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नारी पर संस्कृत श्लोक | Sanskrit Shlokas for Nari with hindi meaning

यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता:। यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफला: क्रिया:।

जिस कुल में नारियों कि पूजा, अर्थात सत्कार होता हैं, उस कुल में दिव्यगुण, दिव्य भोग और उत्तम संतान होते हैं और जिस कुल में स्त्रियों कि पूजा नहीं होती, वहां जानो उनकी सब क्रिया निष्फल हैं।

जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गदपि गरीयसी। अर्थात, जननी और जन्मभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर है।

यस्य माता गृहे नास्ति, तस्य माता हरितकी। अर्थात, हरीतकी (हरड़) मनुष्यों की माता के समान हित करने वाली होती है।

माता गुरुतरा भूमेरू। अर्थात, माता इस भूमि से कहीं अधिक भारी होती हैं।

मातृ देवो भवः। अर्थात, माता देवताओं से भी बढ़कर होती है।

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4 thoughts on “ नारी पर संस्कृत श्लोक | Sanskrit Shlokas for Nari with hindi meaning ”

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नारी सशक्तिकरण के उपाय : महिलाओं को सशक्त कैसे करें?

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर सद्गुरु समाज में महिलाओं की मौजूदा स्थिति के साथ-साथ नारी सशक्तिकरण के बारे में अपने विचार साझा कर रहे हैं। वह कहते हैं, ‘अपने भीतर मौजूद स्त्री तत्व व पुरुष तत्व के बीच संतुलन रखकर ही आप बुद्धि व अनुभव के स्तर पर जीवन के गहन आयाम को समझ सकते हैं।

नारी सशक्तिकरण

स्त्रीत्व और पुरुषत्व दोनों ही सभी में मौजूद हैं

जितने भी शारीरिक प्रकटीकरण हैं, वह सब दो ध्रुवों के बीच होते हैं - सकारात्मक-नकारात्मक, पुरुषत्व-नारीत्व, शिव-शक्ति, स्त्री-पुरुष।

स्त्रीत्व और पुरुषत्व - दोनों को उचित पोषण मिलना चाहिए

कई तरह से एक महिला संपूर्ण मानव जाति का एक फूल है। बिना जड़ के कोई पौधा या पेड़ नहीं होता, लेकिन बिना फूल के जीवन में परिपूर्णता नहीं होती।

सुरक्षा के लिए उठाया गया कदम शोषण बन गया

पारंपरिक तौर पर भारतीय संस्कृति में स्त्री तत्व को अगर ज्यादा नहीं तो कम से कम उतना तो महत्वपूर्ण माना ही जाता रहा है, जितना पुरुष तत्व को।

स्त्रीत्व के बिना डिप्रेशन के मामले बढ़ेंगे

समाज में स्त्री तत्व व पुरुष तत्व को बराबर अनुपात में रखना सबसे महत्वपूर्ण है।

समाज में पुरुषत्व कैसे बढ़ता है?

अगर समाज की संस्कृति में दूसरों से अधिक कुशल, प्रतिस्पर्धा से भरपूर और बेहतर होने की चाहत हो, तो समाज में पुरुषत्व जबरदस्त रूप से बढ़ जाता है।

अब समय आ गया है कि हम इस स्थिति को उलट दें। आज लोगों के जीवन का सबसे महत्वपूर्ण पहलू अर्थव्यवस्था बनती जा रही है। यह बात हर जगह देखी जा सकती है - इसीलिए यह बेहद महत्वपूर्ण है कि दुनिया की औरतें अर्थव्यवस्था की प्रक्रिया का हिस्सा बनें और एक सौम्य अर्थव्यवस्था को तैयार करने में अपनी भागीदारी दें। आज हमारी आर्थिक गतिविधियां इस धरती और उस पर मौजूद जीवन के सभी रूपों के लिए युद्धों से ज्यादा नुकसान का कारण बन रही हैं। अब समय आ गया है कि पुरुषत्व से भरे इस नज़रिए को कुछ सौम्य बनाया जाए।

आज अर्थव्यवस्था में भी स्त्रीत्व लाना जरुरी है

दुनिया के बिजनेस नेतृत्व में, बोर्डरूम्स में, हमें ऐसी महिलाओं की जरूरत है, जो पुरुषों से ज्यादा मर्दाने व्यवहार की कोशिश करने की बजाय अपने भीतर कुछ नारी सुलभता या स्त्रीत्व को जीवंत बनाए रखने में सफल हों।

सिर्फ कुछ पहलूओं में पुरुष या स्त्री बनने की जरूरत है

आध्यात्मिक प्रकिया का मतलब ही अनुभव के स्तर पर एक ऐसे आयाम की ओर बढ़ना है, जो आपके भौतिक ढांचे से परे हो।

अलग-अलग लोगों ने अलग-अलग निष्कर्ष निकाले हैं, जो आपको पक्षपाती, पूर्वाग्रही व भेदकारी सोच की तरफ ले जाते हैं। अगर हम धरती के सभी जीवों के साथ एक होकर काम नहीं कर सकते तो कम से कम हम लोगों को सारी मानवता के साथ एक प्रजाति के तौर पर तो काम करना चाहिए। किसी चीज को श्रेष्ठतर या किसी को निम्नतर करके देखना समझदारी की बेहद शुरूआती प्रकृति है। लोगों में जितने भी विचार या पूर्वाग्रह होते हैं, वे उन्हें कई तरीके से सिखाए जाते हैं। यहां किसी को भी अपने से श्रेष्ठतर या कमतर करके देखने की जरूरत नहीं है।

भगवान शिव के अर्धनारीश्वर बनने की कथा

आपको वह कहानी तो पता ही होगी, जहां आदियोगी शिव ने पार्वती को अपने एक हिस्से के रूप में अपने भीतर समाहित किया और वह खुद आधे पुरुष व आधी नारी यानी अर्द्धनारीष्वर हो गए।

समानता का आध्यात्मिक वातावरण तैयार करना होगा

नारी सुलभता या स्त्रीत्व का सशक्तिकरण तभी हो सकता है, जब सारी मानवता इस संतुलन से सशक्त हो जाए।

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Nari Shakti: What 5 Women Have To Say About Oxford Dictionary’s Hindi Word of 2018

"Women are so many different things and get inspired by so many people - many come to my mind but the first among them is my mother. Perhaps that would be the case for most people. I have always seen my mother as a strong woman and drawn strength from her."

Nari Shakti: What 5 Women Have To Say About Oxford Dictionary’s Hindi Word of 2018

O n January 26, the Oxford Dictionary announced ‘ Nari Shakti ’ as the Hindi Word of the Year. Derived from Sanskrit, ‘ nari ’ means ‘woman’ and ‘ shakti ’ means ‘power’.

The Supreme Court also significantly contributed to the prominence of ‘ nari shakti ’ in 2018 by taking a stand on multiple issues impacting the lives of women. Whether it was the ban on ‘ triple-talaq ’, or accepting women to inter-combat roles in the armed forces , the issues were many.

The Better India spoke to five women from varied backgrounds to understand what ‘ nari shakti ’ means to them.

1. Ruchita Dar Shah

As the founder of an online community for women called First Moms Club , Ruchita says that ‘ nari shakti ’ was one of the primary reasons she started this forum.

“I saw that many of my friends who had become mothers were putting themselves aside and gravitating towards motherhood and all that it brings. While there is absolutely nothing wrong with that, the community was a space that rekindled the nari once again.”

Ruchita speaks at various events about the importance of women retaining their identities and doing things that make them happy.

nari sashaktikaran essay in sanskrit

She says, “Carve your own identity minus your tags: daughter, wife, mother, friend.”

Ruchita is privy to many conversations within the community, and she shares, “For someone who is 40 and has just managed to go on her first-ever girls-only trip, I feel a sense of empowerment. Sometimes you feel empowered in these small moments as well.”

She draws immense inspiration from her mother who, for her, defines the term nari shakti . She shares, “Women are so many different things and get inspired by so many people – many women come to my mind but the first among them is my mother. Perhaps that would be the case for most people. I have always seen my mother as a strong woman and drawn strength from her.”

2. Mamta Devi

nari sashaktikaran essay in sanskrit

Mamta works as a cook in one of the apartment complexes in Gurugram. Whether winter or summer, her day begins at 5 a.m. and ends at 11 p.m.

When asked what ‘ nari shakti ’ means to her, she says, “ Didi , I have three daughters, and if I do not lead by example, they will never know what it is to be strong.”

With very little support coming her way from her husband, Mamta almost single-handedly raises her girls and educates them. She speaks in Hindi, and there is so much clarity in her thought.

She says, “We, as women, have so much strength in us. Despite seeing many hardships in life, ultimately I know I always have myself to fall back on. Even all you didis who help me so much are a source of strength to me. Women must help other women.”

3. Rema Rajeshwari

nari sashaktikaran essay in sanskrit

Rema Rajeshwari is an Indian Police Service officer serving in Telangana’s Mahabubnagar district. The first female IPS officer from Munnar, Kerala, Rema is a topper of the IPS batch of 2009.

Her definition of ‘ Nari shakti ’ is to redefine representation in all walks of life, by empowering each other, by standing united and challenging the norms that limit us.

She goes on to say, “I am what I am today because of a few women who loved me unconditionally and stood by me. My grandmother, for one, has been a support in my journey.”

Very often, our earliest memories of our mothers and grandmothers leave an indelible mark on our lives. It, therefore, becomes that much more important to lead by example.

4. Bhawana Daga

A free-spirited woman who goes where work and life take her, Bhawana has an interesting take on ‘nari shakti’.

She says, “The word WOMAN itself includes the MAN. So I see her as one who has the power of both. All it needs is that realisation, after which there is no stopping her.”

She continues, “ Nari Shakti is not about exerting one’s superiority or power over another; each time a woman stands up for herself, she does so for all the other women as well.”

nari sashaktikaran essay in sanskrit

Nari Jeewan hai, Nari Soch hai… Nari Shakti hai, Nari Mamta hai… Nari se hee Nar hai, Nari se hi Astitva hai…

(Woman is life, Woman is thought. Woman is strength. Woman is care. A man is from a woman, a woman is the one who gives you identity.)

5. Sukriti Chauhan

A trained lawyer, Dr Sukriti Chauhan has spent a decade working in public health and human rights with a focus on gender issues.

When asked for her interpretation of nari shakti , she says, “It is the ability to stand up for one’s rights and voice – fight the system and society to endure the battle for equality. It is also the ability to fight discrimination inside the house as well as outside.”

Dr Sukriti says that an example of this comes from real women, one of them being Shashi, a young HIV survivor who worked with her. She shares, “A young 16-year-old HIV survivor who went onto fight everyone: family, society, disease, to become independent. She now runs her own NGO and empowers others along the way.”

These are the stories of empowerment that we ought to celebrate and learn from, says Dr Sukriti.

nari sashaktikaran essay in sanskrit

In speaking to these women, what stood out for me was how each one celebrates life, takes ownership of her body, and owns the choices she makes.

To all the women and men who read this, let’s find ways each day to empower one another and ourselves. Let’s ensure that 2019 heralds a future which is about equality and partnership.

(Edited by Shruti Singhal)

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महिला सशक्तीकरण पर निबंध (Women Empowerment Essay)

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महिला सशक्तीकरण पर निबंध: लिंग, वर्ग, धर्म या सामाजिक प्रतिष्ठा के आधार पर भेदभाव के बिना महिलाओं को आर्थिक, सामाजिक तथा शैक्षिक अधिकार देना "महिला सशक्तीकरण"(mahila sashaktikaran essay) या नारी सशक्तीकरण (nari sashaktikaran par nibandh) कहलाता है। किसी राष्ट्र के विकसित होने के लिए यह एक आवश्यक शर्त है। इस लेख में "महिला सशक्तीकरण" (mahila sashaktikaran essay) पर कुछ सैंपल निबंध दिए गए हैं, जो छात्रों के लिए सहायक सिद्ध हो सकते हैं।

महिला सशक्तीकरण पर 100 शब्दों का निबंध (100 Words Essay on Women Empowerment)

महिला सशक्तीकरण पर 200 शब्दों का निबंध (200 words essay on women empowerment), महिला सशक्तीकरण पर 500 शब्दों का निबंध (500 words essay on women empowerment).

महिला सशक्तीकरण पर निबंध (Women Empowerment Essay)

हम सभी ने "महिला सशक्तीकरण"(mahila sashaktikaran essay) या नारी सशक्तीकरण (nari sashaktikaran par nibandh) के बारे में सुना होगा। "महिला सशक्तीकरण" (mahila sashaktikaran essay) समाज में महिलाओं की स्थिति को सुदृढ़ बनाने और सभी लैंगिक असमानताओं को कम करने के लिए किए गए कार्यों को संदर्भित करता है। व्यापक अर्थ में, यह विभिन्न नीतिगत उपायों को लागू करके महिलाओं के आर्थिक और सामाजिक सशक्तीकरण से संबंधित है। प्रत्येक बालिका की स्कूल में उपस्थिति सुनिश्चित करना और उनकी शिक्षा को अनिवार्य बनाना, महिलाओं को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

महत्वपूर्ण लेख:

  • गणतंत्र दिवस पर भाषण
  • वायु प्रदूषण पर हिंदी में निबंध
  • प्रदूषण पर निबंध
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एक शिक्षित महिला अपनी और अपने परिवार दोनों की मांगों को पूरा कर सकती है। आज के दौर में वे अधिक प्रसिद्ध हैं और राजनीतिक और सामाजिक व्यवस्था में उनकी आवाज प्रखर है। महिलाओं को सशक्त बनाने की दिशा में पहला कदम उन्हें आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनाना तथा उनके अधिकारों और हितों की रक्षा करना है।

कोई देश कितना भी प्रगतिशील क्यों न हो, लगभग सभी देशों में महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार का इतिहास रहा है। दूसरे शब्दों में, महिलाएँ पूरे इतिहास में विद्रोही रही हैं ताकि वे आज जो मुकाम हासिल कर रही हैं उसे प्राप्त कर सकें। भारत जैसे तीसरी दुनिया के देश अभी भी महिला सशक्तीकरण में पीछे हैं, जबकि पश्चिमी देश आगे बढ़ रहे हैं। भारत में महिला सशक्तीकरण (mahila sashaktikaran essay) पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है।

महिला सुरक्षा: भारत उन देशों में से एक है जहां महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं। यह कई कारकों के कारण है। सबसे पहले, ऑनर किलिंग भारत में महिलाओं के लिए खतरा है। यदि यह माना जाता है कि महिलाओं ने परिवार को बदनाम किया है, तो उनके परिवार का मानना है कि उन्हें मार डालना उचित है।

बाल विवाह: इसके अतिरिक्त, स्वतंत्रता और ज्ञान की यह तस्वीर अपेक्षाकृत पिछड़ी हुई है। महिलाओं की कम उम्र में शादी कर दी जाती है और वे उच्च शिक्षा हासिल नहीं कर पाती हैं। अन्य क्षेत्रों में, पुरुष महिलाओं पर इस तरह शासन करते हैं जैसे कि वह उनकी सेवा करने के लिए बनी हो। वे उन्हें घर से बाहर निकलने की किसी भी स्वतंत्रता या अवसर से वंचित करते हैं।

अन्यायपूर्ण व्यवहार: भारत में, घरेलू हिंसा भी एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। क्योंकि वे मानते हैं कि महिलाएं उनकी संपत्ति हैं, पुरुष उनकी पत्नियों को मारते और गाली देते हैं। इसके विरुद्ध आवाज़ उठाना महिलाओं के लिए बहुत कठिन था। इसी तरह काम करने वाली महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले कम पारिश्रमिक दिया जाता है। समान श्रम के लिए किसी को उसके लिंग के आधार पर कम भुगतान करना स्पष्ट रूप से अन्यायपूर्ण और लैंगिकवादी है। इस प्रकार, यह स्पष्ट है कि महिलाओं के सशक्त होने का समय आ गया है।

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महिलाओं को उनके उचित अधिकार देना उन्हें सशक्त बनाने और उनके जीवन को बेहतर बनाने का एक तरीका है। भारत की पौराणिक कथाएं महिलाओं को देवी का दर्जा देती हैं। देवी-देवताओं की पूजा की जाती है और उन्हें हमारे घर में प्रथम स्थान दिया जाता है। लेकिन जब बात महिलाओं की आती है तो उन्हें मौलिक अधिकार भी नहीं मिलते हैं। ये भी पढ़ें : हिंदी में निबंध- भाषा कौशल, लिखने का तरीका जानें

राजनीतिक सशक्तीकरण

राजनीतिक सशक्तीकरण सरकारी भूमिकाओं और निर्णय लेने में महिलाओं की भागीदारी का वर्णन करता है। 2017 के अनुमान के अनुसार, दुनिया भर में सभी संसदीय पदों पर महिलाओं की हिस्सेदारी लगभग 23.6% है। महिलाओं को मतदान का अधिकार प्रदान करना तथा उन्हें उच्च पद बनाए रखने की अनुमति देना महिलाओं के लिए राजनीतिक सशक्तीकरण रणनीतियों के दो उदाहरण हैं। संसदीय सीटों में महिलाओं के लिए आरक्षण और अन्य संवैधानिक भूमिका उन्हें राजनीतिक और प्रशासनिक क्षेत्रों में अधिक प्रमुखता प्रदान करेगी।

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आर्थिक सशक्तीकरण

महिलाएं अपनी प्रतिभा को निखारकर तथा अपनी रोजगार क्षमता बढ़ाकर आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन सकती हैं। इसे महिलाओं का आर्थिक सशक्तीकरण कहा जाता है। महिलाओं की शिक्षा और कौशल विकास के लिए एक कार्यक्रम नीति निर्माताओं द्वारा गैर सरकारी संगठनों और अन्य प्रासंगिक समूहों के सहयोग से स्थापित किया जाता है ताकि वे या तो सार्थक रोजगार पा सकें या अपना व्यवसाय शुरू कर सकें।

आर्थिक रूप से स्वतंत्र होकर महिलाओं की सामाजिक स्थिति और स्वाभिमान को ऊंचा किया जा सकता है। महिला सशक्तीकरण की सभी चर्चाएँ तभी सार्थक हैं जब महिलाएँ अपने परिवार और खुद को स्वतंत्र रूप से सहारा देना सीख लेंगी।

महिला सशक्तीकरण के लाभ (Advantages of Women Empowerment)

महिला सशक्तीकरण (mahila sashaktikaran essay) के समाज और पूरे देश दोनों के लिए कई फायदे हैं। महिला सशक्तीकरण (mahila sashaktikaran essay) के कुछ लाभ निम्नलिखित हैं:

महिलाएं सम्मानजनक जीवन जीने में सक्षम होंगी तथा खुद का सम्मान करेंगी।

जैसे-जैसे महिलाएं आगे बढेंगी और देश के विकास में योगदान देंगी, महिलाओं को अधिक आत्मविश्वास प्राप्त होगा।

महिलाओं को उच्च सामाजिक स्थान प्राप्त होगा और वें अधिक व्यापक रूप से स्वीकृत और मूल्यवान होंगी।

महिलाओं की वित्तीय स्वतंत्रता और स्वतंत्र मौद्रिक निर्णय लेने की क्षमता विकसित होगी।

महिलाओं को सशक्त बनाने से लैंगिक पूर्वाग्रह से रहित न्यायपूर्ण समाज का मार्ग प्रशस्त होगा।

समग्र रूप से राष्ट्र की बेहतर स्वास्थ्य स्थिति महिलाओं की बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच का परिणाम है।

एक महिला जो काम करती है वह परिवार की आय में वृद्धि करती है, उनके जीवन और सामाजिक प्रतिष्ठा में सुधार करती है।

एक शिक्षित महिला यह सुनिश्चित करेगी कि उसके बच्चे शिक्षित हों, जिससे एक समृद्ध देश का निर्माण हो सके।

संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (SDG 2030) को महिला सशक्तीकरण (mahila sashaktikaran) के समर्थन से प्राप्त किया जा सकता है।

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मेरे विचार (My Opinion)

महिलाओं को किसी भी प्रकार के भेदभाव के बिना उचित स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच होनी चाहिए। जब महिला सशक्तीकरण (mahila sashaktikaran essay) की बात आती है, तो स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र महत्वपूर्ण होता है। पर्याप्त स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने से जीवन के सभी क्षेत्रों में महिलाओं का निरंतर सुधार सुनिश्चित होगा। परिणामस्वरूप, हमारी नगरपालिका आवश्यक कदम उठा रही है। वे महिलाओं को मुफ्त स्वास्थ्य सेवा प्रदान करते हैं, उन्हें मुफ्त राशन तथा उपयुक्त मतदान सुविधा प्रदान करते हैं।

पहले हमारे क्षेत्र में महिलाओं को वोट देने का अधिकार नहीं था, लेकिन अब वे बिना किसी भेदभाव या खतरे के वोट दे सकती हैं। अपनी नगरपालिका को ये कदम उठाते हुए देखकर मुझे गर्व और खुशी महसूस हो रही है। मैं सरकार और उच्च अधिकारियों को इस तरह के कदम उठाने तथा इन अविश्वसनीय महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए आमंत्रित करता हूं।

महिलाओं को सशक्त बनाने में समाज की बड़ी भूमिका है। कई महिलाएं इस डर से हिंसक रिश्तों में रहती हैं कि दूसरे क्या सोचेंगे। महिलाओं का समर्थन करना एक सरल कदम है जो एक ऐसे समाज में काफी सुधार करेगा जहां सभी को स्वीकार किया जाता है। ऊपर शामिल महिला सशक्तीकरण (Women Empowement Essay in hindi) पर निबंध पाठकों को समाज में महिला सशक्तीकरण (mahila sashaktikaran) के महत्व और आवश्यकता को समझने में मदद करने में सहायक होना चाहिए।

हम उम्मीद करते हैं कि महिला सशक्तीकरण निबंध (Women Empowement Essay in hindi) विशेष इस लेख के माध्यम से महिला सशक्तीकरण निबंध (Women Empowement Essay in hindi) संबन्धित आपकी सभी समस्याओं का सामाधान हो गया होगा। ऐसे ही और भी महत्वपूर्ण लेख व निबंधों को पढ़ने के लिए इस लेख में मौजूद लिंक्स पर क्लिक करें।

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Nari Sashaktikaran Essay in Hindi: जानिए नारी सशक्तीकरण पर निबंध हिंदी में

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  • Updated on  
  • फरवरी 22, 2024

Nari Sashaktikaran Essay in Hindi

छात्रों को नारी सशक्तिकरण के बारे में जानना चाहिए क्योंकि यह लैंगिक समानता, सामाजिक न्याय और एक अधिक समावेशी समाज को बढ़ावा देता है। नारी सशक्तिकरण के महत्व को समझने से छात्रों को लिंग की परवाह किए बिना सभी के लिए समान अवसरों और अधिकारों के मूल्य को पहचानने में मदद मिलती है। नारी सशक्तिकरण के बारे में छात्रों को शिक्षित करने से महिलाओं के अनुभवों और चुनौतियों के प्रति सम्मान और समझ को बढ़ावा मिलता है। इसलिए कई बार छात्रों को नारी सशक्तीकरण पर निबंध तैयार करने को दिया जाता है। Nari Sashaktikaran Essay in Hindi के बारे में जानने के लिए इस ब्लॉग को अंत तक पढ़ें। 

This Blog Includes:

नारी सशक्तीकरण पर निबंध 100 शब्दों में, नारी सशक्तीकरण पर निबंध 200 शब्दों में, वर्तमान समय में नारी सशक्तिकरण की आवश्यकता, देश की महिलाओं को सशक्त कैसे बनाएं , नारी सशक्तीकरण पर 10 लाइन्स.

