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मजदूर दिवस पर विस्तृत निबंध labour day essay in hindi.

Last Updated: May 4, 2023 By Gopal Mishra 11 Comments

अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस

International workers’ day in hindi.

मजदूर दिवस को इन नामों से भी पुकारा जाता है-

rummy gold

  • श्रमिक दिवस
  • May Day ( मे डे)
  • Labour Day ( लेबर डे )
  • International Workers’ Day

मजदूर दिवस पर निबंध

मजदूर दिवस कब मनाया जाता है

विश्व भर में अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस “1 मई” के दिन मनाया जाता है। किसी भी देश की तरक्की उस देश के किसानों तथा कामगारों (मजदूर / कारीगर) पर निर्भर होती है। एक मकान को खड़ा करने और सहारा देने के लिये जिस तरह मजबूत “नीव” की महत्वपूर्ण भूमिका होती है, ठीक वैसे ही किसी समाज, देश, उद्योग, संस्था, व्यवसाय को खड़ा करने के लिये कामगारों (कर्मचारीयों) की विशेष भूमिका होती है।

  • Related: अंतर्राष्ट्रीय मज़दूर दिवस पर प्रेरक कथन

अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस / श्रमिक दिवस का इतिहास History of Majdoor Diwas in Hindi

मजदूर दिवस विश्व का एक प्रचलित उत्सव दिवस बताया जाता है। यह दिवस उन श्रमिक वर्ग को समर्पित है जो अपना खून-पसीना बहा कर अथक परिश्रम कर के विश्व के विभिन्न हिस्सों में दिन रात काम करके उस देश की प्रगति में अपना अमूल्य योगदान देते हैं। इतिहास के पन्ने पलटनें पर मजदूर दिवस मनानें की प्रथा शुरू होने का कारण जानने को मिलता है। जो कुछ इस प्रकार है-

अमरीका देश के शिकागो शहर में स्थित हेमार्केट की घटना

वर्ष 1886 में 4 मई के दिन शिकागो शहर के हेमार्केट चौक पर मजदूरों का जमावड़ा लगा हुआ था। मजदूरों नें उस समय आम हड़ताल की हुई थी। हड़ताल का मुख्य कारण मजदूरों से बेहिसाब काम कराना था। मजदूर चाहते थे कि उनसे दिन भर में आठ घंटे से अधिक काम न कराया जाए। मौके पर कोई अप्रिय घटना ना हो जाये इसलिये वहाँ पर स्थानीय पुलिस भी मौजूद थी। तभी अचानक किसी अज्ञात व्यक्ति द्वारा भीड़ पर एक बम फेंका गया। इस घटना से वहाँ मौजूद शिकागो पुलिस नें मजदूरों की भीड़ को तितर-बितर करने के लिये एक्शन लिया और भीड़ पर फायरिंग शुरू कर दी। इस घटना में कुछ प्रदर्शनकारीयों की मौत हो गयी। मजदूर वर्ग की समस्या से जुड़ी इस घटना नें समग्र विश्व का ध्यान अपनी और खींचा था।

Rummy Perfect

इसके बाद 1889 में अंतर्राष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन (the International Socialist Conference ) में ऐलान किया गया कि हेमार्केट नरसंघार में मारे गये निर्दोष लोगों की याद में 1 मई को अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस के रूप में मनाया जाएगा और इस दिन सभी कामगारों व श्रमिकों का अवकाश रहेगा।

मजदूर दिवस मनाने का उद्देश

पूर्व काल में मजदूर एवं कामगार वर्ग की स्थिति अत्यंत दयनीय थी। मजदूरों को दिन में दस से पंद्रह घंटे काम कराया जाता था। कार्य स्थल इतने विषम और प्रतिकूल होते थे की वहाँ आये दिन काम पर मजदूरों की अकस्मात मृत्यु की घटनायेँ होती रहती थीं। इन्हीं परिस्थितियों के चलते अमरीका में कुछ मजदूर समस्या निवारण संघ और समाजवादी संघ द्वारा मजदूरों के कल्याण के लिये आवाज़ उठाई जाने लगी।

आगे चल कर वर्ष 1884 में शिकागो शहर के राष्ट्रीय सम्मेलन में मजदूर / कामगार वर्ग के लिये प्रति दिन 8 घंटे काम करने का वैधानिक समय सुनिश्चित कर दिया गया। यह एक ऐतिहासिक फ़ैसला था।

कैसे मनाया जाता है मजदूर दिवस

मजदूर दिवस पर कई देशों में छुट्टी घोषित की जाती है। मजदूर वर्ग इस दिन पर बड़ी बड़ी रैलीयों का आयोजन करते हैं। मे दिन पर मजदूर वर्ग किसी खास जगह पर एकत्रित हो कर विशेष कार्यक्रमों के आयोजन भी करते हैं। अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक संगठन (ILO) द्वारा इस दिन पर सम्मेलन आयोजन किया जाता है। देश के मजदूर वर्ग की उन्नति और प्रगति के लिये कई बार इस दिवस पर सरकार द्वारा मजदूर वर्ग को विशेष सहाय और भेंट भी अर्पण की जाती है।

इस प्रकार की सहाय मुफ्त या कम दाम में राशन, कपड़े, सिक्षा, सस्ते ब्याज पर पक्के मकान के लोन, नौकरियाँ या फिर किसी अन्य स्वरूप में प्रदान की जाती है। मजदूर दिवस पर टीवी, अखबार, और रेडियो जैसे प्रसार माध्यम द्वारा मजदूर जागृति प्रोग्राम प्रसारित किये जाते हैं और बड़े-बड़े पोलिटिशन इस दिवस पर मजदूर वर्ग कल्याण के लिये कई महत्वपूर्ण घोषणायेँ भी करते हैं।

मौजूदा वक़्त में मजदूर दिवस का औचित्य

मजदूर दिवस की शुरुआत हुए सवा सौ साल से अधिक समय बीत चुका है। पहले की अपेक्षा ना अब उस तरह की दिक्कतें हैं और ना ही मजदूर दिवस मनाने के लिए बड़ी-बड़ी और सशक्त मजदूर यूनियन ही बची हैं। अब ज्यादातर जॉब्स भी blue collar से white collar में बदल चुकी हैं।

इसलिए कुछ लोगों का मत है कि अब इस पर्व का कोई महत्त्व नहीं है। लेकिन हमें ये नहीं भूलना चाहिए कि अगर इस दिन की शुरुआत नहीं होती तो आज जिन अधिकारों का हम इतनी आसानी से इस्तेमाल करते हैं उनके बारे में सोच भी नहीं पाते और शायद आज भी कार्यालयों और फैक्ट्रियों में काम-काज की परिस्थितियां ठीक नहीं होतीं।

अगर मजदूर दिवस के दिन एक-जुट होकर वर्कर्स एकता नहीं दिखाते तो शायद आज भी हम हफ्ते के सातों दिन काम कर रहे होते और लाखों करोड़ों बच्चे भी बाल-श्रम का दंश झेल रहे होते, और गर्भवती महिलाएं भी अवकाश पाने के लिए संघर्ष कर रही होतीं।अतः हमें मजदूर दिवस के योगदान को भुलाना नहीं चाहिए और इस दिवस को हर्ष और उल्लास के साथ मनाना चाहिए।

क्या वाइट कॉलर वर्कर्स को मजदूर दिवस को एक नया रूप देना चाहिए?

आज की तेज दौड़ती ज़िन्दगी में इंसान ऑफिस छोड़ देता है लेकिन काम नहीं छोड़ पाता। लाखों लोग घर पर आकर भी लैपटॉप और कंप्यूटर पर घंटों काम करते हैं। तो एक तरह से आज के white collar workers ने कल के blue collar workers की जगह ले ली हैं। ऐसे में शायद इन वर्कर्स को अपनी हिस्से की ज़िन्दगी जीने के लिए समय माँगना चाहिए…आवाज़ उठानी चाहिए और मजदूर दिवस के दिन अपनी बातों को एक मंच प्रदान करना चाहिए।

  • Related: सपने पूरे करो पर ज़िन्दगी को अधूरा मत छोड़ो!

मजदूर वर्ग किसी भी समाज का अभिन्न और महत्वपूर्ण अंग होता है उन्हे सर्वथा सम्मान देना सभी का कर्तव्य है। अगर किसी जगह पर मजदूरों के साथ अन्याय हो रहा हों या उन पर अत्याचार हो रहा हों तो उस बात को सार्वजनिक करना और उस अनीति के खिलाफ आवाज़ उठाना प्रत्येक ज़िम्मेदार नागरिक का फर्ज़ है।

Majdoor Diwas Shayari in Hindi

(Majdoor Diwas Shayari in Hindi)

मेहनत उसकी लाठी है मजबूत उसकी काठी है हर बाधा वो कर देता है दूर दुनिया उसे कहती है मजदूर

१ मई – अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

Read more about International Workers’ Day on Wikipedia (English)

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may day essay in hindi wikipedia

July 7, 2022 at 12:57 pm

This article is written so well and much useful and informative. Thanks for giving such wonderful informative information. I hope you will publish again such type of post. Regards

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Nibandh

मई दिवस पर निबंध

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रुपरेखा : प्रस्तावना - मई दिवस २०२१ - मई दिवस का इतिहास - मई दिवस दिवस क्यों मनाया जाता है - मई दिवस कैसे मनाया जाता है - उपसंहार।

मई दिवस को अंग्रेजी में 'May Day' कहते हैं। मई दिवस को अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस और मजदूर दिवस के नाम से भी जाना जाता है। हर साल १ मई को दुनियाभर में मई दिवस अथवा मई डे मनाया जाता है। अंतरराष्ट्रीय श्रमिक संघ को प्रचारित और बढ़ावा देना इस दिवस का उद्देश्य है। इसे यूरोप में पारंपरिक गर्मी के अवकाश के रुप में घोषित किया गया है।

हर साल 1 मई को सम्पूर्ण विश्व में मई दिवस और अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस मनाया जाता है। इसे मज़दूर दिवस और मई दिवस के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भारत देश में महाराष्ट्र स्थापना दिवस और गुजरात स्थापना दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। मई दिवस 2021, 1 मई शनिवार के दिन पुरे दुनियाभर में मनाया जायेगा।

