प्रदूषण पर निबंध 100, 150, 250 & 300 शब्दों में (10 lines Essay on Pollution in Hindi)
प्रदूषण पर निबंध (Pollution Essay in Hindi ) – प्रदूषण के प्रति जागरूक होना इन दिनों सभी छात्रों के लिए काफी अनिवार्य है। आने वाली पीढ़ियों के लिए दुनिया का एक जिम्मेदार नागरिक बनने के लिए हर बच्चे को पता होना चाहिए कि मानवीय गतिविधियाँ पर्यावरण और प्रकृति पर कैसे प्रभाव छोड़ रही हैं। प्रदूषण पर निबंध (Pollution Essay in Hindi ) यह विषय काफी महत्वपूर्ण है। और, स्कूली बच्चों को ‘ प्रदूषण निबंध पर (Pollution Essay in Hindi )’ सहजता से एक दिलचस्प निबंध लिखना सीखना चाहिए। नीचे एक नज़र डालें।
प्रदूषण निबंध 10 पंक्तियाँ (Pollution Essay 10 Lines in Hindi)
- 1) प्रदूषण प्राकृतिक संसाधनों में कुछ अवांछित तत्वों को मिलाने की क्रिया है।
- 2) प्रदूषण के मुख्य प्रकार वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण और भूमि प्रदूषण हैं।
- 3) प्रकृति के साथ-साथ मानवीय गतिविधियाँ, दोनों प्रदूषण के लिए जिम्मेदार हैं।
- 4) प्रदूषण के प्राकृतिक कारण बाढ़, जंगल की आग और ज्वालामुखी आदि हैं।
- 5) प्रदूषण एक राष्ट्रीय नहीं बल्कि एक वैश्विक समस्या है।
- 6) प्रदूषण को रोकने के लिए पुन: उपयोग, कम करना और पुनर्चक्रण सबसे अच्छे उपाय हैं।
- 7) अम्ल वर्षा और ग्लोबल वार्मिंग प्रदूषण के परिणाम हैं।
- 8) प्रदूषण हमेशा जानवरों और इंसानों पर नकारात्मक प्रभाव डालता है।
- 9) प्रदूषित हवा और पानी इंसानों और जानवरों में कई बीमारियों का कारण बनते हैं।
- 10) हम पर्यावरण के अनुकूल संसाधनों और सौर पैनलों का उपयोग करके प्रदूषण को रोक सकते हैं।
प्रदूषण पर निबंध 100 शब्द (Pollution Essay 100 Words in Hindi)
प्रदूषण पर निबंध (Pollution Essay in Hindi ) प्रदूषण इन दिनों एक बड़ी समस्या बन गया है। तेजी से हो रहे औद्योगीकरण और शहरीकरण के कारण पर्यावरण जिसमें हवा, पानी और मिट्टी शामिल है, प्रदूषित हो गया है। वनों की कटाई और औद्योगीकरण के कारण, हवा अत्यधिक प्रदूषित हो रही है, और इससे ग्लोबल वार्मिंग हो रही है। आज सभी जल स्रोत अत्यधिक प्रदूषित हैं। कीटनाशकों और उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग ने मिट्टी को बुरी तरह प्रदूषित कर दिया है। पटाखों, लाउडस्पीकरों आदि का प्रयोग। हमारी सुनने की क्षमता को प्रभावित करता है प्रदूषण का हमारे स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ता है। यह सिरदर्द, ब्रोंकाइटिस, हृदय की समस्याओं, फेफड़ों के कैंसर, हैजा, टाइफाइड, बहरापन आदि का कारण बनता है। प्रदूषण के कारण प्रकृति का संतुलन बिगड़ रहा है। हमें इस मुद्दे को गंभीरता और गंभीरता से लेना होगा।
प्रदूषण पर निबंध 150 शब्द (Pollution essay 150 Words in Hindi)
प्रदूषण पर निबंध (Pollution Essay in Hindi ) – यह एक बड़ी पर्यावरणीय समस्या है। जब पर्यावरण दूषित होता है तो प्रदूषण उत्पन्न होता है। पर्यावरण में तीन प्रमुख प्रकार के प्रदूषण हैं। मृदा प्रदूषण, वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण आदि।
प्रदूषण के कुछ प्रमुख कारण हैं, जैसे ईंधन वाहनों का अत्यधिक उपयोग, कृषि में रासायनिक उर्वरकों का उपयोग।
प्रदूषण हमारे स्वास्थ्य को बहुत बुरी तरह प्रभावित करता है। यह हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक होता है। वायु प्रदूषण से सांस संबंधी बीमारियां और फेफड़ों से जुड़ी अन्य समस्याएं होती हैं। जल प्रदूषण जल को प्रदूषित करता है। ध्वनि प्रदूषण से बीपी की समस्या और सुनने की समस्या होती है। यह तनाव का कारण भी बनता है। मृदा प्रदूषण से फसलों के उत्पादन में कमी आती है, हमें इसे रोकना चाहिए। उत्पादन को भी बनाए रखने के द्वारा। औद्योगिक कचरे का उचित उपचार, वर्षा जल की आपूर्ति का भंडारण, प्लास्टिक उत्पादों को कम करना और इलेक्ट्रॉनिक वाहनों का उपयोग करना।इस प्रकार के उपाय करके हम प्रदूषण पर भी नियंत्रण कर सकते हैं।
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प्रदूषण पर निबंध 250 शब्दों में – 300 शब्दों में (Essay on pollution in Hindi)
प्रदूषण पर निबंध (Pollution Essay in Hindi ) प्रदूषण कई अलग-अलग रूपों में होता है। यह पूरी दुनिया में एक प्रमुख पर्यावरणीय मुद्दा बन गया है। हवा, जमीन, मिट्टी, पानी आदि में कोई भी अप्रिय और अप्रिय परिवर्तन। प्रदूषण में योगदान देता है। ये सभी परिवर्तन रासायनिक, जैविक या भौतिक परिवर्तनों के रूप में हो सकते हैं। प्रदूषण फैलाने वाले माध्यम को प्रदूषक कहते हैं।
दुनिया में प्रदूषण को रोकने के लिए कई कानून बनाए गए हैं। भारत में पर्यावरण की सुरक्षा और उसकी गुणवत्ता बढ़ाने के लिए बनाया गया कानून पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 है।
आइए हम विभिन्न प्रकार के प्रदूषणों पर विस्तार से एक नज़र डालें:
वायु प्रदुषण
जब पूरा वातावरण आर्थिक और औद्योगिक गतिविधियों के कारण निकलने वाली हानिकारक जहरीली गैसों से भर जाता है, तो इससे वायु और पूरा वातावरण प्रदूषित होता है। इससे वायु प्रदूषण होता है।
यह प्रदूषण का एक और प्रमुख रूप है जो प्रकृति के लिए बहुत विनाशकारी है। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि पानी के प्राकृतिक स्रोत दिन-ब-दिन कम होते जा रहे हैं और इसने पानी को एक दुर्लभ वस्तु बना दिया है। दुर्भाग्य से, इन महत्वपूर्ण समय में भी, ये शेष जल स्रोत कई स्रोतों (जैसे औद्योगिक अपशिष्ट, कचरा निपटान आदि) से अशुद्धियों से दूषित हो रहे हैं, जो उन्हें मानव उपभोग के लिए अनुपयुक्त बनाता है।
कचरा प्रदूषण
जब लोग अपशिष्ट निपटान के उचित तंत्र का पालन नहीं करते हैं, तो इसका परिणाम कचरे का संचय होता है। यह बदले में कचरा प्रदूषण का कारण बनता है। इस समस्या का समाधान करने का एकमात्र साधन यह सुनिश्चित करना है कि अपशिष्ट निपटान के लिए एक उचित प्रणाली मौजूद है जो पर्यावरण को दूषित नहीं करती है।
ध्वनि प्रदूषण
ध्वनि प्रदूषण के पीछे सामान्य कारण उद्योग, योजनाओं और अन्य स्रोतों से आने वाली ध्वनि है जो अनुमेय सीमा से अधिक तक पहुँचती है। स्वास्थ्य और शोर के बीच एक सीधा संबंध है जिसमें उच्च रक्तचाप, तनाव से संबंधित आवास, श्रवण हानि और भाषण हस्तक्षेप शामिल हैं।
Pollution Essay से सबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs):
Q.1 प्रदूषण के प्रभाव क्या हैं.
A.1 प्रदूषण अनिवार्य रूप से मानव जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करता है। यह हमारे द्वारा पीने वाले पानी से लेकर हवा में सांस लेने तक लगभग सभी चीजों को खराब कर देता है। यह स्वस्थ जीवन के लिए आवश्यक प्राकृतिक संसाधनों को नुकसान पहुंचाता है।
प्रश्न 2 प्रदूषण को कैसे कम किया जा सकता है?
