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जनसंख्या नियंत्रण पर निबंध Essay on Population Control In Hindi

जनसंख्या नियंत्रण निबंध Essay on Population Control In Hindi विगत कई वर्षों से भारत में जनसंख्या नियंत्रण Population Control एक महत्वपूर्ण राजनीतिक और सामाजिक मुद्दा रहा हैं.

देश में एक बड़ा वर्ग जनसंख्या नियंत्रण कानून की मांग लम्बे समय से कर रहा हैं. आज के निबंध, भाषण, अनुच्छेद का हमारा विषय जनसंख्या नियंत्रण एक्ट हैं इसकी आवश्यकता, उद्देश्य, महत्व, इतिहास आदि को समझने का प्रयत्न करेंगे.

जनसंख्या नियंत्रण पर निबंध Essay on Population Control In Hindi

इन दिनों जनसंख्या नियंत्रण एक्ट चर्चा का विषय बना हुआ है आज इस लेख के माध्यम से हम जानेंगे कि जनसंख्या नियंत्रण क्या है यह क्यों आवश्यक है.

भारत की जनसंख्या का तुलनात्मक अध्ययन करने के साथ यह भी जानेंगे कि अधिनियम के अलावा कौन से कदम उठाए जा सकते हैं.

जिनसे जनसंख्या नियंत्रित हो तथा जनसंख्या का इतिहास तथा भारत के संदर्भ में  जनसंख्या नीति भारत में जनगणना इत्यादि का समावेश करने का प्रयास किया गया है.

जनसंख्या मानव संसाधन है क्योंकि मनुष्य उत्पादन करने के साथ ही जीवन की गुणवत्ता को भी संसाधनों के बेहतर उपयोग द्वारा बढ़ाता है.

वास्तविक अर्थों में विकास मानव संसाधन तथा अन्य संसाधनों के परस्पर संतुलित सामंजस्य के द्वारा ही किया जा सकता है. किसी भी देश में अनियंत्रित जनसंख्या वृद्धि विकास में बाधक भी साबित हो सकती है.

क्योंकि संसाधनों पर दवाब बढ़ता है जिससे लोगों के जीवन स्तर में कमी आती है. जनसंख्या नियंत्रण का अर्थ सीधे तौर पर कृत्रिम तरीकों के द्वारा जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करना है, जिससे संसाधनों के साथ सामंजस्य बना रहे.

पिछले वर्ष 15 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से बढ़ती हुई जनसंख्या तथा इससे उत्पन्न होने वाली चुनौतियों की ओर ध्यान आकर्षित किया था.

उसके बाद न्यायालयों में याचिकाएं दर्ज होनी शुरू हुई तथा प्रधानमंत्री को पत्र लेखन द्वारा विभिन्न संगठनों तथा प्रबुद्ध लोगों ने इससे संबंधित अधिनियम पारित करने की पेशकश की.

वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट में दर्ज याचिका में कहा गया है, कि 42 वें संविधान संशोधन 1976 के द्वारा समवर्ती सूची में जनसंख्या नियंत्रण एवं परिवार नियोजन विषय जोड़ा गया इसलिए केंद्र तथा राज्य सरकारों का यह कर्तव्य बनता है, कि वे इससे संबंधित अधिनियम पारित करें.इसके अलावा 2002 में सविधान समीक्षा आयोग ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया, कि वह जनसंख्या नियंत्रण संबंधी कानून बनाएं वर्तमान में दर्ज याचिका में सविधान समीक्षा योग की सिफारिशों को लागू करने की बात कही गई.

यहां हम आपको कुछ आंकड़े बताते हैं, जो यह साबित करते हैं कि भारत में जनसंख्या नियंत्रण का मुद्दा क्यों गरमाया हुआ है. विश्व के कुल क्षेत्रफल का 2% भूभाग भारत है, तथा यहां पर विश्व की 20% आबादी निवास करती है.

भारतीय जनसंख्या वृद्धि को समझने के लिए कुछ रोचक तथ्यों का विश्लेषण करना आवश्यक है. भारत में प्रत्येक दिन 70000 बच्चे जन्म लेते हैं.

अर्थात प्रत्येक मिनट में 51 बच्चों का जन्म होता है इस बार न्यू ईयर यानी 1 जनवरी 2020 को भारत में 67385 बच्चे पैदा हुए. दूसरे स्थान पर चीन रहा जहां इस दिन 46299 बच्चों ने जन्म लिया. भारत की जनसंख्या वर्तमान में 135 करोड़ है,

तथा यह इसी तरह बढ़ती है तो 2024 तक 140 करोड़ को पार कर जाएगी.  यूएनओ की एक रिपोर्ट के अनुसार 2025 तक भारत चीन को पीछे छोड़ते हुए जनसंख्या के मामले में पहले स्थान पर आ जाएगा.

भारत में कृषि उत्पाद की अधिकांश खपत हमारे देश में ही हो जाती है. हम हमारी आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु ईंधन का आयात करते हैं.

इनके अलावा बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण कुपोषण गरीबी बेरोजगारी जैसी समस्याओं से निजात पाने में कठिनाई पैदा हुई है. बड़े-बड़े शहरों में लंबे-लंबे यातायात जाम कोलाहल युक्त वातावरण बढ़ता प्रदूषण जनसंख्या विस्फोट के ई परिणाम है.

जनसंख्या नियंत्रण के प्रमुख उपायों में तर्क दिया जाता है, कि विवाह की न्यूनतम उम्र को बढ़ा दिया जाना चाहिए क्योंकि एक विशेष आयु तक प्रजनन की क्षमता अधिक होती है.

दूसरा सुझाव दिया जाता है, कि महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्म निर्भर बनाया जाए तथा महिला शिक्षा पर जोर दिया जाए. जिससे महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा मिलेगा तथा जनसंख्या वृद्धि तथा ऐसी ही अन्य समस्याओं से निजात पाने में सुलभता होगी.

समाज की रूढ़ीवादी परंपराओं से ऊपर उठने में भी शिक्षा अहम योगदान देगी जनसंख्या वृद्धि एक प्रमुख कारण पुत्र प्राप्ति की लालसा भी है. अक्सर यह माना जाता है कि पुत्र वंश को आगे बढ़ाता है तथा बुढ़ापे में सहारा बनता है.

इस संदर्भ में सरकार द्वारा संचालित योजनाओं तथा कार्यक्रमों के द्वारा लोगों को अधिकाधिक जागरुक करने की आवश्यकता है.

देश के प्रबुद्ध लोगों का तर्क है की जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाकर किया जाना अनुचित है. इनका तर्क हैं कि भारत में ऐसे प्रयास पहले भी किए गए जो और सफल रहे. यहां उल्लेखनीय है कि भारत विश्व का पहला देश है.

सरकार कानून के अलावा अन्य उपायों में प्रोत्साहन के द्वारा लोगों को प्रेरित किया जा सकता है. साथ ही जागरूकता को बढ़ावा देकर जनसंख्या बढ़ोतरी को नियंत्रित किया जा सकता है.

जनसंख्या नियंत्रण संबंधी अवधारणा पुरानी नहीं है बीसवीं सदी के अंत में विश्व के कुछ देशों में यह महसूस किया गया कि जनसंख्या की अनियंत्रित बढ़ोतरी विकास में बाधक है. तथा इसे रोका जाना चाहिए जनसंख्या किसी भी देश के लिए संसाधन है.

आइए एक नजर डालते हैं जनसंख्या के इतिहास पर जनसंख्या का इतिहास पुराना है. तथा इसके प्रमाण रोमन साम्राज्य से प्राप्त हुए हैं. इजराइल में 1500 इस्सा पूर्व हजरत मूसा ने जनगणना करवाई थी.

चाणक्य के द्वारा रचित अर्थशास्त्र में भी आर्थिक गतिविधियों के लिए जनगणना को महत्वपूर्ण बताया गया है. अबुल फजल ने अपने ग्रंथ आईने अकबरी में जनगणना का वर्णन किया है.

आधुनिक जनगणना सर्वप्रथम स्वीडन में 1749 में शुरु हुई तथा ब्रिटेन में पहली जनगणना 1801 में हुई दशकीय जनगणना की शुरुआत अमेरिका से 1881 में होती है.

भारत में सर्वप्रथम 1872 में लॉर्ड मेयो के निर्देशन में पहली जनगणना हुई परंतु क्रमबद्ध प्रथम जनगणना 1881 में लॉर्ड रिपन के कार्यकाल में हुई थी.

2011 में संपन्न हुई जनगणना भारत की 15वीं जनगणना थी. 16वी जनगणना का कार्य वर्तमान में जारी है. यह स्वतंत्र भारत की आठवीं जनगणना होगी. 1901 में भारत की जनसंख्या 23.83 करोड़ थी.

जो 1951 तक बढ़कर 36.10 करोड़ तक पहुंच गई. स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद जनसंख्या वृद्धि में अचानक उछाल आया, तथा 1981 की जनगणना में भारत की जनसंख्या 84.86 करोड़ हो गई जो 2001 में 102 करोड तथा वर्तमान में 135 करोड़ तक पहुंच गई है.

संयुक्त राज्य अमेरिका इंडोनेशिया ब्राजील पाकिस्तान बांग्लादेश व जापान की संयुक्त जनसंख्या लगभग भारत के बराबर है. भारत की पहली जनसंख्या नीति 1976 में घोषित की गई.

राष्ट्रीय जनसंख्या नीति 2000 के अनुसार परिवार नियोजन अपनाकर कुल प्रजनन दर को 2.1 प्रतिशत 2010 तक लाना शिशु मृत्यु दर को 30 से कम करना तथा मातृ मृत्यु दर को 100 से कम करने का लक्ष्य रखा गया.

इसके साथ ही इस नीति में प्रावधान किया गया, कि सभी जन्म मृत्यु तथा विवाह संबंधी पंजीकरण एवं टीकाकरण को बढ़ावा देना तथा परिवार नियोजन एवं परिवार कल्याण से संबंधित सामाजिक क्षेत्र के कार्यक्रमों पर बल देने की बात कही गई.

संपूर्ण प्रजनन दर का अर्थ किसी भी महिला की संपूर्ण प्रजनन काल सामान्य 15 से उम्र 49 वर्ष की आयु तक के दौरान पैदा हुए. बच्चों की संख्या को व्यक्त करती है भारतीयों की प्रजनन दर 1975 में जहां 4.7% थी जो वर्तमान में कम हो रही है.

2015 से 20 के बीच यह घटकर 2.3% तक पहुंची है. तथा 2040 के बाद इसका 1.7% रहने का अनुमान है. प्रजनन डर कम होना जनसंख्या नियंत्रण को दर्शाता है. 2050 तक भारत में प्रजनन दर 1.6% तक आती है, तो जनसंख्या की असामान्य बढ़ोतरी नियंत्रण मे होगी.

सरकार को चाहिए कि वह जनसंख्या नियंत्रण के मानवोचित प्रयास करें तथा इस परिस्थितियों को ध्यान में रखकर इस दिशा में आवश्यक कदम उठाने जरूरी है. जिससे संसाधनों का कुशलतम उपयोग सुनिश्चित किया जा सके.

तथा जनसंख्या की असामान्य वृद्धि से उत्पन्न अनेक समस्याओं को अनियंत्रित होने से रोका जा सके. पिछले तीन-चार दशकों से सरकार ने योजनाएं तथा कार्यक्रमों के द्वारा इस दिशा में प्रयास तो किए लेकिन सफल नहीं रहे.

इसलिए जनसंख्या नियंत्रण कानून की आवश्यकता महसूस की गई. हालांकि भारत के 21 राज्य व केंद्र शासित प्रदेशों की प्रजनन दर 2.1% है. वही उत्तर प्रदेश बिहार मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों की में प्रजनन दर उच्च स्तर पर बनी हुई है. उसे नियंत्रित करने की आवश्यकता है.

अब यह देखना दिलचस्प होगा न्यायालय ने सरकार से अपना पक्ष रखने को कहा है, तो आगामी सुनवाई में सरकार अपना क्या पक्ष रखती है. तथा उसके बाद कौन कौन से कदम उठाए जाएंगे.

  • विश्व जनसंख्या दिवस पर निबंध
  • रोजगार पर निबंध
  • बेरोजगारी पर निबंध

उम्मीद करता हूँ दोस्तों जनसंख्या नियंत्रण पर निबंध Essay on Population Control In Hindi का यह निबंध आपकों पसंद आया होगा. यदि आपकों इस आर्टिकल में दी गई जानकारी पसंद आई हो तो अपने दोस्तों के साथ जरुर शेयर करें.

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जनसंख्या नियंत्रण पर निबंध | Essay on Population Control in Hindi

Essay on Population Control Hindi : अपने स्वयं के बच्चे करने की वजाह बच्चों को अपनाना जनसंख्या को नियंत्रित करने का एक अच्छा तरीका है भारत में बढ़ती हुई आबादी गंभीर चिंता का विषय है हालांकि सरकार ने इसके नियंत्रण पर रखने के लिए कुछ कदम उठाए हैं लेकिन यह नियंत्रण पर्याप्त प्रभावी नहीं है इस मुद्दे को रोकने के लिए कई अन्य उपाय किए जाने की आवश्यकता है

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Table of Contents

जनसंख्या नियंत्रण पर 100 शब्दों का निबंध

जनसंख्या एक विशेष क्षेत्र में रहने वाले जीवो की कुल संख्या को दर्शाती है हमारे ग्रह के कुछ हिस्सों में आबादी का तेजी से विकास चिंता का कारण बन गया है जनसंख्या को आमतौर पर किसी क्षेत्र में रहने वाले लोगों की कुल संख्या के रूप में जाना जाता है हालांकि यह उन जीवों की संख्या को भी परिभाषित करता है जो इंटरब्रीड कर सकते हैं कुछ देशों में मानव जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है इन देशों को मानव नियंत्रण उपायों को नियंत्रित करने की सलाह दी जा रही है

भारत की जनसंख्या का तुलनात्मक अध्ययन करने के साथ ही यह भी जानेंगे कि अधिनियम के अलावा कौन से कदम उठाए जा रहे हैं

जिनमें जनसंख्या को नियंत्रित हो तथा जनसंख्या का इतिहास तथा भारत के संदर्भ में जनसंख्या नीति अपनाने जनगणना इत्यादि का समावेश करने का प्रयास किया गया है

क्योंकि संसाधनों पर दबाव बढ़ता है जिससे लोगों के जीवन स्तर में कमी आती है जनसंख्या नियंत्रण का अर्थ सीधे तौर पर कृतिम तरीकों के द्वारा जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करना है जिससे संसाधनों के साथ सामंजस्य बना रहे

पिछले वर्ष 15 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से बढ़ती हुई जनसंख्या तथा इससे उत्पन्न होने वाली चुनौतियों की ओर ध्यान आकर्षित किया था

जनसंख्या नियंत्रण पर निबंध | Essay on Population Control Hindi

जनसंख्या नियंत्रण पर 250 शब्दों का निबंध

वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट में दर्ज याचिका में कहा गया है कि 42 वें संविधान संशोधन 1976 के द्वारा समवर्ती सूची में जनसंख्या नियंत्रण एवं परिवार नियोजन विषय जोड़ा गया इसलिए केंद्र तथा राज्य सरकारों का यह कर्तव्य बनता है कि वह इससे संबंधित अधिनियम पारित करें इसके अलावा 2002 में संविधान समीक्षा आयोग ने केंद्र सरकार के निर्देश दिया है कि वह जनसंख्या नियंत्रण संबंधी कानून बनाए वर्तमान में दर्ज याचिका में संविधान समीक्षा योग की सिफारिशों को लागू करने की बात कही गई है

यहां हम आपको कुछ आंकड़े बताते हैं जो यह साबित करते हैं कि भारत में जनसंख्या नियंत्रण का मुद्दा क्यों गरमाया हुआ है विश्व के कुल क्षेत्रफल का 2% भूभाग भारत का है तथा यहां पर विश्व की 20% आबादी निवास करती है

कुल पीने योग्य पानी जल का 4 परसेंट भारत के पास है तथा इसी प्रकार जनसंख्या विस्फोट होता है तो आने वाले समय में भारत अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ेगा

भारतीय जनसंख्या वृद्धि को समझने के लिए कुछ रोचक तथ्य का विश्लेषण करना आवश्यक है भारत में प्रत्येक दिन 70,000 बच्चे जन्म लेते हैं

अर्थात प्रत्येक मिनट में एग्जाम बच्चों का जन्म होता है इस बार न्यू ईयर यानी 1 जनवरी को भारत में 67375 बच्चे पैदा हुए दूसरे स्थान पर चीन रहा जहां इस दिन 46299 बच्चों ने जन्म लिया भारत की जनसंख्या वर्तमान में 135 करोड़ है

भारत में कृषि उत्पाद की अधिकांश खपत हमारे देश में ही हो जाती है हम हमारी आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु इनका आयात करते हैं

जनसंख्या नियंत्रण पर 300 शब्दों का निबंध

जनसंख्या नियंत्रण के प्रमुख उपायों में तर्क दिया जाता है कि विवाह की न्यूनतम उम्र को बढ़ा दिया जाना चाहिए क्योंकि एक विशेष आज तक पर प्रजनन की क्षमता अधिक होती है

दूसरा सुझाव दिया जाता है कि महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाया जाए तथा महिलाएं शिक्षा पर जोर दिया जाए जिससे महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा मिलेगा तथा जनसंख्या वृद्धि तथा ऐसी ही अन्य समस्याओं से निजात पाने में सुलभता होगी

समाज की रूढ़िवादी परंपराओं से ऊपर उठने में 20 शिक्षा अहम योगदान देगी जनसंख्या वृद्धि एक प्रमुख कारण पुत्र प्राप्ति की लालसा भी अक्सर यह माना जाता है कि पुत्र वंश को आगे बढ़ाता तथा बुढ़ापे में सहारा बनता है

देश के प्रबुद्ध लोगों का तर्क है कि जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाकर किया जाना अनुचित है इस उनका तर्क है कि भारत में ऐसे प्रयास पहले ही किए गए जो सफल रहे यहां उल्लेखनीय है कि भारत विश्व का पहला देश है जिसमें जनसंख्या नियंत्रण संबंधी कार्यक्रम चलाए आजादी के बाद 1951 में इसका आरंभ हुआ 1975 में जनसंख्या नियंत्रण संबंधी सरकार के प्रयास आलोचनाओं से घिरे रहे उस समय किए गए हम मानवी बर्ताव से ना केवल सरकार की जनसंख्या नियंत्रण संबंधी कार्यक्रम वह सफल हुए साथ ही साथ आम जनता को भी विरोधी बना दिया

सरकार कानून के अलावा अन्य उपायों में प्रोत्साहन के द्वारा लोगों को प्रेरित किया जा सकता है साथ ही जागरूकता को बढ़ावा देकर जनसंख्या बढ़ोतरी को नियंत्रित किया जा सकता है

जनसंख्या नियंत्रण संबंधी अवधारणा कुछ पुरानी नहीं है बीसवीं सदी के अंत में विश्व के कुछ देशों में यह महसूस किया गया कि जनसंख्या की अनियंत्रित बढ़ोतरी विकास में बाधक है तथा इसे रोका जाना चाहिए जनसंख्या किसी भी देश के लिए संसाधन है

आइए एक नजर डालते हैं जनसंख्या के इतिहास पर जनसंख्या का इतिहास पुराना है तथा इसके प्रणाम रोमन साम्राज्य प्राप्त हुए हैं इजराइल में 1500 पूर्व हजरत मूसा ने जनगणना करवाई थी

चाणक्य के द्वारा रचित अर्थशास्त्र में भी आर्थिक गतिविधियों के लिए जनगणना को महत्वपूर्ण बताया गया है अब्दुल फजल ने अपने ग्रंथ आईने अकबरी में जनगणना का वर्णन किया है

आधुनिक जनगणना सर्वप्रथम स्वीडन में 1749 में शुरू हुई तथा ब्रिटेन में पहली जनगणना 1801 में हुई 10 की जनगणना की शुरुआत अमेरिका से 1881 से हुई है

जनसंख्‍या नियंत्रण पर 500 शब्दों का निबंध

प्रस्तावना:-.

