पर्यावरण पर निबंध | Environment Essay in Hindi
Essay on Environment in Hindi
पर्यावरण, पर हमारा जीवन पूरी तरह निर्भर है, क्योंकि एक स्वच्छ वातावारण से ही स्वस्थ समाज का निर्माण होता है। पर्यावरण, जीवन जीने के लिए उपयोगी वो सारी चीजें हमें उपहार के रुप में उपलब्ध करवाता है।
पर्यावरण से ही हमें शुद्ध जल, शुद्ध वायु, शुद्ध भोजन,प्राकृतिक वनस्पतियां आदि प्राप्त होती हैं। लेकिन इसके विपरीत आज लोग अपने स्वार्थ और चंद लालच के लिए जंगलों का दोहन कर रहे हैं, पेड़-पौधे की कटाई कर रहे हैं, साथ ही भौतिक सुख की प्राप्ति हुए प्राकृतिक संसाधनों का हनन कर प्रदूषण को बढ़ावा दे रहे हैं, जिसका असर हमारे पर्यावरण पर पड़ा रहा है।
इसलिए पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरूक करने एवं प्राकृतिक पर्यावरण के महत्व को समझाने के लिए हर साल दुनिया भर के लोग 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस – World Environment Day के रूप में मनाते हैं। हमने कभी जाना हैं की इस दिवस को हम क्यों मनाते हैं। इस दिन का जश्न मनाने के पीछे का उद्देश्य लोगों के बीच जागरूकता पैदा करना है ताकि पर्यावरण की सुरक्षा के लिए सकारात्मक कदम उठा सकें।
और साथ ही कई बार स्कूलों में छात्रों के पर्यावरण विषय पर निबंध ( Essay on Environment) लिखने के लिए कहा जाता है, इसलिए आज हम आपको पर्यावरण पर अलग-अलग शब्द सीमा पर निबंध उपलब्ध करवा रहे हैं, जिसका चयन आप अपनी जरूरत के मुताबिक कर सकते हैं –
पर्यावरण पर निबंध – Environment Essay in Hindi
पर्यावरण, जिससे चारों तरफ से संपूर्ण ब्रहाण्ड और जीव जगत घिरा हुआ है। अर्थात जो हमारे चारों ओर है वही पर्यावरण है। पर्यावरण पर मनुष्य ही नहीं, बल्कि सभी जीव-जंतु, पेड़-पौधे, प्राकृतिक वनस्पतियां आदि पूरी तरह निर्भर हैं।
पर्यावरण के बिना जीवन की कल्पना ही नहीं की जा सकती हैं, क्योंकि पर्यावरण ही पृथ्वी पर एक मात्र जीवन के आस्तित्व का आधार है। पर्यावरण, हमें स्वस्थ जीवन जीने के लिए शुद्ध, जल, शुद्ध वायु, शुद्ध भोजन उपलब्ध करवाता है।
एक शांतिपूर्ण और स्वस्थ जीवन जीने के लिए एक स्वच्छ वातावरण बहुत जरूरी है लेकिन हमारे पर्यावरण मनुष्यों की कुछ लापरवाही के कारण दिन में गंदे हो रहा है। यह एक ऐसा मुद्दा है जिसे सभी को विशेष रूप से हमारे बच्चों के बारे में पता होना चाहिए।
“ पर्यावरण की रक्षा , दुनियाँ की सुरक्षा! ”
पर्यावरण न सिर्फ जीवन को विकसित और पोषित करने में मद्द करता है, बल्कि इसे नष्ट करने में भी मद्द करता है। पर्यावरण, जलवायु के संतुलन में मद्द करता है और मौसम चक्र को ठीक रखता है।
वहीं अगर सीधे तौर पर कहें मानव और पर्यावरण एक – दूसरे के पूरक हैं और दोनों एक-दूसरे पर पूरी तरह से निर्भर हैं। वहीं अगर किसी प्राकृतिक अथवा मानव निर्मित कारणों की वजह से पर्यावरण प्रभावित होता है तो, इसका सीधा असर हमारे जीवन पर पड़ता है।
पर्यावरण प्रदूषण की वजह से जलवायु और मौसम चक्र में परिवर्तन, मानव जीवन को कई रुप में प्रभावित करता है और तो और यह परिवर्तन मानव जीवन के आस्तित्व पर भी गहरा खतरा पैदा करता है।
लेकिन फिर भी आजकल लोग भौतिक सुखों की प्राप्ति और विकास करने की चाह में पर्यावरण के साथ खिलवाड़ करने से नहीं चूक रहे हैं। चंद लालच के चलते मनुष्य पेड़-पौधे काट रहा है, और प्रकृति के साथ खिलवाड़ कर कई ऐसी प्रतिक्रियाएं कर रहा है, जिसका बुरा असर हमारे पर्यावरण पर पड़ रहा है।
वहीं अगर समय रहते पर्यावरण को बचाने के लिए कदम नहीं उठाए गए तो मानव जीवन का आस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा।
इसलिए पर्यावरण को बचाने के लिए हम सभी को मिलकर उचित कदम उठाने चाहिए। हमें ज्यादा से ज्यादा पेड़-पौधे लगाने चाहिए और पेड़ों की कटाई पर पूरी तरह रोक लगानी चाहिए।
आधुनकि साधन जैसे वाहन आदि का इस्तेमाल सिर्फ जरूरत के समय ही इस्तेमाल करना चाहिए, क्योंकि वाहनों से निकलने वाला जहरीला धुआं न सिर्फ पर्यावरण को दूषित कर रहा है, बल्कि मानव जीवन के लिए भी खतरा उत्पन्न कर रहा है। इसके अलावा उद्योगों, कारखानों से निकलने वाले अवसाद और दूषित पदार्थों के निस्तारण की उचित व्यवस्था करनी चाहिए,ताकि प्रदूषण नहीं फैले।
वहीं अगर हम इन छोटी-छोटी बातों पर गौर करेंगे और पर्यावरण को साफ-सुथरा बनाने में अपना सहयोग करेंगे तभी एक स्वस्थ समाज का निर्माण हो सकेगा।
पर्यावरण पर निबंध – Paryavaran Sanrakshan Par Nibandh
प्रस्तावना
पर्यावरण, एक प्राकृतिक परिवेश है, जिससे हम चारों तरफ से घिरे हुए हैं और जो पृथ्वी पर मौजूद मनुष्य, जीव-जन्तु, पशु-पक्षी, प्राकृतिक वनस्पतियां को जीवन जीने में मद्द करता है। स्वच्छ पर्यावरण में ही स्वस्थ व्यक्ति का विकास संभव है, अर्थात पर्यावरण का दैनिक जीवन से सीधा संबंध है।
हमारे शरीर के द्धारा की जाने वाली हर प्रतिक्रिया पर्यावरण से संबंधित है, पर्यावरण की वजह से हम सांस ले पाते हैं और शुद्ध जल -भोजन आदि ग्रहण कर पाते हैं, इसलिए हर किसी को पर्यावरण के महत्व को समझना चाहिए।
पर्यावरण का अर्थ – Environment Meaning
पर्यावरण शब्द मुख्य रुप से दो शब्दों से मिलकर बना है, परि+आवरण। परि का अर्थ है चारो ओर और आवरण का मतलब है ढका हुआ अर्थात जो हमे चारों ओर से घेरे हुए है। ऐसा वातावरण जिससे हम चारों तरफ से घिरे हुए हैं, पर्यावरण कहलाता है।
पर्यावरण का महत्व – Importance of Environment
पर्यावरण से ही हम है, हर किसी के जीवन के लिए पर्यावरण का बहुत महत्व है, क्योंकि पृथ्वी पर जीवन, पर्यावरण से ही संभव है। समस्त मनुष्य, जीव-जंतु, प्राकृतिक वनस्पतियां, पेड़-पौड़े, मौसम, जलवायु सब पर्यावरण के अंतर्गत ही निहित हैं। पर्यावरण न सिर्फ जलवायु में संतुलन बनाए रखने का काम करता है और जीवन के लिए आवश्यक सभी वस्तुएं उपलब्ध करवाता है।
वहीं आज जहां विज्ञान से तकनीकी और प्रौद्योगिकी को बढ़ावा मिला है और दुनिया में खूब विकास हुआ है, तो दूसरी तरफ यह बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण के लिए भी जिम्मेदार हैं। आधुनिकीकरण, औद्योगीकरण और बढ़ती टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से पर्यावरण पर गलत प्रभाव पड़ा रहा है।
मनुष्य अपने स्वार्थ के चलते पेड़-पौधे की कटाई कर रहा है एवं प्राकृतिक संसाधनों से खिलवाड़ कर रहा है, जिसके चलते पर्यावरण को काफी क्षति पहुंच रही है। यही नहीं कुछ मानव निर्मित कारणों की वजह से वायुमंडल, जलमंडल आदि प्रभावित हो रहे हैं धरती का तापमान बढ़ रहा है और ग्लोबल वार्मिंग की समस्या उत्पन्न हो रही है, जो कि मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए काफी खतरनाक है।
इसलिए पर्यावरण के महत्व को समझते हुए हम सभी को अपने पर्यावरण को बचाने में सहयोग करना चाहिए।
पर्यावरण और जीवन – Environment And Life
पर्यावरण और मनुष्य एक-दूसरे के बिना अधूरे हैं, अर्थात पर्यावरण पर ही मनुष्य पूरी तरह से निर्भऱ है, पर्यावरण के बिना मनुष्य, अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकता है, भले ही आज विज्ञान ने बहुत तरक्की कर ली हो, लेकिन प्रकृति ने जो हमे उपलब्ध करवाया है, उसकी कोई तुलना नहीं है।
इसलिए भौतिक सुख की प्राप्ति के लिए मनुष्य को प्रकृति का दोहन करने से बचना चाहिए।वायु, जल, अग्नि, आकाश, थल ऐसे पांच तत्व हैं, जिस पर मानव जीवन टिका हुआ है और यह सब हमें पर्यावरण से ही प्राप्त होते हैं।
पर्यावरण न सिर्फ हमारे स्वास्थ्य का एक मां की तरह ख्याल रखता है,बल्कि हमें मानसिक रुप से सुख-शांति भी उपलब्ध करवाता है।
पर्यावरण, मानव जीवन का अभिन्न अंग है, अर्थात पर्यावरण से ही हम हैं। इसलिए हमें पर्यावरण की रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहना चाहिए।
उपसंहार
पर्यावरण के प्रति हम सभी को जागरूक होने की जरुरत हैं। पेड़ों की हो रही अंधाधुंध कटाई पर सरकार द्धारा सख्त कानून बनाए जाना चाहिए। इसके साथ ही पर्यावरण को स्वच्छ रखना हम सभी को अपना कर्तव्य समझना चाहिए, क्योंकि स्वच्छ पर्यावरण में रहकर ही स्वस्थ मनुष्य का निर्माण हो सकता है और उसका विकास हो सकता है।
पर्यावरण पर निबंध – Paryavaran Par Nibandh
पर्यावरण हमें जीवन जीने के लिए सभी आवश्यक चीजें जैसे कि हवा, पानी, रोशनी, भूमि, अग्नि, पेड़-पौधे, प्राकृतिक वनस्पतियां आदि उपलब्ध करवाता है। हम पर्यावरण पर पूरी तरह निर्भर हैं। वहीं अगर हम अपने पर्यावरण को साफ-सुथरा रखेंगे तो हम स्वस्थ और सुखी जीवन का निर्वहन कर सकेंगे। इसिलए पर्यावरण को सरंक्षित करने एवं स्वच्छ रखने के लिए हम सबको मिलकर प्रयास करना चाहिए।
पर्यावरण, प्रौद्योगिकी, प्रगति और प्रदूषण –
इसमें कोई दो राय नहीं है कि विज्ञान की उन्नत तकनीक ने मनुष्य के जीवन को बेहद आसान बना दिया है, वहीं इससे न सिर्फ समय की बचत हुई है बल्कि मनुष्य ने काफी प्रगति भी की है, लेकिन विज्ञान ने कई ऐसी खोज की हैं, जिसका असर पर्यावरण पर पड़ रहा है, और जो मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए खतरा उत्पन्न कर रहा है।
एक तरफ विज्ञान से प्रोद्यौगिकी का विकास हुआ, तो वहीं दूसरी तरफ उद्योंगों से निकलने वाला धुआं और दूषित पदार्थ कई तरह के प्रदूषण को जन्म दे रहा है और पर्यावरण के लिए खतरा पैदा कर रहा है।
उद्योगों से निकलने वाला दूषित पदार्थ सीधे प्राकृतिक जल स्त्रोत आदि में बहाए जा रहे हैं, जिससे जल प्रदूषण की समस्या पैदा हो रही है,इसके अलावा उद्योगों से निकलने वाले धुंए से वायु प्रदूषण बढ़ रहा है, जिसका मनुष्य के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है।
पर्यावरण संरक्षण के उपाय – Paryavaran Sanrakshan Ke Upay
- उद्योगों से निकलने वाला दूषित पदार्थ और धुएं का सही तरीके से निस्तारण करना चाहिए।
- पर्यावरण की साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
- ज्यादा से ज्यादा पेड़-पौधे लगाना चाहिए।
- पेड़ों की अंधाधुंध कटाई पर रोक लगानी चाहिए।
- वाहनों का इस्तेमाल बेहद जरूरत के समय ही किया जाना चाहिए।
- दूषित और जहरीले पदार्थों के निपटान के लिए सख्त कानून बनाए जाने चाहिए।
- लोगों को पर्यावरण के महत्व को समझाने के लिए जागरूकता फैलानी चाहिए।
विश्व पर्यावरण दिवस – World Environment Day
लोगों को पर्यावरण के महत्व को समझाने और इसके प्रति जागरूकता फैलाने के मकसद से 5 जून से 16 जून के बीच विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) मनाया जाता है। इस मौके पर कई जगहों पर जागरूकता कार्यक्रमों का भी आय़ोजन किया जाता है।
पर्यावरण हमारे जीवन का अभिन्न अंग हैं, इसलिए इसकी रक्षा करना हम सभी की जिम्मेदारी है, अर्थात हम सभी को मिलकर अपने पर्यावरण को स्वच्छ और सुंदर बनाने में अपना सहयोग करना चाहिए।
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15 thoughts on “पर्यावरण पर निबंध | Environment Essay in Hindi”
Nice sir bhote accha post h aapne to moj kar de h sir thank you sir app easi past karte rho ham logo ke liye
Thank you sir aapne bahut accha post Kiya h mere liye bahut labhkaari h government job ki tayari ke liye
bahut badhiya jaankari share kiye ho sir, Environment Essay.
