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ओलंपिक खेलों पर निबंध Essay on Olympic Games in Hindi

इस लेख में आप ओलंपिक खेलों पर निबंध (Essay on Olympic Games in Hindi) हिन्दी में पढ़ेंगे। इसमें ओलंपिक खेल की जानकारी, शुरुवात, इतिहास, ध्वज, आयोजन, उद्देश्य, उपसंहार दिया गया है।

Table of Content

खेलों और मानव का शुरू से ही एक खास रिश्ता रहा है। प्राचीनकाल से ही सैनिक युद्ध कला सीखने के साथ-साथ सैन्य प्रशिक्षण के अन्तर्गत कुश्ती, मुक्केबाजी, दौड़, घोड़ा दौड़ जैसे खेलों का अभ्यास करते रहे हैं और सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले सैनिकों को सम्राट द्वारा पुरस्कृत किया जाता रहा है। 

खेलकूद द्वारा ही एक व्यक्ति का व्यक्तिगत, बौधिक, शारीरिक, मानसिक विकास होता है। जिसके चलते आज भी समय-समय पर राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन होता रहता है। इन खेलों में से एक खेल ओलंपिक खेल है।

ओलंपिक खेल Olympic Games in Hindi

इस भारत देश में बहुत अलग अलग खेल खेले जाते है। कई खेलों का आयोजन किया जाता है। ओलंपिक खेल एक खेल के रूप में खेला जाता है। ओलंपिक खेल इस विश्व का सबसे बड़ा अंतर्राष्ट्रीय खेल है। 

दुनिया के हर देश के एथलीटों को एक साथ लेकर वर्तमान में आयोजित होने वाले सबसे लोकप्रिय खेल का नाम ओलंपिक है।

ओलंपिक खेल की शुरुवात Starting of Olympic Games

विश्व में सर्वप्रथम ओलंपिक खेलों का विधिवत रूप से आयोजन 776 ई. पू. यूनान (ग्रीस) के ओलम्पिया नामक नगर में हुआ था। इसकी उत्पत्ति के संबंध में विभिन्न मत हैं। कहा जाता है कि यह आयोजन देवताओं की पूजा के लिए समर्पित एक एथलेटिक और कलात्मक त्यौहार था।

ओलंपिया नगर के नाम से इस खेल को ओलंपिक नाम दिया गया, इसके हर चार वर्षो के बाद ओलिम्पिक खेलों का आयोजन किया जाना आरंभ हो गया, जिसमें हजारों की संख्या में लोग एकत्र होकर खेलों का आनन्द लेते थे।

आज के ओलंपिक खेलों की नींव 2,800 साल पहले आयोजित होने वाले प्राचीन ओलंपिक खेलों की हैं। प्राचीन ओलंपिक में बॉक्सिंग, कुश्ती, घुड़सवारी के खेल खेले जाते थे।

खेल के विजेता को कविता और मूर्तियों के जरिए सम्मानित किया जाता था। हर चार साल के अंतराल पर होने वाले ओलंपिक खेल को ओलंपियाड के नाम से भी जाना जाता था।

ओलंपिक खेल का इतिहास History of Olympic Games in Hindi

रोम के तत्कालीन सम्राट थियोडोसिस द्वारा 394 ई. में एक राज्यादेश जारी करके इन खेलों के आयोजन पर प्रतिबंध लगा दिया गया। 

जिसके कुछ समय बाद ही भयंकर भूकम्प के चलते ओलम्पिया शहर का अस्तित्व ही पूर्ण रूप से ख़तम हो गया। इसके साथ ही ओलम्पिक खेलों का आयोजन भी बंद हो गया। 

19वीं शताब्दी में ओलम्पिया शहर में हुई खुदाई के दौरान ओलम्पिक खेलों के बारे में दुनिया को पता चला एवं इसे पुन: प्रारम्भ करने के प्रयास अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर शुरू किया गया।

वर्तमान में हो रहे ओलम्पिक खेलों को शुरू करने का श्रेय फ्रांस के विद्वान एवं खेल प्रेमी पियरे डि कुबर्तिन को जाता है। इस क्षेत्र में उनके अथक प्रयासों के चलते 1894 ई. में ‘अंतर्राष्ट्रीय ओलम्पिक समिति’ का गठन किया गया, जिसमें उन्हें ही प्रथम अध्यक्ष के रूप में निर्वाचित किया गया।

4 अप्रैल, 1896 को एथेंस में वर्तमान ओलंपिक खेलों का प्रथम आयोजन शुरू हुआ और तभी से हर चार वर्षो के बाद विश्व के विभिन्न स्थानों पर इस खेल का आयोजन किया जाता है।

1916 में हुए प्रथम विश्वयुद्ध एवं 1940 – 1944 में हुए द्वितीय विश्वयुद्ध के क्रमश छठे, बारहवें एवं तेरहवें ओलम्पिक का आयोजन नहीं किया जा सका।

पढ़ें: विश्व युद्ध की पूरी जानकारी

ओलंपिक ध्वज Olympic Flag

वर्ष 1914 में पियरे डि कुबर्तिन के सुझावों पर ओलम्पिक ध्वज बनाया गया, जो सिल्क के सफेद कपड़े का बना होता है। 

आपस में जुड़े नीले, पीले काले हरे एवं लाल रंग के पाँच छल्लों के रूप में ओलम्पिक चिह्न मुद्रित होता है। ये पाँच छल्ले पाँच प्रमुख महाद्वीपों – अफ्रीका, अमेरिका, एशिया, ऑस्ट्रेलिया एवं यूरोप को दर्शाते हैं।

खेल को शुरू करने का तरीका The Olympic Opening Ceremony

ओलम्पिक खेलों का एक अपना गीत है जिसे ‘ओलाम्पिक गान’ से जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि ओलम्पिक खेल को शुरू करने से पहले यूनान देश के ओलम्पिया स्थित जियस देवता के मंदिर में सूर्य की किरणों से ओलम्पिक मशाल को प्रज्वलित किया जाता है। 

इसके बाद इसी मशाल से ‘स्टेडियम मशाल’ को प्रज्वलित कर आयोजन प्रारम्भ किया जाता है। खेल प्रारम्भ होने से पहले सभी प्रतिभागी खिलाड़ियों द्वारा खेल को नियमों के अनुरूप, सच्ची खेल-भावना से खेलने की शपथ ली जाती है। ओलम्पिक खेल में बहुत सारे खिलाडी सहभाग लेते है। 

इन खेल के अन्दर बहुत सारे खेल भी खेले जाते है। ओलम्पिक खेल में अनेक प्रतिस्पर्धा होती है। जो देश अन्य प्रकार के खेलों में प्रथम स्थान प्राप्त कर लेता है उसको ‘ओलम्पिक विजेता’ माना जाता है।

पूर्व में हुए ओलंपिक खेलों में महिलाओं को भाग नहीं लेने दिया जाता था। परन्तु पेरिस में वर्ष 1900 में आयोजित दूसरे ओलंपिक खेलों में पहली बार महिलाओं को भी इसमें शामिल करने का निर्णय किया गया। 

ओलम्पिक खेलों में किसी भी स्पर्धा में प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त करने वालों को एक प्रमाण-पत्र (सर्टिफिकेट) के साथ क्रमशः स्वर्ण, रजत एवं कांस्य पदक से सम्मानित किया जाता है। चौथे से आठवें स्थान पर आने वालों को केवल प्रमाण-पत्र (सर्टिफिकेट) से सम्मानित किया जाता है।

अधिकृत रूप से वर्ष 1920 में भारत ने इसमें हिस्सा लेना शुरू किया था। तब से लेकर वर्ष 2012 तक आयोजित ओलम्पिक में भारत कुल मिलाकर 24 पदक जीत गया है। इनमें से 11 पदक भारत ने हॉकी में जीते हैं, जिनमें से 8 स्वर्ण, 1 रजत एवं 2 कांस्य पदक शामिल हैं।

विभिन्न स्थानों पर ओलंपिक खेल का आयोजन Organizing Olympic Games in Different Countries

हर चार वर्ष पश्च्यात आयोजित होने वाले ओलंपिक खेल, 1896 के बाद से दुनिया के सबसे प्रसिद्ध क्षेत्रों में आयोजित किये जा रहे हैं। जिसके फलस्वरूप ओलंपिक खेलों की प्रसिद्धि एक स्थान पर ही न रहकर पूरे विश्व में फ़ैल रही है और अब यह दुनिया के हर कोने में प्रवेश कर चुका है।

ओलंपिक संघ The International Olympic Committee 

ओलंपिक खेलों का सुचारू रूप से आयोजन करने के उद्देश्य से ओलंपिक संघ का गठन किया गया। इस संघ में एक अध्यक्ष, दो उपाध्यक्ष, एक संपादक और सात सह-संपादक होते हैं। 

इनके अलावा, प्रचलित परंपराओं और नियमों के अनुसार, संगठन में प्रत्येक देश से एक सदस्य और प्रत्येक महाद्वीप से एक संपादक शामिल होते हैं।

ओलंपिक खेलों का उद्देश्य The Purpose of Olympic Games in Hindi

जीवन में जब तक किसी से प्रतिस्पर्धा न हो तब तक विकास और उत्कृष्टता हासिल करना आसान नहीं है। इसीलिए ओलंपिक खेलों का अंतिम लक्ष्य पूरी दुनिया में प्रतियोगिताओं के माध्यम से खेल को बेहतर बनाने के साथ-साथ खेलों को बढ़ावा देकर एथलीटों को बढ़ावा देना है। 

इसके साथ ही एक देश का अन्य देश दूसरे देश से अच्छे संबंध बनाना, अंतरराष्ट्रीय समझ और सद्भावना की रक्षा करना है। इसमें भाग लेने वाले एथलीटों को अनुशासन , धैर्य, धीरज, साहस, आदि प्राप्त करने का अवसर मिलता है।

उपसंहार Conclusion

ओलंपिक खेलों को भी सर्वश्रेष्ठ अंतरराष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं के रूप में मान्यता प्राप्त है। कई एथलीट के लिए पुरस्कार जीते बिना भी इसमें भाग लेना गौरव की बात है। 

सवा करोड़ आबादी वाले एक ऐसे देश से, जिसमें युवाओं की संख्या 40 करोड़ से अधिक हो, कम-से-कम इतनी उम्मीद तो की ही जा सकती है कि प्रत्येक नागरिक को ओलंपिक खेल की सफलता और स्थिरता की कामना करनी चाहिए। 

ओलम्पिक खेल अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित होने वाली बहु-खेल प्रतियोगिता देशों के बीच मित्रता, भाईचारे और अच्छे संबंधों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

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नमस्कार रीडर्स, मैं बिजय कुमार, 1Hindi का फाउंडर हूँ। मैं एक प्रोफेशनल Blogger हूँ। मैं अपने इस Hindi Website पर Motivational, Self Development और Online Technology, Health से जुड़े अपने Knowledge को Share करता हूँ।

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ESSAY KI DUNIYA

HINDI ESSAYS & TOPICS

Essay on Olympic Games in Hindi – ओलंपिक खेलों पर निबंध

October 31, 2017 by essaykiduniya

यहां आपको सभी कक्षाओं के छात्रों के लिए हिंदी भाषा में ओलंपिक खेलों पर निबंध मिलेगा। Here you will get short Essay on Olympic Games in Hindi Language for students of all Classes in 500 words.

Essay on Olympic Games in Hindi – ओलंपिक खेलों पर निबंध

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Essay on Olympic Games in Hindi – ओलंपिक खेलों पर निबंध ( 500 words )

प्राचीन ओलंपिक खेलों की उत्पत्ति प्रागितिहास के बीच में खो जाती है, लेकिन कई शताब्दियों के लिए वे ग्रीक लोगों का त्योहार थे। खेल का पहला ऐतिहासिक उल्लेख 776 ईसा पूर्व में हुआ। ये एल्स के राज्य के मैदान में आयोजित किए गए थे, आलिनी सागर से 15 किलोमीटर की दूरी पर अल्पाउस नदी शुष्क मोंट क्रोनियन के बीच प्रचलित घाटी में। ओलंपियाड ने मनाया कि उस वर्ष को पहली बार माना जाता था और इसके बाद के ऐतिहासिक ऐतिहासिक घटनाओं का इस्तेमाल किया गया था। लेकिन उस समय से पहले ओलंपिया में धार्मिक समारोहों और खेलों का आयोजन किया गया था। ग्रीस का सबसे पुराना संप्रदाय गॉड की महान माता, रिया (पृथ्वी) थी।

दावत के दिन, याजक वेदी के सामने खड़ा था, एक बलिदान करने के लिए तैयार था क्षेत्र के युवा पुरुष एक स्टेडियम (लगभग 200 yds) की दूरी पर इंतजार कर रहे थे। जैसे ही एक सिग्नल दिया गया, जैसे ही वह भाग गया और सबसे पहला बदलाव आया, पुजारी के हाथ से मशाल मिला और बलि चढ़ाव को जलाया। पुरानी ओलंपियाडों को हर चार साल बाद आयोजित किया गया था और यूनानियों ने खेलों के संदर्भ में समय की गणना की थी, ग्रीष्मकालीन संक्रांति के बाद, ये चारों ओर पहले नए चाँद पर शुरू हुई थी। प्राचीन ओलंपिक खेलों पांच दिनों तक चले और ‘घटनाएं एक सटीक क्रम में हुईं। पहले दिन, वहाँ बलिदान और उद्घाटन समारोह थे।

ओए दूसरे दिन “इफिसियों” के लिए विशेष प्रतियोगिताओं थे तीसरे दिन वयस्क प्रतियोगियों के लिए घटनाओं के लिए समर्पित था: ड्रोन, डोलिकोस, कुश्ती, पंक्रैटियम। चौथे दिन, घुड़सवार घटनाएं, पैन्टैथलॉन, हथियारों के साथ दौड़ थी पांचवीं और आखिरी दिन, नायकों के समापन समारोह और घोषणाएं थीं। हालांकि, पहले छह ओलंपिक खेलों के दौरान, यह पुरस्कार मांस का एक हिस्सा था या देवताओं के लिए बलिदान किए गए पशु से लिया गया ‘राइनरिया’। यह सातवीं खेलों के बाद ही था कि जैतून का मुकुट विजेता को दिया गया था और इस पुरस्कार का नैतिक महत्व काफी महत्वपूर्ण था। पुरस्कारों को सम्मानित करने के बाद, चैंपियनों के नाम ग्रीस के सभी शहरों में ले जाने के लिए कबूतरों का झुंड जारी किया गया था।

खेल अचानक समाप्त हो गया जब रोमन सम्राट थियोडोसियस ने मूर्तिपूजा के रूप में प्रतियोगिताओं और उनके परिचारक बलिदान प्रसाद पर प्रतिबंध लगा दिया। ओलंपिया के पतन के बाद से 395 ईस्वी से बहुत तेज़ था। उस वर्ष में पहली क्षति मैरी के बर्बर के आक्रमण के कारण हुई थी। एक साल पहले ज़ीउस की प्रसिद्ध क्रिसेलेफैंटिन मूर्ति को कांस्टेंटिनोपल में ले जाया गया है। यह महान आग के दौरान 470 ईस्वी में नष्ट हो गया था। गोथ के हमलों के बाद, एक आग ने ज़ीउस का मंदिर नष्ट कर दिया; 522 से 551 तक के भूकंप और 580 में सभी के सबसे गंभीर खड़े हुए जो खड़े रह गए थे महिमा गायब हो गई थी और विशाल धन के अब छोड़ दिया गया था लेकिन कुछ खंडहर और ओलंपिया का नाम। हालांकि, अमर अमर था, और वह ओलंपिक भावना थी।

ओलंपिक संकेत यह पांच अंगूठियां या मंडलियां शामिल हैं, जो सभी लोगों की खेल की दोस्ती का प्रतिनिधित्व करने के लिए एक साथ जुड़ा हुआ है। अंगूठियां महाद्वीपों – यूरोप, एशिया, अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका के प्रतीक हैं। प्रत्येक अंगूठी एक अलग रंग का होता है जो नीली, पीला, काला, हरा और लाल है।

हम उम्मीद करेंगे कि आपको यह निबंध ( Essay on Olympic Games in Hindi – ओलंपिक खेलों पर निबंध ) पसंद आएगा।

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Hindi Essay on "Olympic Games", "ओलंपिक खेल पर निबंध" for Students

इस लेख में पढ़ें " ओलंपिक खेल पर निबंध ", " Essay on Olympic Games in Hindi Language ", " ओलंपिक और भारत पर निबंध &q...

