्रद्धालुओं को इस घटना की सत्यता के प्रति आशंका है। या इसे अज्ञात ही मानने का दृढ़ विश्वास है। ऐसे व्यक्तियों को अब भी नेता जी के जीवित होने में पूर्ण रुप से विश्वास है। कुछ लोगों को अब नेताजी के ना होने की धारणा बन गई है। इस प्रकार नेताजी के जीवन के अंतिम अध्याय के प्रति रहस्यमई स्थिति बनी हुई है।

संपूर्ण विश्व में एकमात्र श्रद्धा, विश्वास और सम्मान के साथ नेताजी की उपाधि प्राप्त करने वाले सुभाष चंद्र बोस की देशभक्ति का आदर्श, आज भी हमें प्रेरित होकर उत्साहित करता है।और आने वाली पीढ़ी को भी इसी तरह भाव विभोर करते हुए देश के लिए बलिदान देने की प्रेरणा देता रहेगा।

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तो यह था नेताजी सुभाष चंद्र बोस पर निबंध, आशा करता हूं कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस  पर हिंदी में लिखा निबंध (Hindi Essay On Netaji Subhash Chandra Bose) आपको पसंद आया होगा। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा है, तो इस लेख को सभी के साथ शेयर करे।

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मेरा प्रिय नेता नरेंद्र मोदी पर निबंध | Narendra Modi essay in Hindi | Essay in Hindi | Hindi Nibandh | हिंदी निबंध | निबंध लेखन | Narendra Modi par nibandh

By: Amit Singh

नरेंद्र मोदी का राजनीतिक जीवन | Narendra Modi par nibandh

गुजरात के मुख्यमंत्री के रुप में मोदी जी का कार्यकाल | pm modi as gujarat cm | narendra modi essay in hindi, मेरा प्रिय नेता पर निबंध | नरेंद मोदी पर निबंध | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निबंध, प्रधानमंत्री मोदी का दूसरा कार्यकाल | modi government second tenure | मेरे प्रिय नेता नरेंद्र मोदी पर निबंध.

नरेंद्र मोदी का पूरा नाम नरेंद्र दामोदर दास मोदी है। उनका जन्म 17 सितम्बर 1950 को गुजरात के वाड़नगर जिले में हुआ था। उनके पिता का नाम दामोदर दास मोदी और माता का नाम हीराबेन मोदी है। 1968 में मोदी जी का विवाह हुआ था। उनकी पत्नी का नाम जशोदाबेन मोदी है।

नरेंद्र मोदी ने अपनी शुरुआती पढ़ाई वाड़नगर से ही की। यहां वो पढ़ाई के साथ-साथ वाड़नगर रेलवे स्टेशन पर स्थित चाय की दुकान में हाथ भी बटाते थे। मोदी जी के अध्यापकों के अनुसार वो पढ़ने में तेज होने के अलावा एक बेहतरीन वक्ता, वाकपटुता में माहिर और थिएटर में दिलचस्पी रखने वाली शख्सियत थे।

वहीं मोदी जी बचपन से ही राजनीति से काफी प्रभावित थे। वो महज आठ साल की उम्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का हिस्सा बन गए थे और उसकी स्थानीय शखाओं में आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में भी शिरकत करते थे।

यहां मोदी जी RSS नेता लक्षमण राव इनामदार से मिले, जोकि वकील साहब के नाम से मशहूर थे। जहां वकील साहब ने मोदी जी से प्रभावित होकर उन्हें बालस्वयंसेवक का नाम दिया वहीं मोदी जी ने भी उन्हें अपना मार्गदर्शक बना लिया।

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1968 में शादी के महज कुछ ही समय बाद मोदी जी महज 18 साल की उम्र में घर छोड़कर भारत भ्रमण पर निकल गए थे। इस दौरान उन्होंने उत्तर भारत और उत्तर-पूर्व भारत की सैर की और तभी एक आश्रम में रुकने के बाद स्वामी विवेकानन्द के जीवन से खासे प्रभावित भी हुए।

लगभग 2 साल के भ्रमण के बाद मोदी जी गुजरात वापस लौटे और इनामदार के सुझाव पर औपचारिक रुप से RSS का हिस्सा बन गए। इसी दौरान मोदी जी की मुलाकात 1971 में अटल बिहारी वाजपेयी से हुई, जिनके साथ रहकर मोदी जी ने राजनीति के कई दावं-पेंच सीखे।

