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भारत के राष्ट्रीय पर्व पर निबंध । National Festival of India in Hindi

भारत का राष्ट्रीय पर्व

भारत के राष्ट्रीय पर्व, भारत में विभिन्नता का ख्याल रखना एक महत्वपूर्ण मूल्य है। यह विभिन्न सांस्कृतिक और सामाजिक परंपराओं को समर्थन करता है और विभिन्न समुदायों को एक साथ जीने का अवसर प्रदान करता है। राष्ट्रीय पर्वों के माध्यम से लोग एक साथ आते हैं और राष्ट्रीय एकता का भावना सुदृढ़ करते हैं। इन पर्वों के माध्यम से हम अपने देश के वीर सुपूतों को याद करते हैं और उनके बलिदान को सलाम करते हैं।

ये राष्ट्रीय पर्व भारतीय जन-मानस में वीरता, समर्पण और एकता के भावनाओं को जागृति करते हैं। इन पर्वों के माध्यम से हम अपने राष्ट्र के शौर्य पूर्ण इतिहास को याद करते हैं और उन वीरों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं जिन्होंने अपने जीवन का समर्पण देश की स्वतंत्रता और गौरव के लिए किया। यह भारतीय समुदाय को एक बड़े परिवार के रूप में महसूस कराता है और उन्हें अपने राष्ट्र के लिए समर्पित होने का एक मार्ग प्रशस्त करता है।

भारत एक ऐसा देश है जो विविधता में अमूर्त है। यहाँ पर्वों का अनूठा और भव्य आयोजन होता है, जिनसे लोग आपसी सम्बंधों को मजबूत बनाते हैं और अपने विभिन्न सांस्कृतिक धारणाओं को मानते हैं। राष्ट्रीय पर्वों को विशेष महत्व दिया जाता है, जिनमें गांधी जयंती , गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस शामिल हैं। इन अवसरों पर देश भर में सभी स्कूल, कालेज, कार्यालय और बाजार बंद होते हैं और लोग उन्हें समर्पित करते हैं। यह समाज के विभिन्न वर्गों को एक साथ आने का अवसर प्रदान करता है और सांस्कृतिक कार्यक्रमों, गाने, और भोजन के माध्यम से उनके एकत्रित होने का उत्साह देता है। यह सब विभिन्न समुदायों के बीच एकता और शांति के संकेत के रूप में हैं।

भारतीयों के राष्ट्रीय पर्व

भारतीयों के राष्ट्रीय पर्व उन विशेष अवसरों को संकेतित करते हैं जो भारत के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को मनाते हैं। ये त्योहार राष्ट्रीय एकता, धार्मिक सहमति और स्वतंत्रता की भावना को बढ़ाते हैं। इन अवसरों पर, विभिन्न समुदायों और धर्मों के लोग एक साथ आते हैं और अपने संस्कृति और सांस्कृतिक धरोहर को समर्थन करते हैं। ये पर्व भारतीय समाज को एकजुट करने और राष्ट्रीय अभिवादन के रूप में महत्वपूर्ण योगदान करते हैं।

स्वतंत्रता दिवस

15 अगस्त 1947 को भारत को आजादी मिली थी और उस दिन से हर साल 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह एक महत्वपूर्ण राष्ट्रीय उत्सव है जो हमें हमारे देश की महानता और उसके वीर सुपूतों की साहसी यात्रा को याद करने के लिए मौका प्रदान करता है। इस दिन हम स्वतंत्रता सेनानियों को भी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं जिन्होंने देश की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। उनके वीरता और समर्पण को स्मरण करते हुए, हम आज भी आजाद भारत के लिए कैसे अभिमानी हैं, यह अहसास होता है।

स्वतंत्रता दिवस समारोह

लाल किले में स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में विशेष आयोजन होता है, जिसमें देश के प्रधान मंत्री राष्ट्रीय ध्वज को फहराते हैं। 15 अगस्त 1947 को भारत को ब्रिटिश शासन से आजादी मिली थी और उसी दिन पंडित जवाहरलाल नेहरू ने लाल किले से राष्ट्रीय ध्वज को फहराया था, जिससे इस अवसर का महत्व और गरिमा बढ़ती है। इस दिन के आयोजन देश भर में स्थानीय स्तर पर भी आम जनता द्वारा उत्साहिती से आयोजित किए जाते हैं।

यह एक ऐतिहासिक दिन है जिसे हम स्वतंत्रता और आजादी के भावनाओं के साथ मनाते हैं। यह उत्सव हमें दिखाता है कि कैसे हमारे पूर्वजों ने गुजारे दशकों में उन आजादी की लड़ाई में अपने प्राणों का बलिदान किया था ताकि आज हम एक स्वतंत्र और समृद्ध देश में जी सकें।

स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर हर साल 21 बंदूकों की सलामी दी जाती है। प्रधानमंत्री देश के नागरिकों को अपने भाषण से संबोधित करते हैं। देश के विभिन्न हिस्सों में झंडा फहराने के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इस मौके पर स्कूल, कॉलेज, कार्यालयों और आवासीय क्षेत्रों में सांस्कृतिक कार्यक्रम और पतंग उड़ाने की प्रतियोगिताएँ भी आयोजित की जाती हैं।

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स्वतंत्रता दिवस के मनाने के स्कूलों में महत्व:

  • स्वतंत्रता सेनानियों को याद करने के लिए: स्वतंत्रता दिवस के समारोह का प्रमुख उद्देश्य है स्वतंत्रता सेनानियों को समर्पण और बलिदान का सम्मान देना। इसके माध्यम से छात्रों को उन महान व्यक्तियों के योगदान के बारे में जानकारी मिलती है जिन्होंने देश की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया।
  • स्वतंत्रता संघर्ष की महत्वपूर्ण घटनाओं के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए: स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर स्कूलों में छात्रों को अंग्रेज शासन के दौरान भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष की महत्वपूर्ण घटनाओं के बारे में जानकारी मिलती है, जिससे उन्हें इतिहास की महत्वपूर्ण पाठशाला मिलती है।
  • स्वतंत्रता के भावना को प्रोत्साहित करने के लिए : स्वतंत्रता दिवस समारोह छात्रों को वे भावनाएँ और गर्व प्रदान करता है जो भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष के पीछे थीं। यह छात्रों को अपने देश के प्रति आदर्श और बौद्धिकता की ओर मोड़ने में मदद करता है।
  • देशभक्ति की भावना को प्रोत्साहित करने के लिए: यह उत्सव युवा पीढ़ी के भीतर देशभक्ति की भावना को जाग्रत करने का एक सुनहरा मौका प्रदान करता है, जो अब के युवाओं के बीच अक्सर कमी दिखाई देती है।

गणतंत्र दिवस

26 जनवरी को भारत का संविधान लागू हुआ था और उस दिन से ही हम गणराज्य बन गए। इस खास दिन को हर साल गणतंत्र दिवस के रूप में उत्साह और गर्व से मनाते हैं। नई दिल्ली के राजपथ पर आयोजित गणतंत्र दिवस समारोह में परेड, नृत्य और विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं जो हमारे संविधान का सम्मान करते हैं।

26 जनवरी को भारतीय गणराज्य के गठन की खुशी मनाई जाती है और राष्ट्रपति राजपथ, नई दिल्ली में राष्ट्रीय ध्वज फहराते हैं। इसके बाद, भारतीय सेना द्वारा दृढ़ रेखा समारोह आयोजित किया जाता है और विभिन्न राज्यों के प्रतिनिधित्व द्वारा विभिन्न संस्कृतियों का प्रदर्शन किया जाता है। स्कूल और कॉलेजों में भी विभिन्न कार्यक्रम आयोजित होते हैं। इस दिन को सैनिकों को याद करने और सम्मानित करने के रूप में मनाने का एक खास तरीका माना जाता है। राष्ट्रपति भी उपाधियों से सम्मानित करते हैं।

आपने सही बताया है, इस दिन सैनिकों की बहादुरी को याद किया जाता है और उन्हें सम्मानित किया जाता है। राष्ट्रपति द्वारा अशोक चक्र और कीर्ति चक्र के माध्यम से उन्हें सम्मान दिया जाता है। इसके अलावा, विभिन्न राज्यों के गवर्नर अपने संबंधित राज्यों में राष्ट्रीय ध्वज को फहराते हैं, और स्कूल, कॉलेज, कार्यालय, और अन्य संस्थानों में विभिन्न समारोह और कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिनमें सैनिकों के साथ-साथ देश के संविधान के महत्व को भी महसूस किया जाता है।

गणतंत्र दिवस का महत्व

गणतंत्र दिवस भारत के लिए एक महत्वपूर्ण और गर्व का दिन है। यह दिन संविधान के निर्माण को याद करने और उसकी महत्वपूर्ण भूमिका को समझाने का एक अच्छा अवसर प्रदान करता है। इसके अलावा, यह युवा पीढ़ी को उनके देश के नेतृत्व और नागरिक उत्साह को बढ़ाने के लिए एक अच्छा अवसर है।

भारतीय संविधान के महत्व को समझाने के लिए, 26 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान का निर्माण किया गया था, और इस दिन स्कूलों में छात्रों को इसके महत्व के बारे में जागरूक करने के लिए उत्साहित किया जाता है। दूसरे शब्दों में, यह दिन छात्रों को भारतीय संविधान के महत्व को समझाने के लिए मनाया जाता है। वे समय के दौरान जिस प्रकार से नेताओं और उनके सामने आने वाली मुश्किलों और चुनौतियों का सामना करते हैं और उनसे प्रेरित होते हैं, वह भाषण के माध्यम से समझाते हैं। इस रूप में, गणतंत्र दिवस एक अच्छा उपाय है जो युवा पीढ़ी को उनके देश के पास लाने के लिए प्रेरित करता है।

विशेष उत्सव का समय

गणतंत्र दिवस को प्रति वर्ष विशेष आनंद और गौरव के साथ मनाया जाता है। नई दिल्ली, भारत की राजधानी, में एक विशेष गणतंत्र दिवस समारोह आयोजित होता है। यहाँ पर भारत के राष्ट्रपति राजपथ में राष्ट्रीय ध्वज फहराते हैं और राष्ट्रीय गान का आरम्भ होता है। इसके बाद, एक विशेष परेड और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इस अवसर पर वीरता पुरस्कार भी वितरित किए जाते हैं।

गांधी जयंती

2 अक्टूबर को गांधी जयंती मनाने से हम राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को उनके योगदान और विचारों की स्मृति में याद करते हैं। उन्होंने सत्याग्रह और अहिंसा के सिद्धांतों का पालन करके भारत को स्वतंत्रता दिलाने के लिए संघर्ष किया था। उनके नेतृत्व में भारत ने अंग्रेजी साम्राज्य का अंत किया था। उनकी अद्भुत व्यक्तित्व और विचारों ने लोगों को एक साथ आने और स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करने के लिए प्रेरित किया।

गांधी जयंती उत्सव

महात्मा गांधी, राष्ट्र के पिता, का जन्म 2 अक्टूबर को हुआ था। उनकी जयंती को विशेष रूप से याद किया जाता है क्योंकि वे एक लोकप्रिय नेता थे। इस दिन, उनकी मूर्तियों को फूलों से सजाया जाता है और विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों और कार्यालयों में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। वहाँ भाषणों द्वारा उनकी उपलब्धियों और योगदान के बारे में चर्चा की जाती है। उपयुक्त श्रद्धांजलि व्यक्त करने के लिए विभिन्न मंत्रियों द्वारा उनके स्मारकों का दौरा किया जाता है। देशभक्ति गीतों की गायन सभाएं भी आयोजित की जाती हैं और चित्रकला और निबंध प्रतियोगिताओं का आयोजन भी होता है।

गांधी जयंती उत्सव का महत्व

गांधी जयंती को स्कूलों में मनाने के निम्नलिखित महत्वपूर्ण कारण हैं:

  • युवा को गांधीजी के विचारों से प्रेरित करने के लिए: महात्मा गांधी को देश के पिता के रूप में माना जाता है। उनके विचारों और आदर्शों को जानकर, छात्रों को सजीव उपदेश मिलता है और वे उनके मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित होते हैं।
  • देशभक्ति भावना को बढ़ाने के लिए: महात्मा गांधी एक सच्चे देशभक्त थे और उनके योगदान को समझकर, छात्रों को अपने देश के प्रति अपनी भावना को स्थापित करने के लिए प्रेरित किया जाता है।

इस तरह, गांधी जयंती का उत्सव स्कूलों में अहम भूमिका निभाता है और छात्रों को महात्मा गांधी के मूल्यों और सिद्धांतों के प्रति समर्पित करने के लिए प्रेरित करता है।

सत्य और अहिंसा के मार्ग का पालन करने की प्रेरणा

महात्मा गांधी जी की विचारधारा एक अद्वितीय और अत्यधिक प्रेरणादायक थी। उन्होंने अहिंसा और सत्य के मार्ग पर चलने का प्रेरणा दिया और इसे अपने जीवन में अमल में लाया। उनके आदर्शों ने स्वतंत्रता संघर्ष को एक नए दिशा दी और उन्होंने देश को एक शक्तिशाली आंदोलन के रूप में एकजुट किया। गांधी जी की विचारधारा न केवल उनके समय के लिए बल्कि आज भी हमारे लिए एक महत्वपूर्ण संदेश है। उनके जन्मदिन को गांधी जयंती के रूप में मनाकर हम उनकी महान विचारधारा को याद करते हैं और उसे अपने जीवन में अमल में लाने के लिए प्रेरित होते हैं।

भारत के राष्ट्रीय त्योहारों के महत्व पर 10 लाइन

  • स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस और गांधी जयंती भारत के राष्ट्रीय त्योहार हैं।
  • ये त्योहार राष्ट्रवाद और देशभक्ति को प्रेरित करते हैं।
  • धर्मों के अनुसार, लोग एकसाथ उत्सव मनाते हैं।
  • ये त्योहार विभिन्न समुदायों को एक साथ लाते हैं और एकता बढ़ाते हैं।
  • स्कूलों, कार्यालयों, बाजारों और आवास समितियों को तिरंगे रंग से सजाया जाता है।
  • विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम और प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं।
  • गांधी जयंती पर बापू की विचारधारा को याद किया जाता है और उनकी प्रेरणा मिलती है।
  • ये उत्सव हमारे इतिहास, स्वतंत्रता संग्राम और संविधान के महत्व को बताते हैं।
  • युवाओं को नागरिकता और राष्ट्रभक्ति की महत्वपूर्ण सीखें देते हैं।
  • ये त्योहार भारतीय समुदाय के विभिन्न घटकों को एक साथ आने के लिए एक अवसर प्रदान करते हैं।

यह त्योहार हमें भारतीय राष्ट्रीयता और स्वतंत्रता के महत्वपूर्ण अध्यायों की याद दिलाते हैं। स्वतंत्रता दिवस हमें आजादी की लड़ाई और उसके महान संघर्षों की याद दिलाता है। गणतंत्र दिवस भारतीय संविधान के उत्थान की खुशी मनाता है और हमारे लोकतांत्रिक आदर्शों का महत्वपूर्ण हिस्सा है। गांधी जयंती हमें अहिंसा और सत्य के मार्ग पर चलने का संकल्प दिलाती है। ये त्योहार एकता और राष्ट्रीय आत्मगौरव की भावना को उत्तेजित करते हैं और भारतीय समाज की गरिमा को उचित मानते हैं।

भारत में कुछ महत्वपूर्ण राष्ट्रीय पर्व हैं, जैसे कि गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस, गांधी जयंती, रक्षाबंधन, दीपावली, होली, ईद-उल-फित्र और ईद-उल-अज़हा।

भारतीय समुदाय में गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस सबसे अधिक महत्वपूर्ण राष्ट्रीय पर्व होते हैं।

भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा होता है, जिसमें सफेद, केसरिया, और हरा रंग होते हैं।

सबसे अधिक लोकप्रिय राष्ट्रीय पर्व दीवाली होता है, जो रोशनी, खुशियों, और समृद्धि का प्रतीक है।

भारत में हिंदू, मुस्लिम, सिख, और ईसाई धर्मों के अलग-अलग राष्ट्रीय पर्व मनाए जाते हैं।

भारतीय समुदाय में सबसे बड़ा राष्ट्रीय पर्व दीपावली होता है, जो खुशियों का त्योहार है।

हां, हॉकी को भारत का राष्ट्रीय खेल माना जाता है, और हॉकी की महत्ता को ध्यान में रखते हुए कई त्योहार आयोजित किए जाते हैं।

राष्ट्रीय पर्वों पर स्कूल, कॉलेज, और सार्वजनिक स्थानों पर संस्कृतिक कार्यक्रम, प्रतियोगिताएं, और उत्सव आयोजित किए जाते हैं।

गणतंत्र दिवस भारतीय संविधान के अधोध्यायन और प्रभावी रूप से लागू होने का पर्व होता है।

राष्ट्रीय पर्वों का मुख्य उद्देश्य राष्ट्रीय एकता, सामाजिक सद्भावना, और समृद्धि को प्रोत्साहित करना होता है।

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भारत के राष्ट्रीय पर्व पर निबंध

Essay on National Festivals of India in Hindi: राष्ट्रीय पर्व वह होते हैं, जो राष्ट्रीय से संबंधित मनाए जाते हैं। जैसे कि स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस, इत्यादि। तो आज हम आपको अपने इस लेख में इसी से संबंधित जानकारी देने वाले हैं। हम यहां पर  भारत के राष्ट्रीय पर्व   पर निबंध  शेयर कर रहे है। इस निबंध में  भारत के राष्ट्रीय पर्व   के संदर्भित सभी माहिति को आपके साथ शेअर किया गया है। यह निबंध सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए मददगार है।

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भारत के राष्ट्रीय पर्व पर निबंध | Essay on National Festivals of India in Hindi

भारत के राष्ट्रीय पर्व पर निबंध (250 शब्द).

हमारा भारत त्योहारों का देश है। यहां पर अनेक प्रकार के त्योहार मनाए जाते हैं। होली, दिवाली, ईद, बैसाखी, हर तरह के त्योहारों को बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इसी प्रकार इनमें से कुछ राष्ट्रीय त्योहार भी हैं, जिन्हें हम बड़ी धूमधाम के साथ मनाते हैं।

स्वतंत्रता दिवस

15 अगस्त 1947 को भारत को आजादी मिली थी। इस दिन को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता है और हमारे स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि दी जाती है और इस बात से अवगत कराया जाता है कि किस तरह अंग्रेजों से हमें आजादी दिलवाई थी। स्वतंत्रता सेनानियों ने और उनके लिए कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

गणतंत्र दिवस

26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान लागू हुआ था। इस उपलक्ष में गणतंत्र दिवस मनाया जाता है। यह भारत का सबसे महत्वपूर्ण दिन है, इसीलिए इस दिन को बहुत ही महत्वपूर्ण तरीके से मनाया जाता है। दिल्ली के लाल किला पर परेड निकाली जाती है और प्रधानमंत्री द्वारा झंडा फहराया जाता है। स्कूलों में भी अनेक प्रकार के कार्यक्रम किए जाते हैं।

गांधी जयंती

गांधी जयंती 2 अक्टूबर को मनाई जाती है। इस दिन महात्मा गांधी का जन्म दिवस होता है। महात्मा गांधी उन स्वतंत्रता सेनानियों में से एक हैं, जिन्होंने भारत को आजादी दिलाई थी। महात्मा गांधी के द्वारा बहुत से आंदोलन किए गए थे, सबसे महत्वपूर्ण योगदान महात्मा गांधी का रहा है।

ये राष्ट्रीय त्यौहार भारत के इतिहास के आवश्यक अध्याय हैं। राष्ट्रीय त्योहार देशभक्ति की एक महान भावना के साथ और हमारी स्वतंत्रता की जीत की याद में मनाया जाता है। ये त्यौहार हमें याद दिलाते हैं कि भले ही हम एक दूसरे से भिन्न हों, हमारा प्यार हमें राष्ट्र के लिए एकजुट करता है।

भारत के राष्ट्रीय पर्व पर निबंध (850 शब्द)

हमारा भारत त्योहारों का देश है। यहां पर अलग-अलग तरह के त्यौहार बड़ी ही धूमधाम के साथ मनाया जाते हैं। सभी धर्म समुदाय और जाति के लोग मिलकर सभी त्योहारों को एक साथ मनाते हैं। समुदाय के त्योहार होते हैं, जैसे होली, दिवाली, ईद, बैसाखी इत्यादि।

आज हम यहां पर बात कर रहे हैं, राष्ट्रीय त्योहार के बारे में। भारत के तीन प्रमुख राष्ट्रीय त्योहार हैं;- स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस, और गांधी जयंती इन तीनों त्योहारों को बड़ी ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है।

राष्ट्रीय त्योहार क्या है?

राष्ट्रीय त्योहार वह त्योहार होते हैं, जो त्योहार हमारे देश के उपलक्ष में मनाए जाते हैं। जिन त्योहारों से हमारा इतिहास जुड़ा होता है। उन त्योहारों को राष्ट्रीय त्योहार कहा जाता है। इन त्योहारों को उतनी ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। जितनी धूमधाम के साथ सामुदायिक त्योहारों को मनाया जाता है, क्योंकि यह हमारे देश से जुड़े हैं और हमारी देश प्रेम भावना को जागरूक करते हैं।

15 अगस्त 1947 के उपलक्ष में स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है, क्योंकि इस दिन भारत को अंग्रेजों की गुलामी से आजादी मिली थी। इस त्यौहार को बड़ी ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। आइए इससे  जुड़ी कुछ बातें आपको बताते हैं;-

  • स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि

स्कूलों में कॉलेज में अन्य जगहों पर बड़े-बड़े कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, और स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि दी जाती है। उनके त्याग बलिदान के उपलक्ष में उनको याद किया जाता है, और उनका मान सम्मान बढ़ाया जाता है। जिसके कारण इस त्यौहार को बड़ी ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। साथ ही लाल किले पर प्रधानमंत्री के द्वारा झंडा फहराया जाता है।

  • युवा पीढ़ी के लिए स्वतंत्रता संघर्ष का महत्व ;-

आज की युवा पीढ़ी  को स्वतंत्रता दिवस के बारे में बताया जाता है, उन्हें जागरूक किया जाता है और भारतीयों के द्वारा सही गई यात्राओं के बारे में बताया जाता है। किस तरह से अंग्रेजों ने भारत के ऊपर शासन किया था और लोगों को प्रताड़ना दी थी और किस तरह से हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने अपनी जान की कुर्बानी देकर भारत को आजादी दिलाई थी। इन सब बातों से युवा पीढ़ी को अवगत कराया जाता है, भाषण दिया जाता है और उत्सव मनाया जाता है।

  • युवा पीढ़ी में देश भक्ति जागृत के लिए

इस उत्सव के जरिए युवा पीढ़ी को भी जागरूक किया जाता है और उनके अंदर देशभक्ति पैदा करने का यह बहुत ही अच्छा जरिया है। आजकल की युवा पीढ़ी में देशभक्ति बहुत ही कम देखने को मिलती है इसीलिए इस उत्सव को बहुत ही अच्छे तरीके के साथ मनाया जाता है।

26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान लागू किया गया था। इस उपलक्ष में गणतंत्र दिवस मनाया जाता है। आइए इससे  जुड़ी कुछ बातें आपको बताते हैं;-

  • संविधान के महत्व को समझाने के लिए

इस दिन युवा पीढ़ी को और सभी लोगों को संविधान का महत्व समझाने के लिए इस त्यौहार को बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। दिल्ली के लाल किला पर परेड निकाली जाती है और झंडा फहराया जाता है।

  • युवा पीढ़ी को देश के करीब लाने के लिए और उसका महत्व समझाने के लिए

संविधान में सभी कर्तव्य और अधिकार सम्मिलित हैं, जिन से युवा पीढ़ी को अवगत होना चाहिए और अपने देश के करीब रहना चाहिए। अपने देश के इतिहास को जानना चाहिए, इसी उपलक्ष में गणतंत्र दिवस का उत्सव बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। खासतौर पर स्कूल और कॉलेज में आयोजित किया जाता है। भाषण दिया जाता है और नाटक प्रस्तुत किए जाते हैं।

2 अक्टूबर को गांधी जयंती मनाई जाती है। इस दिन गांधी जी का जन्म दिवस होता है। इसी उपलक्ष में गांधी जयंती मनाई जाती है। आइए इससे जुड़ी कुछ और बातें बताते हैं;-

  • महात्मा गांधी के विचार धाराओं के बारे में बताने के लिए

महात्मा गांधी जी को देश के पिता के रूप में संबोधित किया जाता है। सब लोगों ने प्यार से बापू कहकर बुलाते थे। स्कूल और कॉलेज मैं गांधी जयंती को भी बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाता है। गांधी जी को सम्मान देने के लिए इस दिन को मनाया जाता है, और युवा पीढ़ी को प्रोत्साहित किया जाता है, कि वह महात्मा गांधी के चरण कमल और उनकी विचारधारा को ध्यान में रखते हुए, अपने जीवन का मार्गदर्शन करते रहें। जिस तरह से वह सच्चाई और अहिंसा के मार्ग पर चले थे। हमें भी उसी तरह से हमेशा सच्चाई और अहिंसा का रास्ता ही अपनाना चाहिए, फिर कितनी मुश्किलें क्यों ना आए हम हर मुश्किल को पार कर जाएंगे।

  • जागरूकता देशभक्ति के लिए

युवा पीढ़ी को जागरूक किया जाता है, देश भक्ति के लिए जिस तरह से महात्मा गांधी एक सच्चे भक्त थे। उसी तरह से लोगों को भी जागरूक किया जाता है, कि वह देश के प्रति सच्चे और ईमानदार रहें।

त्योहारों का महत्व

  • गांधी जयंती का अपना एक अलग महत्व है क्योंकि यह त्यौहार गांधी जी के विचारों की तरह सोच रखने की सीख देता है। यह भी सीख देता है कि हमें एकजुट होकर रहना चाहिए और हर त्यौहार को आपस में मिलकर मनाना चाहिए।
  • स्वतंत्रता दिवस का यह महत्व होता है कि लोग अपने आप को स्वतंत्र मानते हैं और खुशी मनाते हैं क्योंकि वह किसी भी बंदिश में नहीं है। लोगों को आजादी बहुत ही प्रिय होती है। इस दिन के उपलक्ष में पतंगबाजी भी की जाती है, जिसमें लोग बहुत ही आनंद लेते हैं।
  • गणतंत्र दिवस इसका भी अपना ही एक अलग महत्व है क्योंकि इस दिन भारत का संविधान लागू किया गया था और लाल किले पर परेड निकाली जाती है। जिसका आनंद लेने के लिए वहां पर लाखों की भीड़ पहुंचती है और इसको बहुत ही उत्साह के साथ मनाया जाता है।

हमारे राष्ट्रीय त्योहार बहुत ही महत्वपूर्ण है, इसीलिए हमें इन्हें धूमधाम के साथ मनाना चाहिए, और अपने देश भक्ति के प्रति जागरूक रहना चाहिए। अपने देश का सम्मान करना चाहिए। अपने आप को स्वच्छ रखना चाहिए, और इन त्योहारों के साथ संबंध बनाए रखना चाहिए, क्योंकि यह हमारे देश के इतिहास से अवगत कराते हैं।

दोस्तों आज हमने अपने इस लेख में आपको भारत के राष्ट्रीय पर्व पर निबंध ( Essay on National Festivals of India in Hindi) के बारे में बताया है और उनका महत्व भी समझाया है। आशा करते हैं कि आपको यह लेख पसंद आया होगा और आप भी अपने देश के प्रति जागरूक रहेंगे। अगर आपको इससे संबंधित कोई भी जानकारी चाहिए तो आप कमेंट बॉक्स में कमेंट कर सकते हैं।

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भारतीय के राष्ट्रीय पर्व पर निबंध | Indian National Festivals Essay in hindi

भारतीय के राष्ट्रीय पर्व पर निबंध Indian National Festivals Essay in hindi

हमारा भारत देश एक धर्मनिरपेक्ष देश है, यहाँ सारे तीज त्यौहार को सभी जाति धर्म के लोग मिल जुलकर बड़े धूमधाम से मनाते है. राखी, दिवाली, दशहरा, ईद, क्रिसमस और भी अनेको त्यौहार को सभी लोग साथ में मनाते है. भारत देश में त्योहारों की कमी नहीं है, धर्म जाति के हिसाब से सबके अलग अलग त्यौहार है. लेकिन कुछ ऐसे भी त्यौहार है, जो किसी जाति विशेष के नहीं है, बल्कि हमारे राष्ट्र के है, जिसे हम राष्ट्री पर्व कहते है.