इस लेख में पढ़ें " ओलंपिक खेल पर निबंध ", " Essay on Olympic Games in Hindi Language ", " ओलंपिक और भारत पर निबंध " हिंदी भाषा में। 

  • ओलंपिक खेल पर निबंध
  • ओलंपिक का इतिहास
  • ओलंपिक का दुनिया पर प्रभाव
  • ओलंपिक खेल और भारत
  • ओलंपिक खेल और अंतर्राष्ट्रीय सद्भावना
  • ओलंपिक खेलों का संचालन
  • ओलंपिक खेलों का आयोजन
  • ओलंपिक का अंतिम दिन

ओलंपिक खेल पर निबंध 

ओलंपिक खेल प्रतियोगिताओं में अग्रणी खेल प्रतियोगिता है। जिसमे सभी देशों के हज़ारों एथेलीट विभिन्न खेलों में भाग लेते हैं। ओलंपिक खेल प्रत्येक चार वर्ष बाद आयोजित की जाती है। प्राचीन काल में यह ग्रीस यानी यूनान की राजधानी एथेंस में 1896 में आयोजित किया गया था। ओलंपिया पर्वत पर खेले जाने के कारण इसका नाम ओलंपिक पड़ा। ओलंपिक की शीतकालीन एवं ग्रीष्मकालीन प्रतियोगिताओं में 200 से ज्यादा देशों के खिलाडी शामिल होते हैं।

ओलंपिक का इतिहास 

ओलंपिक खेलों का इतिहास बहुत ही पुराना है। प्राचीन काल में ग्रीस में होने वाले ओलंपिक के समय के लिए चल रहे युद्ध भी टाल दिए जाते थे और दुश्मन फौजें भी बड़ी प्रसन्नता, सद्भावना और बिना किसी 'भय से भाग लेती थीं। जब फ्रांस के बेरोन पियरे दी कोबर्टिन ने सन् 1896 में एथेन्स (ग्रीस) में आधुनिक युग के ओलंपिक की नींव डाली तो प्राचीन खेल सम्बन्धी सदभावना का एक बार फिर से जन्म हुआ।पियरे दी कोबर्टिन ने विश्व को तभी यह नारा दिया था-जीवन जीतने के लिए नहीं, अच्छी तरह लड़ने के लिए है।

ओलंपिक का दुनिया पर प्रभाव 

ओलंपिक का जो सबसे अधिक महत्वपूर्ण प्रभाव दुनिया पर पड़ा वह था प्रतियोगिता में भाग लेने वाले खिलाड़ी की व्यक्तिगत हार व जीत को राष्ट्र की हार या जीत माना गया। यानी लोगों की विचारधारा व्यक्ति से उठकर राष्ट्र-व्यापी हुई। जब अभिनव बिंद्रा ने बीजिंग ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीता तो उसे अभिनव बिंद्रा का व्यक्तिगत गौरव कम लेकिन इण्डिया का राष्ट्रीय गौरव अधिक माना गया। अब तो ओलंपिक का मैदान ही विश्व में वह एकमात्र स्थल है जहाँ भाग लेने वाले सभी राष्ट्रों के राष्ट्रीय गीत वहाँ एक समय में गाये जाते हैं।

Hindi Essay on "Olympic Games", "ओलंपिक खेल पर निबंध" for Students

1960 में रोम में हुआ ओलंपिक बहुत महत्वपूर्ण माना गया । इस ओलम्पिक में लगभग सभी राष्ट्रों ने राष्ट्रीय स्तर पर ओलंपिक की तैयारी में भाग लिया। इसका श्रेय फेडरेशन, इण्टरनेशनल फुटबाल एसोसिएशन के अध्यक्ष पर स्टेनली रोजे को है।

ओलंपिक खेल और भारत  

भारत ने सर्वप्रथम 1920 के अलोंपिक खेलों में अधिकारिक रूप से भाग लिया था। इसमें भारत की ओर से चार एथलीट, दो पहलवान और दो प्रबंधक सोहराब भूत और ए एच ए फयज़ी भेजे गए थे। 1920 और 1980 तक ओलंपिक में भारत की राष्ट्रीय हॉकी टीम का दबदबा बना रहा। इस बीच हुए हुए बारह खेलों में से भारत ने ग्यारह पदक जीते जिनमें 8 स्वर्ण पदक थे। भारत के कप्तान मेजर ध्यान चाँद को हॉकी का जादूगर कहा गया। इसके अतिरिक्त 2004 ग्रीष्मकालीन ओलम्पिक, एथेंस में डबल ट्रैप स्पर्धा में राज्यवर्द्धन सिंह राठौर ने रजत पदक जीता। 2008 के बीजिंग ओलंपिक में सुशील कुमार ने कुश्ती में कांस्य पदक तथा अभिनव बिंद्रा ने स्वर्ण पदक जीतकर देश को गौरवान्वित किया। परन्तु वास्तविकता यह ही है कि भारत अधिकांश खिलाडियों के ओलंपिक प्रदर्शन को संतोषजनक नहीं कहा जा सकता।  

ओलंपिक खेल और अंतर्राष्ट्रीय सद्भावना  

सरकारी स्तर पर ओलम्पिक की तैयारी में मदद देना और ओलंपिक में भाग लेना 'राष्ट्रीय' और 'राजनीतिक' स्तर पर बहुत महत्वपूर्ण है। इससे दूसरे राष्ट्रों से सद्भावना बढ़ती है और साथ ही राष्ट्रीय गौरव की भावना भी दृढ़ होती है। लेकिन कभी-कभी इस भावना की हत्या करने वाली घटनाएँ भी घटती रहती हैं और बड़ा ही शर्मनाक दृश्य उपस्थित हो जाता है। जैसे सन् १९३६ में बर्लिन ओलंपिक में अपने को उच्चतम आर्य कहने वाले हिटलर ने नीग्रो खिलाड़ी ओवेन से हाथ मिलाने में इन्कार कर दिया था। १९७२ में हुए म्यूनिख ओलंपिक में पाकिस्तान के हाकी के खिलाड़ियों ने अभद्र व्यवहार का प्रदर्शन किया। दूसरे देशों के राष्ट्रीय ध्वजों का उन्होंने अपमान किया, ओलंपिक 'ध्वजों और पदकों' का अपमान किया। यह सब उन्होंने फाइनल खेल में पश्चिमी जर्मनी से हार जाने पर प्रतिक्रिया रूप में किया । फलस्वरूप पाकिस्तान को विश्वव्यापी निन्दा का शिकार होना पड़ा । यह सच है कि ऐसी घटनाएं ओलंपिक भावना के विरुद्ध हैं लेकिन यह घटनाएँ कभी-कभी स्वाभाविक रूप से घट ही जाती हैं जिन्हें जल्दी भूल जाना ही उचित व श्रेयस्कर है।

ओलंपिक खेलों का संचालन 

इन ओलंपिक खेलों में विश्व के हर राष्ट्र के खिलाड़ी आमंत्रित किये जाते हैं और लगभग सभी भाग भी लेते हैं। इनके प्रबन्ध व संचालन के लिए एक अन्तर्राष्ट्रीय समिति संयोजित व संगठित की जाती है। इस समिति में प्रत्येक राष्ट्र के एक से तीन तक प्रतिनिधि व सदस्य रहते हैं। यही समिति खेलों के लिए स्थान का चुनाव देख-रेख, व्यवस्था और हिसाब की देख-रेख भी रखती है। दो सप्ताह से अधिक चलने वाले इस खेल-पर्व का खर्च, अपने देश के खिलाड़ियों का व्यय-भार अपनी सरकारें उठाती हैं।

ओलंपिक खेलों का आयोजन 

खेल के प्रारम्भिक प्रथम दिवस को एक परेड आयोजित की जाती है जिसमें सभी प्रतियोगी देशों के खिलाड़ी अपनी विशेष वेषभूषा में अपने देश का राष्ट्रीय ध्वज लेकर चलते हैं। इसके बाद खेल का उद्घाटन होता है। ओलंपिक ध्वज का ध्वजारोहण होता है । ओलंपिक ध्वज सफेद कपड़े का होता है जिस पर पाँच रंगीन गोले आपस में गुथे हुए दिखाई देते हैं। उद्घाटन समारोह तोपों की सलामी के साथ होता है । हजारों कबूतर उड़ाये जाते हैं। सामूहिक राष्ट्र गीत गये जाते हैं। तत्पश्चात् सभी प्रतियोगी यह शपथ ग्रहण करते हैं- " हम शपथ लेते हैं कि इस स्वस्थ प्रतिस्पर्द्धा की भावना से ओलम्पिक खेलों के नियमों का आदर करते हए अपने देश के सम्मान और खेलों की प्रतिष्ठा के लिए सच्चे अर्थों में खेल की भावना से ओलंपिक खेलों में भाग लेंगे। " इसके बाद खेल प्रारम्भ होते हैं ।

प्रत्येक ओलंपिक प्रतियोगिता में, प्रथम स्थान पर स्वर्ण पदक दिए जाते हैं, दूसरे स्थान पर रजत पदक से सम्मानित किया जाता है, और तीसरे के लिए कांस्य पदक प्रदान किए जाते हैं; यह परंपरा 1904 में शुरू हुई। ग्रीष्मकालीन ओलंपिक की सफलता के कारण शीतकालीन ओलंपिक खेलों का निर्माण किया गया था।

ओलंपिक का अंतिम दिन 

जब तक खेल चलता है-ओलम्पिक मशाल जलती रहती है और ध्वज फहराता रहता है । खेल के अन्तिम दिन आगामी खेल का स्थान घोषित होता है। ओलम्पिक खेलों से स्वस्थ-प्रतियोगिता की भावना पैदा होती है और इससे भी बढ़कर विश्व-बन्धुत्व' की भावना बढ़ती है । इस खेल के द्वारा विश्वभर के खिड़ाड़ियों का आपसी सम्पर्क बढ़ता है और खेल एक परिवार बन जाता है ।

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ओलंपिक खेलों पर निबंध – Essay on Olympic games in Hindi [800 Words]

ओलंपिक खेलों पर निबंध (Essay on Olympic games in Hindi ): आयोजित सभी अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में, ओलंपिक खेल सबसे पुराने और सबसे महत्वपूर्ण हैं. इस प्रतिष्ठित खेल आयोजन में, जो हर चार साल में आयोजित किया जाता है, उसमें दुनिया भर के अधिकांश देशों के खिलाड़ी हिस्सा लेते हैं. इस खेल को जीतना हर व्यक्ति और देश के लिए गर्व का विषय माना जाता है. ओलंपिक खेलों का महत्व और लोकप्रियता दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है.

प्रस्तावना     

खेल मानवीय प्रवृत्ति है. इसके साथ, हर इंसान का करीबी रिश्ता होता है. इसलिए, विभिन्न स्तरों पर क्षेत्रीय स्तर से लेकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक खेल प्रतियोगिताएं आयोजित की जा रही हैं. इसलिए, विभिन्न स्तरों पर क्षेत्रीय स्तर से लेकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक खेल प्रतियोगिताएं आयोजित की जा रही हैं. खेलकूद में एक व्यक्ति का व्यक्तित्व, ताकत, बुद्धि और खेल कौशल प्रदर्शित होता है.  दुनिया के हर देश के एथलीटों को एक साथ लेकर वर्तमान में आयोजित होने वाले सबसे लोकप्रिय खेल का नाम ओलंपिक है.

ओलंपिक खेलों की प्राचीनता

ओलंपिक खेलों का जन्मस्थान प्राचीन ग्रीस देश के ओलंपिया नामक स्थान से जुड़ा है. पहले यह एक धार्मिक त्योहार था, लेकिन बाद में यह खेल की दुनिया में एक प्रमुख संस्थान बन गया. खेलों का शुभारंभ ग्रीक देवी ज़ीउस के सम्मान में किया गया था. एक दिन इसने प्राचीन ग्रीस के शहरों के बीच एकता और समन्वय बनाए रखने में यह मदद किया था. उस समय, खेल प्रतियोगिता के विजेताओं को जैतून के पत्तों से बने मुकुट और माल्यार्पण से सम्मानित किया जाता था और एक रंगीन वातावरण में सुनहरा और हाथीदांत की पीठ पर खड़े होकर पुरस्कार प्राप्त करते थे. यद्यपि खेल आयोजन 776 ईसा पूर्व में हुआ था, लेकिन इसे 1394 में किसी राजनीतिक कारण से बंद कर दिया गया था. 1896 में बेरेन परेड नामक एक फ्रांसीसी युवक की पहल पर इस खेल को पुनर्जीवित किया गया था. इसलिए आधुनिक ओलंपिक खेलों का इतिहास बहुत प्राचीन नहीं है.

olympic khelon par nibandh

विभिन्न स्थानों पर ओलंपिक खेल

1896 के बाद से हर चार साल में, खेल दुनिया के सबसे प्रसिद्ध महानगरीय क्षेत्रों में ओलंपिक आयोजित किया जा रहा है. नतीजतन, यह अब ग्रीक देश या ओलंपिया शहर तक सीमित नहीं है और यह दुनिया के हर कोने में प्रवेश कर चुका है. दुनिया भर के अधिकांश देशों ने हाल ही में इस खेल आयोजन में भाग लेकर अपनी महानता का विकास किया है. पेरिस, लंदन, बर्लिन, एम्स्टर्डम, म्यूनिख, बार्सिलोना, सिडनी, रियो दुनिया के सबसे प्रसिद्ध स्थानों में से एक हैं, जिन्होंने अब तक आधुनिक ओलंपिक खेलों की मेजबानी की है.

ओलंपिक एसोसिएशन  

ओलंपिक खेलों को सुचारू रूप से चलाने के लिए ओलंपिक संघ पूरी तरह से मदद करता है. इस संगठन में एक अध्यक्ष, दो उपाध्यक्ष, एक संपादक और सात सह-संपादक होते हैं. इसके अलावा, प्रचलित परंपराओं और नियमों के अनुसार, संगठन में प्रत्येक देश से एक सदस्य और प्रत्येक महाद्वीप से एक संपादक होते हैं. प्रतियोगिता विनियमन सभी संगठनात्मक कार्य, जैसे प्रतियोगिताओं का स्थान और विभिन्न विवादों का समाधान, ओलंपिक संगठन द्वारा समन्वित होता है.

इसका उद्देश्य और उपयोगिता

प्रतिस्पर्धा के बिना खेलों में उत्कृष्टता हासिल करना आसान नहीं है. ओलंपिक खेलों का अंतिम लक्ष्य पूरी दुनिया में प्रतियोगिताओं के माध्यम से खेल को बेहतर बनाने के साथ-साथ खेलों को बढ़ावा देकर एथलीटों को बढ़ावा देना है. ओलंपिक खेलों का एक लक्ष्य देशों के बीच अच्छे संबंध बनाना, अंतरराष्ट्रीय समझ और सद्भावना की रक्षा करना, और प्रबुद्ध एथलीटों और दुनिया को वैश्विक भाईचारे के रूप में शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के लिए मार्गदर्शन करना है.

ओलंपिक खेलों में भाग लेने से, दुनिया के विभिन्न देशों के एथलीटों को अनुशासन, धैर्य, धीरज, साहस, आदि प्राप्त करने का अवसर मिलता है, साथ ही साथ विश्व मित्रता की अवधारणा का एहसास होता है. प्रतियोगिता जीतने की इच्छा के साथ, प्रत्येक खिलाड़ी प्रतियोगिता आयोजित होने से बहुत पहले अच्छी खेल प्रथाओं में संलग्न होते हैं. इस समर्पित प्रयास के परिणामस्वरूप, उनके खेल कौशल अप्रत्याशित रूप से विकसित होता है. अगर उन्हें प्रतियोगिता में भाग लेने का अवसर नहीं मिला होता, तो शायद उस खिलाड़ी को खेल का अभ्यास करने में कोई दिलचस्पी नहीं होती. ओलंपिक में पहले, दूसरे और तीसरे स्थान के विजेताओं को स्वर्ण, रजत और कांस्य पदक से सम्मानित किया जाता है. इस पुरस्कार को जीतने से, विजेता व्यक्तिगत रूप से शानदार महसूस करता है और अपनी मातृभूमि के लिए अंतहीन प्रसिद्धि प्राप्त करता है.

भारत और ओलंपिक खेल

यद्यपि आधुनिक ओलंपिक खेल 1896 से आयोजित किए जाते रहे हैं, लेकिन कुछ साल बाद भारत इस खेल में शामिल हुआ. भारत ने पहली बार 1928 में एम्स्टर्डम में ओलंपिक खेलों में भाग लिया था. इस प्रतियोगिता में हॉकी में विजयी होकर भारत ने पहला स्वर्ण पदक जीता.हॉकी के खेल में इस पहली जीत ने भारत को कई ओलंपिक खेल जीतने में मदद की है. 1928 और 1980 के बीच आयोजित 14 ओलंपिक खेलों में से भारत ने हॉकी में आठ स्वर्ण पदक जीते. भारत की इस शानदार और अखंड जीत में विश्व प्रसिद्ध हॉकी खिलाड़ी ध्यानचंद का योगदान उल्लेखनीय और अविस्मरणीय है. हालाँकि भारत 1928 से लगभग सभी ओलंपिक खेलों में भाग ले रहा है, लेकिन विभिन्न खेलों में इसकी सफलता अपेक्षित नहीं रही है. हॉकी के अलावा, अलग प्रतियोगिताओं में भारत ने अलग-अलग समय में कुछ पदक जीते हैं, लेकिन वे सभी पदक निरर्थक लगते हैं. भारतीय ओलंपिक संघ, निश्चित रूप से, स्थिति में सुधार के लिए अपने प्रयासों को जारी रख रहा है. यह आशा की जाती है कि भारत आगामी ओलंपिक खेलों में अधिक से अधिक पदक जीतने में सक्षम होगा यदि भारत सरकार खेल की बेहतरी की परवाह करती है.

ओलंपिक खेलों को अभी भी सर्वश्रेष्ठ अंतरराष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं के रूप में मान्यता प्राप्त है. कई एथलीट पुरस्कार जीतने के बिना इसमें भाग लेकर खुद को सम्मानित मानते हैं. खेल प्रतियोगिता देशों के बीच मित्रता, भाईचारे और अच्छे संबंधों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, इसलिए दुनिया के प्रत्येक नागरिक को ओलंपिक खेल की सफलता और स्थिरता की कामना करनी चाहिए.

ओलंपिक में भारत के कुल 35 पदक हैं. जिसमें 10 गोल्ड, 9 सिल्वर 16 ब्रोंज शामिल हैं.

2036 या 2040 में भारत में ओलंपिक होने का संभावना है.

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ये था हमारा लेख ओलंपिक खेलों पर निबंध (Essay on Olympic games in Hindi ). उम्मीद करता हूँ की ओलंपिक खेलों पर ये निबंध आपको पसंद आया होगा. अगर पसंद आया है, तो अपने दोस्तों के साथ शेयर करना न भूलें. यदि ये निबंध को लेकर आपके मन में कोई सवाल है. या ओलिंपिक के बारे में आपको और कुछ रोचक तथ्य पता है तो आप हमें बता सकते हैं. मिलते हैं अगले एक नए निबंध में. धन्यवाद.

