ऊर्जा के पारंपरिक तथा गैर पारंपरिक स्रोत भाग 1 _0.1

ऊर्जा के पारंपरिक तथा गैर पारंपरिक स्रोत भाग 1 

ऊर्जा के पारंपरिक स्रोत सीमित समय अवधि के लिए उपलब्ध ऊर्जा के प्राकृतिक स्रोत हैं। 

Conventional and Non Conventional Sources of Energy

Table of Contents

ऊर्जा के पारंपरिक तथा गैर पारंपरिक स्रोत  

ऊर्जा के विभिन्न स्रोतों को मुख्य रूप से दो स्रोतों में वर्गीकृत किया जाता है:

  • ऊर्जा के पारंपरिक स्रोत

ऊर्जा के गैर-पारंपरिक स्रोत

ऊर्जा के पारंपरिक तथा गैर पारंपरिक स्रोत भाग 1 _3.1

ऊर्जा के पारंपरिक स्रोत  

  • ऊर्जा के पारंपरिक स्रोत सीमित समय अवधि के लिए उपलब्ध ऊर्जा के प्राकृतिक स्रोत हैं।
  • ये स्रोत ऊर्जा के अ-नवीकरणीय स्रोत हैं एवं समय के साथ समाप्त होते जाते हैं।
  • वे आमतौर पर क्षयमान सामग्री से प्राप्त होते हैं जो लाखों वर्ष पूर्व निर्मित हुए थे।
  • ऊर्जा के पारंपरिक स्रोतों के उदाहरण: कोयला, प्राकृतिक गैस, पेट्रोलियम इत्यादि।
  • पारंपरिक स्रोतों ने अत्यधिक पर्यावरणीय क्षति पहुंचाई है तथा वैश्विक तापन में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

ऊर्जा के विभिन्न प्रकार के पारंपरिक स्रोत

  • कोयला पारंपरिक ऊर्जा के सर्वाधिक महत्वपूर्ण स्रोतों में से एक है।
  • कोयला भारत में  सर्वाधिक प्रचुर मात्रा में पाया जाने वाला जीवाश्म ईंधन है तथा यह कई वर्षों से भारत की ऊर्जा आपूर्ति का मुख्य स्रोत रहा है।
  • औद्योगीकरण के आगमन के पश्चात से कोयला ऊर्जा का सर्वाधिक आम स्रोत रहा है।
  • भारत में लगभग 150000 मिलियन टन कोयले का भंडार है। जिनमें से निक्षेप मुख्य रूप से ओडिशा, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश एवं पश्चिम बंगाल राज्यों में हैं।
  • भारत  विश्व का चौथा सर्वाधिक वृहद कोयला उत्पादक देश है।

प्राकृतिक गैस

  • यह भारत में ऊर्जा का एक महत्वपूर्ण स्रोत है।
  • प्राकृतिक गैस में लगभग 95% मीथेन एवं शेष ईथेन  तथा प्रोपेन होते हैं।
  • यह भूपर्पटी के नीचे या तो अकेले अथवा पेट्रोलियम निक्षेप के ऊपर तेल के साथ पाया जाता है।
  • यह त्रिपुरा, जैसलमेर, बॉम्बे हाई के अपतटीय क्षेत्रों एवं कृष्णा-गोदावरी डेल्टा में उपलब्ध है।
  • इसका उपयोग घरेलू तथा औद्योगिक ईंधन दोनों के रूप में किया जाता है।

पेट्रोलियम उत्पाद

  • इसका उपयोग ऑटोमोबाइल, ट्रेनों, विमानों एवं जलयानों तथा अन्य परिवहन वाहनों में किया जाता है।
  • भारत में प्रमुख तेल उत्पादक राज्य मुंबई, असम तथा गुजरात हैं।
  • गुजरात में अंकलेश्वर कथा कलोल
  • असम में लकवा तथा रुद्रसागर; एवं
  • बॉम्बे हाई (अपतटीय क्षेत्र/ऑफ-शोर एरिया)।

ऊर्जा के पारंपरिक तथा गैर पारंपरिक स्रोत भाग 1 _4.1

  • ऊर्जा के वे स्रोत जो प्रकृति में निरंतर उत्पादित हो रहे हैं एवं अक्षय हैं, ऊर्जा के नवीकरणीय ( अथवा) गैर-पारंपरिक ऊर्जा स्रोत कहलाते हैं।
  • ऊर्जा के ये स्रोत पर्यावरण प्रदूषण का कारण नहीं बनते हैं एवं इसलिए, ऊर्जा के पर्यावरण के अनुकूल स्रोत हैं।
  • ऊर्जा के गैर-पारंपरिक स्रोतों के उदाहरण: ज्वारीय ऊर्जा, पवन ऊर्जा, जल ऊर्जा, सौर ऊर्जा तथा भूतापीय ऊर्जा।

आगामी लेख में हम ऊर्जा के विभिन्न प्रकार के गैर-पारंपरिक स्रोतों पर चर्चा करेंगे।

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गैर पारंपरिक ऊर्जा स्रोत क्या हैं? उदाहरण

conventional energy essay in hindi

By अनुश्री कनोडिया

गैर पारंपरिक ऊर्जा स्त्रोत non conventional sources of energy in hindi

ऊर्जा हमारी दिनचर्या तथा जीवन का एक अत्यावश्यक अंश बन गया है। आज के दौर में ऊर्जा बिना जीना संभव नहीं। विद्युत उपकरणों से लेकर औद्योगिक यंत्र, सब कुछ बिजली से ही चलते हैं।

यहाँ तक की किसी देश के आर्थिक विकास को भी उसकी ऊर्जा की खपत द्वारा ही नापा जाता है। जितना अधिक प्रति व्यक्ति ऊर्जा का सेवन, उतना ही विकसित वह देश।

वर्तमान में, भारत की ऊर्जा का सेवन अन्य देशों से बहुत कम है।

ऊर्जा के स्रोत दो प्रकार के हो सकते हैं – 1) पारंपरिक ऊर्जा स्रोत (Conventional sources of energy) 2) गैर पारंपरिक ऊर्जा स्रोत (Non conventional sources of energy)

विषय-सूचि

गैर पारंपरिक ऊर्जा स्रोत क्या हैं? (Non conventional sources of energy in hindi)

गैर पारंपरिक स्रोत वे हैं, जो हाल ही में प्रयोग में आए हैं। इन स्रोतों को प्रयोग करने का उपाय तथा तकनीक, पहले दोनों ही नहीं थे।

इन स्त्रोतों की विशेषताएं निम्न हैं:

  • ये पृथ्वी पर असीमित मात्रा में हैं।
  • ये स्रोत कभी लुप्त नहीं होंगे। यदि थोड़ी चेष्टा हो और इनका ध्यान रखा जा सके, तो ये सदा हमे ऊर्जा प्रदान करते रहेंगे।
  • इस प्राकर के ऊर्जा स्रोत अक्षय ( रिन्यूएबल ) होते हैं।
  • क्योंकि ये प्रदूषण हीन हैं, इन्हें पर्यावरण हितेषी ( ईको फ्रेंडली ) भी कहा जाता है। यदि प्रदूषण हो भी, तो वह इतना कम होता है कि उसे नियंत्रण में रखा जा सके।
  • इनका प्रयोग अधिकतर बिजली के उत्पादन के लिए किया जाता है। इनसे विश्व के उन कोनों तक भी बिजली पहुँचाई जा सकती है जहाँ तार बिछाना कठिन है।
  • पारंपरिक स्रोतों की तुलना में ये सस्ते संसाधन हैं।
  • इसके कुछ उदाहरण हैं – सौर ऊर्जा, वायु ऊर्जा, ज्वारीय ( tidal ) ऊर्जा, भूतापीय ऊर्जा, बायो मास आदि।

गैर पारंपरिक ऊर्जा स्रोत के उदाहरण (list of Non conventional sources of energy in hindi)

सौर ऊर्जा (solar energy in hindi).

सूर्य की किरणों में ऊर्जा ( बिजली ) बनाने की क्षमता है। फोटोवोल्टिक सेल का प्रयोग कर इन किरणों की ऊर्जा को सीधा बिजली में परिवर्तित किया जा सकता है।

इसे लगाने की प्रारंभिक लागत थोड़ी अधिक है, परंतु उसके बाद, बहुत कम खर्च है। यह एक अत्यंत कुशल तरीका है जिसमे बिजली पैदा होने के पश्चात कोई अवशेष नहीं बचता।

हालाँकि रात में सूरज की रौशनी न होने के कारण ऊर्जा का संचार रुक जाता है। और ऋतुओं के भी कारण अपेक्षित तीव्रता में कमी हो सकती है।

वायु ऊर्जा (Wind energy in hindi)

वायु ऊर्जा विंडमिल का प्रयोग कर प्राप्त की जाती है। वायु के वेग से विंडमिल के पंखे घूमते हैं, जिससे टरबाइन घूमता है और फिर बिजली पैदा होती है।

इस बिजली का प्रयोग सिंचाई तथा ग्रामीण क्षेत्रों में पानी पहुँचाने जैसे कार्यों के लिए किया जाता है। विंड फार्म पुरी, सौराष्ट्र, पश्चिमी राजस्थान आदि जगहों पर लगाए जाते हैं, जहाँ प्रचुर वायु प्रवाह है।

कुछ असुविधाएँ – विंड फार्म बनाने के लिए बड़े क्षेत्रों की आवश्यता होती है। विंडमिल से बहुत भी शोर भी होता है। और, हवा की गति में उतार चढ़ाव के कारण इसकी उपलब्धता निश्चित नहीं है।

ज्वारीय ऊर्जा (Tidal energy in hindi)

सूरज तथा चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण बल के कारण समुद्रों तथा महासागरों में ज्वारें ( tides ) उठती है। इन ज्वारों की स्थितिज और गतिज ( potential and kinetic ) ऊर्जा को भी बिजली बनाने में प्रयोग किया जा सकता है।

भारत के कुछ क्षेत्रों में इसकी संभावना है, परंतु तट पर प्रयोग होने वाले यंत्र महँगे होने के कारण अभी यह प्रचलन में नहीं है।

भूतापीय ऊर्जा (Geothermal energy in hindi)

धरती के भीतर की ऊष्मा (heat) को ऊर्जा में बदला जा सकता है। यह ऊष्मा पानी के गर्म झरनों के रूप में बाहर आती है।

भारत में इस स्रोत की गुंजाइश बहुत कम है।

बायो मास (Biomass in hindi)

जानवरों तथा पेड़ पौधों के बचे हुए कचरे और अंशों से ऊर्जा बनाई जा सकती है। इसे बायो मास कहते है। इस कचरे से गैस बनाई जाती है, जिसे खाना पकाने के लिए प्रयोग कर सकते है।

गैस बनने के बाद जो बच जाता है, वह बहुत ही अच्छी खाद होती है। इसका खेतों में प्रयोग कर उपज बढ़ाई जा सकती है।

निष्कर्ष

पारंपरिक ऊर्जा स्रोत सीमित मात्रा में हैं और जल्द की ख़त्म हो जाएँगे। उनके कारण प्रदूषण भी बढ़ रहा है। गैर पारंपरिक स्रोत क्लीन फ्यूल है, यानी ये प्रदूषण नहीं करते। तथा ये कभी ख़त्म भी नहीं होंगे।

अब भी हम अपनी ऊर्जा की आवश्यकताओं के लिए पारंपरिक स्रोतों पर ही भारी रूप से निर्भर हैं। तथा गैर पारंपरिक स्रोतों का पूरी तरह लाभ उठाने में अभी हमे बहुत समय लगेगा।

हालांकि अनुसंधान चल रहा है, और नई तकनीकों को खोजा जा रहा है, जिससे गैर पारंपरिक स्रोतों का और निपुणता से प्रयोग किया जा सके।

भविष्य में यदि हमें पानी से चलने वाली गाड़ी और वायु से चलने वाला मोटर भी दिखे, तो कोई बड़ी बात नहीं होगी।

इस लेख से सम्बंधित यदि आपका कोई भी सवाल या सुझाव है, तो आप उसे नीचे कमेंट में लिख सकते हैं।

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ऊर्जा के गैर पारंपरिक स्रोत पर निबंध Essay on Non-Conventional Energy Sources in Hindi

इस लेख में ऊर्जा के गैर पारंपरिक स्रोत पर निबंध (Essay on Non-Conventional Energy Sources in Hindi) सभी विद्यार्थीयों के लिए बेहद सरल भाषा में लिखा गया है। इसमें गैर पारंपरिक स्रोत क्या है, महत्व, उनका वर्णन, ऊर्जा स्रोत मे अंतर, मानवता के लिए वरदान।

Table of Content

प्रकृति ने मानव को जीवन जीने के लिए बहुत कुछ उपहार दिए हैं। प्राकृतिक संसाधन उन्हीं खास उपहारों में से एक है। 

ऊर्जा के गैर पारंपरिक स्रोत क्या हैं? What are Non-conventional Energy Source In Hindi?

