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बेरोजगारी पर निबंध (Essay on Unemployment in Hindi)

देश में बेरोजगारी ऐसा मुद्दा है जो 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा सरकार को बहुमत में आने से रोक दिया। देश में इस समय बेरोजगारी चरम पर है। यहाँ हमने छात्रों के लिए बेरोजगारी पर बहुत ही आसान भाषा में जानकारी युक्त निबंध दिए हैं जो अलग अलग शब्द सीमा में लिखा गया है। जैसे – छोटे बच्चों के लिए बेरोजगारी पर 100 – 200 शब्दों में निबंध और बड़े बच्चों के लिए बेरोजगारी पर 300 – 400 शब्दों में निबंध। आप अपने आवश्यकता और क्लास के अनुसार कोई भी निबंध चुन सकते हैं।

बेरोजगारी पर निबंध (100 – 200 शब्द) – Berojgari par nibandh

भारत देश में बेरोजगारी एक गंभीर समस्या बन गयी है जो समाज और देश को बुरी तरह प्रभावित कर रही है। बेरोजगारी का मतलब होता है काम की कमी, जिससे लोग अपनी आजीविका नहीं चला पाते। आज ऐसी स्थिति हो गयी है कि शिक्षा प्राप्त करने के बाद भी युवाओं को नौकरी नहीं मिल रही है। यह स्थिति न केवल उनकी व्यक्तिगत ज़िन्दगी को खराब करती है, बल्कि पूरे परिवार और समाज पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

बेरोजगारी का प्रमुख कारण शिक्षा स्तर में गिरावट और रोजगार के अवसरों की कमी है। इसके अलावा, दिन प्रतिदिन जनसंख्या में वृद्धि भी बेरोजगारी का एक बड़ा कारण है क्योकि जब लोगों की संख्या अधिक होती है, तो नौकरियों की संख्या घट जाती है।

बेरोजगारी की वजह से आर्थिक समस्या बढ़ती है, परिवार में तनाव बढ़ता है, और परेशान युवा या तो अपराधी बन जाते हैं या अपनी जान ले लेते हैं। शिक्षा में सुधार करके और सरकार द्वारा नई नौकरियाँ उत्पन्न करके ही बेरोजगारी दर को कम किया जा सकता है। सरकार को स्वरोजगार को भी प्रोत्साहित करना होगा। तब जाकर हमारे देश से बेरोजगारी हटेगी और देश का भविष्य सुधरेगा।

बेरोजगारी पर निबंध (300 – 400 शब्द) – Unemployment essay in Hindi

आज के समय में बेरोजगारी एक गंभीर समस्या बन गयी है क्योकि जैसे जैसे टेक्नोलॉजिकल डेवलपमेंट हो रहा है वैसे वैसे बरोजगारी बढ़ती जा रही है जो समाज और देश दोनों को प्रभावित कर रही है। एक बेरोजगार व्यक्ति वह व्यक्ति है जो काम करने की इच्छा और क्षमता तो रखता है लेकिन उसे काम नहीं मिल रहा हो। पुरे भारत में व्यापक रूप से फैली ये समस्या सभी के सामाजिक और आर्थिक जीवन को बुरी तरह प्रभावित कर रही है।

बेरोजगारी के कारण

भारत में बेरोजगारी के कई कारण हैं जिसमे सबसे पहले है लोगों के पास सही स्किल का न होना क्योकि शिक्षा प्रणाली में कमियों के कारण बहुत से युवा सही ढंग से शिक्षित नहीं हो पाते हैं। वे केवल डिग्री प्राप्त कर लेते हैं, लेकिन उनमें व्यावसायिक कौशल और व्यावहारिक ज्ञान की कमी होती है। साथ ही साथ जनसंख्या वृद्धि भी बेरोजगारी का एक प्रमुख कारण है। हर साल लाखों युवा नौकरी के बाजार में प्रवेश करते हैं, लेकिन उपलब्ध नौकरियों की संख्या बहुत कम होती है।

बेरोजगारी के दुष्प्रभाव

बेरोजगारी की वजह से लोगों के पास आय का स्रोत नहीं होता जिससे गरीबी बढ़ती है और सामाजिक समस्याएं भी उत्पन्न होती हैं, जैसे कि अपराध, मानसिक तनाव और असंतोष। ऐसे लोग हीनभावना से ग्रसित हो जाते हैं क्योकि वो अपने और अपने परिवार के लिए आर्थिक संसाधनों की व्यवस्था नहीं कर पाते। फोर्ब्स इंडिया द्वारा दी गयी जानकारी के अनुसार पिछले 10 सालों में (2014 – 2024) बेरोजगारी दर 5.44% से बढ़कर 8.03 % हो गया है।

देश के प्रगति के लिए बेरोजगारी पर जीत जरुरी

समाज से अगर बेरोजगारी हटानी है तो सबसे पहले शिक्षा प्रणाली में सुधार की जरूरत है ताकि युवा सही ढंग से प्रशिक्षित हो सकें और वो रोजगार के योग्य बन सके। व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण को बढ़ावा देना चाहिए ताकि युवा कई तरह के स्किल्स में पारंगत हो सकें। रोजगार सृजन के लिए सरकार द्वारा नई नीतियाँ बनायी जानी चाहिए और उद्योगों को बढ़ावा देना चाहिए।

GST कम करके और टैक्स लिमिट बढ़ा करके सरकार द्वारा छोटे व्यापारियों को भी प्रोत्साहित करने की जरूरत है क्योंकि ये छोटे उद्योग लोकल क्षेत्र में लोगों के लिए रोजगार के प्रमुख स्रोत होते हैं।

बेरोजगारी एक जटिल सामाजिक और आर्थिक समस्या है जिसे सुलझाने के लिए सरकार सहित हम सभी को सामूहिक प्रयास करने की जरूरत है। शिक्षा में सुधार, उद्योगों में बढ़ोत्तरी, और सरकार के संयुक्त प्रयासों से ही हम इस समस्या का समाधान पा सकते हैं। समाज और देश के प्रगति के लिए बेरोजगारी पर जीत जरुरी है।

FAQs: Frequently Asked Questions on Unemployment (बेरोजगारी पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

उत्तर- भारत विश्व का सबसे अधिक बेरोजगारों का देश है।

उत्तर- हरियाणा

उत्तर- ओडिशा

उत्तर- भारत में अत्यधिक जनसंख्या एवं शिक्षा का अभाव बेरोजगारी का मुख्य कारण है।

उत्तर- फोर्ब्स इंडिया द्वारा दी गयी जानकारी के अनुसार पिछले 10 सालों में (2014 – 2024) बेरोजगारी दर 5.44% से बढ़कर 8.03 % हो गया है।

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Unemployment Problem And Solution Essay In Hindi

बेरोजगारी समस्या और समाधान पर निबंध – Unemployment Problem And Solution Essay In Hindi

बेरोजगारी समस्या और समाधान पर निबंध – essay on unemployment problem and solution in hindi.

संकेत बिंदु –

  • बेरोज़गारी के कारण
  • बेरोज़गारी के परिणाम
  • बेरोज़गारी का अर्थ
  • समाधान के उपाय

साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न  हिंदी निबंध  विषय पा सकते हैं।

प्रस्तावना – स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद हमारे देश को कई समस्याओं से दो-चार होना पड़ा है। इन समस्याओं में मूल्य वृद्धि, जनसंख्या वृद्धि, प्रदूषण, भ्रष्टाचार, बेरोज़गारी आदि प्रमुख हैं। इनमें बेरोजगारी का सीधा असर व्यक्ति पर पड़ता है। यही असर व्यक्ति के स्तर से आगे बढ़कर देश के विकास में बाधक सिद्ध होता है।

Unemployment Problem And Solution Essay In Hindi

बेरोज़गारी का अर्थ – ‘रोज़गार’ शब्द में ‘बे’ उपसर्ग और ‘ई’ प्रत्यय के मेल से ‘बेरोज़गारी’ शब्द बना है, जिसका अर्थ है वह स्थिति जिसमें व्यक्ति के पास काम न हो अर्थात जब व्यक्ति काम करना चाहता है और उसमें काम करने की शक्ति, सामर्थ्य और योग्यता होने पर भी उसे काम नहीं मिल पाता है। यह देश का दुर्भाग्य है कि हमारे देश में लाखों-हज़ारों नहीं बल्कि करोड़ों लोग इस स्थिति से गुजरने को विवश हैं।

Unemployment Problem And Solution Essay

बेरोज़गारी के कारण – बेरोज़गारी बढ़ने के कई कारण हैं। इनमें सर्वप्रमुख कारण हैं- देश की निरंतर बढ़ती जनसंख्या। इस बढ़ती जनसंख्या के कारण सरकारी और प्राइवेट सेक्टर द्वारा रोज़गार के जितने पद और अवसर सृजित किए जाते हैं वे अपर्याप्त सिद्ध होते हैं। परिणामतः यह समस्या सुरसा के मुँह की भाँति बढ़ती ही जाती है। बेरोज़गारी बढ़ाने के अन्य कारणों में अशिक्षा, तकनीकी योग्यता, सरकारी नौकरी की चाह, स्वरोज़गार न करने की प्रवृत्ति, उच्च शिक्षा के कारण छोटी नौकरियाँ न करने का संकोच, कंप्यूटर जैसे उपकरणों में वृद्धि, मशीनीकरण, लघु उद्योग-धंधों का नष्ट होना आदि है।

इनके अलावा एक महत्त्वपूर्ण निर्धनता भी है, जिसके कारण कोई व्यक्ति चाहकर भी स्वरोज़गार स्थापित नहीं कर पाता है। हमारे देश की शिक्षा प्रणाली भी ऐसी है जो बेरोजगारों की फौज़ तैयार करती है। यह शिक्षा सैद्धांतिक अधिक प्रयोगात्मक कम है जिससे कौशल विकास नहीं हो पाता है। ऊँची-ऊँची डिग्रियाँ लेने पर भी विश्वविद्यालयों और कालेजों से निकला युवा स्वयं को ऐसी स्थिति में पाता है जिसके पास डिग्रियाँ होने पर भी काम करने की योग्यता नहीं है। इसका कारण स्पष्ट है कि उसके पास तकनीकी योग्यता का अभाव है।

समाधान के उपाय – बेरोज़गारी दूर करने के लिए सरकार और बेरोज़गारों के साथ-साथ प्राइवेट उद्योग के मालिकों को सामंजस्य बिठाते हुए ठोस कदम उठाना होगा। इसके लिए सरकार को रोजगार के नवपदों का सृजन करना चाहिए। यहाँ यह भी ध्यान रखना चाहिए कि नवपदों के सृजन से समस्या का हल पूर्णतया संभव नहीं है, क्योंकि बेरोजगारों की फ़ौज बहुत लंबी है जो समय के साथसाथ बढ़ती भी जा रही है। सरकार को माध्यमिक कक्षाओं से तकनीकी शिक्षा अनिवार्य कर देना चाहिए ताकि युवा वर्ग डिग्री लेने के बाद असहाय न महसूस करे।

सरकार को स्वरोजगार को प्रोत्साहन देने के लिए बहुत कम दरों पर कर्ज देना चाहिए तथा युवाओं के प्रशिक्षण की व्यवस्था करते हुए इन उद्योगों का बीमा भी करना चाहिए। सरकार को चाहिए कि वह लघु एवं कुटीर उद्योगों के अलावा पशुपालन, मत्स्य पालन आदि को भी बढ़ावा दे। प्राइवेट उद्यमियों को चाहिए कि वे युवाओं को अपने यहाँ ऐसी सुविधाएँ दे कि युवाओं का सरकारी नौकरी से आकर्षण कम हो। युवा वर्ग को अपनी सोच में बदलाव लाना चाहिए तथा उनकी उच्च शिक्षा बाधक नहीं बल्कि सफलता के मार्ग का साधन है जिसका प्रयोग वे समय आने पर कर सकते हैं। अभी जो भी मिल रही है उसे पहली सीढ़ी मानकर शुरुआत तो करें। इसके अलावा उच्च शिक्षा के साथ-साथ तकनीकी शिक्षा अवश्य ग्रहण करें ताकि स्वरोजगार और प्राइवेट नौकरियों के द्वार भी उनके लिए खुले रहें।

बेरोज़गारी के परिणाम – कहा गया है कि खाली दिमाग शैतान का घर होता है। बेरोज़गार व्यक्ति खाली होने से अपनी शक्ति का दुरुपयोग असामाजिक कार्यों में लगाता है। वह असामाजिक कार्यों में शामिल होता है और कानून व्यवस्था भंग करता है। ऐसा व्यक्ति अपना तथा राष्ट्र दोनों का विकास अवरुद्ध करता है। ‘बुबुक्षकः किम् न करोति पापं’ भूखा व्यक्ति कौन-सा पाप नहीं करता है अर्थात भूखा व्यक्ति चोरी, लूटमार, हत्या जैसे सारे पाप कर्म कर बैठता है। अत: व्यक्ति को रोज़गार तो मिलना ही चाहिए।

उपसंहार – बेरोज़गारी की समस्या पूरे देश की समस्या है। यह व्यक्ति, समाज और देश के विकास में बाधक सिद्ध होती है। जनसंख्या वृद्धि पर अंकुश लगाने के साथ ही इस पर नियंत्रण पाया जा सकता है। बेरोज़गारी कम करने में सरकार के साथ-साथ समाज और युवाओं की सोच में बदलाव लाना आवश्यक है।

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बेरोजगारी पर निबंध | Essay on Unemployment in Hindi

Essay on Unemployment in Hindi  प्रिय विद्यार्थियों आपका स्वागत हैं आज हम तेजी से बढ़ती बेरोजगारी पर निबंध आपकों यहाँ बता रहे हैं. छोटी बड़ी कक्षाओं के विद्यार्थियों को हिंदी में बेरोजगारी की समस्या पर अनुच्छेद भाषण निबंध विभिन्न शब्द सीमा में बेरोजगारी का निबंध 5, 10 लाइन, 100, 200, 250, 300, 400, 500 शब्दों में कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10 के स्टूडेंट्स के लिए निबंध लिखने को कहा जाता हैं. आप इस लेख की मदद से एक अच्छा निबंध लिख पाएगे.

बेरोजगारी पर निबंध Essay on Unemployment in Hindi

Thanks, And Most Welcome For the Short Essay on Unemployment in the Hindi Language For School Students And Kids, You Request We Are Fully Try To Fulfill Here.

बेकारी अथवा बेरोजगारी आज हमारे देश की सबसे बड़ी समस्या हैं. Unemployment का अर्थ होता है काम करने की इच्छा करने वाले लोगों को  काम का न मिलना बेरोजगारी कहते हैं. एक युग था

जब हमारा देश सोने की चिड़ियाँ कहा जाता हैं सभी लोगों के पास कोई न कोई काम था लेकिन हजारो सालों की गुलामी तथा विदेशी सिस्टम को आयात कर अपने काम धंधों को खोकर अब काम कम और लोगों की कतार लग गई हैं. युवाओं में बढ़ती बेरोजगारी पर छोटा बड़ा निबंध बता रहे हैं.