कुछ ही समय में मोदी जी RSS के पूर्णकालीक प्रचारक बन गए और जिसके तहत उन्होंने न सिर्फ संघ की विचारधारा का प्रचार-प्रसार करना शुरु किया बल्कि सत्ता पर काबिज कांग्रेस पार्टी की कई गतिविधियों पर खुलकर विरोध भी दर्ज कराया।

वहीं राजनीति में अपना करियर स्थापित कर चुके मोदी जी ने बचपन में गरीबी के कारण अधूरी छूटी पढ़ाई को पूरा करने का मन बनाया। इसी कड़ी में उन्होंने 1978 में उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक किया और 1983 में गुजरात विश्वविद्यालय से प्रथम श्रेणी में राजनीतिक विज्ञान की डिग्री हासिल की।

गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी

2001 में गुजरात के तात्कालीन मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल के खराब स्वास्थय के कारण नरेंद्र मोदी को गुजरात की गद्दी सौंप दी गयी।

हालांकि लाल कृष्ण अडवाणी और अटल बिहारी वाजपेयी जैसे बीजेपी के वरिष्ठ नेता मोदी जी में अनुभव के अभाव के कारण उन्हें राज्य का मुख्यमंत्री बनाने को लेकर काफी संशय में थे।

लेकिन कुछ ही समय बाद गुजरात में हुए विधानसभा चुनावों के नतीजों ने सभी सवालों पर पूर्णविराम लगा दिया। इन चुनावों में न सिर्फ बीजेपी में बहुमत हासिल किया बल्कि बतौर मुख्यमंत्री मोदी जी के नाम पर भी जनता ने मुहर लगा दी।

इसी के साथ 7 अक्टूबर 2001 को मोदी जी ने गुजरात के मुख्यमंत्री के रुप में शपथ ग्रहण की।

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गुजरात का मुख्यमंत्री बनने के बाद मोदी जी के समक्ष कई चुनौतियां विद्यमान थीं। इस कड़ी में पहला नाम है 2002 में होने वाले गुजरात दंगों का, जिसमें लगभग एक हजार लोगों की मौत हो गयी और हजारों की संख्या में लोग घायल हो गए थे। n a rendra modi gujarat riots

हालांकि तमाम रुकावटों के बावजूद मोदी जी ने राज्य के विकास के लिए कई प्रभावपूर्ण नीतियों की पहल की। इसी का नतीजा था, कि लगातार तीन बार गुजरात का मुख्यमंत्री चुने जाने के बाद मोदी जी ने गुजरात मॉडल के साथ ही 2014 के लोकसभा चुनावों में एंट्री की और प्रधानमंत्री चुने गए।

भारत के प्रधानमंत्रीः नरेंद्र मोदी

2014 के लोकसभा चुनावों में प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में बीजेपी भारी बहुमत के साथ सत्ता में आई और 26 मई 2014 को मोदी जी ने देश के 14वें प्रधानमंत्री रुप में शपथ ग्रहण की।

प्रधानमंत्री के रुप में मोदी जी ने देश को कई महत्वपूर्ण सौगातें दीं। नए भारत की इस संकल्पना में प्लानिंग आयोग को बर्खास्त कर नीति आयोग की स्थापना, मन की बात कार्यक्रम, डिजीटल इंडिया पहल, ईंधन मुक्त भारत के लिए उज्जवला योजना, गांधी जयंती के दिन स्वच्छ भारत मिशन का आगाज और आयुष्मान स्वास्थय योजना के रुप में न सिर्फ भारत की बल्कि दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थय योजना की शुरुआत मोदी सरकार की नीतियों का ही परिणाम है।

इसी के साथ 2019 में मोदी जी अपना कार्यकाल पूरा करने वाले पहले गैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्री बने और साथ ही साथ 2019 के चुनावों में जीत का परचम लहराने के बाद मोदी जी सबसे लम्बा कार्यकाल ग्रहण करने वाले देश के चौथे प्रधानमंत्री भी बन गए।

पिछले पांच सालों में बेमिसाल काम करने और मजबूत विपक्ष के अभाव में मोदी सरकीर 2019 में फिर से दिल्ली की गद्दी पर काबिज हुई और प्रधानमंत्री मोदी ने दूसरे कार्यकाल के लिए देश के बागडोर संभाली।

अपने दूसरे कार्यकाल में भी मोदी मंत्रीमंडल ने जनता की अपेक्षाओं पर खरे उतरते हुए कई मुखर और कठिन फैसले लिए। 5 अगस्त 2019 को कश्मीर से धारा 370 हटाना इन्हीं फैसलों में से एक था, जिसके लिए कहीं मोदी सरकार की जमकर सरहाना की गयी तो कहीं लोकतंत्र को खतरा करार देते हुए आलोचनाओं का अंबार भी लगा।