Table of Contents

भारतीय के राष्ट्रीय पर्व  (Indian national festivals in hindi)

1947 से देश की आजादी के बाद ये राष्ट्रीय पर्व हमारे जीवन का हिस्सा बन गए, तब से लेकर अब तक हम इन्हें बड़े ही हर्षोल्लास से मनाते है. ये पर्व हमारी राष्ट्रीय एकता को दर्शाते है. भारत के प्रमुख राष्ट्रीय पर्व –

 
1 15 अगस्त
2 26 जनवरी
3 2 अक्टूबर

ये नेशनल पर्व है, साथ ही ये नेशनल हॉलिडे भी है. इसके अलावा टीचर्स डे, चिल्ड्रन डे भी नेशनल हॉलिडे है, ये हमारे देश के महान स्वतंत्रता संग्रामी की याद में मनाये जाते है. इसके अलावा सरदार वल्लभभाई पटेल , भगत सिंह व् भीमराव अम्बेडकर जैसे महान स्वतंत्रता संग्रामी व् नेताओं को विशेष दिन श्रधांजलि दी जाती है. ये त्यौहार देश को प्रेम व् एकता का सन्देश देते है. भारत में राष्ट्रीय त्योहारों को विशेष रूप से मनाया जाता है, इसलिए ये उन्हें बाकि त्योहारों से अलग करता है. सरकार इन पर्व को मनाने के लिए विशेष तौर पर तैयारी करती है, पूरे देश  को एक दुल्हन की तरह सजाया जाता है. तरह तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रम होते है.

indian national festivals

स्वतंत्रता दिवस व् गणतंत्र दिवस को सर्वोच्च स्थान प्राप्त है. ये हमारे देश के विशिष्ठ त्योहारों में से एक है. इस दिन हर राज्य, जिले, व् सरकारी भवनों में तिरंगा झंडा फ़हराया जाता है.  सभी सरकारी दफ्तर, संस्थान व् शैक्षिक संसथान में विशेष रूप से कार्यक्रमों का आयोजन होता है, व् सभी जगह इसे एक समान रूप में मनाया जाता है. भारत की राजधानी दिल्ली में विशेष रूप से कार्यक्रम आयोजित होते है, हमारे देश की सैन्य शक्ति का भी प्रदर्शन किया जाता है. इस दिन पुरुस्कार व् सम्मान समारोह भी आयोजित होते है, जिसमें देश के लिए अद्भुत काम करने वालों को सम्मानित किया जाता है. देश की जनता एक दुसरे को मेसेज, कार्ड देकर इस दिन बधाई देती है.

स्वतंत्रता दिवस (Independence day) –

1947 को भारत देश को ब्रिटिश शासन से 200 सालों बाद स्वतंत्रता मिली थी. जिसे हम हर साल सेलिब्रेट करते है. हर साल 15 अगस्त को हमारे देश की स्वतंत्रता को पुरे जोश के साथ मनाया जाता है. ये हर एक भारतीय के लिए आनंदमय दिन होता है, इस दिन सभों को देश के लिए जान देने वाले शहीदों की याद आती है, सब उन्हें श्रधांजलि देते है. इस दिन प्रधानमंत्री दिल्ली के लाल किले में झंडा फहराते है, सभी मुख्यमंत्री अपने अपने प्रदेश में, व् और बड़े नेता किसी न किसी जिले में हमारे देश की शान तिरंगे झंडे को फहराते है. लाल किले  से प्रधानमंत्री जी देश के नाम भाषण भी देते है. प्रधानमंत्री जी देश में हुए विकास व् आने वाले समय की नयी योजनाओं के बारे में बात करते है. झंडा बंधन के बाद राष्ट्रगान भी गाया जाता है. प्रधानमंत्री देश की सेना को सलामी देते है.

स्कूल, कॉलेज में भी इस दिन के लिए पहले से तैयारियां शुरू हो जाती है. नाच गाने, भाषण के साथ इस दिन को मनाया जाता है. जिसके बाद पुरुस्कार वितरण भी होता है. अलग अलग शैक्षिक संस्थान के अलावा, जिले में इसे एक साथ भी मनाया जाता है, जहाँ सारे स्कूल, कॉलेज के बच्चे भाग लेते है. यहाँ डांस, पीटी, परेड, भाषण, गाने का प्रोग्राम होता है. साथ में इस दिन के कुछ दिन पूर्व से तरह तरह के खेल, वाद-विवाद, फेस पेंटिंग जैसी प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया जाता है. इन सभी गतिविधियों से देश के नागरिक की एकता और मजबूत होती है. टीवी, रेडियो पर इस दिन स्वतंत्रता से जुड़े कार्यक्रम आते है, फ़िल्में गाने के अलावा किसी व्यक्ति विशेष के बारे में बताया जाता है.

गणतंत्र दिवस (Republic day)

26 जनवरी 1950 को भारत देश का स्वतंत्र संविधान लागु हुआ था. जिसके बाद से हर साल 26 जनवरी को हम गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते है. इस दिन प्रधानमंत्री इंडिया गेट पर देश के सभी शहीदों को श्रध्दा सुमन अर्पित करते है. इस दिन का भारत के हर एक नागरिक के जीवन में विशेष महत्त्व है, इस दिन भारत सम्पूर्ण गणराज्य बन गया था. देश को अपनी सरकार चलाने का हक मिला था. गणतंत्र दिवस के मौके पर भी स्वतंत्रता दिवस जैसी तैयारी होती है, हर जगह झंडा बंधन होता है, राष्ट्रगान फिर भाषण. दिल्ली के राजपथ पर इसकी विशेष तयारी होती है. दिल्ली के स्कूली बच्चों के द्वारा स्पेशल फोल्क डांस तैयार किया जाता है, साथ ही इस दिन एक विशेष तयारी होती है. इस दिन देश के सभी राज्य, मंत्रालय द्वारा राजपथ पर विशेष झाकियां निकाली जाती है. ये झांकी किसी भी विषय पर बनाई जाती है. इस दिन भारत में गेस्ट के रूप में विदेश से किसी नेता को बुलाया जाता है. नरेंद्र मोदी जी के प्रधानमंत्री बनने के बाद उसके पहले गणतंत्र दिवस पर 2015 में अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा को बुलाया गया था. राजपथ पर ये प्रोग्राम 2 घंटे के लगभग चलता है.

इसी दिन शोर्य व् वीरता के पुरुस्कार भी वितरित किये जाते है, पद्म भूषण, विभूषण, भारत रत्न जैसे विशेष सम्मान के लिए नामों का नामांकन भी इसी दिन होता है. देश के हर जिले में इसे मनाते है, वहां भी अलग अलग झाकियां निकाली जाती है, जो आकर्षण का मुख्य केंद्र होती है. राज्य के गवर्नर सेना की परेड को सलामी देते है.

गाँधी जयंती (Gandhi Jayanti)-

हमारे देश के राष्ट्रपिता ‘मोहनदास करमचन्द गाँधी’ जी के जन्म दिन 2 अक्टूबर को गाँधी जयंती के रूप में समस्त भारत में मनाया जाता है. महात्मा गाँधी ने अपने कठिन प्रयासों से भारत देश को आजादी दिलाई थी. अहिंसावादी गाँधी जी देश के लिए जान देने को तैयार थे, उन्हें बस देश की आजादी प्यारी थी. राष्ट्रीय पर्व में इसका भी महत्वपूर्ण स्थान है. इस दिन को स्वतंत्रता दिवस व् गणतंत्र दिवस जैसे बड़े तौर पर नहीं मनाया जाता है, लेकिन यह दिन हर भारतीय को शांति व् भाईचारे का सन्देश देता है. गाँधी जी सत्याग्रह व् अहिंसा के साथ हमेशा खड़े रहे है, उन्होंने अपने मूल्यों पर चलकर देश को आजादी दिलाई थी. इस दिन सरकारी, व् शैक्षिक संसथान पर गाँधी जी को श्रद्धा सुमन अर्पित किये जाते है, उनके बारे में गीत भाषण का आयोजन होता है.

इस दिन प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति व् देश का हर एक बड़ा नेता गाँधी जी के समाधी स्थल राजघाट में जाता है और महात्मा गाँधी को श्रधांजलि देते है, यहाँ विशेष प्राथना सभा का भी आयोजन किया जाता है. साथ ही गाँधी जी के जीवन पर आधारित भाषण, वाद-विवाद, पेंटिंग, निबंध, क्रिएटिव राइटिंग प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है. इससे बच्चे गाँधी जी को और करीब से जान पाते है. 2014 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने गाँधी जयंती पर ही ‘ स्वच्छ भारत अभियान’ का  शुभारम्भ किया था.

उपर बताये गए दिनों के अलावा कुछ और यादगार दिन भी है, जैसे लाला लाजपत राय, रानी लक्ष्मी बाई, सुभाषचंद्र बोस आदि ये वे सभी लोग है, जिन्होंने हमारे देश की आजादी के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए. इन्होने देश को आजाद करना अपना पहला कर्तव्य समझा. ये सभी दिनों को छोटे तौर पर मनाया जाता है. राष्ट्रीय तौर पर यही त्यौहार हमारे देश को एकिकृत करते है, जहाँ कोई जाति, धर्म, समाज हमें इन त्यौहारों को ना मनाने के लिए बाध्य नहीं कर सकता.

राष्ट्रीय पर्व पर भारतीय क्या – क्या करते हैं

  • राष्ट्रीय पर्व के दौरान स्कूलों एंव सार्वजनिक स्थानों में कार्यक्रम किये जाते हैं.
  • इस दिन छात्र देश हित में नाट्य करते हैं.
  • कुछ सरकारी स्कूल एंव प्राइवेट स्कूलों में प्रतियोगिता रखी जाती है.
  • समाजिक शांति चाहने वाले लोग इस दिन देश के वीर जवानों एंव देश हित में कार्य करने वाले लोगों के बारें में जानकारी देते हैं.
  • गणतंत्र दिवस एंव स्वंत्रता दिवस के दिन भारतीय देशभक्ति गीत एंव देशभक्तों का गुणगान करते हैं.
  • महात्मा गांधी जयंती पर बापू के जीवन के बारें में बताया जाता है. बताया जाता है की कैसे उन्होंने भारत के लिए क्या – क्या किया था.
  • वैसे तो राष्ट्रीय पर्व राष्ट्रीय हॉलिडे होते हैं राष्ट्रीय पर्वों पर स्कूलों एंव कार्यालयों में सांस्कृतिक आयोजन किये जाते हैं.
  • गणतंत्र दिवस हिंदी कविता
  • देशभक्ति मेसेज
  • वैलेंटाइन डे इतिहास, गिफ्ट आईडिया

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दा इंडियन वायर

भारतीय त्योहारों पर निबंध

essay in hindi our national festival

By विकास सिंह

essay on indian festivals in hindi

भारत त्योहारों का देश है। यह विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों के लोगों से मिलकर बना है और इस प्रकार कई धार्मिक त्योहार मनाता है। भारतीय तीन राष्ट्रीय त्योहार भी मनाते हैं।

भारत में त्योहारों का पूरे साल इंतजार किया जाता है और इसे बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। त्योहारी सीजन के दौरान पूरा माहौल खुशी और उत्साह से भरा होता है।

भारतीय त्योहारों पर निबंध, essay on indian festivals in hindi (200 शब्द)

भारतीय अपने त्योहारों को विशेष महत्व देते हैं। प्रत्येक वर्ष विभिन्न त्योहारों के उत्सव के लिए विशेष व्यवस्था की जाती है। गांव हों या बड़े शहर हों चारों तरफ खुशी है। त्यौहारों के मौसम के दौरान सभी स्थानों को अलंकृत किया जाता है। कुछ मुख्य भारतीय त्योहारों में दिवाली, होली, रक्षा बंधन, गणेश चतुर्थी, दुर्गा पूजा, दशहरा, पोंगल और भाई दूज शामिल हैं।

हमारे देश में लोग त्योहारों को अपने नजदीकियों के साथ मनाना पसंद करते हैं। प्रत्येक भारतीय त्योहार का उत्सव मनाने का अपना अनूठा तरीका है और लोग उसी उत्सव को मनाते हुए परंपरा का पालन करते हैं। हालांकि, कुछ चीजें आम हैं, उदाहरण के लिए लोग त्योहारों के दौरान अपने घरों को फूलों और रोशनी से सजाते हैं और नए कपड़े पहनते हैं। वे एक दूसरे से मिलने जाते हैं और उपहारों का आदान-प्रदान करते हैं। मेहमानों के इलाज के लिए घर पर विशेष मिठाइयाँ तैयार की जाती हैं।

भारत के लोग भी देश के राष्ट्रीय त्योहारों के लिए बहुत सम्मान रखते हैं। गांधी जयंती, स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस हमारे देश के तीन राष्ट्रीय त्योहार हैं। ये त्यौहार एकता और प्रगति का प्रतीक हैं। वे हमें हमारे देशभक्त नेताओं की याद दिलाते हैं जिन्होंने निस्वार्थ भाव से देश की सेवा की। राष्ट्रीय त्योहार समान उत्साह के साथ मनाए जाते हैं। इन त्योहारों के दौरान देशभक्ति की भावना से पूरा वातावरण भर जाता है।

सभी सभी, भारतीय धार्मिक और राष्ट्रीय त्योहारों को बहुत उत्साह के साथ मनाते हैं। बच्चों के साथ-साथ बड़ों को भी त्योहारों का इंतजार रहता है।

भारतीय त्योहारों पर निबंध, essay on indian festivals in hindi (300 शब्द)

indian festivals

प्रस्तावना :

भारत में त्यौहार का समय छात्रों द्वारा विशेष रूप से पूरे वर्ष भर इंतजार किया जाता है। वे विभिन्न कारणों से त्योहारों की प्रतीक्षा करते हैं। इसका एक मुख्य कारण यह है कि त्योहारों के दौरान स्कूल और कॉलेज बंद रहते हैं और यह सांसारिक दिनचर्या और सख्त अध्ययन कार्यक्रम से राहत प्रदान करता है।

छात्र त्योहारों को भी पसंद करते हैं क्योंकि यह अपने चचेरे भाई और रिश्तेदारों से मिलने का समय है जो उन्हें उपहार के साथ शुभकामनाएं देते हैं। इसके अलावा, उन्हें बहुत सारी स्वादिष्ट मिठाइयाँ खाने और नए कपड़े पहनने को मिलते हैं।

स्कूलों / कॉलेजों में समारोह:

भारत में त्योहारों को न केवल परिवार के साथ घर पर मनाया जाता है, बल्कि स्कूलों और कॉलेजों में भी मनाया जाता है। त्योहारों के दौरान शैक्षिक संस्थान फूलों, रोशनी, सुंदर पोस्टर और रंगीन पर्दे के साथ तैयार किए जाते हैं। छात्रों को त्योहारों के रंग में जोड़ने के लिए जातीय परिधान में आने के लिए कहा जाता है।

सामान्य कक्षा सत्रों को इन दिनों मजेदार गतिविधियों से बदल दिया जाता है। सांस्कृतिक कार्यक्रम और अन्य दिलचस्प गतिविधियाँ स्कूलों और कॉलेजों में उत्सव के उत्सव का एक हिस्सा बनती हैं। छात्रों के साथ-साथ शिक्षक भी इन गतिविधियों में पूरे मनोयोग से भाग लेते हैं और पूरा वातावरण खुशी और हँसी से भर जाता है।

ये उत्सव आम तौर पर त्योहार से एक दिन पहले किया जाता है क्योंकि यह त्योहार के दिन छुट्टी होती है।

सांस्कृतिक मूल को समझना:

भारतीय त्योहार देश की संस्कृति का प्रतिबिंब हैं। त्योहारों पर आयोजित समारोह हमारे देश की संस्कृति और परंपरा से छात्रों को परिचित कराते हैं। प्रत्येक त्यौहार का एक धार्मिक अर्थ और उससे जुड़ी परंपरा है। त्योहार का समय छात्रों को हमारे देश की सांस्कृतिक जड़ों के बारे में समझने और उन्हें इससे जुड़ने में मदद करने का एक शानदार अवसर है।

निष्कर्ष:

इस प्रकार भारतीय त्योहार एक से अधिक तरीकों से छात्रों के लिए महत्वपूर्ण हैं। ये निकट और प्रिय लोगों के साथ संबंध बनाने और देश के समृद्ध सांस्कृतिक अतीत के बारे में जानने का एक शानदार तरीका है।

भारतीय त्योहारों पर निबंध, indian festivals essay in hindi (400 शब्द)

indian festivals

भारतीय अपने त्योहारों को विशेष महत्व देते हैं। यह क्षेत्रीय त्यौहार हों या राष्ट्रीय त्यौहार – हमारे देश में सभी त्यौहार प्रेम और उल्लास के साथ मनाए जाते हैं। इनमें से अधिकांश त्योहारों पर स्कूलों, कॉलेजों और कार्यालयों में अवकाश होता है।

त्यौहारों के लिए धार्मिक धारणा का महत्त्व :

भारत में त्योहारों के महत्व को बहुत अच्छे तरीके से देखा जा सकता है। लोग न केवल घर पर त्यौहार मनाते हैं बल्कि अपने निकट और प्रिय लोगों के साथ उन्हें मनाने के लिए भी जाते हैं। उत्सव स्कूलों और कार्यस्थलों में भी किया जाता है। हमारी संस्कृति धार्मिक प्रथाओं के लिए उच्च सम्मान रखती है। भारत में लोग ज्यादातर भगवान से डरते हैं।

चूंकि, भारतीय त्यौहारों से जुड़ी कुछ धार्मिक धारणाएँ हैं, भारतीय अपने देवताओं को खुश करने और अपने जीवन में सकारात्मकता और खुशियाँ लाने के लिए पूरे मन से मनाते हैं। मिसाल के तौर पर, दिवाली भगवान राम के अपने गृह नगर अयोध्या में लौटने के लिए मनाई जाती है।

जन्माष्टमी भगवान कृष्ण के जन्म का जश्न मनाती है, दुर्गा पूजा देवी दुर्गा को प्रार्थना करने के लिए मनाई जाती है और उनके विभिन्न अवतार और गणेश चतुर्थी भगवान गणेश की पूजा करने के लिए मनाई जाती है।

त्योहार का समय शुभ माना जाता है:

त्योहार का समय हिंदू धर्म के अनुसार शुभ माना जाता है। यह एक और कारण है कि लोग इस समय को इतना महत्व क्यों देते हैं। वे जीवन में कुछ भी नया शुरू करने के लिए इस समय का इंतजार करते हैं ताकि एक अच्छे नोट पर शुरुआत कर सकें।

उदाहरण के लिए, लोगों का मानना ​​है कि नवरात्रों के दौरान या दिवाली के अवसर पर नए घर में जाना सौभाग्य में लाता है, इसी तरह गणेश उत्सव के दौरान या मकर संक्रांति के दौरान नई नौकरी में शामिल होना उनके लिए अच्छा साबित हो सकता है।

इसी तरह, बैसाखी, गुरु पूर्णिमा, पोंगल, महा शिवरात्रि, राम नवमी, बसंत पंचमी और अक्षय तृतीया जैसे कई अन्य त्यौहारों को बहुत शुभ माना जाता है और विशेष रूप से कुछ नया शुरू करने के लिए इंतजार किया जाता है जैसे कि एक नई दुकान खरीदना, व्यवसाय शुरू करना, हस्ताक्षर करना। एक बड़ा व्यापारिक सौदा, शादी की तारीख तय करना, आदि।

राष्ट्रीय त्योहार भी समान रूप से महत्वपूर्ण हैं

हमारे राष्ट्रीय त्योहार विशेष रूप से स्वतंत्रता दिवस हमें उस संघर्ष और बलिदान की याद दिलाते हैं जो हमारे लोगों ने स्वतंत्रता हासिल करने के लिए किया था। भारत के सभी तीन राष्ट्रीय त्योहारों को विशेष महत्व दिया जाता है। पूरा देश इस दौरान देशभक्ति में डूब जाता है। ये त्यौहार पूरे देश में पूरे जोश के साथ मनाया जाता है। ये हमारे बहादुर देशभक्त नेताओं का सम्मान करने का एक तरीका है।

इस प्रकार, त्यौहार भारतीयों के लिए उच्च महत्व रखते हैं। चाहे वे भारत में रहें या विदेश में, भारतीय अपने त्योहारों को विशेष महत्व देते हैं और उन्हें खुशी और खुशी के साथ मनाते हैं।

भारतीय त्योहारों पर निबंध, essay on indian festivals in hindi (500 शब्द)

indian festivals

भारत को अक्सर त्योहारों की भूमि कहा जाता है क्योंकि यहां कई रंगीन और खुशी के त्योहार मनाए जाते हैं। हमारे देश के विभिन्न हिस्सों में विभिन्न जातियों, संस्कृति और परंपरा से संबंधित लोग रहते हैं। प्रत्येक धर्म की अपनी धार्मिक मान्यताओं के आधार पर त्योहारों का एक सेट है।

दक्षिण से संबंधित लोगों के अपने त्योहार हैं; उत्तर के लोग कुछ अन्य त्योहारों को महत्व देते हैं जबकि पूर्व में रहने वाले कुछ अन्य त्योहारों को मनाते हैं। हालांकि, कुछ त्यौहार हैं जो पूरे देश में समान उत्साह के साथ मनाए जाते हैं। कुछ ऐसे त्योहारों में दीवाली, होली और रक्षा बंधन शामिल हैं।

भारत के मुख्य त्यौहार:

भारत के मुख्य त्यौहार हमारे देश में सभी धर्मों और क्षेत्रों से संबंधित लोग हैं जो बहुत उत्साह के साथ मनाते हैं और मनाते हैं। यहाँ इन त्योहारों में से कुछ हैं:

दिवाली : 

दिवाली हमारे देश के प्रमुख त्योहारों में से एक है। लोग इसे बहुत खुशी और उत्साह के साथ मनाते हैं। इसके उत्सव की तैयारी त्योहार से लगभग एक महीने पहले शुरू हो जाती है। लोग अपने घरों और दुकानों को सजाने के लिए सजावटी वस्तुओं की सफाई करते हैं। घरों को रोशनी, मोमबत्तियों और दीयों से सजाया जाता है। लोग रंगोली बनाते हैं, देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा करते हैं और इस त्योहार को मनाने के लिए पटाखे जलाते हैं। पूरा देश इस दिन रोशनी करता है।

होली:

होली रंग का त्योहार है। यह सबसे मजेदार भारतीय त्योहारों में से एक है। हालांकि इसके लिए एक धार्मिक अर्थ है, इस दिन का पूरा उद्देश्य मौज-मस्ती करना और हारना है। लोग एक दूसरे पर रंग डालते हैं और मिठाई खाते हैं। यह त्योहार हाउसिंग सोसायटी और आवासीय कॉलोनियों में सामूहिक रूप से मनाया जाता है।

लोग एक-दूसरे को रंगने के लिए इकट्ठा होते हैं और होली के जश्न के हिस्से के रूप में एक दूसरे पर पानी फेंकते हैं। अधिकांश स्थानों पर लाउड संगीत बजाया जाता है और लोग इस गाने का आनंद लेते हुए पैरों के टेपिंग गानों की धुन पर थिरकते हैं। कुछ स्थानों पर, लोग एक दूसरे को लाठी से पीटते हैं और एक परंपरा के रूप में एक दूसरे पर कीचड़ फेंकते हैं।

रक्षाबंधन:

रक्षा बंधन एक और भारतीय त्योहार है जिसे पूरे देश में मनाया जाता है। यह त्योहार भाई-बहन के बंधन को मजबूत करने के लिए मनाया जाता है। बहनें इस दिन अपने भाइयों के पास जाती हैं और उनकी कलाई पर राखी बांधती हैं। बदले में भाई अपनी बहनों की रक्षा करने और ज़रूरत के समय उनके लिए रहने का वादा करते हैं। इसके बाद मिठाइयों का आदान-प्रदान होता है। भाई इस दिन अपनी बहनों के लिए विशेष उपहार भी लाते हैं।

जो लोग एक दूसरे से मिलने नहीं जा सकते वे डाक के माध्यम से राखी और उपहार भेजते हैं। यह वास्तव में एक सुंदर परंपरा है जिसका पालन युगों से किया जा रहा है। रक्षा बंधन के उत्सव के पीछे कई पौराणिक कथाएँ हैं। यह न केवल भाइयों और बहनों के लिए बंधन का समय है, बल्कि पारिवारिक संबंधों को मजबूत करने का भी समय है। यह उत्सव सुबह-सुबह होता है और इसके बाद पारिवारिक ब्रंच होता है।

गणेश चतुर्थी, जन्माष्टमी, नवरात्रि, ईद उल फितर, बैसाखी, ओणम, पोंगल, बिहू, गुरुपर्वब, नवरात्रि, गुरु पूर्णिमा, राम नवमी, वसंत नवमी, दुर्गा पूजा, छठ और दशहरा कुछ अन्य त्यौहार हैं, जो इन त्योहारों के साथ मनाए जाते हैं। इनमें से कुछ के साथ भारत के विभिन्न हिस्सों में उत्साह एक विशेष क्षेत्र के लिए विशिष्ट है। कोई आश्चर्य नहीं, हमारे देश को त्योहारों का देश कहा जाता है।

भारतीय त्योहारों पर निबंध, essay on indian festivals in hindi (600 शब्द)

indian festivals

भारतीय त्योहार धार्मिक मान्यताओं पर आधारित हैं। भारतीय विभिन्न देवी-देवताओं की पूजा करते हैं और उनके द्वारा मनाए जाने वाले विभिन्न त्योहार एक देवता या दूसरे को समर्पित होते हैं। ये त्यौहार देवताओं को प्रार्थना करने और सुख, समृद्धि और प्रेम लाने के लिए उनका आशीर्वाद पाने का एक तरीका है।

भारतीय त्योहार धार्मिक विश्वासों पर आधारित हैं:

यहां कुछ भारतीय त्योहार और उनसे जुड़ी धार्मिक मान्यताएं हैं:

दशहरा:

ऐसा माना जाता है कि यह वह दिन था जब भगवान राम ने सीता को अपने चंगुल से मुक्त करने के लिए रावण का वध किया था। यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस दिन को मनाने के लिए देश के विभिन्न हिस्सों में रावण, कुंभकरण और मेघनाथ के विशाल पुतले जलाए जाते हैं।

दिवाली: 

दीवाली या दीपावली वह दिन कहा जाता है जब भगवान राम 14 वर्ष के वनवास के बाद अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ अयोध्या लौटे थे। उनके स्वागत के लिए पूरे नगर को दीयों से जलाया गया था। इस अवसर को आज तक मनाया जाता है। हर साल, लोग अपने घरों को साफ करते हैं और भगवान राम की वापसी का जश्न मनाने के लिए उन्हें रोशनी, दीये और मोमबत्तियों से अलंकृत करते हैं।

इस दिन शाम के समय भगवान गणेश और देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि यह समृद्धि और सौभाग्य लाता है।

नवरात्रि: 

