pollution essay topics in hindi

प्रदूषण पर निबंध | Essay on Pollution in Hindi

प्रदूषण पर निबंध, essay on pollution in hindi

Hindi Essay and Paragraph Writing – Pollution (प्रदूषण)

प्रदूषण पर निबंध – इस लेख में प्रदूषण का अर्थ, प्रदूषण के स्रोत, प्रदूषण के परिणाम, प्रदूषण को रोकने के उपाय के बारे में जानेंगे | जब वायु, जल, मृदा आदि में अवांछनीय तत्व मिलकर उसे इस हद तक गंदा कर देते है, कि स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर डालने लगे तो उसे प्रदूषण कहते हैं। प्रदूषण हमारे जीवन के उन प्रमुख विषयों में से एक है, जो इस समय हमारी पृथ्वी को व्यापक स्तर पर नकारात्मक रूप से प्रभावित कर रहा है। अक्सर स्टूडेंट्स से असाइनमेंट के तौर या परीक्षाओं में प्रदूषण पर निबंध पूछ लिया जाता है। इस पोस्ट में प्रदूषण  पर कक्षा 1 से 12 के स्टूडेंट्स के लिए 100, 150, 200, 250, 350, और 1500 शब्दों में अनुच्छेद और निबंध दिए गए हैं।

  • प्रदूषण पर 10 लाइन
  • प्रदूषण पर अनुच्छेद 1, 2, 3 के छात्रों के लिए 100 शब्दों में
  • प्रदूषण पर अनुच्छेद 4 और 5 के छात्रों के लिए 150 शब्दों में
  • प्रदूषण पर अनुच्छेद 9, 10, 11, 12 के छात्रों के लिए 250 से 300 शब्दों में
  • Also See: World Environment Day Slogans, Quotes, and Sayings

प्रदूषण पर 10 लाइन 10 lines on Pollution in Hindi

  • वर्तमान समय में प्रदूषण एक गंभीर समस्या है जो हर किसी के जीवन पर प्रभाव डाल रहा है।
  • प्रदूषण का शाब्दिक अर्थ है- वातावरण में किसी तत्व का असंतुलित मात्रा में विद्यमान होना। 
  • प्रदूषण बढ़ने के मुख्य कारण लगातार वनों की कटाई और बढ़ती हुई जनसंख्या है। 
  • वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, भूमि प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण, ये सभी प्रदूषण के विविध रूप हैं।
  • इन प्रदूषणों के कारण ही जलीय जीव-जंतु, पशु-पक्षी और वन्य जीव विलुप्त हो रहे हैं और लोगों को विभिन्न गंभीर प्रकार की बीमारियां हो रही है।
  • इन प्रदूषणों से नदी-झील, सागर-महासागर, पर्वत भी प्रभावित हो रहे हैं।
  • बढ़ते ग्लोबल वार्मिंग का एक कारण प्रदूषण भी है।
  • प्रदूषण की समस्या केवल एक देश का नही है बल्कि पूरे विश्व की समस्या है।
  • भारत के राष्ट्रीय स्वास्थ्य पोर्टल के अनुसार वायु प्रदूषण के कारण हर साल विश्व स्तर पर लगभग 7 मिलियन से अधिक लोगों की मृत्यु होती है, जिनमें से तकरीबन 4 मिलियन लोगों की मौत घरेलू वायु प्रदूषण के कारण होती है।
  • भारत में हर साल 2 दिसंबर को ‘राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। 

Short Essay on Pollution in Hindi प्रदूषण पर अनुच्छेद 100, 150, 200, 250 से 350 शब्दों में

प्रदूषण पर निबंध/अनुच्छेद – प्रदूषण, जिसे पर्यावरण प्रदूषण भी कहा जाता है, एक प्रकार का हानिकारक पदार्थ है जो हवा, पानी, धूल-मिट्टी आदि के माध्यम से न केवल मनुष्य को नुकसान पहुंचाता है बल्कि जीव-जंतुओं, पशु-पक्षियों, पेड़-पौधों और वनस्पतियों को भी नुकसान पहुंचाता है। आज, इसके परिणामस्वरूप, पृथ्वी पर सभी जीवित प्राणियों का अस्तित्व खतरे में है।

प्रदूषण पर अनुच्छेद कक्षा 1, 2, 3 के छात्रों के लिए 100 शब्दों में

प्रदूषण आज के समय में एक बहुत ही गंभीर समस्या है और इससे हर किसी का जीवन प्रभावित हो रहा है। प्रदूषण बढ़ने का प्राथमिक कारण निरंतर वनों की कटाई और बढ़ती जनसंख्या है। वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, भूमि प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण, इसके मुख्य प्रकार है। वायु, जल, भूमि में प्रदूषण हानिकारक तत्वों के मिलने से फैलता है और जबकि ध्वनि प्रदूषण, वाहन, रेडियो, टीवी, स्पीकर के ध्वनि से उत्पन्न होता है। इन प्रदूषणों के बढ़ने से लोगों को विभिन्न गंभीर प्रकार की बीमारियां हो रही है, और बहुत से जीव-जंतु, पशु-पक्षी मर रहे हैं। इसलिए यह जरूरी है कि हम अपने बेहतर भविष्य सुरक्षित करने के लिए प्रदूषण से निपटने के लिए तत्काल कार्रवाई करें।

प्रदूषण पर अनुच्छेद कक्षा 4, 5 के छात्रों के लिए 150 शब्दों में

प्रदूषण एक हानिकारक पदार्थ है जो हवा, पानी और धूल जैसे कई विभिन्न माध्यमों से मनुष्यों, जानवरों, पौधों और पर्यावरण को धीरे-धीरे खराब और नुकसान पहुंचा रहा है। आज प्रदूषण के कारण ही प्राणियों की जान खतरे में है। इसी कारण बहुत से जीव-जंतु, पशु-पक्षी और वन्य प्राणी विलुप्त हो गए हैं। ये प्रदूषण तब होता है जब प्रकृति के विभिन्न भागों में असंतुलन होता है। वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, भूमि प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण इसके विभिन्न प्रकार हैं। वाहनों और कारखानों से निकलने वाली हानिकारक गैस वायु प्रदूषण का कारण बन रही है, जिसके परिणामस्वरूप मनुष्यों और जानवरों को श्वसन संबंधी बीमारियाँ हो रही हैं। जल प्रदूषण कारखानों, उद्योगों और सीवरेज से निकलने वाले कचरे को सीधे नदियों में छोड़े जाने के कारण होता है। भूमि प्रदूषण उर्वरकों, कीटनाशकों और अन्य कार्बनिक यौगिकों के उपयोग से होता है। रेडियो, टीवी, स्पीकर आदि द्वारा उत्पन्न ध्वनि, ध्वनि प्रदूषण के कारण है जो की सुनने की समस्या का कारण बन रही हैं। आज प्रदूषण को रोकने और स्वस्थ वातावरण प्राप्त करने के लिए सहयोगात्मक प्रयासों की बहुत आवश्यकता है।

प्रदूषण पर अनुच्छेद कक्षा 6, 7, 8 के छात्रों के लिए 200 शब्दों में

प्रदूषण वर्तमान में एक गंभीर समस्या बन चुका है। यह समस्या  सिर्फ एक देश की नहीं बल्कि पूरे विश्व की समस्या है। जिसकी चपेट में धरती पर रहने वाले सभी जीव जंतु और अन्य निर्जीव पदार्थ भी आ गए है। इसका दुष्प्रभाव चारों ओर दिख रहा है। प्रदूषण का शाब्दिक अर्थ है कि प्रकृति में संतुलन न होना, जीवन के लिए सभी जरूरी चीजों का दूषित हो जाना। जैसे- शुद्ध हवा न मिलना, शुद्ध जल न मिलना, शुद्ध भोजन व वातावरण न मिलना। प्रदूषण के मुख्य चार प्रकार है- वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, भूमि प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण । इनमें से वायु प्रदूषण को सबसे खतरनाक प्रदूषण माना जाता है। इस प्रदूषण का मुख्य कारण कारखानों, उद्योगों और वाहनों से निकलने वाला धुआं है। इन स्रोतों से निकलने वाले हानिकारक धुएं से इंसान और जानवरों में फेफड़ों के कैंसर सहित अन्य सांस की बीमारियां होती हैं। जल प्रदूषण तब होता है जब कारखानों, उद्योगों और सीवरेज से निकलने वाले हानिकारक कचरे सीधे तौर पर नदियों, झीलों और महासागरों के पानी में बहा दिया जाता है और यह प्रदूषण जलीय जीवों को काफी नुकसान पहुंचाता है और मनुष्यों को स्वच्छ पानी तक पहुंच से वंचित कर देता है। भूमि प्रदूषण उर्वरकों, कीटनाशकों और अन्य कार्बनिक पदार्थों के अत्यधिक उपयोग के कारण होता है, जिससे खेती की गई फसलें प्रदूषित हो जाती हैं। नतीजतन, इन दूषित फसलों के सेवन से गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं होती हैं। ध्वनि प्रदूषण भारी मशीनरी, वाहन, रेडियो, टीवी, स्पीकर आदि द्वारा उत्पन्न ध्वनि से होती  है जो की सुनने की समस्या और कभी कभी बहरेपन का कारण बनती हैं। इन प्रदूषण के लिए मनुष्य जिम्मेदार है क्योंकि मनुष्य अपने लाभ के लिए दिन रात प्रकृति को हानि पहुंचा रहा है। इसलिए मनुष्य को ही प्रदूषण के रोकथाम के लिए प्रयास करने चाहिए।

प्रदूषण पर अनुच्छेद कक्षा 9, 10, 11, 12 के छात्रों के लिए 300 शब्दों में

प्रदूषण से तात्पर्य पर्यावरण में किसी भी पदार्थ की असंतुलित मात्रा में उपस्थिति से है। यह वैज्ञानिक प्रगति का एक नकारात्मक परिणाम है, जिससे स्वास्थ्य समस्याएं और प्राणियों की अकाल मृत्यु का आधार बन रही है। प्रदूषण प्रकृति के विभिन्न घटकों का संतुलन बिगड़ने से होता है। जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, भूमि प्रदूषण– ये सभी प्रदूषण के विविध रूप हैं। नदी-नाले, सागर-महासागर, पर्वत और ओज़ोन परत भी इसी प्रदूषण से प्रभावित हो रहे हैं। अत्यधिक वनों का कटाव, आधुनिकीकरण की समस्या और शहरीकरण, बढ़ती जनसंख्या की समस्या आदि वायु प्रदूषण बढ़ने के सबसे बड़े कारण हैं। प्रकृति के अधिकतम शोषण से प्रकृति का संतुलन बिगड़ गया है। ऋतु चक्र में बदलाव आ गया है और शुद्ध वायु का मिलना कठिन होता जा रहा है। बड़े-बड़े कारखानों से निकलने वाला धुआं वायु को प्रदूषित कर रहा है और शहरों और महानगरों से निकलने वाला कचरा साफ पानी के स्रोतों को प्रदूषित कर रहा है। इसके अतिरिक्त, कारखाने गंदा पानी नदियों में छोड़ रहे हैं, जिससे जल प्रदूषण में वृद्धि हो रही है।  यातायात के आधुनिक साधन जहां एक तरफ वायु प्रदूषण बढ़ा रहे हैं वहीं दूसरी तरफ ध्वनि प्रदूषण भी बढ़ रहा है, आकाश में उड़ते हवाई जहाज, तेज रफ्तार वाले जेट विमान, दिन-रात बजते हुए लाउडस्पीकरों से जो ध्वनी उत्पन्न होती है उससे हमारी सुनने की क्षमता को नुकसान पहुँच रहा है। भूमि प्रदूषण आज के समय की एक और नई समस्या है। खेतों से अधिकतम उपज प्राप्त करने के लिए रासायनिक खादों का अधिकाधिक प्रयोग धरती को बंजर बना रहा है। यह प्रदूषण सभी प्राणियों के लिए हानिकारक है, यह हवा, पानी और धूल जैसे विभिन्न माध्यमों से मनुष्यों, जानवरों, पक्षियों, पेड़ों और पौधों को नुकसान पहुँचाता है। आज इसी प्रदूषण के कारण सभी प्राणियों का अस्तित्व खतरे में आ गया है। इसलिए प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को शीघ्रता से कार्य करना चाहिए। इसके लिए वनों की कटाई को रोकना और जल स्रोतों के प्रदूषण को नियंत्रित करना आवश्यक है। यदि मनुष्य प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित कर ले तो प्रदूषण पर नियंत्रण पाया जा सकता है। यदि नहीं, तो परिणाम अप्रत्याशित होंगे।

Long Essay on Pollution in Hindi प्रदूषण  पर निबंध (1500 शब्दों में)

  pollution essay in hindi – प्रदूषण पर निबंध.

In the post will discuss the major causes of Pollution, Pollution Meaning, effects, and measures to prevent pollution

Essay on Pollution in Hindi is an important topic for Class 7th,8th, 9th, 10th, 11th, and 12th. Here we have compiled important points on pollution Essay in Hindi which is a useful resource for school and college students.

Here are some Important Points for प्रदूषण पर निबंध i.e is covered in this Article

  • Essay on Pollution in Hindi
  • प्रस्तावना (Preface)
  • प्रदूषण का अर्थ (What is Pollution (Meaning))
  • प्रदूषण के कारण (Reason for Pollution)
  • प्रदूषण के स्त्रोत (Sources of Pollution)
  • प्रदूषण के परिणाम (Consequences of Pollution)
  • प्रदूषण को रोकने के उपाय (Steps to Reduce Pollution)
  • उप-संहार / सारांश

प्रदूषण पर निबंध – Essay on Pollution in Hindi

  • प्रदूषण का अर्थ है दोष युक्त,अपवित्र  एवं अशुद्ध | अपने नाम के स्वरूप  प्रदूषण न केवल मानव जाति  बल्कि  समस्त  प्राणियों के लिए हानिकारक है | यह बात आज का मानव भली -भाँति  जानता भी है और समझता भी है |
  • लेकिन यह ज्ञान केवल किताबों तक और बातों तक सीमित है , व्यावहारिक  रूप में मानव की प्रगति की चाहत और सुख सुविधाओं की वृद्धि की इच्छा  में उसके द्वारा किये गए नित नए प्रयोगों  ने इस प्रदूषण में दिन- प्रतिदिन वृद्धि की है |
  • इस  प्रदूषण की सीमा केवल  धरती  ही नहीं बल्कि संपूर्ण वातावरण (वायु , जल , ध्वनि) सम्मिलित है | इस विस्तार सीमा के कारण अब प्रदूषण केवल भूमि प्रदूषण न होकर वायु प्रदूषण , जल प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण भी है |

Top प्रस्तावना – Preface

  • यदि जल दूषित है तो जल प्रदूषण मानव के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है |
  • वायु प्रदूषित है तो सांस  लेना ही दुर्भर हो जायेगा भाव कि जीवन ही खतरे में है | शुद्ध वायु प्राणो के लिए , श्वास प्रक्रिया  के लिए बहुत ही आवश्यक है।

इसी तरह मिट्टी हमारी मूल भौतिक आवश्यकताओं की पूर्ति  के लिए जरूरी है | खाने – पीने के लिए अनाज , शुद्ध हवाओं के लिए पेड़ पौधे  भी हमें इसी से मिलते हैं|  इसके बगैर हम प्राणी जगत और मानव जाती के विकास के बारे में सोच भी नहीं सकते | और यदि वातावरण में शोर अधिक मात्रा में है तो यह ध्वनि प्रदूषण है जो कि  मानसिक असंतुलन का कारण बनता है  |

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प्रदूषण का अर्थ – Meaning of Pollution

भूमि, वायु, जल, ध्वनि में पाए जाने वाले तत्व यदि संतुलित न हो तो असंतुलित होते है | और यह असंतुलन ही प्रदूषण है | इस असंतुलन से इस पर होने वाली फसलें , पेड़ ,आदि सभी प्रभावित होते हैं | इसके अतिरिक्त जो कचरा और कूड़ा करकट हम फेंकते हैं वह भी प्रदूषण का कारण है| अतः  हम कह सकते हैं कि – “पर्यावरण के भौतिक, रासायनिक या जैविक गुणों में ऐसा कोई अवांछित परिवर्तन जिसका प्रभाव मनुष्य एवं अन्य जीवों पर पड़े या पर्यावरण की प्राकृतिक गुणवत्ता तथा उपयोगिता नष्ट हो प्रदूषण कहलाता है।”

प्रदूषण के कारण  – Reason For Pollution

  • बेकार पदार्थो की बढ़ती मात्रा और उचित  निपटान  के विकल्पों की कमी के कारण समस्या दिन प्रति  दिन बढ़ती जा रही है। कारखानों और घरों से बेकार उत्पादों को खुले स्थानों में रखा  और जलया  जाता है
  • जिससे  भूमि, वायु , जल , ध्वनि  प्रदूषित होते हैं| प्रदूषण विभिन्न मानवीय गतिविधियों के कारण और प्राकृतिक कारणों के कारण भी होता है।
  • कीटनाशकों का  बढ़ता उपयोग, औद्योगिक और कृषि  के बेकार पदार्थो के निपटान के लिए विकल्पों की कमी, वनों की कटाई, बढ़ते शहरी करण, अम्लीय वर्षा और खनन इस प्रदूषण के मूल कारक  हैं।
  • ये सभी कारक कृषि गतिविधियों में बाधा डालते हैं और जानवरों और मनुष्यों में विभिन्न बीमारियों का कारण भी  बनते हैं। जनसंख्या वृद्धि भी   कारण है बढ़ते हुए प्रदूषण’ का |

प्रदूषण के स्त्रोत – Sources of Pollution

प्रदूषण के स्त्रोतों को  निम्न  श्रेणियों  में बाँटा जा सकता है  : 1.घरेलू बेकार पदार्थ,जमा  हुआ  पानी,कूलरो  मे पड|  पानी , पौधो मे जम|  पानी 2. रासायनिक पदार्थ जैसे – डिटर्जेंट्स, हाइड्रोजन, साबुन, औद्योगिक एवं खनन के बेकार पदार्थ 3. प्लास्टिक 4. गैसें जैसे- कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, अमोनिया आदि। 5. उर्वरक जैसे- यूरिया, पोटाश । 6.  गंदा पानी 7. पेस्टीसाइड्स जैसे- डी.डी.टी, कीटनाशी। 8. ध्वनि। 9. ऊष्मा। 10. जनसंख्या वृद्धि

प्रदूषण के परिणाम – Consequences of Pollution

  • आज के समय की मुख्य चिंता है बढ़ता हुआ प्रदूषण | कचरा मैदान के आसपास दुर्गंध युक्त  गंध के कारण सांस लेना दुर्भर होता है | और इसके आस पास का स्थान रहने लायक नहीं रहता | विभिन्न श्वास सम्बन्धी रोग उत्पन्न होते हैं | अपशिष्ट उत्पादों से छुटकारा पाने के लिए जब इन्हे जलाया जाता है तो वायु प्रदूषित होती है |
  •  अपशिष्ट  पदार्थों के सीधे संपर्क में आने से त्वचा सम्बन्धी रोग,  विषाक्त पदार्थ विषैले जीव उत्पन्न करते हैं जो की जानलेवा रोगों के कारण बनते हैं | जैसे कि  मच्छर, मख्खियाँ  इत्यादि | कृषि खराब होती है और खाने पीने की वस्तुएँ खाने के लायक नहीं रहती |
  • पीने   का जल जो कि अमृत माना जाता था वह भी रोगो का साधन बन जाता है | ध्वनि जो की संगीत पैदा करती थी शोर बन कर मानसिक असंतुलन पैदा करती है |धरती पर ग्रीन कवच भी बहुत कम लगभग तीन प्रतिशत ही बच है जो कि चिन्तनीय है |

प्रदूषण को रोकने के उपाय – Measures to Prevent pollution

दैनिक जीवन में कुछ छोटे बदलाव करके  इसे कम करने की दिशा में योगदान कर सकते हैं। 1.बायोडिग्रेडेबल उत्पादों का उपयोग करें। क्योंकि बायोडिग्रेडेबल कचरे का निपटान करना आसान है। 2.भोजन कीटनाशकों के उपयोग के बिना उगाया जाए, जैविक सब्जियां और फल उगाए जाए | 3.पॉली बैग और प्लास्टिक के बर्तनों और वस्तुओं के उपयोग से बचें। क्योंकि किसी भी रूप में प्लास्टिक का निपटान करना मुश्किल है। 5.कागज़ या कपड़े की थैलियों का उपयोग करें । 6. अलग-अलग डस्टबिन में गीले और सूखे कचरे को अलग-अलग निपटाने से कचरा अलग हो जाता है। भारत सरकार ने पहले ही इस अभियान को शुरू कर दिया है और देश भर के विभिन्न शहरों में विभिन्न क्षेत्रों में कई हरे और नीले डस्टबिन लगाए गए हैं। 7.कागज़  उपयोग को सीमित करें। कागज़ बनाने के लिए प्रत्येक वर्ष कई पेड़ काटे जाते हैं। यह   प्रदूषण का एक कारण है। डिजिटल प्रयोग  अच्छा विकल्प  है। 8. पुन: उपयोग योग्य डस्टर और झाड़ू का उपयोग करें। 9.प्रदूषण  हानि पहुँचाता है अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के  इस बारे में जागरूक करें । 10.घरों का कचरा बाहर खुले में नहीं फेंकना चाहिए। 11.खनिज पदार्थ्   भी सावधानी  से प्रयोग करने चाहिए  ताकि  भविष्य के लिये भी प्रयोग किये ज। सके । 12. हमें वायु को भी कम दूषित करना चाहिए और अधिक से अधिक पेड पौधे  लगाने चाहिये  ताकि अम्लीय वर्षा को रोक।| ज। सके  । 13. यदि  हम बेहतर जीवन जीन| चाहते  हैं और वातवरन मे  शुध्ध्ता चाहते  हैं वनो को सरन्क्षित  करना  होगा  | 14.हमें ऐसी चीजों का इस्तेमाल करना चाहिए जिन्हें हम दोबारा से प्रयोग में ला सके। उपसंहार

उप-संहार / सारांश – Essay on Pollution in Hindi

प्रदूषण एक प्रकार का धीमा जहर है जो हवा, पानी, धूल आदि के माध्यम से न केवल मनुष्य वरन् जीव-जंतुओं, पशु-पक्षियों, पेड़-पौधों और वनस्पतियों को भी सड़ा-गलाकर नष्ट कर देता है। आज प्रदूषण के कारण ही  प्राणियों का अस्तित्व खतरे में है। इसी कारण बहुत से प्राणी, जीव-जंतु, पशु-पक्षी, वन्य प्राणी विलुप्त हो गए हैं। यदि इसी तरह से प्रदूषण फैलता रहा तो जीवन बहुत ही कठिन हो जायेगा | न खाने को कुछ मिलेगा और सांस लेने के लिए शुद्ध हवा भी नहीं बचेगी | प्यास बुझाने के लिए पानी ढूंढने से नहीं मिलेगा | जीवन बहुत ही असंतुलित होगा | ऐसी परस्थितियो से बचने के लिए हमें पर्यावरण संरक्षण की और कदम बढ़ाने होंगे | जीवन आरामदायक बनाने की अपेक्षा उपयोगी बनाना होगा  कर्तव्यपरायणता की ओर कदम बढ़ने होंगे | विकास का  केवल  एक रास्ता शहर नही  गाँव  की  जीवन  शैली पर चलो प्रकृति से दूर नही , विपरीत नही बल्कि  इसके साथ्  हो  चलो जीवन आसान नही श्रमिक  और कृषक से हो चलो श्रमिक  और कृषक से हो चलो शुद्धता  जो चाहिये तो जीवन शैली बदल चलो ,प्र्दूषन को दूर कर प्रकृति से दूर नही, पास हो चलो, पास हो चलो |

प्रदूषण पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

इन सवालों के जवाब आपको प्रदूषण पर अपने निबंध में शामिल करने के लिए महत्वपूर्ण बिंदु प्रदान करेंगे।

प्रदूषण वास्तव में क्या है? पर्यावरण में मौजूद संदूषण या रसायन, या पर्यावरण में उनका परिचय, जिसे प्रदूषण कहा जाता है। इन प्रदूषकों या पदार्थों की उपस्थिति या परिचय जीवित प्राणियों और प्राकृतिक दुनिया के लिए हानिकारक या असुविधाजनक हो सकता है।

पर्यावरण प्रदूषण के विभिन्न रूप क्या हैं? प्रदूषण कई प्रकार के होते हैं, जैसे वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, मृदा प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण ।

प्रदूषित वायु में योगदान करने वाले कारक क्या हैं? वायु प्रदूषण कई अलग-अलग कारकों का परिणाम है, जिसमें ऑटोमोबाइल और औद्योगिक गतिविधियों से उत्सर्जन, जीवाश्म ईंधन का जलना और जंगलों का विनाश शामिल है।

प्रदूषित जल के कुछ परिणाम क्या हैं? पानी का प्रदूषण जलीय जीवन के लिए हानिकारक हो सकता है, जो तब पारिस्थितिक तंत्र को परेशान कर सकता है, और जो पानी वे पीते हैं उसे दूषित करके लोगों के स्वास्थ्य को भी खतरे में डाल सकते हैं।

मृदा संदूषण वास्तव में क्या है? मिट्टी में जहरीले यौगिकों की उपस्थिति, जो पौधों, जानवरों और अंततः इन संसाधनों पर निर्भर मनुष्यों के लिए हानिकारक हो सकती है, को मृदा प्रदूषण कहा जाता है।

“ध्वनि प्रदूषण” से वास्तव में क्या अभिप्राय है? ध्वनि जो अत्यधिक, अवांछित, या परेशान करने वाली है जो मानव स्वास्थ्य के साथ-साथ वन्यजीवों के स्वास्थ्य और प्राकृतिक पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव डालने की क्षमता रखती है, ध्वनि प्रदूषण कहलाती है।

औद्योगीकरण किन विशिष्ट तरीकों से प्रदूषण की समस्या को बढ़ाता है? वायु, जल और भूमि में हानिकारक रसायनों और अपशिष्ट उत्पादों का निर्वहन सबसे आम तरीकों में से एक है जिससे औद्योगीकरण प्रदूषण का कारण बनता है। “प्रकाश प्रदूषण” का वास्तव में क्या अर्थ है? “प्रकाश प्रदूषण” शब्द कृत्रिम प्रकाश की अधिकता या इसके गलत दिशा को संदर्भित करता है, दोनों के मनुष्यों के स्वास्थ्य के साथ-साथ वन्य जीवन और पारिस्थितिक तंत्र के स्वास्थ्य पर हानिकारक परिणाम हो सकते हैं।

प्रदूषण कम करने के समग्र लक्ष्य में व्यक्ति कैसे योगदान दे सकते हैं? कचरे में कमी , ऊर्जा का संरक्षण , सार्वजनिक परिवहन या हाइब्रिड वाहन का उपयोग, और पारिस्थितिक रूप से अनुकूल उत्पादों को बढ़ावा देने के सभी तरीके हैं जिनमें व्यक्ति प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई में योगदान दे सकते हैं।

प्रदूषण को रोकने और साफ करने में सरकार की क्या भूमिका है? प्रदूषण के स्तर को कम करने और प्रदूषण को रोकने के लक्ष्यों के साथ सरकार द्वारा कानूनों और विनियमों की स्थापना और पालन, प्रदूषण नियंत्रण के दो सबसे महत्वपूर्ण पहलू हैं।

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प्रदूषण पर निबंध 100, 150, 250 & 300 शब्दों में (10 lines Essay on Pollution in Hindi)

pollution essay topics in hindi

प्रदूषण पर निबंध (Pollution Essay in Hindi ) – प्रदूषण के प्रति जागरूक होना इन दिनों सभी छात्रों के लिए काफी अनिवार्य है। आने वाली पीढ़ियों के लिए दुनिया का एक जिम्मेदार नागरिक बनने के लिए हर बच्चे को पता होना चाहिए कि मानवीय गतिविधियाँ पर्यावरण और प्रकृति पर कैसे प्रभाव छोड़ रही हैं। प्रदूषण पर निबंध (Pollution Essay in Hindi ) यह विषय काफी महत्वपूर्ण है। और, स्कूली बच्चों को ‘ प्रदूषण निबंध पर (Pollution Essay in Hindi )’ सहजता से एक दिलचस्प निबंध लिखना सीखना चाहिए। नीचे एक नज़र डालें। 

प्रदूषण निबंध 10 पंक्तियाँ (Pollution Essay 10 Lines in Hindi)

  • 1) प्रदूषण प्राकृतिक संसाधनों में कुछ अवांछित तत्वों को मिलाने की क्रिया है।
  • 2) प्रदूषण के मुख्य प्रकार वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण और भूमि प्रदूषण हैं।
  • 3) प्रकृति के साथ-साथ मानवीय गतिविधियाँ, दोनों प्रदूषण के लिए जिम्मेदार हैं।
  • 4) प्रदूषण के प्राकृतिक कारण बाढ़, जंगल की आग और ज्वालामुखी आदि हैं।
  • 5) प्रदूषण एक राष्ट्रीय नहीं बल्कि एक वैश्विक समस्या है।
  • 6) प्रदूषण को रोकने के लिए पुन: उपयोग, कम करना और पुनर्चक्रण सबसे अच्छे उपाय हैं।
  • 7) अम्ल वर्षा और ग्लोबल वार्मिंग प्रदूषण के परिणाम हैं।
  • 8) प्रदूषण हमेशा जानवरों और इंसानों पर नकारात्मक प्रभाव डालता है।
  • 9) प्रदूषित हवा और पानी इंसानों और जानवरों में कई बीमारियों का कारण बनते हैं।
  • 10) हम पर्यावरण के अनुकूल संसाधनों और सौर पैनलों का उपयोग करके प्रदूषण को रोक सकते हैं।

प्रदूषण पर निबंध 100 शब्द (Pollution Essay 100 Words in Hindi)

प्रदूषण पर निबंध (Pollution Essay in Hindi ) प्रदूषण इन दिनों एक बड़ी समस्या बन गया है। तेजी से हो रहे औद्योगीकरण और शहरीकरण के कारण पर्यावरण जिसमें हवा, पानी और मिट्टी शामिल है, प्रदूषित हो गया है। वनों की कटाई और औद्योगीकरण के कारण, हवा अत्यधिक प्रदूषित हो रही है, और इससे ग्लोबल वार्मिंग हो रही है। आज सभी जल स्रोत अत्यधिक प्रदूषित हैं। कीटनाशकों और उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग ने मिट्टी को बुरी तरह प्रदूषित कर दिया है। पटाखों, लाउडस्पीकरों आदि का प्रयोग। हमारी सुनने की क्षमता को प्रभावित करता है प्रदूषण का हमारे स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ता है। यह सिरदर्द, ब्रोंकाइटिस, हृदय की समस्याओं, फेफड़ों के कैंसर, हैजा, टाइफाइड, बहरापन आदि का कारण बनता है। प्रदूषण के कारण प्रकृति का संतुलन बिगड़ रहा है। हमें इस मुद्दे को गंभीरता और गंभीरता से लेना होगा।

प्रदूषण पर निबंध 150 शब्द (Pollution essay 150 Words in Hindi)

प्रदूषण पर निबंध (Pollution Essay in Hindi ) – यह एक बड़ी पर्यावरणीय समस्या है। जब पर्यावरण दूषित होता है तो प्रदूषण उत्पन्न होता है। पर्यावरण में तीन प्रमुख प्रकार के प्रदूषण हैं। मृदा प्रदूषण, वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण आदि।

प्रदूषण के कुछ प्रमुख कारण हैं, जैसे ईंधन वाहनों का अत्यधिक उपयोग, कृषि में रासायनिक उर्वरकों का उपयोग।

प्रदूषण हमारे स्वास्थ्य को बहुत बुरी तरह प्रभावित करता है। यह हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक होता है। वायु प्रदूषण से सांस संबंधी बीमारियां और फेफड़ों से जुड़ी अन्य समस्याएं होती हैं। जल प्रदूषण जल को प्रदूषित करता है। ध्वनि प्रदूषण से बीपी की समस्या और सुनने की समस्या होती है। यह तनाव का कारण भी बनता है। मृदा प्रदूषण से फसलों के उत्पादन में कमी आती है, हमें इसे रोकना चाहिए। उत्पादन को भी बनाए रखने के द्वारा। औद्योगिक कचरे का उचित उपचार, वर्षा जल की आपूर्ति का भंडारण, प्लास्टिक उत्पादों को कम करना और इलेक्ट्रॉनिक वाहनों का उपयोग करना।इस प्रकार के उपाय करके हम प्रदूषण पर भी नियंत्रण कर सकते हैं।

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प्रदूषण पर निबंध 250 शब्दों में – 300 शब्दों में (Essay on pollution in Hindi)

प्रदूषण पर निबंध (Pollution Essay in Hindi ) प्रदूषण कई अलग-अलग रूपों में होता है। यह पूरी दुनिया में एक प्रमुख पर्यावरणीय मुद्दा बन गया है। हवा, जमीन, मिट्टी, पानी आदि में कोई भी अप्रिय और अप्रिय परिवर्तन। प्रदूषण में योगदान देता है। ये सभी परिवर्तन रासायनिक, जैविक या भौतिक परिवर्तनों के रूप में हो सकते हैं। प्रदूषण फैलाने वाले माध्यम को प्रदूषक कहते हैं।

दुनिया में प्रदूषण को रोकने के लिए कई कानून बनाए गए हैं। भारत में पर्यावरण की सुरक्षा और उसकी गुणवत्ता बढ़ाने के लिए बनाया गया कानून पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 है।

आइए हम विभिन्न प्रकार के प्रदूषणों पर विस्तार से एक नज़र डालें:

वायु प्रदुषण

जब पूरा वातावरण आर्थिक और औद्योगिक गतिविधियों के कारण निकलने वाली हानिकारक जहरीली गैसों से भर जाता है, तो इससे वायु और पूरा वातावरण प्रदूषित होता है। इससे वायु प्रदूषण होता है।

यह प्रदूषण का एक और प्रमुख रूप है जो प्रकृति के लिए बहुत विनाशकारी है। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि पानी के प्राकृतिक स्रोत दिन-ब-दिन कम होते जा रहे हैं और इसने पानी को एक दुर्लभ वस्तु बना दिया है। दुर्भाग्य से, इन महत्वपूर्ण समय में भी, ये शेष जल स्रोत कई स्रोतों (जैसे औद्योगिक अपशिष्ट, कचरा निपटान आदि) से अशुद्धियों से दूषित हो रहे हैं, जो उन्हें मानव उपभोग के लिए अनुपयुक्त बनाता है।

कचरा प्रदूषण

जब लोग अपशिष्ट निपटान के उचित तंत्र का पालन नहीं करते हैं, तो इसका परिणाम कचरे का संचय होता है। यह बदले में कचरा प्रदूषण का कारण बनता है। इस समस्या का समाधान करने का एकमात्र साधन यह सुनिश्चित करना है कि अपशिष्ट निपटान के लिए एक उचित प्रणाली मौजूद है जो पर्यावरण को दूषित नहीं करती है।

ध्वनि प्रदूषण

ध्वनि प्रदूषण के पीछे सामान्य कारण उद्योग, योजनाओं और अन्य स्रोतों से आने वाली ध्वनि है जो अनुमेय सीमा से अधिक तक पहुँचती है। स्वास्थ्य और शोर के बीच एक सीधा संबंध है जिसमें उच्च रक्तचाप, तनाव से संबंधित आवास, श्रवण हानि और भाषण हस्तक्षेप शामिल हैं।

Pollution Essay से सबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs):

Q.1 प्रदूषण के प्रभाव क्या हैं.

