भारतीय शिक्षा प्रणाली पर निबंध Essay on Education System in India (Hindi)

इस लेख में आप भारतीय शिक्षा प्रणाली पर निबंध (Essay on Indian Education System in Hindi) पढ़ेंगे। जिसमें भारत की वर्तमान शिक्षा प्रणाली के विषय में, भारतीय शिक्षा व्यवस्था का विकास, शिक्षा प्रणाली के गुण और दोष को आसान भाषा में समझाया गया है।

Table of Content

भारत की वर्तमान शिक्षा प्रणाली Current Education System of India in Hindi

किसी भी देश का भविष्य उसकी शिक्षा प्रणाली पर ही निर्भर करता है। जिस देश में साक्षरता दर जितनी अधिक रहेगी वह देश उतना ही विकसित होगा। जीवन में शिक्षा का महत्व उतना ही होता है, जितना जीवित रहने के लिए भोजन का होता है। शिक्षा के विषय में एक प्रसिद्ध कहावत है, कि शिक्षा स्वयं शक्ति होती है।

हम जानते हैं, कि सोने की चिड़िया कहीं जाने वाली हमारी भारत माता को कई विदेशी आक्रमणकारियों ने बंधी बनाया है। सभी ने अपने अपने अनुसार बदलाव करके भारतीय संस्कृति में शिक्षा का नक्शा ही बदल कर रख दिया है।

वर्तमान समय में यदि भारतीय शिक्षा पद्धति की बात करें तो यह पहले जैसे बिल्कुल भी नहीं रही है। वास्तव में हमने वह हीरा गंवा दिया है, जिस पर हमारा एकाधिकार हुआ करता था। वर्तमान शिक्षा प्रणाली में बहुत सारी त्रुटियां उत्पन्न हो गई है, जो भारत के विकास में काफी हद तक  बाधा डाल रही हैं।

गरीबी , भ्रष्टाचार , गुनाह, चोरी-डकैती इत्यादि जितने भी अपराध वर्तमान में हम देखते हैं, वे सभी निरक्षरता की ही देन है।

हिंदुस्तान के हर गली कूचे में श्रेष्ठ विशेषताओं वाले लोग मिल ही जाते हैं, लेकिन तथाकथित शिक्षा का कोई सर्टिफिकेटना ना होने अथवा भारत की खराब शिक्षा प्रणाली के कारण उन्हें देश में कोई नाम नहीं मिल पाता है।

भारतीय शिक्षा व्यवस्था का विकास Development of Indian Education System in Hindi

विश्व की पहली सुविधा युक्त नालंदा विश्वविद्यालय को बख्तियार खिलजी द्वारा जला दिया गया था। ऐसा माना जाता है, कि हमारे कई धार्मिक ग्रंथों को मुगल आताताईयों द्वारा चुरा लिया गया था और जिसे वह अपने साथ ले जाने में असफल रहे थे, उन सभी शिक्षा स्त्रोतों को जला दिया गया था।

इस समय भारत में लोगों को शिक्षा के प्रति प्रोत्साहित करने के लिए एक बार फिर से प्रयत्न किए गए थे। सर्वप्रथम कोलकाता मदरसा नामक शिक्षा संस्थान वारेन हेस्टिंग्स द्वारा 1781 में स्थापित किया गया था।

सन 1835 में गवर्नर जनरल लॉर्ड विलियम बेंटिक के समक्ष लॉर्ड मेकाले द्वारा एक परिषद में अंग्रेजी शिक्षा अधिनियम 1835 नामक एक शिक्षण कानून को पारित किया गया था।

आपको बता दें कि लॉर्ड मेकाले वर्तमान भारत में पाश्चात्य शिक्षा पद्धति के जनक माने जा सकते हैं। इसके बाद भारतीय शिक्षा पद्धति में बदलाव करने के लिए कई योजनाएं और समितियां बनाई गई थी।

भारतीय शिक्षा प्रणाली के गुण Features of Education System in India (Hindi)

यदि प्राचीन भारतीय शिक्षा प्रणाली की बात की जाए तो वहां कोई विद्यालय या विश्वविद्यालय नहीं हुआ करते थे।

शिक्षा प्राप्त करने के लिए गुरुकुल प्रणाली होती थी, जो वाकई में स्वयं में ही एक अद्भुत शिक्षा पद्धति थी।  सदियों पहले चलने वाली हमारी गुरुकुल शिक्षा पद्धति इतनी विख्यात थी जहां प्रत्येक स्वदेशी तथा विदेशी लोग भी आया करते थे।

हिंदुस्तान के महान गणितज्ञ आर्यभट्ट , नागार्जुन, महर्षि सुश्रुत , महर्षि चरक , पतंजलि ऋषि इत्यादि न जाने कितने महान लोगों ने दुनिया को नए अविष्कार दिए हैं। प्राचीन भारतीय शिक्षा प्रणाली की ही देन है, जिससे हमारा भारत विश्व गुरु के नाम से जाना जाता था।

अंग्रेजों द्वारा दिया गया शिक्षा पद्धति भी काफी हद तक आधुनिक भारत के लिए एक अच्छा उपहार माना जा सकता है। वर्तमान शिक्षण संस्थानों में विद्यार्थियों के बीच किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जाता है। जाति, धर्म, रंग रूप, लिंग आदि बिना किसी ऊंच-नीच का अंतर किए बिना सभी को शिक्षा दिया जाता है।

आज के समय में सभी क्षेत्रों में प्रतिस्पर्धा होती हैं। जब विद्यार्थी कक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करने के लिए पाठ्यक्रम को अच्छी तरह से समझ कर पढ़ता है तो उसे बहुत कुछ जानने और समझने को मिलता है।

वर्तमान समय के भारतीय शिक्षा प्रणाली का पाठ्यक्रम दूसरे देशों के पाठ्यक्रमों से मिलता जुलता है। समान पाठ्यक्रम होने से विद्यार्थियों को दूसरे देश की संस्कृति और व्यवस्थाओं को समझने में काफी मदद मिलती है।

भारतीय शिक्षा प्रणाली के दोष Defects of Education System in India (Hindi)

भारत की वर्तमान शिक्षा प्रणाली भले ही आधुनिकता से परिचित है, लेकिन शिक्षा प्राप्त करने वाले लोगों को इसका कोई खास फायदा नहीं होता है।

आज की शिक्षा पद्धति हमें विकास की तरफ ले जाने के बदले पीछे धकेल रही है, जिसे हम अपना सौभाग्य समझ रहे हैं। अंग्रेजों ने जिस शिक्षा पद्धति को भारत में लागू किया था, उससे काफी नकारात्मक परिणाम सामने आए हैं।

यह वास्तविकता है, कि परीक्षा के बाद कुछ ही ऐसे विद्यार्थी होते हैं, जिन्हें वह रटा हुआ पाठ्यक्रम लंबे समय तक याद रह सके। पढ़ाई करने का सही तरीका जनना बहुत जरूरी है।

आज के सभी स्कूल कॉलेजों में पढ़ाई के लिए बच्चों पर इतना अधिक बोझ बनाया जाता है, कि उससे विद्यार्थियों की मनोस्थिति पर भी गहरा प्रभाव पड़ता है। ऐसे कई खबर हमें सुनने को मिल जाएंगे कि किसी विद्यार्थी ने अच्छे अंक प्राप्त ना करने के कारण अथवा फेल हो जाने के कारण आत्महत्या कर ली हो।

यह आज की विफल शिक्षा पद्धति ही है, जिसके परिणाम स्वरूप विद्यार्थियों को अपने जीवन से ज्यादा महत्वपूर्ण परीक्षा में पास होना लगता है।

यदि कोई विद्यार्थी स्कूल और कॉलेजों में शिक्षा के लिए ढेर सारे पैसे खर्च करने के बाद भी एक छोटी सी नौकरी से ही अपना जीवन निर्वाह करने पर मजबूर हो, तो यह वर्तमान शिक्षा की विफलता नहीं तो और क्या है।

कई बार तो उच्च शैक्षणिक संस्थानों से शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात भी लोगों को बेरोजगारी का सामना करना पड़ता है। जो यह दर्शाता है कि भारत शिक्षा के क्षेत्र में कितना पीछे हो गया है।

निष्कर्ष Conclusion

इस लेख में आपने हिंदी में भारतीय शिक्षा प्रणाली पर निबंध (Essay on Education System in India Hindi) पढ़ा। आशा है यह लेख आपको अच्छा लगा होगा। अगर यह लेख आपको पसंद आया हो और जानकारी से भरपूर लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें।

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दा इंडियन वायर

भारतीय शिक्षा प्रणाली पर निबंध

education system in india essay in hindi

By विकास सिंह

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विषय-सूचि

भारतीय शिक्षा प्रणाली पर निबंध, essay on indian education system in hindi (200 शब्द)

भारतीय शिक्षा प्रणाली विदेशी राष्ट्रों से काफी अलग है। पश्चिमी देशों में पाठ्यक्रम काफी हल्का और व्यावहारिक ज्ञान पर आधारित माना जाता है, जबकि भारत में फोकस सैद्धांतिक ज्ञान और रट कर प्राप्त अंकों पर है।

छात्रों से अपेक्षा की जाती है कि वे सारे अध्याय रटें और कक्षा में अच्छे ग्रेड लाएँ। भारतीय स्कूलों में अंकन प्रणाली प्राथमिक कक्षाओं से शुरू होती है, जिससे छोटे बच्चों पर बोझ पड़ता है। प्रतियोगिता दिन पर दिन बढ़ रही है। माता-पिता चाहते हैं कि उनके बच्चे अपने साथियों से बेहतर प्रदर्शन करें और शिक्षक चाहते हैं कि उनका वर्ग अन्य कक्षाओं की तुलना में बेहतर करे।

प्रतियोगिता के आगे रहने के आग्रह से वे इतने अंधे हो जाते हैं कि उन्हें एहसास ही नहीं होता कि वे बच्चों को गलत दिशा में धकेल रहे हैं। एक ऐसी उम्र में जब छात्रों को अपनी रुचियों का पता लगाने और अपने रचनात्मक पक्ष को सुधारने का मौका दिया जाना चाहिए, उन्हें एक निर्धारित पाठ्यक्रम का पालन करने के लिए दबाव डाला जाता है और अच्छे अंक प्राप्त करने के लिए दिन-रात एक कर दिया जाता है।

छात्रों को गणित, भौतिकी और अन्य विषयों की विभिन्न अवधारणाओं को समझने के बजाय, अध्याय सीखने पर पूरा ध्यान केन्द्रित करवाया जाता है। इस वजह से वे व्यवहारिक ज्ञान नहीं ले पाते और ज़िन्दगी में आगे अपने लिए फैसले लेने में अक्षम होते हैं और अपनी रूचि के अनुसार पेशा भी नहीं चुन सकते हैं। अतः भारतीय शिक्षा प्रणाली का आधार बहुत अनुचित है।

भारतीय शिक्षा प्रणाली पर निबंध, essay on indian education system in hindi (300 शब्द)

भारतीय शिक्षा प्रणाली का विकास.

भारतीय शिक्षा प्रणाली पुरानी और सांसारिक कही जाती है। ऐसे समय में, जब विश्व रचनात्मक और उत्साही व्यक्तियों की तलाश में हैं, भारतीय स्कूल युवा मन कोकिताबी ज्ञान से प्रशिक्षित कर रहे हैं जोकि उन्हें बीएस किताबी कीड़ा बना रहा है तथा एक रचनात्मक व्यक्ति बन्ने से रोक रहा है।

सुझाव देने या विचारों को साझा करने की कोई स्वतंत्रता नहीं है। भारतीय शिक्षा प्रणाली में सुधार की गंभीर आवश्यकता है जो बदले में होशियार व्यक्तियों को विकसित करने में मदद कर सकती है।

रचनात्मक सोचने की जरूरत है:

अगर हम नए आविष्कार करना चाहते हैं, तो समाज में सकारात्मक बदलाव लाने और व्यक्तिगत स्तर पर समृद्धि लाने की जरूरत है। हालाँकि, दुर्भाग्य से हमारे स्कूल हमें प्रशिक्षित करते हैं अन्यथा। वे हमें एक निर्धारित अध्ययन कार्यक्रम से जोड़ते हैं और हमें असाइनमेंट पूरा करने और सैद्धांतिक सबक सीखने में इतना व्यस्त रखते हैं कि रचनात्मकता के लिए कोई जगह नहीं बची है।

रचनात्मक सोच के लिए भारतीय शिक्षा प्रणाली को बदलना होगा। स्कूलों को उन गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए जो छात्र के दिमाग को चुनौती देते हैं, उनके विश्लेषणात्मक कौशल को सुधारते हैं और उनकी रचनात्मक सोच क्षमता को बढ़ाते हैं। इससे उन्हें अलग-अलग क्षेत्रों में बेहतर प्रदर्शन करने में मदद मिलेगी।

सर्वांगीण विकास की आवश्यकता:

भारतीय शिक्षा प्रणाली का प्राथमिक फोकस शिक्षाविदों पर है। यहां भी अवधारणा को समझने और ज्ञान बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित नहीं किया गया है, बल्कि केवल अच्छे अंक प्राप्त करने के एकमात्र उद्देश्य के साथ या बिना उन्हें समझने के लिए पाठों को मग करना है। भले ही कुछ स्कूलों में पाठ्येतर गतिविधियां हों, लेकिन इन गतिविधियों के लिए प्रति सप्ताह एक कक्षा शायद ही होती है।

भारतीय विद्यालयों में शिक्षा केवल सैद्धांतिक ज्ञान प्राप्त करने के लिए कम कर दी गई है जो एक बुद्धिमान और जिम्मेदार व्यक्ति को उठाने के लिए पर्याप्त नहीं है। छात्रों के सर्वांगीण विकास को सुनिश्चित करने के लिए प्रणाली को बदला जाना चाहिए।

निष्कर्ष:

सत्ता में बैठे लोगों को समझना चाहिए कि भारतीय शिक्षा प्रणाली को गंभीर सुधारों की आवश्यकता है। प्रणाली को आध्यात्मिक, नैतिक, शारीरिक और मानसिक रूप से छात्रों को विकसित करने के लिए बदलना चाहिए।

भारतीय शिक्षा प्रणाली पर निबंध, indian education system essay in hindi (400 words)

प्रस्तावना :.

भारतीय शिक्षा प्रणाली ने अपनी स्थापना के बाद से अब तक काफी कुछ बदलाव देखे हैं। बदलते समय के साथ और समाज में बदलाव के साथ इसमें बदलाव आया है। हालांकि, ये बदलाव और विकास अच्छे के लिए हैं या नहीं यह अभी भी एक सवाल है।

गुरुकुल

भारतीय शिक्षा प्रणाली कई सदियों पीछे चली गई। प्राचीन काल से, बच्चों को विभिन्न विषयों पर सबक सीखने और उनके जीवन में मूल्य जोड़ने और उन्हें आत्म निर्भर जीवन जीने के लिए कुशल बनाने के लिए शिक्षकों के पास भेजा जाता था। प्राचीन काल के दौरान, देश के विभिन्न हिस्सों में गुरुकुल स्थापित किए गए थे।

बच्चे शिक्षा लेने के लिए गुरुकुल में जाते थे। वे अपने गुरु (शिक्षक) के साथ उनके आश्रम में रहे जब तक उन्होंने अपनी शिक्षा पूरी नहीं की। छात्रों को विभिन्न कौशल सिखाए गए, विभिन्न विषयों में पाठ दिए गए और उनके सर्वांगीण विकास को सुनिश्चित करने के लिए घर के काम करने में भी शामिल किया गया।

भारतीय शिक्षा प्रणाली में अंग्रेज़ों द्वारा बदलाव :

जैसे ही अंग्रेजों ने भारत का उपनिवेश बनाया, गुरुकुल प्रणाली को मिटाना शुरू कर दिया क्योंकि अंग्रेजों ने एक अलग शिक्षा प्रणाली का पालन करने वाले स्कूलों की स्थापना की। इन स्कूलों में पढ़ाए जाने वाले विषय गुरुकुलों में पढ़ाए जाने वाले विषयों से काफी भिन्न थे और इसी तरह से अध्ययन सत्र आयोजित किए जाते थे।

भारत की पूरी शिक्षा प्रणाली में अचानक बदलाव हुआ। ध्यान छात्रों के सर्वांगीण विकास से हटकर अकादमिक प्रदर्शन पर गया। यह बहुत अच्छा बदलाव नहीं था। हालाँकि, इस दौरान अच्छे के लिए एक चीज बदल गई, वह यह कि लड़कियों ने भी शिक्षा लेनी शुरू की और स्कूलों में दाखिला लिया।

एडुकॉम्प स्मार्ट क्लासेस का परिचय:

अंग्रेजों द्वारा शुरू की गई शिक्षा प्रणाली आज भी भारत में प्रचलित है। हालांकि, प्रौद्योगिकी में प्रगति के साथ कई स्कूलों ने छात्रों को शिक्षा प्रदान करने के लिए नए साधनों को अपनाया है। स्कूलों में एडुकॉम्प स्मार्ट कक्षाएं शुरू की गई हैं।

इन वर्गों ने एक सकारात्मक बदलाव लाया है। पहले के समय के विपरीत जब छात्र केवल किताबों से सीखते थे, अब वे अपने कक्षा के कमरों में स्थापित एक बड़ी चौड़ी स्क्रीन पर अपना पाठ देखने को मिलते हैं। यह सीखने के अनुभव को रोचक बनाता है और छात्रों को बेहतर समझने में मदद करता है।

इसके अतिरिक्त, छात्रों के सर्वांगीण विकास के लिए स्कूलों द्वारा कई पाठ्येतर गतिविधियाँ भी शुरू की जा रही हैं। हालांकि, अंकन प्रणाली अभी भी कठोर है और छात्रों को बड़े पैमाने पर अपने शिक्षाविदों पर ध्यान केंद्रित करना है।

इसलिए, प्राचीन काल से ही भारतीय शिक्षा प्रणाली में एक बड़ा बदलाव आया है। हालाँकि, हमें छात्रों के समुचित विकास के लिए प्रणाली में और सुधार की आवश्यकता है।

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भारतीय शिक्षा प्रणाली पर निबंध, indian education system essay in hindi (500 words)

प्रस्तावना:.