मई दिवस और अंतरराष्ट्रीय मज़दूर दिवस विश्व स्तर का एक दिवस है और इसे 4 मई 1886 के दिन को याद करने के लिये मनाया जाता है। शिकागो में हेयरमार्केट घटना (हेयरमार्केट हत्याकांड) को याद करने के लिए तथा उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए यह दिवस मनाया जाता है। ये उस वर्ष का एक बड़ा कार्यक्रम था जब मज़दूर अपने आठ घंटे के कार्य-दिवस के लिये आम हड़ताल पर थे और पुलिस आम लोगों को भीड़ से तितर-बितर करने का अपना कार्य कर रही थी। अचानक से, एक अनजाने व्यक्ति के द्वारा भीड़ में एक बम फेंका गया और पुलिस ने गोली चलाना शुरु कर दिया जिसमें चार प्रदर्शनकारी मारे गये। हेयमार्केट हत्याकाण्ड के दौरान बहुत सारे लोगों ने अपने जीवन का बलिदान किया था जो मजदूरों की हड़ताल के दौरान श़िकागो में हुआ था। कार्यकारी समूह के लोगों की समाजिक और आर्थिक उपलब्धियों को बढ़ावा देने के लिये साथ ही हेयमार्केट नरसंहार की घटना को याद करने के लिये मई दिवस मनाया जाता है। हालाँकि, साल 1894 और 1904 में मई दिवस के दिन दंगा हुआ था। रेमण्ड लेविग्ने के द्वारा एक प्रस्ताव के माध्यम से पेरिस के मीटिंग में (साल 1889 में) मई दिवस के रुप में वार्षिक आधार पर इसे मनाने का फैसला किया गया । साल 1891 में, वार्षिक कार्यक्रम के रुप में मनाने के लिये दूसरे अंतरराष्ट्रीय काँग्रेस के द्वारा मई दिवस को आधिकारिक स्वीकृति मिली थी।

अंतरराष्ट्रीय मजदूर संघ को प्रचारित और बढ़ावा देने के लिए ये दिवस मनाया जाता है। इसके अलावा मजदूरों का आठ घंटे के कार्य दिवस की जरुरत को बढ़ावा देने के लिये साथ ही संघर्ष को खत्म करने के लिये अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस मनाया जाता है। पूर्व में मजदूरों की कार्य करने की स्थिति बहुत ही कष्टदायक थी और असुरक्षित परिस्थिति में भी दस से बारह घंटे वे कार्य करते थे। साल 1860 के दशक के दौरान मजदूरों के लिये कार्यस्थल पर मृत्यु, चोट लगना आदि कष्टदायक परिस्थिति बेहद आम बात थी और पूरे दिन कार्य के दौरान काम करने वाले लोग बहुत क्रोधित रहते थे। इसीलिए आठ घंटे के कार्य दिवस की जरुरत को बढ़ावा देने के लिये साथ ही संघर्ष को खत्म करने के लिये अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस मनाया जाता है।

बहुत सारे उद्योगों में मजदूर वर्ग लोग (अर्थात पुरुष, महिला और बच्चे) की बढ़ती मृत्यु, उद्योगों में उनके काम करने के घंटे को घटाने के द्वारा कार्यकारी दल के लोगों की सुरक्षा के लिये आवाज उठाने की जरुरत थी। मजदूरों और समाजवादियों के द्वारा बहुत सारे प्रयासों के बाद, मजदूरों की अमेरिकन संघ के द्वारा 1884 में श़िकागो के राष्ट्रीय सम्मेलन में मजदूरों के लिये वैधानिक समय के रुप में आठ घंटे को घोषित किया गया और इसी को बढ़ावा देने के लिए अंतरराष्ट्रीय मजदूर संगठन द्वारा ये दिवस मनाया जाता है।

अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस के दिन विश्व भर में एक आधिकारिक अवकाश होता है। इस दिन मजदूरों की उपलब्धियों को मनाने के लिये पूरे विश्व भर में एक आधिकारिक अवकाश के रुप में वार्षिक तौर पर अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस मनाया जाता है। बड़ी पार्टी और ढ़ेर सारे कार्यक्रमों का प्रबंधन करने के द्वारा लोग मई दिवस या मजदूर दिवस को खुशी से मनाते हैं। स्वतंत्रता दिवस उत्सव की तरह वो रंगों से बैनर और झंडों को सजाते हैं। मजदूर दिवस के बारे में समाजिक जागरुकता बढ़ाने के लिये लोगों के बीच में मजदूर दिवस की बधाई कहने के साथ टीवी चैनल और रेडियो चैनल के द्वारा विभिन्न खबरों और संदेशों को फैलाया जाता है।

इस दिन को मनाने के लिये अंतरराष्ट्रीय मजदूर संगठन के द्वारा विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम सेमिनार भी आयोजित किये जाते हैं। श्रमिक दिवस पार्टी उत्सव का थीम कोई भी कार्टून चरित्र, पश्चिमी संस्कृति शो, खेल, टीवी शो, फिल्म, अवकाश क्रिया-कलाप से भरा मजाकिया क्रियाकलाप आदि होता है। दूसरे मजदूर दिवस गतिविधियों में वर्ग-पहेली, शब्द बदलकर नया शब्द बनाने वाली पहेली, शब्द खोज पहेली, कोड क्रैकर पहेली, शब्द गड्डमड्ड पहेली, शब्द मिलाना खेल पहेली आदि शामिल है। ये दिवस पूरे विश्व भर में एक ऐतिहासिक महत्व रखता है और पूरे विश्व भर में लेबर यूनियन के द्वारा मनाया जाता है। हिंसा को रोकने के लिये सुरक्षा प्रबंधन के तहत कार्यकारी समूह के द्वारा विभिन्न प्रकार के प्रदर्शन, भाषण, विद्रोह जुलूस, रैली और परेड आयोजित किये जाते हैं।

हर वर्ष 1 मई के दिन मई दिवस और अंतराष्ट्रीय मजदूर दिवस मनाया जाता है। इस मजदूर दिवस के अवसर पर पूरे विश्व भर में कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किये गये। भारत में भी इस दिन मजदूर संगठनों तथा सरकारों द्वारा विशेष तरह के कार्यक्रम आयोजित किये जाते है। अंतरराष्ट्रीय मजदूर संगठन (आईएलओ) एक एजेंसी है जो संयुक्त राष्ट्र में उपस्थित है, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मजदूर मुद्दों को देखने के लिये इसे स्थापित किया गया है। अंतरराष्ट्रीय मजदूर संघ को प्रचारित और बढ़ावा देने के लिए ये दिवस मनाया जाता है। इसके अलावा मजदूरों का आठ घंटे के कार्य दिवस की जरुरत को बढ़ावा देने के लिये साथ ही संघर्ष को खत्म करने के लिये अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस मनाया जाता है। मई दिवस के दिन विश्व भर में एक आधिकारिक अवकाश होता है।

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Labour Day 2024 , May Day : 1 मई को क्यों मनाया जाता है मजदूर दिवस, जानें इस खास दिन का इतिहास

Labour day 2024 , may day 2024 : आज 1 मई को भारत समेत दुनिया के कई देशों में अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस मनाया जा रहा है। भारत में भी कई राज्य सरकारें अपने यहां अवकाश घोषित करती हैं।.

Labour Day 2024 , May Day : 1 मई को क्यों मनाया जाता है मजदूर दिवस, जानें इस खास दिन का इतिहास

Labour Day 2024 , May Day 2024 : आज 1 मई को भारत समेत दुनिया के कई देशों में अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस मनाया जा रहा है। दुनिया के कई देशों में 1 मई के दिन राष्ट्रीय अवकाश रहता है। भारत में भी कई राज्य सरकारें अपने यहां अवकाश ( may day holiday in india  )घोषित करती हैं। भारत में मजदूर दिवस को श्रमिक दिवस (International Labour Day or May Day ),लेबर डे, मई दिवस, कामगार दिन, इंटरनेशनल वर्कर डे, वर्कर डे के नाम से भी जाना जाता है। यह दिन दुनिया के मजदूरों और श्रमिक वर्ग को समर्पित है। आज मजदूरों व श्रमिक वर्ग की उपलब्धियों को और राष्ट्र निर्माण में उनके अमूल्य योगदान को सलाम करने का दिन है। इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य मजदूरों की उपलब्धियों का सम्मान करना और उनके द्वारा किये गए योगदान को याद करना है। यह दिन मजदूरों को संगठित कर आपसी एकता मजबूत करने के लिए और उन्हें उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने के लिए भी है। यही वजह है कि बहुत सारे श्रमिक संगठन आज के दिन रैलियां निकालते हैं, सम्मेलन, सभाएं व कई तरह के कार्यक्रम करते हैं। 

इस दिन मजदूर वर्ग की विभिन्न समस्याओं व उसके समाधान पर मंथन किया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक संगठन (ILO) द्वारा इस दिन सम्मेलन का आयोजन किया जाता है। कई देशों में मजदूरों के लिए कल्याणकारी योजनाओं की घोषणाएं की जाती है। टीवी, अखबार, और रेडियो जैसे प्रसार माध्यमों द्वारा मजदूर जागृति के लिए कार्यक्रम प्रसारित किए जाते हैं।

आज के दिन को हम श्रमिकों के लंबे संघर्ष के लिए याद करते हैं, उचित व समान वेतन, सुरक्षित काम करने की स्थिति, संगठित होने व अपनी आवाज कार्यस्थलों, अदालतों और सरकार में सुने जाने के अधिकार के लिए याद करते हैं। अंतरराष्ट्रीय श्रम दिवस आज की दुनिया के निर्माण में श्रमिकों के योगदान और बलिदान को दर्शाता है। 