A.1 प्रदूषण अनिवार्य रूप से मानव जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करता है। यह हमारे द्वारा पीने वाले पानी से लेकर हवा में सांस लेने तक लगभग सभी चीजों को खराब कर देता है। यह स्वस्थ जीवन के लिए आवश्यक प्राकृतिक संसाधनों को नुकसान पहुंचाता है।

प्रश्न 2 प्रदूषण को कैसे कम किया जा सकता है?

उ.2 हमें प्रदूषण कम करने के लिए व्यक्तिगत कदम उठाने चाहिए। लोगों को चाहिए कि वे अपने कचरे को सोच समझकर विघटित करें, उन्हें अधिक से अधिक पेड़ लगाने चाहिए। इसके अलावा, जो कुछ वे कर सकते हैं उसे हमेशा रीसायकल करना चाहिए और पृथ्वी को हरा-भरा बनाना चाहिए।

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प्रदूषण पर निबंध Essay On Pollution In Hindi And English

प्रदूषण पर निबंध Essay On Pollution In Hindi And English : Pollution Essay In Hindi: Air, earth, water, Soil are important elements of life on earth.

but in the present world Pollution is a global problem. its rising day by day by our cause and their bedside effects face our upcoming generation.

pradushan par nibandh in this 150, 200, 250, 300, 500, 800 and 1000 words Essay On Pollution for students and kids.

they read in class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 talking about Essay On Pollution In Hindi And English language for free and you can download this Pollution in India essay pdf file.

let us begin Pollution In Hindi in our second part of the paragraph before this read  Pollution essay English.

प्रदूषण पर निबंध Essay On Pollution In Hindi And English

Introduction- by the term pollution, we mean the rotten stage or the destruction of the purity of some things.

these days, it is mainly used for the pollution of natural environment i.e Earth, water, noise and Air.

Main Cause Of pollution In our Life

water pollution-  wastage of oil refineries and atomic plants is dumped into the rivers and the seas. nearly the wastage and leftover of all of our mills and factories is drained into the river.

dirty water containing fifth form our houses add to the pollution. this water lacks oxygen. thus the river water is polluted and the fish and allied creatures living in the water die away.

air pollution-

we Along with other living beings pollute the air when we outhale our breathing.

the smoke coming out of the Chemical of factories, mills, workshops, hearths and airways system modern navigate the system, generator sets, railway engines ass to it. like other persons you also must be owning a vehicle.

the smoke coming out of their silencers make matter from bad to worse. dr. vibes have written that every year nearly sixty-ton carbon goes up and gathers in the atmosphere.

the air pollution may cause lungs cancer, asthma and other slow dangerous directly concerned out system.

nitrogen oxide cause diseases of lungs, hearts, skin, and eyes. ozone cause pain chest, cough, and eye disease. even sometimes non-curable skin diseases are caused by it.

noise pollution-  the roaring vehicles, thundering machines and allied loud sound cause noise pollution.

dr. vibasi has observed that the noise of 95 decibels may increase systolic blood pressure and diastolic blood pressure up to 7 ml. and 3 ml. respectively.

Earth pollution – discharge of urine and excreta as well as spitting here and there, throwing the garbage on streets instead of putting in the dustbin,

the blowing of wind full of garbage, dirt and sand, the falling of garbage in bites here and there from the overloaded municipal carts and trucks add to earth pollution.

Pollution Solution-  it is our duty to use water carefully according to our needs so that the least possible water be polluted.

instead of falling the polluted water into rivers and seas, it should be stored in the barren piece of land away from the populated area.

the use of fuel given out smoke should be minimized. the engine’s such a way as the pollution exhaust be negligible.

machinery bearing the I.S.I. mark of trusted firms should be brought into use to reduce noise pollution.

in the context of earth pollution, human waste should be kept in the dustbin. for spitting, bathing and discharging etc. only proper places should be used.

प्रदूषण पर निबंध Essay On Pollution In Hindi

सामान्य अर्थ में प्रदूषण का अर्थ बर्बाद तथा किसी भी वस्तु के बिगड़े हुए स्वरूप को कहा जाता है. जिसके कारण उस वस्तु के मौलिक तत्वों का विनाश हो जाता है. विभिन्न प्रकार के ये प्रदूषण आज मुख्य रूप से विद्यमान है. भूमि प्रदूषण, जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, वायु प्रदूषण आदि.

प्रदूषण का के मुख्य कारण

जल प्रदूषण-

तेल रिफाइनरियों और परमाणु संयंत्रों से निकलने वाले जल व अपशिष्टों को नदियों और समुद्रों में फेंक दिया जाता है। लगभग सभी मिलों और कारखानों का अपशिष्ट और बचे हुए नदी को नदी में निकाला जाता है।

इसके अतिरिक्त घरों से निकलने वाले नाले भी इन जल स्रोतों में मिला दिया जाता है, जिससे जल प्रदूषित हो जाता है तथा उसमें रहने वाले जलीय जीव मर जाते है.

वायु प्रदुषण-

कल कारखानों, मीलों, वाहनों तथा हवाई जहाजो से निकलने वाला धुआं हमारे वायु मंडल को दूषित करता है. किसी बाहरी कारक के कारण वायु के भौतिक तत्वों में बदलाव आना ही वायु प्रदूषण कहलाता है. मुख्य रूप से धुआ सबसे अधिक वायु प्रदूषण को फैलाता है.

पुराने तथा डीजल से चलने वाले वाहन सबसे अधिक प्रदूषण फैलाते है। डॉ। विबासी ने लिखा है कि हर साल लगभग साठ टन कार्बन ऊपर जाता है और वातावरण में इकट्ठा होता है। वायु प्रदूषण फेफड़ों के कैंसर, अस्थमा जैसे रोग वायु प्रदूषण के फलस्वरूप फैलते है.

नाइट्रोजन ऑक्साइड फेफड़ों, दिल, त्वचा, और आंखों की बीमारियों का कारण बनता है। ओजोन छाती में दर्द , खांसी, और आंख की बीमारी का कारण बनती है।

ध्वनि प्रदूषण-

तेज गर्जन करने वाले वाहन, वातानुकूलित मशीनों और जनरेटर से निकलने वाली कर्णकटू ध्वनि ही ध्वनि प्रदूषण का कारण बनती है। डॉ। विबासी ने लिखा है कि 95 डेसिबल का शोर सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर और डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर को क्रमशः 7 मिलीलीटर, 3 मिलीलीटर तक बढ़ा सकता है।

भूमि प्रदूषण –

मूत्र और उत्सर्जन के निर्वहन के साथ-साथ यहां-वहां थूकने, कूड़े करकट को कचरापात्र  में डालने की बजाए सड़कों पर कचरा फेंकना, गंदगी और रेत से भरी हवा चलने, इधर उधर कचरा डालना ओवरलोडेड नगरपालिका गाड़ियां और ट्रक भूमि प्रदूषण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

प्रदूषण की समस्या का समाधान-

हमारी जरूरतों के हिसाब से पानी का सावधानीपूर्वक उपयोग करना हमारा कर्तव्य है ताकि कम से कम जल प्रदूषित हो। प्रदूषित पानी को नदियों और समुद्रों में गिरने के बजाय, इसे आबादी वाले इलाके से दूर भूमि के बंजर भाग में प्रवाहित करना चाहिए।

अधिक प्रदूषण फैलाने वाले ईंधन के उपयोग को कम किया जाना चाहिए। समय समय पर अपनी गाडी के इंजन की मरम्मत करवानी चाहिए.

नई बिल्डिंग अथवा फैक्ट्री को आबादी से दूर तथा शौर को कम करने वाले संयंत्रो का उपयोग करना चाहिए. कचरा हमेशा कचरा पात्र में ही डाले. गंदे पानी को जल स्रोतों में कभी न डाले, यदि ऐसा कोई करता है तो इसकी शिकायत करे.

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प्रदूषण पर निबंध | Essay On Pollution in Hindi | Pradushan Par Nibandh, 10 Lines

Essay On Pollution in Hindi

प्रदूषण पर निबंध हिंदी में | Essay on Pollution in Hindi : वर्तमान समय में प्रदूषण से पूरे विश्व के लोग परेशान है एवं इससे होने वाली विभिन्न प्रकार की समस्याओं का सामना करते हैं इन समस्याओं से मुक्ति पाने के लिए विश्व के सभी देश कई सारे उपाय का व्यवस्था कर रहे हैं |

जिससे प्रदूषण पर रोक लगाया जा सके विभिन्न देशों की तरह हमारा देश भी प्रदूषण समस्या से मुक्ति पाने के लिए कई सारे उपाय कर रहे हैं सबसे पहले हम जानेंगे प्रदूषण क्या होता है

साथ ही साथ साथ प्रदूषण के प्रकार  इससे होने वाले प्रभाव एवं इसके रोकथाम से संबंधित जानकारी को इस आर्टिकल में मैं आप लोगों को दूंगा एवं प्रदूषण पर निबंध लिखने की प्रक्रिया के बारे में बताएंगे इसलिए आप लोगों से निवेदन है कि हमारी इस आर्टिकल को पूरा अंत तक पढ़े-

प्रदूषण पर निबंध (300 शब्द) Pradushan Par Nibandh

कुछ वर्ष पहले जब हम लोग अपने किसी परिवार के घर जाते थे तो वहां चारों तरफ हरियाली, एवं पेड़ पौधे एवं चिड़ियों का आवाज करना यह सारी चीज देखने को मिलती थी और मैदाने में एवं बगीचों में हम लोग खेलते थे वर्तमान समय में यह सब सारी चीज देखने को बहुत कम मिलती है

इस तरह के दृश्य अभी के बच्चों के लिए सपना ही हो गया पर्यावरण का निर्माण पेड़ पौधे जीव जंतु, पशु पक्षी, मनुष्य, जल, हवा, भूमि आदि  मिलकर होता है  इन सभी का पर्यावरण में एक महत्वपूर्ण स्थान है

प्रदूषण का प्रभाव

प्रदूषण का पृथ्वी के प्रत्येक वर्ग जीव जंतु मनुष्य एवं हर एक प्राणी पर हानिकारक प्रभाव होता है वातावरण में प्रदूषण होने के कारण मानव शरीर को विभिन्न तरीकों से हानिकारक प्रभाव करता है पर्यावरण में बढ़ती प्रदूषण के कारण मनुष्य का शरीर विभिन्न रोगों का शिकार हो रहा है बच्चों से लेकर बड़ों तक सभी वर्ग इस प्रदूषण के प्रभाव के  चपेट में है

प्रदूषण के कारण हवा पानी भूमि सभी प्रदूषित हो गए हैं जिसके कारण हम लोगों को स्वच्छ पानी नहीं मिल पाता है और यह दूषित पानी पीने से हमें कई तरह के रोग होते हैं

विभिन्न प्रकार के कल कारखानों से रासायनिक धुएं निकलती है जो हवा के साथ मिल  जाती है और जब हम लोग सांस लेते हैं तब वही हवा हमारे शरीर में हृदय रूपी रोग उत्पन्न करती है

हम लोग के द्वारा जगह-जगह कचरा फेंकी जाती है जिसके कारण मच्छर एवं मक्खियों का जन्म होता है और जिनके काटने से हमें कई प्रकार के रोग होते हैं

अगर हम लोगों को अपने भविष्य के पीढ़ी के जीवन को सुरक्षित करना है तो उन्हें एक स्वच्छ पर्यावरण देना होगा इसके लिए हम लोगों को प्रकृति के द्वारा दिए गए संसाधनों का सही उपयोग करना होगा प्रदूषण पर नियंत्रण करना या हमारे देश के नहीं बल्कि पूरे पृथ्वी हे लोगो की कार्य है ताकि पृथ्वी पर आने वाले पीढ़ी आरामदायक जीवन यापन कर सके |

प्रदूषण पर निबंध (500 शब्द) | Essay on Pollution in Hindi

सौरमंडल में कई प्रकार की ग्रह उपलब्ध होते हैं लेकिन पृथ्वी एक ऐसा ग्रह है जिसमें हवा मिट्टी पानी जैसी प्राकृतिक संसाधन उपलब्ध होते हैं इनका खराब तरीके से उपयोग करने का मतलब अपने जीवन को खतरे में डालने के बराबर है दिन प्रतिदिन प्रदूषण की मात्रा बढ़ती ही जा रही है अर्थात आपको अगर प्रदूषण पर कंट्रोल करना होगा तो सभी मनुष्य को एक साथ मिलकर अपना योगदान देना होगा

प्रदूषण पर्यावरण के कारण

प्रदूषण पर्यावरण के कुछ मुख्य कारण नीचे दिए गए हैं इसको अपने ध्यानपूर्वक पढ़े:-

1- आधुनिकीकरण : वर्तमान समय में दिन प्रतिदिन आधुनिकीकरण बड़ी तेजी के साथ हो रहा है लेकिन इसके नकारात्मक प्रभाव हमारे पर्यावरण पर पड़ रहा है

2- वनों की कटाई : वर्तमान समय में वनों की कटाई बड़ी तेजी के साथ हो रही है इसका मुख्य कारण है जनसंख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है जिसके कारण पेड़ पौधों की कमी दिन पर दिन होती जा रही है और पेड़ पौधे ही पर्यावरण को शुद्ध करते हैं क्योंकि पेड़ के पर्यावरण में मौजूद कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करता है और ऑक्सीजन  को  निकलते  हैं

3- प्राकृतिक कारण : कभी-कभी  पृथ्वी पर प्राकृतिक आपदाएँ होती है जैसे कि मलाशय, बाढ़, भूकंप आदि| इन सभी आपदाओं के कारण प्रदूषण बढ़ता है इन आपदाओं के कारण वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, भूमि प्रदूषण, आदि होते हैं

4- परिवहन विस्तार : वर्तमान समय आप लोग देख रहे होंगे कि परिवहन का विस्तार जल मार्ग वायु मार्ग सड़क मार्ग तीनों मार्गो में भारी मात्रा में हुआ है जिसके कारण इन परिवारों के द्वारा जो धुएं निकलते हैं उन दिनों से हमारा वायु प्रदूषण होता है और यह प्रक्रिया दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है जिसके कारण हम लोग के सामने एक बहुत बड़ा संकट पर्यावरण प्रदूषण उत्पन्न हुआ है

पर्यावरण प्रदूषण को रोकने के उपाय अथवा सुझाव

पर्यावरण प्रदूषण को रोकने के उपाय अथवा सुझाव कुछ इस प्रकार है जिसके द्वारा आप लोग पर्यावरण प्रदूषण को रोकने में कुछ हद तक सफल रहेंगे जो निम्न है:-

●  जंगलों के कटाई पर रोक लगनी चाहिए

●  गंदी बस्तियों पर रोक लगनी चाहिए उचित आवास का व्यवस्था कर देनी चाहिए

●  वृक्षारोपण के लिए लोगों के अंदर जागरूकता पैदा करना होगा

●  पर्यावरण प्रदूषण को रोकने के लिए सरकार द्वारा कई प्रकार के नियम लागू करनी चाहिए

●  पर्यावरण संबंधित शिक्षा स्कूलों में आरंभ करनी चाहिए

● साइकिल को प्राथमिकता देनी चाहिए

● खेतों में  रासायनिक खादो का उपयोग  काम करके जैविक खेती   को बढ़ावा देना चाहिए

पर्यावरण प्रदूषण का भविष्य पर प्रभाव

पर्यावरण प्रदूषण का प्रभाव हमारे जीवन में काफी घातक हो सकते हैं पर्यावरण प्रदूषित होने से हमें सांस लेने में समस्या होगी जिसके लिए हम लोगों को प्रत्येक व्यक्ति को हमेशा अपने साथ ऑक्सीजन किट लेकर घूमना पड़ेगा स्वच्छ पानी पीने के लिए हमें भारी मात्रा में इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी

इसके अलावा मनुष्य का जीवन काल कम हो जाएगा और साथ ही साथ कई खतरनाक बीमारियों का शिकार भी हो जाएंगे हमें अपने जीवन यापन करने के लिए काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा

पर्यावरण में बढ़ता प्रदूषण किसी देश विशेष की समस्या नहीं है बल्कि यह पूरे विश्व की समस्या है वर्तमान समय में नए-नए आधुनिकीकरण के कारण हमें तो आराम एवं आनंददायक महसूस होता है लेकिन दूसरी तरफ इसका प्रभाव काफी खतरनाक है क्योंकि इसके द्वारा हमारा परिवार में प्रदूषण बढ़ते जा रहे हैं इसलिए हम सभी को मिलकर इस पर्यावरण में प्रदूषण को रोकने के लिए उचित कदम उठानी होगी

प्रदूषण पर  हिंदी निबंध (750 शब्द) | Hindi Essay On Pollution

प्रकृति के द्वारा हम लोगों को कई तरह के संसाधन प्राप्त हुए हैं जैसे  इनमें पेड़ पौधे,वायु, जल, नदिया, पहाड़ ,जंगल, पशु पक्षी, जीव जंतु, आदि आते हैं  इन सभी संसाधनों का सुरक्षा करना हम लोगों का यानी मनुष्य का कर्तव्य है हम लोग इन प्राकृतिक संसाधनों के साथ जैसा व्यवहार करेंगे वैसा फल मिलेगा अगर हम लोग इन प्राकृतिक संसाधनों के साथ खराब व्यवहार करेंगे तो प्रदूषण बढ़ेगा और इस पृथ्वी पर निवास कर रहे हैं प्रत्येक वर्ग के लोगों को इसका भुगतान करना पड़ेगा

प्राकृतिक आपदाओं एवं घटनाओं एवं महामारियों के लिए मनुष्य ही जिम्मेदार है क्योंकि यह सारी चीज प्रदूषण के कारण होती है उदाहरण के लिए मैं आप लोगों को कोरोना जैसी महामारी बीमारी का उदाहरण लेते हैं जब हमारे देश में कोरोना का संकट था तब उसे समय हमारे देश की  सभी फैक्ट्री ,कल कारखाने ,यातायात के साधन अर्थात वाहन, बंद थी तब उसे समय हमारे देश का प्रदूषण काफी हद तक कम हो गया था अर्थात हम कह सकते हैं अगर हम प्राकृतिक संसाधनों का सुरक्षा करेंगे तभी प्राकृतिक संसाधन हमारी सुरक्षा करेगी

प्रदूषण क्या है ? What is Pollution

प्रदूषण क्या है मैं आप लोगों को सरल भाषा में बताता हूं कि जब हमारे प्राकृतिक संसाधनों में जैसे हवा पानी मिट्टी मैं कुछ खराब तत्व मिलकर उसे दूषित कर देते हैं  और इसका प्रभाव पेड़ पौधे जीव जंतु एवं मनुष्य आदि प्राकृतिक संसाधन  के  स्वास्थ्य पर खराब प्रभाव पड़ता है तो उसी को प्रदूषण कहते हैं प्रदूषण एक गंभीर समस्या मानव जीवन के लिए खड़ी कर सकती है

अर्थात यह हम लोग का कर्तव्य है कि प्राकृतिक संसाधनों का सुरक्षा करना है  हम लोग के द्वारा किए गए जाने अनजाने में प्राकृतिक संसाधनों के साथ छेड़छाड़ को  सुधार करना पड़ेगा ताकि प्रदूषण के समस्या से हमें काफी राहत प्रदान हो पेड़ पौधे को ज्यादा से ज्यादा वृक्षारोपण करना होगा क्योंकि हम लोगों के द्वारा बीते कुछ वर्षों में पेड़ पौधे के कटनी और जंगलों की सफाई ज्यादा हुई है इसी तरह और भी कोई उपाय है जिसके द्वारा हम प्रदूषण को कंट्रोल कर सकते हैं

प्रदूषण के कारण

हमारी पृथ्वी पर प्रदूषण होने के कई कारण होते हैं इन्हीं कारणो  के कारण प्रदूषण जैसी गंभीर समस्या उत्पन्न हुई है यह प्रदूषण होने के कुछ बड़े कारण निम्नलिखित है जैसे:-

●  कम वृक्षारोपण

●   जंगल को  तेजी से काटना

●  प्रकृति के साथ छेड़छाड़

●  कल कारखाने ,वाहन एवं मशीनों के कारण

●  कीटनाशक दवाइयां का बढ़ता उपयोग

●  तेजी से बढ़ रहा है शहरीकरण

●  बढ़ती जनसंख्या

● वैज्ञानिक संसाधनों का अधिक उपयोग

●  बढ़ता औद्योगिकरण

 ऊपर दिए गए करण के द्वारा प्रदूषण दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है इसके अलावा भी कई छोटे-छोटे कारण है जो हमारे प्रदूषण को बढ़ाने में अपनी भूमिका निभाते हैं |

इन प्रमुख निबंधों को भी पढ़ें:-

1.
2.
3.
4.
5.
6.
7.

प्रदूषण के प्रकार

प्रदूषण कई प्रकारों में होते हैं इनमें से कुछ प्रकारों के द्वारा बीते कुछ वर्षों में प्रदूषण काफी ज्यादा बढ़ गया है तो लिए मैं आप लोगों को प्रदूषण के प्रकार  के बारे में संक्षेप में निम्न रूप से बता रहा हूं  जो इस प्रकार के हैं:-

वायु प्रदूषण

वायु प्रदूषण को प्रदूषण के प्रकारों में से सबसे खतरनाक प्रकार माना जाता है प्रदूषण का मुख्य कारण हमारे उद्योग धंधे एवं वाहनों के द्वारा जो धुआं निकलता है वह सीधे हवा में में घुल कर हमारे सेहत पर सीधा प्रभाव करता है दिन प्रतिदिन उद्योग धंधे एवं वाहनों ने वायु में प्रदूषण को काफी वृद्धि कर दी है वायु प्रदूषण के कारण लोगों के दिल एवं फेफड़े संबंधित कई प्रकार के रोग उत्पन्न होते हैं

उद्योग धंधों एवं घरों से जो कचरा निकालते हैं वह नदी एवं पानी के  अन्य श्रोताओं में मिल जाते हैं जिससे जल प्रदूषण हो जाता है पहले हमारी नदियां साफ़-सूत्री एवं पवित्र मानी जाती थी लेकिन वर्तमान समय में इन नदियों में विभिन्न कल कारखानों का गंदा पानी एवं कचरा कूड़ा करकट एवं रासायनिक कचरा प्लास्टिक के पदार्थ पानी में घुल जाना यह जल प्रदूषण को बढ़ावा देता है

भूमि प्रदूषण

जो कचरा कल कारखाने एवं घरेलू माध्यम से निकलते हैं वह पानी में पूरी तरह से घुल नहीं पाते हैं और वह  जमीन के ऊपर फैला रहता है जबकि सरकार के द्वारा इनका पुनः दोबारा उपयोग एवं रीसायकल करने की व्यवस्था की जाती है लेकिन इसमें कोई खास सफलता प्राप्त नहीं होता हैं इस कारण इन चीजों के कारण भूमि प्रदूषण को बढ़ावा मिलता है

इसलिए इस भूमि प्रदूषण के कारण मच्छर मक्खियों विभिन्न प्रकार के कीट पतंग का जन्म होता है जो मनुष्य एवं अन्य जीव जंतुओं के लिए बीमारी का कारण बनता है इस कारण इन चीजों के कारण भूमि प्रदूषण को बढ़ावा मिलता है

ध्वनि प्रदूषण

ध्वनि प्रदूषण का मतलब कल कारखानों में होने वाली तेज आवाज से होता है अर्थात इन कल कारखानों में तरह-तरह के मशीनों की तरह-तरह की आवाज़ के तेजी के साथ  निकलती है जिससे ध्वनि प्रदूषण होता है इसके अलावा भी हमारे रास्ते में जो वाहन चलाते हैं उनके द्वारा जो आवाज निकलती है,  एवं पटाखों के  फूटने से, एवं लाउडस्पीकर के द्वारा जो आवाज निकलती है, इन सब के द्वारा भी ध्वनि प्रदूषण होता है ध्वनि प्रदूषण मनुष्य के दिमाग पर प्रभाव डालता है जिसके कारण मनुष्य मानसिक रूपी रोग से ग्रसित हो जाता है साथ ही साथ सुनने की क्षमता भी काम हो जाती है

प्रदूषण से हानियां

प्रदूषण से कई प्रकार की हानियां होती है जैसे जल अगरअगर प्रदूषित हो जाए तो तो जल प्रदूषण हो जाता है अर्थात इसके जल को पीने से हमें कई प्रकार के रोग हो सकते हैं एवं प्रदूषित हवा हो जाए तो हमें सांस लेने में तकलीफों का सामना करना पड़ेगा एवं अगर भूमि प्रदूषित हो जाए तो  विभिन्न प्रकार के मच्छर एवं मक्खी का जन्म होगा जो हमारे लिए हानिकारक हो सकते हैं क्योंकि इनके काटने से हम लोग बीमार ग्रसित हो सकते हैं ध्वनि प्रदूषण से मनुष्य मानसिक रूप से कमजोर हो जाता है अर्थात उसको मानसिक संबंधित रोग हो जाते हैं साथ ही साथ सुनने की शक्ति भी कम हो जाती है

इसलिए हम लोग को यह कर्तव्य बनता है कि स्वच्छ हवा के लिए ज्यादा से ज्यादा वृक्षारोपण का कार्य किया जाए नदियां तालाब में जिन जानवरों को मारो नहलाते हैं इस पर रोक लगाना चाहिए क्योंकि उनको इन नदी और तालाब में नहाने से पानी प्रदूषित हो जाता है जिस कारण से जल प्रदूषण में बढ़ावा मिल रहा है

प्रदूषण से बचाव का उपाय

वर्तमान समय में देश के प्रत्येक व्यक्ति प्रदूषण के के संकट से परेशान है प्रदूषण से  कैसे अपने आप को बचाव करें एवं प्रदूषण मुक्त होने के लिए क्या-क्या उपाय करें? यह प्रश्न प्रत्येक व्यक्ति के मन में है तो लिए मैं आप लोगों को प्रदूषण से बचाव का उपाय बताता हूं सबसे पहले हम लोगों को अपनेआप में बदलाव लाना पड़ेगा  प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग उतना ही करें जितना हमें जरूरत हो ताकि हमारे भविष्य की पीढ़ी के लिए यह संसाधन उपलब्ध हो 

हम लोगों को प्राकृतिक संसाधनों का सुरक्षा करना यह भावना अपने मन में रखना होगा हम लोग को ज्यादा से ज्यादा वृक्ष रोपण करना होगा,  अपने आसपास सफाई रखनी होगी, मशीनों का कम इस्तेमाल करके, प्लास्टिक से बने बैग  का इस्तेमाल न करना, अपने आसपास के नदियों तालाबों का सफाई रखना, और कचरा  को  जमीन पर जहां तहां ना फेंकना यह सारी चीज कर कर हम प्रदूषण से मुक्त हो सकते हैं

इस आर्टिकल के ऊपर जो बातें लिखी गई है उसको पढ़कर हम लोग इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि पर्यावरण को प्रदूषण होने से बचाने के लिए हम लोगों को साथ मिलकर कार्य करना होगा हम लोगों से प्रत्येक व्यक्ति अगर छोटे से छोटे कार्य प्रदूषण रोकने के लिए करेंगे तो समाज में एक नया परिवर्तन लाया जा सकता है |

प्रदूषण पर निबंध PDF Download | Download Pollution Hindi Essay in PDF

प्रदूषण पर पर निबंध कैसे लिखें इसकी जानकारी में आप लोगों को पीडीएफ फाइल के रूप में उपलब्ध करवा रहे हैं जिसको आप लोग अपने मोबाइल में PDF डाउनलोड करके आसानी पूर्वक देख सकते हैं |

PDF Download:

प्रदूषण पर 5 Lines | Pollution Essay in Hindi 5 lines

●  प्रदूषित हवा और पानी इंसानों और जानवरों में कई  प्रकार के बीमारियों का बीमारियों का निर्माण करता है

●  प्रदूषण बहुत ही कम समय में पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया है

●  उर्वरकों और कीटनाशकों दवाइयां के ज्यादा उपयोग से मृदा प्रदूषण होता है और मिट्टी बंजर हो जाती है।

●   वर्तमान समय में बढ़ रहे आधुनिकीकरण की कारण के उनकी मात्रा अधिक बढ़ गई है

●  कूड़ा कचरा  को जहां तहां फेंक देने से प्रकृति दूषित होती जा रही है |

प्रदूषण पर निबंध हिंदी में 100 शब्दों | Pollution Essay in hindi

प्रदूषण हमारे पृथ्वी के प्राकृतिक संसाधन को नष्ट करने वाले तत्व है प्रदूषण मनुष्य के  दैनिक जीवन को काफी कभी प्रभावित करता है साथी साथ पृथ्वी पर निवास करें सभी जीव जंतुओं के जीवन यापन पर भी काफी प्रभाव डालता है प्रदूषण को हम लोग कई रूपों में देख सकते हैं अर्थात इसको कई रूप में बांट सकते हैं जैसे वायु प्रदूषण जल प्रदूषण ध्वनि प्रदूषण भूमि प्रदूषण आदि है

प्रदूषण से कैसे बचे

प्रदूषण से बचने के लिए हमें कई सारे उपाय करने होंगे जैसे कि पता है वायु प्रदूषण से हम लोगों को सांस लेने की समस्या उत्पन्न हो रही है अर्थात सांस संबंधित बीमारियां हो जाती है हम लोगों को अपने आसपास साफ सफाई रखनी होगी, एवं ज्यादा से ज्यादा वृक्ष रोपण करना होगा ,इसके साथ ही साथ वाहनों का इस्तेमाल कम करना होगा, एवं मशीनों का इस्तेमाल भी, काम करना होगा अपने आसपास के नदियां तालाबों को साफ़ सफाई रखना होगा, और ज्यादा तेज से जो आवाज निकलती है उसे पर नियंत्रण करना होगा एवं सरकार जो नियम बनाएगी उसे नियम का पालन करना होगा

प्रदूषण पर निबंध 10 Lines | Pradushan Par Nibandh 10 Lines

pollution essay topics in hindi

●  प्रदूषण पूरी दुनिया के लिए सबसे गंभीर  समस्या है।

●  प्रदूषण के इतनी तेजी के बढ़ने का मुख्य कारण मनुष्य है

●  प्रदूषण सभी  जीव जंतु के लिए हमेशा  हानिकारक होता है

●  प्रदूषण कारण कैंसर हृदय संबंधित रोग चमड़ा रोग दमा, आदि जैसी गंभीर बीमारियां होती है

●  वृक्षारोपण करना ,एवं जल संसाधनों को स्वच्छ रखना, प्लास्टिक उपयोग का प्रतिबंध लगाना, प्रदेशों के प्रदूषण को कम कम करने की उपाय हैं

●  घरेलू एवं कल कारखानों के कचरे को नदी में  बहाने से नदी का पानी दूषित हो जाता है

●  प्लास्टिक का ज्यादा उपयोग से प्लास्टिक प्रदूषण का जन्म हुआ है

●  प्रदूषण के मुख्य प्रकार वायु प्रदूषण जल प्रदूषण ध्वनि प्रदूषण भूमि प्रदूषण है

● प्रदूषण से संबंधित बीमारियों के कारण प्रत्येक वर्ष लाखों लोगों की जान चली जाती है

इस ब्लॉग पोस्ट पर आपका कीमती समय देने के लिए धन्यवाद। इसी प्रकार के बेहतरीन सूचनाप्रद एवं ज्ञानवर्धक लेख easyhindi.in पर पढ़ते रहने के लिए इस वेबसाइट को बुकमार्क कर सकते हैं

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प्रदूषण पर निबंध | Essay on Pollution in Hindi 500 Words | PDF

Essay on pollution in hindi.