भारतीय शिक्षा प्रणाली को काफी हद तक त्रुटिपूर्ण कहा जाता है। यह युवा दिमाग का फायदे से ज्यादा नुकसान करता है। हालांकि, कुछ लोग यह तर्क दे सकते हैं कि यह छात्रों को एक अच्छा मंच देता है क्योंकि यह उनके दिमाग को चुनौती देता है और उनकी संतुष्टि को बढ़ाने की शक्ति पर ध्यान केंद्रित करता है। भारतीय शिक्षा प्रणाली अच्छी है या खराब इस पर बहस जारी है।

भारतीय शिक्षा प्रणाली के गुण और दोष:

जबकि सत्ता में बैठे लोग भारतीय शिक्षा प्रणाली में अच्छे और बुरे पर चर्चा करते हैं और सुधारों को लाने की आवश्यकता है या नहीं, यहाँ उसी के पेशेवरों और विपक्षों पर एक नज़र है।

भारतीय शिक्षा प्रणाली के विपक्ष

भारतीय शिक्षा प्रणाली में कई विपक्ष हैं। यहाँ प्रणाली में मुख्य विपक्ष में से कुछ पर एक नज़र है:

व्यावहारिक ज्ञान का अभाव : भारतीय शिक्षा प्रणाली का फोकस सैद्धांतिक भाग पर है। शिक्षक कक्षाओं के दौरान पुस्तक से पढ़ते हैं और अवधारणाओं को मौखिक रूप से समझाते हैं। छात्रों को सैद्धांतिक रूप से भी जटिल अवधारणाओं को समझने की उम्मीद है। अत्यधिक आवश्यक होने पर भी व्यावहारिक ज्ञान प्रदान करने की आवश्यकता महसूस नहीं की जाती है।

ग्रेड पर ध्यान : भारतीय स्कूलों का ध्यान अच्छे ग्रेड पाने के लिए अध्यायों को गढ़ने पर है। शिक्षक परेशान नहीं करते हैं यदि छात्रों ने अवधारणा को समझा है या नहीं, वे सभी देखते हैं कि वे कौन से अंक प्राप्त किए हैं।

सर्वांगीण विकास के लिए कोई महत्व नहीं : ध्यान केवल पढ़ाई पर है। छात्र के चरित्र या उसके शारीरिक स्वास्थ्य के निर्माण के लिए कोई प्रयास नहीं किया जाता है। स्कूल अपने छात्रों के सर्वांगीण विकास में योगदान नहीं करते हैं।

ज़्यादा पढ़ाई का बोझ  : छात्रों पर पढ़ाई का बोझ है। वे स्कूल में लंबे समय तक अध्ययन करते हैं और उन्हें घर पर काम पूरा करने के लिए घर के काम का ढेर दिया जाता है। इसके अलावा, नियमित कक्षा परीक्षण, प्रथम अवधि की परीक्षा, साप्ताहिक परीक्षा और मध्यावधि परीक्षा युवा दिमाग पर बहुत दबाव डालती है।

भारतीय शिक्षा के सकारात्मक बिंदु :

भारतीय शिक्षा प्रणाली के कुछ नियम इस प्रकार हैं:

विभिन्न विषयों पर ज्ञान प्रदान करता है : भारतीय शिक्षा प्रणाली में एक विशाल पाठ्यक्रम शामिल है और कुछ नाम रखने के लिए गणित, पर्यावरण विज्ञान, नैतिक विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, अंग्रेजी, हिंदी और कंप्यूटर विज्ञान सहित विभिन्न विषयों पर ज्ञान प्रदान करता है। ये सभी विषय प्राथमिक कक्षाओं से ही पाठ्यक्रम का हिस्सा बनते हैं। इसलिए, छात्र कम उम्र से ही विभिन्न विषयों के बारे में ज्ञान प्राप्त कर लेते हैं।

अनुशासन को बढ़ाता है : भारत के स्कूल अपनी टाइमिंग, टाइम टेबल, एथिकल कोड, मार्किंग सिस्टम और स्टडी शेड्यूल के बारे में बहुत खास हैं। छात्रों को स्कूल द्वारा निर्धारित नियमों का पालन करने की आवश्यकता होती है अन्यथा उन्हें दंडित किया जाता है। यह छात्रों में अनुशासन को बढ़ाने का एक अच्छा तरीका है।

समझने की शक्ति बढ़ाता है : भारतीय स्कूलों में अंकन और रैंकिंग प्रणाली के कारण, छात्रों को अपने पाठ को अच्छी तरह से सीखना आवश्यक है। अच्छे अंक लाने और अपने सहपाठियों की तुलना में उच्च रैंक पाने के लिए उन्हें ऐसा करने की आवश्यकता है। वे ध्यान केंद्रित करने और बेहतर समझ के लिए विभिन्न तरीकों की तलाश करते हैं। जो लोग उन उपकरणों की पहचान करते हैं जो उन्हें बेहतर ढंग से समझने में मदद करते हैं वे अपनी लोभी शक्ति को बढ़ाने में सक्षम होते हैं जो उन्हें जीवन भर मदद करता है।

भारतीय शिक्षा प्रणाली की समय-समय पर आलोचना होती रही है। हमारी युवा पीढ़ी के समुचित विकास को सुनिश्चित करने के लिए इस प्रणाली को बदलने की जबरदस्त आवश्यकता है।

भारतीय शिक्षा प्रणाली पर निबंध, essay on indian education system in hindi (600 शब्द)

भारतीय शिक्षा प्रणाली दुनिया भर में सबसे पुरानी शिक्षा प्रणालियों में से एक है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि बदलते समय और तकनीकी प्रगति के साथ अन्य राष्ट्रों की शिक्षा प्रणालियों में बड़े बदलाव आए हैं, लेकिन हम अभी भी पुरानी और सांसारिक प्रणाली के साथ फंसे हुए हैं। न तो हमारी प्रणाली ने पाठ्यक्रम में कोई बड़ा बदलाव देखा है और न ही शिक्षा प्रदान करने के तरीके में कोई महत्वपूर्ण बदलाव आया है।

भारतीय शिक्षा प्रणाली के दोष:

भारतीय शिक्षा प्रणाली में कई समस्याएं हैं जो किसी व्यक्ति के उचित विकास और विकास में बाधा डालती हैं। भारतीय शिक्षा प्रणाली के साथ मुख्य समस्याओं में से एक इसकी अंकन प्रणाली है। छात्रों की बुद्धिमत्ता का अंदाजा तीन घंटे के पेपर से लगाया जाता है नाकि उसके व्यवहारिक क्षमताओं से। उसके रटने की क्षमता को सराहा जाता है नाकि व्यावहारिक ज्ञान को।

ऐसे परिदृश्य में, अच्छे अंक प्राप्त करने के लिए पाठ सीखना छात्रों का एकमात्र उद्देश्य बन जाता है। वे इससे परे सोचने में सक्षम नहीं हैं। वे अवधारणाओं को समझने या अपने ज्ञान को बढ़ाने के बारे में नहीं सोचते हैं, वे केवल अच्छे अंक लाने के तरीकों को सीखने की कोशिश करते हैं और इससे आगे उनकी सोच काम नहीं करती।

एक और समस्या यह है कि फोकस केवल सिद्धांत पर है। व्यावहारिक शिक्षा को कोई महत्व नहीं दिया जाता है। हमारी शिक्षा प्रणाली छात्रों को किताबी कीड़ा बनने के लिए प्रोत्साहित करती है और उन्हें जीवन की वास्तविक समस्याओं और चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार नहीं करती है।

शिक्षाविदों को इतना महत्व दिया जाता है कि छात्रों को खेल और कला गतिविधियों में शामिल करने की आवश्यकता को नजरअंदाज कर दिया जाता है। पढ़ाई के साथ छात्रों पर भी हावी हो रहे हैं। नियमित परीक्षा आयोजित की जाती है और छात्रों की हर कदम पर जांच की जाती है। इससे छात्रों में तीव्र तनाव पैदा होता है। जब वे उच्च कक्षाओं में जाते हैं, तो छात्रों का तनाव स्तर बढ़ता रहता है।

भारतीय शिक्षा प्रणाली में सुधार के तरीके (changes needed in indian education system)

भारतीय शिक्षा प्रणाली को बेहतर बनाने के लिए कई विचार और सुझाव साझा किए गए हैं। अच्छे के लिए हमारी शिक्षा प्रणाली को बदलने के कुछ तरीकों में शामिल हैं:

कौशल विकास पर ध्यान दें :  यह भारतीय स्कूलों और कॉलेजों के लिए समय है कि वे छात्रों के अंकों और रैंक को इतना महत्व देना बंद करें और इसके बजाय कौशल विकास पर ध्यान केंद्रित करें। छात्रों के संज्ञानात्मक, समस्या समाधान, विश्लेषणात्मक और रचनात्मक सोच कौशल को बढ़ाया जाना चाहिए। ऐसा करने के लिए उन्हें विभिन्न शैक्षणिक के साथ-साथ पाठ्येतर गतिविधियों के साथ-साथ सुस्त वर्ग के कमरे के सत्रों में शामिल करने के लिए शामिल होना चाहिए।

समकक्ष व्यावहारिक ज्ञान :  किसी भी विषय की गहन समझ विकसित करने के लिए व्यावहारिक ज्ञान बहुत महत्वपूर्ण है। हालाँकि, हमारी भारतीय शिक्षा प्रणाली मुख्यतः सैद्धांतिक ज्ञान पर केंद्रित है। इसे बदलने की जरूरत है। छात्रों को बेहतर समझ और आवेदन के लिए व्यावहारिक ज्ञान प्रदान किया जाना चाहिए।

पाठ्यक्रम को संशोधित करें :  हमारे स्कूलों और कॉलेजों का पाठ्यक्रम दशकों से समान है। यह बदलते समय के अनुसार इसे बदलने का समय है ताकि छात्र अपने समय के लिए अधिक प्रासंगिक चीजों को सीखें। उदाहरण के लिए, कंप्यूटर स्कूलों में मुख्य विषयों में से एक बन जाना चाहिए ताकि छात्र शुरू से ही कुशलता से काम करना सीखें। इसी तरह, अच्छा संचार कौशल विकसित करने के लिए कक्षाएं होनी चाहिए क्योंकि यह समय की आवश्यकता है।

किराया बेहतर शिक्षण स्टाफ :  कुछ रुपये बचाने के लिए, हमारे देश में शैक्षणिक संस्थान उन शिक्षकों को नियुक्त करते हैं जो अत्यधिक कुशल और अनुभवी न होने पर भी कम वेतन की मांग करते हैं। इस दृष्टिकोण को बदलना होगा। युवा मन को अच्छी तरह से पोषण देने के लिए अच्छे शिक्षण स्टाफ को काम पर रखा जाना चाहिए।

शिक्षाविदों से परे देखें : हमारे देश की शिक्षा प्रणाली को शिक्षाविदों से परे देखना होगा। छात्रों के सर्वांगीण विकास को सुनिश्चित करने के लिए खेल, कला और अन्य गतिविधियों को भी महत्व दिया जाना चाहिए।

निष्कर्ष :

जबकि भारतीय शिक्षा प्रणाली को बदलने की आवश्यकता पर कई बार जोर दिया गया है लेकिन इस संबंध में बहुत कुछ नहीं किया गया है। यह समय बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए और साथ ही साथ पूरे देश के लिए इस पुरानी प्रणाली को बदलने के महत्व को समझने का समय है।

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विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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भारतीय शिक्षा-प्राणाली

वर्तमान शिक्षा प्रणाली के गुण और दोष

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(2022) भारतीय शिक्षा प्रणाली पर निबंध- Essay on Indian Education System in Hindi

किसी भी चीज़ को सीखने की और उसका ज्ञान प्राप्त करने की प्रक्रिया को शिक्षा कहते है। शिक्षा लेना हमारे लिए बहुत जरूरी है, क्योंकि शिक्षा मनुष्य के सफल होने की एक  शानदार कुंजी  है। शिक्षा हमें नैतिकता और सदाचार सिखाती है। अमेरिका में की गई एक रिपोर्ट से पता चला कि, किसी भी मनुष्य की आर्थिक और सामाजिक स्थिति ज़्यादातर उसकी शिक्षा पर निर्भर करती है। इसलिए जिस देश में ज्यादा शिक्षित लोग होते है, उस देश की अर्थव्यवस्था भी काफी मजबूत होती है। इसके साथ-साथ उस देश की शिक्षा प्रणाली भी अच्छी होनी चाहिए, तभी वह देश हर तरह से शक्तिशाली बनता है।

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प्राचीन भारत की शिक्षा प्रणाली

भारत में प्राचीन काल में गुरुकुल शिक्षण प्रणाली थी। उस समय शिक्षा का स्थान गाँवों और शहरो से दूर वनों के गुरुकुल में होता था और इसका संचालन ऋषि-मुनियों द्वारा किया जाता था। भारत के नालंदा और तक्षशिला विद्यालय भी इसी तरह के थे। भारत की शिक्षा प्रणाली उस समय इतनी अच्छी थी कि विदेशी लोग भी इन विद्यालयों में शिक्षा प्राप्त करने के लिए आते थे।

इन विद्यालयों में छात्रों को विभिन्न विषयों की शिक्षा लेने के लिए गुरु के आश्रम में जाना पड़ता था। और जब तक वह अपनी शिक्षा पूरी नहीं कर लेते, तब तक उनको अपने गुरु के साथ आश्रम में ही रहना पड़ता था। इसके साथ-साथ छात्रो को अपना काम खुद करना पड़ता था। इससे छात्रो को सबसे बड़ा फायदा यह होता था की उनके अंदर अहंकार बिल्कुल खत्म हो जाता था। इस तरह प्राचीन भारत की शिक्षा प्रणाली बहुत ही जबरदस्त थी।

ब्रिटिश काल में भारत की शिक्षा प्रणाली

जब भारत को अंग्रेज़ो ने गुलाम बनाया था, तब से ही उन्होंने गुरुकुल प्रणाली को मिटाना शुरू कर दिया था। लॉर्ड थॉमस बबिंगटन माउ काउली 1830 में आधुनिक शिक्षा प्रणाली को भारत लाये थे। इसमें अंग्रेज़ो ने एक अलग ही शिक्षा प्रणाली का पालन करने वाले स्कूलों की स्थापना की। इसके अलावा उन्होने गुरुकुलों में पढ़ाए जाने वाले तत्त्वमसा, दर्शन और उपनिषद जैसे विषयों को अनावश्यक कर विज्ञान, गणित और इंग्लिश जैसे विषयों को लाया गया। यह विषय गुरुकुलों में पढ़ाए जाने वाले विषयों से काफी भिन्न थे।

इन सब की वजह से भारत की शिक्षा प्रणाली में अचानक परिवर्तन हुआ और छात्रों का ध्यान प्राचीन शिक्षा प्रणाली से हटकर अंग्रेज़ो की आधुनिक शिक्षा प्रणाली की ओर चला गया। यह हमारे लिए अच्छा बदलाव नहीं था। लेकिन अंग्रेज़ो की शिक्षा प्रणाली से एक चीज बहुत अच्छी हुई कि, इसमें लड़कियां भी शिक्षा लेने लगी और स्कूलों मे जाने लगी। लेकिन अंग्रेज़ो की आधुनिक शिक्षा प्रणाली से हमें कोई खास फायदा नहीं हुआ, क्योकि अंग्रेज़ों ने अपने लाभ के लिए इस शिक्षा प्रणाली को अपनाया था।

(यह भी पढ़े- आदर्श विद्यार्थी पर निबंध )

भारत की वर्तमान शिक्षा प्रणाली

15 अगस्त, 1947 को जब भारत आजाद हुआ, तब हमारे स्वतंत्रता सेनानी का ध्यान सबसे पहले अंग्रेज़ो की आधुनिक शिक्षा प्रणाली पर गया। क्योकि अंग्रेज़ो की आधुनिक शिक्षा प्रणाली हमारे देश के लिए अनुकूल नहीं थी। इसलिए, भारत में एक नई शिक्षा प्रणाली बनाने का फैसला हुआ। जिसमें अखिल भारतीय शिक्षा समिति और बेसिक शिक्षा समिति जैसी कई समितियों का गठन किया गया।

भारतीय शिक्षा प्रणाली पर निबंध

इन समितियों द्वारा नई शिक्षा प्रणाली में एक विशाल योजना बनाई गई, जिसके तहत देश में नए-नए स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय स्थापित किए गए। वर्तमान शिक्षा प्रणाली से भारत में शिक्षा का प्रचार-प्रसार बढ़ने लगा और साक्षरता दर में भी बढ़ोतरी हुई। इसमें महिलाओं की शिक्षा पर भी विशेष ध्यान दिया गया था। 2011 की जनगणना के अनुसार देश की कुल साक्षरता दर 73.0 प्रतिशत थी और महिलाओं की साक्षरता दर 64.6 प्रतिशत थी।

वर्तमान शिक्षा प्रणाली से भारत को बहुत लाभ हुआ है, जिसे हम कभी नकार नहीं सकते। लेकिन इसके साथ-साथ इसमे कुछ कमजोरियाँ भी है।

वर्तमान भारतीय शिक्षा प्रणाली के दोष

दुनिया में हर चीज को समय-समय पर परिवर्तन की जरूरत होती है। क्योकि जब तक किसी चीज़ में बदलाव नहीं होता, वह चीज़ एक समय पर पुरानी हो जाती है। और हमारे आस-पास की चिज़े हमसे आगे बढ़ जाती है। इसी तरह भारत की शिक्षा प्रणाली में कोई बड़ा बदलाव नहीं किया गया, जिससे आज के आधुनिक युग में हमारी शिक्षा प्रणाली काफी कमजोर मानी जाती है।

इसीलिए तो अब्दुल कलाम जी ने कहा था कि, भारतीय शिक्षा प्रणाली को पूर्ण रूप से सुधार करने की आवश्यकता है। लेकिन हमने आज तक इसमें कोई बदलाव नहीं किया। जबकि विश्व के कई विकसित देश अपने स्कूल में पढ़ाए जाने वाले पाठ्यक्रम को हर 2 साल में बदल देते है।

लेकिन भारत में बदलाव ना करने की वजह से हमारा पाठ्यक्रम बहुत पुराना हो गया है। इसका मतलब यह नहीं है कि हमारा इतिहास देश के छात्रों को नहीं पता होना चाहिए। परंतु पाठ्यक्रम में कुछ प्रेक्टिकल विषयो को शामिल करना चाहिए जो छात्रो के जीवन में उपयोगी हो सकते है।

हमारे पास 19 वीं सदी का पाठ्यक्रम, 20 वीं सदी की शिक्षा प्रणाली और 21 वीं सदी के छात्र है। इस तरह पाठ्यक्रम और आधुनिक छात्रों के बीच एक बहुत बड़ा अंतर है। इसीलिए तो दुनिया के हर क्षेत्र में हमारे छात्र पिछड़ जाते है।

इसके अलावा भारत में दो प्रकार की शिक्षा प्रणाली है, सरकारी और निजी। इसमें अगर हम सरकारी स्कूलों की बात करें तो कुछ राज्यों को छोड़कर अधिकांश राज्यों में सरकारी स्कूलों की हालत काफी खराब है। इसका मुख्य कारण यह है कि राज्य सरकार और केंद्र सरकार में दो अलग-अलग दल है। जिस वजह से इन दोनों के बीच तालमेल अच्छा नहीं होता। परंतु इससे छात्रो को नुकसान होता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में जीतने छात्र कक्षा 1 में दाखिला लेते है, उनमें आधे से भी कम छात्र नोकरी के लिए आवेदन करते है।

IIm , IIt जैसे कुछ शीर्ष विश्वविद्यालय को छोड़कर हमारी पढ़ाने की पद्धति लगभग हर जगह बहुत पुरानी है। एक शिक्षक कक्षा में आकर पुस्तक से पढ़ाता है और वर्ष के अंत में छात्र का मूल्यांकन किया जाता है। उसी के आधार पर छात्र का भविष्य तय होता है। हमारे देश में छात्रो की रटने की क्षमता को सराहा जाता है और तीन घंटे के पेपर से छात्रों की बुद्धिमत्ता का अंदाजा लगाया जाता है। यहां उनकी व्यावहारिक क्षमताओं से कोई लेना-देना नहीं है।

परंतु इससे न सिर्फ छात्रो का भविष्य खराब होता है, बल्कि छात्रों में परीक्षा का तनाव भी बढ़ता है। बढ़ते तनाव के कारण आज भारत में हर 1 घंटे में 1 छात्र आत्महत्या कर रहा है। जैसे एक स्कूल में अपनी परीक्षा स्थगित कराने के लिए बच्चे ने अपने ही दोस्त की हत्या कर दी और स्कूल की मासिक परीक्षा में फेल होने के कारण 4 छात्रों ने कुएं में कूदकर आत्महत्या कर ली। यह हमारी शिक्षा प्रणाली का दोष नहीं है तो और क्या है।

इन सब चीज़ों को देखते हुए हमें देश की शिक्षा प्रणाली के बुनियादी ढांचे और सामग्री में बदलाव लाना बहुत जरूरी है। तभी हम देश में ऐसी घटनाओं को रोक सकते है।

(यह भी पढ़े- ऑनलाइन शिक्षा पर सर्वश्रेष्ठ निबंध )

वर्तमान शिक्षा प्रणाली में सुधार के तरीके

गांधी जी ने शिक्षा का अर्थ समझाते हुए कहा था कि, शिक्षा यानि बच्चों मे शारीरिक, मानसिक और नैतिक शक्तियों का विकास करना है। न की उन्हें किताबी कीड़ा बनाना। लेकिन भारत की वर्तमान शिक्षा प्रणाली को देखते हुए हमें इसमें सुधार करने की बहुत आवश्यकता है। इसके लिए हमें सबसे पहले छात्रों के कौशल विकास पर ध्यान देना होगा और उनके अंकों और रैंक को महत्व देना बंद करना होगा। हमें छात्रो की संज्ञानात्मक और रचनात्मक सोच को कैसे बढ़ाए इसके बारे में सोचना होगा।

इसके अलावा हमें किसी भी विषय की गहरी समझ विकसित करने के लिए उसका व्यावहारिक ज्ञान बहुत जरूरी है। परंतु भारत की वर्तमान शिक्षा प्रणाली सैद्धांतिक ज्ञान पर केंद्रित है। हमें इसे बदलना चाहिए और व्यावहारिक ज्ञान को अपनाना चाहिए। इसके साथ-साथ हमें अपने पाठ्यक्रम को भी समय के अनुसार बदलना चाहिए, क्योकि हमारा पाठ्यक्रम दशकों से समान है। जैसे वर्तमान में कंप्यूटर का युग है, इसलिए आज के समय में कंप्यूटर विषय स्कूलों में मुख्य विषयों में से एक होना चाहिए। देश के छात्रों को अच्छी शिक्षा देने के लिए अच्छे शिक्षण स्टाफ का होना भी बहुत जरूरी है।

परंतु हमारे देश के कई शिक्षण संस्थान कुछ रुपये बचाने के लिए उन शिक्षकों को नियुक्त करते है, जिनके पास छात्रो को पढ़ाने का कोई खास अनुभव और कौशल नहीं है। ऐसे शिक्षक कम वेतन लेकर छात्रो का भविष्य खराब करते है। हमारी शिक्षण संस्थानो को अपने इस दृष्टिकोण को बदलना होगा। तभी हम अपनी वर्तमान शिक्षा प्रणाली में सुधार कर सकते है।

हमें छात्रों के सर्वांगीण विकास के लिए कला, खेल और अन्य गतिविधियों को भी महत्व देना होगा।  क्योकि मनुष्य को जीवन में सफल होने के लिए केवल शिक्षा पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। यदि हम इन सभी चीज़ों को अपना लें तो शायद वर्तमान शिक्षा प्रणाली में सुधार कर सकते है।

अगर हमें भारत को विश्व के विकसित देशों में शामिल करना है, तो देश की शिक्षा प्रणाली में एक बड़ा बदलाव लाना ही होगा। क्योंकि एक विकसित देश अपनी शिक्षा पर बहुत ध्यान देता है। इसके लिए हम सभी भारतीयों को डिग्री के पीछे न दौड़कर शिक्षा में व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाना होगा। विश्व की बड़ी-बड़ी कंपनियां भी आज डिग्री देखे बगैर व्यावहारिक दृष्टिकोण वाले युवाओ को नियुक्त करती है। इसमें  Facebook , Google और Microsoft जैसी बड़ी कंपनीया भी शामिल है। 

अगर आपको इस निबंध से लाभ हुआ हो, तो इसे share करना न भूले। भारतीय शिक्षा प्रणाली पर निबंध पढ़ने के लिए आप सभी का धन्यवाद ( vartman shiksha pranali par nibandh) 

Q- भारतीय शिक्षा प्रणाली क्या है?