क्या है मई दिवस या मजदूर दिवस का इतिहास मजदूर दिवस या मई दिवस को मनाने की परंपरा 137 साल से चली आ रही है। लेकिन इसके क्या मायने हैं? दरअसल मजदूर दिवस की जड़े अमेरिका में 1886 में हुए एक श्रमिक आंदोलन से जुड़ी हैं। आज जो रोजाना काम करने के 8 घंटे निर्धारित हैं और सप्ताह में एक दिन की छुट्टी का अधिकार है, वो सब इसी आंदोलन की देन है। 1880 का दशक अमेरिका समेत विभिन्न पश्चिमी देशों में औद्योगीकरण का दौर था। इस दौरान मजदूरों से 15-15 घंटे काम लिया जाता है। सूर्योदय से सूर्यास्त तक उन्हें काम करने के लिए मजबूर किया जाता था। अमेरिका और कनाडा की ट्रेड यूनियनों के संगठन फेडरेशन ऑफ ऑर्गेनाइज्ड ट्रेड्स एंड लेबर यूनियन ने तय किया कि मजदूर 1 मई, 1886 के बाद रोजाना 8 घंटे से ज्यादा काम नहीं करेंगे। जब वो दिन आया तो अमेरिका के अलग-अलग शहरों में लाखों श्रमिक शोषण के खिलाफ हड़ताल पर चले गए। यहीं से बड़े श्रमिक आंदोलन की शुरुआत हुई। पूरे अमेरिका में श्रमिक सड़कों पर उतर आए थे। इस दौरान कुछ मजदूरों पर पुलिस ने गोली चला दी थी जिसमें कई मजदूरों की मौत हो गई और 100 से ज्यादा लोग घायल हो गए। 

इसके बाद 1889 में जब पेरिस में इंटरनेशनल सोशलिस्ट कॉन्फ्रेंस हुई तो 1 मई को मजदूरों को समर्पित करने का फैसला किया। इस तरह धीरे-धीरे पूरी दुनिया में 1 मई को मजदूर दिवस या कामगार दिवस के रूप में मनाने की शुरुआत हुई। आज अगर कामकाजी वर्ग के लिए दिन में काम के 8 घंटे तय हैं तो वह अमेरिका में हुए इसी आंदोलन की ही देन है। 

भारत में मजदूर दिवस की शुरुआत भारत में मजदूर दिवस की शुरुआत चेन्नई में 1 मई 1923 में हुई। भारत में लेबर किसान पार्टी ऑफ हिन्दुस्तान ने 1 मई 1923 को मद्रास में इसकी शुरुआत की थी। यही वह मौका था जब पहली बार लाल रंग झंडा मजदूर दिवस के प्रतीक के तौर पर इस्तेमाल किया गया था। यह भारत में मजदूर आंदोलन की एक शुरुआत थी जिसका नेतृत्व वामपंथी व सोशलिस्ट पार्टियां कर रही थीं। दुनियाभर में मजदूर संगठित होकर अपने साथ हो रहे अत्याचारों व शोषण के खिलाफ आवाज उठा रहे थे।

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May Day march in New York City

Why is May Day celebrated?

  • What was the Haymarket Affair?
  • How did the Haymarket Affair affect the labour movement?
  • Who was involved in the Haymarket Affair?
  • Why was the Haymarket Affair important?

A scary old jack-o-lantern on black. Halloween pumpkin, trick or treat. Halloween holiday

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May Day march in New York City

May Day, also called Workers’ Day or International Workers’ Day, is the day that commemorates the struggles and gains made by workers and the labour movement. It is observed in many countries on May 1. In the United States and Canada, a similar observance, known as Labor Day, occurs on the first Monday of September.

What event does May Day commemorate?

In 1889, May 1 was designated May Day, a day in support of workers, by an international federation of socialist groups and trade unions in commemoration of the Haymarket Affair, a violent confrontation that took place on May 4, 1886, in Chicago, Illinois.

May Day , day commemorating the historic struggles and gains made by workers and the labour movement , observed in many countries on May 1. In the United States and Canada a similar observance, known as Labor Day , occurs on the first Monday of September.

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In 1889 an international federation of socialist groups and trade unions designated May 1 as a day in support of workers, in commemoration of the Haymarket Riot in Chicago (1886). Five years later, U.S. Pres. Grover Cleveland , uneasy with the socialist origins of Workers’ Day, signed legislation to make Labor Day—already held in some states on the first Monday of September—the official U.S. holiday in honour of workers. Canada followed suit not long afterward.

How did Labor Day become a national holiday?

In Europe May 1 was historically associated with rural pagan festivals ( see May Day ), but the original meaning of the day was gradually replaced by the modern association with the labour movement. In the Soviet Union , leaders embraced the new holiday, believing it would encourage workers in Europe and the United States to unite against capitalism . The day became a significant holiday in the Soviet Union and in the Eastern-bloc countries, with high-profile parades, including one in Moscow’s Red Square presided over by top government and Communist Party functionaries, celebrating the worker and showcasing Soviet military might. In Germany Labour Day became an official holiday in 1933 after the rise of the Nazi Party . Ironically, Germany abolished free unions the day after establishing the holiday, virtually destroying the German labour movement.

With the breakup of the Soviet Union and the fall of communist governments in eastern Europe in the late 20th century, large-scale May Day celebrations in that region declined in importance. In dozens of countries around the world, however, May Day has been recognized as a public holiday, and it continues to be celebrated with picnics and parties while serving as the occasion for demonstrations and rallies in support of workers.

हिन्दी दिवस पर निबंध Essay on Hindi Diwas in Hindi

Table of Content

इस लेख में हिन्दी दिवस पर निबंध (Essay on Hindi Diwas in Hindi) लिखा गया है। इसमें हिन्दी दिवस या हिन्दी पखवाड़ा क्या है, हिन्दी दिवस का महत्व, हिन्दी दिवस कब मनाया जाता है, इसका इतिहास और हिन्दी दिवस समारोह के बारे में विस्तार से बताया गया है।

हिन्दी दिवस या हिन्दी पखवाड़ा क्या है? What is Hindi Diwas or Hindi Pakhwada?

विविधताओं से समृद्ध हमारे भारत देश को एक अन्य चीज भी अनोखा बनाती है, जो है यहां पर बोलचाल की भाषाएं। दुनिया की सबसे प्राचीन माने जाने वाली भाषाओं में से एक संस्कृत के पश्चात भारत में हिंदी एक प्रसिद्ध भाषा है। गौरतलब है कि हिंदी दिवस को हिंदी पखवाड़ा भी कहा जाता है।

जिसके अगले ही साल 26 जनवरी 1950 में भारतीय संविधान को लागू किया गया। क्योंकि हिंदी हमारी मातृभाषा है, इसलिए हिंदी दिवस के दिन सभी भारतीय इसे एक उत्सव के रूप में मनाते हैं। हिंदी पखवाड़ा या हिंदी दिवस सभी मातृभाषा प्रेमियों के लिए बड़ा ही खास दिन होता है।

हिन्दी दिवस का महत्व Importance of Hindi Diwas in Hindi

‘भाषा’ यह शब्द सुनने में भले ही साधारण सा लगे, लेकिन यह सच है की बिना भाषा के कभी भी विकास की कल्पना नहीं की जा सकती है। दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाले हमारे देश में सबसे अधिक बोले जाने वाली भाषा हिंदी को बोलने में आज कई लोगों को शर्म आती है। 

हिंदी दिवस आज मनाया जाना बहुत ही जरूरी है। लोगों को कभी भी अपनी मातृभाषा को बोलने में शर्म नहीं करना चाहिए। हिंदी दिवस को अब तक राजभाषा तो घोषित किया गया है, लेकिन अभी भी राष्ट्रभाषा का दर्जा इसे नहीं मिला है। तथाकथित वेस्टर्न कल्चर को अपनाने वाले और हमारी भाषा और संस्कृति को पीछे छोड़ने वाले लोगों के मुंह पर हिंदी दिवस एक तमाचा है।

यह सभी भारत वासियों के लिए एक गर्व की बात है कि भारत में दौरे पर आने वाले बड़े-बड़े विदेशी राजनेता भी संबोधन के प्रारंभ में कुछ शब्द हिंदी में बोलते हैं, उसके बाद अपनी भाषा में भारतवासियों को संबोधित करते हैं। 

यह बेहद अच्छी तथा आश्चर्य की बात है, कि बढ़ते समय के साथ ही हिंदी भाषा सुनने और बोलने वाले लोगों की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई है। अर्थात लोगों को अब अपनी मातृभाषा की कदर हो गई हैं। भारतीयों के अलावा विदेशियों को भी अब हिंदी भाषा को सीखना बड़ा ही दिलचस्प लगता है।

हिन्दी दिवस कब मनाया जाता है? When is Hindi Diwas Celebrated?

हिन्दी दिवस का इतिहास history of hindi day.

हिंदी भाषा की बात करें तो इसका इतिहास बेहद पुराना है। वैदिक काल में संस्कृत के बाद हिंदी भाषा का प्रचलन हुआ था। लगभग 12वीं शताब्दी के आसपास इसकी लोकप्रियता बेहद बढ़ गई थी। 

हिंदी साहित्य सम्मेलन में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने खुद 1918 में हिंदी को जनमानस की भाषा कहकर संबोधित किया था। गांधी जी ने यह भी कहा था की हिंदी को राजभाषा बनाना चाहिए। 

इसके अलावा वर्ष 1977 में पहली बार भारतीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई जी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में खड़े होकर हिंदी भाषा में सभी को संबोधित किया था।

हिंदी भाषा के वक्ताओं द्वारा चारों तरफ इसका प्रचार करने और हिंदी भाषा के उत्थान के उद्देश्य से 14 सितंबर से 21 सितंबर तक हिंदी दिवस के मौके पर हिंदी सप्ताह अथवा राजभाषा सप्ताह का आयोजन होता है।

हिन्दी दिवस समारोह Hindi Diwas Celebration

हिंदी भाषा के प्रति सम्मान प्रकट करते हुए हिंदी दिवस के दिन तमाम प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इसके अलावा हिंदी भाषा को बोलने के लिए प्रोत्साहन भी दिया जाता है। 

मातृभाषा के प्रचार प्रसार के लिए यह एक बड़ा अनोखा दिन होता है। विशेषकर हमारी नई पीढ़ी को हिंदी भाषा के प्राचीन इतिहास और महत्व को उनकी स्मृति में संजोए रखने के लिए हिंदी दिवस का कार्यक्रम आयोजित किया जाता है।

लगभग सभी स्कूल और कॉलेजों में भाषा के महत्व का प्रदर्शन करते हुए हिंदी दिवस का कार्यक्रम आयोजित किया जाता है, जिसमें अपनी मातृभाषा पर कविताएं, शायरियां, भाषण प्रतियोगिता, निबंध लेखन, पाठक प्रतियोगिता इत्यादि आयोजित होता है। इसके अलावा तमाम सरकारी संस्थानों जैसे कि बैंक, दफ्तर इत्यादि में हिंदी भाषा के प्रयोग पर जोर दिया जाता है।

इसी पूरे सप्ताह में हिंदी भाषा के प्रति कुछ अनोखा करने वाले लोगों को पुरस्कारों से भी सम्मानित किया जाता है। ‘राष्ट्रभाषा गौरव पुरस्कार’ तथा ‘राष्ट्रभाषा कीर्ति पुरस्कार’ जैसे सम्मानो को समितियों द्वारा वितरित किया जाता है।

हिंदी दिवस का दिन बहुत महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि इस दिन लोगों को अपने मूल भाषा के प्रति सम्मान को प्रदर्शित करने का अवसर मिलता है। वास्तव में हिंदी अथवा कोई भी भाषा सीधे लोगों की भावनाओं से जुड़ी होती हैं। 

निष्कर्ष Conclusion

इस लेख में आपने हिन्दी दिवस पर निबंध (Hindi Diwas Essay) पढ़ा। आशा है यह लेख आपको जानकारी से भरपूर लगा होगा। अगर यह लेख आपको अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें।

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विश्व आदिवासी दिवस: विश्व के स्वदेशी लोगों का अंतरराष्ट्रीय दिवस क्यों मनाया जाता है?