नारी सशक्तिकरण महिलाओं को समाज में उनकी स्वायत्तता, अवसर और अधिकार प्रदान करने की महत्वपूर्ण प्रक्रिया है।  यह लैंगिक समानता को बढ़ावा देता है, यह सुनिश्चित करता है कि महिलाओं को शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य देखभाल और निर्णय लेने वाली भूमिकाओं तक समान पहुंच मिले। महिलाओं को सशक्त बनाने से न केवल उन्हें व्यक्तिगत रूप से लाभ होता है बल्कि सामाजिक प्रगति और आर्थिक विकास भी होता है।

शिक्षा और जागरूकता के माध्यम से, महिलाएं रूढ़िवादिता को चुनौती देने, बाधाओं को कम करने और अपनी आकांक्षाओं को आगे बढ़ाने के लिए सशक्त बनती हैं। जब महिलाएं सशक्त होती हैं, तो वे परिवार कल्याण, सामुदायिक विकास और राष्ट्रीय समृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान देती हैं।

ऐसे माहौल को बढ़ावा देना जारी रखना जरूरी है जहां महिलाएं आगे बढ़ने और नेतृत्व करने के लिए सशक्त महसूस करें। महिला सशक्तिकरण में निवेश करके, समाज अपनी पूरी क्षमता का उपयोग कर सकते हैं और सभी के लिए अधिक न्यायसंगत और समावेशी दुनिया बना सकते हैं।

Nari Sashaktikaran Essay in Hindi 200 शब्दों में नीचे दिया गया है:

नारी सशक्तीकरण महिलाओं को जीवन पर नियंत्रण और अधिकार प्राप्त करने में सहायता करता है। नारी सशक्तीकरण महिलाओं को अपनी आकांक्षाओं को प्राप्त करने में सक्षम बनाता है।  सशक्त नारी को अपनी इच्छानुसार पढ़ने और काम करने अनुमति होती है। वे कमजोरियों पर काबू पाने और अधिक आत्मविश्वासी होती हैं। क्योंकि महिलाएं दुनिया की आधी आबादी हैं, इसलिए उनका विकास सामाजिक कल्याण, आर्थिक समृद्धि और वैश्विक प्रगति के लिए आवश्यक है। सशक्त महिलाएँ खुशहाल परिवारों के पोषण और सामाजिक और आर्थिक विकास को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

लोगों के द्वारा लगाए गए अवरोध अक्सर नारी सशक्तीकरण में बाधा डालते हैं। कई बार उन्हें घरेलू भूमिकाओं तक सीमित कर देते हैं। इस मानसिकता के परिणामस्वरूप लड़कियों को शिक्षा से वंचित किया जाता है। नारियों को सामाजिक प्रतिबंधों का सामना करना पड़ता है। महिलाओं की सुरक्षा के बारे में चिंताएँ उनके सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण बाधाएँ पैदा करती हैं।

फिर भी, महिलाओं ने विभिन्न क्षेत्रों में अपनी योग्यता साबित की है, रूढ़िवादिता को दूर किया है और अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन किया है। नारी सशक्तिकरण को बढ़ाने के प्रयासों में बाल विवाह को समाप्त करने और दहेज प्रथा को खत्म करने जैसे मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए। एक निष्पक्ष और समान समाज बनाने के लिए लैंगिक पूर्वाग्रहों को खत्म करना और शिक्षा को बढ़ावा देना आवश्यक है, इस लक्ष्य को प्राप्त करने में सरकारों, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों और नागरिक समाज के बीच सहयोग का होना भी महत्वपूर्ण है।

नारी सशक्तीकरण पर निबंध 500 शब्दों में

Nari Sashaktikaran Essay in Hindi 500 शब्दों में नीचे दिया गया है:

सशक्त महिलाओं को स्वयं निर्णय लेने की शक्ति होती है। लंबे समय से महिलाओं को उत्पीड़न और भेदभाव का सामना करना पड़ा है। यहाँ तक कि महिलाओं को मतदान जैसे बुनियादी अधिकारों से भी दूर रखा जाता है। समय के साथ, महिलाओं ने अपनी ताकत को पहचाना और अपना सशक्तिकरण करना शुरू कर दिया। नारी सशक्तीकरण का उद्देश्य महिलाओं के अधिकारों के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। उन्हें पुरुषों से स्वतंत्र रूप से समाज में अपनी जगह बनाने के लिए प्रोत्साहित करना था। क्योंकि महिला समाज का आधा हिस्सा होती हैं उस देश की तरक्की के लिए नारी का सशक्त होना अत्यधिक महत्वपूर्ण है। 

पूरे इतिहास में, दुनिया भर में महिलाओं ने आज अपनी स्थिति हासिल करने के लिए दुर्व्यवहार के खिलाफ लड़ाई लड़ी है। पश्चिमी देशों में प्रगति में सशक्त महिलाओं की भागीदारी को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। भारतीय इतिहास में भी नारियों की अहम भूमिका रही है। लेकिन वर्तमान समय में भारत और कई देश अभी भी महिलाओं को सशक्त बनाने में पीछे हैं।

ऑनर किलिंग जैसी प्रथाओं के कारण सुरक्षा संबंधी चिंताएँ व्याप्त हैं, जहाँ परिवारों का मानना है कि महिलाओं की प्रतिष्ठा को धूमिल करने के लिए उन्हें नुकसान पहुँचाना स्वीकार किया जाता है। प्रतिबंधों से भरे सामाजिक मानदंड महिलाओं की शिक्षा और स्वतंत्रता को सीमित करते हैं। जिससे अक्सर कम उम्र में विवाह और पुरुष के वर्चस्व को बढ़ावा दिया जाता है। घरेलू हिंसा एक और अहम मुद्दा है। समाज में ये अवधारणाएं भी हैं की महिलाएं महज़ संपत्ति हैं। इसके अलावा दफ्तरों पर लिंग को लेकर भेदभाव बरकरार है, महिलाओं को अक्सर समान काम के लिए कम वेतन मिलता है।

महिलाओं को बोलने और अन्याय के खिलाफ लड़ने के लिए सशक्त बनाना महत्वपूर्ण है। यह दबाव बनाने वाली प्रथाओं को खत्म करने और सभी लिंगों के लिए समान अधिकार और अवसर सुनिश्चित करने का समय है।

महिलाओं को सशक्त बनाने के कई तरीके हैं और इसके लिए व्यक्तियों और सरकार दोनों के प्रयासों की आवश्यकता है।  सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण, लड़कियों की शिक्षा यह सुनिश्चित करने के लिए अनिवार्य होनी चाहिए कि उन्हें अपना जीवन बनाने के लिए ज्ञान प्राप्त हो।

लिंग की परवाह किए बिना सभी के लिए समान अवसर आवश्यक हैं, जिसमें समान कार्य के लिए उचित वेतन भी शामिल है। लड़कियों को सशक्त बनाने और उन्हें अपनी आकांक्षाओं को आगे बढ़ाने की अनुमति देने के लिए बाल विवाह को समाप्त करना महत्वपूर्ण है।

महिलाओं को वित्तीय रूप से स्वतंत्रता के लिए कौशल सिखाने के लिए कार्यक्रम उपलब्ध होने चाहिए, जिससे उन्हें किसी भी आर्थिक समस्या से निपटने में मदद मिल सके।

महिलाओं को सामाजिक फैसले के डर के बिना अपमानजनक रिश्तों को छोड़ने में सुरक्षित महसूस करना चाहिए। माता-पिता को अपनी बेटियों को सिखाना चाहिए कि खतरनाक स्थिति को किस प्रकार से सुलझाया जाए। 

महिलाओं को सशक्त बनाना न केवल एक नैतिक अनिवार्यता है बल्कि सामाजिक प्रगति और समानता के लिए भी एक आवश्यकता है। शिक्षा, समान अवसर और सहायता प्रणालियों तक पहुंच सुनिश्चित करके, हम महिलाओं की सहायता कर सकते हैं। हम सभी के लिए अधिक समावेशी और न्यायपूर्ण समाज बना सकते हैं। महिलाओं के लिए यह बाधाओं को तोड़ने, रूढ़िवादिता को चुनौती देने और हर जगह अधिकारों की बात करने का समय है। आइए हम सब मिलकर एक ऐसी दुनिया की ओर प्रयास करें जहां हर महिला के पास अपनी किस्मत खुद बनाने और मानवता की भलाई में योगदान करने की शक्ति हो।

नारी सशक्तीकरण पर 10 लाइन्स नीचे दी गई है:

  • महिला सशक्तिकरण का अर्थ महिलाओं को अपने निर्णय लेने की स्वतंत्रता प्रदान करना है।
  • नारी सशक्तीकरण में सभी क्षेत्रों में समान जीवन के लिए महिलाओं को अवसर और अधिकार सुनिश्चित करना शामिल है।
  • महिलाओं को लैंगिक समानता को बढ़ावा देना और सामाजिक प्रगति में योगदान देना है।
  • नारी सशक्तीकरण में महतवपूर्ण कार्य महिलाओं के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और आर्थिक अवसरों तक पहुंच शामिल है।
  •  भेदभाव को कम करने के लिए महिला को आर्थिक और मानसिक रूप से सशक्त होने की आवश्यकता है।
  • नारी सशक्तीकरण महिलाओं को अपनी जिम्मेदारी उठाने और निर्णय लेने में सक्रिय रूप से भाग लेने में सक्षम बनाता है।
  • नारी सशक्तीकरण महिलाओं को सकारात्मक परिवर्तन को बढ़ावा देने और आगे बढ़ाने में सहायक हैं।
  • महिलाओं के पास पुरूषों के प्रति समान अधिकार होने चाहिए। 
  • एक विकासशील समाज में महिलाओं के मूल्य और योगदान को पहचाना जाता है।
  • महिलाओं को सभी के लिए अधिक न्यायसंगत और समृद्ध दुनिया बनानी चाहिए। 

महिला सशक्तिकरण का तात्पर्य महिलाओं को स्वयं निर्णय लेने की शक्ति, स्वायत्तता और अवसर प्रदान करने की प्रक्रिया से है, जिससे वे अपनी पूरी क्षमता हासिल करने और समाज में सक्रिय रूप से भाग लेने में सक्षम हो सकें।

महिला सशक्तिकरण सामाजिक प्रगति और विकास के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह लैंगिक समानता को बढ़ावा देता है, आर्थिक विकास को बढ़ावा देता है और सामाजिक स्थिरता में योगदान देता है। सशक्त महिलाएँ परिवारों के पोषण और सकारात्मक बदलाव लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

कई कारक महिला सशक्तीकरण में बाधा डालते हैं, जिनमें सांस्कृतिक मानदंड और लैंगिक रूढ़ियाँ शामिल हैं जो महिलाओं की भूमिकाओं और अवसरों को सीमित करती हैं, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच की कमी, भेदभावपूर्ण कानून और प्रथाएं, लिंग आधारित हिंसा और असमान आर्थिक अवसर और वेतन।

व्यक्ति और सरकारें महिलाओं के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और आर्थिक अवसरों तक समान पहुंच सुनिश्चित करने वाली नीतियों और पहलों को लागू करके महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा दे सकते हैं। इसके अतिरिक्त, महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए समुदायों और संस्थानों के भीतर सम्मान, समावेश और लैंगिक समानता की संस्कृति को बढ़ावा देना आवश्यक है।

आशा है कि आपको इस ब्लाॅग में Nari Sashaktikaran Essay in Hindi के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी। इसी प्रकार के अन्य कोर्स और सिलेबस से जुड़े ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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नारी सशक्तिकरण पर निबंध 100, 150, 200, 500 शब्दों में | Women Empowerment Essay in Hindi

बदलते हुए समय को देखते हुए संपूर्ण विश्व में नारी सशक्तिकरण का एक बहुत महत्वपूर्ण विषय बन चुका है।आज के इस लेख के द्वारा हम आपको नारी सशक्तिकरण पर निबंध बताने जा रहे हैं। नारी सशक्तिकरण को महिला सशक्तिकरण के नाम से भी जानते हैं। समाज और देश की प्रगति के लिए महिला सशक्तिकरण बहुत ही जरुरी है। निचे हमने नारी सशक्तिकरण पर निबंध 200 शब्दों में, 100, 150, 500 शब्दों में दिया है। उम्मीद है की यह महिला सशक्तिकरण पर निबंध आपके काम आएगी।

नारी सशक्तिकरण निबंध (100 शब्द) 

नारी सशक्तिकरण का सही अर्थ

सबसे पहले यह जानना जरूरी होगा कि आखिर यह नारी सशक्तिकरण होता क्या है? नारी सशक्तिकरण का अर्थ है कि किसी भी नारी की क्षमता को उस स्तर तक ले जाना जहां पर वह अपने निर्णय स्वयं ले पाने में सक्षम हो सके।

नारी अपने जीवन से जुड़े हुए हर एक पहलू पर सोच समझ के सही ढंग से स्वयं निर्णय ले सके। हमारे समाज में नारी को भी पुरुष के समान सभी अधिकार प्राप्त हो। महिलायें दूसरों पर आश्रित रहने की जगह खुद आत्मनिर्भर बन सकें और अपने जीवन के निर्णय खुद ले सके। यही नारी सशक्तिकरण का सही अर्थ है। 

सरल और आसान शब्दों में कहा जाए तो एक नारी परिवार और समाज के सभी बंधनों से मुक्त होकर अपने स्वयं के लिए सही गलत का निर्णय खुद ले पाए। यह नारी सशक्तिकरण का मुख्य अर्थ होता है।

नारी सशक्तिकरण निबंध (150 शब्द)

महिलाओं का सशक्त बनना जरूरी

भारत में महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए सबसे पहले हमारे समाज में व्याप्त महिला विरोधी सोच को मारना बहुत जरूरी है समाज में व्याप्त बुराई जैसे दहेज प्रथा, अशिक्षा, यौन हिंसा, महिलाओं के प्रति घरेलू हिंसा, बलात्कार, वेश्यावृत्ति, मानव तस्करी ऐसे बहुत से अपराध है, जिन पर सरकार के द्वारा महत्वपूर्ण कदम उठाए जाने की जरूरत है।

भारत के संविधान के अनुसार समानता के अधिकार को सुनिश्चित करने के लिए सभी महिलाओं को सशक्त बनाना एक सबसे महत्वपूर्ण प्रभावशाली उपाय माना गया है क्योंकि इस तरह के प्रयास से समाज में व्याप्त सभी बुराइयों को मिटाया जा सकता है। पंडित जवाहरलाल नेहरू ने एक बहुत महत्वपूर्ण वाक्य महिलाओं को जागृत करने के लिए कहा था कि ‘हमारे समाज में लोगों को जगाने के लिए सभी महिलाओं को जागना बहुत जरूरी है।’

एक सशक्त राष्ट्र के निर्माण में नारी की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती है। जब नारी के साथ पूरा समाज जागरूक और सशक्त होगा तो इससे राष्ट्र भी मजबूत होगा। माता के रूप में एक बच्चे की पहली गुरु नारी होती है। जॉर्ज हरबर्ट ने कहा कि “एक अच्छी मां 100 शिक्षकों के बराबर होती है, इसलिए मां का सम्मान होना बहुत जरूरी है।”

नारी सशक्तिकरण पर निबंध 200 शब्दों में

हमारे देश में सबसे बड़ा सामाजिक मुद्दा लैंगिक असमानता माना गया है। इसमें सभी महिलाएं पुरुषवादी प्रभुत्व देश में जैसे पिछड़ती जा रही है। पुरुष और महिलाओं को एक समान बराबरी का अधिकार दिलाने के लिए नारी सशक्तिकरण की हमारे देश में सख्त आवश्यकता है।

महिला विरोधी मान्यताएं और मानसिकताएं बहुत सी समस्याओं को जन्म देती हैं, जो समाज के विकास में तो रुकावट बनती ही है, बल्कि राष्ट्र के विकास में भी बहुत बड़ी बाधा के रूप में सामने आती है। महिलाओं का यह हमेशा से जन्मसिद्ध अधिकार रहा है कि उनको भी पुरुषों के समान ही समाज में बराबरी का दर्जा मिले इसके लिए महिला सशक्तिकरण जरुरी है। जिसके लिए सभी महिलाओं को अपने अधिकारों के बारे में जागरूक होना बहुत जरूरी है।

महिलाओं को ना केवल घरेलू व पारिवारिक जिम्मेदारियों में ही निपुण होना चाहिए, बल्कि हर क्षेत्र में उनको जागरूकता के साथ सकारात्मक भूमिका निभानी चाहिए। सभी महिलाओं को अपने आसपास के क्षेत्र में देश में विदेश में होने वाली सभी घटनाओं की जानकारी से भी अवगत होना जरूरी है।

एक महिला अपने परिवार में सभी चीजों के लिए बहुत जिम्मेदार मानी जाती है, क्योंकि हर समस्या का सामना वह बड़ी समझदारी से कर सकती है। महिलाओं की सशक्त होने की वजह से आज पूरा समाज अपने आप सशक्त हो सकता है।

 पिछले कुछ ही सालों से सभी लोगों को महिला सशक्तिकरण का बहुत फायदा मिल रहा है। महिला अपने स्वास्थ्य, शिक्षा, परिवार, नौकरी सभी की जिम्मेदारियां बहुत अच्छे से निभा रही है। इसके अलावा देश और समाज के प्रति भी अपनी जिम्मेदारी को लेकर वह अक्सर सचेत रहती हैं। सभी महिलाएं हर क्षेत्र में अपनी रुचि का प्रदर्शन बहुत अच्छे से करती है और कई सालों के संघर्ष के बाद सभी नारी जाति को सही राह पर चलने के लिए उनका अधिकार मिल पा रहा है।

नारी सशक्तिकरण निबंध – 500 words

हमारे देश में आज से नहीं बल्कि प्राचीन काल से ही नारी को एक बहुत महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। इस बात का प्रमाण हमारे धार्मिक ग्रंथों में भी देखने को मिलता है। प्राचीन ग्रंथों में तो नारी को देवी के समान पूजनीय माना गया है। ग्रंथों में बताया गया है कि ‘यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता’ अर्थात जहां नारी का सम्मान किया जाता है। वहां देवता भी निवास करते हैं। 