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ओलम्पिक खेल पर निबंध | Essay on Olympic in Hindi

ओलम्पिक खेल दुनिया का सबसे पुराना और सभी तरह के खेल प्रतियोगिताओं में लीडिंग खेल प्रतियोगिता है, यह प्रत्येक चार सालो में आयोजित होने वाली प्रतियोगिता है, और यह बारी- बारी से प्रत्येक दो साल पर ग्रीष्मकालीन और शीतकालीन ओलम्पिक आयोजित होते है। इसमें 200 देशों से भी अधिक देशों के खिलाडी भाग लेते है।

जो की 28 अलग- अलग तरह के खेलो जैसे की दौड़, कुश्ती, हॉकी, भारत्तोलन, नौकायन, शूटिंग, बैटमिंटन, तलवारबाजी इत्यादि खेलों के खिलाडी शामिल होते है। तो आइये आज सब कुछ जान लेते है ओलम्पिक खेल के बारे में और साथ में ये भी जानेंगे की भारत की क्या स्थिति रही है दुनिया के इस महाकुम्भ खेल और सबसे पुराने खेल प्रतियोगिता में।

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Table of Contents

ओलम्पिक खेल का इतिहास (Olympic History in Hindi)

दोस्तों, ओलम्पिक खेल की शुरुआत आज से करीब 2800 साल पहले 776 इसा पूर्व में ग्रीस के शहर ओलंपिया में आयोजित हुआ था, तो प्राचीन ओलम्पिक खेल 8 वी इसा पूर्व से लेकर लगभग 4 वी इसा पूर्व तक तक़रीबन 1200 सालो लगातार आयोजन किया गया था। और ये प्रत्येक चार साल में एक बार आयोजित किया जाता था।

इन चार सालो के समय अंतराल को इतिहासकारों ने ओलम्पियाड कहना शुरू कर दिया था। ग्रीस के लोगो के लिए ओलम्पिक केवल एक खेल प्रतियोगिता तक सिमित नहीं था, बल्कि एक धार्मिक त्यौहार भी थे।, वास्तव में अगर कहा जाये तो ओलम्पिक खेल की शुरुआत हुई थी ज्यूस (भगवान) के सम्मान में।

आस पास के राज्य के लोग इस प्रतियोगिता में हिस्सा लेने आते थे, चुकी उस समय इन राज्यों के बिच लड़ाइयाँ बहुत होती थी, तो ये सभी राज्य आपस में ये संधि कर लेते थे की कम से कम जितना दिन तक ये प्रतियोगिता चलेगा उतने दिन तक कोई भी राज्य किसी दूसरे राज्य से लड़ाई नहीं करेगा शुरुआत में 776 इसा पूर्व में सिर्फ एक खेल “दौड़” का आयोजन हुआ करता था।

और एक दिन में ख़त्म भी हो जाया करता था और पहला ओलम्पिक चैंपियन था “Coroebus” जो की एक बावर्ची था। फिर धीरे धीरे एक रेस के जगह पर दो रेस, फिर 3 रेस होने लगा और इसी तरह आने वाले कुछ सालों के बाद इसमें और भी खेल जोड़े गए थे जैसे की कुश्ती, बॉक्सिंग, जेवलिन थ्रो, पेंटथलोन, घोड़े की दौड़ इत्यादि। और ये सभी गेम्स में खिलाडी नंगे (बिना कपडे के) खेलते थे। इसके पीछे का तर्क ये था की कपडे पहनकर खेलने से कपडे खिलाडयों से फस सकते है। जिससे ये अच्छे से नहीं खेल पाएंगे।

और इस तरह ये ओलम्पिक खेल उस पुरे ग्रीस के क्षेत्र में फेमस होने लगा, और इसके विजेताओं खिलाडियों को राष्ट्रीय प्रसिद्धि मिलती मिलने लगी, लोग इन खिलाडियों के स्वागत में बड़े बड़े आयोजन किया करते थे। कई चैंपियंस के मूर्ति भी बना करते थे जो आज भी है। और इस तरह आने वाले शताब्दी में ओलम्पिक को पुरे दुनिया में प्रसिद्धि मिलने लगी। 

पर दूसरी A.D में ग्रीस अपनी आजादी खो देता है और रोमन सम्राज्य पुरे ग्रीस में शासन करने लगता है। रोमन सम्राज्य के राजा थियोडोसिस ने आख़िरकार 393 A.D में ओलम्पिक खेल का आयोजन बंद करवा देता है ये कहकर की ये एक धार्मिक आयोजन है। और ये भगवान ज्यूस के सम्मान में खेला जाने वाला खेल है।

और इस तरह से ओलम्पिक खेल 1500 साल बाद ,19 वी शताब्दी में 1892 ईस्वी में फ्रांस के एक बहुत ही पढ़े लिखे व्यक्ति पियरे दी कुवर्तेन के सहयोग से पुनर्जीवित हुई, आप इन्हे आधुनिक ओलम्पिक का पितामह भी कह सकते है। और दो साल बाद वर्ष 1894 ईस्वी में  कांग्रेस के सामने इन्होने ओलम्पिक को फिर से शुरू करने प्रस्ताव रखा, और इसे सबों की सहमति से पास कर दिया गया।

और इसके ठीक दो साल बाद 1896 ईस्वी में ग्रीस के एथेंस में पहला आधुनिक ओलम्पिक खेल आयोजित किया गया । दुनिया के कई देशो के खिलाडियों ने इसमें भाग लिया।और यह एक भव्य और सफल आयोजन रहा।  

इसके बाद अगले दो ओलम्पिक 1900, और 1904 ईस्वी में आयोजित कुछ खास नहीं रहा और उतना लोकप्रिय नहीं सका जितना पहला ओलम्पिक था। प्रथम विश्व युद्ध के कारण वर्ष 1916 में आयोजित होने वाले छठवे ओलम्पिक स्थगित हो गयी, इसके साथ साथ दूसरे विश्व युद्ध के कारण भी बारहवें (1940) और तेरहवे (1944) ओलम्पिक खेल का आयोजन नहीं किया जा सका।

साल 1950 के दशक में विश्व के दो महाशक्ति रूस और अमेरिका के ओलम्पिक में शामिल हो जाने के बाद ये प्रतियोगिता और भी रोमांचक बन गया, चुकीं ये दोनों देश के लम्बे समय तक शीत युद्ध में शामिल थे। और दोनों देश परमाणु शक्ति से लैस थे तो ये दोनों खुलकर एक दूसरे के साथ कुछ कर नहीं सकते थे। इसकी वजह से ओलम्पिक पदकों को अब देश का प्रतिष्ठा के साथ देखे जाने लगा था। और एक तरह की पदकों के रेस शुरू हो गयी थी।  

अब तक का सबसे सफल आयोजन साल 2008 में चीन की राजधानी बीजिंग में आयोजित ओलम्पिक को माना जाता है, इसका कारण है।  चीन ने इस ओलम्पिक को भव्य और शानदर मेजबानी कर पुरे विश्व का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया, साथ में चीन ने इस ओलम्पिक में सबसे अधिक गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रच दिया।

ओलम्पिक मशाल जलाने की शुरुआत वर्ष 1928 में एम्स्टर्डम ओलम्पिक से हुई। चुकीं ओलम्पिक खेल की शुरुआत ओलम्पिया शहर से हुई थी, ओलम्पिक खेल शुरू होने से पहले ओलम्पिया में स्थित ज्यूस भगवान के मंदिर में सूर्य की किरणों से मशाल को प्रज्जवलित किया जाता है, फिर विभिन्न देशों के खिलाडियों द्वारा इसे आयोजन स्थल तक लाया जाता है, और फिर इसी मशाल से आयोजित स्थल वाला मशाल जला कर ओलम्पिक की शुभारम्भ होती है। 

  • भारतीय हॉकी का रोचक इतिहास
  • ओलिंपिक गोल्ड मेडलिस्ट नीरज चोपड़ा का जीवन परिचय

एक नजर अंतराष्ट्रीय ओलम्पिक समिति पर 

Note :- प्राचीन ओलम्पिक खेलो में महिलाओं का प्रवेश पूरी तरह से वर्जित था, पर आधुनिक ओलम्पिक में महिलाएं हिस्सा ले सकती थी। और पहली महिला ओलम्पिक पदक विजेता यूनाइटेड किंगडम की charlotte cooper, थी जो की 1900 ईस्वी में आयोजित ओलम्पिक खेल में जीती थी।

ओलम्पिक खेल का चिन्ह क्या है?

ओलम्पिक खेल का प्रतिक चिन्ह का पांच रिंग है, जो आपस में कनेक्टेड है। और ये पांच अलग- अलग रंग नीला, लाल, हरा ,पीला, और काला है। जो की दुनिया के पांच महाद्वीपों एशिया, यूरोप, अफ्रीका, नार्थ अमेरिका, और साउथ अमेरिका को दर्शाता है। और इस प्रतिक को पियरे दी कुवर्तेन के द्वारा बनाया गया था। 

ओलम्पिक खेल में भारत का प्रदर्शन 

ओलम्पिक खेल में भारत ने सर्वप्रथम 1900 ईस्वी में हिस्सा लिया था, और इस ओलम्पिक में भारत की तरफ से सिर्फ एक खिलाडी नॉर्मन प्रिचर्डने ने भाग लिया था। और इन्होने एथलेटिक्स में कुल दो सिल्वर मेडल जीते थे।

भारत ने आधकारिक तौर पर साल 1920 के ओलंपिक्स में हिस्सा लिया था। सर दोराबजी टाटा और तत्कालीन बॉम्बे के गवर्नर के समर्थन से भारत ने अंतराष्टीय ओलम्पिक समिति में, भारत की ओलम्पिक में भागीदारी सुनिश्चित की और फिर भारत ने 4 सदस्यीय दल 1920 ओलम्पिक में भेजा।

वर्ष 1923 ईस्वी में भारतीय ओलम्पिक समिति का गठन हुआ, पर साल 1924 में भारतीय ओलम्पिक समिति, राष्ट्रीय खेल में तब्दील कर दिया गया। फिर साल 1927 में पूर्ण रूप से भारतीय ओलम्पिक एसोसिएशन की स्थापना की गयी। इसका मुख्य काम था भारत में खेलो का विकास करना और अच्छे अच्छे खिलाडियों को चुन कर पहले राष्ट्रीय खेल के लिए भेजना और फिर में राष्ट्रीय खेल से निकले  बेहतरीन खिलाडी को ओलम्पिक में भेजना। 

वर्त्तमान समय तक भारत कुल 35 पदक जित चूका है जिसमे 10 गोल्ड मेडल, 9 सिल्वर मेडल और 16 ब्रोंज मेडल शामिल है। भारत ने अपना पहला गोल्ड मेडल साल 1928 में हॉकी में जीता था , और इसके अगले दो संस्करण 1932 और 1936 में भी भारत ने हॉकी में गोल्ड मेडल जीता था। बहुत लम्बे समय तक भारत की नेशनल हॉकी टीम ओलम्पिक में ने हावी रही थी। भारत ने 1920 से 1980 तक हॉकी में कुल 11 पदक जीते थे। जिसमे 8 गोल्ड मेडल शामिल थे। 

कर्णम मल्लेश्वरी ओलम्पिक में पदक जितने वाली पहली भारतीय महिला बनी, इन्होने साल 2000 में वेटलिफ्टिंग में ब्रोंज मेडल जित भारत को गौरवान्वित किया, और इसके साथ पुरे भारत की महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत बन गयी, इससे महिलाओं में ये सन्देश गया की एक महिला सिर्फ घर का काम करने के लिए पैदा नहीं हुई है बल्कि ओलम्पिक में पदक भी जित सकती है।

साल 2004, ग्रीस ओलंपिक्स में भारत की झोली में केवल एक मेडल (सिल्वर) आया, और यह मेडल शूटर राजवर्धन सिंह राठौर ने जीता था।

भारत ने अंतिम बार गोल्ड साल 2008 में बीजिंग ओलम्पिक जीता था, जो की ये गोल्ड निशानेबाज अभिनव बिंद्रा ने व्यक्तिगत प्रतिस्पर्धा में भारत के लिए जीतकर देश को गौरवान्वित किया था। इसके अलावा भारतीय बॉक्सर विजेंद्र सिंह और रेसलर सुशिल कुमार ने ब्रोज़ मेडल जित भारत को गौरवान्वित किया। 

साल 2012 में लंदन ओलंपिक्स में भारत ने कुल 6 पदक जीते, जिसमे दो सिल्वर मेडल, विजय कुमार, सुशील कुमार ने जीते और 4 ब्रोंज मेडल  शायना नेहवाल, मैरी कॉम, गगन नारंग, योगेश्वर दत्त ने जित भारत को गौरवान्वित किया। 

इसके बाद साल 2016 में ब्राज़ील के रियो ओलम्पिक में भारत के बैडमिंटन खिलाडी पी वी सिंधु ने सिल्वर मेडल और साक्षी मलिक ने ब्रोंज मेडल जित अपने देश भारत को गौरवान्वित होने का मौका दिया। 

और टोक्यो ओलम्पिक 2020 में भारत ने ओलम्पिक के इतिहास में अपना सबसे बढ़िया प्रदर्शन करते हुए कुल 7 पदक अपने नाम किया। जिसमे भारत के जेवलिन थ्रो के खिलाडी नीरज चोपड़ा ने एक गोल्ड मेडल जित इतिहास रच दिया। और भारत के ओलंपिक्स के इतिहास में पहले एथेलिटिक्स खिलाडी है जिन्होंने मेडल जीता है। 

और दो सिल्वर मेडल, भारतीय पहलवान रवि दहिया एवं भारत के वेटलिफ्टर मीराबाई चानू के द्वारा जीता गया। इसके साथ साथ 4 ब्रोंज मेडल, पहलवान बजरंग पुनिया, इंडियन पुरुष हॉकी टीम, भारतीय बॉक्सर लवलीना बोर्गोहैन , एवं भारतीय बैडमिंटन खिलाडी, और रिओ ओलम्पिक के सिल्वर मेडलिस्ट पी वी सिंधु ने जीतकर भारत को गौरवान्वित किया।

FAQs – ओलम्पिक खेल पर निबंध (Essay on Olympic in Hindi)

Q. ओलम्पिक में कितने खेल होते है  .

उत्तर- रियो ओलम्पिक 2016 में कुल 26 खेल आयोजित हुआ था।

Q. अंतराष्ट्रीय ओलम्पिक दिवस किस दिन मनाया जाता है

उतर – 23 जून

Q. ओलंपिक में भारत ने सबसे ज्यादा मेडल किस खेल में जीते हैं

उत्तर- भारत ने ओलम्पिक में सबसे ज्यादा मेडल हॉकी में जीते है, जिसमे आठ गोल्ड, एक सिल्वर, और तीन ब्रोंज शामिल है।

Q. भारत ने हॉकी में प्रथम ओलंपिक स्वर्ण कब जीता

उत्तर- 1928 ईस्वी में 

Q. भारत में ओलंपिक खेलों का आयोजन कितनी बार हुआ 

उत्तर-  एक बार भी नहीं 

Q. ओलंपिक खेलों में महिलाओं की भागीदारी कब हुई?

उत्तर- आधुनिक ओलम्पिक में महिला खिलाडी भाग ले सकती थी, पर पहली बार ओलम्पिक में महिलाओं की भागीदारी साल 1900 ईस्वी में आयोजित ओलम्पिक से हुई।

Q. प्रथम ओलंपिक खेल कब और कहां हुआ था?

उत्तर- प्रथम ओलम्पिक खेल 776 इसा पूर्व ग्रीस के शहर ओलम्पिया में हुई थी। 

Q. भारत ने ओलंपिक में सर्वप्रथम कब प्रतिभाग किया

उत्तर- 1900 ईस्वी में 

Q. आधुनिक ओलंपिक गेम्स की शुरुआत कहाँ हुई थी?

उत्तर-  आधुनिक ओलम्पिक की शुरुआत ग्रीस के राजधानी एथेंस में हुई थी 

Q. भारत ने ओलंपिक हॉकी का पुरुष वर्ग में स्वर्ण पदक अंतिम बार कब जीता था?

उत्तर- वर्ष 1980 में 

Q. रैकेट खेलों में ओलंपिक पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला कौन थी?

उत्तर- साइना नेहवाल 

आशा करता हूँ ये आर्टिकल ओलम्पिक खेल पर निबंध (Essay on Olympic in Hindi) को पढ़कर अब आप ओलिंपिक खेलो के बारे में अच्छे से जान गए होंगे, आप इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर जरूर करे, किसी भी प्रकार का सवाल, सुझाव आप कमेंट के माध्यम से पूछ सकते है, धन्यवाद।

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नमस्कार दोस्तों, मैं Rahul Niti एक Professional Blogger हूँ और इस ब्लॉग का Founder, Author हूँ. इस ब्लॉग पर मैं बहुत से विषयों पर लिखता हूँ और अपने पाठकों के लिए नियमित रूप से उपयोगी और नईं-नईं जानकारी शेयर करता रहता हूँ।

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ओलंपिक खेलों पर निबंध short Essay On Olympic Games In Hindi

ओलंपिक खेलों पर निबंध short Essay On Olympic Games In Hindi : नमस्कार दोस्तों आपका स्वागत है आज का निबंध संसार की सबसे बड़ी खेल प्रतियोगिता ओलंपिक पर दिया गया हैं.

चार वर्षों के अंतराल से विश्व के अलग अलग कोनों में आयोजित होने वाली इस प्रतियोगिता के बारें में निबंध, भाषण, लेख, अनुच्छेद, आर्टिकल और पैराग्राफ आप यहाँ से चुन सकते हैं.

ओलंपिक खेलों पर निबंध short Essay On Olympic Games In Hindi

क्या है ओलंपिक खेल (What is Olympic Games In Hindi)

संसार भर में अनगिनत खेल खेले जाते हैं अधिकतर का हम नाम भी नहीं जानते हैं अजीबोगरीब खेलों की इस दुनिया के आयो जन आए दिन होते रहते हैं.

मगर सबसे बड़ा खेल आयोजन जिसके बारें में हम सभी ने कहीं न कहीं अवश्य सुना या पढ़ा है वह है ओलपिंक खेल.

ओलंपिक अपने आप में कोई खेल नहीं है बल्कि ये बहुत से खेलों के एकीकृत आयोजन का नाम हैं. संसार के कई देशों से चयनित खिलाड़ी ही इसमें भाग लेते हैं जो विभिन्न खेलों में अपने देश का प्रतिनिधित्व करते हैं.

जिस देश के खिलाड़ियों द्वारा सभी खेलों में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर सर्वाधिक पदक अर्जित किये जाते हैं. उन्हें ओलंपिक विजेता कहा जाता हैं.

ओलंपिक खेल का इतिहास और कहानी (History and Story of Olympic Games Hindi)

दुनिया की सबसे बड़ी खेल प्रतियोगिता ओलंपिक में सैकड़ों तरह के एथलीट भाग लेते हैं. शीतकालीन और ग्रीष्मकालीन ओलंपिक खेलों में 200 से अधिक देशों के प्रतिनिधि खिलाड़ी भाग लेते हैं.

प्रत्येक चार वर्ष में एक बार इस टूर्नामेंट का आयोजन होता हैं इसका आयोजन अन्तर्राष्ट्रीय ओलम्पिक समिति द्वारा किया जाता हैं.

जब हम ओलंपिक के इतिहास की बात करते है तो यह बेहद प्राचीन हैं. इसका पहली बार आयोजन आज से 1200 वर्ष पूर्व में हुआ था तब ये प्रोफेशनल खिलाड़ियों की बजाय युद्ध के महारथियों के मध्य खेला गया था.

इस प्रतियोगिता में दौड़, मुक्केबाजी, कुश्ती और रथों की दौड़ सैनिक प्रशिक्षण आदि सम्मिलित थे. सबसे प्राचीन ओलम्पिक खेलों की शुरुआत 776 ई पू में मानी गई हैं.

उस समय तक संसाधनों के अभाव तथा विभिन्न कठिनाइयों के उपरांत भी प्रतियोगिता ने अपने अस्तित्व को बनाए रखा और 1896 आते आते यूनान की राजधानी एथेंस में इसका बड़ा आयोजन हुआ.

जो ओलंपिया पर्वत पर आयोजित करवाया गया था, यही से इसका नाम ओलंपिक पड़ गया. प्राचीन समय में इस खेल आयोजन के प्रति राज्यों में इतनी रूचि थी कि आवश्यक युद्ध तथा सैनिक कार्यक्रम तक खेलों के समय टाल दिए जाते थे.

जिस वर्ष इन खेलों का आयोजन होता हैं उस वर्ष को ओलम्पियाड कहा जाता हैं. पहले के जमाने में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को मूर्तियाँ और स्मृति चिह्न प्रदान किये जाते थे. कालान्तर में स्वर्ण, रजत एवं कास्यं तीन श्रेणियों के पदक की परम्परा बेहद लोकप्रिय हुई हैं.