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  • Updated on  
  • अगस्त 2, 2024

विश्व आदिवासी दिवस

हर साल 9 अगस्त के दिन विश्व आदिवासी दिवस मनाया जाता है। यह दिवस पूरी तरह से विश्व को आदिवासियों को समर्पित हैं। इस अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम के माध्यम से दुनियाभर में आदिवासी जनता और उनके योगदान का जश्न मनाया जाता है। इस दिन आदिवासी समुदाय के अधिकारों की सुरक्षा पर भी ध्यान आकर्षित किया जाता है। इस ब्लॉग को अंत तक पढ़ें और जानिए विश्व आदिवासी दिवस (World Tribal Day) के विषय में विस्तार से। 

This Blog Includes:

विश्व आदिवासी दिवस कब मनाया जाता है, 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस क्यों मनाया जाता है, विश्व आदिवासी दिवस कब से मनाया जाता है, विश्व के स्वदेशी लोगों का अंतर्राष्ट्रीय दिवस का इतिहास , भारत के सबसे पुराने आदिवासी कौन, क्या है साल 2024 की थीम, मूलनिवासी लोग कौन हैं, विश्व आदिवासी दिवस : कुछ रोचक तथ्य .

विश्व आदिवासी दिवस (World Tribal Day) 9 अगस्त के दिन मनाया जाता है। विश्व के आदिवासी लोगों का अंतर्राष्ट्रीय दिवस आदिवासी आबादी के अधिकारों को बढ़ावा देने और उनकी सुरक्षा के लिए प्रतिवर्ष 9 अगस्त को मनाया जाता है। इसे वर्ल्ड इंडिजिनस डे यानि विश्व के स्वदेशी लोगों का अंतर्राष्ट्रीय दिवस (International Day of the World’s Indigenous Peoples)  के नाम से भी जाना जाता है। 

स्वदेशी और जनजातीय लोगों को अक्सर राष्ट्रीय शब्दों से जाना जाता है जैसे मूल लोग, आदिवासी लोग, प्रथम राष्ट्र, आदिवासी, जनजाति, शिकारी-संग्रहकर्ता या पहाड़ी जनजातियाँ। विश्व के 90 से अधिक देशों में आदिवासी समुदाय के लोग रहते हैं। दुनिया में आदिवासी समुदाय की आबादी लगभग 37 करोड़ है, जिसमें लगभग 5000 अलग-अलग आदिवासी समुदाय हैं और उनकी लगभग 7 हजार भाषाएँ हैं। इसके बावजूद आदिवासियों को अपने अस्तित्व, संस्कृति और सम्मान को बचाने के लिए संघर्ष करना पड़ता है। 

संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा 9 अगस्त 1982 को आदिवासियों के हित में एक विशेष बैठक आयोजित की गई थी। तब से जागरूकता बढ़ाने और दुनिया की स्वदेशी आबादी के अधिकारों की रक्षा के लिए प्रत्येक वर्ष 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस World Tribal Day मनाया जाता है।

विश्व आदिवासी दिवस

विश्व आदिवासी दिवस पुरे विश्व में इस दिन इस दिवस को मनाने के लिए सबसे पहली बार शुरुआत सयुंक्त राज्य अमेरिका में 1994 में मनाया गया था। पुरे विश्व में 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस यानी World tribal day मनाया जाता हैं।

विश्व आदिवासी दिवस

अब सवाल आता है कि यह दिवस मनाने की शुरुआत कैसे हुई? विश्व आदिवासी दिवस कब से मनाया जाता है? यह दिवस सबसे पहली बार सयुंक्त राज्य अमेरिका में 1994 में मनाया गया था। 

आज पूरे विश्व में नस्लवाद, रंगभेद, उदारीकरण जैसे कई कारणों से आदिवासी समुदाय के लोग अपने अस्तित्व और सम्मान को बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। झारखंड की कुल आबादी का करीब 28 फीसदी हिस्सा आदिवासी समाज के लोग हैं. इनमें संथाल, बंजारा, बिहोर, चेरो, गोंड, हो, खोंड, लोहरा, माई पहाड़िया, मुंडा, ओरांव आदि बत्तीस से अधिक आदिवासी समूहों के लोग शामिल हैं।

यही कारण है कि जनजातीय समाज के उत्थान और उनकी संस्कृति और सम्मान को बचाने के साथ-साथ जनजातीय जनजातियों को बढ़ावा देने और प्रोत्साहित करने के लिए हर साल 9 अगस्त को अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी दिवस के रूप में मनाया जाता है।

यह दिन 1982 में जिनेवा में स्वदेशी आबादी पर संयुक्त राष्ट्र कार्य समूह की पहली बैठक को मान्यता देने के लिए मनाया जाता है। 23 दिसंबर, 1994 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 9 अगस्त को विश्व के स्वदेशी लोगों के अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया। चूँकि यह विश्व के मूल निवासियों का अंतर्राष्ट्रीय दशक दिवस है। विश्व के स्वदेशी लोगों का दूसरा अंतर्राष्ट्रीय दशक 2004 में विधानसभा द्वारा घोषित किया गया था और यह निर्णय लिया गया था कि विश्व के स्वदेशी लोगों का वार्षिक अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाया जाता रहेगा। दशक का लक्ष्य मुख्य रूप से संस्कृति, शिक्षा, स्वास्थ्य, मानवाधिकार और पर्यावरण, सामाजिक और आर्थिक विकास जैसे क्षेत्रों में स्वदेशी लोगों द्वारा सामना की जाने वाली समस्याओं को हल करने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहयोग को मजबूत करना था।

मानवाधिकार आयोग ने अप्रैल 2000 में स्वदेशी मुद्दों पर स्थायी संयुक्त राष्ट्र फोरम की स्थापना के लिए एक प्रस्ताव अपनाया, जिसे आर्थिक और सामाजिक परिषद द्वारा प्रदर्शित किया गया था। मंच मुख्य रूप से संस्कृति, आर्थिक और सामाजिक विकास, शिक्षा, पर्यावरण, स्वास्थ्य, मानवाधिकार आदि से संबंधित मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना और चर्चा करना चाहता है।

वैज्ञानिकों के द्वारा किए गए अध्ययन और अनुसंधान के आधार पर ऐसा कहा जाता है कि भारत में मानवता की शुरुआत दक्षिण भारत से हुई थी। भारत में जीवन का विकास सर्वप्रथम भारतीय दक्षिण प्रायद्वीप में नर्मदा के तट पर हुआ था जो नवीनतम शोधानुसार विश्व की सर्वप्रथम नदी मानी गई है। यहाँ से डायनोसौर के अंडे और जीवाश्म भी मिले हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार गोंडवाना लैंड भू भाग के अलग हो जाने के बाद अमेरिका, अफ्रीका, अंटार्कटिका, ऑस्ट्रेलिया एवं भारतीय प्रायद्वीप में विखंडन के पश्चात् यहां के निवासी अपने अपने क्षेत्र में बंट गए। कहा जाता है कि गोंड जनजाति के लोग गोंडवाना लैंड से आए थे और इनका यह नाम भी गोंडवाना लैंड से ही आया है। इस कारण से गोंड जनजाति के लोग भारत के सबसे पुराने आदिवासी माने जाते हैं। 

हर साल वर्ल्ड अर्थ डे को एक थीम के साथ मनाया जाता है। साल 2024 में इसकी थीम है- ‘प्लेनेट वर्सेज प्लास्टिक’ इस थीम का उद्देश्य सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग को समाप्त करना और उसके ऑप्शन्स की तलाश पर जोर देना है।

मूलनिवासी शब्द उन विशिष्ट लोगों के लिए एक सामान्य शब्द है, जिन्हें ऐतिहासिक प्रक्रियाओं के माध्यम से हाशिए पर धकेल दिया गया है और अपने स्वयं के विकास को नियंत्रित करने के अधिकार से वंचित कर दिया गया है। स्वदेशी लोगों के लिए, स्वदेशी पहचान का दावा करने और दावा करने में आत्म-पहचान मूल सिद्धांत है। स्वदेशी लोग अपने इतिहास, राज्य के साथ संबंध, मान्यता के स्तर और अन्य प्रासंगिक कारकों के आधार पर विभेदित संगठनात्मक प्रतिनिधित्व का एक विशाल स्पेक्ट्रम प्रस्तुत करते हैं। 

World Tribal Day

World Tribal Day के अवसर पर आइये जानते हैं मूलनिवासियों से जुड़े कुछ रोचक तथ्य –

  • 90 देशों में 370 मिलियन से अधिक स्वदेशी लोग फैले हुए हैं। 
  • मणिपुर और मिजोरम में पाई जाने वाली बनी मेनाशे जनजाति, इज़राइल की खोई हुई जनजातियों के वंशज हैं ।
  • भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक स्वतंत्रता सेनानी बिरसा मुंडा, मुंडा जनजाति से थे जो मुख्य रूप से झारखंड में पाई जाती है। 
  • जनजातीय लोगों का जानवरों के साथ अनोखा रिश्ता होता है। मध्य अफ़्रीका के बाका लोगों के पास जानवर की उम्र, लिंग और स्वभाव के आधार पर “हाथी” के लिए 15 से अधिक अलग-अलग शब्द हैं, और उनका मानना ​​है कि उनके पूर्वज जानवरों के साथ जंगल में चलते हैं ।
  • इंडोनेशिया की ओरंग रिम्बा जनजाति में जब किसी बच्चे का जन्म होता है तो उसकी गर्भनाल को सेंटुबुंग पेड़ के नीचे लगाया जाता है। बच्चे का जीवन भर उस पेड़ के साथ एक पवित्र बंधन होता है, और ओरंग रिम्बा के लिए, “जन्म वृक्ष” को काटना हत्या के बराबर है।
  • विश्व की लगभग 22% भूमि पर स्वदेशी लोग रहते हैं और अनुमान है कि ग्रह की 80% जैव विविधता उनके पास है।

यह 9 अगस्त के दिन मनाया जाता है। 

2023 में यह 9 अगस्त 2023 को है। 

इसकी शुरुआत 1994 से हुई। 

मानवाधिकारों पर विश्व सम्मेलन की एक सिफारिश के बाद, महासभा ने विश्व के स्वदेशी लोगों के अंतर्राष्ट्रीय दशक (1995-2004) की घोषणा की।

अभी हमने जाना विश्व आदिवासी दिवस के बारे में। इसी तरह के अन्य ट्रेंडिंग इवेंट्स ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बनें रहें।

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विशाखा सिंह

A voracious reader with degrees in literature and journalism. Always learning something new and adopting the personalities of the protagonist of the recently watched movies.

