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एप्पल के फाउंडर स्टीव जॉब्स की जीवनी

Steve Jobs Jivan Parichay

एप्पल के फाउंडर स्टीव जॉब्स का जीवन हर किसी के लिए प्रेरणादायक हैं, उन्होंने जिस तरह अपने जीवन में तमाम संघर्षों को झेलकर अपनी जिंदगी में सफलता के नए आयामों को छुआ वो वाकई तारीफ-ए-काबिल हैं।

जॉब्स की जिंदगी में एक वक्त ऐसा भी था जब उन्हें एक मंदिर में मिलने वाले खाने से अपनी भूख मिटानी पड़ती थी और दोस्त के घर जमीन में सोना पड़ता था।

यहीं नहीं वे अपने जीवन में उस दौर से भी गुजरे जब उन्हें अपनी ही कंपनी एप्पल से निकाल दिया गया था, लेकिन इन सबके बाबजूद भी उन्होंने कभी हार नहीं मानी और आगे बढ़ते रहे। आइए जानते हैं स्टीव जॉब्स के प्रेरणादायक जीवन के बारे में-

एप्पल के फाउंडर स्टीव जॉब्स की जीवनी – Steve Jobs Biography in Hindi

स्टीव जॉब्स की जीवनी एक नजर में – steve jobs information in hindi, स्टीव जॉब्स का जन्म, परिवार, शुरुआती जीवन – steve jobs history.

स्टीव जॉब्स का जन्म और परवरिश भी बाकी लोगों से एकदम अलग है। दऱअसल उनका जन्म 24 फरवरी, 1955 में कैलीफॉर्नियां के सेंट फ्रांसिस्कों में सीरिया के मुस्लिम अब्दुलफत्त: जन्दाली के घर में हुआ था।

उन्होंने जोअत्री सिम्पसन की कोख से जन्म लिया था, हालांकि उस दौरान उनके माता ने शादी नहीं की थी। इसलिए उन्होंने स्टीव को गोद में देने का फैसला किया।

इसके बाद उन्होंने पॉल और क्लारा नाम के एक कपल को जॉब्स को पढ़ने के लिए कॉलेज भेजने के आश्वासन के बाद गोद में दे दिया था।

आपको बता दें कि पॉल, जिन्होंने जॉब्स को गोद लिया था, वे एक मैकेनिक थे, जबकि उनकी मां क्लारा अकाउंटेंट थी, जिन्होंने बाद में एक गैरेज खोल लिया था। वहीं जॉब्स की दिलचस्पी भी शुरु से ही इलैक्ट्रॉनिक्स में थी।

इसलिए वे गैरेज में रखे इलैक्ट्रॉनिक के सामान से छेड़छाड़ करते और हमेशा कुछ नया जानने की कोशिश में लगे रहते थे। इस तरह बचपन में ही जॉब्स ने अपने पिता की मद्द से इलैक्ट्रॉनिक्स का काफी काम सीख लिया था।

वहीं जॉब्स बचपन से ही विलक्षण प्रतिभा वाले एक कुशाग्र बुद्धि के छात्र थे, हालांकि उन्हें स्कूल जाने से अच्छा घर पर बैठकर किताबें पढ़ना ही लगता था।

स्टीव जॉब्स की शिक्षा एवं शुरुआती करियर – Steve Jobs Education

स्टीव जॉब्स के माता-पिता ने किसी तरह उनकी हाईस्कूल तक तो पढ़ाई का खर्चा उठा लिया, लेकिन इसके बाद जब स्टीव जॉब्स का एडमिशन ऑरगेन के रीड कॉलेज में हुआ, तो यह इतना महंगा था कि स्टी के माता-पिता की पूरी जमा पूंजी इस कॉलेज की फीस में ही खर्च होने लगी, इसलिए पहले सेमेस्टर के बाद ही पैसों की कमी की वजह से स्टीव जॉब्स ने अपना कॉलेज छोड़ने का फैसला लिया।

हालांकि कॉलेज छोड़ने के बाद भी वे कैलीग्राफी (Calligraphy) की क्लास जरूर अटेंड करते थे। कैलीग्राफी, अक्षरों को क्रिएटिव एवं अच्छे तरीके से लिखने की कला होती है।

इस दौरान स्टीव जॉब्स का दोस्ती वोजनियाक से हुई, जिसे भी इनकी तरह ही इलैक्ट्रॉनिक्स और कंप्यूटर में दिलचस्पी थी।

स्टीव जॉब्स को अपने जीवन के शुरुआती दिनों में आर्थिक तंगी की वजह से काफी बुरे दौर से गुजरना पड़ा था। स्टीव जॉब्स के पास इतने भी पैसे नहीं थे कि वे अपने पेट की भूख मिटा सकें, कोक की बॉटल बेचकर किसी तरह अपना गुजारा करते थे, और हर संडे कृष्ण मंदिर इसलिए जाते थे कि क्योंकि वहां फ्री में भरपेट खाना मिलता था, यही नहीं स्टीव जॉब्स ने कई रातें अपने दोस्त के कमरे में फर्श में सोकर गुजारीं थीं।

हालांकि, स्टीव जॉब्स के अंदर दृढ़इच्छाशक्ति और प्रतिभा की कोई कमी नहीं थी। इसी के चलते उन्हें 1972 में एक वीडियो गेम बनाने वाली डेवलिंग कंपनी में काम करने का मौका मिल गया, लेकिन स्टीव जॉब्स इस जॉब से संतुष्ट नहीं थे और फिर उन्होंने यह नौकरी छोड़ने का फैसला लिया।

वहीं इस नौकरी से जो भी पैसे बचाए उससे वे भारत घूमने के लिए आ गए। दरअसल, स्टीव को भारतीय संस्कृति काफी प्रभावित करती रही हैं और वे यहां आकर अध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करना चाहते थे।

इसलिए उन्होंने साल 1974 में करीब 7-8 महीने भारत के उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली में व्यतीत किए और यहां बौद्ध धर्म की शिक्षा ली।

इसके बाद वे अमेरिका वापस लौट गए, हालांकि अब पहले वाले जॉब्स नहीं रहे, वे पूरी तरह बदल चुके थे और उनका मन भी पूरी तरह एकाग्रचित्त हो गया था। इसके बाद जाकर उन्होंने फिर से जॉब ज्वॉइन कर ली।

सबसे प्रतिष्ठित कंपनी एप्पल के फाउंडर के रुप में – Steve Jobs Apple Founder

स्टीव जॉब्स के सबसे अच्छे दोस्त वोजनियाक ने एक बार अपने पर्सनल कंप्यूटर का निर्माण किया, जिसे देख वे बेहद खुश हुए और इसी के बाद जॉब्स को कंप्यूटर बनाने के बिजनेस करने का आइडिया आया।

फिर साल 1976 में जॉब्स ने अपने दोस्त के साथ मिलकर अपने पिता के गैरेज में कम्प्यूटर बनाने का काम शुरु कर दिया, गैरेज से शुरु हुई कंपनी का नाम ”एप्पल” रखा।

इसके बाद इस कंपनी ने एक के बाद एक नए अविष्कार किए और सफलता के नए आयामों को छुआ। साल 1980 में जॉब्स की एप्पल कंपनी एक प्रतिष्ठित एवं विश्व की जानी-मानी कंपनी बन गई थी।

स्टीव को जब अपनी ही कंपनी एप्पल से बाहर निकाला:

स्टीव जॉब्स के जीवन में एक दौर वो भी आया, जब उनकी ही कंपनी ने उन्हें रिजाइन करने के लिए मजबूर किया था।

दअरसल, लगातार कामयाबी हासिल कर रही एप्पल को उस समय ब्रेक लगा जब उनसे एप्पल 3 और फिर लिसा कंप्यूटर (जिसका नाम स्टीव की बेटी के नाम पर रखा गया था) लॉन्च किए। ये दोनों ही प्रोडक्ट बुरी तरह फ्लॉप रहे।

हालांकि फिर बाद में स्टीव ने मैकिनटोश को बनाने में कड़ी मेहनत की और फिर 1984 में लिसा पर बेस्ट सुपर बाउल का बनाकर इसे मैकिनटोश के साथ लॉन्च कर दिया, इसके बाद उन्हें फिर से कामयाबी हासिल हुई।

वहीं इसके बाद एप्पल और IBM साथ मिलकर कंप्यूटर बनाने लगे। अच्छी क्वालिटी के चलते मार्केट में इसकी इतनी डिमांड बढ़ गई कि कंपनी पर ज्यादा से ज्यादा सिस्टम बनाने का प्रेशर पड़ने लगा।

हालांकि स्टीव जॉब्स ने अपनी कंपनी की कॉन्सेप्ट कभी नहीं छिपाया और इसका खामियाजा भी भुगतना पड़ा, क्योंकि कई दूसरी कंपनियों इनके कॉन्सेप्ट को अपनाकर कंप्यूटर बनाकर ग्राहकों को सस्ते दामों पर बेचने लगीं जिसकी वजह से एप्पल को काफी लॉस होने लग और इसके स्टीव जॉब्स को जिम्मेदार मानते हुए उनकी ही कंपनी ने उन पर कंपनी छोड़ देने का प्रेशर बनाया, इसके बाद स्टीव जॉब्स ने 17 सितंबर, 1985 को एप्पल से इस्तीफा दे दिया।

हालांकि, उनके साथ उनके 5 और करीबी सहकर्मियों ने एप्प्ल से इस्तीफा दे दिया।

संघर्ष के समय में बनाया नेक्स्ट कंप्यूटर – Next Computer Company Steve Jobs

वो कहते हैं कि संघर्ष और असफलता ही इंसान के लिए सफलता की राहें खोलता है।

यही हुआ स्टीव जॉब्स के साथ खुद की कंपनी से बाहर निकाले जाने के बाद वे हताश नहीं हुए, बल्कि उन्होंने इस मौके का फायदा उठाते हुए नेक्सट कंप्यूटर के रुप में नई शुरुआत की, इस दौरान उनकी किस्मत ने भी साथ दिया और उनकी इस कंपनी के लिए एक बड़े बिजनेसमैन पेरॉट ने इन्वेस्ट किया।

इसके बाद 12 अक्टूबर, 1988 को एक इवेंट में नेक्सट कंप्यूटर को लॉन्च किया। हालांकि, नेक्स्ट भी एप्पल की तरह काफी एडवांस था, इसलिए यह महंगा भी बहुत था,जिसके चलते नेक्स्ट को  काफी नुकसान पड़ा।

इसके बाद स्टीव जॉब्स को यह एहसास हो गया और उन्होंने नेक्स्ट कम्यूटर कंपनी को एक सॉफ्टवेयर कंपनी बना दिया इसमें भी उन्होंने काफी सफलता हासिल की।

ग्राफिक्स कंपनी डिज्नी के साथ जॉब्स की पार्टनरशिप – Graphic Disney Companies Partner Steve Jobs

साल 1986 में स्टीव जॉब्स ने एक ग्राफिक्स कंपनी पिक्सर मूवी खऱीदी और डिज्नी के साथ पार्टनरशिप कर ली। इसके बाद स्टीव सफलता की सीढी चढ़ते गए और कभी अपनी जिंदगी में पीछे मुड़कर नहीं देखा।

एप्पल में सीईओ के रुप में वापसी – Apple Ceo Steve Jobs

इसके बाद एप्पल ने 1996 में नेक्स्ट कंपनी खरीदने के लिए स्टीव से बात की और यह डील 427 मिलियन डॉलर में फाइनल हुई। इस बार स्टीव जॉब्स ने सीईओ के रुप में एप्पल कंपनी में वापसी की, लेकिन इस दौरान एप्पल कठिन दौर से गुजर रही थी, इसके बाद स्टीव के मार्गदर्शन में कंपनी ने एप्पल IPOD म्यूजिक प्लेयर और ITunes लॉन्च किए।

इसके बाद 2007 में एप्पल ने अपना पहला मोबाइल फोन लॉन्च कर मोबाइल की दुनिया में क्रांति ला दी, वहीं इसके बाद एक के बाद एक नए-नए प्रोडक्टर लॉन्च कर एप्पल लगातार सफलता के नए पायदानों को छू रहा है।

स्टीव जॉब्स की शादी एवं निजी जीवन – Steve Jobs Life Story

स्टीव जॉब्स को साल 1978 में अपने लव पार्टनर किर्स्टन ब्रेन्नन से एक बेटी लिसा ब्रेन्नन पैदा हुई। इसके बाद उन्होंने साल 1991 में लौरेन पावेल से शादी कर ली। दोनों को रीड, एरिन और ईव नाम की तीन बच्चे पैदा हुए।

स्टीव जॉब्स को मिले अवॉर्ड्स – Steve Jobs Awards

एप्पल कंपनी के संस्थापक स्टीव जॉब्स को उनके जीवन में तमाम पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं-

  • अमेरिका के राष्ट्रपति के द्वारा स्टीव जॉव्स को “नेशनल मैडल ऑफ टेक्नोलॉजी” से नवाजा गया था।
  • स्टीव जॉब्स को “कैलिफ़ोर्निया हाल ऑफ फेम” से सम्मानित किया गया था।
  • स्टीव जॉब्स की उनकी प्रतिष्ठित कंपनी एप्पल के लिए साल 1982 में “मशीन ऑफ द इयर” पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

Steve Jobs Say’s :  Stay Hungry Stay Foolish

स्टीव जॉब्स की मृत्यु – Steve Jobs Death

दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी एप्पल के फाउंडर स्टीव जॉब्स को अपनी जिंदगी के आखिरी समय में पेनक्रियाटिक कैंसर जैसी बीमारी से जूझना पड़ा था।

कई साल तक इस बीमारी से लड़ने के बाद उन्होंने 2 अक्टूबर, 2011 में कैलीफॉर्निया के पालो ऑल्टो में अपनी अंतिम सांस ली और इस दुनिया को अलविदा कह कर चले गए।

वहीं अपनी मौत से पहले स्टीव जॉब्स ने 24 अगस्त 2011 में टीम कुक को एप्पल के नए सीईओ बनाने की घोषणा की थी।

वहीं आज स्टीव जॉब्स हमारे बीच जरूर नहीं हैं लेकिन एप्पल जैसी प्रतिष्ठित कंपनी की नींव रखने के लिए उनको हमेशा याद किया जाएगा।

स्टीव जॉब्स से जुड़े रोचक एवं दिलचस्प तथ्य – Facts About Steve Jobs

  • स्टीव जॉब्स ने 12 साल की उम्र में पहली बार कंप्यूटर देखा था।
  • स्टीव जॉब्स एक बार जब एप्पल के गार्डन में बैठे थे, तभी उन्होंने अपनी कंपनी का नाम एप्पल रखने का सोचा।
  • स्टीव जॉब्स के महान और प्रेरणात्मक जीवन पर ”जॉब्स” मूवी बन चुकी है, इसके अलावा डिज्नी पिक्सर की फिल्म ”ब्रेव” भी उनके जीवन पर ही समर्पित है।
  • स्टीव जॉब्स भारत में अध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करने के लिए आए थे। इसके अलावा वे भारतीय संस्कृति और परिधानों को भी काफी अधिक पसंद करते थे।
  • स्टीव जॉब्स साल 1974 में भारत आए थे और कई महीने उन्होंने हिमाचल प्रदेश , उत्तर प्रदेश और दिल्ली में बिताया था।
  • स्टीव जॉब्स महान वैज्ञानिक आइंसटीन को अपना आदर्श मानते थे।
  • स्टीव जॉब्स ने Apple’s Ipod का पहली बार सैंपल देखते हुए उसकी पानी में डाल दिया और फिर हवा के बुलबुलों से यह प्रूफ किया था कि इसे और भी स्मॉल और आर्कषक बनाया जा सकता है।
  • स्टीव जॉब्स को साल 1984 में अपनी ही कंपनी एप्पल से निकाल दिया गया था।
  • स्टीव जॉब्स के पास भी मार्क जुकरबर्ग और बिल गेट्स की तरह कॉलेज डिग्री नहीं थी।
  • स्टीव जॉब्स के बारे में दिलचस्प तो यह है कि वे बिना नंबर प्लेट की गाड़ी चलाते थे।
  • स्टीव जॉब्स बौद्ध धर्म का पालन करते थे।

एप्पल के फाउंडर स्टीव जॉब्स के प्रेरणात्मक विचार – Steve Jobs Quotes

  • ”तुम्हारा समय सीमित है, इसलिए इसे किसी और की जिंदगी जी कर बिल्कुल भी व्यर्थ मत करो।”
  • ”शायद मौत ही इस जिंदगी का सबसे बड़ा अविष्कार है।”
  • ”जो इतने पागल होते हैं, उन्हें लगता है कि वो दुनिया बदल सकते हैं, वे अक्सर बदल देते हैं।”
  • ”डिजाइन सिर्फ यह नहीं है कि चीज कैसी दिखती या फिर महसूस होती है, बल्कि डिजाइन यह है कि वह चीज काम कैसे करती है।”
  • ”कभी-कभी जिंदगी आपके सर पर ईंट से वार करेगी लेकिन अपना भरोसा कभी मत खोइए।”

Note: आपके पास About Steve Jobs in Hindi मैं और Information हैं, या दी गयी जानकारी मैं कुछ गलत लगे तो तुरंत हमें कमेंट और ईमेल मैं लिखे हम इस अपडेट करते रहेंगे। अगर आपको Steve Jobs Life Story in Hindi   language   अच्छी लगे तो जरुर हमें WhatsApp और Facebook  पर Share कीजिये।

17 thoughts on “एप्पल के फाउंडर स्टीव जॉब्स की जीवनी”

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Steve jobs is life dream

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Steve Jobs Biography Book Summary in Hindi – एप्पल कंपनी की शुरुवात

दोस्तों ये Steve Jobs Biography Book WALTER ISAACSON ने लिखी है और इसे PUBLISH किया है “Little, Brown Book Group” ने। ये सारा CREDIT उन्ही को जाता है।

Page Contents

Apple के Founder Steve Jobs Biography बुक समरी हिंदी में

वाल्टर आइजेकसन इस book के author को जब पता लगा कि Steve Jobs कैंसर के Last Stage में है तब जाकर वे Steve Jobs की biography लिखने को तैयार हुए। बेहद होनहार और तेज़ दिमाग वाले Steve Jobs साल 2004 से आइजेकसन को अपनी जिंदगी पर एक किताब लिखने के लिए मना रहे थे मगर उनकी कोशिश 2009 में जाकर कामयाब हो पाई जब Steve Jobs कैंसर से जूझते हुए अपनी दूसरी मेडिकल लीव पर थे।

साल 1984 के वक्त से ही टाइम्स मेगेज़ीन में बतौर मेनेजिंग डायरेक्टर आइजेकसन को कई बार जॉब्स से मिलने का मौका मिला। मगर उस महान इनोवेटर Steve Jobs ने जब पहली बार आइजेकसन से खुद की biography लिखने के लिए कहा तो आईजेकसन उस दौरान अल्बर्ट आइनस्टीन पर लिख रहे थे और बेंजामिन फ्रेंकलिन पर उनकी लिखी किताब पहले ही famous हो चुकी थी।

Steve Jobs का प्रस्ताव आइजेकसन ने ये कहकर ठुकरा दिया कि  “जॉब्स अभी सफलता की सीडिया चढ़ ही रहे है और अभी वो वक्त नहीं आया कि उनपर कोई किताब लिखी जा सके”.

लेकिन ये Steve Jobs की पत्नी लौरीन पॉवेल (Laurene Powell) की कोशिशो का ही नतीजा था जो उनसे Steve Jobs की बिमारी के बारे में जानकर आइजेकसन ने अपना मन बदल लिया और आखिरकार इस काम के लिए तैयार हो गए।

Steve Jobs का कैंसर का ओपरेशन होना था। बावजूद इसके वे खामोशी से लड़ रहे थे। एक और बात जिसने आइजेकसन को बहुत प्रभावित किया वो ये थी कि Steve Jobs ने उन्हें किताब अपने तरीके से लिखने की छूट दी थी।

उन्होंने author के काम में कभी किसी तरह की दखलअंदाजी नहीं की। फ्रेंकलिन और आइन्स्टाइन की तरह ही Steve Jobs ने भी साइंस और इंसानियत दोनों की तरक्की के लिए अपनी क्षमताओं का बेहतर उपयोग किया था।

इंजीनियरिंग दिमाग के साथ साथ Steve jobs creative भी थे और इन्ही खूबियों का तालमेल से एक महान इनोवेटर बनता है जो कि वे खुद है। जॉब्स अपनी इसी रचनाशीलता से पर्सनल कम्प्यूटर की दुनिया में क्रांतिकारी बदलाव ला पाए।

सिर्फ इतना ही नहीं music , डिजिटल पब्लीशिंग और एनिमेटेड मूवीज में भी उनकी बदौलत एक नए दौर की शुरुवात हुई। बेशक उनकी personal life या उनकी personality एक मुक्कमल तस्वीर नहीं बनाती मगर फिर भी वे अपने काम से हमेशा लोगो की जिंदगी प्रभावित करते रहेंगे और inspiration का source बने रहेंगे।

Steve Jobs की बचपन/Childhood

छोटी उम्र में ही Steve Jobs जान चुके थे कि उन्हें गोद लिया गया है, और ये बात उनके पिता पॉल जॉब्स और माँ क्लारा हागोपियेन (Clara Hagopian) ने उनसे कभी भी नहीं छुपाई। जन्म के बाद से ही उन दोनों ने स्टीव को पाला था।

जब Steve jobs 4 साल के थे वो अपने पड़ोसी के घर पर एक लड़की के साथ खेल रहे थे, और Steve Jobs ने उस लड़की को बताया की उन्हें adopt किया गया है। इस बात पर वो लड़की बोली की इसका मतलब तो है की तुम्हारे असली माँ बाप तुम्हे पसंद नहीं करते थे, इसलिए उन्होंने तुम्हे छोड़ा। इस पर Steve jobs भाग कर अपने घर गए और ये बात उन्होंने अपने parents को बताई।

इस पर उनके parents ने उन्हें कहा की सुनो Steve “हमने तुम्हे इसलिए चुना था क्यूंकि तुम सबसे अलग हो बहुत ख़ास हो, special हो”, और शायद इसी वजह से स्टीव आत्मनिर्भर और मजबूत इरादों के इंसान बन पाए।

उनके कार मेकेनिक पिता उनके पहले हीरो थे। बचपन में ही Steve Jobs इलेक्ट्रोनिक्स में काफी interested थे। हालांकि वे पढ़ाई में कभी बहुत अच्छे नहीं रहे। क्लास में बैठना उन्हें अक्सर boring लगता था। अपने हुनर से वे अक्सर कुछ ना कुछ शरारत भरा किया करते, और ये सिलसिला ग्रेड स्कूल से लेकर कोलेज तक चलता रहा।

वोजनिएक (Wozniak)

(Homestead High) होम्सस्टेड हाई में एक कॉमन friend के ज़रिये स्टीव वोजनिएक और Steve Jobs की मुलाक़ात हुई। दोनों Steve बचपन से ही इलेक्ट्रोनिक्स और मशीन में गजब के प्रतिभाशाली थे। जहाँ Steve Jobs अपने पिता की ही तरह एक businessman बनना चाहते थे, वहीँ स्टीव वोज (Steve Woz) के पिता जिन्हें मार्केटिंग से चिढ़ थी उन्होंने उन्हें इंजीनियरिंग में कुछ बेहतरीन करने के लिए प्रेरित किया।

उम्र में Steve Jobs से 5 साल बड़े होने के बावजूद वो बेहद शर्मीले और हद से ज्यादा पढ़ाकू थे। अपने कॉमन दोस्त की गैराज में वे Steve Jobs से पहली बार मिले थे। इलेक्ट्रोनिक्स में गहरी रूचि के साथ ही बॉब डायलन के music ने भी उनकी जोड़ी जमा दी थी।

Steve Jobs की कालेज ड्राप आउट (College drop-out)