उ.2 हमें प्रदूषण कम करने के लिए व्यक्तिगत कदम उठाने चाहिए। लोगों को चाहिए कि वे अपने कचरे को सोच समझकर विघटित करें, उन्हें अधिक से अधिक पेड़ लगाने चाहिए। इसके अलावा, जो कुछ वे कर सकते हैं उसे हमेशा रीसायकल करना चाहिए और पृथ्वी को हरा-भरा बनाना चाहिए।
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प्रदूषण पर निबंध (Essay on Pollution in Hindi): हिंदी में प्रदूषण पर 200-500 शब्दों में निबंध
Updated On: October 08, 2024 04:43 PM
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प्रदूषण पर निबंध 10 लाइन (Essay on Pollution 10 line)
प्रदूषण पर निबंध हिंदी में 500+ शब्दों में (Long Essay on pollution in Hindi)
प्रस्तावना (introduction), प्रदूषण पर निबंध (essay on pollution in hindi) - प्रदूषण की वर्तमान स्थिति.
प्रदूषण हमारे जीवन के उन प्रमुख विषयों में से एक है, जो इस समय हमारी पृथ्वी को व्यापक स्तर पर नकारात्मक रूप से प्रभावित कर रहा है। यह एक ऐसा मुद्दा है जो लंबे समय से चर्चा व चिंता का विषय रहा है तथा 21वीं सदी में इसका हानिकारक प्रभाव बड़े पैमाने पर महसूस किया जा रहा है। हालांकि विभिन्न देशों की सरकारों ने इसके प्रभाव को रोकने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, लेकिन अभी भी इस समस्या के समाधान करने के लिए एक लंबा रास्ता तय करना बाकी है।
इससे कई प्राकृतिक प्रक्रियाओं में गड़बड़ी आती है। इतना ही नहीं, आज कई वनस्पतियां और जीव-जंतु या तो विलुप्त हो चुके हैं या विलुप्त होने की कगार पर हैं। प्रदूषण की मात्रा में तेजी से वृद्धि के कारण पशु तेजी से न सिर्फ अपना घर खो रहे हैं, बल्कि जीवित रहने लायक प्रकृति को भी खो रहे हैं। प्रदूषण ने दुनिया भर के कई प्रमुख शहरों को प्रभावित किया है। इन प्रदूषित शहरों में से अधिकांश भारत में ही स्थित हैं। दुनिया के कुछ सबसे प्रदूषित शहरों में दिल्ली, कानपुर, बामेंडा, मॉस्को, हेज़, चेरनोबिल, बीजिंग आदि शामिल हैं। हालांकि इन शहरों ने प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए कई कदम उठाए हैं, मगर फिर भी उन्हें अभी एक लंबा रास्ता तय करना है। इन स्थानों की वायु गुणवत्ता खराब है और भूमि तथा जल प्रदूषण में भी बढ़ोतरी देखी जा रही है। अब समय आ गया है कि इन शहरों से प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए, यहाँ मौजूद प्रशासन एक ठोस रणनीति तैयार करके उसपर अमल करें।
प्रदूषण के कारण (Due to Pollution)
प्रदूषण होने के पीछे कई बड़े कारण हैं। ये वो कारण हैं जिसने प्रदूषण जैसी गंभीर समस्या को जन्म दिया है। प्रदूषण ने प्रकृति और मानव जीवन में ज़हर के समान दूषित और जहरीले तत्वों को घोलकर हमें मौत के नज़दीक लाकर खड़ा कर दिया है। प्रदूषण के बड़े कारणों में निम्नलिखित कारण शामिल हैं, जैसे-
- वनों को तेजी से काटना
- कम वृक्षारोपण
- बढ़ती जनसंख्या
- बढ़ता औद्योगिकीकरण
- प्रकृति के साथ छेड़छाड़
- कारखाने, वाहन और मशीनें
- वैज्ञानिक संसाधनों का अधिक उपयोग
- कीटनाशकों का बढ़ता उपयोग
- तेजी से बढ़ता शहरीकरण
- प्राकृतिक संसाधनों की बढ़ती खपत
ये सभी वो कारण हैं जिन्होंने प्रदूषण को बढ़ावा दिया है। इनके अलावा न जाने और कितने ही ऐसे छोटे-बड़े कारण हैं जिनका अंदाज़ा लगा पाना मुश्किल है। एक सबसे गंभीर कारण है और वो है देश की बढ़ती हुई जनसंख्या। ये वो कारण है जिसकी वजह से तेजी से पेड़ों की कटाई की जा रही है, औद्योगिकीकरण को और तेज़ किया जा रहा, मशीनों के प्रयोग में लगातार बढ़ोत्तरी की जा रही है, गांवों को धीरे-धीरे खत्म करके उन्हें शहर में बदला जा रहा है, लोग रोज़गार के लिए अपने गांवों को छोड़कर शहरों में जा रहे हैं, प्राकृतिक संसाधनों और खनिजों का उपयोग लोग असीमित मात्रा में कर रहे हैं जिस वजह से प्रदूषण का स्तर लगातर बढ़ता ही जा रहा है। पर्यावरण को शुद्ध करने के लिए पेड़-पौधे सबसे अहम भूमिका अदा करते हैं लेकिन हम मानव जाति के लोग अपनी ज़रूरतों के लालच में इन्हें बढ़ी ही बेरहमी से खत्म कर रहे हैं।
प्रदूषण को रोकने में यूएनओ की भूमिका (UNO's role in Preventing Pollution)
संयुक्त राष्ट्र ने वायु प्रदूषण कम करने और सांस लेने के लिए स्वच्छ हवा की उपलब्धता सुनिश्चित करने के इरादे से साझेदार संगठनों के साथ मिलकर सरकारों से ‘क्लीन एयर इनिशिएटिव’ से जुड़ने का आह्वान किया है। सितंबर में यूएन जलवायु शिखर वार्ता से पहले सरकारों से वायु की गुणवत्ता को सुनिश्चित करने की अपील की गई है ताकि नागरिकों के स्वास्थ्य की रक्षा हो सके और 2030 तक जलवायु परिवर्तन और वायु प्रदूषण नीतियों में एकरूपता लाई जा सके। सरकार हर स्तर पर ‘Clean Air Initiative’ या ‘स्वच्छ वायु पहल’ में शामिल हो सकती है और कार्रवाई के लिए संकल्प ले सकती है। उदाहरण के तौर पर:
वायु की गुणवत्ता और जलवायु परिवर्तन की नीतियों को लागू करने से ताकि विश्व स्वास्थ्य संगठन के वायु गुणवत्ता के लिए निर्धारित मानक हासिल किए जा सकें।
ई-मोबिलिटी और टिकाऊ मोबिलिटी नीतियों और कारर्वाई को लागू करने से ताकि सड़क परिवहन के ज़रिए होने वाले उत्सर्जन में कमी लाई जा सके।
प्रगति पर नज़र रखना, अनुभवों और बेस्ट तरीक़ों को एक अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क के ज़रिए साझा करना।
प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए उठाए गए प्रमुख कदम (Steps taken to Curb Pollution)
बसों में परियायंत्र फिल्ट्रेशन इकाइयों (Pariyayantra Filtration Units) की स्थापना: एक प्रायोगिक अध्ययन के हिस्से के रूप में 30 बसों की छतों पर परियायंत्र फिल्ट्रेशन इकाइयों को इनस्टॉल किया गया।
यातायात चौराहों पर ‘WAYU’ वायु शोधन इकाइयाँ: दिल्ली के प्रमुख यातायात चौराहों पर रणनीतिक रूप से कुल 54 ‘WAYU’ वायु शोधन इकाइयाँ स्थापित की गई हैं।
परिवेशी वायु प्रदूषण में कमी के लिये आयनीकरण तकनीक: इस तकनीक का उद्देश्य आयनीकरण प्रक्रियाओं के माध्यम से प्रदूषकों को निष्प्रभावी करना है जिससे लक्षित क्षेत्रों में वायु की गुणवत्ता में वृद्धि होती है।
इलेक्ट्रिक वाहन (EV) स्वायत्त प्रौद्योगिकी में प्रगति: EV-आधारित स्वायत्त वाहनों पर केंद्रित एक स्वायत्त नेविगेशन फाउंडेशन की स्थापना DST अंतःविषयक साइबर-भौतिक प्रणालियों पर राष्ट्रीय मिशन (National Mission on Interdisciplinary Cyber-Physical Systems- NM-ICPS) के तहत की गई थी।
प्रदूषण पर निबंध (Essay on pollution in Hindi)- प्रदूषण के प्रकार (Types of Pollution)
वायु प्रदूषण: वायु प्रदूषण मुख्य रूप से वाहनों से गैस के उत्सर्जन के कारण होता है। बेहद ही हानिकारक गैस कारखानों और उद्योगों में उप-उत्पाद के रूप में उत्पादित होती हैं, प्लास्टिक और पत्तियों जैसे जहरीले पदार्थों को खुले में जलाने से, वाहनों के एग्जॉस्ट से, रेफ्रीजरशन उद्योग में उपयोग किए जाने वाले सीएफ़सी से वायु प्रदूषण में बढ़ोतरी होती है।