अब तक के सर्वाधिक भव्य ओलंपिक आयोजनों में चीन में आयोजित 2006 के आयोजन को सर्वश्रेष्ठ माना जाता हैं.

चीन ने इसके आयोजन से न केवल दुनिया को चकित कर दिया बल्कि सर्वाधिक पदक जीतकर अपना दबदबा भी बनाया जो आज तक जारी हैं.

ओलंपिक और भारत पर निबंध (essay on olympics and india in hindi)

सदियों तक की पराधीनता के दौर ने भारत की खेल प्रतिभा को भी दबाया उसके उपरांत भी भारत ने औपनिवेशिक काल 1920 में पहली बार ओलंपिक खेलों में भाग लिया था.

भारत ने पहली बार 1928 में आयोजित ओलम्पिक खेलों में हॉकी में स्वर्ण पदक अर्जित कर अपना खाता खोला था.

इसके बाद 1932, 1936, 1948, 1952, 1956, 1964 और 1980 इन आठ आयोजनों में भारतीय हॉकी टीम ने स्वर्ण पदक जीतते हुए दुनिया के समक्ष अपनी मजबूत दावेदारी पेश की.

1980 से 2008 तक भारत के लिए ओलम्पिक का सफर उतना अच्छा नहीं रहा जितना की कभी था. देश के लिए कई खिलाड़ियों ने मुक्केबाजी, कुश्ती, निशानेबाजी, तीरंदाजी और टेनिस में पदक जीतकर नाम रोशन किया हैं.

ओलम्पिक के आदर्श, ध्वज (Olympic idol, flag)

ओलंपिक खेलों की अपनी एक विशिष्ट पहचान और सम्मान हैं पहली बार वर्ष 1913 में बेरोंन पियरे डी कोबर्टीन के कारण इन खेलों को अपना ध्वज मिला.

1920 के खेल आयोजन में इसे पहली बार फहराया गया. सफेद रंग में बने इस ध्वज के मध्य में पांच विविध रंगीन चक्र एक दूसरे से मिलते हुए दिखाएं गये हैं.

ये पांच चक्र संसार के पाँचों महाद्वीपों के समन्वय और एकता के प्रतीक के रूप में प्रयुक्त किये गये हैं. इनमें नीला चक्र – यूरोप पीला चक्र – एशिया काला चक्र- अफ्रीका हरा चक्र- ऑस्ट्रेलिया लाल चक्र – उत्तरी एवं दक्षिणी अमेरिका के लिए हैं.

ओलंपिक का उद्देश्य (objective olympic games)

आधुनिक ओलंपिक खेलों के स्वरूप के जन्मदाता फ्रांस के बैरन पियरे डी कूपर्टिन को माना जाता हैं. 1896 के ओलंपिक आयो जन के पीछे इन्ही की अवधारणा थी.

सर्दियों तथा गर्मियों में आयोजित इन खेलों के माध्यम से संसार के सभी पेशेवर खिला ड़ियों को एक स्थान पर लाना, बिना किसी भेदभाव के स्पर्धा लड़ाने के लिए इन खेलों ने अहम भूमिका निभाई हैं.

पैरालिम्पिक्स और यूथ ओलंपिक गेम्स के माध्यम से युवाओं तथा विकलांग खिलाड़ियों को भी अपनी प्रतिभा का परिचय देने का अवसर मिलता हैं.

ओलंपिक मशाल का इतिहास (History of olympic torch LAMP)

1928 से एम्स्टर्डम ओलम्पिक से ओलंपिक मशाल की शुरुआत हुई जो आज तक जारी हैं. 1936 के बर्लिन आयोजन में इसे आधुनिक स्वरूप दिया गया.

एम्सटर्डम में सबसे पहली बार एक ऊंची मीनार पर ओलंपिक मशाल जो प्रज्वल्लित किया गया जो सम्पूर्ण खेल आयोजन तक जलती रही. आज भी ओलंपिक की जन्म स्थली एथेंस में मशाल को जलाकर इसे आयोजन स्थल तक ले जाने की परम्परा हैं.

ओलंपिक खेल का आयोजन Organizing Olympic Games in Different Countries

हरेक चार साल बाद ओलम्पिक खेलों के आयोजन की मेजबानी बदलती रहती हैं. 1896 से अब तक कुछ आयोजनों को छोड़ कर दुनिया के अनेकों देशों में ओलंपिक आयोजन सम्पन्न कराएं जा चुके हैं.

विभिन्न स्थानों पर आयोजन के कारण इस प्रतियोगिता के प्रति लोगों का जुड़ाव भी बढ़ता जाता हैं. खेल के आयोजन की समस्त जिम्मेदारी ओलंपिक संघ की होती हैं.

संघ में एक अध्यक्ष समेत दो उपाध्यक्ष एक मुख्य सम्पादक और सात अन्य सह सम्पादक इस संघ के सदस्य होते हैं.

संसार में खेल प्रतियोगिता के रूप में ओलपिंक की उत्कृष्टता का सानी कोई नहीं हैं. ओलपिंक खेल में मेडल जीतना प्रत्येक खिलाड़ी का लक्ष्य होता हैं.

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ओलम्पिक खेल पर निबंध | Essay on Olympic in Hindi

ओलम्पिक खेल पर निबंध | Essay on Olympic in Hindi

Table of Contents

Essay on Olympic in Hindi:- खेल न केवल एक मनोरंजन होता है, बल्कि यह एक महत्वपूर्ण सामाजिक और सांस्कृतिक घटना भी है। ओलंपिक खेल ऐसी अद्वितीय घटना है जिसमें दुनियाभर के खिलाड़ी आपस में मुकाबला करते हैं और अपने देश का गर्व बढ़ाते हैं। इस निबंध में, हम ओलंपिक खेल के महत्व, इतिहास, उनकी प्रमुख विशेषताओं, और खिलाड़ियों के योगदान के बारे में चर्चा करेंगे।

ओलंपिक खेल का इतिहास | Olympic Khel Ki History

ओलंपिक खेल का इतिहास बहुत प्राचीन है, और यह ग्रीक सभ्यता के एक महत्वपूर्ण हिस्सा था। पहले ओलंपिक खेल 776 ईसा पूर्व में यूनान के एक गांव, ऑलिम्पिया में आयोजित हुए थे। यहां पर योग्य खिलाड़ियों के बीच जिमनास्टिक्स, दौड़, व्यायाम, और मुख्यतः पहली बार एक माइल दौड़ का प्रतियोगिता होता था। यह खेल 4 साल में एक बार होते थे और इसमें सभी यूनानी नगरों के खिलाड़ियों की भागीदारी होती थी।

ओलंपिक खेल का पुनर्निर्माण | Olympic Khel Start

ओलंपिक खेल की प्राचीन परंपरा को जब 19वीं सदी के आखिर में पुनर्निर्माण किया गया, तो वह आधुनिक ओलंपिक की नींव रखी। 1896 में, पहले मॉडर्न ओलंपिक खेल का आयोजन आथेंस, यूनान में किया गया, और इसके बाद हर 4 साल में खेल आयोजित होते हैं।

ओलंपिक खेल की प्रमुख विशेषताएँ | Olympic Khel Ki Pramukh Vishtaye

  • अंतर्राष्ट्रीय संघटन: ओलंपिक खेल एक अंतर्राष्ट्रीय खेल के रूप में प्रसिद्ध हैं, जिसमें दुनियाभर के देशों के खिलाड़ी भाग लेते हैं। इसका मतलब है कि ये खेल देशों के बीच साथ में आयोजित होते हैं और एक साथ होने वाले अनगिनत खिलाड़ियों के लिए आत्म-समर्पण और सम्मान की भावना पैदा करते हैं।
  • खेलों का विविधता: ओलंपिक खेल विभिन्न खेलों के लिए एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान करते हैं, जैसे कि ट्रैक और फील्ड, स्विमिंग, गोल्फ, बास्केटबॉल, टेनिस, बैडमिंटन, और भी बहुत कुछ। यह खेलों के प्रेमी के लिए अद्वितीय मौका प्रदान करते हैं और उन्हें उनके पसंदीदा खिलाड़ियों को प्रेरित करने का अवसर देते हैं।
  • वाणिज्यिक महत्व: ओलंपिक खेल वाणिज्यिक महत्व रखते हैं, क्योंकि ये विशेष अवसर प्रदान करते हैं जो बिजनेस, पर्यटन, और विभिन्न उत्पादों के विपणन को बढ़ावा देते हैं। ओलंपिक स्पॉन्सर्स, टीम किट के निर्माता, और व्यापारी व्यक्तियों के लिए ये खेल एक बड़ा व्यापारिक मौका प्रदान करते हैं।
  • सांस्कृतिक विविधता: ओलंपिक खेल विश्व की विविधता और सांस्कृतिक धरोहर को महत्वपूर्ण तरीके से प्रकट करते हैं। यहां पर विभिन्न देशों के परंपरागत खेल, खिलाड़ी के वस्त्र, और खास आयोजनों का आयोजन किया जाता है, जो समृद्ध सांस्कृतिक अनुभव प्रदान करते हैं।

ओलंपिक खेल का महत्व | Olympic Khel Ka Mahatav

ओलंपिक खेल का महत्व विश्व भर में गहरी भावनाओं के साथ जुड़ा हुआ है। इसके कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं का विवेचन निम्नलिखित है:

  • खिलाड़ियों का प्रेरणा स्रोत: ओलंपिक खेल के खिलाड़ियों का जीवन और उनका सफलता कहानियों का स्रोत होता है। ये खिलाड़ी अपने संघर्षों, साहस, और आत्म-समर्पण के लिए प्रसिद्ध होते हैं और आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करते हैं।
  • दोस्ताना संबंध: ओलंपिक खेल विभिन्न देशों के खिलाड़ियों के बीच मित्रता और दोस्ती को बढ़ावा देते हैं। यहां पर खिलाड़ी अपने सहयोगी और प्रतिद्वंद्वियों के साथ अच्छे संबंध बनाते हैं और साथ में खेलने का आनंद लेते हैं।
  • देश का गर्व: ओलंपिक खेल देश का गर्व बढ़ाते हैं। खिलाड़ी अपने देश के लिए मेडल जीतकर और राष्ट्रगान गाकर अपने देश का झंडा ऊंचा करते हैं। इससे देशभक्ति और राष्ट्रप्रेम की भावना भी उत्तेजित होती है।
  • सामाजिक सुधार: ओलंपिक खेल के माध्यम से सामाजिक सुधार भी होते हैं। ये खेल लड़कियों को भी खेल में भाग लेने का अवसर प्रदान करते हैं और उन्हें समाज में उत्तराधिकार की भावना देते हैं।

ओलंपिक खेल के प्रमुख खेल | Olympic Khel Ke Pramukh Khel

ओलंपिक खेल में कई प्रकार के खेल शामिल होते हैं, लेकिन कुछ खेल विशेष रूप से प्रमुख होते हैं:

  • ट्रैक और फील्ड: ट्रैक और फील्ड खेल जैसे कि दौड़, गेंदबाजी, और पॉल वॉल्टिंग ओलंपिक के आधिकारिक खेल हैं। यह खेल खिलाड़ियों की तेज़ता, स्थायिता, और प्रतिस्पर्धी भावना को प्रमोट करते हैं।
  • स्विमिंग: स्विमिंग भी एक महत्वपूर्ण ओलंपिक खेल है जिसमें खिलाड़ी पानी में गतिविधियों का प्रदर्शन करते हैं। इसमें फ्रीस्टाइल, बैकस्ट्रोक, बटरफ्लाई, और मेडल गेंदबाजी जैसे विभिन्न प्रकार के गतिविधियां शामिल होती हैं।
  • जिमनास्टिक्स: जिमनास्टिक्स ओलंपिक के एक अद्वितीय और ग्रेसफुल खेल हैं, जिसमें खिलाड़ी व्यायाम और आसन का प्रदर्शन करते हैं। यह खेल शारीरिक शक्ति, सुन्दरता, और समर्पण की आवश्यकता होती है।
  • बास्केटबॉल: बास्केटबॉल एक पॉपुलर टीम खेल है जो ओलंपिक में खेला जाता है। यह खेल दक्षता, टीम के साथ काम करने की क्षमता, और रणनीति बनाने की क्षमता को प्रमोट करता है।
  • टेनिस: टेनिस भी एक प्रमुख ओलंपिक खेल है जिसमें खिलाड़ी एक टेनिस रैकेट का उपयोग करके गेंद का प्रदर्शन करते हैं। इसमें सिंगल्स और डबल्स खेले जाते हैं और टेनिस के माध्यम से खिलाड़ी अपनी स्किल और स्थायिता का प्रदर्शन करते हैं।

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ओलंपिक में भारत का योगदान | Olympic Me Bharat Ka Yogdan

भारत ने ओलंपिक खेल में अपना योगदान किया है और खिलाड़ियों ने देश का गर्व बढ़ाया है। पहले ओलंपिक में भारत ने 1928 में एम्स्टर्डम में हॉकी में पहला स्वर्ण पदक जीता था।

भारत के प्रमुख ओलंपिक खिलाड़ी जैसे कि मिल्खा सिंह, पीटर थमस, सानिया मिर्ज़ा, पी.वी. सिंधु, और मेरी कोम जैसे खिलाड़ी ने अपने क्षेत्र में महान उपलब्धियों को प्राप्त किया है और देश का नाम रोशन किया है।

ओलंपिक खेल Olympic Khel एक महत्वपूर्ण घटना है जो खिलाड़ियों को उनकी दृढ़ इच्छा, समर्पण, और प्रतिस्पर्धी भावना का प्रतीक प्रदान करती है। ये खेल दुनियाभर की सामाजिक और सांस्कृतिक विविधता को प्रमोट करते हैं और खिलाड़ियों को अपने देश का गर्व बढ़ाने का अवसर देते हैं। ओलंपिक खेल दुनिया के खिलाड़ियों के लिए अद्वितीय और महत्वपूर्ण हैं, और ये खेल आत्म-समर्पण, टीम काम, और खिलाड़ियों के साथीपन के महत्व को प्रमोट करते हैं।

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ओलम्पिक खेल पर निबंध

Essay On Olympic In Hindi: खेलकूद द्वारा व्यक्ति का बौद्धिक, शारीरिक और मानसिक विकास होता है, इसीलिए खेल भी एक व्यायाम का ही माध्यम होता है। इसीलिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई सारे खेल आयोजित किए जाते हैं, जिनमें ओलंपिक विश्व का सबसे बड़ा अंतरराष्ट्रीय खेल है, जिसे हर चार साल में आयोजित किया जाता है।

Essay On Olympic In Hindi

आज के इस लेख हम ओलंपिक खेल के पर निबंध शेयर कर रहे है। यह निबंध सभी विद्यार्थियों के लिए मददगार है।

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ओलम्पिक खेल पर निबंध | Essay On Olympic In Hindi

ओलंपिक पर निबंध (250 शब्द).

खेलों से मानव का रिश्ता बहुत पहले से जुड़ा हुआ है। प्राचीन काल से ही मानव अपने मनोरंजन के लिए अनेक प्रकार के खेल खेलते आ रहा है। हालांकि अब लोग खेलों में अपना करियर बनाना शुरू कर दिए हैं। खिलाड़ियों को खेल के प्रति प्रोत्साहित करने के लि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अनेक प्रकार के खेल आयोजित किए जाते हैं, जिसमें से एक ओलंपिक है।

ओलंपिक 4 साल में आयोजित होने वाला अंतरराष्ट्रीय खेल है, जिसे अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति द्वारा आयोजित किया जाता है। ओलंपिक के खेल में विभिन्न प्रकार के खेलों को शामिल किया जाता है, जिसमें विभिन्न देशों के खिलाड़ी शामिल होते हैं।

ओलंपिक की शुरुआत सबसे पहले 776 ईसा पूर्व में ग्रीक में हुआ था। पहले ओलंपिक में ग्रीक में हुआ करता था परंतु 1896 के बाद विभिन्न देशों के अलग-अलग और प्रसिद्ध क्षेत्रों में आयोजित होने लगा। अगला ओलंपिक किस जगह पर आयोजित होगा, उसकी घोषणा 4 साल पहले हुए ओलंपिक में ही कर दिया जाता है। वर्तमान में ओलंपिक खेल को शुरू करने का श्रेय फ्रांस के विद्वान पियरे डि कुबर्तिन को जाता है।

ओलंपिक खेल की पहचान उसके झंडे से होती है, जो उसका प्रतीक है, जिसमें सफेद पृष्ठभूमि पर लाल, नीला पीला, काला और हरे रंग के पांच रिंग एक दूसरे को क्रॉस किए हुए नजर आते हैं, जो पांच प्रमुख महाद्वीप अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, यूरोप, अमेरिका और एशिया को दर्शाता है।

ओलंपिक खेल में विजय होने वाले खिलाड़ी को पदक से सम्मानित किया जाता है। ओलंपिक के विभिन्न खेलो के प्रतियोगिता में प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान पर आने वाले खिलाड़ियों को स्वर्ण, रजत और कांस्य पदक से सम्मानित किया जाता है। किसी भी देश के खिलाड़ी का ओलंपिक खेल में पदक जीतना बहुत सम्मानीय माना जाता है।

ओलंपिक खेल पर निबंध (1000 शब्द)

ओलंपिक खेल से हम सभी भलीभांति परिचित हैं। 4 सालों में आयोजित होने वाला यह अंतरराष्ट्रीय खेल सभी देशों के लिए बहुत मायने रखता है। इस अंतरराष्ट्रीय खेल में पदक जीतने के लिए खिलाड़ी 4 साल पहले से ही शुरुआत कर देते हैं।

ओलंपिक खेल में शामिल होने वाले खिलाड़ियों को अनुशासन, धीरज, धैर्य और साहस इत्यादि प्राप्त करने का अवसर मिलता है। ओलंपिक दुनिया के हर देश के एथलीटों को एक साथ लेकर वर्तमान में आयोजित होने वाले सबसे लोकप्रिय खेल हैं।

ओलंपिक खेल का इतिहास

ओलंपिक का इतिहास बहुत पुराना है। प्राचीन ओलंपिक खेल यूनान के ओलंपिया शहर में 776 ईसा पूर्व में ग्रीक के देवता ज्यूस के सम्मान में आरंभ हुआ था। तब से यह खेल 4 वर्षों में एक बार 394 तक खेला गया। लेकिन फिर थियोडोसियस जो रोम के राजा थे, उनके आदेश पर इस खेल का आयोजन बंद कर दिया गया।

उसके बाद फिर आधुनिक ओलंपिक खेल प्रतियोगिता का आरंभ 1896 में फ्रांस के बैरन पियरे डी कोबार्टिन के प्रयासों से यूनान के एंथेस शहर में हुआ। इसका आयोजन प्रत्येक 4 वर्ष के अंतराल में किया गया तब से अब तक 4 वर्षों के अंतराल में यह खेल जारी है।

अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति

1894 में अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति की स्थापना सखोन नामक स्थान पर हुई, जिसका मुख्यालय लोहान में है। यह अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति ही ओलंपिक खेलों को संचालित करती है। यह निर्धारित करती है कि ओलंपिक खेलों का स्थान कहां होगा, उसके नियम क्या होंगे। इस समिति के कार्यकारिणी होती है, जिसमें एक अध्यक्ष तीन उपाध्यक्ष और 7 अन्य सदस्य भी होते हैं।

ओलंपिक खेल का उद्देश्य

फादर डिडॉन द्वारा 1897 में रचित सिटियस, अल्टियस, फोर्टिस लैटिन में ओलंपिक के उद्देश्य है। जिसका अर्थ है तेज, ऊंचा और बलवान। ओलंपिक के उद्देश्य को पहली बार साल 1920 में बेल्जियम के एंटवर्प में आयोजित ओलंपिक खेल में प्रस्तुत किया गया था।

ओलंपिक का ध्वज

ओलंपिक को प्रदर्शित करने वाला एक ध्वज भी है, जिसकी पृष्ठभूमि सफेद है। यह ध्वज सिल्क से बना होता है, जिसके के मध्य में ओलंपिक प्रतीक के रूप में पांच रंगीन चक्र है, जो एक दूसरे से मिले हुए दर्शाए गए हैं। यह चक्र विश्व की 5 महाद्वीप एशिया, अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और उत्तर और दक्षिण अमेरिका का प्रतिनिधित्व करती है।

इसके अतिरिक्त यह ध्वज निष्पक्ष एवं मुक्त स्पर्धा का भी प्रतीक है। इस ओलंपिक ध्वज का निर्माण साल 1913 ईस्वी को बैरन पियरे डी कोबार्टिन के सुझाव में किया गया, जिसका विधिवत रूप से उद्घाटन जून 1914 में पेरिस में किया गया। ओलंपिक ध्वज को सबसे पहले 1920 ईस्वी सन् में एंडवर्प में आयोजित ओलंपिक में फहराया गया था।

ओलंपिक के खेलों में विजेताओं को तीन प्रकार की पदक दिए जाते हैं, जो क्रमश स्वर्ण, रजत और कांस्य है। स्वर्ण, रजत एवं कांस्य पदक क्रमशः प्रथम द्वितीय और तृतीय स्थान पर आने वाले खिलाड़ियों को दिया जाता है।

स्वर्ण पदक 60 एमएम मोटा होता है। यह 92.5% रजत परतयुक्त 6 ग्राम सोने का होता है। वहीँ रजत पदक 60mm वृत्त में एवं 3 एमएम मोटाई वाला होता है। यह 92.5% रजत का बना होता है। कांस्य पूरी तरीके से कांस्य से ही बना होता है।

ओलंपिक मशाल

जैसा आपको पता होगा कि जब ओलंपिक गेम्स की शुरुआत होती है तब मशाल जलाने की परंपरा है। इस परंपरा की शुरुआत साल 1928 में एम्स्टर्डम में आयोजित ओलंपिक में हुई थी। फिर साल 1936 में बर्लिन में आयोजित ओलंपिक खेल में मशाल को जलाया गया, जिसके बाद अब तक लगातार ओलंपिक खेल में मशाल जलाने की परंपरा जारी है।

इस मशाल को हेरा मंदिर जो यूनान के ओलंपिया में स्थित है, वहां सूर्य की किरणों से प्रज्वलित किया जाता है, जो कुछ दिन पहले ही किया जाता है और बाद में जिस स्थान पर ओलंपिक आयोजित होता है। वहां पर विभिन्न खिलाड़ियों द्वारा लाया जाता है।

ओलंपिक खेल से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्य

  • ओलंपिक खेलों में शपथ ग्रहण लेने की परंपरा है और इस परंपरा की शुरुआत 1920 ईस्वी के एंटवर्प ओलंपिक से प्रारंभ हुआ। ओलंपिक खेलों के प्रारंभ में शपथ ग्रहण भी होता है।
  • तीसवे ओलंपिक खेल का शुभारंभ ब्रिटेन की राजधानी लंदन में ओलंपिक स्टेडियम में आयोजित किया गया था, जिसका उद्घाटन ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के द्वारा हुआ था।
  • लंदन में आयोजित विश्व ओलंपिक में भारत के तरफ से 81 खिलाड़ी खेलने के लिए गए थे, जिसमें उन्होंने 13 खेलों की 54 स्पर्धाओं में भाग लिया था।
  • ओलंपिक खेलों में महिलाओं की भागीदारी 1900 ई० के द्वितीय ओलंपिक खेलों से हुई।
  • ओलंपिक खेलों में भाग लेने वाली प्रथम भारतीय महिला खिलाड़ी मैरी लीला राव है।
  • भारत की ओर से ओलंपिक खेलों में भाग लेने वाला प्रथम खिलाड़ी एक आंग्ल इंडियन नॉर्मन प्रिजार्ड है, जिसने 1900 के द्वितीय ओलंपिक में भाग लिया और एथलेटिक्स स्पर्धा में दो रजत पदक प्राप्त किया।
  • माइकल फेल्पस अब तक के ओलंपिक में सबसे ज्यादा पदक जीतने वाले खिलाड़ी हैं, जिन्होंने ओलंपिक के तैराकी की विभिन्न स्पर्धाओं में 23 पदक जीते हैं, जिनमें 18 स्वर्ण, दो रजत और दो कांस्य पदक है। इन्हें गोल्डन शार्क के नाम से भी जाना जाता है।
  • लारसिया लटानिया ओलंपिक में सबसे ज्यादा पदक जीतने वाली प्रथम महिला है, जिन्होंने ओलंपिक में 18 पदक अपने नाम किया है।
  • ओलंपिक में सबसे ज्यादा पदक जीतने का रिकॉर्ड रूस का है।
  • अब तक का ओलंपिक में सबसे ज्यादा स्वर्ण पदक जीतने वाली महिला खिलाड़ी लरीना लाव्यनीना है। इन्होंने कुल 18 स्वर्ण पदक अब तक जीते हैं, जिनमें से 9 स्वर्ण पदक इन्होंने केवल जिमनास्टिक वर्ग में हासिल किया है।

भारत के द्वारा ओलंपिक में प्राप्त पदक

भारत ने ओलंपिक खेल में सबसे पहले 1900 ई. के ओलंपिक में हिस्सा लिया। सर्वप्रथम भारत ने रजत पदक प्राप्त किया था। अब तक भारत ने 24 ओलंपिक खेलों में शामिल होकर लगभग 35 पदक भारत देश के नाम किया है। 35 पदक में 10 गोल्ड मेडल है, 9 सिल्वर मेडल है और 16 ब्रोंज मेडल है।

भारत ने पहला गोल्ड मेडल हॉकी में 1928 के ओलंपिक में जीता था। भारत ने केवल हॉकी में कुल 11 पदक ओलंपिक में जीते हैं, जिसमें 8 गोल्ड मेडल शामिल है।

ओलंपिक खेल दुनिया के विभिन्न देशों के खिलाड़ियों को उनके खेल को बेहतर बनाता है तथा खेलों को बढ़ावा देता है।

हमें उम्मीद है कि आज के इस लेख में लिखे गए ओलंपिक पर निबंध (Essay On Olympic In Hindi) आपको पसंद आया होगा। लेख संबंधित कोई भी प्रश्न हो तो आप कमेंट सेक्शन में जरूर पूछे। इस निबन्ध को आगे शेयर जरूर करें।

खेल पर निबंध

बास्केटबॉल पर निबंध

फुटबॉल पर निबंध

हॉकी पर निबंध

Rahul Singh Tanwar

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ओलम्पिक खेल पर निबंध | Essay on Olympics | Hindi

essay on olympic games in hindi

ओलम्पिक खेल पर निबंध! Here is an essay on ‘Olympics’ in Hindi language.

प्राचीनकाल में सैनिक युद्ध कला सीखने के साथ-साथ सैन्य प्रशिक्षण के अन्तर्गत कुश्ती, मुक्केबाजी, दौड़ा, घोड़ा दौड़ जैसे खेलों का अभ्यास भी किया करते थे । तब शान्ति के समय में यदा-कदा खेल प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता था और सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले सैनिकों को सम्राट पुरस्कृत करते थे ।

शुरू-शुरू में इसी प्रकार योद्धा-खिलाड़ियों के मध्य प्राचीन ओलम्पिक खेल प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था । विश्व में प्रथम ओलम्पिक खेलों का विधिवत् आयोजन 776 ई. पूर्व यूनान (ग्रीस) के ओलम्पिया नामक नगर में हुआ था ।

इस कारण इस खेल आयोजन को ओलम्पिक नाम दिया गया । इस प्रथम ओलम्पिक के आयोजन के बाद प्रत्येक चार वर्ष की अवधि पर ओलम्पिक खेलों का आयोजन किया जाने लगा, जिसमें हजारों की संख्या में लोग एकत्र होकर खेलों का आनन्द लेते थे ।

ADVERTISEMENTS:

उस समय इन आयोजनों में खेलों के अतिरिक्त साहित्य, कला, नाटक, संगीत एवं जिमनास्टिक आदि की स्पर्द्धाएँ भी होती थीं । 394 ई. में रोम के तत्कालीन सम्राट थियोडोसिस ने एक राज्यादेश द्वारा इन खेलों के आयोजन पर प्रतिबन्ध लगा दिया ।

इस आयोजन पर प्रतिबन्ध लगने के कुछ समय बाद ही एक विनाशकारी भूकम्प के कारण ओलम्पिया शहर का अस्तित्व लगभग समाप्त-सा हो गया और इसी विनाश के साथ ओलम्पिक खेलों का आयोजन भी बन्द हो गया ।

19वीं शताब्दी में ओलम्पिया शहर की खुदाई के बाद ओलम्पिक खेलों के बारे में दुनिया को पता चला एवं इसे पुन: प्रारम्भ करने के प्रयास अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर शुरू हुए ।

आधुनिक ओलम्पिक खेलों का आयोजन प्रारम्भ करने का श्रेय फ्रांस के विद्वान् खेल प्रेमी पियरे डि कुबर्तिन को जाता है । 1894 ई. में उनके प्रयासों से ‘अन्तर्राष्ट्रीय ओलम्पिक समिति’ का गठन किया गया, जिसके प्रथम अध्यक्ष ‘पियरे डि कुबर्तिन’ ही बनाए गए ।

इसके बाद ओलम्पिक के जन्मदाता देश यूनान की राजधानी एथेंस में 4 अप्रैल, 1896 को आधुनिक ओलम्पिक खेलों का प्रथम आयोजन हुआ, तब से प्रत्येक चार वर्ष के पश्चात् इसका आयोजन विश्व के विभिन्न स्थानों पर किया जाता रहा है ।

वर्ष 1916 में प्रथम विश्वयुद्ध के कारण छठे ओलम्पिक एवं वर्ष 1940 तथा 1944 में द्वितीय विश्वयुद्ध के कारण क्रमशः बारहवें एवं तेरहवें ओलम्पिक का आयोजन नहीं किया जा सका ।

उन्तीसवें ओलम्पिक खेलों का आयोजन चीन की राजधानी बीजिंग में वर्ष 2008 में और तीसवें ओलम्पिक खेल का आयोजन ब्रिटेन की राजधानी लन्दन में वर्ष 2012 में किया गया । इकतीसवें ओलम्पिक खेलों का आयोजन ब्राजील की राजधानी रियो-डि-जेनेरियो में वर्ष 2016 में किया जाना प्रस्तावित है ।

ओलम्पिक का आदर्श वाक्य है- “सिटियस, अल्टियस, फोर्टियस ।” लैटिन भाषा के इन शब्दों का हिन्दी में क्रमशः अर्थ है- ”और तेज, और ऊँचा, और बलशाली ।” वर्ष 1914 में पियरे डि कुबर्तिन के सुझाव पर ओलम्पिक ध्वज बनाया गया ।

यह ध्वज सिल्क के सफेद कपड़े का बना होता है, जिस पर आपस में जुड़े नीले, पीले काले हरे एवं लाल रंग के पाँच छल्लों के रूप में ओलम्पिक चिह्न मुद्रित होता है । ये पाँच छल्ले पाँच प्रमुख महाद्वीपों- अफ्रीका, अमेरिका, एशिया, ऑस्ट्रेलिया एवं यूरोप को दर्शाते हैं ।

ओलम्पिक खेलों का एक अपना गान है जिसे ‘ओलाम्पिक गान’ कहा जाता है । वर्ष 1968 में मैक्सिको ओलम्पिक से ओलम्पिक शुभंकर की परम्परा की भी शुरूआत हुई ।

ओलम्पिक खेल प्रारम्भ होने से कुछ दिन पहले यूनान के ओलम्पिया स्थित जियस देवता के मन्दिर में सूर्य की किरणों से ओलम्पिक मशाल को प्रज्वलित किया जाता है ।

फिर इसी मशाल से ओलम्पिक आयोजन स्थल की ‘स्टेडियम मशाल’ को प्रज्वलित कर आयोजन प्रारम्भ किया जाता है । खेल प्रारम्भ होने से पूर्व सभी प्रतिभागी खिलाड़ियों की ओर से कोई एक प्रतिष्ठित खिलाड़ी ओलम्पिक खेलों के नियमों के अनुरूप, सच्ची खेल-भावना से खेलने की शपथ ग्रहण करता है ।

ओलम्पिक खेलो में शामिल होने को भी एक उपलब्धि से कम नहीं का जाता । प्राचीन ओलम्पिक आयोजनों में महिलाओं को भाग नहीं लेने दिया जाता था । 1896 ई. में आयोजित प्रथम आधुनिक ओलम्पिक खेलों में भी महिलाओं को शामिल नहीं किया गया था ।

पेरिस में वर्ष 1900 में आयोजित दूसरे ओलम्पिक खेलों में पहली बार महिलाओं को भी इसमें शामिल करने का निर्णय किया गया । ओलम्पिक खेलों में किसी भी स्पर्द्धा में प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त करने वालों को एक प्रमाण-पत्र (सर्टिफिकेट) के साथ क्रमशः स्वर्ण, रजत एवं काँस्य पदक से सम्मानित किया जाता है ।

चतुर्थ से अष्टम स्थान प्राप्त करने वालों को केवल प्रमाण-पत्र (सर्टिफिकेट) से सम्मानित किया जाता है । यूँ तो वर्ष 1900 में पेरिस ओलम्पिक में ब्रिटिश भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए कोलकाता निवासी एंग्लो-इण्डियन सर नॉर्मन प्रिचार्ड ने हिस्सा लिया था, किन्तु अधिकृत रूप से वर्ष 1920 से ही भारत ने इसमें हिस्सा लेना शुरू किया ।

तब से लेकर वर्ष 2012 में आयोजित लन्दन ओलम्पिक तक भारत कुल मिलाकर 24 पदक जीत पाया है । इनमें से 11 पदक भारत ने हॉकी में जीते हैं, जिनमें से 8 स्वर्ण, 1 रजत एवं 2 काँस्य पदक थे ।

वर्ष 1952 में हेलसिंकी ओलम्पिक में केडी जाधव ने काँस्य पदक के रूप में किसी व्यक्तिगत स्पर्द्धा (कुश्ती) में प्रथम ओलम्पिक पदक जीतने का गौरव प्राप्त किया । इसके बाद वर्ष 1996 में अटलाण्टा ओलम्पिक में लिएण्डर पेस ने टेनिस में एक काँस्य पदक तथा वर्ष 2000 में सिडनी ओलम्पिक में कर्णम मल्लेश्वरी ने भारोत्तोलन में एक काँस्य पदक जीता ।

वर्ष 2004 में एथेंस ओलम्पिक में मेजर राज्यवर्द्धन सिंह राठौर ने निशानेबाजी में एक रजत पदक जीता । वर्ष 2008 के ओलम्पिक में अभिनव बिन्द्रा ने किसी व्यक्तिगत स्पर्द्धा में पहली बार भारत के लिए स्वर्ण पदक जीतने का गौरव प्राप्त किया ।

इसी आयोजन में सुशील कुमार ने कुश्ती में एवं विजेन्दर कुमार ने मुक्केबाजी में एक-एक काँस्य पदक प्राप्त किया । वर्ष 2012 में हुए लन्दन ओलम्पिक में भारत के खिलाड़ियों ने दो रजत एवं चार काँस्य पदक जीतकर ओलम्पिक इतिहास का अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया ।

इस आयोजन में निशानेबाजी में भारत के गगन नारंग व विजय कुमार, बैडमिण्टन में सायना नेहवाल, महिला मुक्केबाजी में मैरी कॉम, 60 किग्रा पुरुष वर्ग कुश्ती में योगेश्वर दत्त एवं 66 किग्रा कुश्ती में सुशील कुमार ने पदक जीते । भारत का अब तक ओलम्पिक खेलों में प्रदर्शन निराशाजनक रहा है ।

सवा करोड़ आबादी वाले एक ऐसे देश से, जिसमें युवाओं की संख्या 40 करोड़ से अधिक हो, कम-से-कम इतनी उम्मीद तो की ही जा सकती है कि उसका नाम पदक-तालिका में यथासम्भव ऊपर हो, किन्तु खेलों में अनावश्यक राजनीतिक दखल, ग्रामीण प्रतिभाओं की अनदेखी, अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की आधुनिक खेल सुविधाओं का अभाव इत्यादि कारणों से भारतीय खिलाड़ियों का प्रदर्शन अब तक इन खेलों में आशानुरूप नहीं रहा है ।

बावजूद इसके वर्ष 2012 ओलम्पिक में अपेक्षाकृत बेहतर प्रदर्शन से प्रभावित हो यहाँ के युवा वर्ग के कृत संकल्पित निरन्तर अभ्यास से आशा बँध रही है कि वर्ष 2016 के ब्राजील ओलम्पिक में भारत पदक-तालिका में सम्मानजनक स्थान अवश्य प्राप्त कर लेगा ।

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ओलंपिक खेल टोक्यो 2020 पर निबंध | Essay on Tokyo Olympic Games 2020 in Hindi

ओलंपिक खेल टोक्यो 2020 पर निबंध | essay on olympic games tokyo 2021 in hindi.