जहाँ वोजनियेक ने बर्कली युनिवेर्सिटी जाने के फैसला कर लिया था वहीँ Steve Jobs अभी confusion में ही थे कि अपने लिए कौन सा कॉलेज चुने। क्योंकि Steve Jobs के असली parents ने उन्हें इसी शर्त पर गोद दिया था कि उनकी स्कूली पढ़ाई पूरी कराई जायेगी। इसलिए उनके adoptive parents को उनकी कॉलेज फीस जुटाने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ी।

जॉब्स ने फैसला किया कि वे नजदीकी स्टेंडफोर्ड युनिवेर्सिटी नहीं जायेंगे। वे किसी ऐसी जगह जाना चाहते थे जो उससे ज्यादा artistic और interesting हो।

मगर उनके इस फैसले को उनके parents की मंज़ूरी नहीं मिली बावजूद इसलिए जॉब्स ने रीड कॉलेज, पोर्टलैंड ऑरेगोन में दाखिला ले लिया। सिर्फ एक हजार students वाला ये एक कॉलेज बड़ा महंगा था, और फिर अपने हिप्पी कल्चर के लिए मशहूर भी था।

रीड कॉलेज में पढने के दौरान कुछ ही समय बाद Steve Jobs को लगा कि जो कोर्स उन्होंने चुना था वो उनके सपनो के आड़े आ रहा था। जो चीज़े वो सीखना चाह रहे थे, नहीं सीख पा रहे थे, और तब उन्होंने कॉलेज बीच में ही छोड़ दिया।

अब वो जो पसंद आता वही सीखने लग जाते जैसे कि कैलीग्राफी। रीड में पढ़ाई के दौरान उन्हें हिप्पी कल्चर पसंद आने लगा था। जेन बुधिस्म पर उन्होंने सैकड़ो किताबे पढ़ डाली और pure vegetarian बन गए। उन्होंने बाल कटवाना छोड़ दिया था और पूरे केम्पस में नंगे पाँव घूमा करते।

स्टीव वोजनिएक और Steve Jobs ने कई तरह के छोटे मोटे स्टार्टअप बिजनेस किये। जहाँ वोजनिएक अपने बनाये डिजाएन केवल बेचने तक सिमित थे वहीँ Steve Jobs कुछ ऐसे प्रोडक्ट बनाकर बेचना चाहते थे जो unique हो और उनसे पैसा कमाए जा सके।

सबसे पहले तो उन्हें एक नाम तय करना था। मेट्रिक्स जैसे टेक्नोलोजीकल और पर्सनल कंप्यूटर इंक जैसे कुछ boring नाम उनके दिमाग में आये भी मगर फिर एप्पल नाम उन्हें interesting लगा जो कुछ अलग लग रहा था। इस नाम को चुने जाने की वजह सिर्फ यही नहीं थी कि Steve Jobs एक एप्पल फार्म में घूमकर आये थे बल्कि सुनने में एप्पल कंप्यूटर नाम बड़ा मजेदार और शानदार लगता था।

उस वक्त तक वोजनिएक HP (एच पी) के लिए काम कर रहे थे। उन्होंने वहां अपना बनाया सर्कट बोर्ड (circuit board) लगाना चाहा। उनका ये प्रोडक्ट नया था और पहले कभी इस्तेमाल नहीं हुआ था इसलिए उसे नकार दिया गया।

इससे निराश होकर वोजनिएक ने फिर जो भी प्रोडक्ट बनाये वे 100 फीसदी सिर्फ एप्पल के लिए बनाये। Steve Jobs का यही मानना था कि उनकी team इसलिए perfect थी क्यूंकि वो दोनों opposite थे।

एक ओर वोज जहाँ बहुत प्रतिभाशाली तो थे मगर लोगो से मिलने-जुलने में कतराते थे, वहीँ जॉब्स की खासियत थी कि वे किसी से भी बातचीत कर सकते थे और अपना काम निकलवाने में माहिर थे।

एक कंप्यूटर स्टोर का मालिक, पॉल टेरेल उनका पहला ग्राहक बना। उसने उन्हें $500 per piece के हिसाब से 50 सर्कट बोर्ड का आर्डर दिया। क्रेमर इलेक्ट्रोनिक्स (Cramer Electronics) के मेनेजेर को विश्वास में लेकर उससे $25,000 का उधार लेने के बाद जॉब्स, वोज और उनकी बहन पैटी, अपनी पूर्व प्रेमिका एलिज़बेथ होम्स और एक दोस्त डेनियल कोट्के के साथ मिलकर काम में जुट गए, और इस तरह लोस एल्टोस में Steve Jobs के घर की गैराज से एप्पल की शुरुवात हुई।

पूरे 5 साल तक क्रिसेन् ब्रेनन (Chrisann Brennan) के साथ Steve Jobs कभी हां कभी ना वाले रिश्ते में बंधे रहे। एप्पल की शुरुवात बहुत सफल रही। जॉब्स अब अपने माँ-बाप का घर छोड़कर कपरटीनो(Cupertino) के एक $600 वाले rented घर में रहने लगे थे।

ब्रेनन अब उनकी जिंदगी में वापस आ चुकी थी। दोनों अब साथ रहने लगे थे। जब दोनों ही अपने 23वे साल में थे ब्रेनन, Steve Jobs के बच्चे की माँ बनने वाली थी।

हालांकि Steve Jobs का सारा ध्यान सिर्फ अपनी कंपनी पर था। वे अभी घर गृहस्थी में बंधना नहीं चाहते थे। ब्रेनन और उनके बीच अब झगडे शुरू हो गए थे। इस बच्चे का आना उनके रिश्ते में खटास पैदा कर रहा था।

जॉब्स के मन में कभी भी शादी का ख्याल नहीं था और उन्होंने इस बच्चे का पिता होने से भी इंकार कर दिया। इस सबके बावजूद ब्रेनन ने हार नहीं मानी। उनके कुछ दोस्त इस मुश्किल दौर में उनके साथ रहे और 17 मई, 1978 को ऑरेगोन में उन्होंने लिजा निकोल को जन्म दिया।

माँ और बच्चा मेनलो पार्क के एक छोटे से घर में रहने लगे। वेलफेयर में मिलने वाली रकम से उनका गुज़ारा चल रहा था। जब लिजा एक साल की हुई तो जॉब्स को उन्ही दिनों चलन में आये डीएनए (DNA) टेस्ट से गुज़रना पड़ा।

जिसका result था की 94.41% chance है की steve ही lisa के बाप है। ये साबित हो जाने पर केलिफोर्निया कोर्ट ने उन्हें लिजा के पालन पोषण के लिए monthly child support देने का हुक्म दिया। हालांकि कोर्ट के हुकम से वे अब जब चाहे अपनी बेटी से मिल सकते थे मगर बावजूद इसके वे कभी भी उससे मिलने नहीं गए।

1981 – Steve Jobs

1977 में एप्पल ने शुरुवाती दौर में 2,500 यूनिट्स बेचे और 1981 में उनकी बिक्री बढ़कर 210,000 हो चुकी थी। हालांकि Steve Jobs को अच्छी तरह मालूम था कि सफलता का ये दौर हमेशा रहने वाला नहीं है। इसलिए उन्होंने एक नये प्रोडक्ट के बारे में सोचा जो एप्पल II से ज्यादा बेहतर हो। वे एक ऐसा डिजाईन चाहते थे जो पूरी तरह से उनका अपना बनाया हो।

अपनी बेटी के साथ अपना रिश्ता नकारने के बावजूद उन्होंने अपने नए कंप्यूटर का नाम लीज़ा रखा। दरअसल इसे बनाने वाले इंजीनियर्स को इससे मिलता जुलता एक्रोनिम सोचना पड़ा। लीज़ा का मतलब था लोकल इंटीग्रेटेड सिस्टम आर्किटेक्चर (Local integerated system architecture).

एप्पल में 100,000 शेयर्स के बदले Xerox PARC ने अपनी एकदम नयी टेक्नोलोजी Steve Jobs और उनके प्रोग्रामर्स को बेच दी। कुछ मुलाकातों के बाद ही एप्पल के इंजीनियर्स Xerox कंप्यूटर के माउस डिजाईन और इंटरफेस की नक़ल बनाने में कामयाब रहे। लिजा को पहले से बेहतर ग्राफिक्स और स्मूथ स्क्रोलिंग माउस फीचर के साथ बाज़ार में उतारा गया।

दिसम्बर 12, 1980 में पहली बार एप्पल को दुनिया के सामने पेश किया गया। मॉर्गन स्टेनले इसके IPO को संभालने वाले बैंको में से एक था। रातो-रात एप्पल के शेयर का दाम $22  से बढकर $29 हो गया। सिर्फ 25 साल के हिप्पी कॉलेज ड्राप आउट Steve Jobs अब करोडो के मालिक बन चुके थे। इतनी बड़ी सफलता के बावजूद उन्होंने दिखावट से दूर एक सादा जीवन जीना पसंद किया।

जॉब्स ने अपने माता-पिता के नाम $750,000 कीमत वाले एप्पल के स्टोक कर दिए थे जिससे उन्हें loans से छुटकारा मिला। वे अब magazines के कवर पर आने लगे थे।

उन्होंने पहली कवर स्टोरी अक्टूबर 1981 में Inc के लिए की थी। इसके तुरंत बाद ही 1982 में टाइम्स मेगेज़ीन में भी उनकी कवर स्टोरी आई। इसमें 26 साल का एक नौजवान के करोडपति बनने के सफ़र की कहानी थी जिसने महज 6 साल पहले ही अपने माता-पिता के गैराज से अपनी कंपनी की शुरवात की थी।

मैकिन्टौश (Macintosh)

अपने आक्रामक व्यवहार के चलते Steve Jobs, लीजा प्रोजेक्ट से जबरन हटा दिए गए थे। इसी दौरान जेफ़ रस्किन(Jef Raskin) नामक एप्पल के एक इंजीनियर एक ऐसा बेहद सस्ता कंप्यूटर बनाने में जुटे थे जिसे कोई भी खरीद सकता था, और अपने इस प्रोजेक्ट का नाम उन्होंने मेकिनतोष रखा जो उनके पसंदीदा सेब की एक किस्म का नाम था।

अब क्योंकि Steve Jobs लीज़ा वाला प्रोजेक्ट खो चुके थे तो उनका सारा ध्यान रस्किन के प्रोजक्ट पर लगा रहा। रस्किन का सपना एक ऐसा सस्ता कंप्यूटर बनाने का था जो स्क्रीन और की-बोर्ड के साथ महज़ $1,000 की लागत का हो। Steve Jobs ने उनसे कहा कि वे सिर्फ मैकिन्टौश बनाने पर ध्यान दे और कीमत की फ़िक्र ना करे।

मगर रस्किन मेकिनतोष पर काम पूरा नहीं कर पाए। पर सयोंग से Steve Jobs ने एक दूसरा इंजीनियर ढूंढ कर उसकी मदद से ऐसा डिवाइस बनाया जो कुछ महंगे मगर पहले से बेहतर माइक्रो-प्रोसेसर पर काम कर सके। मैक लीज़ा से भी बेहतर माउस और ग्राफिक इंटरफेस के साथ बाज़ार में उतरा।

जॉब्स ना केवल एक तेज़ दिमाग वाले इंजीनियर थे बल्कि एक extra-ordinary डिज़ाइनर भी थे। उनके लिए प्रोडक्ट डिजाईन किसी कला से कम नहीं था। “सिम्पल इज सोफेस्टीकेटेड” यही मैक और एप्पल का मोटो था।

वे चाहते थे कि मैक एक छोटे से पैकेज में आ सकने लायक हो जो अन्दर बाहर से बेहद आधुनिक लगे। इसके अलावा उन्होंने मैक के विंडोज, आइकॉन्स, फोंट्स और बाहरी पैकेजिंग की डिजाईन पर भी ख़ास ध्यान दिया था।

अनगिनत प्रपोजल और रीवीजंस के बाद Steve Jobs ने अपनी पूरी डिजाईन टीम के एक पेपर पर signature करवाए। इन सभी 50 signatures को हर मैकिन्टौश कंप्यूटर के अन्दर खुदवाया गया। मैक के design और technology की ख़ुशी का एक जश्न मनाया गया।

माइक्रोसोफ्ट (Microsoft)

बिल गेट्स और Steve Jobs ने मिलकर एक एग्रीमेंट किया। ये एग्रीमेंट मैकिन्टौश को माइक्रोसोफ्ट सोफ्टवेयर के साथ तैयार करके बाज़ार में लाने के बारे में था, और शर्त थी कि प्रोग्राम में एप्पल का logo ज़रूर रहेगा। लेकिन ये सांझेदारी टिक नहीं पाई। इस मुद्दे पर बातचीत के दौरान जॉब्स और गेट्स की अक्सर बहस हो जाया करती थी।

गेट्स का background Steve Jobs से बिलकुल अलग था। उनके पिता वकील थे और माँ एक सिविक लीडर थी। गेट्स अपने ख़ास तबके वाले प्राइवेट स्कूल के वक्त से ही टेक्नोलोजी के कीड़े रहे थे, और उन्होंने जॉब्स की तरह कभी कोई प्रेंक नहीं खेला था। हार्वर्ड की पढ़ाई बीच में ही छोड़कर गेट्स ने अपनी खुद की सॉफ्टवेयर कंपनी शुरू कर ली थी।

जॉब्स दूरदर्शी व्यक्ति थे जिनमे अपने काम के प्रति दीवानगी थी और इसी वजह से कभी-कभी उनका लहज़े में एक रूखापन आ जाता था। इसके उलट बिल गेट्स discipline के पक्के थे, practical थे जो सोच समझ कर कदम उठाते थे। ये सयोंग था कि दोनों का ही जन्म 1955 में हुआ था। दोनों ही कॉलेज ड्राप आउट थे जो पर्सनल कंप्यूटर की दुनिया में एक क्रान्तिकारी बदलाव लाये थे।

गेट्स माइक्रोसोफ्ट सॉफ्टवेयर को अलग-अलग तरह के प्लेटफॉर्म में खोलना चाहते थे। मगर Steve Jobs चाहते थे कि एप्पल के लिए अलग से कुछ खास सोफ्टवेयर रहे। उनका ये मतभेद चलता रहा और आख़िरकार उनके इस मतभेद का फायदा आई बी एम (IBM) के पर्सनल कंप्यूटर्स को हुआ।

माइक्रोसॉफ्ट ने पहले अपना ऑपरेटिंग सिस्टम – डीओएस (DOS) निकाला और बाद में विंडोज 1.0.  इस पर जॉब्स ने कहा था “माइक्रोसोफ्ट की समस्या ये है कि उनके अन्दर creativity की कमी है, उनके आइडियाज़ ना तो असली होते है ना ही उनके प्रोडक्ट में कोई कल्चर होता है”.

त्यागपत्र – Steve Jobs

लीजा प्रोजेक्ट Steve Jobs के हाथो से छीनकर उन्हें बोर्ड का नॉन- एक्जीक्यूटिव सदस्य बना दिया गया था। बेशक उनके पास एप्पल के 11% शेयर थे फिर भी उनके पास अब ज्यादा अधिकार नहीं रहे।

1985में उन्होंने प्रेजिडेंट जॉन स्क्ली से कहा कि वे एक अलग कंपनी खोलना चाहते है। Steve Jobs ने कहा कि उनकी ये कम्पनी एप्पल से अलग होगी मगर उसकी competitor नहीं होगी।

जॉब्स ने अपनी इस नयी कंपनी का नाम नेक्स्ट NeXT रखा। उन्होंने स्क्ली से कहा कि उन्हें 5 लो लेवल employees चाहिए जिन्हें वे नेक्स्ट में रख सके।

जब Steve Jobs ने स्क्ली को 5 कर्मचारियों के नाम बताये तो स्कली नाराज़ हो गए क्योंकि जिन लोगो के नाम Steve Jobs ने सुझाये थे, वे बिलकुल भी लो लेवल के नहीं थे।

बोर्ड मेम्बर को लग रहा था कि जॉब्स अब कंपनी के प्रति ईमानदार नहीं रहे और एक चेयरमेन के तौर पर अपने फ़र्ज़ से मुंह मोड़ रहे है। सबने एकजुट होकर जॉब्स का विरोध करने का निर्णय लिया।

मीडिया में इस बात की चर्चा जोरशोर से होने लगी कि Steve Jobs को चेयरमेन के पद से निकाला जा रहा है। मगर त्यागपत्र का ख्याल उनके मन में तब से ही था जब उन्होंने नेक्स्ट के बारे में सोचा था। आखिर में उन्होंने एक्जीक्यूटिव माइक मर्क्कुला (Mike Markkula) को अपना त्यागपत्र मेल कर दिया।

Steve Jobs के त्यागपत्र की ये कुछ पंक्तिया थी “अब कंपनी एक ऐसा रवैया दिखाती नजर आ रही है जो मेरे और मेरे new venture के लिए safe नहीं लग रहा है…. जैसा कि आप जानते है कि कंपनी की नयी guidelines में मेरे लिए करने को कुछ अधिक नहीं बचा, यहाँ तक कि रेगुलर मेनेजमेंट रिपोर्ट पर भी मेरा कोई अधिकार नहीं रह गया है। मैं अभी सिर्फ 30 का हूँ और बहुत कुछ हासिल करने की इच्छा रखता हूँ”.

PIXAR और टॉय स्टोरी

जोर्ज लुकास (George Lucas) अपने कंप्यूटर डिवीज़न के लिए किसी खरीददार की तलाश में थे। एक दोस्त ने जॉब्स को सलाह दी कि उन्हें लुकास फ़िल्म कंप्यूटर डिवीज़न के प्रमुख एड केटमल (Ed Catmull) से मिलना चाहिए। Steve Jobs टेक्नोलोजी के साथ आर्ट को मिलाने में बहुत ज्यादा interested थे। जब वे डिवीज़न गए तो वहां का काम देखकर पूरी तरह हैरान रह गए।

डिवीज़न मुख्य रूप से डिजिटल इमेजेस के लिए सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर बेच रहा था। दूसरी तरफ यहाँ पर एनीमेटर्स (animators) थे जो शोर्ट फिल्म्स बनाया करते थे। इस छोटी सी एनिमेशन टीम के मुखिया थे जॉन लासेटर (John Lasseter). Steve Jobs ने तुरंत ही ये डील पक्की कर ली और 70 % शेयर उनके हो गए।

इस डिवीज़न का सबसे ख़ास प्रोडक्ट था PIXAR इमेज कंप्यूटर, और इसलिए नयी कंपनी का नाम भी PIXAR रखा गया। इसके 3डी ग्राफिक इमेजिंग सोफ्टवेयर में डिज्नी ने बहुत रूचि दिखाई। उन दिनों डिज्नी का एनिमेशन डिपार्टमेंट बुरी हालत में था। PIXAR का सोफ्टवेयर पहली बार डिज्नी के “लिटिल मरमेड” में इस्तेमाल किया गया।

इसी बीच जॉन लासेटर (John Lasseter) और Steve Jobs मिलकर एक ऐसी कहानी सोच रहे थे जो बेजान चीजों की भावनाओं के बारे में हो। लासेटर एक होनहार एनिमेटर थे जो केलिफोर्निया इंस्टिट्यूट ऑफ़ आर्ट् से पढ़कर निकले थे।

जब टॉय स्टोरी को बेशुमार सफलता मिली तो एक असमंजस पैदा हुआ कि ये डिज्नी की फिल्म हो या John Lasseter की। तब Steve Jobs डिज्नी के साथ टॉय स्टोरी और बाकी की एनीमेशन फिल्मो के मालिकाना हक़ में बराबर की हिस्सेदारी के लिए तैयार हो गये।

मोना और लिजा

सन 1980 से ही Steve Jobs गुपचुप तरीके से अपने असली माँ-बाप की तलाश में जुटे हुए थे और इसके लिए उन्होंने जासूसी सेवा की मदद ली, और आखिरकार उन्होंने अपनी असली माँ को ढूंढ निकाला।

उनकी माँ का नाम (Joanne Schieble) जोंने शीबले था और वो लोस एंजेलस में रहती थी। Joanne स्टीव के असली पिता अब्दुलफताह जन्दाली(Abdul Fattah Jandali) से अलग रहती थी जो कि एक सीरियन थे। उनकी शादी सफल नहीं रही थी। मगर उन्होंने जॉब्स को बताया कि मोना सिम्पसन नाम की उनकी एक हाफ सिस्टर भी है।

जॉब्स मोना से न्यू यॉर्क में मिले। उन्हें ये जानकर बहुत ख़ुशी हुई कि वो एक नॉवेलिस्ट है। दोनों ही आर्ट में गहरी दिलचस्पी रखते थे और यही वजह थी कि उनके बीच एक गहरा रिश्ता बन गया। जॉब्स ने मोना को उनकी बुक र्रीलीज़ में भी मदद की। दोनों एक दुसरे को बहुत पसंद करते थे और उनके बीच मज़बूत दोस्ती का रिश्ता बन गया।

इसी बीच Steve Jobs ने क्रिसेन्न ब्रेनन और लिजा के लिए एक घर खरीदा जहाँ वे दोनों रहने लगी। जब लीज़ा वहां होती तो जॉब्स बीच-बीच में मिलने आते। जॉब्स ने कहा था “मै पिता नहीं बनना चाहता था इसलिए मै नहीं था”.