200 शब्द बेरोजगारी निबंध

अगर आबादी के अनुपात में रोजगार के अवसर कम हो तो यह बे रोजगारी की अवस्था होती हैं. इसका सीधा सा अर्थ रोजगार की कमी हैं. तेजी से बढ़ती जनसंख्या और मशीनीकरण इसके दो बड़े कारण गिनाएं जा सकते हैं.

जनसंख्या वृद्धि और बेकारी का प्रत्यक्ष सम्बन्ध हैं. जाहिर है जब लोगों की संख्या में बेहताशा वृद्धि होगी तो संसाधन एवं लाभ के अवसर सिमित हो जाएगे. भारत में प्राचीन समय में परम्परागत हस्त उद्योग के चलते ऐसे हालात कभी नहीं रहे, जब लोगों को काम न मिल पाया हो.

मगर औद्योगिकीकरण की आंधी के आगे सारे लघु एवं हस्त शिल्प उद्योग समाप्त हो गये और कलाकार बेरोजगार. वर्ल्ड बैंक के आंकड़ों के अनुसार भारत में बे रोजगारी की दर 8 प्रतिशत है जबकि राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के अनुसार वर्ष 2020-21 में 4.2 प्रतिशत हैं.

कोरोना महामारी के चलते भी देश की अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई और लोगों को रोजगार से हाथ धोना पड़ा. समय समय पर आने वाली वैश्विक मंदी भी बाजार को बुरी तरह प्रभावित करती हैं जिससे रोजगार के अवसर कम होने लगते हैं.

इस समस्या को कम करने के लिए राज्य एवं केंद्र सरकारें विभिन्न योजनाओं पर काम कर रही है जिनमें मनरेगा, स्वरोजगार की स्कीम्स तथा कौशल विकास जैसे कार्यक्रम शामिल हैं. इसके अलावा सरकार को चाहिए कि वह जनसंख्या नियंत्रण और स्वदेशी विनिर्माण को प्रोत्साहित करें.

बेरोजगारी निबंध 1 (400 शब्द)

वर्षों तक पराधीनता का कष्ट झेलकर जब भारत को स्वतंत्रता प्राप्त हुई तो तब अनेक समस्याएं सामने आई. प्रारम्भ में शरणार्थी समस्या, औद्योगिक विकास की समस्या और रियासतों के एकीकरण की समस्या प्रधान थी.

लेकिन अप्रत्याशित जनसंख्या वृद्धि होने से बेरोजगारी की समस्या इतनी व्यापक रूप से उभरी कि इसका समाधान अभी तक नहीं हो पाया हैं. वर्तमान में नगरों में शिक्षित तथा ग्रामीण क्षेत्र में अशिक्षितों की बेकारी का भयंकर रूप देखा जा सकता हैं.

बेरोजगारी एक जटिल समस्या

बेरोजगारी की समस्या व्यक्ति, समाज और राष्ट्र को भयंकर रूप से प्रभावित कर रही हैं. देश के नवयुवक निराश होते जा रहे हैं. सामाजिक जीवन में रहन सहन के स्तर में गिरावट होती जा रही हैं. भ्रष्टाचार बढ़ता जा रहा हैं.

रिश्वतखोरी और दुराचार को प्रोत्साहन मिल रहा हैं. बेरोजगारी से युवावर्ग में भयंकर असंतोष पनप रहा हैं. जिससे देश में आंदोलन की प्रवृत्तियां अशांति और अराजकता का प्रसार हो रहा हैं.

बेरोजगारी के कारण

इस समस्या के समाधान के लिए इसके कारणों और निराकरण के उपायों पर विचार करना सार्थक सिद्ध हो सकता हैं. इस समस्या के मुख्यतया ये कारण है-

जनसंख्या में अप्रत्याशित वृद्धि, गलत आरक्षण नीति, रोजगारोन्मुख शिक्षा का अभाव आदि. इसके अलावा लघु कुटीर उद्योगों का हास तथा मशीनीकरण का अत्यधिक प्रचार भी बेरोजगारी का एक प्रमुख कारण हैं.

समस्या के समाधान के उपाय

बेरोजगारी की इस भयानक समस्या के समाधान हेतु उक्त कारणों का निवारण करना जरुरी हैं. इस दिशा में हमारा सर्वप्रथम कार्य बढ़ती हुई जनसंख्या को नियंत्रित करना व रोकना होगा. परिवार नियोजन और विवाह की आयु सीमा में वृद्धि कर इस समस्या का कुछ निवारण करने में सफल हो सकते हैं.

लघु एवं कुटीर उद्योगों का विकास करना होगा. कृषि उत्पादन को बढाने के लिए भी प्रयत्न करना होगा. मशीनीकरण के विकास को भी तीव्र गति से प्रसारित करना होगा.

शिक्षा प्रणाली में भी क्रांतिकारी परिवर्तनों के द्वारा उसे व्यवसायोंन्मुखी बनाकर स्वावलम्बन तथा स्वरोजगार कस प्रसार करना जरुरी हैं. देश में ऐसे आर्थिक कार्यक्रम लागू किये जाए, जिनमें अधिक से अधिक रोजगार उपलब्ध हो सके.

इस प्रकार हम समस्या के समाधान के लिए सरकारी और गैर सरकारी सभी स्तरों पर प्रयत्न किये जाने की आवश्यकता हैं. इस समस्या के समाधान के लिए जनता का सहयोग सबसे वांछनीय हैं. राष्ट्रव्यापी समस्या मानकर दृढ संकल्प से सभी इसके समाधान में जुट जाए तो कोई शक्ति इसमें बाधक नहीं हो सकती.

बेरोजगारी निबंध 2 (500 शब्द)

पढ़ लिखकर रोजगार की तलाश में हैं जो बेकार युवक कैसे हिंदोस्ता उठायेगे.

भारत में बेरोजगारी एक अनार सौ बीमार की मूर्तिमान कहानी हैं. शिक्षा संस्थानों से प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में डिग्री और डिप्लोमा लेकर निकलने वाले युवाओं की भीड़ के लिए नौकरियाँ और रोजगार कहाँ से आए, देश में करोड़पतियों और अरब पतियों की संख्या बढ़ रही हैं.

देशी कम्पनियाँ विदेशी कपनियों का अधिकरण कर रही हैं. विदेशी कम्पनियाँ देश में निवेश कर रही हैं. भारत महान आर्थिक शक्ति बनने जा रहा हैं.

दूसरी ओर इस महान भारत में करोड़ो लोग बीस पच्चीस रुपये रोज पर जीवन बिताने को मजबूर है सपनों से सच्चाई को नहीं ढका जा सकता हैं.

भारत में बेरोजगारी दिशा व दशा – देश में बेरोजगारी के कई स्वरूप देखने को मिलते हैं. एक हैं आंशिक अल्पकालिक बेरोजगारी और दूसरी पूर्ण बेरोजगारी. आंशिक बेरोजगारी गाँवों में अधिक देखने को मिलती हैं.

वहां फसल के अवसर पर श्रमिकों को काम मिलता हैं. शेष समय वे बेरोजगार रहते हैं. निजी प्रतिष्ठानों में कर्मचारी की नियुक्ति अनिश्चितता से पूर्ण रहती हैं.

बेरोजगारी का दूसरा स्वरूप शिक्षित प्रशिक्षित बेरोजगारों तथा अशिक्षित अकुशल बेरोजगारों के रूप में दिखाई देता हैं.

बेरोजगारी के कारण – भारत में दिनों दिन बढ़ती बेरोजगारी के निम्न कारण हैं.

समस्या समाधान के प्रयास – किसी समस्या के कारण जान लेने के बाद निवारण का मार्ग स्वयं खुल जाता हैं. आज सबसे अधिक आवश्यकता सामाजिक क्रांति लाने की हैं.

जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण आज के युग की मांग हैं. शिक्षा व्यवसाय केंद्रित हो, शिक्षार्थियों को शिक्षा के साथ साथ रोजगारपरक उचित परामर्श दिया जाय. लघु और कुटीर उद्योगों को विकसित किया जाय.

उपसंहार – बेरोजगारों की बढ़ती फौज देश की अर्थव्यवस्था और विकास के बड़े बड़े दावों की पोल खोल रही हैं. बेकारी भत्तों, मुफ्त अनाज बांटने के नाटकों आदि से यह विकट समस्या नहीं सुलझेगी. आर्थिक और सामाजिक स्तर पर क्रन्तिकारी बदलाव और नियंत्रण ही इसका उपचार हो सकता हैं.

बेरोजगारी निबंध 3 (600 शब्द)

रोजगार अनिवार्य आवश्यकता- मनुष्य को जीवन यापन करने के लिए भोजन, वस्त्र, इत्यादि अनेक चीजों की आवश्यकता होती हैं. इन आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए उसको धन चाहिए.

धन का उपार्जन नौकरी, खेती अथवा व्यापार करके ही किया जाता हैं. समाज में रहने वाले हर व्यक्ति को जीवन यापन के लिए कोई न कोई आजीविका का साधन या रोजगार अवश्य ही चाहिए. दुर्भाग्यवश हमारे देश में बेरोजगारी की समस्या विकट होती जा रही हैं.

बेरोजगारी बढ़ने के कारण- हमारे देश में बेरोजगारी बढ़ने के अनेक कारण हैं. जो संक्षेप में इस प्रकार हैं.

बेरोजगारी के दुष्परिणाम- बेरोजगारी के बढ़ने के दुष्परिणाम दिन प्रतिदिन हमारे सामने आ रहे हैं. देश की अधिकांश पूंजी थोड़े से लोगों के हाथ में सिमटती जा रही हैं.

अमीर और अमीर तथा गरीब और गरीब होता जा रहा हैं. बेरोजगार नौजवान अपराधों की ओर मुड़ रहे हैं. आम आदमी में भीतर ही भीतर वर्तमान व्यवस्था के विरुद्ध आक्रोश और असंतोष धधकने लगा हैं.

यह स्थिति कभी भी विस्फोट का रूप ले सकती हैं. इससे हमारी राष्ट्रीय एकता तथा स्वतंत्रता का भी संकट पैदा हो सकता हैं.

बेरोजगारी दूर करने के उपाय- बेरोजगारी बढ़ाने वाले कारकों का निवारण करके ही रोजगार की उपलब्धता बढ़ाई जा सकती हैं. जनसंख्या पर नियंत्रण किया जाना चाहिए.

एक या दो बच्चों वाले परिवारों को रोजगार की सुविधा दी जानी चाहिए. शिक्षा प्रणाली सस्ती और रोजगार के योग्य बनाने वाली होनी चाहिए.

बड़े बड़े उद्योग पर ही जोर न देकर अतिलघु और कुटीर उद्योगों का जाल फैलाया जाना चाहिए. और उन्हें विशालकाय उद्योगों के मुकाबले सुरक्षा प्रदान की जानी चाहिए.

हमारी अर्थव्यवस्था एवं योजनाओं में अधिक से अधिक रोजगार के अवसर उत्पन्न करने वाली होनी चाहिए.

सरकारी प्रयास- बेरोजगारी को दूर करने के लिए सरकारी स्तर पर भी काफी प्रयास किये जा रहे हैं. मनरेगा से भ्रष्टाचार की समाप्ति, स्वरोजगार के लिए बैंकों से सस्ते ऋण की व्यवस्था, विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए जीएसटी आदि कर प्रणाली में सुधार, मुद्रा, स्टेंडअप उद्योगों की स्थापना में सरकारी अनुमतियों की सुलभता अनेक उपाय साकार ने किये हैं.

राज्य सरकारों का सहयोग तथा युवाओं को नौकरियों के पीछे भटकना छोड़ स्वरोजगार की ओर मुड़ना भी बेरोजगारी से मुक्ति दिलाने के लिए आवश्यक हैं.

बेरोजगारी निबंध 4 (700 शब्द)

Long Essay on Unemployment in Hindi In 700 Words

बेरोजगारी का अर्थ है, कार्य करने में पूर्ण सक्षम एवं इच्छित होने के उपरान्त भी उसे अपनी रोजी रोटी चलाने के लिए काम नहीं मिलता हैं तथा काम की खोज में वह इधर उधर हाथ मारता रहता है.

तथा वह ऐसे अपराधों से घिर जाते है और अनिच्छा में कुछ गलत कदम उठाता है जो विधि नियमों के मुताबिक़ गलत होता है. आज बेरोजगारी या बेगारी न सिर्फ भारत की प्रमुख समस्या है बल्कि आज एक वैश्विक समस्या का रूप धारण कर चुकी है.

बेरोजगारी के मूल कारण जानने से पूर्व हमें इनकी स्थितियों के बारे में समझना होगा. आपकों जानकारी हो बेरोजगारी की कई स्थितियां है, भारत में बेरोजगारी की समस्या के प्रायः के रूप आम तौर पर देखने को मिलता हैं.

भारत में बेरोजगारी के प्रकार (types of unemployment in hindi)

बेरोजगारी के कारण और निवारण (what is unemployment its main causes, effects and solutions).

भारत में बेरोजगारी की समस्या के कई कारण है. जिनमें से सबसे बड़ा कारण जनसंख्या में तेजी से हो रही वृद्दि हैं. अधिक लोगों की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए रोजगार के भी अधिक अवसर स्रजन करने होगे,

यदि हम इस तरह की व्यवस्था नही कर पाए तो स्वाभाविक तौर पर बेरोजगारी की दर तीव्र गति से बढ़ेगी. दूसरी कारण हमारी शिक्षा व्यवस्था है. हमारी स्कूलों में बच्चों को सैद्धांतिक ज्ञान रटवाया जाता है न कि व्यवहारिक ज्ञान.

बच्चों को स्वयं के रोजगार आरम्भ कर पाने का सामर्थ्य पैदा कर पाने वाली शिक्षा व्यवस्था को अपनाना पड़ेगा. अंग्रेजों के आगमन के समय के साथ ही भारत के कुटीर उद्योगों को समाप्त करने के प्रयास हुए है. हमारी इस प्राचीन परम्परा को पुनर्जीवित करने की आवश्यकता हैं.

आजादी के बाद से ही लघु और कुटीर उद्योग पर ध्यान नहीं दिया गया है. बड़े उद्योगों को बढ़ावा मिलने के साथ ही कुटीर उद्योग समाप्त हो गये तथा इनके सहारे जीवन चलाने वाले लोग बेरोजगार बन गये.

भले ही भारत को कृषि प्रधान देश माना जाए, आज भी हमारी अधिकतर आबादी कृषि कार्य पर आश्रित है मगर कृषि सुधारों के अभाव में वे एक छोटी अवधि तक ही अल्प रोजगार प्राप्त कर पाते हैं.

बेरोजगारी के कई दुष्परिणाम आज हमारे सामने है. जहाँ एक तरफ बेरोजगारी की समस्या बढने से देश में गरीबों की संख्या में वृद्धि होती है. वही भूखमरी जैसी समस्या का जन्म भी हो जाता है.