जनसंख्या इन दिनों एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया है ऐसा इसलिए है क्योंकि लगभग सभी देश जनसंख्या से संबंधित समस्याओं का सामना कर रहे हैं ऐसी समस्याओं में निर्णय को लागू करने में कठिनाई,सभी को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना और रोजगार सुनिश्चित करना शामिल है जनसंख्या का सबसे महत्वपूर्ण पहलू जनसंख्या का दबाव है जनसंख्या दबाव किसी देश में जनसंख्या द्वारा लगाया जाने वाला दबाव है इसका मतलब है कि अर्थव्यवस्था और समाज को जनसंख्या का आभार बहन करना होगा

बढ़ती जनसंख्या से होने वाली समस्याएं:-

जनसंख्या में वृद्धि एक राज्य के लिए सभी को न्यूनतम आवश्यकताएं प्रदान करना कठिन बना देती है हालांकि दुनिया भर के देशों में जनसंख्या दबाव की समस्या अलग है दुनिया के धनी देशों में जनसंख्या का दबाव उसके पास मौजूद धन के कारण प्रबंध की है विकासशील देशों में समय के साथ जनसंख्या में उल्लेखनीय वृद्धि देश के लिए खुद को स्थापित करना मुश्किल बना देती है इसका कारण यह है कि बढ़ी हुई जनसंख्या में अधिकांश ऐसे लोग हैं जो गरीब हैं जिनके पास कोई शिक्षा या सामाजिक सुरक्षा नहीं है उनके हितों की देखभाल करने के लिए देश व्यक्तिगत रूप से विकसित होने में विफल रहता है

बढ़ती हुई जनसंख्या के मुख्य कारण:-

देश की जनसंख्या दो कारकों,प्रवास और शिक्षा से प्रभावित है जहां तक प्रशासन का संबंध है लोग अक्सर विभिन्न कारणों से देश से दूसरे देश में प्रवास करते हैं छात्र अक्सर शिक्षा के लिए दूसरे देशों में चले जाते हैं युवा अक्सर अपने काम के माध्यम से उत्पन्न देशों की ओर पलायन करते हैं ऐसे व्यक्ति आम तौर पर अपने शेष जीवन के लिए ऐसे देश में बस जाते हैं उनके बस में का मुख्य कारण सामाजिक सुरक्षा और आय के अवसर है अन्य सुविधाएं भी हैं जो प्रथम विश्व के देशों के लोगों की उनकी अर्थव्यवस्था से मिलती है

जनसंख्या नियंत्रण के फायदे:-

  • मौजूद जनसंख्या को बेहतर जीवन मिलगा स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ मिलेगा भारत के लोगों की औसत जीवन आयु और बढ़ जाएगी
  • जनसंख्या नियंत्रण हो जाएगी तो सरकार जो पैसा भी गरीबों को मुफ्त राशन बांटने में खर्च करती हो उस पैसे को विकास में लगाया जा सकेगा
  • अपराधीकरण कम होगा यदि जनसंख्या को नियंत्रित किया जाता है क्योंकि ज्यादा जनसंख्या होने पर अपराध भी ज्यादा होते
  • कुपोषण से छुटकारा मिलेगा जनसंख्या नियंत्रण होने पर सरकार मौजूदा लोगों की सेहत पर अधिक ध्यान देगी और उन्हें कुपोषण मुक्त रख सकेगी
  • साक्षरता दर में बढ़ोतरी होगी क्योंकि ज्यादा बच्चे होने की वजह से सरकारी स्कूल में जगह नहीं मिलती गरीब लोग प्राइवेट स्कूल में अपने बच्चों को पढ़ा नहीं पाते जनसंख्या नियंत्रण होगी तो सभी को शिक्षा मिल सकेगी जिससे साक्षरता दर बढ़ेगी

जनसंख्या नियंत्रण के उपाय:-

  • समानता का प्रचार प्रसार
  • शिक्षित करना
  • स्वास्थ्य सुविधा

भारत और विश्व में जनसंख्या वृद्धि की स्थिति:-

  • हिंदू राष्ट्र के एक डाटा के अनुसार दुनिया के आधे से अधिक देशों में जनसंख्या वृद्धि पर प्रतिस्थापन दर की तुलना में कमी आ रही है और शायद पहली बार दुनिया की जनसंख्या वृद्धि दर सदी के अंत तक सुन होने का अनुमान है
  • इसके अलावा हाल ही में ब्लूंबर की एक रिपोर्ट के अनुसार कोविड-19 महामारी के चलते वैश्विक जनसंख्या में कम से कम 1 दशक की गिरावट देखी जा सकती है
  • विशेषज्ञों का अनुमान है कि महामारी ने संयुक्त राज्य अमेरिका से चीन तक पहले से ही धीमी वैश्विक जनरल को और धीमा कर दिया है
  • संयुक्त राष्ट्र के जनसंख्या अनुमानों के अनुसार वर्ष 2021 और 2021 के बीच भारत की जनसंख्या1.09 के गुणक से वृद्धि होगी
  • वर्ष 2060 के बाद से भारत की जनसंख्या में गिरावट शुरू हो जाएगी तथा प्रजनन दर पर स्थापन सबसे नीचे गिर जाएगी

जनसंख्या वृद्धि के दुष्परिणाम :-

भारत में बढ़ती जनसंख्या का दुष्परिणाम यह है कि आज भारत में गरीबी रेखा से नीचे जीवन जीने वालों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है पापी पेट की आग बुझाने के लिए भोजन नहीं,गर्मी में लू और सर्दियों में हड्डियां चूर कर देने वाली शीत लहरों से बचने के लिए वस्त्र नहीं,खुले नील गगन के नीचे फैली हुई भूमि ही उसका आवास स्थल है

जनसंख्या पर नियंत्रण करने के लिए अगर इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए तो देश विकास के मामले में पिछड़ा जाएगा और जीवन स्तर में लगातार कमी आती जाएगी लोगों को आबदी अनियंत्रित करने के महत्व को समझना चाहिए यह न केवल उन्हें स्वच्छ और स्वस्थ वातावरण तथा बेहतर जीवन स्तर प्रदान करेगा बल्कि अपने देश के समग्र विकास में भी मदद करेगा वही सरकार को भी इस समस्या को गंभीरता से लेते हुए सख्त नियम कानून बनाना चाहिए ताकि देश विकास के पथ पर आगे बढ़ सके और देश में जनसंख्या को नियंत्रण में रह सके

जनसंख्या नियंत्रण क्या है?

कृतिम तरीकों का उपयोग करके जनसंख्या वृद्धि की दर को बदलने को जनसंख्या नियंत्रण कहते हैं कुछ वर्ष पहले तक जनसंख्या वृद्धि की दर को बढ़ाने का लक्ष्य होता था किंतु अब जनसंख्या वृद्धि की दर को कम करना लक्ष्य है

जनसंख्या नियंत्रण क्यों आवश्यक है?

बढ़ती जनसंख्या पर नियंत्रण अत्यंत आवश्यक है ताकि भारतीय जनमानस के लिए मूलभूत आवश्यकताओं की आपूर्ति को सुनिश्चित किया जा सके ऐसे में सरकार को जनसंख्या नियंत्रण से संबंधित कानून बनाने में अब देरी नहीं करनी चाहिए क्योंकि इस संदर्भ में देरी जनता पर भारी पड़ती दिख रही है

इन्‍हें भी पढ़ें

  • मेरे जीवन का लक्ष्‍य पर निबंध
  • शिक्षा में खेलकूद का स्‍थान पर निबंध
  • विज्ञान के गुण और दोष पर निबंध
  • राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण पर निबंध

तो आप सभी को “जनसंख्या नियंत्रण पर निबंध | Essay on Population Control Hindi” के बारे में सारी जानकारी प्राप्‍त हो गई होगी। हमें पूरी उम्‍मीद हैं कि आपको यह जानकारी बहुत पसंद आयी होगी। अगर आपके कोई प्रश्‍न हो तो नीचे कमेंट करके जरूर पूछे और पोस्‍ट को अपने सोशल मीडिया और दोस्‍तों के साथ जरूर शेयर करें।

Suneel

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जनसंख्या नियंत्रण पर निबंध | Essay on Population Control in Hindi

जनसंख्या नियंत्रण पर निबंध | Essay-on-Population-Control-in-Hindi

Essay on Population Control in Hindi : दोस्तों पिछले कई वर्षों से भारत में जनसंख्या का मुद्दा एक अहम मुद्दा बन गया है, यह एक महत्वपूर्ण राजनीतिक और सामाजिक मुद्दा है।

देश का एक बड़ा हिस्सा जनसंख्या नियंत्रण को लेकर एक कानून की मांग कर रहा है, आज का हमारा यह आर्टिकल जनसंख्या नियंत्रण पर है, बढ़ती जनसंख्या को रोकना एक बहुत ही बड़ा मुद्दा बन गया है, और अगर इसे नहीं रोका गया तो आने वाले समय में हमें बहुत सारी मुसीबतों का सामना करना पड़ सकता है आज के इस निबंध में मैं आपको जनसंख्या से जुड़ी तमाम जानकारियां दूंगा तो आप हमारे साथ आखिर तक बने रहें।

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विषय–सूची

जनसंख्या नियंत्रण पर निबंध (Essay on Population Control in Hindi)

जनसंख्या नियंत्रण पर निबंध: दोस्तों पिछले कई दिनों से जनसंख्या नियंत्रण एक्ट का मुद्दा छीड़ा हुआ है आज इस निबंध के जरिए मैं आपको बताऊंगा कि जनसंख्या नियंत्रण क्या है, और यह हमारे और संपूर्ण देश भर के लिए क्यों आवश्यक है।

दोस्तों हमारे देश भारत को कभी सोने की चिड़िया के नाम से जाना जाता था और इसमें दूध की नदियां बहा करती थी लेकिन आज के समय में बढ़ती जनसंख्या के कारण ऐसा कुछ भी नहीं पता है, कुछ गरीब घर के बच्चों को तो दूध के रंग का भी नहीं पता है, बढ़ती जनसंख्या के कारण हमारे देश में बहुत ही चीजों की कमी होती जा रही है, कुछ गरीब लोगों को तो दो वक्त की रोटी भी नसीब नहीं होती और ना ही पहनने के लिए कपड़े प्राप्त होते हैं, आखिर यह सब क्यों हो रहा है? इन सब का मुख्य कारण बढ़ती जनसंख्या है, आपको यह जानकर बड़ी ही हैरानी होगी की भारत में पूरे विश्व की जनसंख्या का छठा भाग निवास करता है। क्योंकि इस तरीके की जनसंख्या को देखते हुए यह एक बहुत ही दुखदाई बात है।

जनसंख्या नियंत्रण पर निबंध | Essay-on-Population-Control-in-Hindi

1951 में भारत की जनंसख्या 36.1 करोड़ थी जोकि 1981 में बढ़कर 68.40 करोड़ हो गई। इस तरह देखा जाए तो केवल तीन दशकों में भारत की जनसंख्या लगभग दोगुनी बढ़ गई। बाद में 1991 में हुई जनगणना के हिसाब से यह आंकड़ा बढ़कर 84.39 हो गया।

2001 में हुई जनगणना में यह जनसंख्या बढ़ कर 1,02,70,15,247 हो गई 2011 में हुई जनगणना के आंकड़ों के अनुसार यह जनसंख्या एक अरब 21 करोड़ तक पहुंच गई है। हमारा यह मानना भी ठीक होगा कि किसी देश या राज्य के लिए जनसंख्या की बढ़ोतरी एक अहम हिस्सा निभाती है, लेकिन इतनी ज्यादा बढ़ती जनसंख्या आज हमारे पूरे देश की एक गंभीर समस्या बन गई है।

जनसंख्या का मतलब यह होता है, कि किसी एक स्थान पर रहने वाले कुल जिलों की संख्या है, भारत में कुछ जगह ऐसी है, कि जहां पर बहुत अधिक पापुलेशन होने की वजह से वहां के लोग ब्यास की वजह से मर रहे हैं और अनेकों बीमारियों का सामना भी कर रहे हैं, हां के लोगों का विकास भी एक चिंता का विषय बन चुका है, और इन परेशानियों से भारत पूर्ण तरीके से जूझ रहा है और इसी के साथ ही हमारे पड़ोसी देश चीन की भी पॉपुलेशन बहुत अधिक है।

लेकिन भारत देश ने पॉपुलेशन के मामले में चीन को भी पीछे छोड़ दिया है यह कोई उपलब्धि हासिल करने की बात नहीं है, यह एक सोच का विषय है, बढ़ती जनसंख्या से हमारे देश भारत में भुखमरी, गरीबी, भ्रष्टाचार आदि बहुत अधिक मात्रा में अधिक तेजी से बढ़ेंंगे और बढ़ती जनसंख्या के कारण लोग बेरोजगार हो जाएंगे।

कब मनाया जाता है, विश्व जनसंख्या दिवस?

11 जुलाई 1989 को विश्व जनसंख्या दिवस की शुरुआत हुई थी। सन 1987 में डॉक्टर Dr. KC Zachariah के सुझाव पर इस दिवस को मनाने की की बात कही गई। हर साल 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जाता है। जनसंख्या दिवस मनाने का उद्देश्य लोगों को इसके दुष्प्रभावों के प्रति लोगों को सचेत करना है। लोगों को बढ़ती हुई जनसंख्या के प्रति सचेत करें और उन्हें यह भी बताएं कि बढ़ती हुई जनसंख्या हमारे लिए कितनी घातक सिद्ध हो सकती है और आने वाली हमारी पीढ़ी को क्या नुकसान हो सकता है।

  • 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस क्यों मनाया जाता है? जानिए इसका पूरा इतिहास व महत्त्व

भारत में जनसंख्या वृद्धि के मुख्य कारण

अधिक जनसंख्या के भारत में बहुत से कारण है जैसे बाल विवाह, बहु विवाह, दरिद्रता, मनोरंजन का एक साधन होना, लोगों का शिक्षित होना, रूढ़िवादिता, ग्रामीण क्षेत्र के लोग सरकार द्वारा चलाई गई निरोध सुविधा का गांव में कम प्रचार होना। पुत्र पाने की लालसा आदि अनिवार्यता कारण।

अशिक्षित लोग-

अपने बहुत से गांव और कस्बे ऐसे हैं जहां पर लोग अनपढ़ है, उन लोगों को बढ़ती जनसंख्या के बारे में कुछ नहीं पता वहां के लोग बिल्कुल ऐसी क्षित है तो वहां के लोगों को बढ़ती जनसंख्या के बारे में जागरूक करना और इससे भविष्य में होने वाली हानियों के बारे में अवगत कराना क्योंकि भारत में बढ़ती हुई जनसंख्या एक बहुत बड़े खतरे का रूप ले सकती है।

जन्म दर भी लगातार बढ़ रही जनसंख्या का एक मुख्य कारण है, लोग बहुत अधिक बच्चे पैदा कर रहे हैं जनसंख्या के साथ-साथ मानव जन्म दर भी बढ़ रहा है और इसी वजह से आबादी भी ज्यादा बढ़ रही है।

मृत्यु दर में कमी-

आज का समय पहले जैसा नहीं है पहले के समय में अनेक प्रकार की महामारी या हुआ करती थी और उन महा मारियो की दवाई उचित रूप से ना मिलने पर लोगों की बहुत अधिक मौत होती थी लेकिन आज के टेक्नोलॉजी के जमाने में बहुत सी सुविधाएं सरकार की तरफ से चलाई जा रही है जिसकी वजह से लोगों का मृत्यु दर भी बहुत कम हो गया है।

कम आयु में विवाह-

भारत में ऐसे बहुत से गांव है जहां के लोग बहुत ही रूढ़िवादी है, वह अपने बच्चों का बाल विभाग कर देते हैं, जिस से कम आयु में बच्चे पैदा होते हैं।

बढ़ती हुई जनसंख्या के नुकसान।

  • वैसे तो बढ़ती जनसंख्या का असर हम सभी लोगों पर पड़ रहा है, लेकिन यह असर सबसे ज्यादा नवजात बच्चों पर पड़ रहा है और उनके खानपान पर पड़ रहा है, क्योंकि एक परिवार में अधिक बच्चे होने से उनका पोषण सही तरीके से नहीं हो पाता इसी कारण व कुपोषण का शिकार हो जाते हैं, और उन्हें कई अन्य गंभीर बीमारियों का सामना भी करना पड़ता है।
  • देश में बेरोजगारी लाने में भी बढ़ती जनसंख्या का एक अहम हिस्सा है, क्योंकि अधिक पॉपुलेशन होने की वजह से लोगों को रोजगार नहीं मिल पाता और इसी वजह से वह अपने परिवार का पोषण भी नहीं कर पाते और स्कूल से लेकर नौकरी तक युवाओं को हर फील्ड में कंपटीशन का बहुत ज्यादा सामना करना पड़ता है क्योंकि अधिक जनसंख्या की वजह से पूरे देश में कंपटीशन भी बहुत हो गया है।
  • हमारा देश कभी सोने की चिड़िया कहा जाता था लेकिन अब इस देश को गरीबी की कगार पर लाने का एक अहम हिस्सा जनसंख्या बन चुकी है, क्योंकि ज्यादा सन जनसंख्या होने की वजह से मजदूरों को अपने रोज के काम में अधिक मेहनत करनी पड़ती है ऐसी आबादी अधिकांश देश के गरीबी रेखा से नीचे होती है।
  • बढ़ती जनसंख्या की वजह से हमारे देश को अपराध का सामना भी करना पड़ता है, क्योंकि जहां पर जनसंख्या अधिक होगी वहां पर लोगों को रोजगार नहीं मिल पाएगा तो वहां के लोग चोरी, लूटमार जैसे धंधे करने शुरू कर देंगे।
  • संसाधनों का भी बढ़ती जनसंख्या की वजह से सही तरह से बटवारा नहीं हो पा रहा है जिसे देश के कई हिस्सों में लोगों को बिना पानी, शुद्ध खाना, और पोषण के बिना रहना पड़ता है।

बढ़ती जनसंख्या को रोकने के उपाय।

  • बढ़ती जनसंख्या को रोकने के लिए लोगों को फैमिली प्लानिंग के बारे में बताना चाहिए और उनसे फैमिली प्लानिंग का पालन भी करवाना चाहिए और इसके लिए सरकार को कड़े कानून भी बनाने चाहिए।
  • सरकार के साथ-साथ बढ़ती जनसंख्या को रोकने के लिए समाज को भी एक अहम भूमिका निभानी चाहिए कहने का मतलब यह है, कि लोगों की रूढ़िवादी सोच में बदलाव लाना चाहिए।
  • कई लोग बेटी के बजाए बेटे पर अधिक जोर देते हैं तो ऐसे लोगों का भी समाज से बहिष्कार कर देना चाहिए या फिर उन्हें अच्छे से समझाना चाहिए।
  • बढ़ती जनसंख्या को लेकर सरकार को छात्रों में युवाओं को शिक्षा देने में सेक्स एजुकेशन को अधिक बढ़ावा देना चाहिए।

निष्कर्ष (Conclusion):-

तो दोस्तों कैसा लगा आपको हमारा आज का यह निबंध आज के इस निबंध में मैंने आपको बढ़ती जनसंख्या के बारे में बताया और इससे हमारे आने वाले जीवन में क्या हानियां हो सकती है, यह भी मैंने आपको बताया तो आप भी 11 जुलाई को जनसंख्या दिवस है , इसके में बारे में बताएं और बढ़ती हुई जनसंख्या को रोकने के लिए प्रेरित अवश्य करें।

अगर आपको हमारा आज का यह आर्टिकल पसंद आया है, तो इसे लाइक शेयर कमेंट अवश्य करें और साथ ही साथ इसे अपनी सोशल मीडिया साइट पर अवश्य शेयर करें अगर आपको हमारा यह लेख आर्टिकल- जनसंख्या नियंत्रण पर निबंध में कोई कमी नजर आए तो हमें कमेंट सेक्शन में अवश्य बताएं हम आपके कमेंट का जल्द से जल्द रिप्लाई करेंगे।

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बढ़ती जनसंख्या पर निबंध | Essay on Increasing Population in Hindi

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बढ़ती जनसंख्या पर निबंध | Essay on Increasing Population in Hindi.

# 1. जनसंख्या का परिचय ( Introduction to Population):

जनसंख्या में वृद्धि देश की प्रभुसत्ता के लिये सबसे बड़ा खतरा है । जनसंख्या के आकार के सन्दर्भ में, भारत की स्थिति चीन के पश्चात दो नम्बर पर है । हमारी जनसंख्या, विश्व की जनसंख्या का लगभग 15 प्रतिशत है और इसका भौगोलिक क्षेत्र विश्व की भूमि के क्षेत्र का केवल 24 प्रतिशत है । भारत की जनसंख्या इस समय यू.एस.ए. और यू.एस.एस.आर. की मिश्रित जनसंख्या से कहीं अधिक है ।

इन दोनों देशों के पास विश्व भूमि का 12 प्रतिशत क्षेत्र है । तथापि, हमारे देश में जनसंख्या की बढती हुई प्रवृत्ति चिन्ता का विषय है । यह वास्तव में जनसंख्या विस्फोट है जो परमाणु विस्फोट से कहीं अधिक भयानक है । वास्तव में, इतनी बड़ी जनसंख्या के साथ, देश अपनी अन्य आर्थिक समस्याओं जैसे निर्धनता, असमानता और बेरोजगारी के साथ लड़ने में असमर्थ है ।

# 2. जनसंख्या की वृद्धि की प्रवृत्तियां ( Trends for Growth of Population):

वर्ष 1901 को जनगणना के अनुसार कुल जनसंख्या 236 मिलियन थी, तब से 80 वर्षों की अवधि में अर्थात् 1981 में यह 44.7 करोड़ से बढी । वर्ष 1991 को जनगणना के अनुसार कुल जनसंख्या 843 मिलियन अकित की गई । इस प्रकार पिछली जनगणना काल से 23.5 प्रति हजार की वृद्धि हुई थी ।

ADVERTISEMENTS:

यह तथ्य तालिका 7.1 से स्पष्ट है:

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जनसंख्या पर निबंध

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By विकास सिंह

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जनसंख्या किसी विशेष क्षेत्र में रहने वाले जीवों की कुल संख्या को संदर्भित करती है। हमारे ग्रह के कुछ हिस्सों में जनसंख्या का तेजी से विकास चिंता का कारण बन गया है। जनसंख्या को सामान्यतः एक क्षेत्र में रहने वाले लोगों की कुल संख्या के लिए संदर्भित किया जाता है। हालांकि, यह उन जीवों की संख्या को भी परिभाषित करता है, जो इंटरब्रिड हो सकते हैं। कुछ देशों में मानव जनसंख्या तीव्र गति से बढ़ रही है। इन देशों को मानव नियंत्रण उपायों को नियंत्रित करने की सलाह दी जा रही है।

जनसंख्या पर निबंध, essay on population in hindi (200 शब्द)

दुनिया की आबादी बहुत तेज गति से बढ़ रही है। पिछले पांच से छह दशकों में विशेष रूप से मानव आबादी में जबरदस्त वृद्धि देखी गई है। उसी के कई कारण हैं। इसका एक मुख्य कारण चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में विकास है जिसने मृत्यु दर में कमी लाई है। एक और कारण विशेष रूप से गरीब और विकासशील देशों में बढ़ती जन्म दर है। शिक्षा की कमी और परिवार नियोजन की कमी इन देशों में उच्च जन्म दर के शीर्ष कारणों में से हैं।

विडंबना यह है कि जब मानव आबादी तेजी से बढ़ रही है, जानवरों और पक्षियों की आबादी दिन पर दिन कम हो रही है। अपनी जरूरतों को पूरा करने के प्रयास में, मानव जंगली जानवरों के लिए आश्रय के रूप में काम करने वाले जंगलों को काट रहा है। पशु और पक्षियों की कई प्रजातियां इसके कारण प्रभावित हुई हैं।

लगातार बढ़ते ट्रैफिक और विभिन्न उद्योगों की स्थापना के कारण बढ़ता प्रदूषण, जीवों की आबादी में कमी का एक और कारण है। ऐसा इसलिए है क्योंकि यह मौसम पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है। समय आ गया है कि उच्च जनसंख्या वाले देशों की सरकारों को नियंत्रित करने के लिए कड़े कदम उठाने चाहिए, अन्यथा हमारे ग्रह मानव जाति के अस्तित्व के लिए फिट नहीं होंगे।

जनसंख्या पर निबंध, essay on population in hindi (300 शब्द)

प्रस्तावना:.