Thanks sir bhaut acha essay hai helpful hai aur needful bhi isme sari jankari di gye hai environment ke baare Mai and isse log inspire bhi hongee isko.pdkee……..
I love this essay…
Thanks mujhe ye bahut kaam diya speech per
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पर्यावरण पर निबंध (Environment Essay in Hindi)
पर्यावरण के इसी महत्व को समझने के लिए आज हम सब ये निबंध पढ़ेंगे जिससे आपको पर्यावरण से जुड़ी समस्त जानकारियाँ मिल जाएंगी। आपकी आवश्यकता को देखते हुए ये निबंध 300 शब्द, 400 शब्द, और 500 शब्द के अंतर्गत दिया गया है।
पर्यावरण सुरक्षा पर निबंध || पर्यावरण की रक्षा कैसे करें पर निबंध || पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध
पर्यावरण पर निबंध (100 – 200 शब्द) – Paryavaran par Nibandh
वो सारी चीजें जो हमारे चारों ओर हैं पर्यावरण कहलाता है जैसे हवा, पानी, आकाश, जमीन, जीव जन्तु, वनस्पति, पेड़ पौधे आदि। पर्यावरण, प्रकृति द्वारा भेंट किया गया एक तोहफा है। हम सबको स्वस्थ रूप से जीने के लिए जिन चीजों की जरुरत पड़ती है वो पर्यावरण हमे देता है। लेकिन मानवों ने अपने लालच को पूरा करने के लिए पर्यावरण को इतना दूषित कर दिया है कि आज धरती पर सारे जीव जन्तु भुगत रहे हैं।
बढ़ती जनसँख्या के डिमांड्स को पूरा करने के लिए, घर और कारखाने बनाने के लिए लोगों ने जंगल के जंगल काट दिए और नए पेड़ भी नहीं लगाए। कारखानों व फैक्ट्री से निकलने वाले कूड़े कचरे, प्लास्टिक और गंदे पानी ने हवा, पानी और मिट्टी को दूषित कर दिया है। जिससे लोग बीमार पड़ रहे है, मर रहे हैं, जीव जन्तु विलुप्त हो रहे हैं, गर्मी में तापमान चरम सीमा पर पहुंच गया है, ठंढी में ज्यादा ठंढी पड़ती है, बरसात में समय पर बारिश नहीं होती इसलिए सूखा पड़ रहा है लोग खेती नहीं कर पा रहे है, असमय जलवायु परिवर्तन हो रहा है, ओज़ोन लेयर में छेड़ हो गया है जिससे अल्ट्रा वायलेट किरणे धरती पर आने लगी हैं, इत्यादि।
अगर हमें अपना स्वस्थ पर्यावरण वापस चाहिए तो हम सबको अपनी गलती जल्द से जल्द सुधारनी होगी। सिर्फ सरकार के नियम बनाने से कुछ नहीं होगा, हर एक इंसान को भी जागरूक होकर कदम उठाना होगा। ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने होंगे, गाड़ियों की जगह साइकिल इस्तेमाल करना होगा, AC और फ्रीज का सहारा छोड़ना होगा, और वो सभी चीजे छोड़नी होगी जिससे हमारा पर्यावरण दूषित हुआ है।
पर्यावरण पर निबंध (300 – 400 शब्द) – Environment par Nibandh
धरती पर हम जिस परिवेश में रहते हों उसे पर्यावरण कहते हैं जो हमारे जीवन का अनिवार्य हिस्सा है और हमें जीवन जीने के लिए आवश्यक संसाधन प्रदान करता है, जैसे कि स्वच्छ हवा, पानी, भोजन और आश्रय। धरती पर एक स्वच्छ पर्यावरण का महत्व इतना अधिक है कि इसके बिना हम जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते। लेकिन आज के आधुनिक युग में हम मनुष्यों ने अपने स्वार्थ और विकास की दौड़ में पर्यावरण को काफी हद तक दूषित कर दिया है।
पर्यावरण दूषित कैसे हुआ
विकास की अंधाधुंध होड़ में उद्योगों का तेजी से विकास हुआ, जिससे वायुमंडल में प्रदूषक गैसों का उत्सर्जन हुआ और वायु प्रदूषित हो गयी। बड़े बड़े उद्योगों के अपशिष्ट जल के नदियों में गिरने से जल प्रदिर्शित होकर एक गंभीर समस्या बन गया है। वनों के अंधाधुंध कटाई से न केवल वन्य जीवों का घर नष्ट हुआ है, बल्कि इससे मृदा अपरदन, जलवायु परिवर्तन और जल संकट भी उत्पन्न हुए हैं।
पर्यावरण दूषित होने से नुकसान
जलवायु परिवर्तन आज के समय में एक वैश्विक संकट बन चुका है। ग्लोबल वार्मिंग के कारण पृथ्वी का तापमान बढ़ रहा है, जिससे ग्लेसियर्स पिघल रहे हैं और समुद्र का जल स्तर बढ़ रहा है। इस जलवायु परिवर्तन का प्रभाव कृषि, वनस्पति, और मानव जीवन पर भी सीधा पड़ रहा है। कई वन्य जीव प्रजातियाँ विलुप्त हो चुकी हैं और कई विलुप्त होने के कगार पर हैं। साथ ही साथ मौसम चक्र में भी अनियमितता देखने को मिल रही है।
पर्यावरण को दूषित होने से कैसे बचाएं
हम सभी को बिना देर किये अपने पर्यावरण को संरक्षित करना होगा, इसके लिए सबसे पहले, वृक्षारोपण को बढ़ावा देना होगा और वनों की कटाई को भी रोकना होगा। वृक्ष कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करते हैं और ऑक्सीजन छोड़ते हैं, जिससे वायु शुद्ध रहती है। हमें जल संसाधनों का संरक्षण करके पानी की बर्बादी को रोकना चाहिए। प्लास्टिक का कम से कम उपयोग करके रीसाइक्लिंग को बढ़ावा देना चाहिए।
सरकारें द्वारा पर्यावरण संरक्षण के लिए विभिन्न योजनाएं और कानून लागू की गयी हैं जैसे स्वच्छ भारत अभियान, जल बचाओ अभियान, और वन महोत्सव इत्यादि। लेकिन सिर्फ सरकार से ही काम नहीं चलेगा, जन जागरूकता भी जरुरी है जो कि शिक्षा और प्रचार-प्रसार से संभव है।
जब तक हम ये नहीं समझेंगे कि पर्यावरण संरक्षण केवल सरकार का ही नहीं, बल्कि हर नागरिक का भी कर्तव्य है, तब तक हम सफल नहीं होंगे। हमें अपनी दैनिक जीवनशैली में छोटे-छोटे कई बदलाव करने होंगे, जैसे कि बिजली और पानी का संयमित उपयोग, पैदल चलना या साइकिल से चलना, और कचरे का सही निपटान करना इत्यादि। इन छोटे-छोटे प्रयासों से हम एक बड़ा परिवर्तन ला सकते हैं और भविष्य में अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्वस्थ और सुरक्षित पर्यावरण दे सकते हैं।
पर्यावरण पर निबंध (250 – 300 शब्द) – Paryavaran par Nibandh
पर्यावरण में वह सभी प्राकृतिक संसाधन शामिल हैं जो कई तरीकों से हमारी मदद करते हैं तथा चारों ओर से हमें घेरे हुए हैं। यह हमें बढ़ने तथा विकसित होने का बेहतर माध्यम देता है, यह हमें वह सब कुछ प्रदान करता है जो इस ग्रह पर जीवन यापन करने हेतु आवश्यक है। हमारा पर्यावरण भी हमसे कुछ मदद की अपेक्षा रखता है जिससे की हमारा लालन पालन हो, हमारा जीवन बना रहे और कभी नष्ट न हो। तकनीकी आपदा के वजह से दिन प्रति दिन हम प्राकृतिक तत्व को अस्वीकार रहे हैं।
विश्व पर्यावरण दिवस
पृथ्वी पर जीवन बनाए रखने के लिए हमें पर्यावरण के वास्तविकता को बनाए रखना होगा। पूरे ब्रम्हांड में बस पृथ्वी पर ही जीवन है। वर्षों से प्रत्येक वर्ष 05 जून को विश्व पर्यावरण दिवस के रूप में लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए तथा साथ ही पर्यावरण स्वच्छता और सुरक्षा के लिए दुनिया भर में मनाया जाता है। पर्यावरण दिवस समारोह के विषय को जानने के लिए, हमारे पर्यावरण को किस प्रकार सुरक्षित रखा जाये तथा हमारे उन सभी बुरी आदतों के बारे में जानने के लिए जिससे पर्यावरण को हानि पहुंचता है, हम सभी को इस मुहिम का हिस्सा बनना चाहिए।
पर्यावरण सुरक्षा के उपाय
धरती पर रहने वाले सभी व्यक्ति द्वारा उठाए गए छोटे कदमों के माध्यम से हम बहुत ही आसान तरीके से पर्यावरण को सुरक्षित कर सकते हैं। हमें अपशिष्ट की मात्रा में कमी करना चाहिए तथा अपशिष्ट पदार्थ को वही फेकना चाहिए जहां उसका स्थान है। प्लास्टिक बैंग का उपयोग नही करना चाहिए तथा कुछ पुराने चीजों को फेकने के बजाय नये तरीके से उनका उपयोग करना चाहिए।
आईए देखें कि किस प्रकार हम पुराने चीजों को दुबारा उपयोग में ला सकते हैं- जिन्हें दुबारा चार्ज किया जा सकता है उन बैटरी या अक्षय क्षारीय बैटरी का उपयोग करें, प्रतिदीप्त प्रकाश का निर्माण कर, बारिस के पानी का संरक्षण कर, पानी की अपव्यय कम कर, ऊर्जा संरक्षण कर तथा बिजली की खपत कम करके, हम पर्यावरण के वास्तविकता को बनाए रखने के मुहिम की ओर एक कदम बढ़ा सकते है।
FAQs: Frequently Asked Questions on Environment (पर्यावरण पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
उत्तर – हमारे चारों तरफ का वह परिवेश जो हमारे लिए अनुकूल है, पर्यावरण कहलाता है।
उत्तर – विश्व पर्यावरण दिवस प्रत्येक वर्ष 5 जून को मनाया जाता है।
उत्तर – पर्यावरण के प्रमुख घटक हैं- वायुमंडल, जलमंडल तथा स्थलमंडल।
उत्तर – जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, भूमि प्रदूषण आदि पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार है।
उत्तर – बांग्लादेश विश्व का सबसे प्रदूषित देश है।
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पर्यावरण पर निबंध Essay on Environment in Hindi (1000W)
आज हम इस आर्टिकल में पर्यावरण पर निबंध Essay on Environment in Hindi (1000) लिखा है जिसमें हमने प्रस्तावना, पर्यावरण का अर्थ, पर्यावरण का महत्व, विश्व पर्यावरण दिवस, पर्यावरण से लाभ और हानि, पर्यावरण और जीवन, पर्यावरण प्रौद्योगिकी प्रगति और प्रदूषण, पर्यावरण संरक्षण के उपाय के बारे में लिखा है।
Table of Contents
प्रस्तावना (पर्यावरण पर निबंध Essay on Environment in Hindi)
प्रकृति ने हमें एक स्वच्छ और स्वस्थ वातावरण सौंपा था। किंतु मनुष्य ने अपने लालची पन और विकास के नाम पर उसे खतरे में डाल दिया है। विज्ञान की बढ़ती प्रकृति ने एक और तो हमारे लिए सुख- सुविधा में वृद्धि की है तो दूसरी ओर पर्यावरण को दूषित करके मानव के अस्तित्व पर प्रश्नचिह्न लगा दिया है।
पर्यावरण का अर्थ Meaning of Environment
“अमृत बांटें कर विष पान, वृक्ष स्वयं शंकर भगवान।”पर्यावरण दो शब्दों से मिलकर बना है पर +आवरण जिसका अर्थ है हमारे चारों ओर घिरे हुए वातावरण।
पर्यावरण और मानव का संबंध अत्यंत घनिष्ठ है। पर्यावरण से मनुष्य की भौतिक आवश्यकताओं की पूर्ति होती है। पर्यावरण से हमें जल, वायु आदि कारक प्राप्त होते हैं।
पर्यावरण का महत्व Importance of Environment in Hindi
पर्यावरण से ही हम हैं, हर किसी के जीवन के लिए पर्यावरण का बहुत महत्व है, क्योंकि पृथ्वी पर जीवन पर्यावरण से ही संभव है। समस्त मनुष्य, जीव- जंतु, प्राकृतिक, वनस्पतियों, पेड़- पौधे, जलवायु, मौसम सब पर्यावरण के अंतर्गत ही निहित है।
पर्यावरण न सिर्फ जलवायु में संतुलन बनाए रखने का काम करता है, और जीवन के लिए आवश्यक सभी वस्तुएँ उपलब्ध कराता है।
विश्व पर्यावरण दिवस World Environment Day
लोगों को पर्यावरण के महत्व को समझाने और इसके प्रति जागरूकता फैलाने के मकसद से 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है।
5 जून 1973 को पहला पर्यावरण दिवस मनाया गया था। इस मौके पर कई जगहों पर जागरूकता कार्यक्रम कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है।
पर्यावरण से लाभ और हानि Advantages and Disadvantages of Environment in Hindi
पर्यावरण से लाभ advantages of environment in hindi.