हाल के दशक में बेहतर आय की वजह से भारत में सड़कों पर वाहनों की संख्या में बेतहाशा बढ़ोतरी देखी गई है। ये सल्फर डाइऑक्साइड तथा कार्बन मोनोऑक्साइड जैसी हानिकारक गैसों को फैलाने के लिए भी जिम्मेदार हैं। ये गैसें पृथ्वी के वायुमंडल में ऑक्सीजन की मात्रा को कम करने के लिए जिम्मेदार हैं। इनकी वजह से सांस लेने की कई समस्याएं, श्वसन रोग, कई प्रकार के कैंसर आदि जैसी बीमारियाँ तेजी से पनप रही हैं। ध्वनि प्रदूषण: वायु प्रदूषण में योगदान देने के अलावा, भारतीय सड़कों पर बड़ी संख्या में मौजूद वाहन, ध्वनि प्रदूषण में भी भरपूर योगदान देते हैं। यह उन लोगों के लिए खतरनाक है जो शहरी क्षेत्रों में या राजमार्गों के पास रहते हैं। यह लोगों में चिंता और तनाव जैसे संबंधित मुद्दों का कारण बनता है। ध्वनि प्रदूषण दो प्रकार से होता है- प्राकृतिक स्रोतों से तथा मानवीय क्रियाओं से। 1. प्राकृति स्रोतों से - बादलों की बिजली की गर्जन से, अधिक तेज वर्षा, आँधी, ओला, वृष्टि आदि से शोर गुल अधिक होता है। 2. मानवीय क्रियाओं द्वारा - शहरी क्षेत्रों में स्वचालित वाहनों, कारखानों, मिलों, रेलगाड़ी, वायुयान, लाउडस्पीकार, रेडियों, दूरदर्शन, बैडबाजा, धार्मिक पर्व, विवाह उत्साह, चुनाव अभियान, आन्दोलन कूलर, कुकर आदि से ध्वनि प्रदूषण होता है।
जल प्रदूषण: जल प्रदूषण आजकल मनुष्यों के सामने मौजूद सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है। सीवेज अपशिष्ट, उद्योगों या कारखानों आदि के कचरे को सीधे नहरों, नदियों और समुद्रों जैसे जल निकायों में डाला जा रहा है। इसके परिणामस्वरूप समुद्री जीव जंतुओं के आवास का नुकसान हो रहा है और जल निकायों में घुली ऑक्सीजन का स्तर भी घट रहा है। पीने योग्य पानी की कमी जल प्रदूषण का एक बड़ा दुष्प्रभाव है। लोग प्रदूषित पानी पीने को मजबूर हैं जिससे हैजा, डायरिया, पेचिश आदि रोग होने का खतरा बना रहता है।
भूमि प्रदूषण: भारतीय आबादी का एक बहुत बड़ा हिस्सा कृषि पर निर्भर है। इस काम के लिए, किसान बहुत सारे शाकनाशी, उर्वरक, कवकनाशी और अन्य समान प्रकार के रासायनिक यौगिकों का उपयोग करते हैं। इनके इस्तेमाल से मिट्टी दूषित होती है और इससे मिट्टी आगे फसल उगाने लायक नहीं रह जाती। इसके अलावा, अगर अधिकारी जमीन पर पड़े औद्योगिक या घरेलू कचरे को डंप नहीं करते हैं, तो यह भी मिट्टी के प्रदूषण में बड़ा योगदान देता है। इसकी वजह से मच्छरों के प्रजनन में वृद्धि होती है, जो डेंगू जैसी कई जानलेवा बीमारियों का कारण बनता है। प्रकाश प्रदूषण: बढ़ती बिजली की जरुरत और काम के लिए बढ़ती प्रकाश की जरुरत भी प्रकाश प्रदुषण कारण है। बढ़ती गाड़ियों के कारण हाई वोल्ट के बल्ब का इस्तेमाल, किसी कार्यक्रम में जरुरत से ज्यादा डेकोरेशन करना, एक कमरे में अधिक बल्ब को लगाना आदि भी प्रदूषण के कारण है। रेडियोएक्टिव प्रदूषण: ठोस, तरल या गैसीय पदार्थ में जहाँ अनायास या अवांछनीय रेडियोधर्मी पदार्थ की उपस्थिति होती है, उसे रेडियोएक्टिव प्रदूषण कहते हैं। इसका प्रभाव पर्यावरण, जीव जन्तुओं और मनुष्यों पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। थर्मल प्रदूषण: ओधोगिकी के कारण थर्मल प्रदूषण फैलता है। पेट्रोलियम रिफाइनरी, पेपर मील्स, शुगर मील्स, स्टील प्लांट्स जैसे ओधोगिकी पानी का इस्तेमाल करते हैं। या तो उस पानी को गर्म किया जाता है या उपकरणो को ठंडा करने केलिए इस्तेमाल किया जाता है। और फिर उस पानी को नदी में बहा दिया जाता है। इससे पानी की तापमान में वृद्धि होती है और पानी प्रदूषित होता है और इसमें थर्मल पावर प्लांट के कारण भी पानी प्रदूषित होता है। दृश्य प्रदूषण: दृश्य प्रदूषण मनुष्यों के देखने वाले क्षेत्रों में नकारात्मक बदलाव करने पर होते हैं। जैसे हरे भरे पेड़ पौधों को काट देना, मोबाइल आदि के टावर लगा देना। बिजली के खम्बे, सड़क आदि स्थानों में बिखरे कचरे आदि इस श्रेणी में आते हैं। यह एक तरह के बनावट के कारण भी होता है, जिसे बिना पर्यावरण आदि को देखे ही बना दिया जाता है। जैसे किसी स्थान पर केवल इमारत, मकान आदि का होना।
प्रदूषण पर निबंध (Pradushan Par Nibandh) - प्रदूषण पर प्रतिबंध लगाने के विभिन्न तरीके
- वाहनों का प्रयोग सीमित करें: वाहन प्रदूषण का एक प्रमुख कारण है। वाहनों का प्रयोग कम से कम करें। यदि संभव हो, तो उन्हें व्यक्तिगत उपयोग के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों से बदलने का प्रयास करें। आने-जाने के लिए ज्यादा से ज्यादा सार्वजनिक परिवहन का प्रयोग करें।
- अपने आस-पास साफ-सफाई रखें: एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते यह हमारा कर्तव्य होना चाहिए कि हम अपने घर के आस-पास के क्षेत्र को साफ-सुथरा रखें। हमें कचड़ा इधर-उधर फेंकने की बजाय कूड़ेदान में फेकना चाहिए।
- पेड़ लगाएं: कई कारणों से पेड़ों की कटाई जैसे सड़कों का चौड़ीकरण, घर बनाना आदि के कारण विभिन्न प्रकार के प्रदूषण में वृद्धि हुई है। पौधे वातावरण में मौजूद कार्बन मोनोऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड आदि जैसे हानिकारक गैसों को अवशोषित करते हैं। चूंकि वे प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया के दौरान ऑक्सीजन छोड़ते हैं, इसलिए हमारे लिए यह महत्वपूर्ण है कि हम अधिक से अधिक मात्रा में पेड़ लगाएं और उनकी देखभाल करें।
- पटाखों का इस्तेमाल बंद करें: जब आप दशहरा, दिवाली या किसी अन्य अवसर पर त्योहार मनाते हैं, तो पटाखों का इस्तेमाल ना करें। यह ध्वनि, मिट्टी के साथ-साथ प्रकाश प्रदूषण का कारण बनता है। साथ ही इसका हमारे स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।
- प्रदूषण को कम करने के लिए हमें अपने गांवों को बचाकर रखना होगा, वहाँ की हरियाली को खत्म होने से रोकना होगा और शुद्ध हवा और पानी को दूषित होने से बचाना होगा। इन छोटे-छोटे प्रयासों से ही हम प्रदूषण को खत्म करने के अपने सपने को पूरा कर सकेंगे।
निष्कर्ष (Conclusion)
उपरोक्त सभी बातों को पढ़कर हम निष्कर्ष के तौर पर यह कह सकते हैं कि पर्यावरण को दूषित होने से रोकने के लिए हमें मिलकर छोटे-छोटे प्रयास करने की ज़रूरत है, तभी देश में कोई बड़ा परिवर्तन लाया जा सकता है। हमेशा किसी बड़े बदलाव की शुरुआत एक छोटे रूप में ही होती है। प्रकृति को कुदरत और ईश्वर दोनों ने ही मिलकर इस उम्मीद से रचा है कि हम मनुष्य उसके साथ बिना कुछ गलत किए उसकी हमेशा रक्षा करेंगे और उसकी शुद्धता, सुंदरता और नवीनता को बरकरार रखेंगे। इसलिए आइये मिलकर शुरुआत करें और पर्यावरण को स्वच्छ बनाने में सहयोग करें।
प्रदूषण पर निबंध हिंदी में 250+ शब्दों में (Short Essay on pollution in Hindi)