टोक्यो ओलंपिक खेल 2021 एक अंतरराष्ट्रीय बहु-खेल आयोजन है जो हाल ही में 23 जुलाई 2021 से 8 अगस्त 2021 तक टोक्यो, जापान में आयोजित किया गया है। जो की वर्तमान परिदृश्य में बहुत चर्चित विषय है इसलिए ओलंपिक खेल टोक्यो 2020 पर निबंध सभी छात्रों के लिए बहुत महत्वपूर्ण निबंध का विषय है। यहां हमने ओलंपिक गेम टोक्यो 2021 पर एक निबंध लिखा है जिसमें ग्रीष्मकालीन ओलंपिक 2020 के बारे में संक्षिप्त विवरण है।

आइए देखते हैं ओलंपिक खेल टोक्यो 2020 पर हिंदी में निबंध। Essay on Olympic Games Tokyo 2020 in Hindi

ओलंपिक खेल टोक्यो 2020 पर निबंध | Essay on Olympic Games in Hindi

ओलंपिक खेलों की श्रृंखला में, Olympic Games Tokyo 2020 का आयोजन 23 जुलाई 2021 से 8 अगस्त 2021 तक टोक्यो, जापान में किया गया। सम्राट नारुहितो ने औपचारिक रूप से 23 जुलाई 2021 को  एक भव्य उद्घाटन समारोह में टोक्यो ओलिंपिक गेम्स का उद्घाटन किया जो टोक्यो के ओलिंपिक स्टेडियम में आयोजित किया गया था। टोक्यो ओलंपिक खेल मूल रूप से 24 जुलाई 2020 से 9 अगस्त 2020 तक होने वाले थे, लेकिन महामारी कोविड -19 के कारण, इस आयोजन को स्थगित कर दिया गया और पुनर्निर्धारित किया गया। टोक्यो ओलंपिक खेल 2020 महामारी COVID-19 के कारण बड़े पैमाने पर सार्वजनिक दर्शकों की अनुमति के बिना आयोजित किया गया था।

ओलंपिक खेल टोक्यो 2020 पर निबंध | Essay on Tokyo Olympic Games 2020 in Hindi

Sports, Events and Disciplines: ओलिंपिक गेम्स टोक्यो 2020 पर निबंध

कुल 50 Disciplines को शामिल करते हुए, ओलंपिक खेल टोक्यो 2020 में 33 विभिन्न खेलों में 339 आयोजन हुए। विश्व के 205 देशों से 11,656 एथलीटों ने टोक्यो ओलंपिक 2021 में भाग लिया। Sport Climbing, Surfing, Karate, और Skateboarding को पहली बार ओलिंपिक गेम्स में शामिल किया गया और इन सभी खेलों का ओलिंपिक गेम्स में पदार्पण हुआ। इसके अतिरिक्त ओलंपिक खेल टोक्यो 2021 में मौजूदा खेलों में 15 नये इवेंट भी शामिल किए गए। इनमें 3x3 basketball, freestyle BMX, और मैडिसन साइक्लिंग की वापसी, के साथ ही टेबल टेनिस, शूटिंग, तीरंदाजी, जूडो, triathlon, 4x400 m relay running, and 4x100 m medley swimming जैसे खेलों में 9 नए मिश्रित इवेंट भी शामिल हैं।

शीर्ष पदक विजेता: ग्रीष्मकालीन ओलंपिक खेल टोक्यो 2020

संयुक्त राज्य अमेरिका ने पदकों की संख्या के अनुसार शीर्ष स्थान हासिल किया।  संयुक्त राज्य अमेरिका 39 स्वर्ण पदक के साथ कुल 113 पदक हासिल किए। कुल 88 (38 स्वर्ण) और 58 (27 स्वर्ण) पदकों के साथ चीन और जापान ने क्रमश: दूसरा और तीसरा स्थान प्राप्त किया। भारत ने 1 स्वर्ण सहित कुल 7 पदकों के साथ 48वां स्थान हासिल किया।

टोक्यो ओलंपिक 2020 में भारत | Olympic Games Essay in Hindi

ओलंपिक खेल टोक्यो 2020 में सर्वकालिक बेहतरीन प्रदर्शन के साथ भारत ने 1 स्वर्ण पदक, 2 रजत पदक और 4 कांस्य पदक के साथ 48वां स्थान हासिल किया। भारतीय एथलीट नीरज चोपड़ा ने भाला फेंक में स्वर्ण पदक जीता और घातक महामारी के  इस अंधकारमय समय में भारत को गौरवान्वित किया। पानीपत, हरियाणा के 23 वर्षीय नीरज चोपड़ा द्वारा गोल्डन थ्रो के बाद बीजिंग 2008 के उपरांत पहली बार ओलंपिक में राष्ट्रगान सुनकर लाखों भारतीय भावुक हो गए।

Weightlifter शिखोम मीराबाई चानू ने टोक्यो ओलंपिक खेल 2020 में 49 किग्रा वर्ग में रजत पदक जीता। मणिपुर की 26 वर्षीय मीराबाई चानू ने टोक्यो ओलंपिक 2021 के दौरान भारत के लिए पहला पदक जीता। दूसरा रजत पदक सोनीपत, हरयाणा के रहने वाले wrestler रवि कुमार दहिया, ने 57 किलोग्राम वर्ग में जीतकर भारत का नाम गौरवान्वित किया।

टोक्यो 2020 ओलंपिक खेलों के दौरान भारतीय एथलीटों ने कुल चार कांस्य पदक जीते। भारतीय हॉकी टीम ने टोक्यो ओलंपिक 2021 में भारत के लिए कांस्य पदक जीता। भारत के लिए एक और कांस्य पदक बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधु ने महिला एकल बैडमिंटन में जीता। लवलीना बोर्गोहेन ने भी महिला वेल्टरवेट बॉक्सिंग में भारत के लिए कांस्य पदक जीता। पहलवान बजरंग पुनिया ने ओलंपिक खेलों टोक्यो 2020 के दौरान 65 किलोग्राम वर्ग में भारत के लिए कांस्य पदक जीता। टोक्यो ओलंपिक 2020 में शानदार प्रदर्शन के साथ, इन एथलीटों ने भारत को गौरवान्वित किया।

उम्मीद है कि आपको ओलंपिक खेल टोक्यो 2020 पर यह निबंध पसंद आया होगा और यह आपके निबंध लेखन की तैयारी में सहायक होगा।

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Keywords: ओलंपिक खेल पर निबंध टोक्यो 2020, ओलंपिक गेम पर निबंध, ओलंपिक 2021 पर निबंध, Olympic Games par nibandh

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ओलम्पिक खेल पर निबंध essay on olympic games in hindi.

Today we are posing information about Olympics Games in Hindi (ओलम्पिक खेल). Read ओलम्पिक खेल पर निबंध Essay on Olympic Games in Hindi for students of class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12.

Essay on Olyampic Games in Hindi

Essay on Olympic Games in Hindi ओलम्पिक खेल पर निबंध

Essay on Olympic Games in Hindi 600 Words

किसी न किसी समय, विश्व के किसी न किसी कोने में होने वाली खेल प्रतियोगिता के बारे में हम प्रायः रोज सुनते ही रहते हैं। हममें से कई लोग ऐसे भी हैं जो इस प्रकार की खेल पतियोगितायों में दिलचस्पी रखते हैं और अवसर मिलने पर प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से इन खल प्रतियोगिताओं का सुखपूर्ण आनन्द भी प्राप्त करते हैं। अर्न्तराष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओ में सर्वाधिक महत्वपूर्ण खेल प्रतियोगिताएं-एशियाई खेल और राष्ट्र-मण्डल खेल एवं ओलम्पिक खेल हैं। इनमें से सर्वाधिक प्राचीन खेल प्रतियोगिता ओलंपिक ही हैं। ओलम्पिक खेलों का वैसे तो इतिहास अतीव प्राचीन रहा है। कहा जाता है कि इन ओलम्पिक खेलों का सर्वप्रथम आरम्भ 776 ई.पू. यूनान के एथेंस नगर में हुआ था। इस खेल का यह जो नामकरण हमें प्राप्त होता है, इसका भी एक रोचक प्रसंग रहा है। कहा जाता है कि यूनान के एथेंस नगर के कुछ एक पर्वतों पर कतिपय दौड़ आदि से संबंधित खेल-कूद प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती थीं। इन पर्वतों को उस समय ‘ओलम्पिक’ नाम से सम्बोधित किया जाता था। अतः इसी कारण, इन ओलम्पिक पर्वतों पर खेल-कूद आयोजित की जाने वाली इन प्रतियोगिताओं को ओलम्पिक खेल प्रतियोगिता कहकर पुकारा जाने लगा और तभी से इन ओलम्पिक खेलों का प्रचलन व्यापक रूप से आरम्भ हो गया।

अभी तक मानव इतिहास या समाज का जितना भी लेखा-जोखा हमें प्राप्त होता है, उसकी मूल विशेषता यह रही है कि उसमें मानवीय जीवन के संदर्भ में खेलकूद आदि क्रीडात्मक आचरणों पर पर्याप्त बल दिया गया है। हमारी भारतीय सभ्यता और संस्कृति तो इसका जीता-जागता प्रमाण ही है। संस्कृत का एक श्लोक है:

“क्रीडनंपुष्ट शरीरस्य बुद्धिः तेजो यशो बलम्। प्रवर्धन्ते मनुश्यस्य तस्माद व्यायाममाचरेत् ॥”

अर्थात् खेल आदि क्रीडात्मक आचरण मनुष्य को शारीरिक पुष्टता, सुदृढ़ बुद्धि, तेज, यश और बल आदि प्रदान करने वाले महत्वपूर्ण आचरण होते हैं। क्रीड़ाओं का इस उच्च स्तर पर पक्ष समर्थन किसी अन्य सभ्यता में शायद ही प्राप्त होता हो। यूरोपीय सभ्यता भी इस दृष्टि से अत्यंत महत्त्वपर्ण सभ्यता रही है। प्लेटो पाश्चात्य सभ्यता के महान चिंतक और मनीषी विचारक माने जाते हैं। उनका तो प्रायः समस्त चिंतन ही मानव-समाज की सुख-समति एवं समुचित विकास को ही केन्द्र में रखकर किया गया चिंतन कहा जाता है। यही कारण है कि उन्होंने समुचित रूप से मानवीय विकास के संदर्भ में खेल अथवा क्रीडा को अत्यधिक महत्वपूर्ण माना था। अंग्रेजी की एक बड़ी ही प्रख्यात कहावत है कि: “A sound mind in a sound body.” नेल्सन ने जब नेपोलियन को पराजित किया तो सर्वत्र आश्चर्य का प्रभाव व्याप्त हो गया। किन्तु नेल्सन को इसमें किसी भी प्रकार का आश्चर्य दिखलायी नहीं पड रहा था। उसने बड़े ही सहज शब्दों में कहा था कि मैंने वाटरलू के युद्ध में जो सफलता प्राप्त की है उसका प्रशिक्षण मैंने खेल के मैदान में ही प्राप्त किया था। इसी प्रकार आधुनिक काल के एक महान धर्म-सुधारक स्वामी विवेकानंद का भी यह कथन अत्यंत उल्लेखनीय जान पड़ता है। उन्होंने कहीं कहा था कि शारीरिक दुर्बलता ही हमारे दुखों को कम से कम एक तृतीयांश का कारण है। सर्वप्रथम हमारे नवयुवकों को बलवान बनना चाहिए। धर्म पीछे आ जाएगा। मेरे नवयुवक मित्रों बलवान बनों। तुम्हे मेरी यह सलाह है। गीता के अभ्यास की अपेक्षा फुटबाल खेलने के द्वारा तुम स्वर्ग से अधिक निकट पहुँच जाओगे।

अतः हम इस बात का सहज ही रेखाकन कर सकते है कि हमारे जीवन में खेलों का अप्रतिम महत्व होता है।

आधुनिक समय में ओलम्पिक खेल प्रतियोगिता जिस स्वरूप हमें प्राप्त होती है उसका परवर्ती समय में सर्वप्रथम आरंभ 1886 में पुनः यूनान के उसी एंथेस नगर में हुआ था। फ्रांस में बैरन पाइरे दि कुबर्तिन ने ही वस्तुतः आधुनिक ओलम्पिक खेल प्रतियोगिता का शुभारंभ किया। अभी तक ओलम्पिक खेलों का आयोजन विश्व के प्राय: सभी बड़े देशों में हो चुका है। इसका उदघाटन देश के विशिष्ट प्रतिनिधि द्वारा अनेक रंगा-रंग कार्यक्रमों के साथ किया जाता है।

अभी तक अमेरिका के अटलाटा नामक शहर में आयोजित किया गया ओलम्पिक खेल सर्वाधिक प्रख्यात रहा है । इसमें 25 महत्वपूर्ण खेलों से संबंधित प्रतियोगिताएं हुई थीं।

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ओलंपिक में खेले जाने वाले खेलों की सूची

updated 17/09/2023

क्या आप ओलंपिक देखना पसंद करते हैं? ओलंपिक में खेले जाने वाले खेलों की बात की जाए तो वह अनेक है इसलिए इस लेख में सभी ओलंपिक में खेले जाने वाले खेलों की सूची दी गई है.

वैसे ओलिंपिक बहुत पुराना है लेकिन आधुनिक ओलंपिक खेल में दुनिया भर के हजारों एथलीट विभिन्न प्रतियोगिताओं में भाग लेते हैं, जो कभी गर्मियों या सर्दियों में आयोजित होती है.

ओलिंपिक्स (Olympic) खेल प्रत्येक चार वर्ष के अंतराल में खेला जाता है, जिसमें कई प्रकार के खेल खेले जाते हैं और हजारों एथलीट अलग अलग देशों से भाग लेते हैं.

यदि आप नहीं जानते ऑलंपिक में खेले जाने वाले खेलों के नाम कौन कौन से हैं और उनकी सूची, तो इस लेख को पूरा जरूर पढ़े.

ओलंपिक में खेले जाने वाले खेलों की सूची (Olympic Games List in Hindi-English)

ओलंपिक में खेले जाने वाले खेलों की सूची

  • 3X3 बास्केटबॉल
  • अल्पाइन स्कीइंग
  • आर्टिस्टिक स्विमिंग
  • एक्रोबैटिक जिमनास्टिक्स
  • कैनु/कयाक फ्लैटवाटर
  • कैनोइ/ कायक स्लैलम
  • क्रॉस कंट्री स्कीइंग
  • जिमनास्टिक्स आर्टिस्टिक
  • जिमनास्टिक्स रिदमिक
  • ट्रैम्पोलाइन
  • नॉर्डिक कंबाइंड
  • फिगर स्केटिंग
  • फ्रीस्टाइल स्कीइंग
  • बीएमएक्स फ्रीस्टाइल
  • बीच वॉलीबॉल
  • बीच हैंडबॉल
  • बेसबॉल / सॉफ्टबॉल
  • मैराथन स्विमिंग
  • मॉडर्न पेंटाथलान
  • रोलर स्पीड स्केटिंग
  • वेटलिफ्टिंग
  • शार्ट ट्रैक स्पीड स्केटिंग
  • साइकिलिंग ट्रैक
  • साइकिलिंग बीएमएक्स
  • साइकिलिंग माउंटेन बाइक
  • साइकिलिंग रोड
  • स्की जंपिंग
  • स्की माउंटेनरिंग
  • स्केटबोर्डिंग
  • स्पीड स्केटिंग
  • स्पोर्ट क्लाइम्बिंग

शीतकालीन ऑलंपिक खेल (Winter Olympic Games List in Hindi)

शीतकालीन ऑलंपिक खेल एक ऐसी ऑलंपिक में खेले जाने वाले खेल स्पर्धा होती है जो अधिकांशत: बर्फ पर खेले जाते हैं. जैसे कि ऑल्पाइन स्कीइंग, आइस हॉकी, बायथलॉनबॉब्स्लेड, स्पीड स्केटिंग, आदि.

शीतकालीन ऑलंपिक खेलों की सूची (Winter Olympic Games List in Hindi)

  • अल्पाइन स्किंग
  • क्रॉस कंट्री
  • फ्री स्टाइल स्किंग
  • नार्डिक कंबाइंड

2024 में ओलंपिक खेल कहाँ आयोजित होंगे?

आने वाले 2024 में ओलिंपिक खेल का उद्घाटन समारोह सीन नदी पर आयोजित होगा. यह ऑलंपिक के इतिहास में एक अनोखा समारोह होने वाला है जिसे हजारों की संख्या में लोग नदी के किनारे मुफ्त में देख सकेंगे.

विश्व में पहला ओलंपिक कब और कहां आयोजन हुआ था?

विश्व में पहला आधुनिक ओलंपिक वर्ष 1896 में एथेन्स, ग्रीस में आयोजित हुआ था.

ओलंपिक खेल कितने वर्ष के बाद आयोजित किए जाते हैं?

ओलंपिक खेल प्रत्येक चार वर्ष के अंतराल पर खेला एंव आयोजित किए जाते हैं.

भारत ने पहली बार ओलंपिक खेलों में कब भाग लिया था?

भारत ने पहली बार 1900 में ओलंपिक खेलों में भाग लिया था और तब से प्रत्येक ओलिंपिक खेल होने वाले प्रतियोगिताओं में भाग लेते आ रहा है.

ओलंपिक के जनक किसे कहा जाता है?

अन्तर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति के संस्थापक और आधुनिक ओलंपिक खेलों के जनक ‘पियरे डे कोबेर्टिन’ को कहा जाता है.

ओलंपिक में कुल कितने खेल होते हैं?

वर्तमान समय में ओलंपिक में कुल 46 खेलों को सम्लित किया गया है, जो समय – समय पर हर चार साल बाद जब भी ऑलंपिक खेल आयोजित होता है, उसमें कुछ नया खेल जोड़ा और हटाया जाता है.

तो, यह थी ओलंपिक में खेले जाने वाले खेलों की सूची हिंदी और इंग्लिश में (List of Olympic Games in Hindi-English), जिसमें से कुछ खेल गर्मियों तो कुछ सर्दियों में ओलिंपिक में आयोजित किया जाता है.

यदि आप ओलिंपिक देखते हैं और भारत को ऑलंपिक खेलों में शामिल होना देखना चाहते हैं तो आपकों सभी ओलिंपिक में खेले जाने वाले खेलों के बारे में जानकारी होनी चाहिए.

हम उम्मीद करते हैं आपकों अब ओलंपिक में खेले जाने वाले सभी खेलों के नाम के बारे में जान चुके होंगे. साथ ही आपकों इस लेख से ऑलंपिक में खेले जाने वाले वह खेल जिसे आप नहीं जानते थे उसकी भी जानकारी हो गई होगी.

यदि आपकों यह लेख पसंद आई है तो कृपया इसे अपने दोस्तों और खेल में रुचि रखने वाले लोगों के साथ शेयर जरूर करें.

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ओलंपिक खेलों पर निबंध Olympic games essay in hindi

Olympic games essay in hindi.