नवरात्रों के शुभ नौ दिन देवी दुर्गा को समर्पित हैं। ऐसा कहा जाता है कि देवी दुर्गा को भगवान ब्रह्मा, विष्णु और शिव द्वारा संयुक्त रूप से बनाया गया था और उन्हें शक्ति प्रदान करने के लिए इन सभी देवताओं द्वारा शक्ति प्रदान की गई थी। वह राक्षस महिषासुर को मारने के लिए बनाया गया था जो निर्दोष लोगों को मार रहा था। देवी दुर्गा ने नौ दिनों तक उनके साथ युद्ध किया और दसवें दिन उनका सिर काट दिया। यह फिर से अच्छे और बुरे के बीच लड़ाई थी और यह अच्छा था जो विजयी हुआ।

लोग नवरात्रों के दौरान उपवास रखते हैं और हर दिन देवी दुर्गा के अलग-अलग अवतार की पूजा करते हैं।

गणेश चतुर्थी: 

गणेश चतुर्थी भगवान गणेश के जन्म दिन को मनाने के लिए मनाई जाती है। उत्सव दस दिनों तक जारी रहता है। ऐसा माना जाता है कि भगवान गणेश हर साल इन दिनों के दौरान पृथ्वी पर आते हैं और हर जगह खुशी फैलाते हैं। उनके भक्तों का मानना ​​है कि जो भी इन दिनों भगवान गणेश की पूजा करता है उसे जीवन में आने वाली सभी समस्याओं और नकारात्मकता से मुक्ति मिलती है।

भगवान गणेश की मूर्तियों को घर लाया जाता है और हर दिन उनकी स्तुति में प्रार्थना की जाती है। फिर इन मूर्तियों को पूजा के अंतिम दिन नदी में विसर्जित कर दिया जाता है।

मकर संक्रांति: 

मकर संक्रांति एक अन्य प्रमुख हिंदू त्योहार है। इसे देश के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। असम में इसे बिहू नाम से जाना जाता है, तमिलनाडु में इसे पोंगल के नाम से जाना जाता है, गुजरात में इसे उत्तरायण कहा जाता है और बंगाल में इसे पौष पारबोन के नाम से जाना जाता है। हिंदुओं के लिए दिन बेहद शुभ है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन पवित्र नदी गंगा में पवित्र डुबकी लगाने से सभी बुरे कर्मों से छुटकारा मिलता है और लोगों की आभा साफ होती है।

करवा चौथ: 

यह ज्यादातर उत्तर भारत में मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन उपवास रखने से भगवान प्रसन्न होते हैं जो पतियों को अच्छे स्वास्थ्य और लंबे जीवन प्रदान करते हैं। महिलाएं दिन के दौरान कुछ भी नहीं खाती या पीती हैं। वे शाम के समय पारंपरिक रूप से तैयार होते हैं और पूजा करते हैं। रात में चांद देखने के बाद ही उनके पास भोजन और पानी होता है।

इसी तरह, कृष्ण जन्माष्टमी भगवान कृष्ण के जन्मदिन को मनाने के लिए मनाई जाती है, महा शिवरात्रि भगवान शिव को प्रार्थना करने के लिए मनाई जाती है और गुरु नानक देव, पहले सिख गुरु, गुरु नानक देव के जन्म की खुशी में मनाया जाता है।

भारत के राष्ट्रीय त्यौहारों के अलावा, अन्य सभी त्योहारों में कुछ धार्मिक मान्यताएँ जुड़ी होती हैं। इन त्योहारों पर, लोग अपने देवताओं के लिए प्रार्थना करते हैं, जातीय कपड़े पहनते हैं और अपने निकट और प्रियजनों के साथ यह त्यौहार मनाते हैं।

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विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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Nibandh

हमारे राष्ट्रीय त्योहार पर निबंध

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१५ अगस्त हमारा स्वाधीनता दिवस है। २६ जनवरी हमारा गणतंत्र दिवस है। ये दोनों हमारे राष्ट्रीय त्योहार हैं।

राष्ट्रीय त्योहारों पर सार्वजनिक छुट्टी होती है। सुबह विद्यार्थी गणवेश पहन कर अपने-अपने विद्यालय में जाते हैं। वहाँ तिरंगा झंडा फहराया जाता है। राष्ट्रगान गाया जाता है। बच्चों को मिठाई बाँटी जाती है। गाँवों में ग्रामपंचायत में तिरंगा फहराया जाता है। कहीं-कहीं प्रभातफेरी भी निकाली जाती है।

भारत को त्योहारों का देश भी कहा जाता है। अगर आप पंचांग खोलकर देखेंगे, तो आपको हर दिन कोई न कोई त्यौहार तथा मेला ही नजर आएगा । इनमें प्रमुख पर्व चार हैं। विद्यालयों और कार्यालयों में छुट्टी रहती है। सुबह जगह-जगह झंडा-वंदन के कार्यक्रम होते हैं। राष्ट्रगान 'जन-गण-मन गाया जाता है। स्कूलों और कॉलेजों में अनेक कार्यक्रम होते हैं।

राष्ट्रीय त्योहार के पूर्व संध्या को हमारे राष्ट्रपति दूरदर्शन पर राष्ट्र के नाम अपना संदेश प्रसारित करते हैं। इस संदेश में वे देश से जुड़ी हुई समस्याओं की चर्चा करते हैं और देशवासियों तथा विदेशों में बसे भारतीयों का अभिनंदन करते हैं।

राजधानी दिल्ली में इस दिन भारतीय सेना की शानदार परेड होती है। परेड में विभिन्न प्रांतों की सुंदर झाँकियाँ भी होती हैं। भारत के राष्ट्रपति परेड की सलामी लेते हैं।

राष्ट्रीय त्योहार के दिन मकानों की खिड़कियों पर छोटे-छोटे तिरंगे झंडों की शोभा दर्शनीय होती है। जगह-जगह ध्वजवंदन के कार्यक्रमों की धूम मच जाती है।

हमें अपने राष्ट्रीय पर्व हर्ष और उल्लास से मनाने चाहिए।

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By: savita mittal

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भारत देश ‘ अनेकता में एकता’ का देश है। भौगोलिक विविधता के कारण यहाँ विभिन्न धर्मों, जातियों एवं सम्प्रदायों के लोग रहते हैं। अनेक धर्मों व जातियों के लोग होने से, यहाँ सभी के अपने-अपने त्योहार हैं। इस दृष्टिकोण से देखा आए, तो भारत में प्रत्येक माह किसी-न-किसी त्योहार की धूम रहती है। त्योहार जीवन में नवस्फूर्ति, चेतना, उमंग, स्नेह एवं आनन्द का अनुभव कराते हैं, साथ ही मानवीय गुणों को स्थापित कर लोगों में प्रेम, भाईचारे एवं नैतिकता का सन्देश देते हैं। ये त्योहार देश की एकता और अखण्डता को भी मजबूत बनाते हैं।

भारतवर्ष में सभी त्योहारों का अपना महत्त्व है। यहाँ मनाए जाने वाले त्योहारों में होली, रक्षाबन्धन, दुर्गापूजा, हरा, गणेश-चतुर्थी, दीपावली, बैसाखी, गुडफाइडे, क्रिसमस, सिंह, ओणम, पोंगल, ईद, मुहर्रम, सरहुल, गुरुपर्व आदि प्रमुख हैं। इनमें से हिन्दू सम्प्रदाय से सम्बन्धित कुछ त्योहार धार्मिक रीति-रिवाजों, वेदों और पुराणों की घटनाओं एवं मान्यताओं के अनुसार मनाए जाते हैं। भारत में मनाए जाने वाले कुछ प्रमुख त्योहारों के विषय में जानकारी प्राप्त करते हैं।

Major Festivals of India Essay in Hindi

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होली रंगों का त्योहार है। यह फाल्गुन मास की समाप्ति के बाद चैत्र मास के प्रथम दिन (प्रतिपदा को) मनाया जाता है। चैत्र मास हिन्दू कैलेण्डर का प्रथम मास होता है। इस प्रकार, होली हिन्दुओं के लिए नववर्ष का त्योहार भी है। इस त्योहार में लोग एक-दूसरे को रंग, अबीर एवं गुलाल लगाते हैं, अपने लड़ाई-झगड़ों को भूलकर एक-दूसरे से गले मिलते हैं एवं सभी के साथ मिलकर नाचते-गाते हैं। इस प्रकार, बसन्त ऋतु में मनाया जाने बाला यह त्योहार रंग-बिरंगा एवं मस्ती से परिपूर्ण होता है।

होली के त्योहार के पीछे कई पौराणिक कथाएँ विद्यमान हैं, जिनमें से प्रह्लाद एवं होलिका की कथा सर्वाधिक मान्य एवं प्रचलित है। ‘विष्णु पुराण’ की एक कथा के अनुसार, हिरण्यकश्यप, विष्णु भगवान को नहीं मानता था तथा विष्णु की पूजा-आराधना करने को मना किया करता था। बिडम्बना यह थी कि उसका अपना ही पुत्र प्रह्लाद, भगवान विष्णु का परम भक्त था। हिरण्यकश्यप को यह ज्ञात होते ही उसने प्रह्लाद को तरह-तरह के कष्ट देने प्रारम्भ कर दिए।

जब इन सभी का प्रह्लाद पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा, तब उसने अपनी बहन होलिका को बुलाया, जिसे अग्नि में न जलने का बरदान प्राप्त था। हिरण्यकश्यप ने होलिका को आदेश दिया कि वह प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठ जाए। होलिका प्रह्लाद को अपनी गोद में लेकर अग्नि में बैठ गई, किन्तु होलिका अग्नि में भस्म हो गई और प्रह्लाद बच गया। विष्णु भगवान ने हिरण्यकश्यप का वध करके प्रह्लाद को पिता के कष्टों से मुक्ति दिलाई।

इस प्रकार, लोग इस घटना को स्मरण कर होलिका दहन करके अगले दिन रंगों से होली खेलते हैं। होली का साहित्य में भी विवरण हुआ है। कविवर “निराला जी कहते हैं- “नयनों के डोरे लाल गुलाल भरे, खेली होली।”

होली का त्योहार राधा और कृष्ण के पवित्र प्रेम से भी सम्बन्धित है। इसलिए श्रीकृष्ण की नगरी मथुरा एवं वृन्दावन में होली अत्यधिक धूमधाम से मनाई जाती है। भारत में होली का त्योहार पूरे हर्षोल्लास से मनाया जाता है, किन्तु क्षेत्रीय विविधता के कारण देश के कई क्षेत्रों में इसे अन्य नाम भी दिए गए हैं। पश्चिम बंगाल में होली को ‘बसन्तोत्सव’ के रूप में मनाया जाता है।

पंजाब में इस त्योहार को ‘होला मोहल्ला’ कहा जाता है। तमिलनाडु में इसे ‘कामन पोडिगई’ कहा जाता है। हरियाणा में इसे ‘पुलेण्डी’ कहा जाता है। महाराष्ट्र में इसे ‘रंग-पंचमी’ के रूप में मनाया जाता है। भारत में होली किसी भी नाम से मनाई जाए, लेकिन समानता यह है कि इस लोग रंग, अबीर एवं गुलाल का प्रयोग करके ही खेलते हैं।

होली के अवसर पर कुछ लोग शराब पीकर धमा चौकड़ी करते हैं। ऐसी घटनाएँ होली की पवित्रता को नष्ट करती हैं। होली के अवसर पर आजकल रासायनिक रंगों का प्रयोग किया जा रहा है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। अतः को रासायनिक रंगों के प्रयोग से बचना चाहिए एवं प्राकृतिक रंगों का ही प्रयोग करना चाहिए। यह पवित्र त्योहार मुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।

दुर्गापूजा हिन्दुओं का ऐसा त्योहार है, जिसकी धूम पूरे दस दिनों तक रहती है। वैसे तो यह त्योहार वर्ष में दो बार आता है, एक बार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष में, जिसे वासन्तिक नवरात्र कहते हैं एवं दूसरी बार आश्विन मास के शुक्ल पक्ष में, जिसे शारदीय नवरात्र कहा जाता है, किन्तु इन दोनों में शारदीय नवरात्र अधिक प्रचलित है। नवरात्र का प्रारम्भ कलश एवं दुर्गा माँ की प्रतिमा स्थापित करके किया जाता है।

दुर्गापूजा का सम्बन्ध एक पौराणिक कथा से है। इस कथा को अनुसार, एक समय देवताओं के राजा इन्द्र एवं दैत्यों के राजा महिषासुर के बीच भयंकर युद्ध छिड़ गया। इस युद्ध में देवराज इन्द्र की पराजय हुई। देवताओं को महिषासुर के प्रकोप से बचाने के लिए दुर्गा माँ ने उसके साथ लगातार नौ दिनो तक युद्ध किया और दसवें दिन उसको पराजित कर उसका वध कर दिया। इसी कारण उन्हें ‘महिषासुरमर्दिनी’ कहा जाता है।

यह त्योहार बंगाल में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। बंगाल में पष्ठी के दिन प्राण-प्रतिष्ठा के इस विधान को बोधन अर्थात् आरम्भ कहा जाता है। इसी दिन माता के 1 से आवरण हटाया जाता है। गुजरात में शारदीय नवरात्र के दौरान गरबा की धूम रहती है। नवयुवक एवं नवयुवतियाँ अपने साथियों के साथ गरबा खेलते हैं। इस दौरान लोग व्रत रखते है, देवी की अखण्ड ज्योत जलाते हैं और प्रतिदिन हवन करते हैं।

इस प्रकार, दुर्गापूजा पूरे नौ दिनों तक चलती है। नौ दिनों तक माँ दुर्गा की पूजा के बाद दशमी के दिन शाम को उनकी प्रतिमा का विसर्जन कर दिया जाता है। इस दिन को विजयादशमी या दशहरा के रूप में मनाया जाता है। दशमी को बिजयादशमी के रूप में मनाने के पीछे भी एक पौराणिक कथा है। भगवान राम ने रावण पर विजय पाने के लिए दुर्गा की पूजा की थी, इसलिए इस दिन को लोग शक्ति-पूजा के रूप में भी मनाते हैं एवं अपने अस्त्र-शस्त्र की पूजा करते हैं। अन्ततः श्रीराम इसी दिन माँ दुर्गा के आशीर्वाद से रावण पर विजय प्राप्त करने में सफल रहे थे, तब से इस दिन को बिजयादशमी के रूप में मनाया जाता है।

विजयादशमी के पूर्व शहरों एवं गाँवों में रामलीला का आयोजन किया जाता है। विजयादशमी वाले दिन रावण, कुम्भकरण और मेघनाद के पुतले जलाए जाते हैं। हिमाचल प्रदेश के ‘कुल्लू’ शहर में दशहरे का मेला प्रसिद्ध है, जो कई दिनों तक रहता है। विजयादशमी का त्योहार अनीति, अत्याचार तथा तामसिक ॐ प्रवृत्तियों के नाश का प्रतीक है। यह त्योहार दुर्गा माँ (सिंहवाहिनी) की असीम शक्ति और रामचन्द्र जी के आदर्शों का आभास कराता है।

भारत के प्रमुख त्योहार पर निबंध

दीपावली का शाब्दिक अर्थ होता है- दीपों की पंक्ति । इस त्योहार में लोग दीपों को पंक्तिबद्ध रूप में अपने घर के अन्दर एवं बाहर जलाते हैं। इस प्रकार, यह प्रकाश का त्योहार है। यह कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मनाया जाता है। इस दिन लोग गणेश-लक्ष्मी का पूजन करते हैं, जिन्हें पौराणिक कथा के अनुसार धन, समृद्धि, विघ्नहरण एवं ऐश्वर्य का भगवान माना जाता है। दीपावली से एक दिन पहले का दिन ‘घन त्रयोदशी’ या ‘धनतेरस’ अतिशुभ माना जाता है। इस दिन लोग सोना-चाँदी एवं बर्तन खरीदते हैं।

धनतेरस मनाने के पीछे का पौराणिक कारण इस प्रकार है-कहा जाता है कि समुद्र मंथन के पश्चात् लक्ष्मी की उत्पत्ति इसी दिन हुई थी इसलिए इस दिन लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है। समुद्र मंथन से ही धनवन्तरि, जिन्हें औषध विज्ञान का प्रणेता माना जाता है, की उत्पत्ति कार्तिक मास की त्रयोदशी को हुई थी। इसलिए इस दिन को धनतेरस के रूप में मनाया जाता है। श्रीरामचन्द्र जी जब रावण का वध एवं चौदह वर्ष का बनवास व्यतीत करके अयोध्या वापस लौटे, तो अयोध्यावासियों ने उनके स्वागत में अपने घर एवं नगर को घी के दीपों से जगमगा दिया था। गोस्वामी तुलसीदास जी ने ‘गीतावली’ में इसका रमणीय वर्णन किया है

“साँझ समय रघुवीर पुरी की शोभा आजु बनी। ललित दीप मालिका बिलोकहि हितकरि अवध धनी।।”

पश्चिम बंगाल में लोग दीपावली को काली पूजा के रूप में मनाते हैं। वहाँ बड़े-बड़े एवं भव्य पण्डालों के अन्दर माँ काली की प्रतिमा प्रतिस्थापित की जाती है। काली पूजा के बाद वहाँ लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है। दीपावली का अपना धार्मिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक महत्त्व है, किन्तु आज इस त्योहार में कई प्रकार की बुराइयाँ भी समाहित हो गई हैं। इस त्योहार के नाम पर लोग अपनी सामर्थ्य का प्रदर्शन करते हुए हज़ारों रुपये पटाखों में उड़ा देते हैं। अत्यधिक पटाखे जलाना जिस डाल पर बैठे, उसी डाल को काटने जैसा है।

जिस शुद्ध हवा में हम साँस लेते हैं, उसी को पटाखों से हम अशुद्ध करते हैं, यह कितनी अज्ञानता है। जुआ खेलना इस त्योहार की सबसे बड़ी बुराई है, यदि जुआ नहीं खेला जाए तथा पटाखे न जलाए जाएँ, तो यह त्योहार अन्धकार पर प्रकाश की विजय के अपने सन्देश को सार्थक करता नज़र आएगा। आज इन बुराइयों को दूर कर इस त्योहार के उद्देश्यों को सार्थक करने की आवश्यकता है।

यदि एक ऐसे अन्तर्राष्ट्रीय त्योहार का नाम पूछा जाए, जो भारत में धार्मिक सहिष्णुता एवं भाईचारे का प्रतीक बन गया हो, तो नि:सन्देह सभी का जवाब ‘ईद’ ही होगा, क्योंकि यह मुसलमानों का एक ऐसा त्योहार है, जिसे दुनिया के कई मुस्लिम देशों में भले ही बड़ी धूमधाम से मनाया जाता हो, किन्तु अन्य देशों से अलग भारत एक ऐसा देश है, जहाँ दूसरे धर्मों के लोग भी मुसलमान भाइयों को ईद की मुबारकबाद देते हुए इस पवित्र त्योहार में सम्मिलित होकर भारत की सर्वप्रमुख विशेषता ‘अनेकता में एकता’ का सर्वोत्तम उदाहरण प्रस्तुत करते हैं।

ईद दो तरह की होती है- एक ईद-उल-फितर एवं दूसरी ईद-उल-जुहा जब हम ईद की बात करते हैं, तो इसका तात्पर्य ईद-उल-फ़ितर ही होता है। ईद-उल-जुहा को बकरीद कहा जाता है।

पहली ईद-उल-फितर पैगम्बर मुहम्मद ने 624 ई. में जंग-ए-बदर के बाद मनाई थी। ईद-उल-फितर इस्लाम के उपवास के महीने ‘रमज़ान’ के समाप्त होने के बाद मनाई जाती है। इस्लामी कैलेण्डर के सभी महीनों की तरह इसकी शुरुआत भी नए चाँद के दिखने पर होती है। इस ईद में मुसलमान तीस दिनों तक रोजा रखने के बाद पहली बार दिन में खाना खाते हैं और अल्लाह का शुक्रिया अदा करते हैं कि उन्होंने उन्हें महीनेभर रोज़ा रखने की शक्ति दी। ईद की तिथि के काफ़ी पहले से ही लोग इस त्योहार की तैयारी में जुट जाते हैं।

घरों की साफ-सफाई की जाती है एवं परिवार के सभी सदस्यों के लिए नए कपड़े सिलवाए जाते हैं। ईद के दौरान नए पकवान बनाने के अतिरिक्त, नए कपड़े भी पहने जाते हैं और परिवार तथा मित्रों के बीच उपहारों का आदान-प्रदान किया जाता है। ईद के दिन मस्जिद में सुबह की नमाज़ से पहले, नमाजी गरीबों को खैरात या दान देते हैं, जिसे ज़कात-उल-फितर कहा जाता है।

ईद के दिन ईदगाह में जाकर सबके साथ नमाज़ अदा करना शुभ माना जाता है। नमाज़ के दौरान छोटे-बड़े का कोई अन्तर नहीं रहता। राजा हो या रंक, सभी एक ही पंक्ति में खड़े होकर नमाज़ पढ़ते हैं। नमाज समाप्त होने के बाद ईद की मुबारकबाद ‘ईद मुबारक’ कहकर देते हैं। उम्र में अपने से छोटे लोगों को आशीर्वाद स्वरूप जो उपहार एवं धन दिया जाता है, उसे ईदी कहा जाता है। सेवइयों का ईद के दिन अपना अलग ही महत्त्व है, इसी के कारण इसे ‘मीठी ईद’ के नाम से भी जाना जाता है।

ईद का वर्णन नजीर अकबराबादी ने अपनी नज्म में भली-भाँति किया है “”है आधियों को तअत-ओ-तजरीद की ख़ुशी और जाहिदों को जुहद की तमहीद की ख़ुशी ऐसी न शब-ए-बारात न बकरीद की ख़ुशी जैसी कि हर एक दिल में है इस ईद की खुशी।”

शब्दार्थ –आबिद श्रद्धालु, तअत श्रद्धा, जाहिद इबादत करने वाला, जुहद की तमहीद धर्म की बात की शुरुआत। कहने का अर्थ है कि ईंद एक ऐसा त्योहार है, जिसकी खुशी ‘शब-ए-बारात’ और ‘बकरीद’ जैसे अन्य त्योहारों से भी बढ़कर है। इस त्योहार में श्रद्धालुओं को जहाँ अल्लाह के प्रति श्रद्धा की खुशी होती है, यहीं इबादत करने वाले को इस बात की खुशी होती है कि धर्म की बातों की फिर शुरुआत हुई है।

ईद का त्योहार भाईचारे एवं मैत्री का सन्देश देता है। इस्लाम के संस्थापक मुहम्मद साहब का सन्देश केवल मुसलमानों के लिए ही नहीं, बल्कि पूरी मानवता के लिए कल्याणकारी है। ईद-उल-फितर से पूर्व रोजा रखना हमें त्याग एवं तपस्या की प्रेरणा देता है। यह हमें सिखाता है कि हमारा जीवन केवल सुख-सुविधाओं एवं आराम का उपयोग करने के लिए नहीं है, बल्कि इसमें त्याग, अनुशासन एवं बलिदान को भी स्थान देना अनिवार्य है।

ईसाइयों में भी दो प्रमुख त्योहार मनाए जाते हैं-क्रिसमस और गुडफ्राइडे। ये दोनों त्योहार ईसा मसीह से सम्बन्ध रखते हैं। गुडफ्राइडे को ईसा मसीह के बलिदान दिवस के रूप में तथा क्रिसमस की ईसा मसीह के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है। क्रिसमस को बड़ा दिन’ के नाम से भी जाना जाता है। ईसाई मान्यता के अनुसार, पहला क्रिसमस रोम में 336 ई. में मनाया गया था।

ईसाइयों के धर्मग्रन्थ ‘न्यू टेस्टामेण्ट’ में वर्णित क्रिसमस से सम्बन्धित एक कथा है। ईश्वर ने मरियम नामक एक कुँबारी लड़की के पास एक देवदूत भेजा, जिसका नाम गैब्रियल था। उस देवदूत ने मरियम को बताया कि वह ईश्वर के पुत्र को जन्म देगी तथा बालक का नाम जीसस रखा जाएगा। वह बड़ा होकर राजा बनेगा तथा उसके राज्य की कोई सीमा नहीं होगी।

देवदूत गैब्रियल जोसेफ के पास भी गए और उन्होंने उसे बताया कि मरियम एक बच्चे को जन्म देगी और उसे सलाह दी कि वह मरियम की देखभाल करे व उसका परित्याग न करे। जब राजकीय आदेशानुसार सभी नागरिकों को अपने मूल जन्मस्थान पर जनगणना में शामिल होने के लिए कहा गया, तब एक रात मरियम और जोसेफ नाजरथ से येथलेहम जाने के लिए निकले।

तभी रास्ते में तूफानी हवाओं और खराब मौसम के कारण उन्होंने एक अस्तबल में शरण ली, जहाँ मरियम ने 25 दिसम्बर की आधी रात को जीसस को जन्म दिया। जीसस के जन्मदिन के स्मरणस्वरूप ही प्रत्येक वर्ष 25 दिसम्बर को क्रिसमस का त्योहार मनाया जाता है।

जीसस का जन्म अर्द्धरात्रि को हुआ था, इसलिए क्रिसमस के समारोह अर्द्धरात्रि के बाद शुरू होते हैं। इसमें मोमबत्तियाँ जलाकर चर्च व घरों में जीसस क्राइस्ट एवं माता मरियम की सामूहिक पूजा की जाती है। इसके बाद जीसस क्राइस्ट की प्रशंसा में लोग कैरोल (सामूहिक गीत) गाते हैं तथा घर-घर जाकर गाने के रूप में क्राइस्ट का शुभ सन्देश एवं आने वाले नववर्ष के लिए शुभकामनाएँ देते हैं। ‘जिंगल बेल्स जिंगल बेल्स, जिंगल ऑल द बे’ क्रिसमस के अवसर पर गाया जाने वाला एक प्रसिद्ध गीत है।

क्रिसमस की बात हो और लाल व सफेद ड्रेस पहने हुए सफेद बाल एवं दाढ़ी वाले मोटे वृद्ध सान्ता क्लॉज, जो अपने बाहन रेडियर पर सवार रहता है, की कोई चर्चा न हो भला ऐसा कैसे हो सकता है। यही तो वह पात्र है, जिसकी प्रतीक्षा क्रिसमस के दिन प्रत्येक बच्चे को होती है। सान्ता क्लॉज एक क्रिश्चियन पौराणिक पात्र है, जो नए साल के आगमन से कुछ दिन पूर्व क्रिसमस की रात बच्चों को ढेर सारे उपहार एवं मिठाइयाँ दिया करता था। इसलिए कुछ लोग क्रिसमस के अवसर पर सान्ता क्लॉज बनकर बच्चों को उपहार एवं मिठाइयाँ देते हैं।

क्रिसमस के मौके पर घर के आँगन में क्रिसमस ट्री लगाने तथा इसे सजाने की भी परम्परा है। सिटीको एवं समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। इस दिन चर्च को भी सजाया जाता है तथा जीसस क्राइस्ट की जन्मसम्बन्धी झांकियां लगाई जाती है।

इस दिन पृथ्वी पर अवतरित होकर जीसस फ्राइस्ट ने अपने छोटे से जीवनकाल में मानवता के कल्याण के लिए सदावरण एवं सहनशीलता का अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत करते हुए सबको प्रेम एवं भाईचारे का सन्देश दिया था। यह उत्सव सुख, शान्ति व समृद्धि का सूचक है। जीसस ने कहा था कि ईयर सभी व्यक्तियों से प्यार करते हैं, इसलिए हमें प्रेम को जीवन में अपनाकर ईश्वर की सेवा करनी चाहिए। ईश्वर की सेवा का सबसे उत्तम मार्ग गरीबों की सेवा करना है, फ्रिसमस का त्योहार हमें यही सन्देश देता है। अत: इसे सार्थक करने के लिए हमें अपने व्यावहारिक जीवन में जीसस के सन्देशों को लागू करना चाहिए। 