प्रदूषण पर निबंध (Essay on pollution in Hindi)- हम सभी इस बात को लेकर चिंचित हैं कि हमारे देश में प्रदूषण एक गंभीर समस्या बन चुका है। प्रदूषण की समस्या बड़े शहरों में ज़्यादा बढ़ गई है। शहरों में निवास कर रहे लोगों पर प्रदूषण इस कदर हावी हो चुका है कि अब वह उनके स्वास्थ्य को भी खराब करने लगा है। इसीलिए शहरो में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए अब वहाँ के लोगों में प्रदूषण के प्रति जागरूकता फैलाना बेहद ज़रूरी हो गया है। प्रदूषण से न सिर्फ मनुष्यों को बल्कि सभी प्राकृतिक चीज़ें जैसे पेड़-पौधे, जानवर, हवा, पानी, मिट्टी, खाने-पीने की चीज़ें आदि सभी को हानि पहुँच रही है। जो प्राकृतिक घटनाएँ, आपदाएँ, महामारियाँ आदि समय-समय पर अपना प्रकोप दिखाती हैं, उसके लिए भी प्रदूषण को ही जिम्मेदार ठहरना गलत नही होगा।
शहरों में प्रदूषण
वाहन परिवहन के कारण शहरों में प्रदूषण की दर गांवों की तुलना में अधिक है। कारखानों और उद्योगों के धुएं शहरों में स्वच्छ हवा की गुणवत्ता को प्रभावित कर रहे हैं और इसे सांस लेने के लायक नहीं बनाते हैं। बड़ी सीवेज प्रणाली से गंदे पानी, घरों से निकलने वाला कचरा, कारखानों और उद्योगों के उत्पादों द्वारा नदियों, झीलों और समुद्रों में पानी को विषाक्त और अम्लीय बना दिया जाता है।
गांवों में प्रदूषण
हालाँकि शहरों की तुलना में गाँवों में प्रदूषण की दर कम है, लेकिन तेजी से हो रहे शहरीकरण के परिणामस्वरूप गाँवों का स्वच्छ वातावरण भी प्रदूषित हो रहा है। कीटनाशकों और उर्वरकों के परिवहन और उपयोग में वृद्धि ने गाँवों में हवा और मिट्टी की गुणवत्ता को अत्यधिक प्रभावित किया है। इसने भूजल के दूषित होने से विभिन्न बीमारियों को जन्म दिया है।
प्रदूषण की रोकथाम
शहरों और गांवों में प्रदूषण को केवल लोगों में सामाजिक जागरूकता बढ़ाने से रोका जा सकता है। प्रदूषण कम करने के लिए वाहन के उपयोग को कम करने, अधिक पेड़ लगाने, उर्वरकों और कीटनाशकों के उपयोग को सीमित करने, औद्योगिक कचरे का उचित निपटान आदि जैसी पहल की जा सकती हैं। सरकार को हमारे ग्रह को प्रदूषण के खतरों से बचाने के लिए प्लास्टिक और पॉलिथीन के उपयोग पर भी प्रतिबंध लगाना चाहिए।
- आजकल बढ़ती आधुनिकता के कारण प्रदूषण की मात्रा अत्यधिक बढ गई है।
- पेड़-पौधों के काटे जाने से या नष्ट कर देने से स्वच्छ वायु नहीं मिल पाती जिससे प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है।
- घर से निकलने वाले कूड़े कचरे को नदियों में बहा देने से भी जल प्रदूषण काफी ज्यादा बढ़ गया है।
- जगह-जगह कूड़ा कचरा फेंकने से प्रकृति दूषित होती जा रही है।
- बढ़ते प्रदूषण के कारण वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड जेैसी जहरीली गैसों की मात्रा लगातार बढ़ती जा रही है।
- कारखानों के अधिक विकास के कारण वायु प्रदूषण की काफी मात्रा बढ़ गई है जिसके कारण आम लोग परेशान है।
- बढ़ते प्रदूषण के कारण कई प्रकार की बीमारियां पैदा हो रही है जिनका इलाज कर पाना मुश्किल हो रहा है।
- हमारे देश में रोजाना करोड़ों टन कूड़ा करकट निकलता है जो कि प्रदूषण का कारण बनता है।
- जल प्रदूषण के कारण समुद्री जीवो पर भी प्रदूषण का प्रभाव देखने को मिल रहा है।
- बढ़ते उद्योग धंधे नदियों में अपने दूषित जल को छोड़ते हैं जिससे जल प्रदूषण बढ़ रहा है।
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Mahatma Hans Raj DAV Institute of Nursing, located in Jalandhar, Punjab offers a two-year long B.Sc Nursing (Post Basic) programme. It is affiliated to BFUHS Faridkot and INC. Admission to this programme is based on merit (10+2 with PCB or equivalent) and an entrance test conducted by BFUHS. The course fees at Mahatma Hans Raj DAV Institute of Nursing are set as per Punjab Government notifications.
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I have completed my 12th from NIOS. Can I get into LPU?
Yes, You can apply for admission to LPU based on your 12th grade marks, depending on the program and your percentile. You can apply for admission to most courses at LPU by registering for the LPUNEST exam. However ,for some courses, such as BA LLB(Hons), MBA ,and B.Tech you can also submit scores from national level entrance exams.
How is the library facility at lpu? Is reading room facility available?
LPU's library offers a wide range of resources, including text books , reference books , journals , research papers. LPU has dedicated reading books where students can study in a quiet and comfortable environment. These reading rooms are equipped with adequate seating , lighting and ventilation to create an ideal atmosphere for reading and research.
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प्रदूषण पर निबंध (Pollution Essay in Hindi)
वह अवांछित तत्व जो किसी निकाय के संतुलन के प्रतिकूल हो और उसकी खराब दसा के लिए जिम्मेदार हो प्रदूषक तत्व कहलाते हैं तथा उनके द्वारा उत्पन्न विषम परिस्थितियां प्रदूषण कहलाती है। दूसरे शब्दों में “ हमारे द्वारा उत्पन्न वे अपशिष्ट पदार्थ जो पर्यावरण के पारिस्थितिकी तंत्र को असंतुलित कर रहे हैं, प्रदूषक तत्व तथा उनके वातावरण में मिलने से उत्पन्न विभिन्न प्रकार के संकट की स्थिति प्रदूषण कहलाती है। ”
प्रदूषण पर 10 वाक्य || प्रदूषण मानवता को कैसे प्रभावित करता है पर निबंध || शहरीकरण के कारण प्रदूषण पर निबंध
प्रदूषण पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essays on Pollution in Hindi, Pradushan par Nibandh Hindi mein)
प्रदूषण से संबंधित समस्त जानकारियां आपको इस निबंध के माध्यम से मिल जाएगी। तो आईए इस निबंध को पढ़कर पर्यावरण प्रदूषण के बारे में खुद को अवगत कराएं।
प्रदूषण पर निबंध 1 (300 शब्द) – प्रदूषण क्या है
बचपन में हम जब भी गर्मी की छुट्टियों में अपने दादी-नानी के घर जाते थे, तो हर जगह हरियाली ही हरियाली फैली होती थी। हरे-भरे बाग-बगिचों में खेलना बहुत अच्छा लगता था। चिड़ियों की चहचहाहट सुनना बहुत अच्छा लगता था। अब वैसा दृश्य कहीं दिखाई नहीं देता।
आजकल के बच्चों के लिए ऐसे दृश्य केवल किताबों तक ही सीमित रह गये हैं। ज़रा सोचिए ऐसा क्यों हुआ। पेड़-पौधे, पशु-पक्षी, मनुष्य, जल, वायु, आदि सभी जैविक और अजैविक घटक मिलकर पर्यावरण का निर्माण करते हैं। सभी का पर्यावरण में विशेष स्थान है।
प्रदूषण का अर्थ ( Meaning of Pollution )
प्रदूषण, तत्वों या प्रदूषकों के वातावरण में मिश्रण को कहा जाता है। जब यह प्रदूषक हमारे प्राकृतिक संसाधनो में मिल जाते है। तो इसके कारण कई सारे नकरात्मक प्रभाव उत्पन्न होते है। प्रदूषण मुख्यतः मानवीय गतिविधियों द्वारा उत्पन्न होते है और यह हमारे पूरे पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित करता है। प्रदूषण के द्वारा उत्पन्न होने वाले प्रभावों के कारण मनुष्यों के लिए छोटी बीमारियों से लेकर अस्तित्व संकट जैसी समस्याएं उत्पन्न हो जाती है। मनुष्य ने अपने स्वार्थ के लिए पेड़ो की अन्धाधुंध कटाई की है। जिस कारण पर्यावरण असंतुलित हो गया है। प्रदूषण भी इस असंतुलन का मुख्य कारण है।
प्रदूषण है क्या ? ( What is Pollution ?)
