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राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा पर निबंध Essay on Tiranga Jhanda in Hindi

इस लेख में हमने राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा पर निबंध (Essay on Tiranga Jhanda in Hindi) बेहद सरल रूप में लिखा है। राष्ट्रीय ध्वज पर निबंध कक्षा 5 से कक्षा 12 तक परीक्षाओं में विभिन्न रूपों से पूछा जाता है।

इस निबंध में तिरंगे का इतिहास तथा महत्व और विशेषताओं को बेहद आकर्षक रूप से लिखा गया है और लेख के अंत में राष्ट्रीय ध्वज पर दस पंक्तियाँ इसलिए को और भी बेहतरीन बनाते हैं।

Table of Contents

प्रस्तावना (राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा पर निबंध Essay on Tiranga Jhanda in Hindi)

किसी भी देश का राष्ट्रीय ध्वज उस देश के लिए सम्मान तथा गर्व की बात होती है। हर आजाद देश का एक राष्ट्रीय ध्वज होता है, जो उसके स्वतंत्रता तथा सर्वसम्मति का प्रतीक होता है।

अंग्रेजी हुकूमत के समय भारत में ब्रिटेन का ध्वज ही चला करता था लेकिन स्वाधीनता संग्राम में राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे का जन्म हुआ। आजादी के बाद उसमें थोड़े बहुत परिवर्तन किए गए।

भारतवासियों के लिए राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा बेहद गर्व की बात है। एक सच्चा राष्ट्रवादी कभी भी तिरंगे का अपमान सहन नहीं कर सकता।

भारतीय संविधान के अनुसार तिरंगा यह देश की शान, प्रतिष्ठा तथा वैभव का प्रतीक है। इसका गौरव सदा ही बना रहे इसलिए हर किसी के लिए तिरंगे तथा देश का सम्मान करना अनिवार्य है।

संविधान के अनुसार राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा का स्पर्श कभी भी पानी और जमीन पर नहीं किया जाना चाहिए या किसी भी चीज को ढकने के लिए इसका प्रयोग बिल्कुल भी नहीं किया जाना चाहिए।

2005 से पहले तिरंगे वाला वस्त्र पहनने पर कठोर कार्यवाही होती थी लेकिन संशोधन के बाद तिरंगे की प्रति को वस्त्र के रूप में धारण करने की छूट दी गई।

भारतीय राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा को पूर्ण रूप से जारी करने में उस वक्त की कांग्रेस पार्टी में बहुत ही मतभेद थे। इसलिए लगभग 6 बार संशोधन के बाद तिरंगे को पूर्ण रूप से मान्यता दी गई।

भारतीय राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा का इतिहास History of Indian National Flag in Hindi

प्राचीन भारत से लेकर आधुनिक भारत तक हर काल में एक ध्वज हुआ करता था। प्राचीन भारत में जब हिंदू शासकों की बहुलता थी तब ध्वज के रूप में भगवे को पूजा जाता था।

भारतीय राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा को बनाने में राजनीतिक दलों में आपसी मतभेद बहुत ही ज्यादा थे। कोई चाहता था कि राष्ट्रीय ध्वज पूरी तरह से हरा हो तथा चांद तारे लगे हो। वहीं कुछ लोग चाहते थे कि भारतीय ध्वज पहले की तरह भगवा रंग का हो।

लेकिन कुछ बुद्धिमान व्यक्तियों के कारण ध्वज को तीन मुख्य भागों में बांट दिया गया जिसे भारत देश के शांतिप्रियता, विकास और कृषि का सूचक माना जाने लगा।

भारतीय इतिहास का सबसे पहला झंडा भगिनी निवेदिता द्वारा बनाया गया था। जिसे 1986 कांग्रेस अधिवेशन में कोलकाता में फहराया गया। इस झंडे को लाल पीली और हरी पट्टी से क्षैतिज पट्टी से बनाया गया था।

पहली पट्टी हरे रंग की थी जिस पर 8 कमल के फूल बने हुए थे। बीच वाली पट्टी पीली रंग की थी जिस पर वंदे मातरम लिखा हुआ था और आखिरी पट्टी हरे रंग की थी जिस पर चांद और सूरज बने हुए थे।

लेकिन बहुत ही जल्द इसे बदल कर ऊपरी पट्टी पर केसरिया रंग कर दिया गया और उस पर तारों के समूह को अंकित भी किया गया। जिसे सन 1907 में मैडम कामा और कुछ क्रांतिकारियों के द्वारा पेरिस में फहराया गया।

लगभग दस साल चलने के बाद इस ध्वज पर उस वक्त के कांग्रेस के कुछ नेताओं को आपत्ति होने लगी इसलिए उन्होंने इसके संशोधन की मांग की। इसलिए चौथी बार भारतीय ध्वज में संशोधन 1917 में हुआ।

इस बार के ध्वज पर 4 हरी पत्तियों को जोड़ा गया और ध्वज के कोने पर आधे चांद को छापा गया। जब भारत अंग्रेजों से संघर्ष कर रहा था तब डॉक्टर एनी बेसेंट और श्री लोकमान्य तिलक के द्वारा यह फहराया गया।

सन 1921 में अखिल भारतीय कांग्रेस सत्र के दौरान “पिंगली वेंकैया” नामक एक युवक महात्मा गांधी से मिला। उस युवक ने एक लाल और एक हरी पट्टी वाले ध्वज को गांधी जी को दिखाया। तो गांधी जी ने उसे सुझाव दिया की इसके बीच में सफेद रंग और चरखे को शामिल किया जाए।

गांधीजी का मानना था कि ध्वज में रहे लाल रंग को हिंदू आस्थाओं का प्रतीक और हरे रंग को मुस्लिम आस्थाओं के प्रतीक के रूप में शामिल किया जाए और बीच में रहे सफेद रंग दोनों को शांति व भाईचारे की सीख देते हैं।

राष्ट्रध्वज में पांचवा संशोधन सन् 1931 में हुआ। इस साल ही ध्वज को राष्ट्रीय ध्वज कह कर सम्मानित किया गया। जिसमें लाल रंग की जगह पर केसरिया सफेद और हरे रंग को महत्व दिया गया है। जिसके बीच में एक चरखा शामिल किया गया था। 

छठी बार तिरंगे का संशोधन सन 1947 में हुआ। जब कांग्रेस पार्टी ने अपने पार्टी सिंबल के रूप में तिरंगे पर के चरखे को हटाकर अशोक चक्र को शामिल किया। इस तरह उस ध्वज को राष्ट्रीय ध्वज के रूप में जाहिर किया।

  • महात्मा गांधी जी चरखे को हटाकर अशोक चक्र को शामिल करने से बेहद ही नाराज हुए। उन्होंने कहा कि मैं इस झंडे को कभी भी सलामी नहीं दूंगा।

राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा किसने बनाया था? Who Made Tiranga Jhanda?

भारत के राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा के निर्माण के लिए अनेक लोगों ने योगदान दिया था। भगिनी निवेदिता से लेकर मैडम एनी बेसेंट तक सभी ने एक बेहतर ध्वज देने की कोशिश की थी।

जब आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में एक कांग्रेस सम्मेलन हो रहा था तब पिंगली वेंकैया नामक व्यक्ति ने महात्मा गांधी को वर्तमान राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे के बारे में जानकारी दी थी।

महात्मा गांधी के आदेश पर पिंगली वेंकैया ने पहली पट्टी में लाल रंग को, बीच में सफेद रंग व एक चरखे को और आखिरी पंक्ति में हरे रंग को गढ़कर राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा का निर्माण किया था।

राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा के तीन रंग का महत्व The Importance of Tiranga Jhanda in Hindi

राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा में तीन रंगों का प्रयोग किया गया है। तीनों के ही अपनी विशेषता तथा महत्व है। ऊपर की सबसे पहली पट्टी में केसरी रंग को शामिल किया गया है।

सनातन संस्कृति में केसरी रंग को प्रकृति का सूचक माना गया है। सनातन ग्रंथ कहते हैं कि सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक आकाश का रंग केसरी होता है। छोटी से लेकर बड़ी सभी प्रकार की अग्नि का वास्तविक रंग केसरी ही होता है।

केसरी रंग को शौर्य तथा सात्विकता का प्रतीक माना जाता है। इसलिए सनातन संस्कृति में वस्त्र से लेकर वास्तु शास्त्र तक केसरी रंग को विशेष महत्व दिया गया है।

राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा के मध्य में सफेद रंग तथा अशोक चक्र को शामिल किया गया है। सफेद रंग को हर रंगों की उत्पत्ति का केंद्र माना जाता है। दूसरी और सफेद रंग को शांति तथा सहयोग का प्रतीक भी माना जाता है। बीच में रहे अशोक चक्र को विकास तथा एकता का प्रतीक माना जाता है।

ध्वज के आखिर में प्रयोग हुए हरे रंग को कृषि तथा प्रकृति प्रेम का प्रतीक माना जाता है। इसलिए राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे का महत्व बेहद ही अधिक है। 

भारतीय राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा में अशोक चक्र का महत्व और विशेषताएं Importance of Ashok Chakra in National Flag of India in Hindi

राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा में अशोक चक्र के महत्व तथा विशेषताएं बेहद ही अधिक है। सम्राट अशोक धर्म तथा न्याय की मूर्ति माने जाते थे। उनके शौर्य की गाथाएं दूर-दूर तक फैले हुए थे।

तिरंगा झंडा में अशोक चक्र को धर्म चक्र के रूप में भी शामिल किया जाता है। सम्राट अशोक भगवान बुद्ध के ज्ञान से बेहद प्रभावित थे इसलिए उन्होंने इस धर्म चक्र को अपने ध्वज में शामिल किया था।

अशोक चक्र के अपने दार्शनिक तथा आध्यात्मिक मायने हैं। लेकिन चरखे को आत्मनिर्भरता का प्रतीक माना जाता था। महात्मा गांधी चाहते थे कि इसके माध्यम से जन समुदाय को आत्मनिर्भर होने की सीख मिले।

डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने जब बौद्ध धर्म को अपनाया तब उनके साथ बहुत से लोगों ने बौद्ध धर्म का अनुसरण किया। उस वक्त कि कांग्रेस पार्टी ने वोट के रूप में उन सभी लोगों को अपने साथ लेने के लिए अवसर का फायदा उठाया और चरखे को बदलकर अशोक चक्र को राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा में शामिल कर लिया।

राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा पर 10 लाइन 10 Lines on Tiranga Jhanda in Hindi

  • अंग्रेजी हुकूमत के समय भारत में ब्रिटेन का ध्वज ही चला करता था लेकिन स्वाधीनता संग्राम में राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे का जन्म हुआ।
  • संविधान के अनुसार तिरंगे का स्पर्श कभी भी पानी और जमीन पर नहीं किया जाना चाहिए।
  • 2005 से पहले तिरंगे वाला वस्त्र पहनने पर कठोर कार्यवाही होती थी।
  • भारतीय इतिहास का सबसे पहला झंडा भगिनी निवेदिता द्वारा बनाया गया था।
  • दूसरा झंडा सन 1907 में मैडम कामा और कुछ क्रांतिकारियों के द्वारा पेरिस में फहराया गया।
  • सन 1917 में डॉक्टर एनी बेसेंट और श्री लोकमान्य तिलक के द्वारा तीसरी बार संशोधित ध्वज फहराया गया।
  • सन 1921 में अखिल भारतीय कांग्रेस सत्र के दौरान “पिंगली वेंकैया” नामक एक युवक ने तिरंगे का विचार महात्मा गांधी को बताया।
  • राष्ट्रध्वज में पांचवा संशोधन सन 1931 में हुआ। इस साल ही ध्वज को राष्ट्रीय ध्वज कह कर सम्मानित किया गया।
  • राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे में अशोक चक्र को धर्म चक्र के रूप में भी शामिल किया जाता है।

निष्कर्ष Conclusion

इस लेख में आपने राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा पर निबंध हिंदी में (Essay on Tiranga Jhanda in Hindi) पढ़ा। आशा है यह लेख आपके लिए सरल तथा मददगार साबित हुआ हो। अगर यह लेख आपको पसंद आया हो तो इसे शेयर जरूर करें।

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राष्ट्रीय ध्वज़ पर निबंध (National Flag Essay in Hindi)

राष्ट्रीय ध्वज़

किसी राष्ट्र का “राष्ट्रीय ध्वज” उस राष्ट्र के स्वतंत्रता का प्रतीक है। प्रत्येक स्वतंत्र राष्ट्र का एक अपना राष्ट्रीय ध्वज होता है। इसी प्रकार से हमारे देश का भी राष्ट्र ध्वज है, जिसे तिरंगा कहते हैं। भारत का राष्ट्रीय ध्वज, तिरंगा भारत का गौरव है और यह प्रत्येक भारतवासी के लिए बहुत महत्व रखता है। यह ज्यादातर राष्ट्रीय पर्व के अवसर पर तथा भारत के लिए गर्व के क्षणों में लहराया जाता है।

राष्ट्रीय ध्वज का महत्व पर 10 वाक्य || भारत के राष्ट्रीय ध्वज पर 10 वाक्य

राष्ट्रीय ध्वज पर छोटे-बड़े निबंध (Short and Long Essay on National Flag in Hindi, Rashtriya Dhwaj par Nibandh Hindi mein)

राष्ट्रीय ध्वज़ पर निबंध – 1 (250 – 300 शब्द).

राष्ट्रीय ध्वज देश की स्वतंत्रता का प्रतीक होता है। हमारे राष्ट्रीय ध्वज में, तीन रंग विद्यमान हैं, इसके वजह से इसका नाम तिरंगा रखा गया है। पहले के राष्ट्रध्वज संहिता के अनुसार केवल सरकार तथा उनके संगठन के माध्यम से ही राष्ट्र पर्व के अवसर पर ध्वज फहराने का प्रावधान था। परन्तु उद्योगपति जिन्दल के न्यायपालिका में अर्जी देने के बाद ध्वज संहिता में संशोधन लाया गया। कुछ निर्देशों के साथ निजी क्षेत्र, स्कूल, कार्यालयों आदि में ध्वज लहराने की अनुमति दी गई।

राष्ट्रध्वज की बनावट

इसकी प्रत्येक पट्टियां क्षैतिज आकार की होती हैं। सफेद पट्टी पर गहरे नीले रंग का अशोक चक्र अपनी 24 तीलियां के साथ तिरंगा की शोभा बढ़ा रहा है। जिसमें 12 तीलियां मनुष्य के अविद्या से दुःख तक तथा अन्य 12 अविद्या से निर्वाण (जन्म मृत्यु के चक्र से मुक्ति) का प्रतीक है। ध्वज की लम्बाई तथा चौड़ाई का अनुपात 3:2 है। राष्ट्रीय झंडा निर्दिष्टीकरण के अनुसार राष्ट्रध्वज हस्त निर्मित खादी कपड़े से ही बनाया जाना चाहिए।

राष्ट्रीय ध्वज में रंगों के मायने तथा महत्व

राष्ट्र ध्वज में तीन रंग सुशोभित हैं, इसकी अभिकल्पना स्वतंत्रता प्राप्ति के कुछ ही समय पूर्व पिंगली वैंकैया ने किया था। इसमें केसरिया, सफेद तथा हरे रंग का उपयोग किया गया है। इनके दार्शनिक तथा अध्यात्मिक दोनों ही मायने हैं।

केसरिया – भगवाँ मतलब वैराग्य, केसरिया रंग बलिदान तथा त्याग का प्रतीक है, साथ ही अध्यात्मिक दृष्टी से यह हिन्दु, बौद्ध तथा जैन जैसे अन्य धर्मों के लिए अस्था का प्रतीक है।

सफेद – शान्ति का प्रतीक है तथा दर्शन शास्त्र के अनुसार सफेद रंग स्वच्छता तथा ईमानदारी का प्रतीक है।

हरा – हरा रंग खुशहाली और प्रगति का प्रतीक है तथा हरा रंग बिमारीयों को दूर रखता है आखों को सुकून देता है व बेरेलियम तांबा और निकील जैसे कई तत्व इसमें पाए जाते हैं।

भारत का राष्ट्रध्वज देश का शान, गौरव तथा अभिमान होता है। इसकी अभिकल्पना महान पुरूषों द्वारा बहुत सोच समझ कर की गई है। जिसमें प्रत्येक रंग तथा चक्र देश की एकता, अखण्डता, विकास तथा खुशहाली को दर्शाता हैं।

Rashtriya Dhwaj par Nibandh – निबंध (400 शब्द)

