HindiKiDuniyacom

राष्ट्रीय एकता दिवस पर निबंध (National Unity Day Essay in Hindi)

भारत के प्रथम उप प्रधानमंत्री और गृह मंत्री – सरदार वल्लभभाई पटेल की याद में हर वर्ष 31 अक्टूबर को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाया जाता है। उन्हें भारत की सिविल सेवाओं के ‘संरक्षक संत’ और ‘भारत के लौह पुरुष’ के रूप में भी जाना जाता है। आज यहां पर अलग अलग तरीकों से हम आपकी जानकारी को बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय एकता दिवस पर कुछ बेहतर तरह से लिखे गए निबंध लेकर आये हैं।

राष्ट्रीय एकता दिवस पर लघु और दीर्घ निबंध (Short and Long Essay on National Unity Day in Hindi, Rashtriya Ekta Divas par Nibandh Hindi mein)

निबंध 1 (250 शब्द).

राष्ट्रीय एकता दिवस हर साल 31 अक्टूबर को सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती को मनाने के लिए मनाया जाता है, जो भारत के पहले उप प्रधानमंत्री और गृह मंत्री भी थे।

सरदार पटेल – संयुक्त भारत के पीछे का व्यक्ति

जब भारत को स्वतंत्रता मिली, सरदार वल्लभभाई पटेल भारत के उप प्रधानमंत्री बने, साथ ही केंद्रीय गृह मंत्री का कार्यभार भी उन्होंने संभाला।

जब अंग्रेजों ने भारत छोड़ा, उस समय लगभग 565 रियासतें थीं जो स्वतंत्रता प्राप्त कर चुकी थीं और उस समय भारत संघ में नहीं थीं। अपनी काबिलियत या सैन्य क्षमता का इस्तेमाल करते हुए सरदार पटेल ने भारत के संघ के साथ इन राज्यों को एकजुट करने का एक सराहनीय काम किया। वह अपने उद्देश्य में बहुत स्पष्ट थे कि भारत के नक्शे को उसके शुरू से लेकर अंत तक एकजुट किया जाना चाहिए।

राष्ट्रीय एकता दिवस पूरे देश में सरदार पटेल के लिए बहुत उत्साह और सम्मान के साथ मनाया जाता है। स्कूलों में, विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जहाँ बच्चों को सरदार पटेल के जीवन, उनके कार्यों और स्वतंत्रता के बाद के भारत में उनके योगदान के बारे में बताया जाता है।

कई वरिष्ठ राजनेता भी सरदार पटेल का स्वागत करते है और उनकी प्रतिमाओं और चित्रों को पुष्प अर्पित कर उनका सम्मान करते हैं। इसी तरह के स्मृति कार्यक्रम देश भर के कार्यालयों में और शैक्षणिक संस्थानों में भी आयोजित किए जाते हैं।

राष्ट्रीय एकता दिवस भारत के राजनीतिक रूप से एकजुट मानचित्र के पीछे के व्यक्ति को याद करने और उनके जन्मदिन को मनाने के लिए एक दिन है। सरदार पटेल भारत की एकता के लिए अपने योगदान में अतुलनीय थे और वह एक दिन भी कम है जब हम उन्हें सम्मानित कर सकते हैं।

निबंध 2 (400 शब्द)

भारत में राष्ट्रीय एकता दिवस हर साल 31 अक्टूबर को मनाया जाता है। यह दिन राष्ट्रवाद और भारतीय नागरिकों के बीच एकता की भावना को बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता है। यह दिन पहली बार वर्ष 2014 में मनाया गया था और सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती के अवसर पर मनाया जाता है।

राष्ट्रीय एकता दिवस क्यों मनाया जाता है ?

31 अक्टूबर, 1875 को पैदा हुए सरदार वल्लभभाई पटेल एक स्वतंत्रता सेनानी थे जो स्वतंत्रता के बाद भारत के पहले उप प्रधानमंत्री और गृह मंत्री बने थे। भारत के गृह मंत्री के रूप में अपनी क्षमता के अनुरूप काम करते हुए, उन्होंने भारत के संघ को स्वीकार करने के लिए 565 रियासतों को सहमत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वह भारत की राजनीतिक एकता से समझौता करने के लिए तैयार नहीं थे और उन्होंने संघ के भीतर स्वतंत्र राज्यों के विचार को छेड़ा। अपनी फौलादी इच्छाशक्ति के कारण, उन्हें “भारत का लौह पुरुष” भी कहा जाता है।

जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में सेवारत थे, उन्होंने सरदार पटेल की 182 मीटर की प्रतिमा के निर्माण के लिए एक परियोजना को हरी झंडी दिखाई थी। इसके बाद, जब वह प्रधानमंत्री बने, तो गृह मंत्रालय ने 2014 में राष्ट्रीय एकता दिवस मनाने के आदेश जारी किए। इस दिन को 31 अक्टूबर को सरदार पटेल की जयंती पर ही मनाया जाना चाहिए।

राष्ट्रीय एकता दिवस पूरे देश में असाधारण जोश और उत्साह के साथ मनाया जाता है। हर जगह लोग ‘भारत के लौह पुरुष’ को श्रद्धांजलि देते हैं और राजनीतिक रूप से एकीकृत भारत में उनके योगदान को याद करते हैं।

यह दिन भारतीय प्रशासनिक सेवाओं के लिए भी विशेष महत्व रखता है क्योंकि “आधुनिक अखिल भारतीय सेवा प्रणाली” की शुरुआत करने वाले व्यक्ति सरदार पटेल ही थे, जिन्हे पहले भारतीय सिविल सेवा के रूप में जाना जाता था।

भारतीय प्रशासनिक सेवाओं के अधिकारी  राज्य सचिवालय और अन्य सभी संबंधित स्थानों में इकट्ठा होते हैं, ताकि ‘भारत के सिविल सेवकों के संरक्षक संत’ के रूप में सरदार पटेल को याद कर उनके सम्मान का भुगतान किया जा सके।

सरदार वल्लभभाई पटेल भारत के पहले उप प्रधानमंत्री और गृह मंत्री थे। वह भारत के राजनीतिक एकीकरण के पीछे का मष्तिष्क थे। विश्व एकता दिवस के रूप में उनके जन्मदिन का जश्न मनाने के दो महत्वपूर्ण उद्देश्य हैं – पहला यह कि सरदार पटेल को भारत का लौह पुरुष कहा जाए और दूसरी बात यह कि यह हमारे एकीकरण और एकता की याद दिलाता है। यह एकीकृत भारत के लिए हमारे संकल्प को मजबूत बनाता है।

सरदार वल्लभभाई पटेल का जन्मदिन अखंड भारत के लिए उनके प्रयासों को याद करने और उनकी इच्छा और दृष्टि का सम्मान करने का एक अवसर है। वह न केवल एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे, बल्कि एक महान प्रशासक भी थे, जिन्होंने भारत-पाकिस्तान के विभाजन और भारत के राजनीतिक एकीकरण का बेहतर निरीक्षण भी किया था।

Essay on National Unity Day

निबंध 3 (600 शब्द)

राष्ट्रीय एकता दिवस हर वर्ष 31 अक्टूबर को सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती पर मनाया जाता है। वह एक भारतीय राजनेता, राजनीतिज्ञ, और स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने भारत के राजनीतिक एकीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

सरदार पटेल को श्रद्धांजलि

सरदार पटेल भारत के पहले उपप्रधानमंत्री थे, जिन्होंने छोटे राज्यों को भारतीय संघ में एकीकृत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। स्वतंत्रता से पहले, वह एक प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से जुड़े स्वतंत्रता सेनानी थे। उन्होंने गुजरात में सत्याग्रह की अगुवाई की और इसके साथ ही वे असहयोग आंदोलन और भारत छोड़ो आंदोलन में भी सक्रिय रहे।

हालांकि, सरदार पटेल एक प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी थे, भारत की स्वतंत्रता के दौरान और उसके बाद एक प्रशासक के रूप में उनकी भूमिका काफी अधिक महत्वपूर्ण रही है। जब अंग्रेजों ने भारत छोड़ा, तो लगभग 565 स्वतंत्र रियासतें मुक्त हुई थीं। सरदार पटेल, जिन्होंने उस समय गृहमंत्री का भी कार्यभार संभाला था, उन्होंने इन राज्यों को भारत के संघ में शामिल होने के लिए राजी किया था।

उन्होंने हर कोशिश की – आवश्यकता पड़ने पर सैन्य कार्रवाई के साथ कुछ को धमकी भी दी और कईयों को मनाया भी। वह अपने हर संभव प्रयास से एकरूप भारत के बारे में अपनी दृष्टि और स्वप्न को पूरा करने के लिए किसी भी तरह का कोई समझौता करने के लिए तैयार नहीं थे। यह एक अखंड भारत पर सरदार पटेल का एक ऐसा दृढ़ संकल्प था, जिसने उन्हें भारत का “लौह पुरुष” बना दिया था।

एक राजनीतिक और सांस्कृतिक रूप से एकीकृत भारत के लिए उनके जुनून को उनकी जयंती पर राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाया जाता है।

पहला राष्ट्रीय एकता दिवस

सरदार पटेल की जयंती 31 अक्टूबर के दिन, हर साल राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाने का निर्णय 2014 में गृह मंत्रालय द्वारा एक आधिकारिक अधिसूचना के माध्यम से लिया गया था।

मंत्रालय के आधिकारिक बयान में कहा गया है कि “राष्ट्रीय एकता दिवस का पालन हमारे देश की एकता, अखंडता और सुरक्षा के लिए वास्तविक और संभावित खतरों का सामना करने के लिए हमारे देश की अंतर्निहित शक्ति और लचीलेपन को फिर से स्थापित करने का अवसर प्रदान करेगा।”

2014 में सरदार पटेल की 139वीं जयंती पर कई स्थानों पर कार्यक्रम आयोजित किए गए थे। रन फॉर यूनिटी का आयोजन दिल्ली, नागपुर और मुंबई जैसे मुख्या शहरों में किया गया था। समारोहों में कई राजनेताओं और खेल व्यक्तियों ने हिस्सा लिया। भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने उपराष्ट्रपति, वेंकैया नायडू के साथ, नई दिल्ली के पटेल चौक पर सरदार पटेल को श्रद्धांजलि दी।

दुनिया भर में स्थित भारतीय दूतावासों में स्मृति कार्यक्रम भी आयोजित किए गए। लोगों ने सरदार पटेल को सम्मानित किया और भारत के एकीकरण में उनके योगदान को याद किया।

समारोह और गतिविधियां

राष्ट्रीय एकता दिवस पर शैक्षिक संस्थानों, स्कूलों, सरकारी कार्यालयों और अन्य स्थानों पर कई आयोजन किए जाते हैं। केंद्र और राज्य दोनों सरकारें इस संबंध में संबंधित संगठनों को दिशा-निर्देश जारी करती हैं।

स्कूलों में विशेष स्मरणोत्सव कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिसमें बच्चे सरदार पटेल को सम्मान देते हैं और उनकी इच्छा के बारे में कुछ शब्द बोलते हैं और राजनीतिक रूप से एकीकृत भारत के लिए संकल्प लेते हैं।

गुजरात में सरदार पटेल की 182 मीटर लंबी प्रतिमा का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 31 अक्टूबर 2018 को किया था। यह सूरत से 150 किलोमीटर दूर स्थित है और सरदार सरोवर बांध की तरफ मुखर है। सरदार पटेल को सम्मान देने के लिए भारत के विभिन्न हिस्सों से हजारों लोग राष्ट्रीय एकता दिवस पर प्रतिमा और संग्रहालय का दौरा करते हैं।

संसद में सरदार पटेल को सत्ता पक्ष के सदस्यों के साथ-साथ विपक्ष द्वारा भी श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है।

सरदार पटेल भारत के एकीकरणकर्ता थे जो अपने राजनीतिक एकीकरण के लिए अकेले जिम्मेदार थे। यदि वह एक अखंड भारत के लिए एक असंबद्ध रवैया नहीं रखते, तो संभवतः हम आज भी एकजुट नहीं होंते। राष्ट्रीय एकता दिवस भारत के लौह पुरुष और उनके संकल्प को श्रद्धांजलि है।

संबंधित पोस्ट

मेरी रुचि

मेरी रुचि पर निबंध (My Hobby Essay in Hindi)

धन

धन पर निबंध (Money Essay in Hindi)

समाचार पत्र

समाचार पत्र पर निबंध (Newspaper Essay in Hindi)

मेरा स्कूल

मेरा स्कूल पर निबंध (My School Essay in Hindi)

शिक्षा का महत्व

शिक्षा का महत्व पर निबंध (Importance of Education Essay in Hindi)

बाघ

बाघ पर निबंध (Tiger Essay in Hindi)

Leave a comment.

Your email address will not be published. Required fields are marked *

राष्ट्रीय एकता पर निबंध 100, 150, 200, 300, 500 Words

आज हम राष्ट्रीय एकता  पर निबंध लेकर आये हैं, हमारा देश विविधताओं वाला देश है जहाँ राष्ट्रीय एकता  का होना बेहद आवश्यक है। राष्ट्रिय एकता किसी भी देश को सशक्त और शक्तिशाली बना सकती है इस लिए इसके बारे चर्चा करना आवश्यक है। इसलिए आज हम राष्ट्रीय एकता पर 100 शब्दों से लेकर 500 शब्दों में निबंध लिखा है जो की आपके काम आ सकते हैं।

राष्ट्रीय एकता देश की उन्नति और सफलता के लिए एक आधार है। जहाँ लोग आपस में एक दुसरे की भावनाओं का सम्मान करते हैं और एकजुट होकर रहते हैं वे निश्चित तौर पर खुशहाल और संपन्न राष्ट्र का निर्माण करते हैं। एकता के आभाव में सामाजिक टकराव जैसे कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए हम सभी को राष्ट्रीय एकता का महत्व समझना चाहिए और इसके लिए लोगों को हर स्तर पर जागरूक करना चाहिए।

national unity essay in hindi

राष्ट्रीय एकता पर निबंध 100 Words

राष्ट्रीय एकता हमारे देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। भारत एक विविधताओं और भिन्नताओं वाला देश है, लेकिन राष्ट्रीय एकता हमें सबको एक होने का अहसास दिलाती है। यह हमारे देश को ताकतवर बनाती है और हमारे लोगों के बीच समानता का भाव उत्पन्न करती है। राष्ट्रीय एकता के अभाव में देश विभाजित हो जाता है और इससे विभिन्न समस्याएं उत्पन्न होती हैं जैसे कि समाज, धर्म, भाषा आदि के बीच विभेद। सशक्त राष्ट्र के निर्माण में राष्ट्रिय एकता एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसलिए, हमें सभी को मिलकर राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देना चाहिए इससे हम सभी एक साथ राष्ट्र के विकास में योगदान दे सकेंगे।

राष्ट्रीय एकता पर निबंध 150 words

राष्ट्रीय एकता देश के लिए बहुत ही आवश्यक है। यह हमारे देश को अधिक शक्तिशाली बनाता है और हमें समृद्ध और सशक्त देश की दिशा में अग्रसर करता है। एक सशक्त राष्ट्र बाहरी खतरों से हमें बचाता है और देश की विकास की गति को तेज करता है। राष्ट्रीय एकता के बिना भारत को एक महान देश बनाना असंभव है। एकता हमें अनेक समस्याओं का समाधान करने में मदद करती है और हमारे देश के उन्नति और विकास की ओर ले जाती है।

राष्ट्रीय एकता के लिए हम सभी को एकजुट होकर समाज में समानता और समान अधिकार को सुनिश्चित करना चाहिए। हमें सभी धर्मो और संस्कृतियों का आदर करना चाहिए। राष्ट्रीय एकता के माध्यम से हम सभी अलग-अलग धर्मों, जातियों, भाषाओं और क्षेत्रों से होते हुए भी एक साथ चल सकते हैं और देश को आगे बढ़ा सकते हैं। अंततः हम सभी को राष्ट्रीय एकता को समझना चाहिए कि यह हमारे देश के विकास और सफलता का आधार है।

राष्ट्रीय एकता पर निबंध 200 word

राष्ट्रिय एकता हमारे समाज और पूरे देश को एकजुट करने के लिए बहुत आवश्यक है। यह हमारे देश की उन्नति और सफलता के लिए एक आधार है। यदि हम अलग-अलग होते हुए रहते हैं तो हमारी ताकत कम हो जाएगी और हमारे देश के विकास में बड़ी मुश्किलें आ सकती हैं। हमारे देश में राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देना हमारी जिम्मेदारी है। हम सभी को अपने देश के विकास के लिए एकता के साथ काम करना चाहिए। राष्ट्रीय एकता से हमें समानता, सहयोग, और संगठन का ज्ञान होता है। यह हमें एक समृद्ध, उन्नत और समानता से भरपूर देश का निर्माण करने में मदद करती है।

हमारे देश में विभिन्न धर्म, भाषा, जाति और क्षेत्र होने के कारण राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देना और इसे चर्चा का विषय बनाना आवश्यक है। हमें अपने समाज के सदस्यों को समझाना चाहिए कि हम सभी एक ही देश के निवासी हैं और हमें एक दूसरे का सम्मान करना चाहिए। इसके लिए हमें स्कूल और कॉलेजों में राष्ट्रीय एकता पर शिक्षा देना चाहिए। छात्रों को समानता और एकता के संदेश देने के लिए विभिन्न प्रोग्राम और शिविर आयोजित किए जाने चाहिए।

राष्ट्रीय एकता पर निबंध 300 words

भारत एक बहुत विस्तृत देश है जिसमें अनेक भाषाएं, संस्कृतियां और धर्म हैं। यहां लोग भिन्न-भिन्न रहते हैं और उनकी ज़िम्मेदारियां भी भिन्न-भिन्न होती हैं। इस तरह के विभिन्न तत्वों के बावजूद, हमें अपने देश में राष्ट्रीय एकता को बनाए रखने की आवश्यकता होती है। राष्ट्रीय एकता का अर्थ है सभी लोगों के बीच एक संयुक्त भाव होना, जहां सभी एक साथ जीवन व्यतीत कर सकते हैं। हमारे देश में राष्ट्रीय एकता बहुत महत्वपूर्ण है। इससे हम एक साथ काम कर सकते हैं, अपने देश की तरक्की के लिए प्रयास कर सकते हैं और अपने देश के प्रति गर्व महसूस कर सकते हैं।

संविधान ने हमें सभी के बीच समानता का अधिकार दिया है और हमें इसे स्वीकार करना चाहिए। हमें समझना चाहिए कि हम सभी एक ही मानव जाति के हिस्से हैं और हमें सभी के साथ सम्मान से बर्ताव करना चाहिए। राष्ट्रीय एकता को बनाए रखने के लिए हमें सभी लोगों को एक साथ रहने की आवश्यकता है। हमें दूसरों का सहयोग करना चाहिए और उन्हें सम्मान देना चाहिए। यह सिर्फ हमारे देश के लिए नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए भी एक महत्वपूर्ण संदेश है।

राष्ट्रीय एकता का संरक्षण हमारी जिम्मेदारी है। हमें अपने स्वयं के लिए ही नहीं, बल्कि देश के विकास के लिए भी मिलकर काम करना चाहिए। हमें अपने देश के लिए गर्व महसूस करना चाहिए और हमेशा इसे समृद्ध और समान बनाए रखने के लिए संयम और सहयोग का प्रयास करना चाहिए। हमें राष्ट्रीय एकता को समझने और समर्थन करने की जरूरत है ताकि हम एक समृद्ध और सशक्त देश के रूप में विकसित हो सकें। यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम देश की एकता और अखंडता के लिए प्रतिबद्ध रहें और सभी विविधताओं के बावजूद एक साथ प्रेम से रहें।

राष्ट्रीय एकता पर निबंध 500 words

राष्ट्रीय एकता एक देश के विभिन्न भागों के बीच तालमेल बनाने में मदद करता है। भारत एक विशाल देश है, जिसमें विभिन्न धर्म, भाषा, संस्कृति और जाति के लोग रहते हैं। राष्ट्रीय एकता के माध्यम से भारतीयों के बीच एकता का महत्व बढ़ता है। राष्ट्रीय एकता का मतलब होता है देश की एकता और समूचे देश के लोगों के बीच सौहार्द का वातावरण होना। वह समाज अधिक खुशहाल और सफल होता है जहां लोग एक दूसरे का सहयोग करते हैं और एक समूह के रूप में काम करते हैं।

राष्ट्रीय एकता क्यों आवश्यक है?

राष्ट्रीय एकता हमारी विभिन्न संस्कृतियों, जातियों और धर्मों के लोगों को एक साथ जोड़ता है और हम सबको एक साथ रहने और काम करने की आवश्यकता को समझाता है। समस्याओं के बीच भी हमें एक दूसरे का साथ देना चाहिए और हमें राष्ट्र की एकता को हमेशा ध्यान में रखना चाहिए। यदि हम सब एक साथ काम करते हैं तो हम सफलता हासिल कर सकते हैं और हमें देश को एक और मजबूत बनाने में मदद मिलेगी।

हमें राष्ट्रीय एकता को सुदृढ़ और सुरक्षित रखना होगा ताकि हम सभी एक साथ चलते हुए देश की तरक्की को सुनिश्चित कर सकें। इसके लिए हमें अपनी भावनाओं को समझना और समझाना होगा, अपने संघर्षों को एक तरफ रखना होगा और हमें सभी धर्मों, जातियों, भाषाओं और क्षेत्रों के बीच एकता के बारे में सोचना होगा। हमें एक दूसरे के साथ समझदारी से व्यवहार करना चाहिए और राष्ट्रीय एकता के लिए अपनी जिम्मेदारियों को ठीक से निभाना चाहिए।

राष्ट्रीय एकता को प्रभावित करने वाले कारक

राष्ट्रीय एकता को प्रभावित करने वाले कारक निम्नलिखित हो सकते हैं:

  • सामाजिक संघर्ष: देश के अलग-अलग क्षेत्रों में जाति, धर्म और क्षेत्र के आधार पर सामाजिक संघर्ष होता है जो राष्ट्रीय एकता को प्रभावित करता है।
  • संघर्ष स्तर: देश में विभिन्न संघर्ष स्तर होते हैं, जैसे नैतिक, आर्थिक, शैक्षिक आदि। ये स्तर भी राष्ट्रीय एकता को प्रभावित करते हैं।
  • भाषा और संस्कृति: भारत देश में विभिन्न भाषाएं बोली जाती हैं, जो कि विभिन्न संस्कृतियों से जुड़ी होती हैं। इसके अलावा देश में विभिन्न संस्कृतियों के प्रभाव होते हैं, जो भी राष्ट्रीय एकता को प्रभावित करते हैं।
  • राजनीतिक संरचना: देश की राजनीतिक संरचना भी राष्ट्रीय एकता को प्रभावित करती है। देश में विभिन्न राजनीतिक दल होते हैं, जो अलग-अलग विचारों और धार्मिक मतों के प्रतिनिधित्व करते हैं।

भारत के संविधान ने हमारे देश के नागरिकों को धर्म, जाति, लिंग, और क्षेत्र के आधार पर विभाजित नहीं करने का आदेश दिया है। संविधान में दी गई नीतियों और नियमों का पालन करने से हम राष्ट्रीय एकता को सुनिश्चित कर सकते हैं। राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने के लिए समाज में एकता को बढ़ावा देना जरूरी है। हमें एक दूसरे की भावनाओं समझना और सम्मान करना चाहिए। हमें अपने देश की एकता और अखंडता के लिए समर्पित होना चाहिए।

राष्ट्रीय एकता के लिए, हमें आपसी समझबूझ बढ़ानी चाहिए और अपने समाज के दुर्बल तथा पिछड़े वर्गों की मदद करनी चाहिए। हमें समस्याओं के सामने खड़े होकर उन्हें हल करने के लिए मिलकर काम करना होगा। हमें देश के विभिन्न क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के साथ मिलकर काम करना चाहिए ताकि हम सभी एक साथ काम करें और देश के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान दे सकें। इस समय, जब हमारा देश तरक्की की नई ऊंचाइयों को छू रहा है, हमें राष्ट्रीय एकता की जरूरत बहुत अधिक हो गयी है। हम सभी को एक साथ आगे बढ़ना होगा तभी हमारे देश का सपना पूरा हो सकेगा। राष्ट्रीय एकता को सुरक्षित करने के लिए देश की सरकार और निजी संस्थाओं को भी विशेष योजनायें बनाकर काम करना चाहिए। इसके साथ ही समाज में हर स्तर पर लोगों को सामाजिक एकता के बारे में जागरूक करना चाहिए।

  • स्वच्छता पर निबंध
  • भ्रष्टाचार पर निबंध
  • नशा मुक्ति पर निबंध
  • भारतीय किसान पर निबंध

हमें उम्मीद है की आपको राष्ट्रीय एकता पर लिखा गया यह निबंध पंसद आया होगा। इस सम्बन्ध में आप अपने विचार निचे कमेंट बॉक्स में जरुर लिखें।

Related Posts

internet par nibandh in hindi

इंटरनेट पर निबंध 100, 150, 250, 500 शब्दों में | Internet Essay in Hindi (with PDF)

Student-Life-Essay-in-Hindi

विद्यार्थी जीवन पर निबंध 100, 150, 250, 500 शब्दों में | Student Life Essay in Hindi

paryavaran-pradooshan-nibandh

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध 100, 200, 300, 500 और 1000 शब्दों में | Essay on Pollution in Hindi

Leave a reply cancel reply.

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.

1hindi.com new logo 350 90

राष्ट्रीय एकता दिवस पर निबंध Essay on Rashtriya Ekta Diwas in Hindi

राष्ट्रीय एकता एक ऐसी ताकत है जो समाज को एक दूसरे से जोड़े रखती है और उन्हें ताकतवर बनाती है। एकता का मतलब है एक साथ मिलकर रहना, काम करना और एक दूसरे को समझना।

इसकी शुरुआत एक परिवार से होती है जो परिवार के हर सदस्य को एक साथ जोड़ कर रखती है। आज के समय में हर युवा को एक होकर देश को एकता के बंधन में बंधना होगा इसलिए सबसे पहले एक परिवार में एकता जगाना होगा तभी हम देश में एकता का दीप जला सकते हैं।

Table of Content

राष्ट्रीय एकता दिवस की शुरुआत Starting of Rashtriya Ekta Diwas

भारत देश में राष्ट्रीय एकता दिवस की शुरुआत सन् 2014 में पहली बार की गई। भारत देश विश्व के सबसे बड़े देशों में आता है जो पूरे विश्व में दूसरा सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है। भारतवर्ष में 1600 से अधिक भाषाएं और बोलियां बोली जाती है।

इस देश में दुनिया के कई प्रमुख धर्मों जैसे सिक्ख, ईसाई, हिंदू, बौद्ध, जैन, इस्लाम और पारसी धर्म को विभिन्न संस्कृतियों, परंपराओं, पोशाकों, रहन-सहन, खान-पान और सामाजिक रीति-रिवाजों को भी शामिल करता है।

राष्ट्रीय एकता दिवस की शुरुआत नई दिल्ली में भारत देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने किया था। नरेंद्र मोदी जी ने सरदार वल्लभभाई पटेल जी की मूर्ति पर माल्यार्पण किया तथा उसके साथ ही उन्होंने ‘रन फॉर यूनिटी’ मैराथन की भी शुरुआत की थी।

देश का जड़ या आधार तभी मजबूत होता है जब उसकी एकता एवं अखंडता बनी रहती है। भारतवर्ष कई वर्षों तक गुलाम रहा इसका सबसे बड़ा कारण था कि हमारे बीच एकता की भावना नहीं थी और उसी का फायदा उठा कर दूसरे देश हमारे देशों पर राज करते थे। देश का विकास, शांति, समृद्धि तभी संभव है जब देश में लोगों के बीच एकता होगी।

राष्ट्रीय एकता दिवस क्यों मनाया जाता है Why Rashtriya Ekta Diwas is Celebrated?

राष्ट्रीय एकता दिवस पर लोगों को एकता का पाठ सिखाया जाता है। भारत के लौह पुरुष कहे जाने वाले सरदार वल्लभ भाई पटेल के जन्मदिन के शुभ अवसर पर राष्ट्रीय एकता दिवस मनाया जाता है।

राष्ट्रीय एकता दिवस की शुरुआत केंद्र सरकार ने सन् 2014 में दिल्ली में किया था। सरदार वल्लभ भाई पटेल को एकता का मिसाल भी कहा जाता है क्योंकि उन्होंने हमेशा देश को एकजुट करने का प्रयास किया इसलिए इस दिन सरदार वल्लभ भाई पटेल को याद करते हुए उन्हें हम श्रद्धांजलि देते हैं और इस दिन को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाते हैं।

31 अक्टूबर सन् 2014 को राष्ट्रीय एकता दिवस को सर्वव्यापी बनाने और महान लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल को याद करने के लिए मैराथन का भी आयोजन किया जाता है। राष्ट्रीय एकता दिवस को मनाने के साथ-साथ देश के युवा पीढ़ी को राष्ट्रीय एकता का संदेश भी पहुंचाता है क्योंकि अगर देश के युवा पीढ़ी एकता को समझेंगे तभी राष्ट्रीय एकता सफल होगा।

इस दिन देश के विभिन्न स्थानों पर राष्ट्रीय एकता से संबंधित कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। रन फॉर यूनिटी मैराथन देश के विभिन्न शहरों गांव और जिलों में आयोजन किया जाता है इस दिन स्कूलों राष्ट्रीय सेवा योजना के लोग बहुत बढ़ चढ़ कर इस कार्यक्रम में हिस्सा  लेते है

राष्ट्रीय एकता दिवस वल्लभ भाई पटेल के राष्ट्र के प्रति समर्पण को याद रखने के लिए मनाया जाता है। राष्ट्रीय एकता दिवस अलग-अलग समुदाय के लोगों के बीच एकता की भावना को बढ़ावा देता है और सांस्कृतिक समानता लाता है।

एकता एक ऐसी ताकत है जो भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के समय अंग्रेज शासन के विरुद्ध आम भारतीय लोगों ने मिलकर दिखाई थी जिसका अंजाम हमारे सामने हैं कि हमारा भारतवर्ष आजाद है।

राष्ट्रीय एकता दिवस का महत्व Importance of Rashtriya Ekta Diwas

राष्ट्रीय एकता दिवस देश में एकता, प्रेम, शांति और बंधुत्व की भावना को बढ़ावा देता है। राष्ट्रीय एकता दिवस को मनाने से देश के लोगों के अंदर एक नई ताजगी और ताकत आती है जो उन्हें प्रोत्साहित करती है।

देश के विभिन्न धर्मों के लोगों को सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और शिक्षा शिविरों की सहायता से एक दूसरे के साथ मिलकर काम करने में आसानी होती है। देश की अर्थव्यवस्था और न्याय प्रणाली को सुचारू रूप से चलाने के लिए आवाम में एकता का होना बहुत ही आवश्यक है जिससे देश के विकास में कोई कठिनाई नहीं आएगी।

एकता का सबसे बड़ा बाधक है स्वार्थी पल क्योंकि जब वक्त सिर्फ अपने फायदे और नुकसान के बारे में सोचता है तथा उसे दूसरे की परवाह नहीं होती है। तो भी देश का विकास नहीं हो सकता। जब भारत आजाद नहीं था तो इस अखंडता का फायदा अंग्रेज उठाते थे इसीलिए देश में एकता होना बहुत ही आवश्यक है।

देश के विकास में एकता का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है क्योंकि पूरे देश का विकास कोई एक अकेला व्यक्ति नहीं कर सकता है। राष्ट्र में एकता होने से उसकी स्थिति मजबूत होती है और अखंडता आ जाने से देश की स्थिति कमजोर हो जाती है ऐसी परिस्थिति में हमारा ही नुकसान होता है।

भारतवर्ष में एकता के स्वर को सबसे ज्यादा बुलंद स्वतंत्रता सेनानी और लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल ने किया था। सरदार वल्लभ भाई पटेल हमेशा देश के युवाओं को एकता का संदेश देते थे और राष्ट्र की एकता के लिए उन्हें प्रोत्साहित करते थे। अगर सभी को देश में विकास चाहिए तो सबको एक साथ कदम से कदम मिलाकर चलना होगा।

राष्ट्रीय एकता में सरदार वल्लभभाई पटेल की भूमिका Role of Sardar Vallabhbhai Patel in National Integration

जब भारतवर्ष आजाद हुआ उस समय वह कई छोटे-छोटे रियासतों में बटा हुआ था जिन को एक साथ लाने का श्रेय सरदार वल्लभ भाई पटेल को जाता है। सरदार वल्लभ भाई पटेल आजादी के ठीक पूर्व कई राज्यों को भारत में मिलाने के लिए कार्य शुरू कर दिया था। सरदार वल्लभ भाई पटेल को भारत के राजनीतिक एकीकरण के पिता के रूप में भी जाना जाता है।

सरदार पटेल जी के मार्गदर्शन से कई राज्य संयुक्त रूप से संस्थाओं में रूपांतरण होने के बाद भारतीय संघ में शामिल हुए थे। भारत के कई सारे राज्यों में आजादी के बाद के शुरुआती दिनों में सरदार वल्लभ भाई पटेल जी के द्वारा किए गए महान कार्यों का आज भी लोग उत्सव मनाते हैं। आज भारत वर्ष के हर एक हिस्से में तिरंगा लहराया जाता है जिसका पूरा श्रेय सरदार वल्लभ भाई पटेल को जाता है।

सभी भारतीयों को एकता की शिक्षा देने के लिए सरदार वल्लभ भाई पटेल जी ने भारत के विभिन्न राज्यों के लोगों के बीच घनिष्ठ एवं मजबूत संबंध बनाएं। आजादी के बाद उन्होंने गृह मंत्री के रूप में सेवा दिया जिसमें उनकी पहली प्राथमिकता दी सभी राज्यों को भारत में मिलाना।

सन् 1991 में मरने के बाद सरदार वल्लभ भाई पटेल जी को भारत रत्न से नवाजा गया था। अहमदाबाद में एक हवाई अड्डा है जिसका नाम है सरदार वल्लभ भाई पटेल अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा रखा गया। गुजरात के नर्मदा जिले में सरदार वल्लभ भाई पटेल जी के एक नए स्मारक का शिलान्यास भी किया गया है और यहां लौह से निर्मित एक विशाल प्रतिमा लगाने का भी निश्चय किया गया है।

essay writing on rashtriya ekta diwas in hindi

नमस्कार रीडर्स, मैं बिजय कुमार, 1Hindi का फाउंडर हूँ। मैं एक प्रोफेशनल Blogger हूँ। मैं अपने इस Hindi Website पर Motivational, Self Development और Online Technology, Health से जुड़े अपने Knowledge को Share करता हूँ।

Similar Posts

हवाई जहाज़ की यात्रा पर निबंध Essay on My first Aeroplane journey in Hindi

हवाई जहाज़ की यात्रा पर निबंध Essay on My first Aeroplane journey in Hindi

क्रिकेट पर निबंध Essay on Cricket in Hindi (Mera Priya Khel)

क्रिकेट पर निबंध Essay on Cricket in Hindi (Mera Priya Khel)

नरक चतुर्दशी पर निबंध Naraka Chaturdashi Essay in Hindi

नरक चतुर्दशी पर निबंध Naraka Chaturdashi Essay in Hindi

महाराणा प्रताप निबंध या पैराग्राफ Essay on Maharana Pratap in Hindi

महाराणा प्रताप निबंध या पैराग्राफ Essay on Maharana Pratap in Hindi

डिफोरेस्टेशन – वनोन्मूलन पर निबंध Essay on Deforestation in Hindi

डिफोरेस्टेशन – वनोन्मूलन पर निबंध Essay on Deforestation in Hindi

गोस्वामी तुलसीदास पर निबंध Essay on Goswami Tulsidas in Hindi

गोस्वामी तुलसीदास पर निबंध Essay on Goswami Tulsidas in Hindi

Leave a reply cancel reply.