Essay on Pollution in Hindi 500 + Words (Download PDF) प्रदूषण पर निबंध कक्षा 5, 6, 7, 8, 9, 10 के लिए। – प्रदूषण विभिन्न प्रकार के गैसों का मिश्रण होता है जो कार और ट्रक ,कारखानों, धूल, पराग, मोल्ड बीजाणुओं, ज्वालामुखियों और जंगल की आग से फैलती हैं। प्रदूषण मनुष्य के अलावा फसलों और पेड़ों को भी कई तरह से नुकसान पहुंचता है। प्रदुषण से कृषि फसल और वाणिज्यिक वन उपज में कमी, पेड़ के पौधों की वृद्धि और जीवित रहने की क्षमता कम हो हो जाती है, तो आइये इस निबंध के माध्यम से हम तीन प्रकार के प्रमुख प्रदुषण के बारे में जानते है – Essay on Pollution in Hindi

मनुष्य ने अपने सुख-सुविधाओं के लिए प्रकृति पर विजय पाने के लिए उसके संतुलन को बिगाड़ना शुरू कर दिया है। प्रकृति पर हमला करने के लिए मनुष्य को विभिन्न रोगों के रूप में दंड मिला है। प्राचीन काल में जब मनुष्य और प्रकृति एक थे, तब शायद कोई बीमारी नहीं थी।

धीरे-धीरे जैसे-जैसे प्रकृति का संतुलन बिगड़ता गया, बीमारियां भी बढ़ती गईं। आज विज्ञान ने ऐसे उद्योगों, कारखानों, औजारों को जन्म दिया है, जिन्होंने प्रकृति के तत्वों में विकार पैदा हो गए हैं। प्रकृति के हर तत्व में प्रदूषण पैदा कर मनुष्य ने अपने लिए समस्याएं खड़ी कर लिया हैं।

प्रदूषण का मतलब

पृथ्वी के आवरण वायु, जल आदि में गतिशील परिवर्तन पर्यावरण है, जो आपस में प्राकृतिक संतुलन बनाए रखता है। मानव शरीर को शुद्ध हवा और पानी की जरूरत होती है। मानव कान सीमित ध्वनि सुन सकता है। सभी इंद्रियां सीमित अनुभव करती हैं। यदि उन सभी में विकार उत्पन्न होता है, तो वे हमारे लिए प्रदूषण हैं।

आज वैज्ञानिक आविष्कारों ने प्रकृति की देन में एक भयानक अव्यवस्था पैदा कर दी है। वायु, जल, ध्वनि आदि हमारे दैनिक जीवन के लिए प्रदूषित हो गए हैं। अत्यधिक ध्वनि और प्रकाश कान और आंखों को नुकसान पहुंचाते हैं। इन सभी को इस तरह से दूषित करना प्रदूषण कहलाता है। आज प्रदूषण इतना अधिक हो गया है कि यह हमारे लिए एक भयानक और मुख्य समस्या बन गया है।

ये भी देखें – Essay on school annual function in Hindi

वैसे तो प्रदूषण कई प्रकार के होते है, लेकिन उनमें से तीन प्रमुख प्रदूषण हैं – जल, वायु और ध्वनि प्रदूषण।

प्रकृति ने हमें एक आवश्यक उपहार जल दिया है जिसके बिना हम लंबे समय तक जीवित नहीं रह सकते हैं। हमारी नदियों में शुद्ध पानी बह रहा है। शुद्ध जल पृथ्वी के नीचे जमा हो रहा है। प्रकृति के सभी जल स्रोत मनुष्य के लिए बिल्कुल शुद्ध बने हुए हैं।

मनुष्य ने जल को भी शुद्ध नहीं रहने दिया है। पानी का मुख्य स्रोत नदी में नालों के माध्यम से शहरों और कस्बों का गन्दा पानी डाला जाता है। कारखानों और फैक्ट्रियों का पानी नदियों में डाला जाता है, जिससे नदियों का पानी इतना प्रदूषित हो गया है कि बिना सफाई के नहीं पिया जा सकता।

वायु प्रदुषण

प्रकृति ने हवा को बिल्कुल शुद्ध बनाया था, लेकिन आजकल परिवहन के साधन इतने बढ़ गए हैं कि वे हर समय जहरीला धुआं छोड़ते हैं जो वातावरण को प्रदूषित करता है। कारखानों, उद्योगों और व्यवसायों के विकास ने वायु प्रदूषण को इतना बढ़ा दिया है कि सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है।

बड़े महानगरों में शाम के समय इतना वायु प्रदूषण होता है कि चारों तरफ धुंआ भर जाता है, जिसका असर सांस लेने की प्रक्रिया के साथ-साथ आंखों पर भी पड़ता है। प्रकृति द्वारा दिए गए महत्वपूर्ण आवश्यक उपहार को मनुष्य ने इतना खराब कर दिया है कि आज यह एक ऐसी समस्या बन गई है जिसके लिए दुनिया के वैज्ञानिक भी चिंतित हैं।

ध्वनि प्रदूषण

आज विज्ञान ने लाउडस्पीकर के आविष्कार से ध्वनि को प्रदूषित कर दिया है। बसों, कारों, ट्रेनों और अन्य साधनों की आवाज़ ने बहुत अधिक ध्वनि प्रदूषण पैदा किया है। शहरों में कई संगीत वाद्ययंत्र भी एक बड़ी कर्कश ध्वनि बनाते हैं।

इसके अलावा मंदिरों, मस्जिदों और गुरुद्वारों से भी तेज ध्वनि प्रदूषण होता है। ध्वनि प्रदूषण हमारे शरीर के कोमल ऊतकों को प्रभावित करता है। कानों पर बुरा असर पड़ता है। सिरदर्द और भारीपन बना रहता है। इस प्रकार ध्वनि प्रदूषण के कारण अनेक प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रोग उत्पन्न होते हैं।

ये भी देखें – Essay on environmental pollution in Hindi

इस समय सबसे बड़ी समस्या वायु प्रदूषण है, जिससे सब कुछ दूषित हो रहा है। वायु प्रदूषण को रोकना नितांत आवश्यक है। यदि वायु प्रदूषण को रोकने के प्रयास नहीं किए गए, तो दुनिया में आपदा आ जाएगी। इसलिए वायु प्रदूषण को रोकने के लिए सबसे पहले हमें प्रकृति के श्रृंगार के रूप में पेड़ों की कटाई को रोकना होगा। पेड़ इंसान के सबसे अच्छे दोस्त होते हैं जो हवा को शुद्ध करने का काम करते हैं। इसलिए हर क्षेत्र में पौधरोपण करना चाहिए। अधिक से अधिक पेड़ लगाकर वायु प्रदूषण से बचना चाहिए।

उद्योग और कारखाने बस्ती से दूर रहें। इलेक्ट्रिक ट्रेनों, बसों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। शहरों में इलेक्ट्रिक रेलवे का विस्तार किया जाना चाहिए। नदियों के पानी को शुद्ध रखने के लिए गंदे पानी की नालियों को खेतों में डाल देना चाहिए। ध्वनि प्रसारण उपकरणों की आवाज कम कर देनी चाहिए। इस संबंध में सरकार और वैज्ञानिकों को हमेशा जागरूक रहना चाहिए और लोगों में भी जागरूकता फैलानी चाहिए।

शुद्ध वायु, शुद्ध जल, शुद्ध भोजन, शुद्ध मौसम मनुष्य के लिए आवश्यक तत्व हैं। आज के युग में प्रत्येक व्यक्ति को अपने-अपने स्थान पर प्रदूषण रोकना चाहिए। हम अपने दैनिक जीवन के स्वार्थ के लिए प्रतिदिन प्रदूषण बढ़ाने में भी सहायक होते हैं। प्रत्येक व्यक्ति को अपनी क्षमता के अनुसार पौधे लगाने चाहिए। अनावश्यक पेड़ नहीं काटे जाने चाहिए। गंदगी फैलाने की कोशिश न करें।

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Q&A. on Pollution in Hindi

प्रदूषण का कारण क्या है.

उत्तर – वायु प्रदूषण विभिन्न प्रकार के गैसों का मिश्रण होता है जो कार और ट्रक ,कारखानों, धूल, पराग, मोल्ड बीजाणुओं, ज्वालामुखियों और जंगल की आग से फैलती हैं।

हम प्रदूषण को कैसे कम कर सकते हैं?

उत्तर – प्रदूषण को कम करने के कई उपाय है जैसे –

  • सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करना।
  • पटाखों के प्रयोग से बचें।
  • उपयोग में न होने पर लाइट बंद कर दें।
  • एयर कंडीशनर की जगह पंखे का प्रयोग करें।
  • प्लास्टिक बैग को नहीं।
  • रीसायकल और पुन: उपयोग।
  • चिमनी के लिए फिल्टर का प्रयोग करें।
  • जंगल की आग और धूम्रपान में कमी।

प्रदूषण पृथ्वी को कैसे प्रभावित कर रहा है?

उत्तर – वायु प्रदूषण मनुष्य के अलावा फसलों और पेड़ों को भी कई तरह से नुकसान पहुंचता है। प्रदुषण से कृषि फसल और वाणिज्यिक वन उपज में कमी, पेड़ के पौधों की वृद्धि और जीवित रहने की क्षमता कम हो हो जाती है।

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प्रदूषण पर निबन्ध | Essay on pollution in Hindi | निबंध लेखन | Essay in Hindi | Hindi Nibandh

By: Amit Singh

Essay on pollution in hindi || प्रदूषण पर निबंध हिंदी में

प्रदूषण के प्राकृतिक कारण, प्रदूषण के मानवीय कारण, प्रदूषण के प्रकार, वायु प्रदूषण–, जल प्रदूषण–, भूमि प्रदूषण–, अन्य प्रदूषण –.

भारत के इतिहस में प्राचीन काल से ही धरती को मां समझा जाता रहा है। जो सदियों से अपने हरे-भरे मैदानों, बर्फ से ढ़के पहाड़ों, समुद्र की उफान मारती लहरों के लिए मशहूर है। हालांकि वर्तमान में धरती की यह खूबसूरती कई वजहों से खतरें में पड़ गयी है, जिसका एक प्रमुख कारण प्रदूषण भी है।

धरती पर उत्पन्न होने वाले कई हानिकारक तत्वों के कारण हवा और पानी प्रदूषित हो रहे हैं, जिसका असर प्रकृति सहित धरती पर रहने वाले जीवों पर देखा जा सकता है। अमूमन पृथ्वी पर प्रदूषित करने में कई प्राकृतिक और मानवीय कारण जिम्मेदार हैं।

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मेरे प्रिय नेता : महात्मा गाँधी मेरा प्रिय खेल : क्रिकेट भारत पर निबन्ध पर्यावरण पर निबंध

विवर्तनिक गतिविधि (tectonic activity), ज्वालामुखी विस्फोट(volcanic eruptions), भूस्खलन (landslides),  भूकंप जैसे कई प्रकृतिक आपदाओं के चलते पृथ्वी असंतुलित हो जाती है और नतीजतन कई हानिकारक तत्व हवा और पानी में मिलकर धरती के जीवों को नुकसान पहुंचाते हैं। उदाहरण के लिए जहां ज्वालामुखी फटने से कार्बनडाई ऑक्साइड, कार्बनमोनो ऑक्साइड, सल्फरडाई ऑक्साइड और मीथेन जैसी हानिकारण गैसें हवा को प्रदूषित करतीं हैं, वहीं विवर्तनिक गतिविधि और भूकंप से होने वाले भस्खलन का मलबा नदियों के पानी को दूषित करता है।

मानवीय कारणों से होने वाले प्रदूषणों के लिए वाहन से निकलने वाले धुएं के रुप में विशैली गैसें, पराली जलाना, भारी मात्रा में प्लास्टिक का इस्तेमाल, बिजली उत्पादन के लिए कोयला जलाना और कारखानों से निकलने वाले पदार्थ जिम्मेदार हैं।

लिहाजा उपरोक्त कारणों के चलते प्रदूषण वर्तमान में एक वैश्विक समस्या बन गया है। यही नहीं बड़े शहरों में होने वाले प्रदूषण का असर दूर आर्किटक और अंटार्कटिक में भी देखा जा रहा हैं, जहां बर्फ काफी तेजी से पिघल रही है। एक अध्ययन के अनुसार प्रदूषण से बढ़ रही ग्लोबल वार्मिंग के चलते जहां एक ओर बर्फ तेजी से पिघल रही है, वहीं समुद्र के बढ़ते स्तर के कारण आने वाले कुछ सालों में दुनिया की मशहूर शहर मसलन – लंदन, न्यूयॉर्क, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, मालदीव और इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता समुद्र में डूब जाएगी।

प्रदूषण पर निबन्ध | Essay on pollution in Hindi

आमतौर पर हवा में घुलने वाले हानिकारक पदार्थ आसानी से नजर नहीं आते हैं लेकिन खासकर सर्द मौसम में कोहरे में मिलने वाले इन प्रदूषकों को देखा जा सकता है। कोहरे और प्रदूषण के समीकरण को आम भाषा में धुंध कहा जाता है। जिससे न सिर्फ लोगों को सांस लेने में तकलीफ होती है बल्कि इससे स्वास्थय पर भी काफी बुरा प्रभाव पड़ता है।

वायु प्रदूषण के कारण अस्थमा (सांस के मरीज), फेफड़ों में कैंसर, आंखों में जलन जैसी बिमारियां होती हैं। कई बार वायु प्रदूषण प्राकृतिक आपदा का भी रुप धारण कर लेता है। उदाहरण के लिए 1984 में होने वाले भोपाल गैस त्रासदी में एक फैक्ट्री से गैस लीक होने के चलते 8000 से ज्यादा लोगों की मौत हो गयी थी, वहीं कई लोग गंभीर रुप से घायल भी हुए थे।

वहीं ज्वालामुखी विस्फोट भी वायु प्रदूषण में वृद्धि करता है। इस विस्फोट से निकलने वाली सल्फरडाई ऑक्साइड गैस कई बार जानलेवा साबित है। अप्रैल 2020 में इंडोनेशिया में स्थित एनाक क्राकातोआ (anak Krakatoa – child of Krakatoa) के विस्फोट के चलते जहां आस-पास रहने वाली जनसंख्या में कई गंभीर बिमारियां पाई गयीं वहीं महीनों तक सूर्य की रौशनी पूरी तरह से धरती पर न पहुंच पाने के कारण पर्यावरण को भी भारी नुकसान हुआ।

इसके अलावा वाहन से निकलने वाली गैसें भी बड़े पैमाने पर वायु प्रदूषण में वृद्धि करतीं हैं। देश की राजधानी दिल्ली इसका एक बड़ा उदाहरण है। जहां बड़ी तादाद में वाहन होने के कारण सर्दियों में धुंध एक आम समस्या बन जाती है। दिल्ली सरकार की ऑज-इवन योजना और क्नॉट प्लेस पर लगा स्मॉग टॉवर वायु प्रदूषण का ही परिणाम है। एक सर्वे के मुताबिक गंभीर वायु प्रदूषण के कारण दिल्ली में रहने वाले लोगों की उम्र 10 साल कम हो जाती है।

वहीं दिल्ली में स्थित कारखानों से निकलने वाला धुंआ भी खासा हानिकारक होता हैं। जिसका असर दिल्लीवासियों  के साथ-साथ आस-पास के कई शहरों में भी देखने को मिलता है। आगरा में ताजमहल के सफेद संगमरमर का पीला होना वायु प्रदूषण का ही अंजाम है।

यही नहीं वायु प्रदूषण सीधे तौर पर मानसून की हवाओं और बादलों के निर्माण को भी प्रभावित करता है, जिसके कारण हाल के दिनों में मानसून पैटर्न में काफी बदलाव देखा जाता सकता है।

जल ही जीवन है- जैसी पंक्तियां हम हमेशा से सुनते आए हैं। खासकर भारत में जहां जल और नदियों को पूजा जाता है, वहीं गंगा और गोदवरी जैसी नदियों को देश की लाइफलाइन माना जाता है। ऐसे में इस नदियों में होने वाला जल प्रदूषण देश के एक बड़ी जनसंख्या को नुकसान पहुंचाता है।

इसी कड़ी में पहाड़ी इलाकों में होने वालाभूस्खलन इस नदियों को प्रदूषित करने का अहम कारण है। 2013 में उत्तराखंड त्रासदी से लेकर 2021 में चमोली भूस्खलन तक ने गंगा और उसकी सहायक नदियों, जिनपर देश की 40 फीसदी आबादी निर्भर है, को भारी मात्रा में दूषित किया था। वहीं ग्लोबल वार्मिंग के चलते नदियों में बाढ़ जन-जीवन को अस्त-व्यस्त कर देती है। असम में ब्रह्मपुत्रा की बाढ़ और केरल की बाढ़ त्रासदी इसका उदाहरण है।

नदियों में होने वाले प्रदूषण के अलावा कई जगहों पर इक्ठ्ठा पानी भी जल प्रदूषण के साथ-साथ अनगिनत बिमारियों को जन्म देता है। मलेरिया जल प्रदूषण से उत्पन्न होने वाली ऐसी ही एक भयानक बिमारी है, जिसके कारण हर साल कई लोगों की मौत हो जाती है।

वहीं पृथ्वी पर होने वाले इस जल प्रदूषण से समुद्र की सतह भी अछूती नहीं है। जहां एक तरफ समुद्र में जाने वाला प्लास्टिक और कचड़ा समुद्री जीव-जंतुओं के लिए जान का खतरा उत्पन्न कर रहा है, वहीं महासागर अम्लीकरण (ocean acidification) के चलते कोरल ब्लीचिंग जैसी घटनाएं आम हो गयीं हैं।

इसी कड़ी में हिंद महासागर और आर्किटिक महासागर में हुए ऑयल लीक की घटनाओं ने समुद्री जीवन को काफी नुकसान पंहुचाया है। वहीं तेजी से होता शहरीकरण ने भी जल प्रदूषण में खासा इजाफा किया है। उदाहरण के लिए राजधानी दिल्ली के कारखानों से निकलने वाला कचड़ा यमुना नदी के पानी को प्रदूषित कर ऑक्सीजन की मात्रा को कम कर देता है। नतजीतन यमुना का नाम देश की प्रदूषित नदियों की फेहरिस्त में शुमार हो गया है।

वायु और जल के अलावा भूमि प्रदूषण में भी मानवीय कारक अहम भूमिका निभाते हैं। जहां प्लास्टिक के जहरीले कैमिकल्स मिट्टी में मिल जाते हैं, तो वहीं फसलों में इस्तेमाल होने वाले पेस्टिसाइड और कैमिकल्स मिट्टी की उर्वरता को नष्ट कर देते हैं। जिसका प्रभाव सीधे तौर पर फसलों की उपज पर देखा जा सकता है।

वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण और भूमि प्रदूषण के अलावाप्रकाश प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण भी पर्यावरण संतुलन को बिगाड़ने का काम करते हैं। एक सर्वे के मुताबिक महानगरों में रात के समय अत्यंत लाइट जलने  कारण पेड़-पौधे सहित कई जीव-जंतुओं का शयन चक्र(sleeping cycle) प्रभावित हो रहा है।

हाल ही में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया के 20 सबसे प्रदूषित शहरों में 18 शहर एशिया में स्थित हैं, जिसमें से 13 सिर्फ भारत में हैं। वहीं राजधानी दिल्ला और चीन की राजधानी बीजिंग दुनिया के सबसे प्रदूषित शहर हैं।

ऐसे में जाहिर है प्रदूषण की रोकथाम के लिए दुनियाभर की सरकारें प्रयासरत हैं। 2015 में फ्रांस की राजधानी पैरिस में हुआ पैरिस समझौता इसी का एक उदाहरण हैं, जिसमें प्रदूषण को कम करने के लिए ग्रीन ऊर्जा, सौर्य ऊर्जा और कार्बन न्यूट्रैलिटी जैसे लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं, जिसके तहत स्थायी पर्यावरण (sutainable environment) की संकल्पना को अंजाम दिया जाएगा। महात्मा गांधी के शब्दों में – “पृथ्वी पर इतना कुछ है कि वह सभी की आवश्यकताओं को पूरा कर सकती है, पर इतना नहीं है कि एक भी व्यक्ति के लालच को पूरा कर सके।“

सामाजिक मुद्दों पर निबंध | Samajik nyay

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I am a technology enthusiast and write about everything technical. However, I am a SAN storage specialist with 15 years of experience in this field. I am also co-founder of Hindiswaraj and contribute actively on this blog.

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पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध Essay on Environmental Pollution in Hindi

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध Essay on Environmental Pollution in Hindi

इस लेख में हिंदी में पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध (Essay on Environmental Pollution in Hindi) को सरल शब्दों में लिखा गया है। इसमें पर्यावरण प्रदूषण क्या है, प्रदूषण के कारण, इसके कुल प्रकार, प्रभाव तथा पर्यावरण प्रदूषण को नियंत्रित करने के उपायों के बारे में विस्तार से बताया गया है।

Table of Content

पर्यावरण प्रदुषण पर निबंध ENVIRONMENTAL POLLUTION ESSAY IN HINDI

पर्यावरण प्रदूषण क्या है? What is Environmental Pollution in Hindi?

पर्यावरण प्रदूषण (Environmental pollution) का अर्थ होता है पर्यावरण का विनाश। यानि की ऐसे माध्यम जिनके कारण हमारा पर्यावरण दूषित होता है। इसके प्रभाव से मनुष्य और प्राकृतिक दुनिया को ना भुगतना पड़े उससे पहले हमें इसके विषय में जानना और समझना होगा।

मुख्य प्रकार के पर्यावरण प्रदूषण हैं – वायु प्रदुषण, जल प्रदुषण, ध्वनि प्रदुषण, ऊष्मीय प्रदूषण, मिट्टी प्रदूषण और प्रकाश प्रदूषण।

प्रदूषण  प्रकृति को क्षति पहुंचाने वाला वह दोष है, जिसके वजह से पृथ्वी का संतुलन बिगड़ रहा है। पर्यावरण में होने वाले अवांछनीय बदलाव जिससे प्रकृति सहित समस्त जीवों पर विपरीत प्रभाव पड़ता है, उसे प्रदूषण कहते हैं।

विभिन्न कारणों की वजह से प्रदूषण अपना स्तर बढ़ा रहा है, जिससे पूरे विश्व को विभिन्न परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

पर्यावरण प्रदूषण के कारण Causes of Environmental Pollution in Hindi

जंगलों का दोहन destruction of forests.

जिस प्रकृति ने अब तक हमें जीवंत रखा है, उसी को नष्ट करने के लिए हम सभी बेहद उत्साह के साथ आगे बढ़े जा रहे हैं जिससे एकाएक जंगलों का अंधाधुन दोहन हो रहा है।

परिवहन साधनों में वृद्धि Increased in Vehicles and Transportation

आज बिल्कुल विपरीत हो रहा है, जहां अब सड़कों पर लोगों की जगह जहरीली गैसे छोड़ने वाली और पर्यावरण को बुरी तरह से प्रभावित करने वाली परिवहन का संचालन हो रहा है।

प्राकृतिक संसाधन का शोषण Exploitation of Natural Resources

जनसंख्या वृद्धि increased population.

आखिर प्रदूषण को फैलाने में सबसे महत्वपूर्ण योगदान तो मानव द्वारा ही दिया जा रहा है। प्रतिदिन जनसंख्या में होने वाली वृद्धि हमें एक नई समस्या की ओर ले जा रही है।

आधुनिक तकनीकें Advanced Technology

प्रदूषण का स्तर बढ़ाने के लिए आधुनिक तकनीकें भी जिम्मेदार है। विकास के नाम पर होने वाली प्रगति जिसे प्रौद्योगिकी करण के नाम से जाना जाता है, इसके विपरीत पक्ष में होने वाले कुछ नकारात्मक प्रभाव के कारण भी प्रदूषण में वृद्धि होती है। 

इसके अलावा इंसानों द्वारा विकसित किए गए तमाम तकनीकों के वजह से कहीं ना कहीं प्रकृति को क्षति पहुंचती है।

लोगों में जागरूकता का अभाव Lack of Awareness in Peoples

घनी जनसंख्या जहां ज्यादातर प्रतिशत गरीबी , बेरोजगारी , असाक्षरता इत्यादि से भरी पड़ी है, वे पर्यावरण में होने वाले प्रदूषण के दुष्प्रभाव से पूरी तरह वाकिफ नहीं है। 

यह कहना गलत नहीं होगा कि लोगों का स्वार्थ एक दिन सभी को ले डूबेगा। प्रकृति के प्रति कोई भी जागरूक होने में अधिक रूचि नहीं ले रहा, जोकि पर्यावरण प्रदूषण को अनदेखा करने जैसा हो रहा है।

पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार Type of Environmental Pollution in Hindi

वायु प्रदूषण (air pollution).