ANS- किसी भी चीज़ को सीखने की और उसका ज्ञान प्राप्त करने की प्रक्रिया को शिक्षा कहते है। शिक्षा लेना हमारे लिए बहुत जरूरी है, क्योंकि शिक्षा मनुष्य के सफल होने की एक शानदार कुंजी है। शिक्षा हमें नैतिकता और सदाचार सिखाती है।

Q- आधुनिक शिक्षा प्रणाली की प्रमुख विशेषता क्या है?

ANS- व्यावसायिक और तकनीकी शिक्षा आधुनिक शिक्षा प्रणाली की मुख्य विशेषताएं है।

Q- भारतीय शिक्षा आयोग के अध्यक्ष कौन थे?

ANS- डॉ दौलत सिंह कोठारी

Q- राष्ट्रीय शिक्षा नीति कब आई?

ANS- 1968 में राष्ट्रीय शिक्षा नीति आई थी

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भारत की आधुनिक शिक्षा प्रणाली पर निबंध | Present Education System In India Essay In Hindi

भारत की आधुनिक शिक्षा प्रणाली पर निबंध Present Education System In India Essay In Hindi: मॉडर्न यानी वर्तमान भारत की शिक्षा व्यवस्था कैसी है इसका स्वरूप इतिहास, व्यवस्थाएं क्या हैं.

भारत में अंग्रेजी एवं स्कूली शिक्षा दोनों का प्रादुर्भाव अंग्रेजों के समय एक साथ ही हुआ था.

flaws of education system in india today में आज हम जानेगे कि आधुनिक शिक्षा का महत्व अर्थ डिबेट बनाम प्राचीन शिक्षा व्यवस्था पीडीएफ अंतर गुण दोष की चर्चा करेगे.

आधुनिक शिक्षा पर निबंध Present Education In India Essay In Hindi

भारत की आधुनिक शिक्षा प्रणाली पर निबंध | Present Education System In India Essay In Hindi

भारत की आधुनिक शिक्षा प्रणाली (our education system today):  भारत में आधुनिक शिक्षा प्रणाली की शुरुआत का श्रेय अंग्रेजों को जाता हैं.

इसकी शुरुआत क्यों और कैसे हुई, यह जानने के लिए हमें भारत की प्राचीन काल से लेकर अब तक की स्थिति का आंकलन करना होगा.

भारत में शिक्षा की शुरुआत वैदिक काल से मानी जाती हैंवैदिक काल में शिक्षा के लिए गुरुकुल व्यवस्था थी. बालक संसार के प्रलोभनों से दूर आमोद प्रमोद से विरक्त, शुद्धतापूर्ण जीवन व्यतीत करते हुए गुरु की छत्रछाया में शिक्षा की समाप्ति तक रहता था.

शिक्षा प्रणाली का भारत में इतिहास (history of indian education system)

बौद्ध धर्म  के आविर्भाव के  साथ ही वैदिक काल का अंत एवं बौद्धकाल प्रारम्भ हुआ.  यहाँ  गुरु शिष्य परम्परा की अनूठी मिसाल हमे देखने को मिली.  शिक्षा के प्रति सब समर्पित रहते थे.

किन्तु ग्यारहवीं शताब्दी के बाद  मुस्लिम शासकों के आक्रमणों तथा उनके वर्चस्वस्थापित होने के फलस्वरूप पूरे देश में प्राचीन भारतीय शिक्षा पद्धति का हास होने लगा एवं मुस्लिम शिक्षा का बोल बाला हो गया.

मुगल  शासकों ने अपने धर्म एवं संस्कृति के प्रचार के उद्देश्य से  शिक्षा में धर्म के वर्चस्व को बढ़ावा  दिया,  जिससे  समाज में धार्मिक कट्टरता को बढ़ावा मिला. इस काल में शिक्षा के केंद्र के रूप में काफी संख्या में मकतबों एवं मदरसों की स्थापना की गई.

मुगलों के पतन के बाद भारत में ब्रिटिश शासकों ने अपना प्रभुत्व स्थापित किया और इसी के साथ यहाँ यूरोपीय शिक्षा व्यवस्था की शुरुआत हुई.

भारत में पश्चिमी शिक्षा का प्रभुत्व (indian education system compared to foreign education system)

वैसे तो अंग्रेजों ने शासक के रूप में भारत में शिक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी समझते हुए सन 1781 में मुस्लिमों की उच्च शिक्षा के लिए कलकत्ता में मदरसा एवं 1791 में बनारस में संस्कृत कॉलेज की स्थापना की,

किन्तु यूरोपीय  शिक्षा व्यवस्था आरंभ करने के प्रयास में ब्रिटिश संसद के  सन 1813 में पारित चार्टर के बाद ही प्रारम्भ हुए.  इसके बाद वर्ष 1835 में लार्ड मैकाले के विवरण पत्र को स्वीकृति मिलने के साथ ही भारत में आधुनिक शिक्षा प्रणाली की नीव पड़ी.

लार्ड मैकाले की शिक्षा व्यवस्था (education system in india compared to abroad)

इसके बाद मैकाले के प्रस्तावों के आधार पर भारत में शिक्षा के विकास के प्रयास आरम्भ हो गये. शिक्षा के इस विकास को गति प्रदान करने के उद्देश्य से चार्ल्स वुड की अध्यक्षता में बोर्ड ऑफ कन्ट्रोल की स्थापना हुई. वुड ने 1854 ई में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की. जिसे वुड्स डिस्पैच की संज्ञा  दी जाती हैं.

इस घोषणा पत्र में उसने लंदन विश्वविद्यालय  को आदर्श मानते हुए उच्च शिक्षा देने के लिए कलकत्ता, बम्बई एवं मद्रास में विश्वविद्यालयों की स्थापना करने का सुझाव दिया.

इस तरह वुड्स डिस्पैच के फल स्वरूप भारत में आधुनिक शिक्षा की नींव मजबूत हुई और 1857 ई  में मद्रास, बम्बई एवं कलकत्ता में विश्वविद्यालय आरम्भ किये गये थे.

स्वतंत्रता के बाद भारत की शिक्षा प्रणाली (hindi essay on modern education system)

15 अगस्त 1947 यानी देश को  आजादी मिलने के  बाद शिक्षा सम्बन्धी  सुधारों के दृष्टिकोण से समय – समय पर कई शिक्षा आयोगों की नियुक्ति की गई.

एवं उनके सुझावों के अनुरूप शिक्षा व्यवस्था में सुधार एवं  परिवर्तन किये गये.  विश्वविद्यालय आयोग, माध्यमिक शिक्षा आयोग एवं भारतीय शिक्षा आयोग प्रमुख हैं.

भारतीय शिक्षा आयोग की संस्तुतियों के कार्यान्वयन के रूप में राष्ट्रीय शिक्षा नीति प्रस्ताव 1986 ई में पारित किया गया, 10+ 2+3 शैक्षिक ढाँचे की शुरुआत हुई, कार्यानुभव को स्कूल के पाठ्यक्रम में विशेष स्थान मिला,

अध्यापकों के वेतनमान तथा सेवा शर्तों में सुधार हुआ एवं शिक्षा के व्यवसायीकरण को बल मिला. इसके बाद शिक्षा में समानता अर्थात किसी जाति  धर्म, वर्ग या  लिंग के आधार पर भेदभाव न करने की व्यवस्था की बात कहीं गई.

आधुनिक शिक्षा व्यवस्था व निजीकरण (availability of education in india)

वास्तव में व्यावसायिक एवं तकनीकी शिक्षा आधुनिक शिक्षा प्रणाली की प्रमुख विशेषता हैं. प्राथमिक शिक्षा की आवश्यकता को देखते हुए शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 के अंतर्गत  6 से 14  वर्ष आयु वर्ग वाले बच्चों को निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान किया गया हैं.

किन्तु भारत की जनसंख्या जिस तेजी से बढ़ रही हैं उसे देखते हुए यह कहा जा सकता हैं कि शिक्षा की समुचित व्यवस्था केवल सरकार द्वारा किया जाना संभव नहीं हैं.इसी को ध्यान में रखते हुए शिक्षा के निजीकरण के प्रयास हुए हैं.

शिक्षा में निजीकरण और लाभ हानि (essay in hindi on modern education system)

शिक्षा के निजीकरण का अर्थ है शिक्षा के क्षेत्र में सरकार के अतिरिक्त गैर सरकारी भागीदारी. वैसे तो ब्रिटिशकाल से ही निजी संस्थाएं शिक्षण कार्य में संलग्न थी,

किन्तु स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद  निजीकरण को बढ़ावा देने के लिए अनुदान एवं सरकारी सहायता के फलस्वरूप भारत में निजी शिक्षण संस्थाओं की बाढ़ सी आ गई हैं.

स्थिति अब ऐसी हो चुकी हैं कि इस पर अंकुश लगाने की आवश्यकता महसूस की जा रही हैं. क्योंकि अधिकतर निजी शिक्षण संस्थाएं धन कमाने का केंद्र बनती जा रही हैं.

एवं इनके द्वारा छात्रों एवं अभिभावकों का शोषण हो रहा हैं. शिक्षा के निजीकरण के यदि कुछ गलत परिणाम सामने आए हैं तो इससे लाभ भी निश्चित तौर पर हुआ हैं.

इसके कारण शिक्षा के प्रसार में तेजी आई हैं. शिक्षित लोगों को इसके जरियें रोजगार के साधन उपलब्ध हुए हैं एवं शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार हुआ हैं.

भारतीय शिक्षा प्रणाली में सुधार (education system needs change)

चूँकि समाज एवं देश में समय के अनुसार परिवर्तन होते रहते हैं इसलिए शिक्षा के उद्देश्यों पर भी समय के अनुसार परिवर्तन होते हैं. उदाहरण के लिए वैदिक काल में वेदमंत्रों की शिक्षा को ही पर्याप्त मान लिया जाता था.

किन्तु वर्तमान काल में मनुष्य के विकास के लिए व्यावसायिक शिक्षा पर जोर दिया जाता है. वर्तमान समय में कंप्यूटर की शिक्षा के बिना मनुष्य को लगभग ही अशिक्षित माना जाता हैं क्योंकि दैनिक जीवन में अब कंप्यूटर का प्रयोग बढ़ा हैं.

इस समय शिक्षा द्वारा उत्पादकता बढ़ाने सामाजिक एवं राष्ट्रीय एकीकरण करने, भारत का आधुनिकरण करने तथा नैतिक सामाजिक एवं आध्यात्मिक मूल्यों का विकास करने के लिए आधुनिक शिक्षा प्रणाली में सुधार की आवश्यकता है.

वर्तमान की शिक्षा प्रणाली में पारम्परिक एवं सैद्धांतिक  पाठ्यक्रम की अधिकता हैं.  इसके स्थान पर आधुनिक एवं प्रायोगिक पाठ्यक्रम को समुचित स्थान दिया जाना चाहिए, साथ ही इसे अधिक रोजगारोन्मुखी बनाएं जाने की भी जरूरत हैं.

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आधुनिक शिक्षा प्रणाली पर निबंध | शिक्षा प्रणाली के दोष पर निबंध | essay on education system in hindi

समय समय पर हमें छोटी कक्षाओं में या बड़ी प्रतियोगी परीक्षाओं में निबंध लिखने को दिए जाते हैं। निबंध हमारे जीवन के विचारों एवं क्रियाकलापों से जुड़े होते है। आज hindiamrit.com   आपको निबंध की श्रृंखला में  आधुनिक शिक्षा प्रणाली पर निबंध | शिक्षा प्रणाली के दोष पर निबंध | essay on education system in hindi प्रस्तुत करता है।

इस निबंध के अन्य शीर्षक / नाम

(1) वर्तमान शिक्षा प्रणाली पर निबंध (2) हमारी शिक्षा कैसी हो पर निबंध (3) नई शिक्षा प्रणाली पर निबंध (4) नई शिक्षा प्रणाली के दोष पर निबंध

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पहले जान लेते है आधुनिक शिक्षा प्रणाली पर निबंध | शिक्षा प्रणाली के दोष पर निबंध | essay on education system in hindi की रूपरेखा ।

निबंध की रूपरेखा

(1) प्रस्तावना (2) आधुनिक शिक्षा प्रणाली के दोष (क) कर्तव्य बुद्धि का अभाव (ख) निरर्थक विषयो का समावेश (ग) उद्देश्यहीनता (घ) चरित्र की उपेक्षा (ङ) समय का दुरुपयोग (च) समाजीकरण का अभाव (3) आधुनिक शिक्षा प्रणाली में सुधार (4) उपसंहार

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शिक्षा समाज की आधारशिला है। शिक्षा के द्वारा ही योग्य नागरिकों का निर्माण होता है। ऐसे नागरिक कि जो समाज अथवा राष्ट्र का उत्थान और सुरक्षा कर सकते हैं।

शिक्षा के बिना व्यक्तित्व का विकास नहीं होता और व्यक्तित्व के विकास के बिना समाज का उत्थान सम्भव नहीं; अतः किसी समाज अथवा राष्ट्र के सर्वतोन्मुखी विकास के लिए उत्तम शिक्षा का होना आवश्यक है और उत्तम शिक्षा तब हों सकती है जब शिक्षा प्रणाली उत्तम हो।

परन्तु यह खेद का विषय है कि हमारी शिक्षा प्रणाली अति दृषित हैं। यही कारण है कि हमारे देश के विकास में पग-पग पर बाधाएं आ खड़ी होती हैं।

“होता है निर्माण देश का पाकर उतम् शिक्षा करें देश के सफल नागरिक ‘निज कर्तव्य समीक्षा क्या विस्मय यदि घिरी हुई हैं घोर धटाएँ काली जबकि देश में शिक्षा की दूषित हो गयी प्रणाली ॥”

आधुनिक शिक्षा प्रणाली के दोष

(क) कर्तव्य बुद्धि का अभाव.

आधुनिक शिक्षा प्रणाली में गुरु और शिष्य दोनों में कर्तव्यपालन की भावना नहीं है। दोनो अपने अधिकारों के पीछे हैं। यही कारण है कि शिष्य का सम्बन्ध टूटता जा रहा है।

न शिष्य को गुरु में श्रद्धा, विश्वास तथा भक्तिभावना है, न गुरु शिष्य से प्रेम-भाव। गुरु केवल धनार्जन के लिए शिक्षा देता है और शिष्य पैसे से शिक्षा मोल लेना चाहता है।

अतः दोनों में आत्मीयता का अभाव है। ऐसी दशा में विद्या जैसी पवित्र वस्तु का आदान-प्रदान असम्भव है। सोना, चाँदी या कागज के ट्रकड़ों के बदले में ज्ञान खरीदा या बेचा नहीं जाता है।

श्रद्धा और प्रेम के द्वारा जब तक हृदय से हृदय का मिलन न हो तब तक विद्या का आदान-प्रदान नहीं हो सकता है।

(ख) निरर्थक विषयों का समावेश

आधुनिक शिक्षा प्रणाली का ढाँचा पराधीनता के बातावरण में तैयार हुआ था।

यह वही शिक्षा प्रणाली है, जिसका सूत्रपात लार्ड मैकाले ने अँग्रेजी शासन को चलाने के उद्देश्य से किया था जिसका लक्ष्य सभ्य तथा उत्तम नागरिक बनाना नहीं, बल्कि क्लर्क अथवा शासन तन्त्र के पूर्जे तैयार करना था।

उसमें ऐसे निकम्मे और निरर्थक विषयों का समावेश है कि जो विद्यार्थियों के मस्तिष्क पर केवल बोझ है, जिनमें विद्यार्थियों की रुचि नहीं, न ही जीवन में उनकी उपयोगिता है।

(ग) उद्देश्यहीनता

आधुनिक शिक्षा का कोई उद्देश्य नहीं। उद्देश्यहीन शिक्षा उस नाविकहीन नौका के समान है जो तरंगों के थपेड़े खाती हुई या तो किसी भँवर में फंसकर पाताल में उतर जाये अथवा धारा में भटकती हुई किसी किनारे से जा टकराये ।

आज अधिकतर विद्यार्थी नौकरी पाने के उद्देश्य से पढ़ रहे हैं, माता-पिता भी उन्हें इसी उद्देश्य से पढ़ाते है। विद्यार्थी जब कालेज से निकलकर समाज में प्रवेश करता है,वह इतना निकम्मा और फैशनपरस्त होकर आता है कि उसके लिए जीवन भार हो जाता है।

वह सनदो और उपाधियों के बण्डल लेकर नौकरी की तलाश में भटकता है। उसकी विलास और फैशन की आवश्यकताएँ तो अनन्त हो जाती हैं किन्तु जीविका का साधन उसके पांस कुछ नहीं होता। स्वयं कुछ भी करने में असमर्थ वह दूसरों का मुँह ताकता है। इस प्रकार की निरुद्देश्य शिक्षा अंधेरे में छलांग लगाने के समान है।

(घ) चरित्र की उपेक्षा

महात्मा गांधी ने कहा था-“सच्ची शिक्षा का अंर्थ है-चरित्र निर्माण। यदि कोई शिक्षर चरित्र-निर्माण नहीं निर्माण पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता। यह शिक्षा केवल पुस्तकीय ज्ञान तक ही अपने को सीमित रखती है।

बहुत- से छात्र-छात्राएँ चरित्रहीन हो जाते हैं। इस शिक्षा प्रणाली में नैतिक तथा धार्मिक शिक्षा के लिए कोई स्थान नही जिससे चरित्र का निर्माण होता है।

छात्र भयंकर व्यसनों के शिकार हो जाते हैं। राष्ट्र की भावी पीढ़ी उच्च मानवीय मूल्यों से सर्वथा अनभिज्ञ होतीं जा रही है। ये शिक्षित नवयुवक ही देश के भाबी कर्णधार होंगे।

(ङ) समय का दुरुपयोग

आधुनिक शिक्षा प्रणाली में छात्रों के समय का दुरुपयोग होता है। स्कूल या कालेज में चार-पाँच घण्टे पढ़ने के बाद उन्हें और कोई काम नहीं।

किसी ऐसी कला, हस्तकौशल अथवा उद्योग की शिक्षा उन्हें दी नहीं जाती जिसमें वे अपने फालतू समय का सदुपयोग कर सकें और आत्मनिर्भर बनना सीखें । शिक्षा प्रणाली के इस दोष के कारण ही अनुशासनहीनता की भारी समस्या पैदा हो गयी है।

‘खाली दिमाग शैतान का घर है। जब विद्यार्थी के सामने कोई काम नहीं होगा तो उसका मस्तिष्क तोड़-फोड़, हल्लड़बाजी, सिनेमा देखना, प्रेमपत्र लिखना आदि कुक़मों में ही लगेगा । आखिर मस्तिष्क को तो कुछ न कुछ करना ही है।

वास्तव में आधुनिक शिक्षा प्रणाली दूषित और निकम्मी है, इसमें आमूल परिवर्तन की आवश्यकता है। हमारी शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जिसमें गुरु और शिष्य के प्राचीन सम्बन्ध स्थापित हों, शिक्षा में नीति और धर्म का पर्याप्त समावेश हो।

राजनीतिज्ञ शिक्षा तन्त्र को अपने प्रचार तन्त्र के रूप में प्रयुक्त करते हैं । यह घोड़े के आगे गाड़ी लगाने वाली बात है। वास्तव में शिक्षा को पूर्ण स्वतन्त्र हीना चाहिए। शिक्षा प्रणाली ऐसी होनी चाहिए कि छात्रों का अधिक समय ज्ञान प्राप्ति, शक्ति-साधना तथा जीविकोपार्जन में बीते।

जब इस प्रकार की शिक्षा प्रणाली नहीं होगी तब तक उत्तम शिक्षा नहीं होगा और उत्तग शिक्षा के अभाव मे।सकती तो मैं उसे कुशिक्षा ही कहूँगा।” किन्तु आधुनिक शिक्षा प्रणाली में चरित्र व्यक्ति, राष्ट्र तथा समाज का कल्याण सम्भव नहीं।

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Modern Education System Essay In Hindi

वर्तमान शिक्षा प्रणाली – Modern Education System Essay In Hindi

वर्तमान शिक्षा प्रणाली – essay on modern education system in hindi.