इसी कड़ी में दशकों से कोर्ट के कठघरे में फैसले की राह देख रहे राम मंदिर को हरी झंडी दिखाने से लेकर नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA protest), NRC, और किसान बिलों (farm laws) को लेकर मोदी सरकार खासी चर्चा में रही।

2020 में जहां समूची दुनिया कोरोना वायरस महामारी से त्रस्त थी, वहीं संयुक्त राष्ट्र और … सहित कई वैश्विक मंचों ने देश को महामारी की त्रासदी से बाचने के भारत सराकर के प्रयासों की भी सरहारना की।

इस दौरान जहां पीएम मोदी की अपील पर समूचे देश ने एकजुट होकर लॉकडाउन और कोरोना गाइडलाइन्स का पालन कर कोरोना के खिलाफ जंग जीतने में अकल्पनीय सहयोग दिया, वहीं भारत सरकार ने भी न सिर्फ देश को वैक्सीनेटेड करने का काम किया बल्कि वैक्सीन डिप्लोमैसी के तहत अफ्रीका सहित कई पड़ोसी देशों को भी वैक्सीन मुहैया कराई। यही नहीं ऑपरेशन सागर (operation sagar) और आपरेशन वंदे मातरम (operation vande matram) के अंतर्गत भी भारत सरकार ने कई रिकॉर्ड कायम किए।

हालांकि इस दौरान अर्थव्यवस्था के डगमगाते पहिए के कारण सबका साथ सबका विकास का नारा देने वाली मोदी सरकार कई बार सवालों के कठघरे में खड़ी होती नजर आती है, लेकिन दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का वैश्विक मंचों पर लगातार उभरना, आतंकवाद (terrorism) जैसे मुद्दों पर बेबाकी से अपनी आवाज उठाना, हरित ऊर्जा (renewable energy) की तर्ज पर अंतर्राष्ट्रीय सौर्य संगठन (International solar alliance) की नींव रखना और जलवायु परिवर्तन के तहत पैरिस समझौते (paris agreement) को सख्ती से लागू करना पीएम मोदी के नए भारत की संकल्पना को साकार करता है।

बतौर प्रधानमंत्री मोदी जी न सिर्फ देश बल्कि विदेशों में भा खासे लोकप्रिय हैं। यही कारण है कि मशहूर टाइम पत्रिका ने 2020 में लगातार पांचवीं बार पीएम मोदी का नाम दुनिया की सौ प्रभावशाली शख्सियतों की फेहरिस्त में शुमार किया है। देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु और पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बाद पीएम मोदी इस लिस्ट में शामिल होने वाले तीसरे राजनेता हैं।

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मेरा प्रिय नेता पर निबंध | Mera Priya Neta Essay In Hindi

नमस्कार  दोस्तों आज हम मेरा प्रिय नेता इस विषय पर हिंदी निबंध जानेंगे। हमारे देश में अनेक नेता हुए हैं। मैं उन सबका आदर करता हूँ। इन सब में पंडित जवाहरलाल नेहरू मेरे प्रिय नेता हैं।

नेहरू जी हमारे देश के अत्यंत लोकप्रिय नेता थे। उनकी वाणी लोगों के दिलों को छू लेती थी। परिश्रम करने में उनका जवाब नहीं था। 'आराम हराम है' सूत्र उन्होंने ही हमें दिया है।

नेहरू जी की देशभक्ति बेजोड़ थी । उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में गाँधी जी के साथ देश का नेतृत्व किया। मातृभूमि की आजादी के लिए वे अनेक बार जेल गए और उन्होंने अनेक कष्ट सहे। देश के लिए उन्होंने घर-गृहस्थी के सुख की परवाह नहीं की। उन्होंने अपना सबकुछ देश पर न्योछावर कर दिया।

नेहरू जी स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री थे। वे आजीवन प्रधानमंत्री पद पर रहे। उनके कार्यकाल में देश ने खेती, उद्योग, व्यापार, शिक्षा, विज्ञान और सुरक्षा आदि सभी क्षेत्रों में प्रगति की। देश में लोकतंत्र मजबूत हुआ। उन्होंने दुनिया को शांति और सहयोग का संदेश दिया। इसलिए वे 'शांतिदूत' के नाम से प्रसिद्ध हुए। उनकी गणना संसार के बड़े नेताओं में होती थी।