जब वायु, जल, मृदा आदि में अवांछनीय तत्व घुलकर उसे इस हद तक गंदा कर देते है, कि स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर डालने लगे तो उसे प्रदूषण कहते हैं। प्रदूषण से प्राकृतिक असंतुलन पैदा होता है। साथ ही यह मानव जीवन के लिए भी खतरे की घंटी है।
मनुष्य की यह जिम्मेदारी बनती है कि उसने जितनी नासमझी से प्राकृतिक संसाधनों का दोहन कर पर्यावरण को नुकसान पहुँचाया है, अब उतनी ही समझदारी से प्रदूषण की समस्या को सुलझाये। वनों की अंधाधुंध कटाई भी प्रदूषण के कारको में शामिल है। अधिक से अधिक वृक्षारोपण कर इस पर काबू पाया जा सकता है। इसी तरह कई उपाय हैं, जिन्हें अपनाकर प्रदूषण कम करने के प्रयास किए जा सकते हैं।
अगर हमें अपनी आगामी पीढ़ी को एक साफ, सुरक्षित और जीवनदायिनी पर्यावरण देना है, तो इस दिशा में कठोर कदम उठाने होंगे। और प्रदूषण पर नियंत्रण पाना सिर्फ हमारे देश ही नहीं, अपितु सम्पूर्ण पृथ्वी के लिए आवश्यक है। ताकि सम्पूर्ण पृथ्वी पर जीवन रह सके।
प्रदूषण पर निबंध 2 (400 शब्द) – प्रदूषण के प्रकार
हमें पहले यह जानना जरुरी है कि हमारी किन-किन गतिविधियों के कारण प्रदूषण दिन प्रति दिन बढ़ रहा है और पर्यावरण में असंतुलन फैला रहा है।
पहले मेरे गांव में ढ़ेर सारे तालाब हुआ करते थे, किन्तु अब एक भी नहीं है। आज हम लोगों ने अपने मैले कपड़ो को धोकर, जानवरों को नहलाकर, घरों का दूषित और अपशिष्ट जल, कूड़ा-कचरा आदि तालाबों में फेंककर इसे गंदा कर दिया है। अब उसका जल कहीं से भी स्नान करने और न ही पीने योग्य रह गया है। इसका अस्तित्व समाप्ति की कगार पर है।
प्रदूषण के प्रकार ( Pradushan ke Prakar )
वातावरण में मुख्यतः चार प्रकार के प्रदूषण हैं –
- जल प्रदूषण ( Water Pollution )
घरों से निकलने वाला दूषित पानी बहकर नदियों में जाता है। कल-कारखानों के कूड़े-कचरे एवं अपशिष्ट पदार्थ भी नदियों में ही छोड़ा जाता है। कृषि में उपयुक्त उर्वरक और कीट-नाशक से भूमिगत जल प्रदूषित होता है। जल प्रदूषण से डायरिया, पीलिया, टाइफाइड, हैजा आदि खतरनाक बीमारियाँ होती है।
- वायु प्रदूषण (Air Pollution)
कारखानों की चिमनी और सड़को पर दौड़ते वाहनों से निकलते धुएँ में कार्बन मोनो ऑक्साइड, ग्रीन हाउस गैसें जैसै कार्बन डाई ऑक्साइड, मिथेन, क्लोरो-फ्लोरो कार्बन आदि खतरनाक गैसें निकलती हैं। ये सभी गैसें वायुमंडल को भारी नुकसान पहुंचाती हैं। इससे हमारे सेहत पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। दमा, खसरा, टी.बी. डिप्थीरिया, इंफ्लूएंजा आदि रोग वायु प्रदूषण का ही कारण हैं।
- ध्वनि प्रदूषण (Noise Pollution)
मनुष्य के सुनने की क्षमता की भी एक सीमा होती है, उससे ऊपर की सारी ध्वनियां उसे बहरा बनाने के लिए काफी हैं। मशीनों की तीव्र आवाज, ऑटोमोबाइल्स से निकलती तेज़ आवाज, हमारे स्वास्थ्य पर बुरा असर डालती है। इनसे होने वाला प्रदूषण ध्वनि प्रदूषण कहलाता है। इससे पागलपन, चिड़चिड़ापन, बेचैनी, बहरापन आदि समस्याएं होती है।
- मृदा प्रदूषण (Soil Pollution)
खेती में अत्यधिक मात्रा में उर्वरकों और कीट-नाशकों के प्रयोग से मृदा प्रदूषण होता है। साथ ही प्रदूषित मिट्टी में उपजे अन्न खाकर मनुष्यों एवं अन्य जीव-जंतुओं के सेहत पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसकी सतह पर बहने वाले जल में भी यह प्रदूषण फैल जाता है।
प्रदूषण को रोकना बहुत अहम है। पर्यावरणीय प्रदूषण आज की बहुत बड़ी समस्या है, इसे यदि वक़्त पर नहीं रोका गया तो हमारा समूल नाश होने से कोई भी नहीं बचा सकता। पृथ्वी पर उपस्थित कोई भी प्राणी इसके प्रभाव से अछूता नहीं रह सकता। पेड़-पौधे, पशु-पक्षी आदि सभी का जीवन हमारे कारण खतरे में पड़ा है। इनके जीवन की रक्षा भी हमें ही करनी है। इनके अस्तित्व से ही हमारा अस्तित्व संभव है।
इन्हे भी पढ़ें: वाहन प्रदूषण पर निबंध || पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध || प्लास्टिक प्रदूषण पर निबंध || वायु प्रदूषण पर निबंध || मृदा प्रदूषण पर निबंध || जल प्रदूषण पर निबंध || ध्वनि प्रदूषण पर निबंध
प्रदूषण पर निबंध 3 (500 शब्द) – प्रदूषण के कारण
2019 में दीवाली के कुछ दिन बाद ही राजधानी दिल्ली में पॉल्यूशन हॉलीडे हुआ। यह अत्यंत चौंकाने वाली बात थी कि, दिल्ली सरकार को पॉल्यूशन के कारण विद्यालय बंद कराना पड़ा। कितने दुःख की बात है। ऐसी नौबत आ गयी है, अपने देश में।
पर्यावरणीय प्रदूषण आज के टाइम की सबसे बड़ी प्राब्लम है। विज्ञान की अधिकता ने हमारे जीवन को सरल तो बनाया है, साथ ही प्रदूषण बढ़ाने में भी योगदान दिया है। मनुष्य ने अपने लाभ के लिए प्रकृति से बहुत छेड़छाड़ किया है। प्रकृति का अपना नियम होता है, सभी जीव-जंतु उसी नियम के हिसाब से अपना-अपना जीवन-चक्र चलाते हैं, किंतु हम मनुष्यों ने इससे पर्याप्त छेड़-छाड़ किया है, जिससे प्रकृति का संतुलन बिगड़ गया है।
प्रदूषण के मुख्य कारण (Main Reason for Pollution)
प्रदूषण के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं –
- वनों की कटाई (Deforestation)
बढ़ती जनसंख्या भी एक महत्वपूर्ण कारण हैं, जिस कारण लगातार वनों को काटा गया है। पर्यावरण प्रदूषण के पीछे सबसे बड़े कारणों में से एक निर्वनीकरण है। वृक्ष ही वातावरण को शुध्द करते हैं। वनोन्मूलन के कारण ही वातावरण में ग्रीन-हाउस गैसों की अधिकता होते जा रही है। जिसके दुष्परिणाम ग्लोबल-वार्मिग के रूप में प्रकट हो रही है। क्योंकि पेड़ ही पर्यावरण में मौजूद कार्बन डाइआऑक्साइड को अवशोषित करते हैं और आक्सीजन का उत्सर्जन करते हैं।
- उद्योग-धंधे (Industries)
भोपाल गैस त्रासदी अमेरिकी कंपनी यूनियन कार्बाइड कारखाने में कीटनाशक रसायन को बनाने के लिए मिक गैस का उत्पादन होता था। इस गैस संयंत्र के कारखाने में 2-3 दिसंबर 1984 को जहरीली मिक गैस (मिथाइल आइसो सायनाइड) के रिसाव के कारण कुछ ही घंटो में करीबन 2500 लोगों की जान चली गयी थी और हजारों घायल हुए थे। हजारों जानवरो की भी मृत्यु हो गयी थी। इस घटना को भोपाल गैस त्रासदी के नाम से जाना जाता है।
इस घटना की चर्चा यहाँ इसलिए की, क्योंकि यह औद्योगिकीकरण के कारण हुए प्रदूषण का उदाहरण है। इतना ही नहीं, 6 से 9 अगस्त, 1945 में जापान के हिरोशिमा और नागासाकी में किए गए एटॉमिक बम अटैक के कारण हुए भयंकर परिणाम से पूरी दुनिया वाक़िफ है। उसके कारण हुए वायु-प्रदूषण से जापान आज तक उबर नहीं पाया है। अटैक के कारण विनाशकारी गैसें सम्पूर्ण वायु-मंडल में समा गयी थी।
वैज्ञानिकों की माने तो औद्योगिकीकरण के नाम पर बीते 100 सालों में 36 लाख टन कार्बन डाइआऑक्साइड वायुमंडल में छोड़ी गयी है, जिस कारण हमारी पृथ्वी का तापमान बढ़ा है। और तो और मौसम में तब्दीलियां भी इसी कारण हो रही हैं, जैसे अत्यधिक गर्मी, बाढ़, सूखा, अम्लीय वर्षा, बर्फ का पिघलना, समुद्र के जल-स्तर में वृध्दि होना आदि। अकेले अमेरिका विश्व का लगभग 21% कार्बन वायुमंडल में उत्सर्जित करता है।
बढ़ता प्रदूषण आज समूल विश्व का सरदर्द बन चुका है। प्रदूषण के कारण चीजें दिन प्रति दिन बद से बदतर होती जा रही है। चूँकि पूरा विश्व इसके प्रति गंभीर है। लोगों में जागरुकता फैलाने के लिए हर साल पर्यावरण दिवस, जल दिवस, ओजोन दिवस, पृथ्वी दिवस, जैव विविधता दिवस आदि मनाये जाते है। समय-समय पर पर्यावरण के संरक्षण के लिए स्कॉटहोम सम्मेलन, मॉट्रियल समझौता आदि होता रहा है।
प्रदूषण पर निबंध 4 (600 शब्द) – प्रदूषण के प्रकार व रोकथाम