सिखों के भी अपने त्योहार होते हैं। इनमें ‘मैसाखी’ और ‘लोहड़ी’ प्रमुख है। वैसाखी के त्योहार को मनाने की मान्यता है कि इसी दिन 1699 ई. में सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोबिन्द सिंह ने खालसा पन्थ’ की स्थापना की थी। इस स्थापना से गुरु गोबिन्द सिंह का मुख्य उद्देश्य था- लोगों को तत्कालीन मुगल शासकों के अत्याचारों से मुक्त करके, उनके धार्मिक, नैतिक और व्यावहारिक जीवन को श्रेष्ठ बनाना। इस दिन सिख लोग गुरुद्वारों में जाते हैं और पवित्र ‘गुरु ग्रन्थ साहिब’ का पाठ करते हैं। यह त्योहार उत्तर भारत में दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश सहित कई क्षेत्रों में मनाया जाता है।

इन त्योहारों की तरह तमिलनाडु में ‘पोंगल’, केरल में ‘ओणम’ एवं असम में ‘बिह’ को भी बड़ी धूमधाम से मनाने की परम्परा है। इन प्रसिद्ध त्योहारों के अतिरिक्त जैनियों की ‘महावीर जयन्ती’, बौद्धों की ‘बुद्ध जयन्ती’ एवं सिखों की ‘गुरुनानक जयन्ती’ भी हमारे देश के मुख्य पर्व है। भारत देश में धार्मिक एवं सांस्कृतिक त्योहारों की भाँति राष्ट्रीय त्योहार भी मनाए जाते हैं। इनमें 2 अक्टूबर ‘गाँधी जयन्ती’, 14 नवम्बर ‘बाल दिवस’, 15 अगस्त स्वतन्त्रता दिवस’ और 26 जनवरी ‘गणतन्त्र दिवस’ के रूप में उत्साहपूर्वक मनाए जाते हैं।

विभिन्न प्रकार के पर्व-त्योहार हमारे जीवन में खुशियों एवं मनोरंजन के रंग भरते हैं और नीरसता को समाप्त करते हैं। हमारी भारतीय संस्कृति की परम्परा विशेष समय में विशेष प्रकार के त्योहार मनाने की रही हैं। ये त्योहार सभ्यता-संस्कृति के अभिन्न अंग है। ये सभी त्योहार राष्ट्र को एकता के सूत्र में बाँधे रहने में अहम भूमिका का निर्वाह करते हैं। हमें चाहिए कि हम अपनी इस संस्कृति एवं एकता को बनाए रखने में विशेष योगदान दें और जाति, धर्म के भेद जैसी अफवाहों से बचें। हमें राष्ट्र को गौरवान्वित एवं समृद्धशाली बनाने के लिए लोगों में भाईचारे और बन्धुत्व की भावना जागृत करनी चाहिए तथा त्योहार के महत्व को जीवन में उतारना चाहिए।

26 जनवरी हम देशवासियों के लिए अति शुभ एवं गौरवपूर्ण दिन है। स्वतन्त्रता प्राप्ति के लगभग ढाई वर्ष बाद इसी ऐतिहासिक तिथि 26 जनवरी, 1950 को स्वतन्त्र भारत का संविधान लागू हुआ था। इस तिथि को डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने भारत के प्रथम राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली थी और तत्कालीन वायसराय श्री राजगोपालाचारी ने विधिवत् रूप से अपने समस्त अधिकार उन्हें सौंपे थे।

डॉ. भीमराव अम्बेडकर एवं उनके सहयोगियों के अथक प्रयास से निर्मित संविधान के जारीहोते ही भारत सम्प्रभुता सम्पन्न गणराज्य बन गया। इसी उपलक्ष्य में प्रत्येक वर्ष 26 जनवरी, गणतन्त्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। गणतन्त्र का अर्थ है-ऐसी शासन व्यवस्था, जिसमे सत्ता जनसाधारण में समाहित हो अतः सागू होने के साथ ही भारत 26 जनवरी, 1950 से गणतन्त्र राष्ट्र बन गया।

गणतन्त्र दिवस हमारा राष्ट्रीय पर्व है। इस दिन प्रत्येक भारतीय, देश की आजादी में अपने प्राणों की आहत देने शहीदों को याद कर उन्हें श्रद्धाजलि अर्पित करते है| गणतन्त्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति राष्ट्र के नाम सन्देश देने है, जिसका सीधा प्रसारण रेडियो एवं दूरदर्शन पर किया जाता है। इण्डिया गेट, विजय पथ, नई दिल्ली में गणतन्त्र दिवस का समारोह विशेष रूप से आयोजित किया जाता है।

देश के अतिथि के रूप में प्राय: किसी देश के राष्ट्राध्यक आमन्त्रित किया जाता है। राष्ट्रपति द्वारा राष्ट्रीय ध्वज फहराने के बाद भव्य झांकी का आयोजन किया जाता है। नेट से लेकर विजय पथ तक इसे देखने के लिए लाखों लोगों की भीड़ उमड़ पड़ती है। थल सेना, नौसेना, वायु सेना एवं अर्द्धसैनिक बलों की परेड इस समारोह की सर्वाधिक मनोरम दृश्य होती है। इसके अतिरिक्त, पूरे देश की संस्कृति का आभास कराते हुए प्रायः सभी प्रदेशों की भव्य एवं खूबसूरत झाँकियाँ लोगों का मन मोह लेती है।

इस समारोह में देश के लिए अपनी जान की बाजी लगा देने वाले जवानों को विशेष रूप से सम्मानित किया जाता है। देश के कोने-कोने से किसी विशेष अवसर पर अपनी सूझ-बूझ एवं वीरता का प्रदर्शन करने वाले बहादुर बच्चों को भी इस दिन राष्ट्रपति द्वारा पुरस्कृत किया जाता है। परेड के अन्त में वायु सेना के जहाज आकाश में कलाबाजियाँ प्रस्तुत कर दर्शकों का मन मोह लेते हैं। प्रजातन्त्र एवं लोकतन्त्र गणतन्त्र के ही समानार्थी शब्द है। प्रजातान्त्रिक शासन प्रणाली के अनेक लाभ है।

प्रजातान्त्रिक शासन में राज्य की अपेक्षा व्यक्ति को अधिक महत्त्व दिया जाता है। राज्य व्यक्ति के विकास के लिए पूर्व अवसर प्रदान कराता है। जिस प्रकार व्यक्ति और समाज को अलग करके दोनों के अस्तित्व की कल्पना नहीं की जा सकती, ठीक उसी प्रकार प्रजातान्त्रिक शासन प्रणाली में प्रजा और सरकार को अलग-अलग नहीं देखा जा सकता प्रजातन्त्र के अनेक लाभ हैं, तो इससे कई प्रकार की हानियाँ भी सम्भव हैं। प्रजातन्त्र की सफलता के लिए यह आवश्यक है कि जनता शिक्षित हो एवं अपना हित समझती हो। जनता को यह समझना होगा कि आज़ादी हमें सरलता से नहीं मिली है।

इसके लिए हज़ारों लोगों ने अपने प्राण गँवाए हैं। आज़ादी मिलने के बाद देश का गणतन्त्र बनना हमारे लिए दोहरी खुशी है। इस शुभ दिन का सभी को आदर करना चाहिए। गणतन्त्र दिवस आजादी के शहीदों को याद करने एवं उन्हें श्रद्धांजलि देने में मुख्य भूमिका निभाता है। इस दिन राष्ट्रपति भवन में अनेक राजकीय समारोह आयोजित किए जाते हैं। विदेशी राजनयिक, वरिष्ठ सम्माननीय जन व पदक बिजेता यहाँ एकत्र होते हैं। रात्रि को राष्ट्रपति भवन, सचिवालय, इण्डिया गेट व अन्य राजकीय कार्यालय रंग-बिरंगे प्रकाश से जगमगा उठते हैं। लालकिले के प्रांगण में कवि सम्मेलन का आयोजन किया जाता है।

स्कूलों में देशभक्ति एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। राष्ट्रीय एकता का यह पर्व सभी धर्मों के लोगों को मिल-जुलकर रहने एवं प्रेम-भाईचारे का सन्देश देता है। यह हमें देश की स्वतन्त्रता, अखण्डता एवं सम्प्रभुता बनाए रखने की सीख देता है।

यह नहीं भूलना चाहिए कि हम आज जिस आज़ादी की साँस ले रहे हैं, वह वीर जवानों की देन है। सरहद पर जवान सर्दी-गर्मी आदि परेशानियों को सहते हुए भी हर समय दुश्मनों पर केवल इसलिए दृष्टि रखते कि हमारा गणतन्त्र सुरक्षित रह सके। हमें भी अपनी स्वतन्त्रता एवं अखण्डता बनाए रखने का संकल्प लेते हुए, देश के बिकास में हर सम्भव योगदान देना चाहिए। महान् सन्त ‘रामतीर्थ’ कहते थे-“राष्ट्र के हित के लिए प्रयत्न करना विश्व की शक्तियों अर्थात् देवताओं की आराधना करना है।”

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मेरा नाम सविता मित्तल है। मैं एक लेखक (content writer) हूँ। मेैं हिंदी और अंग्रेजी भाषा मे लिखने के साथ-साथ एक एसईओ (SEO) के पद पर भी काम करती हूँ। मैंने अभी तक कई विषयों पर आर्टिकल लिखे हैं जैसे- स्किन केयर, हेयर केयर, योगा । मुझे लिखना बहुत पसंद हैं।

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भारत के राष्ट्रीय पर्व पर निबंध – Essay on national festival in hindi

Essay on national festivals in Hindi

त्यौहार विभिन्न चीजों के जीवन उत्सव से बड़े होते हैं। वे नियमित अंतराल पर होते हैं और जीवन की एकरसता को तोड़ने में मदद करते हैं। इसके अलावा, वे आपको जीवन में छोटी और बड़ी चीजों को मनाने का मौका देते हैं। त्योहार समुदायों में शांति और आनंद के वाहक होते हैं। दुनिया के सभी देशों में कुछ धार्मिक और सांस्कृतिक त्योहार हैं। हालांकि, भारत कई त्योहारों को मनाने वाले सबसे बड़े देशों में से एक है। चूंकि भारत एक बहुत ही सांस्कृतिक और विविध देश है, इसलिए त्योहार हैं। वे राष्ट्रीय, धार्मिक और मौसमी तीन सामान्य श्रेणियों में विभाजित हैं।

Essay on national festivals in Hindi

भारत में कई त्यौहार मनाए जाते हैं और ये सभी त्यौहार पूरे उत्साह और हर्षोल्लास के साथ मनाए जाते हैं। भारत विभिन्न जातियों और समुदायों का देश है और लोग विभिन्न त्योहारों को अपने समुदाय में मनाने के तरीके के अनुसार मनाते हैं।

समुदायों के कुछ त्योहारों के ऊपर, कुछ राष्ट्रीय त्योहार भी हैं जो पूरे देश में एक ही तरह से मनाए जाते हैं। राष्ट्रीय त्यौहार वे त्यौहार हैं जिन पर सभी की छुट्टी होती है और लोग मिलजुल कर त्यौहार को हर्षोल्लास से मनाते हैं।

भारतीयों के लिए ये राष्ट्रीय त्यौहार क्या हैं

राष्ट्रीय त्यौहार वे त्यौहार हैं जो पूरे देश में एक ही खुशी और खुशी के साथ मनाए जाते हैं। लोग इन त्योहारों के बारे में इतना पागल हो जाते हैं कि वे अपने सभी दुःख और दुख भूल जाते हैं और बहुत सारे पैसे फंतासी से उत्सव मनाने के लिए खर्च करते हैं। यदि हम स्वतंत्रता दिवस का एक उदाहरण देखते हैं, तो यह पतंग उड़ाने से मनाया जाता है, और लोग पतंग और धागे खरीदने में बहुत पैसा खर्च करते हैं और त्योहार का आनंद लेते हैं।

भारत के विभिन्न राष्ट्रीय त्यौहार

भारत के तीन राष्ट्रीय त्योहार हैं और यहाँ त्योहारों की सूची है:

गांधी जयंती – गांधी जयंती हर साल 2 अक्टूबर को पड़ती है जो राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जन्मदिन है। महात्मा गांधी ने देश और देश की स्वतंत्रता के लिए बहुत कुछ किया और यही कारण है कि उनका जन्मदिन हर साल जयंती के रूप में मनाया जाता है, और हर साल 2 अक्टूबर को राष्ट्रीय अवकाश होता है। महात्मा गांधी का एक स्वच्छ और हरित देश का सपना था, और उनके नक्शेकदम पर चलते हुए, लोग हर साल 2 वें स्वच्छ भारत अभियान में योगदान देते हैं

स्वतंत्रता दिवस – 15 अगस्त 1947 वह दिन था जब भारत को ब्रिटिश अधिकारियों से स्वतंत्र मिला था। उस दिन के बाद से हर साल पूरे देश में स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है। इस दिन, प्रत्येक सरकारी भवन में छत पर तिरंगा राष्ट्रीय ध्वज होता है। लोग पतंग उड़ाते हैं और हमारे झंडे के रंगों से खेलते हैं। देश की स्वतंत्रता में विभिन्न स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को दिखाने के लिए विभिन्न नाटकीय लोगों द्वारा विभिन्न नाटक और फिल्में मिलती हैं।

भारत का गणतंत्र दिवस – भारत का गणतंत्र दिवस हर साल 26 जनवरी को मनाया जाता है। गणतंत्र दिवस परेड देखने लायक होती है, और इसीलिए लोग सुबह जल्दी जागने के बाद परेड का इंतजार करते हैं। लोग इस अद्भुत दिन को विभिन्न आधारों पर जाकर बिताते हैं जहां गणतंत्र दिवस की परेड होती है और इसके अलावा, लोग अपनी छत पर तिरंगा ऊंची उड़ान भरकर देश के लिए अपना प्यार दिखाते हैं।

राष्ट्रीय त्योहारों का महत्व

राष्ट्रीय त्योहारों का बहुत बड़ा महत्व कुछ बिंदुओं में विभाजित है:

  • गांधी जयंती का अपना महत्व है क्योंकि यह त्योहार लोगों को महात्मा गांधी की तरह रहने के लिए कहता है और देश की स्वच्छता में योगदान देता है और यह काफी ध्यान देने योग्य है कि लोग उनके पदचिन्हों पर चलते हैं क्योंकि विभिन्न बच्चे, वयस्क और सरकारी अधिकारी देश को स्वच्छ बनाने के लिए एकजुट होते हैं। और इस अद्भुत त्योहार का जश्न मनाने के लिए।
  • स्वतंत्रता दिवस पर लोग स्वतंत्र होने के लिए अपनी खुशी दिखाते हैं, और यही कारण है कि लोग तिरंगे में अपनी खाल पेंट करके और पतंग उड़ाकर खुशी दिखाते हुए देश के प्रति अपने प्यार का इज़हार करते हैं।
  • गणतंत्र दिवस इसलिए मनाया जाता है क्योंकि इस दिन भारत का संविधान लिखा गया था और गणतंत्र दिवस परेड के प्रतिभागियों के उत्साह को देखते हुए इसका महत्व काफी ध्यान देने योग्य है।

अन्य सांस्कृतिक त्योहारों को राष्ट्रीय त्योहारों की तरह मनाया जाता है

कुछ अन्य सांस्कृतिक त्योहार भी हैं जो भारत के राष्ट्रीय त्योहारों के समान खुशी और खुशी के साथ मनाए जाते हैं।

दीपावली – दीपावली एक त्योहार है जो अंधेरे पर प्रकाश की जीत का जश्न मनाने के लिए मनाया जाता है। लोग पटाखे फोड़कर और विभिन्न प्रकार की रोशनी से अपने घरों को सजाकर इसे मनाते हैं। होली – होली एक और त्योहार है जो पूरे देश में मनाया जाता है, और लोग इसे एक दूसरे को रंग लगाकर और एक दूसरे पर पानी फेंक कर मनाते हैं। दशहरा – यह एक और त्योहार है जो पूरे देश में मनाया जाता है, और यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है। यह त्यौहार रावण, कुंभकर्ण, और की मूर्तियों को आग लगाकर मनाया जाता है

भारत के राष्ट्रीय त्यौहार बहुत महत्वपूर्ण त्यौहार हैं क्योंकि यद्यपि लोगों को मौकों पर छुट्टी मिलती है, लेकिन लोग त्यौहार को सही तरीके से नहीं मनाते हैं। लोगों को अपने घरों से बाहर निकलने और अपने त्योहार के लिए अपनी खुशी दिखाने की जरूरत है। गांधी जयंती पर, सभी को अपने आस-पास की सड़कों को साफ करना चाहिए, स्वतंत्रता दिवस पर सभी को पतंग उड़ानी चाहिए और गणतंत्र दिवस पर सभी को परेड देखनी चाहिए।

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भारत के त्यौहार पर निबंध (Indian Festivals Essay In Hindi)

भारत के त्यौहार पर निबंध (Indian Festivals Essay In Hindi)

Table of Contents

हमारा देश भारत विभिन्नता का एक ऐसा समूह है, जो अत्यंत अदभुत ओर दुर्लभ भी है। इस दुर्लभता ओर अद्भुत स्वरूप को देखकर मन मे खुशियों का उल्लास छा जाता है। हमारे देश भारत मे जो भी त्योहार मनाए जाते है, उनमें अनेक रूप दिखाई देते है।

हमें इन त्योहार से फुरसत तो समझो मिल ही नहीं सकती। हमारे देश के प्रमुख त्योहार में दीपावली, रक्षाबंधन, होली, जन्माष्ठमी, बैसाखी, रथयात्रा, दशहरा, ईद, मुहर्रम, बकरी ईद, क्रिसमस, ओणाम, नागपंचमी, बुद्ध -पूर्णिमा, राम-नवमी आदि है।

रक्षाबंधन का त्योहार राखी, रखड़ी, कई नामो से चर्चित है। जो वर्षाऋतु के श्रावण पूर्णिमा के दिन श्रद्धा विश्वास ओर प्रेम के त्रिकोण से प्रकट होता हैं। प्राचीनकाल से इसके प्रति अनेक धारणाएं रही है, लेकिन आधुनिक इस त्यौहार का खुला ओर सच्चा रूप भाई-बहन के परस्पर स्नेह और मंगल भावनाओ के द्वारा सामने आता हैं।

हमारे देश भारत में त्योहार के महत्व

List Of Festivals Of India In Hindi

कुम्भ मेला (Kumbh Mela)
पोंगल (Pongal)
थाईपुसम (Thaipusam)गुरुगोविन्द सिंह जयंती (Guru Govind Singh)
हज़रत अली का जन्मदिन (Hazarat Ali’s Birthday)
लोसर (Losar)
मेवाड़ पर्व (Mewar Festival)
होलिका दहन (Holika Dahan)
गंगौर पर्व (Gangaur Festival)शब-ए-मिराज़ (Shab e-Meraj)
शब-ए-बारात (Shab-e-Barat)होल्ला मोहल्ला (Hola Mohalla)
उगादी/तेलुगू नया साल (Ugadi)
विषु पर्व (Vishu Festival)
महावीर जयंती (Mahavir Jayanti)
गुड फ्राइडे (Good Friday)ईस्टर (Easter)
जमात-उल-विदा (Jamat Ul-Vida)ईद-उल-फितर (रमजान ईद) (Eid al-Fitr OR Ramadan)
बुद्ध पूर्णिमा (Buddha Purnima)
हेमिस गोमपा (Hemis Gompa)
रथयात्रा (Ratha-Yatra)गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima)
ईद-उल-जुहा (बकरीद या ईद-उल-अदा)(Eid al-Adha OR Bakrid)
ओणम (Onam)
मुहर्रम (Muharram)
उलामबना (Ullambana)
रामबारात (Rambarat)
ब्रह्मोत्सवम (Brahmotsavam)पितृ पक्ष (Pitra Paksha)
परयूशन (Paryushana)
रामलीला (Ramlila)नवरात्री (Navaratri)
महाऋषि वाल्मिकी जयंती (Valmiki Jayanti)
करवा चौथ (Karwa Chauth)बारावफात (Barawafat) OR (Milad-un-Nabi)
गुरुरामदास जी जयंती (Guru Ramdas Ji Jayanti)
धनतेरस (Dhanteras)
गोवर्धन पूजा (Govardhan Puja)भाई दूज (Bhai Dooj)
छठ पूजा (Chhath Puja)देव उथानी एकादशी (Dev Uthani Ekadashi)
ग्यारहवीं शरीफगुरुनानक जयंती (Guru Nanak Jayanti)
दीप दीवाली (Dev Diwali)

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राष्ट्रीय पर्व पर 10 वाक्य (10 Lines on National Festivals of India in Hindi)

सभी नागरिकों को अपने देश के राष्ट्रीय पर्व का सम्मान होता है फिर वो चाहे किसी भी देश का नागरिक हो। भारतीयों के लिए भी उनके राष्ट्रीय त्योहार किसी गौरवशाली दिन से कम नहीं होते हैं। वह भावना भी अद्भुत ही है जो राष्ट्रीय पर्व पर लोगों मे देश के प्रति बलिदान करने की प्रबल इच्छा जागृत कर देती हैं। हम सभी भारतवासी भाग्यशाली हैं कि विविधता में एकता वाले इस महान देश में जन्म लिए। यह भारत ही है जो विभिन्न संस्कृतियों को समेटें हुए है।

भारत के राष्ट्रीय पर्व पर 10 लाइन (Ten Lines on National Festivals of India in Hindi)

आईये आज हम इन 10 लाइन्स के माध्यम से अपने महान देश के राष्ट्रीय त्योहारों के बारे में जानते है।

Bharat ka Rashtriya Parv par 10 Vakya – Set 1

1) भारत में तीन राष्ट्रीय त्योहार बड़े ही ज़श्न के साथ मनाते हैं।

2) 26 जनवरी को भारत में सविंधान लागू होने के उपलक्ष्य में गणतंत्र दिवस मनाते हैं।

3) अंग्रेजों से भारत की आज़ादी को स्वतंत्रता दिवस के रूप मे 15 अगस्त को मनाया जाता है।

4) 2 अक्टूबर महात्मा गांधी के जन्मदिवस को हम गांधी जयंती के रूप में मनाते हैं।

5) 15 अगस्त को भारत के प्रधानमंत्री लाल किले पर ध्वजारोहण करते हैं।

6) भारत के राष्ट्रपति द्वारा 26 जनवरी को राजधानी में झंडारोहण किया जाता है।

7) गांधी जयंती के दिन लोग गांधी जी को याद करते है और उन्हें श्रद्धांजलि देते हैं।

8) राष्ट्रीय पर्व पर भारत में राष्ट्रीय अवकाश धोषित किया गया है।

9) ये तीनों राष्ट्रीय त्योहार भारतीयों में एकता की भावना को जागृत करते हैं।

10) राष्ट्रीय पर्व हमारे अन्दर गौरव और देशभक्ति की नई चेतना भर देते हैं।

Bharat ka Rashtriya Parv par 10 Vakya – Set 2

1) भारत को त्योहारों का देश कहा जाता है, यहां कई धार्मिक त्योहारों के साथ 3 मुख्य राष्ट्रीय त्योहार बड़े धूम-धाम से मनाये जाते हैं।

2) स्वतंत्रता दिवस, गांधी जयंती और गणतंत्र दिवस ये तीनों राष्ट्रीय त्योहार भारत की स्वतंत्रता से सम्बंधित हैं।

3) राजपथ, दिल्ली में भव्य परेड और कार्यक्रमों के साथ गणतंत्र दिवस का ज़श्न बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं।

4) लाल किले पर हजारों की संख्या में लोग एकत्रित होते हैं जहां 15 अगस्त को प्रधानमंत्री झंडा फहराते हैं और देश को संबोधित करते हैं।

5) कई राजनीतिक एवं प्रतिष्ठित लोग राजघाट स्मारक पर गांधी जयंती के दिन गांधी जी को विनम्र श्रद्धांजलि देते हैं।

6) राष्ट्रीय त्योहार पर शिक्षण संस्थानों में भी कई प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।

7) राष्ट्रीय त्योहार हमें हमारे स्वतंत्रता सेनानियों और महान क्रांतिकारियों की याद दिलाते हैं।

8) राष्ट्रीय त्योहारों पर होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम हमें गौरवान्वित महसूस कराते हैं।

9) हर तरफ देशभक्ति गीत और नारों की गूंज हमारे अन्दर राष्ट्रीयता और देशप्रेम को बढ़ावा देते हैं।

10)वर्तमान के व्यस्त समाज में राष्ट्रीय पर्व वो मौके हैं जिनपर लोग अपने दोस्तों व परिवारजन के साथ समय बिताते हैं।

10 Lines on National Festivals of India

भारतीय समाज के सभी धर्म, जाति और वर्ग के लोग अमीर, गरीब, बच्चे, बूढ़े तथा जवान इन राष्ट्रीय त्योहारों को बड़े ही उत्साह के साथ मनाते हैं। ये सभी के अंतर्मन को गर्व से भर देता है। ये त्योहार हमारे अध्यात्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों को पुनर्जीवित करता है और हमें शहीदों की याद दिलाता है।

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त्योहार | Essay on Festivals in Hindi

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Here is a compilation of Essays on ‘Festivals’ for Class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 and 12. Find paragraphs, long and short essays on ‘Indian Festivals’ especially written for Kids, School and College Students in Hindi Language.