पर्यावरण से हमें स्वच्छ हवा मिलती है। पर्यावरण हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण भाग है। पर्यावरण में जैविक, अजैविक, प्राकृतिक तथा मानव निर्मित वस्तु का समावेश होता है।
प्राकृतिक पर्यावरण में पेड़, झाड़ियां, नदी, जल, सूर्य प्रकाश, पशु, हवा आदि शामिल है।जो हवा हम हर पल सांस लेते हैं, पानी जिस के सिवा हम जी नहीं सकते और जो हम अपनी दिनचर्या में इस्तेमाल करते हैं, पेड़ पौधे उनका हमारे जीवन में बहुत महत्व है।
यह सब प्राकृतिक चीजें हैं जो पृथ्वी पर जीवन संभव बनाती हैं। वह पर्यावरण के अंतर्गत ही आती हैं। पेड़-पौधों की हरियाली से मन का तनाव दूर होता है, और दिमाग को शांति मिलती है। पर्यावरण से ही हमारे अनेक प्रकार की बीमारी भी दूर होती है।
पर्यावरण मनुष्य, पशुओं और अन्य जीव चीजों को बढ़ाने और विकास होने में मदद करती है। मनुष्य भी पर्यावरण का एक महत्वपूर्ण भाग है। पर्यावरण का एक घटक होने के कारण हमें भी पर्यावरण का एक संवर्धन करना चाहिए।
पर्यावरण पर हमारा यह जीवन बनाए रखने के लिए हमें पर्यावरण की वास्तविकता को बनाए रखना होगा।
और पढ़ें: जल संरक्षण पर निबंध
पर्यावरण से हानि Disadvantages of Environment in Hindi
आज के युग में पर्यावरण प्रदूषण बहुत तेजी से बढ़ रहा है। बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण पर्यावरण की प्रकृति नष्ट हो रही है। हर जगह जहां घने वृक्ष हैं उन्हें काट कर वहां बड़ी इमारत बनाए जा रहे हैं।
गाड़ी की धुआ, फैक्ट्री मे मशीनों की आवाज, खराब रासायनिक जल इन सब की वजह से, वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, मृदा प्रदूषण हो रहा है। यह एक चिंता का विषय बन चुका है यह अत्यंत घातक है। जिसके कारण हमें अनेक प्रकार की बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है और हमारा शरीर हमेशा बिगड़ रहा है।
वही आज जहां विज्ञान में तकनीकी और प्रौद्योगिकी को बढ़ावा मिला है और दुनिया में खूब विकास हुआ है तो दूसरी तरफ यह बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण के लिए भी जिम्मेदार है। आधुनिकीकरण, प्रौद्योगिकी करण और टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से पर्यावरण पर गलत प्रभाव पड़ रहा है।
मनुष्य अपने स्वार्थ के चलते पेड़ पौधों की कटाई कर रहा है एवं प्राकृतिक संसाधनों से खिलवाड़ कर रहा है, जिसके चलते पर्यावरण को काफी क्षति पहुंच रही है, यही नहीं कुछ मानव निर्मित कारणों की वजह से वायुमंडल, जलमंडल आदि प्रभावित हो रहे हैं धरती का तापमान बढ़ रहा है और ग्लोबल वाल्मिग की समस्या उत्पन्न हो रही है, जो कि मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए काफी खतरनाक है।
पर्यावरण हमारे लिए अनमोल रत्न है। इस पर्यावरण के लिए हम सभी को जागरूक होने की आवश्यकता है। पर्यावरण का सौंदर्य बढ़ाने के लिए हमें साफ-सफाई का भी बहुत ध्यान रखना चाहिए।
- पेड़ों का महत्व समझ कर हमें ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाना चाहिए। घने वृक्ष वातावरण को शुद्ध रखते हैं और हमें छाया प्रदान करते हैं। घने वृक्ष पशु पक्षी का भी निवास स्थान है। इसीलिए हमें ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने चाहिए।
पर्यावरण और जीवन Environment and life in Hindi
पर्यावरण और मनुष्य एक दूसरे के बिना अधूरे हैं, अर्थात पर्यावरण पर ही मनुष्य पूरी तरह से निर्भर है। पर्यावरण के बिना मनुष्य अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकता है, भले ही आज विज्ञान ने बहुंत तरक्की कर ली हो।
लेकिन प्रकृति में जो हमें उपलब्ध करवाया है, उसकी कोई तुलना नहीं है। इसीलिए भौतिक सुख की प्राप्ति के लिए मनुष्य को प्रकृति का दोहन करने से बचना चाहिए।
वायु, जल, अग्नि, आकाश, थल ऐसे पांच तत्व है, जिस पर मानव जीवन टिका हुआ है, और यह सब हमें पर्यावरण से ही प्राप्त होते हैं। पर्यावरण ना केवल हमारे स्वास्थ्य का ख्याल रखता है बल्कि एक मां की तरह हमें सुख-शांति भी प्राप्त करता है।
पर्यावरण, प्रौद्योगिकी, प्रगति और प्रदूषण Environment, Technology, Progress and Pollution in Hindi
इसमें कोई दो राय नहीं है कि विज्ञान की उन्नत तकनीकी ने मनुष्य के जीवन को बेहद आसान बना दिया है, वहीं इससे ना सिर्फ समय की बचत हुई है बल्कि मनुष्य ने काफी प्रगति भी की है। लेकिन विज्ञान ने कई ऐसी खोज की है जिसका असर हमारे पर्यावरण पर पड़ रहा है, और जो मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए खतरा उत्पन्न कर रहा है।
पर्यावरण संरक्षण के उपाय Environmental protection measures in Hindi
- उद्योग से निकलने वाला दूषित पदार्थ और धोएं का सही तरीके से निस्तारण करना चाहिए।
- पर्यावरण हमारे लिए अनमोल रत्न है। इस पर्यावरण के लिए हम सभी को जागरूक होने की आवश्यकता है। पर्यावरण का सौंदर्य बढ़ाने के लिए हमें साफ-सफाई का भी बहुत ध्यान रखना चाहिए।
- पेड़ों की अंधाधुंध कटाई पर रोक लगानी चाहिए।
- वाहनों का इस्तेमाल बेहद जरूरत के समय ही किया जाना चाहिए।
- दूषित और जहरीले पदार्थों को निपटाने के लिए सख्त कानून बनाने चाहिए।
- लोगों को पर्यावरण के महत्व को समझने के लिए जागरूकता फैलाने चाहिए।
हमारे देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत की। यह पर्यावरण संतुलन के लिए ही बनाया गया एक उपक्रम है।
इस तरह हमें अपने पर्यावरण को बचाना चाहिए। लोगों को पर्यावरण का महत्व समझाना चाहिए। स्वच्छ पर्यावरण एक शांतिपूर्ण और स्वास्थ्य जीवन जीने के लिए बहुत आवश्यक है।
पर्यावरण पर 10 लाइन 10 Line on Environment in Hindi
- पर्यावरण दो शब्दों से मिलकर बना है परिधान +आवरण इसका अर्थ होता है हमारे चारों ओर् घिरे हुये वातावरण।
- पर्यावरण और मानव का संबंध घनिष्ठ है।
- पर्यावरण से ही हम हैं हर किसी के जीवन के लिए पर्यावरण का बहुत महत्व है क्योंकि पृथ्वी पर जीवन पर्यावरण से ही संभव है।
- पर्यावरण से हमें जल, वायु आदि कारक प्राप्त होते हैं।
- पर्यावरण आसिफ जलवायु में संतुलन बनाए रखता है बल्कि, जीवन के लिए सभी आवश्यक वस्तुएं उपलब्ध कराता है।
- लोगों को पर्यावरण के महत्व को समझाने और जागरूकता फैलाने के मकसद से 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है।
- पर्यावरण से हमें स्वच्छ हवा मिलती है।
- प्राकृतिक पर्यावरण में पेड़, झाड़ियां, नदी, जल, सूर्य प्रकाश, पशु, हवा आदि शामिल है।
- पर्यावरण ना केवल हमारे स्वास्थ्य का ख्याल रखता है बल्कि एक मां की तरह हमें सुख-शांति भी प्राप्त करता है।
- घने वृक्ष पशु-पक्षी का निवास स्थान है। घने वृक्ष वातावरण को शुद्ध रखते हैं और हमेशा या प्रदान करते हैं।
निष्कर्ष Conclusion
पर्यावरण के प्रति हम सब को जागरूक होने की आवश्यकता है। पेड़ों की हो रही है अंधाधुन कटाई पर सरकार द्वारा सख्त कानून बनाना चाहिए। इसके साथ ही पर्यावरण को स्वच्छ रखना और हमारा कर्तव्य समझना चाहिए, क्योंकि स्वच्छ पर्यावरण में ही रहकर स्वास्थ्य मनुष्य का निर्माण हो सकता है और उसका विकास हो सकता है।आशा करते हैं आपको हमारा पर्यावरण पर निबंध अच्छा लगा होगा।
1 thought on “पर्यावरण पर निबंध Essay on Environment in Hindi (1000W)”
आपने पर्यावरण पर जो निबंध लिखा है सचमुच ही हृदय को छू लेने वाला है। अगर जन-जन में यह क्रांति फैलाई जाए की मनुष्य जहां- जहां घर बनाते हैं वहां 6 फुट का जगह छोड़ना चाहिए और एक आम और नीम का पेड़ जरूर लगाना चाहिए।
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पर्यावरण पर निबंध हिन्दी में
- वेबदुनिया पर पढ़ें :
- महाभारत के किस्से
- रामायण की कहानियां
- रोचक और रोमांचक
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विकास के साथ पर्यावरण की राह पर निबंध | Essay on Environment
विकास के साथ पर्यावरण की राह पर निबंध | Essay on Environment!
हमें विकास तो करना है, लेकिन विकास का टिकाऊ होना आवश्यक है । इसके लिए जलवायु परिवर्तन और विकास बाध्यताओं से निपटना जरूरी होगा । अगर समय रहते शुरुआत न की गयी तो पृथ्वी और इसके साथ ही हमारी भावी पीढ़ियों का अस्तित्व भी संकट में पड़ जायेगा ।
इक्कीसवीं सदी के पहले दशक के उत्तरार्द्ध में आज मनुष्य और पृथ्वी के सहअस्तित्व की संभावना संदिग्ध लगने लगी है । लगता है इस ग्रह को स्वपोषित मनीषा सम्पन्न किरायेदार अपने आवास को अब किसी और के लिए रहने लायक नहीं छोड़ने वाले ।
वर्ष 2007 में पर्यावरण से जुड़े काम के लिए अल गोर और इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज के अध्यक्ष के रूप में आर.के. पचौरी के संगठन को मिला नोबल शांति पुरस्कार दरअसल इस ग्रह के भविष्य से जुड़े सरोकारों के हल ढूंढने के लिए लगाई गयी पुकार है ।
हम जिस राह पर चल रहे हैं, वह पृथ्वी के भविष्य को खतरे में डालेगी । हमने समय रहते राह न बदली, तो हम और हमारी भावी पीढ़ियां भी गहरे संकट से जूझेंगी ।
तरक्की व विकास की बाध्यताओं और पर्यावरण के प्रति सम्मान के बीच अंतर्संबंध स्थापित किये बिना विकास अर्थहीन सिद्ध होगा । टिकाऊ विकास आज एक आकर्षक नारा भर नहीं, ऐतिहासिक आवश्यकता है । पूरी दुनिया में हो रही तापमान वृद्धि और जलवायु परिवर्तन के परिणाम हमारे सामने आने लगे हैं ।
पूर्वी भारत के बडे हिस्सों में अभूतपूर्व बरसात और बाढ़, बढ़ते तापमान और गड़बड़ मौसम और घटता कृषि उत्पादन इसके कुछ लक्षण हैं । हाल ही में गठित जलवायु परिवर्तन परिषद को जटिल घरेलू और वैश्विक मुद्दों से जूझना होगा ।
अब इस बात के पर्याप्त वैज्ञानिक साक्ष्य उपलब्ध हैं कि वैश्विक तापमान वृद्धि दीर्घावधि कुदरत की राह कुछ समय बाद होने वाली परिघटना नहीं, बल्कि मनुष्यों की गतिविधियों का परिणाम है । जलवायु और पर्यावरण परिवर्तन के मुद्दों से दो – दो हाथ करने को अब और नहीं टाला जा सकता।
चिन्तनीय क्षेत्र:
ADVERTISEMENTS:
इस मामले में हमारी चिन्ता छह क्षेत्रों को लेकर होनी चाहिए; पहला, पिछले कुछ वर्षों में ऊर्जा मूल्यनिर्धारण बद से बदतर हुआ है । जब तक परंपरागत स्रोतों में प्राप्त होनेवाली ऊर्जा वाजिब दाम पर मिलती रहेगी, वैकल्पिक अक्षय ईंधनों में निवेश टलता रहेगा ।
यह बात सभी समझ रहे हैं कि सस्ते तेल के जमाने लद चुके, कम्पनियां आधार मूल्य 27 डॉलर प्रति बैरल से बढ़ा कर लगभग सौ डॉलर प्रति बैरल कर चुकी है लेकिन हम यही मानने पर तुले हैं कि तेल के दाम बढ़ने की प्रवृत्ति अस्थायी है, यह बदलेगी ।
संचयित ऑयल बांड और कच्चे तेल की वैश्विक कीमतों के बावजूद कम वसूली के परिणामस्वरूप जारी होनेवाली बांड में निवेश भारी घाटे का सौदा होंगे । यह तेल कम्पनियों के लिए तो हानिकर होगा ही, वित्तीय औचित्य और जलवायु परिवर्तन से जुड़े सरोकारों के संदर्भ में भी गैरजिम्मेदारी होगी ।
पेट्रोलियम उत्पादों के लगभग रोज बदलते मूल्यनिर्धारणों की सिरदर्दी तो खैर भारत को विरासत में मिली है, लेकिन पिछले कुछ वर्षो में स्थिति बिगड़ती ही चली गयी हैं । शुल्कदर और पेट्रोलियम मूल्य को राजनीतिक दबावों से मुक्त रखना किसी भी ऊर्जा रणनीति का अपरिहार्य अंग है।
दूसरा , मांग में कमी लाने के अलावा वैकल्पिक ईंधन के क्षेत्र में अभी बहुत कुछ किया जाना शेष है । इस मामले में सौर ऊर्जा आदि की बात की जाती है, लेकिन सौर ऊर्जा के कुशल उपयोग, और उसके हिसाब से पूरी तकनीक विकसित करना एक बहुत बड़ी चुनौती है । कई दूसरे विकल्प भी सामने आए हैं, लेकिन वे बाजार की जरूरतों के हिसाब से अपनी-अपनी कार्यकुशलता अभी तक प्रमाणित नहीं कर सके ।
तीसरा , अक्षय ऊर्जा मंत्रालय का अधिभार परम्परागत रूप से राजनीतिक स्तर पर हल्के-फुल्के मंत्रियों के पास रहा है । लेकिन अक्षय ऊर्जा संबंधी शोध अन्य स्थानों पर हो रहे प्रौद्योगिक संबंधी बदलावों से दो कदम आगे रहना, कृषि अपशिष्ट- बायोगैस-सौर ऊर्जा जैसे कई अक्षय स्रोतों के मामले में हमारी अपेक्षाकृत बढ़त का दोहन जैसे मुद्दों का हमारी मुख्यधारा ऊर्जा नीतियों के अंग के तौर पर समेकन जिस स्तर के राजनीतिक अधिकार और इच्छाशक्ति की मांग करता है, वह अब तक तो कभी दिख नहीं पाई ।