एक बेरोजगार व्यक्ति की मानसिक स्थिति बड़ी दयनीय होती है वह काम की जुगाड़ में चोरी, डकैती तथा हिसा जैसे अपराधों की राह पर चल पड़ता हैं. बेरोजगारी की समस्या से तंग आकर लोग अपराध की दुनियां में प्रवेश कर लेते है,

कुछ लोगों में जीवन के प्रति हताशा इस हद तक घर कर जाती है कि वे आत्महत्या कर अपनी जीवनलीला ही खत्म कर देते हैं. दूसरी तरफ अपराधी तथा राजनेता इन राह भ्रमित लोगों को अपने हित से उपयोग लेते है

तथा कोई भी मौका मिलने पर इनका शोषण करने से नहीं चुकता है. बेरोजगारी की इस समस्या के कारण देश के सामाजिक एवं राजनीतिक ढाँचे में कई समस्याएं जन्म लेने लगती हैं.

भारत में बेरोजगारी एक समस्या और इसका समाधान पर निबंध | Essay On Unemployment In India In Hindi

शताब्दियों की गुलामी के बाद जब भारत स्वतंत्र हुआ, तो सभी नागरिकों को अपनी आर्थिक दशा सुधरे जाने की आशा होने लगी.

हमारे सविधान में सभी नागरिकों को समान रूप से भविष्य निर्माण करने का संकल्प व्यक्त किया गया. नव स्वतंत्र देशों में औद्योगिक विकास तथा शासन तन्त्र के विस्तार के कारण प्रारम्भ में रोजगार के साधन सुलभ बन गये.

यहाँ प्रथम पंचवर्षीय योजना के साथ ही शरणार्थी समस्या, जनसंख्या वृद्धि तथा उचित विकास दर न रहने से रोजगार की समस्या बढ़ने लगी और नागरिकों को योग्यता एवं श्रम शक्ति के अनुसार रोजगार न मिलने से बेरोजगारी का भयंकर संकट सामने आने लगा.

बेरोजगारी की समस्या (Problem of unemployment)

विकासशील देश भारत में जिस तीव्र गति से विकास होना चाहिए था, वह नही हो सका. इसका सबसे अधिक प्रभाव उन शिक्षित नवयुवकों पर पड़ा, जो रोजगार की तलाश में भटकने लगे और भविष्य के प्रति निराश होकर सरकार से असंतुष्ट रहने लगे.

वस्तुतः देश की जनसंख्या जिस तीव्रतम गति से बढ़ी है, उसके अनुरूप रोजगार के साधन उपलब्ध नही हुए है. सरकारी तन्त्र में लालफीताशाही, रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार बढ़ता गया.

आम जनता के जीवन स्तर में काफी गिरावट आई तथा आर्थिक विषमता उतरोतर बढ़ती गई. इससे नई पीढ़ी में असंतोष बढ़ा. फलस्वरूप आंदोलनकारी प्रवृतियाँ, अशांति और अराजकता का भयंकर प्रसार होने लगा.

इन सब बुराइयों के मूल में बेरोजगारी की समस्या है. आज तो अच्छे पढ़े-लिखे एवं योग्य नवयुवकों को रोजगार मिल पाना अतीव कठिन हो गया है और आज के समय में बेरोजगारी एक ज्वलंत समस्या बनकर उभर रही है.

भारत में बेरोजगारी के कारण (problems caused due to unemployment in india)

हमारे देश में रोजगार के अवसर निरंतर घट रहे है. इसके प्रमुख कारण ये है.

इन सब कारणों से भारत में लगातार रोजगार के साधन घट रहे है और बेरोजगारी बढ़ रही है. इससे युवा वर्ग अत्यंत परेशान है.

बेरोजगारी की समस्या का समाधान (Solution to unemployment problem)

रोजगार के घटते साधन और बेरोजगारी के बढ़ने के कारणों पर नजर डाले तो यह कहा जा सकता है कि इस समस्या का निराकरण किया जा सकता है.

इसके लिए सर्वप्रथम देश की बढ़ती हुई जनसंख्या को प्रभावी रूप से नियंत्रित करना होगा. लघु एवं कुटीर उद्योगों एवं कृषि प्रधान हस्तकलाओं को प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए. शिक्षा ऐसी हो जो स्वरोजगार एवं व्यावसायिक क्षमता प्रदान करे.

देश में वर्तमान में नौकरियों के लिए आरक्षण की जो व्यवस्था चल रही है. उसे समाप्त करके योग्यता को ही प्राथमिकता दी जावे और कृषि कार्यों के उचित प्रसार करने पर बल दिया जावे.

शिक्षा प्रणाली में क्रांतिकारी बदलाव परिवर्तन कर नवयुवकों को स्वावलम्बी बनाया जावें. शासन तन्त्र में व्याप्त भ्रष्टाचार, स्वार्थपरता एवं भ्रष्ट राजनीती पर अंकुश लगाया जावे.

पंचवर्षीय योजनाओं के निर्माण तथा क्रियान्वयन में इस बात का पूरा ध्यान दिया जावे तथा ऐसे आर्थिक उपाय किये जावे जिनसे रोजगार के साधनों में वृद्धि की जा सके.

बेरोजगारी निबंध का सार (essay on unemployment in hindi)

इस प्रकार के उपाय करने पर रोजगार के घटते साधनों पर न केवल अंकुश लगाया जा सकेगा, अपितु रोजगार सुलभ होंबे में परेशानी नही रहेगी. तथा युवाओ द्वारा विरोध नहीं किया जाएगा.

बेरोजगारी की समस्या का समाधान सरकारी और गैर सरकारी सभी स्तरों पर प्रयास करने से ही हो सकता है. इसके लिए देश की युवा पीढ़ी का सहयोग नितांत अपेक्षित है.

क्योकि रोजगार की समस्या से अधिक वे ही प्रभावित हो रहे है. अतः उचित उपाय करने पर रोजगार के साधनों की वृद्धि निश्चित ही हो सकती है. जिसके लिए सरकार को कार्य करना चाहिए. तथा बेरोजगारों के लिए रोजगार की व्यवस्था करनी चाहिए.

एक बेरोजगार का उद्देश्य रोजगार प्राप्त करना होता है. भारत सरकार मेक इन इंडिया द्वारा आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए कार्य कर रहा है. जिसमे नागरिको को रोजगार मिल सकेगा.

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Nibandh

भारत में बेरोजगारी की समस्या पर निबंध - Unemployment Problem in India Essay in Hindi - Bharat mein Berojgari ki Samasya par Nibandh in Hindi - Essay on unemployment problem in india in Hindi

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रूपरेखा : परिचय - भारत में बेरोजगारी के कितने प्रकार हैं - बेरोजगारी के कारण - बेरोजगारी की समस्याएँ का समाधान - निष्कर्ष।

हमारे देश में अनेक अच्छे विद्यालय, महाविद्यालय और विश्वविद्यालय हैं। प्रत्येक वर्ष हजारों छात्र वहाँ से उत्तीर्ण होते हैं। लेकिन दूसरी तरफ, भारत में बेरोजगारी की दर दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है। धीरे-धीरे यह हमारे देश की एक बड़ी समस्या बनती जा रही है। बेरोजगारों की एक फौज प्रकट हो है।

जहाँ रोजगार नहीं होता तथा जिन लोगों के पास रोजगार नहीं होता उन्हें बेरोजगार कहते है। बेरोजगारी स्वंय तथा देश की उन्नति के रास्ते में एक बड़ी समस्या है। काम करने की इच्छा करने वाले को काम न मिलना को भी बेरोजगारी कहते है। आज भारत में बेरोजगारी की समस्या प्रमुख है। बेरोजगारी के कारण बहुत से परिवार आर्थिक दशा से खोखले हो चुके हैं। हमारे देश में आर्थिक योजनाएँ तब तक सफल नहीं हो पाएंगी जब तक बेरोजगारी की समस्या खत्म नहीं हो जाती। आज हम स्वतंत्र तो हैं लेकिन अभी तक आर्थिक दृष्टि से सक्षम नहीं हुए हैं।

बेरोजगारी भी चार प्रकार की हैं।

  • सम्पूर्ण बेरोजगारी : जहाँ श्रम का कुछ भी महत्त्व नहीं आँका जाता।
  • अर्ध बेरोजगारी अर्थात्‌ 'पार्टटाइम जॉब' : जहाँ 2-4 घंटों के लिए श्रम को खरीदा जाता है।
  • मौसमी बेरोजगारी : जैसे फसल कटते समय मजदूरों को रख लिया जाता है । कोई भवन निर्माण के समय मजदूर रख लिए जाते हैं, बाद में वे बेरोजगार हो जाते हैं।
  • स्टेटस बेरोजगारी : जहाँ योग्यता तथा क्षमता से गिर कर काम न करने के कारण बेकारी है।

स्तर की दृष्टि से बेरोजगारी के चार प्रकार हैं

  • शिक्षित जनों की बेकारी।
  • शिल्पीय दक्षता प्राप्त जन की बेकारी ।
  • अकुंशल जनों की बेकारी।
  • कृपक-जन की बेकारी।

बेकारी का सर्वप्रथम कारण देश की बढ़ती जनसंख्या है। देश में प्रतिवर्ष एक करोड़ शिशु जन्म लेते हैं । जिस अनुपात में जनसंख्या बढ़ रही है, उस अनुपात में रोजगार के साधन नहीं बढ़ रहे। फलत: बेकारी प्रतिपल-प्रतिक्षण बढ़ती जा रही है।

इसके पीछे कई कारण हैं। प्रथमतः, हमारी जनसंख्या बहुत उच्च गति से बढ़ रही है। ऐसी उच्च दर पर प्रत्येक व्यक्ति को रोजगार उपलब्ध कराना बहुत कठिन है। द्वितीयतः, हमारी शिक्षा-पद्धति भी इसके लिए जिम्मेदार है। यह किताबी ज्यादा है और व्यवहारिक कम । यह छात्रों को सिर्फ कागजी काम में अच्छा बनाती है। वे कुशल नहीं हो पाते और इसलिए उनमें अपना व्यवसाय शुरू करने का साहस नहीं होता। अगर वे व्यवसाय करते भी हैं, तो प्रायः असफल हो जाते हैं और फिर से बेरोजगार हो जाते हैं। हमारे विद्यालयों और महाविद्यालयों में व्यावसायिक प्रशिक्षण के बहुत कम विकल्प हैं। भारत मुख्यतः एक कृषीय देश है। किंतु, यह कृषीय कार्य मौसमी है। अतः हमारे किसान वर्ष के अधिकांश समय में बेरोजगार रहते हैं।

भारत में बेरोजगारी अथवा बेकारी के अन्य कारण हैं

  • कृषि पर बढ़ता दबाव।
  • परम्परागत हस्तशिल्प उद्योगों का हास।
  • दोषपूर्ण नियोजन।
  • व्यवसायपरक शिक्षा की उपेक्षा।
  • श्रमिकों में गतिशीलता का अभाव।
  • स्वरोजगार की इच्छा का अभाव।

देश की बेकारी दूर करने के लिए दूरदर्शिता से काम लेना होगा। उसके लिए सर्वप्रथम परिवार-नियोजन पर बल देना होगा। जो पालन-पोषण नहीं कर सकता, उससे प्रजनन का अधिकार छीनना होगा। आपत काल की भाँति कठोर हृदय होकर इस कार्यक्रम को सफल बनाना होगा। धर्म-विशेष के आधार पर प्रजनन की छूट को प्रतिबंधित करना होगा।

शिक्षा का व्यवसायीकरण करना होगा। ताकि 'स्वरोजगार' के प्रति युवा वर्ग में दिलचस्पी पैदा हो । नई तकनीक द्वारा विकास के साथ नए कौशल (स्किल) तेजी से बढ़ेंगे। बाबूगिरी के प्रति मोह भंग होगा। प्रत्येक तहसील में लघु उद्योग-धन्धे खोलने होंगे। लघु-उद्योगों के कुछ उत्पादन निश्चित करने होंगे, ताकि वे बड़े उद्योगों की स्पर्धा में हीन न हों, पिछड़ न जायें।

शिक्षित युवकों को शारीरिक श्रम का महत्व समझना होगा। श्रम के प्रति उनके मन में रुचि उत्पन्न करनी होगी, ताकि वे घरेलू उद्योग-धन्धों को अपनाएँ। उद्योग राष्ट्र की प्रगति के प्रतीक होते हैं। आज राष्ट्र का उत्पादन गिर रहा है। इसे बढ़ाना होगा, नए-नए उद्योग स्थापित करने होंगे। नए उद्योगों से राष्ट्र को आवश्यक चीजों की प्राप्ति होगी और रोजगार के साधन बढ़ेंगे।

अब इस समस्या को हल करने का समय आ गया है। हमलोगों को बढ़ती जनसंख्या की रोकथाम करनी चाहिए। सरकार को इसके लिए सभी संभव उपाय करने चाहिए। परिवार-नियोजन के तकनीकों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। हमारे विद्यालयों और महाविद्यालयों को व्यावसायिक प्रशिक्षणों पर अधिक ध्यान देना चाहिए। रोजगारोन्मुखी विषयों को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए। कुटीर एवं लघु उद्योगों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। प्रत्येक युवा की मानसिकता व्यावसायिक होनी चाहिए। नौकरी की तरफ भागने के बजाय उन्हें अपना उद्योग लगाने का प्रयास करना चाहिए। इस तरह वे लोग दूसरों को भी रोजगार दे सकते हैं।

भारत की अस्सी प्रतिशत जनता गाँवों में जीवनयापन करती है और कृषि पर निर्भर रहती है। कृषकों का बहुत-सा समय व्यर्थ जाता है । इसलिए जरूरत है रोजगारपरक ग्रामीण विकास नियोजन तथा कृषि पर आधारित उद्योग-धंधों के विकास की। साथ ही गाँवों में बिजली देकर गाँवों के जीवन में क्रांति लाई जा सकती है। प्राकृतिक साधनों का पूर्ण विदोहन, विनियोग में वृद्धि, रोजगार की राष्ट्रीय नीति निर्धारण तथा औद्योगिक विकास सेवाओं को तीक्रता द्वारा बेरोजगारी कम की जा सकती है। अतः उपर्युक्त सभी प्रयासों से बेरोजगारी की समस्या का समाधान हो सकता है। इससे भारत भी आर्थिक रूप से एक मजबूत राष्ट्र बन सकता है। भारत से गरीबी सदा के लिए दूर की जा सकती है।

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बेरोजगारी की समस्या पर निबंध – Unemployment essay in Hindi

बेरोजगारी की समस्या पर निबंध (Essay on unemployment in Hindi) : आज आप यहाँ पे बेरोजगारी के बारे सब कुछ जानने को पायेंगे, जैसे की बेरोजगारी क्या है? कितने प्रकार के बेरोजगारी होते हैं? और बेरोजगारी समस्या को कैसे ठीक क्या जा सकता है. तो और देर किस बात की, बिना देर किये चलिये बढ़ते हैं हमारे मुख्य लिख की और जो है बेरोजगारी की समस्या पर निबंध (Unemployment essay in Hindi) .

बेरोजगारी की समस्या पर निबं ध (450 words) – unemployment essay in Hindi

बेरोजगारी क्या है (what is unemployment in hindi).

भारत की ज्यादातर युवाओं को शायद बेरोजगारी क्या है समझाना जरूरत नहीं है. क्योंकी सबको पता है हमारे देश की सबसे बड़ी समस्या है गरीबी और बेरोजगारी. और ये बेरोजगारी की वजह से ही गरीबी को इतनी बड़ी पहचान मिल गयी है. तो वास्तव में हम बेरोजगारी किसे कहेंगे, चिंता करने से सिर्फ एक आदमी याद आते हैं वह हैं लोर्ड किनिस. वह कहे थे की “People at any economy desiring work but not finding it according to their qualifications is called unemployment.”