मानव जीवन में शिक्षा का विशेष महत्त्व है। शिक्षा ही वह आभूषण है जो मनुष्य को सभ्य एवं ज्ञानवान बनाता है, अन्यथा शिक्षा के बगैर मनुष्य को पशु के समान माना गया है। शिक्षा के महत्व को समझते हुए ही प्रायः शैक्षणिक गतिविधियों को वरीयता दी जाती है। भारत की वर्तमान शिक्षा प्रणाली स्कूल, कॉलेजों पर केंद्रित एक व्यवस्थित प्रणाली है।

साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न  हिंदी निबंध  विषय पा सकते हैं।

भारत की जो वर्तमान शिक्षा प्रणाली है, वह प्राचीन भारत की शिक्षा प्रणाली से मेल नहीं खाती है। भारत की वर्तमान शिक्षा प्रणाली का ढाँचा औपनिवेशिक है, जब कि प्राचीन भारत की शिक्षा प्रणाली गुरुकुल आधारित थी। वर्तमान शिक्षा प्रणाली एक संशोधित एवं अद्यतन शिक्षा प्रणाली तो है ही यह ज्ञान-विज्ञान के नए-नए विषयों को भी समाहित करती है। कंप्यूटर शिक्षा इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है जिसने मानव जीवन को सहज, सुंदर एवं सुविधाजनक बनाया है।

इस शिक्षा प्रणाली के अंतर्गत देश में नए-नए विश्वविद्यालयों, कॉलेजों एवं स्कूलों की स्थापना की गई और यह प्रक्रिया अनवरत जारी है। इसमें शिक्षा का प्रचार-प्रसार बढ़ाने के साथ-साथ साक्षरता दर में भी बढ़ोतरी हुई है। वर्ष 2011 की जनगणना के आकड़ों के अनुसार इस समय देश की कुल साक्षरता दर 73.0 प्रतिशत है।

वर्तमान शिक्षा प्रणाली की एक प्रमुख विशेषता यह है कि इसमें महिला साक्षरता की तरफ विशेष ध्यान दिया गया है। महिला साक्षरता बढ़ने से आज समाज में महिलाओं की स्थिति सुदृढ़ हुई है। वर्तमान में महिलाओं की साक्षरता दर 64.6 प्रतिशत है।

वर्तमान शिक्षा प्रणाली की खूबियों एवं विशेषताओं के साथ-साथ इसकी कुछ कमजोरियाँ भी हैं जिसका हमारे समाज एवं देश पर बुरा प्रभाव दिखाई पड़ रहा है। जैसे-आज संयुक्त परिवार टूटकर एकाकी परिवारों में और एकाकी परिवार नैनो फेमिली के रूप में विभाजित हो रहे हैं।

अब परिवारों में बड़े बुजुर्गों का स्थान घटता जा रहा है जो बच्चों को कहानियों एवं किस्सों द्वारा नैतिक शिक्षा देते थे। दादी, नानी की कहानियों का स्थान टी. वी., कार्टून, इंटरनेट और सिनेमा ने ले लिया है। जहाँ से मानवीय मूल्यों की शिक्षा की उम्मीद करना बेमानी बात है।

विद्यालयों में ऐसी शिक्षा जो बच्चों के चरित्र का निर्माण कर उनमें सामाजिक सरोकार विकसित करे उसका स्थान व्यावसायिक शिक्षा ने ले लिया है, जिसके अंतर्गत हम एक आत्मकेंद्रित, सामाजिक सरोकारों और मूल्यों से कटे हुए एक इंसान का निर्माण कर रहे हैं, जिससे समाज में बिखराव की स्थिति पैदा हो रही है।

वर्तमान शिक्षा प्रणाली का एक बड़ा दोष यह भी है कि यह रोजगारोन्मुख नहीं है अर्थात इसमें कौशल और हुनर का अभाव है। स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय डिग्रियाँ बाँटने वाली एजेंसियाँ बन गई हैं।

वर्तमान शिक्षा प्रणाली को व्यावहारिक, सफल, एवं आदर्श स्वरूप प्रदान करने के लिए इसमें बदलाव एवं सुधार की आवश्यकता है। जिससे यह जीवन को सार्थकता प्रदान करने एवं आजीविका जुटाने में सक्षम हो सके।

Essay On Modern Education System

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भारतीय इतिहास

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औपनिवेशिक भारत में शिक्षा का विकास

  • 25 Jan 2020
  • 20 min read
  • सामान्य अध्ययन-I
  • आधुनिक भारतीय इतिहास

अंग्रेज़ों से पूर्व भारतीय शिक्षा:

  • 1830 के दशक में तत्कालीन भारत के गवर्नर जनरल लॉर्ड विलियम बैंटिक ने बिहार तथा बंगाल की स्कूली शिक्षा व्यवस्था के अध्ययन हेतु एक ईसाई प्रचारक और शिक्षाविद् विलियम एडम (William Adam) को नियुक्त किया। एडम ने तीन रिपोर्टें प्रस्तुत कीं जिसके निष्कर्ष निम्नलिखित थे:
  • ब्रिटिश अधीनता से पूर्व भारत की शिक्षा व्यवस्था लंबे समय से गुरु-शिष्य परंपरा पर आधारित थी। आधुनिक विद्यालयों के विपरीत उस समय छोटी-छोटी पाठशालाएँ होती थीं जहाँ स्थानीय शिक्षक या गुरु द्वारा बच्चों को संस्कृत, व्याकरण, प्रायोगिक गणित, महाजनी खाता आदि के बारे में पढ़ाया जाता था।
  • ये पाठशालाएँ प्रायः किसी मंदिर, दुकान, किसी शिक्षक के घर, किसी वृक्ष के नीचे या अन्य सार्वजनिक स्थानों पर चलती थीं। पाठशालाओं में कुल 10-20 विद्यार्थी ही होते थे और फसलों की कटाई के मौसम में पाठशालाएँ बंद रहती थीं ताकि बच्चे अपने घर के कामों में मदद कर सकें।
  • शिक्षक या गुरु की फीस निर्धारित नहीं थी। गरीब बच्चों से कम तथा आर्थिक रूप से सक्षम छात्रों से अधिक फीस ली जाती थी। उस समय अलग-अलग कक्षाएँ नहीं चलती थीं बल्कि सभी छात्र एक ही जगह साथ-साथ बैठते थे और विभिन्न स्तर के विद्यार्थियों को शिक्षक अलग-अलग पढ़ाते थे।

प्राच्यवादी तथा पाश्चात्यवादी विवाद:

  • ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत में शिक्षा के प्रसार हेतु प्रारंभ में कोई विशेष रुचि नहीं दिखाई लेकिन भारत में बढ़ते साम्राज्य तथा राजनीतिक शक्ति के कारण उसे एक ऐसे वर्ग की आवश्यकता हुई जो कि प्रशासन और व्यापार के कार्यों में उसकी सहायता कर सके। 
  • इसके लिये वर्ष 1813 में ब्रिटेन की संसद द्वारा पारित चार्टर अधिनियम में भारत में शिक्षा के विकास हेतु प्रतिवर्ष 1 लाख रुपए के अनुदान का प्रावधान किया गया। 
  • चार्टर अधिनियम, 1813 (Charter Act, 1813) द्वारा निर्दिष्ट शिक्षा हेतु अनुदान के विषय पर कंपनी प्रशासन में मतभेद उत्पन्न हुआ कि भारत में शिक्षा का प्रारूप तथा माध्यम कैसा हो? इस मतभेद में दो पक्ष थे। 
  • एक पक्ष प्राच्यवादियों (Orientalist) का था जो मानते थे कि भारत में पारंपरिक शिक्षा व ज्ञान को प्रोत्साहन देना चाहिये एवं शिक्षा का माध्यम स्थानीय भाषाएँ होनी चाहिये, जबकि दूसरा पक्ष पाश्चात्यवादियों (Anglicist) का था जो मानता था कि शिक्षा व्यावहारिक तथा उपयोगी होनी चाहिये और शिक्षा का माध्यम इंग्लिश होना चाहिये। 
  • प्राच्यवादियों में विलियम जोन्स, जेम्स प्रिंसेप, चार्ल्स विल्किंस, एचएच विल्सन आदि शामिल थे, जबकि पाश्चात्यवादी शिक्षा के समर्थन में टीबी मैकाले, जेम्स मिल, चार्ल्स ग्रांट, विलियम विल्बरफोर्स आदि शामिल थे।
  • जेम्स मिल उपयोगितावादी विचारक था तथा उसका मानना था कि अंग्रेज़ों को भारतीय जनता को खुश करने या उनकी भावनाओं को ध्यान में रख कर शिक्षा नहीं देनी चाहिये बल्कि शिक्षा के माध्यम से उन्हें उपयोगी तथा व्यावहारिक ज्ञान देना चाहिये जिसमें पश्चिमी विज्ञान, तकनीकी तथा व्यावसायिक शिक्षा शामिल हो।
  • टीबी मैकाले प्राच्य शिक्षा का घोर विरोधी था और प्राच्य शिक्षा के बारे में उसका कथन था कि “एक अच्छे यूरोपीय पुस्तकालय का केवल एक शेल्फ ही भारत और अरब के समूचे साहित्य के बराबर है।”
  • हालाँकि इस विवाद के बावजूद पाश्चात्यवादी शिक्षा के समर्थकों की बात भारत परिषद ने स्वीकार की तथा अंग्रेज़ी शिक्षा अधिनियम, 1835 (English Education Act, 1835) पारित किया। इसके बाद भारत में अंग्रेज़ी को शिक्षा के माध्यम हेतु औपचारिक तौर पर स्वीकार किया गया।

मैकाले का स्मरण-पत्र (Macaulay’s Minute):

  • लॉर्ड मैकाले वर्ष 1834 में भारत आया तथा उसे गवर्नर जनरल की कार्यकारी परिषद के विधि सदस्य के तौर पर नियुक्त किया गया था। उसकी नियुक्ति सार्वजनिक शिक्षा समिति के अध्यक्ष पद पर कर दी गई जिसका कार्य प्राच्यवादी तथा पाश्चात्यवादी विवाद पर मध्यस्थता करना था। 
  • वर्ष 1835 में लॉर्ड मैकाले ने अपना प्रसिद्ध स्मरण-पत्र (Minute) गवर्नर जनरल की परिषद के समक्ष प्रस्तुत किया जिसे लॉर्ड विलियम बैंटिक ने स्वीकार करते हुए अंग्रेजी शिक्षा अधिनियम, 1835 पारित किया। 
  • इसके तहत पाश्चात्य शिक्षा का समर्थन करते हुए यह प्रावधान किया गया कि सरकार के सीमित संसाधनों का प्रयोग पश्चिमी विज्ञान तथा साहित्य के अंग्रेज़ी में अध्यापन हेतु किया जाए।
  • सरकार स्कूल तथा कॉलेज स्तर पर शिक्षा का माध्यम अंग्रेज़ी करे तथा इसके विकास के लिये कई प्राथमिक विद्यालयों के स्थान पर कुछ स्कूल तथा कॉलेज खोले जाएँ।
  • मैकाले ने इसके तहत ‘अधोगामी निस्पंदन का सिद्धांत’ (Downward Filtration Theory) दिया जिसके तहत भारत के उच्च तथा मध्यम वर्ग के एक छोटे से हिस्से को शिक्षित करना था ताकि एक ऐसा वर्ग तैयार हो जो रंग और खून से भारतीय हो लेकिन विचारों, नैतिकता तथा बुद्धिमत्ता में ब्रिटिश हो। यह वर्ग सरकार तथा आम जनता के मध्य एक कड़ी का कार्य कर सके और इनके माध्यम से उनमें भी पाश्चात्य शिक्षा के प्रति रुचि उत्पन्न हो। 

जेम्स थॉमसन के प्रयास (1843-53):

  • ब्रिटिश भारत के पश्चिमोत्तर प्रांत (North-Western Provinces) के लेफ्टिनेंट गवर्नर जेम्स थॉमसन ने स्थानीय भाषा में ग्रामीण शिक्षा के विकास हेतु एक व्यापक योजना लागू की।
  • इसके तहत मुख्य रूप से प्रायोगिक विषयों जैसे- क्षेत्रमिति, कृषि विज्ञान आदि पढ़ाया जाता था।
  • जेम्स थॉमसन के प्रयासों का मुख्य उद्देश्य नए स्थापित हुए राजस्व तथा लोक निर्माण विभाग हेतु कर्मचारियों की आवश्यकता को पूरा करना था।

वुड्स डिस्पैच, 1854 (Wood’s Dispatch):

चार्ल्स वुड ईस्ट इंडिया कंपनी के बोर्ड ऑफ कंट्रोल (Board of Control) के अध्यक्ष थे। भारत में शिक्षा व्यवस्था में सुधार हेतु उन्होंने एक विस्तृत योजना तैयार की जिसे तत्कालीन गवर्नर जनरल लॉर्ड डलहौज़ी द्वारा लागू किया गया।

  • इसके तहत प्रावधान किया गया कि जनसामान्य तक शिक्षा के प्रसार की ज़िम्मेदारी भारत सरकार की होगी। इसके माध्यम से अधोगामी निस्पंदन के सिद्धांत का विरोध किया गया। 
  • इसने देश में विद्यमान शिक्षा पद्धति को सुव्यवस्थित करते हुए प्राथमिक शिक्षा का माध्यम क्षेत्रीय भाषा को, माध्यमिक शिक्षा हेतु एंग्लो-वर्नाकुलर (अर्द्ध-अंग्रेज़ी) भाषा तथा उच्च शिक्षा हेतु अंग्रेज़ी को माध्यम बनाया।
  • इसने पहली बार महिला शिक्षा हेतु प्रयास किया।
  • इसके द्वारा व्यावसायिक शिक्षा तथा शिक्षकों के प्रशिक्षण हेतु प्रावधान किये गए।
  • इसके द्वारा यह निर्धारित किया गया कि सरकारी संस्थानों में दी जाने वाली शिक्षा धर्म-निरपेक्ष हो। 
  • इसके तहत निजी विद्यालयों को प्रोत्साहन देने हेतु अनुदान (Grant-in-aid) का प्रावधान भी किया गया। 
  • इसके तहत भारत के सभी राज्यों में शिक्षा विभाग की स्थापना का निर्देश दिया गया। 
  • इस अधिनियम के परिणामस्वरूप देश के तीनों प्रेसीडेंसियों (बंगाल, मद्रास तथा बॉम्बे) में एक-एक विश्वविद्यालय स्थापित किया गया।

हंटर आयोग, 1882-83 (Hunter Commission):

  • हालाँकि वुड्स डिस्पैच ने देश के उच्च शिक्षा के लिये प्रयास किये लेकिन प्राथमिक तथा माध्यमिक शिक्षा के विकास पर कोई विशेष ध्यान नहीं दिया गया।
  • प्रत्येक राज्य में शिक्षा विभाग की स्थापना से प्राथमिक तथा माध्यमिक शिक्षा की ज़िम्मेदारी भी राज्यों पर आ गई जिसके लिये उनके पास संसाधनों की कमी थी।
  • इसके तहत इस बात पर ज़ोर दिया गया कि राज्य प्राथमिक शिक्षा के विस्तार तथा विकास हेतु विशेष कार्य करे और प्राथमिक स्तर पर शिक्षा का माध्यम क्षेत्रीय भाषा हो। 
  • इसके द्वारा यह अनुशंसा की गई कि प्राथमिक शिक्षा का नियंत्रण नए स्थापित ज़िला तथा नगरपालिका बोर्डों को दिया जाए। 
  • इसकी अनुशंसा थी कि माध्यमिक शिक्षा के अंतर्गत दो शाखाएँ हों: 
  • साहित्यिक (Literary), जिसके बाद विद्यार्थी विश्वविद्यालयी शिक्षा की तरफ जाएँ।
  • व्यावसायिक (Vocational), जिसके बाद विद्यार्थी रोज़गार प्राप्त करें। 
  • इसके माध्यम से तत्कालीन समय में महिला शिक्षा में विद्यमान अवसंरचनात्मक कमियों को उजागर किया गया तथा उसकी भरपाई हेतु व्यापक प्रयास के सुझाव प्रस्तुत किये गए। 
  • हंटर आयोग की सिफारिशों के लागू होने के बाद अगले दो दशक तक देश में शिक्षा का उल्लेखनीय विकास हुआ तथा पंजाब विश्वविद्यालय (1882) और इलाहाबाद विश्वविद्यालय (1887) की स्थापना हुई। 

भारतीय विश्वविद्यालय आयोग, 1904 (Indian Universities Act, 1904): 

  • 20वीं शताब्दी के उदय के बाद देश में राजनीतिक अस्थिरता का माहौल व्याप्त था। प्रशासन का मानना था कि निजी प्रबंधन की वजह से शिक्षा के स्तर में गिरावट आई तथा उच्च शैक्षणिक संस्थान राजनीतिक क्रांतिकारियों के उत्पादक बन गए हैं। 
  • इसके विपरीत राष्ट्रवादी राजनीतिज्ञों का मानना था कि सरकार देश में निरक्षरता को कम करने तथा शिक्षा के विकास हेतु कोई प्रयास नहीं कर रही है।
  • वर्ष 1902 में सरकार ने रैले आयोग (Raleigh Commission) का गठन किया जिसका कार्य भारत के विश्वविद्यालयों की दशा का अध्ययन करना तथा उनकी स्थिति में सुधार हेतु सुझाव देना था।
  • विश्वविद्यालयों में शिक्षा तथा शोध पर अधिक बल दिया जाए।
  • विश्वविद्यालयों में शोधार्थियों की संख्या तथा उनके कार्यकाल को कम किया गया। अधिकांश शोधार्थियों को सरकार द्वारा नामित किया जाने लगा। 
  • सरकार को विश्वविद्यालयों के सीनेट के विनियमों को वीटो करने का अधिकार प्राप्त हो गया और सरकार उनके द्वारा बनाए गए नियमों को बदल सकती थी या स्वयं द्वारा निर्मित नियम लागू कर सकती थी। 
  • विश्वविद्यालयों से निजी कॉलेजों को संबंधित करने की प्रक्रिया को कठिन कर दिया गया। 
  • उच्च शिक्षा तथा विश्वविद्यालयों के विकास हेतु प्रतिवर्ष 5 लाख रुपए के हिसाब से पाँच वर्षों तक अनुदान देने का प्रावधान किया गया। 
  • इस समय भारत का वायसराय लॉर्ड कर्ज़न था। उसने गुणवत्ता तथा दक्षता बढ़ाने के नाम पर विश्वविद्यालयों पर कड़ा नियंत्रण स्थापित कर दिया।

सैडलर विश्वविद्यालय आयोग, 1917-19 (Saddler University Commission): 

सैडलर आयोग का गठन कलकत्ता विश्वविद्यालय की समस्याओं के अध्ययन तथा उस पर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिये किया गया था लेकिन इसके सुझाव देश के सभी विश्वविद्यालयों पर लागू हुए थे।

इसके मुख्य सुझाव निम्नलिखित थे:

  • विश्वविद्यालय स्तर की शिक्षा हेतु विद्यार्थियों को तैयार करना।
  • स्कूलों में इंटरमीडिएट स्तर की शिक्षा देने से विश्वविद्यालयों को राहत देना। 
  • उन विद्यार्थियों को कॉलेज की शिक्षा प्रदान करना जो कि विश्वविद्यालयों में नहीं जाना चाहते। 
  • विश्वविद्यालय के विनियमों के निर्माण में लचीलापन बनाए रखना।   
  • विश्वविद्यालय को एक केंद्रीकृत, आवासीय शिक्षण प्रदान करने के लिये स्वायत्त निकाय के तौर पर बनाया जाए, न कि कई कॉलेजों को संबंद्ध कर विस्तृत किया जाए। 
  • महिला शिक्षा, प्रायोगिक विज्ञान, तकनीकी शिक्षा तथा अध्यापकों के प्रशिक्षण हेतु प्रयास किये जाएँ।

वर्ष 1916 से वर्ष 1921 के दौरान भारत में सात नए विश्वविद्यालयों (मैसूर, पटना, बनारस, अलीगढ़, ढाका, लखनऊ तथा ओस्मानिया विश्वविद्यालय) की स्थापना हुई।

हर्टोग समिति, 1929 (Hartog Committee): 

  • हर्टोग समिति का गठन विभिन्न स्कूलों तथा कॉलेजों द्वारा शिक्षा के मानकों का पालन न करने के कारण किया गया था तथा इसका कार्य शिक्षा के विकास पर रिपोर्ट तैयार करना था।
  • प्राथमिक शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाए लेकिन इसके लिये जल्दबाज़ी में इसका विस्तार तथा अनिवार्यता न बनाई जाए।
  • ऐसी व्यवस्था बनाई जाए ताकि केवल पात्र विद्यार्थी ही हाईस्कूल तथा इंटरमीडिएट में प्रवेश लें, जबकि औसत विद्यार्थी व्यावसायिक शिक्षा में प्रवेश प्राप्त करें।
  • विश्वविद्यालयी शिक्षा का स्तर उठाने के लिये आवश्यक है कि विश्वविद्यालयों में प्रवेश को नियंत्रित किया जाए।