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हिंदी दिवस पर निबंध और जानकारी | Hindi Diwas essay

Hindi Diwas essay

हमारे भारत देश में हर साल हिंदी दिवस –  Hindi Diwas 14 सितम्बर को ही मनाया जाता है, हिंदी भाषा के इतिहासिक पलो को याद कर लोग इस दिवस को मनाते है। 14 सितम्बर 1949 को ही हिंदी को देवनागरी लिपि में भारत की कार्यकारी और राजभाषा का दर्जा अधिकारिक रूप से दिया गया था और तभी से देश में 14 सितम्बर का दिन हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसी दिनविशेष पर आपके लिए हिंदी भाषा पर निबंध /  Hindi Diwas essay और जानकारी:

Hindi Diwas Essay

हिंदी दिवस का महत्व और निबंध – Hindi Diwas essay in Hindi

हिं दी दिवस – Hindi Diwas भारत में स्कूल, कॉलेज, ऑफिस, संस्थाओ कार्यालयों के अधिकारी, प्राइवेट ऑफिस के अधिकारी और शैक्षणिक संस्थाए बड़ी धूम-धाम से मनाती है। जिसमे विविध कार्यक्रमों का आयोजन और हिंदी से संबंधित स्पर्धाओ का आयोजन किया जाता है, जैसे की हिंदी कविताये, कहानी लेखन, Hindi Diwas Essay / निबंध लेखन, हिंदी भाषा के महत्त्व, उपयोग और कुछ रोचक तथ्यों के बारे में लोगो को बताया जाता है।

भारत में ज्यादातर लोग बातचीत करते समय हिंदी भाषा को ही प्राधान्य देते है, बचपन से ही हमें अपने घरो में हिंदी भाषा का ज्ञान दिया जाता है। हिंदी दुनिया में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा में से एक है। हिंदी भाषा कई दुसरे देशो में भी बोली जाती है जैसे की पकिस्तान, नेपाल, मॉरिशस, बंगलादेश, सूरीनाम, इत्यादि। हिंदी एक ऐसी भाषा है जिसका उपयोग करोड़ों लोग अपनी मातृभाषा के रूप में करते है।

हिंदी दिवस – Hindi Diwas पर भारत के राष्ट्रपति द्वारा विविध अवार्ड और पुरस्कार भी दिये जाते है, नयी दिल्ली के विज्ञान भवन में हिंदी के क्षेत्र में अमूल्य कामगिरी करने वाले लोगो को यह पुरस्कार दिये जाते है।

इसके साथ ही कई डिपार्टमेंट, मिनिस्ट्री और राष्ट्रीयकृत बैंको को भी राजभाषा अवार्ड दिया जाता है। हिन्दी दिवस पर दिये जाने वाले दो अवार्ड का नाम गृह मंत्रालय द्वारा 25 मार्च 2015 को बदला गया था।

जिसमे राजीव गांधी राष्ट्रिय ज्ञान-विज्ञान मौलिक पुस्तक लेखन पुरस्कार को बदलकर राजभाषा गौरव पुरस्कार और इंदिरा गांधी राजभाषा पुरस्कार को बदलकर राजभाषा कीर्ति पुरस्कार रखा गया था।

हिंदी हमारी – Hindi Diwas राजभाषा है और हमें उसका सम्मान करना चाहिये। ऐसा लगता है की आज आर्थिक और तकनिकी विकास के साथ-साथ हिंदी भाषा अपने महत्त्व को खोती चली जा रही है। देखने में आता है की आज हर कोई सफलता पाने के लिये इंग्लिश भाषा को सीखना और बोलना चाहता है, क्योकि हम देखते है की आज हर जगह इंग्लिश भाषा की ही मांग शुरू है। ये सच है लेकिन हमें अपनी मातृभाषा और राजभाषा को कभी नही भूलना चाहिये।

भले ही आज इंग्लिश भाषा का ज्ञान होना जरुरी है लेकिन सफलता पाने के लिये हमें अपनी राजभाषा को कभी नही भूलना चाहिये। क्योकि हमारे देश की भाषा और हमारी संस्कृति हमारे लिये बहुत मायने रखती है।

किसी भी आर्थिक रूप से प्रगत देश की राजभाषा वहाँ के लोगो के साथ-साथ हमेशा तेज़ी से बढती जाती है क्योकि वे लोग जानते है की किसी भी बाहरी देश में उनकी राजभाषा और संस्कृति ही उनकी पहचान बनने वाली है। उसी तरह से हम भारतीयों को भी हमारी राजभाषा को महत्त्व देना चाहिये। क्योकि हिंदी भाषा ही हमारे महान प्राचीन इतिहास को उजागर करती है और वही हमारी पहचान है।

देश में हर साल हिंदी दिवस मनाने की बहुत जरुरत है, यह जरुरी है की हम अपनी राजभाषा को सम्मान दे और हमारी अगली पीढ़ी भी विदेशी भाषा की बजाये हमारी राजभाषा को जाने।

हिंदी दिवस केवल इसलिए नही मनाया जाता की वह हमारी राजभाषा है बल्कि इसलिए भी मनाया जाता है क्योकि सदियों से हिंदी ही हमारी भाषा रही है और हमें हमारी राजभाषा का सम्मान करना चाहिये और हमें अपनी राजभाषा पर गर्व होना चाहिये।

दुसरे देशो में भी हिंदी भाषा बोलते समय हमें शर्मिंदगी महसूस नही होनी चाहिये बल्कि हिंदी बोलते समय हमें गर्व होना चाहिये।

आज-कल हम देखते है की भारतीय लोग हिंदी की बजाये इंग्लिश को ज्यादा महत्त्व देने लगे है क्योकि अभी कार्यालयीन जगहों पर इंग्लिश भाषा का महत्त्व बढ़ चूका है। ऐसे समय में साल में एक दिन हिंदी दिवस मनाना लोगो में हिंदी भाषा के प्रति गर्व को जागृत करता है और लोगो को याद दिलाता है की हिंदी ही हमारी राष्ट्रभाषा है।

Hindi Diwas देश की धरोहर होती है, जिस तरह हम तिरंगे को सम्मान देते है उसी तरह हमें हमारी राजभाषा को भी सम्मान देना चाहिये। हम खुद जबतक इस बात को स्वीकार नही करते तबतक हम दूसरो को इस बात पर भरोसा नही दिला सकते।

हिंदी हमारे भारत देश की मातृभाषा है। हमें गर्व होना चाहिये की हम हिंदी भाषी है । हमारे देश की राजभाषा का सम्मान करना हम नागरिको का परम कर्तव्य है। हम सब की धार्मिक विभिन्नताओ के बीच एक हमारी राजभाषा ही है जो एकता का आधार बनती है।

हिंदी दिवस एक ऐसा अवसर है जहाँ हम भारतीयों के दिलो में हिंदी भाषा के महत्त्व को पंहुचा सकते है और उन्हें हिंदी भाषा के महत्त्व को बता सकते है। इस समारोह से भारतीय युवाओ के दिलो-दिमाग में हिंदी भाषा का प्रभाव पड़ेंगा और वे भी बोलते समय हिंदी भाषा का उपयोग करने लगेंगे।

हमें बड़े गर्व ओर उत्साह के साथ हर साल हिन्दी दिवस मनाना चाहिये और स्कूल, कॉलेज, सोसाइटी और कार्यालयों में होने वाली विविध गतिविधियों में हिस्सा लेना चाहिये। ताकि हम लोगो में हिंदी भाषा के प्रति प्रेम को उजागर कर सके और हिंदी के महत्त्व को बता सके।

हिन्दी दिवस पर निबंध २ | Hindi Diwas essay 2

हमारे देश में हर साल 14 सितंबर को हिन्दी दिवस मनाया जाता है। आज की युवा पीढ़ी को हिन्दी भाषा के महत्व को समझाने और इसके प्रति जागरूक करने के लिए इस मौके पर कई तरह के कार्यक्रम का भी आयोजन किया जाता है।

जिसमें निबंध-लेखन प्रतियोगिता आदि भी आयोजित करवाई जाती हैं, इसलिए आज हम आपको अपने इस लेख में हिन्दी दिवस पर निबंध उपलब्ध करवा रहे हैं, जिसका इस्तेमाल आप अपनी जरूरत के मुताबिक कर सकते हैं, आइए जानते हैं हिन्दी दिवस पर निबंध –

हिन्दी दिवस पर निबंध 2

हिन्दी भाषा, हम सभी हिन्दुस्तानियों की पहचान है और हमारे देश की राष्ट्रभाषा है। हिन्दी एक बेहद सरल और सुगम भाषा है, जिसके माध्यम मे आसानी से संवाद किया जा सकता है। इसलिए इस भाषा को जनमानस की भाषा भी कहा जाता है वहीं यह हमारी राष्ट्रीय एकता की प्रतीक भी मानी जाती है।

हिन्दी, दुनिया की सबसे समृद्ध, प्राचीन, और सरल भाषा है साथ ही दुनिया की प्रमुख भाषाओं में से एक है। हिन्दी, हमारी भारतीय संस्कारों और संसकृति का अनूठा प्रतिबिंब है। इसके साथ ही हम सभी हिन्दुस्तानियों के सम्मान और स्वाभिमान की भाषा है, जिसने विश्व में भारतीयों को एक नई पहचान दिलवाई है।

वहीं इस भाषा के महत्व को आज की युवा पीढ़ी को बताने के लिए हर साल 14 सितंबर को हिन्दी दिवस के तौर पर मनाया जाता है ।

हिन्दी दिवस कब मनाया जाता है ?