नेहरू जी अंग्रेजी भाषा के महान लेखक थे। बच्चों से उन्हें बेहद लगाव था। देश के बच्चों के वे प्यारे नेहरू चाचा' थे। गुलाब का फूल उन्हें बहुत प्रिय था।  नेहरू जी ने अपने कार्यों से भारत का गौरव बढ़ाया । उनके नेतृत्व में भारत की बहुत प्रगति हुई और दुनिया में भारत का महत्त्व बढ़ा। इसलिए भारत के इस 'जवाहर' पंडित नेहरू को मैं अपना प्रिय नेता मानता हूँ। दोस्तों ये निबंध आपको कैसा लगा ये कमेंट करके जरूर बताइए ।

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नेताजी का चश्मा कविता का सार | Kshitij Hindi Class 10th | पाठ 10 | नेताजी का चश्मा कविता Summary | Quick revision Notes ch-10 Kshitij | EduGrown

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नेताजी का चश्मा कविता का सार | Kshitij Hindi Class 10th | पाठ 10 | नेताजी का चश्मा कविता  Summary | Quick revision Notes ch-10 Kshitij | EduGrown

Table of Contents

स्वंय प्रकाश

इनका जन्म सन 1947 में इंदौर (मध्य प्रदेश) में हुआ। मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढाई कर एक औद्योगिक प्रतिष्ठान में नौकरी करने वाले स्वंय प्रकाश का बचपन और नौकरी का बड़ा हिस्सा राजस्थान में बिता। फिलहाल वे स्वैछिक सेवानिवृत के बाद भोपाल में रहते हैं और वसुधा सम्पादन से जुड़े हैं।

स्वंय प्रकाश नेताजी का चश्मा कविता का सार | Kshitij Hindi Class 10th | पाठ 10 | नेताजी का चश्मा कविता  Summary | Quick revision Notes ch-10 Kshitij | EduGrown

नेताजी का चश्मा Class 10 Hindi  पाठ का सार ( Short Summary )

एक कंपनी में कार्यरत एक साहब अक्सर अपनी कंपनी के काम से बाहर जाते थे | हालदार साहब एक कस्बे से होकर गुजरते थे | वह क़स्बा बहुत ही छोटा था| कहने भर के लिए बाज़ार और पक्के मकान थे| लड़कों और लड़कियों का अलग अलग स्कूल था | मुख्य बाज़ार के मुख्य चौराहे पर नेताजी की मूर्ति थी | मूर्ति कामचलाऊ थी पर कोशिश सराहनीय थी | संगमरमर की मूर्ति थी पर उसपर चश्मा असली था | चौकोर और चौड़ा सा काला रंग का चश्मा | फिर एक बार गुजरते हुए देखा तो पतले तार का गोल चश्मा था | जब भी हालदार साहब उस कस्बे से गुजरते तो मुख्य चौराहे पर रूककर पान जरुर खाते और नेताजी की मूर्ति पर बदलते चश्मे को देखते | एक बार पानवाले से पूछा की ऐसा क्यों होता है तो पानवाले ने बताया की ऐसा कैप्टेन चश्मे वाला करता है | जब भी कोई ग्राहक आटा और उसे वही चश्मा चाहिए तो वो मूर्ति से निकलकर बेच देता और उसकी जगह दूसरा फ्रेम लगा देता | पानवाले ने बताया की जुगाड़ पर कस्बे के मास्टर साहब से बनवाया वह मूर्ति, मास्टर साहब चश्मा बनाना भूल गए थे | और पूछने पर पता चला की चश्मे वाले का कोई दूकान नहीं था बल्कि वो बस एक मरियल सा बूढा था जो बांस पर चश्मे की फेरी लगाता था | जिस मजाक से पानवाले ने उसके बारे में बताया हालदार साहब को अच्छा न लगा और उन्होंने फैसला किया दो साल तक साहब वहां से गुजरते रहे और नेताजी के बदलते चश्मे को देखते रहे | कभी काला कभी लाल, कभी गोल कभी चौकोर, कभी धूप वाला कभी कांच वाला | एक बार हालदार साहब ने देखा की नेताजी की मूर्ति पर कोई चश्मा नहीं है |  पान वाले ने उदास होकर नम आँखों से बताया की कैप्टन मर गया | वो पहले ही समझ चुके थे की वह चश्मे वाला एक फ़ौजी था और नेताजी को उनके चश्मे के बगैर देख कर आहत हो जाता होगा | अपने जी चश्मों में से एक चश्मा उन्हें पहना देता और जब भी कोई ग्राहक उसकी मांग करते तो उन्हें वह नेताजी से माफ़ी मांग कर ले जाता और उसकी जगह दूसरा सबसे बढ़िया चश्मा उन्हें पहना जाता होगा | और  उन्हें याद आया की पानवाले से हस्ते हुए उसे लंगड़ा पागल बताया था | उसके मरने की बात उनके दिल पर चोट कर गयी और उन्होंने फिर कभी वहां से गुजरते वक़्त न रुकने का फैसला किया | पर हर बार नज़र नेताजी की मूर्ति पर जरुर पड़ जाती थी | एक बार वो यह देख कर दंग रह गये की नेताजी की मूर्ति पर चश्मा चढ़ा है | जाकर ध्यान से देखा तो बच्चो द्वारा बनाया एक चश्मा उनकी आँखों पर चढ़ा था | इस कहानी से यह बताने की कोशिश की गयी है की हम देश के लिए कुर्बानी देने वाले जवानों की कोई इज्जत नहीं करते| उनके भावनाओं की खिल्ली उड़ा देते और न ही हमारे स्वतंत्रता के लिए जान लगाने वाले महान लोगों की इज्ज़त करते हैं | पर बच्चों ने कैप्टन की भावनाओं को समझा और नेताजी की आँखों को सुना न होने दिया |