“तिरंगा” नाम से ही जान पड़ता है, तीन रंगों वाला। हमारे राष्ट्रध्वज में तीन महत्वपूर्ण रंगों के साथ अशोक चक्र (धर्म चक्र) के रूप में तिरंगे की शोभा बनाए हुए हैं। इन सब के अपने- अपने अध्यात्मिक तथा दार्शनिक मायने है पर स्पष्ट रूप से बताया गया है की इसका कोई साम्प्रदायिक महत्व नहीं है। इस तिरंगे की शान में अनेक जान न्यौछावर हुए हैं। राष्ट्रध्वज के महत्व व उसकी गरिमा सदैव बनी रहे इस बात को मद्दे नज़र रखते हुए, तिरंगे के प्रदर्शन तथा प्रयोग पर विषेश नियंत्रण है।

भारतीय राष्ट्रध्वज संहिता

26 जनवरी 2002 को, स्वतंत्रता प्राप्ति के इतने वर्षों पश्चात् राष्ट्रध्वज संहिता में संशोधन किया गया। राष्ट्रध्वज संहिता से आशय भारतीय ध्वज फहराने तथा प्रयोग को लेकर बताए गए निर्देश से है। इस संशोधन में आम जनता को अपने घरों तथा कार्यालयों में साल के किसी दिन भी ध्वज को फहराने की अनुमति दी गई पर साथ में, ध्वज के सम्मान में कोई कमी न आये इस बात का भी ख़ास खयाल रखने का निर्देश दिया गया।

सुविधा की दृष्टी से भारतीय राष्ट्रध्वज संहिता को तीन भागों में बांटा गया है

पहले में, ध्वज के सम्मान की बात रखी गई। दुसरे भाग में, जनता निजी संस्थान तथा शैक्षिक संस्थान आदि द्वारा राष्ट्रध्वज के प्रदर्शन का विवरण दिया गया। तीसरे भाग में, केन्द्रीय तथा राज्य सरकार तथा उनके संगठनों को राष्ट्रध्वज के प्रयोग के विषय में जानकारी दी गई है।

राष्ट्रध्वज के सम्मान में

राष्ट्रध्वज की शान, प्रतिष्ठा, मान तथा गौरव सदा बनी रहे, इसलिए भारतीय कानून के अनुसार ध्वज को सदैव सम्मान के नज़र से देखना चाहिए, तथा झण्डे का स्पर्श कभी भी पानी और ज़मीन से नहीं होना चाहिए। मेज़पोश के रूप में, मंच, किसी आधारशिला या किसी मुर्ति को ढकने के लिए इसका प्रयोग नहीं किया जा सकता।

2005 से पूर्व तक इसका उपयोग किसी पोशाक तथा वर्दी के रूप में नहीं किया जा सकता था, पर 5 जुलाई 2005 के संशोधन के पश्चात से इसकी अनुमति दी गई। इसमें भी कमर के नीचे के कपड़े व रूमाल तथा तकिये के रूप में इसका उपयोग नहीं किया जा सकता है। झण्डा डुबाया नहीं जा सकता है, तथा जान-बूझकर उल्टा नहीं रखा जा सकता है। राष्ट्रध्वज को फहराना एक पूर्ण अधिकार है, पर इसका पालन संविधान के अनुच्छेद 51ए के अनुसार करना होगा।

उद्योगपति सांसद नवीन जिन्दल द्वारा कोर्ट में याचिका रखा गया। जिसमें आम नागरिक द्वारा झण्डे के फहराने की मांग कि गई। तथा 2005 में ध्वज संहिता में संशोधन कर निजी क्षेत्र, शैक्षिक संस्थान, कार्यालयों में झण्डे को फहराने की अनुमति दी गई। पर इसके साथ निर्देश द्वारा यह भी स्पष्ट किया गया की झण्डे का पूर्ण रूप से सम्मान किया जाए।

निबंध – 3 (500 शब्द)

सबसे पहले महात्मा गांधी ने 1921 में कांग्रेस के सम्मुख राष्ट्रीय ध्वज की बात रखी। पिंगली वैंकैया द्वारा स्वतंत्रता प्राप्ति के कुछ ही समय पूर्व ध्वज की अभिकल्पना की गई। 22 जुलाई 1947 के संविधान सभा बैठक में इसे अपनाया गया। राष्ट्रध्वज में तीन रंग सुशोभित है तथा मध्य में गहरे नीले रंग का चक्र 24 आरों के साथ विद्यमान हैं। इन सब का अपना- अपना विशेष मायने तथा महत्व है।

राष्ट्रध्वज का इतिहास

  • सबसे पहला झंडा 1906 में कांग्रेस के अधिवेशन में, पारसी बगान चौक (ग्रीन पार्क) कोलकत्ता में, फहराया गया। यह भगिनी निवेदिता द्वारा 1904 में बनाया गया था। इस ध्वज को लाल, पीला और हरा क्षैतिज पट्टी से बनाया गया, सबसे ऊपर हरी पट्टी पर आठ कमल के पुष्प थे, मध्य की पीली पट्टी पर वन्दे मातरम् लिखा था तथा सबसे आखरी के हरे पट्टी पर चाँद तथा सूरज सुशोभित थे।
  • दूसरा झण्डा 1907 पेरिस में, मैडम कामा तथा कुछ क्रांतिकारियों द्वारा फहराया गया। यह पूर्व ध्वज के समान था। बस इसमें सबसे ऊपर लाल के स्थान पर केसरिया रंग रखा गया। उस केसरिया रंग पर सात तारों के रूप में सप्तऋषि अंकित किया गया।
  • तीसरा झण्डा 1917 में , जब भारत का राजनैतिक संघर्ष नये पढ़ाव से गुज़र रहा था। घरेलु शासन आन्दोलन के समय पर डॉ एनी बेसेन्ट तथा लोकमान्य तिलक द्वारा यह फहराया गया। यह पाँच लाल तथा चार हरी क्षैतिज पट्टी के साथ बना हुआ था। जिसमें एक लाल पट्टी तथा फिर एक हरी पट्टी करके समस्त पट्टीयों को जुड़ा गया था। बाये से ऊपर की ओर एक छोर पर यूनियन जैक था, तथा उससे लग कर तिरछे में बायें से नीचे की ओर साप्तऋषि बनाया गया व एक कोने पर अर्ध चन्द्र था।
  • चौथा झण्डा तथा गाँधी का सुझाव 1921 में, अखिल भारतीय कांग्रेस सत्र के दौरान बेजवाड़ा (विजयवाड़ा) में, अन्द्रप्रदेश के एक युवक “पिंगली वैंकैया” ने लाल तथा हरे रंग की क्षैतिज पट्टी को झण्डे का रूप दिया। जिसमें लाल हिन्दु के आस्था का प्रतीक था और हरा मुस्लमानों का। महात्मा गाँधी ने सुझाव दिया इसमें अन्य धर्मों की भावनावों की कद्र करते हुए एक और रंग जोड़ा जाए तथा मध्य में चलता चरखा होना चाहिए।
  • पांचवा झंडा, स्वराज ध्वज 1931 झण्डे के इतिहास का सबसे महत्वपूर्ण वर्ष रहा। इस वर्ष में राष्ट्रीय ध्वज को अपनाने का प्रस्ताव रखा गया तथा राष्ट्रध्वज को मान्यता मिला। इसमें केसरिया, सफेद तथा हरे रंग को महत्व दिया गया जो की वर्तमान ध्वज का स्वरूप है, तथा मध्य में चरखा बनाया गया।
  • छठवां झंडा, तिरंगा को राष्ट्रध्वज के रूप में मान्यता 22 जुलाई 1947 को अन्ततः कांग्रेस पार्टी के झण्डे (तिरंगा) को राष्ट्र ध्वज के रूप में (वर्तमान ध्वज) को स्वीकार किया गया । केवल ध्वज में चलते हुए चरखे के स्थान पर सम्राट अशोक के धर्म चक्र को स्थान दिया गया।

तिरंगे का इतिहास स्वतंत्रता प्राप्ति से बहुत समय पूर्व प्रारम्भ हो गया था। जिसमें समय-समय पर सोच विचार कर संशोधन किए गए। यह सबसे पहले कांग्रेस पार्टी के ध्वज के रूप में था, पर 1947 में तिरंगे को राष्ट्रध्वज के रूप में अपनाया गया और यह प्रत्येक भारतीय के लिए गौरव का क्षण था।

राष्ट्रीय ध्वज पर निबंध 4 (600 शब्द)