जनसंख्या एक जगह पर रहने वाले लोगों की संख्या को दर्शाने के लिए आमतौर पर इस्तेमाल किया जाने वाला शब्द है। दुनिया के विभिन्न हिस्सों में जनसंख्या का घनत्व कई कारणों से अत्यधिक भिन्न होता है।

जनसंख्या का असमान वितरण:

पृथ्वी पर जनसंख्या असमान रूप से वितरित की जाती है। हालांकि कुछ ऐसे देश हैं जो जनसंख्या विस्फोट की समस्या का सामना कर रहे हैं, अन्य लोग बहुत कम आबादी वाले हैं। यह सिर्फ मानव आबादी के मामले में ही नहीं है, यह जानवरों और अन्य जीवों के लिए भी अच्छा है। कुछ स्थानों पर आपको अधिक संख्या में जानवर दिखाई देंगे, जबकि कुछ स्थानों पर आपको शायद ही कोई मिलेगा।

चीजें जो जनसंख्या घनत्व को प्रभावित करती हैं:

किसी भी क्षेत्र में जनसंख्या के घनत्व की गणना उस क्षेत्र द्वारा कुल लोगों की संख्या को विभाजित करके की जाती है, जिसमें वे रह रहे हैं। जनसंख्या का घनत्व अलग-अलग जगहों पर कई कारणों से भिन्न होता है। किसी क्षेत्र में जनसंख्या के घनत्व को प्रभावित करने वाले कुछ कारक निम्नानुसार हैं:

जलवायु बेहद गर्म या ठंडे मौसम वाले स्थान बहुत कम आबादी वाले हैं। दूसरी ओर, मध्यम जलवायु का आनंद लेने वाले लोग घनी आबादी वाले होते हैं।

साधन तेल, लकड़ी, कोयला, आदि जैसे संसाधनों की अच्छी उपलब्धता वाले क्षेत्र घनी आबादी वाले हैं, जबकि इन बुनियादी संसाधनों की कमी के कारण दुर्लभ आबादी है।

राजनीतिक वातावरण स्थिर सरकार और स्वस्थ राजनीतिक वातावरण का आनंद लेने वाले देश घनी आबादी वाले हैं। ये देश उस क्षेत्र को आबाद करके दूसरे देशों के प्रवासियों को आकर्षित करते हैं। दूसरी ओर, गरीब या अस्थिर सरकार वाले देश कई लोगों को किसी भी अच्छे अवसर की उपलब्धता के लिए कहीं और जाते हुए देखते हैं।

जीवन स्तर U.S.A जैसे पहले विश्व के देश बहुत सारे अप्रवासियों को आकर्षित करते हैं क्योंकि वे लोगों को बेहतर पैकेज और लोगों के जीवन स्तर को बेहतर बनाते हैं। दुनिया के विभिन्न हिस्सों के लोग ऐसे देशों में रहते हैं। यही कारण है कि ऐसे देशों में जनसंख्या का घनत्व बढ़ रहा है।

निष्कर्ष:

भले ही दुनिया भर में कुछ स्थानों पर जनसंख्या का घनत्व कम है, लेकिन देश की कुल आबादी पिछले कुछ दशकों में बढ़ी है और आने वाले समय में कई गुना बढ़ने की संभावना है।

जनसंख्या पर निबंध, essay on population in hindi (400 शब्द)

जनसंख्या का अर्थ किसी विशेष स्थान पर रहने वाले जीवों की कुल संख्या से है। मानव आबादी का बढ़ना दुनिया के कई हिस्सों में चिंता का कारण बन गया है, मुख्यतः गरीब देशों में। दूसरी ओर, ऐसे स्थान हैं जहां जनसंख्या की दर बहुत कम है।

बढ़ती जनसंख्या – भारत में एक प्रमुख समस्या:

भारत बढ़ती जनसंख्या की समस्या से जूझ रहा है। दुनिया की लगभग 17% आबादी भारत में रहती है और यह दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देशों में से एक है। जैसा कि लगभग हर विकासशील देश में होता है, भारत में जनसंख्या वृद्धि में योगदान देने वाले कई कारण हैं।

भारत में जनसंख्या के बढ़ने का एक मुख्य कारण अशिक्षा है। अशिक्षित और गरीब वर्ग के लोग अधिक संख्या में बच्चे पैदा करते हुए देखे जाते हैं। इसके दो कारण हैं। सबसे पहले, उनके लिए अधिक बच्चे काम करने और परिवार के लिए पैसा कमाने के लिए अधिक संख्या का मतलब है।

दूसरे, उनमें से अधिकांश जन्म नियंत्रण विधियों के बारे में नहीं जानते हैं। जल्दी शादी से बच्चों की संख्या भी अधिक होती है। जनसंख्या में वृद्धि को कम मृत्यु दर के लिए भी जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। विभिन्न बीमारियों के उपचार और इलाज विकसित किए गए हैं और इस तरह मृत्यु दर कम हो गई है।

भारत में जनसंख्या नियंत्रण के लिए उठाए गए कदम

भारतीय जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए भारत सरकार ने कुछ कदम उठाए हैं। इनमें से कुछ इस प्रकार हैं:

न्यूनतम विवाह योग्य आयु सरकार ने पुरुषों के लिए न्यूनतम विवाह योग्य आयु 21 वर्ष और महिलाओं के लिए 18 वर्ष निर्धारित की है। हालाँकि, कोई भी कड़ी जाँच नहीं है। देश के ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में लोग अभी भी कम उम्र में अपने बच्चों की शादी करते हैं। सरकार को विवाह की न्यूनतम आयु बढ़ानी चाहिए और साथ ही इस पर कड़ी निगरानी रखनी चाहिए।

मुफ्त शिक्षा भारत सरकार ने भी अपने बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा अधिनियम के माध्यम से देश के बच्चों के लिए मुफ्त शिक्षा उपलब्ध कराई है। निरक्षरता का उन्मूलन जनसंख्या को नियंत्रित करने का एक और तरीका है।

गोद लेने को बढ़ावा देना भारत सरकार भी बच्चों को गोद लेने को बढ़ावा दे रही है। कई लोग हैं जो विभिन्न कारणों से अपने बच्चों को जन्म के समय छोड़ देते हैं। बच्चों को एक होने के बजाय गोद लेना भी जनसंख्या को नियंत्रित करने का एक अच्छा तरीका है।

भारत में बढ़ती जनसंख्या एक गंभीर चिंता का विषय है। जबकि सरकार ने इसे नियंत्रित करने के लिए कुछ कदम उठाए हैं लेकिन ये पर्याप्त प्रभावी नहीं हैं। इस मुद्दे पर अंकुश लगाने के लिए कई अन्य उपाय किए जाने की आवश्यकता है।

जनसंख्या पर निबंध, essay on population in hindi (500 शब्द)

जनसंख्या आमतौर पर किसी विशेष क्षेत्र में रहने वाले लोगों की कुल संख्या को संदर्भित करती है। हालांकि, जनसंख्या शब्द का अर्थ केवल मानव आबादी ही नहीं है, बल्कि वन्यजीवों की आबादी और जानवरों और अन्य जीवित जीवों की समग्र आबादी भी है जो प्रजनन की क्षमता रखते हैं। विडंबना यह है कि जब मानव आबादी तेजी से बढ़ रही है, जानवरों की आबादी कम होती जा रही है।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी ने मानव जनसंख्या वृद्धि का नेतृत्व कैसे किया है?

कई कारक हैं जिन्होंने पिछले कुछ दशकों में दुनिया के विभिन्न हिस्सों में जनसंख्या विस्फोट किया है। प्रमुख कारकों में से एक विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में प्रगति है। जबकि पहले मनुष्य की जन्म दर और मृत्यु दर के बीच संतुलन था, चिकित्सा विज्ञान में उन्नति ने उसी में असंतुलन पैदा कर दिया।

कई बीमारियों को ठीक करने के लिए दवाएं और उन्नत चिकित्सा उपकरण विकसित किए गए हैं। इनकी मदद से इंसानों के बीच मृत्यु दर में कमी लाई गई है और इसके कारण जनसंख्या विस्फोट हुआ है। इसके अलावा, तकनीकी विकास ने औद्योगिकीकरण का मार्ग प्रशस्त किया है।

जबकि पहले ज्यादातर लोग कृषि गतिविधियों में शामिल थे और उसी के माध्यम से अपनी आजीविका अर्जित करते थे, कई अब विभिन्न कारखानों में नौकरियों की ओर रुख कर चुके हैं। जिन क्षेत्रों में इन उद्योगों की स्थापना की गई है, वहां की आबादी दिन-प्रतिदिन घनी होती जा रही है।

वन्यजीव आबादी पर मानव जनसंख्या वृद्धि का प्रभाव

जहां मानव आबादी विस्फोट की कगार पर है, वहीं वन्यजीवों की आबादी समय के साथ कम होती जा रही है। पक्षियों और जानवरों की कई प्रजातियों की आबादी उन कारकों के कारण बहुत कम हो गई है जिनके लिए अकेले मनुष्य को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। इनमें से कुछ के बारे में नीचे विस्तार से चर्चा की गई है:

वनों की कटाई जंगलों में वन्यजीव जानवर निवास करते हैं। वनों की कटाई का मतलब है उनके आवास को नष्ट करना। फिर भी, मानव अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए जंगलों को बेरहमी से काट रहा है और नष्ट कर रहा है। जानवरों की कई प्रजातियां कम हो गई हैं और कई अन्य अपने निवास स्थान की गिरावट या हानि के कारण विलुप्त हो गए हैं।

बढ़ता प्रदूषण बढ़ता वायु, जल और भूमि प्रदूषण एक अन्य प्रमुख कारण है कि कई जानवर कम उम्र में मर रहे हैं। जानवरों की कई प्रजातियां बढ़ते प्रदूषण का सामना नहीं कर पा रही हैं। वे इसके कारण कुछ बीमारियों को जन्म देते हैं और घातक परिणामों का सामना करते हैं।

जलवायु में परिवर्तन दुनिया के विभिन्न हिस्सों में जलवायु में भारी बदलाव आया है। कई क्षेत्रों में पहले हल्की बारिश हुई थी, अब बाढ़ जैसे हालात हैं। इसी तरह, गर्मी के मौसम में हल्के से गर्म रहने वाले क्षेत्र अब बेहद गर्म मौसम का अनुभव करते हैं। जबकि मानव ऐसी परिस्थितियों के अनुकूल होने के लिए सुसज्जित है, जानवर भी इसका सामना नहीं कर सकते।

मनुष्य ने हमेशा अपने कल्याण और आराम के बारे में सोचा है कि इसका पौधों, जानवरों और उसके आस-पास के समग्र वातावरण पर क्या प्रभाव पड़ता है। अगर इंसान इस तरह से व्यवहार करता रहा तो धरती अब इंसानों के अस्तित्व के लिए फिट नहीं रहेगी। यह समय है कि हमें मानव आबादी को नियंत्रित करने के साथ-साथ हमारे ग्रह को बर्बाद करने वाली प्रथाओं को भी समझना चाहिए।

जनसंख्या पर निबंध, population essay in hindi (600 शब्द)

जनसंख्या एक क्षेत्र में रहने वाले लोगों की कुल संख्या को दर्शाने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला शब्द है। यह केवल मनुष्यों को ही नहीं, बल्कि जीवित जीवों के अन्य रूपों को भी संदर्भित करता है, जो प्रजनन और गुणा करने की क्षमता रखते हैं। पृथ्वी के कई हिस्सों में आबादी बढ़ रही है। हालांकि विभिन्न देशों की सरकारें विभिन्न तरीकों से इस मुद्दे पर अंकुश लगाने की कोशिश कर रही हैं, लेकिन इसे नियंत्रित करने के लिए अभी भी बहुत कुछ करने की आवश्यकता है।

जनसंख्या को नियंत्रित करना क्यों आवश्यक है?

जनसंख्या की बढ़ती दर कई समस्याओं का कारण है। विकासशील देश विकसित देशों के स्तर तक पहुंचने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं और इन देशों में जनसंख्या में तेजी से वृद्धि इस दिशा में मुख्य बाधाओं में से एक है। बढ़ती जनसंख्या के कारण ही बेरोजगारी की समस्या हर समय अधिक है।

नौकरी पाने के इच्छुक बहुत से लोग हैं लेकिन रिक्तियां सीमित हैं। बेरोजगारी गरीबी का कारण बनती है जो एक और समस्या है। यह लोगों में असंतोष भी पैदा करता है और अपराध को जन्म देता है। जिन्हें अपनी मनचाही नौकरी नहीं मिलती वे अक्सर पैसा कमाने के लिए अनचाहे साधन अपनाते हैं।

यह भी समझा जाना चाहिए कि संसाधन सीमित हैं लेकिन लोगों की बढ़ती संख्या के कारण मांग अधिक बढ़ रही है। जंगलों को काटा जा रहा है और उनके स्थान पर विशाल कार्यालय और आवासीय भवन बनाए जा रहे हैं। क्यूं कर? यह सब बढ़ती जनसंख्या को समायोजित करने के लिए किया जा रहा है।

इनका उपयोग करने वालों की अधिक संख्या के कारण प्राकृतिक संसाधनों का तीव्र गति से क्षय हो रहा है। इससे पर्यावरण में असंतुलन पैदा हो रहा है। लोगों की मांगों को पूरा करने के लिए अधिक से अधिक प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग किया जा रहा है।

इससे न केवल पर्यावरण का क्षरण होता है, बल्कि रहने की लागत भी बढ़ती है। जनसंख्या को नियंत्रित करना इस प्रकार समय की आवश्यकता बन गई है। पर्यावरण में संतुलन और सामंजस्य स्थापित करने के लिए यह आवश्यक है। यह लोगों के लिए बेहतर जीवन स्तर भी सुनिश्चित करेगा।

मानव जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए संभव कदम

मानव जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए कुछ संभावित कदम यहां दिए गए हैं:

शिक्षा गरीब और अशिक्षित वर्ग के लोग ज्यादातर ऐसे हैं जो परिवार की योजना नहीं बनाते हैं। वे महिलाओं को एक बच्चा पैदा करने वाली मशीन मानते हैं और एक के बाद एक बच्चे पैदा करते हैं। लोगों को शिक्षित करना आवश्यक है। सरकार को सभी के लिए शिक्षा को आवश्यक बनाने के लिए कदम उठाने चाहिए।

परिवार नियोजन सरकार को परिवार नियोजन के महत्व के बारे में लोगों को जागरूक करना आवश्यक है। यह रेडियो, टेलीविजन, इंटरनेट और संचार के अन्य रूपों के माध्यम से बार-बार किया जाना चाहिए।

मौद्रिक लाभ सरकार को करों में छूट देनी चाहिए या एकल बच्चे वाले परिवारों को अन्य मौद्रिक लाभ प्रदान करना चाहिए। चूंकि आज लोग पैसे से संचालित होते हैं, इसलिए यह जनसंख्या को नियंत्रित करने की दिशा में एक प्रभावी कदम होगा। काफी कुछ देशों की सरकारें इस तरह की नीतियों को लागू कर चुकी हैं।

जुर्माना या जुर्माना जिस तरह सरकार उचित परिवार नियोजन करने वालों को मौद्रिक लाभ प्रदान कर सकती है, वैसे ही यह उन लोगों पर भी जुर्माना लगाना चाहिए जो नहीं करते हैं। दो से अधिक बच्चों वाले परिवारों पर जुर्माना लगाया जाना चाहिए।

सख्त निगरानी सरकार को पूर्वोक्त बिंदुओं को न केवल लागू करना चाहिए, बल्कि उसी पर एक स्टार्क जांच भी रखनी चाहिए और सुनिश्चित करना चाहिए कि इनका पालन किया जाए।

लोगों को जनसंख्या को नियंत्रित करने के महत्व को समझना चाहिए। यह न केवल उन्हें स्वच्छ और हरा-भरा वातावरण और बेहतर जीवन स्तर प्रदान करेगा बल्कि उनके देश के समग्र विकास में भी मदद करेगा। सरकार को भी इस मामले को गंभीरता से लेना चाहिए और जनसंख्या नियंत्रण सुनिश्चित करने के लिए उचित नियमों और नीतियों को लागू करना चाहिए। इस समस्या को नियंत्रित करने के लिए जनता और सरकार दोनों को मिलकर काम करने की आवश्यकता है।

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विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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भाई आपने बहुत ही अच्छी तरह से निबंध लिखा है इस निबंध को पढ़कर कोई भी आसानी से समझ सकता है आपका बहुत बहुत धन्यवाद

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बढ़ती हुई जनसंख्या पर निबंध Essay on Increasing Population in Hindi

बढ़ती हुई जनसंख्या पर निबंध Essay on Increasing Population in Hindi

इस लेख में हमने बढ़ती हुई जनसंख्या पर निबंध हिंदी में (Essay on Increasing Population in Hindi) लिखा है। जिसमें जनसंख्या वृद्धि का अर्थ, प्रकार, कारण. दुष्परिणाम. कानून और नियंत्रण के उपाय को आकर्षक रूप से शामिल किया गया है।

Table of Contents

प्रस्तावना (बढ़ती हुई जनसंख्या पर निबंध Essay on Increasing Population in Hindi)

किसी भी परिवार को एक आदर्श परिवार तब कहा जा सकता है जब वह सभी प्रकार से संतुलित हो। परिवार में संतुलन अर्थात संख्या संतुलन, आर्थिक संतुलन और व्यवहारिक संतुलन होता है।

लेकिन जब संख्या में लगातार बढ़ोतरी होना शुरू हो जाता है तो परिवार आर्थिक, सामाजिक तथा व्यावहारिक रूप से कमजोर हो जाता है। ठीक इसी प्रकार किसी भी देश की बढ़ती जनसंख्या उसके अविकसित रहने का कारण बनती है।

जनसंख्या वृद्धि यह एक प्राकृतिक परिस्थिति है। लेकिन इसका संतुलन मनुष्य के विवेक के ऊपर निर्भर होता है। अर्थात मनुष्य चाहे तो अपने परिवार को संतुलित रख राष्ट्र को संतुलित रख सकता है।

आबादी की दृष्टि से दुनिया का सबसे बड़ा देश चीन है। भारत जनसंख्या की दृष्टि से दूसरे स्थान पर मौजूद है। लेकिन जिस गति से भारत में जनसंख्या वृद्धि हो रही है वह दिन दूर नहीं जब भारत पूरी दुनिया का सबसे ज्यादा आबादी वाला देश होगा।

संख्या में ज्यादा होने के कारण इंसानों को रहने तथा गुजर-बसर करने के लिए अधिक स्थान की आवश्यकता पड़ती है। इसलिए जिस देश में जनसंख्या असंतुलन होती है वहां गरीबी, भुखमरी, महंगाई तथा बेरोजगारी अधिक मात्रा में देखने को मिलती है।

इस विषय की गहराई के बारे में हर भारतवासी को सोचना होगा। साथ ही ऐसे कड़े कानून की व्यवस्था करनी पड़ेगी जिसके माध्यम से लापरवाह और असंतुलित लोगों पर शिकंजा कसा जा सके।

जनसंख्या वृद्धि की परिभाषा Definition of population growth in Hindi

एक निश्चित आंकड़े के बाद बढ़ी हुई आबादी को जनसंख्या वृद्धि कहा जाता है। सरल शब्दों में कहे तो किसी भी देश की भौगोलिक परिस्थिति, विकास के अवसर तथा धन के आधार पर तय किए गए जनसंख्या मानक से अधिक संख्या को बढ़ती हुई जनसंख्या का नाम दिया जाता है।

जनसंख्या वृद्धि में किसी भी व्यक्ति, समूह को शामिल नहीं किया जाता है। जिसके कारण लोग बिना सोचे समझे जनसंख्या बढ़ा रहे हैं।

कुछ विशेष नियमों के अंतर्गत जनसंख्या वृद्धि की परिभाषा में बदलाव हो सकता है। क्योंकि पिछली परिभाषा के अनुसार जाहिल और पिछड़ी मानसिकता वाले लोगों की पहचान कर पाना नामुमकिन होता था।

वर्तमान समय में जनसंख्या नियंत्रण के लिए कोई कठोर कानून नहीं है, इसलिए ऐसे लोगों पर लगाम कस पाना बेहद मुश्किल कार्यों में से एक है।

जनसंख्या घनत्व वृद्धि के प्रकार Types of Population Density Growth in Hindi

भारत में राज्य स्तर पर उपलब्ध जनसंख्या के आंकड़ों के आधार पर जनसंख्या घनत्व को तीन श्रेणियों में बांटा जा सकता हैः अधिक घनत्व वाले क्षेत्र, मध्य घनत्व वाले क्षेत्र तथा कम घनत्व वाले क्षेत्र।

जहां जनसंख्या का घनत्व चार सौ व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर से अधिक होता है ऐसे जगह को ज्यादा घनत्व वाले जनसंख्या क्षेत्र कहते हैं। ऐसे क्षेत्र तमिलनाडु, केरल, पश्चिम बंगाल राज्य में आते हैं। 