नेताजी का चश्मा Class 10 Hindi  पाठ का सार ( Detailed Summary )

पाठ का सार पार्ट-1 .

कहानी कुछ इस प्रकार है कि हालदार साहब हर पन्द्रहवें दिन कंपनी के काम से एक छोटे से कस्बे से निकलते थे।  उस कस्बे में एक लड़कों का स्कूल, एक लड़कियों का स्कूल, एक सीमेंट का कारखाना, दो ओपन सिनेमा तथा एक नगरपालिका थी।   नगरपालिका थी तो कुछ ना कुछ करती रहती थी, कभी सड़के पक्की करवाने का काम तो कभी शौचालय तो कभी कवि सम्मलेन करवा दिया।

पाठ का सार  पार्ट-2

  एक बार नगरपालिका के एक उत्साही अधिकारी ने मुख्य बाजार के चौराहे पर सुभाषचंद्र बोस की संगमरमर की मूर्ति लगवा दी।   चूँकि बजट अधिक नहीं था इसलिए मूर्ति बनाने का काम कस्बे के एक ड्राइंग मास्टर को दे दिया जाता है। मूर्ति सुंदर बनी थी। लेकिन उसमें एक कमी थी। नेताजी की आँखों में चश्मा नहीं था। किसी ने मूर्ति को रियल का एक काला चश्मा पहना दिया था। जब हालदार साहब आए तो वे देखकर बोले, वाह भई ! क्या आइडिया है। मूर्ति पत्थर का और चश्मा रियल का। दूसरी बार जब हालदार साहब आए तो उन्होंने मूर्ति पर तार से बना गोल फ्रेम वाला चश्मा लगा देखा।

पाठ का सार पार्ट-3 

          तीसरी बार फिर उन्होंने नया चश्मा देखा। इस बार उन्होंने पानवाले से पूछ लिया कि नेताजी का चश्मा हर बार बदल कैसे जाता है? उसने बताया- यह काम कैप्टन चाश्मेंवाला करता है। हालदार तुरंत समझ गए कि बिना चश्में वाली मूर्ति कैप्टन को अच्छी नहीं लगती होगी इसलिए वह अपनी ओर से चश्मा लगा देता होगा है। जब कोई ग्राहक वैसे ही फ्रेम वाले चश्में की माँग करता होगा जैसा मूर्ति पर लगा है तो वह मूर्ति से उतारकर दे देता होगा और मूर्ति पर फिर से नया फ्रेमवाला चश्मा लगा देता होगा।

पाठ का सार  पार्ट-4 

  हालदार साहब ने पानवाले से यह भी पूछा कि कैप्टन चश्मेवाला नेताजी का साथी है क्या? या आजाद हिन्द फ़ौज का कोई भूतपूर्व सिपाही ?  पानवाला बोला कि वह लंगड़ा क्या फ़ौज में जाएगा ,  वह तो पागल है ,  पागल! हालदार साहब को एक  देशभक्त का इस तरह से मजाक उड़ाना  अच्छा नहीं लगा। जब उन्होंने कैप्टन को देखा तो उनको बड़ा आश्चर्य हुआ क्योंकि कैप्टन एक बूढ़ा ,  मरियल तथा लंगड़ा (दिव्यांग) सा आदमी था। उसके सिर पर गाँधी टोपी और गोला चश्मा था। वह एक हाथ में छोटी – सी संदूकची और दूसरे हाथ में चश्मों वाला बांस लिए था। 