जब लीज़ा 8 साल की हुई, जॉब्स का आना जाना और ज्यादा बढ़ गया। उन्होंने देखा कि लीज़ा पढ़ाई के साथ-साथ आर्ट में भी बहुत होनहार थी। लीज़ा उन्ही की तरह उत्साही थी और कुछ-कुछ उन जैसी ही दिखती भी थी।

एक दिन Steve Jobs अपने साथियो को सरप्राइज़ देने के लिए लीज़ा को अपने साथ एप्पल के ऑफिस में लेकर गए। कभी – कभी वे उसे स्कूल से भी लेने जाते थे, और एक बार तो वे उसे अपने साथ टोक्यो की बिजनेस ट्रिप में भी लेकर गए। फिर भी ऐसा कई बार हुआ जब Steve Jobs अपनी इन भावनाओ को प्रकट नहीं करते थे, जैसे जैसे वक्त बीतता गया, बाप बेटी का रिश्ता अनेक उतार-चढावो से गुजरा।

शादी – Steve Jobs

अक्टूबर, 1989 में Steve Jobs की मुलाकात लोरीन पॉवेल से हुई। Steve Jobs को स्टैंडफोर्ड युनिवेर्सिटी में लेक्चर के लिए इनवाईट किया गया था और पॉवेल तब नयी-नयी बिजनेस स्कूल ग्रेजुएट थी। वे दोनों लेक्चर के दौरान साथ बैठे थे। Steve Jobs पहली नज़र में ही पॉवेल के प्रति आकर्षित हो गए थे। उन्होंने आपस में कुछ देर बातचीत की और फिर जॉब्स ने उन्हें डिनर के लिए इनवाईट कर लिया।

लौरीन पॉवेल एक स्मार्ट, आत्मनिर्भर और पढ़ी-लिखी औरत थी। उनका सेन्स ऑफ़ ह्यूमर गज़ब का था और वे शाकाहारी थी। Steve Jobs इससे पहले कई औरतो को डेट कर चुके थे मगर पॉवेल से उन्हें सच में प्यार हो गया था। दिसंबर 1990, में वे दोनों छुटिया बिताने के लिए हवाई गए। क्रिसमस पर Steve Jobs ने पॉवेल को शादी के लिए प्रपोज किया।

और फिर मार्च 18, 1991 में योसमाईट नेशनल पार्क में वे दोनों शादी के बंधन में बंध गए। उस वक्त जॉब्स 36 साल के थे जबकि पॉवेल 27 की थी। करीब 50 लोग इस शादी में शामिल हुए थे जिनमे जॉब्स के पिता और उनकी बहन मोना भी थी। शादी के बाद ये जोड़ा पालो आल्टो के एक टू स्टोरी में शिफ्ट हो गया था। स्टीव और लौरीन के तीन बच्चे है पॉल रीड, एरीन सियेना और ईव।

Restoration

मैक के ग्राफिकल यूज़र इंटरफेस का पता लगाने में Microsoft को कुछ वक्त लगा। साथ ही कंपनी ने अब विंडोज 3.0 भी निकाला। विंडोज़ 95 के रिलीज़ के साथ ही Microsoft ने market को dominate कर दिया। ये अब तक का सबसे बढ़िया ऑपरेटिंग सिस्टम था। इस दौरान एप्पल की सेल लगातार घट रही थी।

Steve Jobs को लगा कि स्क्ल्ली ने एप्पल को प्रॉफिट ओरिएंटेड बनाया है। वो मैक को अपग्रेड करके अफोर्डबल नहीं बना पाए थे। 1996 में एप्पल के मार्किट शेयर गिरकर 4% रह गए थे जोकि 1980 के आखिरी दशक में 16% थे। Steve Jobs एप्पल के सीईओ CEO ज़िल एमेलियो से मिले। जॉब्स ने उनसे कहा कि एक नया प्रोडक्ट बनाकर वे एप्पल को बचाना चाहते है।

ये दिसंबर 20, 1996 की बात थी जब एमेलियो ने एक एडवाइज़र के तौर पर एप्पल में Steve Jobs की वापसी की घोषणा की। अपने शानदार व्यक्तिव और तेज़ दिमाग बिजनेसमेन होने की वजह से Steve Jobs ने बाद में एप्पल के सीईओ की जगह ले ली। एप्पल में उनकी वापसी का पहला साल बेहद मुश्किलभरा रहा। सभी पुराने बोर्ड मेम्बर जा चुके थे और उनकी जगह नए ढूढने पड़े। एप्पल को 1 बिलियन से ज्यादा का घाटा हुआ था।

सन 1997 में Steve Jobs ने एप्पल के “Think Different” केम्पेन का खूब प्रचार किया। उन्होंने इसके लिए बेहतर मार्केटिंग और एडवरटाईजिंग पर जोर दिया। इस दौरान वे PIXAR, एप्पल और अपने परिवार के बीच एक संतुलन बनाए रखने की कोशिश कर रहे थे। साल 1998 तक एप्पल ने एक बार फिर से $309 मिलियन का प्रॉफिट हासिल किया। Steve Jobs और उनकी कंपनी, दोनों की गाडी एक बार फिर से पटरी पर दौड़ने लगी।

जब Steve Jobs अपने 30वे साल में थे, एप्पल ने उन्हें कम्पनी से निकाल बाहर फेंका था। मगर उन्होंने हार नहीं मानी। उन्होंने अपना सारा ध्यान अपने परिवार, पिक्सर और NeXT को दिया। अपने चालीसवे साल में टॉय स्टोरी बनाकर उन्होंने कामयाबी की ऊँचाई को छुवा। एप्पल में अपनी वापसी के साथ उन्होंने साबित कर दिया कि चालीस के पार की उम्र में भी लोग बहुत कुछ हासिल कर सकते है।

अपने बीसवे साल में Steve Jobs पर्सनल कंप्यूटर की दुनिया में एक क्रान्ति लेकर आये। उनका ये प्रयास संगीत, मोबाइल फोन्स, टेबलेट, एप्प्स, बुक्स और जर्नलिस्म के क्षेत्र में भी ज़ारी रहा।

आइ मैक और एप्पल स्टोर्स

साल 1998 में Steve Jobs ने Macintosh को iMac के साथ रीइन्वेंट किया। एक बार फिर उन्होंने प्रोडक्ट बनाया जो मोनिटर और कीबोर्ड के साथ एक मुक्कमल कंप्यूटर था। आइमैक को पूरी तरह से एक होम कंप्यूटर के रूप में बनाया गया था। जॉब्स ने प्रोडक्ट की लौन्चिंग Macintosh के साथ एक नए तरह के थियेटर में की थी। आइमैक को भी उन्होंने इसी तरह लांच किया। $1,299 की कीमत का आइमैक, एप्पल का हाथो-हाथ बिकने वाला प्रोडक्ट बन गया था।

1999 में शहर की प्रमुख सड़को या फिर किसी माँल में एक भी Tech स्टोर नहीं था। जॉब्स ने सोचा की आप तब तक कोई नयी इनोवेशन मार्किट में नहीं ला सकते जब तक कि आपकी पहुँच खरीददारों तक ना हो, तब उन्हें एप्पल के रिटेल स्टोर खोलने का विचार सूझा। एक दिन उनके एक साथी ने उनसे पुछा – क्या एप्पल भी Gap की ही तरह एक बड़ा ब्रांड है? Steve Jobs ने जवाब दिया कि एप्पल उससे भी बड़ा ब्रांड है।

सबसे पहला एप्पल स्टोर मई, 2001 में वर्जीनिया में खोला गया। सफ़ेद रंग के काउंटर और वूडन फ्लोर वाले इस स्टोर में एप्पल के सभी प्रोडक्ट थे। साल 2004 तक एप्पल ने रिटेल इंडसट्री में $1.2 बिलियन के मुनाफे के साथ एक रेकोर्ड बना लिया था। 2006 में एप्पल का पांचवा एवेन्यू स्टोर मेनहेट्टेन में खोला गया.. इसमें जॉब्स के ट्रेडमार्क minimalist design from glass, क्यूब से लेकर स्टेयर केस तक थे। साल 2011 आते-आते पूरी दुनिया में एप्पल के 326 स्टोर खुल चुके थे।

Apple – आइ ट्यून्स और आइ पोड

साल 2000 में अमेरिका में 320 मिलियन के करीब ब्लेंक सीडी बिकी। लोग सीडी से गाने अपने कंप्यूटर में डालते थे। Steve Jobs म्युज़िक की दुनिया में भी कुछ नया करना चाहते थे। हालांकि उन्हीने मैक को सीडी बर्नर के साथ बनाया था मगर फिर भी वे कोई और आसान तरीका सोच रहे थे जिससे गाने सूनने के लिए म्युज़िक आसानी से कंप्यूटर में ट्रांसफर किया जा सके।

उस वक्त जो विंडोज का मीडिया प्लयेर था, वो Steve Jobs को बहुत कोम्प्लीकेटेड लगा। इसी दौरान एप्पल के दो पुराने इंजिनियरो ने SoundJam नाम से एक म्युज़िक सॉफ्टवेयर तैयार किया। एप्पल ने उन्हें वापस कम्पनी में लिया और SoundJam को रीइन्वेंट करने के बाद आइ-ट्यून्स बनाया। Steve Jobs ने आइ-ट्यून्स को जनवरी 2001 में इस स्लोगन के साथ लांच किया “Rip, Mix, Burn”.

Steve Jobs ने सोचा, म्युज़िक प्ले करने के लिए एक ऐसा पोर्टेबल डीवाइस हो जिसे आइ-ट्यून्स के साथ पार्टनर किया जा सके। जब वे जापान में थे तब उन्हें एक नए प्रोडक्ट के बारे में पता चल जिसे तोशिबा बना रहा था। सिल्वर कोइन जितना छोटा ये डीवाइस 5 जीबी यानी 1,000 गाने तक स्टोर कर सकता था। ये डीवाइस तोशीबा ने बना तो लिया था मगर उसका सही उपयोग Steve Jobs को पता था।

और हमेशा की ही तरह Steve Jobs चाहते थे कि जो भी एप्पल प्रोडक्ट बने वो इस्तेमाल में आसान हो। उन्होंने सोचा चूँकि आइ-पोड पहले से ही छोटा था तो प्लेलिस्ट को कंप्यूटर के साथ बनाया जाए। तब आइ-पोड को आइ-ट्यून्स की मदद से सिंक (sync) किया जा सकता था। इसके बाद गानों के कॉपी राईट और आइ-ट्यून्स स्टोर्स के लिए Steve Jobs कुछ बड़ी म्युज़िक कंपनियों से मिले।

ये अक्टूबर 2003 की बात थी जब Steve Jobs को पता चला कि उन्हें कैंसर है। उन्हें पहले एक बार किडनी स्टोन हो चूका था इसलिए तस्सली के लिए वे सिर्फ केट (CAT ) स्केन के लिए गए थे। मगर जांच करने पर डॉक्टर को पता लगा कि उनके पेनक्रियाज़ में ट्यूमर था।Steve Jobs की बायोप्सी की गयी जिससे ये पता चला कि ट्यूमर निकाल कर कैंसर को शरीर में फैलने से रोका जा सकता है।

मगर Steve Jobs सर्जरी नहीं कराना चाहते थे। इसके बदले उन्होंने पूरी तरह से Vegetarian हो कर एक्यूपंक्चर इलाज़ का सहारा लिया। हालांकि उनकी पत्नी और दोस्त उन्हें सर्जरी करवाने के लिए मनाते रहे की उन्हें सच में ओपरेशन की ज़रुरत है, ये बात समझने में उन्हें 9 महीने लगे।

जुलाई 2004 में जॉब्स ने अपना दूसरा केट CAT स्केन करवाया। ट्यूमर बढ़ चूका था। मजबूरन उन्हें सर्जरी करवानी पड़ी और इसमें उनके पेनक्रियाज़ का एक हिस्सा निकाल दिया गया। वे सितम्बर से वापस अपने काम पर जाना चाहते थे मगर बदकिस्मती से उनका कैंसर पूरी तरह उनके शरीर में फ़ैल चूका था। Steve Jobs की कीमोथेरेपी चलती रही।

जब उन्हें स्टेंडफोर्ड के कमेंसमेंट एक्सरसाइज़ के लिए इनवाइट किया गया तो Steve Jobs ने अपने कैंसर के ठीक हो जाने की घोषणा की। साल 2005 में उनकी पत्नी ने उनके जन्मदिन पर एक सरप्राइज़ पार्टी रखी। उन्होंने अपना 50वा जन्मदिन अपने परिवार, दोस्तों और साथियो के साथ मिलकर मनाया।

Apple – आइ-फोन

सारी दुनिया आइ-पोड की दीवानी हो गयी थी। साल 2005 तक ये एप्पल का कुल 45% रीवेन्यु कमा रहा था, और हमेशा की ही तरह Steve Jobs कुछ और इनोवेट करने में लगे थे। उन्होंने अपना ये तर्क बोर्ड के सामने रखा कि जो कभी डिजिटल केमरा के साथ हुआ वो आइ-पोड के साथ भी हो सकता है। इस समस्या से निपटने के लिए एप्पल को अपना खुद का फोन बनाना ज़रूरी था जिसमे इन-बिल्ट केमरा के साथ-साथ म्युज़िक प्लेयर भी हो।

उन्होंने इस बारे में सोचा और मोटोरोला के साथ टाइ-अप करने के लिए नेगोशिएट किया। मगर Steve Jobs पूरी तरह संतुष्ट नहीं हो पाए। उन्हें मार्केट में उपलब्ध एक भी सेल फोन पसंद नहीं आया। इसके अलावा Steve Jobs अपने फ़ोन के लिए एक पोटेंशियल मार्केट भी सोच रहे थे।

Steve Jobs किसी को जानते थे जो माइक्रोसॉफ्ट के लिए टेबलेट पीसी बना रहा था। जो इंजीनियर इसे बना रहा था वो इसके बारे में क्लासीफाइड जानाकरी दे रहा था। माइक्रोसॉफ्ट का ये टेबलेट स्टाइल्स के साथ आता था। लेकिन Steve Jobs ने अपने इंजीनियर्स से पुछा कि क्या वे ऐसा एप्पल प्रोडक्ट बना सकते है जिसमे टच-स्क्रीन हो। जब आइ-फोन का डिजाईन तैयार करके उनके सामने पेश किया गया, जॉब्स ने कहा – “ यही फ्यूचर है”.

कैंसर की वापसी

2008 तक Steve Jobs का कैंसर बुरी तरह उनके शरीर में फ़ैल चूका था। असहनीय दर्द के अलावा उन्हें इटिंग डिसऑर्डर से भी जूझना पड़ रहा था। Steve Jobs को जवानी के दिनों में अक्सर खाली पेट रहने और एक्सट्रीम डाईट की आदत थी। कैंसर की लाइलाज बिमारी में भी वे खाने के प्रति लापरवाह थे। उस साल जॉब्स का वजन लगभग 40 पाउंड घट गया था।

जब वे आइ-फोन 3G को दुनिया के सामने लेकर आये तो मीडिया ने उनके वजन कम होने पर ज्यादा interest दिखाया। सिर्फ महीने भर में ही एप्पल के स्टोक घटने लगे थे।

आखिरकार जॉब्स को जनवरी 2009 में मेडिकल लीव पर जाना पड़ा। उसके दो महीने बाद ही उनका लीवर ट्रांसप्लांट का ओपरेशन हुआ। उनके लीवर में ट्यूमर पाया गया और डॉक्टर इस बात से और चिंतित हो गए थे।

Steve Jobs के मेडिकल लीव पर जाने पर एप्पल के मेनेजमेंट में कुछ अरेंजमेंट किये गए। धीरे-धीरे स्टॉक प्राइस कुछ सुधरे। एक कोंफ्रेंस काल के दौरान, ओपरेशन मेनेजर टीम कुक ने कहा – “हमें इस बात का यकीन है कि हम इस दुनिया में सिर्फ महान प्रोडक्ट बनाने के लिए है और ये हमेशा होता रहेगा। यहाँ कौन क्या काम कर रहा है, इस बात की परवाह किये बगैर हमारा सारा ध्यान सदा इनोवेटिंग पर रहा है। ये वेल्यूज़ कंपनी के साथ इस कदर जुड़े हुए है कि एप्पल हमेशा बेहतरीन करता रहेगा”.

Steve Jobs हालांकि बीमारी में भी शांत नहीं थे। उनका जुझारूपन अभी कायम था। साल 2010 में वे ठीक होकर फिर से एप्पल आने लगे थे। कैंसर भी उन्हें रोक नहीं पाया और उन्होंने आइ-पेड के बाद आइ-पेड 2 और आइ-क्लाउड डेवलेप किया।

आखिरी बोर्ड मीटिंग

ये साल 2011 था जॉब्स को उनके डॉक्टर्स ने बताया कि ट्यूमर उनकी हड्ड्यों और बाकी ओरगंस में भी फ़ैल चूका था। इसके साथ ही दर्द, वजन घटना, इटिंग डिसऑर्डर, नींद ना आना और मूड स्विंग्स जैसी अन्य परेशानियो से उनकी हालत बदतर होती जा रही थी। ऐसे कई प्रोजक्ट थे जिन्हें जॉब्स पूरा करना चाहते थे मगर अपनी बिमारी की वजह से उन्हें अपने परिवार की देख-रेख में घर पर बैठना पड़ रहा था।

अगस्त में Steve Jobs ने लेखक Issacson को मैसेज करके उनसे मिलने की गुज़ारिश की। वे Issacson को अपनी बायोग्राफी के लिए कुछ फ़ोटोज़ दिखाना चाहते थे। उन्होंने हर तस्वीर के पीछे की कहानी उन्हें बताई और बिल गेट्स से लेकर प्रेजिडेंट ओबामा तक उन सब लोगो के बारे में बताया जिनसे वे मिले थे। Steve Jobs का शरीर भले ही बहुत कमज़ोर हो गया था मगर उनका दिमाग अभी भी तेज़ चलता था।

जब आईजेकसन जाने लगे तो जॉब्स ने अपनी बायोग्राफी को लेकर चिंता जताई। लेकिन फिर उन्होंने लेखक से कहा “मैं चाहता हूँ कि मेरे बच्चे मेरे बारे में जाने। क्योंकि मैं उनके साथ ज्यादा वक्त नहीं बिता पाया। मैं चाहता हूँ कि जो कुछ भी मैंने किया, वे उसके बारे में जाने। एक वजह और भी है। जब मैं नहीं रहूँगा तो लोग मेरे बारे में लिखना चाहेंगे। हालांकि वे मेरे बारे में कुछ नहीं जानते तो जो कुछ भी लिखा जाएगा सब गलत होगा। इससे बेहतर है कि मै अपनी बात खुद की कह सकूँ”.

Steve Jobs की आखिरी बोर्ड मीटिंग 24 अगस्त को की थी। उन्होंने इस मीटिंग में वो लैटर पढ़ा जिसे वे हफ्तों से रीवाइज़ कर रहे थे। इसमें लिखा था “मैं हमेशा से ही कहता आया हूँ कि कभी अगर मैं एप्पल के सीईओ CEO की हैसियत से अपना फ़र्ज़ और इस कम्पनी की उम्मीदों पर खरा उतरने लायक ना रह पाऊं तो ये बात आप लोगो को सबसे पहले मैं खुद बताऊंगा, और अफ़सोस की बात है कि वो दिन आज आ गया है”.

Steve Jobs अपनी पसंद में intense हो सकते थे। उनके साथी उनके लिए या तो हीरो थे या फिर एकदम निकम्मे। इसी तरह उनके प्रतिद्वन्दी भी उनकी नजरो में या तो अव्वल थे या एकदम नाकारा। यही नहीं वे हद से ज्यादा ईमानदार थे। उनके अधीन काम करने वालो के अनुसार वे सीधी और सच्ची बात करने में यकीन रखते थे।

Steve Jobs हर काम में अपना दखल देते थे। स्वभाव से वे कंट्रोलिंग थे। मैक का ऑपरेटिंग सिस्टम वे खासतौर पर सिर्फ एप्पल के लिए ही चाहते थे। हालांकि उनके फैसले से माइक्रोसॉफ्ट को फायदा पहुंचा था। लेकिन Steve Jobs अपने प्रोडक्ट्स को बेहतर से भी बेहतरीन बनाने पर जोर देते थे। प्रोडक्ट के डिजाईन से लेकर कस्टमर के अनुभव तक में उन्हें अपना दखल चाहिए था। उनका लक्ष्य हमेशा सिर्फ और सिर्फ परफेक्शन रहा।

कंज्यूमर क्या चाहता है इससे ज्यादा वे इस बात का ख्याल रखते थे कि मार्किट में आने वाले सबसे पहला प्रोडक्ट सिर्फ उनका हो। उनकी मौजूदगी में एप्पल इनोवेशन में हमेशा सबसे आगे रहा। जैसा कि कम्पनी का मोटो रहा है “थिंक डिफरेंट”. स्टीव जॉब्स भले ही कभी-कभी सनकी हो जाते थे मगर उन्होंने खुद को digital age का सबसे महान इनोवेटर साबित कर दिखाया।

Steve Jobs का हमेशा ये मानना था कि अक्सर किसी भी कम्पनी के डूबने के पीछे एक वजह ये होती है कि जब उनका कोई प्रोडक्ट चल पड़ता है तो कम्पनी का सारा ध्यान प्रॉफिट कमाने में लग जाता है। मगर एक कामयाब कंपनी वही होती है जो आखिर तक कायम रहती है क्योंकि उनका मकसद सिर्फ पैसा कमाना नहीं होता बल्कि हर बार बेहतर करना ही उनका लक्ष्य होता है, और एप्पल के लिए वो यही लक्ष्य चाहते थे।

पूरे तीन दशको तक  Steve Jobs लगातार अपने लक्ष्य की ओर बड़ते रहे। उन्होंने एप्पल II और मेकिनतोष के साथ आल इन वन और Ready to use पर्सनल कंप्यूटर बनाया। उन्होंने PIXAR के साथ एनीमेशन की दुनिया ही बदल दी। उनके आइ-ट्यून्स और आइ-पोड ने म्युज़िंक इंड्सट्री को Piracy से बचाया। आइ-फोन और आइ-पेड की मदद से बिजनेस और एंटरटेन एक ही पोर्टेबल डीवाइस में सिमट कर रह गए, और आइ-क्लाउड ने तो डेटा सिंक (SYNC) को बेहद आसान बना दिया।

बेशक Steve Jobs अब इस दुनिया में नहीं रहे लेकिन उनकी लीगेसी हमेशा जिंदा रहेगी। एप्पल और पिक्सर आगे भी यूँ ही टेक्नोलोजी और आर्ट का तालमेल बनाते रहेंगे।

Steve Jobs की बायोग्राफी से हम जो चीज़ सीख सकते है वो ये है की हमेशा चलते रहो, सुधार करते रहो और तुम्हारी ये कोशिशे खुदबखुद तुम्हे कामयाब बनायेंगी।

आपका बहुमूल्य समय देने के लिए दिल से धन्यवाद।

Wish You All The Very Best.

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Steve Jobs biography book summary in Hindi

Steve Jobs biography in Hindi: पढ़िए सदी के महान inventor – Steve Jobs के विचित्रताओं से भरे जीवन के बारे में। यह summary लेखक Walter Isaacson द्वारा लिखी गयी किताब Steve Jobs की biography पर आधारित है।

Steve Jobs biography book summary in Hindi

Steve Jobs Biography book summary in Hindi

Birth and childhood (steve jobs का जन्म और बचपन ).