पश्चिमी देश एक साथ मिलकर विकासशील देशों पर कार्बन उत्पाद को कम करने के लिए हमेशा दबाव बनाते रहते हैं। आमतौर पर इस प्रौद्योगिकी युग में किसी भी देश को विकसित करने के लिए ऊर्जा उपभोग को केंद्र में रखा जाता है। 

वास्तव में किसी देश के मानव विकास सूचकांक से लेकर अर्थव्यवस्था के विकास का आकलन कुल ऊर्जा उत्पादन के आधार पर किया जाता है।

विशेषज्ञों के अनुसार पारंपरिक ऊर्जा स्त्रोत जैसे कि लकड़ी, कोयला, तेल इत्यादि पर मानव बहुत बड़े हद तक निर्भर हो चुका है। लेकिन तेजी से बढ़ती जनसंख्या को देखते हुए यह कहा जा सकता है, कि उर्जा के यह पारंपरिक स्त्रोत बहुत जल्द समाप्त हो जाएंगे। 

आने वाले समय में पारंपरिक ऊर्जा संसाधनों की कटौती के कारण होने वाले दुष्प्रभाव से बचने के लिए गैर पारंपरिक स्रोतों के उपयोग पर दुनिया के तमाम बड़े देश दूसरे छोटे विकासशील देशों पर राजनीतिक दबाव बनाते हैं।

गैर पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों को जीवाश्म ऊर्जा का विकल्प माना जाता है। नवीकरणीय ऊर्जा अथवा अक्षय ऊर्जा ऐसे ऊर्जा स्त्रोत होते हैं, जो पुनः प्राप्त किए जा सकते हैं। 

ऊर्जा के गैर पारंपरिक स्रोतों में सौर ऊर्जा, वायु ऊर्जा, बायोमास इत्यादि जैसे ऊर्जा स्त्रोतों का समावेश होता है, जिन्हें पुनः प्राप्त किया जा सकता है। लेकिन यदि ऊर्जा के पारंपरिक स्रोत अथवा अप्राप्य ऊर्जा स्त्रोत एक बार नष्ट हो गए तो उन्हें पुनः प्राप्त नहीं किया जा सकता। 

ऊर्जा के गैर पारंपरिक स्रोतों का महत्व Importance of Non-conventional Sources of Energy in Hindi

गैर पारंपरिक ऊर्जा स्त्रोत कभी भी समाप्त नहीं होते है। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो यह ऊर्जा स्त्रोत स्थाई होते हैं। लेकिन पारंपरिक ऊर्जा स्त्रोत के विषय में अभी से यह अनुमान लगाया जा रहा है, कि आने वाले कुछ वर्षो के अंदर ही ऊर्जा के पारंपरिक स्त्रोतों में प्रबल रूप से घटौती होगी।

पुनः प्राप्य ऊर्जा स्त्रोत पर्यावरण के हितैषी होते हैं। अर्थात यह किसी भी प्रकार से पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। लेकिन वहीं अगर गैर पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों की बात की जाए तो जीवाश्म ईंधन के होने वाले दुष्प्रभाव सीधे तौर पर पृथ्वी के आवरण को क्षति पहुंचाते है। ग्रीन हाउस, सल्फर और कार्बन जैसे कई हानिकारक गैस ओजोन लेयर को नष्ट करती है।

आने वाले परिस्थितियों का अनुमान लगाकर दुनिया के बड़े और विकसित देश अन्य देशों को गैर पारंपरिक ऊर्जा स्त्रोतों की ओर रुख करने के लिए बढ़-चढ़कर बढ़ावा देते हैं। 

सभी देशों में पारस्परिक एकजुट विचार के कारण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इन ऊर्जा की कीमतों को काफी बड़ी मात्रा में स्थिरता प्राप्त होती है। यानी कि यह ऊर्जा स्त्रोत पारंपरिक स्रोतों की तुलना में काफी सस्ते होते हैं।

भारत कर्क रेखा पर स्थित देश है, जिसके कारण यहां  सौर ऊर्जा का उत्पादन बड़े ही सरलता से होता है। यह भारत के लिए एक सुनहरा अवसर साबित होगा यदि प्रचुर मात्रा में गैर पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों के विकास के लिए विकासशील देशों को इसके उत्पादन में सहायता करेगा। भारतीय अर्थव्यवस्था को इससे काफी लाभ हो सकता है। 

गैर पारंपरिक ऊर्जा स्त्रोत एक बेहद सस्ता और अच्छा वैकल्पिक ऊर्जा स्त्रोत है। दुनिया में ऐसे वैकल्पिक ऊर्जा स्त्रोतों के बढ़ते प्रचलन के कारण एक नवीन और स्थाई रोजगार के मार्ग खुलने का अनुमान है। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो पुनः प्राप्त ऊर्जा के उत्पादन को प्रोत्साहन देने के लिए नए रोजगार के साधनों का उदय हुआ है।

जैसा कि पहले बताया गया कि जीवाश्म ऊर्जा के दुष्प्रभाव के कारण प्रकृति को तो नुकसान पहुंचता ही है साथ ही लोगों के स्वास्थ्य को भी नकारात्मक असर होता है। 

लेकिन गैर पारंपरिक ऊर्जा स्त्रोत का पर्यावरण या फिर लोगों के स्वास्थ्य पर कोई भी नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता है। यह अक्षय ऊर्जा स्त्रोत पर्यावरण की सुरक्षा करते हैं, जिससे सार्वजनिक स्वास्थ्य में सकारात्मक बदलाव होता है। 

ऊर्जा के गैर पारंपरिक स्रोत व उनका वर्णन Non-conventional Sources of Energy and Their Description in Hindi

वायु ऊर्जा wind energy.

गतिशील हवा से उत्पन्न होने वाली ऊर्जा को वायु ऊर्जा कहा जाता है। सन 1887 में स्कॉटलैंड में सबसे पहली बार वायु ऊर्जा का उपयोग किया गया था। गैर पारंपरिक ऊर्जा उत्पादन का यह सबसे अच्छा विकल्प है। 

वायु एक ऐसी उर्जा है, जो कभी भी समाप्त नहीं होगी। ऐसे में सरलता से उपलब्ध होने वाली वायु ऊर्जा की सहायता से जीवाश्म ऊर्जा के सभी मुश्किलों से आसानी से निपटा जा सकता है।

भारत में गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, उड़ीसा इत्यादि अन्य कई पवन ऊर्जा उत्पादक राज्य है, जो विद्युत उत्पादन में बहुत बड़ा योगदान देते हैं। विद्युत उत्पादन और भूगर्भ से जल स्तर को ऊपर लाने के लिए पवन चक्की की सहायता लिया जाता है। 

सौर ऊर्जा Solar Energy

सूर्य से प्राप्त होने वाली ऊर्जा को सौर ऊर्जा कहते हैं। सौर ऊर्जा यह ऊर्जा का सबसे प्रमुख स्त्रोत होता है, जो असीमित है।

भविष्य के सबसे महत्वपूर्ण ऊर्जा स्त्रोतों में सौर ऊर्जा को माना जाता है, जिसे प्रकाश तथा ऊष्मा इन दो भागों में वर्गीकृत किया जा सकता है। भारतीय ऊर्जा मंत्रालय, गैर पारंपरिक स्रोतों के अंतर्गत सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए नई नई पॉलिसी लाती रहती है।

उत्तरी गोलार्ध में भारत की भौगोलिक स्थिति कर्क रेखा पर है, जिसके कारण भारतीय भूभाग पर लगभग 5000 लाख करोड़ किलोवाट घंटा प्रति वर्ग मीटर जितना सौर ऊर्जा का आगमन होता है। 

यहां वास्तविक उपयोग से कई गुना अधिक प्रचुरता में सौर ऊर्जा उपलब्ध है। सूर्य से जो उस्मा और प्रकाश प्राप्त होता है, उस उर्जा को कई प्रकार से उपयोग में लिया जाता है। 

फोटोवॉल्टिक पद्धति की सहायता से सूर्य की रोशनी को विद्युत में रूपांतरित किया जाता है। सौर ऊर्जा को घरेलू कार्यों में भी उपयोग किया जाता है, साथ ही यह औद्योगिक कार्यों के लिए भी बेहतरीन विकल्प साबित हो रहा है। 

आज के समय में हर एक गैजेट को सौर ऊर्जा की सहायता से उपयोग  किया जाता है। जिससे लोगों का पैसा और समय दोनों की बचत होती है।                   

हाइड्रोपावर Hydropower

गतिशील जल के उपयोग से उत्पादित की गई ऊर्जा को जल शक्ति कहा जाता है। अंग्रेजी भाषा में इसे हाइड्रो पावर कहा जाता है, जो कि पहले के समय से ही लोगों द्वारा उपयोग में लिया जाता है, जिसका एक सर्वश्रेष्ठ उदाहरण जल चक्की है। वर्तमान में विद्युत उत्पादन करने के लिए हाइड्रो पावर का उपयोग किया जाता है।

गतिज ऊर्जा से विद्युत ऊर्जा में रूपांतरित करके जल विद्युत ऊर्जा प्राप्त होता है। यह गैर पारंपरिक स्त्रोत प्रदूषण रहित होते है, जो दुर्लभ जीवाश्म ऊर्जा के संसाधनों की रक्षा करने का कार्य करता है। 

हाइड्रो-इलेक्ट्रिक पावर प्लांट की मदद से बड़े जलाशयों में जल से विद्युत ऊर्जा उत्पादन करके उससे टरबाइन मशीन चलाया जाता है, जो सीधे बड़े जेनरेटर्स से जुड़ कर बिजली उत्पन्न करते हैं।

सन 1897 में विश्व में पहली बार जल विद्युत परियोजना को दार्जिलिंग में पूरा किया गया था, जो अभी तक कार्यरत है। भारत में हाइड्रो पावर को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न प्रकार की योजनाएं चलाई जाती है। 

बायोमास Biomass

यह बायोमास अथवा जैविक ऊर्जा भूमि पर मौजूद संपूर्ण जैविक पदार्थों के कारण उत्पादित होता है। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो पेड़ पौधों, फसलों और मानव एवं जंतुओं के मल, कूड़ा कचरा इत्यादि जैविक तत्वों से प्राप्त होने वाली ऊर्जा को जैविक ऊर्जा कहा जाता है। 

बायोमास से ऊर्जा प्राप्त करने के लिए कई विधियां होती हैं, जिनसे प्रदूषण रहित वैज्ञानिक तरीके से उर्जा उत्पादन किया जाता है। 

उष्मा और विद्युत ऊर्जा के उत्पादन में बायोमास की बहुत बड़ी भूमिका होती है। बायोमास का उपयोग गैस इंजन चलाने से लेकर गैस उत्पादन के कार्य में किया जाता है। 

भारत एक कृषि प्रधान देश है, जिसके कारण यहां कृषि अपशिष्ट जैसे पराली, भूसी, नारियल, झाड़ियां इत्यादि प्रचुर मात्रा में है, जिससे बायोमास का प्रयोग करना और भी आसान हो जाता है।

जियोथर्मल Geothermal

भूतापीय ऊर्जा अथवा जियोथर्मल पावर धरती के नीचे संग्रहित उस्मा अथवा ताप से निकलने वाली ऊर्जा होती है। धरती के अंदर जो भूगर्भीय ताप एवं जल से उठने वाले गर्म वाष्प से उर्जा का निर्माण किया जाता है, जिसके लिए अनेकों वैज्ञानिक विधियों का प्रयोग किया जाता है। 

अमेरिका के कैलिफोर्निया में द गीजर में दुनिया का सबसे बड़ा भूतापीय ऊर्जा संयंत्र समूह आया है। धरातल की गहराई में स्थित जियोथर्मल कुएं ग्रीन हाउस गैसें को उत्सर्जित करते हैं। लेकिन उर्जा की प्रति यूनिट के आधार पर यह जीवाश्म ईंधन की तुलना में कम मात्रा में है। 

कुछ रिसर्च के आधार पर यह कहा गया है, कि यदि आने वाले समय में जीवाश्म ईंधन के स्थान पर भूतापीय ऊर्जा का प्रयोग किया जाएगा तो यह काफी हद तक भूस्तरीय गर्मी को संतुलित करने में सहायक होगा। 

गैर पारंपरिक ऊर्जा स्रोत और पारंपरिक ऊर्जा स्रोत मे अंतर Difference Between Non-conventional Energy Source and Conventional Energy Source in Hindi

अर्थ meaning.