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed .

One Comment

It was very informative

essay writing on rashtriya ekta diwas in hindi

Easy Hindi

केंद्र एव राज्य की सरकारी योजनाओं की जानकारी in Hindi

राष्ट्रीय एकता दिवस पर निबंध | Essay On National Unity Day in Hindi

  • Festival 2024

Rashtriya Ekta Diwas

Rashtriya Ekta Diwas Essay in Hindi:- राष्ट्रीय एकता दिवस या जिसे राष्ट्रीय एकता दिवस के नाम से भी जाना जाता है, हर साल 31 अक्टूबर को मनाया जाता है और यह सरदार वल्लभ भाई पटेल की याद में मनाया जाता है जो हमेशा देश की एकता में विश्वास करते थे।प्रथम राष्ट्रीय एकता दिवस का उद्घाटन भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया गया था। यह कार्यक्रम दिल्ली में आयोजित किया गया था और उन्होंने सरदार पटेल की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की थी। इस दिन राष्ट्रव्यापी मैराथन “रन फॉर यूनिटी” का भी आयोजन किया गया था , जिसके प्रधान मंत्री द्वारा हरी झंडी दिखाई गई थी। राष्ट्रीय एकता दिवस में आयोजित की गई मैराथन में हजारों लोग ने हिस्सा लिया था और इस मैराथन ने रिकॉर्ड ने रिकार्ड कायम किया था।

इस मैराथन का  आयोजन युवाओं को जोड़ने के लिए किया गया था। यह राष्ट्र को समग्र रूप से जोड़ने का एक सफल प्रयास था। उल्लेखनिय है कि सरदार वल्लभभाई पटेल ने भारत के राष्ट्रीय एकीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वह स्वतंत्र भारत में रियासतों के एकीकरण के अग्रणी थे। इसलिए, राष्ट्रीय एकता दिवस या राष्ट्रीय एकता दिवस आज़ादी के बाद से भारत की एकता को यादगार बनाने का प्रतीक है। गौरतलब है कि छात्रों को अक्सर उनके स्कूलों और कॉलेजों में राष्ट्रीय एकता दिवस पर निबंध लिखने के लिए कहा जाता है,  जिसके मद्देनजर हमने इस लेख को तैयार किया हैं, जिसका यूज कक्षा-3 से लेकर कक्षा-10 में और कॉलेज में पढ़ने वाले छात्र भी कर सकते हैं। अगर आप राष्ट्रीय एकता दिवस पर सरल भाषा में अच्छे निबंध को खोज रहे है तो हमारे इस लेख को पूरा पढ़े

Rashtriya Ekta Diwas Essay in Hindi- Overview

राष्ट्रीय एकता दिवस पर निबंध | rashtriya ekta diwas par nibandh.

राष्ट्रीय एकता दिवस 31 अक्टूबर को देशभर में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा इस दिन सरदार वल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा पर देश के प्रधानमंत्री राष्ट्रपति और जितने भी बड़े महानुभाव नेता हैं और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे सरदार वल्लभभाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 में गुजरात में हुआ था भारत के स्वतंत्रता संग्राम में उनकी भूमिका अतुल्य थी जिन्हें शब्दों में बयान करना हमारे लिए संभव नहीं है I जब देश आजाद हुआ तो देश के सामने विकट समस्या थी क्योंकि उस समय भारत में सभी रियासतें अलग अलग थी और उन्हें एक साथ मिलाकर भारत राष्ट्र निर्माण करना था जो कि बड़ा ही कठिन काम था I इसकी प्रमुख वजह थी कि कई रियासतें पाकिस्तान में सम्मिलित होना चाहती थी I इन सब बातों को देखते हुए सरदार बल्लभ भाई पटेल ने राजनीतिक और सैन्य क्षमता का प्रयोग करते हुए भारत में 563 रियासतों का विलय किया और उसके बाद भी भारत एक लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष देश बन पाया I

 उनके इस योगदान को देश के लोग याद करें इसी बात को ध्यान में रखते हुए 2014 को देश के प्रधानमंत्री ने गुजरात में एक सभा को संबोधित करते हुए कहा कि सरदार वल्लभ भाई पटेल के जन्मदिन को अब से देश में राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाया जाएगा I ताकि देश के निवासियों में राष्ट्र की भावना कूट-कूट कर भरे और राष्ट्र निर्माण में किस प्रकार की भूमिका निभानी है उसकी प्रेरणा उन्हें मिल सके I तभी से देश में राष्ट्रीय एकता दिवस की शुरुआत हुई जो आज तक कायम है और आने वाले भविष्य में भी इस दिवस को हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा I

राष्ट्रीय एकता दिवस भारत में हर्षोल्लास और धूमधाम के साथ सभी जगह आयोजित किया जाता है इस दिन सभी लोग सरदार वल्लभभाई पटेल को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं I सरदार वल्लभ भाई पटेल को लौह पुरुष के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि उन्होंने भारत के एकीकरण में अपना अतुल्य योगदान दिया था जिसे शब्दों के द्वारा बता पाना असंभव है I

यह दिन भारतीय प्रशासनिक सेवाओं के लिए भी विशेष महत्व रखता है इसकी प्रमुख वजह है कि सरदार वल्लभ भाई पटेल ने अखिल भारतीय सेवा प्रणाली की शुरुआत की गई थी इसलिए इस दिन भारत के जितने भी प्रशासनिक अधिकारी हैं वह सरदार वल्लभभाई पटेल को श्रद्धांजलि देने के लिए सभी सचिवालय में इकट्ठा होते हैं और उनके सम्मान में उनके जीवन के ऊपर अपने विचार रखते हैं I ताकि लोगों को इस बात की जानकारी मिल सके कि सरदार बल्लम भाई पटेल ने देश के अखंडता और एकता को बनाए रखने के लिए उनका योगदान क्या है |

यह भी जानें:-

राष्ट्रीय एकता दिवस का महत्व | Rashtriya Ekta Diwas Essay in Hindi

सरदार वल्लभभाई पटेल भारत के पहले उप प्रधान मंत्री और गृह मंत्री थे। भारत को राष्ट्र के रूप में निर्मित करने का काम सरदार वल्लभ भाई पटेल ने किया था राष्ट्रीय एकता दिवस के द्वारा हम दो महत्वपूर्ण उद्देश्यों की पूर्ति कर सकते हैं I पहला सरदार बल्लम भाई पटेल को सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित करना और दूसरा देश की राष्ट्रीय एकता और अखंडता को कैसे बनाए रखना है I उसकी प्रेरणा हमें राष्ट्रीय एकता दिवस के माध्यम से ही मिल पाएगा I इसलिए हम सभी को राष्ट्रीय एकता दिवस के शुभ अवसर प्राण लेना चाहिए कि हम देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने के लिए अपनी जान देने से भी पीछे नहीं हटेंगेI

Essay on National Unity Day in Hindi

 National Unity Dayसरदार बल्लभ भाई पटेल के जन्मदिन के उपलक्ष में मनाया जाता है इसी दिन उनका जन्म हुआ था दूसरी सबसे प्रमुख वजह है कि सरदार बल्लभ भाई पटेल ने अपनी राजनीतिक सूझबूझ से भारत को मजबूत राष्ट्र के रूप में बनाने का काम सरदार बल्लभ भाई पटेल के द्वारा किया गया I जब देश 1947 में आजाद हुआ तो उसमें भारत में कई रियासत थे जो भारत में सम्मिलित नहीं होना चाहते थे जो कि पाकिस्तान में जाने के बारे में सोच रही थी उन सभी को भारत में सम्मिलित करने का काम सरदार वल्लभ भाई पटेल के द्वारा किया गया था I जिसके कारण भारत में 563 देशों का विलय हुआ और भारत एक राष्ट्र के रूप में निर्मित हुआ I इन सभी कामों के कारण उन्हें भारत का लौह पुरुष का जाता है I

राष्ट्रीय एकता दिवस पर निबंध 500 शब्द | National Unity Day Essay in (500 Words)

राष्ट्रीय एकता दिवस या राष्ट्रीय एकता दिवस हर 31 अक्टूबर को मनाया जाता है बलम भाई पटेल भारत के प्रथम गृह मंत्री और प्रधानमंत्री थे इसके अलावा सरदार बल्लम भाई पटेल स्वतंत्रा सेनानी और राजनेता थे | उन्होंने भारत का एकीकरण करने में अहम योगदान दिया था I

राष्ट्रीय एकता दिवस पर निबंध PDF Download

PDF Download:

सरदार पटेल को श्रद्धांजलि

सरदार पटेल भारत के पहले उप प्रधान मंत्री और गृह मंत्री  मंत्री थे जिन्होंने छोटे राज्यों को भारत संघ में एकीकृत करने में  करने में अहम भूमिका निभाई थी स्वतंत्रता से पहले, वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से जुड़े एक प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता और स्वतंत्रता सेनानी थे। उन्होंने गुजरात में आयोजित सत्याग्रह का नेतृत्व किया था इसमें उन्हें भारी जनमत का समर्थन भी प्राप्त हुआ था

हालांकि, सरदार पटेल एक प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी थे, भारत की स्वतंत्रता के दौरान और बाद में एक प्रशासक के रूप में उनकी भूमिका अधिक महत्वपूर्ण है। जब अंग्रेजों ने भारत छोड़ दिया, तो लगभग 565 स्वतंत्र रियासतें थीं जो मुक्त हो गईं। सरदार पटेल, जिनके पास उस समय गृह मंत्री का विभाग भी था, ने इन राज्यों को भारत संघ में शामिल होने के लिए राजी किया। इसके लिए सरदार पटेल ने हर हथकंडा आजमाया – कुछ रियासत स्वयं से भारत में सम्मिलित होने के लिए राजी हो गए और जिन्होंने सम्मिलित होने से मना किया उनके ऊपर सैन्य कार्रवाई का आदेश जारी किया जिसके फलस्वरूप रियासतों ने भारत में सम्मिलित होने के लिए हां किया I सरदार बल्लभ भाई पटेल का सपना था अखंड भारत और वह अखंड भारत के सपने को पूरा करने के के लिए उन्होंने निरंतर काम किया इसका परिणाम यह हुआ कि भारत एक राष्ट्र के रूप में निर्मित हुआ I अखंड भारत के लिए सरदार पटेल के इस दृढ़ संकल्प ने उन्हें “भारत का लौह पुरुष” नाम दिया था।

इसलिए उनके जन्मदिन को भारत में राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाया जाने की घोषणा देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया I

पहला राष्ट्रीय एकता दिवस | First National Unity Day

31 अक्टूबर, सरदार पटेल की जयंती को हर साल राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाने का निर्णय गृह मंत्रालय द्वारा 2014 में एक आधिकारिक अधिसूचना के माध्यम से लिया गया था।

इसके बाद मंत्रालय ने अधिकारिक बयान देकर इस बात की पुष्टि की है कि अब से 31 अक्टूबर को भारत में राष्ट्रीय एकता दिवस के रुप में मनाया जाएगा I 2014 में सरदार पटेल की 140वीं जयंती पर कई जगहों पर कार्यक्रम आयोजित किए गए। दिल्ली, नागपुर और मुंबई जैसे शहरों में रन फॉर यूनिटी का आयोजन किया गया। कई राजनेताओं और खिलाड़ियों ने आयोजनों में भाग लिया। यहां पर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा तत्कालीन उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू भी मौजूद थे | और उन्होंने भी लिख सरदार वल्लभभाई पटेल को श्रद्धांजलि अर्पित की

दुनिया भर में स्थित भारतीय दूतावासों में स्मारक कार्यक्रम भी आयोजित किए गए। सरदार बल्लभ भाई पटेल को श्रद्धांजलि अर्पित की जा सके

घटनाएँ और गतिविधियाँ (Events and Activities)

Rashtriya Ekta Diwas Nibandh : राष्ट्रीय एकता दिवस पर शिक्षण संस्थानों, स्कूलों, सरकारी कार्यालयों और अन्य स्थानों पर कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। केंद्र और राज्य दोनों सरकारें इस संबंध में कार्यालय को दिशा निर्देश जारी करता है

स्कूलों में विशेष स्मारक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिसमें बच्चे सरदार पटेल को सम्मान देते हैं और उनके जीवन को करीब से जानने का प्रयास करते हैं ताकि उनका चरित्र भी सरदार वल्लभ भाई पटेल की तरह हो सके ताकि राष्ट्र के निर्माण में बच्चे आगे चलकर अपनी भूमिका का निर्वाह कर सकें |

सरदार पटेल की 182 मीटर लंबी प्रतिमा का उद्घाटन 31 अक्टूबर 2018 को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा गुजरात में किया गया था। यह सूरत से 150 किमी दूर स्थित है और सरदार सरोवर बांध का सामना करता है। सरदार पटेल को सम्मान देने के लिए भारत के विभिन्न हिस्सों से हजारों लोग राष्ट्रीय एकता दिवस पर प्रतिमा और संग्रहालय देखने आते हैं।

सत्ता पक्ष के सदस्यों के साथ-साथ विपक्ष के सदस्यों द्वारा भी संसद में सरदार पटेल को उचित श्रद्धांजलि दी जाती है |

राष्ट्रीय एकता दिवस पर 10 वाक्या | 10 lines on National Unity Day

10 lines on National Unity Day

1) सरदार वल्लभभाई पटेल के जन्मदिन के अवसर पर उनके कार्यों को याद करने और उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए 31 अक्टूबर को राष्ट्रीय एकता दिवस मनाया जाता है।

2) राष्ट्रीय एकता दिवस की शुरुआत भारत सरकार द्वारा 31 अक्टूबर 2014 को दिल्ली में की गई थी।

3) 2014 से हर साल 31 अक्टूबर को राष्ट्रीय एकता दिवस के बारे में जागरूकता बढ़ाने और सरदार पटेल को याद करने के लिए एक राष्ट्रव्यापी मैराथन का आयोजन किया जाता है, जिसे “रन फॉर यूनिटी” नाम दिया गया है।

4) इसके अलावा स्कूलों और कॉलेजों में कई तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिनमें बैनर, पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता, निबंध, भाषण, पेंटिंग, कविता, वाद-विवाद प्रतियोगिता आदि का आयोजन किया जाता है।

5) इस दिन विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम आयोजित करने का मुख्य उद्देश्य नागरिकों के बीच राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देना है।

6) इस दिन के माध्यम से देश की युवा पीढ़ी तक राष्ट्रीय एकता का संदेश पहुंचाया जाता है, ताकि आगे चलकर वे राष्ट्रीय एकता के महत्व को समझ सकें।

7) युवाओं को एकता का मूल्य समझाने के लिए राष्ट्रीय एकता दिवस मनाना आवश्यक है।

8) सरदार पटेल ने आजादी के बाद रियासतों को एक कर देश को ताकत देकर एकता की मिसाल पेश की थी।

9) एकता हमारे देश की ताकत है इसलिए इस दिन को भारत में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है।

10) प्रत्येक भारतीय को इस तिथि में दिल से भाग लेना चाहिए और भारत के लौह पुरुष को श्रद्धांजलि अर्पित करनी चाहिए।

FAQ’s: Rashtriya Ekta Diwas Essay in Hindi

Q: राष्ट्रीय एकता दिवस कब मनाया जाएगा.

Ans: राष्ट्रीय एकता दिवस 31अक्टूबर को मनाया जाएगा |

Q: राष्ट्रीय एकता दिवस मनाने का उद्देश्य क्या है?

उत्तर । राष्ट्रीय एकता दिवस मनाने का उद्देश्य भारत लोगों में राष्ट्रीय एकता की भावना को और भी ज्यादा जागृत करना है ताकि देश की अखंडता और राष्ट्रीय एकता बचा जा सके |

Q.’स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ क्या है?

उत्तर । इस महान नेता को श्रद्धांजलि देने के लिए गुजरात में बनी सरदार वल्लभभाई पटेल की 182 मीटर ऊंची प्रतिमा है।

इस ब्लॉग पोस्ट पर आपका कीमती समय देने के लिए धन्यवाद। इसी प्रकार के बेहतरीन सूचनाप्रद एवं ज्ञानवर्धक लेख easyhindi.in पर पढ़ते रहने के लिए इस वेबसाइट को बुकमार्क कर सकते हैं

Leave a reply cancel reply.

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.

Related News

essay writing on rashtriya ekta diwas in hindi

Birthday Wishes For Colleague in hindi | Colleague को जन्मदिन की शुभकामनाएँ

Blood Donation day। रक्त दान

Blood Donation day। रक्त दान दिवस कब और क्यों मनाया जाता है ?

How to concentrate in study।पढाई में मन कैसे लगाए

How to concentrate in study। पढाई में मन कैसे लगाए

April Fool’s day history, jokes

April Fool’s day, History। अप्रैल फूल डे क्यों मनाया जाता है

HindiKhojijankari

राष्ट्रीय एकता दिवस पर निबंध, भाषण व कविता | Speech Essay on National Unity Day in hindi

Speech-Essay-on-National-Unity-day-in-hindi

राष्ट्रीय एकता दिवस क्यों मनाया जाता है? राष्ट्रीय एकता दिवस का महत्व (Essay on National Unity Day in hindi)

31 अक्टूबर को हर साल भारत में राष्ट्रीय एकता दिवस मनाया जाता है। राष्ट्रीय एकता दिवस को सरदार वल्लभ भाई पटेल के जन्म दिवस के दिन उन्हीं की याद में मनाया जाता है।

यह दिन भारत की राष्ट्रीय एकता का प्रतीक है। सरदार वल्लभ भाई पटेल को भारत की राष्ट्रीय एकता का सबसे बड़ा सूत्राधार माना जाता है। सरदार जी को लौह पुरुष के नाम से भी जाना जाता है। इतना ही नहीं सरदार वल्लभ भाई पटेल को सिविल सेवा का संरक्षक संत भी कहा जाता है। आजादी के बाद जब भारत के कई टुकड़ों में बांटने की नौबत आ गई थी तो उस समय सरदार वल्लभभाई पटेल ने ही संपूर्ण भारत को एकता के सूत्र में बांधे रखने का काम किया।

इसीलिए 31 अक्टूबर को सरदार वल्लभभाई पटेल की जन्मतिथि को हर साल भारत की राष्ट्रीय एकता का प्रतीक राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाया जाता है। सरदार वल्लभ भाई पटेल जी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान नेता थे जिन्होंने अखंड भारत में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

तो आइए आज इस आर्टिकल के जरिए राष्ट्रीय एकता दिवस पर निबंध, भाषण और कविता, राष्ट्रीय एकता दिवस क्यों मनाया जाता है? Rashtriya Ekta Diwas par Nibandh or Poem, Speech, Essay on National Unity Day in Hindi के बारे में बताते हैं।

Speech-Essay-on-National-Unity-day-in-hindi

विषय–सूची

राष्ट्रीय एकता दिवस पर निबंध (Speech Essay on National Unity Day in hindi)

राष्ट्रीय एकता दिवस क्यों मनाया जाता है.

सम्पूर्ण भारत में राष्ट्रीय स्तर पर 31 अक्टूबर को राष्ट्रीय एकता दिवस मनाया जाता है। यह दिवस लौह पुरुष कहे जाने वाले भारत के पहले गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल के जन्मदिन के उपलक्ष में उनकी याद में मनाया जाता है।

यह दिन भारत की राष्ट्रीय एकता का प्रतीक और सरदार वल्लभ भाई पटेल के सम्मान का प्रतीक है। राष्ट्रीय एकता के विषय में सबको जागरूक करने के लिए और भारत की एकता में सरदार वल्लभ भाई पटेल के योगदानों के प्रति श्रद्धांजलि देने के लिए यह दिन पूरे भारत में मनाया जाता है।

राष्ट्रीय एकता दिवस की शुरुआत कब हुई?

राष्ट्रीय एकता दिवस मनाने की शुरुआत 31 अक्टूबर 2014 को हुई थी। भारत की केंद्र सरकार ने आदरणीय प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम के तहत इस दिवस को मनाने की शुरुआत हुई।

प्रधानमंत्री ने उनकी जन्मतिथि पर भारत को एकजुट करने के लिए सरदार जी के योगदानों को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की और इस तभी से इस दिन को मनाने की शुरुआत हुई।

राष्ट्रीय एकता दिवस का महत्व

जब 1947 में भारत को स्वतंत्रता मिली तो सरदार वल्लभ भाई पटेल ने भारत के पहले गृहमंत्री का पद संभाला और भारत को एकजुट करने के लिए अथक प्रयास करते रहे।

भारत आजाद तो हो गया था लेकिन आज़ादी के साथ ही इसके कई टुकड़े होने वाले थे। पाकिस्तान तो पृथक हो ही चुका था लेकिन कई देशी रियासते भी अब भारत से अलग होने की फ़िराक में थी क्योंकि इन रियासतों के सुल्तान भारत में अपनी रियासत नहीं मिलाना चाहते थे।

लेकिन सरदार वल्लभ भाई पटेल ने भारत को एक करने के लिए प्रण ले लिया था और इसे एक करने के लिए अथक प्रयास करने लगें। उन्होंने अपने अथक परिश्रम और प्रयास से भारत की 565 ऐसी रियासतें जो भारत से अलग होना चाहती थी। उन्हें संजोकर सरदार वल्लभ भाई पटेल ने जिस अखंड भारत का सपना देखा था उसे पूरा भी किया।

कैसे मनाया जाता है राष्ट्रीय एकता दिवस?

इस दिन विद्यालय महाविद्यालय और अन्य शैक्षणिक संस्थानों समेत विभिन्न स्थानों पर कई कार्यक्रम आयोजित किया जाता है और भारत की राष्ट्रीय एकता में सरदार वल्लभ भाई पटेल के योगदानों के बारे में बताया जाता है। इतना ही नहीं इस दिन स्लोगन नारे और भाषणों के जरिए युवाओं को जाति धर्म और रंग भेद से उपर उठकर राष्ट्रीय एकता को बनाए रखने के लिए जागरूक और प्रेरित किया जाता है।

कई स्थानों पर राष्ट्रीय एकता दिवस के उपलक्ष में निबंध लेखन और कविता पाठ कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता है। देश के वरिष्ठ राजनेता सरदार वल्लभभाई सिंह पटेल की चित्र एवं प्रतिमाओं पर पुष्प अर्पित करके उन्हें श्रद्धांजलि देते हैं और उनके योगदान को याद करते हैं।

राष्ट्रीय एकता दिवस पर भाषण (Speech on National Unity Day in Hindi)

भारत दुनिया का सबसे विविध स्थान है। इस देवभूमि की खासियत यही है कि इसके हर कदम पर एक नई वेशभूषा, नई भाषा, नई सभ्यता और संस्कृति, नए रीति रिवाज और नए लोग मिलते हैं।

इतने दशकों के बाद भी पूरा देश राष्ट्रीयता और भारतीयता के सूत्र में बंधा हुआ है। भारत की अखंडता और एकता का योगदान अगर किसी को जाता है तो वह भारत के लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल जी हैं जिन्होंने भारत की एकता के लिए प्रयास किए और परिश्रम के बल पर पूरे भारत को संजो कर रखा।

सरदार वल्लभ भाई पटेल ने आजादी के समय भारत की 565 रियासतों को भारत से अलग होने से बचाया था और हैदराबाद के निजाम सहित अन्य रियासतों की शासकों को मना कर उन्हें भारत के साथ जोड़ा था।

भारत की राष्ट्रीय एकता के सरदार वल्लभ भाई पटेल के योगदान को कभी भी भुलाया नहीं जा सकता। सरदार वल्लभ भाई पटेल ने अखंड भारत को लेकर जो सपना देखा था उसे पूरा करने के लिए उन्होंने अपनी जी जान लगा दी।

सरदार जी के योगदान के सम्मान में ही हर वर्ष 31 अक्टूबर के दिन उनकी जन्म तिथि को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाया जाता है।

एकता में शक्ति का पाठ तो हमें बहुत सी घटनाएं पढ़ा देती हैं लेकिन हम कभी एकता की भूमिका का मूल्यांकन नहीं कर पाते और ना ही उसके प्रति जागरूक हो पाते हैं।

आज भी हमारे देश में रूढ़िवादी लोग जाति और धर्म के नाम पर बटे हुए हैं। जातिवाद और संप्रदायवाद देश के लिए आतंकवाद से भी बड़ा खतरा है। आज हमें एकजुट होने की ओर सबको साथ लेकर चलने जरूरत है। तभी हमारी युवा पीढ़ी एकता का सही पाठ पढ़ पाएगी।

राष्ट्रीय एकता दिवस पर कविता (Poem on National Unity Day)

शीर्षक – एक एक जब मिल जाते हैं, बन जाते हैं अनेक।, शीर्षक – लाभ सदा ही मिलता है एकता और भाईचारे में, leave a comment cancel reply.

Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.

HiHindi.Com

HiHindi Evolution of media

राष्ट्रीय एकता पर निबंध- Essay On National Unity In Hindi

नमस्कार दोस्तों आज हम राष्ट्रीय एकता पर निबंध Essay On National Unity In Hindi लेकर आए हैं. इस लेख में हम राष्ट्र की एकता की आवश्यकता महत्व और वर्तमान परिस्थतियाँ तथा चुनौतियों पर सरल भाषा में यह निबंध दिया गया हैं.

नमस्कार दोस्तों आपका स्वागत हैं. राष्ट्रीय एकता पर 10 निबंध यहाँ 100, 200, 250. 300, 400, 500 शब्दों में अलग अलग भागों में दिए गये हैं.

कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8 9, 10, 11, 12 वी के स्टूडेंट्स के लिए सरल लघु व दीर्घ निबंध दिए गये हैं. Essay On National Unity In Hindi विषय पर निबंध, भाषण यहाँ से पढ़ना आरम्भ कर सकते हैं.

राष्ट्रीय एकता पर निबंध Essay On National Unity In Hindi

राष्ट्रीय एकता पर निबंध Essay On National Unity In Hindi

राष्ट्रीय एकता पर निबंध 100 शब्दों में

राष्ट्रीय एकता एक मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया व एक भावना है जो किसी राष्ट्र अथवा देश के लोगों में भाईचारा अथवा राष्ट्र के प्रति प्रेम एवं अपनत्व का भाव प्रदर्शित करती हैं.

राष्ट्रीय एकता राष्ट्र को सशक्त एवं संगठित बनाती हैं. राष्ट्रीय एकता ही वह भावना है जो विभिन्न धर्मों, सम्प्रदायों, जाति, वेशभूषा एवं संस्कृति के लोगों को एक सूत्र में पिरोएँ रखती हैं. अनेक विभिन्नताओं के उपरांत भी सभी परस्पर मेल जोल से रहते हैं.

हमारा भारत देश राष्ट्रीय एकता की एक मिशाल हैं जितनी विभिन्नताएं हमारे देश में उपलब्ध हैं शायद ही विश्व के किसी अन्य देश के किसी अन्य देश में देखने को मिले.

यहाँ अनेक जातियों व सम्प्रदायों के लोग, जिनके रहन सहन, खान पान व् वेशभूषा पूर्णतया भिन्न हैं, एक साथ निवास करते हैं, सभी राष्ट्रीय एकता के एक सूत्र में पिरोये हुए हैं.

Short Essay On National Unity In Hindi For Students

प्राचीनकाल में भारत में अनेक सम्प्रदाय धर्म तथा गणराज्य होते हुए भी सांस्कृतिक एकता के सूत्र में सुद्रढ़ थे. लेकिन वर्तमान में राजनितिक स्वार्थ एवं धार्मिक कट्टरता के कारण हमारी राष्ट्रीय एकता खतरे में पड़ गई हैं.

भारत में राष्ट्रीय एकता

अनेकता में अनेकता में एकता के दर्शन भारत की अनूठी विशेषता हैं, यहाँ प्राचीनकाल से ही ज्ञान, प्रवृति, कर्म, धर्म आदि में पूर्ण समन्वय रहा हैं.

इसी समन्वयी प्रवृति के कारण बाहर से आने वाली सम्पूर्ण संस्कृतियों को भी अपनाया गया हैं. वर्तमान में भारत में साम्प्रदायिकता के कारण राष्ट्रीय एकता में कमी आ रही हैं.

भाषावाद और क्षेत्रवाद के कारण अलगाव की प्रवृति बढ़ रही हैं. कश्मीर तथा पूर्वोत्तर राज्यों में अलगाववाद तथा आतंकवाद पनप रहा हैं. कुछ क्षेत्रों में नक्सलवाद, जातिवाद एवं वर्गवाद बढ़ रहा हैं. फलस्वरूप आज भारत में राष्ट्रीय एकता बनाये रखना कठिन हो गया हैं.

वर्तमान में राष्ट्रीय एकता की आवश्यकता

लोकतंत्र की स्थिरता, स्वतंत्रता की रक्षा तथा राष्ट्र के सर्वतोमुखी विकास के लिए राष्ट्रीय एकता परम आवश्यक हैं. जब तक सम्पूर्ण राष्ट्र एकता के सूत्र में नही बंधेगा और न ही आर्थिक प्रगति हो सकेगी. अतएवं प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य है कि वह राष्ट्र प्रेम को बढ़ावा दे तथा राष्ट्रीय एकता को दृढ करे.

आज भारत में राष्ट्रीय एकता का स्वर गूंजने लगा हैं. उसकी रक्षा के लिए आज राष्ट्रीय भावना की प्रबल आवश्यकता हैं. अतः हमे जाति धर्म तथा क्षेत्रवाद जैसी क्षुद्र विचारधाराओं से दूर रहकर विघटनकारी तत्वों का दमन करना चाहिए.

राष्ट्रीय एकता दिवस निबंध Essay on National Unity Day in hindi

भारत की सभ्यता और संस्कृति अतीव प्राचीन है| भारत प्राचीन काल से अखण्ड भारतवर्ष के नाम से जाना जाता रहा है| जिसकी सीमाएँ सुदूर पूर्व से लेकर पश्चिम की अरब की खाड़ी तक जाती थी|

राजनीतिक कारणों से तथा विदेशी आक्रमणों के चलते, विशेष रूप से भारत विभाजन की बड़ी घटना के बाद हमारे देश में राष्ट्रीयता बोध में कई प्रकार के बदलाव देखे और महसूस किये है भारत पर किये गये मुगलों के आक्रमणों द्धारा भारत की सभ्यता और संस्कृति पर गहरी चोट की गई जिससे भारतीय समाज में एक प्रकार की निराशा व्याप्त हो गयी थी|

उस काल में भक्तिकालीन संतो, कवियों ने भारतीय समाज में एकीकरण की अलख जगाई| लेकिन ईस्ट इण्डिया कंपनी के माध्यम से अंग्रोजो हुकूमत की गुलामी के कारण हमारे देश की जनता स्वयं को और भी अधिक आहात महसूस करने लगी|

जिसके परिणामस्वरूप समूचे भारत देश में आजाद का आन्दोलन फैल गया और प्रत्येक नागरिक देश को आजाद कराने के लिए एक सामान राष्ट्रीयता बोध में रम गया|

गुलामी में हारी हुई मानसिकता आन्दोलन की क्रान्ति में एक नजर आने लगी| परिणामस्वरूप 15 अगस्त 1947 को हमारा देश स्वतंत्र हुआ तथा एक राष्ट्र और उसके राष्ट्रीय प्रतिको के आजाद होने का सपना साकार हुआ|

जिस भूमि पर हम जन्म लेते है पलते बड़े होते है -वह हमारी जन्मभूमि कर्मभूमि तथा हमारा राष्ट्र होती है| उसके प्रीति गहरा प्रेम ही राष्ट्र -बोध की भावना या राष्ट्रीयता की भावना होती है|

हम सदैव उसके गौरव की रक्षा करे तथा साथ ही उसकी संस्कृति, उसके प्राक्रतिक संसाधनों तथा उसकी आर्थिक समर्धि में योगदान करने का दायित्व प्रत्येक नागरिक का है|

यह भी आवश्यक है कि हम ऐसी किसी प्रकार की धार्मिक राजनीतिक या उच्छ्र्खल प्रवृति अथवा धारणा से बचे जिससे राष्ट्रीय एकता में बाधा पहुचती हो|

स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद देश की जनता के समक्ष आजादी की लड़ाई जैसा कोई महान लक्ष्य न होने के कारण समाज पुन;राष्ट्रबोध की कमी महसूस करने लगा है आज नागरिक के मन में राष्ट्र की सम्पति, राष्ट्र के विकास, स्वच्छता, समपर्ण जैसा राष्ट्रीय भावो में कमी आई है|

जापान का उदाहरण हमारे सामने है जन्होने हिरोशिमा व नागासाकी जैसे परमाणु परीक्षण में उजाड़े हुए शहरों का परिश्रम से पुनर्निर्माण किया है

इसलिए आज भारत के प्रत्येक नागारिक को वहां के प्रत्येक संसाधन को अपने देश का, अपना मानना चाहिए तथा अपने छोटे -छोटे स्वार्थो से ऊपर राष्ट्र को मानना चाहिए तथा अपने सारे कार्य पूरी राष्ट्र निष्ठा से करने चाहिए जिससे देश दुनिया के सामने मजबूती से स्थापित हो|

जिसको न निज गौरव तथा निज देश का अभिमान है| वह नर नहीं, पशु है निरा और मृतक सामान है ||

अनेकता में एकता निबंध – Unity in Diversity Essay in Hindi

इसमें संदेह नही हैं कि भारत विविधताओं का देश है. यहाँ हिन्दू मुसलमान, सिख, इसाई, पारसी आदि विविध धर्मों के लोग निवास करते है. इनकी भाषा रहन सहन, रीती रिवाज आचार विचार व्यवहार धर्म तथा आदर्श इन्हें एक दूसरे से अलग करते हैं. इसके बावजूद भारत के लोगों में एकता देखते ही बनती हैं. 

यदि हम भारतीय समाज एवं जन जीवन का गहन अध्ययन करे तो हमें स्वतः ही पता लग जाता हैं कि इन विविधताओं और विषमताओं के पीछे आधारभूत अखंड मौलिक एकता भी भारतीय समाज एवं संस्कृति की अपनी एक विशिष्ठ विशेषता हैं.