झण्डे के अनेक संशोधन के पश्चात, 1947 में संविधान सभा के बैठक में, वर्तमान ध्वज को राष्ट्रध्वज के रूप में मान्यता दिया गया। इसे पिंगली वैंकैया ने डिज़ाइन किया था। प्रत्येक स्वतंत्र देश का एक अपना राष्ट्रध्वज होता है, जो उस देश का प्रतीक होता है।

माहात्मा गाँधी ने राष्ट्रध्वज के निर्माण में विषेश भूमिका निभाया, अतः उनके शब्दों में :

“ सभी राष्ट्र के लिए एक राष्ट्रध्वज होना अनिवार्य है। लाखों लोगों ने इस पर अपनी जान न्यौछावर की है। यह एक प्रकार की पूजा है, जिसे नष्ट करना पाप होगा। ध्वज एक आदर्श का प्रतिनिधित्व करता है। यूनियन जैक अंग्रेजों के मन में भावनाएं जगाता है जिसकी शक्ति को मापना कठिन है। अमेरिकी नागरिक के ध्वज पर बने सितारे और पट्टीयों का अर्थ उनकी दुनिया है। इस्लाम धर्म में सितारे और अर्ध चन्द्र का होना सर्वोत्तम वीरता का आवाहन करता है।”- महात्मा गाँधी

तिरंगे के उपलक्ष्य में

एक कहानी यह है की, महात्मा गाँधी ने झंडे पर चलते हुए चरखे का सुझाव दिया था। जो की सत्य है, पर चरखे के स्थान पर अशोक चक्र को चुना गया। जिससे गाँधी के मन को ठेस पहुंचा तथा उन्होंने कहा मैं इस झंडे को सलामी नहीं दुंगा।

“ध्वाजारोहड़” प्रत्येक भारतीय के लिए गौरव का क्षण

करीब 200 साल की गुलामी और अनेकों नौजवान द्वारा अपने प्राणों की आहुति देने के पश्चात 1947 में भारत को स्वतंत्रता प्राप्त हुआ। 15 अगस्त 1947 में लाल किले के प्राची से भारत के पहले प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू द्वारा ध्वज फहराया गया। ध्वज की शान प्रतिष्ठा तथा सम्मान को बनाए रखना हर भारतीय का कर्तव्य है।

  • विंग कमांडर राकेश शर्मा ने 1984 में, राष्ट्रध्वज को चांद पर लहराया।
  • राष्ट्रध्वज को लहराने का समय दिन में, सूर्योदय के बाद तथा सूर्यास्थ से पहले का है।
  • राष्ट्रध्वज निर्माण के लिए विषेश प्रकार से हाथ से काते गए खादी के वस्त्र का प्रयोग किया जाता है।
  • किसी राष्ट्रविभुति के निधन पर राष्ट्र शोक में कुछ समय के लिए तिरंगे को झुका दिया जाता है।
  • देश का संसद भवन एक मात्र ऐसा स्थान है जहां एक साथ तीन तिरंगे लहराये जाते है।
  • देश के लिए जान देने वाले महान पुरूषों के शव को तिरंगे में लपेटा जाता है जिसमें केसरिया सिर के ओर तथा हरा पैर के ओर रखा जाता है।
  • देश का सबसे ऊँचा झण्डा भारत पाकिस्तान के अटारी बोर्डर पर 360 फीट की ऊचाई पर लहराया गया है।
  • 21 फीट गुणा 14 फीट के झण्डे पूरे देश के केवल तीन किले पर फ़हराये जाते है, कार्नाटक का नारगुंड किला, मध्यप्रदेश के ग्वालियर में स्थित किला तथा महाराष्ट्र का पनहाल किला।
  • “फ्लैग कोड ऑफ इंडिया” भारतीय राष्ट्रध्वज संहिता में ध्वज से संबंधित कानून का विवरण किया गया है।
  • झंडे पर किसी भी प्रकार की आकृति का बनाना या लिखना दंडनीय अपराध है।
  • राष्ट्रपति भवन के संग्रालय में एक लघु तिरंगा रखा गया है, जिसका स्तम्भ सोने से निर्मित है तथा अन्य स्थान पर हीरे जवाहरात लगे हैं।
  • राष्ट्रध्वज के समीप किसी अन्य ध्वज को राष्ट्रध्वज के बराबरी में या उससे ऊँचा नहीं फहराया जा सकता।
  • वीरों की शव पर लपेटे गए तिरंगे को पुनः लहराया नहीं जा सकता, उसे जला दिया जाता है या पत्थर से बांध कर जल में डाल दिया जाता है आदि।

अनेक पढ़ाव को पार कर राष्ट्रध्वज तिरंगा आज भारत की शान है। राष्ट्रध्वज का अपमान देश का अपमान है अतः इसका दोषी दंड का पात्र है। ध्वज के अपमान किए जाने पर दंड स्वरूप तीन वर्ष की कैद तथा जुर्माने का प्रावधान है। राष्ट्रध्वज से संबंधित अनेक रोचक तथ्य तथा निर्देश है जैसे झंडे का प्रयोग कैसे करें, कैसे न करें, कब झंडे को झुकाया जाता है आदि, इन सभी उपदेशों का हम सबको गंभीरता से पालन करना चाहिए।

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जिस तरह हर देश का झंडा उसकी आन बान और शान होता है, उसी तरह हमारे देश का झंडा “तिरंगा” भी हमारी पहचान है। यह देश की एकता और अखंडता का प्रतीक है। हम सभी को अपने देश के झंडे का सम्मान करना चाहिये।

आम तौर पर कॉमनवेल्थ, ऐशियन, ओलम्पिक, क्रिकेट वर्ड कप, फ़ुटबाल वर्ड कप जैसे खेलो में सभी देशो के झंडे को लगाया जाता है। जब 2 देशो के खिलाड़ी खेलते है तो उनका स्कोर दिखाने के लिए भी झंडे का इलेक्ट्रनिक लोगो दिखाया जाता है।

विश्व के सभी देशो का अपनी अलग आकृति और रंगो वाला झंडा है। हमारे तिरंगे में 3 समानांतर रंगो वाली केसरिया, सफ़ेद और हरे रंग की पट्टियाँ हैं। इसकी लम्बाई चौड़ाई का प्रतीक 3:2 है। बीच वाली सफ़ेद पट्टी में नीले रंग का एक चक्र भी होता है जिसमे 24 तीलियाँ होती है। यह खादी कपड़े का बना होता है।

जब विदेशी प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, उच्च अधिकारी, राजदूत हमारे देश में आते है तो उनकी कारो पर उनके देश के झंडे बने होते है। इसलिए झंडा किसी भी देश की पहचान होता है। हमारे देश में तिरंगा सभी सरकारी इमारतों पर फहराया जाता है। राष्ट्रीय पर्व जैसे गणतंत्र दिवस (26 जनवरी) , स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त), गांधी जयंती (2 अक्टूबर) के दिन लोग इसे अपने घरो में भी फहरा सकते हैं।

यह भी पढ़ें :  भारत के झंडे तिरंगा के विषय में तथ्य

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भारत के राष्ट्रीय ध्वज का इतिहास  HISTORY OF INDIAN NATIONAL FLAG

पहले राष्ट्रीय ध्वज को स्वामी विवेकानंद की शिष्य भगिनी निवेदिता ने 1904 में डिजायन किया था। दूसरे ध्वज को मैडम कामा और उनके साथी क्रांतिकारियों ने 1907 में बनाया था। तीसरे राष्ट्रीय ध्वज को डॉ ऐनी बेसेंट और लोकमान्य तिलक ने 1917 में बनाया था। चौथे राष्ट्रीय ध्वज को आंद्रप्रदेश के युवक पिंगली वेंकैया नामक युवक ने बनाया था।

गांधी जी ने 1921 में सबसे पहले कांग्रेस पार्टी के लिए झंडे का विचार रखा था। इस झंडे को डिजायन पिंगली वेंकैया ने किया था। इसमें 2 रंग और एक चक्र था। लाल रंग हिंदू धर्म को प्रदर्शित करता था। हरा रंग मुस्लिम धर्म को प्रदर्शित करता था।

बाद में इस झंडे को परिवर्तित कर दिया गया और बीच में एक सफ़ेद पट्टी जोड़ दी गयी जो अन्य धर्मों को प्रदर्शित करती थी। 1947 से कुछ दिन पहले इसी झंडे के चक्र को बदलकर अशोक का चक्र लगा दिया गया। वर्तमान राष्ट्रीय ध्वज को 22 जुलाई 1947 को संविधान सभा ने देश के राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया था।