शिक्षा पर सार्जेंट योजना, 1944 (Sergeant Plan on Education):

सार्जेंट योजना (सर जॉन सार्जेंट सरकार के शैक्षिक सलाहकार थे) का निर्माण वर्ष 1944 में सेंट्रल एडवाइज़री बोर्ड ऑफ एजुकेशन (Central Board of Education) ने किया था। इसके मुख्य सुझाव निम्नलिखित थे:

  • 3-6 वर्ष के आयु समूह के लिये पूर्व-प्राथमिक शिक्षा। 
  • 6-11 वर्ष के आयु वर्ग के लिए नि:शुल्क, सार्वभौमिक और अनिवार्य प्रारंभिक शिक्षा। 
  • 11-17 वर्ष आयु समूह के कुछ चयनित बच्चों के लिये हाईस्कूल शिक्षा और उच्च माध्यमिक के बाद 3 वर्ष का विश्वविद्यालयी पाठ्यक्रम।
  • शैक्षणिक (Academic) 
  • तकनीकी और व्यावसायिक (Technical and Vocational)
  • तकनीकी, वाणिज्यिक और कला संबंधी शिक्षा को पर्याप्त प्रोत्साहन।
  • इंटरमीडिएट का उन्मूलन।
  • 20 वर्षों में वयस्क निरक्षरता को समाप्त करना।
  • शारीरिक और मानसिक रूप से विकलांगों के लिये शिक्षकों के प्रशिक्षण, शारीरिक शिक्षा, शिक्षा पर ज़ोर देना।

सार्जेंट योजना का उद्देश्य आगामी 40 वर्षों के अंदर ब्रिटेन में प्रचलित शिक्षा स्तर को भारत में लागू करना था। हालाँकि यह एक विस्तृत योजना थीं लेकिन इसके क्रियान्वयन हेतु कोई योजना नहीं बनाई गई थी। इसके अलावा इस योजना को लागू करने के लिये ब्रिटेन की तुलना में भारतीय परिस्थितियाँ भिन्न थीं।

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शिक्षा का महत्व पर निबंध (Importance of Education Essay in Hindi)

शिक्षा का महत्व

बेहतर शिक्षा सभी के लिए जीवन में आगे बढ़ने और सफलता प्राप्त करने के लिए बहुत आवश्यक है। यह हममें आत्मविश्वास विकसित करने के साथ ही हमारे व्यक्तित्व निर्माण में भी सहायता करती है। स्कूली शिक्षा सभी के जीवन में महान भूमिका निभाती है। पूरे शिक्षा तंत्र को प्राथमिक शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा और उच्च माध्यमिक शिक्षा जैसे को तीन भागों में बाँटा गया है। शिक्षा के सभी स्तर अपना एक विशेष महत्व और स्थान रखते हैं। हम सभी अपने बच्चों को सफलता की ओर जाते हुए देखना चाहते हैं, जो केवल अच्छी और उचित शिक्षा के माध्यम से ही संभव है।

शिक्षा का महत्व पर बड़े तथा छोटे निबंध (Long and Short Essay on Importance of Education in Hindi, Shiksha Ka Mahatva par Nibandh Hindi mein)

निबंध 1 (300 शब्द) – शिक्षा का महत्व.

जीवन में सफलता प्राप्त करने और कुछ अलग करने के लिए शिक्षा सभी के लिए एक बहुत महत्वपूर्ण साधन है। यह हमें जीवन के कठिन समय में चुनौतियों से सामना करने में सहायता करता है।

पूरी शिक्षण प्रक्रिया के दौरान प्राप्त किया गया ज्ञान हम सभी और प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन के प्रति आत्मनिर्भर बनाता है। यह जीवन में बेहतर संभावनाओं को प्राप्त करने के अवसरों के लिए विभिन्न दरवाजे खोलती है जिससे कैरियर के विकास को बढ़ावा मिले। ग्रामीण क्षेत्र में शिक्षा के महत्व को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा बहुत से जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं। यह समाज में सभी व्यक्तियों में समानता की भावना लाती है और देश के विकास और वृद्धि को भी बढ़ावा देती है।

शिक्षा का महत्व

आज के समाज में शिक्षा का महत्व काफी बढ़ चुका है। शिक्षा के उपयोग तो अनेक हैं परंतु उसे नई दिशा देने की आवश्यकता है। शिक्षा इस प्रकार की होनी चाहिए कि एक व्यक्ति अपने परिवेश से परिचित हो सके। शिक्षा हम सभी के उज्ज्वल भविष्य के लिए एक बहुत ही आवश्यक साधन है। हम अपने जीवन में शिक्षा के इस साधन का उपयोग करके कुछ भी अच्छा प्राप्त कर सकते हैं। शिक्षा का उच्च स्तर लोगों की सामाजिक और पारिवारिक सम्मान तथा एक अलग पहचान बनाने में मदद करता है। शिक्षा का समय सभी के लिए सामाजिक और व्यक्तिगत रुप से बहुत महत्वपूर्ण समय होता है, यहीं कारण है कि हमें शिक्षा हमारे जीवन में इतना महत्व रखती है।

आज के आधुनिक तकनीकी संसार में शिक्षा काफी अहम है। आजकल के समय में  शिक्षा के स्तर को बढ़ाने के लिए बहुत तरीके सारे तरीके अपनाये जाते हैं। वर्तमान समय में शिक्षा का पूरा तंत्र अब बदल चुका है। हम अब 12वीं कक्षा के बाद दूरस्थ शिक्षा कार्यक्रम (डिस्टेंस एजूकेशन) के माध्यम से भी नौकरी के साथ ही पढ़ाई भी कर सकते हैं। शिक्षा बहुत महंगी नहीं है, कोई भी कम धन होने के बाद भी अपनी पढ़ाई जारी रख सकता है। दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से हम आसानी से किसी भी बड़े और प्रसिद्ध विश्वविद्यालय में बहुत कम शुल्क में प्रवेश ले सकते हैं। अन्य छोटे संस्थान भी किसी विशेष क्षेत्र में कौशल को बढ़ावा देने के लिए शिक्षा प्रदान कर रहे हैं।

निबंध 2 (400 शब्द) – विद्या सर्वश्रेष्ठ धन है

शिक्षा स्त्री और पुरुषों दोनों के लिए समान रुप से आवश्यक है, क्योंकि स्वास्थ्य और शिक्षित समाज का निर्माण दोनो द्वारा मिलकर ही किया जाता हैं। यह उज्ज्वल भविष्य के लिए आवश्यक यंत्र होने के साथ ही देश के विकास और प्रगति में भी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इस तरह, उपयुक्त शिक्षा दोनों के उज्ज्वल भविष्य का निर्माण करती है। वो केवल शिक्षित नेता ही होते हैं, जो एक राष्ट्र का निर्माण करके, इसे सफलता और प्रगति के रास्ते की ओर ले जाते हैं। शिक्षा जहाँ तक संभव होता है उस सीमा तक लोगों बेहतर और सज्जन बनाने का कार्य करती है।

आधुनिक शिक्षा प्रणाली

अच्छी शिक्षा जीवन में बहुत से उद्देश्यों को प्रदान करती है जैसे; व्यक्तिगत उन्नति को बढ़ावा, सामाजिक स्तर में बढ़ावा, सामाजिक स्वस्थ में सुधार, आर्थिक प्रगति, राष्ट्र की सफलता, जीवन में लक्ष्यों को निर्धारित करना, हमें सामाजिक मुद्दों के बारे में जागरूक करना और पर्यावरण समस्याओं को सुलझाने के लिए हल प्रदान करना और अन्य सामाजिक मुद्दे आदि। दूरस्थ शिक्षा प्रणाली के प्रयोग के कारण, आजकल शिक्षा प्रणाली बहुत साधारण और आसान हो गयी है। आधुनिक शिक्षा प्रणाली, अशिक्षा और समानता के मुद्दे को विभिन्न जाति, धर्म व जनजाति के बीच से पूरी तरह से हटाने में सक्षम है।

विद्या सर्वश्रेष्ठ धन है

विद्या एक ऐसा धन है जिसे ना तो कोई चुरा सकता है और नाही कोई छीन सकता। यह एक मात्र ऐसा धन है जो बाँटने पर कम नहीं होता, बल्कि की इसके विपरीत बढ़ता ही जाता है। हमने देखा होगा कि हमारे समाज में जो शिक्षित व्यक्ति होते हैं उनका एक अलग ही मान सम्मान होता है और लोग उन्हें हमारे समाज में इज्जत भी देते हैं। इसलिए हर व्यक्ति चाहता है कि वह एक साक्षर हो प्रशिक्षित हो इसीलिए आज के समय में हमारे जीवन में पढ़ाई का बहुत अधिक महत्व हो गया है। इसीलिए आपको यह याद रखना है कि शिक्षा हमारे लिए बहुत जरूरी है इसकी वजह से हमें हमारे समाज में सम्मान मिलता है जिससे हम समाज में सर उठा कर जी सकते हैं।

शिक्षा लोगों के मस्तिष्क को उच्च स्तर पर विकसित करने का कार्य करती है और समाज में लोगों के बीच सभी भेदभावों को हटाने में मदद करती है। यह हमारी अच्छा अध्ययन कर्ता बनने में मदद करती है और जीवन के हर पहलू को समझने के लिए सूझ-बूझ को विकसित करती है। यह सभी मानव अधिकारों, सामाजिक अधिकारों, देश के प्रति कर्तव्यों और दायित्वों को समझने में भी हमारी सहायता करता है।

निबंध 3 (500 शब्द) – शिक्षा की मुख्य भूमिका

शिक्षा हम सभी के उज्ज्वल भविष्य के लिए आवश्यक उपकरण है । हम जीवन में शिक्षा के इस उपकरण का प्रयोग करके कुछ भी अच्छा प्राप्त कर सकते हैं। शिक्षा का उच्च स्तर लोगों को सामाजिक और पारिवारिक आदर और एक अलग पहचान बनाने में मदद करता है। शिक्षा का समय सभी के लिए सामाजिक और व्यक्तिगत रुप से बहुत महत्वपूर्ण समय होता है। यह एक व्यक्ति को जीवन में एक अलग स्तर और अच्छाई की भावना को विकसित करती है। शिक्षा किसी भी बड़ी पारिवारिक, सामाजिक और यहाँ तक कि राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय समस्याओं को भी हर करने की क्षमता प्रदान करती है। हम से कोई भी जीवन के हरेक पहलू में शिक्षा के महत्व को अनदेखा नहीं कर सकता। यह मस्तिष्क को सकारात्मक ओर मोड़ती है और सभी मानसिक और नकारात्मक विचारधाराओं को हटाती है।

शिक्षा क्या है ?

यह लोगों की सोच को सकारात्मक विचार लाकर बदलती है और नकारात्मक विचारों को हटाती है। बचपन में ही हमारे माता-पिता हमारे मस्तिष्क को शिक्षा की ओर ले जाने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे प्रसिद्ध शैक्षणिक संस्था में हमारा दाखिला कराकर हमें अच्छी शिक्षा प्रदान करने का हरसंभव प्रयास करते हैं। यह हमें तकनीकी और उच्च कौशल वाले ज्ञान के साथ ही पूरे संसार में हमारे विचारों को विकसित करने की क्षमता प्रदान करती है। अपने कौशल और ज्ञान को बढ़ाने का सबसे अच्छे तरीके अखबारों को पढ़ना, टीवी पर ज्ञानवर्धक कार्यक्रमों को देखना, अच्छे लेखकों की किताबें पढ़ना आदि हैं। शिक्षा हमें अधिक सभ्य और बेहतर शिक्षित बनाती है। यह समाज में बेहतर पद और नौकरी में कल्पना की गए पद को प्राप्त करने में हमारी मदद करती है।

शिक्षा की मुख्य भूमिका

आधुनिक तकनीकी संसार में शिक्षा मुख्य भूमिका को निभाती है। आजकल, शिक्षा के स्तर को बढ़ाने के लिए बहुत तरीके हैं। शिक्षा का पूरा तंत्र अब बदल दिया गया है। हम अब 12वीं कक्षा के बाद दूरस्थ शिक्षा कार्यक्रम (डिस्टेंस एजूकेशन) के माध्यम से भी नौकरी के साथ ही पढ़ाई भी कर सकते हैं। शिक्षा बहुत महंगी नहीं है, कोई भी कम धन होने के बाद भी अपनी पढ़ाई जारी रख सकता है। दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से हम आसानी से किसी भी बड़े और प्रसिद्ध विश्वविद्यालय में बहुत कम शुल्क पर प्रवेश ले सकते हैं। अन्य छोटे संस्थान भी किसी विशेष क्षेत्र में कौशल को बढ़ावा देने के लिए शिक्षा प्रदान कर रहे हैं।

यह हमें जीवन में एक अच्छा चिकित्सक, अभियंता (इंजीनियर), पायलट, शिक्षक आदि, जो भी हम बनना चाहते हैं वो बनने के योग्य बनाती है। नियमित और उचित शिक्षा हमें जीवन में लक्ष्य को बनाने के द्वारा सफलता की ओर ले जाती है। पहले के समय की शिक्षा प्रणाली आज के अपेक्षा काफी कठिन थी। सभी जातियाँ अपनी इच्छा के अनुसार शिक्षा प्राप्त नहीं कर सकती थी। अधिक शुल्क होने के कारण प्रतिष्ठित कालेज में प्रवेश लेना भी काफी मुश्किल था। लेकिन अब, दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से शिक्षा प्राप्त करके आगे बढ़ना बहुत ही आसान और सरल बन गया है।

Importance of Education Essay in Hindi

निबंध 4 (600 शब्द) – ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा का महत्व

घर शिक्षा प्राप्त करने पहला स्थान है और सभी के जीवन में अभिभावक पहले शिक्षक होते हैं। हम अपने बचपन में, शिक्षा का पहला पाठ अपने घर विशेष रुप से माँ से प्राप्त करते हैं। हमारे माता-पिता जीवन में शिक्षा के महत्व को बताते हैं। जब हम 3 या 4 साल के हो जाते हैं, तो हम स्कूल में उपयुक्त, नियमित और क्रमबद्ध पढ़ाई के लिए भेजे जाते हैं, जहाँ हमें बहुत सी परीक्षाएं देनी पड़ती है, तब हमें एक कक्षा उत्तीर्ण करने का प्रमाण मिलता है।

एक-एक कक्षा को उत्तीर्ण करते हुए हम धीरे-धीरे आगे बढ़ते हैं, जब तक कि, हम 12वीं कक्षा को पास नहीं कर लेते। इसके बाद, तकनीकी या पेशेवर डिग्री की प्राप्ति के लिए तैयारी शुरु कर देते हैं, जिसे उच्च शिक्षा भी कहा जाता है। उच्च शिक्षा सभी के लिए अच्छी और तकनीकी नौकरी प्राप्त करने के लिए बहुत ही आवश्यक है।

ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा का महत्व

हम अपने अभिभावकों और शिक्षक के प्रयासों के द्वारा अपने जीवन में अच्छे शिक्षित व्यक्ति बनते हैं। वे वास्तव में हमारे शुभ चिंतक हैं, जिन्होंने हमारे जीवन को सफलता की ओर ले जाने में मदद की। आजकल, शिक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने के लिए बहुत सी सरकारी योजनाएं चलायी जा रही हैं ताकि, सभी की उपयुक्त शिक्षा तक पहुँच संभव हो। ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को शिक्षा के महत्व और लाभों को दिखाने के लिए टीवी और अखबारों में बहुत से विज्ञापनों को दिखाया जाता है क्योंकि पिछड़े ग्रामीण क्षेत्रों में लोग गरीबी और शिक्षा की ओर अधूरी जानकारी के कारण पढ़ाई करना नहीं चाहते हैं।

गरीबों और माध्यम वर्ग के लिए शिक्षा

पहले, शिक्षा प्रणाली बहुत ही महंगी और कठिन थी, गरीब लोग 12वीं कक्षा के बाद उच्च शिक्षा प्राप्त करने में सक्षम नहीं थे। समाज में लोगों के बीच बहुत अन्तर और असमानता थी। उच्च जाति के लोग, अच्छे से शिक्षा प्राप्त करते थे और निम्न जाति के लोगों को स्कूल या कालेज में शिक्षा प्राप्त करने की अनुमति नहीं थी। यद्यपि, अब शिक्षा की पूरी प्रक्रिया और विषय में बड़े स्तर पर परिवर्तन किए गए हैं। इस विषय में भारत सरकार के द्वारा सभी के लिए शिक्षा प्रणाली को सुगम और कम महंगी करने के लिए बहुत से नियम और कानून लागू किये गये हैं।

सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण, दूरस्थ शिक्षा प्रणाली ने उच्च शिक्षा को सस्ता और सुगम बनाया है, ताकि पिछड़े क्षेत्रों, गरीबों और मध्यम वर्ग के लोगों के लिए भविष्य में समान शिक्षा और सफलता प्राप्त करने के अवसर मिलें। भलीभाँति शिक्षित व्यक्ति एक देश के मजबूत आधार स्तम्भ होते हैं और भविष्य में इसको आगे ले जाने में सहयोग करते हैं। इस तरह, शिक्षा वो उपकरण है, जो जीवन, समाज और राष्ट्र में सभी असंभव स्थितियों को संभव बनाती है।

शिक्षा: उज्ज्वल भविष्य के लिए आवश्यक उपकरण

शिक्षा हम सभी के उज्ज्वल भविष्य के लिए आवश्यक उपकरण है। हम जीवन में शिक्षा के इस उपकरण का प्रयोग करके कुछ भी अच्छा प्राप्त कर सकते हैं। शिक्षा का उच्च स्तर लोगों को सामाजिक और पारिवारिक आदर और एक अलग पहचान बनाने में मदद करता है। शिक्षा का समय सभी के लिए सामाजिक और व्यक्तिगत रुप से बहुत महत्वपूर्ण समय होता है। यह एक व्यक्ति को जीवन में एक अलग स्तर और अच्छाई की भावना को विकसित करती है। शिक्षा किसी भी बड़ी पारिवारिक, सामाजिक और यहाँ तक कि राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय समस्याओं को भी हर करने की क्षमता प्रदान करती है। हम से कोई भी जीवन के हरेक पहलू में शिक्षा के महत्व को अनदेखा नहीं कर सकता। यह मस्तिष्क को सकारात्मक ओर मोड़ती है और सभी मानसिक और नकारात्मक विचारधाराओं को हटाती है।

शिक्षा लोगों के मस्तिष्क को बड़े स्तर पर विकसित करने का कार्य करती है तथा इसके साथ ही यह समाज में लोगों के बीच के सभी भेदभावों को हटाने में भी सहायता करती है। यह हमें अच्छा अध्ययन कर्ता बनने में मदद करती है और जीवन के हर पहलू को समझने के लिए सूझ-बूझ को विकसित करती है। यह सभी मानव अधिकारों, सामाजिक अधिकारों, देश के प्रति कर्तव्यों और दायित्वों को समझने में हमारी सहायता करती है।

FAQs: Frequently Asked Questions on Importance of Education (शिक्षा का महत्व पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

उत्तर- तथागत बुध्द के अनुसार शिक्षा व्यक्ति के समन्वित विकास की प्रक्रिया है।

उत्तर- शिक्षा तीन प्रकार की होती है औपचारिक शिक्षा, निरौपचारिक शिक्षा, अनौपचारिक शिक्षा।

उत्तर- शिक्षा व्यक्ति को आत्मनिर्भर बनाती है।

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Essay on Indian Education System for Students and Children

500+ words essay on indian education system for students and children.

The Indian education system is quite an old education system that still exists. It has produced so many genius minds that are making India proud all over the world. However, while it is one of the oldest systems, it is still not that developed when compared to others, which are in fact newer. This is so as the other countries have gone through growth and advancement, but the Indian education system is still stuck in old age. It faces a lot of problems that need to be sorted to let it reach its full potential.

Essay on Indian Education System

Problems with Indian Education System

Our Indian education system faces a lot of problems that do not let it prosper and help other children succeed in life . The biggest problem which it has to face is the poor grading system. It judges the intelligence of a student on the basis of academics which is in the form of exam papers. That is very unfair to students who are good in their overall performance but not that good at specific subjects.

Moreover, they only strive to get good marks not paying attention to understanding what is taught. In other words, this encourages getting good marks through mugging up and not actually grasping the concept efficiently.

Furthermore, we see how the Indian education system focuses on theory more. Only a little percentage is given for practical. This makes them run after the bookish knowledge and not actually applying it to the real world. This practice makes them perplexed when they go out in the real world due to lack of practical knowledge.

Most importantly, the Indian education system does not emphasize enough on the importance of sports and arts. Students are always asked to study all the time where they get no time for other activities like sports and arts.