बाहरी तौर पर तो विषमता एवं अनेकता ही झलकती है, पर इसकी तह में आधारभूत एकता भी एक शाश्वत सत्य की भांति झिलमिलाती हैं.

विविधता में एकता का अर्थ (Describe the meaning of unity in diversity)

भारत को भौगोलिक दृष्टिकोण से कई क्षेत्रों में विभक्त किया जा सकता हैं, परन्तु सम्पूर्ण देश भारतवर्ष के नाम से विख्यात हैं. इस विशाल देश के अंदर न तो ऐसी पर्वतमालाएं है और न ही ऐसी सरिताए बहती है या सघन वन है जिसे पार न किया जा सके.

इसके अतिरिक्त उत्तर में हिमाचल की पर्वतमाला तथा दक्षिण में समुद्र ने सारे भारत में एक विशेष प्रकार की ऋतु पद्धति बना दी हैं.

ग्रीष्म ऋतु में जो भाप बनकर बादल की भाप उठती है, वह हिमालय की चोटियों पर बर्फ के रूप में जम जाती है. और गर्मी में पिघलकर नदियों की धाराएं बनकर वापस समुद्र में चली जाती हैं.

सनातन काल से समुद्र और हिमालय में एक दूसरे पर पानी फेकने का एक अद्भुत खेल चल रहा हैं. एक निश्चित क्रम के अनुसार ऋतुएँ परिवर्तित होती रहती है एवं यह ऋतु चक्र समूचे देश में एक जैसा हैं.

भारत में सदैव एक राज्य विद्यमान रहे हैं, परन्तु भारत के सभी महत्वकांक्षी सम्राटों का ध्येय सम्पूर्ण भारत पर एकछत्र साम्राज्य स्थापित करने का रहा हैं. एवं इसी ध्येय से राजसूय, वाजपेय, अश्वमेध आदि यज्ञ किये जाते थे.

तथा राजाधिराज व चक्रवर्ती आदि उपाधियों से सम्राट अपने को विभूषित करते एवं इस अनुभूति को व्यक्त करते थे कि भारत का विस्तृत भूखंड राजनीतिक तौर पर भी वास्तव में एक हैं.

भारत में विविधता और एकता Unity in Diversity in India

राजनीतिक एकता और राष्ट्रीय भावना के आधार पर ही राष्ट्रीय आंदोलनों एवं स्वतंत्रता संग्राम में देश के विभिन्न प्रान्तों के निवासियों ने दिल खोलकर सक्रिय रूप से भाग लिया और अपने प्राणों को न्यौछावर कर दिया. स्वतंत्र भारत में राष्ट्रीय एकता की परख चीनी एवं पाकिस्तानी आक्रमणों के दौरान भी खूब हुई.

समकालीन राजनीतिक इतिहास में एक युगांतकारी परिवर्तन का प्रतीक बन चुके ग्याहरवी लोकसभा के चुनाव में चुनाव परिणाम यदपि किसी दल विशेष को स्पष्ट जनादेश नहीं दे पाए, फिर भी राजनीतिक एकता की कड़ी टूटी नहीं.

भारत में विभिन्न धर्मावलम्बियों एवं जातियों के होने पर भी उनकी संस्कृति भारतीय संस्कृति का ही एक अंग बनकर रही. समूचे देश के सामाजिक एवं सांस्कृतिक जीवन का मौलिक आधार एक सा हैं.

वास्तव में भारतीय संस्कृति की कहानी, एकता एवं समाधानों का समन्वय हैं. तथा प्राचीन परम्पराओं एवं नवीन मानों के पूर्ण संयोग की कहानी हैं. यह प्राचीनकाल से लेकर वर्तमान तक है और भविष्य में भी सदैव रहेगी.

विविधता में एकता का महत्व Importance of Unity is diversity

ऊपर से देखने पर तो लगता है कि भारत में अनेक धर्म, धार्मिक सम्प्रदाय, मत हैं, लेकिन गहराई से देखने पर पता चलता है कि वे सभी समान दार्शनिक एवं नैतिक सिद्धांतो पर आधारित हैं.

एकेश्वरवाद, आत्मा का अमरत्व, कर्म, पुनर्जन्म, मायावाद, मोक्ष, निर्वाण, भक्ति आदि प्रायः सभी धर्मों की समान निधियां हैं.

इस प्रकार भारत की सात पवित्र नदियाँ (गंगा, यमुना, गोदावरी, सरस्वती, सिंध, नर्मदा एवं कावेरी) विभिन्न पर्वत आदि देश के विभिन्न भागों में स्थित हैं.

तथापि देश के प्रत्येक भाग के निवासी इन्हें समान रूप से पवित्र मानते हैं और उनके समान श्रद्धा एवं प्रेम की भावना रखते हैं. विष्णु एवं शिव की उपासना तथा राम एवं कृष्ण की गाथा का गान सम्पूर्ण भारत में एक समान हैं.

भारत की एकता पर निबंध | Essay on unity of india In Hindi

भेद के अस्तित्व को इनकार करना मुर्खता होगी और उसकी उपेक्षा करना अपने आप को धोखा देना है. हमारे समाज में भेद और अभेद दोनों ही है. हमारे पूर्व शासकों ने अपने स्वार्थवंश हमारे भेदों को अधिक विस्तार दिया.

जिससे हमारे देश में फूट की बेल पनपी जिससे भेद निति से उनका उल्लू सीधा हो. हमारे अभेदों की उपेक्षा की गई या उनको नगण्य समझा गया. हममे हीनता की मनोवृति पैदा हो गई

देश की नदियाँ जिसे विभाजन रेखाएं भी कहा जाता है हमारी भूमि को उर्वरा और शस्य श्यामला बनाती है. हमारी भौगोलिक इकाई हिमालय पर्वत और सागर से है. उस प्राचीन काल में राष्ट्रीयता की धारा तो अबाधित रही ही है. आंतरिक द्वेष कभी कभी प्रबल हो उठे है,

किन्तु भारतवासी एकछत्र सार्वभौम राज्य से अपरिचित नही थे. राजसूय, अश्वमेघ यज्ञ ऐसे ही राज्य की स्थापना के ध्येय से किये जाते थे. जिसके द्वारा टूटी हुई राष्ट्रिय एकता जुड़कर अविरल धारा का रूप धारण कर लेती थी.

राजनीती की अपेक्षा धर्मं और संस्क्रति मनुष्य के ह्रद्य के अधिक निकट है. यधपि राजनीती का सम्बन्ध भौतिक सुख सुविधाओं से है. फिर भी जनसाधारण जितना धर्म से प्रभावित होता है, उतना राजनीती से नही. हमारे भारतीय धर्मों में भेद होते हुए भी उनमे एक सांस्कृतिक एकता है.

जो उनके अविरोध की परिचायक है. वही तप और त्याग एवं माध्यम मार्ग की संयममयी भावना हिन्दू, बौद्ध, जैन, सिख सम्प्रदायों में समान रूप से विद्यमान है. एक धर्म के आराध्य दुसरे धर्म में महापुरुष के रूप में स्वीकार किये गये है.

भगवान बुद्ध तो अवतार ही माने गये है. कलियुगे कलि प्रथम चरणे बुद्धावतारे कहकर प्रत्येक धार्मिक संकल्प में हम उनका पुण्य स्मरण करते है. भगवान् ऋषभदेव का श्रीमद्भागवत में परम आदर के साथ उल्लेख हुआ है.

जैन धर्म ग्रंथो में भगवान् राम और श्रीकृष्ण को तीर्थकर नही उनसे एक श्रेणी उपर स्थान दिया गया है. अन्य हिदू देवी देवताओं को भी उनके देवमंडल में स्थान मिला है. भारत में अद्भुत प्राय सभी धर्मो के आवागमन में विशवास करते है.

राष्ट्रीय एकता का महत्व | Rashtriya Ekta Par Nibandh In Hindi

वर्तमान में कौमी एकता तथा राष्ट्रीय एकता को लेकर काफी विवाद चल रहा है. भारत की ऐतिहासिक प्रष्टभूमि को देखा जाए, तो प्राचीन काल में यहाँ अनेक गणराज्य थे उसमें भौगोलिक, धार्मिक एवं सांस्कृतिक कारणों से पारस्परिक सहयोग एवं एकता की भावना थी.

और उस एकता के कारण वे गणराज्य संघ अजेय थे. लेकिन वर्तमान काल में धार्मिक आस्था, भाषावाद, जातिवाद, वर्गवाद, सांस्कृतिक नस्लवाद एवं क्षेत्रवाद आदि का राजनितिक कुचक्र चलने से राष्ट्रीय एकता की जो स्थति है, जो आपके सामने है. यह सारे राष्ट्र के लिए हानिकारक सिद्ध हो रही है.

स्वतंत्र भारत में राष्ट्रीय एकता (Independent national unity in India)

स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद हमारे देश में लोकतंत्र की प्रतिष्ठा हुई. शासन व्यवस्था में किसी जाति विशेष या धर्म विशेष को प्रमुखता न देकर सभी देशवासियों को समानता का अधिकार दिया गया. और राजनितिक वैचारिक एवं आर्थिक स्वतंत्रता एवं समानता का प्रतिपादन कर राष्ट्रीय एकता को मजबूत किया गया.

भारत की इस स्थति को देखकर पाकिस्तान आदि कुछ राष्ट्र इससे इर्ष्या रखते है. और वे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप में भारत की एकता को कमजोर करना चाहते है.

यह सत्य है कि जब भी भारत पर आक्रमण हुआ है. सभी भारतियों ने राष्ट्रीय एकता का परिचय दिया है. संकटकाल में यहाँ के हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई आदि सभी धर्मावलम्बियों ने क्षेत्रवाद, जातिवाद और धर्मवाद से उपर उठकर राष्ट्रीय भावना का प्रचार किया है.

पाकिस्तान ने जितनी बार आक्रमण किया, उसका भारतीयों ने मुहतोड़ जवाब दिया है. इससे हमारी राष्ट्रीय एकता मजबूत हुई है.

राष्ट्रीय एकता की समस्या (The problem of national unity)

इतना कुछ होने पर भी आज भी हमारे देश में राष्ट्रीय एकता का प्रश्न उतना ही प्रबल बना हुआ है. क्योकि आज भी देश की सीमाओं पर शत्रुओं की छल कपटमयीं कुचालें दिखाई दे रही है.

कुछ बड़े राष्ट्रों की खुफियां एजेंसिया आतंकवाद को बढ़ावा दे रही है. और कुछ देश धर्म के नाम पर गुप्त तरीके से धन लगा रहे है. और उसके बल पर भारत की राष्ट्रीय एकता को समाप्त करने की चेष्टा की जा रही है.

कही पर साम्प्रदायिक दंगे करवाए जाते है. तो कही पर जातिगत विद्वेष भड़काया जाता है. कुछ कट्टर धार्मिक द्रष्टिकोण वाले माफिया अपराधी हमारी सरकार एवं आम जनता के साथ छदम युद्ध कर रहे है.

कुछ राष्ट्र विरोधी संगठन पूर्वोतर एवं पश्चिमोत्तर भाग में भय का वातावरण बना रहे है. इन सभी कारणों से आज हमारी राष्ट्रीय एकता समस्याग्रस्त बन चुकी है.

वर्तमान में राष्ट्रीय एकता की आवश्यकता (The current requirement of national unity)

प्रायः देखा गया है कि जब भारत पर विदेशी या बाहरी शत्रुओं का आक्रमण हुआ तो सारे देश में एकता की लहरें सी उठ गई थी. चीनी एवं पाकिस्तानी आक्रमणों के अवसर पर जनता ने सोना-चांदी, आभूष्ण, धन आदि कुछ अपने सामर्थ्य के अनुसार राष्ट्रीय सुरक्षा कोष में दान कर दिया था.

लेकिन इसके बाद आंतरिक विभेद, प्रांतवाद, जातिवाद, साम्प्रदायिकता एवं आतंकवाद आदि कारणों से देश की एकता को हानि पहुचाई गई है. परन्तु हमे अभी सावधान रहना चाहिए.

लोकतंत्र की स्थिरता, स्वतंत्रता की रक्षा और राष्ट्र के चुहुमुखी विकास के लिए राष्ट्रीय एकता की महती आवश्यकता है.

संक्षेप्त भारत में जब जब राष्ट्रीय एकता की न्यूनता रही, तब तब विदेशी शक्तियों ने यहाँ अपने पैर जमाने की चेष्टा की और हमारी आपसी फूट का उन्होंने पूरा फायदा उठाया.

अब स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत में अनेकता में एकता का स्वर गूंजने लगा है, उसकी रक्षा के लिए राष्ट्रीय एकता की महती आवश्यकता है.

राष्ट्रीय एकता दिवस पर निबंध- rashtriya ekta Essay nibandh

राष्ट्रीय एकता निबंध Essay on National Unity in Hindi, Hindi Essay national unity and integrity

प्राचीन काल में भारत में अनेक सम्प्रदाय धर्म तथा गणराज्य होते हुए भी सांस्कृतिक एकता के सूत्र में सुद्रढ़ थे. लेकिन वर्तमान में राजनीतिक स्वार्थ एवं धार्मिक कट्टरता के कारण राष्ट्रीय एकता खतरे में पड़ गई हैं.

अनेकता में एकता के दर्शन भारत की अनूठी विशेषता हैं. यहाँ प्राचीनकाल से ही धर्म, प्रवृति, कर्म आदि में पूर्ण समन्वय रहा हैं. इसी समन्वयकारी प्रवृति के कारण बाहर आने वाली सम्पूर्ण प्रवृतियों को भी यहाँ अपनाया गया.

वर्तमान में भारत में साम्प्रदायिकता के कारण राष्ट्रीय एकता में कमी आ रही हैं. भाषावाद तथा क्षेत्रवाद के कारण अलगाव की स्थिति बढ़ रही हैं. कश्मीर तथा पूर्वोत्तर राज्यों में अलगाववाद तथा आतंकवाद पनप रहा हैं.

कुछ क्षेत्रों में नक्सलवाद, जातिवाद तथा वर्गवाद भी बढ़ रहा हैं. फलस्वरूप आज भारत में राष्ट्रीय एकता रखना कठिन हो गया हैं.

लोकतंत्र की स्थिरता, स्वतंत्रता की रक्षा तथा राष्ट्र के सर्वतोमुखी विकास के लिए राष्ट्रीय एकता की परम आवश्यकता हैं. जब तक सम्पूर्ण राष्ट्र एकता के सूत्र में नही बंधेगा तब तक देश का न तो विकास हो पायेगा और न ही आर्थिक प्रगति हो पायेगी. अतएवं प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य है कि वह राष्ट्र प्रेम को बढ़ावा दे तथा राष्ट्रीय एकता को दृढ करे.

आज भारत में राष्ट्रीय एकता का स्वर गूंजने लगा हैं. उसकी रक्षा के लिए राष्ट्रीय भावना की प्रबल आवश्यकता हैं. अतः हमें जाति, धर्म या क्षेत्रवाद जैसी क्षुद्र विचारधाराओं से दूर रहकर विघटनकारी तत्वों का दमन करना चाहिए.

राष्ट्रीय एकता की आवश्यकता व महत्व पर निबंध हिंदी में 

वर्तमान काल में कौमी एकता अथवा राष्ट्रीय एकता को लेकर काफी विवाद चल रहा हैं. वर्तमान काल में सम्प्रदायवाद, जातिवाद, वर्गवाद एवं क्षेत्रवाद आदि का राजनीतिक कुचक्र चलने से राष्ट्रीय एकता की जो स्थिति है वह सारे राष्ट्र के लिए हानिकारण सिद्ध हो रही हैं.

स्वतंत्र भारत में राष्ट्रीय एकता

स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद हमारे देश में लोकतंत्र की प्रतिष्ठा हुई. शासन व्यवस्था में किसी जाति, विशेष या धर्म विशेष को प्रमुखता न देकर सभीदेशवासियों को समानता का अधिकार दिया गया एवं राष्ट्रीय एकता को मजबूत किया गया.

भारत की इस स्थिति को देखकर कुछ शत्रु राष्ट्र इर्ष्या रखते हैं. और वे प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से भारत की एकता को कमजोर करना चाहते हैं.

राष्ट्रीय एकता की समस्या

इतना सब कुछ होने पर भी आज हमारे देश में राष्ट्रीय एकता का प्रश्न उतना ही प्रबल बना हुआ हैं. क्योंकि आज भी हमारे देश की सीमाओं पर शत्रुओं की छल कपटमयी चाले दिखाई दे रही हैं.

और उसके बल पर भारत की एकता को खंडित करने के प्रयास हो रहे हैं. कहीं साम्प्रदायिक दंगे करवाए जाते हैं. तो कही जातिगत विद्वेष फैलाया जाता हैं. इन सभी कारणों से आज हमारी राष्ट्रीय एकता समस्याग्रस्त बन गई हैं.

प्रायः यह देखा गया है कि जब भारत पर विदेशी या बाहरी शत्रुओं का आक्रमण हुआ तो सारे देश में एकता की लहरे सी उठ गई थी.

लेकिन इसके बाद आंतरिक विभेद, साम्प्रदायिकता एवं आतंकवाद आदि विभिन्न कारणों से देश की एकता को हानि पहुचाई गई. अतएवं हमें लोकतंत्र की रक्षा और राष्ट्र के सर्वतोमुखी विकास के लिए राष्ट्रीय एकता की महत्ती आवश्यकता हैं.

संक्षेपतः भारत में जब तब राष्ट्रीय एकता की न्यूनता रही, लेकिन अब स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत में अनेकता में एकता का स्वर गूंजने लगा हैं. उसकी रक्षा के लिए आज राष्ट्रीय एकता की महत्ती आवश्यकता हैं.

राष्ट्रीय एकता पर निबंध हिंदी में | National Unity Essay in Hindi

राष्ट्रीय एकता का अर्थ है राष्ट्र के विभिन्न घटकों में परस्पर एकता प्रेम एवं भाईचारा कायम रहना. भले ही उनमें विचारों और आस्थाओं में असमानता क्यों न हो.

भारत में कई धर्मों एवं जातियों के लोग रहते है, जिनके रहन सहन एवं आस्था में अंतर तो है ही, साथ ही उनकी भाषाएँ भी अलग अलग हैं. इन सबके बावजूद पूरे भारतवर्ष के लोग भारतीयता की जिस भावना से ओत प्रेत रहते है उसे राष्ट्रीय एकता का विश्व भर में एक सर्वोत्तम उदहारण के रूप में कहा जा सकता है.

राष्ट्रीय एकता का परिणाम है कि जब कभी भी हमारी एकता खंडित करने का प्रयास किया गया, भारत का एक एक नागरिक सजग होकर ऐसी असामाजिक शक्तियों के विरुद्ध खड़ा दिखाई दिया.

उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीयता के लिए भौगोलिक सीमाएं, राजनीतिक चेतना और सांस्कृतिक एकबद्धता अनिवार्य होती हैं. यदपि प्राचीनकाल में हमारी भौगोलिक सीमाएं इतनी व्यापक नही थी.

यहाँ अनेक राज्य स्थापित थे, तथापि हमारी संस्कृति और धार्मिक चेतना एक थी. कन्याकुमारी से हिमालय तक और असम से सिंध तक भारत की संस्कृति और धर्म एक ही थे. यही एकात्मकता हमारी राष्ट्रीय एकता की नीव थी.

भिन्न भिन्न क्षेत्रों में अपनी भिन्न भिन्न परम्पराएं एवं रीती रिवाज व आस्थाएं थी, किन्तु समूचा भारत एक सांस्कृतिक सूत्र में आबद्ध था. इसी को अनेकता में एकता कहा जाता है और यही पूरी दुनियां में भारत की अलग पहचान स्थापित कर, इसके गौरव को बढाता हैं.

राष्ट्रीय एकता की आवश्यकता और महत्व (need and importance of national integration)

हम जानते है कि राष्ट्र की आंतरिक शान्ति तथा सुव्यवस्था और बाहरी दुश्मनों से रक्षा करने के लिए राष्ट्रीय एकता परम आवश्यक हैं.

यदि भारत के लोग किन्ही कारणों के चलते चिन्न भिन्न हो गये तो बहुत संभव है हमारी आपसी फूट को देखकर बहुत से लोग हम पर अधिकार करने के लिए आगे आ जायेगे. इस तरह जब तक हम में आपसी एकता होगी, तब तक कोई भी बाहरी सत्ता आकर अधिकार नहीं कर सकेगी.

जब हम हमारे इतिहास को उठाकर देखे तो जान पायेगे कि प्राचीन समय में भारत पूरी तरह एकता के सूत्र में बंधा हुआ था. किन्तु कुछ आंतरिक कमजोरियों के चलते बाहरी शक्तियों ने हम पर आक्रमण किया और यहाँ पर कब्जा कर लिया.

इन विदेशी लोगों ने यहाँ अधिकार जमाने के साथ ही पहला कार्य भारत की सभ्यता एवं संस्कृति को समाप्त करने का किया.

धार्मिक महत्व की चीजों को मिटाकर आपसी फूट में डालकर वे हम पर शासन करते रहे, इस तरह की सैकड़ो वर्षों के बाद जब हमें आजादी मिली तब से लोगों ने इस राष्ट्रीय एकता के महत्व को जाना हैं, मगर आज भी कई सारी समस्याओं खड़ी हो उठी है जो भारत की राष्ट्रीय एकता को बराबर चुनौती पेश कर रही हैं.

राष्ट्रीय एकता की समस्या और बाधक (challenges to national integration essay)

साम्प्रदायिकता, क्षेत्रीयता, जातीयता, अशिक्षा और भाषागत अनेकता जैसी कुछ समस्याओं ने राष्ट्रीय एकता पर खतरे की स्थिति उपस्थित की हैं.

राम जन्मभूमि एवं बाबरी मस्जिद के विवाद में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा १० मई 2011 को दिए गये निर्णय में पूर्व स्थिति को बहाल करने के आदेश जारी किये गये थे.

मगर 2010 इलाहबाद उच्च न्यायालय द्वारा इस विवाद पर दिए गये निर्णय से भारत में एक बार फिर से साम्प्रदायिक सौहार्द बिगड़ने तक की नौबत आ पहुची.

हमें अपनी व्यवस्था पर गर्व होना चाहिए, कि इस मामले की कोर्ट अब सुनवाई करने वाला हैं. अब कोर्ट का निर्णय आने के बाद नेता भी धर्म की ओट में वोट नही मांग सकेगे. साथ ही इस तरह के विवाद सुलझ जाने के बाद देश में फिर से राष्ट्रीय एकता का माहौल तैयार हो सकेगा.

यदि हम व्यक्तिगत तौर पर देश की एकता और अखंडता में अपना योगदान देना चाहते है तो हमे साम्प्रदायिक विद्वेष, स्पर्धा, इर्ष्या आदि राष्ट्र की एकता को समाप्त करने वाले भावों को मन से निकालकर साम्प्रदायिक सद्भाव की भावना को रखना होगा.

राष्ट्रीय एकता को खतरा (threat to national unity and integrity)

हमारे देश की राष्ट्रीय एकता को सबसे बड़ा खतरा आतंकवाद से हैं. भले ही आज आतंकवाद केवल भारत की समस्या भर न होकर एक वैश्विक समस्या का रूप धारण कर चूका हो,

मगर आज भी यह हमारी एकता को सबसे बड़ा चैलेन्ज है. भारत के कुछ राज्य पंजाब, नागालैंड और झारखंड में जो समस्याएं प्रतीत हो रही है इनके पीछे का मूल आतंकवाद की समस्या ही हैं.

पिछले कुछ सालों में आतंकवाद ने इन राज्यों सहित भारत के अन्य भूभाग में भी शान्ति मिटाने के अनगिनत प्रयास किये हैं, भारत में रहने वाले जिहादी और अलगाववादी देश की एकता और अखंडता के सबसे बड़े शत्रु हैं.

जिनका एक पक्ष राजनीति में भी अगुवाई कर रहा है तथा नफरत की राजनीति से अपना वोट बैंक बनाने का कार्य कर रहा है. ये कभी अल्पसंख्यक के नाम पर तो कभी आरक्षण के नाम पर लोगों को विभाजित करने के प्रयास में लगर रहते हैं.

जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा, खालिस्तान की मांग, असम से गोरखालैंड की मांग कुछ ऐसे आन्दोलन है जो राजनीति से प्रश्रय पाते हैं.

भारत में रहने वाले सभी मजहब के लोग चाहे वो हिन्दू, मुस्लिम, सिख, इसाई, बौद्ध, पारसी, जैन सभी आपसी प्रेम और सद्भाव के साथ जीवन बिताना चाहते हैं. मगर ये राजनेता अपनी रोटियां सेकने के लिए इन्हें आपस में बांटने में लगे रहते हैं.

राष्ट्रीय एकता और अखंडता निबंध | Essay On Rashtriya Ekta In Hindi

हमारा देश अलग अलग राज्यों भाषाओं एवं विभिन्न संस्कृतियों का राष्ट्र है भिन्न भिन्न रूप रंग, आचार विचार भाषा और धर्म के लोग इस भारतवर्ष की समूचे विश्व में अपनी एक अनूठी पहचान बनाते है।

भाषा, रंग, जाति, सम्प्रदाय आदि अलग होने के होने उपरान्त भी इस देश के लोग एक भारतीय के रूप में अपनी पहचान दिखाते है, सदियों से हमारे देश की यही एकता हमारी मजबूती एवं पहचान रही है.

राष्ट्रीय एकता और अखंडता का अर्थ (Meaning of National Integration and Integrity)

राष्ट्रीय एकता का अर्थ भारतीय के रूप में हमारी पहचान, सभी धर्मो, परम्पराओं, आचार-विचारों, भाषाओं और उपसंस्कृतियों का सम्मान हर भारतीय के दिल में रहता है.

इसी विशिष्ट को अपने में समाएं एक नईं संस्कृति का उद्भव होता है, यही हमारे भारत देश की संस्कृति है. अनेकता में एकता, बंधुत्व, साम्प्रदायिकता और मेल जोल कर रहना इस देश की नस नस में बसा है.

सच्चे अर्थों में राष्ट्रीय एकता का अर्थ तन मन धन से अपने राष्ट्र को समर्पित होना है, देश की आंतरिक एवं बाहरी मौर्चे पर देश को विभाजन करने वाली शक्तियों से लड़कर इन्हें मुह्तौड जवाब देना तथा मिल जुलकर रहना ही हमारी राष्ट्रीय एकता और अखंडता है.

यदि किसी देश को प्रगति की राह पर आगे बढ़ना है, तो उस देश के नागरिकों में एकता तथा साम्प्रदायिक सद्भाव जैसे मूल्यों को अपनाना होगा, हमारे देश में अतीत काल से इन मूल्यों को उच्च स्थान प्रदान किया गया है. यही हमारे देश की राष्ट्रीय एकता और अखंडता का सबसे बड़ा सबूत है.

राष्ट्रीय एकता और अखंडता पर संकट (The crisis on national unity and integrity)

आज हमारी राष्ट्रीय एकता और अखंडता खतरे में है. इस स्थति के लिए सर्वाधिक दोषी हमारे राजनेता है. जिन्होंने अपने वोटबैंक की खातिर देश की जनता को विभिन्न वर्गों में विभाजित कर दिया है.

किसी भी मुद्दे या घटना को एक राजनितिक मोड़ देकर अपनी रोटियां सेकने का कोई अवसर ये नेता नही छोड़ना चाहते है.

इसी का परिणाम है, कि हाल ही वर्षों में घटित कुछ घटनाओं को एक राष्ट्रीय मुद्दे के रूप में बनाकर इसे किसी जाति या सम्प्रदाय का रंग देकर हमारे देश की राष्ट्रीय एकता और अखंडता में छेद करने के हर संभव प्रयास इन नेताओं द्वारा किये जाते रहे है.

प्राचीन भारत में राष्ट्रीय एकता और अखंडता का इतिहास (History of national unity and integrity in ancient India)

देश के हर एक नागरिक के सामने एक बड़ा सवाल है, आखिर धर्म, जाति वर्ग के नाम पर समाज को विभाजित करना कहाँ तक सही है.

हम अपने बच्चों को ऐसी परवरिश दे, जो हमारे एवं दूसरों के धर्मं, जाति, भाषा संस्कृति इत्यादि का सम्मान करे. हमारे देश में प्राचीन काल से ही सर्वे सन्तु निरामयाः

जैसे श्लोक को चरितार्थ करने वाली यहाँ की शिक्षा पद्दति रही है. हम अपनी क्षेत्रीय संस्कृति को भी बढ़ावा दे, मगर राष्ट्रीय एकता एवं अखंडता की कीमत पर नही. हमे अपने राष्ट्रीय मूल्यों को उपर रखना होगा.

हमारे देश का प्रतीक तिरंगा, एक बात को सैकड़ो सालों से इंगित कर रहा है. तीनों बड़े सम्प्रदाय (हिन्दू, मुस्लिम, सिख, बौद्ध) के तीन रंग पर बना तिरंगा आज हर भारतीय की शान है.

देश के जाबाज इस तिरंगे की आबरू की खातिर हंसते हँसते अपने प्राण न्यौछावर कर देते है. यही हमारे भारत देश की विविधता में एकता और अखंडता है, जो हमे निरंतर बनाए रखने की आवश्यकता है.

राष्ट्रीय एकता दिवस (National Integration Day or Rashtriya Ekta Diwas)

वर्ष 2014 से भारत में प्रतिवर्ष 31 अक्टूबरः के दिन सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाया जाता है. भारत की गिनती विश्व के सबसे बड़े राष्ट्रों में की जाती है.

दुनिया का दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाला देश होने के साथ विविध धर्मों के लोग इतनी संख्या में किसी देश में भाईचारे के साथ रहते है, तो वह मेरा भारत देश ही है.

कश्मीर से कन्याकुमारी तक देश के कोने कोने में 1652 लगभग बोलिया बोली जाती है. यहाँ हिंदू,  बौद्ध, ईसाई,  जैन,  इस्लाम,  सिख और पारसी जैसे धर्मों के अलग अलग धार्मिक रीतिरिवाज, खान पान, बोल चाल, रहन सहन अलग अलग परम्पराओं की भिन्नता होने के बाद भी भारतीय संविधान में सभी का विशवास और आस्था बरकरार है.

  • राष्ट्रीय एकता और अखंडता पर निबंध
  • राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का इतिहास
  • भारत का राष्ट्रीय ध्वज के बारे में जानकारी
  • राष्ट्रीय सुरक्षा पर निबंध

उम्मीद करता हूँ दोस्तों यहाँ दिए गये राष्ट्रीय एकता पर निबंध- Essay On National Unity In Hindi निबंध आपकों पसंद आए होंगे. यदि आपकों राष्ट्र की एकता पर दिए गये एस्से पसंद आए हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें.