वर्तमान स्थिति में विचार करने की बात ये है की, हमारे देश में शिक्षित लोगों जिस तरह से बढ़ रहे हैं उसी तरह से बेरोजगारी की तादाद भी बढ़ रहे हैं. लेकिन सरकारी या निजी नौकरी संस्था में रिक्त पद का अनुपात बहुत कम होता है. बेरोजगारी युवाओं सब घर पर बैठे नहीं रहते है, उनमें से कुछ आत्म नियुक्ति में व्यस्त रहते हैं. तब ये सब आत्म नियुक्ति क्या है? क्या ये आत्म नियुक्ति बेरोजगारी दूर करने में सहायक नहीं होगा?  फिर सरकारी आकलन अनुसार जाना जाता है कि देश में बेरोजगारी समस्या बिलकुल भी नियंत्रण में नहीं है. तो चलिए जानते हैं बेरोजगारी कितने प्रकार के होते हैं?

berojgari ki samasya par nibandh

बेरोजगारी के प्रकार (Types of unemployment in Hindi)

1.     चिंता परिपूर्ण बेरोजगारी.

ये सब बेरोजगारी काम करने के लिए पूरी तरह से तैयार रहते है, लेकिन इन सब के लिए काम नहीं होता है. इस प्रकार के बेरोजगारी सिर्फ दो कारणों से होता है. एक है जनसंख्या वृद्धि और दूसरा है युवाओं का सहर के तरफ चाह कर रहना. क्योंकि की हर युवा ये सोच रहे है की काम सिर्फ सहर पे ही मिलता है.

2.    प्रच्छन्न बेरोजगारी

इस प्रकार के बेरोजगारी थोड़ा जटिल होता है. क्योंकि इस प्रकार के बेरोजगार कहीं न कहीं रोजगार पा जाते हैं , असल में देखा जाये तो इस प्रकार के रोजगार लोगों को विकसित होने के लिए कोई भी सहायता मिल नहीं पाता है.

3.     ऋतुकालीन बेरोजगारी

भारत में, कृषि प्रक्रिया पूरे वर्ष नहीं चलती है. इसलिए किसानों कुछ महीनों तक बेकार हो कर बैठते  हैं.

बेरोजगारी की समस्या को कैसे हल करें? (How to solve the unemployment problem?)

हमारे देश की ज्यादातर युवाओं का समस्या है बेरोजगारी. और प्रायः युवा इस समस्या का संधान सिर्फ नौकरी करके हल करना चाहते है. पर ऐसा कुछ नहीं है हम सब हमारे रचनात्मकता दिमाग से बहुत कुछ कर सकते हैं. हम सब को ये सोचना चाहिए की हम खुद काम करने की बदले में दूसरों को काम दें. जब तक हम सब युवाएं ऐसे सोच नहीं रखेंगे, तो हमारा देश से तबतक बेरोजगारी दूर नहीं होगा. और हम सब को सरकार से ये निवेदन करना चाहिए की जितना हो सके नौकरी पैदा करें.

बेरोजगारी की समस्या पर निबंध (1000 words) – Unemployment essay in Hindi

प्रस्तावना     .

यह दुनिया एक कार्यस्थल है. हर इंसान को यहां कुछ न कुछ करना होता है. जो कोई भी व्यक्ति किसी प्रकार के काम में शामिल नहीं होता है, उसे बेरोजगार कहा जाता है. खासतौर पर भारत जैसे लोकतांत्रिक राष्ट्र में बेरोजगारी एक बहुत बड़ी समस्या है. यह समस्या ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में व्यापक है. शिक्षित और अशिक्षित दोनों युवा समूह इस समस्या का सामना किया है. बेरोजगारी हमारे देश की शांति, प्रगति, एकजुटता और समृद्धि में बाधा बन रही है. इसलिए कहा गया है,  “Occupation is the necessary basis of all enjoyment” – Leigh Haunt.

बेरोजगारी के मुख्य कारण क्या हैं?

जनसंख्या वृद्धि दर हमारे देश की आर्थिक विकास दर से बहुत अधिक है इसलिए देश अपेक्षा के अनुरूप प्रगति नहीं कर रहा है. ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि उत्पादन जनसंख्या वृद्धि के समान दर से नहीं बढ़ पा रहा है. इस बढ़ती आबादी के लिए कृषि में पर्याप्त काम नहीं है. इसलिए आजीविका की तलाश में, कई बेरोजगार ग्रामीण इलाकों को छोड़कर शहरी क्षेत्रों को जा रहे हैं. शिक्षा के प्रसार के परिणामस्वरूप देश में शिक्षित लोगों की संख्या में वृद्धि देश में प्रगति का संकेत है; लेकिन सभी शिक्षित लोगों के पास सही नौकरियां नहीं होने के कारण शिक्षित बेरोजगारों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. दिन प्रतिदिन बेरोजगारी बढ़ रही है. वर्तमान में, हमारे देश में शिक्षित बेरोजगारों की संख्या 2 करोड़ से अधिक है.

कई कारणों से इस तरह की एक गंभीर समस्या उत्पन्न होती है. इसलिए मशीन सभ्यता कुछ मायनों में इसके लिए जिम्मेदार है. आज जो काम बहुत लोग उच्च लागत पर कर सकते हैं, वह बहुत बड़े कारखाने द्वारा बहुत कम लोगों के साथ और थोड़े समय में सहजता से किया जाता है. हमारे देश में जिस तेजी से जनसंख्या बढ़ रही है, इसे ध्यान में रखते हुए, सरकार के लिए कारखानों की संख्या बढ़ाना संभव नहीं है. दोषपूर्ण शिक्षा प्रणालियों के कारण ऐसी समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं. जैसा कि अपेक्षित था, हम सब तकनीकी शिक्षा की व्यवस्था नहीं कर पा रहे हैं. उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद हमारे देश में कोई भी शिक्षित व्यक्ति कड़ी मेहनत करके पैसा कमाने के लिए आत्म-निर्भर महसूस करता है. अफसोस की बात है, वे अभी भी नौकरी पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.

हमारे देश में कृषि प्रणाली बहुत खराब है. कृषि में, किसान केवल 6 महीने के लिए सक्रिय होते हैं; लेकिन बाकी के 6 महीने बिना काम के बेकार रहते हैं. इसलिए हमारे देश के किसानों की दुर्दशा दयनीय है. किसान सबसे पिछड़े हैं. इसलिए हमारे देश में, बेरोजगारी जैसी गंभीर बीमारी समाज के हर स्तर पर हुई है.

विभिन्न श्रेणियों की बेरोजगारी

हम आमतौर पर दो तरह की बेरोजगारी देखते हैं. पहली है स्वैच्छिक बेरोजगारी (Voluntary unemployment) और दूसरी है अनैच्छिक बेरोजगारी (Involuntary unemployment).  लेकिन बेरोजगारी को विभिन्न भागों में विभाजित किया गया है.

  • चक्रीय बेरोजगारी (Cyclical Unemployment) :

यह पूंजीवादी व्यापार और वाणिज्य के मामले में होता है. कभी-कभी बड़ी संख्या में कर्मचारियों को कार्य से निकाल दिया जाता है. ऐसी स्थिति आमतौर पर तब उत्पन्न होती है जब व्यापार में खराब स्थिति होती है.

  • आकस्मिक बेरोजगारी (Sudden Unemployment) :

कार्यस्थल में अचानक परिवर्तन होने पर आकस्मिक बेरोजगारी उत्पन्न होती है. यह आमतौर पर उद्योग, वाणिज्य और व्यापार के मामले में होता है. जब कोई विशेष कार्य अचानक समाप्त हो जाता है, उस समय कई लोगों को निकाल दिया जाता है.

  • विफलता उद्योगों की वजह से बेरोजगारी (Unemployment caused by failure Industries) :

ऐसी बेरोजगारी की समस्या तब होती है जब कोई उद्योग बंद होने की कगार पर आ जाता है. इसके विभिन्न कारण हो सकते हैं. साझेदारों के बीच संघर्ष, व्यापार में भारी नुकसान या व्यावसायिक महत्व की हानि और विभिन्न अन्य कारण इस समस्या के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं.

  • उद्योग और व्यापार में गिरावट के कारण बेरोजगारी (Unemployment caused by deterioration in Industry and Business) :

कभी-कभी विभिन्न प्रकार के उद्योगों, वाणिज्य और व्यापार में अचानक गिरावट आती है. इसके लिए विभिन्न कारण जिम्मेदार हैं. कर्मचारी की अक्षमता, मजबूत प्रतिस्पर्धा, कम लाभ, आदि के कारण उद्योग और व्यवसाय इस तरह की बेरोजगारी का सामना करते हैं.

  • मौसमी बेरोजगारी (Seasonal Unemployment) :

कुछ उद्योग और वाणिज्य अपने कर्मचारियों को वर्ष के विशिष्ट मौसम या समय के लिए नियुक्त करते हैं. जब समय सीमा समाप्त हो जाती है, तो उन कर्मचारियों को निकाल दिया जाता है. चीनी उद्योग इसका एक उदाहरण है.

बेरोजगारी के कुछ विशेष कारण

कई समस्याओं ने इस बेरोजगारी की समस्या पैदा की है. इसके कुछ व्यक्तिगत कारण हैं. इसके लिए अधिक उम्र, व्यावसायिक अक्षमता, शारीरिक विकलांगता आदि जिम्मेदार हैं. बाहरी कारकों में तकनीकी जानकारी और वित्तीय प्रणाली शामिल हैं. अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी अर्थनीति में सुधार करती है, बेरोजगारी के कुछ के लिए कम्प्यूटरीकरण जिम्मेदार है.

बेरोजगारी की समस्या को हल करने के लिए उपाय

जनसंख्या वृद्धि नियंत्रण बेरोजगारी को खत्म करने में मदद कर सकता है. लेकिन बेरोजगारी को खत्म करने का यह एकमात्र तरीका नहीं है. शिक्षा नीतियों को बदलना और शिक्षित युवाओं के दृष्टिकोण को बदलना इस दिशा में विशेष रूप से सहायक हो सकता है. यद्यपि विभिन्न शिक्षा आयोगों ने स्वतंत्रता के बाद के भारत में व्यावसायिक शिक्षा को बढ़ावा देने की सिफारिश की है, लेकिन अभी तक इसका विस्तार नहीं हुआ है. जहाँ भी व्यावसायिक शिक्षा दी जाती है, वह प्रतिबद्धता और ईमानदारी की कमी के कारण यह शिक्षा फलदायी नहीं हो पा रही है. इसलिए, ऐसे युवाओं युवतियों के बहुत कम उदाहरण हैं जिन्होंने अपनी व्यावसायिक शिक्षा पूरी कर ली है और वे स्व-नियोजित हैं और किसी भी पेशे में लगे हुए हैं. इसलिए यदि व्यावसायिक शिक्षा को सार्वजनिक किया जा सकता है और बच्चे को शुरू से ही इससे जोड़ा जाता है, तो वह भविष्य में जीविका कमाने में सक्षम हो सकता है.

सरकार की योजना

सरकार देश से बेरोजगारी मिटाने के लिए काम कर रही है. आजकल, कई शिक्षित और अर्ध-शिक्षित लोगों को कुटीर उद्योग बनाने या चलाने के लिए विभिन्न योजनाओं के माध्यम से आर्थिक रूप से सहायता मिलता है. इन सभी योजनाओं को राज्य उद्योग विभाग के तहत विभिन्न जिला औद्योगिक केंद्रों और राष्ट्रीय करण बैंकों के माध्यम से कार्यान्वित किया जा रहा है.इसके अलावा, ग्रामीण श्रमिकों के लिए रोजगार के अवसर पैदा करने के उद्देश्य से सरकार द्वारा विभिन्न योजनाएं लागू की गई हैं. इन सभी योजनाओं को पंचायती राज और ग्रामीण विकास विभागों के माध्यम से कार्यान्वित किया जा रहा है.

प्राचीन भारतीयों ने पेशे के प्रभुत्व को देखते हुए व्यापार और कृषि के पीछे सरकारी नौकरी को रखा था. लेकिन समय बीतने के साथ सरकारी नौकरी ज्यादातर लोगों की पसंदीदा पसंद बन गई है. बेरोजगारी काफी हद तक मिटने की उम्मीद है अगर ज्यादातर लोग अपनी मानसिकता को बदल दें और कृषि, उद्योग, वाणिज्य या कई अन्य नौकरियों पर ध्यान केंद्रित करें.

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ये था बेरोजगारी की समस्या पर निबंध (essay on unemployment in Hindi) . उम्मीद है बेरोजगारी की समस्या के ऊपर लिखा गया ये निबंध आपको पसंद आया होगा. अगर पसंद आया है, तो इस लेख को शेयर करना न भूलें. मिलते हैं अगले लेख में. धन्यवाद.