चौथा , भारत के अंतर्राष्ट्रीय दायित्वों के मुद्दों पर-प्रदूषण के दोषी हर्जाने की भरपाई करें और विकासशील देशों को परिणामात्मक नियंत्रण और आर्थिक गतिविधियों के उनके प्रतिमान में परिवर्तनों को स्वीकार करने से मुक्त रखा जाये, इस सिद्धान्त पर आधारित हमारी पारंपरिक स्थिति से अब तक हमारा काम बखूबी चला है । यह भी सच है कि प्रदूषण का कुल संग्रह (प्रवाह नहीं) प्राथमिक रूप से विकसित देशों की देन है और शमन का आधारभूत भार उन्हें ही झेलना चाहिए ।
फिर भी, जैसे-जैसे उभरते बाजार आर्थिक गतिविधि की रफ्तार तेज करेंगे, प्रदूषकों के प्रवाह में उनका योगदान अधिकाधिक बढ़ेगा और भारत और चीन जैसे जनबहुल देशों की भूमिका भी बढ़ेगी । तब अमेरिका और अन्य देशों को इस बात पर राजी करना कठिन हो जायेगा कि हमें ऐसे दायित्वों से पूरी तरह मुक्त बना रहने दिया जाये ।
संक्षेप में कहा जाये तो दायित्वपूर्ति की छूट तो हमें अवश्य मिलनी चाहिए, लेकिन जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर हमें नेतृत्व सम्भालना है, तो दायित्वों से पूरी तरह मुक्त रखे जाने का दबाव बनाए रखना कठिन हो जायेगा ।
पाचवां , भारत के प्रदूषण के सबसे बड़े स्रोतों में से एक ग्रामीणों द्वारा खाना पकाने के लिए गोबर-लकड़ी जैसे ईंधन का उपयोग है । इस प्रक्रिया में पैदा होने वाले कत्जल, धुएं और अन्य अपशिष्टों में भारी मात्रा में कार्बन होता है । ग्रामीणों की ईंधन आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों के दोहन, गैस का इस्तेमाल बढ़ाने या अक्षय ऊर्जा ईंधनों को प्राथमिकता सूची पर सर्वोच्च स्थान दिया जाना जरूरी है ।
अंत में ऊर्जा नीति के मुद्दे पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस, वन और पर्यावरण, कोयला, बिजली, गैर-परम्परागत ऊर्जा, विदेश मंत्रालय जैसे मंत्रालयों और संगठनों के बीच छितरे हैं । राजनीतिक मजबूरियों के चलते शायद किसी भी साझा सरकार के प्रधानमंत्री एक सचमुच अलग, स्वतंत्र ऊर्जा मत्रालय का गठन न कर पायें । समेकित ऊर्जा नीति पर कई समझदारी भरी सिफारिशें प्रस्तुत करने वाली किरीट पारेख की रिपोर्ट में क्रियान्वयन रणनीति का उल्लेख तक नहीं दिखता ।
इन स्थितियों में एक ऐसे समन्वयक निकाय की जरूरत दिखती है, जो ऊर्जा मुद्दों से जुड़े मंत्रालयों और संगठनों को एक सूत्र में बांध पाये । जरूरी यह भी है कि प्रधानमंत्री कार्यालय के अंतर्गत एक राष्ट्रीय ऊर्जा आयोग का गठन किया जाये और अंत में हमें विकास तो करना है, लेकिन विकास का टिकाऊ होना आवश्यक है ।
इसके लिए जलवायु परिवर्तन और विकास बाध्यताओं से निपटना जरूरी होगा । अगर समय रहते शुरूआत न की गयी तो पृथ्वी और इसके साथ ही हमारी भावी पीढ़ियों का अस्तित्व भी संकट में पड़ जायेगा । हमें अपनी नीतियों के आधार की व्यापक समीक्षा करनी ही होगी ।
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पर्यावरण पर निबंध (Essay On Environment In Hindi)
In this Article
पर्यावरण पर 5 लाइन का छोटा निबंध (5 Lines On Environment in Hindi)
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हमारे आसपास मौजूद हर चीज पर्यावरण है, जिसमें हवा, पानी, पेड़-पौधे व अन्य सभी सजीव और निर्जीव शामिल हैं। दुनिया में जीवन आने के बाद से विकास शुरू हुआ और हर दौर के लोगों ने पर्यावरण का अपने अनुरूप प्रयोग किया। समय के साथ आधुनिकीकरण भी बढ़ता गया और हम मनुष्यों ने भविष्य की चिंता न करते हुए प्राकतिक संसाधनों का दुरुपयोग करना शुरू कर दिया। नतीजा यह हुआ कि पर्यावरण खतरे में आ गया और उसके साथ-साथ अब हम सब का जीवन भी खतरे में है। इसलिए पर्यावरण को बचाना बहुत जरूरी और हम सभी को मिलकर लोगों में पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलानी चाहिए।
नीचे हिंदी में दिए पर्यावरण संरक्षण पर निबंध के जरिए आप बेहतर रूप से पर्यावरण की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं और अपने बच्चे को भी शिक्षित कर सकते हैं। क्योंकि आने वाले समय में पर्यावरण संरक्षण की डोर आपके बच्चे के हाथों में होगी।
निबंध लिखने की शुरुआत छोटे क्लास से ही शुरू हो जाती है। क्लास 1, 2 या 3 के बच्चों को एंवायरमेंट पर हिंदी एस्से लिखना है, तो वो किस तरह से लिख सकते हैं नीचे 5 लाइन में बताया गया है।
- हमारे आसपास और चारों ओर जो कुछ भी सजीव और निर्जीव है, वह पर्यावरण है।
- इंसान और जानवरों को जीने के लिए साफ और स्वच्छ पर्यावरण की जरूरत है।
- स्थलमंडल, जलमंडल, वायुमंडल, और जैवमंडल मिलकर पर्यावरण बना है।
- प्लास्टिक और अन्य हानिकारक घटक हमारे पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा है।
- पर्यावरण में सुधार के लिए ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने चाहिए।
पर्यावरण हम सब के जीवित रहने के लिए जरूरी है और इसे जीवित रखने के लिए पर्यावरण संरक्षण जरूरी है। जिसकी जानकारी आने वाली जनरेशन को होना चाहिए। नीचे दिए गए 10 लाइन के पर्यावरण पर लेख से आप इसके बारे में आसानी से समझ सकते हैं।
- हमारे आसपास के सभी सजीव और निर्जीव घटक से पर्यावरण बना है।
- स्थलमंडल, जलमंडल, वायुमंडल, और जैवमंडल पर्यावरण के प्रमुख घटक है।
- विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून को मनाया जाता है।
- पर्यावरण दूषित होने से इंसान और जानवरों पर भी इसका प्रभाव पड़ेगा।
- स्वस्थ जीवन के लिए साफ और स्वच्छ पर्यावरण का होना जरूरी है।
- पर्यावरण के दूषित होने के कारण लोगों में बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं।
- हमें लोगों में पर्यावरण की सुरक्षा को लेकर जागरूकता फैलानी चाहिए।
- पर्यावरण बचाने के लिए ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने चाहिए।
- प्लास्टिक की थैलियों का इस्तेमाल बिलकुल बंद कर देना चाहिए।
- पुनःउपयोग और पुनःचक्रण को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
निबंध लिखने की शुरुआत क्लास 1, 2 और 3 के बच्चों से कर दी जाती है, जैसे-जैसे क्लास बढ़ता है निबंध और विस्तार में लिखा जाने लगता है। बड़ों के लिए निबंध लिखना आसान होता है, लेकिन छोटे बच्चों के लिए यह एक चुनौती हो सकता है। इस चुनौती को आसान बनाने के लिए हिंदी में पर्यावरण पर दिए गए निबंध को पढ़ें।
पर्यावरण का मतलब होता है हमारे आसपास मौजूद सभी चीजें जो कही न कहीं हमे प्रभावित कर रही हैं। जैसे कि हवा, पानी, पेड़, जानवर, गंदगी, आदि। अगर आपका पर्यावरण स्वच्छ है तो पृथ्वी पर मौजूद सभी जीवित चीजें जैसे कि मनुष्य, जानवर को बढ़ने और विकास करने में मदद मिलेगी। लेकिन अब कई इंसानों द्वारा विकसित की गई तकनीकों के कारण हमारी पृथ्वी पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है, जो हमारा पर्यावरण का संतुलन बिगाड़ रहा है। ऐसे कर के इंसान बिना भविष्य के बारें में सोचकर अपने ही जीवन को खतरे में डाल रहा है। क्योंकि पर्यावरण हमें वो सभी जरूरतमंद संसाधन प्रदान करता है जो हमारे बढ़ने और विकास के लिए बेहतर माने जाते हैं। पृथ्वी पर जीवित रहने के लिए हमें पर्यावरण को दूषित करने वाले सभी कार्यों को रोकने का प्रयास करते रहना चाहिए ताकि बच्चों के आने वाले भविष्य को सुरक्षित किया जा सके।
पर्यावरण हमारे आसपास के सभी सजीव और निर्जीव घटक से मिलकर बना है। स्थलमंडल, जलमंडल, वायुमंडल, और जैवमंडल पर्यावरण के प्रमुख अंग है। पर्यावरण का महत्व समझते हुए हम सब को पर्यावरण बचाने का प्रयास करना चाहिए जिसमें ज्यादा से ज्यादा बच्चों को शामिल करें, क्योंकि अब भविष्य इन्हे ही तय करना है, और उसकी तैयारी अभी से शुरू कर देनी चाहिए। कुछ नीचे बताए बिंदुओं से पर्यावरण के बारे में हम विस्तार में हम जानेंगे।
पर्यावरण क्या है? (What Is the Environment?)
पर्यावरण का अर्थ है ‘’चारों ओर से घिरा हुआ’’ जिसे आप ऐसे समझ सकते हैं कि हमारे आसपास मौजूद लगभग हर चीज पर्यावरण के दायरे में आती है। प्राकृतिक और मानवीय पर्यावरण मिलकर एक संपूर्ण पर्यावरण का निर्माण करते हैं। जिसमें भूमि, हवा, पानी, पेड़-पौधे, पशु-पक्षी तथा जीव जन्तु आदि शामिल है।
पर्यावरण का महत्व (Significance of Environment)
- मनुष्य जीवन का निर्भर होना: हम इंसानों का जीवन पूरी तरह से पर्यावरण पर निर्भर करता है। जैसे भोजन, पानी हवा आदि।
- प्राकृतिक संसाधन का बेहतरीन स्रोत: पर्यावरण हमारी रोज की दिनचर्या को चलाने के लिए वो सभी प्राकृतिक तत्व प्रदान करता है जो पृथ्वी पर जिंदा रहने वाले सभी प्राणियों के लिए आवश्यक है।
- रोजगार का माध्यम: लाखों-करोड़ों किसान अपनी रोजी-रोटी के लिए पर्यावरण पर निर्भर रहते हैं। जो किसानी कर के फसलों को उगाने और बेचने का काम कर रहे हैं और इससे उनका घर चल रहा है।
- खाने का मुख्य स्रोत: पर्यावरण के कारण ही पृथ्वी पर जीवन संभव हो सका है, इसके जरिए हमे वो मिलता है जिसके बिना जीवन मुमकिन नहीं है और वो है भोजन, हमारा खाना जो हमारी सबसे बड़ी जरूरतों में से एक है।
- औषधियों का स्रोत: हमारी प्रकृति औषधियों का एक समृद्ध स्रोत है। सालों से ही लोगों के इलाज लिए जड़ी-बूटी और आयुर्वेद का सहारा लिया जाता रहा है और अभी इसका उपयोग जारी है।
पर्यावरणीय अवनयन या पर्यावरण ह्रास के प्रमुख कारण (Major Causes Of Environmental Degradation)
पर्यावरणीय ह्रास के दो प्रमुख कारण हैं पहला प्राकृतिक और दूसरा मानव निर्मित, जिसकी वजह से हमारे नेचुरल रिसोर्सेज और इकोसिस्टम प्रभावित हो रहे हैं। प्राकृतिक कारणों के पीछे भी कही न कहीं हम ही जिम्मेदार हैं। इसे समय रहते रोकना बहुत जरूरी है। हमारे द्वारा पैदा किया जाने वाले प्रदूषण, फैक्ट्री और वाहनों से निकलने वाली जहरीली गैसों से पर्यावरण को काफी ज्यादा नुकसान पहुंच रहा है। इसके अलावा लड़कियों से बनने वाले सामानों की बढ़ती मांग के चलते पेड़ों को तेजी से काटा जा रहा है, जंगल खत्म किए जा रहे हैं, जिसकी वजह से वातावरण में ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड का संतुलन बिगड़ने लगा है। इतना ही नहीं इन दिनों नॉन-बायोडिग्रेडेबल कचरों की वृद्धि के कारण रासायनिक कीटनाशकों के उपयोग को बढ़ाया जा रहा है, जो हमारी मिटटी की गुणवत्ता पर प्रभाव डाल रहा और फसलों पर भी।
पर्यावरण को बचाने के उपाय (Measures To Protect The Environment)
हम पर्यावरण को बचाने के लिए यह आसान उपाय अपने जीवन में लागू कर सकते हैं:
- पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाएं।
- नहाते वक्त या घर के अन्य कामों के लिए सिर्फ जरूरत भर पानी का इस्तेमाल करें।
- जरूरत न होने पर घर के पंखें और लाइट को बंद कर दें।
- बिजली बचाने वाले उपकरणों का प्रयोग करें।
- इको-फ्रैंडली चीजों का जितना हो सके प्रयोग करें।
- लोगों के बीच पर्यावरण को लेकर जागरूकता फैलाएं।
- हर दिन लगभग 27,000 से ज्यादा पेड़ काटे जा रहे हैं।
- प्लास्टिक के कारण हर साल लगभग 1,000,000 समुद्री जानवरों की मौत हो जाती है।
- पृथ्वी का केवल 1% पानी ही पीने योग्य है।
- ऑक्सीजन हर जीवित प्राणियों के लिए जरूरी है।
- पेड़ से बनाए गए पेपर को 6 बार रीसायकल किया जा सकता है।
हमारा पर्यावरण अगर बेहतर होगा तो हमारी पृथ्वी और उस पर रहने वाले जीवित लोग भी सुरक्षित रहेंगे। बच्चे आने वाले कल का भविष्य हैं और इसलिए बच्चों को इसके महत्व के बारे में जानकारी होना जरूरी है। ध्यान रहे कि प्लास्टिक और पर्यावरण को दूषित करने वाली हर वस्तु के प्रयोग से हमे बचना चाहिए और एको फ्रैंडली चीजों का उपयोग करना चाहिए साथ साथ जितना हो सके उतने ज्यादा पेड़ लगाएं।
1. प्रथम पर्यावरण दिवस कब मनाया गया था ?