पाठ का सार  पार्ट-5 

         दो साल के भीतर हालदार साहब ने नेताजी की मूर्ति पर कई चश्मे बदलते हुए देखे। एक बार जब हालदार साहब पुनः कस्बे से गुजरे तो उनको मूर्ति पर किसी प्रकार का चश्मा नहीं दिखाई दिया। कारण पूछने पर पानवाले ने बताया कि कैप्टन मर चुका है। जिसका उन्हें बहुत दुःख हुआ। पंद्रह दिन बाद जब वे कस्बे से गुजरे तो उन्होंने ड्राइवर से कहा पान कहीं आगे खा लेंगे। मूर्ति की ओर भी नहीं देखेंगे।

पाठ का सार पार्ट-6 

       परन्तु आदत से मजबूर हालदार साहब की नजर चौराहे पर आते ही आँखे मूर्ति की ओर उठ जाती हैं। वे गाड़ी से उतर कर मूर्ति के सामने सावधानी से खड़े हो जाते हैं। मूर्ति पर बच्चों द्वारा बना एक सरकंडे का छोटा-सा चश्मा लगा हुआ था। सरकंडे का चश्मा देखकर उनकी आखें नम हो जाती हैं। वे भावुक हो गए।

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नरेंद्र मोदी पर निबंध

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रूपरेखा : परिचय - नरेंद्र मोदी जी का प्रारंभिक जीवन - मोदी जी की शिक्षा - मोदी जी का राजनीति में प्रवेश - प्रधानमंत्री बनना - उनका मुख्यमंत्री से प्रधानमंत्री बनने का सफ़र - मोदी जी के कार्य - नरेंद्र मोदी जी की उपलब्धियां - निष्कर्ष।

हमारे देश के वर्तमान प्रधानमंत्री तथा भारत के 14 वें प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी भारतीय जनता पार्टी के महान नेता है। आज वो हमारे देश के प्रमुख प्रधानमंत्री ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में ख्याति प्राप्त राजनेता हैं। इन्होंने विदेशों में जाकर सभी बड़े बड़े देशों से मित्रता स्थापित की। भारत की विकास करने में मोदी जी का बड़ा योगदान रहा है।

हमारे देश के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का जन्म 17 सितम्बर 1950 को गुजरात के वडनगर कस्वा में हुआ। इनका पूरा नाम “नरेंद्र दामोदर दास मोदी” है। उनके माता का नाम हीराबेन तथा पिता का नाम दामोदर दास मूलचंद मोदी था। नरेंद्र मोदी का बचपन काफी संघर्ष पूर्ण रहा है। उनके परिवार की आर्थिक स्थिति ख़राब थी। उनके पिता एक चाय की दुकान चलाया करते थे। मोदी उनकी सहायता किया करते थे। इसलिए नरेंद्र मोदी को चाय बेचने वाला प्रधानमंत्री कहते है।

मोदी जी ने वड़नगर के भगवताचार्य नारायणाचार्य नामक विद्यालय में पढ़ाई की। इन्होंने सन 1980 में राजनीति शास्त्र में एमए की परीक्षा पास की। इनके शिक्षकों के अनुसार मोदी जी पढ़ाई में एक औसत छात्र थे। थे। लेकिन वे कुछ गतिविधियों जैसे नाटक, अभिनय और वाद विवाद में बहुत अच्छे थे और काफी रुचि भी लेते थे।

जब वे युवा अवस्था में थे, तब विद्यार्थियों के एक संगठन जिसका नाम अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद था उसमें में जुड़ गए। तभी इन्होंने भ्रष्टाचार के विरुद्ध नव निर्माण आन्दोलन में भी भाग लिया था। वे एक अच्छे वक्ता थे उन्होंने प्रारंभिक अवस्था से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की सभाओं में जाना शुरू कर दिया। ये एक कवि के रूप में जाने जाते हैं और कविताएं भी लिखते है। इनको हिंदी भाषा के साथ साथ गुजराती, अंग्रेजी भी आती है।