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बेरोजगारी की समस्या पर निबंध। Essay on Unemployment in Hindi

बेरोजगारी की समस्या पर निबंध। Essay on Unemployment in Hindi : भारत में बेरोजगारी की समस्या के कई कारण हैं। पहला कारण है तेजी से बढ़ती हुई जनसंख्या। सरकार¸ जिस अनुपात में जनसंख्या बढ़ती है उस अनुपात में नौकरियों का सृजन नहीं कर पाती। द्वितीय हमारी दूषित शिक्षा व्यवस्था ने समस्या को उलझा दिया है जबकि लाखों की तादाद में लोग रोजगार की तलाश कर रहे हैं वही बहुत से उद्योग प्रतिष्ठान और संस्थाएं ऐसी हैं जहां पर उपयुक्त कार्य करने वालों की बहुत कमी है। हम रोजगार परक शिक्षा को प्रारंभ नहीं कर पाए हैं और ना उद्योग के साथ शिक्षा का तालमेल ही बैठा पाए हैं।

बेरोजगारी की समस्या पर निबंध।  Essay on Unemployment in Hindi

Essay on Unemployment in Hindi

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बेरोजगारी पर निबंध 100, 150, 250, 500 शब्दों में | Unemployment Essay in Hindi

आज हम आपके लिए बेरोजगारी पर निबंध लेकर आये हैं, आज बेरोजगारी की समस्या बेहद गंभीर है इस विषय पर हमने निचे 100 शब्दों में, 150, 250 शब्दों में और 500 शब्दों में हिंदी निबंध लिखा हुआ है जो की आपके काम आ सकती है।

बेरोजगारी पर निबंध

प्रस्तावना:

आज हमारे देश में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में बेरोजगारी बढ़ती ही जा रही है। ऐसे बहुत सारे लोग हैं जो इस समस्या से जूझ रहे हैं क्योंकि उनके पास अपनी जीविका चलाने के लिए कोई काम धंधा नहीं है। यह ऐसा गंभीर मुद्दा है जिसको अगर सुलझाया ना जाए तो दिन पर दिन इससे लोग प्रभावित होते रहेंगे।

किसी भी देश की प्रगति तब तक संभव नहीं है जब तक वहां पर उचित रोजगार के अवसर ना हो। हमारी भारत सरकार हालांकि भारत से बेरोजगारी दूर करने के लिए बहुत से तरीके अपना रही है लेकिन बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण अभी भी भारी संख्या में लोग बेरोजगारी से जूझ रहे हैं।

बेरोजगारी बढ़ने के कारण:

हमारे देश में बेरोजगारी बढ़ने के कई सारे कारण हो सकते हैं उसमे कुछ मुख्य कारण इस प्रकार हैं:

  • शिक्षा का अभाव
  • जनसंख्या वृद्धि
  • कौशल की कमी
  • सरकारी नौकरी की इच्छा
  • स्वरोजगार के लिए जागरूक नहीं होना
  • व्यवसाय के लिए पूंजी और जानकारी का आभाव

आज के समय में शिक्षित बेरोजगारों की संख्या अधिक है उसका सबसे बड़ा कारण कौशल की कमी है। देश की शिक्षा व्यवस्था कुछ इस प्रकार है कि उसमें लोगों की कौशल विकास पर अधिक ध्यान नहीं दिया जाता जिसकी वजह से लोग नौकरी की तलाश करते हैं और स्वरोजगार के लिए तैयार नहीं हो पाते।

berojgari par nibandh in hindi

बेरोजगारी पर निबंध 100 शब्दों में 

वर्तमान समय में हमारे देश में ऐसी स्थिति बनी हुई है कि ज्यादातर लोग बेरोजगार हैं। देखा जाए तो बेरोजगारी किसी भी देश के लिए अभिशाप से कम नहीं है क्योंकि इससे सभी लोगों के जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

बेरोजगारी की वजह से किसी भी इंसान का जीवन खुशहाल नहीं हो सकता क्योंकि इसके साथ गरीबी और भुखमरी जैसी परेशानियां भी जन्म लेती हैं। हमारे देश में आज ऐसे बहुत सारे लोग हैं जिनको उनकी योग्यता के अनुसार काम नहीं मिलता और ऐसे में उन्हें कोई छोटा मोटा काम करके गुजारा करना पड़ता है।

बहुत से युवाओं को तो नौकरी मिलती ही नहीं है जिसकी वजह से उनका जीवन काफी दुखदायी हो जाता है। इसके पीछे एक नहीं अनेकों कारण है जैसे की जनसंख्या का तेजी से बढ़ना, नौकरी पर अधिक निर्भर होना, मशीनीकरण, शिक्षा की कमी, कुटीर उद्योग में गिरावट इत्यादि। 

बेरोजगारी पर निबंध 150 शब्दों में 

भारत में बेरोजगारी दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है और यह समस्या बहुत ही चुनौतीपूर्ण है। वैसे तो बेरोजगारी की समस्या के पीछे बहुत सारे कारण हैं लेकिन शिक्षा और कौशल की कमी एक बड़ी वजह है जिससे भी हर दिन बेरोजगारी में वृद्धि हो रही है। इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए भारत सरकार ने बहुत से कदम भी उठाए हैं लेकिन अभी तक इसमें सफलता नहीं मिल पायी है। 

वैसे तो भारत की गिनती विकासशील देशों में होती है लेकिन यहां बेरोजगारी ने अपने कदम जमाए हुए हैं। किसी भी देश के लिए बेरोजगारी में वृद्धि होना काफी खतरनाक होता है क्योंकि यह उसके विकास और उन्नति में काफी बुरा प्रभाव डालती है। 

बेरोजगारी दूर करने के उपाय 

बेरोजगारी जैसी समस्याओं को दूर करने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं –

  • जनसंख्या पर नियंत्रण करना चाहिए।
  • केवल नौकरी पर निर्भर नही रहना चाहिए लोगों को स्वरोजगार के लिए प्रेरित करना चाहिए।
  • सरकार को चाहिए कि सभी वर्गों के लिए उचित रोजगार की सुविधा उपलब्ध कराए। 
  • देश की शिक्षा और व्यवस्था को बेहतरीन तरीके से चलाने के लिए प्रयास किए जाने चाहिए।
  • शिक्षा केवल किताबी ज्ञान तक सिमित नही होनी चाहिए बल्कि कौशल विकास (स्किल डेवलपमेंट) पर ध्यान देना चाहिए।
  • औद्योगीकरण को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाने चाहिए ताकि रोजगार के नए अवसर उपलब्ध करवाई जा सके। 

बेरोजगारी पर निबंध 250 शब्दों में 

बेरोजगारी की समस्या आम बन चुकी है जिसकी चपेट में हमारा पूरा देश आया हुआ है। देश का हर दूसरा तीसरा व्यक्ति बेरोजगार है। हजारों लाखों लोग ऐसे भी हैं जिन्होंने बड़ी-बड़ी डिग्रियां हासिल की हुई है लेकिन फिर भी वो बेरोजगार हैं। स्थिति इतनी खराब हो चुकी है कि अधिक पढ़ाई करने के बाद भी लोग चपरासी जैसी छोटी मोटी नौकरियां करके गुजारा कर रहे हैं। 

बेरोजगारी के मुख्य कारण 

देश में बढ़ती हुई बेरोजगारी के अनेकों कारण हैं जिनमें से मुख्य कारण इस प्रकार से हैं –

  • लोगों में शिक्षा की कमी है जिसकी वजह से उन्हें रोजगार के नए अवसरों का लाभ नहीं मिल पाता।
  • लोग स्वरोजगार के लिए जागरूक नही हैं सिर्फ नौकरी पाने की होड़ लगी हुई है।
  • भारत में औद्योगिकरण की गति काफी धीमी है जिसकी वजह से केवल कुछ ही लोगों को नौकरी के अवसर मिलते हैं। 
  • देश में जनसंख्या काफी तेजी से बढ़ रही है ऐसे में रोजगार के उपलब्ध साधन सीमित हैं जिसकी वजह से बेरोजगारी में भी तीव्रता आ रही है।
  • बहुत से लोगों की सरकारी नौकरी करने की चाह होती है जिसकी वजह से अगर उन्हें कोई अच्छी प्राइवेट नौकरी मिलती भी है तो वो उसमें रुचि नहीं लेते। लेकिन सरकारी नौकरी के लिए जो कंपटीशन होता है उसमें भारी संख्या में लोग भाग लेते हैं और नौकरी केवल चुनिंदा लोगों को ही मिलती है। यह भी एक बहुत बड़ा कारण है बेरोजगारी को बढ़ाने के पीछे। 

बेरोजगारी के मुख्य प्रकार 

बेरोजगारी आमतौर पर दो तरह की होती है जो कि इस प्रकार से है –

  • स्वैच्छिक बेरोजगारी – स्वैच्छिक बेरोजगारी का मतलब होता है जब किसी इंसान को काम तो मिल जाए लेकिन उसकी काम करने की बिल्कुल भी इच्छा ना हो। ऐसे लोग किसी भी काम को करने के अधीन नहीं होते हैं और इसके अलावा वह अपने काम से किसी भी तरह का कोई भी समझौता नहीं करते। 
  • अनैच्छिक बेरोजगारी – अनैच्छिक बेरोजगारी कई तरह की होती है जैसे कि मौसमी बेरोजगारी, टेक्निकल बेरोजगारी, शिक्षित बेरोजगारी, पुरानी बेरोजगारी, संरचनात्मक बेरोजगारी और आकस्मिक बेरोजगारी। 

बेरोजगारी पर निबंध 500 शब्दों में 

बढ़ती हुई बेरोजगारी किसी भी देश के लिए बहुत ही ज्यादा चिंता की बात है। ऐसा इसलिए है क्योंकि यदि देश में लोगों के पास रोजगार नहीं होगा तो ऐसे में खुशहाली भी नहीं होगी। जब लोगों की मूलभूत जरूरतें भी पूरी नहीं होती और उनके पास रोजगार भी नहीं होता तो ऐसे में उनके जीवन पर काफी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

भारत में बेरोजगारी के जो आंकड़े हैं वो लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं। यह हमारे देश के लिए एक अत्यधिक चिंता का विषय है क्योंकि जिस तरह से बीते कुछ सालों में बेरोजगारी की दर में उछाल आया है वो काफी गंभीर विषय है। 

बेरोजगारी का क्या अर्थ है 

बेरोजगारी का मतलब होता है कि जब कोई बहुत ज्यादा कुशल और प्रतिभाशाली व्यक्ति किसी कारणवश उचित नौकरी हासिल नहीं कर पाता तो तब यह स्थिति बेरोजगारी को जन्म देती है। 

भारत में बेरोजगारी को जन्म देने वाले कारक 

हमारे देश भारत में बेरोजगारी को जन्म देने वाले कारक निम्नलिखित इस प्रकार से हैं –

  • हमारे देश भारत की जनसंख्या बहुत ज्यादा तेजी से बढ़ रही है जिसकी वजह से देश में बेरोजगारी भी बढ़ रही है। 
  • देश का आर्थिक विकास भी काफी धीमी गति से हो रहा है जिसकी वजह से लोगों को रोजगार के मौके बहुत ही कम मिल रहे हैं और ऐसे में बेरोजगारी की दर में वृद्धि हो रही है। 
  • मौजूदा समय में कुटीर उद्योग के उत्पादन में काफी ज्यादा गिरावट आई है और कहीं ना कहीं यह भी बेरोजगारी का एक बड़ा कारण है। 
  • भारत में तकनीकी उन्नति काफी धीमी गति से हो रही है और इस वजह से भी बेरोजगारी बढ़ रही है। 
  • बहुत से लोग अपनी शिक्षा बीच में ही अधूरी छोड़ देते हैं और इस वजह से उन्हें नौकरी के उचित अवसर नहीं मिल पाते। 
  • कुछ लोग सरकारी नौकरी करने के चक्कर में भी बेरोजगारी की समस्या से जूझ रहे हैं। 

बेरोजगारी से उत्पन्न होने वाली समस्याएं 

बेरोजगारी से उत्पन्न होने वाली कुछ समस्याएं इस प्रकार से हैं –

  • बढ़ती हुई बेरोजगारी गरीबी को जन्म देती है। 
  • लोगों के पास यदि रोजगार नहीं होगा तो ऐसे में वह अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए अपराध करने लगेंगे। 
  • बेरोजगारी की वजह से व्यक्ति मानसिक तनाव में रहने लगता है जिसके काफी घातक परिणाम हो सकते हैं क्योंकि व्यक्ति इतना परेशान हो जाता है कि वह आत्महत्या तक भी कर लेता है। 

हालांकि बेरोजगारी को पूरी तरह से समाप्त नहीं किया जा सकता है लेकिन इसे कुछ कोशिशों के द्वारा काफी हद तक कम किया जा सकता है – 

  • ज्यादा से ज्यादा मात्रा में लघु उद्योगो को और छोटे छोटे बिजनेस को बढ़ावा देना चाहिए। 
  • देश की बढ़ती हुई जनसंख्या पर काबू करना चाहिए।
  • सरकार को चाहिए कि वह स्वरोजगार जैसी योजनाओं के द्वारा नागरिकों की सहायता करे।
  • भारत एक कृषि प्रधान देश है और इसलिए जरूरी है कि यहां की खेती बाड़ी में सुधार होना चाहिए। इससे ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोजगार के अवसर मिल सकेंगे।
  • पुराने समय से जो शिक्षा नीति चली आ रही है उसमें बदलाव करना भी जरूरी है। छात्रों को व्यावसायिक और तकनीकी शिक्षा देने पर ज्यादा से ज्यादा जोर होना चाहिए। ‌

बेरोजगारी पर 10 लाइन निबंध

  • वर्तमान समय में बढती हुई बेरोजगारी सभी देशों के लिए एक बहुत ही बड़ी समस्या है।
  • बेरोजगारी के साथ गरीबी और भुखमरी जैसी परेशानियां भी जन्म लेती हैं।
  • जनसंख्या बहुत ज्यादा तेजी से बढ़ रही है जिसकी वजह से देश में बेरोजगारी भी बढ़ रही है। 
  • अशिक्षा, अयोग्यता और रोजगार के अवसर की कमी वजह से बेरोजगारी बढ़ रही है।
  • आजकल शिक्षित बेरोजगारी भी लगातार बढ़ रही है इसका मुख्य कारण लोग स्वरोजगार की जगह नौकरी पर अधिक ध्यान दे रहे हैं।
  • कौशल विकास (स्किल डेवलपमेंट) पर अधिक ध्यान देना चाहिए।
  • जनसँख्या नियंत्रण के लिए उचित प्रबंध करने चाहिए।
  • लघु और कुटीर उद्योगों के लिए लोगों को प्रेरित करना चाहिये।

बेरोजगारी पर निबंध PDF Download

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  • परोपकार पर निबंध
  • समय का महत्व पर निबंध

दोस्तों बेरोजगारी पर निबंध के इस आर्टिकल में हमने आपको बेरोजगारी से संबंधित सारी जानकारी दी। हमें पूरी उम्मीद है कि आपके लिए यह आर्टिकल काफी लाभदायक रहा होगा। हमारे इस लेख को सोशल मीडिया पर अपने दोस्तों के साथ भी जरूर शेयर करें। 

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बेरोजगारी पर निबंध (Unemployment Essay In Hindi)

बेरोजगारी पर निबंध (Unemployment Essay In Hindi Language)

भारत के कई समस्याओं में से एक है बेरोजगारी की समस्या। भारत कई वर्षो पहले आज़ाद हो गया था। लेकिन बेरोजगारी की समस्या जैसे देश का पीछा नहीं छोड़ रही है। भारत में बेरोजगार युवाओ की संख्या बढ़ती चली जा रही है। बेरोजगार का तात्पर्य है किसी व्यक्ति को उसकी योग्यता के मुताबिक रोजगार ना मिलना।

बेरोजगारी के प्रकार

हमे अलग अलग कौशल संबंधित शिक्षाओं को प्राथमिकता देनी चाहिए। व्यवहारिक शिक्षा को एहमियत देने की ज़रूरत है। स्कूलों में तकनीकी और कार्य संबंधित शिक्षा को प्रोत्साहन देना चाहिए।

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आज के इस लेख मे हमने बेकारी या बेरोजगारी पर निबंध Essay on Unemployment in India Hindi लिखा है। इसमे हमने भारत मे बेरोजगारी की समस्या, इसके प्रभाव, कारण, समाधान के विषय मे पूरी जानकारी दी है।

प्रस्तावना Introduction (बेरोजगारी की समस्या पर निबंध – 900 Words)

अगर हाँ तो, इस लेख को पूरा पढ़ें। बेरोजगारी ने लोगों की कमर को तोड़ सा दिया है। अब पढे-लिखे लोग होने के बाद भी लोगों को नौकरी मिलना मुश्किल हो चुका है। जो लोग स्व नियोजित हो रहे वह तो कुछ हद तक

भारत में बेरोजगारी की समस्या Unemployment problem in India

आज आज़ादी के इतने सालों बाद भी हमारा देश भारत कई प्रकार की समस्याओं से उभर नहीं पाया है। इन समस्याओं में एक सबसे बड़ी समस्या है – बेरोजगारी की समस्या। बेरोजगारी का अर्थ होता है – किसी व्यक्ति को उसकी योग्यता और ज्ञान के अनुसार सही काम या नौकरी ना मिल पाना। भारत में बेरोजगारी लोगों के जीवन में दो प्रकार से आक्रमण कर रही है।

दूसरे वर्ग में वह लोग आते हैं जो नौकरी तो कर रहे हैं परंतु उससे वह इतना कम पैसा कमाते हैं कि अपने परिवार के लिए दो वक्त की रोटी भी सही तरीके से नहीं जुटा पा रहे हैं। क्या यह बेकारी की समस्या देश के लिए बड़ी समस्या हीं है?