प्रथम विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून 1973 को मनाया गया था।
2. भारत की मदर ऑफ एनवायरनमेंट किसे कहा जाता है?
श्रीमती सुनीता नारायण को भारत की मदर ऑफ एनवायरनमेंट कहा जाता है। यह एक भारतीय एनवीरोंमेंटलिस्ट और राजनीतिक कार्यकर्ता थी।
3. पर्यावरण में क्या-क्या शामिल होता है?
पर्यावरण में सभी तरह की जीवित और निर्जीव चीजें शामिल होती हैं, जैसे पेड़, जीव-जंतु, वायु, स्थल, जल आदि जिसके आधार पर मानव जीवन टिका हुआ है।
यह भी पढ़ें:
गाय पर निबंध (Essay On Cow In Hindi) प्रदूषण पर निबंध (Essay on Pollution in Hindi)
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पर्यावरण पर निबंध – 10 lines(Environment Essay in Hindi) 100, 150, 200, 250, 300, 500, शब्दों मे
Essay on Environment in Hindi – पर्यावरण का अर्थ है एक ऐसा परिवेश जहां हम मिलते हैं, हम रहते हैं और हम सांस लेते हैं। यह जीवित प्राणियों के लिए बुनियादी आवश्यक चीजों में से एक है। पर्यावरण शब्द में सभी जैविक और अजैविक चीजें शामिल हैं जो हमारे आसपास मौजूद हैं। Essay on Environment यह हवा, पानी, भोजन और भूमि जैसी मूलभूत चीजें प्रदान करता है जो हमारी भलाई के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
यह ईश्वर द्वारा मनुष्य को दिया गया एक उपहार है जो मानव जीवन को पोषित करने में मदद करता है।
पर्यावरण का महत्व (Importance of Environment)
- यह जीवित चीजों को स्वस्थ और हार्दिक बनाए रखने में एक जोरदार भूमिका निभाता है।
- यह पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने में मदद करता है।
- यह भोजन, आश्रय, वायु प्रदान करता है और मानव की सभी आवश्यकताओं को पूरा करता है।
- इस वातावरण के अतिरिक्त प्राकृतिक सौंदर्य का स्रोत है जो शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए आवश्यक है।
पर्यावरण पर निबंध 10 पंक्तियाँ (Essay On Environment 10 Lines in Hindi)
- हमारे चारों ओर जो कुछ भी है, उसे पर्यावरण कहा जाता है।
- पर्यावरण को स्वच्छ और हरा-भरा रखना सभी का दायित्व है।
- सभी जीवित और निर्जीव जीव पर्यावरण के अंतर्गत आते हैं।
- वृक्षारोपण, पुनर्चक्रण, पुन: उपयोग, प्रदूषण कम करने और जागरूकता पैदा करके पर्यावरण को बचाया जा सकता है।
- एक स्वस्थ वातावरण सभी जीवित प्रजातियों के विकास और पोषण में मदद करता है।
- हम सभी जानते हैं कि पृथ्वी को ‘नीला ग्रह’ के नाम से जाना जाता है। फिर फिर, यह एकमात्र ऐसा है जो जीवन को बनाए रखता है।
- पर्यावरण प्रदूषण के कारण ग्लोबल वार्मिंग, अम्लीय वर्षा और प्राकृतिक संसाधनों का ह्रास होता है।
- पर्यावरण को प्रदूषित करने वाली किसी भी गतिविधि में कभी भी प्रोत्साहित नहीं करना चाहिए।
- सभी को यह मानना चाहिए कि पौधों और पेड़ों को बचाना उनका कर्तव्य है। पर्यावरण की रक्षा के लिए प्लास्टिक के प्रयोग से बचें।
- प्रकृतिक वातावरण
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पर्यावरण पर निबंध 100 शब्द (Essay On Environment 100 Words in Hindi)
Essay on Environment in Hindi – पर्यावरण वह परिस्थिति है जिसमें पृथ्वी के सभी प्राकृतिक संसाधन रहने के अनुकूल होते हैं। मनुष्य, जानवर, पेड़, महासागर, चट्टानें पृथ्वी के प्राकृतिक संसाधन हैं और मिलकर पर्यावरण का निर्माण करते हैं। वे एक जीव के लिए रहने की स्थिति प्रदान करने के लिए जिम्मेदार हैं। पर्यावरण को भौतिक और जैविक में वर्गीकृत किया गया है। पहली श्रेणी में वायुमंडल (वायु), जलमंडल (जल), और स्थलमंडल (ठोस) शामिल हैं। दूसरी श्रेणी में मनुष्य जैसे सभी जीवित प्राणी शामिल हैं। पृथ्वी पर जीवन के अस्तित्व के लिए इन दोनों श्रेणियों की एक साथ आवश्यकता है। इनमें से किसी भी श्रेणी के अभाव में पृथ्वी पर जीवित रहने का कोई अवसर नहीं होगा।
पर्यावरण पर निबंध 150 शब्द (Essay On Environment 150 Words in Hindi)
वह परिवेश जिसमें पृथ्वी पर जीवन मौजूद है, पर्यावरण कहलाता है। पर्यावरण में हवा, पानी, सूरज की रोशनी, पेड़, जानवर और इंसान शामिल हैं। वे पृथ्वी के जीवित और निर्जीव प्राणी हैं। पेड़, मनुष्य और जानवर जीवित जीव हैं। सूर्य, जल और वायु निर्जीव जीव हैं जो मनुष्य के अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण हैं। प्रत्येक प्राणी एक दूसरे के लिए एक प्राकृतिक संसाधन है। उदाहरण के लिए, हिरण एक प्राकृतिक संसाधन है जिसे शेर खा सकता है। इन प्राकृतिक संसाधनों में से किसी एक के अभाव में पृथ्वी पर जीवन का अस्तित्व नहीं हो पाएगा।
हालांकि, पर्यावरण में वायुमंडल और जलमंडल के घटक होते हैं जो जीवित प्राणियों के जीवन को प्रभावित करते हैं। वायुमंडल में नाइट्रोजन और ऑक्सीजन जैसी गैसें मौजूद हैं। जलमंडल सभी जल निकायों को कवर करता है, प्रत्येक जीवित प्राणी इन घटकों की विशेषताओं के अनुसार बनाया गया है। उदाहरण के लिए, जलीय जंतु पानी के भीतर सांस लेने के लिए बनाए जाते हैं। हवाई जानवर हवा में सांस लेने के लिए बने होते हैं
पर्यावरण पर निबंध 200 शब्द (Essay On Environment 200 Words in Hindi)
पर्यावरण पृथ्वी का प्राकृतिक परिवेश है जो किसी जीव को जीवित रहने में सक्षम बनाता है। फ्रांसीसी शब्द ‘एनवायरन’ जिसका अर्थ है घेरना, पर्यावरण शब्द का व्युत्पन्न है। इसमें मनुष्य, पौधे और जानवर जैसे जीवित प्राणी शामिल हैं। वायु, जल और भूमि निर्जीव हैं। उनकी कार्यप्रणाली प्रकृति द्वारा इस तरह से डिजाइन की गई है कि सब कुछ एक दूसरे पर निर्भर है। मनुष्य सभी प्राणियों में सबसे प्रभावशाली प्राणी है जो पृथ्वी के सभी प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर हो सकता है। उसे सांस लेने के लिए हवा की आवश्यकता होती है। न केवल मनुष्य बल्कि पौधों और जानवरों को भी सांस लेने के लिए हवा की आवश्यकता होती है। वायु के बिना पृथ्वी पर जीवन नहीं होगा। पर्यावरण की बर्बादी के लिए सिर्फ इंसान ही जिम्मेदार है।
पर्यावरण को विभिन्न परतों जैसे वायुमंडल, जलमंडल, स्थलमंडल और जीवमंडल में विभाजित किया गया है। वायुमंडल कई गैसों जैसे नाइट्रोजन और ऑक्सीजन से बना है। सभी जल निकाय जलमंडल बनाते हैं। लिथोस्फीयर पृथ्वी का आवरण है जो चट्टान और मिट्टी से बना है। जीवमंडल में जीवन मौजूद है।
पर्यावरण पर निबंध 250 शब्द (Essay On Environment 250 Words in Hindi)
Essay on Environment in Hindi – पृथ्वी परिवेश से बनी है जिसमें सभी सजीव और निर्जीव अपना जीवन व्यतीत करते हैं। प्रकृति की भौतिक, जैविक और प्राकृतिक शक्तियाँ एक साथ मिलकर ऐसी परिस्थितियाँ बनाती हैं जो एक जीव को जीने में सक्षम बनाती हैं। ऐसी परिस्थितियों को पर्यावरण कहते हैं। फ्रांसीसी शब्द ‘एनवायरन’ जिसका अर्थ है घेरना, पर्यावरण शब्द का व्युत्पन्न है।
सभी जैविक (जीवित) और अजैविक (निर्जीव) संस्थाएं पर्यावरण का निर्माण करती हैं। जैविक चीजों में शामिल हैं- मनुष्य, पौधे, जानवर और कीड़े। उन्हें पर्यावरण के जैविक घटकों के रूप में वर्गीकृत किया गया है। प्रत्येक जैविक प्राणी का अपना एक निश्चित जीवन चक्र होता है। उदाहरण के लिए, मनुष्य पृथ्वी पर सबसे मजबूत जीवित जीव है। उसे अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए पौधों और जानवरों की जरूरत है। उनके बिना उसका जीवन-चक्र अस्त-व्यस्त हो जाएगा।
जबकि, अजैविक घटकों में वायुमंडल, स्थलमंडल, जलमंडल और जीवमंडल शामिल हैं। वे पर्यावरण की परतें हैं। इन परतों को पर्यावरण के भौतिक घटकों के रूप में वर्गीकृत किया गया है। वायुमंडल हवा की वह परत है जो नाइट्रोजन, ऑक्सीजन और अन्य गैसों से बनी होती है। सभी जल निकाय जैसे नदियाँ और महासागर मिलकर जलमंडल बनाते हैं। स्थलमंडल पृथ्वी का सबसे ठोस, सबसे बाहरी भाग है। यह क्रस्ट से बना है जो पृथ्वी की सतह पर मेंटल, चट्टानों और मिट्टी को ढकता है। सबसे महत्वपूर्ण परत जीवमंडल है जहां जीवन मौजूद है। इसमें जलीय, स्थलीय और हवाई पारिस्थितिक तंत्र शामिल हैं। पेड़ों की जड़ प्रणाली से लेकर गहरे पानी के नीचे के जीवन तक जीवमंडल की विशेषता है।
इन सभी जीवों का अस्तित्व एक दूसरे के साथ उनके निरंतर संपर्क पर निर्भर है। उनकी कार्यप्रणाली प्रकृति द्वारा व्यवस्थित है और एक बार बर्बाद होने पर नष्ट हो सकती है। आज पर्यावरण का क्षरण एक प्रमुख मुद्दा बन गया है जिससे मानव को निपटना है।
पर्यावरण पर निबंध 300 शब्द (Essay On Environment 300 Words in Hindi)
Essay on Environment in Hindi – कई तरह से हमारी मदद करने के लिए हमारे आस-पास के सभी प्राकृतिक संसाधनों को पर्यावरण में शामिल किया जाता है, यह हमें आगे बढ़ने और बढ़ने का एक बेहतर माध्यम देता है। यह हमें इस ग्रह पर रहने के लिए सभी चीजें देता है। हालांकि, अपने पर्यावरण को बनाए रखने के लिए, हमें सभी मदद की ज़रूरत है, ताकि यह हमारे जीवन का पोषण करे और हमारे जीवन को बर्बाद न करे। मानव निर्मित तकनीकी आपदा के कारण हमारे पर्यावरण के तत्व दिन-ब-दिन गिरते जा रहे हैं।
केवल पृथ्वी ही एक ऐसी जगह है जहाँ पूरे विश्व में जीवन संभव है और पृथ्वी पर जीवन को जारी रखने के लिए हमें अपने पर्यावरण की मौलिकता को बनाए रखने की आवश्यकता है। विश्व पर्यावरण दिवस एक अभियान है जो हर साल 5 जून को कई वर्षों तक मनाया जाता है ताकि पर्यावरण संरक्षण और स्वच्छता के लिए दुनिया भर में जनता के बीच जागरूकता फैलाई जा सके। हमें इस वातावरण में भाग लेना चाहिए ताकि हमारे पर्यावरण संरक्षण के तरीके और सभी बुरी आदतें हमारे पर्यावरण दिवस को नुकसान पहुंचा सकें।
हम अपने पर्यावरण को पृथ्वी पर हर व्यक्ति द्वारा उठाए गए छोटे-छोटे कदमों से बहुत ही आसान तरीके से बचा सकते हैं; कचरे की मात्रा को कम करने के लिए, कचरे को ठीक से बदलने के लिए, पॉली बैग के उपयोग को रोकने के लिए, पुरानी वस्तुओं को नए तरीके से पुनर्चक्रण करने के लिए, टूटी हुई वस्तुओं की मरम्मत और पुनर्चक्रण, रिचार्जेबल बैटरी या फ्लोरोसेंट रोशनी का उपयोग करना। बारिश के पानी को बचाने, पानी की बर्बादी को कम करने, ऊर्जा बचाने और बिजली के उपयोग को कम करने के लिए अक्षय क्षारीय बैटरी का उपयोग करें।
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पर्यावरण पर निबंध 500 शब्द (Essay On Environment 500 Words in Hindi)
पर्यावरण वह सब कुछ है जो हमारे चारों ओर प्राकृतिक है। आज यह प्राकृतिक पर्यावरण मानवीय गतिविधियों से खतरे में है। पेड़, जंगल, झीलें, नदियाँ, प्राकृतिक पर्यावरण के कुछ प्रमुख घटक हैं, जबकि सड़कों, कारखानों और कंक्रीट के ढांचे आदि का निर्माण पर्यावरण के अतिक्रमण के उदाहरण हैं। मानवीय हस्तक्षेप के कारण हमारे चारों ओर का प्राकृतिक वातावरण समाप्त होता जा रहा है।