जिन क्षेत्रों का जनसंख्या घनत्व 100 से 400 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर के बीच होता है उन्हें मध्यम घनत्व वाले क्षेत्र कहते हैं। उदाहरण के तौर पर आंध्र प्रदेश, असम, गोवा, गुजरात, उड़ीसा, जैसे राज्य मध्यम जनसंख्या घनत्व वाले राज्य हैं।

जिन क्षेत्रों में जनसंख्या घनत्व 100 व्यक्ति या उससे कम प्रति वर्ग किलोमीटर होता है ऐसे क्षेत्रों को निम्न जनसंख्या घनत्व वाला स्थान कहते हैं। जैसे अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, सिक्किम तथा अंडमान निकोबार दीप समूह।

बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण Reason of Population increasing in Hindi

बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण देश में आर्थिक असंतुलन पैदा होता है। जिसके कारण देश का आर्थिक विकास दर बाधित होता है।

जनसंख्या वृद्धि का सबसे बड़ा कारण अशिक्षा का होना है। क्योंकि ज्ञान के अभाव में ही लोग अपनी तथा देश के भले बुरे के बारे में दूरदर्शिता नहीं रख पाते।

अशिक्षा के कारण लोग जनसंख्या वृद्धि को रोकने का विकल्प नहीं खोज पाते। जिसके कारण उनका पारिवारिक, सामाजिक जीवन असंतुलित हो जाता है।

कम पढ़े लिखे होने के कारण कम आयु में विवाह करने का प्रचलन भी बढ़ जाता है। परिणामस्वरूप परिवार संयोजन जैसे गंभीर विषयों पर सोचने लायक बुद्धि का विकास ही नहीं हो पाता। जिसके कारण जनसंख्या असंतुलन जैसे मुद्दे सामने आते हैं।

कम आयु अथवा कम समझ में विवाह हो जाने के कारण परिवार नियोजन के प्रति उदासीन भाव रखते हैं तथा विकल्पों को व्यर्थ की बात समझने लगते हैं।

बढ़ती हुई जनसंख्या के कारणों में सबसे मुख्य कारण चिकित्सा का अभाव भी होता है। जिसके माध्यम से लोगों को उनकी शारीरिक संरचना के प्रति आगाह किया जाता है। चिकित्सा के अभाव में जनसंख्या वृद्धि होना आज एक आम बात रह गई है।

इसके अलावा गरीबी और जनसंख्या विरोधाभास आदि ने जनसंख्या बढ़ाने में योगदान किया है। इसके कारण कुछ धर्म विशेष के लोग इन मुद्दों की गंभीरता को बिल्कुल भी नहीं समझते हैं तथा अंधविश्वास के कारण जनसंख्या वृद्धि को उनके ईश्वर की मर्जी मानते हैं।

आज अगर बढ़ती हुई आबादी को संतुलित करने के रास्ते न निकाले गए तो इसके दूरगामी परिणाम बहुत ही नकारात्मक देखने को मिल सकते हैं।

बढ़ती जनसंख्या के दुष्परिणाम Bad Effects of Population Increasing in Hindi

बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण किसी भी देश में तकलीफों का बढ़ना आम बात है। जिसमें उस देश के सभी नागरिकों की हानि होती है साथ में देश आर्थिक रूप से कमजोर होता है।

जब किसी देश में लोगों की संख्या बेलगाम बढ़ने लगती है तो वहां के संसाधनों पर अतिरिक्त दबाव पड़ने लगता है। जो वहां के लोगों की प्रति ही खर्च हो जाता है और व्यवसाय के लिए नाम मात्र ही बचता है। 

उदाहरण के तौर पर चीन में अधिक जनसंख्या होने के कारण वह अपने देश में उगाए हुए चावल स्वयं ही उपयोग में लेता है।

मामूली सी बात है, कि जिस घर में खाने वाले अधिक तथा कमाने वाले कम होंगे वहां के लोगों का जीवन स्तर बहुत ही मामूली रह जाएगा। वर्तमान भारत के कई गांवों में आज निम्न स्तर के जीवन जीने वाले लोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। 

कहते हैं कि पैसा पैसे को खींचता है और गरीबी को। गरीबी का कुचक्र एक ऐसा चक्र है जिसमें लोग आजीवन फंसे रह जाते हैं तथा अपने हित व समाज के हित की बात सोच ही नहीं पाते। 

जब लोगों के जीवन का स्तर निम्न होगा जाहिर सी बात है कि देश का स्तर भी गिरेगा। इसलिए जनसंख्या वृद्धि के दुष्परिणाम को कोई एक व्यक्ति नहीं बल्कि समस्त राष्ट्र भुगतता है।

जनसंख्या वृद्धि के सबसे बड़े दुष्परिणाम के रूप में पर्यावरण तथा प्राकृतिक संसाधनों की हानि के रूप में सामने आता है। जहां लोगों की वृद्धि होती है वहां उन्हें रहने के लिए अतिरिक्त जगह की आवश्यकता पड़ती है। जिसके कारण जंगलों तथा प्राकृतिक स्थानों का नाश किया जाता है।

इसके अन्य बहुत सारे दूरगामी दुष्परिणाम सामने आते हैं जैसे कि- बेरोजगार स्त्री पुरुषों की संख्या में बढ़ोतरी होना, प्रदूषण का बढ़ना , श्रम बाजार में प्रतिस्पर्धा का बढ़ना तथा आपराधिक प्रवृत्तियों में बढ़ोतरी होना इत्यादि।

जनसंख्या नियंत्रण कानून Population Regulation Bill in Hindi

जब तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी जी ने जबरदस्ती आपातकालीन लागू कर दिया था तब उन्होंने 60 लाख लोगों की जबरदस्ती नसबंदी कराई थी। जिसके बाद लगभग दो हजार लोगों की मृत्यु हो गई थी।

विगत सरकारों ने जनसंख्या नियंत्रण के लिए बहुत से कानून बनाने के प्रयास किए। लेकिन वे सभी फाइलों में धूल खाती रह गई। 

सन 2000 में जनसंख्या नियंत्रण के लिए स्वर्गीय अटल बिहारी सरकार में गठित वेंकटचलैया आयोग ने कानून बनाने की सिफारिश की थी। वेंकटचलैया आयोग ने 31 मार्च 2002 को अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंपी थी।

इसके बाद सभी सरकारों ने जनसंख्या नियंत्रण के नाम पर अपने स्वार्थ साधना ही पूरी की। वर्तमान नरेन्द्र मोदी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल के दौरान लाल किले से जनसंख्या नियंत्रण के मुद्दे को उठाया था।

2015 से 2018 तक विभिन्न लोगों ने अपने अपने रिसर्च और रिपोर्ट को उजागर किया था जिसमें गैर कानूनी तरीके से भारत में रह रहे लोगों का उल्लेख खुलकर किया गया था।

समय-समय पर अनेक राजनेताओं ने जनसंख्या नियंत्रण कानून लाने के विषय को उठाया। लेकिन जनसंख्या नियंत्रण यह परिवार का व्यक्तिगत मामला होता है इसलिए वर्तमान सरकार ने जागरूकता पर अधिक जोर दिया है।

लेकिन जो मुद्दे राष्ट्र की अखंडता और संप्रभुता के लिए जरूरी होते हैं उन मुद्दों के लिए जबरजस्ती कानून बनाने की आवश्यकता हो तो ही बनाने चाहिए। क्योंकि एक बार परिस्थिति हाथ से निकल जाती है तो पछताने के अलावा कुछ नहीं बचता। 

जनसंख्या वृद्धि के नियंत्रण के उपाय Measures to Control Population Growth in Hindi

जनसंख्या वृद्धि के नियंत्रण के लिए सबसे पहले लोगों में जागरूकता को फैलाना चाहिए। इसके लिए गांव देहातों में विभिन्न सभाओं व परिवार नियोजन संस्थाओं का निर्माण करना चाहिए।

शिक्षा के अभाव में लोग जनसंख्या वृद्धि को नजरअंदाज करते हैं। जिसके लिए लोगों को शिक्षित तथा अनुशासित करने का ताना-बाना बुनना चाहिए।

गैरकानूनी रूप से दाखिल हुए लोगों को बलपूर्वक देश के प्राकृतिक संसाधनों से बेदखल करना चाहिए तथा गैर कानूनी रूप से दाखिल हुए लोगों के लिए विशेष कानून बनाना चाहिए।

जनसंख्या विस्फोट को रोकने के लिए कड़े कानून बनाना ही एकमात्र उपाय है। जिसके माध्यम से लोगों में संतुलन बनाए रखने की जागरूकता में वृद्धि होगी।

बढ़ती हुई जनसंख्या पर 10 लाइन Best 10 lines on Population growth in Hindi

  • किसी भी देश के आर्थिक संपत्ति के मुकाबले अतिरिक्त जनसंख्या को बढ़ती हुई जनसंख्या कहते हैं।
  • जनसंख्या की दृष्टि से चीन दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश है।
  • भारत यह दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा आबादी वाला देश है।
  • एक रिसर्च के अनुसार 2048 तक भारत दुनिया का सबसे ज्यादा आबादी वाला देश बन जाएगा।
  • रिपोर्ट के अनुसार, विश्व की जनसंख्या वर्ष 2064 में लगभग 9.7 बिलियन होने का अनुमान लगाया गया है।
  • समय के साथ किसी देश की बढ़ती आबादी को वृद्धि वक्र के द्वारा दर्शाया जाता है।
  • बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण देश का आर्थिक विकास भी अवरुद्ध होता है।
  • जनसंख्या वृद्धि के मुख्य सबसे बड़ा कारण अशिक्षा का होना है।
  • तेजी से जनसंख्या वृद्धि से पर्यावरण में परिवर्तन उत्पन्न होता है।
  • भारत में जनसंख्या नियंत्रण कानून की आवश्यकता बेहद ही अधिक है।

निष्कर्ष Conclusion

इस लेख में आपने बढ़ती हुई जनसंख्या पर निबंध हिंदी में (Essay on Increasing Population in Hindi) पढ़ा। आशा है यह निबंध आपको जानकारी से भरपूर लगा होगा। अगर यह लेख आपको अच्छा लगा हो तो शेयर जरूर करें।

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population control essay in hindi

जनसंख्या पर निबंध – Population Essay in Hindi

Population Essay in Hindi

जनसंख्या वृद्धि आज हमारे देश की सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है, वहीं अगर इस समस्या पर समय रहते काबू नहीं पाया गया तो मनुष्य इस धरती पर रहना मुश्किल हो जाएगा और मनुष्य के जीवन जीने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं बचेंगे, जिससे वे भुखमरी का शिकार हो जाएंगे।

वहीं बढ़ रही जनसंख्या को लेकर लोगों को जागरूक करने के मकसद से हमारी सरकार द्धारा समय-समय पर अभियान भी चलाए जाते हैं जिससे लोग परिवार नियोजन के लिए अपने आगे कदम बढ़ा सके।

इसके साथ ही स्कूल/कॉलेज समेत अन्य संस्थानों में आयोजित निबंध लेखन प्रतियोगिता में जनसंख्या के विषय पर निबंध ( Population Essay )लिखने के लिए भी कहा जाता है।

जिससे आज की युवा पीढ़ी जनसंख्या वृद्धि को लेकर जागरुक हो सके और जनसंख्या वृद्धि से होने वाले दुष्परिणामों के बारे में जान सकें। वहीं आज हम आपको अपने इस आर्टिकल में जनसंख्या पर अलग-अलग शब्द सीमा पर निबंध उपलब्ध करवा रहे हैं, जिसका इस्तेमाल आप अपनी जरूरत के मुताबिक कर सकते हैं –

Population Essay in Hindi

जनसंख्या वृद्धि किसी भी देश के विकास में तो बाधा बनती ही है, इसके साथ ही कई और बड़ी मुश्किलें भी पैदा करती हैं। वहीं भारत में काफी गंभीर और बड़ी समस्या बन चुकी है।

जनसंख्या वृद्धि -भारत की एक विकराल समस्या

आज हमारे देश भारत में लगातार बढ़ रही जनसंख्या एक विकराल समस्या बन चुकी है। जनसंख्या वृद्धि की वजह से आज हमारा देश विकास के मामले में अन्य देशों की तुलना में काफी पीछे हैं।

भारत में जनसंख्या बढ़ने से गरीबी बढ़ रही है, बेरोजगारी की समस्या पैदा हो रही है, व्यापार विकास और विस्तार गतिविधियां जरूरत से ज्यादा धीमी होती जा रही है, आर्थिक मंदी आ रही है।

यही नहीं वन, जंगल, वनस्पतियां, जल संसाधन समेत तमाम प्राकृतिक संसाधनों का भी जमकर हनन हो रहा है और तो और खाद्य उत्पादन और वितरण भी, जनसंख्या के मुकाबले नाकाफी साबित हो रहा है। वहीं बढ़ती महंगाई भी जनसंख्या वृद्धि के सबसे मुख्य कारणों में से एक है।

प्राकृतिक संसाधनों का हनन तो हो ही रहा है साथ ही में मानव निर्मित संसाधन भी नाकाफी साबित हो रहे हैं।

जनसंख्या वृद्धि के कारण ही आज हमें हर जगह घंटों लाइन में खड़ा होना पड़ा रहा है, रेलवे स्टेशनों, बस अड्डों, अस्पतालों, धार्मिक या सामाजिक समारोह पर इतनी भीड़ रहती है कि कई बार पैर रखने तक की जगह नहीं मिलती है।

साल 2011 की जनगणना के मुताबिक भारत की आबादी 1 अरब से भी ज्यादा 1, 210, 193, 422 हैं। आबादी के मामले में भारत, विश्व का दूसरा सबसे बड़ा देश है।

वहीं अगर ऐसा ही रहा है तो विशेषज्ञों के मुताबिक साल 2025 तक भारत, सबसे अधिक आबादी वाला दुनिया का पहला देश बन जाएगा।

जनसंख्या पर लगाम लगाने के लिए भारत सरकार के प्रयास:

• भारत सरकार ने जनसंख्या पर काबू पाने के लिए लड़कों के लिए न्यूतनतम आयु 21 साल और लड़कियों के लिए न्यूनतम आयु 18 साल तय की है, लेकिन भारत के पिछड़े और ग्रामीण इलाकों में इस नियम का सख्ती से पालन नहीं किया जा रहा है।

• भारत सरकार बच्चों को गोद लेने के लिए बढ़ावा दे रही है, लेकिन इससे भारतीयों की मानसिकता पर कोई असर नहीं पड़ रहा है, रुढ़िवादी सोच के चलते आज भी बच्चा गोद लेने से कतराते हैं।

• भारत सरकार द्धारा शिक्षा का प्रचार-प्रसार किया जा रहा है, लेकिन जमीनी स्तर पर सरकार के यह नियम-कानून लागू नहीं हो रहे हैं।

हम सभी भारतीयों को जनसंख्या वृद्धि से होने वाले दुष्परिणामों के बारे में जागरूक होना चाहिए और इस पर नियंत्रण लगाने के लिए एकजुट होकर कदम उठाने चाहिए, नहीं तो आने वाले भविष्य में इसका बुरा नतीजा भुगतना पड़ सकता है।

जनसंख्या पर निबंध – Population Par Nibandh

जनसंख्या, किसी भी एक जगह में रहने वाले जीवों की संख्या है। वहीं दुनिया के कई हिस्सों में कुछ कारणों की वजह से जनसंख्या ज्यादा है, तो कई हिस्सों में आबादी का घनत्व बेहद कम हैं। वहीं विश्व में भारत, चीन समेत कुछ ऐसे देश हैं जहां आबादी इतनी बढ़ गई है कि यह गंभीर चिंता का विषय बन गई है, क्योंकि जनसंख्या बढ़ने से खाने और रहने के स्त्रोतों की कमी पड़ने लगती है साथ ही जरूरत से ज्यादा आबादी किसी भी देश के विकास में बाधा पैदा करती है।

जनसंख्या वृद्धि से होने वाले दुष्परिणाम – Disadvantages of Population

बेरोजागारी:

देश में लगातार बढ़ रही जनसंख्या से बेरोजगारी की समस्या पैदा हो रही है, क्योंकि आबादी बढ़ने से अशिक्षित और अनपढ़ों की संख्या भी बढ़ रही है, जिससे बेरोजगारी की समस्या विकराल रुप धारण करती जा रही है।

जाहिर सी बात है जब आबादी बढ़ती है तो, उसके हिसाब से साधन जुटा पाना मुश्किल हो जाता है क्योंकि एक सीमित मात्रा में ही हमें प्रकृति से संसाधन मिल पाते हैं। इसकी वजह से गरीबी की समस्या पैदा हो रही है।

आबादी बढ़ने की वजह से महंगाई की दर लगातार इसलिए बढ़ती जा रही है, क्योंकि उत्पादन सीमित है जबकि खपत ज्यादा है, इसलिए वितरण आबादी के मुताबिक नहीं हो पा रहा है और महंगाई सातवें आसमान को छू रही है।

प्रदूषण में वृद्धि:

बढ़ रही आबादी से उद्योंगों की संख्या भी बढ़ रही है। इसके साथ ही वाहनों की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई है। वहीं इनसे निकलने वाली विषैली गैसें पर्यावरण को दूषित कर रही हैं।

जलवायु में बदलाव:

जाहिर है कि बढ़ती आबादी का सीधा प्रभाव प्रकृति पर पड़ता है, क्योंकि आजकल मनुष्य अपने ऐश और आराम के लिए प्रकृति का दोहन करने में नहीं चूक रहा है। जिसका सीधा असर जलवायु पर पड़ रहा है और इससे मौसम चक्र में भी परिवर्तन आ रहा है।

पर्यावरण पर प्रभाव:

लगातार बढ़ रही आबादी पर्यावरण पर बुरा असर डाल रही है, क्योंकि मनुष्य चंद लालच और सुख-सुविधाओं के लिए प्राकृतिक संसाधनों का हनन करने से नहीं चूक रहा है और पेड़-पौधों को काट रहा है, जिसका बुरा असर पर्यावरण पर पड़ रहा है।

वन्यजीवों की प्रजातियों में कमी:

सबसे बड़ी चिंता का विषय यह है कि आज, मानव की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है, जबकि वन्य जीवों की कई प्रजातियां विलुप्त होती जा रही हैं, क्योंकि मनुष्य अपने स्वार्थ के चलते वनों को नष्ट कर रहा है, जिसकी वजह से वन्य जीवन अपने निवास की गिरती गुणवत्ता और नुकसान की वजह से विलुप्त होते जा रहे हैं।

जीवन स्तर में कमी:

लगातार बढ़ रही आबादी से गरीबी, बेरोजगारी आदि की समस्याएं बढ़ रही हैं, जिससे लोगों के जीवन स्तर में कमी आई है।

बढ़ रही आबादी तमाम समस्याओं को जन्म दे रही है, अगर समय रहते इस समस्या को काबू नहीं किया गया तो आने वाले भविष्य में न जाने कितने लोग घुटन और भुखमरी की वजह से मर जाएंगे। इसलिए हम सभी को इस दिशा में सकारात्मक कदम उठाने चाहिए।

जनसंख्या पर निबंध – Essay on Population

जाहिर है कि जनसंख्या किसी भी देश का मुख्य आधार होती है, जो वस्तुओं का उत्पादन करती है, वितरण करती है, साथ ही उपभोग भी करती है, इसलिए जनसंख्या को देश का साधन एवं साध्य दोनों माना जाता है लेकिन जरूरत से ज्यादा जनसंख्या किसी भी देश के सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक विकास में रुकावट पैदा करती है साथ ही कई बड़ी समस्याएं पैदा करती है।

जनसंख्या वृद्धि के मुख्य कारण – Causes of Population Growth

शिक्षा का अभाव:

बढ़ती आबादी का सबसे बड़ा कारण शिक्षा की कमी है। क्योंकि शिक्षा से ही परिवार नियोजन के सही तरीके अपनाए जा सकते हैं, रुढिवादी विचारों से ऊपर उठा जा सकता है, कम उम्र में शादी और गरीबों जैसी समस्याओं से निजात पाया जा सकता है।

बढ़ती जन्म दरें:

चिकित्सा प्रणाली में सुधार होने की वजह से जन्म दरों में बढ़ोतरी हुई है। वहीं अगर आकंड़ों पर गौर करें तो 2016 में भारत में एक निश्चित समय अवधि में जन्म दर 19.3 प्रति 1000 थी, जबकि उतनी ही समय अवधि में 1000 लोगों के बीच 7.3 लोगों की ही मृत्यु हो रही है। जाहिर है कि हर पल लोगों की संख्या में इजाफा हो रहा है।

शिशु मृत्यु दर में कमी:

चिकित्सा विज्ञान ने इतनी अधिक तरक्की कर ली है कि शिशु मृत्यु दर में कमी आ गई है। वहीं यह भी जनसंख्या में बढ़ोतरी के प्रमुख कारणों में से एक है।

जनसंख्या को नियंत्रित करने के उपाय – How to Control Population

परिवार नियोजन:

जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए परिवार नियोजन के सही तरीकों के बारे में जागरूकता फैलाने की जरूरत है।

शिक्षा का प्रसार करना:

जब लोग शिक्षित होंगे तब वे रुढिवादी विचारधाराओं से ऊपर उठ सकेंगे, परिवार नियोजन के महत्व को समझेंगे साथ ही अपने बच्चों की पढ़ाई आदि पर ध्यान देंगे और कम बच्चे पैदा करेंगे जिससे जनसंख्या पर लगाम लगाई जा सकेगी।

रुढ़िवादी मानसिकता को बदलना:

जाहिर है समाज की दकियानूसी और रुढिवादी सोच जनसंख्या वृद्धि को बढ़ावा दे रही है। आज भी कई परिवारों में महिलाओं को बच्चे पैदा करने की मशीन समझा जाता है। और बच्चों को भगवान की देन माना जाता है।

कम उम्र में शादी की अवधारणा को बदलना:

कम उम्र में भी लड़के-लड़की की शादी करना आबादी बढ़ने के प्रमुख कारणों में से एक हैं। हालांकि हमारी भारत सरकार ने इसके लिए कानून भी बनाया है, लेकिन ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में आज भी कम उम्र में ही लड़के-लड़की की शादी कर दी जाती है। जिस पर सख्त जांच होनी चाहिए।

बढ़ती आबादी के दुष्परिणामों के प्रति जागरूकता फैलाना:

लगातार बढ़ रही जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए जनसंख्या वृद्धि से होने वाले दुष्परिणामों के प्रति लोगों को जागरूक करना बेहद जरूरी है। इसके लिए टीवी, रेडियो, नुक्कड़ नाटक आदि के माध्यम से लोगों को जागरूक किया जाना चाहिए।

जनसंख्या पर नियंत्रण करने के लिए अगर इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाए गए तो,हमारा देश विकास के मामले में पिछड़ता जाएगा और जीवन स्तर में लगातार कमी आती जाएगी। वहीं सरकार को भी इस समस्या को गंभीरता से लेते हुए सख्त नियम कानून बनाना चाहिए। ताकि हमारा देश विकास के पथ पर आगे बढ़ सके।

  • Essay in Hindi
  • Slogan on population

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Population Control Essay in Hindi जनसंख्या नियन्त्रण

आप देश के किसी भी छोटे अथवा बड़े शहर में जाएँ, आपको हर तरफ लोग ही लोग और सिर ही सिर दिखाई पड़ेंगे. हमारे देश ने विकास तो जरुर किया है लेकिन जनसँख्या के मामले में कुछ ज्यादा ही विकास किया है. ये जनसँख्या विस्फोट क्यों हुआ है? इसपर आपने विचार किया है. यह सब कुव्यवस्थाओं के कारण हुआ है. इस पोस्ट  Population Control Essay in Hindi में हम इसी पर विचार करेंगे.