हमारे देश में 14 सितंबर को हर साल हिन्दी दिवस के रुप में मनाया जाता है। इस दिन साल 1949 में हिन्दी भाषा को राष्ट्रभाषा का दर्जा मिला था, इसलिए तब से लेकर आज तक इस दिन को हिन्दी दिवस के रुप में मनाया जा रहा  है।

हिन्दी के महत्व को समझने के लिए और इस भाषा के प्रति सम्मान व्यक्त करने के लिए इस दिवस को बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।

हिन्दी की सहजता और सुगमता के चलते इसे राष्ट्रभाषा का दर्जा दिया गया है, क्योंकि न सिर्फ यह आसानी से समझ में आ जाती है बल्कि, इसके माध्यम से कोई भी व्यक्ति अपनी भावनाओं को आसानी से व्यक्त कर सकता है। हिन्दी एक ऐसी भाषा है, जो कि सभी भाषाओं का समावेश है, अर्थात यह भाषा अन्य भाषाओं को अपने साथ लेकर चलती है साथ ही लोगों को आपस में जोड़ने का काम भी करती है।

इस भाषा से भारतीयों का अलग तरह का जुड़ाव है, यह भाषा भारत की राष्ट्रीय एकता की प्रतीक भी मानी जाती है। हिन्दी भाषा सभी भारतीयों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, इसलिए देश के हर स्कूल, कॉलेज में हिन्दी भाषा अनिवार्य रुप से पढ़ाई जाती है।

हिन्दी दिवस क्यों मनाया जाता है ?

हिन्दी हमारे देश की राष्ट्रीय भाषा है, इस भाषा के प्रति सम्मान प्रकट करने एवं लोगों को हिन्दी के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से हर साल 14 सितंबर को हिन्दी दिवस मनाया जाता है ।

आपको बता दें कि  इस दिन साल 1949 में हिन्दी भाषा को राषभाषा का दर्जा मिला था,  इस दिन भारत की संवैधानिक सभा में राष्ट्रीय भाषा हिन्दी को देवनागिरी लिपि में लिखा गया था और यह निर्णय लिया गया था कि हिन्दी की खड़ी भाषा ही देश की राजभाषा होगी।

14 सितंबर के दिन ही हिन्दी को अंग्रेजी के साथ भारतीय गणराज्य की अधिकारिक भाषा के तौर पर स्वीकार किया गया था, तब से लेकर आज तक इस दिन को हिन्दी दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।

दरअसल, 15 अगस्त, 1947 को जब हमारा भारत देश अंग्रेजों की गुलामी से आजाद हुआ, उस दौरान हमारे विविधताओं वाले देश भारत में अलग-अलग तरह की भाषाएं बोली जाती थीं। ऐसे में देश की राष्ट्रभाषा चुनना उस वक्त का सबसे गंभीर और अहम मुद्दों में से एक था।

इसके बाद काफी विचार विमर्श करने के बाद हिन्दी और अंग्रेजी को नई राष्ट्र भाषा के रुप में चुना गया। इसके साथ ही भारतीय गणराज्य की संवैधानिक सभा में देवनागिरी लिपी में लिखी गई हिन्दी को राष्ट्र की अधिकारिक भाषा के तौर पर स्वीकार किया गया था ।

वहीं 14 सितंबर को हिन्दी को राजभाषा का दर्जा मिलने के कारण इसके महत्व को समझते हुए सर्वप्रथम देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू जी ने इसे हिन्दी दिवस के रुप में मनाने की इच्छा जताई थी, जिसके बाद से 14 सितंबर को हिन्दी दिवस के रुप में हमारे देश में सम्मानजनक रुप से मनाया जाता है। आपको बता दें कि सबसे पहले हिन्दी दिवस 14 सितंबर, 1953 में मनाया गया था।

भारतीय संविधान में अनुच्छेद 343 के तहत हिन्दी भाषा को अधिकारिक भाषा के रुप में स्वीकार किया गया था, जिसके बाद से हिन्दी, अपनी सहजता और सरलता के कारण जनमानस की प्रमुख भाषा बन गई और इसकी उपयोगिता एवं महत्व बढ़ता चलता गया। वहीं देश के करीब 75 फीसदी लोग हिन्दी लिखते, पढ़ते, बोलते और समझते हैं। वहीं हिन्दी भाषा उनके कामकाज की भी प्रमुख भाषा है।

वहीं अब हिन्दी भाषा न सिर्फ हम सभी हिन्दुस्तानियों की पहचान है, बल्कि हमारे देश का मानऔर अभिमान भी है। सभी भारतीय गर्व के साथ इस भाषा को बोलते हैं।

हिन्दी दिवस कैसे मनाया जाता ?

हमारे देश में 14 सितंबर को हर साल हिन्दी दिवस के रुप में बेहद हर्षोल्लास और धूमधाम से मनाया जाता है । इस मौके पर सरकारी कार्यालयों, स्कूल, कॉलेजों आदि में हिन्दी भाषा के प्रति लोगों को जागरूक करने को लेकर कई तरह के कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है।

इसके साथ ही इस मौके पर अपनी राष्ट्र भाषा के महत्व को बताया जाता है । हिन्दी दिवस के मौके पर हिन्दी निबंध कविता, कहानी, लेखन, समेत तमाम तरह की प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया जाता है, ताकि आज की युवा पीढ़ी हिन्दी के महत्व को समझ सके और अपनी राष्ट्रभाषा का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करे। इसके साथ ही हिन्दी दिवस के दिन भारत के राष्ट्रपति के द्धारा, हिन्दी के क्षेत्र में उत्कृष्ट काम करने वाले महान निबंधकार, साहित्यकार, लेखक आदि को पुरस्कृत भी किया जाता है।

अंग्रेजी की बढ़ती जरूरत के चलते आज की युवा पीढ़ी हिन्दी को अपनी राष्ट्रभाषा की तरह तवज्जों नहीं दे पा रहे हैं । इसके साथ ही आज की युवा पीढ़ी अंग्रेजी भाषा को अपना स्टेटस सिंबल मानने लगी हैं, एवं हिन्दी बोलना अपना अपमान समझने लगी है।

किसी संस्थान, बड़ी कंपनी, होटल, अंग्रेजी मीडियम स्कूलों में हिन्दी बिल्कुल नामात्र के लिए बोली जा रही है, जिसके चलते लोगों का ध्यान हिन्दी से हटता जा रहा है। लेकिन हम सभी भारतीयों का दायित्व है कि हम सभी अपनी राष्ट्रभाषा का सम्मान करें और इसे बोलने में हिचकिचाएं नहीं बल्कि गर्व महसूस करें।

हिन्दी दिवस पर निबंध ३ | Hindi Diwas essay 3

हमारे देश में हर साल हिन्दी भाषा के महत्व के प्रति लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से 14 सितंबर को हिन्दी दिवस के रुप में मनाया जाता है। हिन्दी भाषा, भारतीय संस्कृति एवं संस्कारों को प्रदर्शित करती है, इसके साथ ही यह हर हिन्दुस्तानी की दिल की धड़कन है।

यह भाषा हमारे देश की राष्ट्रीय एकता का भी प्रतीक मानी जाती है, क्योंकि हमारे देश में कई अलग-अलग पंथ, जाति और लिंग के लोग रहते हैं, जिनके खान-पान, पहनावा, रहन-सहन, एवं बोली आदि में काफी अंतर है, लेकिन फिर भी ज्यादातर लोगों द्धारा देश में हिन्दी भाषा की बोली जाती है।

इस तरह हिन्दी भाषा हम सभी हिन्दुस्तानियों को एक-दूसरे से जोड़ने का काम करती है। हिन्दी साहित्य, विश्व के सबसे समृद्ध और प्राचीन साहित्यों में से एक है। वहीं हिन्दी भाषा की गरिमा और इसके महत्व को बड़े-बड़े साहित्यकारों ने कविताओं एवं अपनी रचनाओं आदि के माध्यम से बताया है। इस भाषा के प्रति सम्मान व्यक्त करने के लिए हर साल हिन्दी दिवस मनाया जाता है।

हिन्दी दिवस की शुरुआत

14 सितंबर, 1949 को हिन्दी भाषा को देश की राजभाषा का दर्जा दिया गया था। इस दिन भारत की संविधान सभा में देवनागिरी लिपि में लिखी गई हिन्दी भाषा को अधिकारिक भाषा के तौर पर स्वीकार किया गया था,

इसलिए तब से लेकर आज तक हमारे देश भारत में इस दिन को हिन्दी दिवस के रुप में मनाया जाने लगा है। हिन्दी दिवस को पूरे देश में काफी धूमधाम से मनाया जाता है । इस दिन लोग अपनी मातृभाषा के प्रति प्यार और सम्मान को दर्शाते हुए इसे हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं एवं अपनी राष्ट्रभाषा के महत्व को समझते हैं ।

हिन्दी दिवस मनाने के मुख्य उद्देश्य

  • हिन्दी के प्रति लोगों में जागरूकता पैदा करना।
  • अपनी राष्ट्रभाषा के प्रति सम्मान की भावना पैदा करना।
  • आज की युवा पीढ़ी को हिन्दी के महत्व को समझाना।
  • अपनी मातृभाषा की रक्षा और उसका विकास करना।
  • हिन्दी की तरफ लोगों का ध्यान आर्कषित करना।
  • हिन्दी भाषा को उचित दर्जा दिलवाना।