ऊर्जा के वे स्त्रोत जो प्राकृतिक संसाधनों से हजारों साल से उपयोग किए जा रहे हैं और जिनके संसाधनों का प्रकृति पुनर्भरण करती रहती है, ऊर्जा के गैर पारंपरिक स्रोत कहलाते हैं। 

पारंपरिक ऊर्जा अर्थात प्राकृतिक संसाधनों से प्राप्त होने वाले ऐसे ऊर्जा जिनके निर्माण में हजारों लाखों वर्ष लगते हैं और यदि यह एक बार समाप्त हो गए तो इन्हें पुनः प्राप्त कर पाना असंभव है।

पर्यावरण पर प्रभाव Effect on Environment

पारंपरिक ऊर्जा अथवा जीवाश्म ऊर्जा ऐसे कई हानिकारक गैसों का उत्सर्जन करते हैं, जो सीधे तौर पर  प्रकृति को हानि पहुंचाता है। गैर पारंपरिक ऊर्जा स्त्रोत पूरी तरह से पर्यावरण हितैषी होते हैं, जिन्हें बिना किसी मापदंड के उपयोग करने पर भी कोई भी विरोधी प्रभाव पर्यावरण पर नहीं पड़ता है।

ऊर्जा की कुल उपस्थिति Presence of Energy

जिस प्रकार विश्व की आबादी प्रति क्षण बढ़ती जा रही है, इसका अंदाजा लगाते हुए विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले कुछ समय के अंदर ही ऊर्जा के पारंपरिक स्रोत पूरी तरह से नष्ट हो जाएंगे। वैकल्पिक ऊर्जा अथवा गैर पारंपरिक ऊर्जा स्त्रोत यह कभी न खत्म होने वाले उर्जा होते हैं, जिन्हें पुनः प्राप्त किया जा सकता है।

ऊर्जा प्राप्ति शुल्क Energy Recovery Fee

जीवाश्म ऊर्जा की मात्रा और उसकी कुल मांग में बड़ा भेद उत्पन्न हुआ है, जिससे लोगों के मांग की आपूर्ति नहीं हो पा रही है, परिणाम स्वरूप पारंपरिक ऊर्जा स्त्रोतों का भाव हर दिन बढ़ता जा रहा है। नवीकरणीय ऊर्जा को वास्तविक रूप प्रदान करने में बहुत कम शुल्क चुकाना पड़ता है।

ऊर्जा के गैर पारंपरिक स्रोत मानव के लिए वरदान Non-Conventional Sources of Energy Boon to Humans in Hindi 

भविष्य में जब पृथ्वी पर पारंपरिक ऊर्जा का अकाल पड़ जाएगा, तब एक मात्र विकल्प गैर पारंपरिक स्त्रोतों के जरिए ही मानव अपना गुजारा कर पाएगा। 

जिस गति से जीवाश्म ऊर्जा का दोहन किया जा रहा है, उसे देखकर यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि आने वाले कुछ दशकों में ही आराम से उपलब्ध होने वाले यह जीवाश्म ऊर्जा अथवा पारंपरिक ऊर्जा के स्त्रोतों का दर्शन भी दुर्लभ हो जाएगा।

भारत सहित दुनिया के तमाम देश आने वाले उस भयानक त्रासदी का अंदाजा लगाते हुए अभी से ही अपने गैर पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देने के लिए पूरे स्फूर्ति से कार्य कर रहे हैं। 

संयुक्त राष्ट्र महासभा में भी ऐसे कई प्रावधान पास किए जाते हैं, जो सीधे तौर पर गैर पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों के उत्पादन पर ध्यान केंद्रित करते हैं। वास्तव में ऊर्जा के गैर परंपरागत स्रोत मानव के लिए किसी वरदान से कम नहीं है।

प्रकृति ने हर समस्या का हल पहले से ही अगले विकल्प के रूप में मानवों के लिए संजोए रखा है बस जरूरत है तो उसका महत्व समझ कर ऐसे संसाधनों को अपनाने की। ऊर्जा संसाधनों के निर्माण में प्रकृति हजारों-लाखों वर्ष लेती है, जिन्हें मनुष्य केवल कुछ मिनटों के अंदर ही खत्म कर देता है। 

पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों के हो रहे अंधाधुन इस्तेमाल पर सभी को विचार करने की आवश्यकता है और आने वाले पीढ़ी के लिए नवीकरणीय ऊर्जा इस्तेमाल को बढ़ावा देने की बेहद जरूरत है। 

conventional energy essay in hindi

नमस्कार रीडर्स, मैं बिजय कुमार, 1Hindi का फाउंडर हूँ। मैं एक प्रोफेशनल Blogger हूँ। मैं अपने इस Hindi Website पर Motivational, Self Development और Online Technology, Health से जुड़े अपने Knowledge को Share करता हूँ।

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ऊर्जा के पारंपरिक और गैर-पारंपरिक स्रोत | Conventional and Non-Conventional Sources of Energy

ऊर्जा के पारंपरिक स्रोत- पृथ्वी में अनेक वर्षों तक हुई भौतिक तथा रासायनिक क्रियाओं के फलस्वरूप प्राप्त स्रोत 'परंपरागत ऊर्जा स्रोत' कहलाते हैं। पृथ्वी पर इनके सीमित भंडार उपलब्ध हैं। इन्हें ऊर्जा के प्राथमिक स्रोत के नाम से भी जाना जाता है। इन्हें पुनः प्राप्त करना संभव नहीं है। क्योंकि इनके निर्माण में अनेक वर्षों का समय लगता है। अतः इन्हें अनवीकरणीय स्रोत भी कहा जाता है। पृथ्वी के कुल ऊर्जा संसाधनों का लगभग 87% परंपरागत ऊर्जा स्रोतों से प्राप्त होता है। पृथ्वी के प्रमुख परंपरागत ऊर्जा स्रोत निम्नलिखित हैं-

Conventional sources of energy- The sources obtained as a result of physical and chemical reactions in the earth for many years are called 'conventional energy sources' Huh. There are limited reserves of these available on earth. These are also known as primary sources of energy. It is not possible to retrieve them. Because it takes many years to build them. Therefore, they are also called non-renewable sources. About 87% of the Earth's total energy resources are derived from conventional energy sources. Following are the main conventional energy sources of the earth-

1. पेट्रोलियम- पेट्रोलियम का निर्माण करोड़ों वर्षों तक जीव-जंतुओं और जीवाश्मों की चट्टानों के नीचे दबने से होता है। भारत में पेट्रोलियम का सीमित भंडार है। देश अपनी कुल आवश्यकताओं का लगभग 70% पेट्रोलियम आयात करता है। भारत में लंकेश्वर (गुजरात), डिग्बोई (असम) और मुंबई हाई में पेट्रोलियम का उत्पादन होता है।

1. Petroleum- Petroleum is formed by being buried under rocks of animals and fossils for millions of years. India has limited reserves of petroleum. The country imports about 70% of its petroleum requirements. In India, petroleum is produced in Lankeshwar (Gujarat), Digboi (Assam) and Mumbai High .

ब्रह्माण्ड एवं खगोल विज्ञान के इन 👇 प्रकरणों के बारे में भी जानें। 1. ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति 2. खगोलीय पिण्ड 3. तारों का जन्म एवं मृत्यु 4. सौरमंडल की संरचना 5. सौरमंडल के पिण्ड 6. सौर मंडल के ग्रह एवं उपग्रह की विशेषताएँ

2. कोयला- भारत में कोयले के भंडार प्रायद्वीपीय भारत के पूर्वी पठार में उपलब्ध हैं। कोयला ऊर्जा का सबसे महत्वपूर्ण स्रोत है। भारत की कुल स्थापित ऊर्जा में 63.84% कोयले का योगदान है। देश में प्राप्त होने वाले कोयले की गुणवत्ता अच्छी नहीं है।अतः भारत को अपनी कोयले की आवश्यकता हेतु विदेशों से कोयले के आयात पर निर्भर रहना पड़ता है। देश में कोयले का सर्वाधिक प्रयोग विद्युत उत्पादन में और उद्योगों में होता है।

2. Coal- Coal reserves in India are available in the eastern plateau of peninsular India. Coal is the most important source of energy. Coal accounts for 63.84% of India's total installed energy. The quality of coal received in the country is not good. Hence India has to depend on import of coal from abroad for its coal requirement. Most of the coal in the country is used in power generation and in industries.

3. नाभिकीय ऊर्जा- भारत की कुल स्थापित ऊर्जा में नाभिकीय ऊर्जा का भाग 1.95% है। पिछले कुछ समय में नाभिकीय ऊर्जा संसाधन में वृद्धि हुई है। देश के दक्षिण और पश्चिम भाग में परमाणु ऊर्जा संयंत्र स्थापित किए गए हैं, क्योंकि इन क्षेत्रों में कोयले की उपलब्धता नहीं है।

3. Nuclear Energy- The share of nuclear energy in India's total installed energy is 1.95%. Nuclear energy resources have increased in the recent times. Nuclear power plants have been set up in the south and west part of the country, as there is no availability of coal in these areas.

पृथ्वी की संरचना एवं इस पर होने वाली हलचलों से संबंधित इन 👇 प्रकरणों के बारे में भी जानें। 1. पृथ्वी की संरचना 2. पृथ्वी की गतियाँ 3. अक्षांश एवं देशांतर रेखाएँ 4. भूकंप एवं भूकम्पीय तरंगे 5. सुनामी और ज्वालामुखी क्या है 6. पृथ्वी पर ज्वार भाटा 7. ग्रहण, ऋतु परिवर्तन विषुव एवं सुपरमून

4. जल विद्युत- भारत की कुल ऊर्जा आवश्यकताओं का 13.09% जल विद्युत ऊर्जा से प्राप्त होता है। भारत में जल विद्युत के प्रमुख क्षेत्र हिमालयी और पश्चिमी घाट हैं।

4. Hydroelectricity- 13.09% of India's total energy needs are met from hydroelectric power. The major areas of hydropower in India are the Himalayan and Western Ghats.