Population Control Essay in Hindi

Population Control Essay in Hindi जनसंख्या नियन्त्रण पर निबंध

भारत के सामने जनसँख्या वृद्धि की समस्या वाकई में बहुत जटिल समस्या है. यह एक बड़ी, गंभीर और खतरनाक समस्या है. भारत में जनसंख्या वृद्धि की समस्या एक कोढ़ है, जबकि उसमें शरणार्थियों की समस्या खाज के समान है.

पापुलेशन कंट्रोल या जनसंख्या नियन्त्रण या परिवार नियोजन का अर्थ है- बढती हुई जनसंख्या पर नियन्त्रण पाना. किसी भी राष्ट्र के लिए जनसंख्या का होना अत्यंत आवश्यक है. यदि जनसंख्या विहीन हो जाने पर राष्ट्र का अस्तित्व समाप्त हो जाता है, तो जनसंख्या के बेकाबू हो जाने पर राष्ट्र का अस्तित्व खतरे में पड़ जाता है. जैसे पानी के बिना नदी की कल्पना करना असंभव है, वैसे ही जनसंख्या के बिना किसी राष्ट्र की कल्पना नहीं की जा सकती. प्रज्ञा विहीन मथुरा- मंडल का राज्य वज्रपान को निर्जन वन सा लगता है. इसीलिए वे दुखी होकर राजा परीक्षित से कहते हैं. – ”राज्य का सुख तभी है, जब प्रजा रहे.” राज्य के निर्माण की एक मुख्य ईकाई नागरिक यानी जनसँख्या को माना जाता है.

सुप्रसिद्ध चिंतक गार्नर का विचार

लेकिन विचारणीय प्रश्न यह है कि किसी राष्ट्र में कितनी जनसंख्या होनी चाहिए. इस संबंध में सुप्रसिद्ध चिंतक गार्नर का विचार है कि किसी राज्य की जनसंख्या उतनी ही होनी चाहिए, जितनी साधन-संपन्नता राज्य के पास हो. जनसंख्या किसी देश के लिए वरदान होती है, परन्तु जब यह अधिकतम सीमा रेखा को पार कर जाती है, तब यह अभिशाप बन जाती है.

वर्तमान में जनसंख्या-विस्फोट भारत के लिए एक समस्या बनी हुई है. जनसंख्या की दृष्टि से भारत का स्थान विश्व में दूसरा है, जबकि क्षेत्रफल में यह विश्व में सातवें स्थान पर है. बढती हुई जनसंख्या का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि स्वतन्त्रता प्राप्ति के समय भारत की आबादी मात्र 36 करोड़ थी, जो आज एक अरब 25 करोड़ से अधिक हो चुकी हो.

सवा सौ करोड़ भारतीय

हमारे देश के प्रधानमंत्री अपने भाषणों में हमेशा सवा सौ करोड़ भारतीय का जिक्र करते हैं. भारत का क्षेत्रफल दुनिया के क्षेत्रफल का 2.5 प्रतिशत है, जबकि विश्व की 15 प्रतिशत आबादी भारत में ही बसती है. अगर भारत में जनसंख्या इसी तरह बढती रही, तो वह समय दूर नहीं, जब यहाँ के निवासियों को रहने की जगह नहीं मिलेगी. विशाल जनसंख्या के कारण हमारे देश को अनेक समस्याओं से जूझना पड़ रहा है.

अत्यधिक जनसंख्या बढ़ने से हमारी आर्थिक प्रगति रूकी हुई है. बेरोजगारी का समूल विनष्टीकरण असंभव सा प्रतीत हो रहा है. जनसंख्या वृद्धि के कारण दिनों-दिन मकान आदि बनते जा रहे हैं, जिससे कृषियोग्य भूमि घट रही है. उद्दोग धंधों में अधिक मजदूर होने से उन्हें उचित पारिश्रमिक नहीं मिल पा रहा है. शरणार्थीयों की संख्या बढने से उनके रहने के लिए पर्याप्त भूमि नहीं मिल पा रही है. जनसंख्या-विस्फोट से व्यक्ति को तन ढकने के लिए कपड़ा, रहने के लिए मकान और खाने के लिए रोटी नहीं नसीब हो रही है.

सवाल यह उठता है कि जनसंख्या वृद्धि के कौन-कौन से कारण हैं. अशिक्षा के कारण प्राय: भारत के अधिकांश व्यक्ति रूढ़िवादी प्रवृत्ति के हैं. वे अंधविश्वास में फंसकर पुत्र की लालसा में कई बेटियां पैदा करते हैं. इस कारण वे परिवार नियोजन का महत्व नहीं समझते. जनसंख्या वृद्धि के अनेक अन्य कारण भी हैं – संयुक्त परिवार प्रथा, परिवार कल्याण कार्यक्रम के प्रति उदासीनता, भाग्यवादी दृष्टिकोण तथा भौगोलिक स्थिति आदि.

छोटा परिवार सुख का आधार

वर्तमान समय में इस समस्या का समाधान अत्यंत आवश्यक हो गया है, अन्यथा विकास कार्यक्रम के सारे लाभ जनसंख्या- विस्फोट रूपी सुरसा द्वारा निगल लिए जाएंगे. अत: सरकार और जनता दोनों को इससे लड़ना होगा. इस दिशा में सरकार का प्रयास जारी है. शिक्षा का व्यापक प्रचार-प्रसार हुआ है. बाल विवाह और बहु विवाह पर कानूनी पाबंदी लगाई गई है. परिवार नियोजन का भी प्रचार-प्रसार किया जा रहा है. उस पर अनेक आकर्षक नारे भी लिखे रहते हैं. परिवार नियोजन के मूल वाक्य इस प्रकार हैं.एक या दो बच्चे, होते हैं घर में अच्छे – हम दो, हमारे दो-कम सन्तान, सुखी इन्सान- छोटा परिवार सुखी परिवार या सुख का आधार.

इन सभी उपायों से भारत को आंशिक सफलता मिली है. लेकिन आज सबसे बड़ी आवश्यकता इस बात की है कि लोग स्वेच्छापूर्वक इस कार्यक्रम से जुड़ें. लोगों को अपने दिमाग में यह बात बैठा लेनी चाहिए कि छोटा परिवार ही सुख का आधार होता है.

शिक्षा वह अस्त्र है जिसको अपनाकर जनसँख्या को कम किया जा सकता है. एक शिक्षित परिवार यह जानता है कि ज्यादा बच्चे किस प्रकार उनके लिए एक भार है. एक या दो बच्चे रहने से माता पिता उनको सही शिक्षा, सही परवरिश दे सकते हैं. जनसँख्या नियंत्रण करने के लिए जब तक आम नागरिक सजग और जागरूक नहीं होंगे तबतक सरकार का प्रयास भी सार्थक नहीं हो सकता. अति आबादी राष्ट्र के विकास में सबसे बड़ा रोड़ा साबित होता है.

Population Control Essay in Hindi के अलावे इसे भी पढ़ें: 

  • तनाव की समस्या
  • Pollution Hindi Essay प्रदूषण पर हिंदी में निबंध
  • Republic Day Essay in Hindi गणतंत्र दिवस पर निबंध
  • परहित सरिस धर्म नहीं भाई पर हिंदी में अनुच्छेद
  • StartUp India StandUp India भारत बढेगा आगे
  • श्री अटल बिहारी वाजपेयी

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Republic Day Speech in Hindi for Students

January 1, 2018 at 10:57 PM

जनसँख्या नियंत्रण करने के लिए जब तक आम नागरिक सजग और जागरूक नहीं होंगे तबतक सरकार का प्रयास भी सार्थक नहीं हो सकता. अति आबादी राष्ट्र के विकास में सबसे बड़ा रोड़ा साबित होता है. सटीक आकलन एवम प्रस्तुति।

population control essay in hindi

January 5, 2018 at 10:47 PM

Correct mam

population control essay in hindi

April 27, 2018 at 2:04 PM

सही कहा आपने, देश के सम्‍पूर्ण विकास के लिए जनसंख्‍या नियंत्रण बेहद आवश्‍यक है।

population control essay in hindi

January 22, 2020 at 6:46 PM

jansankhaya ko badhne se rokne k liye samaj ko aur adhik jakruk hone ki jarurat hai, hamare pradhanmantri ji ko vi is par vichar karna chahiye, jis prakar se jansankhya badh rahi hai aage chalkar roji roti or rahne ke liye hame sangharsh karna padega, hamare bachho ka bhavishya andhakar ho jayega, unhe jivan bitane k liye kafi sangharsh karna padega, kripya is par vichar kare

population control essay in hindi

July 13, 2020 at 1:05 PM

भाई आपने बहुत ही अच्छी तरह से निबंध लिखा है इस निबंध को पढ़कर कोई भी आसानी से समझ सकता है आपका बहुत बहुत धन्यवाद

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जनसंख्या नियंत्रण पर निबंध | Population Control Essay in Hindi

population control essay in hindi

जनसंख्या आज दुनिया का सबसे गंभीर मुद्दा बन गया है, बढ़ती जनसंख्या के कारण प्रदूषण और Global Warming जैसी समस्या भी एक बड़ा रूप ले रही है, जनसंख्या नियंत्रण के लिए दुनिया भर की कई सारी सरकारों ने इसके उपर कड़े कदम उठाए है, लेकिन फिर भी जनसंख्या में लगातार वृद्धि हो रही है।

Population Control Essay in Hindi

Population Control Essay in Hindi

बढ़ती जनसंख्या को रोकने के लिए संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम की संचालक परिषद ने पहला कदम उठाया, और साल 1989 में उन्होंने 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस के रूप में घोषित कर दिया। तब से लेकर आज तक यह दिन पूरे विश्व भर में बड़े जोश के साथ मनाया जाता है, इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य है, बढ़ती जनसंख्या के दुष्परिणाम को लोगों से अवगत करवाना है।

हर वर्ष विश्व जनसंख्या दिवस पर लोगों का ध्यान केन्द्रित करने के लिए अलग-अलग थीम पर काम किया जाता है। कई लोग जनसंख्या नियंत्रण पर स्पीच लिखकर लाते है, कुछ लोग नए नए पोस्टर बना कर लाते है, कोई जनसंख्या के उपर भाषण देता है, कोई गाना गाता है। इस तरह की गतिविधियां करकर लोग इस दिन को और भी खास बना देते है। आज भी लोग इस कार्यक्रम में बहुत बड़ी आबादी में हिस्सा लेते हैं, और इसका पूरा समर्थन करते है।

बढ़ती जनसंख्या का कारण

आज पूरी दुनिया की आबादी 760 करोड पहुँच गई है और वो लगातार बढ़ती ही जा रही है,

जैसे जन्मदर, ओर मृतुदर में असुंतलन, कम उम्र में विवाह, ज्यादा निरक्षरता, निर्धनता, शिक्षा का अभाव, आज हमारे देश में 18 वर्ष से कम आयु के लड़का या लड़की को शादी करवा दी जाती है, उन्हे ये पता ही नही होता है की बीवी बच्चे की जिम्मेदारी क्या होती है, ओर वे इतनी कम उम्र में अपना परिवार बसा लेते हैं।

गरीबी या निर्धनता भी जनसंख्या वृद्धि का कारण है, गरीब परिवार अधिक बच्चे पैदा करके अपने परिवार की बढ़ती आवश्यकताओं को उनके माँ-बाप को पूरा नहीं कर पाते हैं और उन्हें स्कूल जाने से रोकना पड़ता है , ताकि वे घर के खर्च में मदद कर सकें। ओर इसी कारण हर वर्ष कई सारे लोग बिना पड़े लिखे रह जाते है।

जनसंख्या नियंत्रण

जनसंख्या आज दुनिया का सबसे गंभीर मुद्दा है, दुनिया की कुल 17% लोग तो भारत में निवास करते है।

इसी कारण आज विश्व में भारत जनसंख्या की दृष्टि से चीन के बाद दूसरे स्थान पर है, इसी कारण आज हमारे सामने जनसंख्या-विस्फोट की समस्या है, जहां 2011 में देश की जनसंख्या 121 करोड़ थी, आज हम अनुमान भी नही लगा सकते की आज हमारे देश की जनसंख्या कितनी होगी? जनसंख्या को रोकना आज अति आवश्यक है।

क्योंकि हमारा देश गांवों में बसा है, इस कारण यहां के ज्यादातर लोगों में शिक्षा का अभाव होता है, ओर लोगो को इसके दुष्परिणाम ज्ञात नही है, गरीब परिवार ज्यादा बड़ा होता मुकाबले अमीर परिवार के। गरीब परिवार में लडको की शादी छोटी उम्र में करवा दी जाती है, जिसके कारण उन्हें पढ़ाई छोड़कर घर की जिम्मेदारी को संभालना पड़ता है।

हमारे देश से अगर जनसंख्या नियंत्रण करना है, तो लोगो को जनसंख्या से होने वाले नुकसान के प्रति जागरूक करना होगा, लोगो को जन्मदर ओर मृत्युदर का महत्व समझाना होगा, बाल विवाह का पूर्णतः बहिष्कार करना होगा, ओर सरकार द्वारा चलाई गई मुहिम “हम दो और हमारे दो” को अपनाना होगा, जो लोग इसके विपरित जाते है, उनके खिलाफ कड़ा कदम उठाना चाहिए।

भारत जैसे विकासशील देश में बढ़ती जनसंख्या पर नियंत्रण पाना आज बहुत आवश्यक है, अगर जल्द ही देश में जनसंख्या को नियंत्रण नहीं किया गया तो देश को अशिक्षा, गरीबी, भुखमरी, बेरोजगारी, जैसी बड़ी समस्या बहुत बड़े पैमाने पर देश पर राज करेगी।

जनसंख्या के कारण लोग गांव शहर में बस रहे है, जिसके कारण पर्यावरण पर भी बहुत गहरा प्रभाव पड़ रहा है, जनसंख्या को नियंत्रण करने के लिए केंद्र एवं राज्य सरकारों के साथ साथ देश के प्रत्येक नागरिक को इस विकट समस्या से लड़ना होगा।

इसके प्रचार के लिए सोशल मीडिया या न्यूज चैनल के माध्यम से इसका जोरो से प्रचार करना होगा। आज की नई पीढ़ी ‘ हम दो हमारे दो ’ के सिद्धांत पर टिकी है, आज हमे बढ़ती आबादी को किसी भी प्रकार रोकना है, और इसके लिए हमें अपना योगदान अवश्य देना चाहिए ।

population control essay in hindi

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जनसंख्या पर निबंध 10 lines (Essay On Population in Hindi) 100, 200, 300, 500, शब्दों में

population control essay in hindi

Essay On Population in Hindi – जनसंख्या एक बहुत ही दिलचस्प विषय है। इस तथ्य से इनकार नहीं किया जा सकता है कि किसी भी देश की जनसंख्या इस बात का बहुत मजबूत संकेतक है कि वह देश भविष्य में कैसे कार्य करेगा और एक राष्ट्र के रूप में उसकी क्षमताएं क्या हैं। दुनिया के नेता इसी कारण से अपने देश की जनसंख्या पर बहुत ध्यान देते हैं। जनसंख्या और उनके पास मौजूद कौशल शायद किसी भी देश के लिए सबसे आवश्यक संपत्तियों में से कुछ हैं। निम्नलिखित लेख जनसंख्या के विषय पर एक निबंध है और इसे इस तरह से संरचित किया गया है कि सभी उम्र के छात्र उन मुख्य बिंदुओं को सीख और समझ सकें जिनका उन्हें इस तरह का निबंध लिखते समय उल्लेख करने की आवश्यकता है। 

जनसंख्या पर निबंध 10 पंक्तियाँ (Population Essay 10 Lines in Hindi) 100 – 150 शब्द

  • 1) जनसंख्या, सरल शब्दों में, दुनिया में लोगों की कुल गिनती है।
  • 2) जनसंख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है जिससे ग्रह को बहुत सारे नुकसान हो रहे हैं।
  • 3) जनसंख्या में वृद्धि से लोगों के लिए संसाधनों की संख्या सीमित हो जाती है।
  • 4) चीन दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देशों में से एक है।
  • 5) भारत दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देशों में दूसरे स्थान पर है।
  • 6) जनसंख्या वृद्धि नकारात्मक भी हो सकती है और सकारात्मक भी।
  • 7) जनसंख्या की अधिकता को अतिजनसंख्या कहा जाता है।
  • 8) जनसंख्या वृद्धि पूरी दुनिया के लिए एक खतरनाक चिंता का विषय है।
  • 9) किसी भी राष्ट्र के सतत विकास के लिए जनसंख्या सीमा में होनी चाहिए।
  • 10) देशों में अधिक जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए सरकार कई कार्यक्रम चलाती है।

जनसंख्या पर 200 शब्द निबंध (200 Words Essay On Population in Hindi)

हाल के दशकों में वैश्विक जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, विश्व की जनसंख्या 2020 में 7.9 बिलियन तक पहुंच गई और 2050 तक लगभग 9.7 बिलियन तक पहुंचने का अनुमान है। यह जनसंख्या वृद्धि दर देश और क्षेत्र के अनुसार अलग-अलग होती है, कुछ क्षेत्रों में दूसरों की तुलना में उच्च वृद्धि दर का अनुभव होता है। विकासशील देशों में विकसित देशों की तुलना में जनसंख्या वृद्धि दर अधिक होती है।

संसाधनों पर प्रभाव

बढ़ती जनसंख्या का संसाधनों पर काफी प्रभाव पड़ता है। जैसे-जैसे जनसंख्या बढ़ती है, भोजन, पानी और ऊर्जा की मांग बढ़ती है। इससे भोजन और पानी की कमी के साथ-साथ ऊर्जा संसाधनों पर दबाव जैसे मुद्दे पैदा हो सकते हैं। इसके अतिरिक्त, बढ़ती जनसंख्या जंगलों और भूमि जैसे प्राकृतिक संसाधनों पर भी दबाव डालती है, जिससे वनों की कटाई और भूमि क्षरण जैसे मुद्दे सामने आते हैं।

पर्यावरण पर प्रभाव

बढ़ती जनसंख्या का पर्यावरण पर भी काफी प्रभाव पड़ता है। जैसे-जैसे जनसंख्या बढ़ती है, वैसे-वैसे अपशिष्ट और प्रदूषण की मात्रा भी बढ़ती है। इससे वायु और जल प्रदूषण जैसे मुद्दों के साथ-साथ महासागरों और नदियों जैसी प्राकृतिक प्रणालियों पर दबाव पड़ सकता है। इसके अतिरिक्त, बढ़ती जनसंख्या जैव विविधता पर भी दबाव डालती है, जिससे प्रजातियों और पारिस्थितिक तंत्रों का नुकसान होता है।

अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

बढ़ती जनसंख्या का असर अर्थव्यवस्था पर भी पड़ता है. जैसे-जैसे जनसंख्या बढ़ती है, वैसे-वैसे आवास, बुनियादी ढांचे और स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा जैसी सेवाओं की मांग भी बढ़ती है। इससे आवास और बुनियादी ढांचे की समस्याओं के साथ-साथ स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा प्रणालियों पर दबाव जैसे मुद्दे पैदा हो सकते हैं। इसके अतिरिक्त, बढ़ती जनसंख्या रोज़गार और नौकरी बाज़ारों पर भी दबाव डाल सकती है।

जनसंख्या पर 300 शब्द निबंध (300 Words Essay On Population in Hindi)

किसी स्थान पर रहने वाले लोगों की संख्या को दर्शाने के लिए जनसंख्या आमतौर पर इस्तेमाल किया जाने वाला शब्द है। दुनिया के विभिन्न हिस्सों में जनसंख्या का घनत्व कई कारणों से काफी भिन्न होता है।