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

  • Skip to main content
  • Skip to primary sidebar

STUDY POINT

Online Education

राष्ट्रीय एकता पर निबंध | Rashtriya Ekta Diwas par nibandh In Hindi

20/10/2021 by thegkstudy

राष्ट्रीय एकता पर निबंध | Rashtriya Ekta Diwas par nibandh In Hindi | भारतीय एकता पर निबंध 250 words | Bharat ki Rashtriya Ekta par nibandh | राष्ट्रीय एकता पर निबंध 200 शब्दों में | Rashtriya Ekta aur akhandta par nibandh | राष्ट्रीय एकता का महत्व |

राष्ट्रीय एकता पर निबंध की रूपरेखा :- 

  • प्रस्तावना 
  • राष्ट्र में एकता का महत्व
  • राष्ट्रीय एकता की आवश्यकता
  • राजनीतिक कारण
  • राष्ट्रीय एकता में बाधाएं
  • राष्ट्रीय एकता के लाभ

प्रस्तावना :- भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है यहां सभी धर्म संस्कृति व जाति के लोग निवास करते हैं तथा सभी लोग अपने धर्म और संस्कृति के अनुसार ही अपना जीवन यापन भी करते हैं इसके बाद भी हम सब मिलजुल कर एक साथ रहते हैंऔर जब राष्ट्रीय एकता की बात आती है तो हम सब मिलजुल कर एक साथ खड़े रहते हैं|

कुछ लोग राष्ट्रीय एकता को भंग करने की भी कोशिश करते हैं जो लोगों को जाति धर्म संस्कृति आधे के नाम पर बहला-फुसलाकर राष्ट्रीय एकता में बाधक उत्पन्न करते हैं लेकिन लोग आप शिक्षित होते जा रहे हो और इन सब बातों में ना आकर लोग राष्ट्रीय एकता बनाए रखते हैं राष्ट्रीय एकता ही हमारे देश की शान है क्योंकि विश्व में कोई भी ऐसा देश नहीं है जहां पर अनेकों धर्म संस्कृति संप्रदाय के लोग निवास करते हो और एकजुटता के साथ रहते हो|

राष्ट्रीय एकता पर निबंध 250 words in hindi

राष्ट्रीय एकता पर निबंध | Rashtriya Ekta Diwas par nibandh In Hindi

लेकिन भारत ही एक ऐसा देश है जहां सभी लोग एक साथ मिलजुल कर रहते हैं और देश के विकास में सब बराबर का योगदान देते हैं  हमारे देश में सभी को समान अधिकार भी दिया जाता है चाहे वह हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई किसी भी धर्म संस्कृति संप्रदाय से संबंधित हो सभी को समान अधिकार समान अवसर प्राप्त किए जाते हैं यही राष्ट्रीय एकता की प्रमुख पहचान होती है|

राष्ट्रीय एकता का महत्व :- किसी भी देश या राष्ट्र के लिए राष्ट्रीय एकता का महत्व बहुत अधिक होता है क्योंकि जिस देश में राष्ट्रीय एकता होती है वह देश तेजी से विकास करता है क्योंकि उस देश में कोई अंदरूनी समस्याएं उत्पन्न नहीं होती जिस देश में राष्ट्रीय एकता का अभाव होता है उस देश में अंदरूनी समस्या उत्पन्न होती है|

जैसे जाति धर्म संप्रदाय आदि के नाम पर भेदभाव की वजह से राष्ट्र या देश में ही अराजकता का माहौल बना रहता है जिसकी वजह से देश की छवि और देश के विकास में बाधा उत्पन्न होती है इसीलिए किसी भी राष्ट्र या देश के लिए राष्ट्रीय एकता का बहुत अधिक महत्व होता है तथा जिस देश में राष्ट्रीय एकता होती है वह देश तेजी से विकास करता है और पूरे विश्व में उसकी छवि भी एक अच्छे राष्ट्र के रूप में बनती है|

Rashtriya Ekta Diwas par nibandh

राष्ट्रीय एकता की आवश्यकता :- भारत में राष्ट्रीय एकता की आवश्यकता बहुत अधिक है क्योंकि इसकी वजह से ही हम और हमारा देश सुरक्षित है यदि राष्ट्रीय एकता ना हुई तो हमारे देश की जनता आपस में ही जाति धर्म संप्रदाय आदि के नाम पर वाद विवाद करेंगे तथाइससे  हमारे रिश्ते में फूट उत्पन्न होंगी जिसका फायदा अन्य लोग उठा सकते हैं|

जिस देश या रास्ते में राष्ट्रीय एकता का भाव होता है उस पर दूसरे देश द्वारा दबाव डालकर उसे हड़पने की कोशिश की जाती है एवं इसका उदाहरण भारत ही है अंग्रेजों ने हमारी राष्ट्रीय एकता की कमी का फायदा सैकड़ों सालों तक उठाया है लेकिन आज हमारे देश राष्ट्रीय एकता की वजह से पूरे विश्व में एक अलग और अच्छी पहचान रखता है  विश्व हमारे देश को सम्मान की नजर से देखता है|

राष्ट्र एकता में राजनीतिक कारण :- हमारे देश में राष्ट्रीय एकता में राजनीति बहुत बड़ा योगदान व्यक्ति हैं कुछ लोग राजनीति के नाम पर देश में दंगे प्रसाद अस्थिरता लाने की कोशिश करते हैं जिसकी वजह से देश की एकता में अस्थिरता उत्पन्न होती है इसीलिए सभी राजनीतिक दल को राष्ट्रीय एकता को सर्वोपरि रखकर राजनीति करना चाहिए ना कि रास्ते में अस्थिरता पैदा कर कर राजनीति करना चाहिए|

राष्ट्रीय एकता पर निबंध 200 शब्दों में

राष्ट्रीय एकता में बाधक :- राष्ट्रीय एकता में अनेक प्रकार की बाधाएं उत्पन्न की जाती है जिसकी वजह से देश में राष्ट्रीय एकता का अभाव बंद होता है कुछ लोग धर्म जाति संप्रदाय आदि के नाम पर राष्ट्रीय एकता में बाधा उत्पन्न करने का कार्य करते हैं कुछ अराजक तत्व के द्वारा गरीब बेरोजगार तथा अशिक्षित लोगों को बहला-फुसलाकर उन्हें राष्ट्रीय एकता में  बाधा उत्पन्न की जाती है|

और कुछ अपने धर्म को असुरक्षित बता कर लोगों को भड़का आते हैं तथा कुछ अलगाववादी नेता आतंकवादी संगठन नक्सल जैसे कुछ संगठन है जो देश में अस्थिरता लाने के लिए निरंतर प्रयास करते रहते हैं ताकि देश में डर और अस्थिरता का माहौल बना रहे इसके अलावा कुछ राजनेता भी राजनीति के लिए अराजकता का माहौल उत्पन्न करते हैं|

राष्ट्रीय एकता में बाधा का मुख्य कारण लास्ट में बेरोजगारी गरीबी भुखमरी और शिक्षा का अभाव होता है  इन सभी कारणों की वजह से ही देश या रास्ते में राष्ट्रीय एकता  नहीं हो पाती है| 

Rashtriya Ekta Mein Hindi ki Bhumika par nibandh 

राष्ट्रीय एकता से लाभ :- किसी भी राष्ट्र या देश को उसकी रास्ते एकता की वजह से बहुत अधिक लाभ होता है सबसे बड़ा लाभ यह है कि व अन्य देश की अपेक्षा बहुत तेजी से अपने देश का विकास करता है तथा देश में शांति और अराजकता का माहौल नहीं होता है सब लोग मिलजुलकर एक साथ राष्ट्र के विकास में योगदान देते हैं लोग  राष्ट्र के हित को अपने हित से ऊपर रखते हैं और कोई भी देश हमारे रास्ते पर कब्जा या अधिकार नहीं कर सकता|

तथा लोग सब मिलजुल कर रहेंगे एक दूसरे के कार्यों में मदद करेंगे एक दूसरे के धर्म संस्कृति भाषा आदि का समर्थन करेंगे तथा देश में आजादी से बिना किसी रोक-टोक के अपने कार्यों को करने या अपने धर्म संस्कृति का प्रसार प्रचार करने की आजादी होंगी इससे देश में एकता बनी रहेंगी और देश तेजी से विकास करेगा|

उपसंहार :- पूरे विश्व में भारत को एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र के रूप में माना जाता है यहां पर सभी धर्म जाति संप्रदाय के लोग निवास करते हैं सभी को अपने धर्मजाति संस्कृति आदि को मानने या उसका प्रचार करने से नहीं रोका जाता है तथा सब लोग मिलजुल कर एकता के साथ रहते हैं|

और जब भी हमारे देश के ऊपर कोई समस्या या विद्या आती है तो पूरा राष्ट्र एकजुटता के साथ उसका सामना करने के लिए तैयार रहता है|

हिंदी के महत्व पर निबंध

महात्मा गांधी पर निबंध

दिवाली पर निबंध

साहित्य और समाज पर निबंध

कोरोनावायरस पर निबंध

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध

Share this:

राष्ट्रीय एकता पर निबंध | Essay on National Unity in Hindi

essay writing on rashtriya ekta diwas in hindi

राष्ट्रीय एकता पर निबंध  (दो निबंध) | Read These Two Essays on National Unity in Hindi.

#Essay 1: राष्ट्रीय एकता पर निबंध | Essay on National Unity in Hindi!

राष्ट्रीय एकता एक मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया व एक भावना है जो किसी राष्ट्र अथवा देश के लोगों में भाई-चारा अथवा राष्ट्र के प्रति प्रेम एवं अपनत्व का भाव प्रदर्शित करती है ।

राष्ट्रीय एकता राष्ट्र को सशक्त एवं संगठित बनाती है । राष्ट्रीय एकता ही वह भावना है जो विभिन्न धर्मों, संप्रदायों, जाति, वेश-भूषा, सभ्यता एवं संस्कृति के लोगों को एक सूत्र में पिरोए रखती है । अनेक विभिन्नताओं के उपरांत भी सभी परस्पर मेल-जोल से रहते हैं ।

हमारा भारत देश राष्ट्रीय एकता की एक मिशाल है । जितनी विभिन्नताएँ हमारे देश में उपलब्ध हैं उतनी शायद ही विश्व के किसी अन्य देश में देखने को मिलें । यहाँ अनेक जातियों व संप्रदायों के लोग, जिनके रहन-सहन, खान-पान व वेश-भूषा पूर्णतया भिन्न हैं, एक साथ निवास करते हैं । सभी राष्ट्रीय एकता के एक सूत्र में पिरोए हुए हैं ।

जब तक किसी राष्ट्र की एकता सशक्त है तब तक वह राष्ट्र भी सशक्त है । बाह्‌य शक्तियाँ इन परिस्थितियों में उसकी अखंडता व सार्वभौमिकता पर प्रभाव नहीं डाल पाती हैं परंतु जब-जब राष्ट्रीय एकता खंडित होती है तब-तब उसे अनेक कठिनाइयों से जूझना पड़ता है । हम यदि अपने ही इतिहास के पन्नों को पलट कर देखें तो हम यही पाते हैं कि जब-जब हमारी राष्ट्रीय एकता कमजोर पड़ी है तब-तब बाह्‌य शक्तियों ने उसका लाभ उठाया है और हमें उनके अधीन रहना पड़ा है ।

इसके विपरीत हमारी राष्ट्रीय अवचेतना से ही हमें वर्षों की दासता से मुक्ति मिल सकी है । अत: किसी भी राष्ट्र की एकता, अखंडता व सार्वभौमिकता बनाए रखने के लिए राष्ट्रीय एकता का होना अनिवार्य है । भारत जैसे विकासशील देश के लिए जो वर्षों तक दासत्व का शिकार रहा है वहाँ राष्ट्रीय एकता की संपूर्ण कड़ी का मजबूत होना अति आवश्यक है ताकि भविष्य में उसकी पुनरावृत्ति न हो सके ।

देश में व्याप्त सांप्रदायिकता, जातिवाद, भाषावाद, क्षेत्रीयता आदि सभी राष्ट्रीय एकता के अवरोधक तत्व हैं । ये सभी अवरोधक तत्व राष्ट्रीय एकता की कड़ी को कमजोर बनाते हैं । इन अवरोधक तत्वों के प्रभाव से ग्रसित लोगों की मानसिकता क्षुद्र होती है जो निजी स्वार्थ के चलते स्वयं को राष्ट्र की प्रमुख धारा से अलग रखते हैं तथा अपने संपर्क में आए अन्य लोगों को भी अलगाववाद के लिए उकसाते हैं । यही आगे चलकर लोगों में विघटन का रूप लेता है जो फिर खून-खराबे, मारकाट व दंगों आदि में परिवर्तित हो जाता है ।

इन विघटनकारी तत्वों की संख्या जब और अधिक होने लगती है तब ये पूर्ण अलगाव के लिए प्रयास करते हैं । हमारे देश की भौगोलिक भिन्नता जिसमें अनेक क्षेत्रों व उनमें रहने वाली अनेक जातियों व संप्रदायों का समावेश है ये सभी परस्पर राष्ट्रीय एकता को कमजोर बनाते हैं । इस प्रकार ये विभिन्नताएँ जो हमारी संस्कृति का गौरव हैं जब उग्र रूप धारण करती हैं तब यह हमारी एकता और अखंडता की बाधक बन जाती हैं ।

देश की एकता के लिए आंतरिक अवरोधक तत्वों के अतिरिक्त बाह्‌य शक्तियाँ भी बाधक बनती हैं । जो देश हमारी स्वतंत्रता व प्रगति से ईर्ष्या रखते हैं वे इसे खंडित करने हेतु सदैव प्रयास करते रहते हैं । कश्मीर की हमारी समस्या इन्हीं प्रयासों की उपज है जिससे हमारे देश के कई नवयुवक दिग्भ्रमित होकर राष्ट्र की प्रमुख धारा से अलग हो चुके हैं ।

ADVERTISEMENTS:

राष्ट्रीय एकता व इसकी अक्षुण्णता बनाए रखने के लिए आवश्यक है कि राष्ट्रीय एकता के तत्वों; जैसे हमारी राष्ट्रभाषा, संविधान, राष्ट्रीय चिह्‌नों, राष्ट्रीय पर्व व सामाजिक समानता तथा उसकी उत्कृष्टता पर विशेष ध्यान दें । उन सच्चे व महान देशभक्तों की गाथाओं को उजागर करें जिन्होंने राष्ट्र की स्वतंत्रता व सार्वभौमिकता बनाए रखने के लिए अपने प्राण तक न्यौछावर कर दिए । महापुरुषों के आदर्शों पर चलना व उनके बताए मार्ग का अनुसरण करना भी राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देता है ।

राष्ट्रीय एकता को संबल प्रदान करने वाले तत्व कम नहीं हैं, बस उन्हें समय-समय पर अपने जीवन में आत्मसात् करने की आवश्यकता है । विभिन्न राष्ट्रीय दिवसों पर होने वाली गोष्ठियाँ, विचार-विमर्श आदि के माध्यम से राष्ट्र की एकता को बल मिलता है ।

विभिन्न संगीत सम्मेलनों, समवेत् गान, सांस्कृतिक कार्यक्रमों आदि के माध्यम से जनता के बीच एकता को बढ़ावा देनेवाला संदेश जाता है । सबसे बढ़कर आवश्यक यह है कि हम निजी रूप से ऐसा प्रयास जारी रखें जिससे देश की एकता को बल मिले ।

भारत एक महान, स्वतंत्र एवं प्रगतिशील राष्ट्र है । राष्ट्रीय एकता बनाए रखने के लिए यह आवश्यक है कि हम अपनी क्षुद्र मानसिकता से स्वयं को दूर रखें तथा इसमें बाधक समस्त तत्वों का बहिष्कार करें । हमें यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि हम चाहे जिस क्षेत्र, प्रांत, जाति या समुदाय के हैं परंतु उससे पूर्व हम भारतीय नागरिक हैं । भारतीयता ही हमारी वास्तविक पहचान है । अत: हम कभी भी ऐसे कृत्य न करें जो हमारे देश के गौरव व उसकी प्रगति में बाधा डालते हों ।

हम स्वयं अपने राष्ट्रीय प्रतीकों व अपने संविधान का सम्मान करें तथा अपने संपर्क में आने वाले समस्त व्यक्तियों को भी इसके लिंए प्रेरित करें जिससे हमारी राष्ट्रीय एकता युग-युगांतर तक बनी रहे । हम विघटनकारी तत्वों को राष्ट्रीय एकता की मशाल जलाकर ही भस्मीभूत कर सकते हैं । हम एक थे एक हैं और सदा एक बने रहेंगे, जैसे-जैसे यह विश्वास दृढ़ होता जाएगा हमारी राष्ट्रीय एकता त्यों-त्यों मजबूत होती जाएगी ।

#Essay 2 : राष्ट्रिय एकता पर निबंध | Essay on National Unity

”हम जब-जब असंगठित हुए, हमें आर्थिक व राजनीतिक रूप में इसकी कीमत चुकानी पडी । हमारे विचारों में जब-जब संकीर्णता आई, आपस में झगड़े हुए । हमने जब कभी नए विचारों से अपना मुख मोड़ा, हमें हानि ही हुई, हम विदेशी शासन के अधीन हो गए ।”

ये बातें स्व. प्रधानमन्त्री श्रीमती इन्दिरा गाँधी ने अखिल भारतीय राष्ट्रीय एकता सम्मेलन के दौरान कही थीं । सचमुच राष्ट्रीय एकता सशक्त और समृद्ध राष्ट्र की आधारशिला होती है । राष्ट्रीय एकता के छिन्न होने पर देश की स्वतन्त्रता भी अक्षुण्ण नहीं रह पाती ।

राष्ट्रीय एकता का तात्पर्य हैं- राष्ट्र के विभिन्न घटकों में परस्पर एकता, प्रेम एवं भाईचारे का कायम रहना, भले ही उनमें वैचारिक और आस्थागत असमानता क्यों न हो ।  भारत में कई धर्मों एवं जातियों के लोग रहते हैं, जिनके रहन-सहन एवं आस्था में अन्तर तो है ही, साथ ही उनकी भाषाएँ भी अलग-अलग हैं । इन सबके बावजूद पूरे भारतवर्ष के लोग भारतीयता की जिस भावना से ओत-प्रोत रहते हैं उसे राष्ट्रीय एकता का विश्वभर में सर्वोत्तम उदाहरण कहा जा सकता है ।

राष्ट्रीय एकता का परिणाम है कि जब कभी भी हमारी एकता को खण्डित करने का प्रयास किया गया, भारत का एक-एक नागरिक सजग होकर ऐसी असामाजिक शक्तियों के विरुद्ध खड़ा दिखाई दिया । रवीन्द्र नाथ ‘टैगोर’ ने कहा है- ”भारत की एकता तथा चेतना समय की कसौटी पर सही सिद्ध हुई है ।”

उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीयता के लिए भौगोलिक सीमाएँ, राजनीतिक चेतना और सांस्कृतिक एकबद्धता अनिवार्य होती हैं । यद्यपि प्राचीनकाल में हमारी भौगोलिक सीमाएँ इतनी व्यापक नहीं थी और यहाँ अनेक राज्य स्थापित थे तथापि हमारी संस्कृति और धार्मिक चेतना एक थी ।

कन्याकुमारी से हिमालय तक और असोम से सिन्ध तक भारत की संस्कृति और धर्म एक थे । यही एकात्मकता हमारी राष्ट्रीय एकता की नींव थी । भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में अपनी-अपनी अलग परम्परा, रीति-रिवाज व आस्थाएँ थी, किन्तु समूचा भारत एक सांस्कृतिक सूत्र में आबद्ध था ।

इसी को अनेकता में एकता एवं विविधता में एकता कहा जाता है और यही पूरी दुनिया में भारत की अलग पहचान स्थापित कर, इसके गौरव को बढाता है । हम जानते हैं कि राष्ट्र की आन्तरिक शान्ति तथा सुव्यवस्था और बाहरी दुश्मनों से रक्षा के लिए राष्ट्रीय एकता परम आवश्यक है ।

यदि हम भारतवासी किसी कारणवश छिन्न-भिन्न हो गए, तो हमारी पारस्परिक फूट को देखकर अन्य देश हमारी स्वतन्त्रता को हड़पने का प्रयास करेंगे । इस प्रकार, अपनी स्वतन्त्रता की रक्षा एवं राष्ट्र की उन्नति के लिए भी राष्ट्रीय एकता परम आवश्यक है ।

इतिहास के अध्ययन से हमें पता चलता है कि प्राचीनकाल में समूचा भारत एक ही सांस्कृतिक सूत्र में आबद्ध था, किन्तु आन्तरिक दुर्बलता के कारण विदेशी शक्तियों ने हम पर आधिपत्य स्थापित कर लिया । इन विदेशी शक्तियों ने हमारी सभ्यता और संस्कृति को नष्ट करना शुरू किया जिससे हमारी आस्थाओं एवं धार्मिक मूल्यों का धीरे-धीरे पतन होने लगा ।

राष्ट्रीय एकता परिषद के अधिवेशन में तत्कालीन प्रधानमन्त्री श्री मोरारजी देसाई ने कहा था- ”भारत में 1865 ई से पूर्व कभी साम्प्रदायिक दगे नहीं हुए । यहाँ सदियों से विभिन्न धर्मों के लोग मिल-जुलकर रहते आए है, किन्तु अंग्रेजों के शासनकाल में यहाँ हिन्दू-मुस्लिम दगे शुरू हो गए । यह अंग्रेजों की सोची-समझी कूटनीतिक चाल थी और इसका लाभ ब्रिटिश सरकार ने उठाया । कभी उन्होंने हिन्दुओं का समर्थन किया, तो कभी मुसलमानों का और कभी ईसाइयों का। अन्त में विभाजन हुआ । अगर हम इस विभाजन को न स्वीकारते, तो अंग्रेज अपने को बनाए रखते ।”

लगभग एक हजार वर्षों की परतन्त्रता के बाद अनेक संघर्षों व बलिदानों के फलस्वरूप हमें स्वाधीनता प्राप्त हुई । स्वतन्त्रता प्राप्त करने के बाद हमारी एकता सुदृढ़ तो हुई, परन्तु आज साम्प्रदायिकता, क्षेत्रीयता, जातीयता और भाषागत अनेकता ने पूरे देश को आक्रान्त कर रखा है ।

आज कभी देशवासी मन्दिर-मस्जिद को लेकर झगड़ पड़ते हैं, तो कभी अंग्रेजी-हिन्दी को लेकर, कभी असोम, महाराष्ट्र जैसे राज्यों से अन्य राज्यवासियों को भगाया जाता है, तो कभी एक ही धर्म के लोग जात-पाँत की बातों पर उलझ पडते हैं ।

देश में बाबरी मस्जिद गिराए जाने, गोधरा काण्ड, मुजफुफरनगर दगे जैसी स्थितियाँ फिर से न आएँ, इसके लिए साम्प्रदायिक विद्वेष, स्पर्द्धा, ईर्ष्या आदि राष्ट्र विरोधी भावनाओं को अपने मन से दूर रखकर सद्‌भावना का वातावरण कायम रखना आवश्यक है ।

तभी हम ‘डॉ. एस राधाकृष्णन’ की कही गई इस बात को सही साबित कर सकते हैं- ”भारत ही अकेला देश है, जहाँ मन्दिरों, गिरिजाघरों, मस्जिदों, गुरुद्वारों और मठों में शान्तिपूर्ण सह-अस्तित्व है ।”  आज देश की राष्ट्रीय एकता को सबसे बड़ा खतरा आतंकवाद से है । आतंकवाद न केवल हमारी, बल्कि सम्पूर्ण विश्व की समस्या है ।

आतंकवादियों द्वारा कभी मुम्बई को निशाना बनाया जाता है, तो कभी देश की राजधानी दिल्ली को । आज कश्मीर की समस्याएँ आतंकवाद की ही देन हैं ।  पिछले दो दशकों में इस आतंकवाद ने देश के कई राज्यों में अपार क्षति पहुँचाई है । इन सबके अतिरिक्त अलगाववादियों ने भी हमारी एकता को भंग करने का असफल प्रयास किया है ।

राष्ट्रीय एकता में बाधक अनेक शक्तियों में अलगाव की राजनीति भी एक है । यहाँ के राजनेता वोट बैंक बनाने के लिए कभी अल्पसंख्यकों में अलगाव के बीज बोते हैं, कभी आरक्षण के नाम पर पिछड़े वर्गों को देश की मुख्य धारा से अलग करते हैं, तो कभी किसी विशेष जाति, प्रान्त या भाषा के हिमायती बनकर देश की राष्ट्रीय एकता को खण्डित करने की कोशिश करते हैं ।

जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा हो, खालिस्तान की माँग हो, असोम या गोरखालैण्ड की पृथकता का आन्दोलन हो इन सबके पीछे वोटबैंक की राजनीति ही दिखाई पड़ती है । इस देश के हिन्दू, मुसलमान, सिख, ईसाई सभी परस्पर प्रेम से रहना चाहते हैं, लेकिन भ्रष्ट राजनेता उन्हें बाँटकर अपना उल्लू सीधा करने में जुटे रहते हैं ।

इन समस्याओं के समाधान का उत्तरदायित्व मात्र राजनेताओं अथवा प्रशासनिक अधिकारियों का ही नहीं है, इसके लिए तो सम्पूर्ण जनता को मिल-जुलकर प्रयास करना होगा । इतिहास साक्षी है कि अनेक धर्मों, अनेक जातियों और अनेक भाषाओं वाला यह देश अनेक विसंगतियों के बावजूद सदा एकता के एकसूत्र में बँधा रहा है । यहाँ अनेक जातियों का आगमन हुआ और बे धीरे-धीरे इसकी मूल धारा में विलीन हो गई ।

उनकी परम्पराएँ, विचारधाराएँ और संस्कृतियाँ इस देश के साथ एक रूप हो गई । भारत की यह विशेषता आज भी ज्यों-की-त्यों बनी हुई है । भारत के नागरिक होने के नाते हमारा कर्तव्य है कि हम इस भावना को नष्ट न होने दे वरन् इसको और अधिक पुष्ट बनाएँ ।

यदि हमारा देश संगठित है, तो विश्व पटल पर इसे बड़ी शक्ति बनने से कोई नहीं रोक सकता । हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि जो राष्ट्र संगठित होता है, उसे न कोई तोड़ सकता है और न ही कोई उसका कुछ बिगाड़ ही सकता है बह अपनी एकता एवं सामूहिक प्रयास के कारण सदा प्रगति के पथ पर अग्रसर रहता है ।

कई बार हमारे विरोधी, देश या पैसे के लिए सब कुछ बेच देने वाले कुछ स्वार्थी लोगों ने अराजकता एवं आतंकी कार्यों द्वारा हमारी एकता को भंग करने का असफल प्रयास किया है । अगर इन बिघटनकारी और विध्वंसकारी प्रवृत्तियों पर पूरी तरह से नियन्त्रण नहीं किया गया, तो भारत की एकता और अखण्डता पर खतरा बना ही रहेगा । जब देश में कोई भी दो राष्ट्रीय घटक आपस में संघर्ष करते हैं, तो उसका दुष्परिणाम भी पूरे देश को भुगतना पड़ता है ।

मामला आरक्षण का हो या अयोध्या के राम मन्दिर का, सबकी गूँज प्रदेश के जन-जीवन को प्रभावित करती है । ऐसे में देश के सभी नागरिकों का कर्तव्य बन जाता है कि वे राष्ट्रीय एकता को बनाए रखने हेतु तन, मन, धन से समर्पित रहें ।

आज आवश्यकता है हम सब देशवासियों को महात्मा गाँधी के इस कथन से प्रेरणा लेकर अपने कर्म पथ पर दृढ़प्रतिज्ञ होकर चलते हुए देश की एकता और अखण्डता को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए भारत माता की सेवा में तन-मन-धन से जुट जाने की – ”जब तक हम एकता के सूत्र में बँधे हैं, तब तक मजबूत हैं और जब तक खण्डित हैं, तब तक कमजोर है ।”

आज आवश्यकता है केन्द्रीय सरकार द्वारा राष्ट्रीय एकता परिषद को फिर से सक्रिय करने की, ताकि देशवासी आन्तरिक मतभेदों को भुलाकर आपस में प्रेम-भाईचारे के साथ रह सकें । सारे संचार माध्यमों को भी मिल-जुलकर राष्ट्रीय एकता को बढावा देने में सहयोग करना चाहिए, क्योंकि सिनेमा, टेलीविज़न, अखबार व पत्र-पत्रिकाओं के माध्यम से लोगों में राष्ट्रीय एकता की भावना का संचार प्रभावपूर्ण ढंग से किया जा सकता है ।

लेखकों व कलाकारों का भी दायित्व बनता है कि वे अपनी रचनाओं व कला के माध्यम से लोगों में राष्ट्रीय एकता की भावना जागृत करें, क्योंकि साहित्य व कला का संसार जाति, धर्म, भाषा और क्षेत्र के बन्धनों से परे होता है । राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने के लिए असमानता लाने वाले कानूनों को खत्म किया जाना भी अति आवश्यक है ।

शैक्षिक संस्थानों को भी इस कार्य में बढ़-चढ़कर योगदान देना होगा । पूर्व प्रधानमन्त्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी की कविता की इन पंक्तियों को पढ़कर अपनी राष्ट्रीय एकता को सर्वदा अक्षुण्ण रखने का संकल्प लें-

‘बाधाएँ आती हैं आएँ

घिरें प्रलय की घोर घटाएँ

पाँवों के नीचे अंगारे

सिर पर बरसें यदि ज्वालाएँ

निज हाथों में हँसते-हँसते

आग लगाकर जलना होगा

कदम मिलाकर चलना होगा ।”

Related Articles:

  • एकता और अनुशासन पर निबंध | Essay on Unity and Discipline in Hindi
  • भारत में राष्ट्रीय एकता खतरे में (निबन्ध) |Essay on National Integration is in Danger in India in Hindi
  • हमारा राष्ट्रीय ध्वज पर निबंध | Essay on Our National Flag in Hindi
  • भारत के राष्ट्रीय पर्व पर निबंध | Essay on India ‘s National Festivals in Hindi
  • Hindi Kahani
  • Privacy Policy

AchhiAdvice

AchhiAdvice.Com

The Best Blogging Website for Help, General Knowledge, Thoughts, Inpsire Thinking, Important Information & Motivational Ideas To Change Yourself

भारतीय राष्ट्रीय एकता दिवस पर बेहतरीन निबंध

Rashtriya ekta diwas essay in hindi, राष्ट्रीय एकता दिवस पर निबंध.

हमारे देश भारत की पहचान अनेकता में एकता है शायद यही कारण है की पूरे विश्व में भारत ही एकमात्र ऐसा देश है जहा पर विभिन्न धर्म, संप्रदाय, जाति के लोग आपसी प्यार और सदभावना के साथ एक दुसरे का सम्मान करते हुए रहते है और सभी अपने धर्मो का पालन करते हुए देश अखंडता को बनाये रखे हुए है यही भारत देश की सबसे बड़ी ताकत अनेकता में भी एकता है.

तो चलिए इस राष्ट्रीय एकता के पर्व पर राष्ट्रीय एकता निबन्ध – Rashtriya Ekta Diwas Essay In Hindi और National Unity Day के महत्व को जानते है.

राष्ट्रीय एकता दिवस पर निबन्ध 

31 october rashtriya ekta diwas essay in hindi.

आजादी में अग्रणी भूमिका निभाने वाले लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल के जन्मदिवस को सर्वप्रथम 2014 में भारत के केन्द्रीय सरकार द्वारा इस दिन को “ राष्ट्रीय एकता दिवस ” के रूप में मनाने का फैसला किया गया और इस दिन सभी लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल के कार्यो को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते है.

Table of Contents :-

राष्ट्रीय एकता दिवस पर भाषण

National unity day speech in hindi.

किसी भी देश की ताकत सभी भारतीय आपस उस देश की एकता में निहित होती है और यदि देश बड़ा और विभिन्न धर्म, भाषा के लोग रहने वाले हो तो उन्हें एकता की डोर में बाधकर रखना मुश्किल होता है लेकिन हमारे देश भारत की सबसे बड़ी यही खूबसूरती है की इतने धर्म, संप्रदाय, जाति के बावजूद आपस में मिलजुलकर रहते है और देश के एकता को बनाये रखे हुए है.

हमारे देश भारत को आजादी मिलने के पश्चात हमारे देश में अनेक 500 से अधिक देशी रियासते थी जो की सबको आपस में मिलकर एक देश का गठन करना बहुत ही मुश्किल था, सभी रियासते अपनी सुविधानुसार अपना शासन चाहते थे लेकिन लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल के सुझबुझ और इन रियासतों के प्रति अपनी स्पष्ट नीति के चलते इन्हें भारत देश में एकीकरण किया गया और इस प्रकार 3 देशी रियासते जूनागढ़, कश्मीर और हैदराबाद भारत में मिलने से मना कर दी जिसके पश्चात भारी विरोध के बाद जूनागढ़ का नवाब हिंदुस्तान छोडकर भाग गया,

जिसके पश्चात जूनागढ़ भारत में मिल गया और कश्मीर के राजा हरीसिंह ने अपनी राज्य की सुरक्षा को आश्वासन लेकर कश्मीर को भी भारत में मिला दिया और अंत में हैदराबाद के निजाम ने जब भारत में मिलने से मना किया तो लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल ने तुरंत वहा सेना भेजकर निजाम को भी आत्मसमर्पण के लिए मजबूर कर दिया जिसके पश्चात हमारे भारत देश का नवनिर्मित गठन हुआ जिसे संघ राज्यों का देश भी कहा जाता है और इस प्रकार अनेक होते हुए भ एक भारत का निर्माण हुआ.

राष्ट्रीय एकता दिवस का महत्व

Rashtriya ekta diwas ka mahatva.

कोई भी देश तभी तक सुरक्षित रहता है जबतक की उस देश की जनता और शासन में आपसी एकता और अखंडता निहित होती है हमारे देश की इसी आपसी एकता की कमी का फायदा उठाते हुए अंग्रेजो ने भारत में फूट डालो और राज करो की नीति पर हमारे देश में 200 से अधिक वर्षो तक राज किया, हमारी इस गुलामी के कई कारण थे जैसे भारत के सभी राज्यों, रियासतों में आपसी कोई तालमेल नही था सभी रियासतों के राजा सिर्फ अपनी अपनी देखते थे,

अगर कोई बाहरी शत्रु आक्रमण करे तो कोई भी एक दुसरे का साथ नही देने आता था यही अनेक कारण थे जिसके कारण हमारा देश इसी एकता के अभाव में विकास के राह से भटक गया और जो भी आया सिर्फ यहाँ लुटा और चला गया.

अब चूकी हमारा देश आजाद है इसका मतलब यह नही है की हमारे देश पर कोई बुरी नजर नही डाल सकता है हम सभी को अपने देश अंदर उन आसामाजिक तत्वों से खुद को बचा के रखना है जो हमे आपस में बाटने को कोशिश करते है और साथ में देश के बाहरी दुश्मनों से भी चौक्कना रहना है तभी हमारा भारत भारत एक अखंड भारत बन सकेगा.

दिवाली पर निबंध

ऐसे में अब हमे अपनी आजादी मिलने के बाद हम सबकी यही जिम्मेदारी बनती है की जब भी देश की एकता की बात आये तो सभी भारतीयों को अपने धर्म जाति से उठकर सोचने की आवश्यकता है और एक सच्चे भारतीय भारतीय की तरफ कंधे से कंधा मिलाकर देश की अखंडता में अपनी अपनी भूमिका निभाना है.

वर्तमान समय में राष्ट्रीय एकता दिवस का महत्व

National unity day ka mahatva.

वर्तमान समय में हमारे देश भारत की अजीब स्थिति बनी हुई है पूरे देश में कही भी चले जाए तो लोग अपने आपको जाति, धर्म, सम्प्रदाय आदि के आधार पर खुद को परिभाषित करते है कही भी कोई सबसे पहले खुद को भारतीय नही कहते हुए पाया जाता है जो की एक सोचने वाली बात है हमे यह बात जानना चाहिए की सबसे पहले हम भारतीय है बाद में कुछ अन्य जबकि आज के समय में ठीक इसका उल्टा है.

जैसा की हमारे राष्ट्रगान में हमारी एकता का उल्लेख है –

जन-गण-मन-अधिनायक जय हे

 भारतभाग्यविधाता!

पंजाब सिन्धु गुजरात मराठा 

द्राविड़ उत्कल बंग विंध्य हिमाचल जमुना गंगा 

उच्छलजलधितरंग तव शुभ नामे जागे,

तव शुभ आशिष मागे गाहे तव जयगाथा

जन-गण-मंगलदायक जय हे 

भारतभाग्यविधाता

अर्थात जन गण मन के उस अधिनायक की जय हो जिसने भारत का निर्माण किया है जो भारत का भाग्य विधाता है जिसका नाम सुनते ही पंजाब, सिन्धु, गुजरात, मराठा, द्रविड़ उत्कल बंगाल,विन्ध्य, हिमाचल, यमुना गंगा, यहाँ तक की हिन्द महासागर तक के बसने वाले लोगो में उत्साह की तरंगे उठने लगती है तेरे नाम से जाग उठते है और तेरी जय हो ऐसी हमेसा अभिलाषा रखते है.

ऐसे में अब हम सभी का यही फर्ज बनता है की हम सभी अपने सविंधान के प्रति आदर का भाव रखते हुए अपने अपने देश में कानून, शासन का सही ढंग से पालन करे और जो हमे धर्म सम्प्रदाय आदि के आधार पर बाटने की कोशिश करे उनसे दूर रहकर देश की अखंडता में अपना योगदान दे तभी हम सभी राष्ट्रीय एकता दिवस का महत्व को सही ढंग से अपने देश में लागू कर सकते है.

राष्ट्रीय एकता दिवस कैसा मनाया जाता है

National unity day kaise manaya jata hai.

राष्ट्रीय एकता दिवस हमारी राष्ट्रीय एकता के प्रतिक का त्योहार है इस दिन सभी नागरिको को राष्ट्रीय एकता का महत्व बतलाने के लिए विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये जाते है इस दिन सरदार वल्लभभाई पटेल के मूर्ति पर माल्यार्पण करके उनके जन्मदिवस को मनाया जाता है तथा सभी भारतीय को यह शपथ भी दिलाया जाता है की वे भारत की अखंडता को हमेसा बनाये रखेगे.

Essay on Deepawali in Hindi

राष्ट्रीय एकता दिवस के दिन दिल्ली से लेकर देश विभिन्न शहरो में मैराथन दौड़ यानि Run For Unity (एकता की दौड़) का आयोजन किया जाता है जिसमे विभिन्न धर्म, जाति, सम्प्रदाय सभी तरह के लोग भाग लेते है जिसके माध्यम से देश के नागरिको को एकता का संदेश देने का प्रयास किया जाता है इसके अलावा नाटक, नुक्कड़ मंच आदि के द्वारा भी हमारी एकता की शक्ति को हमे अहसास कराया जाता है.