List of Essays on Indian Festival, Celebrated across India

Essay Contents:

  • क्रिसमस (25 दिसम्बर) | Essay on Christmas for Kids in Hindi Language

1. भारतिय त्योहार । Essay on Indian Festivals in Hindi Language

त्यौहार समय-समय पर आकर हमारे जीवन में नई चेतना, नई स्फूर्ति, उमंग तथा सामूहिक चेतना जगाकर हमारे जीवन को सही दिशा में प्रवृत्त करते हैं । ये किसी राष्ट्र एवं जाति-वर्ग की सामूहिक चेतना को उजागर करने वाले जीवित तत्व के रूप में प्रकट हुआ करते हैं ।

कोई राष्ट्र त्यौहारों के माध्यम से अपने सामूहिक आनद को उजागर किया करते हैं । व्यक्ति का मन आनंद तथा मौजप्रिय हुआ करता है । वह किसी न किसी तरह उपाय करके अपने तरह-तरह के साधन और आनंद-मौज का सामान जुटाता ही रहता है ।

इसके विपरीत त्यौहार के माध्यम से प्रसन्नता और आनंद बटोरने के लिए पूरे समाज को सामूहिक रूप से सघन प्रयास करना पड़ता है । समाज के प्रत्येक व्यक्ति द्वारा अपनी-अपनी घर परिवार की सीमा में रहकर किया गया एक ही प्रकार का हुआ करता है अत: उसे भी सामूहिकता सामाजिकता या सामूहिक प्रयासों के अंतर्गत रखा जा सकता है ।

जैसे-दीपावली का त्यौहार मनाते हैं तो सभी लोग अपने-अपने घर पूजा करते हैं अपने घर-परिवार में बाँटते खाते हैं पर यह सब एक ही दिन, एक ही समय लगभग एक समान ढंग से किया जाता है और इसका प्रभाव भी सम्मिलित दिखाई देता है इस सारी प्रक्रिया को सामूहिक स्तर पर की गई आनन्दोत्साह की अभिव्यक्ति ही माना जाता है ।

त्यौहारों का महत्व अन्य कई दृष्टियों से समझा एवं देखा जा सकता है । त्यौहारों के अवसर पर घर-परिवार के छोटे-बड़े सभी सदस्यों को करीब आने, मिल बैठने, एक-दूसरे के सुख-आनंद को साँझा बनाने के सुयोग भी प्रदान किया करते हैं । इतना ही नहीं कई बार त्यौहार जाति-धर्म की भावनाओं को भी समाप्त कर देने में सिद्ध हुए हैं ।

त्यौहार व्यक्तियों को आमने-सामने अपने पर परस्पर समझने-बूझने का अवसर तो देते ही हैं भावना के स्तर पर परस्पर जुड़ने या एक होने का संयोग भी जुटा दिया करते हैं क्योंकि त्यौहार मनाने की चेतना सभी में एक सी हुआ करती है ।

ADVERTISEMENTS:

त्यौहारों का संबंध किसी राष्ट्र की किसी परंपरागत चेतना, राष्ट्रीय धरोहर महत्वपूर्ण घटना, महत्वपूर्ण व्यक्तित्व स्थान, शोध-परिशोध के साथ हुआ करता है । वह क्या कहाँ और कैसे घटित या संपन्न हुआ जैसी सभी तरह की ऐतिहासिक बातों एवं तथ्यों से हम लोग त्यौहार मनाकर और जानकर ही परिचित हो पाते हैं ।

इस प्रकार त्यौहार वर्तमान और अतीत के साथ जुड़े साबित हुआ करते हैं । वह समाज और व्यक्ति को अपने जड़ मूल से अपने मौलिक तत्वों से जोड़ा करते हैं । यहाँ गण्तन्त्र दिवस या स्वतन्त्रता दिवस जैसे राष्ट्रीय त्यौहारों का उदाहरण दिया जा सकता है ।

स्वतंत्रता दिवस का त्यौहार मनाकर हमारा सारा देश और समाज अपने-आप को उन कठिन क्षणों के साथ जोड़ने या उन्हे दोहराने का प्रयास किया करते हैं कि जब राष्ट्र की स्वतंत्रता और आन के मोर्चे पर डटकर सारा देश एक जुट होकर संघर्ष कर रहा था ।

इसी तरह गणतंत्र दिवस हमें निकट अतीत के उन क्षणों के साथ जोड़ता है जब स्वतंत्र भारत का अपना सविधान बनाकर उसे लागू किया गया, देश को एक लोकतंत्रीय व्यवस्था वाला राज्य घोषित किया गया । इस प्रकार त्यौहार मनाने का एक महत्व किसी राष्ट्र के वर्तमान को अतीत के साथ जोड़कर उसकी चुनौतियों के प्रति सावधान करना भी है ।

प्रत्येक त्यौहार अपने भीतर कई प्रकार के आदर्श माने एवं मूल्य भी संजोए रखता है सो उन्हे मानकर मनाने वाले उन सबसे परिचित तो हुआ ही करते हैं उन्हे बनाए रखने की तत्परता और दृढता भी सीखा करते हैं । त्यौहार धर्म एवं अध्यात्म भावों को उजागर कर लोक के साथ परलोक सुधार की प्रेरणा भी दिया करते हैं ।

सबसे बड़ी बात यह है कि त्यौहार और पर्व अपने मनाने वालों को उस धरती की सोंधी सुगंध के साथ जोड़ने का सार्थक प्रयास किया करते हैं जिस पर उन्हे धूमधाम से मनाया जाता है । त्यौहार मनाने वाले जन-समाज की विभिन्न रीति-नीतियों की जानकारी भी दिया करते हैं ये जानकारियाँ जन समाज में अपने पर एवं आत्म-सम्मान का भाव बड़े प्रिय ढंग से जाग्रत कर दिया करती है ऐसे भाव रखने वालों को ही त्यौहार मनाने का अधिकार हुआ करता है ।

इस प्रकार त्यौहारों का मूल्य एवं महत्व स्पष्ट है । उन्हें किसी जाति और राष्ट्र की जातीयता, राष्ट्रीयता सामाजिकता एवं सामूहिकता का आनंद उत्साह भरा मुस्कराता हुआ उज्जवल दर्पण भी कहा जा सकता है ।

2. दुर्गापूजा | Essay on Durga Puja in Hindi Language (Indian Festival)

दुर्गापूजा भारतवर्ष का महत्वपूर्ण त्यौहार है । यह धार्मिक अनुष्ठान मूलत: शक्ति की आराधना के लिए आयोजित किया जाता है । मानसिक, शारीरिक और भौतिक समृद्धि के लिए की जाने वाली आराधना ही दुर्गा की अराधना है जिसे १० दिनों तक मनाया जाता है ।

“दुर्गा”: दुखेन गम्यते प्राप्यतेवा-की आराधना दस पापों अनवधानता, असमर्थता, आत्मवंचकता, आकर्मण्यता, दीनता, भीरुता, परमुखापेक्षिता, शिथिलता, संकीर्णता और स्वार्थपरता से मुक्ति की आराधना है ।  इसलिए इसे दशहरा के नाम से दुर्गतिनाशनी दारिद्र्यदु : खभयहारिणी मुक्ति प्रदायिनी, विश्वेश वन्ध्या, विश्वेश्वरी दुर्गा की आराधना विभिन्न क्षेत्रों में मनोहर ढंग से मनाया जाता है ।

शरद के मधुमय आगमन के साथ ही माँ दुर्गा की रंग-विरंगी भव्य मुर्तियों का निर्माण आरंभ हो जाता है । महिषासुर की छाती में बरछा धराए हुए दुर्गा का एक पैर महिषासुर की छाती पर रहता है और दूसरा पैर सिंह की पीठ पर । 

रण क्रीड़ा में बिखरे केश, ललाट पर तेजस्विता नयनों में वीरता का दर्प, मुख पर पुर्णेंदुसदृश निर्भीकता, कंद पुष्प की आभा से युक्त आक्लांत यौवन के सर्वाभूषण भूषिता रूप का दर्शन करने के लिए सभी उमड़ पड़ते है । साथ ही पूजामंडप भी उरपनी कलाकृति और साजसज्जा के कारण लोगों के आकर्षण का केन्द्र बन जाते हैं ।

दुर्गा के दस हाथों में दस शस्त्र-त्रिशुल खड़ग, चक्र, बाण, शक्ति, गदा, धनुष, पाश अकुंश और फरसा (बरछा) सुशोभित रहता है । उनके दाएं भाग में लक्ष्मी और बाएं भाग में सरस्वती विराजती हैं । लक्ष्मी के दाएं भाग में गणेश और सरस्वती के बाएं भाग में कार्तिकेय विराजते हैं ।

यह समारोह दस दिनों तक अपनी पराकाष्ठा पर रहता है । पूरे क्षेत्र के आबाल-वृद्ध, नर-नारी नवीन वस्त्रों में सुसज्जित हो कर देवी की आराधना और दर्शन करते हैं; प्रसाद चढ़ाते हैं । विभिन्न स्थलों पर मेला का उपायोजन होता है । मेले में विभिन्न प्रकार के झूलनों का आनन्द भी उठाया जाता है ।

दशमी के दिन जुलूस के साथ जय-जयकार करते हुए भक्त जन माँ दुर्गा और अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमा का नदी में विसर्जन करते हैं । यह उत्सव केवल आनन्द और उल्लास के लिए आयोजित नही होता वरन गूढ रहस्य है । बल महाशक्ति रूपी दुर्गा के पास भी है, आसुरी वृत्ति युक्त राक्षसों के पास भी ।

किन्तु राक्षसों का बल बुद्धिविरहित और अकल्याणकारी है, इसलिए त्याज्य है । माँ का बल कल्याणकारी और विवेक संपन्न है, इसलिए अराध्य और अनुकरणीय है ।

दुर्गा पूजा के समय पूरे क्षेत्र में सारी रात चहल-पहल रहती है । जिधर देखिए आने-जाने वालों की भीड़ है, मोटरगाड़ियों की आवाजाही है । चारों ओर जगमगाती रोशनी, खुशियों और उमंगों की बहार लुटाती रहती है । किन्तु क्या हमने इस पर्व के रहस्य को जाना है ? इसके मर्म को पहचाना है ? हमें इस पर्व के महत्व और मर्म को भी जानना चाहिए और आसुरी-वृत्ति से संघर्ष कर अपने राष्ट्र को समुन्नति की ओर ले जाना चाहिए ।

3. रक्षा-बंधन | Paragraph on Raksha Bandhan for Kids in Hindi Language (Indian Festival)

हार्दिक-मिलन भाव को प्रकट करने वाले त्योहारों में रक्षा-बंधन का त्योहार एक प्रमुख और आकर्षक त्योहार है । यह त्योहार प्राचीनतम त्योहारों में से एक है और नवीन त्योहार में भी अत्यन्त नवीन है । यह मंगल अभिनिवेश का त्योहार है और प्रेम तथा सौहार्द्र का सूचक भी है ।

उग्तएव रक्षा-बंधन का त्योहार पवित्रता और उल्लास का त्योहार है । रक्षा-बंधन का त्योहार हमारे देश में एक छोर से दूसरी छोर तक बड़ी धमू-धाम से मनाया जाता है । यह त्योहार न केवल हिन्दुओं का ही त्योहार है, अपितु हिन्दुओं की देखा-देखी अन्य जातियों व वर्गों ने भी इस त्योहार को अपनाना शुरू कर दिया है ।

ऐसा इसलिए कि यह त्योहार धर्म और सम्बन्ध की दृष्टि से अत्यन्त पुष्ट और महान् त्योहार है ।  धर्म की दृष्टि से यह गुरु-शिष्य के परस्पर नियम-सिद्धांतों सहित उनके परस्पर धर्म को प्रतिपादित करने वाला

है । सम्बन्ध की दृष्टि से यह त्योहार भाई-बहन के परस्पर सम्बन्धों की गहराई को प्रकट करने वाला एक दिव्य और श्रेष्ठ त्योहार है ।

अतएव रक्षा-बंधन का त्योहार एक महान् उच्च और श्रेष्ठ त्योहार ठहरता है । रक्षा-बंधन का त्योहार भारतीय त्योहारों में एक प्राचीन त्योहार है । इस दिन बहन भ्राई के लिए मंगल कामना करती हुई उसे राखी (रक्षा-सूत्र) बांधती है । भाई उसे हर स्थिति से रक्षा करने का वचन देता है ।

इस प्रकार रक्षा-बंधन भाई-बहन के पावन-स्नेह का त्योहार है । धार्मिक दृष्टि से इस त्योहार का आरम्भ और प्रचलन अत्यन्त प्राचीन है । विष्णु पुराण के अनुसार भगवान विष्णु ने जब वामन अवतार लिया था, तब उन्होंने सुप्रसिद्ध अभिमानी दानी राजा बलि से केवल तीन पग धरती दान में माँगी थी ।

बलि द्वारा स्वीकार करने पर भगवान वामन ने सम्पूर्ण धरती को नापते हुए बलि को पाताल में भेज दिया । इस कथा में कुछ धार्मिक भावनाओं को जोड़कर इसे रक्षा-बंधन के रूप में याद किया जाने लगा । उसी स्मृति में इस त्योहार का प्रचलन हुआ ।

परिणामस्वरूप आज भी ब्राह्मण अपने यजमानों से दान लेते हैं और उनको रक्षा-सूत्र बांधते हैं । इस रक्षा-सूत्र-बंधन के द्वारा उन्हें विविध प्रकार के आर्शीवाद भी देते हैं । इसी पवित्र विचारधारा से प्रभावित होकर श्रद्धालु ब्राह्मणों की प्रतिष्ठा करते हैं और उन्हें भगवान के रूप में अपनी श्रद्धा-भावना भेंट करते हैं ।

ऐतिहासिक दृष्टिकोण से इस त्योहार का आरम्भ मध्यकालीन भारतीय इतिहास के उस पृष्ठ से स्वीकार किया जाता है । यह मुगलकालीन शासन-काल से सम्बन्धित है । इसके अनुसार जब गुजरात के शासक बहादुरशाह ने चित्तौड़ पर आक्रमण कर दिया , तब सुरक्षा का ओर कोई रास्ता न देखकर महारानी कर्मवती अपने पर आई हुई इस आकस्मिक आपदा से आत्मरक्षा की बात सोचकर दुःखी हो गई ।

उसने और कोई उपाय न देखकर हुमायूँ के पास रक्षा-बंधन का सूत्र भेजा और अपनी सुरक्षा के लिए उसे भाई कहते हुए सादर प्रार्थना की ।

बादशाह हुमायूँ इससे बहुत ही प्रभावित हुआ । इस प्रेम से भरे हुए रक्षा-सूत्र को हृदय से स्वीकार करते हुए वह चित्तौड़ की सुरक्षा के लिए बहुत बड़ी सेना लेकर बहन कर्मवती के पास पहुँच गया । आज रक्षा-बंधन का त्योहार समस्त भारत में बहुत खुशी और स्नेह भावना के साथ प्रतिवर्ष वर्षा ऋतु में श्रवण माह की पूर्णिमा को मनाया जाता हैं ।

इस दिन वहनें पवित्र भावनाओं के साथ अपने भाइयों को टीका लगाती है । उन्हें मिष्ठान्न खिलाती हैं । वे उनकी आरती उतार कर उनको राखी (राखी-सूत्र) बाँधती हैं । भाई यथाशक्ति उन्हें इसके उपलक्ष्य में कुछ-न-कुछ अवश्य भेंट करता है ।

गुरु, आचार्य, पुरोहित आदि ब्राह्मण प्रवृत्ति के व्यक्ति अपने शिष्य और यजमानों के हाथ में रक्षा-सूत्र बांधकर उनसे दान प्राप्त करते हैं । हमें इस महान् और पवित्र त्योहार के आदर्श की रक्षा करते हुए इसे नैतिक भावों के साथ खुशी-खुशी मनाना चाहिए ।

4. जन्माष्टमी | Essay on Janmasthami for School Students in Hindi Language (Indian Festival)

जन्माष्टमी का त्योहार हमारे देश के एक छोर से दूसरे छोर तक बड़े उल्लास और आनन्द के साथ मनाया जाता है । यह त्योहार होली, दीवाली, दशहरा आदि की तहर विशुद्ध रूप से धार्मिक त्योहार है । यह पवित्रता, स्वच्छता और विशुद्धता का प्रतीक है ।

इस त्योहार से श्रद्धा और विश्वास के साथ-साथ सात्त्विक भावों का उदय होता है । मुख्य रूप से यह त्योहार आत्म-विश्वास और आत्म-चेतना का प्रेरक और संवाहक है । जन्माष्टमी का त्योहार भाद्रपद के कृष्ण-पक्ष की अष्टमी की रात्रि को मनाया जाता है । यों तो इस त्योहार का आयोजन इसकी प्रमुख तिथि से कई दिन पूर्व आरम्भ हो जाता है ।

कृष्ण के बाल-स्वरूप की आराधना-उपासना के अन्तर्गत उनके ईश्वरीय स्वरूप का चिंतन-मनन किया जाता है । बालक श्रीकृष्ण की विभिन्न बाल-लीलाओं को आधार बनाकर नाटक, परिसंवाद या नृत्य-कलाएं आयोजित की जाती हैं ।

इन सबसे अधिक रोचक और आकर्षक प्रदर्शनियां और झांकियाँ हुआ करती हैं । जन्माष्टमी मनाने के विषय में एक पौराणिक कथा है । श्रीमद्‌भागवद् पुराण के अनुसार  द्वापर  युग में मधुरा का राजा कंस बड़ा ही अत्याचारी और नृशंस था ।

वह जब अपनी बहन देवकी को विवाह के बाद उसकी ससुराल पहुंचाने के लिए रथ पर ले जा रहा था, तब उस समय यह आकाशवाणी हुई कि जिस बहन को तुम इतने लाड़-प्यार के साथ विदा कर रहे हो, उसी की आठवीं संतान तुम्हारी मृत्यु का कारण होगी ।

कंस इस आकाशवाणी को सुनकर घबरा गया । उसने हड़बड़ाकर अपनी बहन देवकी को जान से मारने के लिए तलवार खींच ली थी । तब कंस को वसुदेव ने धैर्य देते हुए समझाया, ‘जब इसके ही पुत्र से आपकी मृत्यु होगी, तब इसे आप बन्दी बना लीजिए और इसका जो भी पुत्र होगा, यह आपको एक-एक करके दे दिया करेगी । आप जो चाहे वह कीजिएगा ।

कंस ने वसुदेव की बातें मान लीं और देवकी तथा वसुदेव को जेल में डाल दिया । इन पर कड़ी निगरानी रखने का सख्त आदेश भी दिया । कहा जाता है कि कंस ने देवकी के एक-एक करके सात पुत्रों को पटक-पटक कर मार डाला । आठवें पुत्र कृष्ण की जगह पर वसुदेव ने अपने मित्र नन्द की पुत्री को आकाशवाणी के अनुसार कंस को दे दिया ।

कंस ने पुत्र या पुत्री का विचार न करके क्रोध और भय के फलस्वरूप उस कन्या को जैसे ही पटकने के लिए प्रयत्न किया, वैसे ही वह कन्या उसके हाथ से छूटकर यह उग्रकाशवाणी करती हुई निकल गयी- ”हे कंस जिसके भय से तुमने मुझे मारना चाहा है, वह जन्म ले चुका है और गोकुल पहुँच चुका है ।”

कंस इस आकाशचाणी को सुनकर सहम गया । किंकर्त्तव्यविमूढ़ होकर वह क्रोध से विक्षिप्त हो उठा । उसने आदेश दिया कि आज जो भी बच्चे पैदा हुए हैं, उन्हें मार डालो । ऐसा ही किया गया । उसने गोकुल में भी अपने प्रतिनिधियों पूतना जैसी मायावनी को भेजकर कृष्ण को मार डालने की कोई कसर नहीं छोड़ी, लेकिन कृष्ण तो परब्रह्म परमेश्वर के अवतार थे ।

इसलिए उनका कुछ भी बाल-बांका न हो सका । इसके विपरीत श्रीकृष्ण ने न केवल कंस के प्रतिनिधियों को मार डाला । अपितु कंस की ही जीवन-लीला को समाप्त कर दिया । भगवान् श्रीकृष्ण की इस परम लीला की झांकी और प्रदर्शनी जन्माष्टमी के दिन प्राय: प्रत्येक श्रद्धालुओं के द्वारा इस जन्माष्टमी के पावन समय पर प्रस्तुत की जाती है ।

भगवान् श्रीकृष्ण के इस चरित्र और जीवन झाँकी की रूप-रेखा के द्वारा हमें उनके स्वरूप के विविध दर्शन और ज्ञान प्राप्त होते हैं । इनमें मुख्य रूप से श्रीकृष्ण का योगी, गृहस्थ, कूटनीतिज्ञ, कलाकार, तपस्वी, महान् पुरुषार्थी, दार्शनिक, प्रशासक, मनस्वी आदि स्वरूप हैं ।

इसके साथ ही साथ श्रीकृष्ण के लोक-रंजक, लोक-संस्थापक और लोक-प्रतिनिधित्व स्वरूप का भी हमें ज्ञान और दर्शन जन्माष्टमी के त्योहार के मनाने से सहज ही प्राप्त हो जाता है । भगवान् धर्म संस्थापनार्थ पापियों के विध्वंसक और साधुओं के रक्षक हैं । यह भी प्रबोध हमें मन और आत्मा से बार-बार हो जाता है ।

जन्माष्टमी के त्योहार को मनाने का ढंग बड़ा ही सहज और रोचक है । इस त्योहार को मनाने के लिए सभी श्रद्धालु सवेरे-सवेरे ही अपने घरों और आवासों की सफाई करके उसे धार्मिक चिन्हों के द्वारा सजाते

हैं । विभिन्न प्रकार के धार्मिक कृत्यों को करते हैं और व्रत रखते हुए श्रीकृष्ण-लीला-गान और श्रीकृष्ण-कीर्तन करते रहते हैं ।

बड़े-बड़े नगरों में तो इस त्योहार को बड़े पैमाने पर सम्पन्न और आयोजित करने के लिए कई दिन पहले से ही तैयारियां आरम्भ हो जाती हैं । नगर की गलियाँ-गलियारे विविध प्रकार की साज-सज्जा से झूम उठते हें । मिठाइयों की दुकानें, कपड़ों की दुकानें, खिलौनों की दुकानें, मन्दिर और अन्य धार्मिक-संस्थानों सहित कई प्रकार के सामाजिक प्रतिष्ठान भी सज-धजकर चमक उठते हैं ।

सबसे अधिक उत्साह बच्चों में होता है । अन्य भक्तगण तो इस त्योहार को सबसे बड़ा आनन्ददायक और उत्साहवर्द्धक के रूप में समझकर अपने तन-मन को न्योछावर करने के लिए प्रस्तुत किया करते हैं । सबेरे से श्रीकृष्ण का मन-ही-मन स्मरण और समर्पण भाव से नाम जपते हुए जन्माष्टमी के त्योहार को कुछ पूजा-पाठ करके दान-पुण्योपरान्त व्रत के रूप में धारण करते हैं ।

भगवान् की मूर्ति या चित्र पर अर्घ्य, अगरु, दीप, फल आदि को चढ़ा कर दिन-भर व्रत को रखते हुए रात को भी धारण किए रहते हैं । कुछ लोग तो अखंड भाव से कम-से-कम जलपान करते हुए व्रत रखते हैं ।

प्राय: सभी भक्तगण दिन भर प्रसाद या स्वच्छ फल या पेय पदार्थ का सेवन करके अर्द्धरात्रि के समय चन्द्रदर्शनोपरान्त ठीक मध्य रात्रि 12 बजे श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव का आनन्द लेते हुए कथा-श्रवण करके प्रसाद लेते हैं । इसके बाद व्रत को समाप्त करते हैं ।

इसके बाद फिर श्रीकृष्ण का जप-जाप करके ध्यान करते हुए निद्रा का आनन्द लेते हैं । कुछ लोग रात्रि भर जागरण किया करते हैं । जन्माष्टमी का त्योहार आर्थिक और कृषि की दृष्टि से अत्यधिक महत्त्व का है । इस दृष्टि से गोपालन और गोरक्षा की भावना पुष्ट होती है ।

इससे हमारे मन और अंतःकरण में श्रीकृष्ण के समस्त जीवन की झाँकी झलकने लगती है । हम अध्यात्मिक और धार्मिक तथा सांस्कृतिक दृष्टि से सबल और पुष्ट होने के लिए नए-नए संकल्पों को दुहराने लगते हैं । इस त्योहार को मनाने से हमें नयी स्कूर्ति, सम्प्रेरणा, नया उत्साह और नवीन आशाओं के प्रति जागृति होती है । अतएव हमें जन्माष्टमी के इस पावन त्योहार को बड़ी पवित्रता के साथ मनाना चाहिए ।

5. ईद | Paragraph on Eid in Hindi Language

ईद इस्लाम धर्म के मानने वालों का प्रमुख आनन्ददायक त्योहार है । यह संसार के मुसलमानों के लिए परोपकार और भाईचारे का संदेशवाहक है । ईद का त्योहार वर्ष में दो बार मनाया जाता है । एक को ईद-उल-फितर कहते हैं और दूसरे को ईद-उल-जुहा।

ईद से पूर्व का महीना रमजान का महीना कहलाता है । इस पूरे महीने में मुसलमान दिन के समय उपवास रखकर अपना सारा वक्त खुदा की इबादत (आराधना) में बिताते हैं और कोई अनैतिक कार्य न करने का प्रयास करते हैं । ईद के शुभ दिन ही उनका खाना-पीना शुरू होता है ।

ईद-उल-फितर के दिन घर-घर में तरह-तरह की मीठी सेवईयाँ पकती हैं और बांटी जाती है । इसलिए इसे ‘मीठी ईद’ भी कहते हैं । इस ईद के दो महीने और नौ दिन बाद चाँद की दस तारीख को एक और ईद मनाई जाती है । यह ईद-उल-जुहा या बकरीद कहलाती है । इस दिन बकरे काटे जाते हैं और उनका मांस इष्ट मित्रों कों बाँटा जाता है ।

ईद के दिन मुसलमान सूरज निकलने के बाद नमाज पढ़ने जाते हैं, जिसमें खुदा (ईश्वर) को धन्यवाद देते हैं कि ”तुम्हारी कृपा से हम रमजान का व्रत रखने में सफल हो गए हैं । इन दिनों में हमारे से जाने-अनजाने में कोई अपराध हो गया हो, तो क्षमा करो ।”

इस शुभ त्योहार पर मुसलमान दान करते हैं, ताकि उनके गरीब भाई भी इस त्योहार को मना सकें । इस दिन बड़ी-बड़ी मस्जिदों और ईदगाहों पर अपार भीड़ रहती है । नमाज पढ़ने के बाद सब एक-दूसरे से ईद मुबारक कहकर गले मिलते हैं । अन्य धर्मों के लोग भी मुसलमानों से गले मिलते हुए ‘ईद मुबारक’ कहते हैं ।

ईद के दिन हर गरीब-अमीर मुसलमान नये-नये कपड़े सिलवाता है । सब लोग उन्हें पहनकर खुशी-खुशी मेले और बाजार में जाते हैं । मिठाइयां और खिलौनों की दुकान पर खूब भीड़ लगी रहती है । खेल-तमाशे वाले भी बच्चों का खूब मनोरंजन करते हैं। ईद प्रेम और सद्‌भाव का त्योहार है । यह सभी के लिए खुशी का सन्देश लाता है । यह त्योहार प्रेम, एकता और समानता की शिक्षा देता है ।

6. दीपों का त्योहार ‘दीपावली’ | Essay on Diwali for College Students in Hindi Language (Indian Festival)

हिन्दुओं के मुख्य त्योहार होली, दशहरा और दीपावली ही हैं । दीपावली का त्योहार प्रति वर्ष कार्तिक मास की अमावस्या को देश के एक कोने से दूसरे कोने तक बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है । वैसे इस त्योहार की धूम-धाम कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी से कार्तिक शुक्ल द्वितीय अर्थात् पाँच दिनों तक रहती है ।

दीपावली का त्योहार कार्तिक मास की अमावस्या को आता है । दीवाली के पर्व की यह विशेषता है कि इसके साथ चार त्योहार और मनाये जाते हैं । दीपावली का उत्साह एक दिन नहीं, अपितु पूरे सप्ताह भर रहता है । दीपावली से पहले धन तेरस का पर्व आता है ।

सभी हिन्दू इस दिन कोई-न-कोई नया बर्तन अवश्य खरीदते हैं । धन तरस के बाद छोटी दीपावली; आगे दिन दीपावली, उसके भगले दिन गोवर्द्धन-पूजा तथा इस कड़ी में अंतिम त्योहार भैयादूज का होता है । प्रत्येक त्योहार किसी-न-किसी महत्त्वपूर्ण घटना से जुड़ा रहता है ।

दीपावली के साथ भी कई धार्मिक तथा ऐतिहासिक घटनाएँ जुड़ी हुई हैं । इसी दिन विष्णु ने नृसिंह का अवतार लेकर प्रह्लाद की रक्षा की थी । समुद्र-मंथन करने से लक्ष्मी भी इसी दिन प्रकट हुई थीं । जैन मत के अनुसार तीर्थकर महावीर का महानिर्वाण इसी दिन हुआ था ।

रामाश्रयी सम्प्रदाय वालों के अनुसार चौदह वर्ष का वनवास व्यतीत कर राम इसी दिन अयोध्या लौटे थे । उनके आगमन की प्रसन्नता में नगरवासियों ने दीपमालाएँ सजाई थीं । इसे प्रत्येक वर्ष इसी उत्सव के रूप में मनाया जाता है । इसी दिन सिक्खों के छठे गुरु हरगोविन्दसिंह औरंगजेब जेल से मुक्त हुए थे ।

आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानन्द तथा प्रसिद्ध वेदान्ती स्वामी रामतीर्थ ने इसी दिन मोक्ष प्राप्त किया था । इस त्योहार का संबंध ऋतु परिवर्तन से भी है । इसी समय शरद ऋतु का आगमन लगभग हो जाता है । इससे लोगों के खान-पान, पहनावे और सोने आदि की आदतों में भी परिवर्तन आने लगता है ।