जनसंख्या का असमान वितरण

पृथ्वी पर जनसंख्या असमान रूप से वितरित है। जबकि कुछ देश ऐसे हैं जो जनसंख्या विस्फोट की समस्या का सामना कर रहे हैं, अन्य देश बहुत कम आबादी वाले हैं। यह केवल मानव आबादी का मामला नहीं है, यह जानवरों और अन्य जीवों के लिए भी अच्छा है। कुछ स्थानों पर आपको अधिक संख्या में जानवर दिखेंगे जबकि कुछ स्थानों पर आपको शायद ही कोई जानवर मिलेंगे।

चीजें जो जनसंख्या घनत्व को प्रभावित करती हैं

किसी भी क्षेत्र में जनसंख्या के घनत्व की गणना कुल लोगों की संख्या को उस क्षेत्र से विभाजित करके की जाती है जिसमें वे रह रहे हैं। जनसंख्या का घनत्व कई कारणों से अलग-अलग स्थानों में भिन्न होता है। किसी क्षेत्र में जनसंख्या के घनत्व को प्रभावित करने वाले कुछ कारक इस प्रकार हैं:

अत्यधिक गर्म या ठंडी जलवायु वाले स्थान कम आबादी वाले होते हैं। दूसरी ओर, जो मध्यम जलवायु का आनंद लेते हैं वे घनी आबादी वाले हैं।

तेल, लकड़ी, कोयला आदि जैसे संसाधनों की अच्छी उपलब्धता वाले क्षेत्र घनी आबादी वाले हैं, जबकि जिन क्षेत्रों में इन बुनियादी संसाधनों की कमी है, वे विरल आबादी वाले हैं।

  • राजनीतिक माहौल

जिन देशों में स्थिर सरकार और स्वस्थ राजनीतिक वातावरण होता है, वहां घनी आबादी होती है। ये देश क्षेत्र को आबाद करके अन्य देशों के अप्रवासियों को वहां आकर्षित करते हैं। दूसरी ओर, गरीब या अस्थिर सरकार वाले देशों में बहुत से लोग किसी अच्छे अवसर की उपलब्धता पर कहीं और चले जाते हैं।

संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे प्रथम विश्व के देश बहुत सारे अप्रवासियों को आकर्षित करते हैं क्योंकि वे लोगों को बेहतर पैकेज और बेहतर जीवन स्तर प्रदान करते हैं। दुनिया के विभिन्न हिस्सों से लोग ऐसे देशों में प्रवास करते हैं। यही कारण है कि ऐसे देशों में जनसंख्या का घनत्व बढ़ता जा रहा है।

भले ही दुनिया भर में कुछ स्थानों पर जनसंख्या का घनत्व कम है, लेकिन पिछले कुछ दशकों में देश की कुल जनसंख्या में वृद्धि हुई है और आने वाले समय में इसके कई गुना बढ़ने की संभावना है।

जनसंख्या पर 500 शब्द निबंध (500 Words Essay On Population in Hindi)

जनसंख्या से तात्पर्य किसी विशेष क्षेत्र में रहने वाले प्राणियों की कुल संख्या से है। जनसंख्या हमें प्राणियों की संख्या का अनुमान लगाने और उसके अनुसार कार्य करने में मदद करती है। उदाहरण के लिए, यदि हम किसी शहर की विशेष जनसंख्या को जानते हैं, तो हम अनुमान लगा सकते हैं कि उसे कितने संसाधनों की आवश्यकता है। इसी तरह, हम जानवरों के लिए भी ऐसा कर सकते हैं। यदि हम मानव आबादी पर नजर डालें तो पाते हैं कि यह किस प्रकार चिंता का कारण बनती जा रही है। विशेषकर तीसरी दुनिया के देश जनसंख्या विस्फोट से सबसे अधिक पीड़ित हैं। चूँकि वहाँ संसाधन सीमित हैं और लगातार बढ़ती जनसंख्या इसे और बदतर बना देती है। वहीं दूसरी ओर कई क्षेत्रों में कम जनसंख्या की समस्या भी है.

भारत जनसंख्या संकट

बढ़ती जनसंख्या के कारण भारत एक बड़े जनसंख्या संकट का सामना कर रहा है। अगर अनुमान लगाया जाए तो हम कह सकते हैं कि दुनिया की लगभग 17% आबादी अकेले भारत में रहती है। सर्वाधिक जनसंख्या वाले देशों की सूची में भारत दूसरे स्थान पर है।

इसके अलावा, भारत भी कम साक्षरता दर वाले देशों में से एक है। यह कारक भारत में जनसंख्या विस्फोट में बड़े पैमाने पर योगदान देता है। आमतौर पर देखा जाता है कि अशिक्षित और गरीब वर्ग में बच्चों की संख्या अधिक होती है। ऐसा मुख्य रूप से इसलिए होता है क्योंकि उन्हें जन्म नियंत्रण विधियों के बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं होती है। इसके अलावा, एक परिवार में अधिक लोग अधिक मदद करने वाले हाथों के बराबर होते हैं। इसका मतलब है कि उनके पास कमाई के बेहतर मौके हैं।

इसके अलावा, हम यह भी देखते हैं कि ये वर्ग किस प्रकार शीघ्र विवाह का अभ्यास करते हैं। यह इसे अधिक जनसंख्या के प्रमुख कारणों में से एक बनाता है। लोग पैसों के लिए या अपनी ज़िम्मेदारी से मुक्त होने के लिए अपनी जवान बेटियों की शादी अपने से कहीं अधिक उम्र के पुरुषों से कर देते हैं। युवा लड़की कम उम्र से ही बच्चों को जन्म देती है और लंबे समय तक ऐसा करती रहती है।

चूँकि भारत संसाधनों की कमी का सामना कर रहा है, जनसंख्या संकट समस्या को और बढ़ा देता है। इससे प्रत्येक नागरिक के लिए संसाधनों का समान हिस्सा प्राप्त करना काफी कठिन हो जाता है। इससे गरीब और गरीब तथा अमीर और अमीर हो जाता है।

जनसंख्या विस्फोट का प्रभाव

मानव जनसंख्या विस्फोट न केवल मनुष्यों को बल्कि हमारे पर्यावरण और वन्य जीवन को भी प्रभावित करता है। हमने विभिन्न कारकों के कारण पक्षियों और जानवरों की कई प्रजातियों को विलुप्त होते देखा है। चूँकि अधिक जनसंख्या को अधिक संसाधनों की आवश्यकता होती है, इसलिए वनों की कटाई तेजी से हो रही है जो इन जानवरों के घरों को छीन लेती है। इसी प्रकार, मानवीय गतिविधियों के कारण उनका निवास स्थान नष्ट हो रहा है।

इसके बाद, जनसंख्या विस्फोट के कारण प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है। जैसे-जैसे अधिक से अधिक मनुष्य ऑटोमोबाइल खरीद रहे हैं, हमारी हवा प्रदूषित हो रही है। इसके अलावा, बढ़ती ज़रूरत के लिए औद्योगीकरण की तेज़ दर की आवश्यकता है। ये उद्योग हमारे जल और भूमि को प्रदूषित करते हैं, हमारे जीवन की गुणवत्ता को नुकसान पहुंचाते हैं और उसका ह्रास करते हैं।

इसके अलावा, मानवीय गतिविधियों के कारण हमारी जलवायु में भी भारी बदलाव आ रहे हैं। जलवायु परिवर्तन वास्तविक है और यह हो रहा है। यह हमारे जीवन पर बहुत हानिकारक प्रभाव डाल रहा है और अब इस पर नजर रखी जानी चाहिए। ग्लोबल वार्मिंग जो मुख्यतः मनुष्यों की गतिविधियों के कारण होती है, जलवायु परिवर्तन के कारकों में से एक है।

मनुष्य अभी भी जलवायु का सामना करने और उसके अनुसार अनुकूलन करने में सक्षम हैं, लेकिन जानवर ऐसा नहीं कर सकते। इसी कारण वन्य जीव भी विलुप्त होते जा रहे हैं।

दूसरे शब्दों में कहें तो मनुष्य सदैव अपने भले के बारे में सोचता है और स्वार्थी हो जाता है। वह इस बात को नज़रअंदाज कर देता है कि वह आसपास के वातावरण पर क्या प्रभाव डाल रहा है। यदि जनसंख्या दर इसी गति से बढ़ती रही तो हम अधिक समय तक जीवित नहीं रह पाएंगे। इसके साथ ही जनसंख्या वृद्धि के हानिकारक परिणाम सामने आते हैं। अत: हमें जनसंख्या नियंत्रण के उपाय अवश्य करने चाहिए।

जनसंख्या पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

Q.1 विश्व की वर्तमान जनसंख्या कितनी है.

उत्तर. जुलाई 2021 तक विश्व की जनसंख्या 7.88 बिलियन होने का अनुमान है।

Q.2 चीन की जनसंख्या कितनी है?

उत्तर. जुलाई 2021 तक चीन की जनसंख्या लगभग 141.24 करोड़ है।

Q.3 जनसंख्या अर्थव्यवस्था को कैसे प्रभावित करती है?

उत्तर. जनसंख्या वृद्धि का अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक या नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इससे वस्तुओं और सेवाओं की मांग बढ़ सकती है, जिसके परिणामस्वरूप अधिक नौकरियां पैदा हो सकती हैं और आर्थिक विकास बढ़ सकता है।

Q.4 जनसंख्या वृद्धि को कौन से कारक प्रभावित करते हैं?

उत्तर. जनसंख्या वृद्धि कई कारकों से प्रभावित होती है, जिनमें जन्म दर, मृत्यु दर, प्रवासन और संसाधनों तक पहुंच शामिल है।

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जनसंख्या वृद्धि पर निबंध (समस्या, समाधान) सहित Essay on Population problem in Hindi

इस अनुच्छेद में हमने जनसंख्या वृद्धि पर निबंध समस्या और समाधान (Essay on Population problem in Hindi) लिखा है। साथ ही हमने जनसंख्या की परिभाषा और भारत की बढती जनसंख्या के विषय में भी हमने इसमें जानकारी दी है। इसमें हमने जनसंख्या विस्फोट का कारण, प्रभाव और उपाय की पूरी जानकारी दी है।

Table of Content

जनसंख्या की परिभाषा? Definition of Population in Hindi

किसी देश, शहर या किसी जिले या क्षेत्र में रहने वाले व्यक्तियों की कुल संख्या को जनसंख्या कहते हैं। जनसंख्या के ज़रूरत से ज्यादा बढ़ने से देश और दुनिया के ऊपर कई प्रकार से प्रभाव पड़ता है। नीचे हमने जनसंख्या वृद्धि और विस्फोट के बारे मे विस्तार से जानकारी दी है।

जनसंख्या वृद्धि क्या है? ‎What is Population Problem in Hindi?

किसी देश, शहर और क्षेत्र की जनसंख्या का बढ़ना जनसंख्या वृद्धि कहलाता है। जनसंख्या बृद्धि ना सिर्फ भारत में बल्कि दुनिया भर की एक बड़ी समस्या है। आबादी बढ़ने की समस्या के अभिशाप को हटाने के प्रयास केवल आंशिक रूप से प्रभावी हैं।

इसके परिणामस्वरूप आबादी की दर में गिरावट आई है, लेकिन इष्टतम जनसंख्या वृद्धि और स्वस्थ राष्ट्र के बीच संतुलन हासिल करना काफी दूर है अज्ञानता, निरक्षरता, अस्वच्छ जीवन और उचित मनोरंजन की कमी भारत में आबादी की समस्या के कारण बनी हुई है।

दोनों पुरुषों और महिलाओं को अधिक जनसंख्या के खतरों का एहसास होना चाहिए। अगर हम एक यादृच्छिक सर्वेक्षण करते हैं, तो हमें पता चलता कि अभी भी पुरुष और महिलाएं यह नहीं समझ पा रहे हैं कि उनके कम बच्चे होना चाहिए।

टेलीविजन में एक छोटे, प्रबंधनीय परिवार की योग्यता के बारे में विज्ञापन और झाँकियों के माध्यम से निर्देश देता है लेकिन फिर भी ऐसे परिवार हैं, जो इतनी मुश्किलों के बाद भी इस अंधविश्वास से पीड़ित हैं, वे सोचते है कि बच्चे गोद लेना एक अपवित्र कार्य है। फिर भी पेशेवर वंश की  परंपरा भी दृढ़ता से चली आ रही है।

हमारे भारतीय समाज के एक बड़े अनुभाग में एक लोहार, एक बढ़ई, एक मेसन या एक दर्जी तुरंत अपने बच्चों को अपने पिता के व्यापार को आगे बढ़ाने के लिए प्रशिक्षित करता है। सामान्यतः वे एक मनोवैज्ञानिक सोच रखते है कि ज़यादा बेटों के साथ वह बड़ा रोज़गार कर सकते है। जिस प्रकार एक मज़दूर अधिक पैदावार करता है तो इससे अधिक आय होती है

खुद लोगों को एक छोटे परिवार के गुणों का एहसास होना चाहिए। उनको निवारक जांच को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए – चेक जो जन्म दर को नियंत्रित करते हैं। विकास दर को प्रोत्साहित करने वाला एक और पहलू धर्म है।

किसी भी जनादेश या वैधानिक विधि के अनुसार जनसंख्या ब्रद्धि में रोक लगाना गलत नहीं है। भारत धर्म निरपेक्ष राज्य है, वह धार्मिक आधार पर किसी भी जांच या संयम का प्रयोग नहीं करता है।

जनसंख्या वृद्धि के लिए योगदान देने वाला एक बड़ा कारक शापित मतदान प्रणाली है यह संख्या पर आधारित है। दूसरी तरफ, विशेष रूप से उत्तरी भारत में मतदान पैटर्न, जाति पर आधारित है। स्वाभाविक रूप से, जाति जो कि अन्य जातियों को निर्विवाद वोटों में से निकालती है, शक्तियों के क्षेत्र में तुलनात्मक रूप से अधिक लाभ उठाने का आनंद लेती है।

प्रारंभिक विवाह- शीघ्र विवाह न केवल उच्च जनसंख्या की ओर जाता है बल्कि हमारी युवा जनसंख्या की प्रगति को विफल भी बनाता है, वे युवाओं के लिए बड़ी मुश्किलें पैदा करते हैं। ज्यादातर युवा लड़कियां, इस उम्र में प्रसव के बोझ को सहन करने के लिए सक्षम नहीं होती हैं।

लोगों को एक उच्च स्तर के जीवन का महत्व दिमाग में रखना चाहिए। बेहतर रहने की स्थिति की आशंका स्वत: ही आबादी में भारी वृद्धि के लिए एक निवारक के रूप में काम करती है। यह जनसंख्या विस्फोट को प्रतिबंधित करता है।

मूलरूप से प्राकृतिक संपदा का अधिक न्यायसंगत वितरण ना हो पाना, धार्मिक कट्टरपंथियों पर प्रतिबंध लगाया जाये जो अनावश्यक जन्म से देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा रहे है शिक्षा की विधि द्वारा – ये अकेले आबादी समस्या पर एक प्रभावी नियंत्रण ला सकते हैं।

जनसंख्या विस्फोट क्या है? What is Population Explosion in Hindi?

जनसंख्या विस्फोट जनसंख्या के आकार में अचानक और तेज़ वृद्धि को दर्शाता है, विशेष कर मानव आबादी। यह मानवीय आबादी का अनियंत्रित विकास है जिसके परिणामस्वरूप:

  • बढती हुई जन्म दर
  • शिशु मृत्यु दर में कमी
  • बेहतर जीवन प्रत्याशा

सामान्य सीमा से अधिक आबादी में भारी वृद्धि को जनसंख्या विस्फोट कहा जाता है। यह विकसित देशों की तुलना में कम विकसित और विकासशील देशों में अधिक प्रमुख है। जनसंख्या विस्फोट मुख्य रूप से द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जनसंख्या में वृद्धि के संदर्भ में आया है। हालांकि, भारत के प्रसंग में, यह आजादी के बाद जनसंख्या में तेजी से वृद्धि हुई है।

जनसंख्या वृद्धि का कारण Causes of Population Explosion in Hindi

जनसंख्या विस्फोट के मुख्य कारण कुछ इस प्रकार हैं-

1. बढ़ती जन्म दरें (Rising birth rates)

जन्म नियंत्रण पद्धति का उपयोग ना करने और इसके सकारात्मक प्रभाव के बारे में जागरूकता की कमी के कारण जन्म दर में लगातार वृद्धि हुई है। यह बढती हुई जनसंख्या का एक मुख्य कारण है।

2. शिशु मृत्यु दर में कमी (Infant mortality rate)

चिकित्सा विज्ञान और प्रौद्योगिकी में सुधार, निवारक दवाओं (टीके) के व्यापक उपयोग ने शिशु मृत्यु दर में बहुत जी तेज़ी से कमी आई है। हलाकि यह एक सकारात्मक कदम है परन्तु पिछले कुछ दशकों के दौरान चिकित्सा और स्वास्थ्य सुविधाओं में काफी सुधार होने के कारन जनसंख्या में वृद्धि हुई है।

3. जीवन प्रत्याशा में वृद्धि (Increase in life expectancy)

बेहतर रहने की स्थिति, बेहतर स्वच्छता और स्वच्छता की आदतों, बेहतर पोषण, स्वास्थ्य शिक्षा आदि के कारण मानव आबादी की औसत जीवन प्रत्याशा में काफी सुधार हुआ है। अच्छी गुणवत्ता वाले भोजन की स्थिर आपूर्ति यह सुनिश्चित करती है कि जनसंख्या अच्छी तरह से पोषित होती है जनसंख्या बढ़ती है जब वे पर्याप्त रूप से पोषित होते हैं।

4. वृद्धि हुई आप्रवासन (Increased immigration)

आप्रवासन में वृद्धि अक्सर जनसंख्या विस्फोट में योगदान देती है। विशेष रूप से विकसित देशों में ऐसा तब होता है जब बड़ी संख्या में पहले से ही आबादी वाले स्थान पर स्थायी रूप से निवास करने के इरादे से दुसरे देशों से लोग आ जाते हैं और रहने लगते हैं। परन्तु अब इसके लिए भारत में CAA जैसे नए नियम आ चुके हैं।

5. आवश्यक से कम जगह (Less space than necessary)

कई देशों में जनसंख्या बहुत बढ़ जाती है परन्तु उन देशों में उतने लोगों के रहने की जगह नहीं होती है। ऐसे में उस देश और क्षेत्र के लोगों को कई प्रकार की परेशानियों को सामना करना पड़ सकते है। उदाहरण के लिए – खाना, पीने का पानी, बिजली आदि की कमी।

जनसंख्या बढ़ने के कारण Effect of Population Growth in Hindi

असामान्य जनसंख्या वृद्धि सामान्यतः भारत की गरीबी के मुख्य कारणों में से एक माना जाता है। इस कारण लोग बहुत दयनीय स्थिति में रहते है। लोगों की आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए भारत में प्रयास किए जा रहे हैं, अगर आबादी को नियंत्रित करने की अनुमति दी जाती है तो इससे कोई फलदायी परिणाम उठा सकता है।

स्वतंत्र भारत में राष्ट्रीय गतिविधियों को कृषि, व्यापार, वाणिज्य और उद्योगों के एकीकृत विकास के माध्यम से लोगों की बढ़ती संख्या को आजीविका के पर्याप्त साधन उपलब्ध कराने के कार्य को निर्देशित किया जाता है।

इस प्रयोजन के लिए अपनाई गई योजनाओं को तब तक अमल नहीं किया जा सकता जब तक कि आबादी की समस्या को संतोषजनक ढंग से सामना नहीं किया जाएगा। हालांकि, यह भी एक तथ्य है कि हम जनसंख्या पर कोई प्रभावी जांच नहीं कर सकते, जब तक कि सामान्य लोगों के लिए जीवन स्तर के स्तर में कोई बढ़ोतरी न हो।

अधिक जनसंख्या, अर्थव्यवस्था को कई मामलों में कमजोर बनाती है। प्राकृतिक संसाधनों पर आबादी का बढ़ता दबाव आर्थिक प्रगति को रोक देगा और शिक्षा, धन, आवास, आदि के रूप में सामाजिक सेवाओं के लिए दायरे को कम से कम करना, इसलिए एक प्रगतिशील राज्य के लिए अनिवार्य रूप से आवश्यक है कि  हमारी अर्थव्यवस्था की योजना बद्ध वृद्धि को आबादी पर कुछ प्रभावी जांच की आवश्यकता है।

जनसंख्या वृद्धि के समाधान Solutions for Population Control in Hindi

सरकार द्वारा शुरू की गई परिवार नियोजन योजनाओं के लाभों को कई मायनों में जोर दिया जाए। फिर भी, आबादी के नियोजित विकास के लिए जनता की राय पूरी तरह जुटाई जाने से पहले इसे लगातार प्रचार प्रसार कार्य की आवश्यकता रूप से किये जिये है।

पारिवारिक नियोजन के तरीकों में आम जनता को शिक्षित करने के लिए हमें एक चहुँमुखी शिक्षा देना होगी। यह एक अच्छा संकेत है कि हमारे लोगों का एक वर्ग, जो विशेष रूप से मध्यम वर्ग से संबंधित हैं, धीरे-धीरे जनसंख्या जागरूक हो रहे हैं और आबादी नियंत्रण के लिए तैयार किए गए तरीकों में सक्रिय रुचि ले रहे हैं।

उच्च स्तर के रहने के लिए एक निश्चित अग्रिम बनाने के लिए जन्म दर को उचित सीमाओं में रखा जाना चाहिए, जो भारत की प्राथमिक जरूरत है। अगर लोगों को उच्च स्तर के जीवन जीने का मौका मिलता है तो यह काम बहुत आसान होगा। और तब यह जन्म नियंत्रण के लिए एक प्रोत्साहन के रूप में काम करेगा।

निष्कर्ष Conclusion

आशा करते हों आपको जनसंख्या वृद्धि पर निबंध (समस्या, समाधान) सहित Essay on Population problem in Hindi लेख अच्छा लगा होगा और पूर्ण जानकारी मिली होगी।

population control essay in hindi

नमस्कार रीडर्स, मैं बिजय कुमार, 1Hindi का फाउंडर हूँ। मैं एक प्रोफेशनल Blogger हूँ। मैं अपने इस Hindi Website पर Motivational, Self Development और Online Technology, Health से जुड़े अपने Knowledge को Share करता हूँ।

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विश्व में अत्यधिक जनसंख्या पर छोटे-बड़े निबंध (essay on overpopulation in world in hindi), जनसंख्या विस्फोट : कारण और निवारण – अन्य सम्बन्धित शीर्षक– जनसंख्या नियन्त्रण।। (population explosion: causes and prevention – other related titles – population control).