ऊर्जा के गैर-पारंपरिक स्रोत- प्रकृति में पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध संसाधन गैर-परंपरागत ऊर्जा स्रोत कहलाते हैं। इनका पुनः उपयोग किया जा सकता है। इनके समाप्त होने की कोई संभावना नहीं है। अतः इन्हें नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत भी कहा जाता है। भारत की कुल ऊर्जा उत्पादन में इनका योगदान 13% है। ऊर्जा के प्रमुख गैर-परंपरागत स्रोत निम्नलिखित हैं-

Non-conventional sources of energy- The resources available in sufficient quantity in nature are called non-conventional energy sources. They can be reused. There is no chance of them ending. Therefore, they are also called renewable energy sources. They contribute 13% to India's total energy production. Following are the major non-conventional sources of energy-

1. पवन ऊर्जा- पवन से प्राप्त की जाने वाली गतिज ऊर्जा 'पवन ऊर्जा' कहलाती है। इस ऊर्जा संसाधन के दोहन के लिए 'टरबाइन' का प्रयोग किया जाता है। टरबाइन के माध्यम से पवन ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है। दक्षिण भारत में पवन ऊर्जा का सर्वाधिक विकास हुआ है।

1. Wind Energy- The kinetic energy obtained from wind is called 'Wind Energy' . 'Turbine' is used to harness this energy resource. Wind energy is converted into electrical energy through turbines. Wind energy has been developed the most in South India.

ऋतुओं एवं जलवायु से संबंधित इन 👇 प्रकरणों के बारे में भी जानें। 1. भारत की प्रमुख ऋतुएँ 2. भारत की जलवायु का वर्गीकरण 3. मानसून- भारत की जलवायु 4. 5. वर्षा के प्रकार संवहनीय, पर्वतीय, चक्रवाती वर्षा 5. संघनन क्या है- संघनन के विभिन्न रूप

2. सौर ऊर्जा- भारत की भौगोलिक स्थिति के कारण यहाँ वर्ष भर सूर्य की उपलब्धता रहती है। इसलिए देश में सौर ऊर्जा उत्पादन किया जा सकता है। इसके अंतर्गत सूर्य से प्राप्त ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है। इस प्रक्रम को फोटोवॉल्टिक प्रक्रम कहा जाता है। वर्तमान समय में इस तकनीक का प्रयोग घरों में भोजन पकाने और ग्रामीण क्षेत्रों में विद्युत की आपूर्ति करने हेतु किया जाता है।

2. Solar Energy- Due to the geographical location of India, there is availability of sun throughout the year. Hence solar power generation can be done in the country. Under this, the energy received from the sun is converted into electrical energy. This process is called photovoltaic process. At present, this technology is used for cooking food in homes and for supplying electricity in rural areas.

3. ज्वारीय ऊर्जा- समुद्र में आने वाले उच्च और निम्न ज्वार से प्राप्त ऊर्जा को ज्वारीय ऊर्जा कहा जाता है। इस संसाधन के दोहन के अंतर्गत ज्वारीय ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदला जाता है। यह ऊर्जा का नवीकरणीय स्रोत है। भारतवर्ष में समुद्र तटों और नदियों के मुहाने पर ज्वारीय ऊर्जा से विद्युत ऊर्जा उत्पादन की आदर्श दशा में उपलब्ध हैं।

3. Tidal Energy- The energy obtained from high and low tides coming into the sea is called tidal energy. Under the exploitation of this resource, tidal energy is converted into electrical energy. It is a renewable source of energy. In India, beaches and river mouths are available in ideal condition to produce electrical energy from tidal energy.

भारत की प्रमुख नदियों के अपवाह तंत्र से संबंधित इन 👇 प्रकरणों के बारे में भी जानें। 1. सिंधु नदी का अपवाह तंत्र 2. गंगा नदी का अपवाह तंत्र 3. हिमालय की प्रमुख नदियों से संबंधित परियोजनाएँ 4. प्रायद्वीपीय भारत की प्रमुख नदियों का अपवाह तंत्र 5. भारत की प्रमुख झीलें

4. लघु पनबिजली योजना- इसके अंतर्गत 25 mw से कम उत्पादन क्षमता के जलीय ऊर्जा स्रोत आते हैं। इस ऊर्जा संसाधन का उत्पादन मुख्य रूप से पर्वतीय क्षेत्रों में होता है। इस ऊर्जा उत्पादन के लिए बड़े क्षेत्र की कोई आवश्यकता नहीं होती।

4. Small Hydro Electricity Scheme- Under this, hydroelectric power sources of less than 25 mw generation capacity are covered. This energy resource is mainly produced in mountainous areas. There is no need for a large area for this power generation.

5. जैव ईंधन- गन्ने की खोई को पेट्रोलियम में मिलाकर तैयार किया गया ईंधन जैव ईंधन कहलाता है। भारतवर्ष के प्रमुख जैव ईंधन एथेनॉल, बायो-डीजल और गैसोहाल हैं।

5. Biofuel- The fuel prepared by mixing sugarcane bagasse with petroleum is called biofuel. The major biofuels of India are ethanol, bio-diesel and gasohal.

भौगोलिक जानकारी से संबंधित इन 👇 प्रकरणों के बारे में भी जानें। 1. पृथ्वी की स्थलाकृतियाँ 2. मृदा- एक सामान्य परिचय 3. मृदा अपरदन के कारण एवं बचाव के उपाय 4. 8 जनवरी- 'पृथ्वी घूर्णन दिवस' सामान्य ज्ञान 5. विश्व की प्रमुख जल संधियाँ 6. विश्व की प्रमुख जल संधियाँ मुख्य बिन्दु सहित

आशा है, उपरोक्त जानकारी परीक्षार्थियों / विद्यार्थियों के लिए ज्ञानवर्धक एवं परीक्षापयोगी होगी। धन्यवाद।। R F Temre rfcompetition.com

I hope the above information will be useful and important. (आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।) Thank you. R F Temre rfcompetiton.com

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Energy Conservation Essay

Energy Conservation Essay: ऊर्जा संरक्षण पर निबंध

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Energy Conservation Essay

यहां हम आपको Energy Conservation Essay उपलब्ध करा रहे हैं. इस निबंध को आप कक्षा 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 और 12 के लिए या अपने किसी प्रोजेक्ट के लिए उपयोग कर सकते हैं. यदि आप को किसी स्पीच के लिए टॉपिक energy conservation essay in hindi मिला है तो आप इस लेख को स्पीच के लिए भी उपयोग कर सकते हैं. इसके साथ ही यदि आपको किसी निबंध प्रतियोगिता के लिए भी Urja Sanrakshan Par Nibandh लिखना है तो आपको यह आर्टिकल पूरा बिल्कुल ध्यान से पढ़ना चाहिए.

Essay on Energy Conservation in 100 words

ऊर्जा के स्त्रोत को कम मात्रा में उपयोग करना ऊर्जा संरक्षण कहलाता है। हमें ऊर्जा के स्त्रोत मूल रूप से मिलते हैं। ऊर्जा स्त्रोत मुख्य रूप से दो तरह के होते हैं। भविष्य के लिए हमें ऊर्जा बचाए रखने के लिए ऊर्जा संरक्षण करना चाहिए। ऊर्जा को कम खर्च करने से पर्यावरण का प्रदूषण भी कम होता है। हमें प्रकृति से मिलने वाली ऊर्जा जैसे कि पवन ऊर्जा सौर ऊर्जा जल ऊर्जा का अधिक इस्तेमाल करना चाहिए। अगर हम अभी से ऊर्जा बचाने का आरंभ कर देंगे तो भविष्य में हमें ऊर्जा की कमी महसूस नहीं होगी। आने वाली पीढ़ी के लिए ऊर्जा संरक्षण करना बहुत आवश्यक है।

Essay on Energy Conservation in 200 words

ऊर्जा का सही रूप से इस्तेमाल करना और और बेवजह ऊर्जा को उपयोग ना करना ऊर्जा संरक्षण कहलाता है। ऊर्जा हमारे जीवन के लिए काफी उपयोगी होती है। जीवन को बचाए रखने के लिए ऊर्जा को बचाना भी जरूरी है। हमें मानव द्वारा निर्मित ऊर्जा को कम उपयोग करना चाहिए तथा प्राकृतिक ऊर्जा स्रोतों का उपयोग अधिक करना चाहिए। प्रकृति से मिलने वाली ऊर्जा जैसे कि पवन ऊर्जा सौर ऊर्जा जल ऊर्जा का इस्तेमाल करके हम ऊर्जा का संरक्षण कर सकते हैं और इससे पर्यावरण का प्रदूषण भी काफी हद तक कम होगा।

ऊर्जा के मुख्य दो स्त्रोत होते हैं एक प्राकृतिक और दूसरा मानव निर्मित ऊर्जा के स्त्रोत जैसे कि कोयला पेट्रोलियम गैसेस एलपीजी इत्यादि। कोयला पेट्रोलियम एलपीजी से मिलने वाली ऊर्जा कभी भी खत्म हो सकती है इसीलिए हमें इसे बचाए रखने के लिए ऊर्जा संरक्षण करना चाहिए। देश में लोगों को ऊर्जा संरक्षण के प्रति जागरूक करने के लिए प्रतिवर्ष 14 दिसंबर को ऊर्जा संरक्षण दिवस (national energy conservation day) मनाया जाता है। इस दिन लोगों को काम करने के लिए कम से कम ऊर्जा का इस्तेमाल करने के लिए जागरूक किया जाता है तथा नुक्कड़ चौराहे पर छोटे-छोटे कार्यक्रम तथा नाटक से लोगों को ऊर्जा संरक्षण का महत्व बताया जाता है।

Energy Conservation Essay

Essay on Energy Conservation in 300 words

हर साल 14 दिसंबर को ऊर्जा संरक्षण दिवस (national energy conservation day) मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य लोगों को ऊर्जा संरक्षण के प्रति जागरूक करना होता है, जिससे कि लोग बेवजह ऊर्जा की खपत ना करें। हमारी प्रकृति ने इंसानों को कई तरह के उपहार दिए हैं। इन्हीं में से एक उर्जा भी हैं, जो कि इंसानों के बहुत काम आ रही है। इंसानों द्वारा अपने जीवन को विकसित करने के लिए कई तरह के उपकरण बनाए जा रहे हैं जो कि ईंधन या ऊर्जा के अन्य स्त्रोतों पर चलते हैं जिसके कारण ऊर्जा की खपत अधिक बढ़ चुकी है। ऊर्जा संरक्षण पर आधारित नियम के अनुसार ऊर्जा को ना ही खत्म किया जा सकता है ना ही बनाया जा सकता है। इसे सिर्फ एक रूप से दूसरे रूप में बदला जा सकता है। ऊर्जा को सोच समझकर इस्तेमाल करना चाहिए तथा ऊर्जा संरक्षण के लिए नए नए नियमों तथा तरीकों की खोज करना भी जरूरी है।

ऊर्जा पर चलने वाले उपकरण जैसे कि पंखे कूलर टीवी फ्रिज ऐसी इत्यादि उपकरणों का उपयोग ना होने पर इन्हें बंद कर देना चाहिए। अगर आज से हम ऊर्जा को बचाना परम करेंगे तो हमारी आने वाली पीढ़ी बिना किसी परेशानी के इन ऊर्जा स्त्रोतों का इस्तेमाल कर पाएगी। ऊर्जा संरक्षण करने से यह हमारे पर्यावरण को भी फायदा पहुंचाएगा यह बढ़ते हुए तापमान में भी कमी ला सकता है। ऊर्जा संरक्षण के लिए हमें अपने घरों की छतों पर सोलर पैनल का इस्तेमाल करना चाहिए तथा बड़े-बड़े पहाड़ी इलाकों में पवन चक्की लगाकर हम ऊर्जा का उत्पादन कर सकते हैं। जो कि हमारे रोजमर्रा के छोटे-छोटे कामों में उपयोग की जा सकती है। जीवन को व्यवस्थित रखने के लिए ऊर्जा संरक्षण अति आवश्यक है।