आज के समय में प्रदूषण एक वैश्विक समस्या बन चुका है। इसने हमारे पृथ्वी को पूर्ण रुप से बदल कर रख दिया है और दिन-प्रतिदिन पर्यावरण को क्षति पहुंचाते जा रहे है, जोकी हमारे जीवन को और भी ज्यादे मुश्किल बनाते जा रहा है। कई तरह के जीव और प्रजातियां प्रदूषण के इन्हीं हानिकारक प्रभवों के कारण धीरे-धीरे विलुप्त होते जा रहीं है।
प्रदूषण के प्रकार (Types Of Pollution)
1. वायु प्रदूषण (Air Pollution)
वायु प्रदूषण को सबसे खतरनाक प्रदूषण माना जाता है, इस प्रदूषण का मुख्य कारण उद्योगों और वाहनों से निकलने वाला धुआं है। इन स्त्रोतों से निकलने वाला हानिकारक धुआं लोगो के लिए सांस लेने में भी बाधा उत्पन्न कर देता है। दिन प्रतिदिन बढ़ते उद्योगों और वाहनों ने वायु प्रदूषण में काफी वृद्धि कर दी है। जिसने ब्रोंकाइटिस और फेफड़ो से संबंधित कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं खड़ी कर दी है।
2. जल प्रदूषण (Water Pollution)
उद्योगों और घरों से निकला हुआ कचरा कई बार नदियों और दूसरे जल स्त्रोतों में मिल जाता है, जिससे यह उन्हें प्रदूषित कर देता है। एक समय साफ-सुथरी और पवित्र माने जानी वाली हमारी यह नदियां आज कई तरह के बीमारियों का घर बन गई है क्योंकि इनमें भारी मात्रा में प्लास्टिक पदार्थ, रासयनिक कचरा और दूसरे कई प्रकार के नान बायोडिग्रेडबल कचरे मिल गये है।
3. भूमि प्रदूषण (Soil Pollution)
वह औद्योगिक और घरेलू कचरा जिसका पानी में निस्तारण नही होता है, वह जमीन पर ही फैला रहता है। हालांकि इसके रीसायकल तथा पुनरुपयोग के कई प्रयास किये जाते है पर इसमें कोई खास सफलता प्राप्त नही होती है। इस तरह के भूमि प्रदूषण के कारण इसमें मच्छर, मख्खियां और दूसरे कीड़े पनपने लगते है, जोकि मनुष्यों तथा दूसरे जीवों में कई तरह के बीमारियों का कारण बनते है।
4. ध्वनि प्रदूषण (Noise Pollution)
ध्वनि प्रदूषण कारखनों में चलने वाली तेज आवाज वाली मशीनों तथा दूसरे तेज आवाज करने वाली यंत्रो से उत्पन्न होता है। इसके साथ ही यह सड़क पर चलने वाले वाहन, पटाखे फूटने के कारण उत्पन्न होने वाला आवाज, लाउड स्पीकर से भी ध्वनि प्रदूषण में वृद्धि होती है। ध्वनि प्रदूषण मनुष्यों में होने वाले मानसिक तनाव का मुख्य कारण है, जोकि मस्तिष्क पर कई दुष्प्रभाव डालने के साथ ही सुनने की शक्ति को भी घटाता है।
5. प्रकाश प्रदूषण (Light Pollution)
प्रकाश प्रदूषण किसी क्षेत्र में अत्यधिक और जरुरत से ज्यादे रोशनी उत्पन्न करने के कारण पैदा होता है। प्रकाश प्रदूषण शहरी क्षेत्रों में प्रकाश के वस्तुओं के अत्यधिक उपयोग से पैदा होता है। बिना जरुरत के अत्याधिक प्रकाश पैदा करने वाली वस्तुएं प्रकाश प्रदूषण को बढ़ा देती है, जिससे कई तरह की समस्याएं उत्पन्न हो जाती है।
6. रेडियोएक्टिव प्रदूषण (Radioactive Pollution)
रेडियोएक्टिव प्रदूषण का तात्पर्य उस प्रदूषण से है, जो अनचाहे रेडियोएक्टिव तत्वों द्वारा वायुमंडल में उत्पन्न होता है। रेडियोएक्टिव प्रदूषण हथियारों के फटने तथा परीक्षण, खनन आदि से उत्पन्न होता है। इसके साथ ही परमाणु बिजली केंद्रों में भी कचरे के रुप में उत्पन्न होने वाले अवयव भी रेडियोएक्टिव प्रदूषण को बढ़ाते है।
7. थर्मल प्रदूषण (Thermal Pollution)
कई उद्योगों में पानी का इस्तेमाल शीतलक के रुप में किया जाता है जोकि थर्मल प्रदूषण का मुख्य कारण है। इसके कारण जलीय जीवों को तापमान परिवर्तन और पानी में आक्सीजन की कमी जैसी समस्याओं से जूझना पड़ता है।
8. दृश्य प्रदूषण (Visual Pollution)
मनुष्य द्वारा बनायी गयी वह वस्तुएं जो हमारी दृष्टि को प्रभावित करती है दृष्य प्रदूषण के अंतर्गत आती है जैसे कि बिल बोर्ड, अंटिना, कचरे के डिब्बे, इलेक्ट्रिक पोल, टावर्स, तार, वाहन, बहुमंजिला इमारते आदि।
विश्व के सर्वाधिक प्रदूषण वाले शहर (Most Polluted City of The World)
एक तरफ जहां विश्व के कई शहरों ने प्रदूषण के स्तर को कम करने में सफलता प्राप्त कर ली है, वही कुछ शहरों में यह स्तर काफी तेजी से बढ़ता जा रहा है। विश्व के सबसे अधिक प्रदूषण वाले शहरों की सूची में कानपुर, दिल्ली, वाराणसी, पटना, पेशावर, कराची, सिजीज़हुआन्ग, हेजे, चेर्नोबिल, बेमेन्डा, बीजिंग और मास्को जैसे शहर शामिल है। इन शहरों में वायु की गुणवत्ता का स्तर काफी खराब है और इसके साथ ही इन शहरों में जल और भूमि प्रदूषण की समस्या भी दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है, जिससे इन शहरों में जीवन स्तर काफी दयनीय हो गया है। यह वह समय है जब लोगों को शहरों का विकास करने के साथ ही प्रदूषण स्तर को भी नियंत्रित करने की आवश्यकता है।
प्रदूषण कम करने के उपाय (Tips for Preventing Pollution)
जब अब हम प्रदूषण के कारण और प्रभाव तथा प्रकारों को जान चुके हैं, तब अब हमें इसे रोकने के लिए प्रयास करने होंगे। इन दिये गये कुछ उपायों का पालन करके हम प्रदूषण की समस्या पर काबू कर सकते है।
1. कार पूलिंग
2. पटाखों को ना कहिये
3. रीसायकल/पुनरुयोग
4. अपने आस-पास की जगहों को साफ-सुथरा रखकर
5. कीटनाशको और उर्वरकों का सीमित उपयोग करके
6. पेड़ लगाकर
7. काम्पोस्ट का उपयोग किजिए
8. प्रकाश का अत्यधिक और जरुरत से ज्यादे उपयोग ना करके
9. रेडियोएक्टिव पदार्थों के उपयोग को लेकर कठोर नियम बनाकर
10. कड़े औद्योगिक नियम-कानून बनाकर
11. योजनापूर्ण निर्माण करके
प्रदूषण दिन-प्रतिदिन हमारे पर्यावरण को नष्ट करते जा रहा है। इसे रोकने के लिए हमें जरुरी कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि हमारी इस पृथ्वी की खूबसूरती बरकरार रह सके। यदि अब भी हम इस समस्या का समाधान करने बजाए इसे अनदेखा करते रहेंगे, तो भविष्य में हमें इसके घातक परिणाम भुगतने होंगे।
FAQs: Frequently Asked Questions
उत्तर – भारत का सबसे अधिक प्रदूषित राज्य राजधानी नई दिल्ली है।
उत्तर – भारत में सबसे कम प्रदूषित शहर मिजोरम का लुंगलेई शहर है।
उत्तर – विश्व का सबसे कम प्रदूषित देश डेनमार्क है।
उत्तर –जल प्रदूषण की मात्रा BOD (Biological Oxygen Demand) से मापी जाती है।
उत्तर –भारत में प्रदूषण नियंत्रण “केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड” के अंतर्गत आता है।
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प्रदूषण की समस्या पर निबंध: Pradushan ki Samasya Par Nibandh for Student
Reported by Dhruv Gotra
Published on 4 October 2024
आज के समय में दुनिया प्रदूषण से परेशान है और इसके विभिन्न परिणामों से भी जूझ रही है। इसके दुष्प्रभावों से बचने के लिए सभी देश अब प्रदूषण को कम करने का प्रयास कर रहे हैं। जिससे प्रदूषण की समस्या पर रोक लग सके। विभिन्न देशों की तरह ही हमारे देश में भी प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए बहुत से कदम उठाये जा रहे हैं। जिनके विषय में हम आगे बात करेंगे। इससे पहले हम जानेंगे की प्रदूषण होता क्या है? साथ ही प्रदूषण के प्रकार, इसके प्रभाव और इसकी रोकथाम के विषय में भी आगे बात करेंगे। आज इस लेख के जरिये हम आप को प्रदूषण की समस्या पर निबंध (Pradushan ki Samasya Nibandh) लिखना बताएंगे –
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समय के साथ-साथ विज्ञान में नयी नयी खोजो की मदद से दुनिया ने बहुत तरक्की की है। पहले की तुलना में आज हमारे लिए बहुत से कार्य बेहद सरल हो चुके हैं और हमें अनेक सुविधाएं मिल चुकी है। लेकिन जहाँ हमें एक ओर अनको सुविधाएं मिली वही दूसरी तरफ हमारे लिए दूषित पर्यावरण में रहना दिन प्रतिदिन मुश्किल होता जा रहा है। इसीलिए कहते हैं की विज्ञान हमारे लिए कभी वरदान तो कभी अभिशाप है। फर्क पड़ता है तो इस बात से कि हम विज्ञान का उपयोग कैसे करते हैं?