  • प्रस्तावना (जनसंख्या विस्फोट)
  • भारत में जनसंख्या विस्फोट की वर्तमान स्थिति,
  • जनसंख्या विस्फोट/वृद्धि के कारण,
  • जनसंख्या वृद्धि के परिणाम,
  • जनसंख्या वृद्धि नियन्त्रण/निवारण के उपाय,

साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।

प्रस्तावना (जनसंख्या विस्फोट)– भारत प्राकृतिक वैभव सम्पन्न देश है। यहाँ की शस्यश्यामला धरती हर एक को अपनी ओर आकर्षित करती है। देश की स्वतन्त्रता और विभाजन के पश्चात् सन् 1951 में हुई प्रथम जनगणना में हमारी जनसंख्या 36,10,88,400 थी, जो आज बढ़कर 121 करोड़ (2011 की जनगणना के अनुसार) से भी अधिक हो चुकी है। जनसंख्या के इस तीव्र गति से बढ़ने को ही जनसंख्या विस्फोट कहा जाता है। वर्तमान में भारत की बढ़ती जनसंख्या चिन्ता का विषय बनी हुई है।

भारत में जनसंख्या विस्फोट की वर्तमान स्थिति– आज जनसंख्या की दृष्टि से भारत का विश्व में दूसरा स्थान है। आधुनिक भारत में जिस तीव्रता के साथ जनसंख्या में वृद्धि हो रही है, आनेवाले समय में यह और भी विस्फोटक हो जाएगी। अनुमान है कि सन् 2026 ई० तक भारत की जनसंख्या बढ़कर लगभग 1.5 अरब हो जाएगी, वर्ष 2030 तक 1.53 तथा वर्ष 2060 तक यह 1.7 अरब हो जाएगी। यह जनसंख्या वृद्धि किसी विस्फोट से कम नहीं है। इसने देश के कर्णधारों को चिन्ता में डाल दिया है। आज जनसंख्या के स्तर पर भारत विश्व में दूसरे स्थान पर आता है, परन्तु सन् 2030 ई० तक इसके चीन को पछाड़कर प्रथम स्थान पर पहुँच जाने की सम्भावना है।

जनसंख्या विस्फोट/वृद्धि के कारण भारत में आज भी बच्चों का जन्म ईश्वर की देन माना जाता है। समाज का पढ़ा–लिखा वर्ग भी इस तथ्य को स्वीकारने के लिए तैयार नहीं होता कि जनसंख्या वृद्धि को हमारे द्वारा रोका जा सकता है। ग्रामीण क्षेत्रों में तो लोगों का यह तर्क होता है कि जितने हाथ होंगे, उतना ही काम भी बढ़ेगा, लेकिन वह इस तथ्य को भूल जाते हैं कि दो हाथ के साथ एक पेट भी बढ़ेगा, जिसकी अपनी आवश्यकताएँ होंगी। अन्धविश्वास और अशिक्षा के अतिरिक्त जनसंख्या वृद्धि के अन्य विशेष कारण भी हैं; जैसे—बाल–विवाह, बहुविवाह, दरिद्रता, मनोरंजन के साधनों का अभाव, गर्म जलवायु, रूढ़िवादिता, ग्रामीण क्षेत्रों में सन्तति–निरोध की सुविधाओं का कम प्रचार होना, परिवार नियोजन के नवीनतम साधनों की अनभिज्ञता एवं वंशवृद्धि के लिए पुत्र की अनिवार्यता आदि।

जनसंख्या वृद्धि अथवा विस्फोट के परिणाम– भारत की वर्तमान आर्थिक, सामाजिक एवं राजनैतिक समस्याओं का मुख्य कारण बढ़ती हुई जनसंख्या है। ‘ऋग्वेद’ में कहा गया है—“जहाँ प्रजा का आधिक्य होगा, वहाँ निश्चय ही दुःख एवं कष्ट की मात्रा अधिक होगी।” यही कारण है कि आज भारत में सर्वत्र अशिक्षा, गरीबी, बेरोजगारी, भुखमरी, निम्न जीवन–स्तर, सामाजिक कलह, अस्वस्थता एवं खाद्यान्न–संकट आदि अनेकानेक समस्याएँ निरन्तर बढ़ रही हैं। निश्चय ही जनसंख्या का यह विस्फोट भारत के लिए अभिशाप है। यदि यह वृद्धि इसी गति से होती रही तो पाँच–सौ वर्ष पश्चात् मनुष्यों को पृथ्वी पर खड़े होने की जगह भी नहीं मिल पाएगी। इसी बात को प्रसिद्ध हास्कवि काका हाथरसी ने अपनी विनोदपूर्ण शैली में इस प्रकार लिखा है-

यदि यही रहा क्रम बच्चों के उत्पादन का, तो कुछ सवाल आगे आएँगे बड़े–बड़े। सोने को किंचित् जगह धरा पर मिले नहीं, मजबूरन हम तुम सब सोएँगे खड़े–खड़े।

हमारे देशवासी जनसंख्या की वृद्धि से होनेवाली हानियों के प्रति आज भी लापरवाह हैं। निश्चित ही जनसंख्या की वृद्धि का यदि यही क्रम रहा तो मानव–जीवन अत्यधिक संघर्षपूर्ण एवं अशान्त हो जाएगा।

भूतपूर्व प्रधानमन्त्री श्रीमती इन्दिरा गांधी ने जनसंख्या विस्फोट से होनेवाली हानि पर अपने विचार प्रकट करते हुए कहा था—“जनसंख्या के तीव्रगति से बढ़ते रहने पर योजनाबद्ध विकास करना, बहुत–कुछ ऐसी भूमि पर मकान खड़ा करने के समान है, जिसे बाढ़ का पानी बराबर बहाए ले जा रहा है।”

जनसंख्या आज अति संवेदनशील मुद्दा बन चुका है। निरन्तर जनसंख्या–वृद्धि से मानव की आवश्यकताओं और संसाधनों की पूर्ति करना असम्भव होता जा रहा है। निरन्तर जीवन–मूल्यों में गिरावट आती जा रही है। अमीर और अमीर तथा गरीब और गरीब होते जा रहे हैं। अमीर–गरीब के बीच की खाई बढ़ती जा रही है। पर्यावरण विषाक्त होने में एक मुख्य कारण जनसंख्या विस्फोट भी है। इसलिए जनसंख्या वृद्धि को नियन्त्रित करना अत्यन्त आवश्यक हो गया है।

जनसंख्या वृद्धि नियन्त्रण/निवारण के उपाय–जनसंख्या विस्फोट को रोकने के लिए भारत सरकार पूर्णतया गम्भीर है तथा अनेक प्रभावी कार्यक्रम चला रही है। यह कार्य अनेक सरकारी संस्थाओं, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग तथा सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा किया जा रहा है। परिवार कल्याण कार्यक्रमों तथा संचार माध्यमों द्वारा लोगों को जनसंख्या वृद्धि के प्रति सचेत किया जा रहा है। प्रतिवर्ष 11 जुलाई को ‘विश्व जनसंख्या दिवस’ मनाया जाता है, जो जनसंख्या को नियन्त्रित रखने के लिए लोगों को शिक्षित और जागरूक करने के उद्देश्य से मनाया जाता है।

जनसंख्या–विस्फोट रोकने के कुछ उपाय निम्नलिखित हैं–––

  • दो बच्चों के मापदण्डों को अपनाना।
  • लड़के–लड़कियों को देर से विवाह के लिए प्रोत्साहित करना।
  • परिवार नियोजन कार्यक्रमों एवं साधनों का व्यापक प्रचार–प्रसार करना व अपनाना।
  • अधिक बच्चों को जन्म देनेवाले माता–पिता को हतोत्साहित करना तथा उन्हें विभिन्न शासकीय सुविधाओं से वंचित रखने का प्रावधान करना, चाहे वह किसी भी वर्ग–जाति के क्यों न हों।
  • बाल–विवाह एवं बहुविवाह जैसी कुप्रथाओं पर रोक लगाना इसके अतिरिक्त स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण सम्बन्धी योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए प्रधानमन्त्री की अध्यक्षता में एक राष्ट्रीय जनसंख्या आयोग नियुक्त करने का भी प्रावधान है, जिससे जनसंख्या–विस्फोट पर रोक लगाई जा सकेगी।
  • आज यह सन्तोष का विषय है कि भारत सरकार इस दिशा में पर्याप्त सकारात्मक कदम उठा रही है।

उपसंहार– आज भारतवर्ष में जनसंख्या–विस्फोट को रोकने के लिए नित्य नए अभियान चलाए जा रहे हैं बाल–विवाह जैसी कुप्रथा अब लगभग समाप्त हो गई है। चिकित्सा–क्षेत्र में नवीन पद्धतियाँ आ गई हैं, जनता गर्भ–निरोध के साधनों के प्रति जागरूक व भयरहित हुई है।

यदि भारतवासी समझदारी से काम लेकर जनसंख्या वृद्धि रोकने में सहायक रहे और सरकार इस विषय में प्रयत्नशील रहे तो निश्चित ही एक दिन जनसंख्या–विस्फोट को रोका जा सकेगा तथा हमारा देश पुनः वैभव सम्पन्न और शस्य–श्यामलावाली अनुभूति से युक्त होगा।

भारत में जनसंख्या की समस्या | Essay on The Population Problem in India in Hindi

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भारत में जनसंख्या वृद्धि और समस्या पर निबंध | Read These Two Essays on Population Growth and Problem of Population in India in Hindi.

#Essay 1: भारत में जनसंख्या की समस्या | Essay on The Population Problem in India in Hindi!

भारत में जनसंख्या- वृद्धि का सामान्य क्रम यह है कि हर पीढ़ी में वह दुगुनी होती रहती है । इस क्रम में सन् १९३०-३२ में भारत की आबादी ६० करोड़ थी, आज यह १ अरब से अधिक हो गई है ।

आज का समाज भौतिक क्षेत्र में विकास कर रहा है । जीवन-क्रम द्रुतगति से बदलता जा रहा है । प्राकृतिक साधनों का भी अधिकाधिक उपयोग हो रहा है, फिर भी जनसंख्या का संतुलन और उस पर नियंत्रण नहीं हो पा रहा है । अर्थशास्त्र के नियमानुसार, जीवन-स्तर के निम्न होने पर जनसंख्या बढ़ती है । भारत शायद इसी दरिद्रता का शिकार बना हुआ है ।

जनसंख्या की वृद्धि की समस्या अन्य अनेक समस्याओं को पैदा करती है । प्रतिवर्ष उत्पादित खाद्यान्न अपर्याप्त हो जाता है और जो है, वह महँगा हो जाता है । इसी हिसाब से अन्य उपयोगी वस्तुओं के दाम भी बढ़ते हैं । सरकार के पास काम की कमी हो जाती है, अत: बेकारी भी बढ़ती जाती है ।

वैज्ञानिक प्रगति के कारण पूँजीवादी अथवा साम्राज्यवादी आधिपत्य मानव-श्रम को दिन-प्रतिदिन उपेक्षित करता जा रहा है । ऐसी स्थिति में जनसंख्या की स्थिरता आज की अनिवार्य माँग बन गई है । इसके लिए पाश्चात्य देशों में परिवार-नियोजन के अनेक तरीके अपनाए जाते हैं:

संतति नियंत्रण के साधनों में नसबंदी और नलबंदी भी शामिल है । भारत में भी इन साधनों का प्रचार होने लगा है । विवाह की उम्र बढ़ाने की प्रेरणा दी जाती है । भारत में संतानात्पप्न को ईश्वर की देन माना जाता है ।

इसका किसी भी रूप में निरोध ईश्वर के कर्मों में दखल माना जाता है । लेकिन अब स्थिति बदल रही है । शिक्षा के विकास के साथ भारतीय दंपती इम अच्छी तरह समझ रहे हैं और परिवार-नियोजन को अपना रहे हैं । माता के आरोग्य तथा सौंदर्य की रक्षा के लिए भी परिवार-नियोजन पर जोर दिया जाता है ।

आज यद्यपि जनसंख्या-वृद्धि देश की उन्नति में बाधक बनी हुई है तथापि इसके दूसरे पहलू पर विचार किया जा सकता है । जनसंख्या अथवा मानव-शक्ति किसी भी राष्ट्र की निधि मानी जाती है । जन-बल से सरकार अपनी निर्माण-योजनाएँ पूरी कर सकती है ।

ADVERTISEMENTS:

परिश्रमशील प्रजा के श्रमदान से राष्ट्रीय व्यय कम किया जा सकता है । देश के दुश्मनों को आतंकित करने के लिए भी प्रभूत प्रजा का होना बुरा नहीं माना जाता है । चीन आज जनसंख्या के बल पर ही विश्व में जूट राष्ट्र बना हुआ है ।

भारतीय स्वभावत: चिंतनशील होते हैं । कष्ट, सहिष्णुता, परिश्रम तथा न्याय यहाँ के निवासियों की परंपरागत विशेषताएँ हैं । इसके अलावा ये आदर्शवादी और समन्वयवादी होते हैं । सरल तथा संयमित जीवन जीना उनको आता है । ऐसे देश में जनसंख्या की वृद्धि मनोवैज्ञानिक दृष्टि से उनकी विकट समस्या नहीं है जितनी कि अन्य देशों में ।

यहाँ की आबादी को स्वावलंबन की शिक्षा मिले तो जनसंख्या- वृद्धि भी की जा सकेगी । बढ़ती जनसंख्या को उपयोगी काम में लगाकर भारत भूमि को स्वर्ग बनाया जा सकता है । जनसंख्या को स्थायी रूप से नियंत्रित करना है, तो शिक्षा को अनिवार्य बनाना चाहिए ।

देखा गया है कि शिक्षितों की अपेक्षा अशिक्षितों की अधिक संतानें हैं । दो संतान से अधिक होने पर माता-पिता को सरकारी सेवा के अवसर से वंचिन कर देना चाहिए । सीमित परिवारवालों को सरकार द्वारा पुरस्कृत-प्रोत्साहित किया जाना चाहिए ।

#Essay 2: जनसंख्या वृद्धि पर निबंध | Essay on Population Growth

सुप्रसिद्ध विचारक गार्नर का कहना है कि जनसंख्या किसी भी राज्य के लिए उससे अधिक नहीं होनी चाहिए, जितनी साधन-सम्पन्नता राज्य के पास है । इसे दूसरे शब्दों में इस प्रकार कहा जा सकता है- जनसंख्या किसी भी देश के लिए बरदान होती है, परन्तु जब अधिकतम सीमा-रेखा को पार कर जाती है, तब बही अभिशाप बन जाती है ।

वर्तमान समय में जनसंख्या की दृष्टि से भारत का विश्व में चीन के बाद दूसरा स्थान है । हमारे सामने अभी जनसंख्या-विस्फोट की समस्या है । बढती हुई जनसंख्या का अनुमान इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि स्वतन्त्रता प्राप्ति के समय भारत की जनसंख्या मात्र 36 करोड़ थी, जो अब वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार बढ़कर 121 करोड़ से भी अधिक हो गई है ।

विश्व की लगभग 15% जनसंख्या भारत में निवास करती है, जबकि भू-भाग की दृष्टि से भारत का क्षेत्रफल विश्व के कुल क्षेत्रफल का मात्र 2.5% है । यह हमारे लिए बेहद चिन्ताजनक है ।

नोम चाम्सकी ने कहा है-

”आप बलपूर्वक अपनी जनसंख्या नियन्त्रित नहीं कर सकते,

मगर यह रोग द्वारा नियन्त्रित कर दी जाएगी ।”

महान् अर्थशास्त्री माल्थस ने भी कहा था कि जनसंख्या के अत्यधिक बढ़ जाने पर प्रकृति द्वारा महामारी आदि रूपों में उसका नियन्त्रण कर लिया जाता है । भारत में जनसंख्या वृद्धि के विभिन्न महत्वपूर्ण कारणों में जन्म एवं मृत्यु दर में असन्तुलन, कम उम्र में विवाह, अत्यधिक निरक्षरता, धार्मिक दृष्टिकोण, निर्धनता, मनोरजन के साधनों की कमी, संयुक्त परिवार, परिवारों में युवा दम्पतियों में अपने बच्चों के पालन-पोषण के प्रति जिम्मेदारी में कमी तथा बन्ध्याकरण, ट्यूबेक्टॉमी एवं लूप के प्रभावों के विषय में गलत सूचना या सूचना का अभाव आदि उल्लेखनीय है ।

गरीबों के द्वारा अधिक बच्चे पैदा करना दर्शाता है कि गरीबी एवं जनसंख्या के बीच आन्तरिक सम्बन्ध है । गरीबी या निर्धनता जनसंख्या वृद्धि का कारण भी है और प्रभाव भी ।  अधिक बच्चे पैदा करके अपने परिवार की बढ़ती आवश्यकताओं से जूझते माँ-बाप को बाध्य होकर उन्हें स्कूल जाने से रोकना पड़ता है, ताकि बे घर के खर्च में मदद कर सके और फिर अशिक्षित एवं अज्ञानी बच्चे अपने पिता के जैसे भाग्य के ही उत्तराधिकारी होंगे और अपने पिता की तरह ही आवश्यकता से अधिक सन्तानें चाहेंगे ।

धार्मिक दृष्टि से कहर एवं रूढ़िवादी लोग परिवार नियोजन के उपायों को अपनाने के विरुद्ध होते हैं । कई महिलाएँ यह तर्क देती हैं कि वे ईश्वर की इच्छा के विरुद्ध नहीं जा सकती । भारतीय मुसलमानों में जन्म दर एवं उत्पादकता दर हिन्दुओं की अपेक्षा अधिक है ।

हाल ही में ऑपरेशन्स रिसर्च ग्रूप द्वारा मुसलमानों पर किए गए सर्वेक्षण में यह बात सामने आई हैं- यद्यपि अधिकतर पुरुष एवं स्त्री उत्तरदाता आधुनिक परिवार नियोजन के तरीकों को जानते थे, किन्तु या तो वे धार्मिक आधार पर उनका प्रयोग नहीं कर रहे थे या उनको उस बारे में सटीक जानकारी नहीं थी । जनसंख्या वृद्धि का प्रत्यक्ष प्रभाव लोगों के जीवन स्तर पर पड़ता है । यही कारण है कि स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद से कृषि एवं औद्योगिक क्षेत्रों में चमत्कारिक प्रगति के बाद भी हमारी प्रतिव्यक्ति आय में सन्तोषजनक वृद्धि नहीं हो पाई है ।

जनसंख्या वृद्धि एवं नियन्त्रण की सैद्धान्तिक व्याख्याओं के अन्तर्गत एक व्याख्या मानती है कि विकास जनन क्षमता की दर को कम कर देता है ।  यह भी कहा जाता है कि विकास मृत्यु दर को जन्म दर कीं अपेक्षा अधिक कम करता है, जिसका परिणाम जनसंख्या में वृद्धि है ।

सरकार की जनसंख्या नीति का उद्देश्य न केवल व्यक्तियों की संख्या की अनियन्त्रित वृद्धि पर अंकुश लगाना होना चाहिए, बल्कि जनसंख्या के अनियन्त्रित प्रसार को रोकना, शहरी क्षेत्रों में व्यक्तियों के बढ़ते हुए केन्द्रीकरण को रोकना और व्यक्तियों के पंचमेल मिश्रण के लिए पर्याप्त आवास, स्थान आकर्षक पर्यावरण उपलब्ध कराना भी होना चाहिए ।

इन लक्ष्यों को ऐसी नीतियों के सृजन और क्रियान्वयन से संयुक्त रूप से जोड़ देना चाहिए, जिनका उद्देश्य जनसंख्या नियन्त्रित करना और भौतिक एवं मानव संसाधनों को लाभप्रद कार्यों में लगाने की योजना बनाना हो ।  इस प्रकार, जनसंख्या वृद्धि अपने आप में भले ही समस्या न लगे, परन्तु यदि उसे संसाधनों की उपलब्धता से जोड़ दिया जाए, तो यह चिन्ता का विषय बन जाती है

यदि देश लगभग 15 करोड़ व्यक्तियों की प्रतिवर्ष की वृद्धि से बचना चाहता है, तो केवल एक ही मार्ग शेष है कि आवश्यक परिवार नियोजन एवं जनसंख्या हतोत्साहन की कड़वी घूँटी लोगों को पिलाई जाए ।  इसके लिए एक उपयुक्त जनसंख्या नीति की आवश्यकता है ।

परिवार नियोजन को उस दलदल से बचाना होगा, जिसमें बह फँसा हुआ है । इसके लिए कार्यक्रम को आन्तरिक रूप से और विकास की इकाई के रूप में देखा जाना चाहिए । परिवार नियोजन अभियान को फिर से खडा करने के लिए अनेक उपाय करने होंगे ।  थोड़ी हतोत्साहन (बाध्यता) के साथ प्रोत्साहन भी आवश्यक होगा ।