कोई भी समाज राज्य तब तक प्रगति की ओर नहीं बढ़ सकता है जब तक नारी के प्रति भेदभाव हीन भावना का त्याग वह नहीं करेगा। इसलिए नारी का सम्मान बहुत जरूरी है और नारी का सशक्त होना भी जरूरी है।

  नारी सशक्तिकरण का अर्थ

नारी सशक्तिकरण का सही शब्दों में यह अर्थ होता है कि अपने स्वयं के निर्णय और अधिकार नारी खुद अपने दम पर ले सके यह ही नारी सशक्तिकरण का सही और आसान अर्थ है। प्राचीन समय से ही महिलाओं को समाज और परिवार में बहुत महत्वपूर्ण स्थान मिला हुआ था। पहले के समय में सभी स्त्रियां शिक्षित और समर्थ भी होती थी। वह राज्य के संचालन के साथ-साथ घर परिवार की जिम्मेदारियां भी बहुत अच्छे से निभा लेती थी।

भारत की संस्कृति में नारी का स्थान

 समय के साथ जैसे जैसे बदलाव आता गया वैसे वैसे नारी का पतन भी शुरू हो गया। भारत मे नारी की स्वतंत्रता को छीन लिया गया। उसके शिक्षा प्राप्त करने के अधिकार को भी खत्म कर दिया। देश और समाज के प्रति जो उसके कर्तव्य पालन थे, उनसे भी महिला को वंचित कर दिया गया था। नारी सशक्त और असमर्थ हो चुकी थी

भारत के स्वतंत्र होने के साथ-साथ नारी ने भी अपने स्वरूप को पहचाना और वह अपने पहले के गौरव और अपने अस्तित्व को पाने के लिए पूरी तरह बेचैन हो उठी नारी आज शिक्षा व्यवस्था विज्ञान सैनिक सेवा चिकित्सा कला राजनीति हर क्षेत्र में पुरुष के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने में समर्थ हो चुकी है।

समय के साथ-साथ अब वर्तमान समय में नारी को सशक्त बनाने की पूर्ण प्रयास किए जा रहे हैं। स्थानीय शासन में भी अब 33% का आरक्षण महिलाओं को मिल चुका है। महिलाएं अच्छी शिक्षा प्राप्त करने से अपने आप सशक्त होती रहेंगी।

भारत में महिला सशक्तिकरण की जरूरत

भारत में महिला सशक्तिकरण की जरूरत इसलिए पड़ी थी क्योंकि यहां पर आज से नहीं बल्कि प्राचीन काल से ही लोगों में लैंगिक असमानता देखने को मिली थी और यहां पुरुष प्रधान समाज भी था। परिवार और समाज के बीच महिलाओं को उनके अधिकारों से और अन्य कई कारणों से भी दबाया जाता था। महिलाओं के साथ में अनेक तरह की हिंसा होती थी। यह सब वारदात भारत में ही नहीं बल्कि भारत के बाहर भी होते थे।

 प्राचीन समय से चलते आ रहे इस पुराने प्रचलन ने रीति रिवाज का रूप ले लिया। भारत में एक तरफ महिलाओं को सम्मान देने के लिए देवी के रूप में पूजने की परंपरा है,लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि यहां महिलाओं को पूजने से ही देश के विकास की हर जरूरत को पूरा किया जाये। देश में हर क्षेत्र में महिलाओं का योगदान बहुत जरूरी है। महिलाओं का हर क्षेत्र में सशक्तिकरण किया जाए। तभी देश का विकास का सही आधार बनेगा।

महिला सशक्तिकरण में भारत सरकार की भूमिका

भारत में महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए महिला और बाल विकास कल्याण मंत्रालय के द्वारा भारत सरकार के सहयोग से बहुत सी योजनाएं चल रही है…

  • बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान योजना
  • महिला शक्ति केंद्र योजना
  • उज्जवला योजना
  • पंचायती राज्य योजना में महिलाओं का आरक्षण
  • महिला हेल्पलाइन योजना
  • सपोर्ट टू ट्रेनिंग एंड एंप्लॉयमेंट प्रोग्राम फॉर वूमेन

भारत जिस तेज गति से प्रगतिशील देश की श्रेणी में रखा जा रहा है। उस तेजी से ही महिला सशक्तिकरण को और अधिक बढ़ावा मिलना चाहिए। आज की इस पोस्ट के द्वारा हमने आपको “ नारी सशक्तिकरण पर निबंध ” छोटे से बड़े रूप में लिखना बताया है। हम उम्मीद करते हैं कि आपको यह जरूर पसंद आएगा। अगर आपको इससे जुड़ी किसी भी जानकारी के विषय में जानना है तो आप हमारे कमेंट सेक्शन से जुड़े रह सकते हैं।

  • क्रांतिकारी महिलाओं के नाम
  • नारी शिक्षा पर निबंध
  • आदर्श विद्यार्थी पर निबंध
  • बेरोजगारी पर निबंध 
  • मेरा घर पर निबंध 10 लाइन

आपको यह नारी सशक्तिकरण निबन्ध कैसा लगा? हमें कमेंट करके जरुर बताएं।

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नारी शक्ति पर निबंध- Essay on Nari Shakti in Hindi Language

In this article, we are providing information about Nari Shakti in Hindi- A Short Essay on Nari Shakti in Hindi Language. नारी शक्ति पर निबंध, Nari Shakti Par Nibandh in 300 words.

जरूर पढ़े – Women Empowerment Essay in Hindi

नारी शक्ति पर निबंध- Essay on Nari Shakti in Hindi Language

Essay on Nari Shakti in Hindi

( Essay-1 ) Nari Shakti Essay in Hindi

नारी समाज का एक महत्वपूर्ण अंग है जिसके बिना समाज की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। नारी के अंदर सहनशीलता, धैर्य, प्रेम, ममता और मधुर वाणी जैसे बहुत से गुण विद्यमान है जो कि नारी की असली शक्ति है। यदि कोई नारी कुछ करने का निश्यचय कर ले तो वह उस कार्य को करे बिना पीछे नहीं हटती है और वह बहुत से क्षेत्रों में पुरूषों से बेहतरीन कर अपनी शक्ति का परिचय देती है।

प्राचीन काल से ही हमारे समाज में झाँसी की रानी, कल्पना चावला और इंदिरा गाँधी जैसी बहुत सी महिलाएँ रही है जिन्होंने समय समय पर नारी शक्ति का परिचय दिया है और समाज को बताया है कि नारी अबला नहीं सबला है। आधुनिक युग में भी महिलाओं ने अपने अधिकारों के बारे में जाना है और अपने जीवन से जुड़े निर्णय स्वयं लेने लगी है। आज भी महिला कोमल और मधुर ही है लेकिन उसने अपने अंदर की नारी शक्ति को जागृत किया है और अन्याय का विरोध करना शुरू किया है।

आज के युग में नारी भले ही जागरूक हो गई है और उसने अपनी शक्ति को पहचाना है लेकिन वह आज भी सुरक्षित नहीं है। आज भी नारी को कमजोर और निस्सहाय ही समझा जाता है। पुरूषों को नारी का सम्मान करना चाहिए और उन पर इतना भी अत्याचार मत करो की उनकी सहनशीलता खत्म हो जाए और वो शक्ति का रूप ले ले क्योंकि जब जब नारी का सब्र टूटा है तब तब प्रलय आई है। नारी देवीय रूप है इसलिए नारी शक्ति सब पर भारी है। नारी से ही यह दुनिया सारी है।

हम सब को नारी शक्ति को प्रणाम करना चाहिए और आगे में उनकी मदद करनी चाहिए क्योंकि यदि देश की नारी विकसित होगी तो हर घर, हर गली और पूरा देश विकसित होगा।

10 lines on My Mother in Hindi

( Essay-2 ) Nari Shakti Par Nibandh in 500 words| नारी शक्ति पर 500 शब्दों में निबंध

प्रस्तावना यह बात तो हम सभी जानते ही हैं कि नारी शक्ति का मुकाबला कोई नहीं कर सकता है। पहले समय की बात कुछ और थी, जब नारी को कमजोर समझा जाता था। लेकिन आज 20वीं सदी की नारी बहुत तरक्की कर रही है। आज की महिलाएं पुरुषों से कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ रही हैं।

हर क्षेत्र में लहरा रही है परचम। अगर हमें समाज को बदलना होगा, तो समाज का शिक्षित होना जरूरी है। महिलाओं की दशा को सुधारने के लिए सरकार के द्वारा शिक्षा को सबसे महत्वपूर्ण पहलू के रूप में माना गया है। महिलाएं शिक्षा के क्षेत्र में काफी अच्छी परफॉर्मेंस कर रही है। स्कूल कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के पश्चात आज की नारियां अच्छी जगह पर जॉब कर रही है। प्राइवेट सेक्टर के साथ-साथ सरकारी विभाग में भी महिलाएं नौकरी कर रही है। जब महिलाएं पढ़ लिख रही हैं, तो उनकी स्थिति में भी सुधार हो गया है। काफी विभाग ऐसे हैं, जहां पर नौकरी पाना बहुत ज्यादा मुश्किल है। लेकिन महिलाएं अपनी मेहनत और बलबूते पर वहां भी नौकरियां पा चुकी हैं।

महिलाएं किसी से कम नहीं है। पहले जमाना कुछ और था, जब महिलाओं को पुरुषों से कमजोर समझा जाता था। कहा जाता था कि हमारा समाज पुरुष प्रधान समाज है। लेकिन जैसे-जैसे समय बदल रहा है, महिलाएं काफी बदल गई हैं। पहले जहां महिलाएं पुरुषों पर निर्भर होती थी, आज महिलाएं अपने पैरों पर खड़ी हैं। पढ़ लिखकर अच्छे महकमे में नौकरियां कर रही है और अच्छा पैसा कमा रही हैं। देखा जाए तो महिलाएं आज के समय में पुरुषों से किसी भी काम में पीछे नहीं है। जो काम पुरुष कर सकते हैं, वह काम महिलाएं भी कर रही हैं।

महिलाएं अत्याचार के खिलाफ आवाज उठा रही हैं। पहले जमाने में महिलाओं पर अत्याचार होता रहता था और महिलाएं अत्याचार सहती रहती थी। लेकिन आज के समय में महिलाएं शोषण के विरुद्ध आवाज उठा रही हैं। अगर महिलाओं को कोई भी समस्या है या कोई भी महिलाओं का शोषण करता है, तो महिलाएं उसके खिलाफ आवाज भी उठाती हैं। जैसे-जैसे समय बदला है, महिलाओं की स्थिति में भी सुधार हुआ है।

महिलाएं अपने फैसले खुद ले रही हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि आज के समय में महिलाएं अपनी निजी जिंदगी और प्रोफेसनल जिंदगी से जुड़े हर निर्णय खुद ले रही है। पहले समय में परिवार और पति के द्वारा उन पर अत्याचार किया जाता था। फैसले थोप दिए जाते थे, जिन्हें महिलाओं को मानना ही पड़ता था। लेकिन आज की महिला बिल्कुल बदल चुकी हैं। महिलाएं अपने ज्ञान और अनुभव के आधार पर निर्णय लेना सीख चुकी हैं और वह समाज में भागीदारी भी कर रही है। बहुत महिलाएं ऐसी हैं, जो समाज के लिए काफी अच्छे-अच्छे काम भी कर रही हैं और समाज के लिए मिसाल बन रही है।

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6 thoughts on “नारी शक्ति पर निबंध- Essay on Nari Shakti in Hindi Language”

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I love it. It is very very very nice essay

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Hi I like the essay

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Very good ??

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Nari Shakti Sacha Mein Sabpar Bhari Ha

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भारत में महिला सशक्तिकरण.

  • 14 Feb, 2023 | श्रुति गौतम

nari sashaktikaran essay in sanskrit

भारत अपने इतिहास और संस्कृति की वजह से पूरे विश्व में एक विशेष स्थान रखता है। हमारा यह देश सांस्कृतिक, राजनीतिक, आर्थिक, सैन्य शक्ति आदि में विश्व के बेहतरीन देशों में शामिल है। वैसे तो आजादी के बाद देश की इन स्थितियों में सुधार की पहल हुई लेकिन हालिया समय में इस क्षेत्रों में पहल तेज हुई है। इसके लिए समाज के मानव संसाधन को लगातार बेहतर, मजबूत व सशक्त किया जा रहा है और समाज की आधी आबादी स्त्रियों की है, इस बाबत उनके लिए विशेष प्रयास किए जा रहे हैं। डॉ. अंबेडकर ने कहा था कि यदि किसी समाज की प्रगति के बारे में सही-सही जानना है तो उस समाज की स्त्रियों की स्थिति के बारे में जानो। कोई समाज कितना मजबूत हो सकता है, इसका अंदाजा इस बात से इसलिए लगाया जा सकता है क्योंकि स्त्रियाँ किसी भी समाज की आधी आबादी हैं। बिना इन्हें साथ लिए कोई भी समाज अपनी संपूर्णता में बेहतर नहीं कर सकता है। समाज की आदिम संरचना से सत्ता की लालसा ने शोषण को जन्म दिया है। स्त्रियों को दोयम दर्जे के रूप में देखने की कवायद इसी कड़ी का एक महत्वपूर्ण पहलू है।

आधी आबादी के रूप में महिलायें

भारत में विभिन्न संस्कृतियों का संगम है। स्त्री हर संस्कृति के केंद्र में होकर भी केंद्र से दूर है। सिमोन द बोउवार का कथन है, “स्त्री पैदा नहीं होती, बनाई जाती है।” समाज अपनी आवश्यकता के अनुसार स्त्री को ढालता आया है। उसके सोचने से लेकर उसके जीवन जीने के ढंग को पुरुष अभी तक नियंत्रित करता आया है और आज भी करने की कोशिश करता रहता है। पितृसत्तात्मक समाज ने वह सब अपने अनुसार तय किया है। जब-जब सशक्तिकरण का सवाल उठता है तब-तब समाज ही कठघरे में खड़ा होता है । समाज में लगातार बदलावों के लिए संघर्ष चलता रहता है ।

मातृसत्तात्मक समाज

भारत व समूचा विश्व पितृसत्तात्मक समाज के ढांचे में रहता आया है। यहाँ यह स्पष्ट कर देना आवश्यक है कि जब हम महिलाओं के सशक्तिकरण की बात कर रहे हैं, तो उसका आशय यह नहीं है कि अब पितृसत्तात्मक समाज को बदल कर मातृसत्तात्मक समाज में बदल दिया जाए। भारत में पूर्वोत्तर की खासी व कुछ अन्य जनजातियों में मातृसत्तात्मक समाज की अवधारणा देखी जाती है जहाँ नारी की प्रधानता है। विश्व की कुछ जनजातियों जैसे चीन की मोसुओ, कोस्टा रिका की ब्रिब्रि जनजाति, न्यू गुयाना की नागोविसी जनजाति मातृसत्तात्मक है। यहाँ महिलायें ही राजनीति, अर्थव्यवस्था व सामाजिक क्रियाकलापों से जुड़े निर्णय लेती हैं। यदि समाज को स्वस्थ दिशा में आगे बढ़ना है तो समाज मातृ या पितृसत्तात्मक होने के बजाय इनसे निरपेक्ष हो तो एक बेहतर सामाजिक संरचना तैयार होगी और सही मायनों में पुरुष-स्त्री समान रूप से सशक्त होंगे।

महिला सशक्तिकरण का आधार- विश्व में नारी आंदोलन व भारत में इसका प्रभाव

विश्व में नारी आंदोलन की नींव 19वीं शताब्दी में ही रखी गई। पश्चिम के कई राष्ट्र उस दौर में इस आंदोलन में भागीदार बने। नारी आंदोलन जब सामने आए तब ही स्त्री सशक्तिकरण की एक अवधारणा दुनिया के समक्ष प्रमुखता से आई। इसलिए स्त्री सशक्तिकरण को समझने के लिए नारी आंदोलन को समझना भी अतिआवश्यक है। सरल शब्दों में कहें तो नारी आंदोलन की शुरुआत समाज द्वारा नारी को निम्नतर समझने से हुई। नारीवाद का महत्वपूर्ण सिद्धांत है कि इस पितृसत्तात्मक समाज में स्त्री को हीन दर्जा प्राप्त है। यह समाज ही उसके लिए जीवन जीने के नियम और स्वरूप को गठित करता है। स्त्री के स्वतंत्र व्यक्तित्व को नकार देता है। नारी आंदोलन किसी पुरुष का नहीं बल्कि पितृसत्तात्मक विचार का विरोध करता है। यह आंदोलन मानता है कि स्त्री को भी पुरुष के बराबर सम्मान, अधिकार व अवसर मिले। नारी आंदोलन लैंगिक असमानता के स्थान पर इस अवधारणा को मानता है कि स्त्री भी एक मनुष्य है। मनुष्य होने के साथ-साथ वह दुनिया की आधी आबादी है। सृष्टि के निर्माण में उसका भी उतना ही सहयोग है जितना कि पुरुष का।

नारी आंदोलन का पहला चरण 19वीं सदी का उत्तरार्ध और बीसवीं सदी के प्रारंभ होने का है। अमरीका के शहरी, उदारवादी और औद्योगिक माहौल में महिलाओं के लिए समान अवसर उपलब्ध कराना इसका पहला उद्देश्य था। दूसरी लहर साठ के दशक से शुरू हुई मानी जाती है। इसमें यह पहचान की गयी कि कानून व वास्तविक असमानताएं दोनों आपस में जटिलतापूर्वक जुड़ी हुई हैं एवं इसे दूर किया जाना चाहिए। तीसरी लहर नब्बे के दशक से प्रारंभ होती है। यह द्वितीय लहर की प्रतिक्रिया के फलस्वरूप उत्पन्न हुई। इसमें दूसरी लहर के द्वारा नारीत्व की दी हुई परिभाषा को चुनौती दी गई। वैश्विक रूप में जिस प्रकार नारीवाद को देखा जा रहा था, उसे गढ़ा जा रहा था, उसी क्रम में उसी के साथ भारत में भी महिलाओं की स्थितियों को लेकर लगातार समाज सुधार के व्यापक प्रयास हो रहे थे। लेकिन इसका स्वरूप वैसा नहीं था जैसा वह पश्चिम में रहा है। भारत में नवजागरण अर्थात उन्नीसवीं शताब्दी के उत्तरार्ध से इसकी शुरुआत मानी जाती है जो 1915 के आस पास तक रहती है। यह उत्थान समाज सुधार व राष्ट्रीय आंदोलन के साथ जुड़कर आगे बढ़ रहा था। इसमें अंधविश्वासों के विरुद्ध आवाज, बाल विवाह, सती प्रथा व देवदासी प्रथा के खिलाफ आवाज आदि की बात उठाई गई। राजा राम मोहन राय, स्वामी विवेकानंद, ईश्वर चंद्र विद्यासागर, ज्योतिबा व सवित्रीबाई फुले, पंडिता रमाबाई जैसे लोगों ने तत्कालीन समाज के अनुसार स्त्रियों की समस्याओं को दूर कर उनके लिए एक अनुकूल माहौल बनाकर व उनको सशक्त करने की दिशा में महत्वपूर्ण कार्य किया।

भारत में स्त्री को सशक्त करने की दिशा में नारी आंदोलनों का दूसरा दौर जो लगभग भारत में गांधी के आगमन के साथ आरंभ होता है वह 1915 से आरंभ हुआ माना जाता है। यह वो दौर था जब महिलाएं एक आह्वान पर सक्रिय रूप से भागीदारी कर रही थीं। यह वही दौर है जब 1917 में भारतीय महिला संघ की स्थापना हुई। इस समय गांधी व अम्बेडकर जी द्वारा महिलाओं को समाज की मुख्य धारा में लाने का प्रयास सराहनीय रूप से देखा जाता है। महात्मा गांधी बड़े व्यावहारिक रूप से पर्दा प्रथा, बाल विवाह, दहेज प्रथा उन्मूलन व विधवाओं की समस्याओं तथा छुआछूत के उन्मूलन की बात कर रहे थे। दूसरी ओर ऐसे ही कार्य डॉ. अंबेडकर कर रहे थे जहाँ उन्होंने मताधिकार दिलाना, लैंगिक भेदभाव को समाप्त करना व समानता के अधिकार को दिलाने में उनकी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

भारत में इसका तीसरा चरण जो अभी तक देखा जा सकता है उसके प्रमुख बिंदु महिलाओं के सामाजिक-राजनीतिक-आर्थिक जीवन में समानता से जुड़ा हुआ है। इस प्रकार भारत में महिला सशक्त होने की दिशा में नारीवादी आंदोलन ने एक मुख्य भूमिका निभाई है। वर्तमान समय में अनेक क्षेत्रों में महिलाओं के सशक्त होने के तमाम पहलू व उसमें आने वाली चुनौतियाँ भी कम नहीं हैं।