Essay on Energy Conservation in 500 words

ऊर्जा संरक्षण का अर्थ है की हमें किसी काम को करने में कम से कम ऊर्जा का इस्तेमाल करना चाहिए और ऊर्जा की बचत करना चाहिए। ऊर्जा मानव के विकास का मुख्य हिस्सा है इसलिए इसे सोच समझकर खर्च करना चाहिए। अपनी प्रकृति को प्रदूषण से बचाए रखने के लिए तथा आने वाली पीढ़ी के भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए हमें कम से कम ऊर्जा की खपत करना होगी। बढ़ती हुई आधुनिकता के कारण ऊर्जा की खपत काफी बढ़ चुकी है इसलिए हमें प्राकृतिक और मानव निर्मित ऊर्जा को संरक्षित करना होगा। जिससे कि हम अपना और आने वाली पीढ़ी का भविष्य सुरक्षित कर सकें।

ऊर्जा संरक्षण का अर्थ

ऊर्जा संरक्षण का अर्थ है किसी भी काम में इस्तेमाल होने वाली ऊर्जा की खपत को कम करना जैसे कि हम एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए वाहन का इस्तेमाल करते हैं जो कि ऊर्जा के एक माध्यम डीजल है पेट्रोल से चलती है उसे बचाना हम एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए साइकल या प्राकृतिक ऊर्जा स्त्रोत से चलने वाले वाहनों का इस्तेमाल कर सकते हैं। ऊर्जा को बचाकर हम अपने जीवन को काफी सुरक्षित बना सकते हैं। आज हमें हर काम को करने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है लेकिन कुछ काम ऐसे भी होते हैं जिन्हें बिना ऊर्जा खत्म किए भी किया जा सकता है इसीलिए ऊर्जा का उपयोग करने से पहले यह सोच ले कि यहां ऊर्जा का उपयोग करना जरूरी है या नहीं।

ऊर्जा संरक्षण की जागरूकता

मानव में विकास के नाम पर काफी तरक्की कर ली है। अब हर काम को करने के लिए मशीनों का इस्तेमाल किया जाता है जो कि ऊर्जा से चलती है। इसलिए लोग छोटे-छोटे कामों को खुद ना कर कर मशीनों की सहायता से पूरा करते हैं और अनावश्यक बिजली की खपत करते हैं। लोग कई तरह से ऊर्जा के स्त्रोतों का अनावश्यक उपयोग करते हैं। इसलिए ही लोगों को ऊर्जा का महत्व बताने के लिए 14 दिसंबर को प्रतिवर्ष ऊर्जा संरक्षण दिवस (national energy conservation day) मनाया जाता है। जिससे कि लोग ऊर्जा की बचत के प्रति जागरूक हो सके। ऊर्जा संरक्षण के माध्यम से लोगों को छोटे-छोटे काम स्वयं करने के लिए बताया जाता है तथा जितना हो सके बिजली या अन्य उर्जा की खपत को कम करें।

पृथ्वी पर ऊर्जा के स्त्रोत सीमित मात्रा में हैं इसलिए इन्हें सोच समझकर इस्तेमाल करें। किंतु लोग अपनी सुविधा के लिए छोटे-छोटे कामों को भी मशीनों की सहायता से करते हैं जिससे कि ऊर्जा की खपत अधिक होती है। इसलिए हमें छोटे-छोटे कामों से बड़ी ऊर्जा संरक्षण करना होगी ताकि हम अपना और आने वाली पीढ़ी का भविष्य सुखद बना सकें। हमें अपनी दिनचर्या में ऊर्जा संरक्षण की आदत को शामिल करना होगा।

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Urja Sanrakshan Par Nibandh 1000 words 

जिस तरह हमारे शरीर को काम करने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है जो कि हमें भोजन से प्राप्त होती है उसी तरह हमें अपनी रोजमर्रा के कामों को करने के लिए भी ऊर्जा की आवश्यकता होती है जो कि हमें प्रकृति द्वारा प्राप्त होती है। जिस तरह हमें भोजन को अनावश्यक व्यक्त नहीं करना चाहिए उसी तरह हमें ऊर्जा को भी अनावश्यक व्यर्थ नहीं करना चाहिए। मानव को मिलने वाली ऊर्जा के स्त्रोत पृथ्वी पर सीमित मात्रा में है जिन्हें बचाए रखने के लिए महान साइंटिस्ट तो द्वारा काफी प्रयास किया जा रहा है। अगर इसी तरह हम छोटे-छोटे कामों के कारण बड़ी मात्रा में बिजली या ऊर्जा की खपत करते रहे तो हमें कुछ सालों में ऊर्जा के बिना जीवन व्यतीत करना होगा।

ऊर्जा संरक्षण की आवश्यकता

समय के साथ बढ़ती हुई आबादी के कारण प्राकृतिक ऊर्जा स्तोत्र का अंधाधुन उपयोग किया जा रहा है लोग अपनी सुविधा के नाम पर नई नई मशीनों का आविष्कार करते जा रहे हैं और बेवक्त बेवजह ऊर्जा की खपत कर रहे हैं। आज हम कोयला पेट्रोलियम एलपीजी गैस से बनने वाली ऊर्जा का इस्तेमाल कर रहे हैं जो कि एक बार इस्तेमाल करने के बाद दोबारा इस्तेमाल नहीं की जा सकती इसलिए इन ऊर्जा स्त्रोतों की जगह हमें प्रकृति से मिलने वाली ऊर्जा का इस्तेमाल करना चाहिए। सूर्य को ऊर्जा का मुख्य स्त्रोत माना जाता है इसलिए हमें सूर्य ऊर्जा पवन ऊर्जा जल ऊर्जा का उपयोग अपने जीवन में शामिल करना होगा।

ऊर्जा संरक्षण का महत्व

ऊर्जा संरक्षण का हमारे जीवन में काफी महत्व है किसी कहावत में कहा गया है कि जल वायु पृथ्वी और प्रकृति हमारे पूर्वजों द्वारा हमें दिया गया उपहार है लेकिन यह सत्य नहीं है यह उपहार नहीं एक कर्ज है जिसे हमें अपनी आने वाली पीढ़ी के लिए बचाए रखना होगा अगर हम आज से ऊर्जा संरक्षण को अपनाते हैं तो हमारी आने वाली पीढ़ी बिना किसी परेशानी के ऊर्जा का इस्तेमाल कर पाएगी। ऊर्जा के इस्तेमाल से ना सिर्फ ऊर्जा की खपत होती है बल्कि हमारा पर्यावरण भी काफी दूषित होता है प्रदूषण के कारण भी ग्लोबल वार्मिंग देसी बड़ी समस्याओं का मनुष्य को सामना करना पड़ता है इन सभी समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए तथा पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए पूजा संरक्षण करना आवश्यक है।

ऊर्जा के स्त्रोत

आज हमारे पास ऊर्जा के दो स्त्रोत मौजूद हैं पहला प्राकृतिक ऊर्जा स्त्रोत और दूसरा प्राकृतिक संसाधन जिन्हें हम खोज कर ऊर्जा के रूप में परिवर्तित करते हैं।

जीवाश्म ईंधन – कोयला एलपीजी, प्राकृतिक गैस, तेल

परमाणु ईंधन – परमाणु ऊर्जा, परमाणु संलयन

प्राकृतिक ऊर्जा स्त्रोत

पवन ऊर्जा, सौर ऊर्जा, जल ऊर्जा।ऊर्जा को दो भागों में बांटा गया है रिनुअल और नॉन रिनुअल जिस ऊर्जा का उपयोग हम एक से अधिक बार तक कर लेते हैं उसे रिनुअल ऊर्जा कहते हैं जैसे कि सौर ऊर्जा पवन ऊर्जा जल ऊर्जा तथा जिस ऊर्जा का उपयोग हम मात्र एक बार कर पाते हैं उसे non-renewable उर्जा कहते हैं जैसे कि बिजली गैस पेट्रोल डीजल इत्यादि। इसीलिए हमें एक बार उपयोग होने वाली ऊर्जा को बचाने का प्रयास करना चाहिए और प्रकृति से मिलने वाली ऊर्जा का उपयोग अधिक करना चाहिए। सूर्य ऊर्जा का मुख्य स्त्रोत है इससे पर्याप्त मात्रा में ऊर्जा प्राप्त की जा सकती है तथा लगातार इससे उर्जा बनाई भी जा सकती है इसीलिए नॉन रिन्यूएबल ऊर्जा स्त्रोतों को बचाए रखने के लिए प्राकृतिक ऊर्जा का इस्तेमाल अधिक करना चाहिए।

ऊर्जा संरक्षण के उपाय

ऊर्जा संरक्षण के लिए सबसे मुख्य उपाय या हो सकता है कि हमें प्रकृति से मिलने वाली ऊर्जा का इस्तेमाल अधिक करना चाहिए। हमें पवन चक्की सोलर पैनल जैसे उपकरण लगाकर सूर्य और पवन से मिलने वाली ऊर्जा को अपने जीवन में शामिल करना चाहिए। जरूरत ना होने पर हमें बिजली या पेट्रोल-डीजल किसी भी प्रकार के ऊर्जा स्त्रोत का उपयोग नहीं करना चाहिए यदि बिना इनका उपयोग करें आपका काम हो सकता है तो उसे कर लेना चाहिए। घर में जरूरत ना होने पर लाइट पंखे को बंद रखना चाहिए।घर में खाना बनाने में इस्तेमाल होने वाली गैस के उपयोग को भी कम करना चाहिए गैस को बचाए रखने के लिए छोटे-छोटे उपायों की सहायता लेना चाहिए जिससे कि खाना ढक कर बनाना चाहिए। जरूरत ना होने पर घरों में चलने वाले अन्य उपकरण जैसे कि पंखा बल्ब फ्रिज एसी आदि को बंद रखना चाहिए और घर में प्रकाश के लिए जीरो एनर्जी के एलईडी बल्ब या सीएफएल का उपयोग करना चाहिए।

ऊर्जा संरक्षण के फायदे

ऊर्जा संरक्षण से ऊर्जा संरक्षण से ना सिर्फ आज हमें फायदा होगा बल्कि हमारे आने वाली पीढ़ी को भी इसका फायदा मिलेगा। वे बिना किसी परेशानी के अपने जीवन में ऊर्जा का इस्तेमाल कर पाएंगे। ऊर्जा संरक्षण से हम हमारे पर्यावरण को भी सुरक्षित रख पाएंगे क्योंकि डीजल पेट्रोल एलपीजी गैस पर चलने चलने वाली मशीनें अत्यधिक मात्रा में विषैला दुआ पिलाती है जो कि प्रदूषण का मुख्य कारण बनता है। अगर आज सभी लोग ऊर्जा संरक्षण पर ध्यान दे तो आने वाले समय में किसी भी प्रकार से उर्जा संसाधनों की कमी नहीं होगी प्राकृतिक में ऊर्जा के सभी स्त्रोत सीमित मात्रा में है इसलिए उन्हें सोच समझकर इस्तेमाल करना चाहिए। और प्रकृति से मिलने वाली ऊर्जा का इस्तेमाल करने से हमें काफी फायदा होगा सूर्य ऊर्जा जल ऊर्जा पवन ऊर्जा का इस्तेमाल काफी आसान है और इससे किसी भी प्रकार का प्रदूषण नहीं होता है प्राकृतिक सौर ऊर्जा के स्रोतों को बिना किसी परेशानी के नियमित रूप से इस्तेमाल किया जा सकता है।

आने वाली पीढ़ी तथा अपने जीवन को सुचारू रूप से चलाने के लिए हमें ऊर्जा की आवश्यकता होगी. यदि आज हम ऊर्जा संरक्षण के लिए प्रयास नहीं करेंगे तो हमारा आने वाला जीवन अंधकार में गुजरेगा। ऊर्जा हम सभी के लिए काफी महत्वपूर्ण है. इसके बिना जीवन जीना असंभव है इसलिए इसकी कीमत को समझते हुए इसे बचाने के बारे में अवश्य सोचिए।

importance of energy conservation essay

हमारे सभी प्रिय विद्यार्थियों को इस Energy Conservation Essay जरूर मदद हुई होगी यदि आपको यह energy conservation essay in hindi अच्छा लगा है तो कमेंट करके जरूर बताएं कि आपको यह Urja Sanrakshan Par Nibandh कैसा लगा? हमें आपके कमेंट का इंतजार रहेगा और आपको अगला Essay कौन से टॉपिक पर चाहिए इस बारे में भी आप कमेंट बॉक्स में बता सकते हैं ताकि हम आपके अनुसार ही अगले टॉपिक पर आपके लिए निबंध ला सकें.