राष्ट्रीय एकता के नारे

National unity day slogan in hindi.

Slogan 1 :- अनेकता में एकता, यही हमारे भारत की विशेषता.

Slogan 2 :- भिन्न भाषा भिन्न वेश, फिर भी भारत हमारा एक देश.

Slogan 3 :- जाति पाती के नाता तोड़ो, भारत को एकता की ताकत से जोड़ो.

Slogan 4 :- हम एक है, एक रहेगे, यही है हमारा नारा.

Slogan 5 :- हिदू मुस्लिम सिख ईसाई, आपस में है हम सब भाई भाई.

तो आप सबको राष्ट्रीय एकता दिवस पर विशेष निबन्ध, आवश्यकता और महत्व Rashtriya Ekta Diwas पर लिखा गया पोस्ट कैसा लगा प्लीज हमे जरुर बताये और दुसरो को शेयर करना न भूले.

Bahuat Accha hai aur bahuat kaam Ka hai

LEAVE A RESPONSE Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

इन्हे भी पढे: -

Govardhan Puja

गोवर्धन पूजा स्टेटस और हार्दिक शुभकामनाएं

15 August status

15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस पर अच्छे सन्देश और विचार

26 January Republic Day

26 जनवरी गणतंत्र दिवस पर निबंध

Rose day Status

प्रेमी प्रेमिका को गुलाब देने वाले दिन रोज डे पर स्टेटस

Promoted web links.

For Guest Post Contact US: [email protected]

For Ads Contact US : [email protected]

Reddit पर फालों करे – AchhiAdvice on Reddit

Recent Posts

  • बीएससी मे टॉप करने के एक्कीस बेहतरीन तरीके जो आपके बना सकते है टापर
  • पेपर मे टॉप करने के पच्चीस बेहतरीन तरीके
  • स्कूल मे टॉप करने के बीस बेहतरीन तरीके जो बना दे आपको टापर
  • परीक्षा मे टॉप कैसे करे तेईस बेहतरीन तरीके और सरल उपाय
  • क्लास 12 मे टॉप करने के चौबीस बेहतरीन तरीके जो बोर्ड की परीक्षा मे बनाए आपको टापर
  • कक्षा 10 मे टॉपर बनने के छबीस बेहतरीन तरीके जिनसे करे बोर्ड परीक्षा मे टॉप
  • कालेज मे टॉप करने के बाईस बेहतरीन तरीके जो बना दे आपको कालेज टापर
  • कक्षा मे टॉप करने के सताईस बेहतरीन तरीके जो सबसे ज्यादा अंक लाने मे करे मदद
  • बोर्ड की परीक्षा मे टॉप कैसे करे जाने तीस बेहतरीन तरीके
  • यूपीएससी की तैयारी कैसे करे पूरी जानकारी के साथ बेहतरीन तरीके
  • Anmol Vachan
  • Anmol Vichar
  • Health Tips
  • Hindi Essay
  • Hindi Quotes
  • Hindi Slogan
  • Hindi Stories
  • Hindi Story
  • Hindi Thoughts
  • Information
  • Interesting facts
  • Moral Story
  • Motivational Hindi Stories
  • Personal Development
  • Social Work
  • Study Teaching Material
  • Tips in Hindi
  • Wishes Massage
  • अनमोल विचार
  • हिन्दी कविता
  • हिन्दी कहानी
  • हिन्दी निबन्ध

essay writing on rashtriya ekta diwas in hindi

Rashtriya Ekta Essay in Hindi- राष्ट्रीय एकता पर निबंध

In this article, we are providing Rashtriya Ekta Essay in Hindi/ National Unity Essay राष्ट्रीय एकता पर निबंध

Rashtriya Ekta Essay in Hindi- राष्ट्रीय एकता पर निबंध

किसी उद्देश्य की प्राप्ति के लिए बहुत-से लोगों का मिलकर कार्य करना संगठन कहलाता है। संगठन ही सभी शक्तियों की जड़ है। एकता के बल पर ही अनेक राष्ट्रों का निर्माण हुआ है, एकता एक महान् शक्ति है। एकता के बल पर ही छोटे-से-छोटा। व्यक्ति भी अपना कार्य पूर्ण कर लेता है। जिस परिवार में एकता होती है, वहाँ सदा सुख-समृद्धि एवं शांति रहती है। एकता के बल पर बलवान शत्रु को भी पराजित किया जा सकता है। छोटे-छोटे जीव-जंतु भी संगठन के बल पर अपने सभी कार्य पूर्ण कर लेते हैं। मधुमक्खियाँ एकत्रित होकर एक बहुत बड़े रस के पिंड का निर्माण कर लेती हैं।

अल्पानामापि वस्तूनाम संहाति कार्यसाधिका।

| तृणें गुणत्वमान्नैः वध्यन्ते मत्त हस्तिनः।।

अर्थात् छोटी-छोटी वस्तुओं का समूह भी कार्य को सिद्ध करने में समर्थ होता है। जैसे छोटे-छोटे तृण रस्सी के रूप में परिणित हो जाते हैं तो उससे मतवाले हाथी भी बाँधे जा सकते हैं। एकता वह शक्ति है, जिसके बिना कोई भी देश, समाज तथा संप्रदाय उन्नति नहीं कर सकता। एकता के अभाव के कारण ही हम लोग सैकड़ों वर्ष अंग्रेज़ों के गुलाम रहे। हमारी कमजोरी का फायदा उठाते हुए उन्होंने मनमाने अत्याचार किए, भारत की संस्कृति पर कुठाराघात किए। उन लोगों ने हमारी मान-मर्यादाएँ लूटीं और हम परतंत्रता की बेड़ियों में इस प्रकार जकड़ गए कि उनसे मुक्ति की कल्पना ही संदिग्ध प्रतीत होने लगी।

स्वतंत्रता-प्राप्ति के बाद से ही भारत में अनेक समस्याएँ उत्पन्न होती रही हैं। इनमें सांप्रदायिक समस्या प्रमुख है। हमारे देश का विभाजन भी इसी समस्या के आधार पर हुआ। कुछ स्वार्थी तत्त्वों ने देश में सांप्रदायिकता की आग फैला दी, जिससे हम आज तक मुक्त नहीं हो पाए हैं। हमें अपनी स्वतंत्रता की रक्षा के लिए और प्रगति के लिए राष्ट्रीय एकता पर विशेष ध्यान देना चाहिए। प्रत्येक वर्ग में एकता के बिना देश कदापि उन्नति नहीं कर सकता। वर्तमान देश में अनुशासन तथा आपसी सहयोग के वातावरण की अति आवश्यकता है।

कुछ वर्षों से हमारे देश में दूषित राजनीति से विषैला वातावरण बनता जा रहा है। धर्माधता के कारण लोग आपस में झगड़ रहे हैं। अपने-अपने स्वार्थों में लिप्त लोग आपसी प्रेम को भूल रहे हैं। स्वार्थ की भावनाओं, प्रांतीयता एवं भाषावाद के कारण राष्ट्रीय भावना प्रभावित हुई है। हमारे देश के लोगों में संकीर्णता की भावना पनप रही है और व्यापक दृष्टिकोण लुप्त होता जा रहा है। इसलिए विश्व-बंधुत्व की भावना अपने परिवार तक ही सीमित होकर रह गई है। अगर किसी ने प्रयास भी किया तो वह प्रदेश स्तर तक ही जाकर असफल हो गया। इसके परिणामस्वरूप सांप्रदायिक ताकतें मजबूत हो रही हैं। लोग एक-दूसरे के खून के प्यासे हो रहे हैं।

जम्मू-कश्मीर, असम आदि प्रदेशों में नर-संहार के किस्से सुनने को मिलते हैं। इन सबके लिए वे स्वार्थी नेता ज़िम्मेदार हैं, जो अपना उल्लू सीधा करने के लिए देश को दाँव पर लगा रहे हैं। अनेक विषमताओं के होते हुए भी जब हम राष्ट्रीय एकता के विषय में विचार करते हैं तो पता चलता है कि इस राष्ट्रीय एकता के कारण धार्मिक भावना, आध्यात्मिकता, समन्वय की भावना, दार्शनिक दृष्टिकोण, साहित्य, संगीत और नृत्य आदि अनेक ऐसे तत्त्व हैं, जो देश को एकता के सूत्र में बाँधे हुए हैं। बस सरकार  और जनता को एकजुट होकर प्रयास करना होगा। आज राष्ट्रीय एकता के लिए व्यक्तिगत और सार्वजनिक संपत्ति की सुरक्षा का प्रबंध करना आवश्यक है। शत्रुपक्ष पर कठोर दंडनीति लागू की जाए। पुलिस की गतिविधियों पर भी नियंत्रण रखा जाए। आज सभी संगठनों को मिलकर राष्ट्रीय एकता के लिए प्रयास करना चाहिए। हमारी स्वतंत्रता राष्ट्रीय एकता पर आधारित है। इसके अभाव में हमारी स्वतंत्रता भी असंभव है। अपनी स्वतंत्रता की रक्षा के लिए हमें भरपूर प्रयत्न करने चाहिएँ, एकजुट होकर राष्ट्रीय एकता । की रक्षा करनी चाहिए, जिससे हम और हमारे वंशज स्वतंत्रता की खुली हवा में साँस लेते रहें । यद्यपि विघटन की प्रवृत्ति हमें झकझोर देती है और राष्ट्रीय एकता को संकट-सा प्रतीत होने लगता है, परंतु देश की आत्मा बलपूर्वक एकरूपता को प्रकट कर देती है।

हर्ष की बात है कि आज हमारा देश राष्ट्रीय एकता के लिए राष्ट्र की आय का तीन प्रतिशत व्यय कर रहा है और हमारी भारत सरकार इसके लिए हर संभव प्रयास कर रही है। हम अपने देशवासियों से यह निवेदन कर रहे हैं कि वे अपने पूर्वजों के समान ही एकता के सूत्र में बँध जाएँ, क्योंकि सही अर्थ में देश की उन्नति ही आपकी अपनी उन्नति है।

Essay on National Flag in Hindi

ध्यान दें – प्रिय दर्शकों Rashtriya Ekta Essay in Hindi आपको अच्छा लगा तो जरूर शेयर करे ।

1 thought on “Rashtriya Ekta Essay in Hindi- राष्ट्रीय एकता पर निबंध”

' src=

Leave a Comment Cancel Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Home

  • Website Inauguration Function.
  • Vocational Placement Cell Inauguration
  • Media Coverage.
  • Certificate & Recommendations
  • Privacy Policy
  • Science Project Metric
  • Social Studies 8 Class
  • Computer Fundamentals
  • Introduction to C++
  • Programming Methodology
  • Programming in C++
  • Data structures
  • Boolean Algebra
  • Object Oriented Concepts
  • Database Management Systems
  • Open Source Software
  • Operating System
  • PHP Tutorials
  • Earth Science
  • Physical Science
  • Sets & Functions
  • Coordinate Geometry
  • Mathematical Reasoning
  • Statics and Probability
  • Accountancy
  • Business Studies
  • Political Science
  • English (Sr. Secondary)

Hindi (Sr. Secondary)

  • Punjab (Sr. Secondary)
  • Accountancy and Auditing
  • Air Conditioning and Refrigeration Technology
  • Automobile Technology
  • Electrical Technology
  • Electronics Technology
  • Hotel Management and Catering Technology
  • IT Application
  • Marketing and Salesmanship
  • Office Secretaryship
  • Stenography
  • Hindi Essays
  • English Essays

Letter Writing

  • Shorthand Dictation

Hindi Essay on “Rashtriya Ekta” , ” राष्ट्रीय एकता ” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

राष्ट्रीय एकता.

Best 4 Essay ” Rashtriya Ekta”

निबंध नंबर : 01 

एकता में बल है – हिंदी के कहानीकार सुदर्शन लिखते है – “ओस की बूंद से चिड़िया भी नहीं भीगती किंतु मेंह से हाथी भी भीग जाता है | मेंह बहुत कुछ कर सकता है |” शक्ति के लिए एकता आवश्यक है | विखराव या अलगाव शक्ति को कर करते है तथा ‘एकता’ उसे मज़बूत करती है |

                राष्ट्र के लिए ‘एकता’ आवश्यक – किसी भी राष्ट्र के लिए एकता का होना अत्यंत आवश्यक है | भारत जैसे विविधताओं भरे देश में तो राष्ट्रिय एकता ही सीमेंट का कम कर सकती है | पिछले कई वर्षो से पाकिस्तान भारत में हिन्दू-सिख या हिन्दू-मुसलमान का भेद खड़ा करके इसी सीमेंट को उखाड़ना चाह रहा है | अंग्रेजों ने हिन्दू और मुसलमान का भेद खड़ा करके भारत पर सैंकड़ो वर्ष तक राज किया | परंतु जब भारत की भोली जनता ने अपने भेद-भाव भुलाकर ‘भारतीयता’ का परिचय दिया, तो विश्वजयी अंग्रेजों को देख छोड़कर वापस जाना पड़ा |

       एकता के बाधक तत्व – भारत में धर्म, भाषा, प्रांत, रंग, रूप, खान-पान, रहन-सहन, आचार-विचार की इतनी विविधता है किइसमें राष्ट्रिय एकता होना कठिन काम है |कहीं प्रांतवाद के नाम पर कश्मीर, पंजाब, नागालैंड, गोरखालैंड आदि अलग होने की बात करते है | कहीं हिंदी और अहिंदी प्रदेश का झगड़ा है | कही उत्तर-दक्षिण का भेद है | कहीं मंदिर-मस्जिद का विवाद है |

       एकता तोड़ने के दोषी – राष्ट्रय एकता तोड़ने के वास्तविक दोषी हैं – राजनीतक नेता | वे अपने वोट-बैंक बनाने के लिए किसी को जाती के नाम पर तोड़तें है, किसी को धर्म, भाषा, प्रांत, पिछड़ा-अगड़ा, स्वर्ग-अव्रण के नाम पर |

       एकता के तत्व – भारत के लिए सबसे सुखद बात यह है कि यहाँ एकता बनाए रखने वाले तत्वों की कमी नहीं है | राम-कृष्ण के नाम पर जहाँ सारे हिन्दू एक हैं, मुहम्मद के नाम पर मुसलमान एक हैं ; वहाँ गाँधी, सुभाष के नाम पर पूरा हिंदुस्तान एक है | आज जब कश्मीर पर सकंट घिरता है तो केरलवासी भी व्यथित होता है | पहाड़ों में भूकंप आता है तो सुचना भारत उसकी सहायता करने को उमड़ पड़ता है | जब अमरनाथ-यात्रा में फँसे नागरिकों को मुसलमान बचाते हैं, दंगों के वक्त हिन्दू पडोसी मुसलमानों को शरण देते है |

       एकता दृढ़ करने के उपाए – राष्ट्रिय एकता को अधिक दृढ़ करने के उपाए यह है कि भेद्वाव पैदा करने वाले सभी कानूनों और नियमों को समाप्त किया जाय | सारे देश में एक ही कानून हो | अंतर्जातीय विवाहों को प्रोत्साहन दिया जाय | सरकारी नोक्रियों में अधिक-से-अधिक दुसरे प्रान्तों में स्थानांतरण हों ताकि समूचा देश सबका साझा बन सके | सब नजदीक से एक-दुसरे का दुःख-दर्द जन सकें | राष्ट्रीय एकता को प्रोत्साहन देने वाले लोंगो और कार्यों को आदर दिया जाये | कलाकारों और साहित्यकारों को एकता-वर्द्धक साहित्य लिखना चाहिए | इस पुनीत कार्य मैं समाचार-पत्र, दूरदर्शन, चलचित्र बहुत कुछ कर सकते हैं |

निबंध नंबर : 02 

राष्ट्रीय एकता का महत्व

प्रस्तावना – भारत में अनेक धर्मों, जातियों एवं भाषाओं के लोग निवास करते हैं। अनेकता में एकता भारत की मुख्य विशेषता है, परन्तु समय-समय पर इस देश की एकता को खण्डित करने के लिए विरोधियों द्वारा हरराम्भव प्रयास किये जाते रहे हैं।

एकता में जुट के कारण ही भारत को अंग्रेजों की गुलामी करनी पड़ी। उन्होंने देश की एकता को खण्डित कर देशवासियों पर हुकूमत की तथा उनको अपमानित कर उनके साथ दुव्यवहार किया। अंग्रेजों की नीति के कारण ही आजादी के बाद भारत दो भागों में विभाजित हो गया-एक हिन्दुस्तान दूसरा पाकिस्तान।

अंग्रेजों की फूट की नीति के कारण ही दोनों देश एक-दूसरे के दुश्मन बने। पर हमारी सरकार द्वारा एकता बनाये रखने के लिए हर सम्भव प्रयास किये जा रहे हैं। देश के सभी नागरिक अपने वतन की रक्षा के लिए मिलकर आगे बढ़ रहे हैं और शत्रुओं से देश की रक्षा करते हैं। वस्तुत: राष्ट्रीय एकता के ना तो कोई देश समृद्धिशाली बन सकता है ना ही विकास के पथ पर अग्रसर हो सकता है।

राष्ट्रीय एकता से अभिप्राय – राष्ट्रीय एकता से अभिप्राय देश में रहने वाले सभी धर्मों, जातियों एवं भाषाओं से सम्बन्धित लोगों का एक साथ मिल-जुल कर रहने से है। देश की एकता को बनाये रखने के लिए सरकार द्वारा यह कानून बनाया गया कि देश का कोई भी नागरिक कोई भी धर्म अपना सकता है, चाहे वह हिन्दू हो, मुसलमान हो, सिक्ख या ईसाई हो। कोई किसी भी धर्म की लड़की या लड़के से शादी कर सकता है। ऐसा धार्मिक स्वतन्त्रता के अधिकार में कहा गया है। अपने-अपने विश्वास से धर्म मानने की प्रत्येक को आज़ादी है |

इस प्रकार हमारे देश के लोगों के कर्मकाण्ड, रहन-सहन,  बोल-चाल, पूजा-पाठ्, खान-पान और वेशभूषा में अन्तर हो सकता है, इनमें अनेकता हो सकती है किन्तु हमारे की मुख्य विशेषता है। दूसरे धर्म और अन्तर्जातीय विवाह एकता के सूत्र में वांधे रहने का एक माध्यम है-मगर इसे स्वेच्छा के साथ ही अपनाया जा सकता है |

राष्ट्रीय एकता के मार्ग में बाधाए – राष्ट्रीय एकता के मार्ग में अनेक बाधाएं हैं। इनमें से कुछ इस प्रकार हैं-

(1) साम्ग्रदायिकता – राष्ट्रीय एकता के मार्ग में सबसे बड़ी बाधा साम्प्रदायिकता है। साम्प्रदायिकता ऐसी बुराई है जो मानव-मानव में फूट डालती है, भाइयों में मतभेद कुराती है, दो दोस्तों के बीच घृणा और भेद की दीवार खड़ी करती है तथा अन्त में समाज के टुकड़े कर देती है। साम्प्रदायिकता का अर्थ है अपने धर्म के प्रति कट्टरता और दूसरे धर्म के लोगों को हेय दृष्टि से देखना। अपने धर्म को मानने की आजादी तो प्रत्येक देशवासियों को है पर दूसरे धर्म से नफरत, साम्प्रदायिकता को जन्म देता है।

(2) भाषागत विवाद – भारत बहुभाषी राष्ट्र है। यहां अलग-अलग प्रांत और क्षेत्र में अलग-अलग भाषाएं बोली जाती हैं। प्रत्येक व्यक्ति अपने द्वारा बोली जाने वाली भाषा को ही श्रेष्ठ मानता है। इससे राष्ट्र की एकता खण्डित होने के खतरे बढ़ जाते हैं। प्रांतीय भाषाओं का उपयोग मौलिक अधिकार है, मगर दूसरी भाषा से विरोध दूसरे की मौलिक स्वतन्त्रता का ध्यान है। 

(3) प्रान्तीयता या प्रादेशिकता की भावना – प्रान्तीयता या प्रादेशिकता की भावना भी राष्ट्रीय एकता के मार्ग में बाधाएं उत्पन्न करती हैं। मानवीयता या प्रादेशिकता से आशय ऐसी स्थिति से है कि जव कोई प्रान्त या प्रदेश के बल पर अपने प्रान्त के विकास के बारे में ही सोचता है पर किसी दूसरे प्रदेश में अपने द्वारा उत्पाद की गयी वस्तुओं का निर्यात नहीं करता तो ऐसी दशा में देश की एकता खण्डित होने की सम्भावना बढ जाती है। क्योंकि समग्र भारत में अलग क्षेत्र में अलग-अलग चीजों, खनिजों वनस्पतियों का उत्पादन होता है। अपने प्रान्त के जुत्पादनों को केवल अपने प्रान्त के बीच ही सुरक्षित रखने का विचार प्रांतीय भाषावाद को जन्म देता है।

(4) जातिगत विवाद – जातिगत विवाद भी राष्ट्रीय एकता के मार्ग में बढ़ाएं उत्पन्न करता है| जातिगत विवाद की स्थिति तब उत्पन्न होती है जब किसी भी जाति से सम्बन्धित जैसे – ब्राह्मण, बनिया, क्षत्रिय, दलित तथा यादव आदि लोग अपनी जाति को ही श्रेष्ठ मानते हैं और इसके लिए वे एक-दुसरे से लड़ाई-झगडा करने लगते हैं | इस प्रकार भी राष्ट्रीय एकता डगमगा जाती जय |

राष्ट्रीय एकता के मार्ग की बाधाओं को दूर करने के उपाय –

1 सर्वप्रथम राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने के लिए हमें शयद इकबाल के दथान को समझना चाहिए जिन्होंने एकता के ऊपर एक सन्देश देशवासियों के लिए लिखा था, जो अग्र प्रकार है —

मजहब नहीं सिखाता , आपस में बैर रखना , हिन्दू हैं हमवतन हैं , हिन्दोस्ता हमारा। ”
  • साम्प्रदायिक एकता की भावना को समाप्तकरआपसी भाईचारे से रखना चाहिये।
  • ‘भाषाओं का सम्मान करना ताकि भाषागत विवाद खत्म किया जा सके। इसके लिए कि भाषा सूत्र का फार्मूला सरकार ने लागू कर रखा है। उस पर अमल किया जा
  • देश के सभी प्रदेशों को एक-दूसेक सहायता के लिए हर समय तेयार रहना चाहिए |
  • जातिवाद का उन्मूलन होना चाहिये ताकि राष्ट्रीय एकता बनी रहे। कोई भी देश हमारी एकता को सुरक्षित होते देख हम पर अपना प्रभुत्व स्थापित न कर सके। प्रगतिशील एवं विकासशील देश के नागरिक हैं। उसमें इतनी समझ होनी ही चाहिये कि अनेकता में एकता के सिद्धान्त को बनाये रखे। ।

उपसहार  – यदि सरकार इस विषय पर ध्यानपूर्वक विचार करे, तो नई-नई योजना बना सकती है तथा देश की जनता भी जागरुक होकर राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्यों को अच्छी तरह समझ सकती है। राष्ट्रीय एकता को प्रभावित करने वाले कारकों को ऐसी कोई भी ताकत यहां तक कि आतंकवादी या विरोधी संगठन में इतनी क्षमता नहीं कि वह हमारी एकता को खण्डित कर सके। हम जितना ही एक ही सूत्र में बंधे रहेंगे-देश – उतनी ही ज्यादा तरक्की करेगा।

निबंध नंबर : 03

राष्टीय एकता : आवश्यकता और महत्त्व

Rashtriya Ekta : Avashyakta aur Mahatva

राष्ट्र चाहे भारत हो या कोई या कोई अन्य, उसकी सार्वभौम सत्ता और स्वतंत्रता को बनाए के सभी स्तरों, वगो के निवासियों में संघठन एवं एकता का होना बहुत ही आवश्यक हुआ करता है। फिर भारत जैसे देश, जिसमें प्राकृतिक-भौगोलिक विविधता है ही, भाषाएं और बोलियाँ भी अनेक बोली, पढी जाती हैं। इतना ही नहीं, भारत में अनेक जातियों और धर्मो को मानने वाले लोग निवास कर रहे हैं। सभी के अपने-अपने पूजा स्थल हैं और विश्वास हैं। यहाँ तक कि भारत में रीति-रिवाजों, परम्पराओ, रहन-सहन, खान-पान आदि में भी विविधता एवं अनेकता देखने को मिलती है। ऐसी विविधता एवं अनेकता में देश को जो बात एक शक्तिशाली और महत्त्वपूर्ण बनाए रख सकती है; वह मान्य राष्ट्रीय एकता की उदात एवं महत्त्वपूर्ण भावना और व्यवहार भी तदानुकूल ही हो सकती है।

संसार का छोटा-बड़ा प्रत्येक व्यक्ति जानता है कि अकेले रह कर, अपनी ढाई चावल की खिचड़ी अलग पका कर न तो कोई रह सकता है और न ही कुछ कर ही सकता है। कहावत भी है कि अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता। समाज, देश और राष्ट्र का अवधारणा का मूल आधार ही उपर्युक्त स्वीकृत तथ्य तो है ही सामूहिकता का, समानता का भाव भी है। अकेलेपन का अवसाद मिटाने की इच्छा भी है। अकेले व्यक्ति, समाज, देश या राष्ट्र को कोई भी प्रबल देखते-ही-देखते तहस-नहस कर सकता है। इन सब सत्ता तक को मिटा सकता है। अपनी रक्षा के लिए ही पशु-पक्षी तक भी टोलियाँ बना कर चला करते हैं। फिर सब तरह से बुद्धिमान, सोच-समझ पाने में समर्थ प्राणी का तो कहना ही क्या। वह तो कभी कतई अकेला रहा है, न रह ही सकता है।

यदि समाज अन्य सभी व्यक्ति या प्राणी एक समान ही आस्था और विश्वास रखने वाले होते हैं, तब तो एकता भंग होने की आशंका प्रायः नहीं ही हुआ करती। लेकिन वह कहावत है न कि जहां बहुत सारे झंडे हों वे कभी-न -कभी टकरा ही जाया करते हैं। सो जब किसी एक आसमान की छाया में धरती के एक ही देश एव राष्ट्र नामक टुकड़े पर भिन्न जातियों, धर्मों, आस्थाओं और विश्वासों वाले लोगों का वास हो, तब कभी-न-कभी टकराहट स्वभावतः हो ही सकती है। लकिन उसका कुछ दुष्परिणाम नहीं हो सकता कि लोग यह सोच और मानकर टकराहट का कारण दूर करने का प्रयास करें, कि घर-परिवार में रहने वालों में भी तो कभी कभार टकराव हो ही जाया करता है। ऐसा व्यावहारिक रूप से सोच एवं कर के ही राष्ट्रीय एकता के हमेशा जीवित बनाए रखा जा सकता है।

राष्ट्रीय एकता के लिए सबसे बड़ा खतरा उन लोगों से हुआ करता या ऐसे लोगों द्वारा पैदा कर दिया जाता है कि जो रहते और खाते तो किसी देश में हैं, पर नज़र किसी अन्य देश में रखा करते हैं। इसी प्रकार वे लोग भी राष्ट्रीयत्ता के लिए खतरा हुआ करते हैं कि जो मात्र अपने विश्वास, धारणा, धर्म और जाति को दूसरों से श्रेष्ठ मान कर उनके विरुद्ध घृणा कर प्रचार-प्रसार किया करते हैं। ऐसे कट्टरतावादी कठमुल्ले निश्चय ही किसी राष्ट्रीयता के प्रत्यक्ष और घोर शत्रु हुआ करते हैं। जो राष्ट्रीय सरकार अपने-आपको राष्ट्रीय कह कर भी ऐसे देशद्रोहियों का सिर कुचलने में हिचकती या समर्थ नहीं हो पाती, नैतिक दृष्टि से ऐसी सरकार का बने रहने का अधिकार नहीं रह जाता। वह इसलिए कि उसके बने रहने से सामुदायिक अराजकता को बढ़ावा मिलना स्वाभाविक हो जाया करता है। जैसा कि आरम्भ से ही देश पर शासन कर रही इस दृष्टि से निरी आदर्शवादी और दुर्बल सरकार के कारण हुआ है। साम्प्रदायिकता का संवैधानिक स्तर या पर तो बढ़ावा दिया ही गया है, वोट पाने और कुर्सी पाने के लिए भी यही किया गया । है। उत्तर-प्रदेश, बिहार आदि में आज भी ऐसा ही किया जा रहा है। यही कारण है कि आज राष्ट्रीयता दाव पर लग चुकी है।

राष्ट्रीयता के नष्ट होने का खतरा तब भी पैदा हो जाया करता है जब देश के मूल और बहुसंख्या में निवास करने वालों के प्रति वोट और सत्ता पाने के निहित स्वार्थों कारणों से उपेक्षा और अनादर के बीज बोए जाने लगते हैं। उनके प्रत्येक अच्छे कार्य और कर्म को भी संकुचित नजरों से देख विरोध शुरू कर दिया जाता है, जैसा कि आज इस देश में व्यापक स्तर पर कभी कांग्रेसवाद, कभी गैर-कांग्रेसवाद और कभी गैर भारतीय जनता पार्टीवाद पर हो रहा एवं अक्सर होता रहता है। इसी प्रकार जब राजनितिज्ञों का संरक्षण पा कर तरह-तरह के दुश्चरित्र माफियों गिरोह, अराजक तत्त्व राजनीति में घुसपैट कर जाया करते हैं और सरकार तथा प्रशासन सब-कुछ देखते सुनते हुए भी उन मक्खियों को चुपचाप निगलने को बाध्य हो जाया करते हैं, तब भी राष्ट्रीयता एकता को नष्ट करने का भरपूर प्रयास किया जाता है। जैसा कि पंजाब में किया गया. महाराष्ट्र में हुआ और काश्मीर में अभी भी हो रहा है। उत्तर-पूर्वी सीमा-प्रदेशों में अन्यारा भी इस प्रकार की राष्ट्रीय एकता को पलीता लगाने वाली कई शक्तियाँ सक्रिय हैं।

इन यथार्थ तथ्यों के आलोक में आम जन, नेतृ वर्ग और सरकार सभी का यह परम और पहला दायित्व हो जाता है कि ऐसे राष्ट्र-एकता भंजक तत्त्वों के समूल नाश में एक हो कर काम करें। सरकार का कर्तव्य सर्वाधिक बढ़ जाता है कि वह आदर्श-भावुकता। त्याग और सम्पूर्णतः यथार्थवादी बन कर इस प्रकार के तत्त्वों के विरुद्ध कठोर कदम उठाए।। समी राष्ट्रीय एकता बनी रह सकती है, जिसका बना रहना हर दृष्टि से बहुत ही ज़रूरी है।

निबंध नंबर : 04

Rashtriya Ekta

प्रत्येक राष्ट्र के विकास के लिए उसके मूल में एकता का भाव विद्यमान रहना अनिवार्य है । राष्टीय एकता से प्रभावित होकर व्यक्ति अपने तन-मन तथा धन को राष्ट्रीय एकता के हेत समर्पित कर देता है । इसके अभाव में राष्ट्र का विकास असम्भव है ।

भारत में अनेकता में एकता का देवता निवास करता है। यहां विविध धर्म विविध भाषायें बोलियां जातियां.प्रदेश.आदि अनेक विभिन्नताएं दृष्टिगोचर होती हैं। यहां के निवासी चाहे वे उत्तर के हों या दक्षिण के, पूर्व के हों या पश्चिम के. एक समान भावना से नहीं रहे है। राष्ट्र के आवश्यक तत्व निम्न प्रकार है-

  • राष्ट्र का प्रथम आवश्यक तत्व है भूमि । इसके अभाव में राष्ट्र सम्भव नहीं है।‘
  • राष्ट्र की भूमि पर निवास करने वाले मनुष्य राष्ट्र का दूसरा अंग हैं। पृथ्वी और उसके निवासियों के सम्मेलन से राष्ट्र का स्वरूप बनता है ।
  • राष्ट्र के स्वरूप निर्माण में तीसरा अंग संस्कृति है । जब तक संस्कृति का विकास नहीं होता, राष्ट्र का वास्तविक विकास नहीं हो सकता ।
  • सांस्कृतिक विकास के लिये सहयोग और समन्वय की भावना परम आवश्यक है ।

राष्ट्रीय एकता का अभिप्रायः है सम्पूर्ण भारत की आर्थिक, राजनीतिक, सामाजिक और वैचारिक एकता । हमारे कर्मकाण्ड,पूजा-पाठ,खाने-पीने,रहन-सहन और वेश-भूषा में अन्तर हो सकता है । इस प्रकार अनेकता में एकता भी भारत की प्रमुख विशेषता है। तरसा करते हैं । परन्तु अब वह चंचलता कहां, वह थिरकन कहां। कितना सरस और सुहावना है विद्यार्थी जीवन।

इतिहास साक्षी है कि भारत के नागरिकों ने सर्वदा अपने देश के लिए एकता और बलिदान की भावना का परिचय दिया है । समय-समय पर ऐसे दूषित तत्व अपना प्रभुत्व स्थापित करते रहे हैं जिन से हमारी भावनाएं बिखर गई । गुलामी एवं अंग्रेज़ों की डाली गई ‘फूट’ के शिकार होकर हम एक दूसरे से पृथक हो गये। अलग-अलग राष्ट्र की ज़हरीली गैस फैल रही है और एक सम्प्रदाय दूसरे सम्प्रदाय के प्राणों का प्यासा बना हुआ है । भारतीय एकता को खण्डित करने वाले अनेक दूषित तत्व निम्न प्रकार के है :

प्रान्तीयता : यह हमारे राष्ट्र की एकता की प्रबल शत्र है । पंजाब की धरती एवं स्वस्थ स्त्री पुरुषों की बात कहकर पंजाबी स्वयं को सर्वश्रेष्ठ मानते हैं । राजस्थान का आदमी स्वयं को परिश्रमी जीवन का प्रतीक समझता है । दक्षिण भारत के लोग हिन्दी को उत्तर भारत की भाषा कहकर पुकारते हैं और अपने पर इस भाषा की थोपने की बात करते हैं । इस प्रकार प्रान्तीयता की भावना राष्ट्रीय एकता के मार्ग में बाधा उत्पन्न करती है। हमें भलना नहीं चाहिए कि राष्ट्र भाषा एक सम्पूर्ण इकाई है।

सम्प्रदायवाद : हमारा देश विभिन्न धर्मों का देश है । धर्म का उद्देश्य आत्मिक विकास करना है । परन्तु धर्म के कथित ठेकेदारी के पाखण्ड एवं अज्ञान के कारण एक सम्प्रदाय दूसरे सम्प्रदाय के अनुयायियों को घृणा की दृष्टि से देखने लगता है । एक सम्प्रदाय के लोग दूसरे के प्राणों के शत्रु बन जाते है । इस प्रकार साम्प्रदायिकता का विष राष्ट्र की एकता की छिन्न-भिन्न कर देता है । साम्प्रदायिकता की भावना एक ऐसी बुराई है जो मानव-मानव में फूट डालती है । दो दोस्तों के बीच घृणा और भेद की दीवार खड़ी करती है । यह घनिष्ठतम सम्बन्धों को तोड़ सकती है । भाई को भाई से अलग करती है और अन्त में समाज के टुकड़े कर देती है । दुर्भाग्य से इस रोग को समाप्त करने का जितना अधिक प्रयास किया गया है यह उतना ही बढ़ता गया ।

बाहरी शक्तियां : हमारे देश की सीमा से लगे कुछ देशों का स्वार्थ इसी में है कि हमारे देश में अस्थिरता बनाए रखें । इसी कारण वे देश में लगातार तनाव बनाए रखने में मदद करते हैं। इसके लिए वे सर्वदा सीमा से लगे नगरों में दंगे कराते हैं ।

विभिन्न आन्दोलन : हमारे देश की एकता को आन्दोलनों ने भी गंम्भीर हानि पहुंचाई है। भारत आन्दोलनों का देश बन गया है । यहां चरित्र, ईमानदारी, अनुशासन और योग्यता के आधार पर श्रेष्ठ नागरिक के स्थान पर खोखले नारे लगाये जाते हैं । इनसे देश का निर्माण नहीं होता अपितु वह पतन की ओर उन्मुख होता है ।

विभिन्न आन्दोलन : जातीयता ने भारत की अखण्डता पर आघात किया है । हमारा समाज धार्मिक सम्प्रदायी एवं प्रान्तीय भाषाओं के आधार पर विभक्त है । एक प्रान्त के एक सम्प्रदाय के लोग अनेक जातियों में बंटे हुए है । एक जाति का व्यक्ति दूसरी जाति के व्यक्ति को नीचा दिखाना चाहता है । चुनावों में जातिवाद का प्रचार प्रचण्ड रूप से होता है ।

भाषागत विवाद : भारत बहुभाषी राष्ट्र है। यहां 27 विभिन्न प्रान्तों तथा संघीय क्षेत्रों की अलग-अलग बोलियां और भाषाएं है । वे परस्पर विभक्त हैं। प्रत्येक व्यक्ति अपनी भाषा को श्रेष्ठ और उसके साहित्य को महानतम् मानता है । इस आधार पर भाषागत विवाद खड़े हो जाते हैं तथा राष्ट्र की अखण्डता भंग होने के खतरे बढ़ जाते हैं । यदि व्यक्ति मातृभाषा के मोह के कारण दूसरी भाषा का अपमान करता है, उसकी अवहेलना करता है तो वह राष्ट्रीय एकता पर प्रहार करता है। हमारा कर्तव्य है कि हम अपनी मातृभाषा को सीखने के बाद संविधान में स्वीकृत अन्य प्रादेशिक भाषाओं को भी सीखें तथा राष्ट्रीय एकता के निर्माण में सहयोग प्रदान करें।

राष्ट्रीय एकता की अनिवार्यता तथा उसके समक्ष सम्भावित खतरों को दृष्टिगत रखते हुए साहित्यकार, विचारक, दार्शनिक, समाज-सुधारक अपनी-अपनी सीमाओं में निरन्तर इस बात के लिए प्रयत्नशील है कि देश में भाईचारे और सद्भावना का वातावरण बने। वर्तमान समय में व्याप्त अलगाव की भावनाएं समाप्त हों। परन्तु इस प्रयास में सफलता दृष्टिगोचर नहीं हो पा रही है । इस आग में कभी पंजाब सुलग उठता है, कभी महाराष्ट्र, कभी गुजरात, तो कभी उत्तरप्रदेश। किसी भी राष्ट्र में इन अप्रिय घटनाओं की पुनरावृत्ति इस बात का संकेत देती है कि हम टकराव और बिखराव उत्पन्न करने वाले तत्वों को रोक नहीं पा रहे है । यह स्मरण रखना चाहिए कि इसका समाधान हमारा सांझा कार्य है। इन समस्याओं का समाधान केवल राष्ट्र के नेताओं अथवा प्रशासनिक अधिकारियों के स्तर पर नहीं हो सकता। इसके लिए हम सबको परस्पर मिलजुल कर प्रयास करना होगा। जनता को राष्ट्रीय एकता की स्थापना में अहम भूमिका निभानी चाहिए ।

About evirtualguru_ajaygour

essay writing on rashtriya ekta diwas in hindi

commentscomments

' src=

I am interested

' src=

A very good and light essay..