पर्यावरण अनमोल है
‘पर्यावरण अनमोल है’; इस दावे को प्रमाणित करने के लिए कम से कम दो मुख्य स्पष्टीकरण हैं। पहला यह है कि आज हम जिस प्राकृतिक वातावरण में रहते हैं, जैसे नदियों, झीलों, जंगलों, पहाड़ियों, भूजल संसाधनों आदि को वर्तमान अवस्था में आने में हजारों या लाखों साल लग गए हैं। पर्यावरण की बहुमूल्यता को प्रमाणित करने का दूसरा तर्क यह है कि यह स्वस्थ और सुखी जीवन के लिए अति आवश्यक है। मुझे थोड़ा विस्तार से बताएं।
कोई भी वनाच्छादित क्षेत्र जिसे आप जानते हैं वह आपके बचपन से रहा है, शायद हजारों वर्षों में विकसित हुआ है। एक प्राकृतिक जंगल को अपनी पूर्ण महिमा में आने और उस सभी जैव विविधता का समर्थन करने में इतने सालों लगते हैं। लेकिन जब किसी जंगल को व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए काटा जाता है, तो चीजें कभी भी वैसी नहीं रहतीं, भले ही जंगल को फिर से बढ़ने का उचित मौका दिया जाए। अफसोस की बात है कि जैव विविधता के नुकसान की भरपाई कभी नहीं की जा सकती, चाहे हम कितनी भी कोशिश कर लें।
यही स्थिति पर्यावरण के अन्य तत्वों के साथ भी है। जिस भूजल का हम प्रतिदिन उपयोग करते हैं, वह हजारों वर्षों की अवधि में निर्मित हुआ है। इसका मतलब है कि भूजल के किसी भी अपशिष्ट को फिर से भरने में सदियों लगेंगे।
जीवन और पर्यावरण
हम रोज़मर्रा के कामों में इतने मशगूल हैं कि हमें उस हंगामे के पीछे की असली ताकत का एहसास नहीं होता, जो हमें चुनौतियों का सामना करने की ताकत देता है। हम सोचते हैं कि हमारी इच्छाएं और महत्वाकांक्षाएं हमें प्रेरित करती हैं, लेकिन यह केवल आधा सच है। महत्वाकांक्षाएं और कुछ नहीं बल्कि मन के लक्ष्य हैं जो हम अपने लिए निर्धारित करते हैं, लेकिन हम उन लक्ष्यों को प्राप्त करने में सक्षम होते हैं, केवल इसलिए कि हमारा पर्यावरण स्वास्थ्य में हमारा समर्थन करता है।
यह हमें जीवन के लिए सभी आवश्यक आवश्यकताएं प्रदान करता है – ऑक्सीजन, पानी, भोजन, वायु और अन्य महत्वपूर्ण संसाधन। हम एक निर्दिष्ट सीमा से अधिक पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचा सकते। क्योंकि, अगर हम ऐसा करते हैं, तो पृथ्वी पर कोई जीवन नहीं होगा, एक कठिन जीवन के बारे में भूल जाओ।
सौभाग्य से, जिस हवा में हम सांस लेते हैं, उसमें अभी भी 20% ऑक्सीजन सांद्रता द्वारा होती है, जबकि मनुष्यों को सांस लेने या अधिक विशिष्ट होने के लिए – ‘जीने के लिए’ लगभग 19.5% ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है। हालाँकि, जिस दर से हम अपने पर्यावरण को नुकसान पहुँचा रहे हैं, टेबल जल्दी से पर्याप्त रूप से बदल सकते हैं, मरम्मत के लिए कोई जगह नहीं छोड़ेंगे।
महासागरों से समुद्री ऑक्सीजन की हानि पहले से ही मछलियों और अन्य समुद्री प्रजातियों के अस्तित्व के लिए खतरा है। समुद्र में ऑक्सीजन के स्तर में गिरावट के लिए जिम्मेदार कारक जलवायु परिवर्तन और पोषक तत्व प्रदूषण हैं। जलवायु परिवर्तन मुख्य रूप से मानवीय गतिविधियों का परिणाम है और यह समग्र रूप से पर्यावरण के लिए भी खतरा है।
ये परिवर्तन संभवत: अलार्म कॉल हैं जो पर्यावरण को होने वाले नुकसान के खिलाफ मानवता को चेतावनी देते हैं। स्वच्छ और सुरक्षित वातावरण के बिना, ग्रह पर किसी भी तरह के जीवन के बारे में सोचना भी बेकार होगा। अगर पर्यावरण को नुकसान होता रहा तो पृथ्वी की सारी सुंदरता गायब हो जाएगी।
यह संदेह से परे है कि ग ग्रह पर जीवन के लिए आवश्यक है और जब तक अपने मूल रूप और आकार में रहता है, जीवन फलता-फूलता रहेगा। लेकिन, अगर यह एक निश्चित स्तर से अधिक क्षतिग्रस्त हो जाता है तो धीरे-धीरे भूमि और समुद्री जीवन समाप्त हो जाएगा, जिससे ग्रह बेजान हो जाएगा। इसलिए पर्यावरण को होने वाले नुकसान की जांच करना और इस संबंध में आवश्यक कदम उठाना हमारी सबसे बड़ी जिम्मेदारी है।
पर्यावरण पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
पर्यावरण क्यों महत्वपूर्ण है.
पर्यावरण हर किसी के जीवन में एक आवश्यक भूमिका निभाता है। यह सभी जीवों का एकमात्र घर है। ऐसा इसलिए है क्योंकि पर्यावरण हवा, भोजन, पानी और आश्रय प्रदान करता है।
मानव द्वारा किन प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग किया जाता है?
मनुष्य पृथ्वी पर प्राकृतिक संसाधनों का प्रमुख उपभोक्ता है। वे जानवरों और पौधों से खाद्य उत्पाद प्राप्त करते हैं। वस्त्र मनुष्य की मूलभूत आवश्यकताओं में से एक है। वह फिर से उन्हीं उल्लिखित संसाधनों से कपड़े प्राप्त करता है।
मनुष्य पर्यावरण को कैसे खराब करेंगे?
मानव द्वारा प्राकृतिक संसाधनों का दुरुपयोग प्राकृतिक पर्यावरण के क्षरण का प्रमुख कारण है। आदमी की जरूरत ने दुनिया भर के आधे से ज्यादा जंगलों का सफाया कर दिया है। फलस्वरूप आज बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाएँ आम हो गई हैं।
एक पारिस्थितिकी तंत्र क्या है?
एक पारिस्थितिकी तंत्र एक बड़ा समुदाय है जिसमें जीवन के कुछ या सभी रूप एक साथ मिलकर जीवन यापन करते हैं। पृथ्वी पर एक स्थलीय पारिस्थितिकी तंत्र है। पेड़, पौधे, झाड़ियाँ बड़े और छोटे जानवर, कीड़े एक साथ रहते हैं और एक दूसरे पर निर्भर हैं। वन जानवरों का प्राकृतिक आवास है। जानवरों को उनके प्राकृतिक घर से बाहर निकालना उनके पारिस्थितिकी तंत्र के लिए एक बड़ी आपदा होगी।
वनों की कटाई क्या है?
निर्माण, कृषि भूमि और शहरीकरण जैसे विभिन्न उपयोगों के लिए दुनिया भर में पेड़ों को काटना। यह प्राकृतिक पर्यावरण को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर रहा है।
पर्यावरण पर निबंध
By विकास सिंह
एक पर्यावरण प्राकृतिक दुनिया है जो पृथ्वी को घेरती है और एक विशेष भौगोलिक क्षेत्र बनाती है जिसमें मानव, पशु, पौधे और अन्य जीवित और गैर-जीवित चीजें मौजूद हैं।
पर्यावरण पर निबंध, short essay on environment in hindi (100 शब्द)
एक पर्यावरण प्राकृतिक परिवेश है जो जीवन को पृथ्वी नामक इस ग्रह पर विकसित, पोषण और नष्ट करने में मदद करता है। प्राकृतिक पर्यावरण पृथ्वी पर जीवन के अस्तित्व में एक महान भूमिका निभाता है और यह मनुष्य, जानवरों और अन्य जीवित चीजों को स्वाभाविक रूप से विकसित और विकसित करने में मदद करता है।
लेकिन मानव की कुछ बुरी और स्वार्थी गतिविधियों के कारण, हमारा पर्यावरण प्रभावित हो रहा है। यह सबसे महत्वपूर्ण विषय है कि हर किसी को यह जानना चाहिए कि हमारे पर्यावरण की रक्षा कैसे करें ताकि इसे हमेशा के लिए सुरक्षित रखा जा सके और साथ ही इस ग्रह पर जीवन के अस्तित्व को बनाए रखने के लिए प्रकृति के संतुलन को सुनिश्चित किया जा सके।
पर्यावरण पर निबंध, essay on environment in hindi (150 शब्द)
जैसा कि हम सभी पर्यावरण से अच्छी तरह से परिचित हैं, यह सब कुछ है जो हमें प्राकृतिक रूप से घेरता है और पृथ्वी पर हमारे दैनिक जीवन को प्रभावित करता है। सब कुछ एक पर्यावरण के अंतर्गत आता है, हवा जो हम हर पल सांस लेते हैं, पानी जो हम अपने दैनिक दिनचर्या, पौधों, जानवरों और अन्य जीवित चीजों के लिए उपयोग करते हैं, आदि। एक पर्यावरण को स्वस्थ वातावरण कहा जाता है जब प्राकृतिक चक्र बिना किसी गड़बड़ी के कंधे से कंधा मिलाकर चलता है। प्रकृति के संतुलन में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी पर्यावरण को पूरी तरह से प्रभावित करती है जो मानव जीवन को बर्बाद कर देती है।
अब, मानव के अग्रिम जीवन स्तर के युग में, वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, वनों की कटाई, जल प्रदूषण, मृदा प्रदूषण, अम्ल वर्षा और अन्य खतरनाक आपदाओं के माध्यम से हमारा पर्यावरण काफी हद तक प्रभावित हो रहा है। तकनीकी प्रगति के माध्यम से मनुष्य। हम सभी को अपने प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा के लिए इसे हमेशा की तरह सुरक्षित रखने की शपथ लेनी चाहिए।
पर्यावरण पर निबंध, 200 शब्द:
पर्यावरण का अर्थ है सभी प्राकृतिक परिवेश जैसे भूमि, वायु, जल, पौधे, पशु, ठोस पदार्थ, अपशिष्ट, धूप, वन और अन्य चीजें। स्वस्थ वातावरण प्रकृति के संतुलन को बनाए रखता है और साथ ही पृथ्वी पर सभी जीवित चीजों को विकसित, पोषण और विकसित करने में मदद करता है। हालांकि, आजकल कुछ मानव निर्मित तकनीकी प्रगति पर्यावरण को कई तरीकों से खराब कर रही है जो अंततः प्रकृति के संतुलन या संतुलन को परेशान करती है। हम इस ग्रह पर भविष्य में जीवन के अस्तित्व के साथ-साथ अपने जीवन को भी खतरे में डाल रहे हैं।
यदि हम प्रकृति के अनुशासन से बाहर कुछ भी गलत तरीके से करते हैं, तो यह पूरे वातावरण को परेशान करता है जिसका अर्थ है वायुमंडल, जलमंडल और लेपोस्फियर। प्राकृतिक पर्यावरण के अलावा, एक मानव निर्मित पर्यावरण भी मौजूद है जो प्रौद्योगिकी, कार्य पर्यावरण, सौंदर्यशास्त्र, परिवहन, आवास, उपयोगिताओं, शहरीकरण आदि से संबंधित है। मानव निर्मित पर्यावरण प्राकृतिक पर्यावरण को काफी हद तक प्रभावित करता है जो हम सभी को एक साथ बचाना चाहिए।
प्राकृतिक पर्यावरण के घटकों का उपयोग एक संसाधन के रूप में किया जाता है, लेकिन यह कुछ बुनियादी भौतिक आवश्यकताओं और जीवन के उद्देश्य को पूरा करने के लिए मानव द्वारा भी शोषण किया जाता है। हमें अपने प्राकृतिक संसाधनों को चुनौती नहीं देनी चाहिए और पर्यावरण को इतना प्रदूषण या कचरा डालना बंद करना चाहिए। हमें अपने प्राकृतिक संसाधनों को महत्व देना चाहिए और प्राकृतिक अनुशासन में रहकर उनका उपयोग करना चाहिए।
पर्यावरण पर निबंध, 250 शब्द:
एक पर्यावरण में सभी प्राकृतिक संसाधन शामिल हैं जो कई तरीकों से मदद करने के लिए हमें घेर लेते हैं। यह हमें विकसित होने और विकसित करने के लिए बेहतर माध्यम प्रदान करता है। यह हमें सभी चीजें देता है जो हमें इस ग्रह पर अपना जीवन जीने के लिए चाहिए। हालांकि, हमारे पर्यावरण को भी हमेशा की तरह बनाए रखने के लिए, अपने जीवन को हमेशा के लिए पोषण देने और अपने जीवन को कभी भी बर्बाद नहीं करने के लिए हम सभी से कुछ मदद की आवश्यकता होती है। हमारे पर्यावरण के तत्व दिन-ब-दिन गिरते जा रहे हैं क्योंकि आदमी ने तकनीकी आपदा को बनाया है।
हमें पृथ्वी पर जीवन को जारी रखने के लिए अपने पर्यावरण की मौलिकता को बनाए रखने की आवश्यकता है, एकमात्र जगह जहां पूरे ब्रह्मांड में अब तक जीवन संभव है। विश्व पर्यावरण दिवस पर्यावरण संरक्षण और स्वच्छता के प्रति दुनिया भर में जन जागरूकता फैलाने के लिए 5 जून को हर साल सालों से मनाया जाने वाला एक अभियान है। हमें उत्सव के विषय को जानने, अपने पर्यावरण को बचाने के तरीकों को जानने और उन सभी बुरी आदतों के बारे में जागरूक करने के लिए अभियान उत्सव में भाग लेना चाहिए जो पर्यावरण को दिन-प्रतिदिन गिरती जा रही हैं।