1968 में भारतीय मानक ब्यूरो ने राष्ट्रीय झंडे के लिए कुछ नियम बनाये थे। केवल खादी या हाथ से बनाये गये खादी कपड़े से ही झंडा बनाया जाता है। बनने के बाद इसे कई बार टेस्ट किया जाता है।

“हुबली” मात्र एक ऐसा संस्थान है जिसके पास झंडा बनाने का लाइसेंस है। यही संस्था पूरे देश की दुकानों पर झंडा की सप्लाई करती है। तिरंगे की कल्पना पिंगली वेंकैया नामक व्यक्ति ने की थी। इसे 22 जुलाई 1947 के दिन अपनाया गया था।

भारत के राष्ट्रीय ध्वज का महत्व  IMPORTANCE OF INDIAN NATONAL FLAG

इसमें केसरिया रंग हिन्दुओं के लिए और हरा रंग मुस्लिमो के लिए है। केसरिया रंग को साहस और शक्ति का प्रतीक भी माना जाता है। सफ़ेद रंग शांति और सत्य का प्रतीक है। हरा रंग ऊर्वरता, हरियाली, वृद्धि, सम्पन्नता और भूमि की पवित्रता को दिखाता है।

अन्य धर्मों के लिए सफ़ेद रंग है। पहले इसमें सफ़ेद धारी में चरखा होता था पर बाद में इसे बदलकर अशोक चक्र कर दिया गया। यह धर्म चक्र है जो सम्राट अशोक द्वारा बनाये गये सारनाथ की लाट से लिया गया है। चक्र में 24 तीलियाँ समय के 24 घंटो को दर्शाती हैं।

राष्ट्रीय झंडे को फहराने के नियम  RULES TO HOST INDIAN NATIONAL FLAG

तिरंगे झंडे को फहराने के नियम इस प्रकार है-

  • इसे स्कूल, कॉलेज, अन्य शैक्षिक संस्थाओं में सम्मान के साथ फहराया जा सकता है।
  • निजी संस्थाये इसे सम्मान के साथ अपनी इमारत और परिसर में फहरा सकती हैं।
  • देश के सभी नागरिक अपने घरो और परिसरों में राष्ट्रीय ध्वज सम्मान के साथ फहरा सकतें है।
  • तिरंगे झंडे को वस्त्रों, पर्दों, कपड़ों के तौर पर नही इस्तेमाल कर सकतें हैं। इससे किसी भी तरह का साम्प्रदायिक लाभ नही ले सकते हैं।
  • इसे सूर्योदय से सूर्यास्त तक फहराया जा सकता हैं।
  • राष्ट्रीय ध्वज को जमीन पर नही रख सकते हैं। इसे घर के कामो में इस्तेमाल नही कर सकतें है, पानी से स्पर्श नही कराना है, रेल, वायुयान, प्राइवेट या सरकारी किसी वाहन पर नही लपेटा जा सकता है।
  • 2002 से पूर्व इसे देश की आम जनता सिर्फ राष्ट्रीय पर्वों के दिन फहरा सकती थी।
  • झंडे को बुरी और गंदी स्तिथि में लगाना भी मना है। इसका रख रखाव अच्छी तरह से होना चाहिये। दीवार पर लगाने का नियम है कि केसरिया रंग उपर होना चाहिये।
  • यदि 2 झंडे एक साथ लगाना है तो उलटी दिशा में लगाना चाहिये।
  • देश के झंडे को घर में बंद कमरे में लगा सकते है। किसी मीटिंग या सम्मेलन, कार्यक्रम में घर के अंदर फहरा सकते हैं।
  • यदि किसी जुलूस में झंडा लगाया जा रहा है तो बीच में या दाई ओर लगाना चाहिये। इसका हमेशा ही सम्मान होना चाहिये।
  • वाहनों पर राष्ट्रीय ध्वज को लगाने की परमीशन दी गयी है। राष्ट्रपति, प्रधानमन्त्री, राज्यपाल, मुख्यमंत्री, मन्त्रीमंडल के सदस्य, सांसद, विधायक, न्यायधीश, जल-थल-वायु सेना के अधिकारी अपने वाहनों/कारों पर राष्ट्रीय ध्वज लगा सकते हैं।
  • राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री की मृत्यु पर झंडा आधा झुका होना चाहिये।

निष्कर्ष Conclusion

यह तिरंगा झंडा हमारे गौरवशाली अतीत को दिखाता है। देश का इतिहास, सभ्यता, स्वतंत्रता संघर्ष, सांस्कृतिक विरासित का प्रतीक है। यह झंडा हमारी आजादी का प्रतीक है। हमे सदैव ही इसका सम्मान करना चाहिये।

कुछ असामाजिक तत्व कई बार राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करके देश को नीचा दिखाने की कोशिश करते है। ऐसे लोगो के खिलाफ दंड का नियम बनाना चाहिये। ये लेख आपको कैसा लगा, हमे जरुर बतायें।

1 thought on “भारत का झंडा तिरंगा पर निबंध Essay on Indian National Flag Tiranga in Hindi”

A very good knowledge for all of us

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तिरंगे पर निबंध

दहेज प्रथा पर निबंध

पृथ्वी पर जितने भी देश में उन सब देश का अपना-अपना राष्ट्रीय ध्वज है। राष्ट्रीय ध्वज वह होता है, जो उस देश का प्रतीक और शान को दर्शाता है। ऐसे ही हमारे देश भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा है, जो हमारे देश को दर्शाता है। हमारे ध्वज में मुख्यता 3 रंग होते हैं सबसे ऊपर केसरिया रंग होता है और बीच में सफेद रंग होता है और नीचे हरा रंग होता है। 15 अगस्त 1947 में को हमारा देश आजाद हुआ था। तब से लेकर आज तक हम 15 अगस्त को स्वतंत्र दिवस के रूप में मानते है। आज हम इस लेख में तिरंगे पर निबंध लिखेंगे।

भारतीय राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा का इतिहास

प्राचीन भारत से लेकर आधुनिक भारत तक हर काल में एक ध्वज हुआ करता था। प्राचीन भारत में हिंदू शासकों का दवदबा रहता है, उस दौरान ध्वज के रूप में भगवे को पूजा जाता था। हमारे ध्वज को 3 मुख्य भागों में बांट दिया गया है, जिसे भारत देश के शांति प्रियता, विकास और कृषि का सूचक माना जाने लगा। बता दें, भारतीय इतिहास का सबसे पहला झंडा भगिनी निवेदिता द्वारा बनाया गया था। जिसे 1986 कांग्रेस अधिवेशन में कोलकाता में फहराया गया। इस झंडे को लाल पीली और हरी पट्टी से क्षेतिज पट्टी से बनाया गया था। साल 1917 में ध्वज पर 4 हरी पत्तियों को जोड़ा गया और ध्वज के कोने पर आधे चांद को छापा गया। इस वक्त भारत अंग्रेजों से संघर्ष कर रहा था तब डॉक्टर एनी बेसेंट और श्री लोकमान्य तिलक के द्वारा यह फहराया गया था। राष्ट्रध्वज में पांचवा संशोधन सन् 1931 में हुआ। इस साल ही ध्वज को राष्ट्रीय ध्वज कह कर सम्मानित किया गया। जिसमें लाल रंग की जगह पर केसरिया सफेद और हरे रंग को महत्व दिया गया है। जिसके बीच में एक चरखा शामिल किया गया था।

छठी बार तिरंगे का संशोधन सन 1947 में हुआ। जब कांग्रेस पार्टी ने अपने पार्टी सिंबल के रूप में तिरंगे पर के चरखे को हटाकर अशोक चक्र को शामिल किया। इस तरह उस ध्वज को राष्ट्रीय ध्वज के रूप में जाहिर किया। महात्मा गांधी जी चरखे को हटाकर अशोक चक्र को शामिल करने से बेहद ही नाराज हुए। उन्होंने कहा कि मैं इस झंडे को कभी भी सलामी नहीं दूंगा।

राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा किसने बनाया था?