हेलो दोस्तों कैसे हैं आप सभी,दोस्तों आज का हमारा आर्टिकल Olympic games essay in hindi आपके लिए बहुत ही मजेदार रहेगा.दोस्तों हम अक्सर बहुत सारे खेल खेलते हैं जिनमे हम जीतने का प्रयास करते हैं हम जब उन खेलों में जीतते हैं तो हमें खुशी का अनुभव होता है लेकिन ओलंपिक खेलों में जीतना बहुत ही मुश्किल होता है और इनमे जीतकर जो खुशी का अनुभव होता है उसकी कल्पना करना ही बहुत खुशी प्रदान करती है.

Olympic games essay in hindi

ओलंपिक खेल वर्ल्ड लेवल पर खेले जाते हैं और देश दुनिया के बहुत सारे खिलाड़ियों की आपस में मुलाकात होती है आज हम ओलंपिक खेलों के बारे में विस्तृत जानेंगे.यहां पर लिखी इस जानकारी का उपयोग आप अपने स्कूल कॉलेज की परीक्षा में कर सकते हैं साथ में अपनी जानकारी बढ़ाने के लिए भी इस निबंध का उपयोग कर सकते हैं चलिए पढते हैं हमारे द्वारा लिखित इस निबंध को.

ओलंपिक खेलों का आयोजन 776 ई. पूर्व मैं ओलंपिया नामक शहर में हुआ था ओलंपिया शहर यूनान में स्थित है दरह्सल ओलंपिक खेल इस शहर के ओलंपिया पर्वत पर खेला जाता था इसलिए इसका नाम ओलंपिक पड़ा.ओलिंपिक गेम प्रत्येक 4 साल बाद खेला जाता है प्राचीन काल के ओलंपिक खेल में राज्य और सभी शहरों के लोग भारी मात्रा में देखने के लिए आते थे.

पहले भी लोग इसे बहुत पसंद करते थे इस खेल में दौड़,मुक्केबाजी,कुश्ती आदि प्रतियोगिता के रूप में खेले जाते थे इन खेलों में जो जीतता था उसको सम्मानित किया जाता था लेकिन किसी कारणवश प्राचीन काल के ओलंपिक गेम का समापन हो गया था लेकिन समय के साथ 19वीं सदी में जब ओलंपिया शहर की खुदाई की गई तब उसमें कुछ ऐसे निशान मिले जिसके बाद ओलंपिक खेलों के बारे में जानकारी मिली और फिर से ओलंपिक खेलों का चलन बढ़ने लगा.ओलम्पिक खेलो के प्रथम अध्यक्ष पियरे डी कुबर्तिन थे जिन्होंने अपने प्रयासों से ओलंपिक खेलों का आधुनिक समय में प्रारंभ किया था ये बहुत ही अच्छे खेलप्रेमी थे.

ओलंपिक खेल 4 साल के बाद खेले जाते थे और ओलंपिक आयोजन समिति द्वारा खेल प्रत्येक बार निश्चित किये गये देश के शहर में खेला जाता था जिसमें दुनिया भर के खिलाड़ी खेलने के लिए आते थे ओलंपिक गेम उन्नीसवीं सदी के बाद आज तक लगातार 4 साल बाद खेले जाते हैं लेकिन 19वीं सदी में कुछ समय ऐसा भी आया जब ओलंपिक खेलों को स्थगित कर दिया गया था.1940 और 1944 के गेम विश्व युद्ध की वजह से स्थगित कर दिए गए थे.बहुत सारे खिलाड़ियों को इस वजह से निराशा का सामना भी करना पड़ा.

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इसका एक उदाहरण हम करौली तकाक्स के बारे में देख सकते हैं करोली तकाक्स जो की एक पिस्तौल शूटर था लेकिन एक ट्रेनिंग कैंप के दौरान उसका दायां हाथ टूट गया था उसने सिर्फ अपने बाएं हाथ के द्वारा पिस्तौल सूट की प्रेक्टिस की थी लेकिन 1940 में विश्व युद्ध के कारण ओलंपिक गेम रोक दिए गए थे उसने अपना पूरा ध्यान 1944 ओलंपिक गेम में लगा दिया लेकिन 1944 के ओलंपिक गेम भी स्थगित कर दिए गए थे

जिस वजह से करौली को परेशानी का सामना करना पड़ा लेकिन जब 1948 ओलंपिक गेम हुआ तो उसने भाग लिया और आखिरकार गोल्ड मेडल जीता उसके 4 साल बाद जब ओलंपिक हुआ तो भी उसने गोल्ड जीता और पूरी दुनिया में एक पहचान बनाई.ऐसे बहुत से उदाहरण देखने को मिलते हैं.

प्राचीन काल में जो ओलिंपिक होते थे उसमें महिलाओं को हिस्सा लेने की अनुमति नहीं थी लेकिन आधुनिक युग का जब 1896 का ओलंपिक गेम हुआ तो उसमें भी महिलाओं को शामिल नहीं किया गया लेकिन 1900 में ओलंपिक गेम खेला गया तो उसमें महिलाओं को शामिल करने का विचार किया गया और महिलाओं को भी इसमें शामिल किया गया. जिस साल ओलंपिक गेम प्रतियोगिता होती है उस साल को ओलंपियाड नाम से भी जाना जाता है.

1960 की ओलंपिक गेम की दौड़ प्रतियोगिता में विल्मा रुडोल्फ नाम की एक लड़की ने 3 गोल्ड मेडल जीते थे जोकि अमेरिका से थी और अपाहिज थी वाकई में वो ओलंपिक गेम्स के इतिहास में महिलाओं के लिए एक प्रेरणा देती हैं इस तरह से हम देखें तो ओलंपिक में महिलाओं ने भी अच्छा प्रदर्शन किया था वह भी किसी से पीछे नहीं रही.

ओलंपिक खेलों की प्रतियोगिता में जो खिलाड़ी प्रथम द्वितीय और तृतीय स्थान प्राप्त करता है उन्हें क्र्मशा स्वर्ण पदक,रजत और कांस्य पदक से सम्मानित किया जाता है इसी के साथ में जीतने वाले को प्रमाण पत्र भी दिया जाता है और जो खिलाड़ी चतुर्थ स्थान से अष्टम स्थान प्राप्त करता है उसे केवल प्रमाणपत्र देकर सम्मानित किया जाता है ओलंपिक खेल समय समय पर हर 4 साल में अलग-अलग जगह पर खेले जाते हैं.

भारत ने लगभग 1920 से ओलंपिक खेलों में हिस्सा लेना शुरू किया. भारत ने इस ओलंपिक खेल प्रतियोगिता में सन 1928 में स्वर्ण पदक जीता.भारत ने लगातार तीन बार पदक जीते.ये हमारे लिए बहुत ही गर्व की बात है.भारत में 1920 से लेकर 2016 तक लगभग 26 पदक जीत लिए हैं इनमें से 8 पदक स्वर्ण पदक हैं.ओलम्पिक में लगभग 200 से ज्यादा देश भाग लेते हैं आज ओलंपिक गेम काफी पसंद किए जाते हैं.

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Tokyo Olympic रहा भारत के लिए ख़ास, आया गोल्ड मेडल

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  • Updated on  
  • अगस्त 7, 2021

Tokyo Olympic in Hindi

बड़े इंतज़ार के बाद टोक्यो ओलंपिक शुरू होने जा रहा है। खिलाड़ियों के अंदर उत्साह देखा जा सकता है, और देखा भी क्यों न जाए आखिर यह है खेलों का महाकुंभ। कोरोना महामारी के चलते यह थमा ज़रूर लेकिन रुका नहीं। 23 जुलाई से शुरू होकर यह 8 अगस्त तक चलेगा। 339 मेडल के लिए खिलाड़ी अपना बेस्ट देंगे। तो आइए, आपको विस्तार से जानकारी देते हैं Tokyo Olympic in Hindi के बारे में ।

The Blog Includes:

Tokyo olympic में भारत ने जीते 7 मेडल, वेटलिफ़्टिंग, नौकाचालन (sailing), जिम्नास्टिक्स, कोविड-19 के कारण नियमों में बदलाव, टोक्यो में ओलंपिक से पहले लगा आपातकाल, भारत ने अब तक जीते हैं 28 पदक , टोक्यो ओलंपिक का मैस्कट (शुभंकर) क्या है, कैसे बनाए गए हैं टोक्यो ओलंपिक के पदक, ओलंपिक मशाल रिले, tokyo olympic in hindi में क्यों जलाई जाती है मशाल, इस बार के टोक्यो ओलंपिक में क्या है ख़ास.

भारत ने टोक्यो ओलंपिक में 7 मेडल अपने नाम कर लिए हैं। नीरज चोपड़ा ने जैवलीन थ्रो में गोल्ड जीता है, मीराबाई चानू ने वेटलिफ्टिंग और रवि दहिया ने रेसलिंग में सिल्वर मेडल जीता, उसके बाद पीवी सिंधु ने बैडमिंटन, बॉक्सर लवलीना बोरगोहेन, रेसलर बजरंग पूनिया और भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने ब्रॉन्ज मेडल जीते।

Tokyo Olympic में कॉलिफाई करने वाले भारतीय खिलाड़ी

भारत के अबतक 100 से ज़्यादा खिलाड़ियों ने ओलंपिक के लिए क्वॉलीफ़ाई कर लिया है। आइए, जानते हैं Tokyo Olympic in Hindi में भारत की ओर से भाग लेने वाले खिलाड़ियों के नाम और उनके खेल की लिस्ट – 

मीराबाई चानू ने वेटलिफ्टिंग में सिल्वर मेडल जीता ।

Could not have asked for a happier start to @Tokyo2020 ! India is elated by @mirabai_chanu ’s stupendous performance. Congratulations to her for winning the Silver medal in weightlifting. Her success motivates every Indian. #Cheer4India #Tokyo2020 pic.twitter.com/B6uJtDlaJo — Narendra Modi (@narendramodi) July 24, 2021
I am really happy on winning silver medal in #Tokyo2020 for my country 🇮🇳 pic.twitter.com/gPtdhpA28z — Saikhom Mirabai Chanu (@mirabai_chanu) July 24, 2021

Check Out: मिल्खा सिंह: The Flying Sikh of India

पीवी सिंधु ने बैडमिंटन में ब्रॉन्ज मेडल जीता। पीवी सिंधु ने महिला एकल वर्ग में क्वालीफाई किया है जबकि पुरुष एकल में साई प्रणीत ने क्वालीफाई कर लिया है। वहीं पुरुष जोड़ी सात्विकसाईराज रंकीरेड्डी और चिराग शेट्टी पहली बार ओलंपिक में खेलेंगे।

What a wonderful support system you have @pvsindhu1 ! ❤️ #StrongerTogether @WeAreTeamIndia | @bwfmedia pic.twitter.com/qWj8Eqh21F — Olympics (@Olympics) July 21, 2021
No men's singles player from India has ever progressed further than the quarter-final at the Olympics. 🇮🇳🏸 Sai Praneeth has set his sights on ending that drought and believes he holds an advantage going into @Tokyo2020 . @saiprneeth92 @bwfmedia ​ @bai_media pic.twitter.com/cd58uEb61F — Olympics (@Olympics) July 6, 2021

1. मैरी कॉम (महिला 51 kg) 2. विकास किशन (पुरुष, 69 kg) 3. लवलीना बोरगोहेन (महिला, 69 kg) 4. आशीष कुमार (पुरुष, 75 kg) 5. पूजा रानी, (महिला, 75 kg) 6. सिमरनजीत कौर (महिला, 60 kg) 7. सतीश कुमार (पुरुष, 91 kg) 8. अमित पंघल (पुरुष, 52 kg) 9. मनीष कौशिक, (पुरुष, 63 kg)

Opening ceremony #TokyoOlympics2020 pic.twitter.com/bSbr5xvIMM — Lovlina Borgohain (@LovlinaBorgohai) July 23, 2021
My heartiest congratulations @LovlinaBorgohai . My best wishes for your upcoming bouts. #Cheer4India #staystrong #NeverGiveUp pic.twitter.com/irj3TiJ9F0 — M C Mary Kom OLY (@MangteC) July 30, 2021
The family members of recurve archer @tarundeepraii were felicitated at the District centre in South Sikkim. Tarundeep will take part in #Tokyo2020 alongside Pravin Jadhav and @ArcherAtanu in the men's recurve team event. #Cheer4India @WeAreTeamIndia pic.twitter.com/ZxBI1Oh4s5 — Khelo India (@kheloindia) June 28, 2021

1. तरुणदीप राय, पुरुष रिकर्व एकल (सिंगल्स) तीरंदाज़ी 2. अतनु दास, पुरुष रिकर्व एकल तीरंदाज़ी 3. प्रवीण जाधव, पुरुष रिकर्व एकल तीरंदाज़ी 4. दीपिका कुमारी, महिला रिकर्व एकल तीरंदाज़ी

1. के.टी इरफान, 20 मी. पुरुष एकल रेस वॉक 2. संदीप कुमार, 20 मी. पुरुष एकल रेस वॉक 3. राहुल रोहिल्ला, 20 मी. पुरुष एकल रेस वॉक 4. अविनाश साबले, 3000 मी. पुरुष एकल स्टीपलचेज़ 5. मुरली श्री शंकर, पुरुष एकल लॉन्ग जंप 6. नीरज चोपड़ा, पुरुष एकल जेवलिन थ्रो 7. शिवपाल सिंह, पुरुष एकल जेवलिन थ्रो 8. कमलप्रीत कौर, महिला एकल डिस्कस थ्रो 9. भावना जट, महिला एकल 20 किमी. रेस वॉक 10. प्रियंका गोस्वामी, महिला एकल 20 किमी. रेस वॉक 11. 4×400 मिक्स्ड रिले

Olympic games athletics training tracks. pic.twitter.com/xQY2wB5Qc0 — Dutee Chand (@DuteeChand) July 26, 2021
There goes #IND 's first #Athletics finalist at #Tokyo2020 🔥🔥 After a slow start with a throw of 60.29m, Kamalpreet Kaur pulled out a monster throw of 64m in her third attempt to qualify for the final of women's discus throw event! 👏 #StrongerTogether | #UnitedByEmotion pic.twitter.com/BwO8cIMgF4 — #Tokyo2020 for India (@Tokyo2020hi) July 31, 2021

भारत की तरफ़ से पहली बार भवानी देवी ने फ़ेंसिंग इवेंट के लिए कॉलिफाई किया है। मार्च में हंग्री में हुए बुडापेस्ट सबरे विश्व कप में उन्होंने टोक्यो का टिकट पाया। भवानी देवी तलवारबाजी करती हैं।

Big Day 🤺 It was Excitement & Emotional. I won the First Match 15/3 against Nadia Azizi and become the First INDIAN Fencing Player to win a Match at Olympic but 2nd Match I lost 7/15 against world top 3 player Manon Brunet. I did my level best but couldn't win. I am sorry 🙏 🇮🇳 pic.twitter.com/TNTtw7oLgO — C A Bhavani Devi (@IamBhavaniDevi) July 26, 2021

भारतीय महिला और पुरुष दोनों हॉकी टीमों ने ओलंपिक के लिए कॉलिफाई किया। भारतीय पुरुष हॉकी टीम इस वक़्त विश्व रैंकिंग में चौथे नंबर पर है और इसकी कप्तानी मनप्रीत सिंह कर रहे हैं, वहीं भारतीय महिला हॉकी टीम तीसरी बार ओलंपिक खेलने गई है।

#Tokyo2020 team was announced yesterday. Immensely honoured, blessed & humble to be selected for my 3rd Olympics with @TheHockeyIndia , no doubt will give my all for the country! #HaiTayaar #IndiaKaGame Full message for the team are up on my Instagram and Facebook Page. pic.twitter.com/Gnbi8jfhgs — Manpreet Singh (@manpreetpawar07) June 19, 2021

1. अंजुम मुगदिल, 10मी. महिला एकल एयर राइफ़ल 2. अपूर्वी चंदेला, 10मी. महिला एकल एयर राइफ़ल 3. दिव्यांश सिंह पनवर, 10मी. पुरुष एकल एयर राइफ़ल 4. दीपक कुमार, 10मी. पुरुष एकल एयर राइफ़ल 5. तेजस्विनी सावंत, 50मी. महिला एकल 3 पोजीशन राइफल 6. संजीव राजपूत, 50मी. पुरुष एकल 3 पोजीशन राइफ़ल 7. ऐश्वर्या प्रताप सिंह तोमर, 50मी. पुरुष एकल पोजीशन राइफ़ल 8. मनु भाकर, 10मी. महिला एकल एयर पिस्टल 9. यशस्विनी सिंह देसवाल, 10मी. महिला एकल एयर पिस्टल 10. सौरभ चौधरी, 10मी. पुरुष एकल एयर पिस्टल 11. अभिषेक वर्मा, 10मी. पुरुष एकल एयर पिस्टल 12. राही सरनोबत, 25मी महिला एकल पिस्टल 13. चिंकी यादव, 25मी. महिला एकल पिस्टल 14. अंगद वीर सिंह बाजवा, पुरुष एकल स्कीट 15. मैराज अहमद ख़ान, पुरुष एकल स्कीट

1. शरत कमल ( चौथी बार ओलंपिक के लिए कॉलिफाई किया) 2. जी. साथियान 3. सुतीर्थ मुखर्जी 4. मानिका बत्रा

Focusing on the positive, always!✨ @manikabatra_TT #manikabatra #tabletennis #Tokyo2020 #achievers pic.twitter.com/McH40q44Ih — Femina (@FeminaIndia) July 28, 2021
🤼‍♀️🇮🇳🎯 🎥:- @wrestling pic.twitter.com/qv5S2j1QfF — Vinesh Phogat (@Phogat_Vinesh) April 18, 2021
  • सीमा बिस्ला, विमेंस फ्रीस्टाइल, 50 किलोग्राम
  • विनेश फोगाट, विमेंस फ्रीस्टाइल, 53 किलोग्राम
  • अंशु मालिक, विमेंस फ्रीस्टाइल, 57 किलोग्राम
  • सोनम मालिक, विमेंस फ्रीस्टाइल, 62 किलोग्राम
  • रवि दहिया, मेंस फ्रीस्टाइल, 57 किलोग्राम
  • बजरंग पुनिया, मेंस फ्रीस्टाइल, 65 किलोग्राम
  • दीपक पुनिया, मेंस फ्रीस्टाइल, 86 किलोग्राम

1. अनिर्बान लहरी 2. उद्यन मने 3. अदित्ति अशोक

1. नेत्रा कुमानन (क्वालीफाई करने वाली पहली भारतीय महिला) 2. विष्णु सरवनन 3. केसी गणपित और वरुण 

Vishnu Saravanan finishes 20th in the second race of the Laser Standard #Sailing competition in #Tokyo2020 . He lost out on a finish among the top half of the fleet after the jury imposed a two-turn penalty on him due to an incident during the race. Photo: SonyLiv screengrab pic.twitter.com/hUpxbLZ1TF — G Rajaraman (@g_rajaraman) July 26, 2021