नवीन कामनाओं से भरपूर यह त्योहार बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है । कार्तिक मास की अमावस्या की रात पूर्णिमा की रात बन जाती है । इस त्योहार की प्रतीक्षा बहुत पहले से की जाती है । लोग अपने-अपने घरों की सफाई करते हैं ।

व्यापारी तथा दुकानदार अपनी-अपनी दुकानें सजाते हैं तथा लीपते-पोतते हैं । इसी त्योहार से दुकानदार लोग अपने बही-खाते शुरू करते हैं । दीपावली के दिन घरों में दिए, दुकानों तथा प्रतिष्ठानों पर सजावट तथा रोशनी की जाती है । बाजारों में खूब चहल-पहल होती है ।

मिठाई तथा पटाखों की दुकानें खूब सजी होती हैं । इस दिन खलि-बताशों तथा मिठाइयों की खूब बिक्री होती है । बच्चे अपनी इच्छानुसार बम, फुलझड़ियां तथा अन्य पटाखे खरीदते हैं । रात्रि के समय लक्ष्मी-गणेश का पूजन होता है । ऐसी किंवदन्ती है कि दीवाली की रात को लक्ष्मी का आगमन होता है ।

लोग अपने इष्ट-मित्रों के यहाँ मिठाई का आदान-प्रदान करके दीपावली की शुभकामनाएं लेते-देते हैं । दीपावली त्योहार का बड़ा महत्त्व है । इस त्योहार के गौरवशाली अतीत पुन: जाग्रत हो उठता है । पारस्परिक सम्पर्क, सौहार्द तथा हेल-मेल बढ़ाने में यह त्योहार बड़ा महत्त्वपूर्ण है ।

वैज्ञानिक दृष्टि से भी यह त्योहार कीटाणुनाशक है । मकान और दुकानों की सफाई करने से तरह-तरह के कीटाणु मर जाते हैं । वातावरण शुद्ध तथा स्वास्थ्यवर्द्धक हो जरता है । दीपावली के दिन कुछ लोग जुआ खेलते हैं, शराब पीते हैं तथा पटाखों में धन की अनावश्यक बरबादी करते हैं ।

इससे हर वर्ष अनेक दुर्घटनाएँ हो जाती हैं तथा धन-जन की हानि होती है । इन बुराइयों को रोकने की चेष्टा की जानी चाहिए । दीपावली प्रकाश का त्योहार है । इस दिन हमें अपने दिलों से भी अन्धविश्वासों तथा संकीर्णताओं के अँधेरे को दूर करने का संकल्प लेना चाहिए ।

हमें दीपक जलाते समय कवि की इन पंक्तियों पर ध्यान देना चाहिए:

”जलाओ दिए पर रहे ध्यान इतना, अँधेरा धरा पर कहीं रह न जाए ।”

7. क्रिसमस (25 दिसम्बर) | Essay on Christmas for Kids in Hindi Language

क्रिसमस का त्योहार विश्व के महान् त्योहारों में से एक है । क्रिसमस का त्योहार न केवल ईसाइयों का ही त्योहार है, अपितु समस्त मानव-जाति का एक महत्त्वपूर्ण त्योहार है । सभी त्योहार किसी-न-किसी महापुरुष की जीवन घटनाओं से सम्बन्धित हैं ।

क्रिसमस का त्योहार ईसाई धर्म के संस्थापक ईसा मसीह के जन्म दिवस से सम्बन्धित है । इसे इस शुभावसर पर बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है । क्रिसमस का त्योहार मुख्य रूप से ईसाई धर्म के अनुयायियों और उसके समर्थकों के द्वारा मनाए जाने के कारण अत्यन्त महत्वपूर्ण त्योहार है ।

यह त्योहार विश्व का सबसे बड़ा त्योहार है, क्योंकि ईसाई-धर्म की विशालता और उससे प्रभावित अन्य धार्मिक मानस वाले व्यक्ति भी इस त्योहार को मनाने में अपनी खुशियों और उमंगों को बार-बार प्रस्तुत करते हैं । क्रिसमस का त्योहार इसी लिए सम्पूर्ण विश्व में बड़ी ही लगन और तत्परता के साथ प्रति वर्ष सर्वत्र मनाया जाता है ।

क्रिसमस का त्योहार प्रति वर्ष 25 दिसम्बर को मनाया जाता है । आने वाले 25 दिसम्बर की प्रति वर्ष बड़ी उत्सुकतापूर्वक प्रतीक्षा की जाती है । इसी दिन ईसा मसीह का जन्म हुआ था, जो ईसवीं सन् के आरम्भ का प्रतीक और द्योतक है ।

इस संसार में महाप्रभु ईसा मसीह के इस जन्म दिन को बड़ी पवित्रता और आस्थापूर्वक मनाया जाता है । इस दिन ही श्रद्धालु और विश्वस्त भक्त जन ईसा मसीह के पुनर्जन्म की शुभकामना किया करते हैं । उनकी याद में विभिन्न स्थानों पर प्रार्थनाएँ और मूक भावनाएं प्रस्तुत की जाती हैं ।

कहा जाता है कि ईसा मसीह का जन्म 25 दिसम्बर की रात को बारह बजे बेथलेहम शहर में एक गौशाला में हुआ था । माँ ने एक साधारण कपड़े में लपेट कर इन्हें धरती पर लिटा दिया था । स्वर्ग के दूतों से संदेश पाकर धीरे-धीरे लोगों ने इनके विषय में जान लिया था ।

धीरे-धीरे लोगों ने ईसा मसीह को एक महान आत्मा के रूप में स्वीकार कर लिया । ईश्वर ने उन्हें इस धरती पर मुक्ति प्रदान करने वाले के रूप में अपना दूत बनाकर भेज दिया था । जिसे ईसा मसीह ने पूर्णत: सत्य सिद्ध कर दिया ।

इनके विषय में यह भी विश्वासपूर्वक कहा जाता है कि आज बहुत साल पहले दाउद के वंश में मरियम नाम की कुमारी कन्या थी, जिससे ईसा मसीह का जन्म हुआ । जन्म के समय ईसा मसीह का नाम एमानुएल रखा गया । एमानुएल का अर्थ है-मुक्ति प्रदान करने वाला ।

इसीलिए ईश्वर ने इन्हें संसार में भेजा था । ईसा मसीह सत्य, अहिंसा और मनुष्यता के सच्चे संस्थापक और प्रतीक थे । इनके सामान्य और साधारण जीवनाचरण को देखकर हम यही कह सकते हैं कि ये सादा जीवन और उच्च विचार के प्रतीकात्मक और संस्थापक महामना थे ।

ईसा मसीह ने भेड़-बकरियों को चराते हुए अपने समय के अंधविश्वासों और रूढ़ियों के प्रति विरोधी स्वर को फूंक दिया था । इसीलिए इनकी जीवन-दशाओं से क्षुब्ध होकर कुछ लोगों ने इनका कड़ा विरोध भी किया था । इनके विरोधियों का दल एक ओर था तो दूसरी ओर इनसे प्रभावित इनके समर्थकों का भी दल था ।

इसलिए ईसा मसीह का प्रभाव और रंग दिनोंदिन जमता ही जा रहा था । उस समय के अज्ञानी और अमानवता के प्रतीक यहूदी लोग इनसे घबरा उठे थे और उनको मूर्ख और अज्ञानी समझते हुए उन्हें देखकर जलते भी थे । उन्होंने ईसा मसीह का विरोध करना शुरू कर दिया ।

यहूदी लोग अत्यन्त क्रूर स्वभाव के थे । उन्होंने ईसा मसीह को जान से मार डालने का उपाय सोचना शुरू किया । इनके विरोध करने पर ईसा मसीह उत्तर दिया करते थे- ”तुम मुझे मार डालोगे और मैं तीसरे दिन फिर जी उठूंगा ।” प्रधान न्याय कर्त्ता विलातुस ने शुक्रवार के दिन ईसा को शूली पर लटकाने का आदेश दे दिया ।

इसलिए शुक्रवार के दिन को लोग गुड फ्राइडे कहते हैं । ईस्टर शोक का पर्व है, जो मार्च या अप्रैल के मध्य में पड़ता है । ईसा मसीह की याद में क्रिसमस का त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाना चाहिए यह मनुष्यता का प्रेरक और संदेशवाहक है । इसलिए हमें इस त्योहार को श्रद्धा और उमंग के साथ अवश्य मनाना चाहिए ।

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हमारे त्योहार हिंदी निबंध Our Festivals Essay in Hindi

Our Festivals Essay in Hindi : जीवन में त्योहारों का बड़ा महत्त्व है। हमारे देश में त्योहारों की योजना इस ढंग से की गई है कि प्रत्येक महीने और हर मौसम में लोग त्योहारों से आनंद और उल्लास प्राप्त कर सकें।

हमारे त्योहार हिंदी निबंध - Our Festivals Essay in Hindi

हमारे त्योहार हिंदी निबंध – Our Festivals Essay in Hindi

संस्कृति के प्रतीक.

भारत के त्योहार भारतीय संस्कृति के प्रतीक हैं। एक ओर दशहरा अन्याय पर न्याय की विजयघोषणा करता है, तो दूसरी ओर दीवाली यह बताती है कि हम प्रकाश के पुजारी हैं, अंधकार के नहीं। होली नृत्य और संगीत, रंग और राग का त्योहार है। रक्षाबंधन भाई-बहन के नि:स्वार्थ और पवित्र स्नेह को महिमा गाता है। मकरसंक्रांति द्वारा सूर्य का स्वागत किया जाता है। महाशिवरात्रि, श्रीराम नवमी, गणेश चतुर्थी आदि त्योहारों में भी हमारी संस्कृति अपने भव्य और भिन्न-भिन्न रूप में प्रतिबिंबित होती है।

मनाने की विधि

१५ अगस्त, २६ जनवरी, गांधी जयंती, टिळक जयंती आदि हमारे राष्ट्रीय त्योहार हैं। इन त्योहारों के पीछे हमारे देश का स्वर्णिम इतिहास है। लाखों शहीदों के बलिदान और अनेक महापुरुषों के त्याग की गौरवगाथा इनके साथ जुड़ी हुई है। ऐसे त्योहार हमें देशभक्ति और बलिदान काम संदेश देते हैं।

आनंदप्राप्ति के साधन

त्योहार के दिन प्राय: स्कूल, कॉलेज, दफ्तर आदि बंद रहते हैं। लोग घरों में मिष्टान्न बनाते और खाते-खिलाते हैं। धार्मिक त्योहारों में लोग व्रत-उपवास करते हैं । त्योहारों के उपलक्ष में घरों में सफाई और सजावट की जाती है। रोशनी की जगमगाहट से वातावरण आलोकित हो उठता है। कहीं संगीत-नृत्य से नई जिंदगी झूम उठती है। त्योहारों के अवसर पर कहीं-कहीं मेले, प्रदर्शनियाँ भी लगती हैं । सभी लोग कुछ समय के लिए दुख और चिंताओं से मुक्त होकर आनंद के सागर में गोते लगाते हैं। बच्चे तो मारे खुशी के फूले नहीं समाते।

हमारे त्योहार आनंद और मनोरंजन के साधन हैं । त्योहारों से लोगों को ताजगी, स्फूर्ति तथा प्रेरणा मिलती है। धार्मिक त्योहारों से तनमन को कालिमा धुल जाती है। त्योहार जातीयता और प्रांतीयता की दीवारों को ढहा देते हैं। वे हमारे दिलों में सहयोग और भ्रातृ-भाव निर्माण करते हैं। इनसे हमें अन्याय और अत्याचारों से लड़कर देश में न्याय और शांति की स्थापना करने की शिक्षा मिलती है, त्याग और तपस्या से जीवन को सुखी बनाने का सुनहरा संदेश मिलता है।

हमारा कर्तव्य

यह खेद की बात है कि आजकल कुछ लोग त्योहारों की पवित्रता को भुलाकर जुआ खेलते हैं, शराब पीते हैं और गाली-गलौज करते हैं । वे पैसा बरबाद करते हैं और कभी-कभी जरा-सी बात पर हाथापाई भी करने लगते हैं । त्योहार का आनंद किसी भी हालत में विलासिता का पोषक नहीं होना चाहिए । त्योहार हमारे जीवन का सहारा और प्राणों का प्रकाश है, इसलिए हमें त्योहारों के महत्त्व को समझना चाहिए और उनसे संबंधित बुराइयों का त्याग करना चाहिए।

Harshdeep Patil

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हमारे राष्ट्रीय त्योहारों का महत्त्व हिंदी निबंध Importance of Our National Festivals Essay in Hindi

Importance of Our National Festivals Essay in Hindi : हमारे जीवन में त्योहारों का बड़ा महत्त्व हैं। हमारे त्योहार केवल मनोरंजन के साधन ही नहीं है, किंतु उनके पीछे सांस्कृतिक, धार्मिक तथा राष्ट्रीय भावनाएँ छिपी रहती हैं। राष्ट्रीय त्योहारों का अपना अलग महत्त्व होता है।

हमारे राष्ट्रीय त्योहारों का महत्त्व हिंदी निबंध - Importance of Our National Festivals Essay in Hindi

हमारे राष्ट्रीय त्योहारों का महत्त्व हिंदी निबंध – Importance of Our National Festivals Essay in Hindi

राष्ट्र की एकता और राष्ट्रप्रेम के प्रतीक.

राष्ट्रीय त्योहार सारे राष्ट्र के होते हैं। वे प्रांतीयता, सांप्रदायिकता, जातीयता के बंधन से मुक्त होते हैं । राष्ट्र के सभी नागरिक उन्हें अपना मानते है और धूमधाम से मनाते हैं। ये त्योहार हमारी राष्ट्रीय एकता के प्रतीक हैं। इनके द्वारा हमारा राष्ट्रप्रेम प्रकट होता है। स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस, टिळक जयंती और गांधी जयंती जैसे त्योहार सारे भारत में मनाए जाते हैं । इन्हें हिंदू, मुसलमान, पारसी, ईसाई सभी अपना मानते हैं । दूरदर्शन एवं आकाशवाणी पर इन त्योहारों से संबंधित विशेष कार्यक्रम पेश किए जाते है। सभी प्रांतों के सभी वर्गों द्वारा इन दिनों उल्लास प्रकट किया जाता है। सारे भेदभाव मिट जाते हैं। सारा भारत राष्ट्रीय एकता और प्रेम के रंग में डूब जाता है।

राष्ट्रीय घटनाओं का स्मारक

राष्ट्रीय त्योहारों के पीछे कुछ विशेष घटनाएँ होती हैं। इन त्योहारों को मनाकर हम कई ऐतिहासिक अथवा राष्ट्रीय घटनाओं की यादें अमर बनाए रखते हैं। ये घटनाएँ हमें प्रेरणा और संदेश देती है। १५ अगस्त के दिन हम प्रतिज्ञा करते हैं कि हम अपनी स्वतंत्रता की रक्षा करेंगे और उसके लिए हर कुर्बानी देने के लिए हरदम तैयार रहेंगे। २६ जनवरी के दिन हम संकल्प करते हैं कि हम भारत को एक आदर्श और महान लोकतंत्र देश बनाएँगे। प्रभुसत्ता हमेशा जनता के हाथ में रहेगी और शासन का काम केवल जनता की सेवा करना होगा।

राष्ट्रीय पुरुषों के संदेशवाहक

टिळक और गांधी जैसे महान नेताओं के जन्मदिन हमें देशप्रेम और देशसेवा की प्रेरणा देते हैं। राष्ट्रीय त्योहारों के साथ राष्ट्र के महान, त्यागी, वीर, बलिदानी पुरुषों का जीवन भी जुड़ा रहता है। इन त्योहारों के अवसरों पर हम उनका पवित्र स्मरण करते हैं। उनके उज्ज्वल चरित्र से शिक्षा ग्रहण करते हैं। विवेकानंद, टिळक, गांधी, नेहरू, सरदार पटेल, भगतसिंह आदि के चरित्र भारतवासियों को राष्ट्रीयता का पाठ पढ़ाते हैं। उनकी याद हमारी भावना को चेतना और बल देती है।

सचमुच, राष्ट्रीय त्योहार-हमारे राष्ट्रीय उत्सव-राष्ट्रीयता की भावना के पोषक होते हैं। उनसे हमें स्वदेशाभिमान तथा स्वदेशप्रेम की शिक्षा मिलती है। उन्हें प्रेम, उमंग और उल्लास के साथ मनाकर हम भारतमाता की ही पूजा करते हैं।

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भारतीय त्योहारों की सूची हिन्दी में (Indian festival list in Hindi)

Indian festival list in Hindi – भारत दुनिया का एक ऐसा देश है जहां साल भर तरह-तरह के पर्व और त्योहार (Indian festivals throughout the year) मनाए जाते हैं। यहां के लोग अपने प्रत्येक त्यौहार को अपने धर्म, संस्कृति और परंपराओं के साथ बहुत ही उत्सवपूर्ण तरीके से मनाते हैं।

यहां भारत में जीवन का हर दिन एक त्यौहार की तरह मनाया जाता है और यह दुनिया भर के अन्य देशों की तुलना में सबसे अधिक त्यौहार मनाये जाते है। हर त्यौहार का अपना विशेष महत्व होता है और समाज, संस्कृति और धार्मिक मान्यताओं के साथ-साथ राष्ट्रीय एकता और अखंडता में भी इसका महत्वपूर्ण महत्व होता है।

इन त्योहारों के माध्यम से लोग सामाजिक जुड़ाव, आपसी सद्भाव और एकजुटता के महत्व को समझते हैं। ये त्यौहार समाज को एक साथ लाते हैं और विभिन्न समुदायों के लोगों को एक साथ आने का अवसर प्रदान करते हैं। इसके अलावा, ये त्योहार धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण को भी बढ़ावा देते हैं और लोगों को उनके मौलिक मूल्यों और धार्मिक अर्थ से अवगत कराते हैं।

Table of Contents

प्रमुख भारतीय त्योहारों की सूची (List of major Indian festivals in Hindi)

  • दिवाली (Diwali) – भारतीयों का सबसे बड़ा त्यौहार रोशनी के त्यौहार के रूप में मनाया जाता है।
  • दशहरा (Dussehra) – बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है।
  • होली (Holi) – रंगों का त्योहार, जो फागुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है।
  • मकर संक्रांति (Makar Sankranti) – सूर्य का उत्सव मनाने वाला एक त्योहार, जिसमें खिचड़ी, तिल और गुड़ से बने व्यंजन खाए जाते हैं।
  • रक्षाबंधन (Raksha Bandhan) – भाई-बहन के प्यार का प्रतीक बहनें अपने भाइयों को राखी बांधती हैं।
  • नाग पंचमी (Nag Panchami) – नाग पंचमी नाग या साँपों की पारंपरिक पूजा का दिन है।
  • पोंगल (Pongal) – तमिलनाडु में मनाया जाने वाला धान की कटाई का त्योहार है।
  • गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) – भगवान गणेश के आगमन की प्रत्याशा में मनाया जाता है।
  • चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri) – नवरात्रि का त्यौहार, जिसमें नौ दिनों तक देवी दुर्गा की पूजा की जाती है।
  • नवरात्रि (Navratri) – गुजरात में मनाया जाता है, जिसमें रास गरब नृत्य किये जाते हैं।
  • दुर्गा पूजा (Durga Puja) – दुर्गा पूजा देवी भगवानी की पूजा है और महानवमी के अवसर पर बहुत धूमधाम से मनाई जाती है।
  • करवा चौथ (Karwa Chauth) – पत्नि द्वारा अपने पति की दीर्घायु और खुशहाली की कामना के साथ मनाया जाने वाला व्रत त्योहार है।
  • जन्माष्टमी (Janmashtami) – जन्माष्टमी श्री कृष्ण के जन्म का जश्न मनाने के लिए हिंदू समुदाय द्वारा मनाया जाने वाला त्योहार है।
  • हनुमान जयंती (Hanuman Jayanti) – हनुमान जी की आराधना का पर्व चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है।
  • महाशिवरात्रि (Mahashivratri) – महाशिवरात्रि एक हिंदू धार्मिक त्योहार है जो भगवान शिव की पूजा करने और उनके जन्म के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।
  • छठ पूजा (Chhath Puja) – छठ पूजा बिहार और पश्चिम बंगाल के लोगों द्वारा सूर्य देव की पूजा के अवसर पर मनाया जाने वाला त्योहार है।
  • बैसाखी (Baisakhi) – पंजाब और हरियाणा के लोगों की कड़ी मेहनत की सफलता का जश्न मनाने का त्योहार है।
  • ओणम (Onam) – ओणम एक हिंदू त्योहार है जो केरल के लोगों द्वारा समृद्धि और समृद्धि के अवसर पर मनाया जाता है।
  • बिहू (Bihu) – बिहू, असम राज्य में मनाया जाने वाला हाड़ि पर्व है जो फसलों की खुशी में मनाया जाता है।
  • वैषाख पूर्णिमा (Buddha Purnima) – वैशाख पूर्णिमा आध्यात्मिक महत्व वाला एक त्योहार है जिसे चंद्रमा के साथ मनाया जाता है।
  • लोहड़ी (Lohri) – लोहड़ी एक हिंदू त्योहार है जो पंजाब और हरियाणा के लोगों द्वारा पिछले वर्ष की फसल का जश्न मनाने के लिए मनाया जाता है।
  • गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima) – यह गुरुओं और उनके शिष्यों के बीच गुरु-शिष्य संबंधों के महत्व को याद करने के लिए मनाया जाने वाला त्योहार है।
  • गुरु नानक जयंती (Guru Nanak Jayanti) – गुरु नानक जयंती को सिख समुदाय के प्रमुख गुरु नानक देव जी के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है।
  • गुरुपर्व (Gurpurab) – गुरुपर्व सिख समुदाय के प्रमुख गुरु के जन्म और जोति जोत के अवसर पर मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्योहार है।
  • क्रिसमस (Christmas) – क्रिसमस ईसाई धर्म का एक प्रमुख त्योहार है जो 25 दिसंबर को ईसा मसीह के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है।
  • ईद (Eid) – यह मुस्लिम समुदाय का एक महत्वपूर्ण धार्मिक त्योहार है, जो रमज़ान के बाद मनाया जाता है।

कौन से त्यौहार किस महीने में आते हैं? Indian festivals by month

मकर संक्रांतिपोंगललोहड़ीमाघ बिहू (बोहाग बिहु)सरस्वती पूजा
वसंत पंचमीगुरु रविदास जयंती
होलीचैत्र नवरात्रिराम नवमीउगड़ी गुड़ी पड़वा (महाराष्ट्र)विषुबैसाखी (वैशाखी)मेष संक्रांति (ओड़िशा)बड़ी ईद (ईद-उल-फितर)
बुद्ध पूर्णिमारथ यात्रा (जगन्नाथ रथ यात्रा)शयनी एकादशी (जगन्नाथ एकादशी)महेश जयंती
रक्षाबंधनश्रीकृष्ण जन्माष्टमीहरियाली तीजनाग पंचमीवरलक्ष्मी पूजा (वरलक्ष्मी व्रत)तीज (हरियाणा, पंजाब)
गणेश चतुर्थीनवरात्रिदुर्गा पूजादशहराओणम शरद पूर्णिमाकर्तिक मास (कर्तिक मास व्रत)
कार्तिक पूर्णिमाधनतेरस दिवालीगोवर्धन पूजाकरवा चौथछठ पूजागुरु पुरब (गुरु नानक जयंती)क्रिसमस (ईसाई धर्म का प्रमुख त्योहार)

भारतीय पर्वों का विवरण (Description of Indian festivals)

भारत में पूरे वर्ष विभिन्न प्रकार के त्यौहार मनाये जाते हैं। यहां व्यक्तिगत, सामाजिक और धार्मिक आयाम आपस में गुंथे हुए हैं और भारतीय सांस्कृतिक, धार्मिक और राष्ट्रीय चेतना के साथ-साथ लोगों के जीवन की विशिष्टता को भी प्रकट करते हैं। ये त्यौहार विभिन्न प्रतिष्ठानों, उत्सवों और अनुष्ठानों के साथ मनाए जाते हैं और विविधता के अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत करते हैं।

यहां हर दिन त्योहार मनाए जाते हैं और यह एक अनोखी विशेषता है क्योंकि पूरी दुनिया की तुलना में भारत में अधिक त्योहार मनाए जाते हैं। हर त्यौहार का अपना महत्व होता है और यह लोगों के जीवन में खुशी और सामाजिक एकता की भावना को बढ़ावा देता है।

दीपावली (Diwali)

कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाने वाला यह त्यौहार भारत में अक्टूबर और नवंबर के बीच मनाया जाता है और इसे “दीपावली” या “दिवाली” के नाम से भी जाना जाता है। यह एक प्रमुख हिंदू त्योहार और भगवान लक्ष्मी की पूजा का त्योहार है, जिसे धन और वैभव की देवी के आगमन के रूप में मनाया जाता है।

दिवाली का त्योहार भगवान राम की अयोध्या वापसी की याद दिलाता है, जब वह 14 साल के वनवास के बाद अपने राज्य में लौटे थे। इस दिन को “छोटी दिवाली” के रूप में मनाया जाता है।

दिवाली शब्द का शाब्दिक अर्थ है ‘दीपकों की पंक्तियाँ’ और इसे रोशनी का त्योहार कहा जाता है। इस दिन घरों को दीपों, दियों और मोमबत्तियों से सजाया जाता है, जो अच्छाई, रोशनी और ज्ञान का प्रतीक हैं। इसके साथ ही लोग अपने घरों की साफ-सफाई करते हैं और नए कपड़े पहनते हैं।

दिवाली के दिन लोग अपने दोस्तों और परिवार के साथ जश्न मनाते हैं और विभिन्न प्रकार की मिठाइयों और विशेष व्यंजनों का स्वाद लेते हैं।

दिवाली के त्योहार के दौरान घरों की दीवारें, खिड़कियां और छतें रंगों और रोशनी से भर जाती हैं और इसके लिए लोग तरह-तरह के दीयों और लाइटों का इस्तेमाल करते हैं। यह त्यौहार बच्चों, युवाओं और वयस्कों के लिए बहुत ही उत्सवपूर्ण होता है और लोग इसे बहुत धूमधाम और मनोरंजन के साथ मनाते हैं।

होली (Holi)

होली, जिसे रंगों का त्योहार भी कहा जाता है, हिंदुओं का एक प्रमुख और आध्यात्मिक त्योहार है। यह त्यौहार हर साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है और दूसरे दिन लोग रंग-बिरंगे रंगों से होली खेलते हैं।

होली हर्ष, उल्लास और सामाजिक भाईचारे का त्योहार है। इसका मुख्य उद्देश्य बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक और लोगों के बीच मुक्ति, सामाजिक सद्भाव और सद्भाव की भावना को बढ़ावा देना है। इस दिन लोग अपने दोस्तों, परिवार के सदस्यों और पड़ोसियों के साथ मिलकर रंग खेलते हैं, गाने गाते हैं और मिठाइयाँ खाते हैं।

होली समय के बदलाव का भी प्रतीक है, क्योंकि यह वसंत के आगमन का प्रतीक है, और प्राकृतिक सुंदरता और नए जीवन का जश्न मनाती है। इस दिन लोग अपने जीवन में एक नई शुरुआत करने का फैसला करते हैं और इसे बुराई दूर करने का प्रतीक मानते हैं।

दशहरा (Dussehra)

दशहरा, जिसे विजयादशमी और आयुध पूजा के नाम से भी जाना जाता है, भारत के प्रमुख हिंदू त्योहारों में से एक है। यह अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी को मनाया जाता है और एक प्रमुख क्षत्रिय त्योहार है। इस दिन क्षत्रिय अपने शस्त्रों की पूजा करते हैं और दशहरे के दिन कोई अनुष्ठान नहीं करते हैं।

दशहरा का महत्व इसलिए है क्योंकि इस दिन भगवान श्री राम ने लंकापति रावण को मारकर विजय प्राप्त की थी, इसलिए इसे असत्य पर सत्य की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है।