सशक्त होने का वास्तविक आशय

पूरे विश्व में 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। हरिशंकर परसाई जी के व्यंग्य की पंक्ति है कि “दिवस कमजोरों के मनाए जाते हैं, मजबूत लोगों के नहीं।“ सशक्त होने का आशय केवल घर से बाहर निकल कर नौकरी करना या पुरुषों के कंधे से कंधा मिलाकर चलना भर नहीं है। सशक्त होने का आशय यहाँ पर उसके निर्णय ले सकने की क्षमता का आधार है कि वह अपने निर्णय स्वयं ले रही है या इसके लिए वह किसी और पर निर्भर है। इसी प्रकार आज आर्थिक रूप से सशक्त होने उसके लिए बहुत आवश्य है। यदि वह आर्थिक रूप से स्वतंत्र नहीं है तो वह कभी भी सशक्त नहीं हो सकेगी, इसलिए यह एक और अन्य महत्वपूर्ण पहलू है।

भारत में महिलाओं को आज सभी क्षेत्रों में वैधानिक रूप से समान अधिकार प्राप्त है लेकिन समाज में उन्हें आज भी इसके लिए संघर्ष करना पड़ता है। सामाजिक रूप से आज भी हमारे समाज का मूल पितृसत्ता के रूप में मौजूद है। ग्रामीण क्षेत्रों में पितृसत्तात्मक ढांचा आज भी बहुत मजबूत है। समय-समय पर खाप पंचायतें या इसकी जैसी ही अन्य संस्थाएं महिलाओं के वस्त्र पहनने को लेकर मोरल पुलिसिंग के तमाम प्रावधान सुझाते रहते हैं। धर्म भी इसमें कई बार अपनी भूमिका अदा करता है। धार्मिक स्थलों पर महिलाओं के प्रवेश को वर्जित करना इसके ताजातरीन परिणाम हैं। सबरीमाला या अन्य धर्म के स्थलों पर प्रवेश न करना मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। धर्म-जाति के गठजोड़, रूढ़ि व अंधविश्वास ने महिलाओं को और शोषित किया है।

राजनीति का क्षेत्र इतिहास से वर्तमान तक पुरुषों के एकाधिकार का क्षेत्र रहा है। कभी भी इस पर महिलाओं का एकाधिकार स्थापित नहीं हुआ। राजनीति घरेलू चारदिवारी से बाहर निकल समाज को संचालित करने वाली, दिशा देने का कार्य करती है। विश्व के हर कोने में पूरे समाज में राजनीतिक पदों पर पुरुषों को ही देखा गया। भारतीय समाज भी इससे अलग नहीं है। आदिम समय से चली आ रही पुरुष प्रधान परंपरा अभी भी सतत क़ायम है। वर्तमान समय में देश की लोकसभा के कुल 542 सांसदों में से केवल 78 महिला सांसद हैं, वहीं राज्यसभा में केवल 24 सांसद हैं। कुल 28 राज्यों में वर्तमान समय में केवल 1 महिला मुख्यमंत्री हैं। वर्तमान राष्ट्रपति केवल दूसरी महिला हैं जो इस पद को सुशोभित कर रही हैं। भारत में राष्ट्रपति से ज़्यादा व्यावहारिक पद प्रधानमंत्री का माना जाता रहा है, इस पद केवल एक महिला का आ पाना सब कुछ उजागर करता है।

महिलाओं का आर्थिक रूप से सशक्त होना उनके पूरे भविष्य को तय करता है। यदि हम अपने निर्णय स्वयं ले सकते हैं तो सही मायने में हम पूरी तरह से आजाद हैं। अनेक मसलों पर हमारा निर्णय निर्भरता की वजह से प्रभावित होता है। भारतीय सामाजिक संरचना में महिलायें काम करने के लिए बाहर नहीं जाया करती थीं, इसलिए कोई आर्थिक स्वतंत्रता उनके पास नहीं थी। पैसे के लिए वे अपने घर के पुरुषों यथा पिता, भाई, पति या पुत्र पर निर्भर रहा करती थीं। आज ये परिस्थितियाँ बदली हैं। महिलायें घरों से बाहर निकली हैं, पढ़ कर सभी क्षेत्रों में नौकरियां कर रही हैं। सरकारी व निजी क्षेत्र में वे समान वेतन पर काअम कर रही हैं लेकिन निजी क्षेत्रों में कई बार, कई जगहों पर उन्हें आज भी भेद-भाव का सामना करना पड़त है। एक लंबे समय तक भारतीय पुरुष व महिला क्रिकेट खिलाड़ियों की बीसीसीआई द्वारा दिए जाने वाली वार्षिक फीस में भेदभाव था, इसे अब 2022 में जाकर दूर किया गया । पूरे फिल्म उद्योग में पुरुष सितारों की फीस कि तुलना में महिलाओं की फीस काफी कम है। ऐसी असमानताएं निजी क्षेत्रों में आज बरकरार है जिसे दूर किए जाने की जरूरत है। फिल्म निर्देशन, उद्यमिता एवं कार्पोरेट के मुखिया जैसी जगहों पर इक्का-दुक्का उदाहरण छोड़ कर केवल पुरुषों का ही वर्चस्व है जो दर्शाता है कि पुरुष प्रधानता के लक्षण मौजूद हैं।

भारत मे महिलाओं के शिक्षा के प्रयास आधुनिक काल के शुरुआती दौर में ही हुए जिसका प्रसार अब लगातार देखने को मिलता है। आज के भारत में ग्रामीण क्षेत्रों की बच्चियाँ भी अब पढ़ने जाने लगी हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में जातिगत अवधारणाएं अभी भी बलवती हैं जिनके बावजूद निचली जाति की लड़कियां भी अब प्राथमिक विद्यालय की ओर रुख कर रही हैं जो कि एक सकारात्मक संकेत है लेकिन उसका एक बड़ा हिस्सा आज भी घरेलू काम-काज तक ही सीमित हैं। शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं की स्थितियों में अंतर आज भी विद्यमान है। पूरे देश में महिलाओं की स्थिति को सशक्त करने में इस तरह के मौजूद अंतर को पाटना अभी बेहद जरूरी है।

वर्तमान समय में महिला अपनी बेहतरी की ओर बढ़ रही है परंतु हमेशा से स्त्री की स्थिति इतनी निम्नतर नहीं थी। वैदिक काल से लेकर वर्तमान काल को देखें तो स्त्री ने सम्माननीय जीवन पहले भी जिया है। एक सशक्त जीवन की गवाह वह पहले भी रह चुकी है।

उत्तरवैदिक काल से स्त्री की स्थिति में एकाएक बदलाव नहीं हुए। स्त्री पर अनगिनत अंकुश लगाए जाने लगे। मध्यकाल तक आते-आते स्त्री की स्थिति दयनीय हो चुकी थी। हालांकि भारतीय इतिहास में भक्ति आंदोलन के समय में महिलाओं के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित हुआ लेकिन लगातार हो रहे आक्रमणों के बीच महिलाओं को पुनः घरों में कैद किया गया। किसी भी आक्रमण में सर्वाधिक शोषित महिलायें ही रहीं। बाद में एक हरम में कई रानियों को रखने का रिवाज सामान्य हो गया। भोग की वस्तु के रूप में तब्दील हो चुकी स्त्री

दशा को सुधार करने की कोशिश फिर आधुनिक काल में ही शुरू हुई। एक लंबे प्रयास व आंदोलनों से गुजरते हुए महिलाओं ने अपने अधिकारों के लिए खुद लड़कर अपने लिए अनेक नए अवसरों का रास्ता खोला। अभी सामाजिक-आर्थिक-राजनीति और सांस्कृतिक रूप से कई जगहों पर इनके साथ समानता का व्यवहार किया जाना बाकी है, जो इस सभ्य समाज में उनका हक़ है। महिलाओं के लिए संभावनाओं का बड़ा द्वार अभी भी उनके इंतजार में है जो लगातार उनके सशक्त होते रहने से ही खुल सकेगा।

असिस्टेंट प्रोफेसर (वी आई पी एस) दिल्ली

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nari sashaktikaran essay in sanskrit

दा इंडियन वायर

महिला सशक्तिकरण पर लेख, अनुच्छेद

nari sashaktikaran essay in sanskrit

By विकास सिंह

Paragraph on women empowerment in hindi

नारी एक माँ के रूप में, बच्चों की मनोचिकित्सक, डॉक्टर, नौकरानी और विश्वासपात्र की भूमिका निभाती हैं। चाहे वह उनका पसंदीदा लंच हो या स्कूल में कोई प्रोजेक्ट या फिर क्रिकेट मैच वह हमेशा उनके लिए भी होता है। हर सफल आदमी के पीछे एक औरत होती है, हाँ, एक माँ, एक बेटी, एक दोस्त या शायद एक बहन उनके पीछे सफलता का राज होता है। हालांकि नारी को उसके द्वारा किये जाने वाले कामो की वजह से महत्त्व नहीं मिल पाता है और इसके बावजूद हमें महिलाओं के शोषण की खबर दिन प्रतिदिन सुनने में मिलती है।

महिला सशक्तिकरण पर लेख, Paragraph on women empowerment in hindi (100 शब्द)

महिला सशक्तिकरण का अर्थ है महिलाओं को उनके सभी अधिकारों के साथ सशक्त बनाना, जो उन्हें एक पुरुष की तरह परिवार, समाज, स्कूल, कॉलेज और देश में होना चाहिए। यह उन्हें सक्षम बनाने के लिए है ताकि वे अपने व्यक्तिगत विकास के लिए स्वतंत्र निर्णय ले सकें। लैंगिक असमानता के कारण भारतीय समाज में महिलाओं की स्थिति अभी भी पिछड़ी हुई है।

महिलाओं को भी पुरुषों के समान अधिकार दिए जाने चाहिए ताकि वे वास्तव में उन्हें सशक्त बना सकें। उन्हें समाज के कमजोर लिंग के रूप में नहीं माना जाना चाहिए क्योंकि वे देश की लगभग आधी आबादी पर कब्जा करते हैं, इसलिए वे देश की आधी ताकत हैं। महिलाओं में अधिक धैर्य और प्रयास है; वे अपने देश का बेहतर विकास कर सकते हैं।

महिला सशक्तिकरण पर लेख, 200 शब्द:

महिला सशक्तीकरण के रास्ते पर कई चुनौतियां हैं। समाज में महिलाओं के खिलाफ बहुत सारे अपराध भारत में महिलाओं के अधिकारों के मुद्दों को उठा रहे हैं। भारत में महिला सशक्तीकरण का लाभ उठाने के लिए, वर्षों से महिलाओं के सामने आने वाले सभी मुद्दों और चुनौतियों को दूर करने की आवश्यकता है। ज्यादातर आम चुनौतियां महिलाओं की शिक्षा, गरीबी, स्वास्थ्य और सुरक्षा से संबंधित हैं।

देश की स्वतंत्रता के बाद, भारत को बहुत सारी चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जिसने विशेष रूप से शिक्षा के क्षेत्र में पुरुषों और महिलाओं के बीच एक बड़ी खाई पैदा की। शिक्षित वयस्क पुरुषों और महिलाओं का अनुपात 82.14% और 65.46% है। संयुक्त राष्ट्र के मानव अधिकारों और भारतीय संविधान के प्रावधानों के बावजूद भारत में महिलाएं कई वर्षों से शोषण का शिकार रही हैं।

इस अंतर को महिलाओं को शिक्षित करके हटाया जा सकता है और उन्हें स्वतंत्र बनाया जा सकता है जो असमानता, लापरवाही, असहिष्णुता, सामाजिक वर्जना और शोषण की दीवार को तोड़ने का एकमात्र विकल्प है। गरीबी समाज में महिलाओं के पिछड़ेपन का एक और मुद्दा है। महिलाओं की अशिक्षा को मिटाकर गरीबी को दूर किया जा सकता है।

आमतौर पर घरेलू मदद के लिए महिलाओं का घर में शोषण किया जाता है। यदि गरीबी, स्वास्थ्य, सुरक्षा, अपराध और महिलाओं से संबंधित अन्य मुद्दों को हटा दिया जाए, तो हम भविष्य में 20 साल बाद महिला सशक्तिकरण का असली सपना देख सकते हैं।

भारत प्राचीन काल से अपनी सांस्कृतिक विरासत, परंपराओं, सभ्यता, धर्म और भौगोलिक विशेषताओं के लिए जाना जाने वाला एक बहुत प्रसिद्ध देश है। दूसरी ओर, यह पुरुष रूढ़िवादी राष्ट्र के रूप में भी लोकप्रिय है। भारत में महिलाओं को पहली प्राथमिकता दी जाती है, हालांकि दूसरी ओर परिवार और समाज में उनके साथ बुरा व्यवहार किया जाता है।

वे केवल घर के कामों तक ही सीमित थी या घर और परिवार के सदस्यों की जिम्मेदारी समझती थी। उन्हें उनके अधिकारों और खुद के विकास से पूरी तरह से अनजान रखा गया था। भारत के लोग इस देश को “भारत-माता” कहते थे, लेकिन इसका सही अर्थ कभी नहीं समझा। भारत-माता का अर्थ है हर भारतीय की माँ जिसे हमें हमेशा बचाना और संभालना है।

महिलाएं देश की आधी शक्ति का गठन करती हैं इसलिए इस देश को पूरी तरह से शक्तिशाली देश बनाने के लिए महिला सशक्तिकरण बहुत आवश्यक है। यह महिलाओं को उनके उचित विकास और विकास के लिए हर क्षेत्र में स्वतंत्र होने के उनके अधिकारों को समझने के लिए सशक्त बना रहा है।

महिलाएं बच्चे को जन्म देती हैं, उनका मतलब है राष्ट्र का भविष्य। इसलिए वे बच्चों के समुचित विकास और विकास के माध्यम से राष्ट्र के उज्ज्वल भविष्य को बनाने में बेहतर भागीदारी कर सकते हैं। महिलाओं को पुरुष असभ्यता का शिकार होने के बजाय सशक्त बनाने की आवश्यकता है।

महिला सशक्तिकरण पर लेख, Paragraph on women empowerment in hindi (250 शब्द)

महिला सशक्तीकरण के नारे के साथ यह सवाल उठता है कि “महिलाएं वास्तव में मजबूत होती हैं” और “दीर्घकालिक संघर्ष समाप्त हो गया है”। सरकार द्वारा राष्ट्र के विकास में महिलाओं के वास्तविक अधिकारों और मूल्य के बारे में जागरूकता लाने के लिए कई कार्यक्रम लागू किए गए हैं और चलाए जा रहे हैं जैसे अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस, मातृ दिवस इत्यादि। महिलाओं को हर क्षेत्र में आगे बढ़ने की जरूरत है।

भारत में लिंग असमानता का एक उच्च स्तर है जहां महिलाओं को उनके परिवार के सदस्यों और बाहरी लोगों द्वारा बीमार किया जाता है। भारत में निरक्षर आबादी का प्रतिशत ज्यादातर महिलाओं द्वारा कवर किया गया है। महिला सशक्तीकरण का वास्तविक अर्थ उन्हें अच्छी तरह से शिक्षित करना और उन्हें स्वतंत्र छोड़ना है ताकि वे किसी भी क्षेत्र में अपने निर्णय लेने में सक्षम हो सकें।

भारत में महिलाओं को हमेशा ऑनर किलिंग के अधीन किया जाता है और उन्होंने उचित शिक्षा और स्वतंत्रता के लिए अपने मूल अधिकार कभी नहीं दिए। वे पीड़ित हैं जो पुरुष प्रधान देश में हिंसा और दुर्व्यवहार का सामना करते हैं। भारत सरकार द्वारा शुरू किए गए महिलाओं के सशक्तीकरण मिशन (NMEW) के अनुसार, इस कदम ने 2011 की जनगणना में कुछ सुधार किए हैं।

महिला सेक्स और महिला साक्षरता दोनों का अनुपात बढ़ा है। ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स के अनुसार, भारत में उचित स्वास्थ्य, उच्च शिक्षा और आर्थिक भागीदारी के माध्यम से समाज में महिलाओं की स्थिति में सुधार के लिए कुछ अग्रिम कदम उठाने की आवश्यकता है। महिला सशक्तीकरण को नवजात अवस्था में होने के बजाय सही दिशा में पूरी गति लेने की जरूरत है।

महिला सशक्तिकरण पर लेख, 300 शब्द:

पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा कहा गया सबसे प्रसिद्ध कहावत है “लोगों को जगाने के लिए, यह महिलाओं को जागृत करना चाहिए। एक बार जब वह आगे बढती है तो, परिवार चलता है, गांव चलता है, राष्ट्र चलता है ”। भारत में, महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए, पहले समाज में महिलाओं के अधिकारों और मूल्यों की हत्या करने वाले सभी राक्षसों को मारने की जरूरत है जैसे कि दहेज प्रथा, अशिक्षा, यौन उत्पीड़न, असमानता, कन्या भ्रूण हत्या, महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा, बलात्कार, वेश्यावृत्ति, अवैध तस्करी और अन्य मुद्दे।

राष्ट्र में लैंगिक भेदभाव सांस्कृतिक, सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक अंतर लाता है जो देश को पीछे धकेलता है। ऐसे शैतानों को मारने का सबसे प्रभावी उपाय भारत के संविधान में उल्लिखित समानता के अधिकार को सुनिश्चित करके महिलाओं को सशक्त बनाना है।

लैंगिक समानता को प्राथमिकता देने से पूरे देश में महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा मिलता है। महिला सशक्तीकरण के उच्च स्तरीय लक्ष्य को पाने के लिए बचपन से ही प्रत्येक परिवार में इसे बढ़ावा दिया जाना चाहिए। इसे महिलाओं को शारीरिक, मानसिक और सामाजिक रूप से मजबूत होना चाहिए।

चूंकि बचपन से घर पर बेहतर शिक्षा शुरू की जा सकती है, महिलाओं के उत्थान के लिए स्वस्थ परिवार की जरूरत होती है ताकि राष्ट्र का समग्र विकास हो सके। अभी भी कई पिछड़े क्षेत्रों में, माता-पिता की गरीबी, असुरक्षा और अशिक्षा के कारण शीघ्र विवाह और प्रसव की प्रवृत्ति है। महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए, सरकार द्वारा महिलाओं के खिलाफ हिंसा, सामाजिक अलगाव, लैंगिक भेदभाव और दुर्व्यवहार को रोकने के लिए विभिन्न कदम उठाए गए हैं।

108 वां संवैधानिक संशोधन विधेयक (जिसे महिला आरक्षण विधेयक भी कहा जाता है) को लोकसभा में केवल महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटें आरक्षित करने के लिए पारित किया गया था ताकि उन्हें हर क्षेत्र में सक्रिय रूप से शामिल किया जा सके। अन्य क्षेत्रों में भी महिलाओं की सीटें बिना किसी सीमा और प्रतिस्पर्धा के उनकी सक्रिय भागीदारी के लिए आरक्षित की गई हैं।

महिलाओं के वास्तविक मूल्यों और उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए सरकार द्वारा उपलब्ध सभी सुविधाओं के बारे में उन्हें जागरूक करने के लिए पिछड़े ग्रामीण क्षेत्रों में विभिन्न जन अभियान चलाने की आवश्यकता है। महिला सशक्तिकरण के सपने को सच करने के लिए उन्हें महिला बच्चे के अस्तित्व और उचित शिक्षा के लिए बढ़ावा देने की जरूरत है।

महिला सशक्तिकरण पर लेख, Paragraph on women empowerment in hindi (350 शब्द)

क्या है महिला सशक्तिकरण.

महिला सशक्तिकरण का अर्थ है – समाज में महिलाओं के आर्थिक विकास के साथ-साथ सामाजिक और आर्थिक विकास के तरीकों का पता लगाना। यह सामाजिक और आर्थिक रूप से महिलाओं को स्वतंत्र बनाने की एक प्रक्रिया है; उन्हें अपने कैरियर, नौकरी चुनने, स्वयं और परिवार के लिए निर्णय लेने, कमाने, बढ़ने और जीवन के सभी पहलुओं में पुरुषों के बराबर होने की स्वतंत्रता देने की छूट दी गई है।

महिला सशक्तीकरण का महत्व तब अधिक महसूस किया जाता है जब हम एक संतुलित और समृद्ध समाज की ओर बढ़ते हैं। आज, यह समझा जाता है कि हम विकास के लक्ष्यों को प्राप्त नहीं कर सकते हैं, अगर हम अपनी महिलाओं को पीछे छोड़ दें।

महिला सशक्तीकरण की दिशा में कई अवरोध हैं, उनमें से कई सामाजिक हैं। अधिकांश विकसित या विकासशील देशों में पितृसत्तात्मक समाज है, जहाँ पुरुषों को महिलाओं से बेहतर माना जाता है।

पुरुष परिवार और वित्त से संबंधित सभी निर्णय लेते हैं, जबकि महिलाएं केवल आदेशों का पालन करती हैं। उन्हें बाहर जाने, काम करने या सामूहीकरण करने की अनुमति नहीं है। ऐसे समाजों में महिलाएं खुद को पुरुषों से हीन मानने की आदी हैं। इसके अलावा, लड़कियों को एक बोझ और उनकी शिक्षा को एक दायित्व माना जाता है। लड़की को स्कूल भेजना समय और धन की हानि माना जाता है।

अफसोस की बात है कि कई समाज अभी भी अपनी महिलाओं की क्षमता का एहसास किए बिना, पुराने रूढ़िवादी रिवाजों का पालन करते हैं। यदि एक अवसर दिया जाए तो महिलाएं अध्ययन, प्रगति और उपलब्धि हासिल कर सकती हैं; सिर्फ पुरुषों के रूप में।

हम महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए क्या कर सकते हैं?