वायुमंडल में समाहित ऐसे अवांछनीय रज कण और हानिकारक गैसे जो प्रकृति सहित सभी जीवों के लिए घातक है, ऐसा प्रदूषण वायु प्रदूषण कहलाता है। 

वायु प्रदूषण के चरम सीमा की भयानक कल्पना आने वाले कुछ दशकों के अंदर ही शायद सच में बदल सकता है। आणविक संयंत्र, वाहनों, औद्योगिक इकाइयों इत्यादि विभिन्न अन्य कारणों के परिणाम स्वरूप वायु प्रदूषण फैलता है। 

इसके अलावा यदि प्राकृतिक रूप से देखा जाए, तो कई बार ज्वालामुखी विस्फोट होने के कारण भी इससे जहरीली धुएं सीधे पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं।

जल प्रदूषण (Water pollution)

इससे पीलिया, गैस्ट्रिक, टाइफाइड, हैजा, इत्यादि जैसी बीमारियां इंसानों और पशु पक्षियों के स्वास्थ्य पर प्रभाव डालते हैं। प्रदूषित जल से सिंचाई करने के कारण खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता में भी भारी गिरावट आई है।

हम इस तरह से जल प्रदूषण के जंजाल में फस चुके हैं, कि वातावरण में चारों तरफ फैली ज़हरीली वायु एसिड वर्षा के रूप में जमीन की गहराइयों तक जाकर प्रत्येक चीज को प्रदूषित कर रही है।

भूमि प्रदूषण (Land pollution)

जमीन या मिट्टी में होने वाले इसी प्रदूषण को भूमि प्रदूषण कहा जाता है। भूमि प्रदूषण के परिणाम स्वरूप कृषि योग्य उपजाऊं जमीने भी इसके प्रकोप से अछूत नहीं रही हैं। अतः ऐसे ही प्रदूषित भूमि पर उपजे अनाज लोगों का स्वास्थ्य खराब कर देते हैं।

ध्वनि प्रदूषण (Noise pollution)

ऐसी अनियंत्रित और प्रदूषक ध्वनियां जो किसी भी प्रकार से प्रकृति या सजीवों को हानि पहुंचाती हैं, यह ध्वनि प्रदूषण कहलाता है। ध्वनि प्रदूषण को डेसीबल इकाई में मापा जाता है। 

ध्वनि प्रदूषण ऐसा प्रदूषण है, जिसका प्रभाव तुरंत देखा जा सकता है। श्रवण शक्ति से अधिक ऊंची आवाज में कोई भी ध्वनी श्रवण शक्ति को धीरे-धीरे कमजोर करती है, जिससे कई मनोवैज्ञानिक रोग और अन्य स्वाभाविक बीमारियां उत्पन्न होती है।

सड़कों पर दौड़ने वाली अनियंत्रित वाहनों के इंजन और आवाजों के अलावा औद्योगिक क्षेत्रों से भी ध्वनि प्रदूषण अत्यधिक मात्रा में उत्पन्न होता है। इसके अलावा अलग-अलग उत्सव या कार्यक्रमों में बजने वाले तेज आवाज में लाउडस्पीकर के कारण भी ध्वनि प्रदूषण बढ़ता है।

प्रकाश प्रदूषण (Light pollution)

प्रकाश प्रदूषण भी अब हमारे सामने एक विकट समस्या बन चुकी है। बिजली की बढ़ती खपत और जरूरत के समय इसकी अनुपलब्धता प्रकाश प्रदूषण का श्रेष्ठ उदाहरण है। 

इसके अलावा प्रकाश प्रदूषण के वजह से हर साल सड़कों पर हजारों की संख्या में एक्सीडेंट हो जाता है। कम उम्र में ही लोगों को कम दिखाई देना, सिर दर्द की समस्या या अंधापन प्रकाश प्रदूषण के दुष्परिणाम है। 

आवश्यकता से अधिक यदि प्रकाश आंखों पर पड़ता है, तो यह स्वास्थ्य के लिए बेहद नुकसानदायक है।

इसके अलावा मानवीय गतिविधियों के कारण भी प्रकाश प्रदूषण दिन-ब-दिन बढ़ रहा है। आवश्यकता से अधिक बिजली का उपयोग करके हाई वोल्टेज बल्ब के उपयोग के कारण भी प्रदूषण जैसे समस्या उत्पन्न होते हैं।

पर्यावरण प्रदूषण के प्रभाव Effect of Environmental Pollution in Hindi

पर्यावरण प्रदूषण : 10 नियंत्रण एवं उपाय how to control pollution in hindi, निष्कर्ष conclusion.

pollution essay topics in hindi

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Updated May 28, 2024, 20:53 IST

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प्रदूषण पर निबंध – Essay on Pollution in Hindi

Essay on Pollution in Hindi : दोस्तों आज हमने प्रदूषण पर निबंध लिखा है. वर्तमान में प्रदूषण के कारण मानव जीवन और अन्य प्राणियों के जीवन पर बहुत अधिक बुरा प्रभाव पड़ा है. प्रदूषण के कारण असमय मृत्यु होना तो जैसे आम बात ही हो गई है.

इसलिए प्रदूषण को रोकना बहुत आवश्यक है सभी विद्यार्थियों को प्रदूषण के बारे में जानकारी होना आवश्यक है.

इसलिए Essay on Pollution कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए है. इस निबंध को हमने सभी कक्षा के विद्यार्थियों की सुविधा को देखते हुए अलग-अलग शब्द सीमा में लिखा है.

Essay on Pollution in Hindi

Get Some Essay on Pollution in Hindi under 100, 250, 500 and 2000 words

Short Essay on Pollution in Hindi 100 Words

प्रदूषण यह एक धीमा जहर है जो कि दिन-प्रतिदिन हमारे पर्यावरण और हमारे जीवन को नष्ट करता जा रहा है. प्रदूषण को मुख्यतः तीन भागों में बांटा गया है वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, जल प्रदूषण..

वायु प्रदूषण वाहनों से निकलने वाले धुए, कल कारखानों, उड़ती हुई धूल इत्यादि कारणों से होता है. ध्वनि प्रदूषण वाहनों के हॉर्न, मशीनों के चलने से और अन्य शोर उत्पन्न करने वाली वस्तुओं से होता है.

जल प्रदूषण नदियों और तालाबों में फैक्ट्रियों का अपशिष्ट पदार्थ और प्लास्टिक कचरा व अन्य वस्तुएं डालने से होता है.

अगर हमें पर दूसरों को कम करना है तो अधिक से अधिक मात्रा में पेड़ लगाने होंगे और लोगों को प्रदूषण के प्रति जागरूक करना होगा तभी जाकर हम अच्छे भविष्य की कामना कर सकते है.

Paragraph on Pollution in Hindi 250 Words

प्रदूषण एक गंभीर समस्या बन चुका है यह सिर्फ हमारे देश की नहीं यह एक अंतरराष्ट्रीय समस्या है जिसकी चपेट में पृथ्वी पर रहने वाले सभी जीव जंतु और अन्य निर्जीव पदार्थ भी आ गए है. इसका दुष्प्रभाव चारों ओर दिखाई दे रहा है.

प्रदूषण का शाब्दिक अर्थ है कि प्रकृति का संतुलन खराब होना जीवन के लिए जरूरी चीजों का दूषित हो जाना जैसे स्वच्छ जल नहीं मिलना, स्वच्छ वायु नहीं मिलना और प्रदूषित माहौल का पैदा होना.

पृथ्वी का तापमान धीरे-धीरे बढ़ रहा है और वातावरण में भी परिवर्तन आ रहा है कभी अत्यधिक वर्षा हो रही है तो कभी सूखा पड़ रहा है ऋतु परिवर्तन असमय हो रहा है जो की यह दर्शा रहा है कि भविष्य में कितनी बड़ी समस्या दस्तक दे रही है.

प्रदूषण के कारण तरह-तरह की विकराल बीमारियां जन्म ले रही है जिसे कैंसर, डायबिटीज, अस्थमा, हृदय की बीमारी इत्यादि के कारण मानव की आयु कम हो गई है.

यह भी पढ़ें – जनसंख्या वृद्धि पर निबंध – Essay on Population in Hindi

वर्तमान में हर घर में कोई ना कोई बीमार है और दवाईयां लेकर अपना जीवन यापन कर रहा है. प्रदूषण के कारण जीव जंतु में इसकी चपेट में आ गए हैं जीव-जंतुओं की कई प्रजातियां तो विलुप्त हो चुकी है और कुछ विलुप्त होने की कगार पर है.

हमारे जीवन प्रणाली कुछ इस प्रकार की हो गई है कि हमें पैसों और तरक्की के अलावा कुछ और दिखाई नहीं दे रहा है.

हमें प्रदूषण को बढ़ने से रोकना होगा नहीं तो वह दिन दूर नहीं जब पृथ्वी पर जीवन का नामोनिशान नहीं होगा हमें प्रदूषण को कम करने के लिए सबसे पहले लोगों को जागरूक करना होगा.

किसी भी प्रकार के प्रदूषण को अगर कम करना है तो हमारा पहला कदम पेड़ों की कटाई रोकना होना चाहिए और जितना हो सके पेड़ लगाने होंगे.

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प्रस्तावना –

वर्तमान में प्रदूषण ने बहुत ही विकराल रूप धारण कर लिया है. इसके कारण बड़े महानगरों में जीवन बहुत कठिन हो गया है यहां पर हर दिन कोई ना कोई नई बीमारी जन्म ले रही है.

प्रदूषण इतनी तेजी से फैल रहा है कि आजकल तो ऐसा लग रहा है कि यह हमारे जीवन का हिस्सा सा बन गया है. प्रदूषण के कारण केवल मनुष्य का ही जीवन प्रभावित नहीं हुआ है इसके कारण वन्य जीव जंतुओं और पृथ्वी के वातावरण में भी बदलाव आया है.

प्रदूषण के प्रकार –

प्रदूषण को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार मुख्यतः तीन भागों में बाटा गया है इसके अलावा भी बहुत प्रकार के प्रदूषण होते है –

वायु प्रदूषण – हवा में प्रदूषित कारको के मिश्रण के कारण वायु प्रदूषण होता है वायु प्रदूषण के मुख्य स्त्रोत मोटर वाहनों से निकलने वाला धुआं, कल कारखानों और चिमनीओं से निकलने वाला धुआं, धूल उड़ने से, वस्तुओं के सड़ने से उत्पन्न हुई दुर्गंध, पटाखों इत्यादि कारणों से वायु प्रदूषण फैलता है.

जल प्रदूषण – जल में कई प्रकार के हानिकारक केमिकल्स, जीवाणु इत्यादि मिलने के कारण जल प्रदूषण होता है जल प्रदूषण के मुख्य स्रोत फैक्ट्री और कारखानों से निकलने वाला प्रदूषित जल का नदियों और तालाबों में मिलना, गटर लाइन को नदियों में छोड़ना, जल में प्लास्टिक और अन्य अपशिष्ट पदार्थ डालने के कारण जल प्रदूषण फैलता है.

ध्वनि प्रदूषण – सुनने की एक सीमा से अधिक तीखी और असहनीय आवाज ध्वनि प्रदूषण की श्रेणी में आता है. ध्वनि प्रदूषण का मुख्य स्रोत – लाउडस्पीकर, वाहनों का हॉर्न, मशीनों की आवाज, बादलों की गड़गड़ाहट इत्यादि है जिसके कारण ध्वनि प्रदूषण फैलता है.

प्रदूषण की रोकथाम के उपाय –

वायु प्रदूषण को रोकने के लिए नहीं अधिक मात्रा में पेड़ लगाने चाहिए साथ ही जहां पर पेड़ों की अंधाधुंध कटाई हो रही है वहां पर रोक लगानी चाहिए. वायु प्रदूषण को फैलाने वाले उद्योग धंधों को नई तकनीक अपनानी चाहिए जिससे कम प्रदूषण हो.

जल प्रदूषण को कम करने के लिए हमें साफ सफाई की ओर अधिक ध्यान देना होगा हम नदियों तालाबों में ऐसे ही कचरा डाल देते है. जल प्रदूषण के लिए जो भी फैक्ट्रियां और कारखाने जिम्मेदार है उनको बंद कर देना चाहिए.

ध्वनि प्रदूषण अधिकतर मानव द्वारा ही किया जाता है इसलिए अगर हम स्वयं हॉर्न बजाना बंद कर दें और मशीनों की नियमित रूप से अगर देखभाल करें तो उन से आवाज नहीं आएगी और ध्वनि प्रदूषण में कमी आएगी.

उपसंहार –

हमारी पृथ्वी पर प्रदूषण जिस तरह से बढ़ रहा है आने वाले कुछ सालों में यह विनाश का रूप ले लेगा, अगर जल्द ही प्रदूषण को रोकने के लिए कुछ सख्त नियम नहीं बनाए गए तो हमारी पृथ्वी का पूरा वातावरण खराब हो जाएगा और हमारा जीवन संकट में पड़ सकता है.

अगर हमें प्रदूषण को कम करना है तो सर्वप्रथम हमें स्वयं को सुधारना होगा और लोगों को प्रदूषण के कारण हो रही हानियों के बारे में अवगत कराना होगा.

जब तक हमारे पूरे देश के लोग जागरुक नहीं होंगे तब तक किसी भी प्रकार के प्रदूषण को कम करना मुमकिन नहीं है.

Essay on Pollution in Hindi 2000 Words

रूपरेखा –

प्रदूषण आज भारत की ही नहीं संपूर्ण विश्व की समस्या है बढ़ते हुए प्रदूषण को देखकर सभी देश इससे चिंतित है. आज संसार की लगभग सभी वस्तुएं चाहे वह सजीव है या निर्जीव किसी न किसी रूप में प्रदूषित होती जा रही है.

जल, वायु, मृदा तथा संपूर्ण भूमंडल प्रदूषण की चपेट में आ गया है. आए दिन प्रदूषण के कारण कोई ना कोई समस्या या फिर नई बीमारियां उत्पन्न होती रहती है.

कारखानों से गैस रिसने, परमाणु संयंत्रों से रेडियोधर्मिता के बढ़ने, नदियों, तालाबों, समुद्रों में कारखानों और फैक्ट्रियों से निकले विषाक्त केमिकल्स और गंदे पानी के मिलने से पूरा वातावरण प्रदूषित हो रहा है.

आज हम सिर्फ अपनी प्रगति की ओर ध्यान दे रहे है लेकिन प्रकृति की जरा भी चिंता नहीं कर रहे है. विज्ञान ने आज बहुत तरक्की कर ली है लेकिन प्रदूषण को रोकने में आज भी सफल नहीं हो पाई है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा विश्व के सभी देशों को बार-बार चेतावनी दी जा रही है लेकिन फिर भी प्रदूषण के बढ़ने पर कोई कठोर कार्रवाई नहीं की जा रही है.

हमारे भारत देश को तो जात-पात और आरक्षण से ही फुर्सत नहीं मिल रही है तो वह पर्यावरण के बारे में क्या सोचेगा.

प्रदूषण क्या है –

हमारे स्वच्छ वातावरण में किसी भी प्रकार की गंदगी का घूमना प्रदूषण की श्रेणी में आता है प्रदूषण कई प्रकार का होता है जैसे जल, हवा, ध्वनि, मृदा प्रमुख है.

इनमें से अगर कोई भी घटक प्रदूषित होता है तो उसका सीधा असर पृथ्वी पर रहने वाले सभी जीव जंतुओं, मनुष्यों और निर्जीव वस्तुओं पर बुरा असर पड़ता है.

प्रदूषण के प्रकार और दुष्प्रभाव –

जल प्रदूषण –

वर्तमान में जल प्रदूषण एक बड़ी समस्या है वर्तमान में हमारे सभी प्रमुख नदियां जैसे गंगा यमुना चंबल इत्यादि सभी गंदगी से अटी पड़ी है इनमें तरह-तरह का प्लास्टिक और अन्य कचरा पड़ा हुआ है.

कुछ स्थानों पर तो ऐसा लगता है कि नदी में जल की जगह कचरा बह रहा है, कुछ लोग अपनी नित्य क्रिया, कपड़े धोने, जानवरों को नहलाना भी नदियों के पास करते है जिसके कारण उनका जल दूषित हो जाता है.

इससे भी बड़ी चिंता का विषय यह है कि कल कारखानों और फैक्ट्रियों से निकला जहरीला और केमिकल युक्त पानी भी नदियों और तालाबों में छोड़ दिया जाता है.

एक ताजा आंकड़े के अनुसार हमारे देश में प्रदूषित जल पीने की वजह से प्रति घंटे लगभग 73 लोगों की मृत्यु हो जाती है और यह आंकड़ा साल दर साल बढ़ता ही जा रहा है.

जल प्रदूषण को बढ़ाने में हमारी सरकारें भी कम नहीं है क्योंकि गटर से निकलने वाला पानी अक्सर नदियों और समुद्रों में छोड़ दिया जाता है जिसके कारण पूरा जल प्रदूषित हो जाता है.

जो जल को जहरीला बना देता है जिसके कारण नदी में रहने वाले जीवों का जीवन संकट में पड़ जाता है और यही जहरीला जल हमें पीने को मिलता है जिसके कारण तरह-तरह की बीमारियां फैलती है.

वायु प्रदूषण –

वायु प्रदूषण चिंता का विषय है क्योंकि विश्व में सबसे विश्व में सबसे ज्यादा वायु प्रदूषित शहरों की सूची में शीर्ष दश में हमारे देश के ही शहर आते है.

इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि हमारे देश में वायु प्रदूषण किस तेजी से बढ़ रहा है. हमारे देश में हर साल वायु प्रदूषण की वजह से 12.4 लाख लोगों की मृत्यु हो जाती है और यह आंकड़ा साल दर साल बढ़ता ही जा रहा है.

वायु प्रदूषण सामान्यतः वाहनों से निकलने वाले धुएं, कल कारखानों और चिमनियो का धुँआ, कोयले का धुँआ, घरों से निकलने वाला धुआं, फसलों की पराली जलाने से निकला धुँआ इत्यादि वायु प्रदूषण के प्रमुख कारण है.

वायु प्रदूषण का एक अन्य प्रमुख कारण यह भी है कि दिन प्रतिदिन पेड़ों की अंधाधुंध कटाई की जा रही है और शहरीकरण बढ़ रहा है जिसके कारण वायु प्रदूषण बढ़ रहा है.

वायु प्रदूषण के कारण अस्थमा कैंसर चर्म रोग आंखों में जलन हृदय संबंधी बीमारियां हो जाती है जिसके कारण मानव और अन्य जीव जंतुओं की असमय मृत्यु हो जाती है.

वायु प्रदूषण से हमारा वातावरण भी प्रभावित होता है पेड़ पौधे मुरझा जाते है जिसके कारण और अत्यधिक वायु प्रदूषण होने लग जाता है

ध्वनि प्रदूषण –

ध्वनि प्रदूषण लाउडस्पीकर, हॉर्न, वाहनों की खड़ खड़ाहट, मशीनों की आवाज, हवाई जहाज की आवाज, कंस्ट्रक्शन का कार्य, बादलों की गड़गड़ाहट इत्यादि कारणों से ध्वनि प्रदूषण होता है,

लेकिन ध्वनि प्रदूषण का मुख्य स्त्रोत मानव जनित कार्यों से ही होता है. मानव अगर सीमित ध्वनि से ज्यादा की आवाज में अधिक समय तक रहता है तो वह बहरा भी हो सकता है साथ ही वह अपना मानसिक संतुलन भी हो सकता है.

वर्तमान में लोग हर जगह शादियों, पार्टियों, किसी भी प्रकार के प्रचार में लाउडस्पीकर का इस्तेमाल करते हैं जो कि ध्वनि प्रदूषण को बहुत अधिक बढ़ा देता है.

ध्वनि प्रदूषण के कारण बच्चे और बूढों को अधिक परेशानी होती है. ध्वनि प्रदूषण जीव-जंतुओं की दिन-प्रतिदिन की दिनचर्या को भी प्रभावित करता है.

मृदा प्रदूषण –

मृदा प्रदूषण का मुख्य कारण मानव के द्वारा किए गए कार्य ही हैं क्योंकि मानव अपनी थोड़े से लोभ के लिए प्रत्येक प्रकार के प्रदूषण को बढ़ावा देता है.

मानव फैक्ट्रियों और कल कारखानों से निकलने वाला अपशिष्ट पदार्थ या तो मृदा में गाड़ देते है या फिर ऐसे ही फेंक देते है जिसके कारण वहां की भूमि धीरे धीरे बंजर होने लग जाती है.

वर्तमान में प्लास्टिक के कारण बहुत अधिक मृदा प्रदूषण हो रहा है क्योंकि प्लास्टिक से हर वक्त जहरीले पदार्थ निकलते रहते है जो की पूरी भूमि को जहरीला बना देते है.

खेतों में इस्तेमाल होने वाली यूरिया खादो का उपयोग भी बहुत अधिक बढ़ गया है जिसके कारण भूमि प्रदूषित हो जाती है.

इन सब का असर मानव स्वास्थ्य पर ही होता है क्योंकि भूमि से उत्पन्न होने वाला अनाज और सब्जियों में जहरीले केमिकल्स मिल जाते है जिससे मानव स्वास्थ्य बिगड़ जाता है इसीलिए आज तरह-तरह की बीमारियां फैल रही है.

प्रकाश प्रदूषण –

दिन और रात प्राकृतिक क्रिया है अगर इनमें कोई बदलाव आता है तो वह पूरी प्रकृति को प्रभावित करता है. वर्तमान में विज्ञान की प्रगति के कारण बिजली का बहुत अधिक उपयोग हो रहा है.

और आजकल अधिक रोशनी वाली लाइटो का उपयोग किया जाता है जिसके कारण रात में भी दिन जैसा लगता है. बढ़ते हुए शहरीकरण के कारण रात में भी बहुत अधिक उजाला रहता है. जिसके कारण वन्य जीव जंतुओं को बहुत अधिक परेशानी होती है उनकी पूरी दिनचर्या इसके कारण बिगड़ जाती है. प्रकाश प्रदूषण का मानव स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है इसके कारणों से पर्याप्त नींद नहीं मिल पाती है.

रेडियोधर्मिता प्रदूषण –

रेडियोएक्टिव विकिरणों से फैलने वाला प्रदूषण रेडियोधर्मिता प्रदूषण कहलाता है. यह प्रदूषण आंखों से दिखाई नहीं देता लेकिन स्वास्थ्य के लिए सबसे अधिक खतरनाक होता है.

इसके संपर्क में आने वाले व्यक्ति या अन्य कोई जीव जंतु कि कुछ ही समय में मृत्यु हो जाती है.

यह प्रदूषण सामान्यत है परमाणु बम, परमाणु बिजली घर से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थ से होता है. यह प्रदूषण जहां भी फैलता है वहां पर जीवन का नामोनिशान मिट जाता है.

थर्मल प्रदूषण –

वर्तमान में थर्मल प्रदूषण बहुत अधिक तेजी से बढ़ रहा है क्योंकि जैसे जैसे लोगों की जरूरत है बढ़ती जा रही है वैसे-वैसे तरह-तरह की फैक्ट्रियां लग रही है जिनमें जल का उपयोग कई प्रकार के पदार्थों और अन्य वस्तुओं को ठंडा रखने में किया जाता है.

जिसके कारण वह जल बहुत अधिक गर्म हो जाता है और वह सीधा नदियों में छोड़ दिया जाता है जिसके कारण अचानक जल के तापमान में बदलाव हो जाता है. इससे नदियों में रहने वाले जीवो की मृत्यु हो जाती है.

प्रदूषण संतुलन के उपाय –

पेड़ लगाना –

हमारी पृथ्वी को अगर प्रदूषण से बचाना है तो हमें अधिक से अधिक पेड़ लगाने होंगे और जो भी लोग पेड़ों की अंधाधुंध कटाई कर रही है उन पर सख्त कार्रवाई करते हुए उन्हें रोकना होगा.

पेड़ कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करते हमें ऑक्सीजन देते हैं अगर पेड़ ही नहीं होंगे तो हमें ऑक्सीजन नहीं मिलेगी और हमारा जीवन समाप्त हो जाएगा.

आज ही प्रण ले अपने हर जन्मदिन पर कम से कम एक पेड़ जरूर लगाएं.

प्लास्टिक का उपयोग बंद करना –

वर्तमान में हमारे जीवन के साथ प्लास्टिक कैसे जुड़ गया है जैसे जल और हवा हो, हर वस्तु में प्लास्टिक का उपयोग हो रहा है. प्लास्टिक से हजारों वर्षों तक जहरीले पदार्थ निकलते रहते है जो कि जल, वायु एवं पूरे वातावरण को प्रदूषित करता है.

हमें प्लास्टिक का उपयोग बंद करना होगा, सरकार भी प्लास्टिक पर पाबंदी लगा रही है लेकिन जब तक हम जागरूक नहीं होंगे तब तक प्लास्टिक का उपयोग बढ़ता रहेगा.

कार पुलिंग को बढ़ावा दे –

वाहनों की संख्या बढ़ने के कारण ईंधन की खबर भी बहुत अधिक हो गई है और इसके कारण अधिक मात्रा में वायु प्रदूषण हो रहा है. आजकल हर व्यक्ति अपना वाहन लेकर चलता है जो कि वायु प्रदूषण की समस्या को और बढ़ा देता है.

अगर हम पब्लिक वाहनों का उपयोग करें और अगर एक ही ऑफिस में जाते हैं तो एक कार में ही बैठकर जाएंगे से ईंधन की बचत होगी और वायु प्रदूषण भी कम होगा.

ऊर्जा का सही इस्तेमाल करें –

हमें ऊर्जा का सही इस्तेमाल करना होगा बिना वजह ऊर्जा का उपयोग करने से हर प्रकार का प्रदूषण घटता है क्योंकि जितने भी प्रकार के हम इंजन देखते है उन्हें बनाने में बहुत प्रदूषण फैलता हैऔर अपशिष्ट पदार्थ भी निकलता है जो कि जहरीला होता है.

नदियों को साफ करें –

हम सबको मिलजुल कर नदियों तालाबों और समुद्रों को साफ करना होगा, क्योंकि वही से हमें पीने के लिए जल मिलता है और अन्य प्राणियों को भी जल मिलता है.

अगर यही जल जहरीला होने लगा तो तरह-तरह की बीमारियां फैल जाएंगी जो की महामारी का रूप भी ले सकती है इसलिए हमें कूड़ा करकट नदियों और तालाबों में नहीं डालना चाहिए.

वाहनों/मशीनों का रखरखाव पर ध्यान दें –

वाहनों और मशीनों का रखरखाव करना बहुत जरूरी है अगर इनका रखरखाव नहीं किया जाए तो इनसे बहुत अधिक मात्रा में ध्वनि प्रदूषण के साथ-साथ वायु प्रदूषण भी होता है.

हम कुछ रुपए बचाने के लिए अपने पर्यावरण को प्रदूषित कर देते है यह बहुत ही चिंता का विषय है इसलिए हमेशा समय समय पर वाहनों और मशीनों का रखरखाव जरूरी है.

यूरिया खाद का उपयोग कम करे –

किसानों द्वारा खेतों में अधिक पैदावार के लिए यूरिया खाद का उपयोग किया जा रहा है जो की फसल की पैदावार तो अच्छी कर देती है लेकिन भूमि को बंजर कर देती है और साथ ही उस फसल में भी कई प्रकार के जहरीले पदार्थ आ जाते है.

जो सीधे हमारे शरीर में जाते हैं और हमारा स्वास्थ्य बिगड़ जाता है इसलिए किसानों को यूरिया खाद का उपयोग कम करना चाहिए और प्राकृतिक खाद का उपयोग करना चाहिए.

कड़े नियम कानून बनाएं –

भारतीय सरकार ने प्रदूषण को रोकने के लिए कई कानून बनाए हैं लेकिन उन कानूनों कि सही से पालना नहीं होने के कारण प्रदूषण बढ़ रहा है इसलिए हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि प्रदूषण को रोकने के लिए बनाए गए कानूनों की पालना सही से हो रही है या नहीं.

भारतीय सरकार को प्रदूषण के खिलाफ और कड़े कानून बनाने चाहिए क्योंकि अगर प्रकृति ही नहीं रहेगी तो हम भी नहीं रहेंगे इसलिए पर्यावरण को बचाना बहुत जरूरी है.

प्रदूषण के प्रति जागरूकता फैलाएं –

हम सबको मिलजुल कर प्रदूषण के प्रति जागरुकता फैलाने होगी क्योंकि ज्यादातर पढ़े-लिखे लोग यह जानते हैं कि क्या करने से प्रदूषण फैलता है फिर भी वे इस और ध्यान नहीं देते और प्रदूषण फैलाते है.

हमें लोगों को समझाना होगा कि अगर हम यूं ही प्रदूषण फैलाते रहे तो आगे आने वाली पीढ़ी का जीवन मुश्किल में पड़ जाएगा. साथ ही प्रदूषण के कारण हमारा पूरा पर्यावरण भी नष्ट हो रहा है.

इसलिए हमें शहर शहर गांव गांव जाकर लघु नाटको और अन्य तरीकों से लोगों को प्रदूषण के बारे में बताना होगा तभी जाकर प्रदूषण को रोका जा सकता है.

हमारे देश में पर्यावरण प्रदूषण के निराकरण के लिए सरकार ने कई कदम उठाए है, हमारी सरकार ने मध्य प्रदेश में प्रदूषण संस्थान की स्थापना की है जोकि प्रत्येक वर्ष सरकार को प्रदूषण संबंधी जानकारियां देंगी.

जो भी व्यक्ति या संस्थान प्रदूषण बढ़ाने के लिए जिम्मेदार है उन पर सख्त कार्यवाही की जा रही है. वर्तमान में छोटे छोटे शहरों में भी सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाए जा रहे है. साथ ही प्रत्येक वर्ष वृक्षारोपण को बढ़ावा देने के लिए अभियान चलाए जा रहे.

अगर हम सब भी पर्यावरण प्रदूषण को रोकने के लिए सहयोग करें तो वह दिन दूर नहीं जब पर्यावरण में संतुलन आ जाएगा और मानव जीवन के साथ साथ अन्य प्राणियों का जीवन भी खतरे से बाहर हो जाएगा.

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वायु प्रदूषण पर निबंध (Air Pollution Essay in Hindi)

वायु प्रदूषण

वायु प्रदूषण वर्तमान समय पूरे विश्व में विशेषरुप से औद्योगिकीकरण के कारण बड़े शहरों में सबसे बड़ी समस्या है। पर्यावरण में धूंध, धुआं, विविक्त, ठोस पदार्थों आदि का रिसाव शहर के वातावरण को संकेन्द्रित करता है जिसके कारण लोगों को स्वास्थ्य संबंधी खतरनाक बीमारी हो जाती हैं। लोग दैनिक आधार पर बहुत सा गंदा कचरा फैलाते हैं, विशेषरुप से बड़े शहरों में जो बहुत बड़े स्तर पर शहर के वातावरण को प्रदूषित करने में अपना योगदान देता है। मोटर साइकिल (बाइक), औद्योगिक प्रक्रिया, कचरे को जलाना आदि के द्वारा निकलने वाला धुआं और प्रदूषित गैसें वायु प्रदूषण में में अपना योगदान देती हैं। कुछ प्राकृतिक प्रदूषण भी जैसे पराग-कण, धूल, मिट्टी के कण, प्राकृतिक गैसें आदि वायु प्रदूषण के स्त्रोत है।

वायु प्रदूषण पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on Air Pollution in Hindi, Vayu Pradushan par Nibandh Hindi mein)

निबंध 1 (250 – 300 शब्द).