लंबे समय तक राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के लिए कार्य करने के बाद अंततः मोदी जी भारतीय जनता पार्टी की गुजरात ईकाई के संगठन सचिव के रूप में चुने गए। 1995 ई. में मोदी जी भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय सचिव निर्वाचित हुए। उन्हें दिल्ली स्थानांतरित कर दिया गया। 2001 ई. में वे गुजरात के मुख्यमंत्री बने । 2002 ई. में दुर्भाग्यवश गोधरा-कांड घटित हुआ। उसके कारण मोदी जी ने बहुत-सी आलोचनाओं का सामना किया। उनके मंत्रिमंडल ने इस्तीफा दे दिया।

परंतु, 2002 ई. में भारतीय जनता पार्टी ने पुनः चुनाव जीत लिया। मोदी जी ने दूसरी अवधि के लिए मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। इस समय उन्होंने गुजरात के आर्थिक विकास पर अपेक्षाकृत ज्यादा जोर दिया। भ्रष्टाचार में कमी आई। उन्होंने राज्य में अनेक वित्तीय एवं तकनीकी पार्कों की स्थापना की। गुजरात एक अच्छा निवेश-स्थान बन गया। भूमिगत जल-संरक्षण परियोजनाओं को प्रोत्साहित किया गया। कृषि का विकास किया गया।

2014 ई. में मोदी जी भारत के प्रधानमंत्री बने। वे देश की प्रगति के लिए काम कर रहे हैं। उन्होंने अनेक नई नीतियों की शुरूआत की है। उन्होंने विदेशी राष्ट्रों से संबंधों को मजबूत बनाया है। मेक इन इंडिया, डिजीटल इंडिया कार्यक्रम आदि-जैसी नीतियों को विश्वभर में सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है। कालाधन के खिलाफ उठाए गए उनके कदम को पूरे संसार में सराहा गया है। 2019 में उन्हें पुनः प्रधानमंत्री के रूप में शपथ दिलाई गई।

गुजरात में किए गए इनके कार्यों की वजह से ना सिर्फ गुजरात में बल्कि पूरे देश में इन्होंने ख्याति प्राप्त की। सारा देश इनके काम और शासन की प्रसंशा करने लगे। इसी बीच मोदी जी ने सन 2014 में भारतीय जनता पार्टी की तरफ से ही प्रधानमंत्री पद के लिए चुनाव लड़ा। इस चुनाव के दौरान उन्होंने कई जगहों पर भाषण दिए और भारत की जनता से वोट देने की अपील की, ताकि वे पूरे देश की तरक्की के लिए महत्वपूर्ण कार्य करके जनता की सेवा कर सकें। उनका आत्मविश्वास से भरे व्यक्तित्व और नेतृत्व क्षमता से सभी उनके समर्थक बने।

जिसके फलस्वरूप बीजेपी की सरकार ने बहुमत से 282 सीटों को जीत लिया और नरेंद्र मोदी जी भारत के 15 वें प्रधानमंत्री बने। सभी आश्चर्य चकित थे कि बचपन में रेलवे स्टेशन पर जो बालक चाय बेचा करता था, आज वो प्रधानमंत्री बनकर सारे देश का कार्यभार संभालेगा। सभी नागरिकों के साथ ‘लाइव चैट करने वाले ये भारत के प्रथम राजनेता भी बने, जो हमारे देश के लिए एक गौरवपूर्ण बात है। हर व्यक्ति के लिए वे रोलमॉडल हैं चाहे वो बच्चा हो या युवा। मोदी जी दुनिया में चौथे ऐसे नेता हैं जो इस सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट पर इतने फेमस हैं। कुछ इसतरह कड़ी मेहनत, संघर्ष और लोगों का दिल जीत कर उनका मुख्यमंत्री से प्रधानमंत्री बनने का सफ़र रहा।

इन्होंने अपने कार्यकाल में देशहित के बहुत से काम किए और आज भी निरंतर कर रहे हैं। इन्होंने भ्रष्टाचार के विरूद्ध कड़ी कार्रवाई के लिए नियम बनाए जैसे की नोटबंदी, जिससे भ्रष्टाचारियों का भंडाफोड़ हुआ और देश में भ्रष्टाचार कम हुआ। मोदी जी ने बच्चों और महिलाओं की शिक्षा पर जोर दिया, ताकि भारत देश का भविष्य उज्जवल हो सके। कृषिप्रधान देश भारत में किसानों कि हालात अच्छी नहीं थी, तो उन्होंने किसानों के हित में कई योजनाएं बनाई जिससे कई किसानों भाई को लाभ हुआ।