भारत के राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा के निर्माण के लिए अनेक लोगों ने योगदान दिया था। भगिनी निवेदिता से लेकर मैडम एनी बेसेंट तक सभी ने एक बेहतर ध्वज देने की कोशिश की थी। बता दें, जब आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में एक कांग्रेस सम्मेलन हो रहा था, उस वक्त पिंगली वेंकैया ने महात्मा गांधी को वर्तमान राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे के बारे में जानकारी दी थी। महात्मा गांधी के आदेश पर पिंगली वेंकैया ने पहली पट्टी में लाल रंग को, बीच में सफेद रंग और एक चरखे को और आखिरी पंक्ति में हरे रंग को गढ़कर राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा का निर्माण किया था।

भारतीय ध्वज में अशोक चक्र का महत्व और विशेषताएं

राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा में अशोक चक्र के महत्व और विशेषताएं बेहद ही अधिक है। सम्राट अशोक धर्म और न्याय की मूर्ति माने जाते थे। उनके शौर्य की गाथाएं दूर-दूर तक फैली हुई थी। तिरंगा झंडा में अशोक चक्र को धर्म चक्र के रूप में भी शामिल किया जाता है। सम्राट अशोक भगवान बुद्ध के ज्ञान से बेहद प्रभावित थे इसलिए उन्होंने इस धर्म चक्र को अपने ध्वज में शामिल किया था।

भारतीय राष्ट्रीय ध्वज का कोड

भारत के नागरिकों से अपेक्षा की जाती है कि वे देश के राष्ट्रीय ध्वज के सम्मान और सम्मान को बनाए रखें।

खादी या फिर हाथ से काते गए कपड़े के अलावा किसी भी सामग्री से बने तिरंगा फहराना कानूनन दंडनीय है।

ध्वज को हमेशा ऊंचा रखना चाहिए और किसी भी चीज से पहले नीचे नहीं उतारा जाना चाहिए। तिरंगे के ऊपर कोई दूसरा झंडा नहीं लगाया जा सकता है और न ही इसे अपने दाईं ओर रखा जा सकता है। जब भी झंडा किसी हिलते हुए स्तंभ में होता है, तो उपस्थित लोगों को ध्यान की स्थिति में खड़ा होना चाहिए और नमस्कार करके सम्मान देना चाहिए जब यह उनके पास से निकलता है।

शोक व्यक्त करने के लिए ध्वज को आधे मस्तूल पर फहराया जाना चाहिए। राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की ड्यूटी अवधि के दौरान मृत्यु के मामले में इसे पूरे देश में आधा मस्तूल दिया जाता है।

तिरंगा हमारा गौरव है। तिरंगे की गरिमा को हमेशा बनाए रखना चाहिए, चाहे यह हमारे जीवन की कीमत पर हो। देश का इतिहास, सभ्यता, स्वतंत्रता संघर्ष, सांस्कृतिक विरासित का प्रतीक है। यह झंडा हमारी आजादी का प्रतीक है। हमें सदैव ही इसका सम्मान करना चाहिए।

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हर घर तिरंगा पर निबंध

Har Ghar Tiranga Essay in Hindi: हर घर तिरंगा अभियान देश की आजादी के 75वीं वर्षगांठ के उपलक्ष में चलाया जा रहा है, जिसमें सभी देशवासी बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं।

इस अभियान के तहत देश के कोने-कोने से सभी जाति, धर्म, संप्रदाय एवं समूह के लोग जुट रहे हैं। तिरंगा हमारा राष्ट्रीय ध्वज है, हमारे देश का राष्ट्रीय ध्वज है, जिसे स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष में फहराया जाता है।

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हर घर तिरंगा अभियान का अर्थ प्रत्येक घर पर तिरंगा झंडा लहराना है। इस अभियान के तहत लोग अपने घरों पर तिरंगा झंडा लहरा रहे हैं।

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हर घर तिरंगा पर निबंध (Har Ghar Tiranga Essay in Hindi)

हर घर तिरंगा अभियान को आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत चलाया जा रहा है। इस वर्ष 15 अगस्त को हमारा देश अंग्रेजों से आजाद हुए 75 वर्ष गये है। वर्ष 1947 में 15 अगस्त के दिन हमारा देश अंग्रेजों से आजाद हुआ था।

जिसके बाद हर वर्ष 15 अगस्त के दिन भारत में हर्षोल्लास के साथ स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है, जिसके अंतर्गत ध्वजारोहण, परेड, सांस्कृतिक कार्यक्रम तथा वीर जवानों को याद किया जाता है, जिन्होंने देश की स्वतंत्रता के लिए अपना बलिदान दे दिया था।

यहां पर अलग-अलग शब्द सीमा में हर घर तिरंगा निबंध (Har Ghar Tiranga Par Nibandh) उपलब्ध किया है। यह निबन्ध हर कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए मददगार है।

हर घर तिरंगा पर निबंध (150 शब्द)

हर घर तिरंगा अभियान को भारत सरकार ने आगामी 15 अगस्त तक आजादी के अमृत महोत्सव के तहत शुरू किया है। इस अभियान के अंतर्गत लोगों को अपने घरों पर झंडा फहराने की पेशकश भारत सरकार द्वारा की गई है।

15 अगस्त को हमारा देश ने आजादी की 75 वीं वर्षगांठ मनाई। इस उपलक्ष में भारत सरकार की तरफ से आजादी का अमृत महोत्सव अभियान चलाया जा रहा है, जिसमें सभी देशवासी बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं।

अंग्रेजों से मिली आजादी का महत्व उस समय के लोग भली-भांति जानते हैं, लेकिन जिन लोगों ने ब्रिटिश कालीन भारत या गुलामी नहीं देखी है, उन्हें आजादी का महत्व पता होना चाहिए।

इसी उपलक्ष में हर वर्ष 15 अगस्त मनाई जाती है। लेकिन भारत सरकार ने इस आगामी 15 अगस्त को देश के प्रत्येक घरों पर तिरंगा झंडा लहराने के लिए देशवासियों से पेशकश की है।

भारत सरकार ने आगामी 15 अगस्त को भारत में 75 वें स्वतंत्रता दिवस की वर्षगांठ के उपलक्ष में आजादी का अमृत महोत्सव अभियान चलाया है, जिससे सभी देशवासियों को “हर घर तिरंगा” मुहिम के जरिए आजादी की महत्वता पता चल सके।

Har Ghar Tiranga Essay in Hindi

हर घर तिरंगा पर निबंध (250 शब्द)

इस वर्ष 15 अगस्त 2022 को भारत को अंग्रेजों से आजादी मिले हुए पूरे 75 वर्ष हुए, इसलिए हमारे देश के प्रधानमंत्री श्रीमान नरेंद्र मोदी ने भारत की आजादी के 75वी वर्षगांठ के उपलक्ष में एक बहुत बड़े पैमाने पर स्वतंत्रता मुहिम को आयोजित किया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में वर्तमान समय में संपूर्ण देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त के दिन भारत को 75 वर्ष स्वतंत्रता की दृष्टि से पूर्ण होने के उपलक्ष्य में आजादी का अमृत महोत्सव अभियान चलाया जा रहा है।

हर घर तिरंगा मुहिम को आजादी के अमृत महोत्सव यानी भारतीय स्वतंत्रता के 75वी वर्षगांठ पूर्ण होने के उपलक्ष्य में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दिशा निर्देश अनुसार केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुरू की है।

इस मुहिम का उद्देश्य भारत के लोगों को आजादी का मूल अर्थ तथा स्वतंत्रता का महत्व समझाना है। इस मुहिम के अंतर्गत लोगों को पता चलेगा कि भारत ने किस कठिनाई परिस्थिति और हालातों के आधार पर अंग्रेजों से स्वतंत्रता प्राप्त की तथा अंग्रेजों की गुलामी के अंतर्गत उन्होंने कौन-कौन से दिन देखे थे?