वायु प्रदूषण की परिभाषा

हमारे जीवन के लिए अनिवार्य वायु का, दूषित हो जानावायु प्रदुषण कहलाता है।वायु प्रदूषण के मानव निर्मित साधन उद्योग, कृषि, ऊर्जा सयंत्र, स्वचलित वाहन, घरेलू स्त्रोत आदि है। मानव निर्मित साधनों से कुछ वायु प्रदूषण जैसे धूम्रपान, धूल, धुएं, पार्टिकुलेट पदार्थ, रसोई से गैस, घरेलू ऊष्मा, विभिन्न वाहनों से निकलने वाला धुआं, कीटनाशकों का उपयोग, खर-पतवार को मारने के लिये प्रयोग की जाने वाली विषाक्त गैसें, ऊर्जा संयत्रों से निकलने वाली ऊष्मा, फ्लाई ऐश आदि से होता है।

वायु प्रदूषण के कारण और प्रभाव

फैक्टरियों , वाहनों आदि से निकलने वाला धुआँ वायु प्रदुषण का एक प्रमुख कारण है। ओज़ोन परत का क्षय होना और पेड़ पौधों की अंधाधुंध कटाई भी वायु प्रदुषण का कारन है। वायु हमारे श्वसन के लिए अनिवार्य है। वायु का दूषित होना हमारे लिए संकट खड़ा कर सकता है। 

वायु प्रदूषण पर नियंत्रण

बढ़ते वायु प्रदूषण को रोकने के लिए हमें अधिक से अधिक पेड़ पौधे लहणे चाहिए। हमें पेट्रोलियम की जगह प्राकृतिक गैसों का इस्तेमाल करना चाहिए।औद्योगिक क्षेत्रों की स्थापना रिहायशी इलाकों से दूर होनी चाहिए, लम्बी चिमनी का प्रयोग करने के लिये प्रोत्साहित करना चाहिये।

वायु प्रदूषण को जड़ से खत्म करना हम सब का दायित्व है। वायु प्रदुषण एक विकराल समस्या है , जो हमारे अस्तित्व पर प्रश्न चिन्ह है। अतः सरकार के साथ ही साथ प्रत्येक नागरिक को इस प्रदुषण से निजाद पाने के लिए प्रयास करना चाहिए।

इसे यूट्यूब पर देखें : Essay on Air Pollution in Hindi

निबंध 2 (300 शब्द)

जब शुद्ध ताजी हवा धूल, धुआं, विषैली गैसों, मोटर वाहनों, मिलों और कारखानों आदि के कारण प्रदूषित होती है, तो उसे वायु प्रदूषण कहते हैं। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि, ताजी हवा स्वस्थ्य जीवन का बहुत महत्वपूर्ण तथ्य है, हमें यह सोचने की जरुरत है, तब क्या होगा जब पूरे वातावरण की वायु गंदी हो जायेगी। सबसे पहले वायु प्रदूषण पूरी मानव जाति के लिये बड़े खेद की बात है। वायु प्रदूषण के कुछ प्रमुख बड़े कारकों में भोले किसानों को द्वारा अपनी फसल की ऊपज को बढ़ाने के लिये विषैले उर्वरकों, कीटनाशकों आदि का प्रयोग है। इन उर्वरकों से रासायनिक और खतरनाक गैसें (अमोनिया) निकलती हैं, और वायु में मिलकर वायु प्रदूषण का कारण बनती है।

जीवाश्म ईधन का जलना जैसे; कोयला, पैट्रोलियम जिसमें अन्य कारखानों के जलावन भी शामिल है, आदि वायु प्रदूषण के मुख्य कारक हैं। मोटर वाहनों और स्वचलित वाहनों से निकलने वाला विभिन्न प्रकार का धुआं जैसे कारों, बसों, बाइक, ट्रक, जीप, ट्रेन, हवाई जहाज आदि भी वायु प्रदूषण का कारण हैं। उद्योगों की बढ़ती संख्या के कारण विषैले औद्योगिक धुएं और हानिकारक गैसें (जैसे कार्बन मोनो ऑक्साइड, कार्बनिक यौगिकों, हाइड्रोकार्बन, रसायन, आदि) कारखानों तथा मिलों में से पर्यावरण में छोड़ी जाती हैं। कुछ घरेलू गतिवधियाँ जैसे सफाई करने के लिये अज्ञानतावश सफाई उत्पादकों का प्रयोग करना, कपड़े धोने का पाउडर, पेंट आदि भी बहुत से विषैले रसायनों को वायु में छोड़ता है।

लगातार बढ़ते प्रदूषण के स्तर ने इसके सजीवों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक और हानिकारक प्रभावों को भी बढ़ाया है। वायु प्रदूषण ग्लोबल वार्मिंग के बढ़ने का भी कारण है क्योंकि वातावरण का तापमान ग्रीन हाउस गैसों के स्तर के बढ़ने के कारण ही बढ़ रहा है। ये ग्रीन हाउस गैसें ग्रीन हाउस प्रभाव और बढ़ता हुआ समुद्र का स्तर, ग्लेशियर का पिघलना, मौसम का बदलना, जलवायु का बदलना आदि को फिर से बढ़ाती हैं। बढ़ता हुआ वायु प्रदूषण कई घातक रोगों (कैंसर, हार्टअटैक, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, गुर्दें की बीमारियाँ आदि) और मृत्यु का कारण बन रहा है। बहुत से महत्वपूर्ण पशुओं और पेड़-पौधों की प्रजातियाँ इस ग्रह से पूरी तरह नष्ट हो चुकी हैं। पर्यावरण में हानिकारक गैसों का बढ़ना अम्लीय वर्षा और ओजोन परत के क्षरण का कारण बन रहा है।

निबंध 3 (400 शब्द)

वातावरण की ताजी हवा में हानिकारक और विषैले पदार्थों का लगातार बढ़ना वायु प्रदूषण का कारण है। विभिन्न बाह्य तत्वों, विषाक्त गैसों और अन्य मानवीय क्रियाओं के कारण उत्पन्न प्रदूषण ताजी हवा को प्रभावित करता है जो प्रतिकूलता से फिर मानव जीवन, पेड़-पौधों और पशुओं को प्रभावित करता है। वायु प्रदूषण का स्तर उन सभी प्रदूषणों पर निर्भर करता है जो विभिन्न स्त्रोतों से निकलता है। स्थलाकृति और मौसम की स्थिति प्रदूषण की निरंतरता को बढ़ा रही हैं। उद्योगों में विनिर्माण प्रक्रिया में इस्तेमाल विभिन्न प्रकार के कच्चे माल से हानिकारक गैसों के उत्सर्जन की मात्रा बढ़ती जा रही है। बढ़ता हुआ जनसंख्या घनत्व और अधिक औद्योगिकीकरण की मांग कर रहा है, जो आखिरकार वायु प्रदूषण का कारण बनता है।

वायु प्रदूषण हानिकारक तरल बूंदों, ठोस पदार्थों और विषाक्त गैसों (कार्बन ऑक्साइड, हलोगेनटेड और गैर- हलोगेनटेड हाईड्रोकार्बन, नाइट्रोजन और सल्फर गैसें, अकार्बनिक पदार्थ, अकार्बनिक और कार्बनिक अम्ल, बैक्टीरिया, वायरस, कीटनाशक आदि) का मिश्रण है, जो सामान्यतः ताजी हवा में नहीं पाये जाते और पेड़-पौधों और पशुओं के जीवन के लिये बहुत खतरनाक है। वायु प्रदूषण दो प्रकार का होता है जोकि प्राकृतिक और मानव निर्मित स्त्रोत है। वायु प्रदूषण के कुछ प्राकृतिक स्रोतों जैसे, ज्वालामुखी विस्फोट, ज्वालामुखी (राख, कार्बन डाइऑक्साइड, धुआं, धूल, और अन्य गैसें), रेत संकुचन, धूल, समुद्र और महासागर की लवणीयता, मिट्टी के कण, तूफान, जंगलों की आग, ब्रह्मांडीय कण, किरण, क्षुद्रग्रह सामग्री की बमबारी, धूमकेतु से स्प्रे , पराग अनाज, कवक बीजाणु, वायरस, बैक्टीरिया आदि है।

वायु प्रदूषण के मानव निर्मित साधन उद्योग, कृषि, ऊर्जा सयंत्र, स्वचलित वाहन, घरेलू स्त्रोत आदि है। मानव निर्मित साधनों से कुछ वायु प्रदूषण जैसे धूम्रपान, धूल, धुएं, पार्टिकुलेट पदार्थ, रसोई से गैस, घरेलू ऊष्मा, विभिन्न वाहनों से निकलने वाला धुआं, कीटनाशकों का उपयोग, खर-पतवार को मारने के लिये प्रयोग की जाने वाली विषाक्त गैसें, ऊर्जा संयत्रों से निकलने वाली ऊष्मा, फ्लाई ऐश आदि से होता है। वायु प्रदूषण की संख्या बढ़ने के कारण इसे दो प्रकार में बांटा गया, प्राथमिक प्रदूषण, और द्वितीयक प्रदूषण। प्राथमिक प्रदूषण वो है जो प्रत्यक्ष रुप से ताजी हवा को प्रभावित करता है और धुआं, राख, धूल, धुएं, धुंध, स्प्रे, अकार्बनिक गैसों, कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोआक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, हाइड्रोजन सल्फाइड, अमोनिया, नाइट्रिक ऑक्साइड और रेडियोधर्मी यौगिकों से उत्सर्जित होता है। द्वितीयक प्रदूषक वो हैं जो वायु को अप्रत्यक्ष रुप प्राथमिक कारकों के साथ रासायनिक क्रिया करके जैसे सल्फर ट्राई ऑक्साइड, ओजोन, हाइड्रोकार्बन, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, आदि से प्रभावित करते हैं।

पूरी दुनिया के लोगों के सामूहिक प्रयासों के द्वारा वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है। औद्योगिक क्षेत्रों की स्थापना रिहायशी इलाकों से दूर होनी चाहिए, लम्बी चिमनी का प्रयोग करने के लिये प्रोत्साहित करना चाहिये (फिल्टर और इलेक्ट्रोस्टैटिक प्रेसिपिटेटर्स के साथ), छोटे तापमान सूचकों के स्थान पर उच्च तापमान संकेतकों को प्रोत्साहन, ऊर्जा के अज्वलनशील स्रोतों का उपयोग करना, पैट्रोल में गैर-नेतृत्वकारी एन्टीनॉक ऐजेंट के प्रयोग को बढ़ावा देना, वृक्षारोपण को बढ़ावा देना और भी बहुत से सकारात्मक प्रयासों को करना।

Essay on Air Pollution in Hindi

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  • प्रदूषण पर निबंध (Essay on Pollution in Hindi): हिंदी में प्रदूषण पर 200-500 शब्दों में निबंध

Updated On: September 02, 2024 06:32 pm IST

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प्रदूषण पर निबंध हिंदी में 500+ शब्दों में (Long Essay on pollution in Hindi)

प्रस्तावना (introduction), प्रदूषण पर निबंध (essay on pollution in hindi) - प्रदूषण की वर्तमान स्थिति.

प्रदूषण हमारे जीवन के उन प्रमुख विषयों में से एक है, जो इस समय हमारी पृथ्वी को व्यापक स्तर पर नकारात्मक रूप से प्रभावित कर रहा है। यह एक ऐसा मुद्दा है जो लंबे समय से चर्चा व चिंता का विषय रहा है तथा 21वीं सदी में इसका हानिकारक प्रभाव बड़े पैमाने पर महसूस किया जा रहा है। हालांकि विभिन्न देशों की सरकारों ने इसके प्रभाव को रोकने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, लेकिन अभी भी इस समस्या के समाधान करने के लिए एक लंबा रास्ता तय करना बाकी है।

इससे कई प्राकृतिक प्रक्रियाओं में गड़बड़ी आती है। इतना ही नहीं, आज कई वनस्पतियां और जीव-जंतु या तो विलुप्त हो चुके हैं या विलुप्त होने की कगार पर हैं। प्रदूषण की मात्रा में तेजी से वृद्धि के कारण पशु तेजी से न सिर्फ अपना घर खो रहे हैं, बल्कि जीवित रहने लायक प्रकृति को भी खो रहे हैं। प्रदूषण ने दुनिया भर के कई प्रमुख शहरों को प्रभावित किया है। इन प्रदूषित शहरों में से अधिकांश भारत में ही स्थित हैं। दुनिया के कुछ सबसे प्रदूषित शहरों में दिल्ली, कानपुर, बामेंडा, मॉस्को, हेज़, चेरनोबिल, बीजिंग आदि शामिल हैं। हालांकि इन शहरों ने प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए कई कदम उठाए हैं, मगर फिर भी उन्हें अभी एक लंबा रास्ता तय करना है। इन स्थानों की वायु गुणवत्ता खराब है और भूमि तथा जल प्रदूषण में भी बढ़ोतरी देखी जा रही है। अब समय आ गया है कि इन शहरों से प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए, यहाँ मौजूद प्रशासन एक ठोस रणनीति तैयार करके उसपर अमल करें।

प्रदूषण के कारण (Due to Pollution)

प्रदूषण होने के पीछे कई बड़े कारण हैं। ये वो कारण हैं जिसने प्रदूषण जैसी गंभीर समस्या को जन्म दिया है। प्रदूषण ने प्रकृति और मानव जीवन में ज़हर के समान दूषित और जहरीले तत्वों को घोलकर हमें मौत के नज़दीक लाकर खड़ा कर दिया है। प्रदूषण के बड़े कारणों में निम्नलिखित कारण शामिल हैं, जैसे-

  • वनों को तेजी से काटना
  • कम वृक्षारोपण
  • बढ़ती जनसंख्या
  • बढ़ता औद्योगिकीकरण
  • प्रकृति के साथ छेड़छाड़
  • कारखाने, वाहन और मशीनें
  • वैज्ञानिक संसाधनों का अधिक उपयोग
  • कीटनाशकों का बढ़ता उपयोग
  • तेजी से बढ़ता शहरीकरण
  • प्राकृतिक संसाधनों की बढ़ती खपत

ये सभी वो कारण हैं जिन्होंने प्रदूषण को बढ़ावा दिया है। इनके अलावा न जाने और कितने ही ऐसे छोटे-बड़े कारण हैं जिनका अंदाज़ा लगा पाना मुश्किल है। एक सबसे गंभीर कारण है और वो है देश की बढ़ती हुई जनसंख्या। ये वो कारण है जिसकी वजह से तेजी से पेड़ों की कटाई की जा रही है, औद्योगिकीकरण को और तेज़ किया जा रहा, मशीनों के प्रयोग में लगातार बढ़ोत्तरी की जा रही है, गांवों को धीरे-धीरे खत्म करके उन्हें शहर में बदला जा रहा है, लोग रोज़गार के लिए अपने गांवों को छोड़कर शहरों में जा रहे हैं, प्राकृतिक संसाधनों और खनिजों का उपयोग लोग असीमित मात्रा में कर रहे हैं जिस वजह से प्रदूषण का स्तर लगातर बढ़ता ही जा रहा है। पर्यावरण को शुद्ध करने के लिए पेड़-पौधे सबसे अहम भूमिका अदा करते हैं लेकिन हम मानव जाति के लोग अपनी ज़रूरतों के लालच में इन्हें बढ़ी ही बेरहमी से खत्म कर रहे हैं।

प्रदूषण को रोकने में यूएनओ की भूमिका (UNO's role in Preventing Pollution)

संयुक्त राष्ट्र ने वायु प्रदूषण कम करने और सांस लेने के लिए स्वच्छ हवा की उपलब्धता सुनिश्चित करने के इरादे से  साझेदार संगठनों के साथ मिलकर सरकारों से ‘क्लीन एयर इनिशिएटिव’ से जुड़ने का आह्वान किया है। सितंबर में यूएन जलवायु शिखर वार्ता से पहले सरकारों से वायु की गुणवत्ता को सुनिश्चित करने की अपील की गई है ताकि नागरिकों के स्वास्थ्य की रक्षा हो सके और 2030 तक जलवायु परिवर्तन और वायु प्रदूषण नीतियों में एकरूपता लाई जा सके। सरकार हर स्तर पर ‘Clean Air Initiative’ या ‘स्वच्छ वायु पहल’ में शामिल हो सकती है और कार्रवाई के लिए संकल्प ले सकती है। उदाहरण के तौर पर:

वायु की गुणवत्ता और जलवायु परिवर्तन की नीतियों को लागू करने से ताकि विश्व स्वास्थ्य संगठन के वायु गुणवत्ता के लिए निर्धारित मानक हासिल किए जा सकें।

ई-मोबिलिटी और टिकाऊ मोबिलिटी नीतियों और कारर्वाई को लागू करने से ताकि सड़क परिवहन के ज़रिए होने वाले उत्सर्जन में कमी लाई जा सके।

प्रगति पर नज़र रखना, अनुभवों और बेस्ट तरीक़ों को एक अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क के ज़रिए साझा करना।

प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए उठाए गए प्रमुख कदम (Steps taken to Curb Pollution)

बसों में परियायंत्र फिल्ट्रेशन इकाइयों (Pariyayantra Filtration Units) की स्थापना: एक प्रायोगिक अध्ययन के हिस्से के रूप में 30 बसों की छतों पर परियायंत्र फिल्ट्रेशन इकाइयों को इनस्टॉल किया गया।

यातायात चौराहों पर ‘WAYU’ वायु शोधन इकाइयाँ: दिल्ली के प्रमुख यातायात चौराहों पर रणनीतिक रूप से कुल 54 ‘WAYU’ वायु शोधन इकाइयाँ स्थापित की गई हैं।

परिवेशी वायु प्रदूषण में कमी के लिये आयनीकरण तकनीक: इस तकनीक का उद्देश्य आयनीकरण प्रक्रियाओं के माध्यम से प्रदूषकों को निष्प्रभावी करना है जिससे लक्षित क्षेत्रों में वायु की गुणवत्ता में वृद्धि होती है।

इलेक्ट्रिक वाहन (EV) स्वायत्त प्रौद्योगिकी में प्रगति: EV-आधारित स्वायत्त वाहनों पर केंद्रित एक स्वायत्त नेविगेशन फाउंडेशन की स्थापना DST अंतःविषयक साइबर-भौतिक प्रणालियों पर राष्ट्रीय मिशन (National Mission on Interdisciplinary Cyber-Physical Systems- NM-ICPS) के तहत की गई थी।

प्रदूषण पर निबंध (Essay on pollution in Hindi)- प्रदूषण के प्रकार (Types of Pollution)

वायु प्रदूषण: वायु प्रदूषण मुख्य रूप से वाहनों से गैस के उत्सर्जन के कारण होता है। बेहद ही हानिकारक गैस कारखानों और उद्योगों में उप-उत्पाद के रूप में उत्पादित होती हैं, प्लास्टिक और पत्तियों जैसे जहरीले पदार्थों को खुले में जलाने से, वाहनों के एग्जॉस्ट से, रेफ्रीजरशन उद्योग में उपयोग किए जाने वाले सीएफ़सी से वायु प्रदूषण में बढ़ोतरी होती है।

हाल के दशक में बेहतर आय की वजह से भारत में सड़कों पर वाहनों की संख्या में बेतहाशा बढ़ोतरी देखी गई है। ये सल्फर डाइऑक्साइड तथा कार्बन मोनोऑक्साइड जैसी हानिकारक गैसों को फैलाने के लिए भी जिम्मेदार हैं। ये गैसें पृथ्वी के वायुमंडल में ऑक्सीजन की मात्रा को कम करने के लिए जिम्मेदार हैं। इनकी वजह से सांस लेने की कई समस्याएं, श्वसन रोग, कई प्रकार के कैंसर आदि जैसी बीमारियाँ तेजी से पनप रही हैं। ध्वनि प्रदूषण: वायु प्रदूषण में योगदान देने के अलावा, भारतीय सड़कों पर बड़ी संख्या में मौजूद वाहन, ध्वनि प्रदूषण में भी भरपूर योगदान देते हैं। यह उन लोगों के लिए खतरनाक है जो शहरी क्षेत्रों में या राजमार्गों के पास रहते हैं। यह लोगों में चिंता और तनाव जैसे संबंधित मुद्दों का कारण बनता है। ध्वनि प्रदूषण दो प्रकार से होता है- प्राकृतिक स्रोतों से तथा मानवीय क्रियाओं से। 1. प्राकृति स्रोतों से - बादलों की बिजली की गर्जन से, अधिक तेज वर्षा, आँधी, ओला, वृष्टि आदि से शोर गुल अधिक होता है। 2. मानवीय क्रियाओं द्वारा - शहरी क्षेत्रों में स्वचालित वाहनों, कारखानों, मिलों, रेलगाड़ी, वायुयान, लाउडस्पीकार, रेडियों, दूरदर्शन, बैडबाजा, धार्मिक पर्व, विवाह उत्साह, चुनाव अभियान, आन्दोलन कूलर, कुकर आदि से ध्वनि प्रदूषण होता है।

जल प्रदूषण: जल प्रदूषण आजकल मनुष्यों के सामने मौजूद सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है। सीवेज अपशिष्ट, उद्योगों या कारखानों आदि के कचरे को सीधे नहरों, नदियों और समुद्रों जैसे जल निकायों में डाला जा रहा है। इसके परिणामस्वरूप समुद्री जीव जंतुओं के आवास का नुकसान हो रहा है और जल निकायों में घुली ऑक्सीजन का स्तर भी घट रहा है। पीने योग्य पानी की कमी जल प्रदूषण का एक बड़ा दुष्प्रभाव है। लोग प्रदूषित पानी पीने को मजबूर हैं जिससे हैजा, डायरिया, पेचिश आदि रोग होने का खतरा बना रहता है।

भूमि प्रदूषण: भारतीय आबादी का एक बहुत बड़ा हिस्सा कृषि पर निर्भर है। इस काम के लिए, किसान बहुत सारे शाकनाशी, उर्वरक, कवकनाशी और अन्य समान प्रकार के रासायनिक यौगिकों का उपयोग करते हैं। इनके इस्तेमाल से मिट्टी दूषित होती है और इससे मिट्टी आगे फसल उगाने लायक नहीं रह जाती। इसके अलावा, अगर अधिकारी जमीन पर पड़े औद्योगिक या घरेलू कचरे को डंप नहीं करते हैं, तो यह भी मिट्टी के प्रदूषण में बड़ा योगदान देता है। इसकी वजह से मच्छरों के प्रजनन में वृद्धि होती है, जो डेंगू जैसी कई जानलेवा बीमारियों का कारण बनता है। प्रकाश प्रदूषण: बढ़ती बिजली की जरुरत और काम के लिए बढ़ती प्रकाश की जरुरत भी प्रकाश प्रदुषण कारण है। बढ़ती गाड़ियों के कारण हाई वोल्ट के बल्ब का इस्तेमाल, किसी कार्यक्रम में जरुरत से ज्यादा डेकोरेशन करना, एक कमरे में अधिक बल्ब को लगाना आदि भी प्रदूषण के कारण है। रेडियोएक्टिव प्रदूषण: ठोस, तरल या गैसीय पदार्थ में जहाँ अनायास या अवांछनीय रेडियोधर्मी पदार्थ की उपस्थिति होती है, उसे रेडियोएक्टिव प्रदूषण कहते हैं। इसका प्रभाव पर्यावरण, जीव जन्तुओं और मनुष्यों पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। थर्मल प्रदूषण: ओधोगिकी के कारण थर्मल प्रदूषण फैलता है। पेट्रोलियम रिफाइनरी, पेपर मील्स, शुगर मील्स, स्टील प्लांट्स जैसे ओधोगिकी पानी का इस्तेमाल करते हैं। या तो उस पानी को गर्म किया जाता है या उपकरणो को ठंडा करने केलिए इस्तेमाल किया जाता है। और फिर उस पानी को नदी में बहा दिया जाता है। इससे पानी की तापमान में वृद्धि होती है और पानी प्रदूषित होता है और इसमें थर्मल पावर प्लांट के कारण भी पानी प्रदूषित होता है। दृश्य प्रदूषण: दृश्य प्रदूषण मनुष्यों के देखने वाले क्षेत्रों में नकारात्मक बदलाव करने पर होते हैं। जैसे हरे भरे पेड़ पौधों को काट देना, मोबाइल आदि के टावर लगा देना। बिजली के खम्बे, सड़क आदि स्थानों में बिखरे कचरे आदि इस श्रेणी में आते हैं। यह एक तरह के बनावट के कारण भी होता है, जिसे बिना पर्यावरण आदि को देखे ही बना दिया जाता है। जैसे किसी स्थान पर केवल इमारत, मकान आदि का होना।

प्रदूषण पर निबंध (Pradushan Par Nibandh) - प्रदूषण पर प्रतिबंध लगाने के विभिन्न तरीके

  • वाहनों का प्रयोग सीमित करें: वाहन प्रदूषण का एक प्रमुख कारण है। वाहनों का प्रयोग कम से कम करें। यदि संभव हो, तो उन्हें व्यक्तिगत उपयोग के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों से बदलने का प्रयास करें। आने-जाने के लिए ज्यादा से ज्यादा सार्वजनिक परिवहन का प्रयोग करें।
  • अपने आस-पास साफ-सफाई रखें: एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते यह हमारा कर्तव्य होना चाहिए कि हम अपने घर के आस-पास के क्षेत्र को साफ-सुथरा रखें। हमें कचड़ा इधर-उधर फेंकने की बजाय कूड़ेदान में फेकना चाहिए।
  • पेड़ लगाएं: कई कारणों से पेड़ों की कटाई जैसे सड़कों का चौड़ीकरण, घर बनाना आदि के कारण विभिन्न प्रकार के प्रदूषण में वृद्धि हुई है। पौधे वातावरण में मौजूद कार्बन मोनोऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड आदि जैसे हानिकारक गैसों को अवशोषित करते हैं। चूंकि वे प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया के दौरान ऑक्सीजन छोड़ते हैं, इसलिए हमारे लिए यह महत्वपूर्ण है कि हम अधिक से अधिक मात्रा में पेड़ लगाएं और उनकी देखभाल करें।
  • पटाखों का इस्तेमाल बंद करें: जब आप दशहरा, दिवाली या किसी अन्य अवसर पर त्योहार मनाते हैं, तो पटाखों का इस्तेमाल ना करें। यह ध्वनि, मिट्टी के साथ-साथ प्रकाश प्रदूषण का कारण बनता है। साथ ही इसका हमारे स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।
  • प्रदूषण को कम करने के लिए हमें अपने गांवों को बचाकर रखना होगा, वहाँ की हरियाली को खत्म होने से रोकना होगा और शुद्ध हवा और पानी को दूषित होने से बचाना होगा। इन छोटे-छोटे प्रयासों से ही हम प्रदूषण को खत्म करने के अपने सपने को पूरा कर सकेंगे।

निष्कर्ष (Conclusion)

उपरोक्त सभी बातों को पढ़कर हम निष्कर्ष के तौर पर यह कह सकते हैं कि पर्यावरण को दूषित होने से रोकने के लिए हमें मिलकर छोटे-छोटे प्रयास करने की ज़रूरत है, तभी देश में कोई बड़ा परिवर्तन लाया जा सकता है। हमेशा किसी बड़े बदलाव की शुरुआत एक छोटे रूप में ही होती है। प्रकृति को कुदरत और ईश्वर दोनों ने ही मिलकर इस उम्मीद से रचा है कि हम मनुष्य उसके साथ बिना कुछ गलत किए उसकी हमेशा रक्षा करेंगे और उसकी शुद्धता, सुंदरता और नवीनता को बरकरार रखेंगे। इसलिए आइये मिलकर शुरुआत करें और पर्यावरण को स्वच्छ बनाने में सहयोग करें।

प्रदूषण पर निबंध हिंदी में 250+ शब्दों में (Short Essay on pollution in Hindi)

प्रदूषण पर निबंध (Essay on pollution in Hindi)- हम सभी इस बात को लेकर चिंचित हैं कि हमारे देश में प्रदूषण एक गंभीर समस्या बन चुका है। प्रदूषण की समस्या बड़े शहरों में ज़्यादा बढ़ गई है। शहरों में निवास कर रहे लोगों पर प्रदूषण इस कदर हावी हो चुका है कि अब वह उनके स्वास्थ्य को भी खराब करने लगा है। इसीलिए शहरो में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए अब वहाँ के लोगों में प्रदूषण के प्रति जागरूकता फैलाना बेहद ज़रूरी हो गया है। प्रदूषण से न सिर्फ मनुष्यों को बल्कि सभी प्राकृतिक चीज़ें जैसे पेड़-पौधे, जानवर, हवा, पानी, मिट्टी, खाने-पीने की चीज़ें आदि सभी को हानि पहुँच रही है। जो प्राकृतिक घटनाएँ, आपदाएँ, महामारियाँ आदि समय-समय पर अपना प्रकोप दिखाती हैं, उसके लिए भी प्रदूषण को ही जिम्मेदार ठहरना गलत नही होगा।

शहरों में प्रदूषण

वाहन परिवहन के कारण शहरों में प्रदूषण की दर गांवों की तुलना में अधिक है। कारखानों और उद्योगों के धुएं शहरों में स्वच्छ हवा की गुणवत्ता को प्रभावित कर रहे हैं और इसे सांस लेने के लायक नहीं बनाते हैं। बड़ी सीवेज प्रणाली से गंदे पानी, घरों से निकलने वाला कचरा, कारखानों और उद्योगों के उत्पादों द्वारा नदियों, झीलों और समुद्रों में पानी को विषाक्त और अम्लीय बना दिया जाता है।

गांवों में प्रदूषण

हालाँकि शहरों की तुलना में गाँवों में प्रदूषण की दर कम है, लेकिन तेजी से हो रहे शहरीकरण के परिणामस्वरूप गाँवों का स्वच्छ वातावरण भी प्रदूषित हो रहा है। कीटनाशकों और उर्वरकों के परिवहन और उपयोग में वृद्धि ने गाँवों में हवा और मिट्टी की गुणवत्ता को अत्यधिक प्रभावित किया है। इसने भूजल के दूषित होने से विभिन्न बीमारियों को जन्म दिया है।

प्रदूषण की रोकथाम

शहरों और गांवों में प्रदूषण को केवल लोगों में सामाजिक जागरूकता बढ़ाने से रोका जा सकता है। प्रदूषण कम करने के लिए वाहन के उपयोग को कम करने, अधिक पेड़ लगाने, उर्वरकों और कीटनाशकों के उपयोग को सीमित करने, औद्योगिक कचरे का उचित निपटान आदि जैसी पहल की जा सकती हैं। सरकार को हमारे ग्रह को प्रदूषण के खतरों से बचाने के लिए प्लास्टिक और पॉलिथीन के उपयोग पर भी प्रतिबंध लगाना चाहिए।

  • आजकल बढ़ती आधुनिकता के कारण प्रदूषण की मात्रा अत्यधिक बढ गई है।
  • पेड़-पौधों के काटे जाने से या नष्ट कर देने से स्वच्छ वायु नहीं मिल पाती जिससे प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है।
  • घर से निकलने वाले कूड़े कचरे को नदियों में बहा देने से भी जल प्रदूषण काफी ज्यादा बढ़ गया है।
  • जगह-जगह कूड़ा कचरा फेंकने से प्रकृति दूषित होती जा रही है।
  • बढ़ते प्रदूषण के कारण वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड जेैसी जहरीली गैसों की मात्रा लगातार बढ़ती जा रही है।
  • कारखानों के अधिक विकास के कारण वायु प्रदूषण की काफी मात्रा बढ़ गई है जिसके कारण आम लोग परेशान है।
  • बढ़ते प्रदूषण के कारण कई प्रकार की बीमारियां पैदा हो रही है जिनका इलाज कर पाना मुश्किल हो रहा है।
  • हमारे देश में रोजाना करोड़ों टन कूड़ा करकट निकलता है जो कि प्रदूषण का कारण बनता है।
  • जल प्रदूषण के कारण समुद्री जीवो पर भी प्रदूषण का प्रभाव देखने को मिल रहा है।
  • बढ़ते उद्योग धंधे नदियों में अपने दूषित जल को छोड़ते हैं जिससे जल प्रदूषण बढ़ रहा है।

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Essay on pollution in hindi प्रदूषण पर निबंध.