' src=

Simple and sweet essay

' src=

Good essay .

Awesome essay.

' src=

Awesome essay

' src=

Excellent essay.

' src=

Excellent essay

' src=

Outstanding essay

' src=

Bhaut mast h

' src=

Interesting n excellent essay

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Quick Links

essay writing on rashtriya ekta diwas in hindi

Popular Tags

Visitors question & answer.

  • Md shoaib sarker on Short Story ” The Lion and The Mouse” Complete Story for Class 10, Class 12 and other classes.
  • Bhavika on Essay on “A Model Village” Complete Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.
  • slide on 10 Comprehension Passages Practice examples with Question and Answers for Class 9, 10, 12 and Bachelors Classes
  • अभिषेक राय on Hindi Essay on “Yadi mein Shikshak Hota” , ”यदि मैं शिक्षक होता” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

Download Our Educational Android Apps

Get it on Google Play

Latest Desk

  • Samkaleen Bhartiya Mahilaye  “समकालीन भारतीय महिलाएं” Hindi Essay, Nibandh 1000 Words for Class 10, 12 Students.
  • Nijikarn – Gun evm Dosh  “निजीकरण: गुण एवं दोष” Hindi Essay, Nibandh 1200 Words for Class 10, 12 Students.
  • Bharat mein Mahilaon ke Rajnitik Adhikar  “भारत में महिलाओं के राजनीतिक अधिकार” Hindi Essay, Nibandh 700 Words for Class 10, 12 Students.
  • Bharat mein Jativad aur Chunavi Rajniti “भारत में जातिवाद और चुनावी राजनीति” Hindi Essay, Nibandh 1000 Words for Class 10, 12 Students.
  • Example Letter regarding election victory.
  • Example Letter regarding the award of a Ph.D.
  • Example Letter regarding the birth of a child.
  • Example Letter regarding going abroad.
  • Letter regarding the publishing of a Novel.

Vocational Edu.

  • English Shorthand Dictation “East and Dwellings” 80 and 100 wpm Legal Matters Dictation 500 Words with Outlines.
  • English Shorthand Dictation “Haryana General Sales Tax Act” 80 and 100 wpm Legal Matters Dictation 500 Words with Outlines meaning.
  • English Shorthand Dictation “Deal with Export of Goods” 80 and 100 wpm Legal Matters Dictation 500 Words with Outlines meaning.
  • English Shorthand Dictation “Interpreting a State Law” 80 and 100 wpm Legal Matters Dictation 500 Words with Outlines meaning.

Dil Se Deshi

राष्ट्रीय एकता पर निबंध | Essay on National Unity in Hindi

Essay on National Unity in Hindi

राष्ट्रीय एकता और अखंडता पर निबंध हिंदी में | Essay on National Unity in Hindi | Rashtriya Ekta Aur Akhandta Par Nibandh | Rashtriya Ekta ka Mahatva

भारत अनेक धर्मों, जातियों और भाषाओं का देश है. धर्म, जाति एवं भाषाओं की दृष्टि से विविधता होते हुए भी भारत में प्राचीन काल से ही एकता की भावना विद्यमान रही है. जब कभी किसी ने उस एकता को खंडित करने का प्रयास किया है. भारत का एक एक नागरिक सजग हो उठता है. राष्ट्रीय एकता को खंडित करने वाली शक्तियों के विरुद्ध आंदोलन आरंभ हो जाता है. राष्ट्रीय एकता हमारे राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक है और जिस व्यक्ति को अपने राष्ट्रीय गौरव का अभिमान है. वह नर नहीं नर पशु है.

जिसको न निज गौरव तथा निज देश का अभिमान है. वह नर नहीं नर पशु निरा है और मृतक समान है.

राष्ट्रीय एकता से अभिप्राय

राष्ट्रीय एकता का अभिप्राय हैं संपूर्ण भारत की आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक और वैचारिक एकता. हमारे कर्म-कांड, पूजा-पाठ, खान-पान, रहन-सहन और वेशभूषा में अंतर हो सकता है. इनमें अनेकता भी हो सकती है किंतु हमारे राजनीतिक और वैचारिक दृष्टिकोण में एकता है. इस प्रकार अनेकता में एकता ही भारत की प्रमुख विशेषता है. एकता भावनात्मक शब्द है जिसका अर्थ है एक होने का भाव. देश का सामाजिक, सांस्कृतिक, भूगोल तथा साहित्यिक दृष्टि से एक होना ही एकता का वास्तविक अर्थ है.

भारत में अनेकता के विविध रूप

भारत जैसे विशाल देश में अनेकता का होना स्वभाविक ही है. धर्म के क्षेत्र में हिंदू, मुसलमान, सिख, इसाई, जैन, बौद्ध, पारसी आदि विविध धर्म के लोग यहां निवास करते हैं. एक-एक धर्म में भी अवांतर भेद हैं जैसे हिंदू धर्म के अंतर्गत वैष्णव, शैव, शाक्त आदि भेद है. मुसलमान में भी शिया, सुन्नी आदि भेद हैं. सामाजिक दृष्टि से विभिन्न जातियां, उप जातियां, गोत्र आदि विविधता के सूचक हैं. सांस्कृतिक दृष्टि से खान पान, वेशभूषा, पूजा पाठ आदि की भिन्नता मैं भी अनेकता है. साहित्यिक दृष्टि से शोभा, भौगोलिक स्थिति, ऋतु परिवर्तन आदि में भी पर्याप्त भिन्नता दृष्टिगोचर होती है. इतनी विविधताओं के होते हुए भी भारत अत्यंत प्राचीन काल से एकता के सूत्र में बंधता आ रहा है.

राष्ट्रीय एकता की आवश्यकता

राष्ट्र की आंतरिक शक्ति तथा सुव्यवस्था और बाह्य सुरक्षा की दृष्टि से राष्ट्रीय एकता की परम आवश्यकता होती है. भारतवासियों में यदि जरा सी भी फूट पड़ेगी तो अन्य देश हमारी स्वतंत्रता को हड़पने के लिए तैयार बैठे हैं. जब जब हम असंगठित हुए हैं, हमें आर्थिक और राजनीतिक रूप से इसकी कीमत चुकानी पड़ी है. अतः देश की स्वतंत्रता की रक्षा और राष्ट्र की उन्नति के लिए राष्ट्र की एकता का होना परम आवश्यक है.

राष्ट्रीय एकता के मार्ग में बाधाएं

राष्ट्रीय एकता की भावना का अर्थ मात्र यह नहीं है कि हम एक राष्ट्र से सम्बद्ध हैं. राष्ट्रीय एकता के लिए एक दूसरे के प्रति भाईचारे की भावना आवश्यक है. आजादी के समय हमने सोचा था कि पारंपरिक भेद दो समाप्त हो जाएगा किंतु सांप्रदायिकता, क्षेत्रीयता, जातीयता, अज्ञानता और भाषागत अनेकता ने अब तक पूरे देश को आक्रांत कर रखा है.

राष्ट्रीय एकता को विभिन्न कर देने वाले निम्न कारण है-

साम्प्रदायिकता

राष्ट्रीय एकता के मार्ग में सबसे बड़ी बाधा सांप्रदायिकता की भावना है. सांप्रदायिकता एक ऐसी बुराई है जो मानव मानव में फूट डालती है, समाज को विभाजित करती है. दुर्भाग्य से सांप्रदायिकता की बीमारी का जितना इलाज किया गया वह उतना ही अधिक बढ़ता गया. स्वार्थी राजनीतिज्ञ संप्रदाय के नाम पर भोले भाले लोगों को परस्पर लड़ा कर अपना ही स्वार्थ पूरा कर रहे हैं. जिससे देश का वातावरण विषैला होता जा रहा है. सांप्रदायिक सद्भाव की दृष्टि से सभी धर्मों में सेवा, परोपकार, सत्य, प्रेम, समता, नैतिकता, अहिंसा, पवित्रता आदि गुण समान रूप से मिलते हैं. जहां भी द्वेष, घृणा और विरोध है, धर्म नहीं है. राष्ट्रवादी शायर इकबाल ने कहा है-

“मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना हिंदी है हम वतन है हिंदुस्तान हमारा.”

अंग्रेजों ने फूट डालो राज्य करो नीति के अंतर्गत ही भारत विभाजन कराया और पाकिस्तान तथा हिंदुस्तान के बीच सदैव के लिए वैमनस्य का बीज बो दिया. राष्ट्र को एकता के सूत्र में बांधने के लिए सांप्रदायिक विद्वेष, स्पर्धा, ईर्ष्या आदि राष्ट्र विरोधी भावनाओं को मन से त्याग कर परस्पर सांप्रदायिक सद्भाव रखना होगा. सांप्रदायिक सद्भाव का अर्थ है कि हिंदू, मुसलमान, ईसाई, सिख, पारसी, जैन, बौद्ध आदि सभी भारत भूमि को अपनी मातृभूमि मानकर साथ रहे और सद्भाव के साथ रहे. यह राष्ट्रीय एकता के लिए अनिवार्य एवं आवश्यक है.

सांप्रदायिक सद्भाव और सौहार्द बनाए रखने के लिए सभी भारतवासियों को प्रेम से रहना चाहिए. सभी धर्मात्मा की शांति के लिए विभिन्न उपाय करते हैं. सभी धर्म समान है कोई छोटा बड़ा नहीं है. मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा और चर्च सभी पूजा के स्थल है. इन सभी स्थानों पर आत्मा को शांति मिलती है. हमारे लिए सभी पूजा स्थल पूजा पूज्य और पवित्र है.

सांप्रदायिक कटुता को दूर करने के लिए हमें परस्पर सभी धर्मों का आदर करना चाहिए. सभी भारतवासी परस्पर भाई बन कर रहे. धर्म ग्रंथों के वास्तविक संदेश को समझे,उनका स्वार्थ पूर्ण अर्थ ना निकालें. विभिन्न धर्मों के आदर्शों का संग्रह किया जाए. प्राथमिक तथा माध्यमिक कक्षाओं में उनके अध्ययन की विधिवत व्यवस्था की जाए.

भाषागत विवाद

भारत बहुभाषी राष्ट्र है. विभिन्न प्रांतों की अलग-अलग बोलियां और भाषाएं हैं. प्रत्येक व्यक्ति अपनी भाषा को श्रेष्ठ और उसके साहित्य को महान मानता है. इस आधार पर भाषा का विवाद खड़े हो जाते हैं और राष्ट्र की एकता तथा अखंडता भंग होने के खतरे बढ़ जाते हैं. यदि कोई व्यक्ति अपनी मातृभाषा के मोह के कारण दूसरी भाषा का अपमान तथा अवहेलना करता है, तो वह राष्ट्रीय एकता पर प्रहार करता है.

प्रांतीयता अथवा प्रादेशिकता की भावना

प्रांतीयता अथवा प्रादेशिकता की भावना भी राष्ट्रीय एकता के मार्ग में बाधा उत्पन्न करती है. कभी कभी किसी अंचल विशेष के निवासी अपने पृथक अस्तित्व की मांग करते हैं. ऐसी मांग करने से राष्ट्रीय एकता काथा अखंडता का विचार ही समाप्त हो जाता है. क्षेत्र विशेष के विकास के लिए हमें स्वयं प्रयास करना चाहिए तथा शांतिपूर्वक सरकार के उस क्षेत्र के विकास के लिए दृढ़ता से आग्रह करना चाहिए. यह आदर्श ही हमारे राष्ट्रीय एकता का आधार है.

भारत में जातिवाद सदैव प्रभावी रहा है. प्रत्येक जातीय अपने को दूसरी जाति से उच्च समझती है. कर्म पर आधारित वर्ण व्यवस्था टूटी और जाति प्रथा के कहर के रूप में उभरी. जातिवाद ने भारतीय एकता को बुरी तरह प्रभावित किया. आजादी के बाद अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति के लिए हर स्तर पर आरक्षण की नीति का आर्थिक दृष्टि से दुर्बल सवर्ण जातियों ने कड़ा विरोध किया. इस विवाद पर लोगों ने तोड़फोड़, आगजनी, अराजकता फैला कर राष्ट्रीय एकता को प्रभावित किया. इस प्रकार जातिवाद राष्ट्रीय एकता के मार्ग में बाधक है.

राष्ट्रीय एकता बनाए रखने के उपाय

वर्तमान परिस्थितियों में राष्ट्रीय एकता को सुदृढ़ करने के लिए निम्नलिखित उपाय हैं-

सर्वधर्म समभाव

सभी धर्मों के आदर्श एवं श्रेष्ठ माते समान दिखाई देती है. सभी धर्मों का समान रूप से आदर करना चाहिए. धार्मिक अथवा सांप्रदायिक आधार पर किसी भी धर्म को ऊंचा-नीचा या बड़ा छोटा नहीं समझना चाहिए.

समिष्ट हित की भावना

हम अपनी स्वार्थ भावनाओं को भूलकर समिष्ट हित का भाव विकसित कर ले तो धर्म, क्षेत्र, भाषा और जाति के नाम पर ना सोचकर समूचे राष्ट्र के नाम पर सोचेंगे. अलगाववादी भावना के स्थान पर राष्ट्रीय भावना का विकास होगा जिससे अनेकता रहते हुए भी एकता की भावना सदृद होगी.

एकता का विश्वास

भारत में अनेकता में ही एकता का निवास होता हैं. हमें समाज में ऐसे प्रयास करना चाहियें कि सभी नागरिक प्रेम और सद्भाव द्वारा एक-दुसरे में अपने प्रति विश्वास जमा सके.

शिक्षा का प्रसार

शिक्षा से हमारा मन उदार तथा दृष्टीकोण व्यापक बनता हैं. भारत में अशिक्षा के कारण लोग भावावेश में बह जाते हैं. बच्चों के मन में प्रारंभ से ही सभी धर्मों, भाषाओं और जातियों के प्रति सम्मान हो. छात्रों को राष्ट्रभाषा के साथ-साथ एक प्रादेशिक भाषा भी सीखनी चाहियें.

राजनीतिक वातावरण की स्वच्छता

स्वतंत्रता से पूर्व अंग्रेजों ने तथा स्वतंत्रता के बाद राजनेताओं ने जातीय द्वेष तथा धार्मिक फूट डालने का कार्य किया हैं. किसी विशेष सम्प्रदाय का मसीहा बनकर अपना स्वार्थ सिद्ध करते हैं. ऐसे स्वार्थी राजनेताओं का बहिष्कार होना चाहियें. इस प्रकार राजनीतिक वातावरण स्वच्छ होने से एकता का भाव सुद्रढ़ होगा.

आज विकास के साधन बढ़ रहे हैं, भौगोलिक दूरियाँ कम हो रही हैं किन्तु आदमी और आदमी के बीच दूरी बढ़ती जा रही हैं. हम सभी को मिलकर राष्ट्रीय एकता के लियें प्रयास करना चाहियें. ऐसा करने पर भारत एक सबल राष्ट्र बनेगा.

इसे भी पढ़े :

  • हिंदी दिवस पर निबंध
  • सुमित्रानंदन पन्त की जीवनी
  • जीवनी क्या होती हैं?

Leave a Comment Cancel reply

You must be logged in to post a comment.

Taaj Mind Power

इस आर्टिकल 'Rashtriya Ekta Diwas Nibandh in Hindi' जानेंगे - राष्ट्रीय एकता दिवस पर निबंध कैसे लिखें, How to Write a Short paragraph on national unity day essay in Hindi और राष्ट्रीय एकता दिवस प्रस्ताव इन हिन्दी के विषय में ।

Rashtriya Ekta Diwas Nibandh in Hindi | राष्ट्रीय एकता दिवस निबंध

इस आर्टिकल ‘Rashtriya Ekta Diwas Nibandh in Hindi’ जानेंगे – राष्ट्रीय एकता दिवस पर निबंध कैसे लिखें, How to Write a Short paragraph on national unity day essay in Hindi और राष्ट्रीय एकता दिवस प्रस्ताव इन हिन्दी के विषय में ।

Table of Contents

How to Write a Short paragraph on national unity day essay in Hindi

राष्ट्रीय एकता दिवस 31 अक्टूबर को पूरे देश में मनाया जाता हैं। इस दिवस को सरदार वल्लभभाई पटेल की याद में मनाते हैं। जिन्होने हमारे देश को एक बनाया। ताकि हम एकजुट होकर राष्ट्रीय एकता को बढा सके। इस दिवस को 2014 में शुरू किया गया। इस दिन लोगो को एकता के प्रति जागरूक बनाने में कार्यक्रम आयोजित किया जाता हैं। इस देश में विकास का स्तर बढाने के लिए राष्ट्रीय एकता दिवस मनाया जाता हैं। यह दिवस हमारे देश को शक्तिशाली बनाता हैं।

इस आर्टिकल 'Rashtriya Ekta Diwas Nibandh in Hindi' जानेंगे - राष्ट्रीय एकता दिवस पर निबंध कैसे लिखें, How to Write a Short paragraph on national unity day essay in Hindi और राष्ट्रीय एकता दिवस प्रस्ताव इन हिन्दी के विषय में ।

भारत देश एक ऐसा देश हैं जिसमे सभी प्रकार की जैसे हिन्दु, मुसलमान, सिख, इसाई इत्यादि जाति पाई जाती हैं। और भारत देश में अलग अलग भाषा वाली बोली बोली जाती हैं। हम सभी अलग जाति के होने के बावजूद भी एकता में रहते हैं। और सभी धर्मो के त्योहारो को बडी धूमधाम से मनाते हैं।

Interesting Aericle

5 Best Health Benefits of vajra Asana in Hindi For 2023

Law of Attraction

भारत देश में एक दूसरे की पहचान को सम्मान दिया जाता हैं। और भाईचारा अपनाते हैं। भारत देश में लोगो का खान – पान भी अलग अलग होता हैं। हर एक धर्म के अनुसार अपने धर्मो के प्रति त्योहार को मनाते हैं। और एक दूसरे को बधाईयाँ देते हैं।

राष्ट्रीय एकता दिवस पर भाषण हिन्दी में

राष्ट्रीय एकता → राष्ट्रीय एकता का अर्थ हैं मिल जुलकर रहना। हमारा देश एक विशाल देश हैं। जहाँ सभी धर्म, जाति, वर्गो, व विचार धारा और भाषाको को मानने का अधिकार दिया जाता हैं। यह देश राष्ट्रीय एकता का प्रतिक हैं और लोगो में एकता ही इस देश को ऊचाँईयो पर ले जाती हैं।

अगर सभी धर्म के लोग एक हो जाए तो यह देश शक्तिशाली बन जाएगा। राष्ट्रीय एकता इस देश का प्राण हैं। आज के युग में हम एकता में रह कर सभी बुराईयो पर जीत हासिल कर सकते हैं। हमारे देश के नेताओ ने भी देश को एकता में जोडे रखने के लिए अपने प्राणो को त्याग दिया था।

भारत देश राष्ट्रीय एकता का संघ हैं। राष्ट्रीय एकता बन कर इस देश को मजबूत बनाती हैं। यहाँ सभी जाति के लोग जैसे मुसलमान, हिन्दु, सिख, इसाई, यहूदी अपना जीवन शांतिपुर्वक व्यतीत करते हैं। हमरा देश सुंदर उद्यान की भाँति हैं। यह बहुरंगी पुष्प उद्यान में होते हैं। उसी तरह भारत में विभिन्न जाति के पंथ के लोग रहते हैं।

यहाँ मंदिर, मस्जिद गुरूद्वारा और चर्च हैं। यहाँ रामायण, गीता, कुरान बाईबल का पाठ हैं। लेकिन सब के स्वरो का एक ही उद्देश्य मानवता की सेवा हैं। यहाँ दिपावली, ईद, क्रिसमस, गुरूपर्व आदि त्यौहार पूरे धूम – धाम से मनाते हैं। यही एकता की भावना हम भारतीयो की विषेशता हैं।

जो हजारो वर्षो से हमारे सभ्यता में रची बसी हुई हैं। हर व्यक्ति के ह्रदय में राष्ट्रीय प्रेम की भावना हैं। और देश अपनी मातृभुमि के प्रति सच्ची लगन हैं। देश के हित के लिए सर्वस्व निछावर हैं। इतिहास साक्षी हैं कि स्वतंत्रता संग्राम या चीनी पाकिस्तानी युद्ध के समय पूरा देश एकजुट और अखंडता का परिचय देता हैं।

और देश के लिए देशवासी अपने प्राण को निछावर कर देते हैं। हम सभी अपने राष्ट्र की जल-भू, पहाड और नदी सागर को अपना समझते हैं। सभी से भावनात्मक जुडाव हैं। एक दूसरे के सुख दुख में शामिल होते हैं। एक दूसरे के हित के लिए कार्य करते हैं। राष्ट्रीय एकता के मार्ग की सबसे बडी भावना का परीत्याग कर हम सब सद्भावना और प्रेम के साथ रहते हैं।

देश में कुछ अलगाववादी और दुष्ट तत्व भाषावाद, जातिवाद के आधार पर हिंसा कराते हैं। जो राष्ट्र की एकता के लिए घातक हैं। ऐसी ताकत को कठोरता से कुचला जाना आवश्यक हैं। हम भारत वासियो का कर्तव्य हैं कि हम इन ताकतो के विरूद्ध खडे हो। और देश भक्ति का परिचय दे।

राष्ट्रीय एकता दिवस महत्व पर निबंध 200 शब्दों में

एकता में बल → यह एक शिक्षाप्रद्ध कहानी एक किसान की हैं। जिसके पाँच बेटे होते हैं। जो कि अपनी मर्जी के होते हैं। एक दिन किसान बहुत ज्यादा बिमार हो जाता हैं। वह अपने बच्चो को एक रहने के लिए प्रेरित करना चाहता था। उसने जंगल में अलग अलगे बेटे को बोल कर लकडियाँ मंगवाई और पहले बेटे को बोला इसे तोड कर दिखाओ।

सभी बेटो ने ये लकडियाँ तोड दी। फिर किसान ने लकडियो का एक गठा मंगवाया और बेटो को तोदने के लिए बोला। लेकिन किसी भी लडके से वह गठा नही टूटा। इस बात से किसान ने उसे समझाया कि एक एक कर के कोई भी इस तरह तुम्हे हरा सकता हैं। लेकिन अगर तुम सब इस लकडी के गठे की तरह मिलकर रहोगे तो तुम्हे भी कोई हरा नही सकता व अलग नही कर सकता इसलिए कहा जाता हैं। एकता में बल हैं।

राजनीतिक एकता → हमारे देश भारत में केवल एक बार राजनीतिक एकता दिखाई दी। जब हमारा देश 1947 को आजाद होने के समय सभी राजनीतिक नेताओ ने एकता दिखाई। अंग्रेजो भारत छोडो आंदोलन चलाया। जिसके चलते सभी नेताओ ने यह लडाई लडी। और भारत को स्वतंत्र कराया। राजनीति के बिना कोई भी देश संचालित नही हो सकता।

भेदभाव →    भेदभाव के कारण देश और राष्ट्र में अंतर होता हैं। राष्ट्र का संबंध भावना से होता हैं। जब तक किसी देश वासियो के विचार एक नही होते तो उसमे राष्ट्रीय एकता की भावना नही आती। यहाँ सभी सामाजिक समस्याओ का उदय हो रहा हैं। हम सभी को एकजुट होकर देश में भेदभाव को समाप्त कर राष्ट्र एकीकरण पर बल देना चाहिए। हमे इस राष्ट्रीय एकीकरण के उद्देश्य और अर्थ को समझकर एकता में रहना चाहिए। रंग, जाति का भेद हमारे बीच नही आना चाहिए।

Final words for Rashtriya Ekta Diwas Nibandh in Hindi

भारतीय अपनी विविधता में एकता के लिए प्रसिद्ध हैं। लेकिन ये सही नही हैं। क्योकि विकास के लिए दुसरे के विचार को स्वीकार करने के लिए लोग तैयार नही हैं। अपने खुद के फायदे के लिए और खुद को अच्छा साबित करने के लिए यहाँ विभिन्न जाति के लोग आपस में शारिरीक, भावात्मक, जातिवाद, बहस और चर्चा आदि के द्वारा लडते हैं। ऐसा करना बिलकुल गलत हैं। हमे राष्ट्र में शान्ति और एकता को बनाए रखना चाहिए। क्योकि एकता में ही बल हैं।

Leave a Comment Cancel reply

Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.

Hindi Essay on “Rashtriya Ekta”, “राष्ट्रीय एकता” Complete Hindi Paragraph, Speech for Students Exam

राष्ट्रीय एकता, rashtriya ekta.

राष्ट्रीय एकता का अर्थ यह है कि देश के सभी नागरिक, चाहे वे किसी भी संप्रदाय, जाति, धर्म, भाषा अथवा क्षेत्र से संबंधित हों, इन सब सीमाओं से ऊपर उठकर इस समूचे देश के प्रति वफादार और आत्मीयतापूर्ण हों। इसके लिए यदि उनको अपने निजी स्वार्थ अथवा समूह के स्वार्थ का भी त्याग करना पड़े तो उसके लिए उन्हें तैयार रहना चाहिए। उनके लिए देश का हित सर्वोपरि होना चाहिए। किंतु कभी-कभी तो लगता है कि देश की स्वतंत्रता के बाद हम राष्ट्रीय एकता से विमुख होकर राष्ट्रीय विघटन की ओर अग्रसर हो रहे हैं। स्वतंत्रता के पहले गाँधीजी के नेतृत्व में पूरा देश एक होकर अंग्रेजी साम्राज्य के विरुद्ध लड़ा था। परंतु उसके बाद पुनः हम धर्म, भाषा, क्षेत्रीयता के नाम से आपसी झगड़ों में उलझ गए हैं। कई बार ऐसा लगता है कि हमारे देश में असमिया, बंगाली, पंजाबी, मराठा, मद्रासी इत्यादि तो हैं, पर भारतीय बिरले ही हैं। हमारा देश प्राचीन काल से ही विभिन्न धर्मों, संप्रदायों, विचारधाराओं तथा परंपराओं का समन्वय-स्थल रहा है परंतु आधुनिक काल में जब से विभिन्न धर्मों और संप्रदायों में अलगाव होने लगा, पारस्परिक द्वेष, घृणा और संघर्ष बढ़ने लगा, तभी राष्ट्र प्रत्येक दृष्टि से कमजोर होने लगा। राजनीतिक दल इस पारस्परिक तनाव का लाभ उठाकर राजनीतिक स्वार्थ पूरा करने लगे। इसलिए नेहरू जी ने कहा था, “मैं सांप्रदायिकता को देश का सबसे बड़ा शत्रु मानता हूँ।”

Related Posts

Hindi-Essays

Absolute-Study

Hindi Essay, English Essay, Punjabi Essay, Biography, General Knowledge, Ielts Essay, Social Issues Essay, Letter Writing in Hindi, English and Punjabi, Moral Stories in Hindi, English and Punjabi.

Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.