दशहरे के मौके पर देश के अलग-अलग हिस्सों में रामलीला का मंचन किया जाता है, जिसमें भगवान राम के जीवन की महत्वपूर्ण कहानियां दिखाई जाती हैं. इसके बाद असत्य की हार के प्रतीक दशहरा के दिन रावण, कुंभकरण और मेघनाथ के पुतले बड़ी धूमधाम से जलाए जाते हैं।

रक्षा बंधन (Raksha Bandhan)

रक्षाबंधन, जिसे आमतौर पर राखी के नाम से जाना जाता है, हिंदी कैलेंडर के सावन महीने की पूर्णिमा के दिन मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है। इस त्यौहार का मुख्य उद्देश्य भाई-बहन के मजबूत बंधन को मजबूत करना है और इसका अर्थ है “रक्षा” या “सुरक्षा” का बंधन।

राखी का त्यौहार पूरे भारत में आध्यात्मिक हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है। यह सिर्फ एक त्यौहार नहीं बल्कि हमारी परंपराओं और संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा भी है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की आरती उतारती हैं, उन्हें तिलक लगाती हैं, उनकी कलाई पर राखी बांधती हैं और उनकी लंबी उम्र की प्रार्थना करती हैं। परिणामस्वरूप, भाई अपनी बहनों के जीवन की सुरक्षा और खुशी की गारंटी देते हैं और यह रिश्ता साझेदारी और स्नेहपूर्ण वादे का प्रतीक है।

कृष्ण जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami)

जन्माष्टमी हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो भगवान विष्णु के रूप में भगवान कृष्ण के जन्म के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। यह त्यौहार जुलाई-अगस्त के कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन मनाया जाता है।

हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, श्री कृष्ण का जन्म मथुरा के राक्षस राजा कंस को खत्म करने के लिए हुआ था। जन्माष्टमी के अवसर पर, पुरुष और महिलाएं दोनों व्रत रखते हैं, प्रार्थना करते हैं और भगवान कृष्ण के जन्म की कहानियाँ सुनते हैं।

इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के वृन्दावन शहर के मंदिरों में विशेष उत्सव आयोजित किए जाते हैं, जिनमें विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान और प्रार्थनाएँ शामिल होती हैं। इस त्यौहार को “कृष्णाष्टमी” और “गोकुलाष्टमी” के नाम से भी जाना जाता है, और यह भक्तों के लिए भगवान कृष्ण की पूजा और स्मरण करने का एक अनूठा अवसर है।

लोहड़ी (Lohri)

पंजाबी संस्कृति का प्रमुख त्योहार लोहड़ी मकर सक्रांति से एक दिन पहले मनाया जाता है। यह त्यौहार भारत के विभिन्न हिस्सों में मनाया जाता है, लेकिन विशेष रूप से उत्तर भारत में पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, जम्मू और उत्तराखंड जैसे राज्यों में मनाया जाता है।

त्यौहार के इस अवसर पर लोग एक बड़ा घेरा बनाकर आग के चारों ओर बैठते हैं और गीत गाते हैं। इस घेरे के चारों ओर प्रदर्शनी अग्नि जलाई जाती है, जिसे “लोहड़ी” कहा जाता है। लोग इस अग्नि के चारों ओर नाचते, गाते हैं और खुशी के साथ इस त्योहार का स्वागत करते हैं।

इस दिन के अवसर पर महिलाएं विशेष रूप से तांबे के बर्तन में रेवड़ी (एक प्रकार की मिठाई), मूंगफली और गुड़ से बनी मिठाइयां बनाती हैं और फिर उन्हें आपस में बांटती हैं। यह भोजन बांटने और आपसी रिश्तों को मजबूत करने का प्रतीक है। इसके बाद लोग गीत गाते हैं, जश्न मनाते हैं और आपसी दोस्ती को बढ़ावा देते हैं।

लोहड़ी भारतीय कृषि मौसम के साथ-साथ खेतों में उगी फसलों की सफलता और समृद्धि का प्रतीक है और यह त्यौहार खेतों में समृद्धि की प्राप्ति के रूप में भी मनाया जाता है।

राम नवमी (Ram Navami)

राम नवमी भगवान श्री राम के जन्म के उपलक्ष्य में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है। इस दिन भक्त बड़ी संख्या में मंदिरों में जाते हैं और भगवान श्री राम की पूजा करते हैं। यह त्यौहार “मर्यादा पुरूषोत्तम” कहे जाने वाले भगवान राम का जश्न मनाता है और भक्त भगवान राम की मूर्ति की पूजा करने, भजन गाने और भगवान के जीवन से कहानियाँ सुनाने के लिए मंदिरों में जाते हैं। इस दिन कई जगहों पर रामलीला का आयोजन किया जाता है, जिसमें भगवान राम की कहानी का नाटक प्रस्तुत किया जाता है।

रामनवमी के महत्वपूर्ण अनुष्ठानों का केंद्र अयोध्या है, जो भगवान राम की जन्मभूमि के रूप में प्रसिद्ध है। इस दिन भगवान राम, सीता, लक्ष्मण और हनुमान की रथयात्रा निकाली जाती है जिसमें वे अपने भक्तों के साथ निकलते हैं। इसके अलावा लोग अपने घरों में भी रामनवमी की पूजा करते हैं और भगवान राम की मूर्तियों को विशेष रूप से सजाते हैं।

राम नवमी भारतीय सभ्यता का एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है और लोग इसे भगवान राम के जीवन मूल्यों और आदर्शों को याद करते हुए खुशी और भक्ति के साथ मनाते हैं।

ओणम, जिसे थिरुवोणम त्योहार के नाम से भी जाना जाता है, भारत के केरल राज्य के सदगोपनम केरल में मनाया जाने वाला एक प्रमुख त्योहार है। यह त्योहार मुख्य रूप से अगस्त और सितंबर के महीनों में मनाया जाता है और मलयालम कैलेंडर के अनुसार वर्ष के 22वें नक्षत्र पर आता है। ओणम का उत्सव केरल की परंपराओं और संस्कृति को प्रदर्शित करने का एक अनूठा तरीका है और इसे समर्थन और एकता का प्रतीक माना जाता है।

ओणम का उत्सव इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह एक प्रकार का फसल उत्सव है, जो विशेष रूप से चावल की फसल का जश्न मनाने के लिए मनाया जाता है। इस त्यौहार में मलयालम लोग विशेष रूप से फूलों की रंग-बिरंगी सजावट करते हैं जिसे ओणम पुक्कलम कहा जाता है, जिसका अर्थ है “ओणम का निर्माण”।

केरल में ओणम त्यौहार का बहुत महत्व है और इसे बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है। लोग विशेष तैयारियों में लगे हुए हैं, और अपने घरों को सजाने के लिए बड़ी माताओं और बच्चों सहित विशेष यात्रा श्रेणियों की मदद लेते हैं।

मकर संक्रांति (Makar Sankranti)

मकर संक्रांति, जिसे भारत के विभिन्न हिस्सों में पोंगल, लोहड़ी, उत्तरायण, माघ बिहू, बिहू, तिल संक्रांति, खिचड़ी और कई अन्य नामों से जाना जाता है, भारत का एक प्रमुख फसल त्योहार है। यह त्यौहार हर साल 14 या 15 जनवरी को मनाया जाता है, जब सूर्य कर्क राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है। उत्तर भारत के लोगों के बीच तो यह बहुत धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन दक्षिण भारत के अन्य क्षेत्रों में भी इसका महत्व है।

मकर संक्रांति को सूर्य पूजा के नाम से भी जाना जाता है, जिसमें लोग सूर्य देव की पूजा करते हैं। यह खेती के नए मौसम की शुरुआत का प्रतीक है और खेतों में अच्छी फसल की उम्मीद से जुड़ा है।

इस त्योहार के दौरान पतंग उड़ाना एक महत्वपूर्ण गतिविधि है और लोग आसमान में रंग-बिरंगी पतंगें उड़ाते हैं। इससे पता चलता है कि वसंत के आगमन के साथ खुशी और उत्साह आता है।

गुरु नानक जयंती (Guru Nanak Jayanti)

गुरु नानक जयंती सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव की जयंती के उपलक्ष्य में मनाई जाती है। इसे “गुरु पर्व” या “नानक प्रकाश उत्सव” के नाम से भी जाना जाता है। गुरु नानक देव सिख धर्म के पहले गुरु थे, और उनका जन्म 1469 में लाहौर के पास तलवंडी गाँव में हुआ था। गुरु नानक जयंती का त्योहार सिखों के लिए एक महत्वपूर्ण दिन माना जाता है, और इसे धार्मिक महत्व के साथ मनाया जाता है।

इस त्योहार के अवसर पर सिखों के प्रमुख धार्मिक ग्रंथ संपूर्ण गुरु ग्रंथ साहिब का बिना किसी रुकावट के पाठ किया जाता है, जिसे “अखंड पाठ” कहा जाता है। यह पाठ समृद्धि और सुख-शांति की कामना से किया जाता है। मुख्य कार्यक्रम के दिन, गुरु ग्रंथ साहिब को फूलों से सजाया जाता है और नाव पर रखा जाता है और पूरे गांव या शहर में जुलूस निकाला जाता है। इस जुलूस के दौरान सिख संगत गुरुवाणी का पाठ करती है और भजन-कीर्तन का आनंद लेती है। इसके बाद गुरुद्वारे में सामुदायिक भोजन (लंगर) का आयोजन किया जाता है, जिसमें सभी वर्गों के लोग बिना किसी भेदभाव के एक साथ भोजन करते हैं। गुरु नानक जयंती के दिन, सिख समुदाय अच्छाई, एकता और सेवा की महत्वपूर्ण भावना का जश्न मनाता है और अपने गुरु की शिक्षाओं का पालन करता है।

क्रिसमस (Christmas)

क्रिसमस ईसाइयों का सबसे महत्वपूर्ण और प्रसिद्ध त्योहार है, जो पूरी दुनिया में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। ईसाई धर्म के अलावा अन्य धर्मों के लोग भी इसे उत्साह से मनाते हैं। क्रिसमस का मुख्य कार्यक्रम ईसा मसीह का जन्मदिन है, जो हर साल 25 दिसंबर को मनाया जाता है।

क्रिसमस के दिन चर्च को फूलों और रोशनी से सजाया जाता है और विशेष प्रार्थनाएं की जाती हैं। क्रिसमस मनाने के लिए घरों में लाइटें और क्रिसमस ट्री लगाए जाते हैं, जिन पर तरह-तरह की सजावट की जाती है।

क्रिसमस का महत्व यह है कि यह एक पारिवारिक और सामाजिक रूप से महत्वपूर्ण त्योहार है, जिसमें परिवार और दोस्त एक साथ समय बिताने, उपहारों का आदान-प्रदान करने और एक-दूसरे को मनाने के लिए आते हैं। इसके साथ ही क्रिसमस दान का भी त्योहार है और लोग गरीबों और जरूरतमंदों की मदद के लिए कई अच्छे काम करते हैं।

क्रिसमस पर, बच्चे भगवान के रिश्तेदार यीशु मसीह के जन्म की कहानी सुनते हैं और उनके उदाहरण का अनुसरण करने के लिए प्रेरित होते हैं। त्योहार के दिनों में खासतौर पर बच्चों के लिए उपहार और क्रिसमस खिलौने भी रखे जाते हैं, जिससे उनका उत्साह और खुशी काफी बढ़ जाती है।

क्रिसमस का महत्व इस बात में भी है कि यह साल के अंत का प्रतीक है और नए साल की शुरुआत की तैयारियों का आयोजन करता है। यह साल के आखिरी महीने में आयोजित किया जाता है, जिससे लोग साल के अंत और नए साल की शुरुआत का जश्न मना सकते हैं।

क्रिसमस के दिन खाने-पीने का विशेष उत्सव होता है और लोग अपने परिवार और दोस्तों के साथ खाने का आनंद लेते हैं। क्रिसमस को प्लम पुडिंग, क्रिसमस केक और अन्य विशेष व्यंजनों की गर्माहट से बढ़ाया जाता है और लोग एक-दूसरे के साथ त्योहारी सीजन का जश्न मनाते हैं।

इस त्यौहार का एक और महत्वपूर्ण हिस्सा उपहार देना और प्राप्त करना है। लोग अपने परिवार और दोस्तों को उपहार देते हैं और वे खुशी-खुशी उन उपहारों को खोलते हैं।

दो महत्वपूर्ण मुस्लिम त्योहार ईद-उल-फितर और ईद-उल-जुहा मनाने के बाद पुरे भारत में खुशी और जश्न का माहौल होता है। इन दिनों लोग मस्जिदों में नमाज पढ़ते हैं और इस दिन को विशेष रूप से मनाते हैं।

ईद-उल-फितर, जो चाँद दिखने के बाद मनाया जाता है, रमज़ान के उपवास महीने के अंत का प्रतीक है। यह एक सामाजिक और पारिवारिक मिलन का अवसर है जिसमें लोग अपने परिवार और दोस्तों के साथ खाने का आनंद लेते हैं और एक-दूसरे को उपहार देते हैं। इसके साथ ही ईद-उल-फितर के दिन जरूरतमंदों और गरीबों को दान देने का एक पारंपरिक तरीका भी है, जो सामाजिक समृद्धि और सद्भाव का संदेश देता है।

ईद-उल-अजहा, जिसे बकरीद भी कहा जाता है, मुस्लिम समुदाय के लिए महत्वपूर्ण है। इस दिन कुर्बानी (बलिदान) का आयोजन किया जाता है जिसमें बकरे या कुछ अन्य जानवरों की बलि दी जाती है और फिर उनका मांस गरीबों और जरूरतमंदों में वितरित किया जाता है जो खाने से भी वंचित होते हैं। इस दिन का संदेश सहानुभूति, साझेदारी और सेवा का है।

भारत में त्योहार का महत्व (Importance of festivals in India)

हमारे देश में त्योहारों का बहुत महत्व है। यहां कई तरह के त्योहार होते हैं और इन त्योहारों का पर्व साल भर मनाया जाता है। यहाँ के अधिकांश त्यौहार और अवसर धार्मिक, सांस्कृतिक, भौगोलिक और सामाजिक हैं। इन त्योहारों का महत्व समाज और राष्ट्र के लिए बहुत अधिक है और इन्हें आयोजित करके लोग एकता, सद्भावना, सामाजिक समरसता और सद्भावना जैसे अपने सांस्कृतिक मूल्यों को व्यक्त करते हैं।

भारतीय जीवन एवं संस्कृति की त्योहारों के रूप में गहरी प्रतिष्ठा है। लोगों के लिए ये त्यौहार समाज में मेल-मिलाप, ख़ुशी और सद्भाव का प्रतीक हैं। यह जीवन को रंगीन बनाता है और लोगों को एक साथ लाता है, चाहे वह दिवाली का त्योहार हो, जब घरों को दीयों से सजाया जाता है, या होली का खेल, जब रंगों से बौछार की जाती है।

इन त्योहारों के माध्यम से लोग अपनी पारंपरिक संस्कृति को जीवित रखते हैं और अपने पसंदीदा देवी-देवताओं की पूजा करते हैं। ये त्यौहार भारतीय जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और लोग इन्हें खुशी, उत्सव और सहयोग का प्रतीक मानते हैं।

इन त्योहारों के माध्यम से विभिन्न धर्मों, जातियों और सामाजिक वर्गों के लोग आते हैं और साझा धार्मिक अनुष्ठानों, परंपराओं और भोजन का आनंद लेते हैं। ये त्योहार भारतीय समाज की एकता और सद्भाव को प्रकट करते हैं और विभिन्न समुदायों के लोगों के बीच मेलजोल को बढ़ावा देते हैं।

धार्मिक त्योहारों के साथ-साथ गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस, गांधी जयंती आदि राष्ट्रीय त्योहार भी महत्वपूर्ण हैं। ये दिन देश के इतिहास और स्वतंत्रता संग्राम को याद करने के लिए मनाए जाते हैं और लोग अपने देश के गौरव को याद करते हैं।

ये सभी त्यौहार, चाहे वे धार्मिक हों या राष्ट्रीय, महत्व रखते हैं क्योंकि ये भारतीय समाज की सांस्कृतिक धारा के लोगों के बीच एकता और सद्भाव को प्रकट करते हैं। ये त्यौहार भारतीय संस्कृत त्यौहारों के माध्यम से विभिन्न समुदायों की विविधता और समृद्ध संस्कृति को उजागर करते हैं।

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essay in hindi our national festival

भारत के प्रमुख त्योहार पर निबंध | Essay on Major Festivals of India

by Meenu Saini | Jul 8, 2022 | General | 0 comments

भारत के प्रमुख त्योहार पर निबंध

Hindi Essay Writing – भारत के प्रमुख त्योहार Major Festivals of India 

  भारत के प्रमुख त्योहार पर निबंध  – त्योहार कितने प्रकार के होते हैं? भारत का सबसे लोकप्रिय त्यौहार कौन सा है के बारे में जानेगे |

  • पूर्वोत्तर भारत‌ के त्यौहार

भारत त्योहारों का देश है। यहां हर वर्ष, हर माह, हर राज्य में तिथि अनुसार कई तरह के त्यौहार मनाए जाते हैं। भारत में मनाए जाने वाले हर त्योहार के पीछे कोई ना कोई ऐतिहासिक कहानी होती है। जिसमें झलक होती है हमारे देश की सांस्कृतिक विरासत की। जो पीढ़ियों से हमारे देश में मनाए जा रहे हैं । हर त्यौहार की अपनी एक खासियत है और एक धार्मिक महत्व। हमारे देश में विभिन्न धर्मों और जातियों के लोग रहते हैं और उनके विविध कर्म संस्कार होते हैं। वह अपने कर्म और संस्कारों को समय-समय पर विशेष रूप से प्रकट करते रहते हैं, इन रूपों को हम आए दिन बड़े आयोजनों के रूप में देखा करते हैं। इस प्रकार हर धर्म में, कोई ना कोई उत्सव मनाए जाने की परंपरा है। जिन्हें हम बरसों से मनाते आ रहे हैं क्योंकि ये त्यौहार, हमारे देश की संस्कृति, रीति-रिवाज और परंपराओं के प्रतीक हैं। विश्व में सबसे ज्यादा त्यौहार हमारे देश में ही मनाया जाते हैं। 

त्यौहार का शाब्दिक अर्थ है प्रति वर्ष किसी निश्चित तिथि को मनाया जाने वाला कोई धार्मिक या सांस्कृतिक उत्सव। भारत में कई प्रकार के विभिन्न धर्मों के त्योहार मनाए जाते हैं जिन्हें हम तीन भागों में बांट सकते हैं –

  • धार्मिक त्योहार 

राष्ट्रीय त्योहार

  • स्वतंत्रता दिवस
  • गणतंत्र दिवस
  • मौसमी त्यौहार 

धार्मिक त्यौहार

धार्मिक त्योहारों के अंतर्गत किसी विशेष धर्म के त्योहार आते हैं। जिनमें देवी-देवताओं या किसी पौराणिक कहानी के मान्यता अनुसार ये त्यौहार मनाया जाते हैं। जैसे – दीपावली, होली, रक्षाबंधन, दशहरा, बसंत पंचमी, बुद्ध पूर्णिमा क्रिसमस, ईद आदि।

  दीपावली   

  • दीपावली यानी दीपो का त्यौहार। यह भारत में मनाए जाने वाले प्रमुख त्यौहार में सबसे बड़ा त्यौहार है। इसे मनाए जाने के पीछे एक पौराणिक कहानी है। हिंदू धर्म के सबसे प्रमुख ग्रंथ रामायण के अनुसार इस दिन भगवान श्रीराम, चौदह वर्ष का वनवास पूरा करके अपने भाई लक्ष्मण और पत्नी सीता के साथ, भक्त हनुमान को लेकर सकुशल अयोध्या वापस लौटे थे।
  • माना जाता है कि राम जी के अयोध्या लौटने की खुशी में अयोध्यावासियों ने पूरी नगरी को साफ सुथरा कर फूलों से सजाया था और घी के दीपक जलाए थे।
  • हिंदू कैलेंडर अनुसार दीपावली, हर वर्ष कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मनाई जाती है।
  • यह कुल पांच दिनों का त्यौहार होता है जिसमे पहले दिन धनतेरस, दूसरे दिन नरक चतुर्दशी, तीसरा मुख्य दीपावली का दिन, चौथे दिन गोवर्धन पूजा ,और पांचवे दिन भाई दूज मानते है।
  • इसकी तैयारियां 10 दिन पहले से शुरू हो जाती है। लोग अपने घरों की रंगाई, पुताई और सफाई करने लगते है। माताएं, बहनें विभिन्न तरह के पकवान, मिष्ठान बनाती है और बच्चे पटाखे फोड़ते है। दिवाली की रात को मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है और घर के बाहर दीपक जलाए जाते है।
  • इस प्रकार दीपावली का यह त्यौहार हमें संदेश देता है कि आपस में प्रेम के साथ रहे, भाईचारे की भावना से मिलजुलकर कार्य करें और हमेशा सत्य का साथ दे क्योंकि अंत में विजय सत्य की ही होती है।  

  Top   होली  

  • रंगों का त्योहार होली भारत का दूसरा सबसे बड़ा त्यौहार है। पौराणिक मान्यता के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु ने अपने भक्त प्रहलाद की रक्षा के लिए, राक्षसनी होलिका का दहन किया था। 
  • दरअसल होलीका को एक वरदान प्राप्त था कि अग्नि उसे जला नहीं सकती। और इसी का गलत फायदा उठा कर वह भगवान विष्णु के परम भक्त प्रहलाद की हत्या के लिए, उन्हें गोद में लेकर अग्निकुंड में बैठ गई किंतु जब भगवान विष्णु के भक्त पर आन पड़ी तो होलिका का यह वरदान विफल हो गया और विष्णु भक्त प्रहलाद अग्नि की लपटों से बच गए जबकि होलिका उसमें दहन हो गई। 
  •  इसी वजह से प्रतिवर्ष बुराई पर अच्छाई की विजय के उपलक्ष्य में होली का यह त्यौहार मनाया जाता है।
  • हिंदू कैलेंडर अनुसार होली फाल्गुन माह की पूर्णिमा को मनाई जाती है। 
  • होली के 1 दिन पहले रात्रि के समय लोग, लकड़ियों को एकत्रित कर होलिका दहन करते हैं । उसकी पूजा करते हैं और सुबह रंग गुलाल खेलते हैं घरों में कई तरह के मिष्ठान विशेष रूप से गुजिया बनाये जाते है और बच्चे दिनभर रंगों की धूम मचाते हैं।

  Top   दशहरा  

  • यह भी भारत के प्रमुख बड़े त्योहारों में से एक है। हिंदू पौराणिक ग्रंथ रामायण के अनुसार इसी दिन भगवान श्रीराम ने रावण का वध किया था और सीता माता को उसकी कैद से आजाद कराया था। 
  • हिंदू कैलेंडर के अनुसार दशहरा अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी को बनाया जाता है।
  • इस दौरान जगह-जगह मेले का आयोजन होता है मैदानों में रावण के पुतले जलाए जाते हैं। कई जगह रामलीला का मंचन किया जाता है जिसमें पहले दिन मेघनाथ, दूसरे दिन रावण के भाई कुंभकरण, अंतिम विजयादशमी के दिन रावण के पुतले का दहन किया जाता है।
  • यह त्यौहार हमें संदेश देता है कि बुराई चाहे कितने भी ताकतवर क्यों ना हो | अच्छाई के सामने टिक नहीं सकती | रावण बहुत शक्तिशाली, बुद्धिमान था, उसकी नाभि में अमृत भी था फिर भी उसके अभिमान की वजह से उसका अंत हुआ। 
  • दशहरे को बुराई पर अच्छाई की विजय के सबसे बड़े त्यौहार के रूप में मनाया जाता है इसीलिए दशहरे को विजयादशमी भी कहते हैं।

  Top   रक्षाबंधन

  • श्रावण माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। यह भाई बहनों का त्यौहार है। 
  • इस दिन बहनें, अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है और बदले में भाई जीवन भर उनकी रक्षा करने का वचन देते हैं। इस दिन बहनें मिष्ठान बनाकर भाईयों को खिलाती हैं। 
  • भाई, अपनी बहनों के लिए तोहफे या पैसे उपहार में देते हैं। कई लड़कियां अपने पिता को या पेड़ को राखी बांधती है। तो कुछ किसी को अपना गुरु भाई बना लेती हैं। 
  • कुछ वर्षों से एक नया प्रचलन सामने आया है, महिलाएं भारतीय सेना के सैनिकों को राखी बनाकर कुरियर करती है जिससे कि सैनिकों का मनोबल बढ़े और वे दुगुने उत्साह के साथ देश की रक्षा के लिए तत्पर रहे |

  Top   क्रिसमस  

  • यह ईसाई धर्म का प्रमुख त्यौहार है। ईसाई धर्म के मसीहा के जन्मदिवस को क्रिसमस के रूप में मनाया जाता है। जीजस को ही मसीहा कहा जाता हैं |
  • जीजस की माँ का नाम मेरी और पिता का नाम जोसेफ था। इनके जन्म के समय गॉड ने इनके माता-पिता को इनके दिव्य होने का संदेशा एक परी के जरिये भिजवाया था और बहुत से ज्ञानी महात्मा लोगो को भी इस बात का पता था, कि ईश्वर का अंश जन्म लेने वाला हैं।
  • जीजस के जन्म के समय इनके माता-पिता एक जंगली इलाके में फंस गये थे, वही कई जानवरों के बीच जीजस का जन्म हुआ था, जिसे देखने कई महान लोग आये थे ।
  • कहा जाता हैं वही दिन क्रिसमस था।
  • इसके अलावा यह भी कहा जाता है कि जब जीजस का जन्म हुआ, तब ख़ुशी व्यक्त करने के लिए सभी देवताओं ने सदाबहार वृक्ष को सजाया तब ही से इस वृक्ष को क्रिसमस ट्री का प्रतीक समझा जाने लगा और यह परंपरा प्रचलित हो गई। 
  • इसीलिए इस दिन लोग घर में क्रिसमस ट्री सजाते हैं, तरह-तरह की मिठाइयां बनाते हैं। बच्चों को सैंटा क्लॉज, तोहफे देते हैं और गिरिजाघर में जाकर लोग जीजस से प्रार्थना करते हैं।