हम पृथ्वी पर हर व्यक्ति द्वारा उठाए गए छोटे से कदम से अपने पर्यावरण को बहुत आसान तरीके से बचा सकते हैं। हमें कचरे की मात्रा को कम करना चाहिए, कचरे को ठीक से उसके स्थान पर फेंकना चाहिए, पॉली बैग का उपयोग बंद कर देना चाहिए, कुछ पुरानी चीजों को नए तरीकों से फिर से उपयोग करना चाहिए, उन्हें फेंकने के बजाय टूटी चीजों की मरम्मत और उपयोग करना चाहिए, देखें कि उन्हें सुधारने में कितना समय लगेगा; रिचार्जेबल बैटरी या अक्षय क्षारीय बैटरी का उपयोग करें, फ्लोरोसेंट लाइट, वर्षा जल संरक्षण, पानी की बर्बादी को कम करने, ऊर्जा संरक्षण, बिजली का न्यूनतम उपयोग आदि का उपयोग करें।
पर्यावरण पर निबंध, essay on environment in hindi (300 शब्द)
पृथ्वी पर जीवन का पोषण करने के लिए प्रकृति द्वारा एक उपहार दिया जाता है। जो कुछ हम अपने जीवन को जारी रखने के लिए उपयोग करते हैं वह पानी, हवा, धूप, भूमि, पौधों, जानवरों, जंगलों और अन्य प्राकृतिक चीजों जैसे पर्यावरण के अंतर्गत आता है। हमारा पर्यावरण पृथ्वी पर स्वस्थ जीवन के अस्तित्व को संभव बनाने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हालांकि, आधुनिक युग में मानव निर्मित तकनीकी प्रगति के कारण हमारा पर्यावरण दिन-प्रतिदिन खराब होता जा रहा है। इस प्रकार, पर्यावरण प्रदूषण आज हमारे सामने सबसे बड़ी समस्या बन गया है।
पर्यावरण प्रदूषण हमारे दैनिक जीवन को सामाजिक, शारीरिक, आर्थिक, भावनात्मक और बौद्धिक रूप से जीवन के विभिन्न पहलुओं में नकारात्मक रूप से प्रभावित कर रहा है। पर्यावरण के दूषित होने से बहुत सारी बीमारियाँ होती हैं जिनसे इंसान पूरी जिंदगी पीड़ित हो सकता है। यह समुदाय या शहर की समस्या नहीं है, यह एक विश्वव्यापी समस्या है जिसे किसी के प्रयास से हल नहीं किया जा सकता है। यदि इसे ठीक से संबोधित नहीं किया जाता है, तो यह एक दिन जीवन के अस्तित्व को समाप्त कर सकता है। प्रत्येक और हर आम नागरिक को सरकार द्वारा शुरू किए गए पर्यावरण सुरक्षा कार्यक्रम में शामिल होना चाहिए।
हमें प्रदूषण से स्वस्थ और सुरक्षित बनाने के लिए अपने पर्यावरण के प्रति अपनी गलतियों और स्वार्थ को ठीक करना चाहिए। यह विश्वास करना कठिन है, लेकिन यह सच है कि हर किसी के द्वारा केवल थोड़ी सकारात्मक हरकत से ही पर्यावरण में भारी बदलाव आ सकता है। वायु और जल प्रदूषण विभिन्न बीमारियों और विकारों के कारण हमारे स्वास्थ्य को खतरे में डाल रहा है।
एक दिन में कुछ भी स्वस्थ नहीं कहा जा सकता है, क्योंकि हम जो खाते हैं वह पहले से ही कृत्रिम उर्वरकों के बुरे प्रभावों से प्रभावित होता है जो सूक्ष्मजीवों के कारण होने वाली बीमारी से लड़ने के लिए हमारे शरीर की प्रतिरक्षा को कम और कमजोर करता है। इसीलिए, हम में से कोई भी स्वस्थ और खुश होने के बाद भी कभी भी रोगग्रस्त हो सकता है।
इसलिए, यह दुनिया भर में एक प्रमुख मुद्दा है जिसे सभी के निरंतर प्रयासों से हल किया जाना चाहिए। हमें विश्व पर्यावरण दिवस अभियान में पर्यावरण सुरक्षा कार्यक्रम में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए भाग लेना चाहिए।
पर्यावरण पर निबंध, long essay on environment in hindi (400 शब्द)
पृथ्वी पर जीवन को संभव बनाने वाली सभी प्राकृतिक चीजों में जल, वायु, सूर्य का प्रकाश, भूमि, अग्नि, वन, पशु, पौधे आदि शामिल हैं। यह माना जाता है कि ब्रह्मांड में पृथ्वी ही एकमात्र ऐसा ग्रह है जिसके लिए आवश्यक वातावरण है जीवन अस्तित्व। पर्यावरण के बिना हम यहां जीवन का अनुमान नहीं लगा सकते हैं इसलिए हमें भविष्य में जीवन की संभावना सुनिश्चित करने के लिए अपने पर्यावरण को सुरक्षित और स्वच्छ रखना चाहिए।
यह दुनिया भर में पृथ्वी पर रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति की जिम्मेदारी है। सभी को आगे आना चाहिए और पर्यावरण सुरक्षा के अभियान में शामिल होना चाहिए। प्रकृति के संतुलन को बनाए रखने के लिए पर्यावरण और जीवित चीजों के बीच नियमित रूप से होने वाले विभिन्न चक्र हैं। हालांकि, किसी भी तरह से अगर इस तरह के चक्र परेशान हो जाते हैं, तो प्रकृति का संतुलन भी गड़बड़ा जाता है जो अंततः मानव जीवन को प्रभावित करता है।
हमारा पर्यावरण हमें और हजारों वर्षों से धरती पर विकसित होने, विकसित होने और पनपने के लिए अस्तित्व के अन्य रूपों में मदद करता है। जैसा कि मनुष्य को पृथ्वी पर प्रकृति द्वारा बनाया गया सबसे बुद्धिमान प्राणी माना जाता है, उनके पास ब्रह्मांड में चीजों को जानने की बहुत उत्सुकता है जो उन्हें तकनीकी प्रगति की ओर ले जाती है।
हर किसी के जीवन में इस तरह की तकनीकी प्रगति पृथ्वी पर जीवन की संभावनाओं को खतरे में डालती है क्योंकि हमारा पर्यावरण धीरे-धीरे नष्ट हो रहा है। ऐसा लगता है कि एक दिन यह जीवन के लिए इतना हानिकारक हो गया है क्योंकि प्राकृतिक हवा, मिट्टी और पानी प्रदूषित हो रहे हैं। यहां तक कि इसने मानव, पशु, पौधों और अन्य जीवित चीजों के स्वास्थ्य पर अपना बुरा प्रभाव दिखाना शुरू कर दिया है।
हानिकारक रसायनों का उपयोग करके कृत्रिम रूप से तैयार किए गए उर्वरक मिट्टी को खराब कर रहे हैं जो अप्रत्यक्ष रूप से हमारे शरीर में एकत्र किए गए भोजन के माध्यम से रोजाना खाते हैं। दैनिक आधार पर औद्योगिक कंपनियों से उत्पन्न हानिकारक धूम्रपान, प्राकृतिक हवा को प्रदूषित कर रहे हैं जो हमारे स्वास्थ्य को काफी हद तक प्रभावित करते हैं क्योंकि हम हर पल सांस लेते हैं।
इस तरह की व्यस्त, भीड़ और उन्नत जीवन में हमें दैनिक आधार पर इस प्रकार की छोटी बुरी आदतों का ध्यान रखना चाहिए। यह सच है कि सभी के अंत तक केवल एक छोटा सा प्रयास हमारे गिरते पर्यावरण के प्रति एक बड़ा सकारात्मक बदलाव ला सकता है। हमें केवल अपने स्वार्थ के लिए गलत तरीकों से प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग नहीं करना चाहिए और अपनी विनाशकारी इच्छाओं को पूरा करना चाहिए।
हमें अपने जीवन की बेहतरी के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकियों को विकसित और विकसित करना चाहिए लेकिन हमेशा सुनिश्चित रहें कि यह भविष्य में किसी भी तरह से हमारे पर्यावरण को बर्बाद नहीं करेगा। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि नई प्रौद्योगिकियां पारिस्थितिक संतुलन को कभी नहीं बिगाड़ेंगी।
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विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.
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भारत में पर्यावरण के प्रति वैदिक काल से ही जागरूकता रही है. विभिन्न पौराणिक ग्रंथो में पर्यावरण के विभिन्न कारको का महत्व व उनको आदर देते हुए संरक्षण की बात कही गई है.
भारतीय ऋषियों ने सम्पूर्ण प्राकृतिक शक्तियों को ही देवता का स्वरूप माना है. सूर्य जल, वनस्पति, वायु व आकाश को शरीर का आधार बताया गया है.
अथर्ववेद में भूमिसूक्त पर्यावरण संरक्षण का प्रथम लिखित दस्तावेज है. ऋग्वेद में जल की शुद्दता, यजुर्वेद में सभी प्रकृति तत्वों को देवता के समान आदर देने की बात कही गई है.
पहले अमेरिका प्रदूषण का उत्सर्जन करता था, लेकिन अब चीन उससे आगे निकल चुका है।
वैदिक उपासना के शांति पाठ में भी अन्तरिक्ष, पृथ्वी, जल, वनस्पति, आकाश सभी में शान्ति एवं श्रेष्टता की प्रार्थना करी गई है. वेदों में ही एक वृक्ष लगाने का पुण्य सौ पुत्रो के पालन के समान बताया गया है. हमारे राष्ट्र गीत वंदेमातरम् में पृथ्वी को ही माता मानकर उसे पूजनीय माना गया है.
हमारी संस्कृति को अरण्य संस्कृति भी कहा जाता है . इसके पीछे भाव यही है कि वन हरे भरे वृक्षों से सदैव यहाँ का पर्यावरण समर्द्ध रहा है.
महाभारत व रामायण में वृक्षों के प्रति अगाध श्रद्धा बताई गई है. विष्णु धर्म सूत्र, स्कन्द पुराण तथा याज्ञवल्क्य स्मृति में वृक्षों को काटने को अपराध बताया गया है तथा वृक्ष काटने वालों के लिए दंड का विधान किया गया है.
विश्व पर्यावरण दिवस पूरे विश्व में 5 जून को मनाया जाता है. पर्यावरण ही हमारी वैदिक परम्परा रही है कि प्रत्येक मनुष्य पर्यावरण में ही पैदा होता है, पर्यावरण में ही जीता है और पर्यावरण में ही लीन हो जाता है.
वर्तमान में पर्यावरण चेतना के प्रति जागरूकता अत्यंत आवश्यक है क्योकि पर्यावरण प्रदूषित हो जाने से ग्लोबल वार्मिग की समस्या उत्पन्न हो गई है. इसको रोकने के लिए पर्यावरण संरक्षण व पर्यावरण शिक्षा का प्रचार जरुरी है. हमारे देश में पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कई अहम कदम उठाए गये है
जिनमे खेजड़ली आंदोलन, चिपकों आंदोलन, अप्पिको आंदोलन, शांतघाटी आंदोलन और नर्मदा बचाओ आंदोलन पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता के ही परिचायक है. राजस्थान के बिश्नोई समाज के 29 सूत्र पर्यावरण संरक्षण के महत्वपूर्ण नियम है.
भारत विश्व के प्रमुख जैव विविधता वाले देशों में से एक है, जहां पूरी दुनिया में पाए जाने वाले स्तनधारियों का 7.6%, पक्षियों का 12.6%, सरीसृप का 6.2% और फूलों की प्रजातियों का 6.0% निवास करती हैं.
Best Short Environment Conservation Essay in Hindi For Kids In 500 Words
प्रस्तावना- पर्यावरण शब्द परि+आवरण के संयोग से बना हुआ है. परि का आशय चारो ओर तथा आवरण का आशय परिवेश हैं. वास्तव में पर्यावरण में वायु, जल, भूमि, पेड़ पौधे, जीव जन्तु मानव और इसकी विविध गतिविधियों के परिणाम आदि सभी का समावेश होता हैं.
इस धरती और सृष्टि के पर्यावरण का निर्माण करने वाले भूमि जल एवं वायु आदि तत्वों में जब कुछ विकृति आ जाती हैं अथवा इसका आपस में संतुलन गडबडा जाता है, तब पर्यावरण प्रदूषित हो जाता हैं.
पर्यावरण संरक्षण की समस्या- धरती पर जनसंख्या की निरंतर वृद्धि, औद्योगिकीकरण एवं शहरीकरण की तीव्र गति से जहाँ प्रकृति के हरे भरे क्षेत्रों को समाप्त किया जा रहा है.
वहां ईधन चालित यातायात वाहनों, खदानों, प्राकृतिक संसाधनों के विदोहन और आण्विक ऊर्जा के प्रयोग से सारा प्राकृतिक संतुलन डगमगाता जा रहा हैं.
वर्तमान समय में गैसीय पदार्थों, अपशिष्ट पदार्थों, विभिन्न यंत्रों की कर्णकटु ध्वनियों एवं अनियंत्रित भूजल के उपयोग आदि कार्यों से भूमि, जल, वायु, भूमंडल तथा समस्त प्राणियों का जीवन पर्यावरण प्रदूषण से ग्रस्त हो रहा हैं. ऐसे में पर्यावरण का संरक्षण करना और इसमें संतुलन बनाएं रखना कठिन कार्य बन गया हैं.