एशियन गेम्स के सिल्वर मेडलिस्ट फवाद मिर्ज़ा ने टोक्यो ओलंपिक-2021 के लिए क्वालीफ़ाई किया। 20 वर्ष बाद ऐसा पहली बार होगा जब ओलंपिक खेलों में इक्वेस्टेरियन में कोई खिलाड़ी भारत का प्रतिनिधित्व करेगा। उन्होंने इससे पहले एशियन गेम्स में 36 साल से चला आ रहा पदकों का सूखा खत्म किया था।

Srihari Nataraj (swimming), Aditi Ashok (ladies’ golf), and Fouaad Mirza (equestrian) will be part of the Indian contingent at the upcoming Olympics https://t.co/Mefx6VB7gs — Bangalore Mirror (@BangaloreMirror) July 3, 2021

सुशीला देवी भारत की ओर से जुडो में हिस्सा लेने वाली अकेली खिलाड़ी हैं। सुशीला देवी ने 48 किलोग्राम कैटेगरी में जगह बनाई है.।

Sushila Devi Likmabam, an Indian judoka competing in the Tokyo Olympic Games, was pinned in the first round by Hungarian stalwart Eva Csernoviczki. Shushila, a silver medalist at the 2014 Commonwealth Games in Glasgow, had qualified for the Olympics … https://t.co/pBddUAwYrc — IBTimes 🇮🇳 (@ibtimes_india) July 24, 2021

प्रणति नायक भारत की ओर से ओलंपिक खेलों में क्वालिफाई करने वाली सिर्फ दूसरी जिमनास्ट हैं।

Pranati Nayak is in action! She's scored a 10.633 on the floor and 13.466 on the vault. She will hope that makes the top 8 #Tokyo2020 | #Gymnastics — ESPN India (@ESPNIndia) July 25, 2021

सजन प्रकाश भारत की ओर से स्विमिंग में हिस्सा लेने वाले पहले खिलाड़ी बनने का गौरव हासिल करेंगे। सजन कुमार ने 200 मीटर बटरफलाई इवेंट के लिए क्वालिफाई किया है।

🇮🇳 swimmer @swim_sajan was greeted by IOC President Thomas Bach & FINA President Husain Al-Musallam ahead of his 100m butterfly heat. We appreciate the training support provided to Sajan under the FINA scholarship. #Swimming #Tokyo2020 #Cheer4India pic.twitter.com/cyvDHS57j2 — SAIMedia (@Media_SAI) July 29, 2021

1992 के बाद यह पहला मौका होने वाला है जब टेनिस के पुरुष इवेंट में भारत की ओर से कोई खिलाड़ी हिस्सा नहीं लेगा। सनिया मिर्जा और अंकिता रैना की जोड़ी भारत के लिए टोक्यो ओलंपिक में हिस्सा लेगी।

Shhh… lucky to get on court with a red wrist band. pic.twitter.com/NaFJ7Kyh3w — Imran Mirza (@imrandomthought) June 28, 2021

Check out: जानिए साइना नेहवाल की सफलता के पीछे का संघर्ष

कोरोना के संक्रमण को ध्यान में रखते हुए 33 पेज की एक रूलबुक जारी कर कुछ बातें साफ की गई हैं, जिससे ओलंपिक के संचालन में कोई दुविधा न खड़ी हो। आइए, जानिए Tokyo Olympic in Hindi में नियम – 

  • अंतराष्ट्रीय प्रशंसकों के लिए टोक्यो ओलंपिक केवल टीवी तक सीमित रहेगा। टोक्यो ओलंपिक के खेल केवल स्थानीय लोगों के लिए खुले रहेंगे। लेकिन उनको भी कोरोना प्रोटोक़ॉल्स को गंभीरता से लेना होगा।
  • प्रशंसकों को गाना या नाचकर जश्न मनाने के लिए सख्त मना किया गया है।
  • अंतराष्ट्रीय वॉलंटियर भी नहीं आ सकेंगे। ऐसे भारत जैसे देशों को अपने ओलंपिक स्टाफ में कटौती करनी पड़ सकती है।
  • खिलाड़ियों को जापान पहुंचते ही 14 दिन क्वारंटीन नहीं होना पड़ेगा और सीधा ट्रेनिंग कैंप में जाने की अनुमति होगी, हालांकि उनके पास कोरोना निगेटिव की रिपोर्ट होनी बेहद ज़रूरी है।
  • खिलाड़ियों को हर चौथे दिन कोरोना टेस्ट लेना होगा। अगर कोई पॉजिटिव पाया जाएगा तो उसे प्रतिस्पर्धा में हिस्सा नहीं लेने दिया जाएगा। टेस्ट कितनी बार होंगे, यह नियम बदले भी जा सकते हैं।
  • खिलाड़ियों के लिए कोरोना वैक्सीन लेना ज़रूरी नहीं होगा।
  • खिलाड़ियों का टूरिस्ट वाली जगहें, रेस्टोरेंट जाना वर्जित होगा।

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जापान सरकार ने कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए टोक्यो में आपातकाल लगाने की घोषणा की है जो पूरे ओलंपिक खेलों के दौरान जारी रहेगा। ओलंपिक के शरू होने में अब कुछ समय बचा है जिसके मद्देनज़र यह आपातकाल ओलंपिक के बाद 26 अगस्त तक रहेगा। जापान में बीते अप्रैल में कोरोना की एक नई लहर शुरू हुई है लेकिन संक्रमित लोगों की संख्या कम है। Tokyo Olympic in Hindi में स्थिति के अनुकूल ही इस बार ओलंपिक का आयोजन किया गया है।

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1900 से 2016 तक भारत ने ओलंपिक में कुल 28 मेडल अपने नाम किए हैं। इनमें नौ गोल्‍ड, सात सिल्‍वर और 12 कांस्‍य (ब्रॉन्‍ज) मेडल शामिल हैं। ओलंपिक इतिहास में भारत ने हॉकी में सबसे ज्‍यादा 11 मेडल जीते हैं। हॉकी में भारत ने आठ गोल्‍ड, एक सिल्‍वर और एक ब्रॉन्‍ज मेडल अपने नाम किया है। जबकि निशानेबाजी में चार पदक जीते हैं। इसके अलावा भारत ने कुश्ती में पांच, बैडमिंटन और मुक्केबाजी में दो-दो तथा टेनिस और वेटलिफ़्टिंग में एक-एक पदक अपने नाम किया है।

2008 के बीजिंग ओलंपिक की निशानेबाजी स्पर्धा में अभिनव बिंद्रा ने भारत के लिए पहला और अब तक का एकमात्र व्यक्तिगत स्पर्धा का गोल्ड मेडल जीता। Tokyo Olympic in Hindi में 2012 का लंदन ओलंपिक भारत के लिए सबसे सफल ओलंपिक रहा था जिसमें भारत ने 2 सिल्वर और 4 ब्रॉन्‍ज मेडल जीते थे।

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टोक्यो में होने वाले ओलंपिक खेलों के शुभंकर को ‘मिराइतोवा’ और ‘सोमाइटी’ नाम दिया गया है। इसे ख़ास जापानी इंडिगो ब्लू रंग का पैटर्न दिया गया है। इससे जापान की सांस्कृतिक परंपरा और आधुनिकता दोनों झलकती है। ‘मिराइतोवा’ जापानी कहावत से प्रेरित है. जापानी शब्द मिराइतोवा में ‘मिराइ’ का अर्थ ‘भविष्य’ और तोवा का ‘अनंत काल’ होता है। Tokyo Olympic in Hindi में इस बार का मैस्क्ट अपने आप में खास है।

Tokyo Olympic in Hindi में खिलाड़ियों को दिए जाने वाले मेडल पुराने इलेक्ट्रॉनिक सामानों और फ़ोन से बनाए हैं। इसके लिए आयोजकों ने फ़रवरी 2017 में जापान के लोगों से इलेक्ट्रॉनिक सामानों और फ़ोन दान करने की अपील की थी। मेडल के पीछे के हिस्से में टोक्यो ओलंपिक का लोगो लगा है, आगे स्टेडियम की तस्वीर के सामने विजय का प्रतीक माने जाने वाली ग्रीक देवी ‘नाइक’ को दर्शाया गया है।

टोक्यो ओलंपिक की मशाल रिले जापान में 25 मार्च से जली हुई है और 23 जुलाई को खेलों के महाकुंभ के आगाज के साथ ख़त्म होगी। यह 2011 में सुनामी की मार झेल चुके फुकुशिमा राज्य के जे विलेज नेशनल ट्रेनिंग सेंटर से शुरू हुई थी और यह इस दौरान जापान के 47 प्रांतों से गुज़रेगी। Tokyo Olympic in Hindi में इस बार कोरोना के चलते इसका टोक्यो ओलंपिक की मुख्य वेबसाइट पर इसका सीधा प्रसारण होगा। हालांकि, स्थानीय लोग सड़क के किनारे खड़े होकर समारोह को देख सकते हैं, बशर्ते सब मास्क पहनें और एक-दूसरे से उचित दूरी बनाए रखें।

शीशे की मदद से सूर्य की किरणों की तेज़ से जलने वाली यह मशाल ओलंपिक खेलों के आगाज़ से महीनों पहले दुनिया भर की अपनी यात्रा ख़त्म कर मेजबान देश में पहुँचती है। ग्रीस में प्राचीन ओलंपिया के पवित्र स्थल पर स्थित हेरा के मंदिर में मशाल जलाई जाती है जिसे वहाँ से कई खिलाड़ी मेज़बान देश तक पहुँचाते हैं। फिर मेजबान देश में मशाल रिले का आयोजन होता है। इसके बाद मेजबान देश का एक जाना माना एथलीट उद्घाटन समारोह के दिन इससे स्टेडियम में लगाए गए मशाल को प्रज्जवलित करता है और इसके साथ ही ओलंपिक खेलों की शुरुआत हो जाती है। ओलंपिक मशाल रिले कि शुरुआत 1936 के बर्लिन गेम्स से हुई थी।

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इस बार 5 नए खेल ओलंपिक में जोड़े गए हैं- सर्फ़िंग, स्केटबोर्डिंग, स्पोर्ट्स क्लाइंबिंग, कराटे और बेसबॉल। बेसबॉल (पुरुष) और सॉफ्टबॉल (महिला) की भी ओलंपिक में वापसी हो रही है। हालाँकि ‘सॉफ़्टबॉल’ खेल प्रतियोगिता उद्घाटन समारोह से दो दिन पहले यानी 21 जुलाई को ही फु़कुशिमा में शुरू हो जाएगी। ओलंपिक में इस बार 33 खेलों में 339 मेडल के लिए मुक़ाबले होंगे। पहला पदक समारोह 24 जुलाई को होगा। जापान पहले भी तीन बार ओलंपिक का आयोजिन कर चुका है – 1964, 1972 और 1988 में. तो आइए Tokyo Olympic in Hindi में विस्तार से जानते क्या क्या जोड़ा और हटाया गया – 

  • टेबल टेनिस: 2020 टोक्यो ओलंपिक में मिक्स्ड डबल्स को जोड़ा गया है।
  • जूडो: यह खेल 1964 से ओलंपिक में है, लेकिन इस बार मिक्स्ड टीम इवेंट है।
  • स्वीमिंग: इस बार स्वीमिंग में एक नया बदलाव हुआ है. 800 मीटर की रेस को पुरुषों के इवेंट में शामिल किया गया है। जबकि 1,500 फ्रीस्टाइल इवेंट महिला प्रतियोगिता में शामिल हुई है।
  • वॉटर पोलो: इस बार महिलाओं की दो नई टीम जोड़ी गई हैं जिससे कुल 10 टीमें हो गई हैं।
  • कयाक: 2020 टोक्यो ओलंपिक में कयाक खेल में भी महिलाओं के 3 इवेंट बढ़ाकर पुरुष खेलों से 3 इवेंट कम कर दिए गए है। महिलाओं के इवेंट में कयाक सिंगल 200 मीटर, डबल्स 500 मीटर इवेंट को जोड़ा गया है।
  • रोइंग: इस बार पुरुषों के हल्के चार इवेंट को 2020 ओलंपिक से हटा दिया गया है जबकि महिलाओं के चार इवेंट्स जोड़े गए हैं। 1966 के बाद ओलंपिक रोइंग कार्यक्रम में यह पहला बदलाव है।
  • आर्चरी: 1972 से शामिल इस खेल में इस बार मिक्स्ड टीम इवेंट भी शामिल किया गया है।
  • बॉक्सिंग: महिला खिलाड़ियों की संख्या को तीन से बढ़ाकर पाँच कर दिया है जबकि पुरुष खिलाड़ियों की संख्या दस से आठ कर दी गई है। यह फ़ैसला लैंगिक समानता को ध्यान में रखते हुए किया गया है।

उम्मीद है, Tokyo Olympic in Hindi ब्लॉग आपको पसंद आया होगा। यदि आप भी इन खिलाड़ियों की तरह अपने करियर से सम्बंधित सपनों को पूरा करना चाहते है या विदेश में पढ़ना चाहते है तो आज ही Leverage Edu से संपर्क करें।

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देवांग मैत्रे

स्टडी अब्रॉड फील्ड के हिंदी एडिटर देवांग मैत्रे को कंटेंट और एडिटिंग में आधिकारिक तौर पर 6 वर्षों से ऊपर का अनुभव है। वह पूर्व में पोलिटिकल एडिटर-रणनीतिकार, एसोसिएट प्रोड्यूसर और कंटेंट राइटर रह चुके हैं। पत्रकारिता से अलग इन्हें अन्य क्षेत्रों में भी काम करने का अनुभव है। देवांग को काम से अलग आप नियो-नोयर फिल्म्स, सीरीज व ट्विटर पर गंभीर चिंतन करते हुए ढूंढ सकते हैं।

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खेलों का महत्व पर निबंध | Essay on Importance of Games in Hindi

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खेलों का महत्व पर निबंध | Essay on Importance of Games in Hindi!

”पढ़ोगे लिखोगे बनोगे नवाब, खेलोगे कूदोगे होओगे खराब”- यह कहावत आज निराधार हो गई है । माता-पिता आज जान गए है कि बच्चों के मानसिक विकास के साथ शारीरिक विकास भी होना चाहिए ।

व्यक्ति का सम्पूर्ण जीवन तन और मन रूपी गाड़ी से चलता है । व्यायाम, खेल शारीरिक विकास करते हैं तथा शिक्षा, चिन्तन-मनन से व्यक्ति का मानसिक विकास होता है । खेल के अनेक रूप हैं- कुछ खेल बच्चों के लिए होते हैं, कुछ बड़ों के लिए, कुछ बड़ों के लिए, कुछ वृद्धों के लिए होते हैं । कुछ खेलों को खेलने के लिए विशाल मैदानों की आवश्यकता नहीं होती ।

लेकिन उन में मनोरंजन और बौद्धिक विकास अवश्य होते हैं जैसे- कैरम बोर्ड, शतरंज, सांप-सीढ़ी, लुडो, ताश आदि । ‘स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मस्तिष्क का विकास होता है ।’ जो बच्चे केवल पढ़ना ही पसन्द करते हैं खेलना नहीं, देखा जाता है कि वे चिड़चिड़े आलसी या डरपोक हो जाते हैं, यहां तक कि अपनी रक्षा करने में असमर्थ रहते हैं ।

जो पढ़ने के साथ-साथ खेलों में भी भाग लेते हैं वे चुस्त और आलस्य रहित होते हैं । उनकी हड्‌डियां मजबूत और चेहरा कान्तिमय हो जाता है, पाचन-शक्ति ठीक रहती है, नेत्रों की ज्योति बढ़ जाती है, शरीर वज्र की तरह हो जाता है । छात्र जीवन में केवल खेलते या पढ़ते ही नहीं रहना चाहिए अपितु उद्देश्य होना चाहिए खेलने के समय खेलना और पढ़ने के समय पढ़ना- ”Work while Your you work, play while you play”.

मनुष्य को जो पाठ शिक्षा नहीं सिखा पाती वह खेल का मैदान सिखा देता है । जैसे- खेल खेलते समय अनुशासन में रहना, नेता की आज्ञा का पालन करना, खेल में जीत के समय उत्साह, हारने पर सहिष्णुता तथा विरोधी के प्रति प्रतिरोध का भाव न रखना, अपनी असफलता का पता लगने पर जीतने के लिए पुन: प्रयत्न करना आदि सिखाता है ।

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बच्चों की किशोरावस्था से ही उनकी रुचि के खेल खेलने देने चाहिए । उनकी कोमल भावनाओं को कुचलना नहीं चाहिए । उन्हें संघर्ष के लिए तैयार करना चाहिए । जिससे भविष्य में उन्हें खेलों में विजय और यश मिले, विश्व रिकॉर्ड बनाकर, अपना और देश का गौरव बढ़ाए । नेपोलियन को हराने वाले सेनापति नेलसन ने कहा था कि मेरी विजय का समस्त श्रेय किशोरावस्था के खेल के मैदान को है- “The war of Waterloo was won in the fields of Eton”

स्कूल और कॉलेजों के खेलों में नाम कमाकर ही राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय खेलों में छात्र पहुंच पाता है । पी.टी. ऊषा ने आठवीं कक्षा से दौड़ना प्रारम्भ किया था और अन्तर्राष्ट्रीय खेलों में देश का और अपना गौरव बढ़ाया । गांव और शहरों के खेलों में भी अन्तर है ।

गाँव के बच्चे गुल्ली डण्डा, कबड्‌डी जैसे खेल पसन्द करते हैं, वहीं शहरों में क्रिकेट, बैडमिन्टन, टेबल टेनिस जैसे खेल लोकप्रिय हैं । बढ़ती हुई आबादी के साथ खेल के मैदान कम होते जा रहे हैं । गाँवों की खाली जगह खेती में और शहरों की खाली जगह ऊंची-ऊंची इमारतें बनाने में चली जाती हैं ।

बड़ी-बड़ी कम्पनियां अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त खिलाड़ियों को अपनी कम्पनियों में कर्मचारियों के रूप में नियुक्त कर उन्हें खेलने की पूर्ण सुविधाएं प्रदान करती हैं । खिलाड़ी के लिए खेल का मैदान बड़ा और वातावरण हवादार होना चाहिए । उसे हरी सब्जियों, दूध, फल आदि का सेवन करना चाहिए, स्वच्छ जल और स्वच्छ वातवरण में रहना चाहिए ।

भारत सरकार खेल में प्रसिद्धि पाने वाले खिलाड़ी को ‘अर्जुन पुरस्कार’ और उसके गुरु को ‘द्रोणाचार्य पुरस्कार’ से सम्मानित करती है । यह शरीर ईश्वर की देन है । इसे स्वस्थ रखना हमारा कर्त्तव्य है । इसकी सुरक्षा के लिए खेल, व्यायाम और शिक्षा आवश्यक है । स्वस्थ व्यक्ति ही इस संसार के सुखों का उपभोग करता हुआ आत्मविश्वासी और प्रसन्न रहता है ।

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