बेरोजगारी का प्रभाव Unemployment Effect

बेरोजगारी धीरे धीरे एक अभिशाप बनते चले जा रहा। एक बड़ी कहावत है – खाली मन शैतान का घर होता है। इसीलिए तो नौजवानों के लिए करियर के अच्छे अवसर और बेरोजगारी न होने के कारण ही समाज में लूट-पाट, चोरी-चकारी, दंगा-फसाद, और नशा जैसी बड़ी समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं।

बेरोजगारी का कारण Reasons of unemployment

आज दुनिया में पैसे के मुकाबले समय का मूल्य बहुत ज्यादा है इसलिए ज्यादातर कंपनियों ने लोगों की तादाद को कम करके मशीनों से काम करना शुरु कर दिया है जिसके कारण लोगों के लिए नौकरी के अवसर कम हो गए हैं।

बेरोजगारी का समाधान Solution to unemployment

हम भारतीयों को स्वयं को ज्ञान और नए आविष्कारों के माध्यम से इतना सक्षम बनाना होगा जिससे विश्व भर के बड़ी कंपनियों को हमारी ताकत का पता चल सके और वह भारत में निवेश करें तथा अपनी कंपनियां शुरू करें।

उद्योग शुरू करने का एक सबसे बड़ा लाभ यह है कि वह स्वयं तो सफल बनेंगे साथ ही उनके उद्योग के माध्यम से और भी नौजवानों और देश के नागरिकों को नौकरी के नए अवसर प्राप्त होंगे। चाहे गांव हो या शहर आप हर जगह एक छोटे से व्यापार को शुरू कर सकते हैं और अगर आपके पास शुरू करने के लिए पूंजी नहीं है तो आप बैंक से लोन लेकर भी शुरू कर सकते हैं।

लोगों को सरकार की इन योजनाओं से जुड़ना चाहिए और इन योजनाओं के माध्यम से अपने आने वाली पीढ़ी को शिक्षित बनाना चाहिए जिससे वह हमारे देश भारत का भविष्य बन सकें। गांव से लेकर शहर तक हर एक व्यक्ति चाहे महिला हो या पुरुष को यह प्रण लेना चाहिए कि वह जीवन में कुछ ना कुछ कार्य क र ते रहेंगे और देश से गरीबी को मिटाकर खुशहाली लाएंगे।

निष्कर्ष Conclusion

आशा करते हैं बेरोजगारी और बेकारी की समस्या पर आपको यह निबंध अच्छा लगा होगा। अगर आपको हमारा यह पोस्ट अच्छा लगा हो तो अपने सोशल मीडिया अकाउंट में शेयर करके देश को आगे ले जाने में अपना योगदान दें।

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Unemployment Essay

500+ words essay on unemployment.

Unemployment is a serious problem among young people. There are thousands of people who do not have any work to do and cannot find work for themselves. Unemployment refers to the situation where a person wants to work but cannot find employment in the labour market. One of the major reasons that contribute to unemployment is the large population of India and the limited availability of resources. In this essay on unemployment, we will discuss all these issues responsible for unemployment in India and how we can overcome this problem. Students must go through this unemployment essay to get ideas on how to write an effective essay on the topic related to unemployment. Also, they can practice more CBSE essays on different topics to boost their writing skills.

Unemployment is measured by the unemployment rate, defined as the number of people actively looking for a job as a percentage of the labour force. The unemployment rate for the year 2013-14 in rural India was 4.7%, whereas it was 5.5% for urban India. In the short term, unemployment significantly reduces a person’s income and, in the long term, it reduces their ability to save for retirement and other goals. Unemployment is a loss of valuable productive resources to the economy. The impact of job loss in rural and regional areas flows through the local community, damaging businesses.

Reason for Unemployment

An unemployed person is one who is an active member of the labour force and is seeking work but is unable to find any work for himself. There are multiple reasons behind the unemployment of a person. One of them is the slow economic growth, due to which jobs in adequate numbers are not created. Excessive dependence on agriculture and slow growth of non-farm activities also limit employment generation. Unemployment in urban areas is mainly the result of substantial rural migration to urban areas. This has also resulted in a labour workforce in cities. The lack of technology and proper machinery has also contributed to unemployment.

The present educational system is based on theoretical knowledge instead of practical work. Thus, it lacks the development of aptitude and technical qualifications required for various types of work among job seekers. This has created a mismatch between the need and availability of relevant skills and training. This results in unemployment, especially among the youth and educated people with high degrees and qualifications. Apart from it, the lack of investment and infrastructure has led to inadequate employment opportunities in different sectors.

Steps to Eliminate Unemployment

Various strategies and proposals have been implemented to generate employment. Many Employment programmes and policies have been introduced and undertaken to boost self-employment and help unemployed people engage in public works. The Government of India has taken several policy measures to fight the problem of unemployment. Some of the measures are the Mahatma Gandhi National Rural Employment Guarantee Act (MGNREGA), National Skill Development Mission, Swarna Jayanti Shahari Rozgar Yojana (SJSRY), Regional Rural Banks (RRBs).

Despite the measures taken by the government, India remains a country experiencing severe unemployment problems. It can be resolved by imparting education in such a way that youth get the necessary skills so as to get employment easily. Setting up various vocational training and vocational courses for undergraduate and postgraduate students will help in finding employment for youth. The government needs to emphasise these courses at the primary level and make them a compulsory part of the curriculum to make students proficient in their early stages of life. Career counselling should be provided within schools and colleges so that students can choose a better career option based on their interests and ability. Government should create more job opportunities for the youth and graduates.

India is a fast-growing economy. There is an enormous scope for improvement in the unemployment sector. The various measures and steps taken by the government to increase the employment rate have succeeded to a great extent. The widespread skill development programmes have gained popularity across the nation. With better enforcement of the strategies, the employment level can be significantly improved. Although, we have to go a long way before we can say that all the people in India will get employment.

We hope this essay on unemployment must have helped students in boosting their essay-writing skills. Keep learning and visiting the BYJU’S website for more study material.

Frequently Asked Questions on Unemployment Essay

Is unemployment still an existing problem in india.

Yes, unemployment is still a serious issue in our country. Steps need to be taken by the government and also by the youngsters in India to improve this situation.

Is it necessary for schoolchildren to be informed about unemployment?

Students at this young age should definitely be informed about this topic as it will motivate them to study and aim for higher scores in exams.

What points are to be added to an essay topic on Unemployment?

Add details about different age groups of people suffering from this state of employment. You can focus on the fact that poverty is an indirect reason for unemployment and vice-versa. Then, suggest steps that can be taken to bring about an improvement in education and increase the percentage of literacy.

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Essay on Unemployment Problem in India

Students are often asked to write an essay on Unemployment Problem in India in their schools and colleges. And if you’re also looking for the same, we have created 100-word, 250-word, and 500-word essays on the topic.

Let’s take a look…

100 Words Essay on Unemployment Problem in India

Introduction.

Unemployment is a major issue in India. It refers to the state where individuals are eager to work but can’t find jobs.

Causes of Unemployment

The primary cause is the fast-growing population. Other reasons include lack of skills, poor education system, and slow economic growth.

Impacts of Unemployment

Unemployment leads to poverty and can cause mental stress. It also hampers the economic development of the country.

The government should focus on creating more jobs, improving education, and promoting skill development to tackle this problem. Unemployment in India is a serious issue that needs immediate attention.

250 Words Essay on Unemployment Problem in India

The primary cause of unemployment in India is the rapid population growth, which has outpaced economic development. The educational system, with its focus on academic degrees rather than skills, also contributes to the problem. The mismatch between the education provided and the skills demanded by industries leads to a situation called educated unemployment.

Impact on Society and Economy

Unemployment leads to economic stagnation, social unrest, and personal distress. It wastes the human resource potential of the country and hampers economic growth. The unemployed youth, frustrated by their inability to find work, can easily be led astray, leading to an increase in social evils.

Solutions to Unemployment

Addressing unemployment requires a multi-pronged strategy. The government should focus on skill development programs that align with industry needs. Entrepreneurship should be encouraged to create more job opportunities. Additionally, population control measures are essential to balance the labor market.

Unemployment is a complex issue that requires comprehensive and strategic solutions. It’s not just about creating jobs but also about creating a workforce that is skilled and ready for the jobs of the future. By addressing the root causes of unemployment, India can leverage its demographic dividend for economic prosperity.

500 Words Essay on Unemployment Problem in India

Unemployment, a significant socio-economic issue, is a persistent problem in India. Despite the nation’s rapid economic growth, job creation has not kept pace, leading to a high rate of unemployment. This essay explores the dimensions of the unemployment problem, its causes, and potential solutions in the Indian context.

Understanding Unemployment in India

The causes of unemployment in India are multi-faceted. The primary reason is the population explosion. A large population means a higher number of individuals seeking jobs, outstripping the rate at which jobs are created. The education system is another contributing factor. There is a mismatch between the skills imparted by educational institutions and the skills demanded by the job market. Moreover, the lack of technical and vocational education has led to a surplus of unskilled labor.

The agriculture sector, the largest employer in India, suffers from seasonal unemployment due to its dependence on monsoons. Industrial growth, on the other hand, has been sluggish, leading to fewer job opportunities. Additionally, the recent rise in automation and artificial intelligence is feared to lead to job losses.

Addressing unemployment requires a multi-pronged approach. First, the education system needs to be revamped to align with industry needs, focusing on skill development and vocational training. Second, there is a need to boost industrial growth and promote entrepreneurship to create more job opportunities.

The government should also invest in infrastructure development, which can create numerous jobs in the construction sector. In the agricultural sector, modernization and the adoption of technology can help reduce seasonal unemployment. Lastly, population control measures are essential to ensure the problem doesn’t escalate further.

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Unemployment in India

  • 13 Mar 2024
  • 11 min read
  • GS Paper - 3
  • Growth & Development
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  • GS Paper - 2
  • Government Policies & Interventions

For Prelims: Periodic Labour Force Survey (PLFS) , National Sample Survey Office (NSSO), Covid-19 pandemic , Worker Population Ratio , Labour Force Participation Rate.

For Mains : Unemployment in India, Major Issues Related to Unemployment in India.

Source: MOSPI

Why in News?

According to the Periodic Labour Force Survey (PLFS) , conducted by the National Sample Survey Office (NSSO), in 2023, India’s unemployment rate has dropped significantly, marking the lowest in the past three years.

  • The PLFS gives estimates of Key employment and unemployment Indicators like, the Labour Force Participation Rates (LFPR), Worker Population Ratio (WPR), Unemployment Rate (UR), etc and the Activity Status- ‘Usual Status’ and ‘Current Weekly Status’.
  • Labour Force Participation Rate (LFPR): LFPR is defined as the percentage of persons in the labour force (i.e. working or seeking or available for work) in the population.
  • Worker Population Ratio (WPR): WPR is defined as the percentage of employed persons in the population.
  • Unemployment Rate (UR): UR is defined as the percentage of persons unemployed among the persons in the labour force.
  • When the activity status is determined based on the reference period of the last 365 days preceding the date of the survey, it is known as the usual activity status of the person.
  • Activity Status- Current Weekly Status (CWS): The activity status determined based on a reference period of the last 7 days preceding the date of the survey is known as the CWS of the person.

What are the Key Highlights of the Report?

  • The unemployment rate was at 3.6% in 2022 and 4.2% in 2021.
  • Similarly, for males, it decreased to 3.2% in 2023 from 3.7% in 2022 and 4.5% in 2021.
  • There is a recovery in the employment scenario post the impact of the Covid-19 pandemic , with increased economic activity after the lifting of lockdowns by the Centre and states.
  • Urban areas witnessed a reduction to 5.2% in 2023 from 5.9% in 2022 and 6.5% in 2021, while rural areas experienced a decrease to 2.4% in 2023 from 2.8% in 2022 and 3.3% in 2021.
  • The LFPR in Current Weekly Status (CWS) for individuals aged 15 and above in urban areas rose to 56.2% in 2023 , showing an upward trajectory from 52.8% in 2022 and 51.8% in 2021.
  • This positive employment data comes on the heels of recent reports indicating India’s economic growth surging to 8.4% in the third quarter of 2023-24.
  • Sectors such as manufacturing, mining & quarrying, and construction played a pivotal role in driving this growth, as per data released by the NSO.
  • The NSO’s second advance estimate pegs India's growth at 7.6% for the entire fiscal year 2023-24 , surpassing the initial projection of 7.3% released in January 2024.

What is the Periodic Labour Force Survey?

  • The first annual report based on the data collected in PLFS during July 2017- June 2018 was published in May 2019.
  • To estimate the key employment and unemployment indicators (viz. Worker Population Ratio , Labour Force Participation Rate , Unemployment Rate) in the short time interval of three months for the urban areas only in the ‘Current Weekly Status’ (CWS).
  • To estimate employment and unemployment indicators in both ‘Usual Status’ and CWS in both rural and urban areas annually.

What is Unemployment?

  • Unemployment refers to the condition where individuals capable of working are actively seeking employment but are unable to secure suitable jobs.
  • An unemployed person is someone who is part of the labour force, and possesses the requisite skills but currently lacks gainful employment.
  • Basically, an unemployed person is someone of working age, jobless, able and available to work, and actively looking for a job.
  • Here, the ‘total labour force’ includes the employed and the unemployed. Those who are neither employed nor unemployed — students, for example— are not considered a part of the labour force.
  • Structural Unemployment: Rooted in mismatches between the skills possessed by the workforce and the requirements of available positions, this form of unemployment highlights systemic issues within the labour market.
  • Cyclical Unemployment: Tied to economic cycles, this type escalates during economic downturns and diminishes during periods of expansion, showcasing the sensitivity of job availability to macroeconomic conditions.
  • Frictional Unemployment/Transitional Unemployment: Also called transitional unemployment, arising from the natural transition between jobs, this type reflects the temporary period individuals spend searching for new employment opportunities.
  • Underemployment: While not strictly unemployment, this concept pertains to individuals employed in positions that underutilize their skills or provide insufficient working hours, contributing to a sense of economic inefficiency.
  • Hidden Unemployment: Refers to individuals who are not actively seeking employment due to discouragement or other factors but could potentially enter the job market if conditions improve.
  • Disguised Unemployment: It arises because more labourers work in the factory/land than are required. Hence productivity i.e., production per unit of labour will be less.

What are the Major Causes of Unemployment in India?