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energy conservation essay in hindi— ऊर्जा संरक्षण पर निबंध

energy conservation essay in hindi— ऊर्जा संरक्षण पर निबंध

Table of Contents

ऊर्जा संरक्षण पर निबंध- What is conservation energy definition?

ऊर्जा संरक्षण आज समय की आवश्यकता है. ईंधन मानव को दिया गया प्रकृति का अनमोल उपहार है. ईंधन पर मानव सभ्यता की निर्भरता दिनों दिन बढ़ती जा रही है.

मनुष्य अपने उपयोग और आराम के लिए रोज नये आविष्कार कर रहा है जो मानव की ईंधन जरूरतों को बढ़ा रहा है.गर्मी से बचने के लिए जहां पहले पंखों का उपयोग होता था, वही अब एसी का उपयोग आम हो चला है.

इसी तरह सड़क पर वाहनों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है. बिजली की उपलब्धता और उसकी मांग में निरंतर वृद्धि हो रही है. ऐसे में हम ईंधन का उपयोग भी तेजी से कर रहे हैं.

Why is it so important to conserve energy?

हमें एक बात याद रखनी होगी कि जिस जैव ईंधन पर मानव संस्कृति फल-फूल रही है. वह सीमित है और उसके अंधाधुंध उपयोग से उसकी कमी होती जा रही है.कच्चे तेल के कुएं सूखते जा रहे हैं.

ऐसी स्थिति बनी रही तो वह दिन दूर नहीं जब पृथ्वी का ईंधन समाप्त हो जाएगा और हमारे सभी संसाधन ठप्प हो जाएंगे. इस परेशानी से बचने का एक ही उपाय है कि हम जागरूक हो और ऊर्जा संरक्षण करें।

How to Conserve Energy कैसे कर सकते हैं ऊर्जा संरक्षण?

ऊर्जा संरक्षण आज की जरूरत है तभी कल सुनहरा होगा. कुछ सावधानियां बरतकर और अपने साधनों का विवेकशील प्रयोग करके हम आसानी से बड़ी मात्रा में ऊर्जा का संरक्षण कर सकते हैं. इस काम को हम अपने घर, सड़क और अपने कार्यस्थल तीनों ही जगहों पर कर सकते हैं.

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घर पर कैसे करें ऊर्जा की बचत? types of energy conservation

घर पर हम सबसे ज्यादा ईंधन का उपयोग अपनी रसोई में खाना बनाने के दौरान एलपीजी गैस के उपयोग के दौरान करते हैं, यहां हम बिन्दुवार टिप्स से यह समझ सकते हैं कि खाना बनाते वक्त किस तरह ऊर्जा संरक्षण किया जा सकता है-

➤ खाना जल्दी बने और साथ ही साथ ईंधन भी बचे इसके लिए प्रेशर कुकर का उपयोग करें.

➤ स्टार लेवल युक्त अथवा आईएसआई मार्क वाले घरेलु एलपीजी चूल्हो का उपयोग करें.

➤ खाना पकाने की सभी जरूरी सामग्री को एक स्थान पर एकत्रित कर लें ताकि चूल्हा जलाने के बाद उन्हें खोजने की प्रक्रिया में ईंधन न गंवाना पड़े.

➤ जल की उचित मात्रा का ही इस्तेमाल करें, जरूरत से अधिक पानी ईंधन का अपव्यय करता है.

➤ एक बार खाना उबलने लग जाए तो आंच धीमी कर दें.

➤ पकाने से पहले अनाज को पानी में भिगो दें, इससे खाना जल्दी पकेगा और ईंधन भी बचेगा.

➤ चौड़ी सतह वाले बर्तनों का उपयोग करें ताकि ऊर्जा का अधिकतम उपयोग हो सकें.

➤ खाना पकाने से पहले खुले बर्तन पर ढक्कन रख दें.

➤ गैस चुल्हे का छोटा बर्नर का ही ज्यादा इस्तेमाल करें इससे गैस कम खर्च होती है.

➤ उजली स्थिर लौ का अर्थ है कि खाना बनाने के लिए इतनी ही गैस पर्याप्त है.

➤ समय-समय पर चूल्हें के बर्नर को साफ करते रहे.

➤ फ्रिज से निकाली गई खाद्य सामग्री को पहले सामान्य तापमान में आ जाने दें, इसके बाद इसे पकाने में उपयोग करें.

➤ इन छोटी सावधानियों से आप न सिर्फ ईंधन की बचत करेंगे बल्कि आपके धन की भी बचत होगी.

कैसे करें ड्राइविंग के दौरान ऊर्जा संरक्षण?

हम अपनी गाड़ियों में बड़ी मात्रा में ईंधन का उपभोग करते हैं. हिन्दुस्तान में गाड़ियों में रोज इजाफा हो रहा है. मांग ज्यादा होने से पेट्रोल और डीजल के दाम भी बेतहाशा बढ़ रहे हैं. मांग कम करने और ईंधन संरक्षण के लिए ड्राइविंग के दौरान कुछ सावधानियां रखी जा सकती हैं-

➤ लाल बत्ती अधिक देर तक होने की स्थिति में अपने वाहन का इंजन बंद कर दें.

➤ कार्यस्थल पर आने जाने के लिए कार पूल या सार्वजनिक परिवहन का यथासंभव उपयोग करें.

➤ वाहन मध्यम गति से चलाए, इससे ईंधन संरक्षण होगा और दुर्घटना की संभावना भी कम हो जाएगी.

➤ वाहन भार कम से कम रखें.

➤ अपनी यात्रा का रूटचार्ट पहले से निर्धारित करें.

➤ कम ईंधन खपत के लिए सही गियर में ही वाहन चलाएं.

➤ बेहतर माइलेज के लिए टाॅप गेयर का अधिक उपयोग करें.

➤ एअर कंडीशनर का उपयोग कम से कम करें.

➤ अपने वाहन की समय-समय पर सर्विस करवाएं.

➤ गाड़ी में टायर में एअर प्रेशर सही रखें.

➤ व्हील अलाइनमेंट की जांच करवाते रहें.

➤ छोटी दूरी के लिए साइकिल का उपयोग करें अथवा पैदल चलें. इससे ईंधन संरक्षण के साथ आपकी सेहत भी अच्छी रहेगी.

कार्यस्थल पर कैसे करें ईंधन संरक्षण?

हम अपने दिन का बड़ा हिस्सा अपने कार्यस्थल पर बिताते हैं. इस दौरान हम ऐसे ढेरों संसाधनों का उपयोग करते हैं जो किसी न किसी तरह ईंधन का उपयोग करते हैं. कार्यस्थल पर छोटी-छोटी सावधानियों में बड़ी मात्रा में ईंधन संरक्षण किया जा सकता है.

➤ बिजली से चलने वाले उपकरणों को उपयोग के समय ही आॅन करें और उपयोग के तुरंत बाद आॅफ कर दें.

➤ आफिस में एअर कंडीशन का विवेकपूर्ण उपयोग करें.

➤ प्रिंटर का उपयोग कम से कम करें.

➤ आफिस छोड़ने से पहले सभी लाइट्स और उपकरण के स्विच आॅफ कर दें.

➤ कम्प्यूटर को स्लीप मोड पर छोड़ने की जगह उसे शट डाउन करें.

ईंधन के सम्बन्ध में कुछ रोचक तथ्य-Amazing Facts about Fuel

➤ पूरी दुनिया की ईंधन जरूरतों का 80 प्रतिशत जीवाश्म ईंधन के माध्यम से ही पूरा होता है.

➤ प्राकृतिक गैस मीथेन का ही एक रूप होता है.

➤ जीवाश्म ईंधन का उपयोग सबसे पहले बिजली उत्पादन के लिए किया गया.

➤ जीवाश्म ईंधन को बनाने की कोई तकनीक आज तक विकसित नहीं की जा सकी है.

➤ दुनिया के कई देशों में प्राकृतिक गैस की आपूर्ति गैस के कुंए से सीधे घरों को की जाती है.

➤ अमेरिका रोज 18 मिलियन बैरल तेल का उपयोग करता है.

➤ 1 लीटर गैस को बनाने के लिए 26 टन कच्चे उत्पाद को प्रसंस्कृत करना पड़ता है.

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ऊर्जा संरक्षण पर निबंध | Essay on Energy Conservation in Hindi

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ऊर्जा संरक्षण पर निबंध | Essay on Energy Conservation in Hindi!

आधुनिक युग विज्ञान का युग है । मनुष्य विकास के पथ पर बड़ी तेजी से अग्रसर है उसने समय के साथ स्वयं के लिए सुख के सभी साधन एकत्र कर लिए हैं । इतना होने के बाद और अधिक पा लेने की अभिलाषा में कोई कमी नहीं आई है बल्कि पहले से कहीं अधिक बढ़ गई है ।

समय के साथ उसकी असंतोष की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है। कल-कारखाने, मोटर-गाड़ियाँ, रेलगाड़ी, हवाई जहाज आदि सभी उसकी इसी प्रवृत्ति की देन हैं । उसके इस विस्तार से संसाधनों के समाप्त होने का खतरा दिन-प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है ।

प्रकृति में संसाधन सीमित हैं । दूसरे शब्दों में, प्रकृति में उपलब्ध ऊर्जा भी सीमित है। विश्व की बढ़ती जनसंख्या के साथ आवश्यकताएँ भी बढ़ती ही जा रही हैं । दिन-प्रतिदिन सड़कों पर मोटर-गाड़ियों की संख्या में अतुलनीय बुदधि हो रही है । रेलगाड़ी हो या हवाई जहाज सभी की संख्या में वृद्‌धि हो रही है । मनुष्य की मशीनों पर निर्भरता धीरे-धीरे बढ़ती जा रही है ।

इन सभी मशीनों के संचालन के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है । परंतु जिस गति से ऊर्जा की आवश्यकता बढ़ रही है उसे देखते हुए ऊर्जा के समस्त संसाधनों के नष्ट होने की आशंका बढ़ने लगी है । विशेषकर ऊर्जा के उन सभी साधनों की जिन्हें पुन: निर्मित नहीं किया जा सकता है । उदाहरण के लिए पेट्रोल, डीजल, कोयला तथा भोजन पकाने की गैस आदि ।

पेट्रोल अथवा डीजल जैसे संसाधनों रहित विश्व की परिकल्पना भी दुष्कर प्रतीत होती है । परंतु वास्तविकता यही है कि जिस तेजी से हम इन संसाधनों का उपयोग कर रहे हैं उसे देखते हुए वह दिन दूर नहीं जब धरती से ऊर्जा के हमारे ये संसाधन विलुप्त हो जाएँगे ।

ADVERTISEMENTS:

अत: यह आवश्यक है कि हम ऊर्जा संरक्षण की ओर विशेष ध्यान दें अथवा इसके प्रतिस्थापन हेतु अन्य संसाधनों को विकसित करें क्योंकि यदि समय रहते हम अपने प्रयासों में सफल नहीं होते तो संपूर्ण मानव सभ्यता ही खतरे में पड़ सकती है।