महिलाओं को सशक्त बनाने के कई तरीके हैं, जैसे- उन्हें शिक्षित करना, उन्हें पसंद करने की आज़ादी देना, उन्हें अपने कैरियर और कोर्स का चयन करने दें, उन्हें अपनी नौकरी चुनने दें और स्वयं और परिवार के लिए वित्तीय निर्णय लें। इन छोटे परिवर्तनों से समाज के साथ-साथ राष्ट्र में भी बड़े बदलाव करने की क्षमता है।

यह सुनिश्चित करना कि हर बालिका अपना स्कूल पूरा करे, आखिरकार महिला सशक्तीकरण भी होगा। बेरोजगार महिलाओं को विशिष्ट कौशल जैसे- खेती और कृषि, कढ़ाई, सिलाई, शिल्प बनाना, शहद की खेती और मछली पालन आदि में प्रशिक्षित किया जा सकता है ताकि उन्हें रोजगारपरक बनाया जा सके या अपना खुद का व्यवसाय शुरू किया जा सके।

महिला सशक्तिकरण के लिए मैं क्या कर सकता हूं?

महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए संबंधित सरकारों द्वारा कई पहल की जाती हैं, लेकिन जरूरत यह है कि- बदलाव की शुरुआत हमारे दिमाग में होनी चाहिए। हमें उम्र के पुराने रूढ़िवादी रिवाजों और मान्यताओं से मुक्त होने की आवश्यकता है, जो महिलाओं को पुरुषों से नीच मानते हैं। हमें अपने घरों, कार्यालयों और समाजों में महिलाओं को पुरुषों के बराबर समझने की जरूरत है, उन्हें स्वतंत्रता और सम्मान प्रदान करना चाहिए।

दुनिया में हम जो परिवर्तन चाहते हैं वह हमारे घरों में शुरू होना चाहिए और हमारे दिमाग में शुरू होना चाहिए।

महिला सशक्तिकरण पर लेख, 400 शब्द :

लैंगिक असमानता भारत में मुख्य सामाजिक मुद्दा है जिसमें महिलाएं पुरुष प्रधान देश में वापस आ रही हैं। महिला सशक्तिकरण को इस देश में दोनों लिंगों के मूल्य को बराबर करने के लिए एक उच्च गति लेने की आवश्यकता है। हर तरह से महिलाओं का उत्थान राष्ट्र की सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए।

समाज में पुरुषों और महिलाओं के बीच असमानताएं बहुत सारी समस्याएं पैदा करती हैं जो राष्ट्र की सफलता के रास्ते में एक बड़ी बाधा बन जाती हैं। समाज में पुरुषों को समान मूल्य मिलना महिलाओं का जन्म अधिकार है। वास्तव में सशक्तीकरण लाने के लिए, प्रत्येक महिला को अपने स्वयं के अंत से अपने अधिकारों के बारे में जागरूक होने की आवश्यकता है।

उन्हें केवल घर के कामों और पारिवारिक जिम्मेदारियों में शामिल होने के बजाय सकारात्मक कदम उठाने और हर गतिविधियों में शामिल होने की आवश्यकता है। उन्हें अपने आसपास और देश में होने वाली सभी घटनाओं के बारे में पता होना चाहिए।

महिला सशक्तिकरण में समाज और देश में कई चीजों को बदलने की शक्ति है। वे समाज में कुछ समस्याओं से निपटने के लिए पुरुषों की तुलना में बहुत बेहतर हैं। वे अपने परिवार और देश के लिए अतिपिछड़ों के नुकसान को बेहतर ढंग से समझ सकते हैं। वे उचित परिवार नियोजन के माध्यम से परिवार और देश की आर्थिक स्थितियों को संभालने में पूरी तरह सक्षम हैं। परिवार या समाज में पुरुषों की तुलना में महिलाएं किसी भी आवेगी हिंसा को संभालने में सक्षम हैं।

महिला सशक्तीकरण के माध्यम से, पुरुष प्रधान देश को अमीर अर्थव्यवस्था के समान वर्चस्व वाले देश में बदलना संभव हो सकता है। महिलाओं को सशक्त बनाना बिना किसी अतिरिक्त प्रयास के परिवार के प्रत्येक सदस्य को आसानी से विकसित करने में मदद कर सकता है। एक महिला को परिवार में हर चीज के लिए जिम्मेदार माना जाता है ताकि वह अपने अंत से सभी समस्याओं को बेहतर ढंग से हल कर सके। महिलाओं का सशक्तीकरण स्वचालित रूप से सभी का सशक्तिकरण लाएगा।

महिला सशक्तीकरण इंसान, अर्थव्यवस्था या पर्यावरण से जुड़ी किसी भी बड़ी या छोटी समस्या का बेहतर इलाज है। पिछले कुछ वर्षों में, महिला सशक्तिकरण के फायदे हमारे सामने आ रहे हैं। महिलाएं अपने स्वास्थ्य, शिक्षा, कैरियर, नौकरी और परिवार, समाज और देश के प्रति जिम्मेदारियों के बारे में अधिक जागरूक हो रही हैं। वे हर क्षेत्र में भाग ले रहे हैं और प्रत्येक क्षेत्र में अपनी बड़ी रुचि दिखा रहे हैं। अंत में, लंबे समय के कठिन संघर्ष के बाद उन्हें सही रास्ते पर आगे बढ़ने के अपने अधिकार मिल रहे हैं।

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विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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nari sashaktikaran essay in sanskrit

‘Nari Shakti’ or women power is the Oxford Dictionaries Hindi Word of the Year 2018: Here’s why this phrase ruled the year

With the increasing activism of women in various fields, it is only just that ‘nari shakti’ or women power is the hindi word of the year 2018 chosen by oxford dictionaries.  .

Listen to Story

Nari shakti, women power, oxford dictionaries, word of the year, hindi word of the year, word of the year 2018, women empowerment, women, 

In 2018, there is no question that 'nari shakti’ has risen to effect change, working to enshrine women’s rights and ensure that all women across the Hindi-speaking world and beyond are empowered.

nari sashaktikaran essay in sanskrit

Nari Sashaktikaran Par Nibandh – नारी सशक्तिकरण पर निबंध

Nari sashaktikaran par nibandh.

नारी सशक्तिकरण के विषय में कहा गया है कि…..

नहीं सहना है अब किसी का अत्याचार, नारी सशक्तिकरण का यही है मुख्य विचार।।

प्रस्तावना 

जब भी बात नारी सशक्तिकरण की होती है, तब हमारे समाज में उन महिलाओं का उदाहरण दिया जाता है। जिन्होंने अपने क्षेत्र में महान उपलब्धियां हासिल की हैं। लेकिन सही मायनों में यह तभी सार्थक है, जब आधी आबादी अपने हक और अधिकारों के लिए अपनी आवाज बुलंद कर सकें। यानि भारतीय महिलाएं जब अपने घरों से निकलकर अपनी जिंदगी के फैसले स्वयं लेने में सक्षम होंगी। तभी नारी सशक्तिकरण के वास्तविक उद्देश्य की पूर्ति हो सकेगी। ऐसे में आज हम आपके लिए “नारी सशक्तिकरण” विषय पर हिंदी भाषा में निबंध लेकर आए हैं। जो अवश्य ही आपके लिए उपयोगी सिद्ध होगा।

नारी सशक्तिकरण से क्या आशय  है?

सशक्तिकरण से तात्पर्य किसी व्यक्ति के अपने जीवन के प्रति जागृत और उद्देशित होने से है। और आज हम नारी सशक्तिकरण के विषय में बात कर रहे हैं। जिससे हमारा तात्पर्य महिलाओं के सामाजिक, आर्थिक और धार्मिक स्वावलंबन से है। क्योंकि प्राचीन समय से ही हमारे समाज में स्त्रियों के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार होता आया है। उन्हें सदैव ही पुरुषों से कमजोर आंका गया है। फिर चाहे वह उनका घर हो या कार्यस्थल, नारी का हर जगह शोषण ही होता आया है। इसलिए नारी सशक्तिकरण वर्तमान समय की जरूरत है। हालांकि हमारे भारतीय समाज में कई ऐसे महान पुरुष हुए हैं। जिन्होंने इस दिशा में काफी योगदान दिया। और वर्तमान सरकारें भी इस ओर काफी प्रयासरत हैं। लेकिन किसी ने सही ही कहा है…

सदियां बदली, युग बदला लेकिन नही बदली तो वो है मानसिकता समाज की।

ऐसे में यदि कोई देश और समाज वास्तव में तरक्की करना चाहता है तो उसको महिलाओं की समृद्धि से जुड़े विषयों पर भी अग्रसरित होना पड़ेगा। अन्यथा यह कहावत सही सिद्ध हो जाएगी कि जिस देश में नारियों का सम्मान  नही होता है। उस देश और समाज का पतन निश्चित है। इसलिए हमें नारियों को सशक्त बनाने की दिशा में भी कार्य करना पड़ेगा। क्योंकि मानव योनि में जन्म लेने के कारण स्त्रियों को भी पुरुषों की तरह जीवन जीने का अधिकार है। ऐसे में हम महिलाओं को सिर्फ इसलिए कमजोर नही आंक सकते हैं, क्योंकि उनकी शारीरिक संरचना पुरुषों से अलग होती है। हमें कदाचित यह नहीं भूलना चाहिए कि एक नारी की कोख से ही एक पुरुष जन्म लेता है। तो इसलिए हमें महिलाओं को सदैव ही ऐसा माहौल देना चाहिए जिससे वह अपनी योग्यता के आधार पर अपने जीवन के अहम फैसले खुद के बलबूते पर ले सकें। 

स्त्री का सशक्त होना क्यों जरूरी है?

हमारा समाज आरंभ से ही पुरुष प्रधान रहा है। इसी कारण से जहां घरों में अधिकतर फैसले लेने का अधिकार पुरुषों को होता है। तो वहीं बाहर भी पुरुषों ने ही सब जगह अपना वर्चस्व स्थापित कर रखा है। ऐसे में समाज में महिलाओं को हर जगह हिंसा और शोषण का शिकार होना पड़ता है। आज 21वीं सदी के युग में भी यदि कोई महिला पुरुष से किसी भी क्षेत्र में आगे निकल जाती है। तो वह उनसे सहन नही हो पाता है और वह महिलाओं के प्रति अपराध को अंजाम देते है। महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा, दहेज प्रथा, बाल विवाह शारीरिक शोषण, बलात्कार, वेतन और प्रोन्नति आदि में असमानता, अशिक्षा, भ्रूण हत्या आदि के मामलों में बढ़ोतरी इसी के प्रत्यक्ष उदाहरण हैं। ऐसे में यदि महिलाओं को समाज में अपने अस्तित्व को कायम रखना है, तो उन्हें अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होना पड़ेगा। और यह तभी संभव है जब नारियां सशक्त होंगी। उनपर किसी प्रकार का सामाजिक और आर्थिक दबाव नहीं होगा, उन्हें उच्च शिक्षा की ओर प्रेरित किया जाएगा, उन्हें कार्यक्षेत्र में समान व्यवहार और मानदेय दिया जाएगा, उनको घर की चहारदीवारी में कैद नहीं किया जाएगा, उनके विचारों और सोच को महत्व दिया जाएगा, साथ ही उनके साथ किसी भी प्रकार की जोर जबरदस्ती नहीं की जाएगी। तभी वह पुरुषों की भांति प्रत्येक क्षेत्र में अपना परचम लहरा सकती हैं। जिसकी शुरुआत हमें खुद से करनी होगी। क्योंकि जिस परिवार में नारी के विषय में विचार किया जाता है, वहीं से एक स्वस्थ विचारधारा का जन्म होता है। जोकि किसी भी राष्ट्र के सर्वांगीण विकास की अहम जरूरत है। इसके अलावा एक महिला के कंधों पर आने वाली पीढ़ी का भविष्य और दो परिवारों की जिम्मेदारी होती है। और यदि वही अपने अधिकारों के लिए जागरूक नहीं होगी तो हम कैसे एक उज्जवल कल के बारे में सोच सकते हैं? ऐसे में हम कह सकते हैं कि जब महिलाएं सशक्त होगी, तभी एक परिवार, क्षेत्र, गांव, शहर और देश तरक्की कर पाएंगे।

देश में पुरुष और महिलाओं का प्रत्येक क्षेत्र में भागीदारी का प्रतिशत

बात की जाए अगर, नारी साक्षरता की तो हमारे देश में पुरुषों के मुकाबले मात्र 60 प्रतिशत महिलाएं ही शिक्षित हैं। तो वहीं शहरी क्षेत्रों में केवल 30 प्रतिशत महिलाएं कंपनियों में कार्यरत है। जबकि ग्रामीण क्षेत्र में महिलाएं कम पैसों में दैनिक मजदूरी किया करती हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, आज भी महिलाएं पुरुषों से 20 प्रतिशत कम भुगतान पाती हैं। और तो और आज भी शक्ति प्रदर्शन के क्षेत्र में भी महिलाओं का योगदान मात्र 8.5 प्रतिशत है। बात की जाएं राजनीति में महिलाओं की स्थिति में, तो संसद में महिलाएं केवल 11% हैं। इसके अलावा जारी रिपोर्ट के मुताबिक, कृषि में महिलाओं का प्रतिशत 76%, विनिर्माण के क्षेत्र में 10%, इंजीनियरिंग के क्षेत्र में 28%, आईटी क्षेत्र में 40%, प्रबंध के शहर में 35%, कानून से जुड़े रोजगार में 32% महिलाएं कार्यरत हैं। जोकि पुरुषों के मुकाबले काफी कम है। इतना ही नहीं, स्वास्थ्य दृष्टि से देखें तब भी हर साल ना जाने कितनी ही महिलाएं सही खान पान ना मिलने की वजह से एनीमिया की शिकार हो जाती हैं। तो वही कुछ महिलाएं आज भी अपने स्वास्थ्य और महावारी के दिनों को लेकर जागरूक नहीं है, जिस वजह से उनकी मृत्यु के आंकड़े भी हैरान कर देने वाले हैं। वह आज भी घर और बच्चों की देखरेख में अपने सपनों का बलिदान कर रही है। इतना ही नहीं कुछ जगहों पर तो, महिलाओं को अपने तरीके से उठने-बैठने, कपड़े पहनने और अपनी आजादी से जीने के अधिकार से भी वंचित रखा गया है। और अगर कोई स्त्री अपने अधिकारों के लिए आगे आती है। तो उसे सबक सिखाने के उद्देश्य से उसके साथ दुष्कर्म और शारीरिक शोषण जैसे जघन्य अपराध को अंजाम दिया जाता है। हमारे देश में आए दिन महिलाओं और बच्चियों के साथ दुष्कर्म की घटनाएं सुनने को मिलती है। जिसे देखकर और सुनकर आप अंदाजा लगा सकते हैं कि महिला अपराध के आंकड़े दिन प्रति दिन बढ़ रहे हैं। और यदि समय रहते इस ओर कठोर कदम नहीं उठाए गए तो वह दिन दूर नही, जब मानव जीवन का अस्तित्व खतरे में आ जाएगा क्योंकि आधी आबादी केवल स्त्री मात्र नहीं है, बल्कि उसे भारत देश में देवी स्वरूपा माना जाता है। ऐसे में स्त्री समाज का पतन किसी भी देश के भविष्य की नींव को हिला सकता है। इसलिए हमें आज भी नारी सशक्तिकरण के दिशा में अधिक प्रयासरत होने की आवश्यकता है।

भारतीय स्त्रियां जिन्होंने पेश की नारी शक्ति की अनूठी मिसाल

हमारे देश का इतिहास सदैव ही नारियों के शौर्य और विजय की गाथाएं सुनाता है। प्राचीन भारत में देश में गार्गी, अनुसूया, वैदेही, आम्रपाली, रजिया सुल्तान, रानी लक्ष्मीबाई, जीजाबाई, दुर्गावती, मीराबाई, एनी बेसेंट, कस्तूरबा, विजय लक्ष्मी पंडित, सावित्रीबाई फुले, सरोजिनी नायडू, सुचेता कृपलानी, मदर टेरेसा, एम फातिमा बीबी, लक्ष्मी सहगल आदि कई शक्तिशाली नारियों ने जन्म लिया। बात करें आधुनिक समय कि तो अंतरिक्ष में कल्पना चावला, राजनीति में इंदिरा गांधी, खेल में सानिया मिर्जा, प्रसाशनिक सेवा में किरण बेदी, माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली बछेंद्री पाल, महिला पायलट हरिता कौर देओल, संगीत के क्षेत्र में लता मंगेशकर, विश्व सुंदरी ऐश्वर्या राय, प्रसिद्ध चित्रकार आंजोली इला मेनन, महिला खिलाड़ी पी. टी. उषा, भारतीय मुक्केबाज मैरी कॉम, भारतीय लेखक अरुधंति रॉय, कमला सुरैया समेत प्रबंध के क्षेत्र से जुड़ी चंदा कोचर, अरुधंति भट्टाचार्य, रेणु सूद कर्नाड और नरगिस, अमृता प्रीतम, अन्ना चंडी आदि अनेकों ऐसी महिलाओं के उदाहरण है। जिन्होंने सामाजिक बेड़ियों को तोड़कर सम्पूर्ण देश में अपनी पहचान बनाई है।

नारी स्वालंबन की दिशा में उठाए गए महत्वपूर्ण कदम

हालांकि नारियों की स्थिति में सुधार लाने के लिए सरकार द्वारा समय समय पर कई कल्याणकारी योजनाएं चलाई गई हैं। वर्तमान में केंद्र सरकार द्वारा समर्थ योजना जिसके तहत वैश्विक वस्त्र उद्योग में महिलाओं की हिस्सेदारी सुनिश्चित करना तय हुआ है। इसके साथ ही भारत सरकार द्वारा ग्रामीण और शहरी महिलाओं के आर्थिक स्वावलंबन के लिए फ्री सिलाई मशीन योजना, उज्जवला योजना के तहत गैस कनेक्शन देना, कामगार महिलाओं के लिए सुरक्षित मातृत्व आश्वासन सुमन योजना, लड़कियों की पढ़ाई और शादी के उद्देश्य से सुकन्या समृद्धि योजना, लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के लिए बेटी बचाओ बेटी बचाओ योजना, लड़कियों और महिलाओं को छेड़छाड़ से बचाने के लिए स्पेशल कानून और वूमेन हेल्पलाइन जारी करना समेत राजीव गांधी सबला योजना, इंदिरा गांधी मातृत्व योजना, लड़कियों की शिक्षा में भागीदारी बढ़ाने के लिए कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय योजना, किशोरी शक्ति योजना, प्रेरणा योजना, राष्ट्रीय महिला सशक्तिकरण नीति, स्वयं सहायता समूह, महिला बाल विकास परियोजना आदि का संचालन किया गया है। साथ ही सरकार महिलाओं के आर्थिक विकास के लिए प्रशिक्षण और रोजगार कार्यक्रमों का आयोजन भी करती है। ताकि महिलाएं आत्मनिर्भर बनकर देश के विकास में अपनी भूमिका निभा सकें।