यदि हम विवेक पूर्ण तरीके से विज्ञान का उपयोग करते हैं तो हम इससे होने वाले दुष्प्रभावों से बच सकते हैं। इसी तरह हमें विज्ञान से मिले तकनीक का सही और संतुलित इस्तेमाल करके इसके दुष्प्रभाव जैसे की प्रदूषण आदि से बचना होगा। साथ ही अपना भविष्य सुरक्षित रखने के लिए हमें देश दुनिया में फैले प्रदूषण को कम करना होगा।
प्रदूषण क्या है ? प्रदूषण की समस्या
प्रदूषण का अर्थ होता है कि पर्यावरण में विषैले, हानिकारक और जीवन के लिए खतरा माने जाने वाले तत्वों की अधिकता हो जाती है तो उसे ही प्रदूषण कहते हैं। अन्य शब्दों में समझें तो – जब प्रकृति के संतुलन में दोष उत्पन्न हो जाए तब हम इसे प्रदूषण कह सकते हैं। आज के समय में जल से लेकर वायु तक हमारा वातावरण दूषित हो चुका है। जिसका सीधा प्रभाव पूरी मानव जाति पर पड़ेगा।
प्रदूषण के प्रकार (Types of Pollution) / प्रदूषण की समस्या
प्रदूषण मुख्य रूप से 4 प्रकार के होते हैं। जिनमें जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, मृदा प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण आते हैं। इसके अतिरिक्त भी अन्य प्रकार के प्रदूषण हैं जो धीरे-धीरे करके आज के समय में मानव जाति के लिए खतरा बन रहे हैं। इनमें हम रेडियोधर्मी प्रदूषण और प्रकाश प्रदूषण को शामिल कर सकते हैं। आइये अब इन प्रदूषणों के बारे में विस्तार से जानते हैं।
1- जल प्रदूषण (Water Pollution)
जल हमारे जीवन के लिए बहुत आवश्यक है। लेकिन वर्तमान समय में जल प्रदूषण के चलते पीने का पानी बहुत ही कम रह गया है। जिसके अनेक कारण हैं। लेकिन जो पीने योग्य उपलब्ध जल राशि है वो भी दूषित होती जा रही है। और इन सब में से मुख्य कारण है – जल का प्रदूषित होना।
बात करें जल प्रदूषण की तो इसे आप ऐसे समझ सकते हैं कि जल निकायों (water bodies) के दूषित होने पर इसे जल प्रदूषण कहते हैं। जैसे कि झील, नदियाँ, समुद्र और भूजल का प्रदूषण आदि भी इसमें शामिल है। ऐसा इसलिए क्योंकि नदियों, जलाशयों, तालाबों आदि में कारखानों के अपशिष्ट व रासायनिक पदार्थ डाले जाते हैं। जिससे पानी दूषित हो जाता है। यही नहीं ये अलग-अलग प्रकार से मानव शरीर में पहुंचकर गंभीर बीमारियां उत्पन्न करता है।
2- वायु प्रदूषण (Air Pollution)
आज के समय में कारखानों, विभिन्न मोटर कार, बाइक आदि गाड़ियों से निकलने वाले धुएं के कारण वातावरण बहुत ही प्रदूषित हो चूका है। सबसे अधिक वायु प्रदूषण गाड़ियों के धुएं से हो रहा है। इसके अतिरिक्त भी बहुत सी विज्ञान द्वारा दी गयी ऐसी तकनीक हैं जिनका इस्तेमाल करने से भी हमारे क्रियाकलापों से वायु प्रदूषण हो रहा है।
जैसे की सभी को ज्ञात है कि वायु में सभी गैसें एक संतुलित मात्रा में मौजूद है। जो कि सामान्य रूप से इंसानों के लिए हानिकारक नहीं होती, लेकिन यदि किसी कारणवश ये संतुलन बिगड़ जाता है तो इससे वायु प्रदूषित हो जाती है। वायु प्रदूषण का प्रभाव हम दिल्ली, हरियाणा व आस- पास के क्षेत्रों में देख सकते हैं।
3- मृदा / भूमि प्रदूषण (Soil Pollution)
बढ़ती जनसंख्या के साथ-साथ उनके रहने और बसने के लिए धरती से जंगल हटाए जा रहे हैं। साथ ही इतने सभी मनुष्यों के अपशिष्ट व अन्य कचरा का बोझ भी धरती पर ही पड़ता है। जिस से धरती भी प्रदूषित हो रही है। भूमि प्रदूषण के अन्य बहुत से कारण होते हैं।
जैसे कि – खेती में इस्तेमाल होने उर्वरक और कीट नाशक, जिन्हें विभिन्न केमिकलों को मिलाकर बनाया जाता है। ये केमिकल ही धरती की उत्पादकता को खत्म करते हैं। इसके अतिरिक्त दैनिक इस्तेमाल होने वाली वस्तुएं जिन्हें दूसरी बार इस्तेमाल नहीं कर सकते जैसे कि – प्लास्टिक से बनी हुई वस्तुओं आदि से भी धरती को नुकसान हो रहा है।
4- ध्वनि प्रदूषण (Noise pollution)
ध्वनि प्रदूषण का अर्थ आप इसके नाम से ही लगा सकते हैं। इसका अर्थ होता है ध्वनि से होने वाला प्रदूषण। आप ने ध्यान दिया होगा कि सड़कों पर चलने वाले वाहनों से निकलने वाली हॉर्न वाली आवाज़ें और जगह-जगह लगे हुए लाउडस्पीकर से होने वाले आवाज़ से ध्वनि प्रदूषण की मात्रा बढ़ जाती है। जो कि इंसानों में सुनने की क्षमता और मानसिक बीमारियों की जड़ बनती जा रही है। इसके अतिरिक्त अनेक अवसरों जैसे शादी – विवाह, त्योहारों आदि पर लोग पटाखे जलाते हैं व तेज आवाज में संगीत सुनते हैं जिससे ध्वनि प्रदूषण होता है।
5 – रेडियोधर्मी प्रदूषण (Radioactive Pollution)
रेडियोधर्मी प्रदूषण रेडिएशन से होने वाला प्रदूषण है जो कि इंसानों के लिए खतरनाक है। मुख्य रूप रेडियोएक्टिव पदार्थों से निकलने वाले विकिरण जैसे कि यूरेनियम, थोरियम, प्लूटोनियम आदि से रेडियोएक्टिव प्रदूषण होता है।
इसके अलावा दैनिक जीवन में इस्तेमाल होने वाले गैजेट्स / यंत्र आदि का इस्तेमाल करते हैं जैसे कि मोबाइल फ़ोन व अन्य ऐसे ही यंत्रों का उपयोग करते हैं तो इस से भी नाभिकीय प्रदूषण फैलता है।
6 – प्रकाश प्रदूषण (Light Pollution)
प्रकाश प्रदूषण को ही फोटो पॉल्यूशन (photo pollution) के नाम से जाना जाता है। इसे चमकदार पॉल्यूशन के नाम से भी जाना जाता है। ये प्रदूषण मुख्य रूप से कृत्रिम प्रकाश के इस्तेमाल से बढ़ रहा है।
जैसे-जैसे विकास हो रहा है और शहरीकरण बढ़ रहा है, वैसे ही कृत्रिम प्रकाश की मांग भी अनेक अवसर पर बढ़ जाती है। जिस से आस पास के वातावरण पर इसका बुरा प्रभाव भी पड़ने लग गया है। इसका सबसे अधिक प्रभाव हमारे आस पास के जीव जंतुओं पर पड़ता है। जैसे की सड़क किनारे पेड़, उद्यान व उसमें लगे पेड़ पौधे, इसके साथ ही अन्य जीव जंतु जिनमें कीट पतंगे भी शामिल हैं उन पर भी चकाचौंध रौशनी से दुष्प्रभाव पड़ रहा है।
प्रदूषण के स्रोत और कारण (Sources And Causes Of Pollution)
वर्तमान में मानव जाति विभिन्न प्रकार के प्रदूषणों से जूझ रही है। जिसके कारण भी कहीं न कहीं हम खुद हैं। आगे दिए गए छोटे-छोटे पॉइंट्स में हम इन कारणों को समझेंगे।
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जल प्रदूषण : जल प्रदूषण के मुख्य कारण वर्तमान में निम्न हैं –
- नदियों, तालाबों व अन्य ऐसे ही जलाशयों में लोग नहाने, कपड़े धोने से लेकर शव बहाने तक का कार्य करते हैं।
- औद्योगिक कचरा जैसे कि कारखानों से निकलने वाला केमिकल व कचरा आदि नदियों में बहा देते हैं।
- कृषि में इस्तेमाल होने वाले केमिकल जो कि फसल को बचाने आदि के लिए प्रयोग किये जाते हैं।
- सीवेज, नदी नालों का पानी जो नदियों में बहा देते हैं। इससे जल दूषित हो जाता है।
- नदियों के किनारे गंदगी फैलाने से भी उस स्थान के पानी की गुणवत्ता खराब हो जाती है।