वर्तमान समय में पूरा देश आजादी का अमृत महोत्सव मनाने के लिए उत्साहित हैं। क्योंकि हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं देशवासियों को इस अभियान का हिस्सा बनने के लिए आमंत्रित किया है।

इस अभियान के जरिए भारत सरकार ने हर घर तिरंगा मुहिम छेड़ी है। इस मुहिम के जरिए देश के सभी नागरिकों को अपने घर की छत पर तिरंगा झंडा लहराना है, जिससे आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत भारत के आजादी की 75वीं वर्षगांठ के दिवस पर देश का एक अद्भुत नजारा देखने को मिले।

हर घर तिरंगा पर निबंध (500 शब्द)

राष्ट्रीय ध्वज से उस देश की पहचान की जाती है। क्योंकि राष्ट्रीय ध्वज ही उस देश का प्रतीक होता है, जिसे यह पता लगाया जाता है कि उस देश का अतीत क्या है, उस देश का वर्तमान क्या है और देश का भविष्य क्या है।

किसी भी देश को उसके राष्ट्रीय ध्वज से ही पहचाना जाता है। इसीलिए भारत सरकार ने आगामी 15 अगस्त के लिए आजादी का अमृत महोत्सव अभियान के अंतर्गत हर घर तिरंगा मुहिम को शुरू किया है, जिसके अंतर्गत सभी भारत वासियों को अपने घर की छत पर तिरंगा झंडा लगाना है।

इससे हमारे देश के राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे को भी सम्मान मिलेगा और दुनिया में हमारे राष्ट्रीय ध्वज की एक अलग पहचान बन जाएगी।

हर घर तिरंगा

बड़े पैमाने पर हमारे देश का राष्ट्रीय ध्वज लहराता हुआ देख हम सबको गौरवान्वित महसूस होगा। इसी के उपलक्ष में  भारत के संपूर्ण नागरिक को आजादी का अर्थ एवं भारतीय झंडे की महत्वता का मूल उद्देश्य जानने के लिए बड़े पैमाने पर सरकार ने हर घर तिरंगा अभियान जारी किया है।

इस अभियान के अंतर्गत सरकार ने कई तरह के कार्यक्रम तय किए हैं, जो आगामी 15 अगस्त के दिन होने वाले हैं।

15 अगस्त से पहले देश के कोने कोने में बड़े पैमाने पर आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत कार्यक्रम होंगे, जिसमें देश के बड़े-बड़े नेता भाग लेंगे। क्योंकि आगामी 15 अगस्त को हमारा देश अंग्रेजों से स्वतंत्रता प्राप्त किए हुए 75वीं वर्षगांठ मनाने को तैयार हैं।

भारत सरकार की इस अभियान को बड़े पैमाने पर आयोजित करवा रही है, जिसे देश के सभी जाति, धर्म, वर्ग, संप्रदाय, समूह, महिलाएं, पुरुष, बच्चे‌ एवं बुजुर्ग इत्यादि सभी का भरपूर सहयोग मिल रहा है।

वर्तमान समय में संपूर्ण देश में हर जगह प्रत्येक व्यक्ति के जुबां पर “आजादी का अमृत महोत्सव तथा हर घर तिरंगा” नाम सुनने को मिलता है।

हर घर तिरंगा अभियान

भारत सरकार ने सभी देशवासियों से आग्रह किया है कि वे अपने घर पर तिरंगा झंडा लगाएं। 15 अगस्त तक सभी लोग अपने घर की छतों पर तिरंगा झंडा लहरा कर रखें।

हम सोच सकते हैं कि जब भारत के लगभग 150 करोड़ लोगों के घरों पर तिरंगा झंडा लहराता होगा, तो उस समय कैसा दृश्य नजर आता होगा। इसी दृश्य को देखने के लिए भारत सरकार ने आजादी का अमृत महोत्सव के अंतर्गत हर घर तिरंगा मुहिम छेड़ी है।

इस अभियान का हिस्सा बनकर आप भी अपने घरों पर तिरंगा झंडा लहराए। भारत सरकार इस अभियान को बढ़-चढ़कर प्रमोट कर रही है क्योंकि इससे लोगों को भारत के राष्ट्रीय ध्वज की महत्वता का पता चलेगा।

इस वर्ष 15 अगस्त 2022 को हमारा देश धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ स्वतंत्रता दिवस मनाया गया। उस दिन भारत की आजादी के 75 वर्ष पूर्ण हुए।

इसी उपलक्ष में हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार ने इस आजादी के उत्सव को बड़े पैमाने पर आयोजित करवाने के लिए इसे महोत्सव के आधार पर आजादी का अमृत महोत्सव अभियान शुरू किया है।

इस अभियान के अंतर्गत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश के गृहमंत्री श्रीमान अमित शाह ने हर घर तिरंगा अभियान को शुरू किया है। लोगों को अपने घर की छतों पर तिरंगा झंडा लहराना है, हमारे देश की ताकत और झंडे का सम्मान बढ़ाना है।

हर घर तिरंगा पर निबंध (850 शब्द)

तिरंगा झंडा भारत का राष्ट्रीय ध्वज है, जिसे भारत की शान माना जाता है। राष्ट्रीय ध्वज किसी भी देश के लिए बड़े सम्मान की बात होती है।

क्योंकि देश के सैनिक शहीद होने पर तथा देश के बड़े-बड़े नेता शहीद होने पर राष्ट्रीय ध्वज को झुकाया जाता है और उस ध्वज के अंदर ही देश के लिए समर्पित लोगों को लपेट कर अंतिम संस्कार के जाता है।‌ इस बात से आप किसी भी देश का राष्ट्रीय दिवस का महत्व जान सकते हैं।

इसी महत्व को बरकरार रखने के लिए तथा देश के प्रत्येक व्यक्ति को हमारे भारत के राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे झंडे का महत्त्व जानने के लिए भारत सरकार ने एक अभियान और एक मुहिम छेड़ी है, जिसकी वर्तमान समय में पूरे देश में काफी चर्चा देखने को मिलती है। भारत सरकार ने “हर घर तिरंगा” मुहिम को बड़े पैमाने पर शुरू किया है।

हर घर तिरंगा यानी प्रत्येक घर पर भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा लहराना। इस मुहिम को बड़े पैमाने पर शुरू किया गया है। इसीलिए इसे हर घर तिरंगा अभियान कहा जाता है।

आसान भाषा में कहें तो भारत सरकार ने देश के प्रत्येक घर पर लोगों को तिरंगा झंडा लगाने के लिए कहा है। भारत सरकार ने हर घर तिरंगा अभियान नाम से एक अभियान जारी किया है, जिसके अंतर्गत लोगों को तिरंगे झंडे का महत्व बताना है।

भारत सरकार आगामी 15 अगस्त को भारत का एक बेहतरीन दृश्य देखना चाहती है तथा संपूर्ण भारत वासियों को आने वाली 15 अगस्त के दिन देश का एक अद्भुत और मन भावना दृश्य दिखाना चाहती है।

इस मुहिम का हिस्सा बनने वाले लोग अपने नाम का “हर घर तिरंगा सर्टिफिकेट” सरकार की ऑफिशियल वेबसाइट से डाउनलोड कर सकते हैं।

तिरंगे झंडे का महत्व

हमारे राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे झंडे में तीन रंग है। पहला केसरिया रंग, दूसरा सफेद रंग और तीसरा हरा रग। इन तीनों ही रंग का अलग अलग महत्व है।

हमारे तिरंगे झंडे में सबसे पहला केसरिया रंग हमें बलिदान का अनुभव करवाता है क्योंकि केसरिया रंग बलिदान का प्रतीक है। जबकि तिरंगे झंडे में दूसरा सफेद रंग शांति का प्रतीक है। जबकि तीसरा हरा रंग हरियाली का प्रतीक है।

हमारा देश एक कृषि प्रधान देश है, इसीलिए हरे रंग को विशेष महत्वता दी जाती है। आसान भाषा में कहें तो हमारा देश खेती-बाड़ी से ही चलता है। हमारे देश में बड़े पैमाने पर खेती की जाती है, जिससे हमारे देश की अर्थव्यवस्था चलती है।

इसीलिए तिरंगे झंडे में इन तीन विशेष रंगों को शामिल किया गया है, जो हमें हर समय बलिदान शांति और हरियाली का महत्व समझाता है।

आजादी का अमृत महोत्सव

15 अगस्त 1947 को हमारा देश अंग्रेजों से 200 वर्षो की गुलामी के बाद आजाद हुआ था, जिसके बाद हर वर्ष 15 अगस्त के दिन आजादी का उत्सव संपूर्ण देश में धूमधाम तथा हर्षोल्लास से मनाया जाता है।

इसी कड़ी में इस वर्ष 15 अगस्त 2022 को हमें अंग्रेजों से आजाद हुए पूरे 75 वर्ष हुए। इसी के उपलक्ष में आजादी की 75वी वर्षगांठ के मध्य नजर भारत सरकार इस बार आजादी के उत्सव को बड़े पैमाने पर महोत्सव के रूप में मनाना चाहती है।

इसीलिए भारत सरकार ने आगामी 15 अगस्त को होने वाले आजादी के महोत्सव की तैयारियां और इसके अंतर्गत होने वाले कार्यक्रम को “आजादी का अमृत महोत्सव” नाम दिया है।