वैधानिक उपाय भी सहायक हो सकते है, लेकिन उत्तरदायी माता-पिता की भावना पैदा करने के लिए सबसे पहले यह आवश्यक है कि सामाजिक जागृति एवं भागीदारी अधिक-से-अधिक हो सबसे अधिक बल इस बात पर दिया जाना चाहिए कि परिवार नियोजन कार्यक्रम में बन्ध्याकरण की अपेक्षा फासले की विधि को प्रोत्साहित किया जाए, जिससे इसके अनुरूप जनाकिकीय प्रभाव प्राप्त किया जा सके हमारे देश में लगभग पाँच में से तीन (57%) विवाहित स्त्रियाँ 30 वर्ष से कम आयु की हैं और दो या अधिक बच्चों की माँ है ।

‘बच्चियाँ ही बच्चे पैदा करें’ इस सच्चाई को बदलना होगा । यह केवल फासले की विधि तथा लडकियों का अधिक उम्र में विवाह को प्रोत्साहन देने से ही सम्भव हो सकेगा । परिवार नियोजन स्त्रियों की सामान्य परिस्थिति को सुधारने में भी सहायक होगा ।

वह स्त्री जिसके पास पालन-पोषण के लिए बच्चे हो और जो बार-बार प्रसव प्रक्रिया से गुजरती हो, वह अपना अधिक समय माँ एवं पत्नी के रूप में ही व्यतीत करती है और घर की चहारदीवारी में ही बन्द रहती है । वह समुदाय और समाज में कोई भूमिका अदा नहीं कर सकती, जब तक बह अपने परिवार के आधार को तर्कसमत न बना ले परिवार नियोजन न केवल परिवार कल्याण में सुधार करेगा, बल्कि सामाजिक समृद्धि तथा व्यक्तिगत सुख में भी योगदान करेगा ।

भारत जैसे विकासशील देश में बढती जनसंख्या पर नियन्त्रण पाना अत्यन्त आवश्यक है अन्यथा इसके परिणामस्वरूप देश में अशिक्षा, गरीबी, बीमारी, भूख, बेरोजगारी, आवासहीनता जैसी कई समस्याएँ उत्पन्न होगी और देश का विकास अवरुद्ध हो जाएगा । अतः जनसंख्या को नियन्त्रित करने के लिए केन्द्र एवं राज्य सरकारों के साथ-साथ देश के प्रत्येक नागरिक को इस विकट समस्या से लड़ना होगा ।

समाजसेवी संस्थाओं की भी इस समस्या के समाधान हेतु महत्वपूर्ण भूमिका होनी चाहिए । आज अन्ध परम्पराओं पर प्रतिबन्ध लगाने की आवश्यकता है । बालविवाह एवं बहुबिवाह पर कानूनन प्रतिबन्ध तो लगाया जा चुका है, परन्तु आम नागरिकों द्वारा भी इन कुरीतियों को किसी कीमत पर बढ़ावा नहीं दिया जाना चाहिए ।

जनसंख्या वृद्धि रोकने हेतु शिक्षा का व्यापक स्तर पर प्रचार-प्रसार अति आवश्यक है । महिलाओं के शिक्षित होने से विवाह की आयु बढ़ाई जा सकती है, प्रजनन आयु वाले दम्पतियों को गर्भ निरोधक स्वीकार करने के लिए प्रेरित किया जा सकता है । उन्हें छोटा परिवार सुखी परिवार की बात समझाई जा सकती है ।

केन्द्रीय एवं राज्य स्तरों पर जनसंख्या परिषद स्थापित करना भी इस समस्या का उपयुक्त उपाय हो सकता, क्योंकि ऐसा करके न केवल विभिन्न स्तरों पर समन्वय का कार्य किया जा सकेगा, बल्कि अल्पकालीन व दीर्घकालीन योजनाओं का निर्धारण भी किया जा सकेगा । मीडिया को भी इस कार्य में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने की आवश्यकता है ।

इन सब बातों पर ध्यान देकर जनसंख्या विस्फोट पर निश्चय ही नियन्त्रण पाया जा सकता है । विश्वप्रसिद्ध वैज्ञानिक ‘स्टीफन हॉकिंग’ ने हम मानवों को सावधान करते हुए कहा है- ”हमारी जनसंख्या एवं हमारे द्वारा पृथ्वी के निश्चित संसाधनों के उपयोग, पर्यावरण को स्वस्थ या बीमार करने वाली हमारी तकनीकी क्षमता के साथ घातीय रूप में बढ रहे है ।” आज प्रत्येक देशवासी को उनकी बातों से प्रेरणा लेकर देश को समृद्ध एवं विकसित राष्ट्र बनाने का संकल्प लेना चाहिए ।

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जनसंख्या विस्फोट पर निबंध (Population Explosion Essay in Hindi)

जनसंख्या न सिर्फ भारत बल्कि दुनियाभर के ज्वलंत मुद्दों में से एक है। दुनिया में कुछ ऐसे स्थान हैं जहाँ अत्यधिक जनसँख्या हैं। जनसंख्या विस्फोट का अर्थ है किसी विशेष क्षेत्र में मनुष्यों की जनसंख्या में निरंतर वृद्धि। यह या तो किसी शहर में या फिर किसी भी देश में हो सकता है।

जनसंख्या विस्फोट पर लघु और दीर्घ निबंध (Short and Long Essays on Population Explosion in Hindi, Jansankhya Visfot par nibandh Hindi mein)

जनसंख्या विस्फोट पर निबंध 1 (250 – 300 शब्द).

जब हमारे परिवार में एक बच्चा पैदा होता है, तो हम बहुत ख़ुशी महसूस करते हैं और हम इस अवसर को मनातेहैं। लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि एक ही समय में पूरी दुनिया में कितने बच्चे पैदा होते हैं? शोध में, यह पाया गया है कि प्रति मिनट 250 से अधिक बच्चे पैदा होते हैं, और हर साल औसतन 120 मिलियन बच्चे पैदा होते हैं। संभवतः यह आपके लिए एक हो सकता, मगर वे जनसंख्या के मामले में कई हो जाते हैं।

जनसंख्या के बारे में कुछ तथ्य

साल 2023 की गणना के अनुसार, भारत की जनसंख्या 142 करोड़ हैं। भारत में, पूरी आबादी में 48.04 प्रतिशत महिलाएं और 51.96 प्रतिशत पुरुष हैं। केरल वह राज्य है, जहाँ देश में महिलाओं का अनुपात सबसे अधिक हैं। हरियाणा में यह अनुपात सबसे कम है। उत्तर प्रदेश सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है। अरुणाचल प्रदेश सबसे कम जनसंख्या वाला राज्य है।

जनसंख्या विस्फोट पर नियंत्रण

भारत में दुनिया की आबादी का 17.7 प्रतिशत हिस्सा है और दुनिया की 2.4 प्रतिशत भूमि है जो 135.79 मिलियन वर्ग किमी है। भारत दुनिया में सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है और चीनदूसरे स्थान पर है। भारत में उत्तर प्रदेश की जनसंख्या ब्राजील की जनसंख्या के बराबर है।जनसंख्या के बारे में ऐसा अनुमान है कि वर्ष 2036 तक इसके 1.52 बिलियन तक बढ़ने की उम्मीद है, जो वर्तमान जनसंख्या का 10 प्रतिशत से अधिक है।

अपने दैनिक जीवन में हम कई लोगों से मिलते हैं जैसे हमारे घर के सफाईकर्मी से, खाना बनाने वाले से, आदि। हमें जनसंख्या विस्फोट की गंभीरता को समझते हुए उचित कदम उठाने की आवश्यकता है। हम इस जानकारी को उनके साथ भी साझा कर सकते हैं और इस तरह से, हम राष्ट्र के विकास में अपना योगदान दे सकते हैं।

यूट्यूब पर देखें => Jansankhya visfot par nibandh

निबंध 2 (400 शब्द) – जनसंख्या विस्फोट को कैसे नियंत्रित किया जाए

भारत को सबसे तेजी से विकसित हो रहे देशों में से एक के रूप में चिह्नित किया गया है। विकास करना वाकई बहुत ही अच्छा है लेकिन इसके कई आयाम होने चाहिए। विकास होना चाहिए लेकिन कुछ शर्तों के साथ। एक राष्ट्र का विकास अर्थव्यवस्था, राजनीति, शिक्षा, व्यापार, आदि जैसे कई तरीकों से तय होता है।

जनसंख्या विस्फोट क्या है

जनसंख्या में भारी वृद्धि को जनसंख्या विस्फोट कहा जाता है। जनसंख्या खराब नहीं है लेकिन जब यह अनियंत्रित तरीके से बढ़ती है तो यह अच्छी बात नहीं है।

हर दिन हजारों बच्चे जन्म लेते हैं और मृत्यु दर में विकास के कारण जनसंख्या में भारी वृद्धि हो रही है। हालाँकि, यह एक अच्छी बात है, कई मायनों में, इसने हमारी आबादी को प्रभावित किया है। चीन और भारत ऐसे पहले दो देश हैं जिनकी जनसंख्या सबसे अधिक है और यह दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है।

जब संसाधन कम और लोग अधिक होते हैं और वे आवश्यक चीजें प्राप्त करने में सक्षम नहीं होते हैं, तो यह एक चेतावनी है, यह सीधे तौर पर देश की अर्थव्यवस्था के साथ-साथ विकास को भी प्रभावित करता है। जब तक वहां रहने वाले लोगों को बुनियादी सुविधाएं नहीं मिलेंगी तब तक एक राष्ट्र विकसित नहीं होगा। ये सुविधाएं शिक्षा, रोजगार, उचित भोजन और अच्छा रहने की जगह हैं। जनसंख्या विस्फोट इन सभी कारकों को सीधे तौर पर प्रभावित करता है।

जनसंख्या विस्फोट को कैसे नियंत्रित किया जाए

  • उचित विज्ञापन द्वारा: विभिन्न जन्म नियंत्रण विधियों का उचित विज्ञापन होना चाहिए क्योंकि बहुत से ऐसे लोग हैं जो इस सम्बन्ध में कुछ जानते भी नहीं हैं और कई ऐसे हैं जो इससे सम्बंधित किसी तरह की बात करने या किसी से पूछने में शर्म महसूस करते हैं। जब लोगों के बीच उचित ज्ञान होगा, तो वे इसके बारे में सोचेंगे और इसका उपयोग भी करेंगे।
  • नारी शिक्षा: राष्ट्र के कई ऐसे हिस्से हैं जहाँ लोग महिलाओं की शिक्षा पर ध्यान केंद्रित नहीं करते हैं लेकिन यह कई मायनों में बहुत आवश्यक है। एक शिक्षित महिला अपने भविष्य के बारे में सोच सकती है और वह निर्णय ले सकती है जो जनसंख्या विस्तार को रोकने में कई मायनों में मददगार है। अत्यधिक जनसंख्या के पीछे अशिक्षा एक बड़ा कारण है।
  • कुछ सरकारी पहल: ऐसे कई देश हैं जो केवल पहले दो बच्चों को सब्सिडी प्रदान करते हैं। इसी तरह, केंद्र सरकार भी पहले दो बच्चों को विभिन्न लाभ प्रदान करती है, लेकिन यह हर जगह अपनाया जाना चाहिए। साथ ही सरकार को लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिए समय-समय पर एक उचित अभियान भी चलाना चाहिए।

अत्यधिक जनसँख्या निश्चित रूप से एक समस्या है और यह दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। यह काफी हद तक सही है कि सरकार को कुछ बड़ी बातें करनी चाहिए फिर भी हमें अपने स्तर पर प्रयास करना चाहिए। कॉलेजों और अन्य गैर-सरकारी संगठनों को लोगों में जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न अभियानों का आयोजन करना चाहिए।

Essay on Population Explosion

निबंध 3 (600 शब्द) – जनसंख्या विस्फोट: कारण और कमियां

जब कोई भी चीज निरंतर रूप से अनियंत्रित तरीके से बढ़ती है तो इसे विस्फोट के रूप में जाना जाता है। जब यह मनुष्यों के संदर्भ में होता है तो इसे जनसंख्या विस्फोट कहा जाता है। मनुष्यों के इतिहास में यह पहली बार हुआ है जब जनसंख्या 5 अरब से अधिक हो गई है; सिर्फ इतना ही नहीं स्त्री और पुरुष के लिंगानुपात में भी बहुत बड़ा अंतर है।

जनसंख्या विस्फोट के पीछे कारण

जनसंख्या विस्फोट के पीछे विभिन्न कारण हैं जिनमें से कुछ के बारे में मैंने यहाँ नीचे चर्चा की है:

  • मृत्यु दर में कमी: चिकित्सा क्षेत्र में विकास के कारण मृत्यु दर में कमी देखी गई है। हालांकि यह कई मायनों में अच्छा है, लेकिन जनसंख्या विस्फोट के पीछे एक बड़ा कारण यह भी है। दूसरे शब्दों में, हम कह सकते हैं कि मृत्यु दर जितनी कम होगी जनसंख्या उतनी ही बढ़ेगी।
  • निरक्षरता: निरक्षरता बढ़ती जनसंख्या के पीछे एक और कारण है क्योंकि भारत एक ऐसा देश है जहाँ 50 प्रतिशत से अधिक आबादी गाँवों में रहती है। इसके अलावा, एक ऐसा देश जहां बालिकाओं की हत्या आम है और इस परिदृश्य में, बहुत कम लोग हैं जो अपनी बेटी की शिक्षा की देखभाल करते हैं। मैं यह कह सकता हूं कि कई महिलाएं आज भी निरक्षर हैं। इसलिए, वे परिवार नियोजन के महत्व को नहीं समझती हैं और जन्म नियंत्रण विधियों के बारे में ज्यादा कुछ नहीं जानती हैं।
  • नए सिद्धांतों का अभाव: ऐसे कई देश हैं जहाँ बच्चों के लिए नियम और कानून हैं। जैसे कि लोगों के एक या दो से अधिक बच्चे नहीं हो सकते। भारत में ऐसा कुछ नहीं है और परिणामस्वरूप, लोग स्वतंत्र हैं और उनके कई बच्चे हैं।
  • कुछ सांस्कृतिक पदानुक्रम: कभी-कभी परिवारों में 5 बच्चे भी होते हैं, क्योंकि हर किसी को एक लड़के की ज़रूरत होती है, ऐसे में वे हर साल एक बच्चा पैदा करते रहते हैं, जब तक कि वह लड़का न हो। बालिकाओं की हत्या के पीछे यह भी एक बड़ा कारण है। पितृसत्तात्मक समाज ने लड़कों को श्रेष्ठ बनाया है, हालांकि लड़कों के बारे में कुछ खास नहीं है। आज भी, कई क्षेत्रों में सांस्कृतिक विश्वास अभी भी जीवित है और यह भी हमारे देश में जनसंख्या विस्फोट के प्रमुख कारणों में से एक है।

जनसंख्या विस्फोट की कमियां

किसी भी चीज की अधिकता हानिकारक होती है या तो यह विटामिन और मिनरल्स हो या फिर आबादी। वे समाज में कुछ ऐसा असंतुलन पैदा करते हैं जो कई मायनों में सही नहीं होता है।

  • गरीबी: भारत एक ऐसा देश है जहाँ आप बड़ी संख्या में गरीबों को देख सकते हैं। जितने अधिक सदस्य एक परिवार में होंगे, उतना ही परिवार को कमाने की आवश्यकता होगी और जब वे चीजों को प्रबंधित करने में विफल होते हैं, तो यह स्वतः ही यह उन्हें कुछ बुनियादी जरूरतों को पूरा करने में व्यवधान डालता है। इससे गरीबी को बढ़ावा मिलता है। हालांकि भारत एक विकासशील राष्ट्र है लेकिन यहाँ कई समान रूप से गरीब हैं।
  • बेरोजगारी: यह मुख्य समस्याओं में से एक जो आसानी से देखी जा सकती है। आजकल जनसंख्या की तुलना में बहुत कम नौकरियां रह गयीं हैं। जब ज्यादा लोग बेरोजगार होंगे तो यह अपने आप गरीबी की ओर ले जाएगा। हर चीज में संतुलन होना चाहिए तभी समाज में शांति और सद्भाव बना रहता है।
  • अपराध में वृद्धि: हम कह सकते हैं कि गरीबी और बेरोजगारी सीधे अपराध के समानुपाती हैं। यह साफ़ है कि जब लोगों के पास पैसा नहीं होगा और इसे कमाने का कोई स्रोत भी नहीं होगा, तो निश्चित रूप से वे कुछ नकारात्मक कृत्यों की ओर रुख करेंगे। और आजकल आप आयेदिन अख़बारों और टीवी में डकैती या लूट की खबरें रोज पढ़ और देख सकते हैं। अपराध की दर दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।

जनसंख्या विस्फोट में कई कमियां हैं और इसमें कुछ भी सकारात्मक नहीं है। इसे नियंत्रित करने के लिए हमें एक निश्चित नियम लाना चाहिए। हालाँकि केंद्र सरकार द्वारा कई लाभ प्रदान किए जाते हैं, फिर भी कई ऐसे हैं जो इसके बारे में जानते भी नहीं हैं। लोगों में जागरूकता विकसित करने के लिए विभिन्न अभियान चलाया जाना चाहिए।

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  8. बढ़ती जनसंख्या पर निबंध

    बढ़ती जनसंख्या पर निबंध | Essay on Increasing Population in Hindi. # 1. जनसंख्या का परिचय (Introduction to Population): जनसंख्या में वृद्धि देश की प्रभुसत्ता के लिये सबसे बड़ा खतरा है । जनसंख्या के ...

  9. Essay on population in hindi, article, paragraph: जनसंख्या पर निबंध, लेख

    जनसंख्या पर निबंध, essay on population in hindi (200 शब्द) दुनिया की आबादी बहुत तेज गति से बढ़ रही है। पिछले पांच से छह दशकों में विशेष रूप से मानव आबादी ...

  10. बढ़ती हुई जनसंख्या पर निबंध Essay on Increasing Population in Hindi

    जनसंख्या वृद्धि के नियंत्रण के उपाय Measures to Control Population Growth in Hindi. ... (Essay on Increasing Population in Hindi) पढ़ा। आशा है यह निबंध आपको जानकारी से भरपूर लगा होगा। अगर यह ...

  11. विश्व में अत्यधिक जनसंख्या पर निबंध (Overpopulation in World Essay in

    विश्व में अत्यधिक जनसंख्या पर निबंध (Overpopulation in World Essay in Hindi) By लक्ष्मी श्रीवास्तव / February 1, 2020. किसी निश्चित भू-भाग के लोगों की संख्या को उस भू-भाग ...

  12. जनसंख्या पर निबंध

    Population Essay in Hindi. जनसंख्या वृद्धि आज हमारे देश की सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है, वहीं अगर इस समस्या पर समय रहते काबू नहीं पाया गया तो मनुष्य इस धरती पर रहना ...

  13. Population Control Essay in Hindi जनसंख्या नियन्त्रण

    Population Control Essay in Hindi के अलावे इसे भी पढ़ें: तनाव की समस्या; Pollution Hindi Essay प्रदूषण पर हिंदी में निबंध; Republic Day Essay in Hindi गणतंत्र दिवस पर निबंध

  14. जनसंख्या: समस्या एवं समाधान पर निबंध

    ADVERTISEMENTS: जनसंख्या: समस्या एवं समाधान पर निबंध | Essay on Population : Problems and Solution in Hindi! हमारे देश में अनेकों जटिल समस्याएँ हैं जो देश के विकास में अवरोध ...

  15. जनसंख्या नियंत्रण पर निबंध

    Population Control Essay in Hindi. बढ़ती जनसंख्या को रोकने के लिए संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम की संचालक परिषद ने पहला कदम उठाया, ...

  16. जनसंख्या पर निबंध 10 lines (Essay On Population in Hindi) 100, 200, 300

    जनसंख्या पर निबंध 10 पंक्तियाँ (Population Essay 10 Lines in Hindi) 100 - 150 शब्द. 1) जनसंख्या, सरल शब्दों में, दुनिया में लोगों की कुल गिनती है।. 2) जनसंख्या दिन-ब ...

  17. जनसंख्या वृद्धि पर निबंध Essay on Population problem in Hindi

    जनसंख्या वृद्धि पर निबंध (समस्या, समाधान) सहित Essay on Population problem in Hindi. इस अनुच्छेद में हमने जनसंख्या वृद्धि पर निबंध समस्या और समाधान (Essay on Population ...

  18. विश्व में अत्यधिक जनसंख्या पर निबंध

    विश्व में अत्यधिक जनसंख्या पर छोटे-बड़े निबंध (Essay on Overpopulation in World in Hindi) जनसंख्या विस्फोट : कारण और निवारण - अन्य सम्बन्धित शीर्षक- जनसंख्या नियन्त्रण।। (Population ...

  19. भारत में जनसंख्या की समस्या

    Article shared by: भारत में जनसंख्या वृद्धि और समस्या पर निबंध | Read These Two Essays on Population Growth and Problem of Population in India in Hindi. #Essay 1: भारत में जनसंख्या की समस्या | Essay on The Population Problem in ...

  20. विश्व जनसंख्या दिवस पर निबंध (World Population Day Essay in Hindi)

    विश्व जनसंख्या दिवस पर निबंध (World Population Day Essay in Hindi) वैश्विक जनसंख्या वृद्धि की दिशा में ताजा रुझान पर जनता को जागरूक और शिक्षित करने और यह ...

  21. जनसंख्या नियंत्रण पर निबंध 2020 essay on population in hindi

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  22. जनसंख्या विस्फोट पर निबंध (Population Explosion Essay in Hindi)

    जनसंख्या विस्फोट पर निबंध (Population Explosion Essay in Hindi) जनसंख्या न सिर्फ भारत बल्कि दुनियाभर के ज्वलंत मुद्दों में से एक है। दुनिया में कुछ ऐसे ...

  23. Controlling Population: A Double Edged Sword

    The overwhelming population burden is causing a resource crunch on resources like hospitals, food grains, houses, or employment. However, population control, grounded in classic economic theories, has been a double-edged sword. It has both advantages and costs. Status of Population Growth in the India & World.