- इसके अतिरिक्त कचरे के निपटान की अपर्याप्त व्यवस्था और पानी के बेहतर ट्रीटमेंट के लिए पर्याप्त इंफ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध न होना, आदि।
वायु प्रदूषण : वायु प्रदूषण फैलाने वाले विभिन्न कारण हैं जिनके बारे में आप आगे पढ़ सकते हैं –
- देश में लगने वाले विभिन्न उद्योगों के कारखानों से निकलने वाला धुआँ।
- गाड़ियों की बढ़ती संख्या, जिससे धुंए की मात्रा में बढ़ोतरी हो रही है।
- वनों की अंधाधुंध कटाई से वातावरण में आक्सीजन में कमी हो रही है। और अन्य हानिकारक गैस बढ़ रही हैं।
- परमाणु परीक्षण से भी वायु प्रदूषण बढ़ता है।
भूमि प्रदूषण :
- खेती में फसलों की मात्रा बढ़ाने या उत्पादकता में अधिकता लाने के लिए विभिन्न प्रकारों के केमिकल और उर्वरकों व कीट नाशक केमिकल का प्रयोग करने से भूमि प्रदूषण होता है।
- ऐसे पदार्थ जो भूमि में अवशोषित नहीं होते जैसे की प्लास्टिक आदि से भूमि प्रदूषण बढ़ता है।
- कारखानों से निकलने वाला ठोस कचरा।
- विभिन्न निर्माण जैसे की घर, भवन आदि में इस्तेमाल होने वाले अवशिष्ट पदार्थ का निपटान जैसे कि धातु, कांच, सेरामिक, सीमेंट आदि। ये भूमि में अवशोषित नहीं होते हैं।
ध्वनि प्रदूषण :
- परिवहन साधन जैसे की सड़कों पर चलने वाली गाड़ियां आदि से उत्पन्न होने वाली आवाज़ें जैसे की हॉर्न की आवाज़।
- कारखानों में चलने वाली मशीनों की आवाज।
- जहाँ निर्माण कार्य हो रहा हो। वहां से मशीन आदि की आवाज़।
- लाउड स्पीकर, डीजे आदि का इस्तेमाल, तेज आवाज़ में रेडियो टीवी या ऐसे ही कोई म्यूजिक सिस्टम का उपयोग।
- विभिन्न अवसरों पर होने वाली आतिशबाजी।
रेडियोएक्टिव प्रदूषण : खासकर परमाणु रिएक्टरों से होने वाले रिसाव, प्लूटोनियम तथा थोरियम के शुद्धिकरण, आणविक ऊर्जा संयंत्र, औषधि विज्ञान, नाभिकीय प्रयोग, रेडियोधर्मी पदार्थों के उत्खनन व परमाणु बमों के विस्फोट होने पर होता है।
प्रकाश प्रदूषण / फोटोपॉल्यूशन : कृत्रिम लाइट्स का अत्यधिक मात्रा में प्रयोग करना। कुछ खास अवसरों पर अत्यधिक प्रकाश वाली लाइट्स का उपयोग करना। जैसे कि गाड़ियों में इस्तेमाल होने वाली अत्यधिक चमकदार रौशनी वाले बल्ब।
प्रदूषण के बुरे प्रभाव (Effects of Pollution)
वर्तमान में दुनिया भर में लोग प्रदूषण के चलते परेशान हैं। प्रदूषण से बहुत ही हानिकारक प्रभाव पड़ता है।
- जल प्रदूषित होने से फसलें खराब होती हैं और साथ ही दूषित पानी किसी भी प्रकार से हमारे शरीर में जाने पर बीमारियों को जन्म देता है। साथ ही जल में रहने वाले जीव जंतुओं को भी नुकसान पहुंचाता है।
- ध्वनि प्रदूषण से इंसानों में मानसिक अस्थिरता और सुनने की क्षमता में कमी आती है।
- वायु प्रदूषण से न सिर्फ इंसानों को बल्कि अन्य जी जंतुओं के लिए भी खतरा होता है। इंसानों को सांस लेने में परेशानी, फेफड़ों से संबंधित बीमारियां होने लगती हैं।
- भूमि प्रदूषण से जमीन की उत्पादकता कम होती है।
- दूषित पदार्थ खाने से बीमारियां होती हैं, साथ ही अन्य आपदाएं जैसे कि भूस्खलन आदि की समस्या बढ़ जाती है।
- ओजोन लेयर, जो कि धरती पर जीवन बनाये रखने में मददगार होती है, उसे भी प्रदूषण के कारण नुकसान पहुंचा है।
प्रदूषण रोकने के उपाय (Measures To Prevent Pollution)
वर्तमान में प्रदूषण का स्तर देखते हुए सभी संभव प्रयास करने होंगे की जल्द से जल्द प्रदूषण की समस्या को खत्म किया जा सके। और इसके लिए जो बन पड़े वो सभी को अपने स्तर पर करना होगा। इसके लिए हम निम्नलिखित कदम उठा सकते हैं –
- सबसे पहले तो हमें वृक्षारोपण करना होगा। जिससे वायु प्रदूषण को कुछ हद तक कम कर सकें।
- सीवेज को साफ़ करने के लिए सीवर शोधन यंत्रों का उपयोग कर नगरपालिका इस समस्या से छुटकारा दिला सकती है।
- किसी भी प्रकार का कूड़ा, कचरा या अवशिष्ट पदार्थों को पानी या खुले स्थान पर न डालें। साथ ही नदियों या जलस्रोतों के पास खासकर कचरा न फैलाएं जिनमें प्लास्टिक या फिर नॉन रीसायकल वाले पदार्थ हों।
- वृक्षों को लगाने से न केवल वायु प्रदूषण कम होगा बल्कि इससे ध्वनि प्रदूषण भी नियंत्रित किया जा सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि हरे पेड़ पौधे ध्वनि की तीव्रता को 10 से 15 डी.वी. तक कम करने में सक्षम होते हैं।
- सार्वजनिक वाहनों का अधिकतर उपयोग करना ज्यादा लाभकारी है। इससे वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण और आदि में कमी आएगी।
- गाड़ियों के इंजन समय-समय पर चेक किये जाएँ व गाड़ियों की रेगुलर मरम्मत की जाए।
- शहरों की तरफ अत्यधिक पलायन को रोका जाए और इसके लिए ग्रामीण क्षेत्रों में ही रोजगार उपलब्ध कराये जाए।
- नदियों और समुद्री तटों की नियमित सफाई कराये जाए।
- आम नागरिकों को भी अपने स्तर पर प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए आगे आना होगा।
- प्लास्टिक व अन्य ऐसी वस्तुओं का इस्तेमाल बिलकुल बंद कर दिया जाए। सरकार ने इस पर बैन भी लगा दिया है। सभी नागरिकों को इसका पालन करना चाहिए।
- ऐसा ईंधन प्रयोग करें जिसमें कम से कम धुआं निकले।
- जनसंख्या वृद्धि को भी नियंत्रित किया जाए।
प्रदूषण की समस्या से जुड़े प्रश्न उत्तर
Pollution / प्रदूषण क्या है कितने प्रकार के होते हैं?
प्रदूषण का अर्थ है कि हमारे वातावरण में दूषित करने वाले तत्वों की अधिकता होना, जो कि मानव जीवन के लिए हानिकारक हो। इसके 5 प्रकार है – वायु प्रदूषण (Air Pollution), ध्वनि प्रदूषण (Noise Pollution),भूमि प्रदूषण (Soil Pollution), जल प्रदूषण (Water pollution), रेडियोधर्मी प्रदूषण (Radioactive Pollution)
वायु प्रदूषण क्या है इसके प्रमुख कारण क्या है ?
जब वायु में मौजूद विभिन्न गैसों की संतुलित मात्रा से अधिक हो जाती है तो उसे वायु प्रदूषण कहते हैं। गैसों के असंतुलन से न सिर्फ मानव जीवन पर फर्क पड़ता है बल्कि पर्यावरण में अन्य जीव जंतुओं के लिए भी ये हानिकारक होता है। इसके प्रमुख कारणों में कारखानों से निकलने वाले धुंए, सड़कों पर चलने वाले गाड़ियों का धुआं आदि।
ध्वनि प्रदूषण क्या होता है ?
ध्वनि प्रदूषण अत्यधिक तीव्र आवाज के कारण होता है। जिससे सामान्य से अधिक आवाज के कारण लोगों को समस्या का सामना करना पड़े।
प्रदूषण का मुख्य स्रोत क्या है?
प्रमुख स्रोतों में ठोस अपशिष्टों का जलना, औद्योगिक कारखाने और खासकर परिवहन के साधन से उठने वाला धुआं हैं।
आज इस लेख में हमने आप को प्रदूषण की समस्या पर निबंध की जानकारी दी हैं। उम्मीद है आप को ये जानकारी उपयोगी लगी होगी। यदि आप ऐसे ही अन्य विषयों पर उपयोगी निबंध पढ़ना चाहते हैं तो आप हमारी वेबसाइट HINDI NVSHQ से जुड़ सकते हैं।
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