हमारे देश में भी ऊर्जा की आवश्यकता दिन पर दिन विकास व जनसंख्या वृद्‌धि के साथ बढ़ती चली जा रही है । ऊर्जा की बढ़ती माँग आने वाले वर्षो में आज से तीन या चार गुणा अधिक होगी । इन परिस्थितियों में भारत सरकार की ओर से ठोस कदम उठाने की अवश्यकता है । इस दिशा में अनेक रूपों में कई प्रयास किए गए हैं जिनस कुछ हद तक सफलता भी अर्जित हुई है । ‘बायो-गैस’ तथा अधिक वृक्ष उत्पादन आदि इसी दिशा में उठाए गए कदम हैं । पृथ्वी पर ऐसे ऊर्जा संसाधनों की कमी नहीं है जो प्रदूषण रहित हैं ।

विश्व भर में ऊर्जा संरक्षण व ऊर्जा के नवीन श्रोतों को विकसित करने के महत्व को समझा जा रहा है । सभी देश सौर-ऊर्जा को अधिक महत्व दे रहे हैं तथा इसे और अधिक उपयोगी बनाने व इसके विकास हेतु विश्व भर के वैज्ञानिकों द्‌वारा अनुसंधान जारी हैं । जहाँ तक भारत की स्थिति है, हमारे देश में पेट्रोलियम ऊर्जा का एक बड़ा भाग खाड़ी के तेल उत्पादक देशों में आयात किया जाता है ।

अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कभी-कभी कच्चा तेल इतना महँगा हो जाता है कि इसे खरीद पाना भारतीय तेल कंपनियों के वश में नहीं होता । तब सरकार या तो तेल मूल्यों में वृद्‌धि कर इस घाटे की भरपाई करती है अथवा तेल कंपनियों को सीमा-शुल्क आदि में छूट देकर स्वयं घाटा उठाती है । दोनों ही स्थितियों में बोझ देश के उपभोक्ताओं पर ही पड़ता है ।

हमें आशा है कि वैज्ञानिक ऊर्जा के नए संसाधनों की खोज व इसके विकास में समय रहते सक्षम होंगे । इसके अतिरिक्त यह आवश्यक है कि सभी नागरिक ऊर्जा के महत्व को समझें और ऊर्जा संरक्षण के प्रति जागरूक बनें । यह निरंतर प्रयास करें कि ऊर्जा चाहे जिस रूप में हो उसे व्यर्थ न जाने दें ।

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ऊर्जा के गैर परंपरागत स्रोतों पर निबंध | Essay on Non Conventional Energy Sources in Hindi

Essay on Non Conventional Energy Sources in Hindi : जिस गति ऊर्जा साधनों का दोहन किया जा रहा हैं निकट भविष्य में सम्पूर्ण विश्व को ऊर्जा संकट का सामना करना पड़ेगा.

एनर्जी के conventional resources अर्थात परम्परागत ऊर्जा स्रोत सिमित मात्रा में हैं. हमें non conventional energy resources के उपयोग को बढ़ावा देना होगा, यहाँ हम बच्चों के लिए गैर परम्परागत ऊर्जा पर निबंध बता रहे हैं.

Essay on Non Conventional Energy Sources in Hindi

ऊर्जा के गैर परंपरागत स्रोतों पर निबंध | Essay on Non Conventional Energy Sources in Hindi

ऊर्जा किसी मनुष्य की कार्य करने की क्षमता को कहते हैं. ऊर्जा भोजन से मिलती हैं. जिस प्रकार मोटर ट्रेनों आदि के संचालन के लिए खनिज तेल या विद्युत की आवश्यकता होती हैं, ठीक उसी तरह मनुष्य को भोजन की.

जिन संसाधनों से हमें ऊर्जा प्राप्त होती हैं उन्हें हम ऊर्जा के स्रोत कहते हैं. उन्हें ऊर्जा के परम्परागत स्रोत एवं जीवाश्म ईंधन भी कहा जाता हैं. ऊर्जा के ये परम्परागत स्रोत सिमित हैं.

यदि हम इनका सावधानी से प्रयोग नहीं करेगे तो हमारे सामने विकट समस्या पैदा हो जाएगी. चूँकि इन्हें प्राकृतिक रूप से निर्मित होने में लाखों वर्षों का समय लगता हैं.

आज जिस तरह से संसाधनो का दोहन हो रहा हैं, यदि इसी तरह आगे भी दोहन होता रहा तो 2050 ई के बाद पृथ्वी पर इन संसाधनों का अभाव हो जाएगा. ऊर्जा के संसाधनों की इसी कमी को ऊर्जा संकट कहा जाता हैं.

ऊर्जा संकट के समाधान के लिए इसके वैकल्पिक स्रोतों की तलाश की गई हैं. इन्हें ही हम ऊर्जा के गैर परम्परागत स्रोत कहते हैं. सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, बायो गैस, भूतापीय ऊर्जा, इत्यादि ऊर्जा के गैर परम्परागत स्रोत हैं.

ऊर्जा के गैर परंपरागत स्रोतों की जानकारी

सूर्य ऊर्जा का असीमित भंडार हैं. इससे सौर ऊर्जा हमें प्रकाश एवं ताप दो रूपों में मिलती हैं. इसका प्रयोग हम दो प्रकार से कर सकते हैं. सौ फोटोवोल्टेक और सौर तापीय.

सूर्य के प्रकाश को सीधे विद्युत् में परिवर्तित कर या इसके ताप का सीधे प्रयोग कर हम सौर ऊर्जा से लाभान्वित हो सकते हैं.

सौर ताप यंत्रों का प्रयोग पानी गर्म करने, खाना बनाने, विद्युत् उत्पादन इत्यादि कार्यों में होता हैं. सौर फोटोवोल्टेक प्रणाली में सौर ऊर्जा के प्रयोग की उच्च क्षमता विद्यमान हैं. यह प्रणाली सौर ऊर्जा को सीधे विद्युत् ऊर्जा में परिवर्तित कर देती हैं.

वायु से प्राप्त ऊर्जा को पवन ऊर्जा कहा जाता हैं. पवन ऊर्जा के लिए प्रायः पवन चक्की का प्रयोग किया जाता हैं.

जल विद्युत्

जल विद्युत् ऊर्जा का एक प्रमुख गैर पारम्परिक स्रोत हैं. ऊर्जा संकट की समस्या के समाधान के लिए आधुनिक ऊर्जा में जल विद्युत् को भी विशेष महत्व दिए जाने की आवश्यकता हैं.

बायोगैस ऊर्जा पशुओं के गोबर, मल, सड़ी रद्दी, सड़ी सब्जियों, फलों के अपशिष्ट, इत्यादि से प्राप्त की जाती हैं. बायो गैस के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय बायोगैस कार्यक्रम के अंतर्गत देश भर में 40 लाख से अधिक परिवारों के लिए बायो गैस संयंत्रों की स्थापना की जा चुकी हैं.

शहरी एवं औद्योगिक कचरे भी ऊर्जा के अच्छे स्रोत हैं. बायोमिथेनेशन एवं आर डी एफ कंबशचन प्रोद्योगिकी के आधार पर निर्मित संयंत्रों के माध्यम से इनसे विद्युत् उत्पादन किया जा सकता हैं.

भूतापीय ऊर्जा

पृथ्वी की ऊपरी सतह के नीचे अनेक स्थानों पर ऐसी चट्टानें हैं, जिनके नीचे उच्च स्तरीय ताप पाया जाता हैं. इसी ताप के कारण भू सतह पर हमें गर्म जल के स्रोत मिलते हैं.

यही ज्वालामुखी गर्म लावा निकालते हैं. आधुनिक समय में वैज्ञानिक इस ताप से ऊर्जा प्राप्त करने में सफल हुए हैं.

समुद्री ऊर्जा

समुद्री ऊर्जा के विभिन्न रूपों में समुद्री लहरें, समुद्री ताप ऊर्जा परिवर्तन ज्वार भाटा, इत्यादि शामिल हैं.

आजकल ऊर्जा के गैर पारम्परिक स्रोत के रूप में बायोडीजल के प्रयोग में वृद्धि हुई हैं. इसका व्यापक प्रयोग ऊर्जा संकट का एक अच्छा समाधान हो सकता हैं.

बायोडीजल बनाने के लिए सोयाबीन, अलसी, अरंडी जैसे कृषि जन्य उत्पादों से वसा या वनस्पति तेल का प्रयोग किया जाता हैं. बायोडीजल वह वैक्ल्पिक ईंधन हैं, जो पूरी तरह से जलकर ऊर्जा देता हैं.

निसंदेह पृथ्वी पर मौजूद सभी प्राकृतिक संसाधन सिमित मात्रा में हैं. विश्व की जनसंख्या दिनों दिन बढ़ती ही जा रही हैं. सभी प्राकृतिक संसाधनो पर निर्भर हैं.

मनुष्य को निर्भरता खत्म करते हुए गैर परम्परागत ऊर्जा के साधनों का उपभोग करना होगा. इसके लिए लोगों में जागरूकता फैलानी होगी.

गौरतलब हैं कि भारत में गैर परम्परागत ऊर्जा स्रोत मंत्रालय नई एवं पुनरुपयोगी ऊर्जा प्रणालियों तथा युक्तियो से सम्बन्ध सभी मामलों के लिए भारत सरकार की नोडल एजेंसी का कार्य करता हैं.

ऊर्जा के पुनरुपयोगी उपकरणों एवं उनकी प्रणालियों की बिक्री को बढ़ावा देने के लिए तथा ऐसी प्रणालियों और प्रविधियों की मरम्मत एवं रखरखाव के उद्देश्य से देश के विभिन्न कस्बों एवं नगरों में अक्षय ऊर्जा दुकानें खोली गयी हैं.

देश में उपलब्ध सौर, पवन, बायोगैस और लघु जल विद्युत् जैसे ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों से लाभ उठाने की दिशा में अच्छी प्रगति हुई हैं. इसके माध्यम से देश में प्रतिवर्ष ऊर्जा की कुल संस्थापित क्षमता के लगभग आठ प्रतिशत से अधिक ऊर्जा का उत्पादन हुआ हैं.

यह हम सबके लिए अच्छी बात हैं. इस ऊर्जा के उत्पादन को और बढ़ाया जा सकता हैं. जरूरत है तो सिर्फ सबके एक साथ कदम बढ़ाने की, यदि हम यह संकल्प कर लें कि हमें अधिक से अधिक ऊर्जा के गैर परम्परागत साधनों का प्रयोग करना हैं.

तो हमें कोई शक्ति डिगा नहीं सकती. ऊर्जा के गैर परम्परागत स्रोतों का प्रयोग यानी ऊर्जा का विकास. ऊर्जा का विकास यानी मनुष्य का विकास.

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आपका कीमती समय हमारे साथ बिताने के लिए आपको धन्यवाद् देते हैं. ऊर्जा के गैर परंपरागत स्रोतों पर निबंध Essay on Non Conventional Energy Sources in Hindi इस लेख में आपकों दी गई जानकारी अच्छी लगी होगी. यदि आपकों नॉन कन्वेशनल एनर्जी सोर्स एस्से  इन हिन्दी का यह लेख पसंद आया हो तो प्लीज अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करे.

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Conventional Energy Sources: Advantages and Disadvantages

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Conventional Energy Sources: There are many resources on our planet Earth to produce energy. Some of these resources are used only for a single time, deposited in limited quantity, and are also harmful to the environment, on the other hand, some resources are used repeatedly without endangering the future and eco friendly. Let’s discuss the Energy.

Table of Content

Conventional sources of energy, advantages of conventional sources of energy, disadvantages of conventional sources of energy, classification of the sources of energy, importance of the sources of conventional energy., sources of energy consumption in india, government policies for the energy sector, current performance of india’s energy sector, year-end assessment (2022) of india’s renewable energy sector, india’s current non-fossil energy capacity.

conventional source of energy: When we cannot reuse a sources of energy after using it once known as conventional sources of energy also called “non-renewable energy resources”. It is the most important conventional source of energy. It includes coal, petroleum, natural gas and nuclear energy. Oil is the most widely used source of energy.