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How Can We Improve Indian Education System?

As the Indian Education System is facing so many problems, we need to come up with effective solutions so it improves and creates a brighter future for students . We can start by focusing on the skill development of the students. The schools and colleges must not only focus on the ranks and grades but on the analytical and creative skills of children.

In addition, subjects must not be merely taught theoretically but with practical. This will help in a better understanding of the subject without them having to mug up the whole thing due to lack of practical knowledge. Also, the syllabus must be updated with the changing times and not follow the old age pattern.

Other than that, the government and private colleges must now increase the payroll of teachers. As they clearly deserve more than what they offer. To save money, the schools hire teachers who are not qualified enough. This creates a very bad classroom environment and learning. They must be hired if they are fit for the job and not because they are working at a lesser salary.

In conclusion, the Indian education system must change for the better. It must give the students equal opportunities to shine better in the future. We need to let go of the old and traditional ways and enhance the teaching standards so our youth can get create a better world.

FAQs on Indian Education System

Q.1 What problems does the Indian Education System face?

A.1 Indian education is very old and outdated. It judges students on the basis of marks and grades ignoring the overall performance of the student. It focuses on academics side-lining arts and sports.

Q.2 How can we improve the Indian education system?

A.2 The colleges and schools must hire well and qualified teachers. They must help students to understand the concept instead of merely mugging up the whole subject.

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भारत में शिक्षा |Essay on Education in India in Hindi

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भारत में शिक्षा |Essay on Education in India in Hindi!

भारत में अन्य देशों की तुलना में शिक्षित लोगों का प्रतिशत काफी कम है । इग्लैंड, रुस तथा जापान में लगभग शत-प्रतिशत जनसंख्या साक्षर है । यूरोप एवं अमेरिका में साक्षरता का प्रतिशत 90 से 100 के बीच है जबकि भारत में 2001 में साक्षरता का प्रतिशत 65.38 है ।

1951, 1961 तथा 1971 की जनगणना में साक्षरता दर की गणना करते समय पांच वर्ष या उससे ऊपर की आयु के व्यक्तियों को सम्मानित किया गया है अर्थात न वर्ष से कम आयु के सभी बच्चों को निरक्षर किया गया है चाहे वे किसी भो स्तर की शिक्षा ग्रहण किए हैं ।

2001 की जनगणना में उस व्यक्ति को साक्षर माना गया है जो किसी भाषा को पढ़ लिख अथवा समझ सकता है । साक्षर होने के लिए यह जरुरी नहीं है कि व्यक्ति ने कोई औपचारिक शिक्षा प्राप्त की हो या कोई परीक्षा पास की हो ।

ADVERTISEMENTS:

सन् 1976 में भारतीय संविधान में किए गए संशोधन के बाद शिक्षा केन्द्र और राज्यों की साक्षर जिम्मेदारी बन गई है । शिक्षा प्रणाली और उसके ढांचे के बारे में फैसले आमतौर पर राज्य ही करते हैं । लेकिन शिक्षा के स्वरुप और गुणवत्ता का दायित्व स्पष्ट रुप से केन्द्र सरकार का ही है ।

सन् 1986 की राष्ट्रीय शिक्षा नीति तथा 1992 की मार्च योजना में 21वीं शताब्दी के प्रारम्भ होने से पहले ही देश में चौदह वर्ष तक के सभी बच्चों को संतोषजनक गुणवत्ता के साथ नि:शुल्क तथा अनिवार्य शिक्षा उपलब्ध अन्तर्गत सरकार की वचनवद्वंता के अनुसार सकल घरेलू उत्पाद का छ: प्रतिशत शिक्षा के क्षेत्र के लिए खर्च किया जाएगा इस धनराशि का 50: प्राथमिक शिक्षा पर व्यय किया जाएगा ।

आठवीं पंचवर्षीय योजना में शिक्षा के लिए योजना खर्च बढ़ाकर 19,600 करोड़ रुपए कर दिया गया जबकि पहली योजना में यह 153 करोड़ रुपए था । सकल घेरलू उत्पाद के प्रतिशत की दृष्टि से शिक्षा पर खर्च 1951-52 के 0.7 प्रतिशत से बढ्‌कर 1997-98 में 3.6 प्रतिशत हो गया ।

नौवीं योजना में शिक्षा खर्च 20,381.64 करोड़ रुपए रखा गया । इसमें 4,526.74 करोड़ रुपए का वह प्रावधान शामिल नहीं है जो नौवीं पंचवर्षीय योजना के अन्तिम तीन वर्षों में प्राथमिक स्कूलों में पोषाहार सहायता के लिए किया गया।

प्राथमिक शिक्षा:

1999-2000 में कुल केन्द्रीय योजना खर्च का 64.6 प्रतिशत प्राथमिक प्राथमिक शिक्षा पर खर्च के लिए निर्धारित किया गया । राष्ट्रीय शिक्षा नीति में संकल्प किया गया कि इक्कीसवीं शताब्दी के शुरु होने से पहले देश में चौदह वर्ष के आयु में सभी बच्चों को निःशुल्क अनिवार्य और गुणवत्ता की दृष्टि से सन्तोषजनक शिक्षा उपलब्ध कराई जाए । आठवीं पंचवर्षीय योजना में सबके लिए प्राथमिक शिक्षा के लक्ष्य के बारे में प्रमुख रुप से तीन मानदण्ड निर्धारित किए गए हैं – सार्वभौम पंहुच, सार्वभौम धारणा, सार्वभौम उपलब्धि ।

केन्द्र और राज्य सरकारों द्वारा किए गए प्रयत्नों के फलस्वरुप देश की 94 प्रतिशत ग्रामीण आबादी को एक किलोमीटर के दायरे में कम से कम एक प्राकृतिक विद्यालय और 84 प्रतिशत ग्रामीण आबादी तीन किलोमीटर के दायरे में एक उच्च प्राकृतिक विद्यालय उपलब्ध कराया गया । दसवीं पंचवर्षीय योजना (2002-07) के दृष्टिकोण पत्र में वर्ष 2007 तक सभी को प्राकृतिक शिक्षा उपलब्ध कराके साक्षरता दर 72: तथा वर्ष 2012 तक 80: करने का संकल्प किया गया है ।

माध्यमिक एवं उच्च शिक्षा:

1950-51 से 1998-99 तक माध्यमिक शिक्षा के स्तर में उल्लेखनीय प्रगति आई : 1) माध्यमिक स्तर के शिक्षा संस्थान 7416 से बढ़कर 1.10 लाख हो गए । 2) माध्यमिक स्तर पर लड़कियों की संख्या 13.3 प्रतिशत से बढ़कर 37.1 प्रतिशत पर पहुंच गई । 3) लड़कियों के दाखिले 2 लाख से बढ़कर 101 लाख हो गए ।

उच्च शिक्षा की दृष्टि से भी देश प्रगति की ओर अग्रसर है । वर्तमान में देश के 185 विश्वविद्यालय, 42 सम-विश्व विद्यालय और 5 संस्थान हैं जो उच्च शिक्षा उपलब्ध करा रहे हैं । देश में कॉलेजों की कुल संख्या 11,100 हैं । देश के सभी विश्वविद्यालयों में विद्यार्थियों की संख्या 74.18 लाख है ।

जबकि देश के सभी विश्वविद्यालयों में विद्यार्थियों की संख्या 74.18 लाख है । जबकि अध्यापकों की संख्या 3.42 लाख है । वर्ष 2003-04 के केन्द्रीय बजट में माध्यमिक सर्व उच्च शिक्षा हेतु 3,125 करोड़ रुपये आबंटित किए हैं, जो गत वर्ष से 305 करोड़ रुपए अधिक हैं ।

विश्वविद्यालय तथा उच्च शिक्षा:

उच्च वैज्ञानिक सुविधाओं की सुलभता तथा उसकी गुणवत्ता में सुधार लाने की दिशा में अनेक प्रयास किए । यह सुनिश्चित करने के लिए कि उच्च शिक्षा संस्थान उत्कृष्टता के केन्द्र बन सकें, यह निर्णय किया गया कि प्रत्यायन क्रियाविधियां सभी विश्वविद्यालय के लिए अनिवार्य बना दी जाएं ।

इस लक्ष्य की पूर्ति के लिए अन्य संगठनों सहित राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिक्ष्य को समुचित रुप से चुस्त बनाया जाएगा और अधिक संख्या में स्वायत कॉलेज स्थापित किए जाने के लिए और अधिक बढ़ावा दिया जाएगा ताकि उच्च शिक्षा की पाठ्‌यचर्या में अधिक नवाचार तथा नमनशीलता लाई जा सके ।

सरकार ने उच्च शिक्षा क्षेत्र के मिश्रित योजनागत तथा योजनोतर आंबटनों – दोनों रुपों में वित्तीय सहायता में उल्लेखनीय वृद्धि की है । उच्च शिक्षा के लिए समग्र आबंटन जो आठवीं योजना में 800 करोड़ रुपए का, नौवीं योजना में बढ़ाकर 200 करोड़ रुपए कर दिया गया है ।

जहां तक योजनोतर आबंटन का संबंध है, विश्व विद्यालय अनुदान आयोग के लिए 1999-2000 के बजट अनुमानों के अनुसार 640 करोड़ रुपए के बजट आंबटन को संशोधित करके 975 करोड़ रुपए कर दिया गया है । उच्च शिक्षा क्षेत्र को आर्थिक दृष्टि से और अधिक व्यवहार बनाने के उद्‌देश्य से विश्वविद्यालयों की शुल्क संरचनाओं को संशोधित करने के प्रयास भी किए जा रहे हैं ।

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शिक्षा पर निबंध Education Essay in Hindi

शिक्षा पर निबंध Education Essay in Hindi (1000+ Words)

आज के इस आर्टिकल में हमने शिक्षा पर निबंध (Education Essay in Hindi) लिखा हैं जिसमे हमने प्रस्तावना, परिभाषा, उद्देश्य, महत्व, अधिकार, समस्याएं, और शिक्षा के वर्तमान स्थिति के बारे में बताया है। यह निबंध 1000+ शब्दों मे स्कूल और कॉलेज के बच्चों के लिए लिखा गया है।

Table of Contents

प्रस्तावना Introduction

शिक्षा हमारे जीवन में बहुत ही महत्वपूर्ण है। शिक्षा के बिना हम कोई भी काम अच्छे से नहीं कर सकते हैं शिक्षा हमारे जीवन के हर क्षेत्र में काम आता है। तो चलिए हम जानते हैं कि शिक्षा हमारे जीवन में महत्वपूर्ण क्यों है और यह हमारे जीवन के हर क्षेत्र में हमें किस प्रकार से मदद करता है?

आज के बच्चे ही कल का भविष्य है। वह पढेंगे तभी तो आगे बढ़ेंगे। पढ़े-लिखे नागरिक ही देश के पूंजी होती है। अपनी शिक्षा और सूझबूझ के बल पर देश को प्रगति की ओर ले जाते हैं।

पढ़ें: मेरा भारत महान निबंध Essay on Mera Bharat Mahan in Hindi

शिक्षा की परिभाषा Definitions of Education in Hindi

शिक्षा शब्द संस्कृत के शिक्ष धातु से  उत्पन्न हुआ है जिसका अर्थ है सीखना और सिखाना। शिक्षा शब्द अंग्रेजी का Education शब्द की उत्पत्ति लैटिन के educare शब्द से हुई है।

  • Education – एजुकेशन का अर्थ है आंतरिक और बहार लाना। कुछ विद्वान मानते हैं कि एजुकेशन शब्द की उत्पत्ति एजुकेट से हुई है जिसका अर्थ है परीक्षण देना।
  • Educare – आगे बढ़ना या विकसित करना।
  • Edushare – अग्रेषित करना।

क्रो एंड क्रो के अनुसार

“शिक्षा जन्म से लेकर मृत्यु तक आजीवन चलने वाली प्रक्रिया है।”

फ्रोबेल के अनुसार

“शिक्षा में ज्ञान उचित आचरण व तकनीकी दक्षता शिक्षण व विद्या प्राप्ति आदि समाविष्ट है।” “शिक्षा समाज की एक पीढ़ी द्वारा अपने से निचली पीढ़ी को अपने ज्ञान के स्थानांतरण का प्रयास है।”

महात्मा गांधी के अनुसार

शिक्षा से तात्पर्य बालक को मनुष्य के शरीर, मन और आत्मा के सर्वांगीण व सर्वोत्कृष्ट विकास से है।

स्वामी विवेकानंद के अनुसार

मनुष्य की अंतर्निहित पूर्णियता को अभिव्यक्त करना ही शिक्षा है।

हर्बर्ट स्पेंसर के अनुसार

शिक्षा का अर्थ अंतः शक्तियों को वाह्य् जीवन से समन्वय स्थापित करना है।

राष्ट्रीय शिक्षा आयोग 1964- 66 के अनुसार

शिक्षा राष्ट्र के आर्थिक, सामाजिक विकास का शक्तिशाली साधन है। शिक्षा राष्ट्रीय संपन्नता एवं राष्ट्र कल्याण की कुंजी है।

शिक्षा के रूप और प्रकार Types of Education in Hindi

व्यवस्था की दृष्टि से देखें तो वह शिक्षा के अग्र लिखित तीन प्रकार हैं-

  • औपचारिक शिक्षा
  • अनौपचारिक शिक्षा
  • निरौपचारिक शिक्षा

1. औपचारिक शिक्षा Formal Education in Hindi

  • वहां शिक्षा जो विद्यालयों, विश्वविद्यालय, महाविद्यालयों में चलती है।
  • इस शिक्षा के उद्देश्य पाठ्य चर्चा व शिक्षण विधियां सभी निश्चित होते हैं।
  • योजनाबंध व योजना बड़ी कठोर होती है।
  • यहां शिक्षा व्यवस्था व्याय् साध्य होती है, अर्थात इसमें धन, समय, ऊर्जा अधिक व्यय् करना पड़ता है।

2. अनौपचारिक शिक्षा Informal Education in Hindi

  • शिक्षा जिसकी कोई योजना नहीं बनाई जाती।
  • इसके उद्देश्य पाठ्यक्रम शिक्षण विधियां आदि अनिश्चित होती हैं।
  • आकाश मिक रूप से सदैव चलने वाली शिक्षा। जीवन प्रयत्न बच्चे की प्रथम शिक्षा इसी अनौपचारिक वातावरण में घर में रहकर ही पूरी होती है।
  • व्यक्ति की भाषा आचरण दिशानिर्देश रुचि रुझान आदि इसी शिक्षा पर आधारित है।

3. निरौपचारिक शिक्षा Non-Formal Education in Hindi

  • शिक्षा जो अनौपचारिक शिक्षा की भांति विद्यालयों आदि की सीमा में नहीं बांधी जाती है।
  • इसका भी उद्देश्य व पर्यावाची निश्चित होती है, फर्क केवल उसकी योजना में होती है जो बहुत ही लचीली होती है।
  • इसका उद्देश्य सामान्य शिक्षा का प्रयास करना होता है।
  • इसमें सीखने वाले की सुविधा अनुसार शिक्षा शिक्षण, प्रक्रिया स्थान, समय तय होता है।
  • प्रौढ़ शिक्षा, सत शिक्षा, दूरस्थ व खुली शिक्षा, कामकाजी महिलाओं हेतु शिक्षा आदि इसी के विभिन्न रूप हैं।
  • धन का व्यय सीमित।

शिक्षा का महत्व Importance of Education in Hindi

जीवन में शिक्षा बहुत जरूरी है। शिक्षा आत्मविश्वास विकसित करता है। हर व्यक्ति के व्यक्तित्व निर्माण में मदद करता है। उचित शिक्षा भविष्य में आगे बढ़ने के लिए  बहुत सारे रास्ते बनाती है।

स्कूली शिक्षा हर किसी के जीवन में एक महान भूमिका निभाती है। हमारी अच्छी या बुरी शिक्षा यह तय करती है कि हम भविष्य में इस प्रकार के व्यक्ति होंगे। शिक्षा उच्च पद पर नौकरी पाने में मदद करती है।

पढ़ें: मेरे सपनों का भारत निबंध Mere Sapno Ka Bharat Essay in Hindi

शिक्षा का अधिकार Right to Education in Hindi

शिक्षा पुरुष और महिलाओं दोनों के लिए समान रूप से होनी चाहिए क्योंकि दोनों एक साथ स्वस्थ और शिक्षित समाज बनाते हैं शिक्षा समाज के सभी मतभेदों को दूर करने में मदद करती है सभी सपनों को साकार करने का सिर्फ एक हि तारीख का है जो है अच्छी शिक्षा।

शिक्षा का अधिकार सांसद का एक अधिनियम है जो भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21A के तहत भारत में 6 से 14 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के महत्व का वर्णन करता है।

शिक्षा को मौलिक अधिकार बनाने के लिए भारत 135 देशों में एक बन गया। यह अधिनियम 1 अप्रैल 2010 से लागू हुआ। शिक्षा के अधिकार में उन व्यक्तियों के लिए बुनियादी शिक्षा प्रदान करने की भी ज़िम्मेदारी शामिल है, जिन्होंने प्राथमिक शिक्षा पूरी नहीं की है।  

शिक्षा की समस्याएं Problems of Eductaion in Hindi

शिक्षा की सबसे बड़ी समस्या गरीबी है। गरीबी के कारण लोग अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा नहीं दे पाते हैं उनकी अच्छी पढ़ाई के लिए उन्हें विदेश नहीं भेज पाते हैं। धीरे-धीरे अब उच्च शिक्षा इतनी महंगी हो चुकी है कि मध्यम श्रेणी के परिवार के बच्चों का पढ़ना भी बहुत मुश्किल होने लगा है तो गरीब लोग ऐसे मे क्या कर पाएंगे। 

बेरोज़गारी भी शिक्षा की बहुत बड़ी समस्या है। अशिक्षित होने के कारण लोग कोई काम नहीं मिलता है जिसके कारण वह बेरोज़गारी हो रहे हैं और अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए पैसा इकट्ठा नहीं कर पा रहे हैं। 

भारत में शिक्षा की वर्तमान स्थिति Current state of Education in India

आज शिक्षा की वर्तमान स्थिति देखें तो ज्यादातर लोग शिक्षित होने लगे हैं। शिक्षित होने के कारण अपने बच्चे को अच्छे स्कूलों में पढ़ा रहे हैं। गरीब हो या अमीर सब कोई अपने बच्चों को शिक्षा दे रहे हैं।

अच्छी पढ़ाई करने वाले बच्चों को भी स्कालर्शिप दी जा रही है जिससे वे मुफ़्त मे अच्छी शिक्षा ग्रहण करने के लिए विदेश जा पा रहे हैं। अभी भी गाँव-देहात के लोगों को 

शिक्षा पर 10 वाक्य 10 Lines on Education in Hindi

  • शिक्षा हमारे जीवन में अत्यधिक महत्वपूर्ण है।
  • शिक्षा के बिना मानव जाति का जीवन अधूरा है।
  • शिक्षा हमारे जीवन में अहम भूमिका निभाती है।
  • पढ़े-लिखे नागरिक ही देश की पूंजी होती है।
  • शिक्षा शब्द संस्कृत के सीखा धातु से उत्पन्न हुआ है जिसका अर्थ है सीखना और सीखाना है।
  • व्यवस्था की दृष्टि से देखें तो वह शिक्षा के तीन प्रकार होते हैं औपचारिक शिक्षा, अनौपचारिक शिक्षा, निरौपचारिक शिक्षा।
  • शिक्षा जन्म से लेकर मृत्यु तक आजीवन चलने वाली प्रक्रिया है।
  • शिक्षा आत्मविश्वास विकसित करता है। हर व्यक्ति के व्यक्तित्व विकास में मदद करता है।
  • स्कूली शिक्षा हर किसी के जीवन में एक महान भूमिका निभाती है। 
  • शिक्षा पुरुष और महिलाओं दोनों के लिए समान रूप से होनी चाहिए। 

निष्कर्ष Conclusion

इस निबंध से हमें यही सिख मिलाती है की हम सभी के जीवन में शिक्षा का बहुंत ही महत्व है। हमें बच्चों को भी अच्छी  शिक्षा देनी चाहिए। हमें हमेशा कोशिश करनी चाहिए की कोई भी अशिक्षित न हो। आशा करते है आपको हमारा यह शिक्षा पर निबंध अच्छा लगा होगा। कमेन्ट के माध्यम से हमें अपने सुझाव जरूर भेजें। 

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शिक्षा पर निबंध 100, 150, 200, 250, 500 शब्दों मे (Education Essay in Hindi)

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Education Essay in Hindi – नेल्सन मंडेला ने ठीक ही कहा था, “दुनिया को बदलने के लिए शिक्षा सबसे महत्वपूर्ण हथियार है।” शिक्षा एक व्यक्ति के विकास और उसे एक जानकार नागरिक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह शिक्षा ही है जो व्यक्ति को आत्मनिर्भर बनाती है, सामाजिक बुराइयों को दबाने में मदद करती है और समग्र रूप से समाज और राष्ट्र के विकास में योगदान देती है।