आजादी का अमृत महोत्सव बड़े पैमाने पर आयोजित किया जा रहा है, जिसे लगभग 15 अगस्त से 1 महीने पहले ही शुरू कर दिया गया।

देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्रीमान नरेंद्र मोदी ने देश की आजादी के 75 वर्ष गांठ को यादगार बनाने के लिए तथा देश के लोगों को आजादी का असली अर्थ बताने के लिए आजादी का अमृत महोत्सव नाम का यह अभियान शुरू किया है।

इसके अंतर्गत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने “हर घर तिरंगा अभियान” की शुरुआत की है। हर घर तिरंगा अभियान यानी कि प्रत्येक घर पर तिरंगा झंडा लहराना। इस मुहिम को बड़े पैमाने पर शुरू किया गया है। इसीलिए हर घर तिरंगा की मुहिम अभियान बन चुका है।

हर घर तिरंगा अभियान का उद्देश्य

भारत सरकार द्वारा चलाए जा रहे हर घर तिरंगा अभियान के अंतर्गत लोगों का उत्साह चरम पर है। लोग इस अभियान के अंतर्गत अपने घरों पर तिरंगा झंडा लहरा रहे हैं।

सोशल मीडिया पर भी इस अभियान के तहत लोग अपनी सकारात्मक प्रतिक्रिया दे रहे हैं। भारत सरकार ने आजादी का अमृत महोत्सव के अंतर्गत हर घर तिरंगा अभियान को जारी किया है।

यह अभियान भारत में बड़े पैमाने पर चल रहा है, जो आगामी 15 अगस्त को आजादी की 75 वीं वर्षगांठ मनाने के बाद समाप्त हो जाएगा। इसका उद्देश्य लोगों को आजादी का अर्थ पता करना तथा तिरंगे झंडे का महत्व जानना है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को संबोधित करते हुए सभी देशवासियों से अपील की है, कि वे अपने सभी सोशल मीडिया अकाउंट पर तिरंगा झंडा की फोटो लगा दें। यानी कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपने अकाउंट की डीपी चेंज करके तिरंगा झंडा लगाएं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने सभी सोशल मीडिया अकाउंट जैसे– इंस्टाग्राम, फेसबुक, ट्विटर, टेलीग्राम, इत्यादि पर अपने अकाउंट की प्रोफाइल फोटो को चेंज करके भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा झंडा लगा दिया है।

देखते ही देखते लोगों ने प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन पर चलकर सोशल मीडिया पर अपने सभी अकाउंट की प्रोफाइल फोटो को तिरंगे में बदल दिया है।

भारत के राष्ट्रीय ध्वज की असली ताकत जानने के लिए तथा जिन लोगों ने देश की स्वतंत्रता के लिए अपना बलिदान और योगदान दिया था।

उनके योगदान को समझने के लिए उनके बलिदान को जानने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त के दिन भारत की स्वतंत्रता के 75 की वर्षगांठ के अवसर पर हर घर तिरंगा अभियान को आजादी का अमृत महोत्सव के अंतर्गत जारी किया है।

भारत सरकार के इस अभियान को संपूर्ण देश वासियों में काफी उत्साह देखने को मिलता है और इस अभियान को देशवासियों ने काफी सपोर्ट किया है।

आजादी के अमृत महोत्सव या हर घर तिरंगे के विषय पर आप 15 अगस्त के दिन अपने स्कूल या शिक्षण संस्थान पर भाषण दे सकते हैं या निबंध लिख सकते हैं।

इस आर्टिकल में हमने आपको पूरी जानकारी के साथ विस्तार से अलग-अलग शब्द सीमा में हर घर तिरंगा पर निबंध (Har Ghar Tiranga Nibandh) लिखकर बताया है।

उम्मीद करते हैं आपको यह जानकारी पसंद आई होगी, इसे आगे शेयर जरुर करें आपको यह जानकारी कैसी लगी, हमें कमेंट बॉक्स में जरुर बताएं।

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Short Essay on 'Tiranga' in Hindi | 'Tiranga' par Nibandh (130 Words)

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COMMENTS

  1. राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा पर निबंध Essay on Tiranga Jhanda in Hindi

    इस लेख में हमने राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा पर निबंध (Essay on Tiranga Jhanda in Hindi) बेहद सरल रूप में लिखा है। राष्ट्रीय ध्वज पर निबंध कक्षा 5 से कक्षा 12 तक ...

  2. राष्ट्रीय ध्वज़ पर निबंध (National Flag Essay in Hindi)

    भारत के राष्ट्रीय ध्वज़ पर छोटा व बड़ा निबंध कक्षा 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 और 12 के विद्यार्थियों के लिए। Short and Long Essay on National Flag of India in Hindi Language. Rashtriya Dhwaj par Nibandh Hindi mein.

  3. भारत का झंडा तिरंगा पर निबंध Essay on Indian National Flag ...

    भारत का झंडा तिरंगा पर निबंध / भारत के राष्ट्रीय ध्वज पर निबंध Essay on Indian National Flag Tiranga in Hindi. जिस तरह हर देश का झंडा उसकी आन बान और शान होता है, उसी तरह हमारे देश का झंडा “तिरंगा” भी हमारी पहचान है। यह देश की एकता और अखंडता का प्रतीक है। हम सभी को अपने देश के झंडे का सम्मान करना चाहिये।.

  4. राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा : हिन्दी निबंध - National Flag Essay ...

    भारतीय राष्ट्रीय ध्वज में तीन रंग की क्षैतिज पट्टियां हैं, सबसे ऊपर केसरिया, बीच में सफेद ओर नीचे गहरे हरे रंग की पट्टी और ये तीनों समानुपात में हैं। ध्वज की चौड़ाई का अनुपात इसकी लंबाई के साथ 2 और 3 का है। सफेद पट्टी के मध्य में गहरे नीले रंग का एक चक्र है। यह चक्र अशोक की राजधानी के सारनाथ के शेर के स्तंभ पर बना हुआ है। इसका व्यास लगभग सफेद पट...

  5. Essay on 'हमारा तिरंगा झंडा' in Hindi for Class 5 to 7

    तिरंगे में तीन रंग होते हैं: सबसे ऊपर केसरी, बीच में सफेद और नीचे हरा रंग। बीच के सफेद भाग में अशोक चक्र होता है। केसरी रंग त्याग और बलिदान का सूचक है। सफेद रंग शांति का संदेश देता है। हरा रंग देश की सुख-समृद्धि का प्रतीक है। अशोक चक्र सब धर्मों के प्रति हमारे समभाव को दर्शाता है।.

  6. तिरंगे पर निबंध » हिंदी निबंध, Nibandh

    तिरंगा हमारा गौरव है। तिरंगे की गरिमा को हमेशा बनाए रखना चाहिए, चाहे यह हमारे जीवन की कीमत पर हो। देश का इतिहास, सभ्यता, स्वतंत्रता संघर्ष, सांस्कृतिक विरासित का प्रतीक है। यह झंडा हमारी आजादी का प्रतीक है। हमें सदैव ही इसका सम्मान करना चाहिए।.

  7. Indian National Flag Essay : भारतीय राष्‍ट्रीय ध्‍वज 'तिरंगा ...

    भारत में ‘तिरंगे’ का अर्थ भारतीय राष्ट्रीय ध्वज है। भारतीय राष्ट्रीय ध्वज में तीन रंग की क्षैतिज पट्टियां हैं, सबसे ऊपर केसरिया ...

  8. हर घर तिरंगा पर निबंध | Har Ghar Tiranga Essay in Hindi

    Har Ghar Tiranga Essay in Hindi: हर घर तिरंगा अभियान देश की आजादी के 75वीं वर्षगांठ के उपलक्ष में चलाया जा रहा है, जिसमें सभी देशवासी बढ़ चढ़कर हिस्सा ले ...

  9. तिरंगा झंडा (Indian National Flag) TIRANGA JHANDA in Hindi

    Here is an Essay of Indian National Flag (Tiranga Jhanda per Nibandh) written with some easy lines in Hindi and English meaning. Tiranga Jhanda kya hai.

  10. Short Essay on 'Tiranga' in Hindi | 'Tiranga' par Nibandh ...

    तिरंगा 'तिरंगा' भारत का राष्ट्रीय ध्वज है। इसमें सबसे ऊपर केसरिया, बीच में सफ़ेद व सबसे नीचे हरा रंग है। सभी रंग बराबर अनुपात में हैं। ...