महिला सशक्तिकरण से जुड़े कानूनों के बारे में

स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात महिलाओं की स्थिति को ठीक करने के उद्देश्य से भारतीय संविधान में कई प्रावधान किए गए। इसी दिशा में महिला आरक्षण बिल को पारित किया गया। जिसके तहत संसद में 33% महिलाओं की भागीदारी को आवश्यक घोषित कर दिया गया। इसके साथ ही साल 1856 में भारत के कानून में विधवा पुनर्विवाह अधिनियम पारित कर विधवा स्त्रियों के आत्मसम्मान की दिशा में कार्य किया गया। साथ ही नौकरियों में आरक्षण के माध्यम से भी महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने का संकल्प भारतीय संविधान द्वारा लिया गया है। तो वहीं महिलाओं की शोचनीय दशा को सुधारने के लिए भारतीय संविधान में अन्य कई प्रावधान किए गए हैं। जिसके तहत महिलाओं को उनके अधिकारों से परिचित करवाया जाता है। जैसे – बाल विवाह रोकथाम एक्ट 2006, दहेज रोक अधिनियम 1961, लिंग परीक्षण तकनीक एक्ट 1994, यौन शोषण एक्ट 2013, अनैतिक व्यापार अधिनियम 1956, मेडिकल ट्रेमिशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट 1987, हिंदू विवाह अधिनियम 2005, विदेशी विवाह अधिनियम 1969, भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम 1925, गर्भावस्था अधिनियम 2020, राष्ट्रीय महिला आयोग अधिनियम , मातृत्व लाभ अधिनियम 1990, कारखाना अधिनियम 1948, महिलाओं का अश्लील प्रतिनिधित्व अधिनियम 1986, सती अधिनियम 1987, घरेलू हिंसा अधिनियम 2005, भारतीय तलाक अधिनियम 1896, कानूनी चिकित्सक अधिनियम 1923,  फास्ट ट्रैक कोर्ट, परिश्रमिक एक्ट 1976 आदि। ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं की राजनीति में भागीदारी के उद्देश्य से पंचायती राज संस्थाओं ने 50% सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित की हैं। इसके साथ ही यदि, कोई महिला बलात्कार का शिकार हुई है तो उसे मुफ्त कानूनी मदद पाने का अधिकार है। और यदि पुलिस किसी महिलाको गिरफ्तार करना चाहती है, तो वह उसे सूरज डूबने के बाद और उगने से पहले गिरफ्तार नहीं कर सकती है। महिलाओं को आज अपने पिता की संपत्ति में से भी हिस्सा प्राप्त होता है और पति की मौत के बाद किसी भी महिला का उसके घर और संपत्ति पर पूर्ण अधिकार होता है। और अगर कोई व्यक्ति अपनी पत्नी से तलाक लेना चाहता है तो उसे गुजरा भत्ता भी देना पड़ता है। इसके अलावा यौन उत्पीड़न का शिकार हुई महिला को अपनी पहचान गोपनीय रखने का अधिकार प्राप्त है। इस प्रकार, भारतीय संविधान महिलाओं को पूर्ण रूप से जीने का अधिकार प्रदान करता है।  

इस प्रकार, महिलाओं का सशक्त होना किसी भी देश और समाज के लिए बहुत आवश्यक है। इसके अभाव में एक सभ्य और सुसंस्कृत समाज की स्थापना कभी नही की जा सकती है। इसके साथ ही हमारा निबंध हिंदी भाषा का महत्व (Nari Sashaktikaran Par Nibandh) समाप्त होता है। आशा करते हैं कि यह आपको पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य कई निबंध पढ़ने के लिए हमारे लेख –  निबंध लेखन को पढ़ें।

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अंशिका जौहरी

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महिला सशक्तिकरण पर निबंध 500 शब्दों में | Essay on Women Empowerment in Hindi

  • by Rohit Soni
  • 14 min read

इस लेख में महिला सशक्तिकरण पर निबंध शेयर किया गया है। जो कि आपके परीक्षा के लिए बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण है। Essay on Women Empowerment in Hindi प्रतियोगी परीक्षाओं में लिखने के लिए आता है। इसलिए महिला सशक्तिकरण पर निबंध बहुत जरूरी है आपके लिए। इसके साथ ही देश की संमृद्धि के लिए भी महिला सशक्तिकरण अति आवश्यक है।

महिला सशक्तिकरण पर निबंध 500 शब्दों में | Essay on Women Empowerment in Hindi

Table of Contents

महिला सशक्तिकरण पर निबंध 300 शब्दों में – Short Essay On Mahila Sashaktikaran in Hindi

महिला सशक्तिकरण क्या है.

महिला सशक्तिकरण से आशय यह है कि महिलाओं के सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार लाना है। इससे महिलाएं शक्तिशाली बनती है। जिससे वह अपने जीवन से जुड़े सभी फैसले स्वयं ले सकती हैं, और परिवार व समाज में अच्छे से रह सकती हैं। पुरुषों की तरह ही समाज में उनके वास्तविक अधिकार को प्राप्त करने के लिए उन्हें सक्षम बनाना ही महिला सशक्तिकरण कहलाता है।

महिला सशक्तिकरण जरुरी क्यों है?

महिला सशक्तिकरण आवश्यकता का मुख्य कारण महिलाओं की आर्थिक तथा सामाजिक स्थित में सुधार लाना है। क्योंकि आज भी भारत में पुरुष प्रधान समाज की व्यवस्था है जिसमें महिलाओं को पुरुषों की तुलना में बहुत कम महत्व दिया जाता है। उन्हें घर तक ही सीमित करके रखा जाता है। कम उम्र में विवाह और शिक्षा के अभाव से महिलाओं का विकाश नहीं हो पाता है। जिससे वे समाज में स्वयं को असुरक्षित और लाचार महसूस करती है। इसी वजह से महिलाओं का शोषण हो रहा है। महिला सशक्तिकरण जरूरी है, ताकि महिलाओं को भी रोजगार, शिक्षा , और आर्थिक तरक्की में बराबरी के मौके मिल सके, जिससे वह सामाजिक स्वतंत्रता और तरक्की प्राप्त कर सके। और महिलाएँ भी पुरुषों की तरह अपनी हर आकांक्षाओं को पूरा कर सके और स्वयं को सुरक्षित महसूस कर सकें।

जहाँ वैदिक काल में नारी को देवी का स्वरूप माना जाता था। वहीं वर्तमान के कुछ शतकों में समाज में नारी की स्थित बहुत ज्यादा दयनीय रही है। और महिलाओं को काफी प्रताड़ना झेलना पड़ा है। यहां तक की आज भी कई गांवों में कुरीतियों के चलते महिलाओं के केवल मनोरंजन समझा जाता है। और पुरुषों द्वारा उनके अधिकारों का हनन कर उनका शोषण किया जाता है। इसलिए आज वर्तमान के समय में महिला सशक्तिकरण एक अहम चर्चा का विषय बन चुका है। हालाँकि पिछले कुछ दशकों में सरकार द्वारा महिला सशक्तिकरण पर जोर दिया गया है। लेकिन अभी भी पिछड़े हुए गांवों में सरकार को पहुंचकर लोगों को महिला सशक्तिकरण के बारे में जागरूकता लाने के लिए ठोस कदम उठाने जरूरत है।

>यह भी पढ़ें Essay Environment in Hindi

महिला सशक्तिकरण पर निबंध 500 शब्दों में (Essay on Women Empowerment in Hindi)

महिला सशक्तिकरण में बहुत बड़ी ताकत है जिससे देश और समाज को सकारात्मक तरीके से बदला जा सकता है। महिलाओं को समाज में किसी समस्या को पुरुषों से बेहतर ढंग से निपटना आता है। सही मायने में किसी देश या समाज का तभी विकाश होता है जब वहां की नारी जाति को प्रतिष्ठा व सम्मान दिया जाता है।

महिला सशक्तिकरण का अर्थ – Meaning of women empowerment

नारी को सृजन की शक्ति माना जाता है। अर्थात स्त्री से ही मानव जाति का अस्तित्व संभव हुआ है। फिर भी वर्तमान युग में एक नारी इस पुरुष समाज में स्वयं को असुरक्षित और असहाय महसूस करती है। अतः महिला सशक्तिकरण का अर्थ महिलाओं के सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार लाना है। ताकि उन्हें शिक्षा, रोजगार, आर्थिक विकाश के समान अधिकार मिल सके, जिससे वह सामाजिक व आर्थिक स्वतंत्रता और खुद को सुरक्षित प्राप्त कर सके।

महिला सशक्तिकरण का मुख्य उद्देश्य

महिला सशक्तिकरण का मुख्य उद्देश्य महिलाओं की प्रगति और उनमें आत्मविश्वास को बढ़ाना हैं। महिला सशक्तिकरण देश के विकास के लिए अति महत्वपूर्ण है। महिलाओं का सशक्तिकरण सबसे महत्वपूर्ण पहलू है क्योंकि वे सृजन कर्ता होती हैं। अगर उन्हें सशक्त कर दिया जाए, उन्हें शक्तिशाली बनाएं और प्रोत्साहित करें, तो इससे राष्ट्र का विकाश सुनिश्चित होता है। महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना और उनके अधिकारों को उनसे अवगत कराना तथा सभी क्षेत्र में समानता प्रदान करना ही महिला सशक्तिकरण का प्रमुख उद्देश्य है।

महिला सशक्तिकरण में शिक्षा की भूमिका क्या है?

महिला सशक्तिकरण में शिक्षा का महत्वपूर्ण स्थान हैं। क्योंकि बिना शिक्षा के महिलाओं की प्रगति में सकारात्मक परिवर्तन सम्भव नही है। शिक्षा के माध्यम से महिलाओं में जागरूकता लाना आसान है और आयी भी है, वे अपने बारे में सोचने की क्षमता रखने लगी है, उन्होंने अब महसूस किया है कि घर से बाहर भी उनका जीवन है। महिलाओं में आत्मविश्वास का संचार हुआ तथा उनके व्यक्तित्व में निखार आया है। इसीलिए सरकार द्वारा बेटी बचाओं बेटी पढ़ाओ योजना चलाई गई है। ताकि घर-घर बेटियों को शिक्षा दी जा सके।

महिला सशक्तिकरण के उपाय

महिला सशक्तिकरण के लिए कई योजनाएं शासन की तरफ से चलाई गई हैं जिससे नारी जाति के उत्थान में मदद मिली है। और भारत में महिलाओं को एक अलग पहचान प्रदान करती है। महिला सशक्तिकरण के उपाय के लिए चल रही योजनाओं के नाम निम्नलिखित हैं –

  • सुकन्या समृध्दि योजना
  • बेटी बचाओं बेटी पढ़ाओं योजना
  • प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना
  • प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना
  • प्रधानमंत्री महिला शक्ति केंद्र योजना
  • वन स्टॉप सेंटर
  • लाड़ली लक्ष्मी योजना
  • फ्री सिलाई मशीन योजना

एक स्त्री पुरुष की जननी होकर भी एक पुरुष से कमजोर महसूस करती है। क्योंकि उसका पिछले कई सदियों से शोषण किया जा रहा है। जिस कारण से एक नारी अपनी शक्ति और अधिकारों को भूल चुकी है। और अपने साथ हो रहे दुराचार को बर्दाश्त करती चली आ रही है। परन्तु वर्तमान युग महिला का युग है। अब उन्हें अपने अधिकारों को प्राप्त करने से कोई नहीं रोक सकता है। इसके लिए कई महिला सशक्तिकरण के उपाय भी किए जा रहे है। किन्तु अभी भी कुछ आदिवासी पिछड़े गांवों में कई सारी कुरीतियां या शिक्षा की कमी के कारण महिलाओं को उनके अधिकारों से वंचित रखा गया है। अतः वहां तक पहुँच कर उन महिलाओं को भी महिला सशक्तिकरण के बारे में जागरूक करना होगा।

>यह भी पढ़ें दीपावली पर निबंध 500 शब्दों में

महिला सशक्तिकरण पर निबंध 1000 शब्दों में (Mahila Sashaktikaran Essay in Hindi)

[ विस्तृत रूपरेखा – (1) प्रस्तावना, (2) महिलाओं का अतीत, (3) भारत में महिलाओं का सम्मान, (4) वर्तमान में महिलाओं के प्रति अनुदार व्यवहार, (5) महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता, (6) शासन तथा समाज का दायित्व, (7) नारी जागरण की आवश्यकता, (8) उपसंहार ।]

“अबला जीवन हाय तुम्हारी यही कहानी आंचल में है दूध और आंखों में पानी ।”

प्राचीन काल से ही महिलाओं के साथ बड़ा अन्याय होता आ रहा है। उन्हें शिक्षा और उनके अधिकारों से वंचित किया गया जिससे महिलाओं का जो सामाजिक और आर्थिक विकाश होना चाहिए वह नहीं हो सका। समाज में आज भी पुरुषों की तुलना में महिलाओं को कम आका जाता है। और वे ज्यादातर अपने जीवन-यापन के लिए पुरुषों पर ही निर्भर रह गयी जिससे उन्हें न चाहते हुए भी पुरुषों का अत्याचार सहना पड़ रहा है। इसलिए महिलाओं के आर्थिक व सामाजिक विकाश के लिए महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता है।

महिलाओं का अतीत

वैदिक काल में महिलाओं को गरिमामय स्थान प्राप्त था। उन्हें देवी,  अर्द्धांगिनी,  लक्ष्मी माना जाता था। स्मृति काल में भी ” यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता”   यह सम्मानित स्थान प्रदान किया गया था। तथा पौराणिक काल में नारी को शक्ति का स्वरूप मानकर उसकी आराधना की जाती थी। परन्तु 11 वीं शताब्दी से 19 वीं शताब्दी के बीच भारत में महिलाओं की स्थिति बहुत ज्यादा दयनीय होती गई। यह महिलाओं के लिए अंधकार युग था। पुरुष प्रधान समाज में महिलाओं को अपनी इच्छाओं के अनुसार उपयोग में लिए जाने तक ही सीमित रखा जाता था। विदेशी आक्रमण और शासकों की विलासिता पूर्ण प्रवृत्ति ने महिलाओं को उपभोग की वस्तु बना दिया था। और उसके कारण भारत के कुछ समुदायों में सती प्रथा, बाल विवाह और विधवा पुनर्विवाह पर रोक, अशिक्षा आदि सामाजिक कुरीतियां जिंदगी का एक हिस्सा बन चुकी थी।जिसने महिलाओं की स्थिति को बदतर बना दिया और उनके अधिकारों व स्वतंत्रता को उनसे छीन लिया।

भारत में महिलाओं का सम्मान

भारत में महिलाओं को सम्मान दिलाने के लिए सरकार द्वारा समय-समय पर योजनाएं निकाली गई हैं जिनका मुख्य उद्देश्य महिलाओं के सामाजिक और आर्थिक रूप से मजबूत बनाना है। जिसका असर यह है कि आज महिलाएं भी पुरुषों से कदम से कदम मिलाकर चलने में सक्षम हो रही हैं। महिलाओं को बराबर की शिक्षा, रोजगार और उनके अधिकार को दिलाकर भारत में महिलाओं को सम्मानित किया गया है। अब महिलाएं घर की दीवारों तक ही सीमित नहीं रहीं हैं। हालांकि कुछ शतकों पहले भारत में महिलाओं की स्थित काफी दयनीय रही हैं किन्तु 21 वीं सदी महिला सदी है। अब महिलाएं भी हर क्षेत्र में अपनी कुशलता का परिचय दे रही हैं।

वर्तमान में महिलाओं के प्रति अनुदार व्यवहार

महिलाओं के उत्थान के लिए भारत में कई प्रकार से प्रयास किए जा रहे हैं इसके बावजूद भी अभी तक महिलाओं का उतना विकाश नहीं हो पा रहा है। भारत में 50 प्रतिशत की आबादी महिलाओं की है और कही न कहीं महिलाएं स्वयं को कमजोर और असहाय मानती है जिसके कारण से पुरुषों द्वारा उनके प्रति अनुदार व्यवहार किया जाता है। शिक्षा और जागरूकता की कमी के कारण महिलाएं अपने अधिकारों और शक्ति का इस्तेमाल नहीं कर पाती हैं। परिणाम स्वरूप उनका शारीरिक और मानसिक रूप से शोषण किया जाता है। कई ऐसे गांव कस्बे हैं जहाँ अभी भी महिलाओं को शिक्षा और उनके अधिकारों से वंचित कर दिया जाता है और कई प्रकार की कुरीतियों के चलते उन्हें प्रताड़ित किया जाता है। और उन्हें देह-व्यापार करने के लिए मजबूर किया जाता है। ऐसे में सरकार और समाज दोनों को इसके प्रति विचार करना चाहिए।

महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता

जैसा कि भारत में 50 फीसदी की आबादी महिलाओं की है और जब तक इनका विकास नहीं होगा तो भारत कभी भी विकसित देश नहीं बन सकता है। देश के विकाश के लिए महिलाओं का विकाश होना जरूरी है। भारत में महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता इसलिए है क्योंकि प्राचीन काल के अपेक्षा मध्य काल में भारतीय महिलाओं के सम्मान स्तर में काफी कमी आयी है। और जितना सम्मान उन्हें प्राचीन काल में दिया जाता था, मध्य काल में वह सम्मान बहुत कम हो गया था। वर्तमान समय में कई भारतीय महिलाएँ कई सारे महत्वपूर्ण राजनैतिक तथा प्रशासनिक पदों पर पदस्थ हैं, फिर भी सामान्य ग्रामीण महिलाएँ आज भी अपने घरों में रहने के लिए बाध्य हैं और उन्हें सामान्य स्वास्थ्य सुविधा और शिक्षा जैसी सुविधाएँ भी उपलब्ध नहीं हो रही है।

शासन तथा समाज का दायित्व

महिलाओं के विकाश के लिए शासन तथा समाज का दायित्व है कि इसके लिए विभिन्न प्रकार से प्रयास किए जाएं ताकि वह अपने जीवन से जुड़े सभी फैसले स्वयं ले सके, और परिवार व समाज में सुरक्षित तरीके से रह सकें। तथा पुरुषों की तरह ही महिलाएं भी समाज में उनके वास्तविक अधिकार को प्राप्त करें।

शासन द्वारा महिला सशक्तीकरण से संबंधित कुछ प्रमुख सरकारी योजनाएँ

  • सुकन्या समृद्धि योजना

नारी जागरण की आवश्यकता

यह समाज पुरुष प्रधान है और हमेशा से ही महिलाओं को पुरुषों से नीचे रखा गया है। परन्तु नारी की अपनी एक गरिमा है। वह पुरुष की जननी है नारी स्नेह और सौजन्य की देवी है। किसी राष्ट्र का उत्थान नारी जाति से ही होता है। और वर्तमान समाज में व्याप्त कुरीतियों को दूर करने के लिए नारी जागरण की आवश्यकता महसूस हो रही है। समाज के बेहतर निर्माण के लिए समाज में नारी को एक समान अधिकार दिए जाए तभी एक बेहतर समाज और राष्ट्र का निर्माण होगा। इसके लिए नारी को अपने अधिकारों के लिए स्वयं आगे आना होगा।

वैदिक काल, और प्राचीन काल में महिलाओं को पूजा जाता था उन्हें पुरुषों से भी ऊँचा दर्जा प्रदान किया गया था। किन्तु मध्यकाल में नारी जाति का अत्यधिक शोषण हुआ है जिस कारण से महिलाओं का विकाश बहुत कम हो पाया है। उन्हें घर के अंदर तक ही बंधन में रखा जाता है बाहर निकल कर रोजगार करने में प्रतिबंध लगाया जाता है। और यदि बाहर निकलने की छूट भी मिलती है तो समाज के अराजक तत्वों से उन्हें कई तरह से खतरा बना रहता है। अतः उनके उत्थान के लिए महिला सशक्तिकरण बहुत जरूरी है। महिलाओं को उचित शिक्षा प्रदान की जानी चाहिए जिससे वे अपने अधिकारों को पहचान सकें और अपने ऊपर हो रहें अत्याचार का विरोध कर सकें। तथा अपने जीवन के अहम फैसले स्वयं लेने के लिए हमेशा स्वतंत्र रहें।

  • रिश्तों के नाम हिंदी और अंग्रेजी में जानें

महिला सशक्तिकरण पर 10 वाक्य (Nari Sashaktikaran par Nibandh in Hindi)

महिला सशक्तिकरण पर 10 वाक्य (Nari Sashaktikaran par Nibandh in Hindi)

  • महिला सशक्तिकरण से आशय यह है कि महिलाओं के सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार लाना।
  • हमारे देश में महिलाओं के प्रति अनुदार व्यवहार को खत्म करने के लिए महिला सशक्तिकरण आवश्यक है।
  • महिला सशक्तिकरण में शिक्षा सबसे महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है।
  • बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, सुकन्या सम्बृध्दि योजना, प्रधानमंत्री महिला शक्ति केंद्र योजना आदि शासन द्वारा महिला सशक्तिकरण के तहत मुहिम चलाई जा रही है।
  • बेटी व महिलाओं को पुरुष समाज में बराबरी के अधिकार दिलाने के लिए उनमें जागरूकता लाना आवश्यक है।
  • बेहतर समाज के निर्माण के लिए समाज में नारी को एक समान अधिकार व सम्मान प्रदान करना उतना ही जरूरी है, जितना की जीवन के लिए भोजन जरूरी है।
  • 21 वीं सदी महिला सदी माना जाता है, अब महिलाएं भी हर क्षेत्र में अपनी कुशलता का बखूबी परिचय दे रही हैं। यह महिला सशक्तिकरण से ही संभव है।
  • वर्तमान समय में कई भारतीय महिलाएँ महत्वपूर्ण राजनैतिक तथा प्रशासनिक पदों पर पदस्थ हैं, फिर भी सामान्य ग्रामीण महिलाएँ आज भी अपने घरों में रहने के लिए बाध्य हैं।
  • महिलाओं को अपने अधिकार, आत्मसम्मान और स्वतंत्रता के लिए स्वयं आगे आना होगा।
  • महिलाओं के उत्थान के लिए समाज और शासन को अधिक से अधिक उपाय करना चाहिए।

यह निबंध महिला सशक्तिकरण के बारे में है। जिसका शीर्षक इस प्रकार से है “ महिला सशक्तिकरण पर निबंध 500 शब्दों में ” अथवा “ Essay on Women Empowerment in Hindi ” यह निबंध आपके लिए बहुत उपयोगी है अतः आपको Mahila Sashaktikaran Essay in Hindi 1000 शब्दों में लिखना जरूर से आना चाहिए।

FAQ Mahila Sashaktikaran Essay

Q: महिला सशक्तिकरण कब शुरू हुआ था.