Hindi Jaankaari

राष्ट्रीय एकता दिवस पर निबंध 2022 -23 National Unity Day Essay in Hindi Pdf Download

राष्ट्रीय एकता दिवस पर निबंध

राष्ट्रीय एकता दिवस सरदार वल्ल्भ भाई पटेल के जन्मदिन के उपलक्ष में मनाया जाता है | सरदार वल्लभ भाई पटेल एक स्वतंत्रता सेनानी थे उन्होंने देश के लिए कई योगदान दिए हैं | सरदार पटेल द्वारा ही 562 रियासतों का एकीकरण विश्व इतिहास का एक आश्चर्य था क्योंकि भारत की यह रक्तहीन क्रांति थी। इसी एकीकरण के लिए उन्हें लोह पुरुष की उपाधि मिली थी | राष्ट्रीय एकता दिवस की शुरुआत केंद्र सरकार द्वारा 2014 में दिल्ली में की गयी थी, जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा किया गया था | आप ये निबंध हिंदी, गुजराती, इंग्लिश, मराठी, बांग्ला, गुजराती, तमिल, तेलगु, आदि की जानकारी देंगे जिसे आप अपने स्कूल के निबंध प्रतियोगिता, कार्यक्रम या एस्से प्रतियोगिता में प्रयोग कर सकते है| ये निबंध कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए दिए गए है|

Rashtriya Ekta Diwas par Nibandh

राष्ट्रीय एकता दिवस कब मनाया जाता है:  सरदार वल्लभ भाई पटेल की जन्मदिवस के उपलक्ष में राष्ट्रिय एकता दिवस हर साल 31 अक्टूबर को मनाया जाता है | इसकी शुरुआत केंद्र सरकार द्वारा 31 अक्टूबर 2014 को की गयी थी जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा किया गया था | आइये अब हम आपको  National Integration Day, rashtriya ekta diwas par nibandh in hindi, राष्ट्रीय एकता दिवस पर कविता,  rashtriya ekta diwas in hindi nibandh, राष्ट्रीय एकता दिवस पर भाषण, राष्ट्रीय एकता दिवस पर निबंध इन हिंदी, आदि की जानकारी 100 words, 150 words, 200 words, 400 words, full collection whatsapp, facebook (fb) व instagram पर share कर सकते हैं|

राष्ट्रीय एकता दिवस 31 अक्टूबर को सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती के रूप में मनाया जाता है। भारत में वर्ष 2014 में पहली बार राष्ट्रीय एकता दिवस मनाया गया। भारत की गणना विश्व के सबसे बड़े देशों में से एक के रूप में की जाती है जो कि पूरे विश्व में दूसरा सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है, जहाँ 1652 के आसपास भाषाऍ और बोलियाँ बोली जाती है। यह देश दुनिया के सभी प्रमुख धर्मों को जैसे हिंदू, बौद्ध, ईसाई, जैन, इस्लाम, सिख और पारसी धर्मों को विभिन्न संस्कृति, खानपान की आदतों, परंपराओं, पोशाकों और सामाजिक रीति-रिवाजों के साथ शामिल करता है। यह जलवायु में काफी अन्तर के साथ एक विविधतापूर्ण देश है। देश में प्रमुख भिन्नता होने के बाद भी, इसका प्रत्येक भाग एक ही संविधान द्वारा बहुत शांति के साथ नियंत्रित है। एकीकरण में सरदार पटेल की भूमिका स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद क़रीब पाँच सौ से भी ज़्यादा देसी रियासतों का एकीकरण सबसे बड़ी समस्या थी। 5 जुलाई 1947 को सरदार पटेल ने रियासतों के प्रति नीति को स्पष्ट करते हुए कहा कि ‘रियासतों को तीन विषयों – सुरक्षा, विदेश तथा संचार व्यवस्था के आधार पर भारतीय संघ में शामिल किया जाएगा।’ धीरे धीरे बहुत सी देसी रियासतों के शासक भोपाल के नवाब से अलग हो गये और इस तरह नवस्थापित रियासती विभाग की योजना को सफलता मिली। भारत के तत्कालीन गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने भारतीय संघ में उन रियासतों का विलय किया था जो स्वयं में संप्रभुता प्राप्त थीं। उनका अलग झंडा और अलग शासक था। सरदार पटेल ने आज़ादी के ठीक पूर्व (संक्रमण काल में) ही पी.वी. मेनन के साथ मिलकर कई देसी राज्यों को भारत में मिलाने के लिये कार्य आरम्भ कर दिया था। पटेल और मेनन ने देसी राजाओं को बहुत समझाया कि उन्हें स्वायत्तता देना सम्भव नहीं होगा। इसके परिणामस्वरूप तीन को छोडकर शेष सभी राजवाडों ने स्वेच्छा से भारत में विलय का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। 15 अगस्त 1947 तक हैदराबाद, कश्मीर और जूनागढ़ को छोड़कर शेष भारतीय रियासतें ‘भारत संघ’ में सम्मिलित हो गयीं। जूनागढ़ के नवाब के विरुद्ध जब बहुत विरोध हुआ तो वह भागकर पाकिस्तान चला गया और जूनागढ़ भी भारत में मिल गया। जब हैदराबाद के निजाम ने भारत में विलय का प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया तो सरदार पटेल ने वहाँ सेना भेजकर निजाम का आत्मसमर्पण करा लिया। एकता का महत्त्व एकता में सबसे बड़ा बाधक स्वहित हैं आज के समय में स्वहित ही सर्वोपरि हो गया है। आज जब देश आजाद हैं आत्म निर्भर हैं तो वैचारिक मतभेद उसके विकास में बेड़ियाँ बनी पड़ी हैं। आजादी के पहले इस फुट का फायदा अंग्रेज उठाते थे और आज देश के सियासी लोग। देश में एकता के स्वर को सबसे ज्यादा बुलंद स्वतंत्रता सेनानी लोह पुरुष वल्लभभाई पटेल ने किया था। वे उस सदी में आज के युवा जैसी नयी सोच के व्यक्ति थे। वे सदैव देश को एकता का संदेश देते थे। उन्हीं को श्रद्धांजलि देने हेतु उनके जन्म दिवस को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाया जाता हैं। ‘रन फॉर यूनिटी’ 2014 के बाद से 31 अक्टूबर को राष्ट्रीय एकता दिवस के बारे में जागरूकता बढ़ाने और महान व्यक्ति को याद करने के लिए राष्ट्रव्यापी मैराथन का आयोजन किया जाता है। इस दिवस के साथ देश की युवा पीढ़ी को राष्ट्रीय एकता का सन्देश पहुँचता है, जिससे आगे चलकर वे देश में राष्ट्रीय एकता का महत्व समझ सकें। इस मौके पर देश के विभिन्न स्थानों में कई कार्यक्रमों का आयोजन होता है। दिल्ली के पटेल चौक, पार्लियामेंट स्ट्रीट पर सरदार पटेल की प्रतिमा पर माला चढ़ाई जाती है। इसके अलावा सरकार द्वारा शपथ ग्रहण समारोह, मार्च फ़ास्ट भी की जाती है। ‘रन फॉर यूनिटी’ मैराथन देश के विभिन्न शहरों, गाँव, जिलों, ग्रामीण स्थानों में आयोजित की जाती है। स्कूल, कॉलेज, यूनिवर्सिटी, अन्य शैक्षणिक संसथान, राष्ट्रीय कैडेट कोर, राष्ट्रीय सेवा योजना के लोग बहुत बढ़ चढ़ कर इस कार्यक्रम में हिस्सा लेते है। दिल्ली में राजपथ में विजय चौक से इंडिया गेट के बीच सुबह 8:30 बजे मैराथन का आयोजन बहुत बड़े स्तर पर होता है, जिसमें कई नेता, अभिनेता हिस्सा लेते है। इसके अलावा सरकारी ऑफिस, पब्लिक सेक्टर में भी शपथ ग्रहण कार्यक्रम होता है। स्कूल कॉलेज में तरह तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं, वहां बैनर, पोस्टर बनाने की प्रतियोगिता, निबंध, भाषण, पेंटिंग, कविता, वाद-विवाद, प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता आदि का आयोजन होता है।

Essay on National Unity Day in Hindi

अक्सर class 1, class 2, class 3, class 4, class 5, class 6, class 7, class 8, class 9, class 10, class 11, class 12 के बच्चो को कहा जाता है राष्ट्रीय एकता दिवस पर निबंध लिखें | rashtriya ekta poem in hindi, rashtriya ekta slogan in hindi, rashtriya ekta diwas essay, National Unity Day Drawing , rashtriya ekta essay in marathi, National Unity Day Slogans , rashtriya ekta essay in gujarati, rashtriya ekatmata nibandh in marathi, rashtriya ekta essay in gujarati pdf, rashtriya ekta geet in hindi, किसी भी भाषा जैसे Hindi, Urdu, उर्दू, English, sanskrit, Tamil, Telugu, Marathi, Punjabi, Gujarati, Malayalam, Nepali, Kannada के Language Font में साल 2007, 2008, 2009, 2010, 2011, 2012, 2013, 2014, 2015, 2016, 2017 का full collection whatsapp, facebook (fb) व instagram पर share कर सकते हैं|

आजादी में अग्रणी भूमिका निभाने वाले लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल के जन्मदिवस को सर्वप्रथम 2014 में भारत के केन्द्रीय सरकार द्वारा इस दिन को “राष्ट्रीय एकता दिवस” के रूप में मनाने का फैसला किया गया और इस दिन सभी लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल के कार्यो को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते है | किसी भी देश की ताकत सभी भारतीय आपस उस देश की एकता में निहित होती है और यदि देश बड़ा और विभिन्न धर्म, भाषा के लोग रहने वाले हो तो उन्हें एकता की डोर में बाधकर रखना मुश्किल होता है लेकिन हमारे देश भारत की सबसे बड़ी यही खूबसूरती है की इतने धर्म, संप्रदाय, जाति के बावजूद आपस में मिलजुलकर रहते है और देश के एकता को बनाये रखे हुए है | हमारे देश भारत को आजादी मिलने के पश्चात हमारे देश में अनेक 500 से अधिक देशी रियासते थी जो की सबको आपस में मिलकर एक देश का गठन करना बहुत ही मुश्किल था, सभी रियासते अपनी सुविधानुसार अपना शासन चाहते थे लेकिन लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल के सुझबुझ और इन रियासतों के प्रति अपनी स्पष्ट नीति के चलते इन्हें भारत देश में एकीकरण किया गया और इस प्रकार 3 देशी रियासते जूनागढ़, कश्मीर और हैदराबाद भारत में मिलने से मना कर दी जिसके पश्चात भारी विरोध के बाद जूनागढ़ का नवाब हिंदुस्तान छोडकर भाग गया, जिसके पश्चात जूनागढ़ भारत में मिल गया और कश्मीर के राजा हरीसिंह ने अपनी राज्य की सुरक्षा को आश्वासन लेकर कश्मीर को भी भारत में मिला दिया और अंत में हैदराबाद के निजाम ने जब भारत में मिलने से मना किया तो लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल ने तुरंत वहा सेना भेजकर निजाम को भी आत्मसमर्पण के लिए मजबूर कर दिया जिसके पश्चात हमारे भारत देश का नवनिर्मित गठन हुआ जिसे संघ राज्यों का देश भी कहा जाता है और इस प्रकार अनेक होते हुए भी एक भारत का निर्माण हुआ | राष्ट्रीय एकता दिवस का महत्व कोई भी देश तभी तक सुरक्षित रहता है जबतक की उस देश की जनता और शासन में आपसी एकता और अखंडता निहित होती है हमारे देश की इसी आपसी एकता की कमी का फायदा उठाते हुए अंग्रेजो ने भारत में फूट डालो और राज करो की नीति पर हमारे देश में 200 से अधिक वर्षो तक राज किया, हमारी इस गुलामी के कई कारण थे जैसे भारत के सभी राज्यों, रियासतों में आपसी कोई तालमेल नही था सभी रियासतों के राजा सिर्फ अपनी अपनी देखते थे अगर कोई बाहरी शत्रु आक्रमण करे तो कोई भी एक दुसरे का साथ नही देने आता था यही अनेक कारण थे जिसके कारण हमारा देश इसी एकता के अभाव में विकास के राह से भटक गया और जो भी आया सिर्फ यहाँ लुटा और चला गया | अब चूकी हमारा देश आजाद है इसका मतलब यह नही है की हमारे देश पर कोई बुरी नजर नही डाल सकता है हम सभी को अपने देश अंदर उन आसामाजिक तत्वों से खुद को बचा के रखना है जो हमे आपस में बाटने को कोशिश करते है और साथ में देश के बाहरी दुश्मनों से भी चौक्कना रहना है तभी हमारा भारत भारत एक अखंड भारत बन सकेगा | ऐसे में अब हमे अपनी आजादी मिलने के बाद हम सबकी यही जिम्मेदारी बनती है की जब भी देश की एकता की बात आये तो सभी भारतीयों को अपने धर्म जाति से उठकर सोचने की आवश्यकता है और एक सच्चे भारतीय भारतीय की तरफ कंधे से कंधा मिलाकर देश की अखंडता में अपनी अपनी भूमिका निभाना है | वर्तमान समय में राष्ट्रीय एकता दिवस की आवश्यकता और महत्व वर्तमान समय में हमारे देश भारत की अजीब स्थिति बनी हुई है पूरे देश में कही भी चले जाए तो लोग अपने आपको जाति, धर्म, सम्प्रदाय आदि के आधार पर खुद को परिभाषित करते है कही भी कोई सबसे पहले खुद को भारतीय नही कहते हुए पाया जाता है जो की एक सोचने वाली बात है हमे यह बात जानना चाहिए की सबसे पहले हम भारतीय है बाद में कुछ अन्य जबकि आज के समय में ठीक इसका उल्टा है |

राष्ट्रीय एकता दिवस निबंध

हमारा भारत देश विश्व के मानचित्र पर एक विशाल देश के रूप में चित्रित है। प्राकृतिक रचना के आधार पर तो भारत के कई अलग अलग रूप और भाग हैं। उत्तरी का पर्वतीय भाग, गंगा-यमुना सहित अन्य नदियों का समतलीय भाग, दक्षिण का पठारी भाग और समुन्द्र तटीय मैदान। भारत का एक भाग दूसरे भाग से अलग थलग पड़ा हुआ है। नदियों और पर्वतों के कारण ये भाग एक दूसरे से मिल नहीं पाते हैं। इसी प्रकार से जलवायु की विभिन्नता और अलग अलग क्षेत्रों के निवासियों के जीवन आचरण के कारण भी देश का स्वरूप एक दूसरे से विभिन्न और पृथक पड़ा हुआ दिखाई देता है। इन विभिन्नताओं के होते हुए भी भारत एक है। भारतवर्ष की निर्माण सीमा ऐतिहासिक है। वह इतिहास की दृष्टि से अभिन्न है। इस विषय में हम जानते हैं कि चन्द्रगुप्त, अशोक, विक्रमादित्य और बाद मुगलों ने भी इस बात की बड़ी कोशिश थी कि किसी तरह सारा देश एक शासक के अधीन लाया जा सके। उन्हें इस कार्य में कुछ सफलता भी मिली थी। इस प्रकार के भारत की एकता ऐतिहासिक दृष्टि से एक ही सिद्ध होती है। हमारे देश की एकता एक बड़ा आधार दर्शन और साहित्य है। हमारे देश का दर्शन सभी प्रकार की भिन्नताओं और असमानताओं को समाप्त करने वाला है। यह दर्शन है- सर्वसमन्वय की भावना का पोषक। यह दर्शन किसी एक भाषा में नहीं लिखा गया है। अपितु यह देश की विभिन्न भाषाओं में लिखा गया है। इसी प्रकार से हमारे देश का साहित्य विभिन्न क्षेत्र के निवासियों के द्वारा लिखे जाने पर भी क्षेत्रवादिता या प्रान्तीयता के भावों को नहीं उत्पन्न करता है, बल्कि सबके लिए भाईचारे और सद्भाव की कथा सुनाता है। मेल-मिलाप का सन्देश देता हुआ देश भक्तों के भावों को जगाता है। इस प्रकार के साहित्य की लिपि भी पूरे देश की एक ही लिपि है- देवनागरी लिपि। प्रख्यात विचारक कविवर दिनकर जी का इस सम्बन्ध में इसी प्रकार का विचार था- ‘विचारों की एकता जाति की सबसे बड़ी एकता होती है। अतएव भारतीय जनता की एकता के असली आधार भारतीय दर्शन और साहित्य हैं, जो अनेक भाषाओं में लिखे जाने पर भी अन्त में जाकर एक ही साबित होते हैं। यह भी ध्यान देने की बात है कि फारसी लिपि को छोड़ दें, तो भारत की अन्य सभी लिपियों की वर्णमाला एक ही है। यद्यपि यह अलग अलग लिपियों में लिखी जाती है। यद्यपि हमारे देश की भाषा एक नहीं अनेक हैं। यहाँ पर लगभग पन्द्रह भाषाएँ हैं। इन सभी भाषाओं को बोलियाँ अर्थात् उपभाषाएँ भी हैं। सभी भाषाओं को सविधान से मान्यता मिली है। इन सभी भाषाओं से रचा हुआ साहित्य हमारी राष्ट्रीय भावनाओं से ही प्रेरित है। इस प्रकार से भाषा भेद की भी ऐसी कोई समस्या नहीं दिखाई देती है, जो हमारी राष्ट्रीय एकता को खंडित कर सके। उत्तर भारत का निवासी दक्षिणी भारत के निवासी की भाषा को न समझने के बावजूद उसके प्रति कोई नफरत की भावना नहीं रखता है। रामायण, महाभारत आदि ग्रन्थ हमारे देश की विभिन्न भाषाओं में तो हैं, लेकिन इनकी व्यक्त हुई भावना हमारी राष्ट्रीयता को ही प्रकाशित करती है। तुलसी, सूर, कबीर, मीरा, नानक, रैदास, तुकाराम, विद्यापति, रवीन्द्रनाथ टैगोर, ललदेव, तिरूवल्लुवर आदि की रचनाएँ एक दूसरी की भाषा से नहीं मिलती है। फिर भी इनकी भावात्मक एकता राष्ट्र के सांस्कृतिक मानस को ही पल्लवित करने में लगी हुई है। हमारे देश की परम्पराएँ, मान्यताएँ, आस्थाएँ जीवन मूल्य सभी कुछ हमारी राष्ट्रीयता के ही पोषक हैं। पर्व-तिथि-त्योहार की मान्यताएँ यद्यपि अलग अलग हैं, फिर भी सबसे एकता और सर्वसमन्वय का ही भाव प्रकट होता है। यही कारण है कि एक जाति के लोग दूसरी जाति के तिथि पर्व त्योहारों में शरीक होकर आत्मीयता की भावना को प्रदर्शित करते हैं। धर्म के प्रति आस्था ओर विश्वास की भावना हमारी जातीय वर्ग को प्रकट करते हैं। अतएव धर्मों के मूल में कोई भेछ नहीं है। यही कारण है कि हमारे देश में न केवल राष्ट्रयीता के पोषक विभिन्न प्रकार के धर्मों को अपनाने की पूरी छूट हमारे संविधान ने दे दी है, अपितु संविधान की इस छूट के कारण ही भारत को धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र की संज्ञा भी दे दी। इसका यह भी अर्थ है कि यहाँ का कोई धर्म किसी दूसरे धर्म में हस्तक्षेप नहीं कर सकता है। भारत की एकता की सबसे बड़ी बाधा थी- ऊँचे-ऊँचे पर्वत, बड़ी-बड़ी नदियां, देश का विशाल क्षेत्रफल आदि। जनता इन्हें पार करने में असफल हो जाती थी। इससे एक दूसरे से सम्पर्क नहीं कर पाते थे। आज की वैज्ञानिक सुविधाओं के कारण अब यह बाधा समाप्त हो गई है। देश के सभी भाग एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। इस प्रकार हमारी एकता बनी हुई है। हमारे देश की एकता का सबसे बड़ा आधार प्रशासन की एकसूत्रता है। हमारे देश का प्रशासन एक है। हमारा संविधान एक है और हम दिल्ली में बैठे बैठे ही पूरे देश पर शासन करने में समर्थ हैं।

Short essay on national Unity day

देश की एकता के लिए आंतरिक अवरोधक तत्वों के अतिरिक्त बाह्‌य शक्तियाँ भी बाधक बनती हैं । जो देश हमारी स्वतंत्रता व प्रगति से ईर्ष्या रखते हैं वे इसे खंडित करने हेतु सदैव प्रयास करते रहते हैं । कश्मीर की हमारी समस्या इन्हीं प्रयासों की उपज है जिससे हमारे देश के कई नवयुवक दिग्भ्रमित होकर राष्ट्र की प्रमुख धारा से अलग हो चुके हैं । राष्ट्रीय एकता व इसकी अक्षुण्णता बनाए रखने के लिए आवश्यक है कि राष्ट्रीय एकता के तत्वों; जैसे हमारी राष्ट्रभाषा, संविधान, राष्ट्रीय चिह्‌नों, राष्ट्रीय पर्व व सामाजिक समानता तथा उसकी उत्कृष्टता पर विशेष ध्यान दें । उन सच्चे व महान देशभक्तों की गाथाओं को उजागर करें जिन्होंने राष्ट्र की स्वतंत्रता व सार्वभौमिकता बनाए रखने के लिए अपने प्राण तक न्यौछावर कर दिए । महापुरुषों के आदर्शों पर चलना व उनके बताए मार्ग का अनुसरण करना भी राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देता है । राष्ट्रीय एकता को संबल प्रदान करने वाले तत्व कम नहीं हैं, बस उन्हें समय-समय पर अपने जीवन में आत्मसात् करने की आवश्यकता है । विभिन्न राष्ट्रीय दिवसों पर होने वाली गोष्ठियाँ, विचार-विमर्श आदि के माध्यम से राष्ट्र की एकता को बल मिलता है । विभिन्न संगीत सम्मेलनों, समवेत् गान, सांस्कृतिक कार्यक्रमों आदि के माध्यम से जनता के बीच एकता को बढ़ावा देनेवाला संदेश जाता है । सबसे बढ़कर आवश्यक यह है कि हम निजी रूप से ऐसा प्रयास जारी रखें जिससे देश की एकता को बल मिले । भारत एक महान, स्वतंत्र एवं प्रगतिशील राष्ट्र है । राष्ट्रीय एकता बनाए रखने के लिए यह आवश्यक है कि हम अपनी क्षुद्र मानसिकता से स्वयं को दूर रखें तथा इसमें बाधक समस्त तत्वों का बहिष्कार करें । हमें यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि हम चाहे जिस क्षेत्र, प्रांत, जाति या समुदाय के हैं परंतु उससे पूर्व हम भारतीय नागरिक हैं । भारतीयता ही हमारी वास्तविक पहचान है । अत: हम कभी भी ऐसे कृत्य न करें जो हमारे देश के गौरव व उसकी प्रगति में बाधा डालते हों । हम स्वयं अपने राष्ट्रीय प्रतीकों व अपने संविधान का सम्मान करें तथा अपने संपर्क में आने वाले समस्त व्यक्तियों को भी इसके लिंए प्रेरित करें जिससे हमारी राष्ट्रीय एकता युग-युगांतर तक बनी रहे । हम विघटनकारी तत्वों को राष्ट्रीय एकता की मशाल जलाकर ही भस्मीभूत कर सकते हैं । हम एक थे एक हैं और सदा एक बने रहेंगे, जैसे-जैसे यह विश्वास दृढ़ होता जाएगा हमारी राष्ट्रीय एकता त्यों-त्यों मजबूत होती जाएगी ।

National unity day essay in Hindi

National Unity Day (or Rashtriya Ekta Diwas) is the birthday (birth anniversary) of Sardar Vallabhbhai Patel, a famous personality for uniting India. This day was decided and introduced by the central government of India in New Delhi in 2014 in order to observe the birth anniversary of Patel every year as Rashtriya Ekta Diwas. It aimed to pay tribute to him for his great efforts made to unite India. This day was inaugurated in 2014 by the Prime Minister, Narendra Modi, by paying floral tributes at the statue of Sardar Patel and flagging off a program known as ‘Run For Unity’ in New Delhi. This program was planned to highlight the efforts made by Sardar Patel for uniting country. At this day, a nationwide marathon is organized to increase awareness about Rashtriya Ekta Diwas and remember the great person. Celebration of this occasion annually helps youth of the country to be aware of and provides an opportunity to everyone to maintain the integral strength of the nation. It makes Indian citizens to realize that how a national integrity helps in defeating the actual and potential threats for unity, integrity and security of the nation. National Unity Day is an initiative celebrated every year to commemorate Sardar Vallabhbhai Patel’s birth anniversary. It is celebrated by the people of India by organizing variety of events. A floral tribute is given to the statue of Sardar Patel every year at the Patel Chowk, Parliament Street, New Delhi in the morning. Various programmes are organized by the government of India to mark the occasion such as run for unity, pledge taking ceremony march past by the Indian police. Run for Unity programme is held in the major cities, district towns and various places in the rural areas. Youths from the schools, colleges, universities, educational institutes, National Cadet Corps, National Service Scheme, etc take part in the programme very actively. It is organized at huge level in the National capital from Vijay Chowk to India Gate on the Rajpath at 8.30 am in the morning. The second programme, which is organized most importantly in the government offices, public sectors, public institutions, etc, is pledge taking ceremony. It is organized to observe the occasion by truly taking the pledge in group. Third event organized at this day is march past by the police (central armed police forces including scouts, guides, NCC, NSS, home guards, etc) on the streets of major cities and district towns. Somewhere, a pledge taking ceremony is held after the march past of police. Employees and staffs from the municipal corporation of many cities also take part in the National Unity pledge and later in the Run for Unity. Students from various schools and colleges also perform variety of cultural activities including banners and posters making in order to spread the message of unity and security, essay writing, speech reciting, quiz competition, paintings, rhyme recitation, art making competition, debate on the related topic, etc. The main objective of organizing variety of programmes at this day is to promote national integration among citizens of the India as well as maintain the unity and integrity of the country.

कोरोनावायरस महामारी के चलते महाराष्ट्र सरकार ने एक योजना को शुरू किया था जिसका नाम बंधकम कामगार योजना 2022 है। योजना के तहत राज्य के मजदूरों को सरकार द्वारा ₹2000 तक की आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी। वह सभी लाभार्थियों की योजना का लाभ उठाना चाहते हैं उनको ऑनलाइन पंजीकरण फॉर्म को भरना होगा। इस लेख के माध्यम से हम आपको बताएंगे कि काम घर कल्याण योजना 2022 ऑनलाइन अप्लाई कैसे करें। महाराष्ट्र सरकार ने पंजीकृत श्रमिकों को आर्थिक सहायता प्रदान करने के लिए ₹2000 तक की धनराशि देने का निर्णय लिया है। यदि आप योजना का आवेदन, बांधकाम कामगार योजना 2022 लिस्ट, bandhkam kamgar yojana renewal करना चाहते हैं तो आपको कामगार योजना की आधिकारिक वेबसाइट पर जाना होगा।

बांधकाम कामगार यादी 1500 – www mahabocw in 2022

इस योजना के तहत महाराष्ट्र राज्य के सभी कंस्ट्रक्शन वर्कर यानी मजदूरों को आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी जिससे कि वह यह करो ना महामारी के समय में किसी भी प्रकार की समस्या का सामना ना कर पाए। इस योजना को कई और नामों से भी जाना जाता है जैसे कि मजदूर सहायता योजना या फिर महाराष्ट्र कोरोना सहायता योजना। बांधकर कामगार योजना 2021 के अंतर्गत मजदूरों को ₹2000 तक की धनराशि प्रदान करने हेतु कई सारे नियम एवं गाइडलाइंस को जारी किया गया था।

इस योजना के अंतर्गत राज्य के 12 लाख से ज्यादा मजदूर इस योजना का लाभ उठा पाएंगे। जो भी श्रमिक विभाग के आधिकारिक वेबसाइट से पंजीकृत है तो उनको यह सहायता राशि सीधे उनके बैंक खाते में ट्रांसफर की जाएगी।

bandhkam kamgar yojana mahiti

या योजनेंतर्गत महाराष्ट्र राज्यातील सर्व बांधकाम कामगारांना आर्थिक सहाय्य केले जाईल जेणेकरुन त्यांना महामारीच्या काळात कोणत्याही प्रकारची समस्या येऊ नये. ही योजना इतर अनेक नावांनी देखील ओळखली जाते जसे की मजदूर सहायता योजना किंवा महाराष्ट्र कोरोना सहायता योजना. बांधकर कामगार योजना 2021 अंतर्गत, मजुरांना ₹ 2000 पर्यंत निधी देण्यासाठी अनेक नियम आणि मार्गदर्शक तत्त्वे जारी करण्यात आली होती. या योजनेंतर्गत राज्यातील 12 लाखांहून अधिक मजुरांना या योजनेचा लाभ घेता येणार आहे. ज्यांनी कामगार विभागाच्या अधिकृत वेबसाइटवर नोंदणी केली असेल, त्यांना ही मदत रक्कम थेट त्यांच्या बँक खात्यात हस्तांतरित केली जाईल.

kamgar yojana online application

बांधकर कामगार योजना के तहत ₹2000 की आर्थिक मदद प्राप्त करना चाहते हैं तो आपको इस पोर्टल पर bandhkam kamgar yojana registration करना होगा। यदि आप जानना चाहते हैं कि योजना के तहत ऑनलाइन आवेदन एवं पंजीकरण कैसे करें तो नीचे दी गई प्रक्रिया को ध्यानपूर्वक पढ़ें।

  • सर्वप्रथम इस योजना के आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं।
  • अब आपको वर्कर रजिस्ट्रेशन के लिंक पर क्लिक करना होगा।
  • अब वर्कर के लिंक पर क्लिक करें।

Kamgar Kalyan Yojana Registration

  • अब आपके सामने पात्रता मापदंड की सूची खुल जाएगी।
  • आपको यह पता मापदंड की सूची एवं दस्तावेज की जांच करनी होगी।
  • दिए गए विकल्पों पर क्लिक करें।

Kamgar Yojana Registration

  • अब चेक किया और एलिजिबिलिटी के विकल्प पर क्लिक करें।
  • यदि आप इस योजना के आवेदन के लिए एलिजिबल यानी पात्र होंगे तो आपके स्क्रीन पर एक पॉपअप आएगा जिसके बाद आपको ओके के बटन पर क्लिक करना होगा।

Bandhkam Kamgar Kalyan Yojana Registration

  • अब अपना आधार नंबर एवं आधार नंबर से लिंक मोबाइल नंबर दर्ज करें।
  • ड्रॉपडाउन में से अपना डिस्ट्रिक्ट का चयन करें।

Kamgar Kalyan Yojana

  • अब सेंड ओटीपी के विकल्प पर क्लिक करें।
  • रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर प्राप्त हुए ओटीपी को दर्ज करें।
  • अब रजिस्ट्रेशन फॉर्म को ध्यानपूर्वक भरे।
  • अब क्लेम के बटन पर क्लिक करें।

bandhkam kamgar yojana 2021 online form

जो भी इच्छुक लाभार्थी बांधकर काम घर योजना के लिए ऑनलाइन की जगह ऑफलाइन आवेदन करने के इच्छुक हैं तो वह bandhkam kamgar yojana 2021 form pdf आसानी से डाउनलोड कर सकते हैं। इसके लिए हमारे द्वारा नीचे प्रदान किया गया लिंक पर क्लिक करें। अब आपके सामने एक आवेदन फॉर्म पीडीएफ फॉर्मेट में खुल जाएगा। डाउनलोड के बटन पर क्लिक करके इस फॉर्म को डाउनलोड करें। यह एक आधिकारिक आवेदन फॉर्म है जो कि सरकार द्वारा आधिकारिक वेबसाइट के माध्यम से डाउनलोड किया जा सकता है।

maharashtra bandhkam kamgar yojana form pdf download: Click here   

महाराष्ट्र बांधकाम कामगार योजना की पात्रता

यदि आप इस योजना के तहत आवेदन करना चाहते हैं तो निम्नलिखित करना अनिवार्य है। नीचे दिए गए पात्रता मापदंडों को ध्यानपूर्वक पढ़ें।

  • आवेदन श्रमिक की आयु 18 वर्ष से 60 वर्ष के बीच में होनी चाहिए|
  • योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए श्रमिक का महाराष्ट्र इमारत एवं उत्तर बांधकाम कामगार कल्याण विभाग में रजिस्टर होना आवश्यक है।
  • योजना का आवेदन से महाराष्ट्र राज्य के स्थाई निवासी ही कर पाएंगे|
  • इस योजना का लाभ उन्हीं श्रमिकों को मिलेगा जिन्होंने पिछले 12 महीने में कम से कम 90 दिन श्रम किया हो

महाराष्ट्र बांधकाम कामगार योजना के लिए आवश्यक दस्तावेज

अगर आप कामगार योजना के तहत आवेदन करना चाहते हैं तो आपके पास नीचे दिए गए आवश्यक दस्तावेज होने अनिवार्य हैं।

  • पासपोर्ट साइज फोटो
  • 90 दिन का श्रम सर्टिफिकेट
  • मोबाइल नंबर
  • निवास प्रमाण पत्र
  • पहचान प्रमाण पत्र
  • आय प्रमाण पत्र

कामगार कल्याण योजना  मान्यता प्राप्त कार्यों की सूची (बांधकाम कामगार सूची)

  • हवाई क्षेत्र,
  • तटबंध और नौवहन कार्य,
  • बाढ़ नियंत्रण कार्य (तूफान जल निकासी कार्य सहित),
  • बिजली का पारेषण और वितरण,
  • वाटर वर्क्स (पानी के वितरण के लिए चैनल सहित),
  • तेल और गैस प्रतिष्ठान,
  • विद्युत लाइनें,
  • टेलीग्राफ और विदेशी संचार,
  • एक्वाडक्ट्स,
  • जल शीतलक मीनार,
  • ट्रांसमिशन टावर्स और ऐसे ही अन्य कार्य,
  • पत्थर को काटना, तोड़ना और पत्थर को बारीक पीसना।
  • टाइलों या टाइलों को काटना और पॉलिश करना।
  • पेंट, वार्निश आदि के साथ बढ़ईगीरी,
  • गटर और नलसाजी कार्य।,
  • वायरिंग, वितरण, टेंशनिंग आदि सहित विद्युत कार्य,
  • अग्निशामक यंत्रों की स्थापना और मरम्मत।,
  • एयर कंडीशनिंग उपकरण की स्थापना और मरम्मत।,
  • स्वचालित लिफ्टों आदि की स्थापना,
  • सुरक्षा दरवाजे और उपकरणों की स्थापना।,
  • लोहे या धातु की ग्रिल, खिड़कियां, दरवाजों की तैयारी और स्थापना।
  • सिंचाई के बुनियादी ढांचे का निर्माण।,
  • बढ़ईगीरी, आभासी छत, प्रकाश व्यवस्था, प्लास्टर ऑफ पेरिस सहित आंतरिक कार्य (सजावटी सहित)।
  • कांच काटना, कांच पर पलस्तर करना और कांच के पैनल लगाना।
  • कारखाना अधिनियम, 1948 के अंतर्गत नहीं आने वाली ईंटों, छतों आदि को तैयार करना।
  • सौर पैनल आदि जैसे ऊर्जा कुशल उपकरणों की स्थापना,
  • खाना पकाने जैसे स्थानों में उपयोग के लिए मॉड्यूलर इकाइयों की स्थापना।
  • सीमेंट कंक्रीट सामग्री आदि की तैयारी और स्थापना,
  • स्विमिंग पूल, गोल्फ कोर्स आदि सहित खेल या मनोरंजन सुविधाओं का निर्माण,
  • सूचना पैनल, सड़क फर्नीचर, यात्री आश्रय या बस स्टेशन, सिग्नल सिस्टम का निर्माण या निर्माण।
  • रोटरी का निर्माण, फव्वारे की स्थापना आदि।
  • सार्वजनिक पार्कों, फुटपाथों, सुरम्य इलाकों आदि का निर्माण।

2021 update

You may also like

9xflix Movies Download

9xflix.com | 9xflix 2023 HD Movies Download &...

Mallumv Movies Download

Mallumv 2023 | Mallu mv Malayalam Movies HD Download...

Movierulz Tv

Movierulz Telugu Movie Download – Movierulz Tv...

kmut login

Kmut Login | கலைஞர் மகளிர் உரிமைத் திட்டம் | Kalaignar...

rts tv apk download

RTS TV App 2023 | RTS TV APK v16.0 Download For...

hdhub4u movie download

HDHub4u Movie Download | HDHub4u Bollywood Hollywood...

About the author.