Steve Jobs का जन्म February 24, 1955 को हुआ था। उनके biological parents का नाम Abdulfattah Jandali and Joanne Schieble था।

Abdulfattah Jandali एक मुस्लिम थे और Syria में पैदा हुए थे। वे student activist रहे थे और बहुत बार जेल जा चुके थे। उन्होंने Wisconsin University से Phd कर रखी थी। वहीं वे Joanne Schieble से मिले और दोनों में प्यार हो गया।

लेकिन परिवार वाले इस रिश्ते के सख्त खिलाफ थे। क्युँकि Joanne Schieble catholic थी। और उसके parents नहीं चाहते थे कि वह एक मुस्लिम को date करे। लेकिन Joanne Schieble ने माता -पिता की नहीं सुनी। और 23 साल की उम्र में उन्होंने Steve को जन्म दिया।

लेकिन Schieble ने पैदा होते ही Steve को, Paul Jobs और Clara Hagopian नाम के catholic दम्पति को adoption के लिए दे दिया, जो California के Sans Francisco में रहते थे। और उनसे वायदा लिया कि वे Steve को कॉलेज तक की पढाई जरूर करवाएँगे।

Steve को बचपन से ही पता था कि उन्हें adopt किया गया है। एक बाद एक लड़की ने उन्हें चिढ़ाया कि तुम्हारे असली माँ – बाप ने तुम्हे इसलिए छोड़ दिया है क्युँकि तुम अच्छे लड़के नहीं थे। और वे तुम्हे पसंद नहीं करते।

Steve को यह सुनकर बहुत बुरा लगा। उन्होंने घर आकर यह बात Paul और Clara को बताई तो उन्होंने उसे प्यार से समझाया कि बेटे ऐसा बिलकुल नहीं है। बल्कि तुम और बच्चों से special हो। और लाइफ में बहुत कुछ achieve करोगे।

इस से Steve के मन में कुछ कर दिखाने और आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा जाग उठी। बाद में Steve की पत्नी Laurene ने बताया था कि Steve कहा करते थे कि Paul और Clara को माँ – बाप के रूप में पाकर वे धन्य हो गए थे। और उनसे बेहद प्यार करते थे।

Homestead High School – Steve Jobs biography in Hindi

Steve Job Homestead High स्कूल में पढ़ते थे। वहाँ वे Steve Wozniak नाम के दूसरे लड़के से भी मिले। जो उन्ही की तरह बेहद प्रतिभाशाली थे। लेकिन Steve Wozniak शर्मीले स्वभाव के थे और Jobs से उम्र में पाँच साल बड़े भी थे।

लेकिन उन दोनों को electronics और Bob Dylan के म्यूजिक में बहुत रूचि थी। इन common interests की वजह से उनकी अच्छी दोस्ती हो गयी थी।

लेकिन Steve Jobs को science and technology के साथ – साथ literature में भी बहुत रूचि थी। उन्होंने Shakespeare और Plato आदि के novels पढ़े।

वहीं पर Chrisann Brennan नाम की लड़की उनकी पहली girlfriend बनी।

Reed College

स्कूल के बाद Steve Wozniak ने University of California, Berkeley में दाखिला ले लिया था। Steve हफ्ते में कई बार उनसे मिलने जाते थे।

इसके बाद Steve Jobs ने खुद Harvard के बदले Reed College में दाखिला ले लिया। क्युँकि उनका मन artistic चीजों की तरफ आकर्षित हो रहा था। और उस कॉलेज में Hippie culture ज्यादा था।

वहाँ Steve ने अपनी बाल बढ़ा लिए, LSD का भी उपयोग किया, वे dorm में फर्श पर सोते थे और कैंपस में नंगे पाँव घूमते थे। वे coke की बोतलें वापस लौटा कर खाने के लिए पैसे जुटाते थे।

कभी -कभी वे पास के हरे कृष्णा मंदिर में फ्री में भोजन भी करते थे।

Steve ने अपनी girlfriend को भी उनके साथ आकर रहने को कहा लेकिन उसने इंकार कर दिया।

एक ही semester के बाद Steve Job ने कॉलेज छोड़ दिया। उनके मुताबिक वे अपने parents का पैसा एक meaningless education में waste कर रहे थे। फिर वे calligraphy का एक कोर्स करने लगे।

एक बार उन्होंने बताया था कि अगर उन्होंने यह कोर्स नहीं किया होता तो शायद Mac में इतने stylish fonts नहीं होते।

भारत यात्रा and Zen Buddhism ( Steve Jobs biography in Hindi )

कुछ समय बाद Steve Job वापस parents के घर आ गए थे। और Atari inc नामक company में technician का काम करने लगे।

इसी बीच 1974 में उन्होंने भारत यात्रा भी की। वे नीम करोली बाबा के कैंची आश्रम भी गए, जो उत्तराखंड राज्य में स्थित है। और वहाँ के spiritual atmosphere में enlightenment को अनुभव किया। कहा जाता है कि iPod बनाने की प्रेरणा उन्हें यहीं से मिली थी।

इसके बाद उन्होंने Zen Buddhism का भी अध्ययन किया। और एक गुरु से Zen meditation करना सीखा।

Birth of Apple – Apple कम्पनी की शुरुआत

वक़्त के साथ Steve Job और Steve Woznaik फिर से एक साथ काम करने लगे। Steve Woznaik तरह -तरह के instrument डिज़ाइन कर चुके थे जैसे circuit board जो वीडियो गेम्स में use होता है।

या blue box जो टेलीफोन नेटवर्क में काम आता है। इन सबकी मार्केटिंग में Steve Jobs का हाथ था। लेकिन Steve अब कुछ unique बनाना चाहते थे।

उन्होंने पहले एक company बना ली जिसका नाम Apple रखा। क्युँकि कुछ दिन पहले वे Apple के बगीचे से घूम कर आये थे।

इस कंपनी का ऑफिस कुछ और नहीं बल्कि उनके parents का garage था। शुरू में उनकी टीम में Steve की adopted बहन Patty और Daniel Kottke भी थे। सब मिलकर नया product बनाने में जुट गए।

Birth of Daughter Lisa (बेटी लिसा का जन्म )

धीरे -धीरे Apple कंपनी सफलता की सीढ़ियाँ चढ़ने लगी। Steve Job अब Cupertino में रहने लगे। उनकी गर्लफ्रेंड Chrisann Brennan के साथ रिश्ता अच्छा नहीं रहा।

इसी बीच Chrisann Brennan pregnant भी हो गयी। और एक बची को जन्म दिया। जिसका नाम Lisa रखा गया। लेकिन Steve Jobs ने बच्ची को अपना मानने से इंकार कर दिया।

दोनों माँ – बेटी अलग होकर तंगहाली में रहने लगीं।

एक साल बाद Chrisann Brennan ने Steve Jobs पर case किया और उनका DNA test करवाया गया। बच्ची का DNA लगभग 95 % Steve से match हुआ। जिस से सिद्ध हो गया कि Lisa उनकी ही बेटी थी।

लिहाजा कोर्ट ने Steve Job को बच्ची के पालन -पोषण का खर्च उठाने को कहा। इसके बाबजूद Steve काफी सालों तक Lisa से नहीं मिले।

Macintosh का launch – Steve Jobs biography summary in Hindi

दोस्तो, हम सभी Mac computers के बारे में तो जानते ही हैं। ये बहुत ही hi -tech, और sleek दिखते हैं और उन्हें virus भी infect नहीं कर पाता। 1981 में ही Macintosh market में उतारा गया था।

इसके बाद Steve Job ने अपनी company को share market में लिस्ट करवा दिया। जब उनका पहले IPO (Initial Public Offer ) आया था तो रातोंरात ही उसकी कीमत आसमान छूने लगी थी।

बहुत से लोग करोड़पति हो गए और 25 साल के Steve Job limelight में आ गए। Times magazine और दुनियाभर के समाचार – पत्र पत्रिकाओं ने उन पर cover – stories छापीं ।

इस तरह अपनी घर के garage से कंपनी शुरू करने वाला और हिप्पी जैसा दिखने वाला लड़का अरबपति बन गया था। इसके साथ ही Steve Job पूरे वर्ल्ड में youth – icon बन गए।

धीरे -धीरे कंपनी ने Apple I , Apple II और Apple LISA जैसे computers भी market में उतारे।

Brief partnership with Microsoft

Microsoft कंपनी के मालिक Bill Gates भी Steve Job की ही उम्र के थे। लेकिन वे एक धनी परिवार से थे।उनके पिता पेशे से वकील थी और माँ लोकल politics में active थीं। वे Harvard में पढ़े थे लेकिन उन्होंने भी पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी थी।

इसी बीच Bill gates और Steve Job एक साथ काम करने को राजी हो गए। लेकिन दोनों के ही personal differences के चलते उनकी partnership टूट गयी।

वास्तव में Bill Gates चाहते थे कि Mac computer में Microsoft के ही software लगाए जायें। लेकिन Steve Job चाहते थे कि Mac में कुछ unique software होने चाहियें।

इसी मतभेद के चलते दोनों अलग हो गए।

बाद में Microsoft ने Dos (Disc Operating System ) और windows 1 software निकाले। जिस पर Steve Job ने कहा था कि – ये original नहीं हैं और इनमें ज्यादा creativity भी नहीं दिखती है।

Resignation from Apple

सन 1985 में Steve Jobs ने कम्पनी President John Scully को बताया कि वे एक अलग कंपनी बनाना चाहते हैं। आपसी मतभेदों के कारण Apple कंपनी के बोर्ड के सदस्यों को लगा कि Steve Jobs अब Apple में interested नहीं हैं।

इस कारण सब board members ने उनका विरोध किया। उन्हें chairman पद से हटा कर non -executive member बना दिया गया।

एक दिन Steve Job ने अपना इस्तीफा chief executive Mike Markkula को भेज दिया। और Apple से अलग होकर NEXT नाम की company का निर्माण कर लिया।

और यहाँ भी उन्होंने दिखा दिया के वे सच में Steve Job थे – यानि कि एक Legend . उन्होंने नया NEXT कंप्यूटर बनाया। और उसक operating system जिसका नाम NEXTSTEP था भी launch किया।

आगे चलकर Apple के हर प्रोडक्ट में यही operating system इस्तेमाल हुआ।

इसके साथ ही Tim Berners-Lee ने NEXTSTEP का प्रयोग करके दुनिया का सबसे पहला ब्राउज़र the WorldWideWeb (www) खोज निकला। जिसने इंटरनेट की दुनिया में तूफ़ान ला दिया।

Pixar and Animation Movies

उन्ही दिनों George Lucas (Star War के निर्माता – निर्देशक) अपने कंप्यूटर डिवीज़न को बेचने की तैयारी कर रहे थे। जो animation करता था।

Animation डिवीज़न को John Lasseter सँभालते थे।

Steve Job वहाँ गए और उनका काम देखकर बहुत प्रभावित हुए। क्युँकि वे खुद भी art में रूचि रखते थे। उन्होंने वहाँ Pixar नामका कंप्यूटर देखा। जो 3D ग्राफ़िक में इस्तेमाल होता था।

Steve Job ने कंपनी खरीद ली और इसका नाम Pixar ही रख दिया। और animation के लिए advanced software बनाया।

इस software में Walt Disney ने बहुत interest दिखाया और अपनी फिल्म little mermaid में इस्तेमाल किया।

इसके बाद John Lasseter के साथ मिलकर Steve Job ने Toy story नाम की animation फिल्म बनाई जो पूरी दुनिया में विख्यात हो गयी। और इसके बाद तो ऐसी फिल्मों की झड़ी ही लग गयी।

Step-Sister and Daughter ( Steve Jobs biography in Hindi )

इसी बीच Steve Job अपनी biological माँ Joanne Schieble से भी मिले। जिसका पता उन्होंने detective से लगवाया था।

Joanne Schieble अब अपने पति से अलग Los Angeles में रहती थी। उसकी एक बेटी भी थी जिसका नाम Mona था। जो Steve Job की half – sister लगती थी।

Mona उस समय 25 साल की थी। और वह एक novelist थी। Steve Job उस से मिलकर काफी खुश हुए। और दोनों काफी घुल -मिल गए। क्युँकि उन दोनों को literature में बहुत interest था।

Mona ने Steve को अपनी विचारों से काफी प्रभावित किया । अब वे अपनी बेटी Lisa से भी जाकर मिले जो अब 8 साल की हो चुकी थी। उन्होंने पहली girlfriend Chrisann Brennan और बेटी Lisa के लिए एक घर भी खरीद कर दिया।

उन्होंने उस से apologize करके कहा कि वे उस समय पिता बनने के लिए तैयार नहीं थे। और अपनी creativity में इतने मशगूल थे कि कभी अच्छे पिता नहीं बन सके।

लेकिन इसके बाद वे अक्सर Lisa से मिलने आने लगे। Lisa उन्ही की तरह पढ़ाई में होशियार थी और उनके जैसी दिखती थी। Steve कभी -कभी उसे अपने office और meetings में भी ले जाते थे।

Marriage (शादी)

सन 1989 में Steve Jobs की मुलाकात Laureen Powel से हुई। वे Harvard University में लेक्चर देने गए थे। तभी उनकी नजर सामने बैठी Laureen पर पड़ी।

बाद में उन्होंने कहा था कि Laureen को देखकर वे स्तब्ध रह गए थे। वे अपनी आँखे उसके चहरे से हटा ही नहीं पा रहे थे। और ऐसा लग रहा था मानों उन्हें चक्कर आ रहा हो।

इसके बाद Steve ने Laureen को propose कर दिया जिसे उन्होंने मान लिया। 1991 में Yosemite national park में दोनों की शादी हो गयी। उस समय Steve Job 36 के और Laureen 27 साल की थीं।

आगे चलकर उन दोनों के तीन बच्चे हुए – Reed, Erin और Eve .

Return to Apple ( Steve Job की Apple में वापसी )

Steve Job के बिना Apple कम्पनी खराब प्रदर्शन कर रही थी। उधर Bill Gates Windows को लगातार upgrade किये जा रहे थे। Windows 9 के साथ ही Microsoft मार्किट में छा गया था।

लेकिन दूसरी तरफ Scully ने Apple के Mac कंप्यूटर को upgrade नहीं किया था। और सिर्फ profit पर ध्यान दे रहे थे। जिसकी वजह से Apple के शेयर्स काफी गिर गए और कम्पनी को बहुत घाटा हुआ।

इसी बीच Steve Jobs, Apple के CEO – Gil Amelio से मिले और उनसे कहा कि वे Mac को अपग्रेड करके कंपनी को बचा सकते हैं। इसके बाद Steve Job कंपनी के CEO बन गए । उस समय वे 40 साल के हो चुके थे।

एक ही साल में जमकर मेहनत करने के बाद उन्होंने Apple को अपना खोया मुकाम वापस दिला दिया। उन्होंने एक के बाद एक बेहतरीन प्रोडक्ट launch किये। जिनसे आप भली -भांति परिचित हैं।

जैसे – iMac, iTunes, iPod, iPhone, iPad आदि।

Cancer and Death – ( Steve Jobs biography in Hindi )

2003 में दुखद समाचार मिलता है कि की Steve Joe को pancreas का कैंसर हो गया था। इसके बाद उनका इलाज चला और सर्जरी भी हुई।

दो साल के बाद उनका कैंसर कुछ समय के लिए ठीक हो गया लेकिन 2008 में फिर से relapse कर गया।अबकी बार ये उनकी हड्डियों और शरीर के अंगों में फ़ैल चुका था। उनके liver का भी ऑपरेशन हुआ जिसमें tumor हो गया था।

फिर वे मेडिकल लीव पर चले गए और Tim Cook नए CEO बने। Steve Jobs की बीमारी के कारण Apple के stocks गिरने लगे थे।

लेकिन Tim Cook ने बयान में कहा कि Apple हमेशा perfection और innovation पर focus करता रहेगा। और इस बात से कभी कोई फर्क नहीं पड़ेगा कि company का CEO कौन है। इस से Apple फिर से अपने पहले जैसे मुकाम पर पहुँच गया।

हालाँकि Steve Job कैंसर से जूझ रहे थे लेकिन वे कभी भी उसके सामने नहीं झुके। उनकी spirit हमेशा strong रही। बीमारी के समय भी उन्होंने iPad 2 और iCloud लॉंच किया था।

लेकिन धीरे -धीरे उनकी हालत और बिगड़ने लगी जिसके कारण 2011 में उन्हें कम्पनी से इस्तीफा देना पड़ा। उसी साल आखिर लम्बी बीमारी से जूझते हुए, October 5, 2011 में Steve Job का Palo Alto में उनके घर पर निधन हो गया।

उस समय उनके साथ सारा परिवार मौजूद था।

उनके आखिरी शब्द थे – Oh wow. Oh wow. Oh wow.

दोस्तो, इस समरी को पढ़कर आपको Steve Jobs कैसे इंसान लगे, नीचे comment करके बताएँ । इस summary ( Steve Jobs biography in Hindi ) को share भी करें।

Rich Dad Poor Dad summary in Hindi

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एप्पल के फाउंडर स्टीव जॉब्स का जीवन परिचय, मृत्यु | Steve Jobs Biography, Death in Hindi

by Rakesh Roshan · Published October 8, 2022 · Updated October 10, 2022

स्टीव जॉब्स का जीवन परिचय( स्टीव जॉब्स, विकी, जन्म, शिक्षा, करियर, परिवार, बिजनेस, एप्पल, नेक्स्ट इंक., पत्नी, बच्चे, संपत्ति, मृत्यु ) | Steve Jobs Biography in hindi [ Steve Jobs, Wiki, Birth, Age, Education, Career, Family, Business, Apple, Next Ink., Pixar, wife, children, net worth, Death ]

स्टीव जॉब्स | Steve Jobs

Founder of Apple

एप्पल के फाउंडर स्टीव जॉब्स का जीवन परिचय, मृत्यु | Steve Jobs Biography, Death in Hindi

दोस्तों, स्टीव जॉब्स आज करोड़ों लोगों के लिए प्रेरणादायक हैं। इसलिए नहीं कि, इन्होंने एप्पल कंपनी कि शुरुआत कि थी, ब्लकि इसलिए भी कि, जिस तरह से इन्होंने अपने जीवन में तमाम संघर्षों का सामना करते हुए अपने जीवन में सफलता कि नई उँचाईयों को छुआ था। आमतौर पर लोग इन्हें, एप्पल के फाउंडर के रूप में जानते हैं। पर बहुत कम लोग हैं, जो इनके संघर्ष भरे दिनों के बारे में जानते हैं। जॉब्स के जीवन में एक समय ऐसा भी था, जब उन्हें मंदिर में मिलने वाले खाने से अपनी भूख मिटानी पड़ती थी और दोस्त के घर जमीन में सोना पड़ता था। इतना ही नहीं, जब इन्होंने अपनी कंपनी एप्पल की शुरुआत के बाद इन्हें अपनी ही कंपनी से बाहर निकाल दिया गया था। लेकिन इन सब के बाबजूद भी स्टीव जॉब्स ने कभी हार नहीं मानी और परेशानियों का डटकर सामना किया और आगे बढ़ते रहे। तो आइए जानते हैं, ” स्टीव जॉब्स का जीवन परिचय | Steve Jobs Biography, Death in Hindi ” के बारे में। जिसमें हम इनके प्रारंभिक जीवन से लेकर इनके संघर्ष भरे दिनो और एप्पल के शुरुआत से लेकर उनकी मृत्यु तक के पूरे सफर के बारे में चर्चा करेंगे। इसलिए स्टीव जॉब्स के बारे में अधिक जानने के लिए इस आर्टिकल को पूरा जरूर पढ़ें…

जानिए – अमेजॉन के फाउंडर जैफ बेजॉस का जीवन परिचय | Jeff Bezos biography in Hindi biography in Hindi “

Table of Contents

स्टीव जॉब्स का जीवन परिचय : एक नजर में

स्टीव जॉब्स का प्रारंभिक जीवन | steve jobs early life.

Steve Jobs Biography in Hindi : दोस्तों, स्टीव जॉब्स का जन्म 24 फरवरी, 1955 को कैलिफोर्निया के सेंन फ्रांसिस्कों में हुआ था। इनके पिता, अब्दुलफत्त जन्दाली सीरिया के मुस्लिम समुदाय से थे। इनकी माँ का नाम जोअन्नी सिम्पसन था। जब स्टीव का जन्म हुआ था तब इनके माता कि शादी नही हुई थी। इसलिए उन्होंने स्टीव को गोद में देने का फैसला किया और उन्होंने पॉल रेनहोल्ड जॉब्स और क्लारा जॉब्स नाम के एक शादीशुदा कपल को स्टीव को पढ़ने के लिए कॉलेज भेजने के आश्वासन के बाद गोद में दे दिया।

स्टीव को गोद लेने वाली माँ, क्लारा जॉब्स एक अकाउंटेंट थी, और कॉलेज से स्नातक की उपाधि प्राप्त नहीं की थी। जबकि इनको गोद लेने वाले पिता, पॉल रेनहोल्ड जॉब्स एक मैकेनिक थे, और केवल उच्च विद्यालय तक की ही शिक्षा प्राप्त की थी। हालाँकि, बाद में स्टीव के माता-पिता ने अपना खुद का एक गैरेज खोल लिया था।

जब स्टीव जॉब्स 5 साल के थे तो इनका परिवार सैन फ्रांसिस्को से माउंटेन व्यू, कैलिफोर्निया मे शिफ्ट हो गया। इनकी माँ क्लारा इन्हें पढ़ना सिखाती थी। जबकि, इनके पिता, पॉल एक मैकेनिक और एक बढ़ई के रूप में काम किया करते थे और अपने बेटे स्टीव को भी छोटे मोटे इलेक्ट्रॉनिक्स काम के साथ अपने हाथों से काम कैसे करना है, ये सिखाते थे। वहीं से स्टीव कि रूचि इलेक्ट्रॉनिक्स में बढ़ने लगी थी और इसलिए स्टीव गैरेज में रखे इलेक्ट्रॉनिक सामानो के साथ छेड़छाड़ करते रहते और हमेशा कुछ नया सीखने की कोशिश करते थे। इन्होंने बचपन में ही अपने पिता से इलेक्ट्रॉनिक्स का काफी काम सीख लिया था। इसके साथ ही ये बचपन से ही एक प्रतिभा वाले कुशाग्र बुद्धि के छात्र थे। हालांकि, इन्हें स्कूल जाने से अच्छा घर पर बैठकर किताबें पढ़ना ही पसंद था।

जानिए – महान निवेशक और बिजनेसमेन वारेन बुफेट का जीवन परिचय | Warren buffett biography in Hindi

स्टीव जॉब्स की शिक्षा | Steve Jobs Education

Steve Jobs Education : स्टीव ने अपनी प्राथमिक शिक्षा मोंटा लोमा प्रायमरी स्कूल से पुरी करने के बाद उच्च शिक्षा, कूपर्टीनो जूनियर हाई स्कूल और होम्स्टेड हाई स्कूल से प्राप्त की थी। वर्ष 1972 में हाई स्कूल के स्नातक स्तर की पढ़ाई के बाद आगे कि पढ़ाई के लिए स्टीव ने ओरेगन के रीड कॉलेज में दाखिला लिया। लेकिन रीड कॉलेज कि फीस बहुत महँगी थी और जॉब्स के माता-पिता के पास उतने पैसे नहीं थे कि वे कॉलेज कि फीस दे पाते। क्योंकि इनके माता-पिता की पूरी जमा पूंजी कॉलेज की फीस में ही खर्च हो चुकी थी। जिसके कारण, पहले सेमेस्टर के बाद ही पैसों की कमी की वजह से स्टीव जॉब्स ने अपना कॉलेज बीच में ही छोड़ दिया।

हालांकि, कॉलेज छोड़ने के बाद इन्होंने क्रिएटिव क्लासेस में दाखिला ले लिया था और ये कैलीग्राफी (Calligraphy) की क्लास जरूर अटेंड करते थे। आपको बता दें कि – कैलीग्राफी, अक्षरों को क्रिएटिव एवं अच्छे तरीके से लिखने की कला होती है। इसी दौरान स्टीव कि मुलाकात वोजनियाक से हुई और इनके बीच दोस्ती हो गई। वोजनियाक को भी स्टीव कि तरह ही इलैक्ट्रॉनिक्स और कंप्यूटर में दिलचस्पी थी।

शारीरिक संरचना | Physical Appearance

स्टीव जॉब्स के संघर्ष भरे दिन | steve jobs struggling time.