Ans: महिला सशक्तिकरण की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा 8 मार्च,1975 को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस से मानी जाती हैं। फिर महिला सशक्तिकरण की पहल 1985 में महिला अंतरराष्ट्रीय सम्मलेन नैरोबी में की गई।

Q: महिला सशक्तिकरण कब लागू हुआ था?

Ans: राष्ट्र निर्माण गतिविधियों में महिलाओं की भूमिका को ध्यान में रखते हुए सरकार ने वर्ष 2001 को महिला सशक्तिकरण वर्ष घोषित किया था और महिलाओं को स्वशक्ति प्रदान करने की राष्ट्रीय नीति अपनायी थी।

Q: समाज में महिलाओं की क्या भूमिका है?

Ans: समाज में महिलाओं की अहम भूमिका है क्योंकि नारी ही परिवार बनाती है, परिवार से घर बनता है, घर से समाज बनता है और फिर समाज ही देश बनाता है। इसलिए महिला का योगदान हर जगह है। और महिला की क्षमता को नज़रअंदाज करके समाज की कल्पना करना व्यर्थ है।

इसी प्रकार के और भी उपयोगी, ज्ञानवर्धक और मनोरंजक जानकारी हिंदी में पढ़ने के लिए Hindi Read Duniya को सबस्क्राइब जरूर करें। निबंध को पूरा पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद!

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3 thoughts on “महिला सशक्तिकरण पर निबंध 500 शब्दों में | Essay on Women Empowerment in Hindi”

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Bahut achcha nibandh lika hai🙏

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धन्यवाद भाई 💖

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नारी शक्ति पर सुप्रसिद्ध नारे स्लोगन Slogan On Nari Shakti In Hindi

Slogan On Nari Shakti In Hindi  में आज हम आपके साथ नारी शिक्षा & नारी शक्ति पर सुप्रसिद्ध नारे स्लोगन यहाँ साझा कर रहे हैं.

यह सच हैं कि आज के आधुनिक युग में भी महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले कमतर आंका जाता हैं. महिला या नारी पर नारे अनमोल वचन स्लोगन के जरिये हमारे द्वारा Nari Shiksha के महत्व को बताने का प्रयास हमारा प्रयास हैं.

नारी शक्ति पर सुप्रसिद्ध नारे स्लोगन Slogan On Nari Shakti In Hindi

आज हम जानेगे कि नारी शक्ति का अर्थ क्या है उसका साथ भेदभाव कर उसे अबला समझने का अर्थ अपने समाज की शक्ति को पूरी तरह न समझ पाना तथा उसे कमतर आंकना हैं.

नारी शक्ति के असल स्वरूप के लिए चाहिए कि हम उन्हें स्वतंत्र वातावरण बनाए तथा अपनी शिक्षा तथा विकास के पूर्ण अवसर उपलब्ध करवाएं जाए.

महिला शक्ति को सम्मान देने की शुरुआत हम अपने घर से करे बेटी के जन्म को भी उतना ही महत्व दे जितना कि एक बेटे के जन्म को देते हैं. बालिकाओं के लिए शिक्षा के द्वार खोले तभी बेटी अपने जीवन के अपने सपने साकार कर सकेगी.

20+ Best Slogan On Nari Shakti In Hindi

  • हैं इनमें ताकत सारी फिर क्यों कहे अबला बेचारी

2. नर नारी का भेद मिटाएगे, समरसता का विश्व बसाएगे, इस नये सफर में समाज नारी के संग ही बढ़ पाएगा.

3. नारी को दे शिक्षा का सवेरा, तभी होगा उनका सारे जीवन में उजियारा

4. नारी के जीवन को न समझो बेकार असल में समाज का यही है आधार.

5. नारी शक्ति से ही बनेगा मजबूत समाज

6. जब होगा स्त्री का हर घर सम्मान, तभी बनेगा हमारा भारत महान.

7. एक दूसरे का सहयोग बनाए, नारियां समाज में आगे आ पाए.

8. नारी पूछे तुम्हे भगवान, क्यों है मौके की तलाश मुझे.

9. न थी कभी अबला नारी, सदियों तक रहेगा उनका यह संघर्ष जारी.

10. बेटियों को दो इतनी पहचान, बड़ी होकर बने देश की शान.

11. यदि भारत को करनी है तरक्की तो नारी शक्ति की पहचान है जरुरी.

12. रुढ़िवादी सोच को जड से मिटाओं, बेटी को पढाओं समाज को बढाओं.

13. महिलाओं को मिले शिक्षा का जन्मसिद्ध अधिकार

14. नारी अबला नहीं सबला है उनकी शक्ति से ही समाज का स्वावलम्बन हैं.

15. नारी शक्ति का मिले सहयोग, जिससे रोशन हो पूरा संसार

16. जन जन का यही है नारा, नारी शक्ति को है पढ़ाना

17. समाप्त हो बेटे बेटी का भेद, मत करों समाज की तुम प्रगति में छेद

18. यदि वतन के विकास के पथ बढ़ाना है तो नारी शक्ति को जगाना हैं.

19. सशक्त महिला की यही पहचान, मुश्किल से न होती परेशान.

20. “बेटियाँ हर किसी के नसीब में कहाँ होती है, भगवान् को जो घर पसंद आये बस वहां होती है।”

नारी पर नारे Mahila Sashaktikaran Slogans In Hindi

नारी स्त्री बेटी को हमारे देश में दैवी का स्वरूप मानकर उनकी पूजा की जाती हैं. आज नारी सशक्तिकरण का दौर हैं. मगर महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराध हमारे समाज के कतिपय लोगों के चरित्र को सामने लाने का कार्य कर रहे हैं.

आज महिला जागरूकता पर नारे स्लोगन कोट्स कविता आपके समक्ष पेश कर रहे हैं. आप इन्हें बेटी बचाओं बेटी पढ़ाओ कोट्स के रूप में भी पढ़ सकते हैं.

नारी का असली श्रृंगार, सादा जीवन उच्च विचार
जेवर नही बैंक का खाता, संचित धन को सफल बनाता
अगर रोकनी है बर्बादी, बंद करो खर्चीली शादी
नारी का सम्मान जहाँ, संस्कृति का उत्थान वहां
जागों शक्ति स्वरूपा नारी, तुम हो दिव्य क्रांति चिनगारी
सद्गुण है सच्ची सम्पति, दुर्गुण सबसे बड़ी विपत्ति
जो कुछ बच्चों को सिखलाते, उसे स्वयं कितने अपनाते?
गंदे चित्र लगाओं मत, नारी को लजाओं मत
हर नारी देवी कहलाएं, अबला क्यों? सबला कहलाएं
गंदे गाने गाओ मत, नारी को लजाओ मत
रहे जहाँ नारी सम्मान, बनता हैं वह देश महान
नारी के हैं रूप अनेक, ब्रह्मा, विष्णु, महेश
जाति वर्ण जंजाल है जहाँ है, समता नही बवाल वहां हैं
नारियों जागों- अपने को पहचानों
एक पिता की सब संतान, नर नारी एक समान
मानवता की यही पुकार, रोको नारी अत्याचार
गंदे फूहड़ चित्र हटाओं, माँ बहिनों की लाज बचाओं
कदम क्रांति के नही रुकेगे, बेटे बेटी नही बिकेगे
मातृत्व नारी के जीवन का सर्वोत्कृष्ट गौरव हैं.
नर और नारी का दर्जा समानता का हैं, उसमें छोटे बड़े का कोई भेदभाव नही हैं.
जैसी राष्ट्र की जननी नारी होगी, राष्ट्र भी उसी प्रकार का बनेगा.
प्यार और सहकार से भरा पूरा परिवार ही धरती का स्वर्ग होता हैं.

नारी सम्मान पर स्लोगन

1.“सशक्त नारी सुखी परिवार!”

2.“नारी का करना सम्मान तभी बनेगा देश महान!”

3.“मैं भी छू सकती आकाश मौके की है मुझे तलाश!”

4.“महिलाओं का जो करे अपमान, वह पुरुष है पशु समान!”

5.“बराबरी का साथ निभाएं, महिलाएं अब आगे आएं!”

6.“सशक्त नारी, सशक्त समाज!”

7.“हौसले से भरती है ऊंची उड़ान, ना शिकायत न कोई थकान!”

8.“नारी में है शक्ति सारी, ना समझो उसको बेचारी!”

9.“महिलाओं ने ठाना है, सशक्तीकरण अपनाना है!”

10.“नारी को शिक्षा, सम्मान; इससे होगा देश महान!”

नारी शिक्षा पर स्लोगन हिंदी में

1. देश को करनी है तरक्की तो नारी शिक्षा है जरुरी।

2. रुढ़िवादी काला धुँआ हटाओ, नारी को पढाओ।

3. नारी शिक्षित तो पूरा परिवार शिक्षित।

4. नारी को पढाना देश को आगे बढ़ाना है।

5. महिलाओं को दे शिक्षा का उजियारा, पढ़-लिख कर करें रोशन जग सारा।

6. नारी को भी मिले पढने का जन्मसिद्ध अधिकार।

7. पुरुषो के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलना है तो नारी को भी पढना है जरूरी।

8. नारी अबला नहीं, आलंबन है, पढ़ाई से उसका, स्वावलंबन है।

9. नारी को दो शिक्षा की मशाल, जिससे रोशन हो पूरा संसार।

10. आज एक नया काम ऐसा करो, नारी को दो शिक्षा का उपहार।

11. देश को आगे बढ़ाना है तो नारी का पढना लिखना है जरूरी।

12. जीवन का सहारा है नारी और नारी का सहारा पढाई।

13. हम सब का एक ही नारा, नारी को पढ़ाना है।

14. शिक्षा है जीवन का अमूल्य उपहार शिक्षित नारी ज्ञान का भंडार।

15. एक सोच ऐसी बनाओ कि नारी को पढाओ।

महिला दिवस पर स्लोगन

पुरुष अपने भाग्य को नियंत्रित नहीं कर सकते, लेकिन उसके जीवन में मौजूद औरत अपनी खूबियों से उसके लिए भाग्य का निर्माण कर सकती है. – कार्ल मार्क्स

मैं किसी समुदाय की प्रगति उस समुदाय में की गई महिलाओं की प्रगति से मापता हूं-  आंबेडकर

एक आदमी को पढ़ाओगे तो केवल एक व्यक्ति ही शिक्षित होगा, एक औरत को पढ़ाओगे तो पूरा परिवार शिक्षित होगा. महात्मा गांधी

‘एक रानी की तरह सोचे, एक रानी जिसे असफलता से कोई डर न हो, जिसके लिए असफलता सफलता की पहली सीढ़ी हो.’- ओपरा विन्फ्रे

यदि कहीं कठोर अत्याचार और दुर्व्यहार के बदले में भी स्नेह और प्रेम हो सकता है, तो वह स्त्रियों में हो सकता है. – शरतचन्द्र

नारी सशक्तिकरण पर स्लोगन व नारे – Slogans on Women Empowerment in Hindi

1. मैं भी छू सकती हूं आकाश, मौके की है मुझे तलाश.

2. अबला नहीं है बिलकुल नारी, संघर्ष रहेगें हमारा जारी.

3. जिमेदारी संग नारी भर रही है उड़ान, ना कोई शिकायत ना कोई थकान.

4. महिलाओं को दो इतना मान, की बड़े हमारे देश को शान.

5. नारी का करो सन्मान तभी बनेगा देश महान.

6. भेदभाव जुल्म मिटायेंगे, दुनिया नई बसायेंगे, नई है डगर, नई हैं सफ़र,

7. जब हैं नारी में शक्ति सारी, तो फिर क्यों नारी को कहे बेचारी.

8. अब हम नारी आगे ही बढ़ाते जायेंगे.

9. बराबरी का साथ निभाएं, महिलएं अब आगे आएं.

10. जीवन की कला को अपने हाथो से साकार कर, नारी ने संस्कृति का रूप निखारा हैं, नारी का अस्तित्व ही सुन्दर जीवन का आधार हैं. महिलाओं को दे शिक्षा का उजियारा, पढ़-लिख कर करें रोशन जग सारा.

One comment

Ladkiya bojh nahi hoti hai hai ladkiya. Agar ladki ko padhakar kuch banayenge to apke gaw me to apki izzat hogi hi aur uske sasural me bhi apki bahut izzat hogi

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राष्ट्र निर्माण में नारी का योगदान पर निबंध। Bhartiya Samaj me nari ka yogdan

राष्ट्र निर्माण में नारी का योगदान पर निबंध : हमारे देश में नारी को देवी, अबला, श्रद्धा और पूज्या जैसे नामों से सम्बोधित करने की परम्परा अत्यंत पुराने समय से चली आ रही है। नारी के लिए इस प्रकार के सम्बोधन का प्रयोग करके हमने उसे पूजा की वस्तु बना दिया या फिर उसे अबला कहकर संपत्ति बना दिया। उसका एक रूप और भी है जिसका स्मरण हम कभी- करते हैं और वह रूप है शक्ति का। यही वह रूप है जिसको हमारा पुरुषप्रधान समाज अपनी हीन मानसिकता के कारण उजागर नहीं करना चाहता।

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नारी शिक्षा पर निबंध – Essay on Nari Shiksha in Hindi

Essay on Nari Shiksha in Hindi : दोस्तों आज हम ने नारी शिक्षा पर निबंध लिखा है क्योंकि हमारे भारत देश में आज भी नारी शिक्षा पर अत्यधिक ध्यान नहीं दिया जाता है जिसके कारण हमारे समाज का एक तबका पिछड़ा हुआ रह जाता है. यह बहुत ही दुख की बात है कि 21वीं सदी के भारत में भी महिलाओं को शिक्षित करने के लिए बढ़ावा नहीं मिल रहा है.

हमें महिलाओं को शिक्षित करने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे तभी जाकर हमारे देश का सही मायनों में विकास हो पाएगा.

अक्सर कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, 11 और 12 के विद्यार्थियों को परीक्षाओं में Nari Shiksha पर निबंध लिखने को दिया जाता है इस निबल की सहायता से भी परीक्षाओं में अच्छा लेख लिख पाएंगे.

Essay on Nari Shiksha in Hindi

Get Some Essay on Nari Shiksha in Hindi for student under 200, 4oo and 1900 words.

Best Essay on Nari Shiksha in Hindi 200 Words

हमारे भारत देश शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़ा हुआ है इसके पीछे कई कारण हैं जैसे कि रूढ़िवादी विचारधारा गरीबी और लोगों की गलत सोच इसी के कारण आज हमारा देश विकासशील देशों की श्रेणी में आता है आज किसी सदी के भारत में शिक्षा के क्षेत्र में फिर भी सुधार हुआ है लेकिन नारी आज भी क्षेत्र में पिछड़ी हुई है.

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पुराने जमाने से ही हमारे देश में नारी की शिक्षा को अहमियत नहीं दी गई है जिसके कारण आज नारी को शिक्षा के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है. हमारे समूचे देश में पुरुषों और महिलाओं की संख्या लगभग बराबर है लेकिन जब शिक्षा क्षेत्र की बात आती है तो महिलाएं पिछड़ जाती है.

हमें नारी शिक्षा पर भी ध्यान देना होगा क्योंकि अगर महिलाएं पढ़ी लिखी होंगी तो वह अपने बच्चों को भी साक्षर बनाएंगी और समाज में फैली महिलाओं के प्रति कुरुतिया भी कम होगी. महिलाएं पढ़ी लिखी होंगी तो उनको अपने अधिकारों के बारे में पूरी जानकारी होगी.

पिछले कुछ वर्षों से सरकार ने भी नारी शिक्षा पर ध्यान दिया है और इसको लेकर कई योजनाएं भी चलाई है जिनसे कई महिलाओं को शिक्षा प्राप्त हुई है. नारी शिक्षा को बढ़ावा देने के कारण ही आज की नारी पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही है.

Essay on Woman Education in Hindi 500 Words

रूपरेखा –

किसी भी देश के विकास में महिलाओं और पुरुषों का बराबर का स्थान होता है उसी प्रकार महिलाओं को भी पुरुषों के बराबर अधिकार दिए जाने चाहिए तभी उस देश का आर्थिक और सामाजिक विकास हो पाएगा. कई वर्षों तक हमारा भारत देश विदेशी ताकतों का गुलाम रहा है जिसके कारण नारी शिक्षा को बढ़ावा नहीं मिल पाया है.

इसी कारण हमारा भारत देश आज भी पिछड़ा हुआ है हमारे देश में महिलाओं को पुरुषों के बराबर अधिकार नहीं मिलने और अन्य सामाजिक कुरूतियो के कारण नारी शिक्षा को बढ़ावा नहीं मिल पाया है. हमें किसी सदी के भारत में महिलाओं को शिक्षा देने का पूरा प्रयास करना चाहिए.

नारी शिक्षा का महत्व –

(1) वर्तमान में नारी शिक्षा का बहुत अधिक महत्व है. जिस प्रकार जीवन जीने के लिए किसी व्यक्ति को ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है उसी प्रकार किसी देश को अगर विकसित होना है तो सबसे पहले वहां की महिलाओं का शिक्षित होना बहुत जरूरी है.

(2) नारी शिक्षा के महत्व को हमने नीचे महत्वपूर्ण बिंदुओं की सहायता से समझाया है जो कि निम्नलिखित है –

(3) अगर महिलाएं शिक्षित होगी तो वे अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होंगे जिसके कारण वे समाज में क्षेत्र में आगे होंगी.

(4) महिलाओं के शिक्षित होने के कारण कोई उनके साथ दुर्व्यवहार नहीं कर पाएगा.

(5) नारी अगर शिक्षित होगी तो समाज में व्याप्त लोगों की रूढ़िवादी विचारधारा समाप्त होगी साथ ही लोगों की सोच में बदलाव आएगा.

(6) नारी के शिक्षित होने के कारण उनका कोई शोषण नहीं कर पाएगा.

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(7) नारी अगर पढ़ी लिखी होगी तो वह निर्भीक होकर अपना जीवन यापन कर सकती है.

(8) महिलाएं पढ़ी लिखी होंगी तो समाज का सामाजिक स्तर सुधरेगा क्योंकि एक बच्चे की पहली गुरु नारी ही होती है अगर वहीं से बच्चों को अच्छा ज्ञान प्राप्त हुआ तो हमारे समाज का सामाजिक स्तर स्वत: अच्छा हो जाएगा.

(9) नारी शिक्षित होगी तो दहेज प्रथा, बाल विवाह जैसी सामाजिक कुरीतियों का अंत हो जाएगा.

(10) नारी पढ़ी लिखी होगी तो वह हर क्षेत्र में पुरुषों के बराबर काम कर पाएगी जिसे देश का आर्थिक विकास होगा साथ ही परिवार का रहन सहन भी अच्छा होगा.

(11) नारी के पढ़े-लिखे होने के कारण व अपना भविष्य खुद बना पाएगी और उसे किसी और के भरोसे जीवन यापन नहीं करना होगा.

(12) अगर हमारे देश की महिलाएं पढ़ी लिखी होंगी तो हमारा देश जल्दी विकासशील देशों की श्रेणी से निकलकर विकसित देशों की श्रेणी में शामिल हो जाएगा.

निष्कर्ष –

हमारे देश में नारी शिक्षा की बहुत कमी है अगर हमारे समाज और सरकार द्वारा प्रयास किया जाए तो हमारे देश की सभी महिलाएं पढ़ी लिखी होंगी. जिससे देश का विकास दुगनी तेजी से होगा. हमें हमारी समाज के लोगों को नारी शिक्षा के प्रति जागरूक करके अपना सहयोग देना चाहिए.

अगर महिलाएं पढ़ी लिखी होगी तो संपूर्ण समाज पढ़ा लिखा होगा जिससे लोगों भ्रष्ट मानसिकता में सुधार आएगा और महिलाएं अपना जीवन शोषण मुक्त और सशक्त होकर जी पाएंगी.

हमारी राज्य और केंद्र सरकार द्वारा तो महिलाओं को बढ़ाने का प्रयास किया ही जा रहा है लेकिन जब तक हम जागरुक नहीं होंगे तब तक महिलाओं को पढ़ने लिखने का संपूर्ण अधिकार नहीं मिल पाएगा.