Advantages of conventional sources of energy are as follows;

  • The efficiency of the energy sources is high. Because from 1gm of uranium, we get 1 MW of energy, and from 1-tonne coal, we get 2460 kWh of energy.
  • The production expenses are low. According to government data of August 2021, the price of Uranium is $50/lb.
  • The raw materials of conventional Sources of Energy are easy to transport. Raw materials such as coal, petroleum, and natural gas can be transported easily through trains or ships from one place to another.
  • Generally it doesn’t need any specific place for installation. The government can easily set up a conventional plant according to their requirements. Such as if the government wants to install a thermal plant in Uttarakhand or in Jammu they can easily install it.
  • Though it can generate energy instance, there is no need to wait and it produces as much energy as the requirements.

Disadvantages of conventional sources of energy are as follows;

  • They are the main reason for the pollution. Because it releases carbon monoxide from polluters into the atmosphere. According to The International Energy Agency, in 2018, India emitted 2,299 million tonnes of carbon monoxide. This report also said that India’s per capita emissions were about 40% of the global average and contributed 7% to the global carbon dioxide burden.
  • Generating radioactive waste. We all know about the Fukushima Daiichi nuclear disaster which happened in 2011. Recently Japanese government has decided to release radioactively contaminated water into the ocean. But the environmentalists warn that it should be harmful to ocean life.
  • High startup cost. According to the government estimate, the cost may be about 50 to 70 crores INR for setting up a 10 MW thermal power unit. Whereas to set up a nuclear power plant, it is required ₹60,000 crores.

There are two major sources of Energy:

1. Conventional Sources of Energy

2. non-conventional sources of energy.

When a source of Energy cannot be reused after using it once, we call it a conventional Source of Energy. The conventional Sources of Energy are fixed and harmful to the environment. It can be further categorized into two divisions, such as

  • Commercial sources of Energy ( such as coal, petroleum, nuclear energy, natural gas, etc.)
  • Non-commercial sources of Energy ( such as firewood, straw, dried dung, etc.)

These types of resources get renewed or replenished fast for that reason, it is also known as renewable energy or clean energy.

  • Examples: solar energy, wind energy, hydro energy, tidal energy, etc.

It is a fossil fuel and most abandon conventional Sources of Energy. This involves a long process that takes place over a long period of time at least 200 years. It is mostly used for generating electricity by thermal plants. It contributes about 67% of total commercial energy. There are four types of coal of which Anthracite and Bituminous coal are mainly used to produce energy. In India Damodar Valley including the Chota Nagpur region, The Godavari basin is the most important source of coal production. India also imports some good quality coal from various countries such as Australia, Indonesia, Russia, etc.

Oil or Petroleum

India is the 3rd largest oil-consuming country in the world. It is a mixture of hydrocarbons. The estimated reserves of crude oil in India in 2018 stood at 595 million tonnes. It is the most conventional Source of Energy and is abandoned in India and all over the world. India completes 70% of its need by importing crude oil from Iran, the USA, Saudi Arabia, and other countries.

Natural Gas

It is a mixture of Methane, Ethene, Propene, Butene, and hydrogen sulfide. It is also making a significant contribution to the household sector. Natural Gas is extracted by ONGC. According to an estimate, there are 450 billion cubic meters of natural gas reserves in India. Out of this reserve, 75% lies in Bombay High, 12% in Gujarat, 7% in Andhra Pradesh, and 6% in Assam. Almost 40% of natural gas is used in the fertilizer sector, about 30 % is used in power generation, and about 10% in LPG(cooking gas). Iran is the largest exporter of natural gas to India. It causes less air pollution.

Nuclear Power

It is a valuable source of clean energy in which a very small amount of radioactive substance can able to produce a lot of energy. Uranium, Thorium, and Plutonium are used as raw materials to produce nuclear power. At present, there is 17 nuclear power plant in India. A maximum of these plants are situated in the western part of India. It contributes less than 4% of the total energy production. India’s nuclear power programme is aimed to increase the present installed capacity of 6.78 GW to 22.48 GW by 2031.

It refers to various forms of wood used for cooking, heating, driving steam engines, etc. The various forms of fuelwood are firewood, charcoal, pelleted sawdust, wood chips, etc. A maximum of fuelwood is used by the rural people to produce energy for their day-by-day cooking. Rural people collect wood from natural forests and plantations. But overconsumption of fuelwood led to deforestation. Combustion of this resource also causes the emission of toxic gases into the air. So, nowadays people are using coal or biogas as a substitute for fuelwood. According to an estimate, in India, almost 67% of rural households still depend on firewood or wood chips for cooking. According to the data released by the Ministry of Statistics in 2015, there is a decline of only 12% over two decades.

The government introduced historic schemes like SAUBHAGYA, UJALA, and UJJWALA to extend citizens’ access to electricity, affordable efficient lighting, and clean cooking.

  • In recent times, the government wanted to shift its energy-generating sources from conventional to non-conventional (solar, wind, hydro energy, ocean current, etc.) methods to minimize environmental-related pollution.

The performance of Category generation during the year 2020-21 was as follows:-

  • Thermal Reduced by – 0.98 %
  • Hydro Increased by – 3.51 %
  • Nuclear Increased by – 7.41 %
  • Bhutan Import Increased by – 51.27 %
  • Solar, Wind & Other RES – 6.44 %
  • Overall Growth rate recorded by – 0.52 %

India’s commitment at COP26, the Ministry of New and Renewable Energy is working towards achieving 500 GW of installed electricity capacity from non-fossil sources by 2030. Here are the latest data provided by the Ministry of New and Renewable Energy;

  • India is in 4th rank globally in renewable energy with 172.72 GW installed capacity (including large Hydro projects).
  • India also ranks fourth globally in both wind and solar power capacity as per the REN21 Renewables 2022 Global Status Report.
  • Non-fossil fuel sources contribute up to 42.26% of India’s total installed generation capacity.
  • From January to October 2022, India added 14.21 GW of Renewable Energy capacity, compared to the 11.9 GW added in the year 2021.
  • 56 Solar Parks have been approved across 14 states with a total capacity of 39.28 GW.

FAQs On Conventional Energy

1. what are the issues with conventional sources of energy.

Conventional energy sources can cause several various types of pollution. Some of the most common ones are air pollution, acid rain, and greenhouse gasses etc.

2. What are the disadvantages of Conventional Energy?

The disadvantages of conventional energy sources includes Environmental Impact – Conventional sources of energy such as coal, oil, and natural gas are a major patronto pollution and climate change. They dischargeharmful chemicals and greenhouse gases into the air, which can harm the environment and human health.

3. What are the sources of Non-Conventional Energy?

Natural resources like solar, water, wind, tides, biomass, etc. are non-conventional energy sources. These energy sources are clean and hence we can use these to produce pollution-free energy without any wastage.

4. What are the advantages of Non-Conventional Energy?

Non-conventional energy produces little or no pollution as compared to traditional energy sources. They require low maintenance. They are sustainable in nature and a long-term cost-effective choice. Which benefits the enviroments.

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  8. Conventional & Non Conventional Source Of Energy (Hindi ...

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  9. Conventional Sources of Energy in Hindi

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  10. Conventional Sources of Energy (in Hindi)

    Conventional Sources of Energy (in Hindi) Lesson 3 of 5 • 5 upvotes • 6:55mins. Praveen Sharma. Conventional sources of energy. Continue on app (Hindi) Energy for Class 11. 5 lessons • 32m . 1. Introduction (in Hindi) 7:17mins. 2. What is a Good Source of Energy? (in Hindi) 3:57mins. 3.

  11. Conventional Sources of Energy in Hindi

    Conventional Sources of Energy in HindiFind Class 10 CBSE Board Question Papers ALL Subjects :https://learneveryone.viden.io/knowledge/class-10-cbse-board-qu...

  12. Conventional Energy Sources (in Hindi)

    Non Conventional Sources of Energy (in Hindi) 13:56mins. 8. Agriculture: Farm System, Types of Farming, and more (in Hindi) 14:38mins. 9. Industries: Classification of Industries, Industrial System, and more (in Hindi) 14:54mins. 10. Human Resources: Distribution of Population, Factors Affecting it, and more (in Hindi)

  13. ऊर्जा के पारंपरिक और गैर-पारंपरिक स्रोत

    Coal is the most important source of energy. Coal accounts for 63.84% of India's total installed energy. The quality of coal received in the country is not good. Hence India has to depend on import of coal from abroad for its coal requirement. Most of the coal in the country is used in power generation and in industries. 3.

  14. Conventional and Non Conventional Sources of Energy in Hindi

    Watch Conventional and Non Conventional Sources of Energy in Hindi from EVS Physics and Resources and Types and Energy Sources and Electricity here. Watch all CBSE Class 5 to 12 Video Lectures here.

  15. Conventional Energy(Part-1) (in Hindi)

    Conventional Energy(Part-1) (in Hindi) Lesson 4 of 6 • 0 upvotes • 5:20mins. Shivalika Singh. What is energy and Convention energy. Two types of conventional energy. Brief view of Commercial energy. Continue on app (Hindi) Protected Area Networks and Convention Energy: UPSC CSE.

  16. Energy Conservation Essay: ऊर्जा संरक्षण पर निबंध

    Essay on Energy Conservation in 200 words. ऊर्जा का सही रूप से इस्तेमाल करना और और बेवजह ऊर्जा को उपयोग ना करना ऊर्जा संरक्षण कहलाता है। ऊर्जा हमारे जीवन के लिए काफी उपयोगी होती ...

  17. energy conservation essay in hindi— ऊर्जा संरक्षण पर निबंध

    essay, general knowledge. ऊर्जा संरक्षण आज समय की आवश्यकता है. ईंधन मानव को दिया गया प्रकृति का अनमोल उपहार है. ईंधन पर मानव सभ्यता की निर्भरता दिनों ...

  18. ऊर्जा संरक्षण पर निबंध

    Article shared by: ऊर्जा संरक्षण पर निबंध | Essay on Energy Conservation in Hindi! आधुनिक युग विज्ञान का युग है । मनुष्य विकास के पथ पर बड़ी तेजी से अग्रसर है उसने समय के ...

  19. Essay on Non Conventional Energy Sources in Hindi

    April 25, 2023 Kanaram siyol HINDI NIBANDH. Essay on Non Conventional Energy Sources in Hindi : जिस गति ऊर्जा साधनों का दोहन किया जा रहा हैं निकट भविष्य में सम्पूर्ण विश्व को ऊर्जा संकट का ...

  20. Conventional and non conventional sources of energy in Hindi

    The energy which is not derived from the sun is: Medium. View solution. >. Watch Conventional and non conventional sources of energy in Hindi from Resources and Types and Renewable and Non - Renewable Energy here. Watch all CBSE Class 5 to 12 Video Lectures here.

  21. Conventional Energy Sources: Advantages and Disadvantages

    1. Conventional Sources of Energy; 2. Non-conventional Sources of Energy; 1. Conventional Sources of Energy. When a source of Energy cannot be reused after using it once, we call it a conventional Source of Energy. The conventional Sources of Energy are fixed and harmful to the environment. It can be further categorized into two divisions, such as

  22. सौर ऊर्जा पर निबंध

    सौर ऊर्जा के लाभ तथा हानि, सौर ऊर्जा (Solar Energy Nibandh in Hindi) के प्रयोग के प्रोत्साहन के बारे में जानेगे | Search for: Search Button. ... Essay on Solar Energy in Hindi. by Meenu Saini | Jul 19, 2022 | Hindi | 0 ...

  23. [हिन्दी] Non Conventional Energy Source MCQ [Free Hindi PDF

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