Steve Jobs Biography in Hindi : स्टीव जॉब्स के जीवन में एक समय ऐसा भी था जब शुरुआती दिनों में आर्थिक तंगी के कारण इन्हें बुरे दौर से गुजरना पड़ा था। उन दिनो स्टीव के पास इतने भी पैसे नहीं होते थे कि, वे अपने पेटभर खाना भी खा सके। उन दिनों में ये कोक की बॉटलस् बेचकर किसी तरह अपना गुजारा करते थे। हर रविवार को कृष्ण मंदिर में भरपेट खाना मिलता था। इसलिए स्टीव हर रविवार को कृष्ण मंदिर जाया करते थे, ताकि फ्रि में भरपेट खाना खा सकें। स्ट्रगल के दिनों में स्टीव ने कई रातें अपने दोस्त के कमरे में फर्श पर सोकर गुजारे थे।

लेकिन स्टीव के अंदर दृढ़इच्छाशक्ति और प्रतिभा की कोई कमी नहीं थी और इन्होंने हर मुसीबतों का सामना डट कर किया था। इसी दौरान, वर्ष 1972 में एक इन्हें एक वीडियो गेम बनाने वाली डेवलिंग कंपनी में काम करने का मौका मिला। परंतु, स्टीव अपनी बात स नौकरी से संतुष्ट नहीं थे। जिसके कारण इन्होंने यह नौकरी छोड़ दी।

स्टीव जॉब्स की भारत यात्रा | Steve Jobs visit to India

Steve Jobs visit to India : उस वीडियो गेम बनाने वाली डेवलिंग कंपनी से स्टीव ने जो भी पैसे बचाए थे, उन पैसों से स्टीव भारत यात्रा करने का फैसला किया और भारत आ गए। क्योंकि, स्टीव, भारत की संस्कृति से काफी प्रभावित थे और ये यहां आकर आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करना चाहते थे। इसलिए, वर्ष 1974 में स्टीव आध्यात्मिक ज्ञान की खोज में अपने कुछ रीड कॉलेज के मित्रो के साथ कारोली बाबा से मिलने भारत आए।

लेकिन, जब ये कारोली बाबा के आश्रम पहुँचे तो इन्हें पता चला की उनकी मृत्यु सितम्बर 1973 को ही हो चुकी थी। इसके बाद इन्होने हैड़खन बाबाजी से मिलने का फैसला किया और करीब 7 महीनों तक भारत के कई हिस्सों- उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली में बिताया। इस दौरान इन्होंने बौद्ध धर्म की शिक्षा भी प्राप्त की।

अध्यात्म की शिक्षा ग्रहण करने के बाद स्टीव अब पहले जैसे नहीं रहे थे। ये पूरी तरह से बदल चुके थे। इनका मन पूरी तरह से एकाग्रचित्त हो चुका था और मन भी पुरी तरह से शांत हो चुका था। इनके जीवन में मानो जैसे एक नया परिवर्तन आ चुका था। 

सात महीने भारत में बिताने के बाद, स्टीव वापस अपने देश चले गऐ। वहां इन्होने अपना लुक बदल डाला। न्होने अपना सिर मुंडा दिया और पारंपरिक भारतीय वस्त्र पहनने शुरू कर दिए। इसके साथ ही ये जैन और बौद्ध धर्मों के गंभीर व्यवसायी भी बन गये।

जानिए – ओरेकल के को फाउंडर लैरी एलिसन का जीवन परिचय | Larry Ellison biography in Hindi

एप्पल कि शुरुआत | Starting of Apple

Steve Jobs Biography in Hindi :  बात वर्ष 1976 कि है, एक बार स्टीव जॉब्स कि सबसे अच्छी दोस्त, वोजनियाक ने अपना एक मेकिनटोश कंप्यूटर (एप्पल-1) बनाया और जब वोज़नियाक ने इसे स्टीव को दिखाया तो स्टीव इसे देखकर बहुत खुश हुए और इन्होंने इसे बेचने का सुझाव दिया।

फिर क्या था, वर्ष 1976 में, स्टीव जॉब्स ने अपना खुद का बिजनेस करने का प्लान बनाया और अपने पिता के गैरेज में कम्प्यूटर बनाने का काम शुरु कर दिया, और अपनी दोस्त वोज़नियाक के साथ मिलकर ” एप्पल कंप्यूटर कंपनी ” कि शुरुआत की। इस काम को पूरा करने के लिये इन्होने इंटेल के उत्पाद विपणन प्रबंधक और इंजीनियर माइक मारककुल्ला कि मदद ली। धीरे-धीरे कंपनी ने एक के बाद एक कई नए अविष्कार किए और सफलता हासिल की।

वर्ष 1978 में, नेशनल सेमीकंडक्टर के माइक स्कॉट को एप्पल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के रूप में कंपनी में शामिल किया। वर्ष 1980 में, स्टीव जॉब्स की कंपनी, एप्पल (Apple) एक प्रतिष्ठित एवं विश्व की जानी-मानी कंपनी बन चुकी थी।

स्टीव जॉब्स को उनकी ही कंपनी, एप्पल से निकाला | Steve Jobs fired from his own company, Apple

Steve Jobs Biography in Hindi : भले ही स्टीव द्वारा स्थापित की गई इनकी कंपनी, एप्पल पूरे दुनिया भर में अच्छा कारोबार कर रही थी लेकिन यहां भी इनकी मुश्किलें कम नहीं हुई। स्टीव के जीवन में एक ऐसा दौर भी आया, जब इनकी ही कंपनी ने जॉब्स को इस्तीफा (Resign) देने पर मजबूर कर दिया गया था।

दअरसल, लगातार कामयाबी हासिल कर रही इनकी कंपनी को उस समय ब्रेक लगा जब कंपनी ने एप्पल-3 और इसके बाद, लिसा कंप्यूटर लॉन्च किया। स्टीव ने अपनी बेटी लिसा के नाम पर इस कंप्यूटर का नाम लिसा कंप्यूटर रखा था। कंपनी द्वारा लांच किए गए यह दोनों ही प्रोडक्ट बुरी तरह से फ्लॉप रहे।

हालांकि, बाद में स्टीव ने मैकिनटोश को बनाने पर कड़ी मेहनत की और वर्ष 1984 में लिसा कंप्यूटर पर बेस्ड, सुपर बाउल का बनाकर इसे मैकिनटोश के साथ लॉन्च कर दिया और कामयाबी हासिल की। इसके बाद एप्पल ने IBM साथ मिलकर कंप्यूटर बनाना शुरू किया। अच्छी क्वालिटी के कंप्यूटर होने कि वजह से बाजारों में इनकी कंप्यूटर की मांग बढ़ने लगी।

हालांकि, जॉब्स ने अपनी कंपनी की कॉन्सेप्ट कभी भी सिक्रेट नहीं रखा। जिसका खामियाजा इन्हें भुगतना पड़ा। जॉब्स के कंप्यूटर कॉन्सेप्ट सिक्रेट ना होने के कारण, कई दूसरी कंपनियों ने इनके कॉन्सेप्ट को कॉपी करते हुए कंप्यूटर बनाकर सस्ते दामों पर बाजारों में बेचने लगी। जिसकी वजह से एप्पल को काफी नुकसान भी होने लगा था। और इन सब का जिम्मेदार स्टीव जॉब्स को ठहराया गया। जिसके बाद, इनकी ही कंपनी एप्पल ने इन पर कंपनी इस्तीफा देने का दबाव बनाया। 

अप्रैल 10 अप्रैल 1985 को कंपनी के 11 बोर्ड मेंबर्स की बैठक के दौरान, एप्पल के बोर्ड के निदेशकों ने स्कली के कहने पर जॉब्स को अध्यक्ष पद को छोड़कर उसकी सभी भूमिकाओं से हटाने का अधिकार दे दिया। लेकिन, जॉन स्कली ने यह फ़ैसला कुछ समय के लिए रोक दिया। इसके बाद मई 24, 1985 को इस मामले को हल करने के लिए एक बोर्ड मिटिंग हुई। इस बैठक में स्टीव जॉब्स को मेकिनटोश प्रभाग के प्रमुख के रूप में, और इसके प्रबंधकीय कर्तव्यों से हटा दिया गया।

कंपनी के द्वारा बढ़ते दबाव के चलते, स्टीव जॉब्स ने 17 सितंबर 1985 को एप्पल से इस्तीफा दे दिया। स्टीव के साथ ही इनके पांच करीबी सहकर्मियों ने भी एप्प्ल से इस्तीफा दे दिया।

नेक्स्ट कंप्यूटर कि शुरुआत | Start Next Ink. Computer Company

Steve Jobs Biography in Hindi : एप्पल से इस्तीफ़ा देने के बाद भी स्टीव ने हार नहीं मानी। इन्होंने वर्ष 1985 में नेक्स्ट इंक. (Next Ink.) की स्थापना की। Next Ink. अपनी तकनीकी ताकत के लिए जाना जाता था। इसका मुख्य उद्देश्य, उन्मुख सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट सिस्टम बनाना था। इसके बाद टिम बर्नर्स ली ने एक नेक्स्ट कंप्यूटर पर वर्ल्ड वाइड वेब (www) का आविष्कार किया था। शुरुआत के एक साल में कंपनी को पूँजी जरूरत महसूस हुई। जिसके कारण Next Ink. ने रॉस पेरोट के साथ साझेदारी की।  

इस साझेदारी के बाद, पेरोट ने नेक्स्ट में अपनी पूँजी लगा दिया। वर्ष 1990 में Next ने बाजार में $9999 के साथ अपना पहला कंप्यूटर लांच किया। हालांकि, एप्पल की तरह ही नेक्स्ट भी काफी एडवांस था। लेकिन इस कम्प्यूटर कि किमत अधिक होने के कारण यह बाज़ार में असफल रही। इस कंप्यूटर के फ्लाप होने के कुछ समय बाद, उसी वर्ष नेक्स्ट ने एक नया और पहले से बेहतर ‘इन्टर पर्सनल कम्प्यूटर’ बनाया।

इसके बाद स्टीव जॉब्स ने यह को यह महसूस हुआ और  इन्होंने Next Ink. को एक सॉफ्टवेयर कंपनी में बदल दिया। इसके बाद इन्हें इसमें काफी सफलता हासिल मिली।

डिज्नी के साथ जॉब्स की पार्टनरशिप | Disney Partnership with Steve Jobs

Steve Jobs Biography in Hindi : वर्ष 1986 में, स्टीव जॉब्स ने एक ग्राफिक्स कंपनी, पिक्सर (Pixar) को खरिद लिया और डिज्नी के साथ पार्टनरशिप की। इसके बाद, स्टीव ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और सफलता की नई ऊंचाइयों को छूते गए। आज इनके संघर्ष भरे दिनों के बारे में जानकर और इनकी सफलता को देखते हुए दुनिया भर में वह कई युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बने हुए हैं।

जानिए – माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक बिल गेट्स का जीवन परिचय | Bill Gates biography in Hindi

एप्पल मे वापसी | Come Back in Apple

Steve Jobs Biography in Hindi : वर्ष 1996 में, बाजार में एप्पल की हालत कमजोर पड़ने के बाद, स्टीव ने अपनी दुसरी कंपनी नेक्स्ट कम्प्यूटर को एप्पल को $ 427 मिलियन डॉलर में बेच दिया और ये एप्पल के चीफ एक्जिक्यूटिव आफिसर (CEO) बन कर एप्पल में वापस आए। वर्ष 1997 में स्टीव ने कंपनी के CEO का पदभार संभाला।

  • वर्ष 1998 में स्टीव के नेतृत्व में एप्पल ने आईमैक को बाजार में उतारा। जिससे कंपनी ने एक बड़ी सफलता हासिल की। दरअसल, आइमैक एक आकर्षक तथा अल्प पारदर्शी खोल वाला पर्सनल कंप्यूटर (PC) था।
  • इसके बाद, एप्पल ने वर्ष 2001 में ‘आई पॉड’ (IPOD) म्यूजिक प्लेयर लॉन्च किया और इसी वर्ष कंपनी ने ‘आई ट्यून्ज़ स्टोर’ और (ITunes) लॉन्च किया।
  • वर्ष 2007 में एप्पल ने स्मार्टफोन की दुनिया में कदम रखते हुए, आई फोन को लॉन्च किया। कंपनी का यह मोबाइल फोन लोगों को खूब पसंद आया। इसके बाद, वर्ष 2010 में एप्पल ने अपना एक और नया प्रोडक्ट, आइ पैड नामक टैब्लेट कम्प्यूटर बनाया।

वर्ष 2011 में स्टीव ने कंपनी के सीईओ (CEO) के पद से इस्तीफा दे दिया। लेकिन, कंपनी के बोर्ड के अध्यक्ष के रूप मे कंपनी के साथ बने रहे।

स्टीव जॉब्स की शादी, पत्नी | Steve Jobs Wife, Marriage

Steve Jobs Biography in Hindi – Married Life : स्टीव जॉब्स को वर्ष 1978 में अपनी प्रेमिका (Love Partner), क्रिस्टन ब्रेन्नन से एक बेटी हुई। जिनका नाम लिसा ब्रेन्नन जॉब्स है। क्रिस्टन ब्रेन्नन का स्टीव जॉब्स से पुराने सम्बन्ध थे। हालांकि, स्टीव जॉब्स ने अपनी पार्टनर, किर्स्टन ब्रेन्नन से शादी नहीं कि थी।

वर्ष 1991 में स्टीव जॉब्स ने लॉरेन पावेल से शादी की। और इसी वर्ष 1991 में लॉरेन ने एक बेटे, रीड जॉब्स को जन्म दिया। इसके बाद वर्ष 1995 में लॉरेन ने एक बेटी एरिन जॉब्स को जन्म दिया। और वर्ष 1998 में उनकी दूसरी बेटी, ईव जॉब्स का जन्म हुआ।

स्टीव जॉब्स, संगीतकार दि बीटल्स के बहुत बड़े प्रशंसक थे और उनसे प्रेरित थे।

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पारिवारिक जानकारियां । Family Details

स्टीव जॉब्स की मृत्यु, निधन | steve jobs death.

Steve Jobs Death : वर्ष 2003 में स्टीव जॉब्स, पैनक्रियाटिक कैंसर नाम की बीमारी से पीड़ित हुए। इसके बाद काफी लम्बे समय तक इनका ईलाज चला। लेकिन 5 अक्टूबर 2011 को शाम करीब 3 बजे स्टीव जॉब्स का पालो अल्टो, कैलिफोर्निया के घर में निधन हो गया। वे 56 वर्ष के थे।

इनके निधन पर माइक्रोसाफ्ट और् डिज्नी जैसी बड़ी कंपनियों सहित पुरे अमेरीका में शोक मनाया गया था। अपने निधन के बाद, स्टीव अपनी पत्नी और तीन बच्चों को पीछे छोड़ गये।

स्टीव जॉब्स को मिले सम्मान और पुरस्कार | Steve Jobs Awards/ Rewards

  • अमेरिका के राष्ट्रपति के द्वारा स्टीव जॉव्स को “नेशनल मैडल ऑफ टेक्नोलॉजी” से नवाजा गया था।
  • स्टीव को “कैलिफ़ोर्निया हाल ऑफ फेम” से सम्मानित किया गया है।
  • वर्ष 1982 में स्टीव जॉब्स को अपनी कंपनी एप्पल के लिए टाइम मैगज़ीन द्वारा ” मशीन ऑफ दि इयर ” का खिताब दिया गया था।
  • वर्ष 1985 में स्टीव को अमरीकी राष्ट्रपति द्वारा नेशनल मेडल ऑफ टेक्नलोजी से सम्मानित किया गया था।
  • उसी साल उन्हे अपने योगदान के लिये “साम्युएल एस बिएर्ड” पुरस्कार मिला।
  • नवम्बर 2008 में फार्चून मैगज़ीन द्वारा उद्योग में सबसे शक्तिशाली पुरुष के खिताब से नवाजा गया था। इसी वर्ष इन्हे ‘कैलिफोर्निया हाल ऑफ फेम’ का पुरस्कार भी प्राप्त हुआ।
  • 5 नवम्बर 2009 को जॉब्स को फॉर्च्यून पत्रिका द्वारा दशक के सीईओ के रूप में नामित किया गया था।
  • नवम्बर 2010 में, जाब्स् फोर्ब्स पत्रिका द्वारा ‘पर्सन ऑफ दि इयर’ चुना गया था।
  • 21 दिसंबर 2011 को, बुडापेस्ट में ग्राफिसाफ्ट कंपनी द्वारा इन्हे आधुनिक युग के महानतम व्यक्तित्वों में से एक चुनकर स्टीव जॉब्स को दुनिया का पहला कांस्य प्रतिमा भेंट किया गया था।
  • 12 फ़रवरी 2012 को स्टीव को मरणोपरांत ग्रैमी न्यासी पुरस्कार, (‘प्रदर्शन से असंबंधित’ क्षेत्रों में संगीत उद्योग को प्रभावित करने के लिये) से सम्मानित किया गया था।
  • मार्च 2012 में, वैश्विक व्यापार पत्रिका फॉर्चून द्वारा ‘शानदार दूरदर्शी, प्रेरक मानते हुए, पीढ़ी का सर्वोत्कृष्ट उद्यमी नामित किया गया था।
  • “जॉन कार्टर” और “ब्रेव” नाम कि दो फिल्मे स्टीव जॉब्स को समर्पित की गयी है

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स्टीव जॉब्स से जुड़े कुछ रोचक तथ्य | Some interesting facts about Steve Jobs

  • स्टीव जॉब्स का जन्म कैलिफोर्निया के सेंन फ्रांसिस्कों में हुआ था।
  • इनके पिता, अब्दुलफत्त जन्दाली सीरिया के मुस्लिम समुदाय से थे। इनकी माँ का नाम जोअन्नी सिम्पसन था।
  • जब स्टीव का जन्म हुआ था तब इनके माता कि शादी नही हुई थी। इसलिए उन्होंने स्टीव को पॉल रेनहोल्ड जॉब्स और क्लारा जॉब्स नाम के एक शादीशुदा कपल को गोददे दिया।
  • स्टीव को गोद लेने वाली माँ, क्लारा जॉब्स एक अकाउंटेंट थी और पिता, पॉल रेनहोल्ड जॉब्स एक मैकेनिक थे।
  • जब स्टीव जॉब्स 5 साल के थे तो इनका परिवार सैन फ्रांसिस्को से माउंटेन व्यू, कैलिफोर्निया मे शिफ्ट हो गया था।
  • जबकि, इनके पिता, पॉल एक मैकेनिक और एक बढ़ई के रूप में काम किया करते थे और स्टीव को भी छोटे मोटे इलेक्ट्रॉनिक्स के बारे में सिखाते थे। वहीं से स्टीव कि रूचि इलेक्ट्रॉनिक्स में बढ़ने लगी थी।
  • स्टीव जॉब्स ने 12 साल की उम्र में पहली बार कंप्यूटर देखा था।
  • स्टीव जॉब्स एक बार जब एप्पल के गार्डन में बैठे थे, तभी उन्होंने अपनी कंपनी का नाम एप्पल रखने का सोचा।
  • स्टीव जॉब्स पर ”जॉब्स” और डिज्नी पिक्सर द्वारा ”ब्रेव” फिल्म बन चुकी है। जो उनके जीवन से प्रेरित है।
  • स्टीव जॉब्स साल 1974 में भारत आए थे और कई महीने उन्होंने हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश और दिल्ली में बिताया था।
  • स्टीव ने भारत में अध्यात्मिक ज्ञान भी प्राप्त किया था। और वे भारतीय संस्कृति एवं भारतीय परिधानों से भी काफी प्रभावित थे।
  • स्टीव जॉब्स महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंसटीन (Albert Einstein) को अपना आदर्श मानते थे।
  • स्टीव जॉब्स ने Apple’s Ipod का सैंपल पहली बार देखकर उसे पानी में डाल दिया और हवा के बुलबुलों को देखकर कहा कि इसे और भी स्लिम और आर्कषक बनाया जा सकता है।
  • वर्ष 1984 में स्टीव जॉब्स को अपनी ही कंपनी एप्पल (Apple) से निकाल दिया गया था।
  • स्टीव जॉब्स के पास कॉलेज कि कोई डिग्री नहीं थी।
  • स्टीव जॉब्स बिना नंबर प्लेट की गाड़ी चलाते थे।
  • स्टीव जॉब्स बौद्ध धर्म का पालन करते थे।

एप्पल के फाउंडर स्टीव जॉब्स के प्रेरणात्मक विचार – Steve Jobs Quotes

”तुम्हारा समय सीमित है, इसलिए इसे किसी और की जिंदगी जी कर बिल्कुल भी व्यर्थ मत करो।”

”शायद मौत ही इस जिंदगी का सबसे बड़ा अविष्कार है।”

”जो इतने पागल होते हैं, उन्हें लगता है कि वो दुनिया बदल सकते हैं, वे अक्सर बदल देते हैं।”

”डिजाइन सिर्फ यह नहीं है कि चीज कैसी दिखती या फिर महसूस होती है, बल्कि डिजाइन यह है कि वह चीज काम कैसे करती है।”

”कभी-कभी जिंदगी आपके सर पर ईंट से वार करेगी लेकिन अपना भरोसा कभी मत खोइए।”

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स्टीव जॉब्स के बारे में पूछे जाने वाले प्रश्नोत्तर (FAQ)।

प्रश्न : स्टीव जॉब्स कौन है ?

उत्तर : स्टीव जॉब्स एक अमेरिकी व्यवसायी, आविष्कारक और एक उद्यमी हैं। ये एप्पल कंपनी के सह-संस्थापक तथा सीईओ और नेक्स्ट कंपनी के संस्थापक है।

प्रश्न : स्टीव जॉब्स का जन्म कब हुआ था ?

उत्तर : स्टीव जॉब्स का जन्म 24 फरवरी 1955 को सैन फ्रांसिस्को, अमेरिका में हुआ था।

प्रश्न : स्टीव जॉब्स की उम्र कितनी थी ?

उत्तर : 56 वर्ष – मृत्यु के समय

प्रश्न : स्टीव जॉब्स किस देश से थे ?

उत्तर : स्टीव जॉब्स, अमेरिका से हैं।

प्रश्न : स्टीव जॉब्स की शादी किससे हुई थी ?

उत्तर : स्टीव जॉब्स की शादी वर्ष 1991 में लोरेन पॉवेल से हुई थी।

प्रश्न : स्टीव जॉब्स के कितने बच्चे हैं ?

उत्तर : स्टीव जॉब्स के चार बच्चे- रीड जॉब्स (बेटा) और लिसा ब्रेनन्न जॉब्स, एरिन जॉब्स, इव जॉब्स (बेटी)  है।

प्रश्न : स्टीव जॉब्स की पार्टनर कौन थी ?

उत्तर : क्रिस्टन ब्रेनन

प्रश्न : स्टीव जॉब्स ने एप्पल की स्थापना कब की थी ?

उत्तर : वर्ष 1976 को

प्रश्न : एप्पल के फाउंडर कौन हैं ?

उत्तर : वर्ष 1976 में, स्टीव जॉब्स ने अपनी दोस्त, वोजनियाक के साथ मिलकर, एप्पल की शुरुआत की थी।

प्रश्न : स्टीव जॉब्स को इनकी ही कंपनी, एप्पल से कब निकाला गया था ?

उत्तर : 17 सितंबर 1985 को।

प्रश्न : स्टीव जॉब्स ने Next Ink. की स्थापना कब किया था ?

उत्तर : वर्ष 1985 में

प्रश्न : स्टीव जॉब्स कि एप्पल वापसी कब हुई थी ?

उत्तर : वर्ष 1996 में

प्रश्न : स्टीव जॉब्स एप्पल के सीईओ कब बने थे ?

उत्तर : वर्ष 1997 में

प्रश्न : स्टीव जॉब्स एप्पल के सीईओ पद से कब इस्तीफा दिया था ?

उत्तर : वर्ष 2011 में

प्रश्न : स्टीव जॉब्स की मृत्यु कब हुई थी ?

उत्तर : स्टीव जॉब्स की 56 वर्ष की उम्र में 5 अक्टूबर 2011 को अमेरिका के कैलिफोर्निया में निधन हो गया।

प्रश्न : स्टीव जॉब्स की मृत्यु का क्या कारण था ?

उत्तर : वर्ष 2003 में स्टीव जॉब्स, पैनक्रियाटिक कैंसर नाम की बीमारी से पीड़ित हुए। इसके बाद काफी लम्बे समय तक इनका ईलाज चला। लेकिन 5 अक्टूबर 2011 को इनका निधन हो गया।

प्रश्न : स्टीव जॉब्स भारत की यात्रा पर कब आए थे?

उत्तर : वर्ष 1974 में।

प्रश्न : स्टीव जॉब्स किस धर्म के अनुयायी थे ?