  हिन्दुस्तान की शान है हिन्दी

हिन्दी, हम सभी हिन्दुस्तानियों की पहचान है। यह भाषा हिन्दुस्तान की शान, मान और अभिमान है। हर हिन्दुस्तानी इस भाषा को गर्व के साथ बोलता है। हिन्दी एक ऐसी भाषा है, जो बाकी सभी भाषाओं को अपने साथ लेकर चलती है। यह भाषा, सभी भाषाओं का समावेश है।

हिन्दी भाषा ने, न सिर्फ अंग्रेजी को बल्कि, फारसी और उर्दू को भी बड़ी ही आत्मीयता से अपनाया है। वहीं यह बेहद सरल और सहज भाषा है, जिसके माध्यम से हर हिन्दुस्तानी अपनी बात को भावनात्मक तरीके से व्यक्त कर पाता है।

इसलिए हिन्दी को हिन्दुस्तान की राष्ट्रभाषा एवं मातृभाषा का दर्जा दिया गया है। यह भाषा हमारे देश का गौरव है, जिसने विश्व स्तर पर में हम सभी भारतवासियों को एक नई पहचान दिलवाई है। यह भाषा, सार्वधिक बोली जाने वाली पूरे विश्व की तृतीय भाषा है ।

हिन्दी भाषा का महत्व

हिन्दी भाषा का हम सभी भारतीयों के लिए विशेष महत्व है। हिन्दी साहित्य विश्व का सबसे समृद्ध एवं प्राचीन साहित्य है। इस भाषा के माध्यम से बड़े-बड़े विचारकों, साहित्यकारों, और उपदेशकों ने न सिर्फ अपने महान विचारों को लोगों तक पहुंचाया है, बल्कि अपनी विचारों की गंभीरता को बड़े ही आसानी से लोगों तक पहुंचाने की भी कोशिश की है।

अंतराष्ट्रीय स्तर पर भी हिन्दी भाषा को काफी महत्व दिया गया है, इस भाषा को न सिर्फ भारत में बल्कि कई अन्य देशों के लोगों द्धारा भी काफी पसंद किया जाता है। दुनिया में कई लोग इस भाषा को सीखने और बोलने में काफी दिलचस्पी लेते हैं, यहां तक की इस भाषा के लिए क्लासेस भी लेते हैं।

वर्तमान में क्यों पिछड़ रही है हिन्दी

आजकल हिन्दी भाषा के प्रति लोगों की दिलचस्पी कम होती जा रही है, आज की युवा पीढ़ी अंग्रेजी बोलना अपना स्टेटस मानते हैं, जबकि हिन्दी भाषा का प्रयोग करना अपना अपमान समझते हैं। इसके साथ ही हिन्दी बोलने वाले लोगों को आजकल उतनी तवज्जों नहीं मिलती है, जितनी की अंग्रेजी में बात करने वालों को सम्मान और इज्जत दी जाती है।

हिन्दी हमारी मातृभाषा जरूर है, लेकिन वर्तमान परिवेश में इसकी महत्वता दिन पर दिन कम होती जा रही है। दरअसल, आजकल हर क्षेत्र में बढ़ती अंग्रेजी की डिमांड के चलते हिन्दी भाषा का महत्व कम होता जा रहा है।

आजकल करियर बनाने के लिए सबसे पहले अंग्रेजी भाषा पर कमांड होना अत्यंत है, क्योंकि किसी भी बड़ी कंपनी, बड़े होटल, संस्थान या फिर स्कूल, कॉलेजों में हर जगह अंग्रेजी भाषा का ही प्रचलन है।

इसलिए आजकल के अभिभावक भी अपने बच्चों के सफल करियर और अंग्रेजी भाषा की बढ़ती जरूरत के चलते अपने बच्चों का दाखिला भी इंग्लिश मीडियम स्कूलों में करवा रहे हैं और इंग्लिश को ही तवज्जो दे रहे हैं, जिसके चलते हिन्दी का प्रचलन कम होता जा रहा है। इसलिए, अपनी राष्ट्र भाषा हिन्दी के महत्व को समझाने और इसके प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए 14 सितंबर को हिन्दी दिवस मनाया जाता है।

आजकल अंग्रेजी भाषा की बढ़ती जरूरत के चलते हिन्दी भाषा की तरफ कम ध्यान दिया जा रहा है। इसलिए गुम हो रही हिन्दी को बचाने के लिए हम सभी हिन्दुस्तानी मिलकर हिन्दी दिवस को मनाते हैं।

हिन्दी दिवस मनाने का उद्देश्य सच्चे अर्थों में तभी सार्थक होगा, जब हम सभी भारतीय हिन्दी भाषा का सम्मान करेंगे एवं इसकी रक्षा करने का संकल्प लेंगे तभी हमारा देश विकसित देशों में शामिल हो सकेगा और सही तरीके से विकास कर सकेगा, क्योंकि किसी भी देश की राष्ट्रभाषा उस देश के विकास का महत्वपूर्ण आधार मानी जाती है।

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61 thoughts on “हिंदी दिवस पर निबंध और जानकारी | Hindi Diwas essay”

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Nibandh bhut acha he, lekin kuch shbad angreji ke hi istemal kiye gye h, jese ki..”demand”. Kripya unka sudhar kre.

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hindi pe ye lekh bahut hi acha hain…Esey padh kar bahut si nati jankari aur hindi ka mahan itihas pata chala. Post ke liye dhanyawad.

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11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस क्यों मनाया जाता है? जानिए इसका इतिहास, महत्त्व, उद्देश्य, थीम 2023 एवं कविता | World Population day history in hindi

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आज के समय में पूरी दुनियां की जनसंख्या काफी बढ़ती हुई नजर आ रही है। जब पृथ्वी पर रहने वाले व्यक्तियों की संख्या आवश्यकता से अधिक हो जाता है तो इसे जनसंख्या वृद्धि कहते हैं। विश्व स्तर पर बढ़ती जनसंख्या विकासशील देशों में सबसे बड़ी समस्याओं में से एक बन चुकी है।

बढ़ती जनसंख्या के कारण विकासशील देश आज महंगाई भुखमरी बेरोजगारी और गरीबी जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं। इन्हीं समस्याओं से निदान की एक पहल चलाते हुए आम जनमानस को जागरूक करने के लिए राष्ट्रीय एवं विश्व स्तर पर प्रतिवर्ष विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जाता है।

विश्व जनसंख्या दिवस के खास मौके पर राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं एवं प्रतिवर्ष नए-नए अभियान चलाया जात हैं ताकि वैश्विक स्तर पर जनसंख्या में हो रही अनियमित वृद्धि को नियंत्रित किया जा सके।

इस जनसंख्या वृद्धि को कम करने के लिए ही विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जाता है। हमारे देश में कई लोग ऐसे हैं जिन्हें विश्व जनसंख्या दिवस के बारे में जानकारी नहीं है, इसलिए आज का यह लेख हम विश्व जनसंख्या दिवस को समर्पित कर रहे हैं।

आज के इस लेख में हम आपको विश्व जनसंख्या दिवस से संबंधित संपूर्ण जानकारी देने वाले हैं। साथ ही हम आपको विश्व जनसंख्या दिवस 2023 थीम, विश्व जनसंख्या दिवस पर निबंध तथा अन्य चीजों के बारे में भी बताएंगे। कृपया इस लेख में हमारे साथ अंत तक जुड़े रहे।

अगर आप विश्व जनसंख्या दिवस पर स्लोगन और भाषण के विषय में पढ़ना चाहता हैं तो लिंक पर क्लिक कर सकते हैं।

विषय–सूची

विश्व जनसंख्या दिवस के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य (Facts about World Population day in hindi)

विश्व जनसंख्या दिवस कब मनाया जाता है.

विश्व जनसंख्या दिवस 11 जुलाई को हर साल मनाया जाता है। विश्व जनसंख्या दिवस को मनाने का मुख्य कारण जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण पाना है। विश्व की जनसंख्या निरंतर हर साल बढ़ रही है। विश्व की जनसंख्या 1 अरब की होने में हजारों वर्षो का समय लगा लेकिन इसके बाद केवल 100 से 200 वर्षों में ही 1987 को यह आकड़ा पांच अरब तक पहुंच गया। 11 जुलाई 1987 से ही इस दिवस को मनाने की जरुरत महसूस की गई।

Facts about World Population day in hindi | विश्व जनसंख्या दिवस

विश्व जनसंख्या दिवस का इतिहास (World Population Day History In Hindi) –

आप तो जानते ही हैं कि इस समय दुनिया में 7 अरब से भी ज्यादा जनसंख्या है। 1987 में Dr. KC Zachariah, जोकि वर्ल्ड बैंक में सीनियर डेमोग्राफर के रूप में कार्यरत थे,  द्वारा बताया गया कि इस समय विश्व की जनसंख्या 5 अरब की थी और यह 5 अरब की जनसंख्या 11 जुलाई को ही हुई थी।

इसलिए Dr. KC ने विश्व जनसंख्या दिवस मनाने का सुझाव दिया। इस बढ़ती हुई जनसंख्या को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम की गवर्निंग काउंसलिंग यूएनडीपी द्वारा विश्व जनसंख्या दिवस की स्थापना 1989 में की गई। विश्व जनसंख्या दिवस मनाने की प्रेरणा 11 जुलाई 1987 में हुई 5 अरब जनसंख्या को देखकर मिली इसलिए विश्व जनसंख्या दिवस 11 जुलाई को मनाया जाता है। 1989 में विश्व जनसंख्या दिवस मनाने का निर्णय तो लिया गया लेकिन इससे अधिकारिक रूप से मान्यता दिसंबर 1990 में मिली। इस तरह 11 जुलाई 1990 को राष्ट्र महासभा द्वारा पहला जनसंख्या दिवस मनाया गया और 45/216 के प्रस्ताव के साथ संकल्प लिया गया। साथ ही यूनाइटेड नेशंस डेवलपमेंट प्रोग्राम ने तब से 90 से भी अधिक देशों में इसें एक महत्वपूर्ण दिवस के रुप में मनाया जाने लगा।

History Facts about world population day in hindi

विश्व जनसंख्या दिवस मनाने का उद्देश्य

विश्व जनसंख्या दिवस मनाने का प्रमुख उद्देश्य विभिन्न जनसंख्या मुद्दों (जिससे की जनसंख्या वृद्धि हो रही है) पर लोगों की जागरूकता बढ़ाना है। विशेष रूप से देखा जा रहा है की विश्व के संसाधन कम हो रहे हैं और जनसंख्या बढ़ती जा रही है जिस पर नियंत्रण पाना एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया है।