  Top   ईद 

  • रमज़ान का महिना इस्लामिक कैलेंडर का नवां और सबसे पवित्र महीना माना गया हैं | इस दौरान मुसलमान भाई अल्लाह की इबादत करते हैं और रोजे रखते हैं | इस दौरान लोग कुछ भी खाते पीते नहीं हैं | 
  • दसवें महीने शव्वाल की पहली चाँद वाली रात ईद की रात होती है | इस चाँद को देखे जाने के बाद ईद-उल-फितर का ऐलान किया जाता हैं |
  • पहली ईद उल फितर पैगम्बर मुहम्मद ने सन 624 ईसवी में जंग-ए-बदर के बाद मनाया थी| पैगम्बर हजरत मुहम्मद ने बद्र के युद्ध में विजय प्राप्त की थी उनके विजयी होने की ख़ुशी में यह त्यौहार मनाया जाता हैं |
  • ईद के दिन मस्जिदों में सुबह की नमाज अदा करने से पहले हर मुसलमान का फर्ज होता हैं कि वो दान या जकात दे |     
  • इस विशेष रूप से मीठी सेवई बनाई और खायी जाती हैं |
  • कृष्ण जन्माष्टमी : पूरा भारत वर्ष में भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव को बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाता है | श्री कृष्ण को माखन बहुत प्रिय था और बचपन में उन्होंने बहुत सी बाल लीलाएं की थी और इसी के उपलक्ष्य में जन्माष्टमी मनाई जाती है। श्री कृष्ण के जन्मोत्सव पर मटकी में माखन-मिश्री रखकर हांडी फोड़ने का आयोजन किया जाता है । इसमें एक खाली मैदान में ऊंचाई पर मटकी बांधी जाती है और युवा, बच्चे मिलकर पिरामिड बनाकर उस मटकी को तोड़ने की कोशिश करते हैं और नाच गाकर आनंद मनाते हैं। 
  • इनके अतिरिक्त भारत में कई सारे त्यौहार मनाया जाते हैं जैसे जनवरी में मकर संक्रांति का त्यौहार मनाया जाता है । हिंदू कैलेंडर के अनुसार यह त्यौहार पौष शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाया जाता हैं। इस दिन तिल गुड़ के लड्डू बनाए जाते हैं और पतंग उड़ाने का भी रिवाज है। गुजरात में बड़े स्तर पर पतंग उड़ाने का आयोजन किया जाता है, जिसमें तरह-तरह की पतंगे आकार में बड़ी छोटी रंग बिरंगी पतंगे उड़ाई जाती है। 
  • माघ माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी को वसंत पंचमी का त्यौहार मनाया जाता है। बंगाल में इसे सरस्वती पूजन के नाम से भी जाना जाता हैं। 
  • श्री राम के जन्म उत्सव को रामनवमी के रूप में मनाया जाता है। राम नवमी चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी को मानते है। 
  • सिखों के प्रमुख गुरु, गुरुनानक देव के जन्मदिवस को गुरु नानक जयंती के रूप में मनाया जाता है। इस दिन जगह जगह पर लंगर का आयोजन होता है। गुरुद्वारों में गुरुवाणी होती है। गुरुनानक जयंती कार्तिक माह की पूर्णिमा को मानते है । 
  • पारसियों का प्रमुख त्यौहार नवरोज मनाया जाता है । पारसियों में अग्नि पूजा का विधान है। पारंपरिक भोजन  बनाकर यह त्यौहार मनाया जाता है।
  • इसके अतिरिक्त गुजरात में नवरात्रि का उत्सव बड़े धूमधाम से मनाया जाता है | पूरे 9 दिन दुर्गा माता के नौ रूपों की पूजा की जाती है और हर रात्रि गरबा आयोजन होता है।
  • बंगाल में भी की दुर्गा पूजा का अपना महत्व है। बंगाल में अष्टमी के दिन मां दुर्गा की भव्य आरती होती हैं, जिसमें महिलाएं धुनुची नृत्य करती हैं और आखिरी दिन एक-दूसरे को सिंदूर लगाती है , इस परंपरा को सिंदूर खेला कहते हैं। 

  Top  

राष्ट्रीय त्योहारों के अंतर्गत ऐसे विशेष दिन शामिल होते हैं जिनका गौरवशाली इतिहास होता है और देश के नागरिक होने के नाते सभी धर्म के लोग इन राष्ट्रीय पर्व को मनाते हैं । 

जैसे 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस, 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस, 5 सितंबर को शिक्षक दिवस, 14 नवंबर को बाल दिवस, 2 अक्टूबर को अहिंसा दिवस या गांधी जयंती, 31 अक्टूबर को राष्ट्रीय एकता दिवस आदि। 

  • स्वतंत्रता दिवस : 15 अगस्त सन 1947 की अर्धरात्रि को हमारा देश भारत, अंग्रेजो की गुलामी से आजाद हुआ था इसी के उपलक्ष्य में प्रतिवर्ष स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता हैं | जगह-जगह देश भक्ति गीत गाए जाते हैं और झंडा फहराया जाता है ताकि लोगों में देशभक्ति की भावना जागृत रहे।
  • गणतंत्र दिवस 26 जनवरी 1950 को हमारा संविधान लागू हुआ था। संविधान अर्थात नियमों और कानूनों का संकलित लेख। किसी भी देश को चलाने के लिए कुछ नियम और कानूनों की आवश्यकता होती है ताकि समाज में न्याय व्यवस्था को बनाए रखा जा सके। इसी उद्देश्य से हमारे देश के बुद्धिजीवियों ने संविधान तैयार किया था | इस दिन प्रतिवर्ष नई दिल्ली में इंडिया गेट पर बीटिंग द रिट्रीट परेड का आयोजन होता है। तीनों सेना के जवान शौर्य प्रदर्शन करते हैं । 

इस प्रकार इन राष्ट्रीय त्योहारों को मनाने का एकमात्र उद्देश्य यही है कि हमारी आने वाली पीढ़ी इतिहास के वीर क्रांतिकारियों, महापुरुषों को याद रखें, उनसे सीख ले और उनमें देशभक्ति की भावना का विकास हो।   Top  

मौसमी त्यौहार

भारत एक कृषि प्रधान देश है । यहां की 70% से अधिक जनसंख्या खेती पर निर्भर है और इसी वजह से यहां के किसान धरती को अन्न की देवी, माता मानते हैं और हर मौसम में नई फसल आने पर उत्सव मनाते हैं | जैसे पंजाब में लोहड़ी, दक्षिण भारत में पोंगल, असम में बिहू।

  • लोहड़ी मकर संक्रांति की पूर्व संध्या पर पंजाब में लोहड़ी का त्योहार मनाया जाता है, यह पौष माह के अंतिम दिन मनाते है। इस उत्सव के दौरान रात में लकड़ियों का ढेर इकट्ठा कर उसे जलाया जाता है और पूजा की जाती है। महिलाओं और पुरुषों का समूह मिलकर गिद्दा और भांगड़ा करते हैं। यह त्यौहार कृषि की अच्छी उपज के लिए ईश्वर को धन्यवाद देने हेतु मनाया जाता है।
  • पोंगल पोंगल तमिलनाडु के प्रमुख त्योहारों में से एक है। इस दौरान लोग चावल दूध और गुड़ की खीर बनाते हैं जिसे पोंगल कहते हैं । भगवान को इसका भोग लगाया जाता है । गाय और बैलों की पूजा की जाती है। इसी दिन तमिल नववर्ष की शुरुआत भी होती है।
  • ओणम केरल में खेतों में नई फसल की उपज के उत्सव के रूप में ओणम का पर्व मनाया जाता है। इस दौरान लोग घर के बाहर फूलों की रंगोली बनाते हैं और पारंपरिक नृत्य करते हैं।
  • बिहू – असम का सर्वाधिक लोकप्रिय त्यौहार है | बिहू, असम के कृषक समुदाय द्वारा मनाया जाता है।

पूर्वोत्तर  भारत‌ के त्यौहार

भारत का पूर्वी क्षेत्र असम ,अरुणाचल प्रदेश , मेघालय, मणिपुर, त्रिपुरा, नागालैंड, मेघालय को सात बहनों के रूप में जाना जाता है। इन क्षेत्रों में जनसंख्या बहुत कम है किंतु बहुत सी जनजातियां निवास करती हैं और अपनी मान्यता अनुसार हर वर्ष कई त्यौहार मनाते हैं, जो इस प्रकार है-

  • लोसर –  तिब्बत और हिमालय क्षेत्र में रहने वाले बौद्ध लोसर पर्व को नव वर्ष के शुभारंभ के रूप में मनाते हैं । यह लोसर पर्व लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में मनाया जाता है।
  • हार्नबिल उत्सव – इसका आयोजन नागालैंड के स्थापना दिवस 1 दिसंबर को किया जाता है। पूरे सप्ताह तक नागालैंड की जनजातीय संस्कृति की रंगारंग प्रस्तुतियां पेश की जाती है।
  • लोसांग – यह पर्व सिक्किम में निवास करने वाली भूटिया और लेप्चा जनजातियों द्वारा दिसंबर माह में सिक्किम में नव वर्ष के उपलक्ष्य में मनाया जाता है । यह पर्व अच्छी कृषि उपज के लिए प्रकृति का आभार व्यक्त करने के लिए भी मनाया जाता है ।

भारत विविधताओं से भरा देश है | यहां जितने धर्म है उतने ही त्यौहार और यहां हर त्यौहार की अपनी एक खासियत है, विशेषता है | और यही विशेषता भारत को विश्व में एक अलग पहचान दिलाती हैं | यहां हर व्यक्ति दूसरे धर्म के त्यौहार को भी उत्साह के साथ मनाता हैं |   Top  

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Festival of India in Hindi भारतीय त्यौहार 2021 Calendar Essay on Indian Festivals in hindi

हमारा देश विभिन्नताओं के समूह का एक ऐसा देश है, जो अत्यंत दुर्लभ है और अद्भुत भी है। इस दुर्लभता ओर अदभुत स्वरूप में आनंद और उल्ल्लास कि छटा दिखाई देती है। हमारे देश मे जो भी त्यौहार या पर्व मनाए जाते है, उनमे अनेकरूपता दिखाई पड़ती है। कुछ त्यौहार ऋतू ओर मौसम के अनुसार मनाए जाते है, तो कुछ सांस्कृतिक या किसी घटना विशेष से सम्बंधित होकर सम्पन्न होते है।

हमारे देश में त्यौहार का जाल बिछा हुआ है। यो कहा जाए, जो कोई बहुत बड़ी अत्युक्ति अथवा अनुचित बात नहीं होगी कि यहाँ आये दिन कोई-न-कोई त्यौहार पड़ता ही रहता है। ऐसा इसलिए कि हमारे देश के ये त्यौहार किसी एक ही वर्ग, जाती या सम्प्रदाय से ही सम्बंधित नहे होते हैं अपितु ये विभिन्न्न वर्गों, जातियों और सम्प्रदायों के द्वारा सम्पन्न और आयोजित होते रहते है। इसलिए ये त्यौहार धार्मिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक और सामाजिक होते है। इन सभी प्रकार के त्यौहार का कुछ न कुछ विशिष्ट अर्थ होता है। इस विशिष्ट अर्थ के साथ इनका कोई न कोई महत्व भी अवश्य होता है। इस महत्व में मानव की प्रकृति और दशा किसी-न-किसी रूप में अवश्य झलकती है।

त्यौहरो का महत्तव:-   हमारे देश मे त्यौहार का महत्व नःसंदेह है। इन त्यौहार का महत्व समाज और राष्ट्र की एकता-समृधि, प्रेम-एकता, मेल-मिलाप के दृष्टि से है। साम्प्रदायिक -एकता, धार्मिक -समन्वय, सामाजिक-समानता को हमारे भारतीय त्यौहार समय-समय पर घटित होकर हमारे अंदर उतपन्न करते चलते है। जातीय भेद-भावना और संकीर्णता के धुंध को ये त्यौहार अपने अपार उल्लास और आनन्द के द्वारा छिन्न-भिन्न कर देते हैं। सबसे बड़ी बात तो यह होती है कि ये त्यौहार अपने जन्म-काल से लेकर अब तक उसी पवित्रता और सात्विकता की भावना को संजोए हुए हैं। युग-परिवर्तन और युग का पटाक्षेप ईन त्यौहार के लिए कोई प्रभाव नहीं डाल सका। इन त्यौहार का रूप चाहे बड़ा हो, चाहे छोटा, चाहे एक क्षेत्र विशेष तक ही सीमित हो, चाहे सम्पूर्ण समाज और राष्ट्र को प्रभावित करने वाला हो, अवश्यमेव श्रद्धा और विशवास; नेतिकता ओर विशुद्धता का परिचायक है। इससे कलुषता और हीनता की भावना समाप्त होती है और सच्चाई, निष्कपटता तथा आत्मविश्वास की उच्च ओर श्रेष्ट भावना का जन्म होता है।

उपसंहार:-  कहां तक कहे, सभी प्रकार के त्योहार हमें परस्पर एकता, एकरसता , एकरूपता और एकात्मकता का पाठ पढ़ाते है। यही कारण है कि हम हिन्दू, मुसलमानो, ईसाइयों, सिखों आदि के त्योहार और पर्वो को अपना त्योहार, पर्व मान करके उसमें भाग लेते है और ह्रदय से लगाते हैं। इसी तरह से मुसलमान, सिक्ख, ईसाई भी हमारे हिन्दू त्योहार-पर्वों को तन-मन से अपना करके अपनी अभिन्न भावनाओं को प्रकट करते है। अतएव हमारे देश के त्योहारो का महत्व  धार्मिक, सांस्कृतिक, सामाजिक   और आध्यात्मिक  दृष्टि से बहुत अधिक है।  राष्टीय महत्व की दृष्टी से 15 अगस्त, 26 जनवरी, 2 अक्टूबर, 14 नवम्बर  का महत्व अधिक है। संक्षेप में हम कह सकते है कि हमारे देश के त्योहार विशुद्ध प्रेम, भेदभाव और सहानुभूति का महत्वाकांक्षी करते है।

festivals-of-india-in-hindi

# Calendar-कैलेंडर 2021 #Festival of India Calendar 2021 भारत में मनाए जाने वाले त्यौहारों के नाम । 2021 में मनाएं जाने वाले भारत के त्यौहार |

#January 2021 में मनाएं जाने वाले त्यौहार

Date(तिथि)Festival Name(त्यौहार के नाम)
1 JanNew year
13 JanLohri
14 Jan ,
20 JanGuru Gobind Singh Jayanti
26 Jan

#February 2021 में मनाएं जाने वाले त्यौहार

Date(तिथि)Festival Name(त्यौहार के नाम)
16 Feb
19 FebShivaji Jayanti
26 FebHazarat Ali’s Birthday
27 FebGuru Ravidas Jayanti

#March 2021 में मनाएं जाने वाले त्यौहार

Date(तिथि)Festival Name(त्यौहार के नाम)
8 MarMaharishi Dayanand Saraswati Jayanti
11 Mar
28 Mar
29 Mar

#April 2021 में मनाएं जाने वाले त्यौहार

Date(तिथि)Festival Name(त्यौहार के नाम)
2 AprGood Friday
4 AprEaster Day
13 AprChaitra Sukhladi
14 AprVaisakhi,
Mesadi,
15 AprBahag Bihu/Vaisakhadi
21AprRama Navami
25 Apr

#May 2021 में मनाएं जाने वाले त्यौहार

Date(तिथि)Festival Name(त्यौहार के नाम)
7 MayJamat Ul-Vida
9 MayBirthday of Ravindranath
14 May
26 MayBuddha Purnima/Vesak

#June 2021 में मनाएं जाने वाले त्यौहार

Date(तिथि)Festival Name(त्यौहार के नाम)
*JUNE****NO FESTIVAL IN THIS MONTH*****

#July 2021 में मनाएं जाने वाले त्यौहार

Date(तिथि)Festival Name(त्यौहार के नाम)
12 JulRath Yatra
21 JulBakr Id/Eid ul-Adha

#August 2021 में मनाएं जाने वाले त्यौहार

Date(तिथि)Festival Name(त्यौहार के नाम)
15 Aug
16 Aug Parsi New Year
19 Aug Muharram/Ashura
21 AugOnam
22 Aug
30 Aug

#September 2021 में मनाएं जाने वाले त्यौहार

Date(तिथि)Festival Name(त्यौहार के नाम)
10 Sept

#October 2021 में मनाएं जाने वाले त्यौहार

Date(तिथि)Festival Name(त्यौहार के नाम)
2 Oct
12 Oct Maha Saptami
13 OctMaha Ashtami
14 OctMaha Navami
15 Oct
19 OctMilad un-Nabi / Id-e-milad
20 OctMaharishi Valmiki Jayanti
24 Oct Karaka Chaturthi (Karva Chauth)

#November 2021 में मनाएं जाने वाले त्यौहार

Date(तिथि)Festival Name(त्यौहार के नाम)
4 NovNaraka Chaturdasi,
5 Nov
6 Nov
10 Nov
19 NovGuru Nanak Jayanti
24 Nov Guru Tegh Bahadur’s Martyrdom Day

#December 2021 में मनाएं जाने वाले त्यौहार

Date(तिथि)Festival Name(त्यौहार के नाम)
24 Dec Christmas Eve
25 Dec

Hindi Essay on Indian Festival, त्यौहार पर निबंध लेखन। भारतीय त्यौहार पर निबंध। 

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  • Essay on National Festivals of India in English

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Detailed Essay on India's National Festivals

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Festivals in India are vibrant and joyful, celebrated with great excitement. There are many festivals across the country, but a few national festivals bring everyone together, no matter their religion or background. These include Independence Day, Republic Day, and Gandhi Jayanti. On these days, people across India unite to celebrate their shared pride and love for the country. Knowing about these festivals helps students understand their importance and role in bringing people together. Writing about these national festivals of India essay in English becomes easier when focusing on their meaning and the sense of unity they create.

National Festivals of India

Long Essay on National Festivals of India

India is a culturally diverse country. It is home to many religions, castes and communities. People celebrate many different festivals in the way the respective festivals are celebrated in their respective communities. But these national festival days have been immensely important in the chapters of Indian history. National festivals help bring in a sense of patriotism. It reminds us that despite all our differences, our love for our country unites us all. We commemorate these festivals with great pomp and show to celebrate the milestones of India’s history. National festivals in India constitute Independence Day, Republic Day and Gandhi Jayanti.

Independence Day falls on the 15th of August. On this day, in 1947, the colonization of India by the British came to an end, which had lasted for two hundred years. It took a long drawn-out struggle to free the country and its citizens from the shackles of British rule. The likes of Mahatma Gandhi, Bhagat Singh, Sarojini Naidu and Bal Gangadhar Tilak, those who fought for our freedom are honoured on this day. This day also marks the partition of India and Pakistan. To commemorate this day, first, the President addresses the nation through a broadcast on the eve of 15th August. In the morning of the day, the present prime minister arrives at the Red Fort in New Delhi and the guard of honour greets him. The Indian national flag is hoisted and then the national anthem is sung across the nation. The prime minister addresses the nation from Red Fort, exactly the way Jawaharlal Nehru, the first prime minister of India, had done back in 1947. It is followed by a parade by the Indian military and paramilitary forces. Selected performances by school children are also carried out. Flag hoisting is done across India, majorly in schools and colleges. Every government building in the country sports the tri-colour on its terrace. Kids and elders enjoy flying kites and playing with the colours of our tri-colour. Different plays and movies are showcased on various platforms, to remind the new generation of the contributions and sacrifices the freedom fighters made for us to be able to breathe in the free air .

On the 26th of January 1950, the Constitution of India came into effect and our country became a republic. On this day in the year 1929, the Indian National Congress proclaimed “Poorna Swaraj” against the Dominion status offered by the British Regime. The final draft of the Constitution took two years and eleven months to be ready. It contained the preamble and fundamental rights that are guaranteed to every Indian citizen. The commemoration begins with the parade from Rashtrapati Bhavan to Rajpath. Unlike Independence Day, the President presides over the Republic Day celebration. The armed forces march towards the India Gate, the flag hoisting is done and the national anthem is sung. Armed forces and tableaus from various states, selected by the Ministry of Defense participate in the parade. Bravery awards are presented, and the graves of those who sacrificed their lives for the country are garlanded- a leader from a foreign country is invited as a chief guest to honour the event. People wake up early on a Republic Day morning to watch the parade.

To remember the Father of the Nation Mohandas Karamchand Gandhi also known as Mahatma Gandhi, his birth anniversary is commemorated as Gandhi Jayanti. It falls on the 2nd of October. He was one of the revered freedom fighters and is known for his ideologies of non-violence. His beliefs are still practised. The Prime Minister pays homage to Raj Ghat, his crematorium. This day is observed in schools too. Students take part in various events like essay competitions, poem recitations and banner-making promoting nonviolence. This day is also celebrated as the International Day of Non-Violence in honour of Mahatma Gandhi.

Short Essay On National Festivals

Three national festivals are celebrated in India. They are Independence Day, Republic Day and Gandhi Jayanti. People celebrate the National Festivals of India with as much magnificence as the regional religious festivals. The citizens of the nation get doused in patriotism on all three occasions. Many different events- big and small, get organized all over the country at various locations to celebrate the three festivals. To add splendour to the festive mood, schools, colleges, squares, roads, market spaces, offices, buses etc. are all decked up with flags, balloons, flowers, fairy lights, and drapes in tri-colour. Essay writing , poem recitation, debates, skits, fancy dress competitions, plays, and many other cultural activities are carried out as a part of these National Day Festival celebrations. In a country like India with so much cultural diversity, festivals like these help the citizens of the country stay united.

National Festivals of India Essay 100 Words

This brief essay explains the national festivals of India essay 100 words , showing how they celebrate unity and heritage.

National festivals in India are very important for celebrating our leaders and remembering our history. They help us set aside differences and come together as one nation. These events make us feel proud of our country and strengthen our bonds with others. For students, learning about these festivals helps build patriotism from a young age. Writing an essay on this topic can be tricky. Start by researching your topic well and gathering all the needed information. Write your essay clearly and engagingly. Keep it medium length—long enough to include all the necessary details but not so long that it bores the reader. Use simple words to make your essay easy to understand.

National Festivals of India Essay 250 Words

This brief essay explains the national festivals of India essay 250 words, showing how they celebrate unity and heritage.

National festivals of India are very important as they honour our leaders and help us remember our history. These festivals give us a chance to reflect on the great deeds of our leaders and inspire us to follow their example. They also help us set aside our differences and unite as a country. Celebrating these festivals makes us proud of our nation and helps us connect with our neighbours, friends, and family through a shared sense of patriotism.

For students, writing an essay about national festivals can be difficult. To write a good essay, start by doing thorough research on the topic. Collect all the relevant information and organise it. Write your essay in a way that captures the reader’s attention. Make sure it is of medium length—long enough to cover the topic well but short enough to keep the reader interested. Use simple and clear language to make your essay easy to read and understand. This approach will help you write an effective essay that communicates your ideas and engages your audience.

National Festival Essay 10 Lines

Once National Festival Essay 10 Lines is about celebrating important festivals in India. It highlights how these events bring people together and build a sense of pride and unity.

National festivals in India celebrate important events and leaders.

These festivals help us remember our history and come together as one.

They make us feel proud of our country.

Celebrations bring people closer and build patriotism.

Students learn about these festivals from an early age.

Writing about national festivals can be challenging.

Start by researching your topic thoroughly.

Write clearly and keep the essay of medium length .

Use simple words to make the essay easy to read.

Ensure the essay covers all the main points effectively.

What are the Major National Festivals of India?

India is a very vast country with a wide variety of cultures, religions, etc. So, you can see diversity in festivals celebrated in India as well. These festivals are in huge numbers . Therefore, we will only discuss some of the major national festivals of India. These are as follows:

Diwali (Deepavali): It is one of the most important festivals that is celebrated all over India in October - November. This festival is marked by people - lighting earthen lamps, distributing sweets to friends, family and relatives and bursting firecrackers.

Holi: It is also one of the most popular festivals celebrated across the country. It is also named the festival of colours as it is marked by people putting colours on each other's faces, clothes, etc. This festival is celebrated with the start of the spring season .

Navratri: This is one of the major festivals celebrated by the Hindu community. It is celebrated all over India. Navratri is a Sanskrit word and means nine nights. So, as the name suggests, this festival lasts for nine days and nine nights. In some parts of India, people dance during this festival as well.

Durga Puja: If we talk about the major festivals of India, we can't skip Durga Puja. This festival is celebrated all over India by millions of Hindus. It lasts for four days and during those four days, people worship Goddess Durga. All the people wear new dresses during this festival.

Dussehra: This festival is celebrated when Navratri ends or even when Durga Puja ends. Dussehra is also known as Vijayadashami. In different parts of the country, you will see that this festival is celebrated differently. In Mysore, Dussehra is celebrated in the best possible way by decorating the Mysore Palace with dazzling lights.

Janmashtami: It is also one of the most prominent festivals celebrated all over the country. This festival is celebrated on the day of the birth of Lord Krishna. On this day, people from all parts of India worship Krishna either at their homes or temples.

Ganesh Chaturthi: This festival is also known as Vinayaka Chaturthi. It is a significant festival for all the Hindus all over India. This festival marks the birth of Ganesha and is celebrated for over 10 days.

Eid-ul-Fitr: This is one of the most important festivals for the Muslim community of India. It marks the end of Ramadan (the most sacred month for Muslims). It is celebrated on the first day of Shaban (Islamic Month). On this auspicious occasion, all the people wear new clothes, pray Eid Namaz in mosques and visit their relatives' houses.

Christmas: This is the most popular festival in the world as it marks the birth of Jesus Christ. In India, it is celebrated on a large scale as well. It is celebrated on the 25th of December, every year and is followed by the New Year.

There are other National Festivals that are celebrated in India as well. These include Maha Shivratri, Pongal, Onam, Baisakhi , Rakshabandhan, Gurpurab, and Makar Sankranti.

National festivals in India, such as Republic Day, Independence Day, and Gandhi Jayanti, celebrate the country's rich heritage and unity. These events not only honour significant historical milestones but also foster a sense of national pride and togetherness. Understanding and participating in these celebrations through various essays, from a short essay on national festivals to a detailed 250-word essay, provides insight into their importance. A brief National Festivals Of India Essay 100 Words, and National Festivals Of India Essay 250 Words can effectively capture the essence of these festivals and their role in uniting the nation.

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FAQs on Essay on National Festivals of India in English

1. What are the National Festivals Commemorated in Our Country?

We have 3 national festivals, namely, Independence Day, Republic Day and Gandhi Jayanti.

2. Why are National Festivals Celebrated?

It’s to stay in touch with our country’s history and to honour those who have been brave enough to fight for the freedom we have today.

3. State the difference between Religious Festivals and National Festivals?

Religious festivals are celebrated differently amongst different communities whereas national festivals are celebrated by all Indians in the same way irrespective of their religion, caste or community.

4. How do I write a good essay on National Festivals in English? 

To write a good essay on the National Festivals, you first need to do detailed research on the different festivals that different people celebrate all over the country. Once you have the data related to all these festivals, you can then frame your essay accordingly. You have to go through all the important festivals and collect information about them. You can then put all that information in your essay which will make it more attractive. 

5. What are the different types of festivals celebrated in India? 

India being a secular country experiences a variety of festivals. All these festivals in one way or another bring people together. You will see a diverse range of cultures related to each of these festivals. Some of the most popular festivals celebrated in India are Diwali, Holi, Eid, Christmas, Guru Nanak Gurpurab, Onam, Pongal, etc. All these festivals are associated with different religions of India. All these festivals are a major source of happiness and joy for people across religions. 

6. What are the national festivals of essay?

India celebrates three main national festivals: Independence Day, Republic Day, and Gandhi Jayanti. These festivals are celebrated with great enthusiasm, similar to regional religious festivals. On these days, people across the country come together, filled with patriotism, to honour these important occasions.

7. What is the national festival of India?

India observes three key national festivals: Independence Day, Republic Day, and Gandhi Jayanti. These celebrations are marked with patriotic fervour and unite the entire nation.

8. What is the Indian festival essay?

Indian festivals are rooted in religious beliefs and involve worshipping various gods and goddesses. Each festival is dedicated to a particular deity, and people celebrate to seek blessings for happiness, prosperity, and love.

9. What is festival in 10 lines?

Festivals are cultural and social events that bring people together to celebrate shared traditions. They help communities bond, express gratitude, and enjoy their cultural heritage.

10. Write 4 lines on the national festival?

National festivals in India are celebrated by everyone, regardless of religion, caste, or creed. These festivals are public holidays enjoyed with great enthusiasm and patriotism across the country.

11. What is the Importance of festivals?

Festivals help people come together and strengthen unity and brotherhood. With over thirty festivals celebrated each year, they offer unique experiences and joy to all participants.

12. What are the five famous festivals of India?

Prominent Indian festivals include Diwali, Holi, Eid, Christmas, Navratri, Durga Puja, and Makar Sankranti. Each festival showcases India’s rich heritage and traditions, celebrated with music, dance, food, and rituals.

13. Which is the biggest festival in India?

Diwali, also known as Dipawali, is the biggest festival in India. It is celebrated by lighting clay lamps outside homes, symbolising the inner light that guards against spiritual darkness.

14. A short note on the festival?

A festival is an event celebrated by a community, focusing on specific aspects of its religion or culture. It is often marked as a local or national holiday or fair.

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