उत्तर : स्टीव जॉब्स बौद्ध धर्म और जैन धर्म के अनुयायी थे।

इन्हें भी पढ़ें :

  • भारतीय समाजसेवी और बिजनेसवुमन सुधा नारायण मूर्ति का जीवन परिचय।
  • दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति एलन मस्क का जीवन परिचय।

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एप्पल के फाउंडर स्टीव जॉब्स की जीवनी Biography of Steve Jobs in Hindi

एप्पल के फाउंडर स्टीव जॉब्स की जीवनी Biography of Steve Jobs in Hindi

इस लेख में एप्पल के फाउंडर स्टीव जॉब्स की जीवनी Biography of Steve Jobs in Hindi पढ़ेंगे। इसमें उनके जन्म, प्रारंभिक जीवन, शिक्षा, करिअर, विवाह, अवॉर्ड, मृत्यु से जुड़ी जानकारियाँ दी गई है।

Table of Content

दुनिया के विश्वविख्यात एप्पल कंपनी के बारे में तो आपने सुना ही होगा। लेकिन इस कंपनी को सफल बनाने वाले स्टीव जॉब्स के जीवन के विषय में शायद कम लोग ही जानते होंगे।

दुनिया के अधिकतर महान और अमीर लोगों की तरह स्टीव जॉब्स ने भी अपनी पढ़ाई पूरी नहीं की है। उनका जीवन सभी के लिए बहुत प्रेरणादाई है। 

वे नेक्स्ट कंपनी के संस्थापक, एप्पल कंपनी के सह-संस्थापक तथा सीईओ, एक महान आविष्कारक और उद्यमी थे। उन्होंने दुनिया के सबसे बेहतरीन ऑपरेटिंग सिस्टम्स में से एक ‘मैक’ का निर्माण किया था। 

बिना किसी मजबूत फाइनेंसियल और एजुकेशनल बैकग्राउंड के स्टीव जॉब्स ने एप्पल कंपनी की स्थापना किया। एप्पल कंपनी के प्रोडक्ट को इस्तेमाल करना सभी की ख्वाहिश होती है। 

स्टीव एक बेहतरीन और अनोखी कला के धनी थे, जो था ‘जिज्ञासा’। स्टीव जॉब्स मानते थे, कि जिज्ञासा दुनिया की सबसे बड़ी शिक्षा है, जिसने इसमें महारत हासिल कर ली उसे आगे बढ़ने से कोई भी नहीं रोक सकता। 

नई चीजों को सीखना कभी बंद न करने वाले स्टीव जॉब्स के इस कला ने ही उन्हें इतनी ऊंचाइयों तक पहुंचाया है। उनकी मृत्यु के पश्चात आज भी एप्पल कंपनी दुनिया की नंबर वन कंपनी है। 

स्टीव जॉब्स जन्म व प्रारंभिक जीवन Steve Jobs Birth and Early Life

यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में 24 फरवरी 1955 में स्टीव जॉब्स का जन्म हुआ था। उनके वास्तविक माता पिता जोआन शिबल और अब्दुल फतह जन्दाली थे। 

अब्दुल फतह सीरिया देश के मुसलमान नागरिक थे, जो विस्कंसिन यूनिवर्सिटी में पीएचडी करने आए थे। और उनकी मां जोआन शिबल भी उसी यूनिवर्सिटी में पढ़ती थी। 

दोनों की मुलाकात हुई और कुछ समय बाद वे रिलेशनशिप में आ गए। शिबल एक कैथोलिक परिवार से थी, जिसके कारण उनके पिता ने एक मुसलमान से रिश्ता रखना और उससे शादी करने की अनुमति नहीं दी। उसके बाद शिबल गर्भवती हो गई और उन्होंने स्टीव को जन्म दिया। 

परिवार के डर से शिबल ने नवजात शिशु को एडॉप्शन के लिए कुछ शर्तों के साथ भेज दिया। इसके बाद एक कैथोलिक दंपत्ति ने उन्हें गोद ले लिया। अब स्टीव के दत्तक पिता पॉल जॉब्स और मां क्लारा जॉब्स थीं। 

पॉल जॉब्स पेशे से एक इंजीनियर थे। नए नए उपकरणों का निर्माण करना उन्हें बहुत पसंद था। स्टीव जॉब्स पर भी  उनके पिता के पेशे का प्रभाव पड़ा। स्टीव जब थोड़े बड़े हुए तो उनकी रूचि इंजीनियरिंग तथा इलेक्ट्रॉनिक्स चीजों में बढ़ने लगी। 

उन्हें बचपन में दोस्त बनाना बिल्कुल भी नहीं पसंद था। यहां तक कि वह स्कूल में भी अकेले ही बैठे रहते थे। स्टीव एक शरारती और पढ़ने में बहुत कमजोर बच्चे थे। 1967 में उनका परिवार कैलिफोर्निया में रहने चला गया, जहां एक अच्छे स्कूल में स्टीव का दाखिला करवाया गया।

स्टीव जॉब्स की शिक्षा Steve Job Education in Hindi

कैलिफोर्निया में रहने के पश्चात स्टीव का एडमिशन एक होमस्टेड हाई स्कूल में करवाया गया। साल 1968 में स्कूल के प्रथम वर्ष में स्टीव जॉब की मुलाकात बिल फर्नांडीस से हुई। 

बिल ने उन्हें अपने एक परिचित दोस्त स्टीव वोजनियाक से मिलवाया। देखते देखते जॉब्स और वोजनियाक की दोस्ती बहुत गहरी हो गई। स्टीव जॉब्स का मन अब धीरे-धीरे पढ़ाई से उठने लगा था। 

वे क्लास में उसी विषय का लेक्चर अटेंड करते, जिसमें उन्हें रूचि होती थी। उन्हें इलेक्ट्रॉनिक्स और साहित्य में बहुत दिलचस्पी थी, इसलिए वे केवल अपने मनपसंद विषय को ही पढ़ते थे। 

1971 तक उन्होंने अपने हाई स्कूल की पढ़ाई पूरी कर ली और अगले वर्ष पार्टलैंड के रीड कॉलेज में दाखिला करवाया। सुप्रसिद्ध कॉलेज होने के कारण वहां की पढ़ाई भी बहुत महंगी थी, जिसकी फीस भरना स्टीव जॉब्स के माता पिता के बस से बाहर हो रहा था। 

घर से दूर रहकर एक शेयर्ड हॉस्टल में स्टीव जॉब्स ने अपने कॉलेज में एडमिशन तो ले लिया था, लेकिन आगे की पढ़ाई करने की हैसियत नहीं थी। 

स्टीव जॉब्स ने एक सेमेस्टर की पढ़ाई करने के बाद अपना नाम कॉलेज से वापस ले लिया। उन्होंने यह बात अपने माता-पिता को नहीं बताई। 

वे ऐसी चीजों में अपने माता पिता की जमा पूंजी खर्च नहीं करवाना चाहते थे, जिसमें उन्हें कोई रुचि ही नहीं थी। कॉलेज ड्रॉपआउट होने के बाद स्टीव ने कैलीग्राफी सीखने का निर्णय लिया और माता-पिता से मिलने वाले पॉकेट मनी से उन्होंने कैलीग्राफी कोर्स की फीस भरी और बहुत कुछ नई चीजें सीखी।

स्टीव जॉब्स के करिअर की शुरुवात Start of Steve Jobs Career in Hindi

1974 में कॉलेज छोड़ने के पश्चात अपने माता पिता के पास वापस घर चले गए। अपना खर्चा चलाने के लिए वे नौकरी की तलाश करने लगे इसके बाद उन्हें अटारी नामक कंपनी में टेक्नीशियन का काम मिला। 

कंपनी में उन्होंने कई महीनों तक काम किया, जिससे उनके रोजमर्रा के खर्च के लिए आवश्यकतानुसार पैसे मिल जाया करते थे। स्टीव जॉब्स को आध्यात्मिकता से भी बहुत लगाव था। 

जब वे लंबे समय तक काम करने के कारण डिप्रेस्ड हो गए थे, तो वे अपने जमा किए गए सेविंग को इकट्ठा करके अपने दोस्त के साथ भारत चले गए। 

भारत में उन्होंने लगभग 7 महीने गुजारे और अध्यात्मिक ज्ञान की समझ ली। अमेरिका वापस जाने के बाद स्टीव जॉब्स और उनके दोस्त वोजनियाक साथ मिलकर काम करने लगे। 

एप्पल के फाउंडर स्टीव जॉब्स Apple Founder Steve Jobs in Hindi

वर्ष 1976 में वोजनियाक ने एक एप्पल प्रथम कंप्यूटर बनाया और इसे अपने अन्य साथियों और स्टीव जॉब्स के सामने प्रदर्शित किया। स्टीव जॉब्स, वोजनियाक  और रोनाल्ड वायने ने एक साथ मिलकर उसी वर्ष एप्पल नामक कंपनी की स्थापना कर दी। 

शुरुआत में तीनों मुख्य सदस्यों ने इस कंपनी में इन्वेस्टमेंट किया। कंपनी को सबसे पहले एक छोटे से गैरेज में खोला गया था। 

स्टीव जॉब्स और वोजनियाक तो कंपनी के काम में लगे रहे, लेकिन रोनाल्ड वायने ज्यादा दिन तक कंपनी से जुड़े नहीं रह सके। स्टीव जॉब्स ने अपने दोस्त वोजनियाक को कंपनी के संचालक और फाउंडर के रूप में लंबे समय तक रहने दिया।

कंपनी के निर्माण के बाद उसमें अब बड़ी इन्वेस्टमेंट की जरूरत थी, जिसके लिए वोजनियाक ने अपने एक एचपी कैलकुलेटर और स्टीव जॉब्स ने अपने वॉल्सवैगन  वेन को बेच दिया। 

अधिक पूंजी की आवश्यकता पड़ने पर स्टीव और उनके दोस्त ने एप्पल प्रथम कंप्यूटर के कई इकाइयों को बेचना शुरू कर दिया, जिससे काफी पैसे आना शुरू हो गए थे। धीरे-धीरे करके उनकी कंपनी लोगों के बीच मशहूर होती गई। 

कुछ सालों बाद 24 जनवरी 1984 में मैकिनटोश कंप्यूटर को स्टीव जॉब्स ने लांच किया। उस समय माइक्रोसॉफ्ट के विंडोज सॉफ्टवेयर आईबीएम के कंप्यूटर में आना शुरू हो गए थे। यह स्टीव जॉब्स के मैकिनटोश कंप्यूटर को सीधे चुनौती दे रहा था। 

उस समय उसकी ज्यादा बिक्री भी नहीं हो रही थी, क्योंकि स्टीव जॉब्स के यह कंप्यूटर बहुत महंगे और अमीरों की पहुंच के अंदर ही आया करते थे। लेकिन आईबीएम के कंप्यूटर मध्यम वर्गीय लोग भी उपयोग कर सकते थे। 

देखते-देखते मैकिनटोश कंप्यूटर के शेयर मार्केट में बहुत नीचे गिरते गए, जिससे कंपनी को भारी नुकसान पहुंचा। कंपनी को होने वाले इतने बड़े घाटे के कारण एप्पल कंपनी के ही एक बोर्ड डायरेक्टर स्कली ने स्टीव जॉब्स को एप्पल कंपनी के सीईओ पद से हटा दिया। 

अपने ही कंपनी से बेदखल करने के बाद स्टीव जॉब्स ने खुद रिजाइन कर दिया, जिसके बाद उनके कई साथियों ने भी कंपनी छोड़ दी। 

वर्ष 1985 में जॉब्स ने “नेक्स्ट” नाम की एक कंपनी स्थापित की। प्रारंभ में कंपनी को चलाने के लिए पैसे की आवश्यकता थी, जिसे रोस पेराट नामक एक बड़े इन्वेस्टर व मिलेनियर ने इसकी आपूर्ति की। 

उन्होंने स्टीव जॉब्स की कंपनी में बहुत बड़ा निवेश किया, जिससे कंपनी चल पड़ी। नेक्स्ट कंपनी ने कंप्यूटर का निर्माण किया, जो स्टीव जॉब्स के लाइफ चेंजिंग के रूप में जाना गया। 

नेक्स्ट कंपनी के कंप्यूटर मुख्यतः तकनीकी प्रायोगिकी ,  शैक्षणिक समुदाय, वैज्ञानिकों और फाइनेंस इत्यादि के उद्देश्य से बनाए गए थे। स्टीव जॉब्स द्वारा निर्मित यह कंप्यूटर हाई क्वालिटी के थे और बाजार में भी बहुत महंगे लगभग $10000 से भी ज्यादा मूल्य के थे। 

1997 में एप्पल ने ही जॉब्स के इस नेक्स्ट कंपनी को खरीद लिया। कंपनी के लोगों को यह समझ आ गया था, कि यदि माइक्रोसॉफ्ट और दूसरे प्रतिस्पर्धियों का कोई सामना कर सकता है, तो वह केवल स्टीव जॉब्स हैं। 

डील होने के बाद स्टीव जॉब्स को एप्पल ने फिर से सीईओ का पद लौटा दिया। कंपनी में वापस आते ही स्टीव जॉब्स ने ग्राहकों के मांग के अनुसार उच्च गुणवत्ता और सामान्य मूल्य वाले प्रोडक्ट लॉन्च करने शुरू कर दिए।

यूजर फ्रेंडली, भाव में सामान्य और शानदार क्वालिटी वाले कुछ प्रोडक्ट जिनमें आईपैड, आईमैक और आईफोन इत्यादि शामिल थे, सर्वप्रथम उन्हें बाजार में लांच किया गया। जॉब्स ने एप्पल कंपनी को इतनी ऊंचाई तक पहुंचा दिया, कि अब कोई भी उनकी बराबरी नहीं कर सकता था। 

स्टीव जॉब्स के कारण ही एप्पल और उनके बाकी कंपनियों के शेयर दिन-ब-दिन आसमान छूते गए। तब से लेकर आज तक मार्केट में केवल एक ही नाम चलता है वह एप्पल कंपनी का। 

विवाह व निजी जीवन Marriage and Personal Life of Steve Jobs in Hindi

वर्ष 1991 में स्टीव जॉब्स का विवाह लोरेन पॉवेल से हुआ। कुछ समय बाद ही उनके पुत्र रीड जॉब्स और बेटियां लिसा ब्रेनन्न जॉब्स, एरिन जॉब्स तथा इव जॉब्स का जन्म हुआ। 

वैसे तो स्टीव ईसाई धर्म में पैदा हुए थे, लेकिन अध्यात्म की दुनिया से जुड़े भारत से भी उनका बड़ा लगाव था। जब उन्होंने कॉलेज की पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी थी, तो वो भारत आए और यहां रह कर आंतरिक शांति और ज्ञानवर्धक चीजें सीखी। 

कैलिफोर्निया में पढ़ाई करने के दरमियान स्टीव जॉब्स के पास पैसे नहीं हुआ करते थे, इसलिए वे रोज कई मील पैदल चलकर राधा कृष्ण के स्कॉन टेंपल जाते थे और वहां भगवान का प्रसाद खाकर अपना पेट भरते थे। 

पुरस्कार Award

  • टाइम मैगजीन द्वारा 1982 में एप्पल कंप्यूटर को “मशीन ऑफ द ईयर” का खिताब प्रदान किया गया।
  • अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा 1985 में स्टीव जॉब्स को “नेशनल मेडल ऑफ टेक्नोलॉजी” और उसी साल “साम्युएल एस बिएर्ड पुरस्कार” 1985 से नवाजा गया। 
  • फॉर्चून मैगजीन द्वारा 2007 में उन्हें उद्योग की दुनिया में सबसे शक्तिशाली पुरुष का खिताब प्रदान किया गया। और उसी साल ‘कैलिफोर्निया हाल ऑफ फेम’ सम्मान भी दिया गया था।
  • फॉर्ब्स लिस्ट में “पर्सन ऑफ द ईयर” का खिताब 2010 में स्टीव जॉब्स को दिया गया। 
  • मरणोपरांत 12 फरवरी 2012 में “ग्रैमी न्यासी पुरस्कार” भी मिला।
  • इसके अलावा स्टीव जॉब्स के जीवन पर आधारित दो फिल्में ‘जॉन कार्टर’ और ‘ब्रेव’ उनके सम्मान में बनाई गई। 

स्टीव जॉब्स की मृत्यु Death of Steve Jobs in Hindi

स्टीव जॉब्स को कैंसर की गंभीर बीमारी थी, यह बात उन्हें अक्टूबर 2003 में पता चली। कुछ साल बाद 24 अगस्त 2011 में वे खुद सीईओ पद से हट गए और अपनी जगह टीम कुक को कंपनी का सीईओ बना दिया तथा खुद चेयरमैन के रूप में काम करते रहे। 

2004 में पहली बार उनकी सर्जरी हुई और सफलतापूर्वक ट्यूमर को निकाला गया। 2009 में उनका स्वास्थ्य फिर एक बार बिगड़ा, लेकिन वे कंपनी में निरंतर काम करते रहे। 

इतनी गंभीर बीमारी के बाद भी उनका लक्ष्य कभी भी उन्हें घर बैठने की इजाजत नहीं देता था। 5 अक्टूबर 2011 में एक बार फिर स्टीव जॉब्स की तबीयत बहुत खराब हो गई और कैलिफोर्निया के पालो अल्टो में उन्होंने अंतिम सांसे ली। 

स्टीव जॉब्स से जुड़े रोचक तथ्य Interesting Facts About Steve Jobs in Hindi

  • स्टीव जॉब्स को समर्पित एक बेहद प्रसिद्ध डिजनी पिक्सर द्वारा बनाई गई ब्रेव फिल्म थी, जो बहुत मशहूर हुई।
  • कहते हैं कि अपनी कंपनी का नाम स्टीव जॉब्स को सेब के एक बगीचे में बैठे बैठे सूझा, जिसके बाद उन्होंने एप्पल कंपनी का निर्माण किया।
  • दुनिया के सबसे जाने-माने अरबपतियों में से एक स्टीव जॉब्स ने अपनी कॉलेज की पढ़ाई अधूरी ही छोड़ दी थी।
  • स्टीव जॉब्स को भारत देश से बहुत लगाव था और वह वहां की संस्कृति और धर्म से बहुत प्रभावित थे। 
  •  एप्पल कंपनी के सह संस्थापक स्टीव जॉब्स को उनके ही कंपनी से बेदखल कर दिया गया था।
  • दुनिया के सबसे पावरफुल बिजनेसमैन में स्टीव जॉब्स का नाम भी आ चुका है। 

उनके कुछ प्रेरणादायक सुविचार (Steve Jobs Quotes in Hindi)

  • छोटी- छोटी सफलताओं का जश्न मनाने से बेहतर है, कि पिछली असफलताओ से कुछ सीखा जाए।
  • आपको क्या नहीं करना चाहिए, यह निर्णय लेना भी उतना ही ज़रूरी है, जितना यह तय करना कि क्या करना चाहिए।
  • किसी भी कंपनी की प्रतिभा और सफलता उसके द्वारा बनाए गए प्रॉडक्ट्स के क्वालिटी पर निर्भर करता है।
  • आपके पास सीमित समय है, इसलिए इसे दूसरों को खुश करने में बर्बाद करने के बजाय सही चीज़ों में खर्च करिए।
  • एक बड़ी कंपनी को खड़ा करने और सफ़ल बनाने में किसी एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि एक मजबूत टीम की जरुरत होती है।
  • नेवी जॉइन करने के बजाय एक समुद्री लड़ाकू बनना ज्यादा मजेदार है।
  • वो पागल लोग जो यह सोचते हैं, कि इस दुनिया को वो बदल सकते हैं, यकीनन वही ऐसे सिरफिरे लोग होते हैं जो सच में इस दुनिया को बदल देते हैं।

1 thought on “एप्पल के फाउंडर स्टीव जॉब्स की जीवनी Biography of Steve Jobs in Hindi”

Apple iPhone is most famous in the world

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Steve Jobs Biography in Hindi : स्टीव जॉब्स – सम्पूर्ण जीवन परिचय / यात्रा?

Steve Jobs Biography in Hindi

Steve Jobs Biography In Hindi के इस लेख में, हम, आपको Apple कम्पनी जो कि Computer, Laptop or Mobile बनाने वाली कम्पनी जो कि, ना केवल भारत में, लोकप्रिय और प्रसिद्ध हैं बल्कि दुनिया भर में इसकी गहरी धाक है और जिसके निर्माण कर्ता कोई और नहीं बल्कि 56 वर्षीय Steve Jobs हैं जो आज ना केवल मोबाइल की दुनिया के लिए प्रेरणा स्रोत है बल्कि हमारे युवाओँ के लिए मिशाल है जिनसे प्रेरणा लेकर वे अपने उज्जवल भविष्य का निर्माण कर सकते हैं।

तुम्हारा समय सीमित है इसलिए इसे किसी और की जिंदगी जीकर  बिलकुल भी व्यर्थ मत करों। – Steve Jobs Quotes

Steve Jobs ही हमारे इस लेख का मूल केंद्र होने वाले है और इसीलिए हम, अपने इस लेख में, आपको स्टीव जॉब्स का पूरा जीवन परिचय अर्थात् Steve Jobs biography in Hindi की पूरी जानकारी प्रदान करेंगे और साथ ही साथ Steve Jobs net worth के बारे में, भी बतायेगे ताकि आप उनकी सफलता की ऊंचाई का अंदाजा लगा सकें और उनके व्यक्तित्व को गहराई से पढ़कर उनके प्रेरणा व प्रोत्साहन प्राप्त कर सकें।

अन्त, स्टीव जॉब्स के जीवन पर आधारित अपने इस आर्टिकल मे, हमारी कोशिश रहेगी कि, हम आपको Steve Jobs के जीवन के सभी पहलूओँ और पक्षो को समेट कर एक गजह प्रस्तुत करे ताकि आप आसानी से उनके व्यक्तित्व को पढ़ सकें।

लेख में, किन बिंदुओ पर होगी चर्चा?

Steve Jobs Kaun Hai? / स्टीव जॉब्स कौन हैं ?

  • Steve Jobs biography in Hindi? / स्टीव जॉब्स – सम्पूर्ण जीवन परिचय हिंदी में ?
  • Steve Jobs का जन्म, शिक्षा और प्रारम्भिक जीवन कैसा रहा ?
  • how old is Steve Jobs? स्टीव जॉब्स कितने साल के हैं ?
  • when did Steve Jobs die? / स्टीव जॉब्स की मृत्यु कब हुई थी ?

Steve Jobs को कौन-कौन से अवार्ड्स मिले हैं ?

स्टीव जॉब्स एक, Multi Personality वाले व्यक्ति हैं जिन्होंने ना तो अपना कॉलेज पूरा किया और ना ही उनके पास कोई डिग्री है लेकिन फिर भी Steve Jobs ने सिर्फ 56 साल की आयु में ही दुनिया की Most Popular  मोबाइल फोन अर्थात् Apply का निर्माण किया जिसकी वजह से हम, उन्हें Apply के संस्थापक / Founder के रुप मे, पहचानते हैं।

शायत मौत ही इस जिन्दगी का सबसे बड़ा आविष्कार है। – Steve Jobs Quotes

Steave Jobs ने ना सिर्फ एप्पल मोबाइल फोन का ही निर्माण किया बल्कि साथ ही साथ दुनिया की सबसे Latest and Advanced Technology वाले Mac Operating System का निर्माण किया है जिसके बारे में, आज आधे से अधिक इंजीनियर केवल पढ़ ही रहें है और इधर स्टीव जॉब्स ने, उसका निर्माण कर उसे लांच भी कर दिया हैं।

अन्त, हम, आशा करते है कि, हमने अपने पाठको के इस सवाल अर्थात् Steve Jobs Kaun Hai? / स्टीव जॉब्स कौन हैं ? का जबाव दे दिया होगा और अब हमारे सभी पाठक अच्छे से जान और समझ गये होंगे कि, स्टीव जॉब्स कौन है और उनकी पूरी जीवनी को प्रस्तुत करने के लिए हम, Steve Jobs biography in hindi में, प्रस्तुत कर रहे हैं।

Steve Jobs Biography in Hindi: स्टीव जॉब्स – सम्पूर्ण जीवन परिचय / यात्रा ?

स्टीव जॉब्स की पूरी जीवनी अर्थात् उनके सम्पूर्ण जीवन परिचय को आपके सामने प्रस्तुत करने के लिए हम, कुछ बिंदुओं की मदद लेंगे जो कि, इस प्रकार से हैं –

जो इतने पागल होते है कि, उन्हे लगता है कि, वे दुनिया बदल सकते हैं वे अक्सर बदल देते है। – Steve Jobs Quotes

1. स्टीव जॉब्स का पूरा और मूल नाम क्या है ?