शिक्षा प्रकृति के रहस्य को जानने में मदद करती है। यह हमें हमारे समाज के कामकाज को समझने और सुधारने में सक्षम बनाता है। यह बेहतर जीवन के लिए परिस्थितियाँ बनाता है। शिक्षा समाज में हो रहे अन्याय से लड़ने की क्षमता लाती है। प्रत्येक व्यक्ति को शिक्षा का अधिकार है।

परिचय (Introduction)

शिक्षा एक महत्वपूर्ण साधन है जो ज्ञान, कौशल, तकनीक, सूचना प्रदान करती है और लोगों को अपने परिवार, समाज और राष्ट्र के प्रति अपने अधिकारों और कर्तव्यों को जानने में सक्षम बनाती है। आप हमारे आसपास की दुनिया को देखने के लिए अपनी दृष्टि और दृष्टिकोण का विस्तार कर सकते हैं। यह जीवन के प्रति हमारी धारणा को बदल देता है। शिक्षा आपकी रचनात्मकता को बढ़ाने के लिए नई चीजों का पता लगाने की क्षमता का निर्माण करती है। आपकी रचनात्मकता राष्ट्र को विकसित करने का एक उपकरण है।

शिक्षा पर निबंध 10 लाइन (Education Essay 10 lines in Hindi)

  • 1) शिक्षा वह प्रक्रिया है जो किसी के चरित्र को सीखने, ज्ञान और कौशल प्राप्त करने में सहायता करती है।
  • 2) शिक्षा समाज की सोच को उन्नत करती है और सामाजिक बुराइयों को दूर करने में मदद करती है।
  • 3) यह समाज की असमानताओं से लड़कर देश के समान विकास में मदद करता है।
  • 4) हम शिक्षण, प्रशिक्षण और अनुसंधान गतिविधियों आदि जैसे विभिन्न तरीकों से शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं।
  • 5) कहानी सुनाना शिक्षा का एक तरीका है जो ज्ञान को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुँचाने में मदद करता है।
  • 6) गुरुकुल प्राचीन भारत की शिक्षा प्रणाली थी जब छात्र गुरुओं के साथ रहकर सीखते थे।
  • 7) शिक्षा का अधिकार अधिनियम शिक्षा को हर बच्चे का मौलिक अधिकार बनाता है।
  • 8) शिक्षा आजीविका कमाने और हमारे मूल अधिकारों के लिए लड़ने में मदद करती है।
  • 9) शिक्षा अमीर और गरीब के बीच की खाई को पाटने में मदद करती है।
  • 10) आय में वृद्धि और गरीबी को कम करके शिक्षा भी आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

शिक्षा पर निबंध 20 लाइन (Education Essay 20 lines in Hindi)

  • 1) शिक्षा ज्ञान प्रदान करने, तार्किक दृष्टिकोण विकसित करने और व्यक्ति की क्षमता को बढ़ाने में मदद करती है।
  • 2) शिक्षित नागरिकों वाले देश में हमेशा तार्किक सोच और विचारों वाले लोग होंगे।
  • 3) लोकतांत्रिक देशों में शिक्षा सही सरकार चुनने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
  • 4) शिक्षा व्यक्ति के शारीरिक, सामाजिक, मानसिक और आध्यात्मिक विकास में मदद करती है।
  • 5) यह एक व्यक्ति के सामाजिक और नैतिक मूल्यों को भी बढ़ाता है और उसे अधिक समझदार, सहिष्णु, सहायक और सहानुभूतिपूर्ण बनाता है।
  • 6) यह कठोर शिक्षा और विकास के माध्यम से किसी व्यक्ति के व्यवहार को संशोधित और बढ़ाता है।
  • 7) शिक्षा गरीबी उन्मूलन और समाज में समानता लाने में मदद करती है।
  • 8) यह किसी देश के नागरिकों की निर्णय लेने की क्षमता को एक बौद्धिक चैनल देने का एक तरीका है।
  • 9) कला, विज्ञान, प्रौद्योगिकी आदि क्षेत्रों में विकास शिक्षा के कारण ही संभव है।
  • 10) शिक्षा बच्चों को भविष्य के लिए तैयार करती है ताकि वे विकास में अपना योगदान दे सकें।
  • 11) शिक्षा व्यक्ति को सामाजिक, वित्तीय और बौद्धिक पहलुओं में आत्मनिर्भर और स्वतंत्र बनाती है।
  • 12) प्राचीन भारत में शिक्षा सभी के लिए थी, लेकिन यह जाति और कर्तव्यों के आधार पर उपलब्ध हो गई।
  • 13) नालंदा और तक्षशिला प्राचीन काल के सबसे प्रसिद्ध शिक्षण संस्थान थे।
  • 14) शिक्षा को कोई चुरा नहीं सकता, इसलिए यह हमेशा हमारे पास रहती है और कभी बेकार नहीं जाती।
  • 15) भारत में मुख्य रूप से तीन प्रकार के स्कूल हैं जैसे सरकारी स्कूल, सरकारी सहायता प्राप्त निजी स्कूल और निजी स्कूल।
  • 16) भारत सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में उड़ान, सक्षम, प्रगति आदि जैसे विभिन्न पहलों की शुरुआत की है।
  • 17) इन पहलों ने भारत में शिक्षा की स्थिति और गुणवत्ता में सुधार करने में प्रमुख रूप से मदद की है।
  • 18) विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विकास ने शिक्षा प्राप्त करने के तरीके को भी बदल दिया है।
  • 19) आजकल, शिक्षा प्रदान करने के लिए ई-लर्निंग, वीडियो-आधारित शिक्षा आदि जैसी विभिन्न तकनीकें और तरीके हैं।
  • 20) शिक्षा हमेशा मानव जाति के लिए प्रेरक शक्ति रही है।

इनके बारे मे भी जाने

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  • My School Essay
  • Importance Of Education Essay

शिक्षा पर लघु पैराग्राफ (Short Paragraphs on Education in Hindi)

शिक्षा मानव जीवन के लिए सबसे महत्वपूर्ण चीजों में से एक है। हम सभी शिक्षित होने के पात्र हैं। यह हमारा मानवीय अधिकार है। लेकिन फिर भी बड़ी संख्या में ऐसे बच्चे हैं जिनके पास शिक्षा प्राप्त करने का उचित अवसर नहीं है। इसके पीछे मुख्य कारण गरीबी है। इनमें ज्यादातर बाल मजदूरी से जुड़े हैं। माता-पिता को इस मुद्दे पर जागरूक होने की जरूरत है। आपको इस उम्र में अपने बच्चों को काम नहीं करने देना चाहिए। वे स्कूल जाने के योग्य हैं; अन्यथा, वे देश के लिए एक खतरनाक व्यक्ति हो सकते हैं। हम सभी को सभी के लिए शिक्षा अभियान पर अपनी आवाज बुलंद करने की जरूरत है। यह वास्तव में महत्वपूर्ण है।

शिक्षा पर निबंध 100 शब्दों मे (Education Essay 100 Words in Hindi)

सबसे पहले शिक्षा किसी को भी पढ़ने लिखने की क्षमता देती है। जीवन में आगे बढ़ने और सफल होने के लिए एक अच्छी शिक्षा अत्यंत आवश्यक है। शिक्षा से आत्मविश्वास बढ़ता है और व्यक्ति के व्यक्तित्व के विकास में सहायता मिलती है। शिक्षा हमारे जीवन में एक बड़ी भूमिका निभाती है। शिक्षा को प्राथमिक शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा और उच्चतर माध्यमिक शिक्षा जैसे 3 भागों में विभाजित किया गया है। शिक्षा के इन तीनों विभागों का अपना मूल्य और लाभ है। प्राथमिक शिक्षा व्यक्ति के लिए शिक्षा का आधार है, माध्यमिक शिक्षा आगे की शिक्षा के लिए दिशा प्रदान करती है और उच्च माध्यमिक शिक्षा भविष्य और जीवन का अंतिम मार्ग बनाती है।

शिक्षा पर निबंध 150 शब्दों मे (Education Essay 150 Words in Hindi)

शिक्षा जीवन में बढ़ने और कुछ महत्वपूर्ण समझने का एक बहुत शक्तिशाली माध्यम है। मनुष्य के जीवन में कठिन जीवन की कठिनाइयों को कम करने में शिक्षा का बहुत लाभ होता है। शिक्षा युग के माध्यम से प्राप्त विशेषज्ञता हर किसी को अपने जीवन के बारे में प्रोत्साहित करती है। शिक्षा कैरियर के विकास में सुधार के लिए जीवन में अधिक वास्तविक संभावनाएं प्राप्त करने की संभावनाओं के लिए कई दरवाजों में प्रवेश करने का एक तरीका है। सरकार विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा और हमारे जीवन में इसके लाभों के बारे में सभी को शिक्षित करने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों की व्यवस्था भी कर रही है। शिक्षा समाज में सभी के बीच समानता का ज्ञान प्रदान करती है और राष्ट्र के विकास और सुधार को प्रोत्साहित करती है।

इस आधुनिक तकनीक आधारित युग में, शिक्षा हमारे जीवन में एक सर्वोच्च भूमिका निभाती है। और इस युग में शिक्षा के स्तर को बढ़ाने के लिए कितने ही तरीके हैं। शिक्षा का पूरा मानदंड अब आधुनिक हो चुका है। और शिक्षा किसी के भी जीवन पर एक बड़ा प्रभाव डालती है।

शिक्षा पर निबंध 200 शब्दों मे (Education Essay 200 Words in Hindi)

हर बच्चे का जीवन में कुछ अनोखा करने का अपना नजरिया होता है। कभी-कभी माता-पिता भी अपने बच्चों को डॉक्टर, इंजीनियर, आईएएस या पीसीएस अधिकारी, या किसी अन्य उच्च-स्तरीय पेशे जैसे उच्च व्यवसायों में होने का सपना देखते हैं। बच्चों या माता-पिता के ऐसे सभी लक्ष्यों को शिक्षा द्वारा ही प्राप्त किया जा सकता है।

इस प्रतिस्पर्धी युग में, जीवन के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सभी के पास अच्छी शिक्षा और अच्छा ज्ञान होना चाहिए। शिक्षा न केवल अच्छी नौकरी देती है बल्कि जीवन को नए नजरिए से समझने की क्षमता भी बढ़ाती है। सभ्य शिक्षा जीवन में आगे बढ़ने के कई रास्ते बनाती है। यह हमारे विशेषज्ञता स्तर, तकनीकी क्षमताओं और उत्कृष्ट कार्य में सुधार करके हमें बौद्धिक और नैतिक रूप से शक्तिशाली बनाता है।

साथ ही, कुछ बच्चे अन्य क्षेत्रों जैसे खेल, नृत्य, संगीत, और भी बहुत कुछ में रुचि रखते हैं, वे अपनी संबंधित डिग्री, अनुभव, प्रतिभा और भावना के साथ अपनी अतिरिक्त शिक्षा कर सकते हैं। भारत में, शिक्षा के विभिन्न बोर्ड उपलब्ध हैं जैसे राज्यवार बोर्ड (गुजरात बोर्ड, यूपी बोर्ड, आदि), आईसीएसई बोर्ड, सीबीएसई बोर्ड, आदि। और शिक्षा विभिन्न भाषाओं में उपलब्ध है जैसे कि एक बच्चा अपनी मातृभाषा में पढ़ सकता है या हिंदी माध्यम में या अंग्रेजी माध्यम में, बोर्ड या भाषा का चयन करना माता-पिता या बच्चे की पसंद है। यह वह उम्र है जहां शिक्षा बहुत महत्वपूर्ण है और इसकी मदद से कोई भी अपने जीवन को बेहतर तरीके से बदल सकता है।

शिक्षा पर निबंध 250 शब्दों मे (Education Essay 250 Words in Hindi)

शिक्षा पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि एक स्वस्थ और स्मार्ट समाज के विकास में दोनों की एक आवश्यक भूमिका है। शिक्षा एक शानदार भविष्य देने का एक आवश्यक तरीका है और साथ ही राष्ट्र के विकास और सुधार में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। राष्ट्र के बेहतर भविष्य और प्रगति के लिए राष्ट्र के नागरिक जिम्मेदार हैं।

अत्यधिक शिक्षित नागरिक एक विकसित राष्ट्र की नींव बनाते हैं। इसलिए, सभ्य शिक्षा व्यक्ति और राष्ट्र दोनों के लिए एक शानदार कल का निर्माण करती है। शिक्षित निर्देशक ही देश को बनाते हैं और उसे समृद्धि और विकास के शीर्ष पर ले जाते हैं। शिक्षा सभी को प्रतिभाशाली और यथासंभव उत्कृष्ट बनाती है।

एक विश्वसनीय शिक्षा जीवन के लिए कई उद्देश्य प्रदान करती है जैसे व्यक्तिगत सुधार, सामाजिक स्थिति में वृद्धि, सामाजिक कल्याण में विकास, वित्तीय विकास, देश की समृद्धि, जीवन के उद्देश्यों की स्थापना, हमें कई सामाजिक सरोकारों से अवगत कराना और पेशकश करने के लिए परिस्थितियों का निर्धारण करना। किसी भी मुद्दे और अन्य प्रासंगिक मामलों के लिए सर्वोत्तम समाधान।

आजकल, हर कोई आधुनिक तकनीक आधारित प्लेटफॉर्म का उपयोग करके शिक्षा प्राप्त कर सकता है, और इसके लिए विभिन्न दूरस्थ शिक्षा कार्यक्रम भी उपलब्ध हैं। और इस तरह की आधुनिक शिक्षा प्रणाली विभिन्न जातियों, धर्मों और जातियों में से प्रत्येक के बीच अशिक्षा और असमानता की सामाजिक समस्याओं पर चर्चा करने में पूरी तरह से कुशल है।

शिक्षा बड़े पैमाने पर लोगों की रचनात्मकता का विस्तार करती है और राष्ट्र में सभी विविधताओं को दूर करने के लिए उन्हें लाभान्वित करती है। यह हमें ठीक से अध्ययन करने और जीवन के हर चरण को जानने की अनुमति देता है। शिक्षा सभी मानवीय स्वतंत्रताओं, सामाजिक स्वतंत्रताओं, उत्तरदायित्वों और राष्ट्र के प्रति दायित्वों को जानने का बोध कराती है। संक्षेप में, शिक्षा में किसी राष्ट्र को सर्वोत्तम तरीके से सुधारने की शक्ति है।

शिक्षा पर निबंध 500 शब्दों मे (Education Essay 500 Words in Hindi)

शिक्षा एक महत्वपूर्ण उपकरण है जो हर किसी के जीवन में बहुत उपयोगी है। शिक्षा वह है जो हमें पृथ्वी पर अन्य जीवित प्राणियों से अलग करती है। यह मनुष्य को पृथ्वी का सबसे चतुर प्राणी बनाता है। यह मनुष्यों को सशक्त बनाता है और उन्हें जीवन की चुनौतियों का कुशलतापूर्वक सामना करने के लिए तैयार करता है। इसके साथ ही कहा जा रहा है कि शिक्षा अभी भी हमारे देश में एक विलासिता है और एक आवश्यकता नहीं है। शिक्षा को सुलभ बनाने के लिए देश भर में शैक्षिक जागरूकता फैलाने की जरूरत है। लेकिन, यह पहले शिक्षा के महत्व का विश्लेषण किए बिना अधूरा रहता है। केवल जब लोग यह महसूस करते हैं कि इसका क्या महत्व है, तभी वे इसे अच्छे जीवन के लिए आवश्यक मान सकते हैं। शिक्षा पर इस निबंध में, हम शिक्षा के महत्व और कैसे यह सफलता का द्वार है, देखेंगे।

शिक्षा का महत्त्व

शिक्षा गरीबी और बेरोजगारी को दूर करने का सबसे महत्वपूर्ण साधन है। इसके अलावा, यह वाणिज्यिक परिदृश्य को बढ़ाता है और देश को समग्र रूप से लाभान्वित करता है। अतः किसी देश में शिक्षा का स्तर जितना ऊँचा होगा, विकास की सम्भावनाएँ उतनी ही अधिक होंगी।

इसके अतिरिक्त, यह शिक्षा व्यक्ति को विभिन्न प्रकार से लाभ भी पहुँचाती है। यह एक व्यक्ति को अपने ज्ञान के उपयोग के साथ बेहतर और सूचित निर्णय लेने में मदद करता है। इससे व्यक्ति के जीवन में सफलता दर बढ़ती है।

इसके बाद, शिक्षा एक उन्नत जीवन शैली प्रदान करने के लिए भी जिम्मेदार है। यह आपको करियर के अवसर प्रदान करता है जो आपके जीवन की गुणवत्ता को बढ़ा सकता है।

इसी प्रकार शिक्षा भी व्यक्ति को स्वावलम्बी बनाने में सहायक होती है। जब कोई पर्याप्त शिक्षित होगा, तो उसे अपनी आजीविका के लिए किसी और पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। वे अपने लिए कमाने और एक अच्छा जीवन जीने के लिए आत्मनिर्भर होंगे।

इन सबसे ऊपर, शिक्षा व्यक्ति के आत्मविश्वास को भी बढ़ाती है और उन्हें जीवन में कुछ निश्चित बनाती है। जब हम देशों के दृष्टिकोण से बात करते हैं, तब भी शिक्षा एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। शिक्षित लोग देश के बेहतर उम्मीदवार को वोट देते हैं। यह एक राष्ट्र के विकास और विकास को सुनिश्चित करता है।

सफलता का द्वार

यह कहना कि शिक्षा आपकी सफलता का द्वार है एक अल्पमत होगा। यह कुंजी के रूप में कार्य करता है जो कई दरवाजे खोल देगा जो सफलता की ओर ले जाएगा। बदले में, यह आपको अपने लिए एक बेहतर जीवन बनाने में मदद करेगा।

एक शिक्षित व्यक्ति के पास दरवाजे के दूसरी तरफ नौकरी के बहुत सारे अवसर होते हैं। वे विभिन्न प्रकार के विकल्पों में से चुन सकते हैं और वे कुछ नापसंद करने के लिए बाध्य नहीं होंगे। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि शिक्षा हमारी धारणा को सकारात्मक रूप से प्रभावित करती है। यह हमें सही रास्ता चुनने और चीजों को सिर्फ एक के बजाय विभिन्न दृष्टिकोणों से देखने में मदद करता है।

शिक्षा से आप अपनी उत्पादकता बढ़ा सकते हैं और एक अशिक्षित व्यक्ति की तुलना में किसी कार्य को बेहतर ढंग से पूरा कर सकते हैं। हालांकि, हमेशा यह सुनिश्चित करना चाहिए कि केवल शिक्षा ही सफलता सुनिश्चित नहीं करती है।

यह सफलता का द्वार है जिसके लिए कड़ी मेहनत, समर्पण और बहुत कुछ की आवश्यकता होती है जिसके बाद आप इसे सफलतापूर्वक खोल सकते हैं। ये सभी चीजें मिलकर आपको जीवन में सफल बनाएंगी।

अंत में, शिक्षा आपको एक बेहतर इंसान बनाती है और आपको विभिन्न कौशल सिखाती है। यह आपकी बुद्धि और तर्कसंगत निर्णय लेने की क्षमता को बढ़ाता है। यह किसी व्यक्ति के व्यक्तिगत विकास को बढ़ाता है।

शिक्षा किसी देश के आर्थिक विकास में भी सुधार करती है। इन सबसे ऊपर, यह किसी देश के नागरिकों के लिए एक बेहतर समाज के निर्माण में सहायता करता है। यह अज्ञानता के अंधकार को नष्ट करने और दुनिया में प्रकाश लाने में मदद करता है।

  • Social Media Essay
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  • Climate Change Essay

शिक्षा पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

Q.1 शिक्षा क्यों महत्वपूर्ण है.

A.1 शिक्षा महत्वपूर्ण है क्योंकि यह एक व्यक्ति के समग्र विकास के लिए जिम्मेदार है। यह आपको कौशल हासिल करने में मदद करता है जो जीवन में सफल होने के लिए आवश्यक हैं।

Q.2 शिक्षा सफलता के द्वार के रूप में कैसे काम करती है?

A.2 शिक्षा सफलता का द्वार है क्योंकि यह आपको नौकरी के अवसर प्रदान करती है। इसके अलावा, यह जीवन की हमारी धारणा को बदलता है और इसे बेहतर बनाता है।

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जानिए प्राचीन गुरुकुल शिक्षा प्रणाली के बारे में

education system in india essay in hindi

  • Updated on  
  • दिसम्बर 19, 2023

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पुरातनकाल से ही शिक्षा हर सभ्यता का जरूरी हिस्सा रही है। समय और बदलते जमाने के साथ शिक्षा का स्वरूप भी बदला है।  शिक्षा की एक ऐसी ही प्राचीन प्रणाली जो दुनिया के पूर्वी हिस्से से शुरू हुई और आज भी प्रेरणा का जरिया बनी हुई है वो है गुरुकुल शिक्षा प्रणाली। इस ब्लॉग में हम आपको प्राचीन समय में ले जाएंगे और गुरुकुल शिक्षा प्रणाली को समझाने की कोशिश करेंगे। इसमें मॉडर्न दुनिया से इसके जुड़ाव पर भी बात होगी।

This Blog Includes:

गुरुकुल शिक्षा प्रणाली क्या है (what is the gurukul education system), गुरुकुल का अर्थ, अहम विशेषताएं (salient features), गुरुकुल शिक्षा के उद्देश्य, अनमोल शिक्षा, गुरुकुल में किस प्रकार छात्रों को विभाजित किया जाता है, गुरुकुल शिक्षा प्रणाली की अहमियत (importance of the gurukul education system), आधुनिक समय से जुड़ाव (relevance in the modern times).