Essay on Nari Shiksha in Hindi 1900 words

प्रस्तावना –

किसी भी राष्ट्र के निर्माण में शिक्षा का बहुत बड़ा महत्व होता है जिस देश के लोग शिक्षित नहीं होते है वहां पर आर्थिक और सामाजिक विकास की कल्पना नहीं की जा सकती है. हमारे देश में भी शिक्षा की कमी है हमारे भारत देश के पुरुष प्रधान देश होने के कारण ज्यादा मात्रा में पुरुष पड़े हुए हैं लेकिन महिलाओं को शिक्षा का अधिकार नहीं मिलने के कारण आज शिक्षा के क्षेत्र में महिलाएं पिछड़ी हुई है.

हमारे देश में महिलाओं को देवी के रूप में पूजा जाता है लेकिन जब बात शिक्षा की आती है तो रूढ़िवादी विचारों पारंपरिक परंपराएं बीच में आ जाती है यह बहुत ही विडंबना का विषय है कि जिस देश में पौराणिक में महिलाओं का सम्मान किया जाता था.

आज उसी देश में महिलाओं को अपने अधिकारों के लिए लड़ना पड़ रहा है. नारी की शिक्षा के महत्व को विकसित देशों ने पहले ही पहचान लिया था इसलिए उन्होंने सभी को चाहे वो पुरुष हो या फिर नारी सबको समान शिक्षा का अधिकार दिया इसी कारण उन देशों ने दुगनी तेजी से तरक्की की और आज भी विकसित देशों की श्रेणी में आते है.

हमें भी नारी शिक्षा को बढ़ावा देना होगा वैसे तो सरकार द्वारा कई प्रयास किए जा रहे हैं और कहीं ना कहीं यह प्रयास सफल भी हो रहे हैं जिसके कारण आज नारी पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही है.

नारी शिक्षा के लाभ –

नारी शिक्षा का हमारे देश में बहुत अधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि अगर एक महिला पढ़ी लिखी होगी तो वह दो परिवारों को बढ़ा सकती है और अच्छे संस्कार दे सकती है. अपने बच्चों की प्रथम गुरु भी एक महिला की होती है इसलिए अगर एक महिला पढ़ी लिखी होगी तो वह अपने बच्चों को सही शिक्षा दे पाएगी.

नारी शिक्षा के लाभ को हमने बिंदुबध तरीके से नीचे लिखा है –

(1) महिलाओं का जागरूक होना – अगर एक महिला पढ़ी लिखी होगी तो वह अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होगी जिसके कारण उनसे कोई धोखा या छल कपट नहीं कर पाएगा और इसके कारण भी हर क्षेत्र में अपने कदम + पाएगी और एक नए भारत के निर्माण में सहयोग कर पाएगी.

(2) कन्या भ्रूण हत्या में कमी आना – कन्या भ्रूण हत्या के मामले ज्यादातर महिलाओं की अशिक्षित होने के कारण भी होते हैं क्योंकि उन्हें परंपराओं और रूढ़िवादी विचारधाराओ की बातों में उलझा कर उनके परिवार वाले उन्हें कन्या भ्रूण हत्या के लिए मना लेते है. लेकिन जब महिला पढ़ी लिखी होगी तो उसे पता होगा बेटा हो या फिर बेटी दोनों समान होते है इसलिए वे कन्या भ्रूण हत्या का विरोध करेगी और कन्या भूण हत्या में गिरावट आएगी.

(3) लैंगिग भेदभाव में कमी आना – हमारे देश में आज भी लैंगिकता के आधार पर भेदभाव किया जाता है यह सामान्य तौर पर गांव में ज्यादा देखने को मिलता है क्योंकि वहां पर महिलाएं पढ़ी लिखी नहीं होती है इसलिए भी अपने अधिकारों के लिए सचेत नहीं होती हैं अगर वे शिक्षित होगी अपने अधिकारों के प्रति लड़ पाएंगे और लैंगिक भेदभाव जैसी समस्या को जड़ से उखाड़ फेकेंगी.

(4) दहेज प्रथा में कमी आना – वर्तमान में दहेज प्रथा को बढ़ावा इसलिए मिल रहा है क्योंकि ज्यादातर लड़कियां पढ़ी लिखी नहीं होती है और कुछ लड़कियां कम पढ़ी लिखी होती है तो उन्हें अपने भविष्य की फिक्र रहती है कि वे बढ़ती महंगाई में अपना जीवन यापन कैसे कर पाएंगी.

इसलिए उनके माता पिता दहेज देकर उनका विवाह करते है. अगर लड़कियां पढ़ी लिखी होंगी तो उन्हें दहेज प्रथा जैसी किसी भी प्रथा का सामना नहीं करना पड़ेगा और भी अपना जीवन निर्भीक होकर अपने चुने हुए साथी के साथ सहजता से जी पाएंगी.

(5) रूढ़िवादी विचारधाराओं से छुटकारा – हमारे भारत में पुरुष प्रधान देश होने के कारण महिलाओं को रूढ़िवादी विचारधारा का हवाला देकर शिक्षित नहीं किया जाता है उन्हें कहा जाता है कि मैं ज्यादा पढ़ लिख कर या फिर शिक्षित होकर क्या करेंगे उन्हें आगे जाकर भोजन ही तो बनाना है इसलिए ज्यादातर लोग उनकी शिक्षा पर ध्यान नहीं देते है.

अगर महिला पढ़ी लिखी होगी तो वह अपनी बेटियों को भी पढ़ाएंगे जिसके कारण रूढ़िवादी विचारधारा का अंत हो जाएगा.

(6) हर क्षेत्र में कार्य करने का अवसर प्राप्त होना – वर्तमान में महिलाओं को अच्छी शिक्षा मिलने के कारण आप देख पा रहे होंगे कि हर क्षेत्र में महिलाएं पुरुषों से भी आगे निकल गई है यह सिर्फ शिक्षा के कारण ही हो पाया है अगर भी शिक्षित नहीं होती तो शायद आज महिलाएं इतनी तरक्की नहीं कर पाती.

(7) संपूर्ण परिवार शिक्षित होगा – हमारे देश में ज्यादातर महिलाएं ही अपने बच्चों का पालन पोषण करती है और ज्यादा समय उनके साथ रहती हैं इसलिए अगर महिलाएं शिक्षित होगी तो वे अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दे पाएंगी जिससे आगे आने वाली पूरी पीढ़ी शिक्षित होगी.

(8) देश के सामाजिक स्तर में सुधार – महिलाएं अगर शिक्षित होगी तो वे अपने बच्चों को भी शिक्षित करेंगे और साथ ही उन्हें अच्छे और बुरे के बारे में बता पाएंगी. आपने देखा होगा कि अशिक्षित महिलाओं के बच्चे या तो भीख मांगते हैं या फिर मजदूरी करते है जिसके कारण उनका पूरा जीवन गरीबी में बीता है कभी-कभी तो वे गरीबी से तंग आकर चोरी-चकारी करने लग जाते है. और अगर वही महिलाएं शिक्षित होगी तो सामाजिक स्तर में सुधार आएगा.

(9) देश के आर्थिक स्तर में सुधार – वर्तमान में भी पुरुषों की तुलना में महिलाएं कम पढ़ी लिखी है लेकिन जब महिलाओं को पढ़ने का पूर्ण अधिकार दिया जाएगा तो वे भी पुरुषों की तरह हर क्षेत्र में काम करेंगे जिससे बेबी कुछ आमद नहीं कर पाएंगे और अधिक बचत होगी और इसी से देश की आर्थिक स्थिति में सुधार आना प्रारंभ हो जाएगा.

अशिक्षित नारी के दुष्परिणाम –

(1) महिलाओं का शोषण होना – अगर महिलाएं पढ़ी-लिखी नहीं होंगी तो उनका हर क्षेत्र में शोषण किया जाएगा उन्हें हर जगह पर नीचा दिखाने की कोशिश की जाएगी साथ ही उनके साथ कुछ लोग क्रूरुर व्यवहार भी करेंगे इसलिए वर्तमान में महिलाओं का शिक्षित होना बहुत जरूरी है.

(2) रूढ़ीवादी विचारधाराओं का हावी होना – नारी अगर शिक्षित नहीं होगी तो पुराने ख्यालों के लोग अपने विचार धाराएं उन पर थोपेंगे. जिससे नारी का विकास कभी भी नहीं हो पाएगा और हमारे समाज में हमेशा पुरुषों का प्रभुत्व कायम रहेगा.

(3) लैंगिग भेदभाव बढना – नारी पढ़ी-लिखी नहीं होगी तो लैंगिक भेदभाव का बढ़ना तय है क्योंकि कुछ लालची लोग महिलाओं को हमेशा नीचा दिखाने की कोशिश करते है और कुछ लोग अपने घर में केवल बेटा ही चाहते है शिक्षित नारी को बहलाना फुसलाना आसान होता है जिसके कारण वह भी उनकी बातों में आकर अनजाने में लैंगिग भेदभाव को बढ़ावा देगी.

(4) सामाजिक स्तर गिरना – एक अच्छे समाज की कल्पना तभी की जा सकती है जब वहां की महिलाएं शिक्षित हो क्योंकि अगर वे शिक्षित नहीं होंगी तो उनके बच्चे भी शिक्षित नहीं हो पाएंगे और भी गलत विचारधाराओं को अपना लेंगे जिससे समाज का सामाजिक स्तर नीचे गिर जाएगा.

(5) देश के आर्थिक विकास में रुकावट – हमारे देश की लगभग आधी जनसंख्या महिलाएं ही है और अगर भी शिक्षक नहीं होंगी तो कुछ काम नहीं कर पाएंगी जिसके कारण देश की आधी आबादी सिर्फ खाने का काम करेगी जिसे देश में पैसों की कम बचत हो पाएगी और देश का विकास धीमा पड़ जाएगा.

नारी शिक्षा को बढ़ावा देने के उपाय –

(1) अपने घर से शुरुआत करना – नारी शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए हमें आज जरूरत है कि हम अपने ही घर से शुरुआत करें. जब लोग अपने घरों में महिलाओं को बनाने की शुरुआत कर देंगे तो हमें किसी भी योजना या जागरूकता करने की जरूरत नहीं पड़ेगी.

(2) नारी शिक्षा के प्रति जागरूकता फैलाना – आज भी हमारे समाज में महिलाओं और बेटियों को पढ़ाना फालतू का खर्चा माना जाता है जिसके कारण बेटियां पढ़ नहीं पाती है और भविष्य में कुछ नहीं कर पाती है इसलिए हमें लोगों को जागरूक करना होगा कि एक नारी शिक्षित होकर कुछ भी कर सकती है

उन्हें कल्पना चावला, सीता साहू, चंदा कोचर, शांति तिग्गा, आशा रॉय, दुर्गा शक्ति नागपाल,पीवी सिंधु, साइना नेहवाल, सानिया मिर्जा जैसी महिलाओं के उदाहरण देने होंगे जिन्होंने हमारे देश का नाम रोशन किया है.

(3) सरकार द्वारा प्रयास करना – वर्तमान में सरकार द्वारा प्रयास तो काफी किए जा रहे हैं लेकिन जमीनी स्तर पर उनको सही से लागू नहीं किया जा सका है जिसके कारण आज भी महिलाएं शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़ी हुई है हमारी सरकार को और ज्यादा अच्छी योजनाएं ला कर उन्हें सही प्रकार से अमल में लाकर महिला शिक्षा को बढ़ावा देना चाहिए.

नारी शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा चलाई गई योजनाएं – इंदिरा महिला योजना, राष्ट्रीय महिला कोष, सर्व शिक्षा अभियान, रोज़गार तथा आमदनी हेतु प्रशिक्षण केंद्र, महिला समृधि योजना, बालिका समृधि योजना इत्यादी है.

उपसंहार –

अगर हमारे भारत देश को आगे बढ़ना है तो हमारे देश के प्रत्येक नागरिक को शिक्षित होना होगा इनमें हमें महिलाओं को भी शामिल करना होगा क्योंकि वह भी हमारे देश किसी सदस्य के रूप में है आती हैं और उनके बिना देश का विकास होना संभव नहीं है.

21वीं सदी के भारत में पढ़ी लिखी महिलाओं ने अपने अपने क्षेत्र में हमारे देश का नाम रोशन किया है यह बात बताती है कि अगर सभी महिलाएं शिक्षित होगी तो आने वाले वर्षों में भारत सभी देशों में नई पहचान बना लेगा. हमें महिलाओं की शक्ति को कम नहीं आंकना चाहिए.

अगर उन्हें सही अवसर दिया जाए तो वे पुरुषों से भी अधिक कार्य कर सकती हैं इसलिए नारी शिक्षा को बढ़ावा देना बहुत जरूरी है.

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हम आशा करते है कि हमारे द्वारा Essay on Nari Shiksha in Hindi  पर लिखा गया निबंध आपको पसंद आया होगा। अगर यह लेख आपको पसंद आया है तो अपने दोस्तों और परिवार वालों के साथ शेयर करना ना भूले। इसके बारे में अगर आपका कोई सवाल या सुझाव हो तो हमें कमेंट करके जरूर बताएं।

7 thoughts on “नारी शिक्षा पर निबंध – Essay on Nari Shiksha in Hindi”

Very very very nice Very nice 👌

i love you my life

kanhaiya moriya nice think, keep visiting hindiyatra Thank you.

Nice Very nice Very very nice Very very very nice

Thank you Priyangshu kar for appreciation.

Ap apne topic se related essay Ko heading wise +quatation+great leader words Ko add kre aur prastut kre

Bhupendra ji aap ke sujhav par jald hi kaam kiya jayega Dhanyawad.

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महिला सशक्तिकरण पर नारे व अनमोल कथन Women Empowerment Slogans Quotes in Hindi

महिला सशक्तिकरण पर नारा व विचार Women Empowerment Slogans & Quotes in Hindi

इस लेख में हमने महान व्यक्तियों द्वारा कहे गए महिला सशक्तिकरण पर नारा व विचार Women Empowerment Slogans & Quotes in Hindi बताया है।

जैसा कि हम महिलाओं की ताकत, लचीलेपन और उपलब्धियों का जश्न मनाते हैं, परिवर्तन को प्रेरित करने और एकता की भावना को बढ़ावा देने में शब्दों की शक्ति को पहचानना महत्वपूर्ण है।

चाहे आप अपनी यात्रा के लिए प्रेरणा तलाश रहे हों या महिलाओं के अधिकारों (Women Rights) के बारे में जागरूकता फैलाना चाह रहे हों, यह नारा और विचार जीवन के सभी क्षेत्रों में महिलाओं को प्रेरित करने, उत्थान करने और सशक्त बनाने के लिए एक शक्तिशाली उपकरण के रूप में काम करेगा।

Table of Content

महिला सशक्तिकरण पर विचार व उद्धरण Women Empowerment Quotes in Hindi

1. Woman is the companion of man, gifted with equal mental capacity. – Mahatma Gandhi स्त्री पुरुष की सहचरी है, समान मानसिक क्षमता से संपन्न है। – महात्मा गांधी

5. A lot of people are afraid to say what they want. That’s why they don’t get what they want. – Madonna बहुत से लोग अपनी बात कहने से डरते हैं। इसीलिए उन्हें वह नहीं मिलता जो वे चाहते हैं। – मैडोना – महिला सशक्तिकरण पर अनमोल कथन

9. Women are the real architects of society. – Harriet Beecher Stowe महिलायें इस समाज की असल व्यस्तकार हैं। – हैरियट बीचर स्टोव

13. The thing women have yet to learn is nobody gives you power. You just take it. -Roseanne Barr महिलाओं को अभी भी यह सीखना बाकी है कि कोई भी आपको शक्ति नहीं देता है। तुम बस इसे ले लो. – रोज़ीन बर्र

17. We do not need magic to transform our world. We carry all of the power we need inside ourselves already. – J.K. Rowling हमें अपनी दुनिया को बदलने के लिए जादू की ज़रूरत नहीं है। पहले से ही वह सारी शक्ति हमारे अंदर मौजूद है जिसकी हमें आवश्यकता है। – जे.के. राउलिंग

अब आईए जानते हैं बेस्ट महिला सशक्तिकरण पर नारे Women Empowerment Slogans in Hindi हिन्दी में।

महिला सशक्तिकरण पर नारा Best Women Empowerment Slogans in Hindi

5. अगर एक आदमी को शिक्षित किया जाता है तो एक आदमी ही शिक्षित होता है ! लेकिन जब एक औरत को शिक्षित किया जाता है तब एक पीढ़ी शिक्षित होती है।

10. माँ चाहिए ! पत्नी चाहिए ! बहन चाहिए – फिर बेटी क्यों नहीं चाहिए।

15. एक शिक्षित और गुणवत्ता पुरुष हमेशा नारी जाती का सम्मान सामान रूप से करता है।

20. नारी माँ है, बेटी है, बहन है ! सब कुछ है।

साथ मिलकर, हम एक ऐसे भविष्य का निर्माण कर सकते हैं जहां हर महिला अपने सपनों को पूरा करने, बाधाओं को दूर करने और दुनिया पर स्थायी प्रभाव डालने में सशक्त महसूस करेगी।

nari sashaktikaran essay in sanskrit

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Nari Sashaktikaran “नारी सशक्तिकरण” Hindi Essay 500 Words, Best Essay, Paragraph, Anuched for Class 8, 9, 10, 12 Students.

नारी सशक्तिकरण, nari sashaktikaran.

 नारी सशक्तिकरण से अभिप्राय है नारी को शक्तिशाली बनाना। इसमें एक अर्थ तो यही छिपा हुआ है कि नारी कभी अबला थी ही नहीं। वह शक्तिशाली थी। इसलिए तो कहा गया है कि सशक्त नारी को और अधिक शक्तिशाली बनाना होगा। तभी देश प्रगति के पथ पर निरन्तर तेज गति से आगे बढ़ेगा।

नारी शक्तिशाली होगी तो देश शक्तिशाली होगा। नारी को केवल घर तक सीमित नहीं रखना है उसे उन सबमें पारंगत बनाना है, जिनमें पुरुष है। यह काम हो भी रहा है। देश के पत्येक कर्मक्षेत्र में आज नारी पुरुषों के बराबर काम कर रही है। कहीं-कहीं तो उसने पुरुषों को भी मात दे दी है।

आज की नारी शिक्षित हो रही है। इसी आधार पर वह देश के महत्त्वपूर्ण सेवाक्षेत्रों में अपनी सेवाएं प्रदान कर रही है। ग्या अस्पताल, क्या शैक्षणिक संस्थाएँ, क्या पुलिस क्षेत्र, क्या क्रीडा क्षेत्र, क्या मनोरंजन क्षेत्र, क्या इंजीनियरिंग क्षेत्र क्या अंतरिक्ष क्षेत्र. क्या पर्वतारोहण. कहने का अर्थ है ऐसा कोई भी क्षेत्र नहीं है जहाँ नारी ने अपनी शक्ति का परचम नहीं फहराया है। डॉ रामकमार वर्मा ने नारी की शक्ति को पहचानकर ही लिखा था, “यदि नारी वर्तमान के साथ भविष्य को भी अपने द्वार लो तो वह अपनी शक्ति से बिजली की तड़प को भी लज्जित कर सकती है।”

वर्तमान सरकारें भी नारी को शक्तिशाली बनाने में जुटी हैं। इससे परिवारों की आर्थिक स्थिति भी सुधरी है और उनका समाज में मान भी बढा है। सरकारें भी अब अच्छी तरह समझ गई हैं कि नारी सशक्तिकरण से देश बहुमुखी उन्नति कर सकता है।

वस्तुत: नारी अबला नहीं है, सबला है। उसमें शक्ति है। वह शक्तिशालिनी है। महर्षि वेदव्यास ने तो सेवा को ही स्त्री का बल माना है। महाकवि जयशंकर प्रसाद ने कहा है, ‘नारी माया ममता का बल’ वह शक्तिमयी छाया शीतल। आचार्य हज़ारी प्रसाद द्विवेदी ने नारी की शक्ति को इस प्रकार परिचित कराया है, “जहाँ कहीं दु:ख सुख की लाख-लाख धाराओं में अपने को दलित द्राक्षा के समान निचोड़कर दूसरे को तृप्त करने की भावना प्रबल है, वही नारी तत्त्व है या शास्त्रीय भाषा में कहें तो शक्ति तत्त्व है। गुरुदेव रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने नारी की शक्ति को पहचाना है। उन्होंने कहा है, “तुम विश्व की पालनी, शक्ति की धारिका हो, शक्तिमय माधुरी के रूप में’ इसलिए नारी सबला है ईरान के शहंशाह ने नारी की शक्ति को यों अभिव्यक्त किया है

सात सलाम उस नारी को जो माँ है युवराज की

वादशाह उससे डरते हैं क्योंकि सत्ता उसकी गोद की।

इस प्रकार नारी को अबला कहना उचित नहीं है। वह तो शक्ति है। इसी शक्ति को हमने आज की परिस्थिति के अनुकूल बनाना है। उसे उन सब अधिकारों को दिलाना है जो पुरुषों को प्राप्त है इसलिए उसकी किसी भी क्षेत्र में उपेक्षा नहीं करनी है।

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