Students today we are going to discuss very important topic i.e essay on pollution in Hindi. What is pollution? How can we control pollution? Write an essay on pollution in Hindi as Pollution essay in Hindi is asked in many exams. The long essay on Pollution in Hindi is defined in more than 200, 300, 500, 700, 800, 1000 words. Learn essay on pollution in Hindi for class 10 and think how you can control pollution. Essay on pollution in Hindi is asked in 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 and 12. प्रदूषण एक समस्या और प्रदूषण पर हिन्दी में निबंध (Pradushan Par Nibandh).

hindiinhindi Essay on Pollution in Hindi

Essay on Pollution in Hindi 200 Words

विचार-बिंदु – • भूमिका • विकट समस्या • कारण • निवारण।

प्रदूषण का अर्थ है – दूषित होना। पर्यावरण-प्रदूषण का अर्थ है-वातावरण के प्राकृतिक संतुलन में गड़बड़ी पैदा होना। शुद्ध जलवायु में दूषित तत्वों का मिल जाना। प्रदूषण मुख्यतः तीन प्रकार का होता है – वायु-प्रदूषण, जल – प्रदूषण तथा धवनि प्रदूषण। शहरीकरण तथा वैज्ञानिक प्रगति प्रदूषण फैलने के दो बड़े कारण हैं। एक अन्य बड़ा कारण है – बढ़ती जनसँख्या। इस कारण वातावरण में इतना मल, कचरा, धुआँ और गंद जमा हो जाता है कि मनुष्य के लिए स्वस्थ में साँस लेना दूभर हो जाता है। जल-प्रदूषण से सभी नदियाँ, नहरें, भूमि दूषित हो रही हैं। परिणामस्वरूप हमे प्रदूषित फसलें मिलती हैं और गंदा जल मिलता है। आजकल वाहनों, भोंपुओं, फैक्टरियों और मशीनों के सामूहिक शोर से रक्तचाप, मानसिक तनाव, बहरापन आदि बीमारियाँ बढ़ रही हैं। प्रदूषण से मुक्ति के उपाय हैं – आसपास पेड़ लगाना। हरियाली को अधिकाधिक स्थान देना। अनावश्यक शोर को कम करना। विलास की वस्तुओं की बजाय सादगीपूर्ण ढंग से जीवनयापन करना। घातक बीमारियाँ पैदा करने वाले उद्योगों को बंद करना। परमाणु विस्फोटों पर रोक लगाना आदि।

Essay on Pollution in Hindi 300 Words

पर्यावरण प्रदूषण उस स्थिति को कहते हैं जब मानव द्वारा पर्यावरण में अवांछित तत्वों की उपस्तिति अत्यधिक मात्रा में बढ़ जाती है। प्रदूषण कई प्रकार का होता है जैसे- वायुप्रदूषण, जल-प्रदूषण और ध्वनि-प्रदूषण इत्यादि। प्रदूषण की समस्या आज मानव समाज के सामने खड़ी सबसे गंभीर समस्याओं में से एक है। पिछले कुछ दशकों में प्रदूषण तेजी से बढ़ता जा रहा है,जो कि ना केवल भारत अपितु पूरे विश्व के लिए एक गंभीर समस्या है। इस भयंकर सामाजिक समस्या का मुख्य कारण औद्योगीकरण, वनों की कटाई, शहरीकरण, और प्राकृतिक संसाधन को गन्दा करने वाले उत्पादों का सामान्य जीवन में इस्तेमाल का बढ़ना है।

पुरातन कल में, प्रकृति से संसाधनों को प्राप्त करना मनुष्य के लिए सामान्य बात थी। उस समय बहुत कम लोग ही यह सोच सके थे कि संसाधनों का अंधाधुंध उपयोग मानव जाती के लिए इतनी बड़ी समयस्या खड़ी कर सकता है। हम जितना भी प्रकृति से लेते थे, प्रकृति उतने संसाधन दोबारा पैदा कर देती थी। ऐसा लगता था कि प्रकृति का भंडार असीमित है जो कभी ख़त्म ही नहीं होगा लेकिन जैसे-जैसे जनसंख्या बढ़ने लगी, प्राकृतिक संसाधनों का दोहन बढ़ता ही चला गया। वनों को अंधाधुन्द काटा जाने गया, अपनी जरुरतो के लिए प्रकति को नुकसान पहचाया गया। मानव दवारा मशीनों के निर्माण ने इस काम में और तेजी ला दी।

औद्योगिक क्रांति का प्रभाव लोगों को पर्यावरण पर दिखने लगा। जंगल खत्म होने लगे। उसके बदले बड़ी-बड़ी इमारतें, कल-कारखाने खुलने लगे और प्रदूषण की समस्या हमारे सर पर आकर खड़ी हो गई, जिसे कम करना हमारे लिए बहुत ही मुश्किल होता जा रहा है, हलाकि सरकार निरंतर इस प्रयास में जुड़ी है।

वायु प्रदुषण – जिसका मुख्य कारण है बढ़ रही ऑटोमोबाइल की संख्या, ज़हरीली गैसों की उपस्तिति, औद्योगिक कंपनियों का धुआं इत्यादि का वातावरण में होना। जिस हवा में हरपल हम साँस लेते है वो हमारे फेफड़ों संबंधी विकार का कारण बनती जा रही है।

जल प्रदूषण भी विभिन्न कारणों से होता है। जैसे की पीने के पानी में जीवाणु, वायरस व हानिकारक रसायन ग्रसित तत्वों का होना, कुछ खतरनाक कीटनाशक, शाकनाशी, कवकनाशी, ईथर बेंजीन जैसे कार्बनिक मिश्रण, रेडियम और थोरियम सहित औद्योगिक राख, कचरा, मलबा इत्यादि जो कि पीने के पानी को भी जहर बनाती जा रही है।

ध्वनि प्रदूषण का मुख्य कारण है – बढ़ती आबादी के कारण निरंतर होने वाला शोरगुल, कल-कारखानों से निकली आवाज़, वाहनों का शोर, उपकरणों की आवाज़ और चारों दिशाओं से आनेवाली विभिन्न प्रकार की आवाजें महानगरों में तो ध्वनि-प्रदूषण अपनी चरम सीमा को पार कर रहा है।

प्रदुषण से अलग-अलग तरह की खतरनाक बीमारियाँ जैसे कि कैंसर, पार्किंसंस रोग, दिल का दौरा, सांस की तकलीफ, खांसी, आंखों में जलन, और एलर्जी आदि बढ़ती ही जा रही है। जबतक हम स्वयं प्रदुषण की रोकथाम के लिये कोई कदम नहीं उठाते तबतक हम इस समस्या को दूर नहीं कर सकते। अतः सिर्फ सरकार पर निर्भर ना रहते हुए हम सभी को मिलकर इसे कम करने का प्रयास करना चाहिए, अन्यथा मानव जाती का बच पाना बहुत ही मुश्किल होगा।

Essay on Pollution in Hindi 500 Words

प्रदूषण आज की दुनिया की एक गंभीर समस्या है। प्रदूषण प्राकृतिक वातावरण को दूषित करता है जो की हमारे सामान्य जीवन के लिए महत्वूर्ण है। प्रदूषण मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते हैं: वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण और मृदा प्रदूषण। हाल के वर्षों में ध्वनि प्रदूषण भी एक प्रमुख प्रदूषक के रूप में भी देखा जा रहा है।

वायु प्रदूषण : वायु प्रदूषण किसी भी प्रकार के हानिकारक पदार्थों जैसे कल कारखानों और परिवहन से निकलने वाली धुंआ, कचरे को जलाने से निकलने वाली धुंआ और प्रदूषित गैस को वातावरण में मिलाना है जिससे ताजी हवा प्रदूषित होती है। वायु प्रदूषण से मनुष्य का स्वास्थ्य, जीवन की गुणवत्ता आदि बड़े स्तर पर प्रभावित होती है। वायु प्रदूषण से कई सारी बीमारियाँ उत्पन्न होती है।

जल प्रदूषण : जल प्रदूषण से अभिप्राय यह है कि जल निकायों जैसे कि नदियों, झीलों, समुद्रों, और भूजल के पानी के दूषित होने से है। जल प्रदूषण कई कारणों से होता है जैसे की कारखानों का कचरा समुद्र और झीलों में जाकर मिल जाना, लोगो द्वारा कचरा समुद्रों में फेका जाना इत्यादि। धरती पर जल प्रदूषण लगातार एक बढ़ती समस्या बनती जा रही है जो सभी पहलुओं से मानव और जीव-जन्तुओं को प्रभावित कर रही है।

मृदा प्रदूषण : मिट्टी इस धरती पर मौजूद सभी जीव-जन्तुओं और मानव जीवन के लिये बेहद आवश्यक है। उचित ज्ञान के बिना रासायनिक उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग से मिट्टी की गुणवत्ता खराब हो रही है। जैसे कि रसायनिक खाद, कीटनाशक दवाइयाँ, औद्योगिक कचरों आदि के इस्तेमाल के द्वारा छोड़े गये जहरीले तत्वों के माध्यम से मिट्टी प्रदूषित होती जा रही है जिससे भूमि की उर्वरता को बुरी तरह से प्रभावित कर रहा है।

ध्वनि प्रदूषण : पश्चिमीकरण ने जोर से संगीत की सनक को जन्म दिया है जो की ध्वनि प्रदूषण का एक घटक है। अत्यधिक शोर मानव स्वास्थ्य और जीव जंतुओं के लिये हानिकारक होता है। ध्वनि प्रदूषण इन कारणों से होता है:- घरेलू मशीनों से निकलने वाली शोर, निर्माण गतिविधियों, परिवहन, तेज आवाज में संगीत सुनना आदि के द्वारा ध्वनि प्रदूषण होता है। ध्वनि प्रदूषण से सबसे ज्यादा नुकसान कान को होता है जिससे कभी-कभी कान के परदे खराब हो जाने के कारण हमेशा के लिये सुनने की क्षमता चली जाती है।

यह सभी तरह के प्रदूषण मानव और जीव जंतुओं के लिए एक अभिशाप की तरह काम कर रहा है। प्रदूषण विभिन्न प्रकार के बीमारी जैसे की कैंसर, उच्च रक्तचाप, सांस की बीमारी, गुर्दा रोग महामारी त्वचा रोग आदि होने का कारण है।

हमें प्रदूषण को गंभीरता से निपटने की जरूरत है अन्यथा हमारी आने वाली पीढ़ी को बहूत दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। यह बड़े सामाजिक मुद्दे को जड़ से खत्म करने और इससे निजात पाने के लिए सार्वजनिक स्तर पर सामाजिक जागरूकता कार्यक्रम करने की आवश्यकता है ताकि लोग प्रदूषण से होने वाले नुकसान को जान सकें और अपना व पर्यावरण की रक्षा कर सकें।

हमें प्रदूषण के दुष्प्रभाव से बचने के लिए सरकार द्वारा लागू किए गए सभी नियंत्रण के उपायों का पालन करना चाहिए ताकि हम और हमारी आने वाली पीढ़ियाँ सुरक्षित रह सकें।

Long Essay on Pollution in Hindi 700 Words

“देकर शुद्ध हवा फल-फूल, हम सबको सुख बाँटते हैं। मत काटो इन पेड़-पौधों को, ये हम सबके दुःख काटते हैं।”

सृष्टि की रचना के उपरान्त मनुष्य ने कुदरत की गोद में आँखें खोली तो चारों तरफ स्वच्छ वायु, निर्मल जल और उज्वल प्रकाश का वरदान पाया। मनुष्य ने हिंसक पशुओं की मार से बचने के लिए, उनसे शीतल छाया लेने के लिए वृक्षों का सहारा लिया। झोंपड़ी बनाकर मनुष्य ने स्वयं को गर्मी, आँधी, वर्षा, सर्दी के संकट से तो बचाया ही साथ ही फ़ल-सब्जियां खाकर पत्तों का आवरण बनाकर जीवन बसर किया।

प्रदूषण के कारण

आज विज्ञान के युग में मनुष्य ने पृथ्वी, आकाश तथा जल पर अपना आधिपत्य जमा लिया है तथा मनुष्य की सुख-सुविधा के लिए अनेक मशीनों एवं आविष्कारों को जन्म दिय जो कि प्रदूषण के प्रमुख कारण बन गए। लेकिन मनुष्य ने भौतिक सुखों की होड़ में इसे दूषित कर दिया है। आज विकास तो हो रहा है परन्तु मनुष्य के स्वास्थ्य के बदले, प्रदूषण के बदले, गैस काण्डों तथा एटम शक्ति के खतरे के बदले।

प्रदूषण के प्रकार : प्रदूषण मुख्य चार प्रकार के हैं –

1. वायु प्रदूषण 2. जल प्रदूषण 3. ध्वनि प्रदूषण 4. भूमि प्रदूषण

वायु प्रदूषण

मनुष्य ने कपड़ा, लोहा, सीमेंट, कागज़, कल – पुर्जे, बिजली आदि निर्माण के लिए बड़े-बड़े कारख़ाने तैयार किए। इन कारखानों एवं महानगरों में ट्रैफ़िक द्वारा बहुत बड़ी मात्रा में धुआँ निकलता है, जो वायुमंडल को दूषित करता है। विषैली गैसें वातावरण में तापमान को बढ़ाती हैं। वायु हमारे प्राणों का आधार है। वायुमंडल में ऑक्सीजन की मात्रा का घटना और कार्बनडाईऑक्साइड की मात्रा का बढ़ना अनेक रोगों को जैसे रक्तचाप, कैंसर, टी. वी., श्वास रोग को आमंत्रण देता है। सुविधाभोगी जिन्दगी जीने की चाह ने वातावरण की ओजोन परत में छेद कर दिया जो कि वायु प्रदूषण का ही प्रभाव है।

“जीवन देने वालों को, न तुम बलि चढ़ाओ। संरक्षण देकर इन्हें, स्वजीवन सुखी बनाओ।”

कारख़ानों के उत्पादन के बाद बचे हुए रासायनिक पदार्थों और कचरे को नदियों में बहाने से तालाब आदि जलाशय दूषित होते हैं। प्रतिदिन करीब बीस हजार (20,000) लोग गंदा पानी पीने से मर रहे हैं। 80 फ़ीसदी बीमारियाँ डाइरिया, मलेरिया, पीलिया आदि जल प्रदूषण की ही देन है।

ध्वनि-प्रदूषण

ध्वनि प्रदूषण का मुख्य कारण है। यातायात के साधन, कल-कारख़ानों में चलने वाली बड़ी-बड़ी मशीनें, लाउड-स्पीकर, रेडियो, वायुयानों का शोर आदि। आज का मनुष्य हवाई जहाज़, रेलगाड़ी, मोटर, कारों, टी. वी. और रेडियो के असहनीय शोर में रहने को मजबूर | है। जिससे सिरदर्द, बहरापन आदि रोग हो जाते हैं।

भूमि (मिट्टी) प्रदूषण

भूमि-प्रदूषण ने पर्यावरण को अत्यधिक क्षति पहुँचाई है। रासायनिक तत्वों के मिट्टी में मिलने से भू-प्रदूषण होता है। कागज़, लकड़ी आदि सड़-गलकर मिट्टी में मिल जाते हैं, प्लास्टिक मिट्टी में नहीं मिलती। प्लास्टिक की वस्तुएँ मिट्टी को साँस नहीं लेने देती जिससे मिट्टी की उर्वरता ख़त्म हो जाती है। पेड़ों की अंधाधुंध कटाई ने भी प्रदूषण, भू-स्खलन एवं प्राकृतिक आपदाओं को बढ़ावा दिया है।

रोकथाम / उपाय

अगर चिमनियों से निकलने वाली विषैली गैसों, वाहनों से निकलने वाले धुएँ की रोकथाम न की गई तो वह दिन दूर नहीं जब हमें भी टॉकियो की तरह भारत में थोड़ी-थोड़ी दूरी पर ऑक्सीजन के सिलेंडर लगाने पड़ेंगे और मुँह पर पट्टी बाँध कर चलना होगा। वैसे तो भारत सरकार द्वारा कठोर नियम लागू किए गए हैं। वृक्ष लगाने और प्रदूषण हटाने, उद्योगों से निकलने वाले कचरे और दूषित जल को निष्क्रिय करने के बाद ही विसर्जित किया जाये आदि। फिर भी हमारा निजी सहयोग आवश्यक है। जल प्रदूषण के संकट से बचने के लिए हमें जल संरक्षण की तरफ ध्यान देना होगा। उसे गन्दा न करने का और प्रयुक्त पानी को साफ़-स्वच्छ जल में न मिलाने का प्रण लेना होगा। ध्वनि-प्रदूषण से तभी मुक्ति मिलेगी जब वाहनों के प्रयोग में कमी लाकर साइकिल का प्रयोग किया जाएगा तथा रेडियो और लाउड-स्पीकरों को धीमी आवाज़ में सुना जाएगा। जब तक पर्यावरण सुरक्षा हेतु आम जनता जागरूक नहीं होती, तब तक यह संकट नहीं टलेगा। कवियत्री ने क्या खूब कहा है :

“सुखी रहना हो गर तो पर्यावरण का रखो ध्यान, निर्मल-स्वच्छ जल, चारों ओर उगाओ बागान। जीवन देने वालों को बलि मत चढ़ाओ-पूजन रचाओ, संरक्षण नत मस्तक हो-मिलकर वन महोत्सव मनाओ।”

भविष्य में वृक्षों की अन्धाधुन्ध कटाई को रोकने, प्लास्टिक से बनी वस्तुएँ का निषेध करने, नये वृक्ष लगाने और उनका संरक्षण करने आदि का प्रण करके हम समाज और राष्ट्र को सुरक्षित कर सकते हैं।

Essay on Pollution in Hindi 800 Words

रूपरेखा : पर्यावरण का अर्थ, हमारे जीवन में स्वच्छ पर्यावरण की आवश्यकता, मनुष्य द्वारा प्रकृति का दोहन, प्रदूषण के प्रकार – वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, जल प्रदूषण। शहरों का निरंतर विस्तार, शहरों में बढ़ते विविध प्रकार के प्रदूषण, प्रदूषण की रोकथाम के उपाय, प्रदूषण से हानियाँ, प्रदूषण नियंत्रण के उपाय, उपसंहार।

‘पर्यावरण’ का शाब्दिक अर्थ है – हमारे चारों ओर का प्राकृतिक आवरण। जो कुछ भी हमारे चारों ओर विद्यमान है, हमें ढके-लपेटे हुए है उसे पर्यावरण कह सकते हैं। प्रकृति ने मानव के लिए एक सुखद आवरण बनाया था। साँस लेने के लिए स्वच्छ हवा, पीने के लिए साफ़ पानी, कोलाहल रहित शांत प्रकृति, हरे-भरे वन, उनमें बसने वाले पशु पक्षी। इन सबके रूप में प्रकृति ने मानव को कितना कुछ दिया, किंतु मानव ने अपने स्वार्थ में एक ओर तो प्रकृति की सुविधाओं का अंधाधुंध लाभ उठाकर उसका शोषण किया और दूसरी ओर प्रगति के नाम पर शोरगुल, धुआँ, ज़हरीली गैसें वायुमंडल में भर दीं, यही नहीं समुद्र आदि के जल को भी विषाक्त कर दिया।

वायु हमारे प्राणों का आधार है। इसीलिए वायु का एक नाम प्राण भी है, किंतु आजकल, विशेषकर शहरों में हम जिस वायु में साँस ले रहे हैं वह प्राणों के लिए हानिकर है। उसमें धूल, धुआँ, राख, कालिख जैसे पदार्थ हैं जिनमें कार्बन मोनो-ऑक्साइड जैसे हानिकारक रसायन होते हैं। यही वायु प्रदूषण है। इसी प्रदूषण के कारण आँख, गले, फेफड़े के रोगों का प्रकोप बढ़ता जा रहा है।

बढ़ता हुआ शोर भी प्रदूषण का एक प्रमुख कारण है। इसे ध्वनि प्रदूषण कहा जाता है। वाहनों कारखानों का शोर कान फाड़ने वाला होता है। घरों में ऊँचे स्वर से रेडियो-टी.वी सुनना, लाउडस्पीकरों का मनमाना प्रयोग, जोरों से चीखना-चिल्लाना सब शोर के ही उदाहरण हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि ध्वनि प्रदूषण से न केवल सुनने की शक्ति पर कुप्रभाव पड़ता है, इससे सिर दर्द, रक्तचाप, अनिद्रा जैसे रोग भी हो जाते हैं।

जल का दूसरा नाम जीवन है। प्राणी जल के बिना जीवित नहीं रह सकता। आज स्वच्छ जल मिलना दूभर हो गया है, क्योंकि जल-स्रोतों को ही प्रदूषित कर दिया गया है। नगरों और शहरों की गंदगी तथा कारखानों के ज़हरीले रसायन नदियों और तालाबों में छोड़े जाते हैं। गंगा जैसी पवित्र नदी का जल प्रदूषित हो गया है।

अज्ञान और सुविधाओं के अभाव के कारण मलमूत्र त्याग, पशुओं को नहलाने, वस्त्र धोने, कूड़ा-कचरा पानी में गिराने से भी जल प्रदूषित हो जाता है। ऐसा प्रदूषित जल पीने से हैज़ा, अतिसार, पीलिया, टाइफ़ाइड जैसे रोग फैलते हैं।

वायु, जल और ध्वनि प्रदूषण के बढ़ने के साथ-साथ मृदा प्रदूषण का खतरा भी उत्पन्न हो गया है। रासायनिक खादों के अतिशय प्रयोग से मिट्टी का स्वाभाविक रूप विकृत होता जा रहा है। परिणामस्वरूप, उत्पादित वस्तुओं का पौष्टिक तत्त्व नष्ट होता जा रहा है। साग-सब्ज़ी और फल स्वादहीन होते जा रहे हैं।

आज की सभ्यता को शहरी सभ्यता कह सकते हैं। भारत के कुछ बड़े महानगरों की जनसंख्या एक करोड़ का आँकड़ा पार कर चुकी है। इस कारण शहरों की दुर्गति हो गई है। दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई जैसे महानगरों में हर प्रकार का प्रदूषण पाँव पसार रहा है। लाखों लोग झुग्गी-झोंपड़ियों में निवास करते हैं, जहाँ खुली धूप, वायु और जल तक का प्रबंध नहीं है। यहाँ की सड़कों के वाहन रोज लाखों गैलन गंदा धुआँ उगलते हैं। वृक्षों के अभाव में यह धुआँ नागरिकों के फेफड़ों में जाता है और उनका स्वास्थ्य खराब कर देता है। नगरों में जल के स्रोत भी दूषित हो चुके हैं। दिल्ली में बहने वाली यमुना पवित्र नदी नहीं, विशाल नाला बन चुकी है। शोर का कहना ही क्या ! इसके कारण शहरी जीवन तनावग्रस्त हो गया है। प्रदूषण को रोकने का सर्वोत्तम उपाय है – जनसंख्या पर नियंत्रण। सरकार को चाहिए कि वह नगरों की सुविधाएँ गाँवों तक पहुँचाए ताकि शहरीकरण की अंधी दौड़ बंद हो। हरियाली को यथासंभव बढ़ावा देना चाहिए। प्रदूषण बढ़ाने वाली फैक्टरियों के प्रदूषित जल और कचरे को संसाधित करने का उचित प्रबंध करना चाहिए। शोर को रोकने के कठोर नियम बनाए जाने चाहिए तथा उन पर अमल किया जाना चाहिए।

खेद की बात है कि सभ्यता और विकास के नाम पर हम प्रकृति की धरोहर को नष्ट कर रहे हैं और अपने पैरों में स्वयं कुल्हाड़ी मार रहे हैं। यदि पर्यावरण का संरक्षण नहीं किया गया तो मानवजाति का अस्तित्व ही संकट में पड़ जाएगा। वायु प्रदूषण रोकने के लिए अधिक वृक्ष लगाने होंगे और कल-कारखानों को वायुमंडल में विषैले तत्त्व छोड़ने से रोकना होगा। वाहनों की भी जाँच करनी होगी और ऐसे ईंधनों का प्रयोग करना होगा जो प्रदूषण न फैलाएँ। कारखानों को नदीतालाबों में हानिकारक रसायन छोड़ने से रोकना होगा। जल स्रोतों की सफ़ाई करते रहनी होगी। ध्वनि प्रदूषण रोकने के भी उपाय करने होंगे। वाहनों की बनावट ऐसी हो कि वे शोर न करें। व्यर्थ हॉर्न बजाने से लोगों को रोकना होगा। मृदा प्रदूषण को रोकने के लिए प्राकृतिक उर्वरकों के प्रयोग पर बल देना होगा। सभी प्रकार के प्रदूषण पर नियंत्रण करने के लिए आवश्यक है कि लोगों के सोचने के ढंग में बदलाव लाया जाए।

जैसे हमारी एक निश्चित आयु है, उसी प्रकार प्राकृतिक संसाधनों की भी। यदि हम उनको बिगाड़ेंगे या उनसे छेड़छाड़ करेंगे तो हमारा अपना अस्तित्व संकट में पड़ जाएगा। इसलिए भलाई इसी में है कि हम पर्यावरण का संरक्षण करें, ताकि हमारा अस्तित्व बना रहे।

Essay on Pollution in Hindi for Class 10 in 1000 Words

प्रकृति ने हमारे लिए एक स्वस्थ एवं सुखद पर्यावरण का निर्माण किया था, परंतु मनुष्य ने भौतिक सुखों की होड़ में उसे दूषित कर दिया है। वाहनों तथा कारखानों की चिमनियों से निकलते धुएँ, रासायनिक गैस एवं कोलाहल पर्यावरण को बुरी तरह प्रदूषित कर रहे हैं। मनुष्य के स्वार्थ के कारण और प्राकृतिक संपदा के शोषण और दोहन के कारण इस प्रदूषण के परिणाम और भी भयावह होते जा रहे हैं।

प्रदूषण मुख्यत: चार प्रकार के होते हैं – जल-प्रदूषण, वायु प्रदूषण, ध्वनिप्रदूषण तथा अणु-प्रदूषण। हर प्रकार का प्रदूषण हमारे लिए हानिकारक है तथा किसी न किसी रूप में रोगों की वृद्धि करता है, जीवन में तनाव तथा मानसिक और शरीरिक व्यग्रता को बढ़ावा देता है। प्रदूषण के अनेक कारण हैं। वायु हमारे प्राणों का आधार है। वायु में ऑक्सीजन की मात्रा का घटना और कार्बन-डाइऑक्साइड तथा कार्बन मोनोऑक्साइड की मात्रा लगातार बढ़ रही है। नगरों, महानगरों में वाहनों द्वारा छोड़े गए धुएँ तथा कल कारखानों की चिमनियों से निकले धुएँ से वायु-प्रदूषण हो रहा है। सभी व्यवसाय जिनमें प्रचुर मात्र में धूल उड़ती है : जैसे-सीमेंट, चूना, खनिज आदि तथा वे व्यवसाय जो दुर्गंधयुक्त भाप उत्पन्न करते है : जैसे पशुवध, चमड़ा तैयार करना, साबुन या चर्बी के उद्योग आदि वायु प्रदूषण के प्रमुख कारण हैं। इस प्रदूषित वायु के कारण अनेक रोग जैसे – रक्तचाप, हृदय रोग, श्वास रोग तथा नेत्र रोग आदि बढ़ रहे हैं। बालू के महीन कणों से ही तपेदिक आदि रोगों के होने की संभावना रहती है।

जल मनुष्य की बुनियादी आवश्यकता है। स्वच्छ एवं निरापद पीने का पानी न मिलने के कारण, गाँवों तथा शहरों की घनी आबादी में रहने वाले लोग अनेक गंभीर रोगों के शिकार हो रहे हैं। प्रतिवर्ष अनेक व्यक्ति जल-प्रदूषण से उत्पन्न रोगों के कारण मर रहे हैं। गाँवों तथा शहरों की गंदी नालियों का पानी जलाशय, नदी आदि में गिरकर पानी को प्रदूषित करता है। मनुष्य द्वारा जल स्त्रोतों के पास मल-मूत्र त्याग करने, तालाबों आदि में पालतू जानवर नहलाने, तालाब या नदियों के किनारे कपड़े धोने से जल प्रदूषित होता है। इसी तरह आसपास के वृक्षों के पत्तों तथा अन्य कूड़े-करकटों के जल में गिरकर सड़ने, कारखाने से निकलने वाले अवशिष्ट विषैले पदार्थों एवं गंदे जल के नदियों में गिराने आदि से जल प्रदूषण होता है। जल-प्रदूषण के कारण होने वाले अनेक भयंकर रोगों जैसे – हैजा, टाइफ़ॉइड, पीलिया आदि से लोग ग्रसित हो जाते हैं।

जल-प्रदूषण के समान ही ध्वनि प्रदूषण भी आधुनिक जीवन की समस्या है। वह आवाज़ जो असुविधाजनक हो, अनुपयोगी हो तथा अनावश्यक महसूस होती हो – शोर है। यह शोर ही ध्वनि-प्रदूषण का कारण है। शोर कई तरह से उत्पन्न होता है। एक व्यक्ति के लिए संगीत आनन्ददायक है, किंतु वही संगीत दूसरे व्यक्ति के लिए शोर हो सकता है। रेलगाड़ी की आवाज, सड़कों पर मोटरों की पोंपों, ट्रकों की धड़-धड़ कारखानों में मशीनों के चलने की तेज़ आवाज़, हवाई जहाजों का भीषण गर्जन, सड़कों पर विज्ञापन का प्रचार करने वाले लाउड स्पीकरों का शोर, और टी-वी एवं रेडियो का शोर भी ध्वनि-प्रदूषण के कारण है। ध्वनि-प्रदूषण मानव के स्वस्थ्य के लिए हानिकारक होता है। यहाँ तक कि अधिक समय तक ज्यादा शोर में रहने के कारण कई बार लोगों की श्रवण शक्ति खराब हो जाती है। ध्वनि प्रदूषण से मनुष्य केवल श्रवण दोष से ग्रसित ही नहीं होता, उसे रक्तचाप, अलसर, अनिद्रा के रोगों का शिकार भी होना पड़ता है।

आज संसार के सभी देशों में आणविक क्षेत्र में आगे बढ़ने की प्रतिस्पर्धा मची हुई है ताकि दूसरा देश उन्हें कमजोर न समझे। अणु शक्ति के निश्चित अवधि से पूर्व निष्क्रिय करने तथा शत्रु देश पर उसका प्रयोग करने के कारण आणविक प्रदूषण होता है। इससे लाखों लोग अपने प्राणों से हाथ धो बैठते हैं, अनेक अपंग हो जाते हैं, वनस्पतियाँ नष्ट हो जाती हैं। ऊपर लिखे विवरण से स्पष्ट होता है कि प्रदूषण चाहे वायु का हो, जल का हो या ध्वनि और अणु का हो, हमारे लिए अत्यधिक हानिकारक है।

इस समस्या का निवारण हर देश की सरकार और जनता दोनों ही कर रही हैं। फिर भी हमारी दृष्टि में प्रदूषण के निवारण के निम्नलिखित उपाय हो सकते हैं – वायु-प्रदूषण को अधिकाधिक वनों का संरक्षण करके रोका जा सकता है क्योंकि वन कार्बन-डाइऑक्साइड ग्रहण कर हमें ऑक्सीजन प्रदान करते हैं। भू-स्खलन, भू-क्षरण, रेगिस्तान के विस्तार को रोकने के लिए, जल स्त्रोतों को सूखने से बचाने के लिए उपाय करने चाहिएं। इसके लिए वायु प्रदूषण के दुष्परिणामों से भावी पीढ़ियों के भविष्य को बचाने के लिए हमें अधिक वृक्ष लगाने होंगे। वृक्षों को काटने पर प्रतिबंध लगाने होंगे। बदबू फैलाने वाले उद्योगों पर नियंत्रण करना होगा। कारखानों में ऊँची-ऊँची चिमनियाँ तथा राख एकत्रित करने की मशीनों का उपयोग करना अनिवार्य होगा।

जल-प्रदूषण को रोकने के लिए तालाबों, नदियों, कुओं आदि के जल की समय-समय पर सफ़ाई की जाए, रासायनिक क्रियाओं द्वारा परिशोधन किया जाए। इसका प्रावधान जल-प्रदूषण निवारण और नियंत्रण अधिनियम 1974 में किया गया है।

ध्वनि-प्रदूषण को रोकने के लिए अधिक-प्रसारक यंत्रों (लाउड स्पीकरों) के प्रयोग पर प्रतिबंध लगा दिए जाएँ। यही नहीं, जिन कारणों से शोर बढ़ता है, उन पर नियंत्रण लगाने के लिए सरकार सख्त कदम उठाए।

उपर्युक्त उपायों को कार्यान्वित करने से प्रदूषण का निराकरण और निवारण किया जा सकता है। इसे प्रभावी रूप से क्रियान्वित करने के लिए सरकार और जनता दोनों को मिलकर आवश्यक उपाय करने चाहिएं।

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पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध

pollution essay topics in hindi

By विकास सिंह

environment pollution essay in hindi

विषय-सूचि

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध, environmental pollution essay in hindi (150 शब्द)

प्रस्तावना:.