गुरुकुल शिक्षा प्रणाली   रेजिडेंशियल (residential) शिक्षा प्रणाली का रूप थी, जहां छात्र टीचर या आचार्य के घर यानी गुरुकुल में रहते थे, जो शिक्षा का केंद्र हुआ करता था। इस शिक्षा प्रणाली का आधार अनुशासन और मेहनत थे। छात्रों से अपेक्षा की जाती थी कि वो अपने गुरुओं से सीखें और इस जानकारी को जीवन में इस्तेमाल भी करें। इसमें छात्र और टीचर का रिश्ता बहुत पवित्र होता था और अकसर इसमें किसी तरह का भुगतान नहीं किया जाता था। हालांकि छात्र टीचर को उनके सहयोग के लिए गुरुदक्षिणा जरूर दिया करते थे। गुरुकुल शिक्षा प्रणाली की शुरुआत वैदिक काल में हुई जब किसी भी तरह की शिक्षा प्रणाली नहीं हुआ करती थी। लेकिन स्किल बेस्ड (skill-based) शिक्षा के साथ वेद, पुराण आदि से सीखने का चलन जरूर था। ये अध्यात्मिक किताबें छात्रों को उनकी जानकारी बढ़ाने में मदद करती थीं।

यह भी पढ़ें : Mass Communication क्या है जानिए Hindi में  

गुरुकुल का अर्थ है वह स्थान या क्षेत्र, जहां गुरु का कुल यानी परिवार निवास करता है। प्राचीन काल में शिक्षक को ही गुरु या आचार्य मानते थे और वहां शिक्षा प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को उसका परिवार माना जाता था। गुरुकुल के छात्रों को लिए आठ साल का होना अनिवार्य था और पच्चीस वर्ष की आयु तक लोग यहां रहकर शिक्षा प्राप्त और ब्रह्मचर्य का पालन करते थे।

गुरुकुल शिक्षा प्रणाली अपनी खूबियों के चलते वर्षों से दुनिया को प्रेरित कर रही है। इस सेक्शन में इस शिक्षा प्रणाली की खासियतों और काम करने के तरीके  के बारे में भी बताया गया है। 

  • शिक्षा संस्कृति और धर्म से प्रभावित थी जो प्राचीन भारतीय समाज के अहम तत्व थे। 
  • प्रोफेशनल, सोशल, धार्मिक और अध्यात्मिक शिक्षा पर फोकस करते हुए इसमें समग्र (Holistic) शिक्षा पर जोर दिया जाता था। 
  • गुरुकुल में चुने जाने का आधार बच्चों का ऐटिट्यूड यानी रवैया और मॉरल स्ट्रैंथ यानी नैतिक मजबूती थे जो छात्रों के कंडक्ट या आचरण में नजर आते थे
  • कला, साहित्य, शास्त्र और दर्शन की जानकारी के साथ छात्रों को व्यावहारिक हुनर भी सिखाए जाते थे और उन्हें अलग-अलग कामों के लिए तैयार किया जाता था। 
  • गुरुकुल शिक्षा प्रणाली से छात्र का पूरी तरह से विकास होता था और जोर शिक्षण के साइकोलॉजिकल या मनोवैज्ञानिक तरीके पर होता था। 

Gurukul Education System कई उद्देश्य पर आधारित थी। यहाँ का मुख्य उद्देश्य ज्ञान विकसित करना और शिक्षा पर अत्यधिक ध्यान केंद्रित करना होता है। सामाजिक मानकों के बावजूद हर छात्र के साथ समान व्यवहार किया जाता है। इस शिक्षा प्रणाली से मिले निर्देश छात्रों को अपनी तरह की लाइफ बनाने में मदद करते थे। इस तरह से छात्र को जीवन के कठिन समय में भी खुद को दृढ़ता से खड़े रखने में मदद मिलती थी। गुरुकुल शिक्षा प्रणाली के कुछ खास उद्देश्य ये रहे- 

  • सम्पूर्ण विकास (Holistic Development)
  • व्यक्तित्व विकास (Personality growth)
  • आध्यात्मिक जाग्रति (Spiritual Awakening)
  • प्रकृति और समाज के प्रति जागरूकता (Awareness about nature and society)
  • पीढ़ी-दर पीढ़ी ज्ञान और कल्चर को आगे बढ़ाना (Passing on of knowledge and culture through generations)
  • जीवन में सेल्फ कंट्रोल और अनुशासन (Self-control and discipline in life)

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यहां पर धर्मशास्त्र की पढ़ाई से लेकर अस्त्र की शिक्षा भी सिखाई जाती है। योग साधना और यज्ञ के लिए गुरुकुल को एक अभिन्न अंग माना जाता है। यहां पर हर विद्यार्थी हर प्रकार के कार्य को सीखता है और शिक्षा पूर्ण होने के बाद ही अपना काम रूचि और गुण के आधार पर चुनता था। उपनिषदों में लिखा गया है कि मातृ देवो भवः ! पितृ देवो भवः ! आचार्य देवो भवः ! अतिथि देवो भवः !

गुरु के महत्व को प्रतिपादित करने के लिए कहा गया है कि गुरु ब्रह्मा, गुरु विष्णु गुरु देवो महेश्वर, गुरु साक्षात् परमं ब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नम:| अर्थात- गुरु ही ब्रह्मा है, गुरु ही विष्णु है और गुरु ही भगवान शंकर है. गुरु ही साक्षात परब्रह्म है। ऐसे गुरु को मैं प्रणाम करता हूं।

प्राचीन भारत में गुरुकुल पद्धति क्या थी?

प्राचीन भारत में गुरुकुल पद्धति में पढ़ने वाले बच्चों को गुरु के यहां जाना होता था। यहां वो गुरू के यहां रह कर ही अपनी पढ़ाई करते थे। वहां जाने वाले बच्चों की आयु 8 से 10 साल होती थी। विद्यार्थी वहीं रह कर गुरु की आज्ञा का पालन करते थे और उनके दिए निर्देशों के अनुसार अपनी शिक्षा लेते थे। गुरुकुल में बच्चों को दिनचर्या के सभी कार्य करने होते थे।

छात्रों को तीन श्रेणियों में विभाजित किया जाता है:

1. वासु – 24 साल की उम्र तक शिक्षा प्राप्त करने वाले। 

2. रुद्र – 36 साल की उम्र तक शिक्षा प्राप्त करने वाले।

3. आदित्य – 48 साल की उम्र तक शिक्षा प्राप्त करने वाले।

बुद्ध की विभिन्न मुद्राएं एवं हस्त संकेत और उनके अर्थ गुरुकुल प्रणाली के गुण

1. गुरुओं को पता था कि किस प्रकार से चीजों को कैसे निर्देशित किया जाए यानी कैसे शिक्षा दी जाए।

2. इस परम्परा को जितना समय चाहिए होता था उतना ही समय लगता था और इसके कारण, छात्र एक सूक्ष्म रूप में बाहर निकलते थे।

3. छात्र एक विशेष शैली हासिल करने और दक्षता के उच्च स्तर पर प्रयुक्त होते थे।

4. छात्र गुरु का सम्मान करते थे और उन्हें अनुशासन पालन करना सिखाया जाता था।

5. ज्यादातर शिक्षण व्यावहारिक था और शिक्षा की इस शैली के कई फायदे थे।

6.  छात्र को इस प्रकार का वातावरण दिया जाता था कि व्यक्ति अपने पसंद के काम के साथ एक सफल व्यक्ति बन जाए।

तकनीक के लगातार बदलते आयामों के साथ दुनिया ने फॉरमल एजुकेशन (formal educational) की तरफ थोड़ा और आगे बढ़ा है, जो गुरुकुल शिक्षा प्रणाली से काफी अलग है। इस प्रणाली का भारतीय क्षेत्र पर एकाधिकार हुआ करता था। इस प्रणाली की अहमियत कई गुना ज्यादा थी। इससे मॉडर्न एजुकेशन सिस्टम बहुत कुछ सीख सकता है। यहां गुरुकुल शिक्षा प्रणाली की उन खासियतों की लिस्ट दी जा रही है जिनको बिलकुल भी इग्नोर नहीं किया जा सकता है-

  • प्राकृतिक वातावरण में अहम जानकारी जिसमें सहायक जानकारी दी जाती थी और इसका समाज पर कोई गलत प्रभाव भी नहीं पड़ता था। 
  • एक्स्ट्रा करिकुलम एक्टिविटी (extra-curricular ) जैसे खेल, योग और चहलकदमी पर फोकस जिससे छात्रों के शारीरिक स्वास्थ्य बेहतर होता था। 
  • लर्निंग स्किल (learning skills) जैसे क्राफ्ट, डांसिंग या सिंगिंग पर जोर और हर छात्र को उनके पैशन को पहचानने के लिए उत्साहित करना। साथ में उनके स्किल को और विकसित करना। 
  • छात्रों को अपने रोजमर्रा के काम खुद ही करने होते थे, जिसकी वजह से वह आत्मनिर्भर बनते थे। इस तरह से उन्हें जीवन निर्वाह के लिए जरूरी स्किल सीखने में मदद मिलती थी। 
  • पर्सनालिटी डेवलपमेंट, बौद्धिकता और आत्म विश्वास पर काम किया जाता था। छात्र अपने विकास के लिए सोचने की योग्यता भी विकसित कर लेते थे। 

हालांकि समकालीन समय में गुरुकुल शिक्षा नहीं पाई जाती है। पर बहुत से मॉडर्न एजुकेशन सिस्टम इससे प्रेरणा जरूर लेते हैं। गुरुकुल शिक्षा प्रणाली मॉडर्न समय के साथ भी प्रासंगिक है। चलिए उन तरीकों पर नजर डालें जिनके साथ ये प्रणाली डिजिटल एरा से जुड़ी हुई है-

  • सम्पूर्ण शिक्षा पर फोकस होने के चलते गुरुकुल शिक्षा प्रणाली आज की पीढ़ी के लिए कमाल कर सकती है। इसके साथ आज के छात्रों का सम्पूर्ण विकास हो सकता है।
  • वैल्यू बेस्ड एजुकेशन (value-based education) की अहमियत इस प्रणाली में पाई जा सकती है। जो कि मॉडर्न दुनिया में छात्रों के लिए अभिन्न शिक्षा बन सकती है। 
  • ये लोगों को अपना पैशन खोजने में भी मदद करती है और ये सिर्फ किताबों तक सीमित नहीं रहती है बल्कि ये उनको लाइफ की असल जरूरत समझने में मदद भी करती है।

उत्तर: भारत में 4 हज़ार गुरुकुल हैं।

उत्तर: वेदों के साथ गणित, विज्ञान, अंग्रेजी, अर्थशास्त्र की शिक्षा भी प्रदान की जाती है।

उत्तर: गुरुकुल शब्द प्राचीन शब्द है और ये शब्द संस्कृत भाषा से लिए गया है।

उत्तर: 3 श्रेणियों में विभाजित किया गया है।

उत्तर: सामाजिक मानकों के बावजूद हर छात्र के साथ समान व्यवहार करना।

हम आशा करते हैं कि इस ब्लॉग ने आपको गुरुकुल शिक्षा प्रणाली से जुड़े कई रंगों से रूबरू कराया होगा। आप अपनी चुनी हुई पढ़ाई की फील्ड में ग्लोबल एक्सपोजर (global exposure) पाने की चाहत रखते हैं तो Leverage Edu  एक्सपर्ट आपकी मदद को तैयार हैं। एक्सपर्ट आपको बेस्ट कोर्स और युनिवर्सिटी का चुनाव करने में मदद करेंगे। इसके साथ एडमिशन की प्रक्रिया में भी ये आपकी मदद करेंगे ताकि आप एक प्रभावी एप्लिकेशन (application) भेज सकें। हमारे साथ फ्री कंसल्टेशन सेशन के लिए आज ही साइन अप करें। 

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What is Viksit Bharat, India’s 78th Independence Day theme to transform India into a developed country?

Today, india celebrates its 78th independence day, and prime minister narendra modi will hoist the national flag at the red fort for the 11th time. the red fort has been exquisitely decorated for this grand national occasion..

Kriti Barua

PM Narendra Modi hoisted the flag at the Red Fort on the occasion of India's Independence Day, marking the country's 78th year of independence. He addressed the nation and highlighted the government's achievements and future goals.

Every year, there is a theme that is decided for Independence Day celebrations. These themes are not just for decoration but are chosen to reflect the current priorities and values of the nation. This year's theme focused on 'Viksit Bharat', which emphasises the idea of a developed and progressive India by 2047.

To achieve the objective of 2047, he stated that governance reforms must be expedited and the governance delivery system must be further developed. Additionally, he talked not only about the 'Viksit Bharat 2047' but also about different initiatives that the government is taking to ensure sustainable development and growth in various sectors of the economy.

What is Viksit Bharat 2047?

Viksit Bharat is the 78th Indpendence theme, which aims to reflect on India's progress and envision its future growth by 2047.

The campaign aims to address various socio-economic challenges through a holistic approach, focusing on infrastructure, education, healthcare, technology, and sustainable development. It strives for inclusive growth, ensuring every citizen has access to basic necessities and opportunities for advancement. 

Investments in infrastructure projects, such as transportation networks and digital connectivity, facilitate economic growth and improve quality of life. Education reforms prioritise skill development and innovation, preparing the workforce for emerging industries. 

Healthcare initiatives aim to provide affordable and accessible medical services nationwide. Embracing renewable energy and environmental conservation efforts ensures sustainable progress. 

Viksit Bharat Abhiyan 2047 aims to transform India into a global powerhouse while preserving its cultural heritage and promoting social harmony through collaborative efforts by the government, private sector, and civil society organisations. 

Other Key Features From PM Narendra Modi’s Speech

  • Focused on development and reforms across sectors like education, healthcare, space, and agriculture.
  • Highlighted India's achievements in renewable energy and its commitment to climate change goals.
  • Announced an increase in medical college seats (75,000) in the next 5 years and maternity leave for working women (from 12 to 26 weeks).
  • Emphasised the need to eliminate caste-based and dynastic politics and involve fresh talent in democracy.
  • Reiterated the goal of making India a developed nation by 2047.
  • Five CRPF soldiers are receiving the Shaurya Chakra for their bravery in fighting Naxalites in Chhattisgarh. 
  • Two of these soldiers, Constables Pawan Kumar and Devan C, sacrificed their lives and will be honoured posthumously. 
  • India is observing 'Partition Horrors Remembrance Day' to remember those who suffered during the partition of India. 
  • Prime Minister Modi and Home Minister Amit Shah paid tribute to the victims and emphasised the importance of learning from the past to build a stronger nation.
  • India is committed to its ambitious renewable energy goals and is making significant progress.
  • It is the only G20 country that met its Paris Climate Summit pledge ahead of schedule.
  • India has successfully achieved its climate targets. The country is now aiming for 500 GW of clean energy by 2030.

Prime Minister Narendra Modi delivered the longest speech by an Indian prime minister during his 11th consecutive Independence Day address. The speech lasted 98 minutes, surpassing his previous record of 96 minutes set in 2016. His shortest Independence Day speech was 56 minutes, given in 2017.

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  3. ⛔ Education system essay in hindi. आधुनिक शिक्षा प्रणाली पर निबंध

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  6. Essay On Indian Education System In 250 Words

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COMMENTS

  1. भारत में शिक्षा प्रणाली पर निबंध 100, 150, 200, 250, 300, 500, शब्दों

    भारत में शिक्षा प्रणाली पर निबंध (Education System In India Essay in Hindi)-एक बच्चे की शिक्षा माता-पिता द्वारा लिए जाने वाले सबसे महत्वपूर्ण निर्णयों में से एक है। जबकि कई अलग ...

  2. भारतीय शिक्षा प्रणाली पर निबंध Education system in India Hindi

    इस लेख में आप भारतीय शिक्षा प्रणाली पर निबंध (Essay on Indian Education System in Hindi) पढ़ेंगे। जिसमें भारत की वर्तमान शिक्षा प्रणाली के विषय में, भारतीय शिक्षा व्यवस्था का ...

  3. भारतीय शिक्षा प्रणाली पर निबंध, विकास, गुण और दोष, इतिहास: essay on

    भारतीय शिक्षा प्रणाली पर निबंध, विकास, गुण और दोष, इतिहास: essay on indian education system in hindi, changes needed - 100 words, 200 words

  4. Indian Education System Essay in Hindi ...

    Indian Education System Essay in Hindi पर 100 शब्दों में निबंध नीचे दिया गया है. भारत में शिक्षा प्रणाली के मुख रूप से चार स्तर हैं: प्री-प्राइमरी, प्राइमरी ...

  5. भारत में शिक्षा प्रणाली

    टेस्ट सीरीज़. भारत में शिक्षा प्रणाली (Education system in India in Hindi) लाखों छात्रों के जीवन और भविष्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है ...

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    (2022) भारतीय शिक्षा प्रणाली पर निबंध- Essay on Indian Education System in Hindi. by Sneha Shukla.

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  8. आधुनिक शिक्षा प्रणाली पर निबंध Present Education System India Essay Hindi

    May 22, 2023 Kanaram siyol HINDI NIBANDH. भारत की आधुनिक शिक्षा प्रणाली पर निबंध Present Education System In India Essay In Hindi: मॉडर्न यानी वर्तमान भारत की शिक्षा व्यवस्था कैसी है इसका ...

  9. नई शिक्षा नीति पर निबंध (New Education Policy Essay in Hindi)

    नई शिक्षा नीति पर निबंध (New Education Policy Essay in Hindi) By Kumar Gourav / October 26, 2020. राष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली में बदलाव लाने के लिए 34 वर्षों के अंतराल के बाद; जुलाई ...

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  11. राष्ट्रीय शिक्षा नीति और उच्च शिक्षा

    यह एडिटोरियल 30/07/2021 को 'द हिंदुस्तान टाइम्स' में प्रकाशित ''How NEP can transform higher education in India'' पर आधारित है। इसमें भारतीय उच्च शिक्षा संस्थानों की समस्याओं पर चर्चा ...

  12. आधुनिक शिक्षा प्रणाली पर निबंध

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  13. Modern Education System Essay In Hindi

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  14. शिक्षा का महत्व पर निबंध (Importance of Education essay in hindi)

    शिक्षा का महत्व पर निबंध (Importance of Education essay in hindi) - एक मनुष्य के जीवन में शिक्षा के महत्व पर जितना लिखा जाए उतना कम है। हिंदी में शिक्षा पर 100, 200 व 500 शब्दों में पढ़ने ...

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    New Education Policy के अंतर्गत 5+3+3+4 पैटर्न फॉलो किया जाएगा, इसमें 12 साल की स्कूल शिक्षा होगी और 3 साल की फ्री स्कूल शिक्षा होगी।. नई शिक्षा नीति के ...

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  17. शिक्षा पर निबंध (Education Essay in Hindi)

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    500+ Words Essay on Indian Education System for Students and Children. The Indian education system is quite an old education system that still exists. It has produced so many genius minds that are making India proud all over the world. However, while it is one of the oldest systems, it is still not that developed when compared to others, which ...

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  21. शिक्षा पर निबंध Education Essay in Hindi (1000+ Words)

    शिक्षा पर निबंध Education Essay in Hindi (1000+ Words) June 6, 2020 by Kiran Sao. आज के इस आर्टिकल में हमने शिक्षा पर निबंध (Education Essay in Hindi) लिखा हैं जिसमे हमने प्रस्तावना ...

  22. शिक्षा पर निबंध 100, 150, 200, 250, 500 शब्दों मे (Education Essay in

    Education Essay in Hindi - नेल्सन मंडेला ने ठीक ही कहा था, "दुनिया को बदलने के लिए शिक्षा सबसे महत्वपूर्ण हथियार है।" शिक्षा एक व्यक्ति के विकास और उसे

  23. जानिए प्राचीन गुरुकुल शिक्षा प्रणाली के बारे में

    Gurukul Education System कई उद्देश्य पर आधारित थी। यहाँ का मुख्य उद्देश्य ज्ञान विकसित करना और शिक्षा पर अत्यधिक ध्यान केंद्रित करना होता है ...

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    PM Narendra Modi hoisted the flag at the Red Fort on the occasion of India's Independence Day, marking the country's 78th year of independence. He addressed the nation and highlighted the ...