  • India’s substantial population amplifies the competition for employment opportunities, putting additional pressure on the job market.
  • Managing this demographic challenge necessitates a comprehensive approach to economic development and job creation.
  • A predominant cause, where the skills possessed by the workforce may not align with the evolving demands of the job market. Addressing this issue requires initiatives focused on enhancing education and vocational training programs.
  • The prevalence of the informal sector introduces complexities in tracking and addressing unemployment. Efforts to formalise and regulate this sector can contribute to a more accurate representation of employment conditions.
  • Well-intentioned policies may face challenges in effective implementation, impacting their ability to generate employment. Streamlining policy execution and ensuring alignment with ground realities are imperative.
  • Influences from the global economy, such as trade dynamics and geopolitical shifts, can impact India’s employment scenario . Crafting policies that enhance economic resilience to external factors is essential.

What are the Government’s Initiatives Related to Employment?

  • Support for Marginalized Individuals for Livelihood and Enterprise (SMILE)
  • PM-DAKSH (Pradhan Mantri Dakshta Aur Kushalta Sampann Hitgrahi)
  • Mahatma Gandhi National Rural Employment Guarantee Act (MGNREGA)
  • Pradhan Mantri Kaushal Vikas Yojana (PMKVY)
  • Start Up India Scheme
  • Rozgar Mela
  • Indira Gandhi Urban Employment Guarantee Scheme- Rajasthan.

Way Forward

  • Aligning education with the current market demands by updating curricula to impart relevant skills, emphasising vocational training, and promoting lifelong learning to enhance employability.
  • Fostering a conducive environment for startups by providing financial incentives, reducing bureaucratic hurdles, and offering mentorship programs to encourage entrepreneurship.
  • Formulating and implementing policies that promote job creation, including investment in infrastructure, industry-friendly regulations, and fiscal incentives for businesses generating employment.

UPSC Civil Services Examination, Previous Year Questions (PYQs)

Q. Disguised unemployment generally means (2013)

(a) large number of people remain unemployed (b) alternative employment is not available (c) marginal productivity of labour is zero (d) productivity of workers is low

Q. Most of the unemployment in India is structural in nature. Examine the methodology adopted to compute unemployment in the country and suggest improvements. (2023)

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Essay on India in Hindi : छात्र ऐसे लिख सकते हैं हमारे देश भारत पर निबंध

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  • Updated on  
  • अगस्त 30, 2024

Essay on India in Hindi

Essay on India in Hindi : भारत एक विविधतापूर्ण देश है जो अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और इतिहास के लिए जाना जाता है। यह दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र और सबसे अधिक आबादी वाला देश है, जिसकी आबादी एक अरब से ज़्यादा है। भारत हिमालय पर्वतों से लेकर उष्णकटिबंधीय समुद्र तटों तक फैला हुआ है, जो इसकी भौगोलिक विविधता को दर्शाते हैं। यह देश विभिन्न धर्मों, भाषाओं और परंपराओं का घर है, जो विविधता में एकता का एक अनूठा मिश्रण है। आर्थिक रूप से, भारत ने महत्वपूर्ण प्रगति की है, प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष खोज और उद्योग में विश्व में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में उभरा है। गरीबी और सामाजिक असमानता जैसी चुनौतियों का सामना करने के बावजूद, भारत अपने सांस्कृतिक सार और लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए हुए प्रगति और विकास की दिशा में प्रयास कर रहा है।

भारत देश के बारे में जानकारी इसके प्रत्येक छात्र को होनी चाहिए। छात्रों को कई बार निबंध प्रतियोगिता और कक्षाओं में Essay on India in Hindi दिया जाता है और आपकी मदद के लिए कुछ सैंपल इस ब्लॉग में दिए गए हैं। 

This Blog Includes:

भारत पर 100 शब्दों में निबंध, भारत पर 200 शब्दों में निबंध, प्रस्तावना , भारत का इतिहास, भारत का भूगोल और संस्कृति, भारतीय राष्ट्रीय ध्वज और अन्य प्रतीक, भारत की नदियां  , भारत का भोजन, भारत की भाषाएं, भारत के त्यौहार, भारत की अनेकता में एकता, उपसंहार , भारत पर 10 लाइन – 10 lines essay on india in hindi.

भारत के लोग अपनी ईमानदारी और विश्वसनीयता के लिए जाने जाते हैं। विभिन्न संस्कृतियों और परंपराओं के लोग एक साथ शांतिपूर्वक रहते हैं। हिंदी भारत की एक प्रमुख भाषा है, लेकिन विभिन्न क्षेत्रों के लोग कई अन्य भाषाएँ भी बोलते हैं। भारत एक खूबसूरत देश है जहाँ कई महान व्यक्तियों ने जन्म लिया और उल्लेखनीय उपलब्धियाँ हासिल की। भारतीयों के द्वारा अतिथियों को ‘अतिथि देवों भव:’ की उपाधि दी जाती है। दूसरे देशों से आने वाले आगंतुकों का गर्मजोशी से स्वागत किया जाता है। भारत में सनातन धर्म (जीवन का एक प्राचीन दर्शन) का पालन किया जाता है, जो विविधता में एकता बनाए रखने में मदद करता है।

 भारत कई प्राचीन स्थलों, स्मारकों और ऐतिहासिक धरोहरों का घर है जो दुनिया भर से आगंतुकों को आकर्षित करते हैं। यह अपनी आध्यात्मिक प्रथाओं, योग और मार्शल आर्ट के लिए प्रसिद्ध है। विभिन्न देशों के कई तीर्थयात्री और भक्त भारत के प्रमुख मंदिरों, स्थलों और ऐतिहासिक विरासतों की सुंदरता का अनुभव करने के लिए आते हैं।

भारत का एक समृद्ध और गौरवशाली इतिहास है और इसे प्राचीन सभ्यता का जन्मस्थान माना जाता है। यह तक्षशिला और नालंदा विश्वविद्यालय के कारण शिक्षा का एक केंद्र रह चुका है, इसने इतिहास में दुनिया भर के छात्रों को अपने विश्वविद्यालयों में आकर्षित किया है। अपनी अनूठी और विविध संस्कृति और परंपराओं के लिए जाना जाने वाला भारत विभिन्न धर्मों के लोगों से प्रभावित है। भारत के धन वैभव को चुराने के लिए इस पर कई आक्रमण हुए। कई साम्राज्यों ने इसे गुलाम बनाने के लिए भी प्रयोग किया। कई स्वतंत्रता सैनानियों के प्रयासों और बलिदानों की बदौलत भारत को 1947 में ब्रिटिश शासन से आजादी मिली थी। 

हम हर साल 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस मनाते हैं, जिस दिन हमारी मातृभूमि आजाद हुई थी। पंडित जवाहरलाल नेहरू स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री थे। अपने समृद्ध प्राकृतिक संसाधनों के बावजूद, भारत में कई लोग गरीब हैं। रवींद्रनाथ टैगोर, सर जगदीश चंद्र बोस, सर सी.वी. रमन और डॉ. होमी जे. भाभा जैसी असाधारण हस्तियों की बदौलत देश लगातार प्रौद्योगिकी, विज्ञान और साहित्य में आगे बढ़ है। भारत एक शांतिपूर्ण देश है जहाँ लोग अपने त्यौहारों को खुलकर मनाते हैं और अपनी सांस्कृतिक परंपराओं का पालन करते हैं। कश्मीर को अक्सर धरती पर स्वर्ग के रूप में वर्णित किया जाता है। भारत प्रसिद्ध मंदिरों, मस्जिदों, गुरुद्वारों, नदियों, घाटियों, उपजाऊ कृषि भूमि और सबसे ऊँचे पहाड़ों का घर है।

भारत पर 500 शब्दों में निबंध

भारत पर 500 शब्दों में निबंध (500 Words Essay on India in Hindi) नीचे दिया गया है –

भारत एक अद्भुत देश है जहाँ लोग कई अलग-अलग भाषाएँ बोलते हैं। यहाँ विभिन्न जातियाँ, पंथ, धर्म और संस्कृतियाँ निवास करती हैं, फिर भी सभी लोग एक साथ सद्भाव से रहते हैं। यही कारण है कि भारत “विविधता में एकता” कहावत के लिए प्रसिद्ध है। भारत दुनिया का सातवाँ सबसे बड़ा देश भी है।

भारत का इतिहास और संस्कृति समृद्ध है और मानव सभ्यता के उदय के बाद से ही विकसित हुई है। विश्व की सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक सिंधु घाटी सभ्यता भारत में थी। इसकी शुरुआत प्राचीन सिंधु घाटी सभ्यता और दक्षिण भारत में शुरुआती कृषि समुदायों से हुई। समय के साथ, भारत ने विभिन्न संस्कृतियों के लोगों का निरंतर एकीकरण देखा। साक्ष्य बताते हैं कि शुरुआती दौर में, लोहे और तांबे जैसी धातुओं का उपयोग व्यापक था, जो महत्वपूर्ण प्रगति को दर्शाता है। चौथी सहस्राब्दी ईसा पूर्व के अंत तक, भारत एक अत्यधिक उन्नत सभ्यता के रूप में विकसित हो चुका था।

भारत दुनिया में सबसे बड़ी आबादी वाला देश है। इसे हिंदुस्तान और आर्यावर्त के नाम से भी जाना जाता है। यह तीन तरफ से महासागरों से घिरा हुआ है: पूर्व में बंगाल की खाड़ी, पश्चिम में अरब सागर और दक्षिण में हिंद महासागर। भारत का राष्ट्रीय पशु ‘ बाघ’ है, राष्ट्रीय पक्षी ‘ मोर’ है और राष्ट्रीय फल ‘ आम’ है। भारत का राष्ट्रगान जन गण मन है, और राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम है। भारत का राष्ट्रीय खेल हॉकी है। हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म, जैन धर्म, सिख धर्म, इस्लाम, ईसाई धर्म और यहूदी धर्म सहित विभिन्न धर्मों के लोग सदियों से भारत में एक साथ रहते आए हैं। भारत अपनी समृद्ध विरासत के लिए भी जाना जाता है, जिसमें स्मारक, मकबरे, चर्च, ऐतिहासिक इमारतें, मंदिर, संग्रहालय, प्राकृतिक सुंदरता, वन्यजीव अभयारण्य और प्रभावशाली वास्तुकला शामिल हैं।

भारतीय ध्वज तिरंगे में तीन रंग हैं: केसरिया, सफ़ेद और हरा। सबसे ऊपर का रंग केसरिया पवित्रता का प्रतीक है। बीच का रंग सफ़ेद शांति का प्रतीक है। सबसे नीचे का रंग हरा उर्वरता का प्रतीक है। सफ़ेद पट्टी के बीच में एक नीला अशोक चक्र है, जो 24 तीलियों वाला पहिया है जो कानून और न्याय के चक्र का प्रतीक है। बंगाल टाइगर राष्ट्रीय पशु है, जो शक्ति और शालीनता का प्रतिनिधित्व करता है। मोर यहां का राष्ट्रीय पक्षी है, जो शालीनता, सुंदरता और शान का प्रतीक है। ऐतिहासिक रूप से फील्ड हॉकी को भारत का राष्ट्रीय खेल माना जाता है, जो खेल में देश की उपलब्धियों का प्रतिनिधित्व करता है।

भारत में कई प्रमुख नदियाँ हैं, जिनमें से प्रत्येक का सांस्कृतिक, आर्थिक और पारिस्थितिक महत्व है। गंगा हिमालय से निकलती है और उत्तरी भारत से होकर बांग्लादेश में बहती है। यह हिंदू धर्म में सबसे पवित्र नदी मानी जाती है और लाखों लोगों के लिए पीने, कृषि और धार्मिक प्रथाओं के लिए महत्वपूर्ण है। यमुना हिमालय में यमुनोत्री ग्लेशियर से निकलने वाली गंगा की एक प्रमुख सहायक नदी है। यह दिल्ली और आगरा से होकर बहती है और अपने सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व के लिए महत्वपूर्ण है। 

ब्रह्मपुत्र तिब्बत में निकलती है और बांग्लादेश में प्रवेश करने से पहले असम और भारत के अन्य पूर्वोत्तर राज्यों से होकर बहती है। यह नदी अपने विशाल बेसिन और कृषि क्षेत्र के लिए जानी जाती है। सिंधु नदी का उद्गम तिब्बत में है और भारत से होते हुए यह पाकिस्तान में भी बहती है। कृष्णा नदी पश्चिमी घाट में उत्पन्न होती है और पूर्व की ओर बंगाल की खाड़ी में बहती है। दक्षिणी भारत में सिंचाई और जलविद्युत परियोजनाओं के लिए महत्वपूर्ण है। कावेरी नदी पश्चिमी घाट में उत्पन्न होती है और दक्षिण-पूर्व में बंगाल की खाड़ी में बहती है। कर्नाटक और तमिलनाडु के दक्षिणी राज्यों में कृषि के लिए महत्वपूर्ण है। महानदी छत्तीसगढ़ राज्य में उत्पन्न होकर पूर्व की ओर बंगाल की खाड़ी में बहती है। क्षेत्र में सिंचाई और प्रमुख बांधों के लिए महत्वपूर्ण है। नर्मदा नदी सतपुड़ा रेंज से पश्चिम की ओर अरब सागर में बहती है। यह अपनी प्राकृतिक सुंदरता और नर्मदा घाटी परियोजना के लिए जानी जाती है। ताप्ती नदी सतपुड़ा रेंज से पश्चिम की ओर अरब सागर में बहती है। यह क्षेत्र की कृषि और सिंचाई के लिए महत्वपूर्ण है।

भारतीय भोजन अपनी समृद्ध विविधता और जीवंत स्वादों के लिए प्रसिद्ध है। यह देश की विशाल सांस्कृतिक और क्षेत्रीय विविधताओं को दर्शाता है। भारत के भोजन में मसालों, जड़ी-बूटियों और सामग्रियों की एक विस्तृत श्रृंखला है जो जटिल और सुगंधित व्यंजन बनाती है। उत्तर की मसालेदार करी से लेकर दक्षिण के तीखे और नारियल आधारित व्यंजनों तक, भारतीय व्यंजन सभी के लिए कुछ न कुछ प्रदान करते हैं। लोकप्रिय व्यंजनों में बिरयानी, डोसा, समोसे और विभिन्न प्रकार की ब्रेड जैसे नान और रोटी शामिल हैं। भारतीय भोजन में गुलाब जामुन और जलेबी सहित कई तरह की मिठाइयाँ भी शामिल हैं। भोजन का आनंद अक्सर अचार, रायता और चटनी जैसी कई तरह की चीजों के साथ लिया जाता है। यह पाक विविधता भारतीय भोजन को देश की सांस्कृतिक विरासत का एक जीवंत और अभिन्न अंग बनाती है।

भारत एक भाषाई रूप से विविधतापूर्ण देश है, जिसके विशाल विस्तार में बोली जाने वाली भाषाओं की समृद्ध विविधता है। भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में 22 आधिकारिक रूप से मान्यता प्राप्त भाषाएँ हैं। भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में 22 आधिकारिक असमिया, बंगाली, बोडो, डोगरी, गुजराती, हिंदी, कन्नड़, कश्मीरी, कोंकणी, मैथिली, मलयालम, मणिपुरी, मराठी, नेपाली, उड़िया, पंजाबी, संस्कृत, संथाली, सिंधी, तमिल, तेलुगू, उर्दू है। प्रत्येक क्षेत्र की अपनी अलग भाषा या बोली होती है, जो उसकी सांस्कृतिक विरासत को दर्शाती है। देवनागरी लिपि में लिखी जाने वाली हिंदी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है, जबकि सरकारी और कानूनी उद्देश्यों के लिए अंग्रेजी एक सहयोगी आधिकारिक भाषा के रूप में कार्य करती है। कन्नड़, पंजाबी और गुजराती जैसी क्षेत्रीय भाषाएँ भी अपने-अपने क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। बहुभाषावाद भारत की सांस्कृतिक समृद्धि और भाषा और क्षेत्रीय पहचान के बीच के संबंधों को भी।उजागर करता है। भाषा भारत के सामाजिक ताने-बाने का एक महत्त्वपूर्ण पहलू बन जाती है।