स्टीव जॉब्स का पूरा और मूल नाम स्टीवन पॉल है जिसे संक्षिप्त रुप मे , स्टीव जॉब्स कहा जाता है।

2. Steve Jobs का जन्म कब, कैसे और कहां हुआ था ?

अमेरिकी बिजनेस का चेहरा और आविष्कारक कहे जाने वाले Steve Jobs का जन्म मूलत अमेरिका के California में, मौजूद San Francisco में 24 फरवरी, 1955 को जोअन्नी सिम्पसन ( माता ) और अब्दुलफत्त जन्दाली ( पिता ), दम्पति के यहां हुआ था।

रोचक बात ये है कि, उनके पिता सीरियाई मूल के मुसलमान थे जबकि उनकी माता कैथोलिक थी और उनकी सांक्षी विरासत के रुप मे, Steve Jobs का जन्म हुआ था।

3. Steve Jobs को जन्म के बाद दूसरी दम्पति को गोद क्यूं दिया गया ?

आपको जानकर हैरानी होगी कि, Steve Jobs को उनके जन्म के बाद ही दूसरी दम्पति को गोद दे दिया गया था क्योंकि जैसा कि, हमने आपको बताया कि, उनके पिता सीरियाई मूल के मुसलमान थे जबकि उनकी माता कैथोलिक थी और उनकी Steve Jobs नामक ये सन्तान उनके नाना जी अर्थात् उनकी माता के पिता को मंजूर नहीं थी।

इसके बाद सहमति से फैसला लिया गया कि, Steve Jobs को किसी दूसरी दम्पति को गोद दे दिया जाये जिसके लिए एक पढ़े लिखे दम्पति का चयन भी किया गया लेकिन आखिरी समय में उन्होंने अपना मन बदलते हुए लड़की को गोद ले लिया।

अन्त मे, पॉल व क्लारा नामक दम्पति को Steve Jobs को गोद दिया गया।

4. Steve Jobs की शिक्षा यात्रा कैसे शुरु हुई ?

स्टीव जॉब्स की शिक्षा यात्रा भी बेहद रोचक और दिलचस्प है क्योंकि स्टीव जॉब्स को गोद लेने वाले पॉल व क्लारा साल 1961 में, कैलिफोर्नियां के माउंट व्यू में, रहने गये जहां उन्होंने परिवार चलाने के लिए गैरज खोला।

यहीं से Steve Jobs ने, अपनी शुरुआती शिक्षा का सफर शुरु किया और वे एक बेहतरीन विद्यार्थी भी थे लेकिन उन्हें स्कूल जाना अच्छा नहीं लगता था और ना ही उन्हें अपनी उम्र के दूसरे बच्चो से दोस्ती करनी अच्छी लगती थी जिसकी वजह से वे कक्षा में, सदा अकेले ही बैठते थे।

लेकिन समय बीतने के साथ-साथ उन्हें उन्हीं जैसी रुचियों वाले दूसरे लड़के अर्थात् वोजनिआक से मुलाकात हुई जिसकी दिलचस्पी भी इलेक्ट्रॉनिक्स में, थी जिसकी वजह से उनके बीच गहरी दोस्ती हुई।

5. Steve Jobs का कॉलेज का संघर्षमय जीवन कैसा रहा ?

स्टीव जॉब्स ने, जब अपनी हाई स्कूल की शिक्षा पूरी की तब उन्हें ओरेगोन के रीड कॉलेज में दाखिला दिलवाया गया जो कि, वास्तविक मायनो में, काफी मंहगा कॉलेज था जिसकी फीस भरना उनके माता-पिता के लिए आसान नहीं था।

कॉलेज में दाखिले के कुछ समय बाद ही उन्हें अहसास हुआ कि, यहां उनका भविष्य नहीं बनेगा और इसमें पढ़कर वे अपने माता-पिता की सारी जमा पूंजी बर्बाद कर रहे हैं इसके बाद उन्होंने कुछ ही पसंदीदा क्लास ली जैसे कि – कैलीग्राफी और बाकि क्लासो में, जाना बंद कर दिया था।

Steve Jobs की आर्थिक स्थिति इनती बुरी थी कि, उन्हें अपने हॉस्टल में, फर्श पर सोना पड़ता था, कोक की जिन बोतलों के पीकर लोग इधर-उधर फेंक दिया करते थे उन्हें बिनकर और बेचकर Steve Jobs अपने लिए भोजन की व्यवस्था करते थे।

आपको जानकर हैरानी हो कि, Apple कम्पनी जो कि, Computer, Laptop or Mobile बनाती हैं उसके मालिक अर्थात् स्टीव जॉब्स अपने कॉलेज के दिनो मे हर रविवार को कृष्णा मंदिर जाते थे पूरा अर्चना के लिए नहीं बल्कि इसलिए कि, वहां उन्हें भंडारे में भर पेट खाना खाने को मिल जाता था।

अन्त, इस प्रकार हम, कह सकते हैं कि, स्टीव जॉब्स का शुरुआती शिक्षात्मक जीवन काफी संघर्षमय और कठीन रहा।

6. स्टीव ने कितनी शादियां की और उनके कितने बच्चे हुए ?

हम, आपको बताना चाहते है कि, स्टीव जॉब्स ने, अपने जीवन में, कुल 2 शादियां की थी जिनकी दोनो पत्नियों का नाम इस प्रकार से हैं – लोरिन पावेल और क्रिसर्टन ब्रेन्नन से हुई थी।

स्टीव को अपनी इन दोनो शादियों के फलस्वरुप कुल 6 संतानो की प्राप्ति हुई थी जिनके नाम इस प्रकार से हैं – लिसा ब्रेन्नन, रीड जॉब्स, एरिन जॉब्स और ईव जॉब्स आदि।

7. when did Steve Jobs die? / स्टीव जॉब्स की मृत्यु कब हुई थी ?

स्टीव जॉब्स की मृत्यु कैसे और कितने चरणो में, हुई थी उसे प्रस्तुत करने के लिए हम, कुछ बिंदुओं को प्रस्तुत करना चाहते हैं जो कि, इस प्रकार से हैं –

  • साल 2003 में, स्टीव जॉब्स को उन्हें उनकी अग्नाशय वाली कैंसर की बीमारी के बारे में, पता चला,
  • साल 2004 में, स्टीव की सर्जरी हुई जिसमें कैंसर नामक ट्यूमर को सफलतापूर्वक बाहर निकाल लिया गया और दौरान व मेडिकल लीव पर रहें जिनकी गैर – अनुपस्थिति में, टीम कुक , एप्पल का काम संभाल रहे थे,
  • स्टीव पूरी तरह से ठीक नहीं हुए थे बल्कि अपनी इस बीमारी के साथ ही उन्होंने साल 2009 तक काम किया लेकिन साल 2009 में, ही उनकी तबीयत बेहद संवेदनशील हो गई थी जिसकी वजह से उन्हें Leaver Transplant करवानी पड़ी जिसके बाद 17 जनवरी, 2011 को स्टीव जॉब्स ने, पुन एप्पल में, काम करना शुरु किया,
  • स्टीव सदा से अपने काम और कर्तव्य को प्राथमिकता देते थे जिसकी वजह से उन्होंने खराब स्वास्थ्य को नजरअंदाज करते हुए अपना काम जारी रखा लेकिन उन्हें उनकी बिगडती हालत का अंदाजा था जिसकी वजह से उन्होंने समय रहते महत्वपूर्ण फैसला लिया,
  • स्टीव ने 24 अगस्त, 2011 को एप्पल के CEO Post से त्यापगत्र अर्थात् Resignation Letter को कम्पनी के Board of Member को सौंप दिया और
  • अन्तत, कैलिफोर्नियां के पालो अल्टो नामक अस्पताल में 5 अक्टूबर, 2011 को स्टीव जॉब्स की मृत्यु हो गई।

उपरोक्त बिंदुओं की मदद से हमने आपको स्टीव जॉब्स की मृत्यु की पूरी यात्रा का वर्णन विस्तार से बताया।

अन्त, उपरोक्त सभी बिंदुओँ की मदद से अपने अपने सभी पाठको व युवाओँ को स्टीव जॉब्स की पूरी जीवनी के बारे में, विस्तार से बताया ताकि आप उनकी कड़ी मेहनत और दुर्लभ संघर्ष को पढ़ व समझ कर उनसे व उनके जीवन से प्रेरणा व प्रोत्साहन प्राप्त कर सकें।

Steve Jobs का करियर कैसा रहा ?

स्टीव जॉब्स का पूरा जीवन ही उतार – चढ़ावों से भरा पड़ा था और इसीलिए हम, उनके उतार – चढावो से परिपूर्ण करियर के पूरे परिचय को आपके सामने चरणबद्ध तरीके से प्रस्तुत करना चाहते हैं जो कि, इस प्रकार से हैं –

कभी कभी जिन्दगी आपके सिर पर ईंट से वार करेंगी लेकिन आप अपना भरोसा कभी मत खोइए। – Steve Jobs Quotes

1. Steve Jobs गेमिंग कम्पनी से लेकर भारत यात्रा पर कैसे निकल गये ?

साल 1972 का समय था जब Steve Jobs ने, अटारी नामक गेम बनाने वाली एक कम्पनी में, काम शुरु किया और कुछ समय किया भी लेकिन अपनी यायावर प्रवृत्ति के कारण उनका मन यहां भी नहीं लगा जिसके फलस्वरुप उन्होंने नौकरी छोड़ दी।

कुछ रुपय जमा करने के बाद Steve Jobs साल 1974 में, 7 महीनों की भारत यात्रा पर निकल गये जिसके दौरान उन्होंने कई गतिविधियां की जैसे कि –

  • भारत भ्रमण के दौरान उन्होंने बुद्ध धर्म की थोड़ी बहुत शिक्षा भी प्राप्त की,
  • दिल्ली, उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश धूमने के लिए बस यात्रा की आदि।

उपरोक्त बिंदुओं की मदद से हमने आपको स्टीव की भारत यात्रा के कुछ पहलूओं को बताने की कोशिश की।

2. भारत भ्रमण से क्या बदलाव आया स्टीव जॉब्स में ?

उनके जानने वालो का कहना है कि, स्टीव जॉब्स का पूरा जीवन और जीवन के प्रति उनकी विचारधारा ही भारत यात्रा के बाद बदल गयी थी जिसके वजह से जब वे अमेरिका वापस आये तो सबसे पहले उन्होंने अपने सर को मुड़वा दिया और दुबारा उसी अटारी नामक गेमिंग कम्पनी में, काम करते हुए अपने परिवार के साथ रहने लगे।

3. स्टीव जॉब्स को एप्पल नामक कम्पनी खोलने की प्रेरणा कहां से मिली ?

जैसा कि, हमने आपको बताया कि, स्टीव और वोजनियाक अपने कॉलेज के दिनों से ही अच्छे मित्र हुआ करते थे और दुबारा उनकी मित्रता में, गाढ़ापन देखने को मिला।

वोजनियाक, इलेक्ट्रॉनिक्स में, काफी अच्छे थे और चाहते थे कि, वे अपना खुद का कम्प्यूटर बनाये और उन्होंने बनाया भी यहीं से स्टीव जॉब्स ने, सोचा कि, क्यूं ना हम, मिलकर कम्प्यूटर बनायें और बेचें जिससे ना केवल हमारी कमाई होगी बल्कि हमें, नौकरी के लिए भटकना भी नहीं पडेगा।

साल 1976 में, सिर्फ 21 साल की उम्र में स्टीव और उनके मित्र वोजनियाक ने, मिलकर स्टीव के पिता के गैरज में, कम्प्यूटर बनाने का काम शुरु किया और एक कम्पनी खोली जिसे उन्होंने Apple का नाम दिया था और इस कम्पनी में, निर्मित पहले कम्प्यूटर को Apple 1 का नाम दिया गया था।

4. स्टीव जॉब्स की कम्पनी एप्पल ने, कैसे सफलता की उड़ान भरी ?

कहा जाता है कि, Apple 1 पर काम करने के बाद वोजनियाक ने, Apple 2 पर काम शुरु किया और इसी दौरान कम्पनी को आगे बढाने के लिए स्टीव और वोजनियाक ने मिलकर निवेशकर्ताओं को उनकी कम्पनी Apple में, निवेश करने के लिए राजी किया।

वोजनियाक द्धारा निर्मित Apple 2 लोगो का काफी पसंद आया और निवेशकर्ताओं ने इसमें निवेश किया जिसके बाद कम्पनी में, सफलता की उड़ान भरी जिसका परिणाम ये निकला की साल 1980 तक एप्पल एक जानी – मानी कम्पनी बन गई और सिर्फ 10 साल के भीतर ही कम्पनी में, 2 बिलियन का व्यापार किया और तब तक इसमें कुल 4,000 से अधिक लोग काम करने लगे थें।

5. एप्पल द्धारा निर्मित लिसा कम्प्यूटर के पीछे की कहानी क्या है ?

Apple 2 को लांच करने के बाद स्टीव और उनकी कम्पनी ने, Apple 3 लांच किया और इसके बाद लिसा नामक कम्प्यूटर लांच किया जिसका नाम साल 1978 में, जन्मी स्टीव की बेटी लिसा के नाम पर रखा गया था लेकिन ये ज्यादा कमाई नहीं कर पाई।

6. स्टीव को एप्पल से क्यूं निकाला गया ?

स्टीव ने, ही एप्पल कम्पनी की शुरुआत की थी लेकिन एक समय ऐसा आया जब उन्हें ही कम्पनी से निकाल दिया गया जिसके पीछे पूरी कहानी इस प्रकार से हैं –

Apple 3 और लिसा के खराब प्रदर्शन की वजह से स्टीव ने आई.बी.एम के साथ मिलकर Personal Computer बनाने का फैसला लिया।

स्टीव ने, Mackintosh पर काफी मेहनत की थी और इसी में अपना पूरा संघर्ष झोंक दिया था जिसके बाद स्टीव ने लिसा पर आधारित सुपर वाऊल को बाजार में, लांच किया जिसे काफी अच्छा प्रदर्शन किया।

लेकिन कम्पनी में, कम्प्यूटर निर्माण की पूरी जानकारी सार्वजनिक कर दी थी जिसकी वजह से कई नकल करने वाली कम्पनियों ने, हु ब हु वहीं कम्प्यूटर बाजार में, लांज किया वो भी नाम मात्र की कीमतो पर जिसकी वजह से कम्पनी को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा और उन्ही की बनाई कम्पनी ने, उन्हें ही कम्पनी से निकाल दिया।

7. हार चुके स्टीव ने विपरित लहरो को पार करते हुए पुन सफलता प्राप्त की ?

स्टीव खुद स्वीकार करते है कि, जब उन्हें एप्पल से निकाला गया था वो समय उनके जीवन का काफी कठीन समय था जिसके बाद वे तनाव और दबाव में आ गये थे और कुछ पल के लिए ठहर से गये थे।

लेकिन इसी बीच उनके भीतर छुपा एप्पल का असली मालिक जाग उठा और उन्होंने सोचा कि, एप्पल बनाना मुझसे बेहतर कौन जाता है और इसी आत्मविश्वास के बल पर स्टीव ने, अपनी दूसरी कम्पनी अर्थात् Next Company खोली और उनकी प्रतिभा से प्रभावित होते हुए Ros Parrot  नामक निवेशकर्ता ने, उनकी इस कम्पनी में, बड़े पैमाने पर निवेश किया।

इसके बाद स्टीव के Next Company द्धारा अर्जित सफलता इन बिंदुओ के रुप में, प्रस्तुत है –

  • स्टीव की Next Company का पहला उत्पाद उनका High and Personal Computer था,
  • 12 अक्टूबर, 1988 को Next Computer को बड़े समारोह मे, लांज किया गया,
  • इस कम्पनी में, अपना पहला Work Station में 1990 लांच किया जो कि, एप्पल और लिसा से दुगुनी क्षमता वाला अर्थात् High Technology वाला था और इसी वजह से इसकी कीमत भी बहुत अधिक थी और इसी वजह से उन्हें नुकसान भी उठाना पड़ा,
  • स्टीव द्धारा निर्मित Next Company अभी तक एक सॉफ्टवेयर कम्पनी में बदल चुकी थी जिससे उन्हें काफी लाभ हुआ क्योंकि ये कम्पनी अब बहुतायत मात्रा में, वेब एप्लिकेशन और फ्रेमवर्क बनाकर देने लगी थी।

इस प्रकार हमने आपके सामने स्टीव की अगल कम्पनी Next Company की सफलता की कहानी आपके सामने प्रस्तुत की।

8. पिक्सर कम्पनी व टॉय स्टोरी से कैसे मिली स्टीव को सफलता ?

स्टीव ने, साल 1986 में, कुल 10 मिलियन अमेरिकी डॉलर की कीमत पर ग्राफिक्स कम्पनी अर्थात् पिक्सर को खरीदा जिसे उन्होंने पिक्सर नाम दिया जो कि, कुल 3डी सॉफ्टवेयर बनाकर बेचा करती थी।

साल 1991 में, पिक्सर को डिज्नी की तरफ से भागीदारी करते हुए एक फिल्म बनाने का प्रस्ताव दिया गया जिसे स्टीव की कम्पनी अर्थात् पिक्सर ने, स्वीकार कर लिया।

इसके बाद पिक्सर व डिज्नी में, सांझेदारी करते हुए टॉय – स्टोरी नामक फिल्म बनाई जिसे लोगो ने खूब पसंद किया और दोनो को अच्छी कमाई हुई।

9. कैसी हुई स्टीव की एप्पल में, शानदार और धमाकेदार वापसी ?

साल 1996 एप्पल कम्पनी के लिए अन्तिम साल माना जा रहा था क्योंकि कम्पनी बेहतर प्रदर्शन करने के बजाय औसत प्रदर्शन भी नहीं कर पा रही थी जिसे देखते हुए एप्पल ने, फैसला किया कि, वे स्टीव की Next Company को 427 मिलियन डॉलर की कीमत पर खरीदेगी।

उनका असल मकसद था स्टीव को कम्पनी में, वापस लाना ताकि एप्पल कम्पनी की पुन जीवित किया  जा सकें और दुबारा से सफलता के शिखर पर पहुंचाया जा सकें और इस प्रकार स्टीव की एप्पल में, शानदार और धमाकेदार वापसी हुई जिसके बाद कम्पनी में, सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया जैसे कि –

  • कम्पनी में, ipod Music Player or itune Music Player को लांच किया जिसे काफी सफलता मिली,
  • कम्पनी में, मोबाइल फोन की दुनिया में जबरदस्त क्रान्ति लाते हुए कम्पनी का पहला मोबाइल फोन अर्थात् एप्पल को लांच किया जिसे ग्राहकों ने, बडी मात्रा में, हाथो-हाथ खरीद लिया और इस प्रकार स्टीव ने, सफलता की छीन चुकी जगह को दुबारा प्राप्त किया।

उपरोक्त बिंदुओं के आधार पर हम, कह सकते है कि, स्टीव ने, एप्पल से निकाले जाने के बाद एप्पल कम्पनी में, दुबारा शानदार, धमाकेदार और क्रान्तिकारी वापसी की।

हम, अपने सभी पाठको को बताना चाहते हैं कि, उनकी उपलब्धियों के लिए उन्हें कई तरह के अवार्ड्स से सम्मानित किया जा चुका है जैसे कि –

  • National Medal of Technology से स्टीव को उनकी उपलब्धियों के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति द्धारा सम्मानित किया गया,
  • वहीं दूसरी ओर स्टीव को California Hall of Fame से सम्मानित किया गया औ
  • साथ ही साथ स्टीव को उनकी सफल कम्पनी एप्पल के लिए साल 1982 में, Machine of the Year के पुरस्कार से सम्मानित किया गया आदि।

उपरोक्त सभी पुरस्कारों से स्टीव की उपलब्धियों को सम्मानित और पुरस्कृत करते हुए उन्हें प्रेरणा और सफलता की एक मिशाल के तौर पर पहचान प्रदान की गई।

अन्त, स्टीव जॉब्स और उनकी संघर्षमयी जीवनी को समर्पित अपने इस लेख में, हमने आपको Steve Jobs Biography in Hindi : स्टीव जॉब्स – सम्पूर्ण जीवन परिचय / यात्रा ? पूरे विस्तार से प्रदान की ताकि हमारे सभी पाठक व युवा स्टीव जॉब्स की संघर्षमयी सफलता से प्रेरणा व प्रोत्साहन प्राप्त कर सकें और यही हमारे इस लेख का मूल लक्ष्य भी है जिसे हम, प्राप्त करना चाहते हैं।

हम आपसे आशा करते है कि, हमारा ये लेख आपको अच्छा और ज्ञानपूर्ण लगा होगा जिसके लिए आप हमारे इस लेख को लाइक करेंगे, दोस्तो के साथ शेयर करेंगे और साथ ही साथ अपने सभी सुझाव व विचार कमेंट करके हमें बतायेगे।

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Steve Jobs Hardcover – Big Book, October 24, 2011

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Q: It's becoming well known that Jobs was able to create his Reality Distortion Field when it served him. Was it difficult for you to cut through the RDF and get beneath the narrative that he created? How did you do it?

Isaacson: Andy Hertzfeld, who worked with Steve on the original Macintosh team, said that even if you were aware of his Reality Distortion Field, you still got caught up in it. But that is why Steve was so successful: He willfully bent reality so that you became convinced you could do the impossible, so you did. I never felt he was intentionally misleading me, but I did try to check every story. I did more than a hundred interviews. And he urged me not just to hear his version, but to interview as many people as possible. It was one of his many odd contradictions: He could distort reality, yet he was also brutally honest most of the time. He impressed upon me the value of honesty, rather than trying to whitewash things.

Q: How were the interviews with Jobs conducted? Did you ask lots of questions, or did he just talk?

Isaacson: I asked very few questions. We would take long walks or drives, or sit in his garden, and I would raise a topic and let him expound on it. Even during the more formal sessions in his living room, I would just sit quietly and listen. He loved to tell stories, and he would get very emotional, especially when talking about people in his life whom he admired or disdained.

Q: He was a powerful man who could hold a grudge. Was it easy to get others to talk about Jobs willingly? Were they afraid to talk?

Isaacson: Everyone was eager to talk about Steve. They all had stories to tell, and they loved to tell them. Even those who told me about his rough manner put it in the context of how inspiring he could be.

Q: Jobs embraced the counterculture and Buddhism. Yet he was a billionaire businessman with his own jet. In what way did Jobs' contradictions contribute to his success?

Isaacson: Steve was filled with contradictions. He was a counterculture rebel who became a billionaire. He eschewed material objects yet made objects of desire. He talked, at times, about how he wrestled with these contradictions. His counterculture background combined with his love of electronics and business was key to the products he created. They combined artistry and technology.

Q: Jobs could be notoriously difficult. Did you wind up liking him in the end?

Isaacson: Yes, I liked him and was inspired by him. But I knew he could be unkind and rough. These things can go together. When my book first came out, some people skimmed it quickly and cherry-picked the examples of his being rude to people. But that was only half the story. Fortunately, as people read the whole book, they saw the theme of the narrative: He could be petulant and rough, but this was driven by his passion and pursuit of perfection. He liked people to stand up to him, and he said that brutal honesty was required to be part of his team. And the teams he built became extremely loyal and inspired.

Q: Do you believe he was a genius?

Isaacson: He was a genius at connecting art to technology, of making leaps based on intuition and imagination. He knew how to make emotional connections with those around him and with his customers.

Q: Did he have regrets?

Isaacson: He had some regrets, which he expressed in his interviews. For example, he said that he did not handle well the pregnancy of his first girlfriend. But he was deeply satisfied by the creativity he ingrained at Apple and the loyalty of both his close colleagues and his family.

Q: What do you think is his legacy?

Isaacson: His legacy is transforming seven industries: personal computers, animated movies, music, phones, tablet computing, digital publishing, and retail stores. His legacy is creating what became the most valuable company on earth, one that stood at the intersection of the humanities and technology, and is the company most likely still to be doing that a generation from now. His legacy, as he said in his "Think Different" ad, was reminding us that the people who are crazy enough to think they can change the world are the ones who do.

Photo credit: Patrice Gilbert Photography

About the Author

Excerpt. © reprinted by permission. all rights reserved., product details.

  • Publisher ‏ : ‎ Simon & Schuster; 1st edition (October 24, 2011)
  • Language ‏ : ‎ English
  • Hardcover ‏ : ‎ 656 pages
  • ISBN-10 ‏ : ‎ 1451648537
  • ISBN-13 ‏ : ‎ 978-1451648539
  • Lexile measure ‏ : ‎ 1080L
  • Item Weight ‏ : ‎ 2.25 pounds
  • Dimensions ‏ : ‎ 6.13 x 2.2 x 9.25 inches
  • #7 in Computer & Technology Biographies
  • #8 in Computing Industry History
  • #90 in Biographies of Business & Industrial Professionals

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Book Review of Steve Jobs by Walter Isaacson - BookThinkers

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Customer Review: There's many biography about Steve Jobs out there. But they couldn't match this.

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Steve Jobs life journey is a must for every entrepreneur!

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About the author

Walter isaacson.