इन्होंने गरीब, असहाय और विकलांग व्यक्तियों के लिए भी उनकी सहायतार्थ बहुत से काम किए और उनके लिए भी कई योजनाए लाये। इतना ही नहीं इन्होने महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने हेतु कार्य किए। विदेशों में मित्रतापूर्ण संबंध बनाकर उनसे व्यापार और उद्योग में बढ़ावा दिया। इतना ही नहीं मोदी जी ने देश रक्षा के लिए समय समय पर कानून बनाए और सैनिकों को हर प्रकार से सहायता देकर उनका उत्साह वर्धन किया।

सभी को शिक्षा और रोजगार दिलाने के लिए बहुत प्रयास किए और इस हेतु कई नियम और योजनाओं का क्रियान्वयन किया। युवा पीढ़ी को रोजगार हेतु मेक इन इंडिया, स्किल इंडिया, स्टार्ट अप इंडिया इत्यादि योजनाएं शुरू की और इसके साथ ही गृह उद्योग और लघु उद्योगों को भी प्रोत्साहन दिया। इन्होंने डिजिटल इंडिया अभियान शुरू किया, जिसके तहत सभी काम डिजिटल पद्धति से किए जाने लगे और सूचना व संचार प्रौद्योगिकी को बढ़ावा मिला। कई गांव और शहर को डिजिटलाइजेशन से जोड़ा गया। भारत में कई जगह पर मेट्रो रेल की सेवा शुरू की गई और स्टेशनों पर सुविधाएं उपलब्ध करवाई गई।

इन्होंने स्वच्छ भारत अभियान की भी शुरुआत की, जिसमें उन्होंने सारे भारत को स्वछता का संदेश दिया और इसमें योगदान के लिए कहा। बहुत से बड़े बड़े उद्योगपति और बॉलीवुड अभिनेताओं ने भी इस अभियान में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। जिसे देखते हुए सारे भारतवासियों ने उनका सहयोग किया और देश में हर स्थान पर सफाई में विशेष ध्यान दिया गया। ऐसे अनेक कार्य कर के मोदी जी का विकास किया है।

नरेंद्र मोदी अपने राजनीति जीवन में, वे गुजरात राज्य के लगातार चार बार मुख्यमंत्री बनने के बाद देश के दो बार लगातार प्रधानमंत्री भी बन चुके है। ये नरेंद्र मोदी की सबसे बड़ी उपलब्धि है। नरेंद्र मोदी के लगातार चल रहे इस विजय रथ से भाजपा की नीव मजबूत हो रही है वही विपक्षी पार्टी कमजोर होती जा रही है। मोदीजी ने अनेक राष्ट्रीय एवं अन्तरराष्ट्रीय पुरस्कार और सम्मान पाए हैं। मोदी ने अपनी कौशल शक्ति तथा अपने भाषण के प्रभाव से भारतीयों को ही नहीं बल्कि आज मोदी को विदेशो में भी पसंद किया जा रहा है। हर साल मोदी को विदेशो सम्मलेन में आने का आमंत्रण मिलता है। खुले में शौच मुक्त के लिए सभी को शौचालय प्रदान किया तथा बूढ़े-बुजुर्ग लोगो को पेंशन प्रदान के लिए योजना चलाई है। इस प्रकार बालिकाओं के शिक्षा तथा उनकी सुरक्षा के लिए भी अनेक योजनाए शुरू की है।

आज हमारा देश ओर विश्व कोरोना जैसी महामारी से लड़ रहा है। इस महामारी में बड़े बड़े झुंझ रहे है। हमारे देश पर नरेंद्र मोदी का नियंत्रण बना हुआ है। इस महामारी में मोदी सरकार हर जरुरतमंदो का मदत कर रही है। उन तक हर जरुरत सामान पहुंचाया जा रहा है।

नरेंद्र मोदी को उनकी सफलता का उल्लेख के बारे में कहा गया तो उन्होंने कठोर सोच और मेहनत को श्रेय दिया। नरेंद्र मोदी आत्मविश्वास को अपना बल मानते है। नरेंद्र मोदी ने गरीबो, किसानो, पिछड़े लोगो तथा देश के बेरोजगार लोगो की सहायता के लिए अनेक योजनाए चलाई है जिसमे कई योजनाओ में नरेंद्र मोदी ने देश के नागरिको को आवास दिया है। हम आशा करते हैं कि वे देश की प्रगति और विकास के लिए काम करते रहेंगे। हमारी शुभकामनाएँ सदैव उनके साथ हैं।

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