भारत अपने जीवंत और विविध त्योहारों के लिए प्रसिद्ध है, जिन्हें पूरे देश में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। प्रमुख त्योहारों में दिवाली है यह रोशनी का त्योहार है जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। होली वसंत के अपने रंगीन और हर्षोल्लासपूर्ण उत्सव के लिए जानी जाती है। ईद दावतों और प्रार्थनाओं के साथ रमजान माह के अंत को चिह्नित करती है। नवरात्रि देवी दुर्गा का सम्मान करने वाला नौ रातों का त्योहार है। अन्य महत्वपूर्ण त्योहारों में क्रिसमस, पोंगल और दुर्गा पूजा शामिल हैं। ये त्यौहार भारत की समृद्ध सांस्कृतिक और धार्मिक विविधता को दर्शाते हैं, जो लोगों को हर्षोल्लासपूर्ण उत्सव, दावत और विभिन्न पारंपरिक अनुष्ठानों में एक साथ लाते हैं।

विविधता में एकता भारत की एक परिभाषित विशेषता है, जहाँ अनेक संस्कृतियाँ, भाषाएँ, धर्म और परंपराएँ सौहार्दपूर्वक सह-अस्तित्व में हैं। अपने लोगों के बीच भारी मतभेदों के बावजूद, भारत विभिन्न जातीयताओं और मान्यताओं के जीवंत ताने-बाने के रूप में खड़ा है। यह देश एक साझा राष्ट्रीय पहचान से एकजुट है। यह सिद्धांत देश के विविध त्योहारों के उत्सव, विभिन्न सांस्कृतिक प्रथाओं के प्रति सम्मान और विभिन्न क्षेत्रीय परंपराओं में दिखाई भी देता है। भारत की ताकत अपनेपन और साझा उद्देश्य की भावना को बढ़ावा देती है। विविधता में यह एकता भारत के सामाजिक सामंजस्य को बढ़ाती है और इसकी समृद्ध विरासत में योगदान देती है।

भारत एक ऐसा अद्भुत देश है जिसमें संस्कृतियों, जातियों, पंथों और धर्मों का एक समृद्ध मिश्रण है,ह अपनी विरासत, मसालों और इसे अपना घर कहने वाले लोगों के लिए प्रसिद्ध है। विविधता और एकता का यह मिश्रण ही है जिसकी वजह से भारत को अक्सर एक ऐसे स्थान के रूप में वर्णित किया जाता है जहाँ विविधता में एकता पनपती है। भारत आध्यात्मिकता, दर्शन, विज्ञान और प्रौद्योगिकी में अपने योगदान के लिए प्रसिद्ध है।

भारत पर 10 लाइन (10 Lines Essay on India in Hindi) यहां दी गई हैं –

  • भारत या एशिया में एक प्रायद्वीपीय देश है। भारत देश तीन तरफ से पानी से घिरा हुआ है।
  • अन्य देशों की तुपना में कुल क्षेत्रफल के मामले में भारत दुनिया का 7वां सबसे बड़ा देश है।
  • भारत की जनसंख्या लगघग 1.4286 बिलियन है। यह चीन की 1.4257 बिलियन की तुलना में दुनिया में दुनिया की सबसे बड़ी आबादी है।
  • झारत कर पश्चिमी भाग में अरब सागर, दक्षिणी भाग में हिंद महासागर और पूर्व में बंगाल की खाड़ी है।
  • भारत देश का उत्तरी भाग पहाड़ों से ढका हुआ है। हिमालय दुनिया की की प्रसिद्ध पर्वत श्रृंखलाओं में से एक है।
  • भारत में कई छोटी-बड़ी नदियाँ बहती हैं। नदियों में गंगा, यमुना, ब्रह्मपुत्र, नर्मदा, गोदावरी, कावेरी आदि प्रमुख हैं। 
  • भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा झंडा है। तिरंगे में सबसे ऊपर केसरिया, बीच में सफेद और नीचे हरा रंग है। इसके बीच में अशोक चक्र बना हुआ है जिसमें 24 तीलियां हैं।
  • भारत का राष्ट्रीय प्रतीक सारनाथ में अशोक का सिंह स्तंभ है। इसके नीचे लिखा सत्यमेव जयते है जिसका अर्थ है सत्य की ही जीत होती है।
  • भारत का राष्ट्रगान जन गण मन है। राष्ट्रगान की रचना रवींद्रनाथ टैगोर ने की थी। राष्ट्रगान को गाने में 52 सेकेंड लगते हैं। 
  • भारत का राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम है जिसकी रचना बंकिम चंद्र चटर्जी के द्वारा की गई थी।

संसदीय प्रणाली वाली प्रभुता संपन्न समाजवादी धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य जिसमें 28 राज्य और 8 केंद्र शासित प्रदेश।

ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन (लगभग 1757-1947) के दौरान, ब्रिटिश भारतीय उपमहाद्वीप को “इंडिया” कहते थे। यह शब्द सिंधु नदी से लिया गया था, जो ब्रिटिश भारत की पश्चिमी सीमा को चिह्नित करती थी। ब्रिटिश औपनिवेशिक प्रशासन ने आधिकारिक नाम के रूप में “इंडिया” का इस्तेमाल किया।

दुनिया भर में भारत विविधता में एकता का प्रतिनिधि है। भारत विभिन्न संस्कृतियों, जातियों, पंथों, धर्मों की भूमि है; अनेक मतभेदों के बावजूद हम सौहार्दपूर्वक रहते हैं। भारतीय शांतिप्रिय हैं और संकट के समय लोगों की मदद के लिए आगे आते हैं। हम “अतिथि देवो भव” के आदर्श वाक्य में विश्वास करते हैं, जिसका अर्थ है कि हमारे मेहमान हमारे भगवान हैं और हमारे देश में आने वाले पर्यटकों के प्रति विशेष रूप से सहायक और दयालु हैं। हमारा देश एक जीवंत देश है जो मेहनती लोगों, समृद्ध वनस्पतियों और जीवों और एक अद्भुत विरासत का घर है। मेहनती नागरिकों का प्रमाण, भारत धीरे-धीरे और लगातार दुनिया की महाशक्तियों में से एक बन रहा है।

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बेरोजगारी पर निबन्ध | Essay on Unemployment in Hindi

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बेरोजगारी पर निबन्ध | Essay on Unemployment in Hindi!

संसार की अनेक प्रकार की समस्याओं (Problems) में बेरोजगारी भी एक बडी समस्या है । यदि यह कहा जाय कि बेरोजगारी ही अनेक पारिवारिक, व्यक्तिगत (Personal) तथा सामाजिक समस्याओं की जड़ है, तो गलत नहीं होगा ।

मानसिक बीमारियाँ (Mental Diseases) हों या पारिवारिक कलह (Tensions in a Family) अथवा समाज में हिंसा और आतंकवाद (Terrorism) आदि के पीछे अन्य कारणों के साथ-साथ बेरोजगारी का भी बहुत बड़ा हाथ है ।

बेरोजगारी का सबसे बड़ा कारण है औद्योगिक क्रांति (Industrial Revolution) के बाद सामाजिक ढाँचे (Social set up) में परिवर्तन । छोटे-छोटे हाथों का काम बड़ी-बड़ी मशीनों और कल-कारखानों ने ले लिया । महीनों का काम घंटों में होने लगा ।

उत्पादन (Production) बढ़ गया और अनेक लोगों को कल-कारखानों में काम करने का मौका भी मिला किन्तु सब लोगों को नहीं । पहले सब लोग अपना काम खुद करते थे और अपनी जरूरत की चीजें बना लेते थे । आज सब लोगों के लिए काम कुछ लोग करते हैं और आइ धकतर लोग बेकार हैं ।

बेरोजगारी के अन्य कारणों में प्रमुख है शिक्षा व्यवस्था का ठीक न होना । हमारे देश की शिक्षा व्यवस्था (Education system) पश्चिमी देशों के वातावरण (Environment of Western countries) पर आधारित है । हम ऐसी शिक्षा पाते हैं जो जीवन में हमारे काम आयेगी अ थवा नहीं, कहा नहीं जा सकता ।

ADVERTISEMENTS:

हम पढ़ते-लिखते इसलिए हैं कि हमें मेहनत न करनी पड़े और हम पढ़-लिखकर दूसरों पर राज करें । यह गलत धारणा (Wrong view) हमें आज की शिक्षा देती है । यह गलत शिक्षा हमें केवल स्कूल-कॉलेजों से ही नहीं बल्कि घर-परिवार, फिल्मों और टी.वी. चैनलों से भी मिलती है ।

जनसंख्या (Population) का आइ धक बढ़ जाना बेरोजगारी का एक अन्य कारण है । हर काम के लिए आज कोई न कोई मशीन है, दफ्तरों (Office) में क्लर्क तथा एकाउंटेन्ट का काम करने के लिए कम्प्यूटर हैं । इसलिए मानव के करने लायक आज काम अधिक नहीं बचे हैं । ऐसी स्थिति में जितनी जनसंख्या बढ़ेगी उतनी बेरोजगारी बढ़ेगी ।

3. निपटने के उपाय:

बेरोजगारी की समस्या से निपटने के लिए (In order to check the unemployment problem) आवश्यकता है कि जनसंख्या पर नियंत्रण (Control) रखने के साथ-साथ मशीनों की सख्या पर भी नियंत्रण रखा जाय और मशीनों तथा कम्प्यूटरों का प्रयोग वहीं किया जाय जहाँ मनुष्य अपनी शक्ति नहीं लगा सकता ।

साथ ही उपयोगी (Useful) ज्ञानदायक तथा स्वरोजगारोम्मुखी (Self employment oriented) शिक्षा मिलनी चाहिए । बेरोजगारी दूर करने के लिए लोगों के विचार बदलने होंगे तथा कुटीर उद्योगों (Cottage industries) को अधिक बढ़ावा देना होगा ।

4. उपसंहार :

बेरोजगारी किसी देश के लिए बहुत बड़ा कलंक है क्योंकि इसके कारण दूसरी समस्याओं के साथ-साथ देश के गुलाम हो जाने का खतरा भी रहता है । इसलिए सबसे पहले इस समस्या से निपटना जरूरी है ।

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  12. भारत और बेरोज़गारी

    यह एडिटोरियल 01/02/2022 को 'द हिंदू' में प्रकाशित "A Hazy Picture on Employment in India" लेख पर आधारित है। इसमें PLFS द्वारा प्रस्तुत रोज़गार संबंधी आँकड़ों और भारत में बेरोज़गारी ...

  13. Essay on Unemployment in Hindi

    Unemployment Essay in Hindi Language- Berojgari Essay in Hindi - बेरोजगारी पर निबंध: Paragraph & Short Essay on Unemployment in Hindi Language for students of all Classes in 100, 250, 300, 500 words.

  14. बेरोजगारी की समस्या पर निबंध

    Article shared by: ADVERTISEMENTS: बेरोजगारी की समस्या पर निबंध | Essay on Unemployment in Hindi! बेरोजगारी देश के सम्मुख एक प्रमुख समस्या है जो प्रगति के मार्ग को तेजी से ...

  15. बेरोजगारी पर निबंध 100, 150, 250, 500 शब्दों में

    बेरोजगारी पर निबंध 100, 150, 250, 500 शब्दों में | Unemployment Essay in Hindi. ByJiya Iman. आज हम आपके लिए बेरोजगारी पर निबंध लेकर आये हैं, आज बेरोजगारी की समस्या बेहद ...

  16. Essay on Unemployment in Hindi Language

    Find paragraphs, long and short essays on 'Unemployment' especially written for School Students and College Students in Hindi Language. List of Essays on Unemployment (बेरोजगारी पर निबंध)

  17. भारत में बेरोज़गारी

    बेरोज़गारी दर: पुरुषों में 6.6%, महिलाओं में 9.4% (जुलाई-सितंबर 2021 में 9.3% और 11.6%) थी।. श्रमिक-जनसंख्या अनुपात (Worker-Population Ratio- WPR): WPR को जनसंख्या में ...

  18. बेरोजगारी पर निबंध (Unemployment Essay In Hindi)

    बेरोजगारी पर निबंध (Unemployment Essay In Hindi) प्रस्तावना. भारत के कई समस्याओं में से एक है बेरोजगारी की समस्या। भारत कई वर्षो पहले आज़ाद हो गया था। लेकिन बेरोजगारी की ...

  19. बेकारी या बेरोजगारी की समस्या पर निबंध Essay on Unemployment in India Hindi

    आज के इस लेख मे हमने बेकारी या बेरोजगारी पर निबंध Essay on Unemployment in India Hindi लिखा है। इसमे हमने भारत मे बेरोजगारी की समस्या, इसके प्रभाव, कारण, समाधान के विषय मे पूरी ...

  20. भारत में बेरोजगारी की समस्या

    भारत में बेरोजगारी की समस्या | The Problem of Unemployment in India in Hindi! बेरोजगारी आधुनिक समाज की मुख्य समस्या बन गई है । हमारे देश में भी यह बुरी तरह से फैल गई है । यह एक गंभीर ...

  21. Unemployment Essay

    Unemployment is measured by the unemployment rate, defined as the number of people actively looking for a job as a percentage of the labour force. The unemployment rate for the year 2013-14 in rural India was 4.7%, whereas it was 5.5% for urban India. In the short term, unemployment significantly reduces a person's income and, in the long ...

  22. Essay on Unemployment Problem in India

    500 Words Essay on Unemployment Problem in India Introduction. Unemployment, a significant socio-economic issue, is a persistent problem in India. Despite the nation's rapid economic growth, job creation has not kept pace, leading to a high rate of unemployment. This essay explores the dimensions of the unemployment problem, its causes, and ...

  23. Unemployment in India

    India's Unemployment Rate: India's unemployment rate for individuals aged 15 and above has dropped to 3.1% in 2023, marking the lowest in the past three years. The unemployment rate was at 3.6% in 2022 and 4.2% in 2021. There is a decline in the unemployment rate among females to 3% in 2023 from 3.3% in 2022 and 3.4% in 2021.

  24. Essay on India in Hindi : छात्र ऐसे लिख सकते हैं हमारे देश भारत पर

    Essay on India in Hindi : भारत एक विविधतापूर्ण देश है जो अपनी समृद्ध ...

  25. बेरोजगारी पर निबन्ध

    Article shared by: बेरोजगारी पर निबन्ध | Essay on Unemployment in Hindi! 1. भूमिका: संसार की अनेक प्रकार की समस्याओं (Problems) में बेरोजगारी भी एक बडी समस्या है । यदि यह कहा ...