पर्यावरण प्रदूषण वर्तमान समय के परिदृश्य में हमारे ग्रह द्वारा सामना किए जाने वाले सबसे महत्वपूर्ण खतरों में से एक है। यह एक वैश्विक मुद्दा है, जो आमतौर पर सभी देशों में देखा जाता है, जिसमें तीसरी दुनिया के देश भी शामिल हैं, चाहे उनकी विकास की स्थिति कुछ भी हो।

पर्यावरण प्रदूषण क्या है?

पर्यावरण प्रदूषण तब होता है जब मानव गतिविधियाँ पर्यावरण में प्रदूषण का परिचय देती हैं, जिससे दिनचर्या की प्रक्रिया बाधित होती है, जिससे पर्यावरण में अपरिवर्तनीय परिवर्तन होते हैं। प्रदूषण फैलाने वाले एजेंटों को प्रदूषक कहा जाता है। प्रदूषक पदार्थ प्रकृति में होने वाले पदार्थ हैं या बाहरी मानव गतिविधियों के कारण बनाए जाते हैं। प्रदूषक भी पर्यावरण में ऊर्जा की कमी के रूप हो सकते हैं। प्रदूषकों और पर्यावरण के घटकों में होने वाले प्रदूषण के आधार पर, पर्यावरण प्रदूषण को निम्नानुसार वर्गीकृत किया जा सकता है:

1. वायु प्रदुषण

2. जल प्रदूषण

3. मिट्टी/ भूमि प्रदूषण

4. ध्वनि प्रदूषण

5. रेडियोधर्मी प्रदूषण

6. ऊष्मीय प्रदूषण

निष्कर्ष:

पर्यावरण में पाया जाने वाला कोई भी प्राकृतिक संसाधन, जब इसकी पुनर्स्थापना की क्षमता से अधिक दर पर उपयोग किया जाता है, तो कमी हो जाती है, जिससे पर्यावरण प्रदूषण होता है। इससे पर्यावरणीय गुणवत्ता में गिरावट आएगी और जैव विविधता की हानि, वनस्पतियों और जीवों की हानि, नई बीमारियों की शुरूआत और मानव आबादी में तनावपूर्ण जीवन, आदि इसका सबूत है।

vehicle pollution essay in hindi

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध, environmental pollution essay in hindi (250 शब्द)

पर्यावरण मानव जीवन का एक बहुत महत्वपूर्ण पहलू बनाता है क्योंकि यही वह जगह है जहाँ हम जीवन की अनिवार्यताओं का पता लगाते हैं, जैसे, हवा, पानी और भोजन। वैश्विक औद्योगीकरण और आधुनिकीकरण के कारण पर्यावरण प्रदूषण हुआ है। पर्यावरण प्रदूषण ने जानवरों, पौधों और मनुष्यों के जीवन की गुणवत्ता को बहुत प्रभावित किया है।

पर्यावरण प्रदूषण के परिणामस्वरूप होने वाली बीमारियों सहित खतरनाक प्रभाव। पर्यावरण प्रदूषण मूल रूप से भौतिक और जैविक दोनों प्रणालियों में पर्यावरण की प्रकृति का संदूषण है जो पर्यावरण के सामान्य कामकाज को प्रभावित करता है।

पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार और कारण:

पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार पर्यावरण के कारणों और घटकों के लिए विशिष्ट हैं। पर्यावरणीय प्रदूषण को प्राकृतिक घटकों के आधार पर समूहों में वर्गीकृत किया गया है; वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, मृदा प्रदूषण और जल प्रदूषण। पर्यावरण के दूषित पदार्थों को प्रदूषक कहा जाता है।

मुख्य प्रदूषक उद्योग हैं क्योंकि उद्योग वायुमंडल में हानिकारक गैसों का उत्सर्जन करते हैं, जो वायु प्रदूषण का कारण बनते हैं, औद्योगिक अपशिष्टों को जल प्रदूषण में भी परिवर्तित किया जाता है। अन्य प्रदूषकों में दहन से निकलने वाला धुआं, ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन, जैसे कि कार्बन डाइऑक्साइड, जो भारत में अधिक है।

पर्यावरण प्रदूषण के प्रभाव:

भारत में पर्यावरण प्रदूषण एक चुनौती रही है। प्रतिकूल प्रभाव प्रदूषण के प्रकार के लिए विशिष्ट हैं, हालांकि कुछ में कटौती हो सकती है। वायु प्रदूषण के कारण मानव स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा है और वातावरण में ओजोन परतों का विनाश हुआ है। जल प्रदूषण से जलीय जीवन और अम्लीयता की मृत्यु हुई है। मृदा प्रदूषण के कारण अस्वास्थ्यकर मृदा अर्थात् असंतुलित मृदा pH होता है जो पौधे की वृद्धि का पक्ष नहीं लेता है। भारत पर्यावरण प्रदूषण की चुनौतियों से जूझ रहा है।

पर्यावरण प्रदूषण हमारे ग्रह को बचाने के लिए एक बड़ी चिंता बन गया है। हमें पर्यावरण प्रदूषण को कम करने के लिए विभिन्न उपायों को अपनाने की आवश्यकता है। उनमें से कुछ में पेड़ लगाना, गैर-नवीकरणीय संसाधनों का उपयोग कम करना, कचरे का उचित निपटान आदि शामिल हैं। यह हर व्यक्ति की जिम्मेदारी है कि वह हमारे पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाए।

land pollution essay in hindi

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध, environment pollution essay in hindi (300 शब्द)

हमें अपनी धरती के पर्यावरण को अपनी माँ की तरह मानना ​​चाहिए। यह हमारा पोषण भी करता है। यदि जलवायु प्रदूषित हो जाती है, तो हम कैसे बच सकते हैं?

पृथ्वी हमें हमारे स्वास्थ्य और विकास के लिए बहुत सारे प्राकृतिक संसाधन प्रदान करती है। लेकिन, जैसे-जैसे समय बीत रहा है, हम और अधिक स्वार्थी होते जा रहे हैं और अपने पर्यावरण को प्रदूषित करते जा रहे हैं। हम नहीं जानते कि अगर हमारा पर्यावरण अधिक प्रदूषित हो जाता है, तो यह अंततः हमारे स्वास्थ्य और भविष्य को भी प्रभावित करेगा। पृथ्वी पर आसानी से जीवित रहना हमारे लिए संभव नहीं होगा।

स्वास्थ्य पर पर्यावरण प्रदूषण का प्रभाव:

यह बताना अनावश्यक है कि पर्यावरण प्रदूषण ने मानव की मूलभूत आवश्यकताओं, अर्थात, जल, भोजन, वायु और मिट्टी के अंदर अपने विषैले तंतुओं को फैला दिया है। यह हमारे रहने, पीने और खाने को प्रभावित करता है। यह इंसानों के साथ जानवरों के स्वास्थ्य को भी नुकसान पहुंचाता है।

विभिन्न चीजें हवा को प्रदूषित करती हैं जैसे मोटर वाहन प्रज्वलन और उद्योगों से गैसीय रिलीज, हवा के अंदर जीवाश्म ईंधन जलाना, आदि ठोस औद्योगिक अपशिष्ट, तेल फैल, प्लास्टिक डंप, और पानी में फेंकने वाले शहर का कचरा नदी और महासागरों को प्रदूषित करता है। इसी तरह, कृषि की अकार्बनिक प्रक्रियाएं मिट्टी की उर्वरता को नष्ट कर देती हैं।

जैसा कि आप जानते हैं कि पानी पीने के लिए उपयोग किया जाता है, भोजन बनाने के लिए उपयोग की जाने वाली मिट्टी, और साँस लेने के लिए हवा का उपयोग किया जाता है, ये तीनों दूषित तत्व मानव के शरीर के अंदर अपने प्रदूषकों को डालते हैं और परिणामस्वरूप रोग होते हैं।

पर्यावरण प्रदूषण के कारण होने वाली बीमारियों में क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज, अस्थमा, लंग कैंसर, स्किन कैंसर, लेड पॉइजनिंग, कार्डियोवस्कुलर डिजीज एंड स्ट्रोक, रेडिएशन इनेबल्ड कैंसर, मरकरी पॉइजनिंग, जन्मजात डिसएबिलिटी, एलर्जी, फेफड़े की बीमारियां हैं, जो ऑक्यूपेशनल एक्सपोजर के कारण होती हैं। कई विष और कई और अधिक। सूची एकजुट हो रही है।

हमारी पृथ्वी हर जीवित प्राणी के लिए अस्वस्थ भविष्य के रास्ते पर आगे बढ़ रही है। इसलिए, हमें उन कारकों के बारे में पता होना चाहिए जो हमारे पर्यावरण को प्रदूषित करते हैं और हमारे भविष्य को सुरक्षित और स्वस्थ रखने के लिए कुछ आवश्यक कदम उठाते हैं।

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पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध, environment pollution essay in hindi (500 शब्द)

हमारा पर्यावरण जीवित और निर्जीव दोनों चीजों से बना है। जीवित चीजों में जानवर, पौधे और अन्य सूक्ष्मजीव शामिल हैं, जबकि हवा, पानी, मिट्टी, धूप, आदि पर्यावरण के गैर-जीवित घटकों का निर्माण करते हैं।

जब भी हमारे परिवेश में किसी भी तरह की विषाक्तता को लंबे समय तक जोड़ा जाता है, तो यह पर्यावरण प्रदूषण की ओर जाता है। कुछ प्रमुख प्रकार के प्रदूषण वायु, जल, मिट्टी, शोर, प्रकाश और परमाणु प्रदूषण हैं।

उद्योगों, घर की चिमनियों, वाहनों और ईंधन से निकलने वाले धुएँ से वायु प्रदूषण होता है। व्यर्थ औद्योगिक सॉल्वैंट्स, प्लास्टिक और अन्य अपशिष्ट, सीवेज आदि जल प्रदूषण का कारण बनते हैं। कीटनाशकों और वनों की कटाई का उपयोग मिट्टी के प्रदूषण के प्रमुख कारण हैं। वाहनों के अनावश्यक सम्मान, लाउडस्पीकर के उपयोग से ध्वनि प्रदूषण होता है।

यद्यपि यह प्रकाश और परमाणु प्रदूषण का एहसास करना कठिन है, लेकिन ये समान रूप से हानिकारक हैं। अत्यधिक चमकदार रोशनी कई मायनों में पर्यावरण संतुलन को खतरे में डालते हुए बहुत अधिक ऊर्जा की खपत करती है। कहने की जरूरत नहीं कि परमाणु प्रतिक्रिया के नकारात्मक प्रभाव कई दशकों तक आते हैं।

सभी घटक एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। जैसे-जैसे प्रकृति का चक्र आगे बढ़ता है, वैसे ही एक घटक की विषाक्तता को अन्य सभी घटकों तक भी पहुंचाया जाता है। ऐसे विभिन्न साधन हैं जिनके द्वारा पर्यावरण में प्रदूषण जारी है। हम इसे नीचे दिए गए उदाहरण से समझ सकते हैं।

जब बारिश होती है, तो हवा की अशुद्धियां धीरे-धीरे जल-निकायों और मिट्टी में घुल जाती हैं। जब फसलें खेतों में पैदा होती हैं, तो उनकी जड़ें दूषित मिट्टी और पानी के माध्यम से इन हानिकारक विषाक्त पदार्थों को अवशोषित करती हैं। एक ही भोजन जानवरों और मनुष्यों दोनों द्वारा निगला जाता है। इस तरह, यह खाद्य श्रृंखला के शीर्ष पर पहुंच जाता है जब मांसाहारी मांसाहारियों द्वारा सेवन किया जाता है।

पर्यावरण प्रदूषण के परिणामों को गंभीर स्वास्थ्य रोगों के रूप में देखा जा सकता है। अधिक लोग श्वसन समस्याओं, कमजोर प्रतिरक्षा, गुर्दे और यकृत संक्रमण, कैंसर और अन्य पुरानी बीमारियों से पीड़ित हैं। वनस्पतियों और जीवों सहित जलीय जीवन तेजी से घट रहा है। मिट्टी की गुणवत्ता और फसल की गुणवत्ता बिगड़ रही है।

ग्लोबल वार्मिंग पर्यावरण प्रदूषण के परिणामस्वरूप एक प्रमुख मुद्दा बन गया है जिसे दुनिया को सामना करने की आवश्यकता है। अंटार्कटिका में पिघलने वाले हिमखंडों के कारण समुद्र का जल स्तर बढ़ रहा है। प्राकृतिक आपदाएँ जैसे लगातार भूकंप, चक्रवात, आदि सभी पर्यावरण प्रदूषण के बढ़ते स्तर के कारण हुए कहर के कारण हैं। रूस में हिरोशिमा-नागासाकी और चेर्नोबिल की घटनाओं ने मानव जाति को अपूरणीय क्षति पहुंचाई है।

इन आपदाओं के जवाब में, दुनिया के विभिन्न देशों द्वारा हर संभव उपाय किया जा रहा है। पर्यावरण प्रदूषण के खतरों और हमारे ग्रह की रक्षा की आवश्यकता के बारे में लोगों को शिक्षित करने के लिए अधिक जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। जीने के ग्रीनर तरीके लोकप्रिय हो रहे हैं। ऊर्जा-कुशल बल्ब, पर्यावरण के अनुकूल वाहन, सौर और पवन ऊर्जा का उपयोग, कुछ नाम हैं।

सरकारें अधिक पेड़ लगाने, प्लास्टिक उत्पादों को खत्म करने, प्राकृतिक कचरे के बेहतर पुनर्चक्रण और कीटनाशकों के कम से कम उपयोग पर जोर दे रही हैं। इस तरह की जैविक जीवन शैली ने हमें कई पौधों और जानवरों की प्रजातियों को धरती से एक जीवित और स्वस्थ जगह बनाने के लिए विलुप्त होने से बचाने में मदद की है।

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध, environment pollution greatest destruction essay in hindi (600 शब्द)

पर्यावरण में एक पदार्थ की उपस्थिति जो मनुष्य, पौधों या जानवरों के लिए हानिकारक हो सकती है जिसे हम प्रदूषक कहते हैं और इस घटना को पर्यावरण प्रदूषण कहा जाता है। पर्यावरण प्रदूषण सबसे अधिक चर्चा में से एक है, जिस पर शोध किया गया है और साथ ही आज के युग में हम सभी द्वारा इसे अनदेखा किया जाता है।

हम पहले से ही इसके बारे में बहुत कुछ जानते हैं, फिर भी हम इसे नियंत्रित करने के लिए बहुत कम करने का इरादा रखते हैं। शायद हमने अभी तक इसका प्रत्यक्ष प्रभाव महसूस नहीं किया है जो पहले से ही हमारे जीवन पर पड़ा है। उदाहरण के लिए, अभी हाल ही में WHO द्वारा एक अध्ययन किया गया है, जिसमें दावा किया गया है कि दिल्ली में रहने वाले व्यक्ति के औसत जीवन में हानिकारक पदार्थों के संपर्क में आने के 10 साल कम हो गए हैं, जिसमें दिल्ली में रहने वाले एक व्यक्ति को सांस लेने के लिए मजबूर होना पड़ता है।

सीधे तौर पर कहा जाए, पर्यावरण प्रदूषण, हालांकि पूरी दुनिया के लिए एक चिंता का विषय है, लेकिन इसके नियंत्रण की दिशा में ठोस कदम अभी तक देखने को नहीं मिले हैं।

पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार:

पर्यावरण प्रदूषण को आमतौर पर वायु प्रदूषण का संदर्भ माना जाता है। हालांकि, यह एक सामान्य शब्द है जिसका उपयोग हवा, मिट्टी और पानी के साथ-साथ प्रदूषण के अन्य रूपों जैसे गर्मी, प्रकाश, रेडियोधर्मी सामग्री और शोर के कारण होने वाले प्रदूषण को संदर्भित करने के लिए किया जाता है।

पर्यावरण प्रदूषण के कारण:

प्रत्येक प्रकार के पर्यावरण प्रदूषण के स्रोतों का अपना सेट है, जिनमें से कुछ को आसानी से पहचाना जा सकता है, जबकि कुछ प्रदूषण के प्रत्यक्ष स्रोत नहीं हो सकते हैं, हालांकि वे समान ट्रिगर कर सकते हैं। उदाहरण के लिए –

औद्योगिक कचरा – विभिन्न उद्योगों से उत्पन्न अपशिष्ट जल, वायु और मृदा प्रदूषण का एक प्रमुख कारण है। उद्योगों से निकलने वाला रासायनिक कचरा पानी को इस हद तक दूषित कर देता है कि ऐसे उदाहरण सामने आ गए हैं कि दुनिया के कुछ क्षेत्रों में लोग अपने आस-पास दूषित पानी की उपस्थिति के कारण विशिष्ट बीमारियों से पीड़ित हैं।

इसके अलावा, उद्योगों से निकलने वाले गंधक, नाइट्रोजन और कार्बन जैसे धुएँ या हानिकारक गैसें हवा के साथ मिल कर उसे दूषित कर देती हैं।

वाहन – वाहनों का उपयोग बड़े पैमाने पर हो गया है और पिछले एक दशक में बड़े पैमाने पर विकास हुआ है। यद्यपि वाहनों के उपयोग ने हमें बड़े पैमाने पर लाभ पहुंचाया है, लेकिन वाहनों के उत्सर्जन से वायु प्रदूषण में भारी वृद्धि हुई है। वास्तव में, दुनिया के कई शहरों को विषम और यहां तक ​​कि रणनीतियों को चाक करने के लिए मजबूर किया गया है।

जहां वाहन विषम या सम दिनों पर अपने पंजीकरण संख्या के आधार पर ऐसे शहरों में बढ़ते वायु प्रदूषण को रोकने के लिए प्लाई करते हैं। इसके अलावा, पेट्रोलियम ईंधन के विशाल उपयोग ने मानव जाति के लिए उपलब्ध संसाधनों को और भी कम कर मिट्टी से जीवाश्म ईंधन को कम किया है।

कृषि अपशिष्ट – लगातार बढ़ती जनसंख्या के कारण, कृषि उत्पादों की मांग कई गुना बढ़ गई है। इससे उत्पादकता बढ़ाने के लिए कीटनाशकों और रसायनों के बड़े पैमाने पर उपयोग को बढ़ावा मिला है। हालांकि, इस प्रथा का पर्यावरण पर प्रभाव का अपना हिस्सा है। उदाहरण के लिए, भारत में पंजाब की कपास बेल्ट कपास उद्योग के लिए वरदान रही है, लेकिन साथ ही, इस क्षेत्र में रहने वाले लोगों को कीटनाशकों और रसायनों के बड़े उपयोग के कारण कैंसर के विभिन्न रूपों से पीड़ित पाया गया है।

आबादी के अतिवृद्धि और प्रौद्योगिकी प्रगति ने सभी को इष्टतम अस्तित्व के लिए संसाधनों की मांग में वृद्धि का नेतृत्व किया है हालांकि, हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि पर्यावरण को उसी के लिए एक बड़ी कीमत देने के लिए मजबूर किया गया है और हम सभी को पर्याप्त रूप से जिम्मेदार होना चाहिए ।

ताकि, हमारे बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण पर अंकुश लगाया जा सके अन्यथा भविष्य के लिए मुश्किल हो सकता है पीढ़ियों तक भी इस ग्रह पर जीवित रहते हैं। सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा और अन्य पारिस्थितिक रूप से सुरक्षित प्रौद्योगिकियों के उपयोग जैसे बेहतर तरीके निश्चित रूप से एक स्वस्थ और प्रदूषण मुक्त वातावरण में रहने के लिए एक विकल्प माना जा सकता है।

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध, environmental pollution greatest destruction essay in hindi (1000 शब्द)

भारत दुनिया का दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला देश है और 1.3 ट्रिलियन से अधिक लोगों का घर है। यह भव्य और शानदार परिदृश्य, प्रचुर मात्रा में प्राकृतिक संसाधन, और छुट्टी के गंतव्य के बाद सबसे अधिक मांग वाली भूमि है। लेकिन आज के समय की सबसे बड़ी चिंता देश के सामने बड़े पैमाने पर पर्यावरण प्रदूषण की गंभीर चुनौती है।

शिकागो विश्वविद्यालय में ऊर्जा नीति संस्थान (EPIC) ने भारत को दुनिया का दूसरा सबसे प्रदूषित देश बताया है। देश में पर्यावरण प्रदूषण की भयावह स्थिति के कारण औसत भारतीय का जीवन चार साल से कम हो गया है। भारत सरकार ने शहरी क्षेत्रों में पर्यावरण प्रदूषण के लिए आपातकाल की स्थिति घोषित की है।

भारत के सबसे प्रसिद्ध कैंसर संस्थान के वैज्ञानिकों ने यह जानकर हैरान कर दिया कि दिल्ली में लगभग आधे स्कूल जाने वाले बच्चे अपरिवर्तनीय फेफड़ों की दुर्बलता की स्थिति में हैं। हवा, पानी और मिट्टी में खतरनाक और जहरीले प्रदूषकों का स्तर सुरक्षित सीमा से ऊपर चला गया है। भारी औद्योगीकरण, शहरीकरण और कृषि अपशिष्ट जलाने जैसी कुछ पुरानी प्रथाओं ने भारत में पर्यावरण की दयनीय स्थिति में समान रूप से योगदान दिया है।

पर्यावरण प्रदूषण के कारक:

1. वायु प्रदूषण:

नई दिल्ली, भारत की राजधानी, ने हाल ही में वैश्विक सुर्खियां बनाईं जब यह पृथ्वी पर शीर्ष 10 सबसे प्रदूषित स्थानों में बदल गया। भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली में पुराने पेट्रोल और डीजल वाहनों पर प्रतिबंध लगा दिया है। सरकार द्वारा उद्योगों से प्रदूषित उत्सर्जन का प्रबंधन करने और वैकल्पिक यातायात तंत्र का उपयोग करने के कई प्रयासों के बावजूद, वायु की स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है।

वायु प्रदूषण के प्रमुख स्रोत यातायात, बिजली संयंत्र, उद्योग, अपशिष्ट जलाना, लकड़ी और लकड़ी का कोयला का उपयोग करना है। ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन हवा में जहरीले तत्वों की एकाग्रता के लिए एक वास्तविक समय का खतरा है।

2. मृदा प्रदूषण:

भारत में औद्योगिक क्षेत्र के रूप में एक शानदार वृद्धि देखी जा रही है। परिणामस्वरूप देश के सभी हिस्सों में मृदा प्रदूषण एक प्रमुख चिंता का विषय बन रहा है। मृदा प्रदूषण कृषि उत्पादकता, खाद्य सुरक्षा और मानव स्वास्थ्य के लिए एक खतरनाक खतरा बन गया है। उपजाऊ भूमि का क्षेत्र बेहतर उत्पादन प्राप्त करने के लिए रसायनों के उपयोग से हर गुजरते दिन खराब हो रहा है।

भारत में शहरों के विकास ने मिट्टी का उपयोग नगरपालिका के कचरे की सतत मात्रा के लिए एक सिंक के रूप में किया है। देश के आईटी हब कहे जाने वाले बेंगलूरु और चेन्नई जैसे शहरों में डंप यार्ड में बड़ी मात्रा में ई-कचरे के ढेर लगे हैं। शहरों के बाहरी इलाके में डंपिंग ग्राउंड के रूप में बड़ी मात्रा में भूमि बर्बाद हो गई है। इन डंपिंग ग्राउंड को मवेशियों के लिए चारागाह के रूप में देखा जा सकता है जिसके परिणामस्वरूप कई स्वास्थ्य खतरे हो सकते हैं।

3. जल प्रदूषण:

भारत में, हम जल प्रदूषण के लिए नए नहीं हैं। कृषि देश के लिए प्रमुख आवश्यकता है और जाहिर तौर पर जलवायु पर पर्यावरणीय प्रभाव ने मानसून को बुरी तरह प्रभावित किया है। उद्योगों से आने वाले जहरीले रसायनों, जैसे धातुओं सहित अपशिष्ट की भारी मात्रा को नदियों और जल-निकायों में डंप किया जाता है।

भारत में जल प्रदूषण का सबसे बड़ा स्रोत अनुपचारित मलजल है। भारत में कुछ गाँव अभी भी खुले में शौच का अभ्यास करते हैं जो पास के जल निकायों को प्रदूषित करता है। गंगा और यमुना को दुनिया की सबसे प्रदूषित 10 नदियों में शुमार किया जाता है।

4. शोर प्रदूषण:

शोर प्रदूषण आधुनिक भारत का एक और ज्वलंत मुद्दा है। सड़कों पर ट्रैफिक की भीड़, हार्न बजाने के शोर की आवाज, फैक्ट्री सायरन, मशीनों के चलने की तेज आवाज और लाउडस्पीकर की तेज आवाज ध्वनि प्रदूषण में जबरदस्त बढ़ोतरी में योगदान देती है। पर्यावरण प्रदूषण के कारण एक औसत भारतीय के लिए कई स्वास्थ्य मुद्दों का प्रकोप हुआ है।

प्रदुषण को कम करने के उपाय:

भारत ने न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में 170 देशों के साथ 24 नवंबर 2017 को ऐतिहासिक पेरिस जलवायु समझौते पर हस्ताक्षर किए। जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए भारत ने खुद को प्रतिबद्ध किया है। भारत के प्रधान मंत्री श्री। नरेंद्र मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन ने 12 मार्च 2018 को मिर्जापुर जिले में उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े सौर ऊर्जा संयंत्र का उद्घाटन किया।

भारत ने जर्मनी के साथ भारत-जर्मन ऊर्जा कार्यक्रम – ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर (IGEN-GEC) के तहत तकनीकी सहयोग पर एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। भारत सरकार ‘स्वच्छ गंगा’, ‘नमामि गंगे’ और ‘यमुना सफाई कार्यक्रम’ को लागू करके गंगा और यमुना नदियों की पवित्रता को बहाल करने के लिए गंभीर कदम उठा रही है।

चूंकि प्लास्टिक एक प्रमुख प्रदूषक है, इसलिए महाराष्ट्र राज्य सरकार ने 23 जून 2018 से प्लास्टिक की थैलियों पर प्रतिबंध लगा दिया है। महाराष्ट्र राज्य सरकार द्वारा जारी अधिसूचना में प्लास्टिक सामग्री जैसे बैग, चम्मच, के विनिर्माण, उपयोग, बिक्री, संचलन और भंडारण पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।

प्लेटें और अन्य डिस्पोजेबल आइटम। प्रतिबंध में पैकेजिंग सामग्री और थर्मोकोल भी शामिल हैं। हालाँकि प्लास्टिक का उपयोग दवाओं और दवाओं की पैकेजिंग, दूध और ठोस अपशिष्ट के उपचार के लिए किया जाता है

इस बात से कोई इंकार नहीं कर सकता कि शहरी भारत में प्रदूषित वातावरण एक टिकने वाला बम है। राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के विकास के लिए विपुल औद्योगिकीकरण ने स्पष्ट रूप से भारतीय शहरों में ताजी हवा की एक सांस को भी खतरे में डाल दिया है।

पर्यावरण प्रदूषण से लड़ने के लिए कड़े कानूनों के कार्यान्वयन में सार्वजनिक भागीदारी का अभाव एक और बड़ी चिंता है। भारत में सार्वजनिक स्वास्थ्य गंभीर खतरे में है। भारत सरकार एक बड़े कैनवास पर समाधान लागू करने के लिए काम कर रही है, उदाहरण के लिए, स्वच्छ ऊर्जा पर स्विच करना, हानिकारक प्रदूषकों के उत्सर्जन को कम करने के लिए नियम, और पर्यावरण प्रदूषण के दुष्प्रभावों के बारे में परिचितों को फैलाने के लिए अभियान चलाना।

सबसे महत्वपूर्ण पहलू भारतीय लोगों को अपनी सदियों पुरानी प्रथाओं को दूर करने के लिए प्रोत्साहित करना है जो पर्यावरण के लिए खतरनाक हैं। संस्कृत का वाक्यांश “वसुधैव कुटुम्बकम” जिसका अर्थ है कि ‘दुनिया एक परिवार की तरह है’, परंपराओं की इस सुंदर और शांत भूमि को बचाने के लिए हममें से प्रत्येक के मन और दिलों में जीवित रहना चाहिए।

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध, essay on environmental pollution in hindi (1500 शब्द)

शब्दकोश द्वारा परिभाषित प्रदूषण एक पदार्थ की उपस्थिति है जो हानिकारक है या पर्यावरण पर जहरीला प्रभाव डालता है। प्रदूषण को आगे चलकर प्राकृतिक पर्यावरण के दूषित पदार्थों की शुरूआत के रूप में समझाया गया है जो प्रतिकूल परिवर्तन का कारण बन सकता है। बुनियादी होने के लिए, पर्यावरण प्रदूषण पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है और जो बदले में पर्यावरण में लोगों को नुकसान पहुंचाता है।

पर्यावरण प्रदूषण की घटना:

पर्यावरण प्रदूषण की घटना तब होती है जब वातावरण प्रदूषक द्वारा दूषित होता है; इससे कुछ बदलाव आते हैं जो हमारी नियमित जीवनशैली पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं। प्रदूषण के प्रमुख घटक या तत्व प्रदूषक हैं और वे बहुत भिन्न रूपों के अपशिष्ट पदार्थ हैं। प्रदूषण पर्यावरण और पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन में गड़बड़ी लाता है। विकास और आधुनिकीकरण ने उनके साथ प्रदूषण में तेजी से वृद्धि की है और इसने विभिन्न मानव बीमारियों और सबसे महत्वपूर्ण ग्लोबल वार्मिंग को जन्म दिया है।

पर्यावरण प्रदूषण के रूप:

जल, वायु, रेडियोधर्मी, मिट्टी, गर्मी, शोर और प्रकाश सहित पर्यावरण प्रदूषण के कई विभिन्न रूप हैं। प्रदूषण के हर रूप के लिए, प्रदूषण के दो स्रोत हैं; गैर बिंदु और बिंदु स्रोत। प्रदूषण के बिंदु स्रोतों की निगरानी, ​​निगरानी और नियंत्रण करना बहुत आसान है, जबकि गैर-बिंदु प्रदूषण स्रोतों को नियंत्रित करना काफी कठिन और कठिन है।

पर्यावरण प्रदूषण के कारण और स्रोत:

पर्यावरण प्रदूषण के स्रोतों और कारणों में निम्नलिखित शामिल हैं:

1. औद्योगिक गतिविधियाँ:

दुनिया भर के उद्योग, भले ही वे संपन्नता और समृद्धि लाए हों, पारिस्थितिक संतुलन में लगातार गड़बड़ी हुई है और जीवमंडल की जांच की है। प्रयोगों का गिरना, धुएं का गुबार, औद्योगिक अपशिष्ट और घूमती हुई गैसें पानी और हवा दोनों को दूषित, प्रदूषित करने के लिए एक निरंतर खतरा हैं।

औद्योगिक कचरे का अनुचित निपटान जल और मृदा प्रदूषण दोनों का स्रोत बन गया है। विभिन्न उद्योगों से निकलने वाले रासायनिक अपशिष्ट नदियों, झीलों, समुद्रों और धुएं के छोड़े जाने के माध्यम से मिट्टी और हवा में प्रदूषण का कारण बन सकते हैं।

2. ठोस अपशिष्ट बहाना:

जब कचरे का सही तरीके से निपटान नहीं किया जाता है तो वाणिज्यिक और घरेलू अपशिष्ट पर्यावरण प्रदूषण के स्रोत होते हैं।

3. वाहन:

डीजल और पेट्रोल का उपयोग करने वाले वाहन धूम्रपान करते हैं और कोयले को पकाने से जो धुआं निकलता है वह हमारे पर्यावरण को प्रदूषित करता है। सड़कों पर वाहनों की संख्या में तेजी से वृद्धि ने केवल धुएं के उत्सर्जन को सहायता प्रदान की है, जब रिलीज होती है और अंततः हवा के साथ मिश्रित होती है जिसे हम सांस लेते हैं। इन विभिन्न वाहनों का धुआं काफी हानिकारक है और वायु प्रदूषण का प्राथमिक कारण है। ध्वनि प्रदूषण उत्पन्न करने वाले इन वाहनों से आवाज़ों का जोखिम भी है।

4. तीव्र औद्योगीकरण और शहरीकरण:

शहरीकरण की तेजी से दर और औद्योगीकरण भी पर्यावरण प्रदूषण के प्रमुख कारण हैं क्योंकि वे पौधों और पौधों को नुकसान पहुंचाते हैं, जो जानवरों, मनुष्यों और पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुंचाते हैं।

5. जनसंख्या अतिवृद्धि:

विकासशील देशों में तेजी से जनसंख्या में वृद्धि हुई है, कब्जे, बुनियादी भोजन और आश्रय की मांग बढ़ रही है। उच्च मांग के कारण, जनसंख्या की बढ़ती मांग को पूरा करने में मदद करने के लिए वनों की कटाई तेज हो गई है।

6. जीवाश्म ईंधन दहन:

जीवाश्मों के ईंधनों का लगातार दहन कार्बन मोनोऑक्साइड जैसी विषैली गैसों के माध्यम से मिट्टी, हवा और पानी के प्रदूषण का स्रोत है।

7. कृषि अपशिष्ट:

कृषि के दौरान उपयोग किए जाने वाले कीटनाशक और उर्वरक पर्यावरण प्रदूषण के प्रमुख स्रोत हैं।

वायु प्रदुषण:

यह संभवतः पर्यावरण प्रदूषण का सबसे खतरनाक और सामान्य रूप है और इसे शहरीकरण का पर्याय माना जाता है। इसका प्राथमिक कारण ईंधन के दहन की उच्च दर है। ईंधन दहन अब घरेलू और औद्योगिक रूप से परिवहन, खाना पकाने और कुछ अन्य गतिविधियों के लिए एक बहुत ही बुनियादी आवश्यकता है। ये सभी गतिविधियाँ बड़ी संख्या में जहरीले रसायनों को वायुमंडल में छोड़ती हैं और हमारे अस्तित्व को प्रभावित और खतरे में डालकर हवा से नहीं निकालती हैं।

सल्फर ऑक्साइड को धुएं द्वारा हवा में छोड़ा जाता है और इससे हवा बहुत जहरीली हो जाती है। यह प्राथमिक रूप से कारखाने के ढेर, चिमनी, वाहनों या यहां तक ​​कि लकड़ी के लॉग के जलने जैसे कुछ सामान्य से धुएं के कारण होता है। वातावरण में सल्फर ऑक्साइड और कई अन्य गैसों के उत्सर्जन से अम्लीय वर्षा होने की क्षमता के साथ ग्लोबल वार्मिंग होती है।

इन ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन और इसके कारण होने वाले ग्लोबल वार्मिंग के कारण दुनिया भर में सूखे, अनियमित बारिश और तापमान में वृद्धि हुई है। ब्रोंकाइटिस, अस्थमा और फेफड़े के कैंसर के बेहद खतरनाक मामले जैसी स्थितियां और बीमारियां शहरों में होती हैं।

वायु प्रदूषण के कारण पैदा होने वाली आपदाओं के कई दुखद उदाहरणों में से एक उदाहरण भोपाल की 1984 गैस त्रासदी है। गैस त्रासदी एक गैस संयंत्र में गैस (मिथाइल आइसोसाइनेट) की रिहाई का एक परिणाम था। त्रासदी में लगभग 2,000 लोगों ने अपनी जान गंवाई और 200,000 से अधिक लोग व्यापक श्वसन समस्याओं से पीड़ित थे।

श्वसन संबंधी बीमारियां, अस्थमा और हृदय रोगों में वृद्धि एक अड़चन के कारण हो सकती है (उदाहरण के लिए, पार्टिकुलेट जो आकार में 10 माइक्रोमीटर से नीचे हैं)। इस क्षण तक, जन्म लेने वाले शिशुओं में अभी भी जन्म दोष हैं और इसके लिए भोपाल त्रासदी को जिम्मेदार ठहराया गया है।

जल प्रदूषण:

पानी जीवन के लिए आवश्यक है; प्रत्येक जीवित प्राणी या अस्तित्व जीवित रहने के लिए पानी पर निर्भर करता है। सभी प्रजातियों के लगभग 60% पानी में रहते हैं; इसका मतलब है कि पानी का प्रदूषण एक बहुत महत्वपूर्ण प्रदूषण प्रकार है जिसे नियंत्रित किया जाना है।

बहुत सारे कारक हैं जो जल प्रदूषण में योगदान करते हैं, एक बहुत बड़ा योगदान कारक औद्योगिक प्रवाह है जिसे नदियों और समुद्रों में निपटाया जाता है और पानी के गुणों में एक बड़ा असंतुलन पैदा करता है और यह पानी के जीवों को जीने के लिए अयोग्य बनाता है। बहुत सारी बीमारियाँ भी हैं जो जल प्रदूषण के कारण होती हैं और ये रोग गैर-जलीय और जलीय दोनों प्रजातियों को प्रभावित करते हैं।

कीटनाशक जो विभिन्न पौधों पर छिड़काव किए जाते हैं, वे भूजल के प्रदूषण का एक स्रोत हैं और साथ ही, महासागरों में तेल फैलने से पानी के शरीर को गंभीर अपरिवर्तनीय क्षति हुई है। जल प्रदूषण का एक अन्य स्रोत यूट्रोफिकेशन है और यह नदियों, तालाबों या झीलों के पास बर्तन, कपड़े धोने जैसी गतिविधियों के कारण होता है; वॉशिंग डिटर्जेंट पानी में चला जाता है और अनजाने में सूर्य के प्रकाश के प्रवेश को अवरुद्ध करता है और इससे पानी की ऑक्सीजन सामग्री कम हो जाती है और यह जलमग्न हो जाता है।

नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (एनओएए) ने आगे कहा कि लगभग 80% समुद्री पर्यावरण प्रदूषण अपवाह जैसे स्रोतों से उत्पन्न होता है। पानी के प्रदूषण का समुद्री जीवन पर विनाशकारी प्रभाव हो सकता है। एक उदाहरण का हवाला देते हुए, सीवेज के साथ रोगजनकों का विकास अच्छी तरह से होता है, जबकि पानी में होने वाले अकार्बनिक और कार्बनिक यौगिक पानी की संरचना को बदल सकते हैं। यदि भंग ऑक्सीजन का स्तर कम है, तो पानी को प्रदूषित माना जाता है; घुलित ऑक्सीजन सीवेज जैसे कार्बनिक पदार्थों पर किए गए अपघटन से है जो पानी में मिलाया जाता है।

जलीय जीवों को नुकसान पहुंचाकर, जल प्रदूषण मनुष्यों को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाकर पूरी खाद्य श्रृंखला को दूषित कर देता है जो जलीय जीवों पर निर्भर हैं। हर जगह डायरिया और हैजा के मामलों की संख्या में तेज वृद्धि हुई है।

मिट्टी प्रदूषण:

इसे भूमि प्रदूषण भी कहा जाता है और यह उन रसायनों के कारण होता है जो मानव गतिविधियों के कारण मिट्टी को खराब करते हैं। कीटनाशकों के उपयोग से मिट्टी से नाइट्रोजन के सभी यौगिकों को हटा दिया जाता है, जिससे पौधों को पोषक तत्व प्राप्त करने के लिए अत्यधिक अयोग्य हो जाता है। वनों की कटाई, खनन और उद्योगों से निकलने वाला कचरा भी मिट्टी को नष्ट करता है और इससे पौधों की वृद्धि बाधित होगी और मिट्टी खत्म हो जाएगी।

ठोस अपशिष्ट का एक महत्वपूर्ण हिस्सा औद्योगिक या वाणिज्यिक अपशिष्ट है। खतरनाक अपशिष्ट को अपशिष्ट के किसी भी ठोस, तरल या कीचड़ के रूप में कहा जा सकता है, जिसमें ऐसे गुण हैं जो खतरनाक हैं या पर्यावरण या मानव स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हैं।

उद्योगों में कीटनाशक निर्माण, पेट्रोलियम शोधन, खनन और रसायनों से जुड़े कई अन्य निर्माणों से खतरनाक अपशिष्ट उत्पन्न होते हैं। खतरनाक कचरे केवल उद्योगों द्वारा उत्पन्न नहीं होते हैं; घरों में अपशिष्ट उत्पन्न होता है जो फ्लोरोसेंट रोशनी, पेंट और सॉल्वैंट्स, एरोसोल के डिब्बे, मोटर तेल और गोला बारूद की तरह खतरनाक होते हैं।

ध्वनि प्रदूषण:

यह एक शोर है जिसकी तीव्रता 85db से अधिक है और यह नंगे कानों तक पहुंचता है। शोर प्रदूषण विभिन्न मनोवैज्ञानिक समस्याओं (जैसे उच्च रक्तचाप और तनाव) का कारण बनता है। यह कभी-कभी सुनने में एक स्थायी हानि का कारण बनता है जो कि बहुत ही विनाशकारी बात है। शोर प्रदूषण बड़े पैमाने पर उद्योगों में लाउड कंप्रेशर्स और पंपों के कारण होता है।

रेडियोधर्मी प्रदूषण:

यह प्रदूषण के अत्यधिक खतरनाक प्रकारों में से एक माना जाता है क्योंकि प्रभाव स्थायी होते हैं। परमाणु कचरे का लापरवाही से निपटारा, परमाणु संयंत्रों में दुर्घटनाएं, आदि सभी रेडियोधर्मी प्रदूषण के उदाहरण हैं। रेडियोधर्मी प्रदूषण एक्सपोजर, कैंसर (रक्त और त्वचा), अंधापन और विभिन्न जन्म दोषों के परिणामस्वरूप बांझपन का कारण बन सकता है। यह हवा, मिट्टी और पानी को स्थायी रूप से बदल सकता है – जो प्रमुख जीवन स्रोत हैं।

इस लेख से सम्बंधित यदि आपका कोई भी सवाल या सुझाव है, तो आप उसे नीचे कमेंट में लिख सकते हैं।

विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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पर्यावरण प्रदूषण: नियंत्रण के उपाय पर निबंध

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प्रदूषण पर निबंध / Essay on Pollution in Hindi

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प्रदूषण पर निबंध / Essay on Pollution in Hindi!

प्रदूषण आज की दुनिया की एक गंभीर समस्या है । प्रकृति और पर्यावरण के प्रेमियों के लिए यह भारी चिंता का विषय बन गया है । इसकी चपेट में मानव-समुदाय ही नहीं, समस्त जीव-समुदाय आ गया है । इसके दुष्प्रभाव चारों ओर दिखाई दे रहे हैं ।

प्रदूषण का शाब्दिक अर्थ है-गंदगी । वह गंदगी जो हमारे चारों ओर फैल गई है और जिसकी गिरफ्त में पृथ्वी के सभी निवासी हैं उसे प्रदूषण कहा जाता है । प्रदूषण को मोटे तौर पर तीन श्रेणियों में विभक्त किया जा सकता है-वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण । ये तीनों ही प्रकार के प्रदूषण मानव के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक सिद्ध हो रहे हैं।

वायु और जल प्रकृति-प्रदत्त जीवनदायी वस्तुएँ हैं । जीवों की उत्पत्ति और जीवन को बनाए रखने में इन दोनों वस्तुओं का बहुत बड़ा हाथ है । वायु में जहाँ सभी जीवधारी साँस लेते हैं वहीं जल को पीने के काम में लाते हैं । लेकिन ये दोनों ही वस्तुएं आजकल बहुत गंदी हो गई हैं ।

वायु प्रदूषण का प्रमुख कारण इसमें अनेक प्रकार की अशुद्ध गैसों का मिल जाना है । वायु में मानवीय गतिविधियों के कारण कार्बन डायऑक्साइड, कार्बन मोनो ऑक्साइड जैसे प्रदूषित तत्व भारी मात्रा में मिलते जा रहे हैं । जल में नगरों का कूड़ा-कचरा रासायनिक पदार्थों से युक्त गंदा पानी प्रवाहित किया जाता रहा है । इससे जल के भंडार; जैसे-तालाब, नदियाँ,झीलें और समुद्र का जल निरंतर प्रदूषित हो रहा है ।

ध्वनि प्रदूषण का मुख्य कारण है – बढ़ती आबादी के कारण निरंतर होनेवाला शोरगुल । घर के बरतनों की खट-पट, मशीनों की खट-पट और वाद्‌य-यंत्रों की झन-झन दिनों-दिन बढ़ती ही जा रही है । वाहनों का शोर, उपकरणों की चीख और चारों दिशाओं से आनेवाली विभिन्न प्रकार की आवाजें ध्वनि प्रदूषण को जन्म दे रही हैं । महानगरों में तो ध्वनि-प्रदूषण अपनी ऊँचाई पर है ।

ADVERTISEMENTS:

प्रदूषण के दुष्प्रभावों के बारे में विचार करें तो ये बड़े गंभीर नजर आते हैं । प्रदूषित वायु में साँस लेने से फेफड़ों और श्वास-संबंधी अनेक रोग उत्पन्न होते हैं । प्रदूषित जल पीने से पेट संबंधी रोग फैलते हैं । गंदा जल, जल में निवास करने वाले जीवों के लिए भी बहुत हानिकारक होता है । ध्वनि प्रदूषण मानसिक तनाव उत्पन्न करता है । इससे बहरापन, चिंता, अशांति जैसी समस्याओं से दो-चार होना पड़ता है ।

आधुनिक वैज्ञानिक युग में प्रदूषण को पूरी तरह समाप्त करना टेढ़ी खीर हो गई है । अनेक प्रकार के सरकारी और गैर-सरकारी प्रयास अब तक नाकाफी सिद्ध हुए हैं । अत: स्पष्ट है कि जब तक जन-समूह निजी स्तर पर इस कार्य में सक्रिय भागीदारी नहीं करता, तब तक इस समस्या से निबटना असंभव है । हरेक को चाहिए कि वे आस-पास कूड़े का ढेर व गंदगी इकट्‌ठा न होने दें ।

जलाशयों में प्रदूषित जल का शुद्धिकरण होना चाहिए । कोयला तथा पेट्रोलियम पदार्थों का प्रयोग घटा कर सौर-ऊर्जा, पवन-ऊर्जा, बायो गैस, सी.एन.जी, एल.पी.जी, जल-विद्‌युत जैसे वैकल्पिक ऊर्जा स्त्रोतों का अधिकाधिक दोहन करना चाहिए । हमें जंगलों को कटने से बचाना चाहिए तथा रिहायशी क्षेत्रों में नए पेड़ लगाने चाहिए । इन सभी उपायों को अपनाने से वायु प्रदूषण और जल प्रदूषण को घटाने में काफी मदद मिलेगी ।

ध्वनि प्रदूषण को कम करने के लिए कुछ ठोस एवं सकारात्मक कदम उठाने की आवश्यकता है । रेडियो, टी.वी. , ध्वनि विस्तारक यंत्रों आदि को कम आवाज में बजाना चाहिए । लाउडस्पीकरों के आम उपयोग को प्रतिबंधित कर देना चाहिए । वाहनों में हल्के आवाज वाले ध्वनि-संकेतकों का प्रयोग करना चाहिए । घरेलू उपकरणों को इस तरह प्रयोग में लाना चाहिए जिससे कम से कम ध्वनि उत्पन्न हो ।

निष्कर्ष रूप में कहा जा सकता है कि प्रदूषण को कम करने का एकमात्र उपाय सामाजिक जागरूकता है । प्रचार माध्यमों के द्वारा इस संबंध में लोगों तक संदेश पहुँचाने की आवश्यकता है । सामूहिक प्रयास से ही प्रदूषण की विश्वव्यापी समस्या को नियंत्रित किया जा सकता है ।

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  • Essays in Hindi /

Essay on Plastic Pollution: छात्रों और बच्चों के लिए प्लास्टिक प्रदूषण पर निबंध

pollution essay topics in hindi

  • Updated on  
  • जून 26, 2024

Essay on Plastic Pollution

आज के दौर में प्लास्टिक हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग बन गया है। खरीदारी से लेकर भोजन तक, हर जगह प्लास्टिक का इस्तेमाल होता है। लेकिन क्या आप जानते है कि प्लास्टिक में मौजूद रसायन हमारे वातावरण और स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक है और इसका अत्यधिक उपयोग प्लास्टिक प्रदूषण का मुख्य कारण बनता है जो हमारे ग्रह, वन्यजीवों और मानव स्वास्थ्य को कई तरह से नुकसान पहुंचा रहा है। यह प्रदूषण आज के दौर में सबसे महत्वपूर्ण पर्यावरणीय चुनौतियों में से एक है। ऐसे में लोगों को इसके बारे में जागरूक करने के लिए तरह तरह के अभियान चलाये जाते हैं। वहीं कई बार प्रतियोगी परीक्षाओं में विद्यार्थियों को प्लास्टिक प्रदूषण पर निबंध लिखने को दिया जाता है। इस ब्लॉग में आपको 100, 200 और 500 शब्दों में प्लास्टिक प्रदूषण पर निबंध (Essay on Plastic Pollution in Hindi) के कुछ सैम्पल्स दिए गए हैं।

This Blog Includes:

प्लास्टिक प्रदूषण क्या होता है, प्लास्टिक प्रदूषण पर निबंध 100 शब्दों में, प्लास्टिक प्रदूषण पर निबंध 200 शब्दों में, प्लास्टिक प्रदूषण पर निबंध 500 शब्दों में, प्लास्टिक प्रदूषण पर स्लोगन, प्लास्टिक प्रदूषण से जुड़े कुछ फैक्ट्स.

प्लास्टिक प्रदूषण एक पर्यावरणीय समस्या है जो प्लास्टिक के उपयोग के परिणामस्वरूप उत्पन्न होती है। प्लास्टिक एक अविश्वसनीय औद्योगिक उत्पाद है जो बहुत सारे उपयोगों के लिए इस्तेमाल होता है, जैसे कि खाद्य संचार, वस्त्रों, इलेक्ट्रॉनिक्स, औषधि पैकेजिंग, आदि। प्लास्टिक की बढ़ती मांग के कारण, इसका उत्पादन और उपयोग भी बहुत तेजी से बढ़ रहा है। प्लास्टिक से बनी वस्तुओं का उपयोग करने के बाद उसे कचरे के रूप में भूमि पर या जल स्रोतों में फेंकना और इस प्लास्टिक कचरे का इकठ्ठा होना ही प्लास्टिक प्रदूषण कहलाता है।

छात्र 100 शब्दों में प्लास्टिक प्रदूषण पर निबंध (Essay on Plastic Pollution in Hindi) ऐसे लिख सकते हैं – 

प्लास्टिक प्रदूषण, आज दुनिया के सामने सबसे महत्वपूर्ण पर्यावरणीय चुनौतियों में से एक है। प्लास्टिक प्रदूषण, हमारे ग्रह, वन्यजीवों और मानव स्वास्थ्य को कई तरह से नुकसान पहुंचा रहा है और दमा, पलमोनेरी कैंसर (फेफड़ों के द्वारा जहरीली गैसों में साँस लेने के कारण होता है), लिवर इन्फेक्शन, गुर्दे की बीमारी, बर्थ डिसॉर्डर, गर्भावस्था संबंधित विकार, हार्मोनल विकार जैसी कई बिमारियों का कारण बनता है। अब सवाल आता है कि प्लास्टिक प्रदूषण को कैसे रोकें? इसके लिए हम व्यग्तिगत स्तर पर प्लास्टिक का इस्तेमाल बंद कर सकते हैं। इसकी जगह हम विकल्प का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके साथ ही हम रीयूज़ की आदत अपने दैनिक जीवन में शामिल कर सकते हैं। प्लास्टिक बैग फेंकने से पहले जितनी बार भी हो सके उनका पुनरुपयोग कर सकते हैं। इस प्रकार हम प्लास्टिक कचरे को कम करने में और प्लास्टिक प्रदूषण के रोकथाम में अपनी महात्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

छात्र 200 शब्दों में प्लास्टिक प्रदूषण पर निबंध (Essay on Plastic Pollution in Hindi) ऐसे लिख सकते हैं – 

प्लास्टिक प्रदूषण प्लास्टिक के कचरे से उत्पन्न होता है। प्लास्टिक एक नॉन- बायोडिग्रेडेबल पदार्थ है जो सैंकड़ो वर्षों तक पृथ्वी पर रहकर वातावरण को नुक्सान पहुंचाता है। आज के समय में यह विकराल रुप धारण कर चुका है और दिन-प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है।

प्लास्टिक एक लीच की तरह पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा है। मनुष्य प्लास्टिक पर इस तरीके से निर्भर हो गए है कि वह चाहकर भी प्लास्टिक को छोड़ नहीं पा रहे है। सूरज की रोशनी, हवा और समुद्री लहर की बजह से प्लास्टिक कचरा छोटे छोटे कणों का आकर ले लेता है। फिर यह हमारे पर्यावरण के वायु मंडल, जल स्रोत आदि में रह जाता है। इन मइक्रोप्लास्टिक का आकर बहुत ही छोटा होता है, जिसके कारण यह हमारे शरीर में प्रवेश कर जाता है, चाहे वो साँस लेते समय हो या फिर पानी के माध्यम से हो।

माइक्रोप्लास्टिक जल स्त्रोतों से हमारे घर तक पहुंचाए जाने वाले पेयजल प्रणालियों में और हवा में प्रवेश करते\। जाने अनजाने में इन मइक्रोप्लास्टिक का सेवन हम इंसान भी कर रहें हैं, जिसके कारण हम बीमार भी पड़ सकते हैं और हमे गंभीर बिमारियों का सामना भी करना पड़ सकता है।

दुनिया भर में प्रदूषण की समस्या में दिनोंदिन बढ़ोतरी होती जा रही है। इसमें भी प्लास्टिक एक समस्या है जो सबसे अधिक चिंताजनक है क्योंकि यह एक ऐसा पदार्थ होता है जिसे नष्ट होने में काफी समय लगता है। केवल इतना ही नहीं इसके कारण पानी से लेकर हवा और भूमि सभी प्रदूषित होते हैं। हमें प्लास्टिक रिसाइकिलंग के बारे में गंभीरता से सोचना होगा और व्यक्तिगत रूप से भी अपनी ज़िम्मेदारी का निर्वाह करना पड़ेगा, तभी हमारी पृथ्वी सुरक्षित रहेगी। स्पष्ट रूप से हमें इस दिशा में और अधिक गंभीरता के साथ कार्य करने की आवश्यकता है।

यह भी देखें – प्रदूषण पर निबंध

छात्र 500 शब्दों में प्लास्टिक प्रदूषण पर निबंध (Essay on Plastic Pollution in Hindi) ऐसे लिख सकते हैं – 

प्लास्टिक से बनी वस्तुओं का जमीन या जल में इकट्ठा होना प्लास्टिक प्रदूषण कहलाता है। प्लास्टिक प्रदूषण कई तरीकों से हो सकता है। एक तरफ, प्लास्टिक के उत्पादन के लिए उपयोग की जाने वाली कचरे के धातुओं के उपयोग में परिवर्तन के कारण और दूसरी ओर, उपयोगिताओं के बाद नष्ट होने पर प्लास्टिक अप्रचलित हो जाता है। इन अप्रचलित प्लास्टिक आवागमनों के कारण यह प्रदूषण पानीमार्ग के माध्यम से नदियों, समुद्रों, झीलों और अन्य जल निकायों में पहुंचता है। यह प्रदूषण मानव स्वास्थ्य, जीवन पशुओं, मार्गनिर्देशक प्रणी, और जलीय प्रदेशों आदि के लिए हानिकारक होता है। 

प्लास्टिक प्रदूषण कई कारणों से होता है। प्लास्टिक सबसे ज़्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला पदार्थ है। यह किफायती होने के साथ इन्हे किसी भी आकार में ढाला जा सकता है। प्लास्टिक के वस्तुओं के बढ़ते उपयोग के कारण ही प्लास्टिक प्रदूषण जैसी गंभीर समस्या उत्पन्न हुई है। प्लास्टिक एक नान- बायोडिग्रेडबल पदार्थ है। इससे उत्पन्न कचरा दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। यह जल और भूमि में विघटित नहीं होता है। यह वातावरण में सैकेड़ो वर्षो तक बना रहता है, जिससे यह भूमि, जल और वायु प्रदूषण का कारण बनता है। प्लास्टिक बैग और प्लास्टिक से बने अन्य उत्पाद छोटे-छोटे टुकड़ो में टूट जाते हैं। यह मिट्टी और पानी के स्त्रोतो में मिल जाते है। परिणामस्वरूप, प्लास्टिक प्रदूषण की समस्या उत्पन्न होती है।

प्लास्टिक अन्य जीवन रूपों को प्रभावित कर सकता है। जल में प्लास्टिक के पड़ जाने से जलजीवन, मत्स्य, और अन्य जलीय प्राणियों को नुकसान पहुंच सकता है। जब प्लास्टिक कचरा जल निकायों में पहुंचता है, तो यह जलमार्गों को प्रदूषित करता है। प्लास्टिक कचरे की वजह से नदियों, समुद्रों और झीलों का पानी गंदा हो जाता है, जिससे जलजीवन और मानव स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। प्लास्टिक प्रदूषण के कारण वनस्पतियों और महत्वपूर्ण प्राणियों को नुकसान पहुंचता है। प्लास्टिक के टुकड़े, छोटे उपकरण और प्लास्टिक वगैरह के साथ जंगली जानवरों के गले बंध सकते हैं या उनके पांव में फंस सकते हैं, जिससे उन्हें खाने-पीने और आकारीय गतिविधियों में समस्याएं हो सकती हैं। प्लास्टिक के उपयोग से उत्पन्न होने वाले केमिकल्स और विषाणुओं के कारण, मानव स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव पडता है। सांस लेने या प्लास्टिक उत्पादों के संपर्क में आने के कारण स्वास्थ्य समस्याएं जैसे एलर्जी, श्वसन संबंधी समस्याएं, हार्मोनल असंतुलन, कैंसर आदि हो सकता हैं।

प्लास्टिक प्रदूषण को कम करने के लिए हमें व्यक्तिगत स्तर पर पहल करने की ज़रूरत है। प्लास्टिक के उपयोग को कम करना, प्लास्टिक से बेहतर निपटारा, विकल्प उत्पादों का उपयोग, जनसंचार के माध्यम से जागरूकता फैलाना , वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकी उन्नति से प्लास्टिक के विकास को कम करना, प्रदूषण नियंत्रण नीतियों को सख्ती से लागू करना , सिंगल यूज़ प्लास्टिक पर बैन आदि से हम प्लास्टिक प्रदूषण को कम कर सकते हैं।

यह भी देखें – सिंगल यूज प्लास्टिक पर पोस्टर

प्लास्टिक प्रदूषण पर कुछ बेस्ट स्लोगन्स कुछ इस प्रकार हैं –

  • प्लास्टिक न सड़ती है, न गलती है सिर्फ़ सदियों तक प्रदूषण करती है 

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  • नई पीढ़ी न करेगी माफ़ जब पर्यावरण का होगा नाश  
  • पेपर बैग का करें इस्तेमाल प्रदूषण में करें न योगदान 
  • घर से थैला खुद ले जाएं पॉलिथीन को न अपनाएं 
  • सिंगल यूज़ प्लास्टिक को न कहें पर्यावरण संरक्षण को हाँ कहें 
  • बीमारी और मौत से बचें प्लास्टिक प्रदूषण की गंभीरता को समझें 

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  • पॉलिथीन का व्यापार न करें लालच में पृथ्वी बीमार न करें 
  • पॉलिथीन से सबको बचाना है जूट और कपड़ा विकल्प बनाना है 
  • पॉलिथीन का करें न उपयोग फैलाती है यह जानलेवा रोग 

प्लास्टिक प्रदूषण से जुड़े कुछ फैक्ट्स निम्नलिखत हैं –

  • विश्व में प्रति वर्ष 400 मिलियन टन प्लास्टिक कचरा उत्पन्न होता है।
  • अमेरिका हर साल 42 मिलियन मीट्रिक टन प्लास्टिक का उत्पादन करता है, जो दुनिया में सबसे ज्यादा है
  • हर साल 8 मिलियन टन से अधिक प्लास्टिक महासागरों में प्रवेश करता है। 
  • महासागरीय प्लास्टिक प्रदूषण 2040 तक 29 मिलियन मीट्रिक टन तक बढ़ने की राह पर है 
  • हर साल प्लास्टिक में फंसने से 100,000 जानवर मर जाते हैं। 
  • मनुष्य हर सप्ताह 5 ग्राम प्लास्टिक निगलता है। 
  • प्लास्टिक 2030 तक अमेरिका में कोयले की तुलना में अधिक GHG उत्सर्जन रिलीज़ करेगा
  • COVID-19 ने महासागर में 25,900 टन प्लास्टिक प्रदूषण बढ़ा दिया है। 
  • औसतन, प्लास्टिक की थैलियों का उपयोग सिर्फ 25 मिनट के लिए किया जाता है। 
  • एक प्लास्टिक को गलने में कम से कम 100 से 500 साल लगते हैं। 
  • आए दिन समुद्र में बढ़ते प्लास्टिक प्रदूषण के कारण समुद्री जीवों की जान पर भी खतरा मंडरा रहा है और वो लुप्त होने की कगार पर हैं। 

प्लास्टिक प्रदूषण से कैंसर, दमा, दिमाग सम्बन्धी बीमारियाँ हो सकती हैं। 

माइक्रोप्लास्टिक प्लास्टिक के छोटे-छोटे टुकड़े होते हैं जिनकी लंबाई 5 मिलीमीटर से कम होती है। समुद्र में माइक्रोप्लास्टिक वैज्ञानिकों के लिए चिंता का विषय बन चुका है।

हर साल अंतरराष्ट्रीय प्लास्टिक बैग फ्री दिवस 3 जुलाई को मनाया जाता है।

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