Walter Isaacson is writing a biography of Elon Musk. He is the author of The Code Breaker: Jennifer Doudna, Gene Editing, and the Future of the Human Race; Leonardo da Vinci; Steve Jobs; Einstein: His Life and Universe; Benjamin Franklin: An American Life; The Innovators: How a Group of Hackers, Geniuses, and Geeks Created the Digital Revolution; and Kissinger: A Biography. He is also the coauthor of The Wise Men: Six Friends and the World They Made. He is a Professor of History at Tulane, has been CEO of the Aspen Institute, chairman of CNN, and editor of Time magazine.

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20 Best Biography & Autobiography Books in Hindi (You Must Read)

List Of Great Biography & Autobiography Books in Hindi : जीवन मे कुछ भी नया सीखने के दो तरीके है ? एक गलतियाँ करो और दूसरा दूसरों की गलतियों से सीखो। वैसे तो बहोत सारी सेल्फ मोटिवेशनल किताबे है, जिनको पढ़कर आप बहोत कुछ सीख सकते हो।  लेकिन अगर आप कुछ ज्यादा बहेतर सीखना चाहते है तो आपको महान लोगो की बायोग्राफ़ि पर जरूर पढ़नी चाहिए। 

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नीचे दी गयी लिस्ट मे कुछ महान लोगो की आत्मकथा और जीवनीया है, जिनको पढ़के आपको बहोत कुछ सीखने को मिलेगा। 

Top Biography & Autobiography Books List - महान लोगो की जीवनी पर किताबें

1. मैं स्टीव, मेरा जीवन मेरी जुबानी ( लेखक : स्टीव जॉब्स ).

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मैं स्टीव, मेरा जीवन मेरी जुबानी किताब दुनिया के महान बिजनेस टाईकून और आविष्कारक स्टीव जॉब्स की आत्म कथा है। स्टीव जॉब्स का जन्म 24 फ़रवरी 1955 को सैन फ्रांसिस्को, कैलिफोर्निया, संयुक्त राज्य अमरीका में और मृत्यु 2003 में हुई थी।

Steve Jobs का जीवन जन्म से हि संघर्ष पूर्ण था। कंप्यूटर, लैपटॉप और मोबाइल फ़ोन बनाने वाली कंपनी ऐप्पल के भूतपूर्व सीईओ और जाने-माने अमेरिकी उद्योगपति स्टीव जॉब्स ने संघर्ष करके जीवन में यह मुकाम हासिल किया।

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2. सत्य के प्रयोग ( लेखक : महात्मा गांधी )

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सत्य के प्रयोग किताब दुनिया के महान प्रमुख राजनैतिक एवं आध्यात्मिक नेता महात्मा गांधी की आत्म कथा है। महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के शहर पोरबंदर में और मृत्यु 30 जनवरी 1948 में हुई थी।

यह आत्मकथा उन्होने गुजराती भाषा में लिखी थी। हर 27 नवम्बर को 'सत्य का प्रयोग' के आधारित प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता हैं।  

यहां कुछ उक्तियां है जो गांधी जी ने अपनी आत्म कथा - सत्य के प्रयोग -- में कही हैं। ये उनके जीवन दर्शन को दर्शाती है।

पिछले तीस सालों से जिस चीज को पाने के लिये लालायित हूं वो है स्व की पहचान, भगवान से साक्षात्कार, और मोक्ष। इस लक्ष्य के पाने के लिये ही मैं जीवन व्यतीत करता हूं। मैं जो कुछ भी बोलता और लिखता हूं या फिर राजनीति में जो कुछ भी करता हू वो सब इन लक्ष्यो की प्राप्ति के लिये ही है।

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3. भगत सिंह जेल नोट बुक  ( लेखक : हरीश जैन )

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भगत सिंह की ‘जेल नोटबुक’ सुप्रसिद्ध विचारकों और दार्शनिकों के विचारों को लेकर उनकी पड़ताल का एक नया मार्ग खोलती है।

एक जिज्ञासु और पढ़ने की भूख रखनेवाले व्यक्ति के रूप में प्रसिद्ध, भगत सिंह ने जेल में सजा काटने के दौरान अपनी पसंद के जाने-माने लेखकों की चुनिंदा पुस्तकों को बड़ी संख्या में जुटा लिया था। 

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4. योगी कथामृत  ( लेखक : परमहंस योगानंद )

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परमहंस योगानंद पश्चिमी देशों के साथ-साथ भारत में भी योग ध्यान के विज्ञान और दर्शन को पढ़ाने के लिए एक प्रतिष्ठित व्यक्ति रहे हैं।

योगानंद की यह प्रशंसित आत्मकथा 1999 में सामने आई और पूरे पश्चिम में एक त्वरित सफलता थी। 

सदी की 100 सर्वश्रेष्ठ आध्यात्मिक पुस्तकों में से एक के रूप में चयनित, यह आत्मकथा पाठकों को उनके जीवन की एक प्रेरणादायक यात्रा पर ले जाती है - उनके मासूम बच्चे उल्लेखनीय अनुभवों से भरे,

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5. अग्नि की उड़ान ( लेखक : ए. पी. जे. अब्दुल कलाम )

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इसी पुस्तक से प्रस्तुत पुस्तक डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के जीवन की ही कहानी नहीं है बल्कि यह डॉ. कलाम के स्वयं की ऊपर उठने और उनके व्यक्‍त‌िगत एवं पेशेवर संघर्षों की कहानी के साथ ' अग्नि ', ' पृथ्वी ', ' आकाश ', ' त्रिशूल ' और ' नाग ' मिसाइलों के विकास की भी कहानी है। 

जिसने अंतरराष्‍ट्रीय स्तर पर भारत को मिसाइल-संपन्न देश के रूप में जगह दिलाई । 

यह टेकोलॉजी एवं रक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करने की आजाद भारत की भी कहानी है ।.

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6. मेरी कहानी: अनब्रेकेबल ( लेखक : मैरी कॉम )

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यह कहानी है भारतीय मुक्केबाज़ी के अखाड़े की साम्राज्ञी, पाँच विश्व प्रतियोगिताओं और एक ओलंपिक पदक की विजेता - एम.सी. मैरी कॉम की।

पूर्वोत्तर भारत के मणिपुर राज्य में भूमिहीन किसान माता-पिता के यहाँ जन्मीं, मैरी कॉम की यह कहानी अथक संघर्ष और जोश को दर्शाती है तथा मुक्केबाज़ी की इस पुरुष-प्रधान दुनिया में असंभव रुकावटों का सामना करने - और जीतने की गाथा बताती है।

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7. प्लेइंग इट माई वे ( लेखक : सचिन तेंडुलकर )

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यह मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर की बस्टेलिंग आत्मकथा - प्लेइंग इट माय वे का हिंदी अनुवाद है।

जब वह एक छोटा लड़का था, तो सचिन तेंदुलकर के भाई ने उसे एक ऐसे खेल से परिचित करवाया, जो उसके जीवन और लाखों भारतीय लोगों के जीवन को बदलने के लिए था।

यह सचिन तेंदुलकर की कहानी है, जो अपने ही शब्दों में सभी समय के सबसे प्रसिद्ध क्रिकेटर हैं।

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8. संघर्ष से मिलि सफ़लता ( लेखक : सानिया मिर्जा )

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यह पुस्तक एक प्रतिष्ठित भारतीय खिलाड़ी की कहानी है, जिसने शिखर पर पहुँचने के लिए बेहद कठिन परिस्थितियों पर विजय पाई.

सानिया साफ़गोई से बताती हैं कि सफलता की राह में उन्हें कैसी-कैसी मुश्किलों का सामना करना पड़ा, कई चोट और ऑपरेशन के कारण कितनी शारीरिक और भावनात्मक क्षति हुई, 

उन्होंने भारत के लिए आक्रमक अंदाज़ में खेला है और इस बात की परवाह नहीं करी कि इसकी वज़ह से उनकी रैंकिंग पर बुरा असर पद सकता है - वे प्रेरणा का स्त्रोत हैं और टेनिस कोर्ट से विदा होने के बाद भी हमेशा प्रेरणादायी बनी रहेंगी.

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9. बेंजामिन फ्रैंकलिन की आत्मकथा ( लेखक : बेंजामिन फ्रैंकलिन )

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बेंजामिन फ्रैंकलिन की जीवनी ‘बेंजामिन संयुक्त राज्य अमेरिका के एकमात्र ऐसे राष्ट्रपति थे, जो कभी संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति नहीं थे।’ उपरोक्त वाक्य बेंजामिन फ्रैंकलिन के बारे में कहा गया है।

उनके कार्य का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि देशभर में उनकी सैकड़ों प्रतिमाएँ लगी हुई है।

ऐसे बहुत आयामी व्यक्तित्व का जीवन चरित्र इस पुस्तक में पढ़ें और उनके कार्यों से प्रेरणा लें।

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10. द डायरी ऑफ यंग गर्ल ( लेखक : ऐनी फ्रैंक )

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यह उस युवती का मर्मस्पर्शी दस्तावेज़ है जो दूसरे विश्व युद्ध के दौरान एक यहूदी होने के नाते नाज़ी अत्याचारों की शिकार बनी. ऐन फ्रैंक का परिवार 1942 से 1944 के दरमियान एक ईमारत में स्तिथ किताबों की अलमारी के पीछे बने कुछ गुप्त कमरों में छिप कर रहा.

युद्ध की भयावहता को दर्शाती यह पुस्तक मानवीय भावनाओं का एक आश्चर्यजनक व् दिलचस्प वृत्तांत है, जिसे द्वितीय विश्व युद्ध के बचे हुए महत्वपूर्ण दस्तावेज़ों में से एक मन जाता है. मूलतः डच भाषा में लिखी गई इस पुस्तक का 60 से अधिक भाषाओँ में अनुवाद किया जा चूका है.

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11. मेरा संघर्ष ( लेखक : एडॉल्फ हिटलर )

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माइन काम्फ ("मेरा संघर्ष") एडोल्फ हिटलर की आत्मकथा है

अडोल्फ हिटलर को विश्व मानवता का शत्रु समझने वाले लोगों के लिए ‘माइन काम्फ’ हिटलर की आत्मकथा ‘मेरा संघर्ष’ एक ऐसी ख्याति प्राप्त ऐतिहासिक ग्रन्थ है, जिसके अध्ययन से न केवल जर्मनी की पीड़ा, बल्कि हिटलर की पीड़ित मानसिकता में उसकी राष्ट्रवादी मनोवृत्ती का भी अनुभव होगा।

साथ ही राजनीतिज्ञों के चरित्र, राजनीति के स्वरूप, भाग्य-प्रकृति, शिक्षा सदनों का महत्त्व, मानवीय मूल्यों तथा राष्ट्रवादी भावना की महानता के आधार की भी प्रेरणा मिलेगी।

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12.  परोपकारी बिज़नसमेन अजीम प्रेमजी ( लेखक : एन चोखन  )

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24 जुलाई, 1945 को जनमे हाशिम प्रेमजी अमेरिका की स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी में जब विद्युत् इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे थे, तभी पिता के अचानक निधन के कारण उन्हें स्वदेश लौटकर पारिवारिक व्यवसाय सँभालना पड़ा।

उनके व्यापारिक कौशल और योग्यता के बल पर विप्रो ने अनेक क्षेत्रों में कार्य विस्तार किया।

सरल-सहज अजीम प्रेमजी ने विलक्षण उपलब्धियाँ प्राप्‍त की हैं। 

ऐसे समाजसेवी, परोपकारी सफल बिजनेसमैन अजीम प्रेमजी की प्रेरक जीवनगाथा।

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13. स्वामी विवेकानंद एक जीवनी ( लेखक : स्वामी निखिलानंद )

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स्वामी विवेकानंद नवजागरण के पुरोधा थे।

उनका चमत्कृत कर देनेवाला व्यक्‍तित्व, उनकी वाक‍्‍शैली और उनके ज्ञान ने भारतीय अध्यात्म एवं मानव-दर्शन को नए आयाम दिए। 

अद‍्भुत प्रवाह और संयोजन के कारण यह आत्मकथा पठनीय तो है ही, प्रेरक और अनुकरणीय भी है।.

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14. मेरे बिजनेस मंत्र ( लेखक : एन.आर. नारायण मूर्ति )

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संसार में यदाकदा ऐसे बुद्धिमान व धैर्यवान् व्यक्ति का उदय होता है, जिसे नजरअंदाज करना कठिन ही नहीं, नामुमकिन होता है।

श्री एन.आर. नारायण मूर्ति ऐसे ही विनम्र व्यक्ति हैं। वे एक उद्यमी, उद्यमी-नेता, समाजसेवी व परिवार-प्रिय व्यक्ति हैं।

इस पुस्तक से आपको ऐसा दृष्टिकोण, प्रोत्साहन व महत्त्वपूर्ण प्रेरणा प्राप्त होगी, जिसके बल पर आप सफलता के पथ पर आगे बढ़ते जाएँगे।

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15. मैं मलाला हूँ ( लेखक : मलाला युसुफ़ज़ई )

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लड़कियों की शिक्षा की वकालत करनेवाली, तालिबानी आतंकियों के सामने न झुकनेवाली मलाला का जन्म 12 जुलाई, 1997 को पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वाह प्रांत के स्वात जिले में हुआ।

कम उम्र में ही अन्याय और आतंकवाद के विरुद्ध आवाज बुलंद करनेवाली मलाला यूसुफजई की प्रेरक जीवनगाथा, जो हर शांतिप्रिय और संवेदनशील पाठक को पसंद आएगी और उसे प्रेरित करेगी।.

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16. नरेन्द्र मोदी: एक रजनीतिक यात्रा ( लेखक : एंडी मारिनो )

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यह नरेन्द्र की राजनीतिक जीवनी का हिंदी अनुवाद है।

भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी पार्टी के लिए एक शक्तिशाली जीत हासिल की, अनगिनत बैठकों और रैलियों में बात की और वैश्विक प्रोफ़ाइल हासिल की।

उस शख्स का एक अनोखा चित्र जिसे वह याद रखना चाहता है जिसने भारत को बेहतर के लिए बदल दिया।

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17. आइजैक न्यूटन ( लेखक : डॉ. श्रीवास्तव प्रीति )

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आइजक न्यूटन सर आइजक न्यूटन अपने समय के बड़े एवं प्रतिष्‍ठित वैज्ञानिकों में थे। 

उनकी प्रसिद्धि का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उनके बारे में कहा जाता था— प्रकृति अँधेरे में थी, प्रकृति के नियम अँधेरे में थे, तब न्यूटन पैदा हुए और चारों ओर उजाला हो गया।

विश्‍वास है, इसे पढ़कर पाठकगण सर आइजक न्यूटन के जीवन से संबंधित अनेक तथ्यों एवं संदर्भों को जान सकेंगे।

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18. थॉमस अल्वा एडीसन ( लेखक : विनोद कुमार मिश्रा )

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बाल्यकाल में ही बधिरता जैसे अभिशाप को एकाग्रता जैसे अद्भुत गुण में परिवर्तित करनेवाले थॉमस अल्वा एडिसन ने जीवन के अंतिम प्रहर तक थकना नहीं सीखा। 

औपचारिक शिक्षा से वंचित होने पर भी साहित्य से लेकर विज्ञान तक का गहन अध्ययन करनेवाले इस वैज्ञानिक ने अपने कार्यकाल में औसतन हर पंद्रह दिन में एक पेटेंट हासिल किया; उनके जरिए दुनिया आधुनिक काल में प्रवेश कर गई और उपभोक्तावाद का प्रादुर्भाव हुआ।

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19. बिकमिंग : मेरा जीवन सफ़र ( लेखक : मिशेल ओबामा )

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एक कामकाजी दो बच्चों की माँ और अश्वेत महिला कैसे अपनी नौकरी और जीवन के साथ तालमेल बिठाती है जब उसका पति दुनिया के सबसे शक्तिशाली पद के लिए चुनावी दौड़ में शामिल होता है?

एक हार्वर्ड शिक्षित महिला की आत्मकथा जो अपने पति और बच्चों के ख़ातिर बार-बार अपना करियर बदलती है—अपने आप में नारीवाद, नस्लवाद और समावेशी विकास पर एक विमर्श है।

किताब में बराक ओबामा और मिशेल के खूबसूरत प्रेमकहानी का भी वर्णन है। ईमानदारी और साहस के साथ कही गई इस कहानी में मिशेल एक चुनौती भी पेश करती है।

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20. बिजनेस कोहिनूर: रतन टाटा ( लेखक : बी सी पांडे )

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बिजनेस कोहिनूर रतन टाटा—बी.सी. पाण्डेय भारतीय उद्योग जगत् के सबसे चमकते सितारे, टाटा ग्रुप जैसे विशाल औद्योगिक साम्राज्य के सर्वेसर्वा ‘रतन टाटा’ का विश्व उद्योग-जगत् में अपना विशिष्ट स्थान है।

वर्तमान परिवेश में टाटा ग्रुप को न केवल स्वदेश, बल्कि विदेशों में भी अहम स्थान दिलाने में उनकी भूमिका एवं नेतृत्व का सराहनीय योगदान रहा है। 

‘बिजनेस कोहिनूर रतन टाटा’ व्यवसायी, व्यापारी, उद्यमी, सामाजिक कार्यकर्ता, राजनीतिक ही नहीं, सभी आयु वर्ग के पाठकों के लिए प्रेरणादायी एवं मार्गदर्शक सिद्ध होगी।

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अब आपकी बारी : आपने किस महान इंसान की जीवनी पढ़ी है और उससे आपने क्या सीखा ये नीचे कमेंट करके बताए। अगर ये पोस्ट आपको हेल्पफूल लगे तो इसे अपने दोस्तो के शेअर करे।

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  • Print length 592 pages
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  • ASIN ‏ : ‎ 034914043X
  • Publisher ‏ : ‎ Abacus; 2015th edition (11 February 2015)
  • Language ‏ : ‎ English
  • Paperback ‏ : ‎ 592 pages
  • Item Weight ‏ : ‎ 790 g
  • Dimensions ‏ : ‎ 12.8 x 3.8 x 19.5 cm
  • Country of Origin ‏ : ‎ United Kingdom
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Walter isaacson.

Walter Isaacson is writing a biography of Elon Musk. He is the author of The Code Breaker: Jennifer Doudna, Gene Editing, and the Future of the Human Race; Leonardo da Vinci; Steve Jobs; Einstein: His Life and Universe; Benjamin Franklin: An American Life; The Innovators: How a Group of Hackers, Geniuses, and Geeks Created the Digital Revolution; and Kissinger: A Biography. He is also the coauthor of The Wise Men: Six Friends and the World They Made. He is a Professor of History at Tulane, has been CEO of the Aspen Institute, chairman of CNN, and editor of Time magazine.

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मैं स्टीव मेरा जीवन मेरी जुबानी Steve Jobs Hindi [PDF] Download

Download मैं स्टीव मेरा जीवन मेरी जुबानी Main Steve, Mera Jeewan Meri Jubani I, Steve: Steve Jobs in His Own Words Hindi PDF Book by Steve Jobs for free using the direct download link from pdf reader. मैं स्टीव मेरा जीवन मेरी जुबानी स्टीव जॉब्स द्वारा लिखित हिंदी पीडीऍफ़ पुस्तक फ्री डाउनलोड।

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Details About मैं स्टीव मेरा जीवन मेरी जुबानी Main Steve, Mera Jeewan Meri Jubani Hindi Book PDF

मैं स्टीव मेरा जीवन मेरी जुबानी Book Review in Hindi

वर्ष 1976 से स्टीव जॉब्स अपने विचारों को सभी सम्भव माध्यमों से व्यक्त कर रहे हैं- चाहे वह प्रेस विज्ञप्तियाँ हों, एप्पल की वेबसाइट पर वक्तव्य हों, एप्पल के नये उत्पादों को बाज़ार में उतारने के लिए स्वयं जनता के सामने आकर अथवा प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक प्रसार माध्यमों को साक्षात्कार देकर; इससे उनके समर्थक प्रसन्न हैं और आलोचक निराश।

परन्तु अपने जीवन वृत्त में दो बार ‘द विज़न थिंग’ का उल्लेख करने वाले जॉब्स के विषय में कोई कुछ भी सोचे, एक बात तो निर्विवाद रूप से सत्य है कि उन्होंने हमें हमारे समय में बिज़नेस (व्यवसाय) की प्रकृति के सम्बन्ध में सर्वाधिक स्मरणीय उक्तियाँ दी हैं। स्टीव जॉब्स का व्यवसाय समुदाय में अनुपम एवं स्पृहणीय स्थान था। उन्हें फॉर्च्यून रिव्यू ने ‘विश्व में सर्वश्रेष्ठ सीईओ’ हार्वर्ड बिज़नेस रिव्यू ने ‘विश्व में सर्वश्रेष्ठ सीईओ और वॉल स्ट्रीट जर्नल ने ‘दशक की हस्ती’ के रूप में चुना था।

इनके अतिरिक्त भी उन्हें अनेक सम्मान प्राप्त हुए। 15 अगस्त, 2011 को खबर आयी कि वाल्टर इसाक्सन द्वारा लिखी गयी स्टीव जॉब्स की एकमात्र अधिकृत जीवनी मार्च, 2012 के स्थान पर 21 नवम्बर, 2011 को जारी की जा रही है, जिससे अनेक प्रश्न उठ खड़े हुए। बड़े प्रकाशक पुस्तक जारी करने की तिथि बदल कर चार माह पहले यों ही नहीं कर देते! स्पष्ट रूप से कुछ तो हुआ ही था। नौ दिन बाद 24 अगस्त को एक और धमाका हुआ : स्टीव जॉब्स ने घोषणा की कि वे सीईओ का पद छोड़ रहे हैं और उन्होंने एप्पल के बोर्ड से उत्तराधिकारी की योजना को क्रियान्वित करने के लिए कहा।

तभी टिमोथी कुक को एप्पल का नियन्त्रण सौंपा गया। एप्पल के नये सीईओ द्वारा आई फोन-4एस की घोषणा समारोह के लिए आयोजित किए गये पहले मीडिया समारोह के एक दिन बाद 5 अक्तूबर को एप्पल के बोर्ड ने घोषणा की कि 56 वर्ष की उम्र में स्टीव जॉब्स का निधन हो गया है। बोर्ड ने एक वक्तव्य जारी किया; ‘स्टीव की प्रतिभा, धुन एवं ऊर्जा अनगिनत नवाचारों का स्रोत थी जिसने हम सबके जीवन को सम्पन्न एवं बेहतर बनाया। विश्व स्टीव के कारण अवर्णनीय स्तर तक बेहतर है।’

Main Steve, Mera Jeewan Meri Jubani Book Review in English

Since 1976, Steve Jobs has been expressing his views through all possible means – whether it is through press releases, statements on Apple’s website, appearing in public to market new Apple products, or through print and electronic dissemination. by giving interviews to the media; This has pleased his supporters and disappointed his critics.

But no matter what one thinks about Jobs who mentioned ‘The Vision Thing’ twice in his biography, one thing is undeniably true that he gave us the most memorable account of the nature of business in our time. Sayings are given. Steve Jobs had a unique and coveted place in the business community. He was chosen as the ‘Best CEO in the World’ by Fortune Review, ‘Best CEO in the World’ by Harvard Business Review, and ‘Celebrity of the Decade’ by The Wall Street Journal.

Apart from these, he also received many honors. On August 15, 2011, news broke that the only official biography of Steve Jobs, written by Walter Isaacson, was being released on November 21, 2011, instead of March 2012, raising many questions. Big publishers just don’t change the book release date to four months in advance! Clearly, something had happened. Nine days later, on August 24, another blast occurred: Steve Jobs announced that he was stepping down as CEO and asked Apple’s board to implement a successor plan.

Then Timothy Cook was handed control of Apple. On October 5, a day after the first media event for the iPhone 4S announcement by the new Apple CEO, Apple’s board announced that Steve Jobs had died at the age of 56. The Board issued a statement; ‘Steve’s talent, passion, and energy were the sources of countless innovations that made our lives richer and better. The world is better to an indescribable level because of Steve.’

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