' src=

hindimeaning.com

राष्ट्रीय एकता पर निबंध-Rashtriya Ekta Essay In Hindi

राष्ट्रीय एकता पर निबंध (rashtriya ekta essay in hindi) :.

essay writing on rashtriya ekta diwas in hindi

भूमिका : भारत एक विशाल देश है। इसकी भौगोलिक और प्राकृतिक स्थिति ऐसी है कि इस एक देश में अनेक देशों की कल्पना को सहज रूप से किया जा सकता है। इस देश में 6 ऋतुओं का एक अद्भुत क्रम है। देश में एक ही समय में एक क्षेत्र में गर्मी का वतावरण होता है तो एक तरफ सर्दी का वातावरण होता है। एक क्षेत्र में हरियाली होती है तो दूसरे क्षेत्र में दूर-दूर तक रेती के अलावा और कुछ दिखाई नहीं देता है।

जनसंख्या की दृष्टि से भारत का संसार में दूसरा स्थान है। भारत में हिंदू, सिक्ख, ईसाई, मुसलमान, पारसी, बौद्ध धर्म आदि सभी धर्मों और संप्रदायों के लोग रहते हैं। सभी लोग भारत को राष्ट्र कहने में गौरव का अनुभव करते हैं। भारत देश किसी भी एक धर्म, जाति, वंश या संप्रदाय का देश नहीं है। भारत में आचार-विचार, रहन-सहन, भाषा और धर्म आदि सभी विभिन्नताओं का होना स्वभाविक है।

इन विभिन्नताओं में अनेकता में एकता के दर्शन भारत की सर्वप्रमुख विशेषता है। इसी विशेषता और समंवय की भावना के कारण भारतीय संस्कृति अजर-अमर बन गयी है। जब किसी उद्देश्य को पूरा करने के लिए बहुत से लोग मिलकर काम करते हैं तो उसे संगठन कहते हैं। संगठन ही सभी शक्तियों की जड़ होता है। एकता एक महान शक्ति है इसी के बल पर अनेक राष्ट्रों का निर्माण हुआ था। सभी लोगों के पूजा स्थल व उपासना विधि अलग होते हुए भी सभी लोग एक ही ईश्वर की पूजा करते हैं।

सभी में एक भारतीयता की भावना व राष्ट्रीय एकता है। इसी तरह भारत कश्मीर से कन्याकुमारी और असम से काठियावाड़ तक एक व्यापक अखण्ड भारत है जिसके पश्चिम में पाकिस्तान, पूर्व में बर्मा, बांग्लादेश, उत्तर में नगाधिराज हिमालय व दक्षिण में हिन्द महासागर है। उक्त सीमाओं से घिरा हुआ यह देश हमारा भारत है। इसका कहीं से भी कोई खण्ड अलग न हो, इसको अखण्ड भारत कहते हैं। देश की एकता व अखंडता हमेशा बनी रहे यह सभी भारतवासियों का कर्तव्य होता है।

एकता को खतरा :   अंग्रेजों ने भारत में एकछत्र राज्य करने के लिए सबसे पहले यहाँ की एकता पर प्रहार किया क्योंकि कोई भी शासक अपना प्रभुत्व जमाने के लिए जनता में एकता नहीं चाहता है। इसलिए अंग्रेजों ने ‘फूट डालो राज करो’ की प्रबल नीति अपनाई जिसके कारण वे सैंकड़ों वर्षों तक भारत के सशक्त शासक बने रहे।

जिसका परिणाम यह हुआ कि भारत में धर्मों व जातियों तथा वर्गों के आधार पर कलह, दंगे भडकते रहते हैं। वे कभी किसी एक धर्म के लोगों को संरक्षण देते और दूसरों को तंग करते तो कभी दूसरे धर्मों के लोगों को प्रोत्साहित करते जिससे जनता परस्पर लडती रहे। फिर भारत के स्वतंत्र होने पर अंग्रेज भारत की अखंडता समाप्त करके ही गये थे।

भारत का विभाजन होना अंग्रेजों की नीति थी। इस तरह से उन्होंने हमारी एकता और अखण्डता को तोडा था। आज के समय में भारत में समय-समय पर सांप्रदायिक दंगे होते रहते हैं। एक धर्म के लोग दूसरे धर्म के लोगों से लड़ते रहते हैं। देश में कई जगहों पर वर्ग संघर्ष छिड़ा रहता है। स्वर्ण और हरिजनों के कलह भी देखने को मिलते हैं।

आज के समय में आरक्षण और अनारक्षण पर लड़ाई-झगड़ा चलता रहता है। भाषा के आधार पर भी कई जगहों पर झगड़ा होता रहता है। दक्षिण में हिंदी के विरोध में सरकारी संपत्ति को क्षति पहुंचाई जाती है। उत्तर भारत में अंग्रेजी का विरोध प्रबल है। कहीं पर उर्दू का विरोध हुआ था तो कहीं पर हिंदी का विरोध हुआ।

इस तरह से ही राष्ट्रिय एकता खतरे में पड़ी थी। राष्ट्रिय अखण्डता भी विगत दशकों से संकट में है। कुछ आतंकवादी अलग जगह चाहते हैं। कश्मीर के आतंकवादी अलग कश्मीर की मांग कर रहे हैं। कुछ समय से अब पूरे भारत में हिंदू आतंकवाद ने भी अपने पैर फैलाकर हमारी सरकार को परेशान कर दिया है। इस तरह कतिपय स्वार्थी तत्व भारत को छिन्न-छिन्न कर देना चाहते हैं।

भेदभाव के कारण : देश और राष्ट्र में अंतर होता है। देश का संबंध सीमाओं से होता है क्योंकि देश एक निश्चित सीमा से घिरा हुआ होता है। राष्ट्र का संबंध भावनाओं से होता है क्योंकि एक राष्ट्र का निर्माण देश के लोगों की भावनाओं से होता है। जब तक किसी देश के वासियों की विचारधारा एक नहीं होती है वह राष्ट्र कहलाने का हकदार नहीं होता है।

हमारे यहाँ आज तक शासकों ने अपने स्वार्थों की वजह से इस देश को राष्ट्र नहीं बनने दिया। आज राजनैतिक नेताओं ने अपनी दलगत राजनीति की वजह से देश को राष्ट्र बनाने में बाधा उत्पन्न की है। वोट प्राप्त करने के लिए सारे देश को धर्मों, जातियों, भाषाओं की संकीर्ण धाराओं में बाँट दिया है।

अभी देश के नेताओं, अधिकारीयों व जनता में राष्ट्रिय भावना जाग्रत नहीं हुई है। वे पहले कोई और होते हैं और फिर बाद में भारतीय होते हैं। जब कोई भी व्यक्ति सत्ता में आता है तो वह अपने वहाँ के वर्ग का समर्थन करते हुए दिखाई देता है। वोटों की राजनीति सभी को लड़ाने का काम करती है।

इसी कारण से नेताओं की तुष्टिकरण की नीति देश को राष्ट्र बनने से रोक रही है। आज देश के लोग ही संविधान के प्रति जल रहे हैं। कहीं-कहीं पर राष्ट्र ध्वज को जलाने और उसे फाड़ने के समाचारों को भी सुना जाता है। जब राष्ट्रिय गीत गया जाता है उस समय खड़े न रहना एक साधारण सी बात बन गई है। इन सभी गलतियों के लिए दंडों को निर्धारित किया गया है लेकिन किसी को भी दंड नहीं दिया जाता है।

यही है नेताओं की तुष्टिकरण की नीति। इसकी वजह से देशद्रोहियों को अक्सर बढ़ावा मिलता है। आज के समय में देश में देश-द्रोहियों, राजनेताओं को बहुत अधिक प्रोत्साहन मिलता है। इसी वजह से सभी में राष्ट्रिय भावना का आभाव बढ़ता ही जा रहा है जिसकी वजह से देश की एकता और अखंडता खतरे में पड़ रही है। देश में भ्रष्टाचार, अनाचार, बेईमानी, धोखाधड़ी उच्च स्तर पर छाए हुए है।

भारत में उत्पन्न समस्याएँ : स्वतंत्रता प्राप्त होने के बाद से ही देश में अनेक समस्याएं उत्पन्न होती रही है। इन समस्या में सांप्रदायिक की समस्या सबसे प्रमुख समस्या है। हमारे देश का विभाजन भी इसी समस्या की वजह से हुआ था। कुछ स्वार्थी लोगों ने हमारे देश में साम्प्रदायिकता की भावना को फैला दिया था जिसकी वजह से हम आज तक उससे मुक्त नहीं हो पाए हैं। हमें अपनी स्वतंत्रता की रक्षा के लिए और प्रगति के लिए राष्ट्रिय एकता पर विशेष ध्यान देना चाहिए। हर वर्ग में एकता के बिना कोई भी देश उन्नति नहीं कर सकता है। वर्तमान समय के देश में अनुशासन और आपसी वातावरण की बहुत जरूरत है।

दूषित राजनीति :  कुछ सालों से हमारे देश का वातावरण दूषित राजनीति की वजह से विषैला होता जा रहा है। धर्म में अंधे होने के कारण लोग आपस में झगड़ रहे हैं। अपने-अपने स्वार्थों की पूर्ति में लगे हुए लोग आपसी प्रेम को निरंतर भूलते जा रहे हैं। स्वार्थ की भावनाओं, प्रांतीयता एवं भाषावाद की वजह से राष्ट्रिय भावना बहुत प्रभावित हो रही है।

हमारे देश के लोगों में संकीर्णता की भावना पनप रही है और व्यापक दृष्टिकोण लुप्त होता जा रहा है। इसी वजह से विश्व-बंधुत्व की भावना अपने परिवार तक ही सीमित होकर रह गई है। अगर कोई कोशिश भी करता है तो वह प्रदेश स्तर तक जाकर ही असफल हो जाता है। इसी के फलस्वरूप सांप्रदायिक ताकतें मजबूत होती जा रही हैं।

असमानताओं में समानता : जम्मू-कश्मीर, असम आदि प्रदेशों में नर-संहार के किस्से सुनने को मिलते हैं। इन सब के लिए स्वार्थी नेता जिम्मेदार हैं, जो अपना उल्लू सीधा करने के लिए देश को दांव पर लगा रहे हैं। अनेक प्रकार की विषमताओं के होते हुए भी जब हम राष्ट्रिय एकता के बारे में सोचते हैं तो हमें पता चलता है कि इस राष्ट्रिय एकता की वजह से धार्मिक भावना, आध्यात्मिकता, समंवय की भावना, दार्शनिक दृष्टिकोण, साहित्य, संगीत और नृत्य आदि ऐसे अनेक तत्व हैं जो देश को एकता के सूत्र में बांधे हुए हैं।

सिर्फ जनता को एकजुट होकर कोशिश करने की जरूरत है। आज के समय में राष्ट्रिय एकता के लिए व्यक्तिगत और सार्वजिनक संपत्ति की सुरक्षा का प्रबंध करना जरूरी है। शत्रुपक्ष पर कठोर दंडनीति लागू की जानी चाहिए। पुलिस की गतिविधियों पर भी नियंत्रण रखना चाहिए।

आज के समय में सभी संगठनों को मिलकर राष्ट्रिय एकता के लिए कोशिश करनी चाहिए। हमारी स्वतंत्रता राष्ट्रिय एकता पर निर्भर करती है। इसके अभाव की वजह से स्वतंत्रता असंभव है। हमारी स्वतंत्रता के लिए हमें पूरी कोशिश करनी चाहिए, हमें एकजुट होकर राष्ट्रिय एकता की रक्षा करनी चाहिए, जिससे हम और हमारे वंशज खुली हवा में साँस ले सकें।

भारतीय संस्कृति और सभ्यता : भारतीय संस्कृति भावात्मक एकता का आधार है लेकिन बहुत बार राजनीतिक स्वार्थ, अस्पर्शयता, सांप्रदायिक तनाव, भाषा भेद, क्षेत्रीय मोह तथा जातिवाद आदि की संकीर्णता की भावनाओं के प्रबल होने पर हमारी भावात्मक एकता को खतरा पैदा हो जाता है।

परिणामस्वरूप अदूरदर्शी, मंद बुद्धि, धर्मांध लोग गुमराह होकर अपने छोटे-छोटे स्वार्थों की पूर्ति के लिए अलग-अलग रास्ते की मांग करने लगते हैं। राजनीतिक दलबंदी का सहयोग पाकर ये स्वार्थ कई बार भयंकर रूप धारण कर लेते हैं। राष्ट्रिय एकता के लिए भावात्मक एकता बहुत जरूरी होती है।

भावात्मक एकता बनाये रखने के लिए भारत सरकार हमेशा से ही प्रयत्नशील रही है। हमारे संविधान में ही धर्म निरपेक्ष, समाजवादी समाज की परिकल्पना की गयी है। धार्मिक और सामाजिक क्षेत्र में भी ऐसे अनेक संगठन बनाये गए हैं जो राष्ट्रिय एकता के लिए प्रयत्नशील रहते हैं। सच्चा साहित्य भी प्रथक्तावादी प्रवृत्तियों का विरोधी रहा है।

अनेकता में एकता : वर्तमान समय में भावात्मक एकता के लिए सरकार को चाहिए कि वह राष्ट्रिय शिक्षा की व्यवस्था करें। चल-चित्र, दूरदर्शन और रेडियो भी राष्ट्रिय एकता में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह कर सकते हैं। सामूहिक खेल-कूद, सांस्कृतिक कार्यक्रम तथा धार्मिक और शैक्षिक यात्राएं भी राष्ट्रिय और भावात्मक एकता में सहायक हो सकती है।

ह्रदय परिवर्तन और सद्भावना वातावरण बनाने की बहुत अधिक जरूरत है। धार्मिक संकीर्णता और सांप्रदायिक मोह राष्ट्रिय एकता में सबसे बाधक तत्व हैं। धर्म, ज्ञान और विश्वास में नहीं, वह तो कर्म और आचरण में बस्ता है। वास्तव में पूछा जाये तो सभी धर्म एक हैं, केवल पूजा की विधियाँ भिन्न-भिन्न हैं।

इसी भिन्नता की वजह से एक ही धर्म के भिन्न-भिन्न रूप होते हैं। प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी ने भी देशवासियों को संकीर्णता से ऊपर उठकर धर्म के व्यापक रूप की प्रेरणा देते हुए कहा था कि हे मेरे देश के लोगों! धर्म को एकवचन में ही रहने दो। हमारे देश में लोग धर्म के नाम पर कुछ लोग स्वार्थों की पूर्ति करने के लिए अनेक लोगों की शक्ति का दुरूपयोग करके राष्ट्रिय भावना का हनन कर रहे हैं।

उपसंहार : किसी भी देश की रक्षा और प्रगति देश की एकता और अखंडता पर निर्भर करती है। हमारे देश में जब तक उच्च स्तर पर राष्ट्रिय भावना नहीं आती है तब तक राष्ट्रिय एकता भी नहीं आती है। भारत देश को सबल बनाने के लिए सांप्रदायिक सद्भाव और सौहार्द बनाये रखने की जरूरत है।

हमें इस बात को हमेशा याद रखना चाहिए कि प्रेम-से-प्रेम और नफरत-से-नफरत उत्पन्न होती है। हमारा रास्ता प्रेम और अहिंसा का होना चाहिए। नफरत और हिंसा सब तरह की बुराईयों की जड़ होती है। संतों, महात्माओं और धर्म गुरुओं ने भी यह संदेश दिया है कि किसी में भी छोटे-बड़े का भेदभाव नहीं होता है।

सभी धर्मों में सत्य, प्रेम, समता, सदाचार और नैतिकता का पाठ विस्मरण होता है। प्रार्थना और आराधना की पद्धति अलग हो सकती है लेकिन उनके लक्ष्य हमेशा एक ही होते हैं। मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे और चर्च सभी धार्मिक स्थल एक ही संदेश देते हैं।

Related posts:

  • परीक्षाओं में बढती नकल की प्रवृत्ति पर निबंध-Hindi Nibandh
  • प्रातःकाल का भ्रमण पर निबंध-Paragraph On Morning Walk In Hindi
  • ई-कॉमर्स व्यवसाय पर निबंध
  • भारत के गाँव पर निबंध-Essay On Indian Village In Hindi
  • डॉ मनमोहन सिंह पर निबंध-Dr. Manmohan Singh in Hindi
  • पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं पर निबंध-Hindi Essay on Paradhi Supnehu Sukh Nahi
  • दूरदर्शन के लाभ, हानि और महत्व पर निबंध-Television Essay in Hindi
  • झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई पर निबंध-Rani Laxmi Bai In Hindi
  • वायु प्रदूषण पर निबंध-Essay On Air Pollution In Hindi (100, 200, 300, 400, 500, 700, 1000 Words)
  • हिंदी दिवस के महत्व पर निबंध-Hindi Diwas Essay In Hindi
  • रबिन्द्रनाथ टैगोर पर निबंध-Essay On Rabindranath Tagore In Hindi
  • मेक इन इंडिया पर निबंध-Make In India Essay In Hindi
  • हॉकी पर निबंध-Hockey In Hindi
  • कुत्ते पर निबंध-Essay On Dog In Hindi
  • जवाहर लाल नेहरु पर निबंध-Essay On Jawaharlal Nehru In Hindi
  • मेरी माँ पर निबंध-My Mother Essay In Hindi
  • Hindi Nibandh For Class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7 And 8
  • Hindi Nibandh For Class 9, 10, 11 And 12
  • Beti Bachao Beti Padhao In Hindi-बेटी बचाओ बेटी पढाओ से जुडी कुछ महत्वपूर्ण बातें
  • Swachh Bharat Abhiyan In Hindi-स्वच्छ भारत अभियान से जुडी कुछ महत्वपूर्ण बातें
  • IAS Preparation
  • UPSC Preparation Strategy
  • National Unity Day 2020

National Unity Day [UPSC Notes]

National Unity Day is also called Rashtriya Ekta Diwas which is celebrated on 31st October each year to commemorate the birth anniversary of the iron man of India, Sardar Vallabhbhai Patel. National Unity Day 2023 will mark the 148th anniversary of Patel.

The facts mentioned in this article can be used in a National Unity Day essay that can be asked in various competitive examinations including the IAS exam .

National Unity Day

The Rashtriya Ekta Diwas or National Unity Day is celebrated on 31st October annually since 2014. Related information that will be important for the UPSC CSE will be updated here.

Meanwhile, aspirants can read about the important days, dates and events  in the linked article.

Salient Points of National Unity Day 2020

  • On the 7th edition of National Unity Day which was celebrated on 31st October 2020, Prime Minister Narendra Modi launched the seaplane service from Ahmedabad to the Statue of Unity in Kevadia (Gujarat.)
  • A webinar on ‘Role of Sardar Patel in Unifying India’ has been launched.
  • Rashtriya Ekta Diwas Pledge, also known as the ‘Unity Pledge’ has been administered.
  • The film division organization screened a biographical documentary titled, ‘Iron Man – Sardar Patel’.
  • Sardar Patel National Unity Awards (the highest civilian award in the field of contribution to the unity and integrity of India) have been announced on the occasion of Rashtriya Ekta Diwas 2020.
  • Run for Unity
  • Ekta Parade

Why does India celebrate Rashtriya Ekta Diwas?

Sardar Vallabhbhai Patel played a pivotal role in the national integration of India. He was the pioneer behind the integration of princely states with Independent India. Hence, National Unity Day or the Rashtriya Ekta Diwas is the symbol to memorialize the unity of India since independence.

Read about Integration of Princely States in detail in the linked article.

The ideologies of Sardar Vallabhbhai Patel are also reflected in India’s Atmanirhbar Bharat Abhiyan as Patel championed the ideas of united and able India (Ek Bharat, Shreshtha Bharat.)

A few important facts about Sardar Vallabhai Patel

  • He was born on 31st October 1875 in Nadiad village of Gujarat.
  • He is known as the Iron Man of India.
  • He played a significant role in India’s Freedom Struggle .
  • He was India’s first deputy prime minister and home minister.
  • He was given the title of ‘Sardar’ by Mahatma Gandhi and was called ‘Sardar’ by the women of Bardoli when he led Bardoli Satyagraha .
  • He is called the founder of modern All India Services.
  • He presided over the Indian National Congress (INC) Session of Karachi in 1931.
  • PM Modi inaugurated the Statue of Unity of Patel on Unity Day of India 2018, i.e. 31st October 2018.

Quick Facts about National Unity Day or Rashtriya Ekta Diwas

Why is 31st october celebrated as national unity day, who introduced national unity day in india, what is the theme of national unity day 2023.

Aspirants can read the biography, and contributions of Sardar Vallabhbhai Patel in the linked article.

Related Links:

Leave a Comment Cancel reply

Your Mobile number and Email id will not be published. Required fields are marked *

Request OTP on Voice Call

Post My Comment

essay writing on rashtriya ekta diwas in hindi

IAS 2024 - Your dream can come true!

Download the ultimate guide to upsc cse preparation, register with byju's & download free pdfs, register with byju's & watch live videos.

SILENT COURSE

Essay Writing, Letter Writing, Notice Writing, Report Writing, Speech, Interview Questions and answers, government exam, school speeches, 10 lines essay, 10 lines speech

  • Hindi Essay
  • Eng. Speech
  • Hindi Speech
  • Notice Writing
  • Report Writing

Friday, October 23, 2020

Essay on national unity day in english - rashtriya ekta diwas essay in english.

essay writing on rashtriya ekta diwas in hindi

Students Download Maha Board 12th Model Paper 2022 at Official Website, We are Providing here the Detailed Schedule for Std 12th Class Final Examination 2022. Students can Check and Download Maha Board Model Paper Class 12 the Routine to know Examination Dates and make their Preparation strategy in accordance with the same. Students Are you guys Searching for Maharashtra 12th Question Paper 2022 for Arts, Science, Commerce, Vocational Streams Available From this Webpage, All the Students can Download Subject wise Direct Links Attached at the end of the page, we had Provided All Maha Board 12th Class Model Question Paper 2022 Worksheet in the PDF Format.

28 फरवरी ➤ राष्ट्रीय विज्ञान दिवस - National Science Day

  • ➤ राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर निबंध
  • ➤ सी.वी रमन जी पर निबंध
  • ➤ राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर 10 वाक्य
  • ➤ Essay on National Science Day In English
  • ➤ Essay on C.V. Raman In English
  • ➤ 10 Lines on National Science Day
  • ➤ 10 Lines on National Science Day In English

एक देश, एक चुनाव / One Nation One Election

  • - एक देश एक चुनाव पर निबंध
  • - एक देश, एक चुनाव पर 10 वाक्य
  • - Essay on One Nation, One Election In English
  • - 10 Lines on One Nation, One Election In English

आदित्य एल1 मिशन / Aditya-L1 Mission

  • - आदित्य एल1 मिशन पर निबंध
  • - आदित्य एल1 मिशन पर 10 पंक्ति
  • - Essay on Aditya-L1 Mission In English
  • - 10 Lines on Aditya-L1 Mission In English

चंद्रयान 3 / Chandrayaan-3

  • - चंद्रयान 3 पर निबंध
  • - चंद्रयान 3 पर 10 पंक्ति
  • - Essay on Chandrayaan 3
  • - 10 Lines on Chandryaan-3

Popular Posts

  • Write A Letter To Your Friend Congratulating Him On His Success In The Examination Q. Write A Letter To Your Friend Congratulating Him On His Success In The Examination. Ans : RZH-333, Street-9  Bangalore Road  Mysore - 570...
  • Write An Application To The Principal For Fee Concession Q. Write An Application To The Principal For Fee Concession. Ans :  Letter Writing To  The Principal  Adarsh School  Dwarka Sec - 7  Delhi :...
  • Write A Letter To Your Friend Inviting Him To Spend Summer Vacation With You Q. Write A Letter To Your Friend Inviting Him To Spend Summer Vacation With You. Examination Hall Palika Road, Delhi 17th May...
  • अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर निबंध - Essay on International Yoga Day In Hindi - 21st June Essay on International Yoga Day In Hindi (300 Words) अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर निबंध अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस हर साल 21 जून को पुरे विश्व मे...
  • Essay on Dr. APJ Abdul Kalam In 300 Words Essay on Dr. APJ Abdul Kalam In English | 300 Words Father of India Missile Programmed Dr. A.P.J Abdul Kalam is the 11 th president of...
  • How To Write An Application to The Principal For Sick Leave  (How To Write An Application To The Principal For Sick Leave) To  The Principal  Delhi Convent School  Subject : Application...
  • दो दिन की छुट्टी / अवकाश के लिए प्रधानाचार्य जी को आवेदन पत्र या प्रार्थना पत्र - Write An Application To The Principal For Leave Two Days Question :  Write An Application To The Principal For Leave Two Days दो दिन की छुट्टी / अवकाश के लिए प्रधानाचार्य जी को आवेदन पत्र या ...
  • स्कूल छोड़ने के लिए प्रधानाचार्य जी को प्रार्थनापत्र - Write An Application To The Principal For School Leaving Certificate In Hindi Question :   Write An Application To The Principal For School Leaving Certificate प्रश्न :   स्कूल छोड़ने के लिए प्रधानाचार्य जी को प्रार्थ...
  • Fee Installment के लिए आवेदन - Application For Fee Installment In School In Hindi Fee Installment के लिए आवेदन |  Application For Fee Installment In School In Hindi दिनांक :- सेवा में प्रधानाचार्य / प्रधानाचा...
  • Write An Application To The Principal For A School Picnic Q. Write An Application To The Principal For A Picnic Q. Application to the principal to arrange for school picnic Q. Application for Per...
  • - Road Accident Report Writing
  • - Fire Accident Report Writing
  • - Kerala Flood Report Writing
  • - Pulwama Attack Report Writing
  • - Blood Donation Camp Report Writing
  • - Lost Wrist Watch Notice Writing
  • - Lost Water Bottle Notice Writing
  • - Lost Pencil Box Notice Writing
  • - Fancy Dress Competition Notice Writing
  • - Sick Leave Application
  • - School Leaving Certificate
  • - For Scholarship
  • - Fee Concession
  • - Congratulation Letter (Exam)
  • - Application for Picnic
  • English-Essay (120)
  • Hindi-Essay (120)
  • 10-Lines-English (31)
  • 10-Lines-Hindi (31)
  • English-Festival-Essay (25)
  • Hindi-Festival-Essay (25)
  • Hindi-Speech (19)
  • Hindi-Letter (18)
  • 10-Lines-Speech (15)
  • English-Speech (14)
  • English-Letter (13)
  • Freedom-Fighter-Hindi-Essay (13)
  • Freedom-Fighter-Essay (12)
  • 10-Lines-Hindi-Speech (8)
  • 10-lines-hindi-essay (8)
  • 10-Lines-Essay (5)
  • English-Notice (5)
  • English-Report (5)
  • 10-Lines-Domestic-Animal (4)
  • 10-Lines-Historical-Monuments (2)
  • 10-Lines-Wild-Animal (2)
  • Freshers-Interview (2)
  • Experienced-Interview (1)

Site Information

  • Privacy Policy

Contact Form

Total pageviews.

Terms of Use

Privacy Policy

essay writing on rashtriya ekta diwas in hindi

Customer Reviews

  • How it Works
  • Top Writers

Finished Papers

IMAGES

  1. Rashtriya Ekta Diwas (National Unity Day) 2022 Speech Essay For

    essay writing on rashtriya ekta diwas in hindi

  2. Essay on Rashtriya Ekta Diwas राष्ट्रीय एकता दिवस पर निबंध 31 October

    essay writing on rashtriya ekta diwas in hindi

  3. Rashtriya Ekta Diwas Slogan & Poster in Hindi

    essay writing on rashtriya ekta diwas in hindi

  4. राष्ट्रीय एकता दिवस पर कविता/Poem on Rashtriya Ekta Diwas in hindi/Rashtriya Ekta Diwas par kavita

    essay writing on rashtriya ekta diwas in hindi

  5. राष्ट्रीय एकता पर निबंध/rashtriya Ekta par nibandh Hindi mein/Essay on national integration in Hindi

    essay writing on rashtriya ekta diwas in hindi

  6. राष्ट्रीय एकता दिवस, Rashtriya Ekta Diwas Ki Hardik Subhkamnaiye

    essay writing on rashtriya ekta diwas in hindi

VIDEO

  1. ias officer entry #iastopper #upsc #iasipsentry #civilserviceexam #motivation #sehrishasgar

  2. राष्ट्रीय एकता दिवस पर कविता/Poem on Rashtriya Ekta Diwas in hindi/Rashtriya Ekta Diwas par kavita

  3. Rashtriya Ekta Diwas par Kavita

  4. भारतीय सैन्याचा श्वानाचे डोळे बांधून प्रात्यक्षिक Rashtriya Ekta Diwas Parade in Ekta Nagar, Kevadia

  5. हिंदी दिवस पर निबंध हिंदी में

  6. राष्ट्रीय एकता दिवस पर 10 वाक्य।10 Lines on Rashtriya Ekta Diwas in Hindi.राष्ट्रीय एकता पर निबंध।

COMMENTS

  1. राष्ट्रीय एकता दिवस पर निबंध (National Unity Day Essay in Hindi)

    Rashtriya Ekta Divas par Nibandh Hindi mein. Skip to content. ... (National Unity Day Essay in Hindi) राष्ट्रीय एकता दिवस पर निबंध (National Unity Day Essay in Hindi) By Kumar Gourav / October 17, 2020 March 31, 2022.

  2. राष्ट्रीय एकता पर निबंध 100, 150, 200, 300, 500 Words

    हिंदी निबंध | Essay in Hindi December 11, 2023 January 15, 2024 निबंध नारी शिक्षा पर निबंध 100, 150, 250, 500 शब्दों में

  3. राष्ट्रीय एकता दिवस पर निबंध Essay on Rashtriya Ekta Diwas in Hindi

    January 4, 2023 by बिजय कुमार. राष्ट्रीय एकता दिवस पर निबंध Essay on Rashtriya Ekta Diwas in Hindi. राष्ट्रीय एकता एक ऐसी ताकत है जो समाज को एक दूसरे से जोड़े रखती है और ...

  4. राष्ट्रीय एकता दिवस पर निबंध

    Rashtriya Ekta Diwas Essay in Hindi:- राष्ट्रीय एकता दिवस या जिसे राष्ट्रीय एकता दिवस के नाम से भी जाना जाता है, हर साल 31 अक्टूबर को मनाया जाता है और यह सरदार वल्लभ भाई पटेल की ...

  5. राष्ट्रीय एकता दिवस पर निबंध, भाषण व कविता

    Rashtriya Ekta Diwas par Nibandh or Poem, Speech, Essay on National Unity Day in Hindi के बारे में बताते हैं। विषय-सूची . ... National Unity Day Quotes in Hindi | Wishes Massages, Quotes on rashtriya Ekta Divas 2023.

  6. राष्ट्रीय एकता पर निबंध- Essay On National Unity In Hindi

    राष्ट्रीय एकता पर निबंध- Essay On National Unity In Hindi. April 25, 2023 Kanaram siyol HINDI NIBANDH. नमस्कार दोस्तों आज हम राष्ट्रीय एकता पर निबंध Essay On National Unity In Hindi लेकर आए हैं. इस लेख ...

  7. राष्ट्रीय एकता पर निबंध

    Rashtriya Ekta Mein Hindi ki Bhumika par nibandh. राष्ट्रीय एकता से लाभ :- किसी भी राष्ट्र या देश को उसकी रास्ते एकता की वजह से बहुत अधिक लाभ होता है सबसे बड़ा लाभ यह ...

  8. राष्ट्रीय एकता पर निबंध

    Article shared by: राष्ट्रीय एकता पर निबंध (दो निबंध) | Read These Two Essays on National Unity in Hindi. #Essay 1: राष्ट्रीय एकता पर निबंध | Essay on National Unity in Hindi! राष्ट्रीय एकता एक ...

  9. राष्ट्रीय एकता दिवस

    राष्ट्रीय ऐक्य दिवस प्रतिवर्ष 31 अक्टूबर को भारत में मनाया जाता है। इस दिवस को सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयन्ती को चिह्नित करने के लिए मनाया जाता है, जिनकी ...

  10. भारतीय राष्ट्रीय एकता दिवस पर बेहतरीन निबंध

    Rashtriya Ekta Diwas Essay In Hindi राष्ट्रीय एकता दिवस पर निबंध. हमारे देश भारत की पहचान अनेकता में एकता है शायद यही कारण है की पूरे विश्व में भारत ही एकमात्र ऐसा देश है जहा ...

  11. Rashtriya Ekta Essay in Hindi- राष्ट्रीय एकता पर निबंध

    राष्ट्रीय एकता पर निबंध- Rashtriya Ekta Essay in Hindi/ National Unity Essay, किसी उद्देश्य की प्राप्ति के लिए बहुत-से लोगों का मिलकर कार्य करना संगठन कहलाता है। संगठन ही सभी शक्तियों ...

  12. Hindi Essay on "Rashtriya Ekta" , " राष्ट्रीय एकता " Complete Hindi

    राष्ट्रीय एकता. Best 4 Essay " Rashtriya Ekta" निबंध नंबर : 01 एकता में बल है - हिंदी के कहानीकार सुदर्शन लिखते है - "ओस की बूंद से चिड़िया भी नहीं भीगती किंतु मेंह से हाथी ...

  13. राष्ट्रीय एकता पर निबंध

    by Ujjawal Dagdhi. राष्ट्रीय एकता और अखंडता पर निबंध हिंदी में | Essay on National Unity in Hindi | Rashtriya Ekta Aur Akhandta Par Nibandh | Rashtriya Ekta ka Mahatva.

  14. Rashtriya Ekta Diwas Nibandh In Hindi

    इस आर्टिकल 'Rashtriya Ekta Diwas Nibandh in Hindi' जानेंगे - राष्ट्रीय एकता दिवस पर निबंध कैसे लिखें, How to Write a Short paragraph on national unity day essay in Hindi और राष्ट्रीय एकता दिवस प्रस्ताव इन हिन्दी के ...

  15. Hindi Essay on "Rashtriya Ekta", "राष्ट्रीय एकता" Complete Hindi

    Rashtriya Ekta. राष्ट्रीय एकता का अर्थ यह है कि देश के सभी नागरिक, चाहे वे किसी भी संप्रदाय, जाति, धर्म, भाषा अथवा क्षेत्र से संबंधित हों, इन सब ...

  16. राष्ट्रीय एकता दिवस पर निबंध 2022 -23 National Unity Day Essay in Hindi

    National Unity Day (or Rashtriya Ekta Diwas) is the birthday (birth anniversary) of Sardar Vallabhbhai Patel, a famous personality for uniting India. This day was decided and introduced by the central government of India in New Delhi in 2014 in order to observe the birth anniversary of Patel every year as Rashtriya Ekta Diwas.

  17. राष्ट्रीय एकता दिवस पर निबंध

    #Smartvidyalaya राष्ट्रीय एकता दिवस पर निबंध Essay on Rastriya Ekta Diwas in Hindi national unity day essay in hindi ...

  18. राष्ट्रीय एकता दिवस पर निबंध । Essay on National Unity Day in Hindi

    राष्ट्रीय एकता दिवस पर निबंध । Essay on National Unity Day in Hindi, Rashtriya Ekta Diwas par Nibandh Hindi mein, Essay on National Unity Day in ...

  19. राष्ट्रीय एकता पर निबंध-Rashtriya Ekta Essay In Hindi

    राष्ट्रीय एकता पर निबंध (Rashtriya Ekta Essay In Hindi) : भूमिका : भारत एक विशाल देश है। इसकी भौगोलिक और प्राकृतिक स्थिति ऐसी है कि इस एक देश में अनेक देशों की कल्पना को सहज ...

  20. National Unity Day 2023

    National Unity Day [UPSC Notes] National Unity Day is also called Rashtriya Ekta Diwas which is celebrated on 31st October each year to commemorate the birth anniversary of the iron man of India, Sardar Vallabhbhai Patel. National Unity Day 2023 will mark the 148th anniversary of Patel. The facts mentioned in this article can be used in a ...

  21. National Unity Day

    National Unity Day is celebrated every year on 31 st October to commemorate the birth anniversary of Sardar Vallabhbhai Patel.. It is also known as Rashtriya Ekta Diwas.; It was celebrated for the first time in 2014 with the aim to pay tribute to the 'Iron man of India' by remembering his extraordinary works for the country.; Several events are organized on this day like 'Run For Unity ...

  22. Essay on National Unity Day In English

    In this article we will learn that how to write essay on Nationl Unity Day In English / Rashtriya Ekta Diwas Essay In English. Nationl Unity Day / Rashtriya Ekta Diwas (300 Words) Introduction: The strength of any country depends on the unity of that country. The greatest beauty of India is that all citizens of different religions live here ...

  23. Short Essay On Rashtriya Ekta Diwas In Hindi

    Short Essay On Rashtriya Ekta Diwas In Hindi. ID 8764. 1977 Orders prepared. I agree to receive discount codes and exclusive offers to my phone. Home. Our Listings. Our Rentals. Services. About Us.