विश्व जनसंख्या दिवस के द्वारा विश्व भर में जनसंख्या वृद्धि के प्रभावों को केंद्रित करना है और लोगों को बढ़ती हुई जनसंख्या के कारणों को बताना है जैसे – अधिक जन्म दर, परिवार नियोजन, लिंग समानता इत्यादि।

विश्व जनसंख्या दिवस आने वाली पीढ़ियों को जागरूक करता है और उन्हें बताता है कि जनसंख्या वृद्धि को कम करना कितना जरूरी है। साथ ही विश्व जनसंख्या दिवस के द्वारा आगे आने वाली पीढ़ियां को जनसंख्या विस्फोट जैसे मुद्दों कोे सही से समझ सकें।

यूनाइटेड नेशन डेवलपमेंट प्रोग्राम की गवर्निंग काउंसलिंग विश्व जनसंख्या दिवस के द्वारा दुनिया में फैल रही प्रजनन संबंधी समस्याओं को कम करना चाहता है। ऐसा भी देखा जा रहा है कि बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण लगभग 800 महिलाएं ऐसी हैं जो बच्चे को जन्म देते समय मर जाती हैं। इसलिए विश्व जनसंख्या दिवस मनाना बहुत ही जरूरी है ताकि इससे अन्य लोगों को जागरूक किया जा सके।

विश्व में सबसे अधिक जनसंख्या वाले देशों के नाम (List of Most Populated Country)

विश्व की जनसंख्या निरंतर बढ़ रही हैं 2020 में विश्व की जनसंख्या 775 करोड़ है जिसमें चाइना की पहले नंबर पर व भारत की जनंसंख्या दूसरे नंबर पर है। विश्व की 40 प्रतिशत जनंसख्या इन्हीं देशों में निवास करती है। (See Full List)

चाइना (China)143,9,323,776 (143.9 करोड़)
इंडिया (India)138,0,004,385 (138 करोड़)
यूनाईडेट स्टेट (USA)33,1002,651 (33 करोड़)
इंडोनेशिया (Indonesia)27,3,523,615 (27.3 करोड़)
पाकिस्तान (Pakistan)22,0,892,340 (22 करोड़)
ब्राजील (Brazil)21,2559,417 (21 करोड़ )
नाईजीरिया (Nigeria)20,6139,589 (20 करोड़ )
बांग्लादेश(Bangladesh)16,4,689,383 (16.4 करोड़)
रशिया (Russia)14,5,934,462 (14.5 करोड़)
मेक्सिको (Mexico)12,8,932,753 (12.8 करोड़)
जापान (Japan)12,6,476,461 (12.6 करोड़)

जनसंख्या वृद्धि के कारण

जनसंख्या में वृद्धि होना किसी भी देश के लिए सही नहीं है। और इस समय भारत एवं चीन की जनसंख्या पूरे विश्व भर में सबसे अधिक है। जनसंख्या वृद्धि का सबसे प्रमुख कारण जन्म दर एवं मृत्यु दर में अनियमितता है। इस समय भारत देश में और विश्व भर में मृत्यु दर की अपेक्षा जन्म दर अधिक है जिसके कारण जनसंख्या वृद्धि हो रही है।

जन्म दर अधिक होने का भी प्रमुख कारण, बाल विवाह, पुत्र की इच्छा में अधिक बच्चे पैदा करना, अशिक्षा इत्यादि है। यदि विश्व के लोग ज्यादा से ज्यादा शिक्षित होंगे तो वह जनसंख्या वृद्धि के कारणों को समझ पाएंगे और जन्म दर भी कम होगा।

जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण के उपाय

पूरे विश्व भर में जेंट्स विश्व जनसंख्या दिवस मनाने का यही उद्देश्य है कि जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण पाया जा सके।जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण पाने के कुछ उपाय हैं जो हम आपको बताने जा रहे हैं – महिलाओं को शिक्षित करके जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण पाया जा सकता है क्योंकि यदि महिलाएं शिक्षित होंगी तो उन्हें जानकारी होगी की कितने बच्चे कितने समय पर होने चाहिए। यदि सभी परिवार केवल 2 बच्चे पैदा करें तो इससे भी जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण पाया जा सकता है। इसके लिए एक कहावत भी है कि “दो बच्चे मीठी खीर उससे ज्यादा बवासीर”।

ग्रामीण क्षेत्रों में परिवार नियोजन व जनसंख्या के दुष्प्रभावों के प्रति जागरुकता पैदा करना – आज भी कई देश और गांव ऐसे हैं जहां पर बाल विवाह का प्रचलन है यदि बाल विवाह को खत्म कर दिया जाए तो भी जनसंख्या वृद्धि कम हो सकती है। बाल विवाह के कारण महिलाओं में 14 वर्ष की उम्र से 40 वर्ष तक की उम्र तक बच्चे पैदा करने की क्षमता उत्पन्न हो जाती है जिससे जनसंख्या वृद्धि होती है।

जनसंख्या नियंत्रण दिवस पर अनमोल वचन

  • जिस राष्ट्र की जनसंख्या नियंत्रित होती है उसके विकास की गति उतनी ही तीव्र होती है।
  • परिवार जितना छोटा होता है उसकी खुशियां उतनी ही बड़ी होती हैं और उसका हर एक सदस्य इस खुशी का भरपूर आनंद ले सकता है।
  • बढ़ती हुई आबादी देश के विकास में बाधा उत्पन्न करती है और सीमित आबादी देश के विकास को नई गति।

जनसंख्या नियंत्रण दिवस पर कविता

विश्व जनसंख्या दिवस की थीम 2023 (world population day theme 2023 hindi).

हर साल विश्व जनसंख्या दिवस के लिए अलग-अलग थीम रखी जाती है जैसे 2021 का थीम था, “कोविड-19 महामारी का प्रजनन क्षमता पर प्रभाव”।

2022 की थीम – ‘8 बिलियन की दुनियां’ रखी गई है। इस समय दुनियां 8 अरब का आकड़ा पार करने ही वाली है।

भावी भविष्य को देखते हुये, सभी मानव जाति के लिये समान अधिकारों को सुनिश्चत करने को लेकर है। इस समय दुनियां के विभिन्न प्रकार के समाज व जाति के लगभग 8 अरब लोग इस धरती पर निवास करते है। सभी को समान अधिकार दिलाना एक चुनौति ही है। बहुत से लोगों को जातिय, धर्म, विकलांगता, लैगिंग असमानता, मानवता का हनन एक आम बात बन गई है। जनसंख्या दिवस पर विश्व स्तर पर इसके प्रति जागरुकता फैलाना है, सीमित व नियत्रित जनसंख्या के उद्देश्य को प्राप्त करना अति आवश्यक हो गया है।

सयुक्त राष्ट्र परिषद द्वारा प्रत्येक वर्ष एक जनसंख्या दिवस पर एक थीम निर्धारित करती है। इस वर्ष विश्व जनसंख्या दिवस की थीम 2023: बालिकाओं तथा महिलाओं के स्वास्थ्य तथा अधिकारों की रक्षा करना है। इसके तहत सयुक्त राष्ट्र परिषद कोविड-19 को रोकने के लिये प्रयासरत है।

2021 कोविड 19 में प्रजनन क्षमता पर महामारी का प्रभाव
2020 कोविड 19 की रोकथामः महिलाओं के अधिकारों और स्वास्थ्य सुरक्षा संबंधी मुद्दे
2019 परिवार नियोजन (Family Planning) – लोगों का सशक्तिकरण और विकासशील देश (Empowering people, Developing Nations)
2018परिवार नियोजन मानवाधिकार है (Family Planning is a Human Right)
2017 नागरिकों का सशक्तिकरण, विकासशील देश (Family Planning Empowering People, Developing Nations)

विश्व जनसंख्या दिवस कैसे मनाया जाता है?

यह दिवस पूरी विश्व भर में विभिन्न देशों में जनसंख्या वृद्धि पर सेमिनार और सार्वजनिक चर्चाओं का आयोजन करके मनाया जाता है। स्कूलों और कॉलेजों में जनसंख्या वृद्धि पर कार्यशाला ओं का आयोजन किया जाता है साथ ही कॉलेजों के विद्यार्थियों द्वारा विश्व जनसंख्या दिवस पर रैली भी निकाली जाती है। इस रैली में नारे लगाए जाते हैं और बैनर भी बांटे जाते हैं। आजकल कई लोग विश्व जनसंख्या दिवस सोशल मीडिया पर कई तरह के पोस्ट करके भी मनाते हैं।

आज के इस लेख में हमने आपको बताया कि विश्व जनसंख्या दिवस कब मनाया जाता है?, कैसे मनाया जाता है? साथ ही हमने जनसंख्या वृद्धि के बारे में भी जानकारी दी। आशा है कि आप को इस लेख के द्वारा जनसंख्या दिवस के बारे में सभी तरह की जानकारियां मिल पाई होंगी। यदि आपको आज का यह लेख पसंद आया हो तो अपने दोस्तों के साथ जरूर साझा करें।

FAQ/ अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

2023 में विश्व जनसंख्या दिवस कब है.

2023 में भी 11 जुलाई को ही जनसंख्या दिवस मनाया जाएगा।

विश्व जनसंख्या दिवस 2022 की थीम क्या है?

2022 की थीम – ‘8 बिलियन की दुनियां’

विश्व जनसंख्या दिवस मनाने की शुरुआत कब की गई थी?

विश्व जनसंख्या दिवस मनाने की शुरुआत 11 जुलाई 1990 से की गई थी।

विश्व की जनसंख्या 5 अरब कब हुई?

11 जुलाई सन 1987 को विश्व की जनसंख्या 5 अरब हुई थी।

विश्व जनसंख्या दिवस 2023 की थीम क्या है?

महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करना तथा बालिकाओं के स्वास्थ्य को सुनिश्चित करना।

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    Dolphy (left) and Romero (right) in the 1954 landmark film Dalagang Ilocana.. Gloria Romero is a Filipino actress who has had an extensive career in film and television. She began her career as a background actor in the late 1940s before landing a supporting role in Madame X (1952). She rose to stardom the same year with leading roles in Monghita and Palasig (both in 1952).