पर्यावरण संरक्षण का महत्व- पर्यावरण संरक्षण का समस्त प्राणियों के जीवन तथा इस धरती के समस्त प्राकृतिक परिवेश से घनिष्ठ सम्बन्ध है. पर्यावरण संरक्षण को लेकर सन 1992 में संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा ब्राजील में विश्व के 174 देशों का पृथ्वी सम्मेलन आयोजित किया गया.
फिर सन 2002 में जोहांसबर्ग में पृथ्वी सम्मेलन आयोजित कर विश्व के सभी देशों को पर्यावरण संरक्षण पर ध्यान देने के लिए अनेक उपाय सुझाएँ गये.
वस्तुतः पर्यावरण संरक्षण से ही धरती पर जीवन सुरक्षित रह सकता हैं. अन्यथा मंगल आदि ग्रहों की तरह धरती का जीवन चक्र भी एक दिन समाप्त हो जाएगा.
पर्यावरण संरक्षण के उपाय- पर्यावरण संरक्षण के लिए इसे प्रदूषित करने वाले कारकों पर नियंत्रण रखना आवश्यक है. इस दृष्टि से आण्विक विस्फोटों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाए.
युवा वर्ग विशेष रूप से विद्यार्थी वृक्षारोपण करे, पर्यावरण की शुद्धता के लिए जन जागरण का काम करे. विषैले अपशिष्ट छोड़ने वाले उद्योगों और प्लास्टिक कचरे का विरोध करे.
वे जल स्रोतों की शुद्धता का अभियान चलावे. पर्यावरण संरक्षण के लिए हरीतिमा का विस्तार, नदियों की स्वच्छता, गैसीय पदार्थों का उचित विसर्जन, रेडियोधर्मी बढ़ाने वाले संसाधनों पर रोक, गंदे जल मल का परिशोधन, कारखानों के अपशिष्टों का उचित निस्तारण और गलत खनन पर रोक आदि उपाय किये जा सकते हैं. ऐसे कारगर उपायों से ही पर्यावरण को प्रदूषण से मुक्त रखा जा सकता हैं.
उपसंहार- पर्यावरण संरक्षण किसी एक व्यक्ति या किसी एक देश का काम न होकर समस्त विश्व के लोगों का कर्तव्य है. पर्यावरण को प्रदूषित करने वाले सभी कारकों को अतिशीघ्र रोका जाए. युवा वर्ग द्वारा वृक्षारोपण व जलवायु स्वच्छकरण हेतु जन जागरण का अभियान चलाया जाए, तभी पर्यावरण सुरक्षित रह सकेगा.
पर्यावरण संरक्षण का महत्व Environment Protection Essay In Hindi
प्रस्तावना – मनुष्य इस पृथ्वी नामक ग्रह पर अपने अविर्भाव से लेकर आज तक प्रकृति पर आश्रित रहा हैं. प्रकृति पर आश्रित रहना उसकी विवशता हैं.
प्रकृति ने पृथ्वी के वातावरण को इस प्रकार बनाया हैं कि वह जीव जंतुओं के जीवन के लिए उपयुक्त सिद्ध हुआ हैं. पृथ्वी का वातावरण ही पर्यावरण कहलाता हैं.
पर्यावरण संरक्षण – मनुष्य ने सभ्य बनने और दिखने के प्रयास में पर्यावरण को दूषित कर दिया हैं. पर्यावरण को शुद्ध बनाए रखना मानव तथा जीव जंतुओं के हित में हैं. आज विकास के नाम पर होने वाले कार्य पर्यावरण के लिए संकट बन गये हैं. पर्यावरण के संरक्षण की आज महती आवश्यकता हैं.
पर्यावरण प्रदूषण – आज का मनुष्य प्रकृति के साधनों का अविवेकपूर्ण और निर्मम दोहन करने में लगा हुआ हैं. सुख सुविधाओं की प्राप्ति के लिए नाना प्रकार के उद्योग खड़े किये जा रहे हैं.
जिनका कूड़ा कचरा और विषैला अवशिष्ट भूमि, जल और वायु को प्रदूषित कर रहा हैं. हमारी वैज्ञानिक प्रगति ही पर्यावरण को प्रदूषित करने में सहायक हो रही हैं.
पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार – आज हमारा पर्यावरण तेजी से प्रदूषित हो रहा हैं. यह प्रदूषण मुख्य रूप से तीन प्रकार का हैं,
- जल प्रदूषण – जल मानव जीवन के लिए परम आवश्यक पदार्थ हैं. जल के परम्परागत स्रोत हैं कुँए, तालाब, नदी तथा वर्षा जल. प्रदूषण ने इन सभी स्रोतों को दूषित कर दिया हैं. महानगरों के समीप से बहने वाली नदियों की दशा दयनीय हैं. गंगा, यमुना , गोमती आदि सभी नदियों की पवित्रता प्रदूषण की भेंट चढ़ गयी हैं. उनको स्वच्छ करने में करोड़ो रूपये खर्च करके भी सफलता नहीं मिली हैं, अब तो भूमिगत जल भी प्रदूषित हो चूका हैं.
- वायु प्रदूषण- वायु भी जल की तरह अति आवश्यक पदार्थ हैं. आज शुद्ध वायु का मिलना भी कठिन हो गया हैं. वाहनों, कारखानों और सड़ते हुए औद्योगिक कचरे ने वायु में भी जहर भर दिया हैं. घातक गैसों के रिसाव भी यदा कदा प्रलय मचाते रहते हैं. गैसीय प्रदूषण ने सूर्य की घातक किरणों से धरती की रक्षा करने वाली ओजोन परत को भी छेद डाला है.
- ध्वनि प्रदूषण – कर्णकटु और कर्कश ध्वनियाँ मनुष्य के मानसिक संतुलन को बिगाड़ती हैं. और उसकी कार्य क्षमता को भी प्रभावित करती हैं. आकाश में वायुयानों की कानफोड ध्वनियाँ, धरती पर वाहनों, यंत्रों और संगीत का मुफ्त दान करने वाले ध्वनि विस्तारकों का शोर सब मिलकर मनुष्य को बहरा बना देंने पर तुले हुए हैं. इनके अतिरिक्त अन्य प्रकार का प्रदूषण भी पनप रहा हैं और मानव जीवन को संकट में डाल रहा हैं.
- मृदा प्रदूषण – कृषि में रासायनिक खादों तथा कीटनाशकों के प्रयोग ने मिट्टी को भी प्रदूषित कर दिया हैं.
- विकिरणजनित प्रदूषण- परमाणु विस्फोटों तथा परमाणु संयंत्रों से होते रहने वाले रिसाव आदि ने विकिरणजनित प्रदूषण भी मनुष्य को भोगना पड़ रहा हैं.
- खाद्य प्रदूषण – मिट्टी, जल और वायु के बीच पनपने वाली वनस्पति तथा उसका सेवन करने वाले पशु पक्षी भी आज दूषित हो रहे हैं. चाहे शाकाहारी हो या मांसाहारी, कोई भी भोजन प्रदूषण से नहीं बच सकता.
प्रदूषण नियंत्रण/रोकने/ संरक्षण के उपाय – प्रदूषण ऐसा रोग नहीं हैं जिसका कोई उपचार न हो. प्रदूषण फैलाने वाले सभी उद्योगों को बस्तियों से सुरक्षित दूरी पर ही स्थापित किया जाना चाहिए.
किसी भी प्रकार की गंदगी और प्रदूषित पदार्थ को नदियों और जलाशयों में छोड़ने पर कठोर दंड की व्यवस्था होनी चाहिए.
वायु को प्रदूषित करने वाले वाहनों पर भी नियंत्रण आवश्यक हैं. इसके अतिरिक्त प्राकृतिक जीवन जीने का अभ्यास करना भी आवश्यक हैं. प्रकृति के प्रतिकूल चलकर हम पर्यावरण प्रदूषण पर विजय नहीं पा सकते.
जनसंख्या की अनियंत्रित वृद्धि को रोकने की भी जरूरत हैं. छायादार तथा सघन वृक्षों का आरोपण भी आवश्यक हैं.कृषि में रासायनिक खाद तथा कीटनाशक रसायनों के छिड़काव से बचना भी जरुरी हैं.
उपसंहार – पर्यावरण प्रदूषण एक अद्रश्य दानव की भांति मनुष्य समाज या समस्त प्राणी जगत को निगल रहा हैं. यह एक विश्व व्यापी संकट हैं.
यदि इस पर समय रहते नियंत्रण नहीं किया गया तो आदमी शुद्ध जल, वायु, भोजन और शांत वातावरण के लिए तरस जाएगा. प्रशासन और जनता दोनों के गम्भीर प्रयासों से ही प्रदूषण से मुक्ति मिल सकती हैं.
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जैव विविधता और पर्यावरण
Make Your Note
पर्यावरण और विकास
- 11 Oct 2019
- 11 min read
- सामान्य अध्ययन-III
- पर्यावरण प्रदूषण और गिरावट
- पर्यावरण प्रभाव आकलन (ईआईए)
इस Editorial में The Hindu, The Indian Express, Business Line आदि में प्रकाशित लेखों का विश्लेषण किया गया है। इस लेख में आरे जंगलों के संबंध में हो रहे विरोध प्रदर्शनों और उनसे संबंधित मुद्दों पर भी चर्चा की गई है। आवश्यकतानुसार, यथास्थान टीम दृष्टि के इनपुट भी शामिल किये गए हैं।
मुंबई स्थित आरे मिल्क कॉलोनी में हज़ारों पेड़ों की कटाई ने देश में पर्यावरण संरक्षण और जलवायु परिवर्तन पर एक नई बहस को जन्म दिया है, देश की आर्थिक राजधानी में आरे बचाओ आंदोलन के तहत हज़ारों लोग लामबंद हो गए हैं और सड़कों पर आकर अपना विरोध दर्ज करा रहे हैं। ऐसे में यह प्रश्न अनिवार्य हो जाता है कि क्या हम पर्यावरण की अनदेखी करते हुए विकास के नए आयाम प्राप्त कर सकते हैं? उल्लेखनीय है कि आरे जंगलों के कारण ही मुंबई दुनिया के उन अनोखे महानगरों में शामिल है जिनमें कंक्रीट के जंगलों के साथ-साथ एक असली जंगल भी मौजूद है।
क्यों हो रहा है विरोध प्रदर्शन?
- यह विवाद मार्च 2015 में तब शुरू हुआ जब महाराष्ट्र सरकार ने आरे कॉलोनी में मेट्रो कार शेड की स्थापना से संबंधित मुद्दों पर विचार करने के लिये छह सदस्यों की एक तकनीकी समिति नियुक्त की।
- 12 जून, 2015 को पर्यावरण विशेषज्ञों ने अपनी असंतुष्टि ज़ाहिर करते हुए कहा कि आरे कॉलोनी में पेड़ों को बिना किसी समझौते के बचाया जाना चाहिये, क्योंकि यह मुंबई का एक बहुत ही वांछनीय पारिस्थितिक क्षेत्र है।
- 29 अगस्त, 2019 को मुंबई मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (MMRCL) ने अपनी परियोजनाओं हेतु बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) की ट्री अथॉरिटी (Tree Authority) से 2,185 पेड़ों को काटने और 460 पेड़ों को ट्रांसप्लांट करने की अनुमति प्राप्त कर ली।
- आरे के जंगलों को बचाने के लिये विरोध प्रदर्शनों की शुरुआत तब हुई जब 5 अक्तूबर, 2019 को बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी मेट्रो हेतु कार शेड बनाने के लिये मुंबई मेट्रो को पेड़ काटने की अनुमति दे दी।
- मुंबई मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (MMRCL) ने कोर्ट के आदेश के कुछ ही घंटों बाद आरे के जंगलों में पेड़ों को काटना शुरू कर दिया जिसके बाद व्यापक रूप से विरोध प्रदर्शन शुरु हो गए और इसके तहत मुंबई पुलिस ने कई पर्यावरण कार्यकर्त्ताओं और प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार भी किया।
- आरे में पेड़ों की कटाई पर महाराष्ट्र सरकार का कहना है कि यह कार्य राज्य में विकास हेतु अनिवार्य है और मुंबई मेट्रो से राज्य के निवासियों को परिवहन के लिये एक पर्यावरण हितैषी साधन प्राप्त होगा।
- वहीं प्रदर्शनकारियों का कहना है कि वे ऐसे विकास का समर्थन कभी नहीं करेंगे जिसकी लागत पर्यावरण को चुकानी पड़ रही हो।
मेट्रो का नहीं हो रहा है विरोध
पर्यावरण कार्यकर्त्ताओं और आरे बचाओ आंदोलन में शामिल लोगों का कहना है कि वे राज्य में मेट्रो का विरोध नहीं कर रहे हैं, बल्कि वे तो इतनी अधिक संख्या में पेड़ों के काटे जाने का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि आरे के जंगलों में स्टेशन बनाने का निर्णय हास्यास्पद है, क्योंकि इन जंगलों के आस-पास रहने वाले लोगों की संख्या काफी कम है और जो रहते भी हैं उनका इससे दूर-दूर तक कुछ लेना-देना नहीं है।
आरे जंगलों का इतिहास
- आज़ादी के समय मुंबई काफी अच्छी गति से विकास कर रहा था, यह व्यवसायियों का सबसे पसंदीदा शहर था।
- विदित है कि किसी भी शहर के विकास के लिये आवश्यक है कि उसके पास पर्याप्त मात्रा में कृषि उपज आपूर्ति की व्यवस्था हो, जिसमें से अधिकांश वस्तुओं को लंबी दूरी से लाया जा सकता है लेकिन कुछ को स्थानीय क्षेत्रों से लाना पड़ता है और दूध एक ऐसी ही वस्तु है।
- इसी आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए आरे मिल्क कॉलोनी का विकास किया गया था।
- आरे मिल्क कॉलोनी की स्थापना वर्ष 1949 में हुई थी और वर्ष 1951 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने इसका उद्घाटन किया था एवं इसकी अभिकल्पना दारा एन. खुरोदी द्वारा की गई थी।
- जिसके बाद मात्र कुछ ही वर्षों में इस क्षेत्र में इतने पेड़ लगाए गए कि 3166 एकड़ क्षेत्रफल में फैला यह इलाका जंगल की तरह दिखने लगा।
क्यों ज़रूरी है आरे
- इस साल मार्च में जारी एक रिपोर्ट में सामने आया था कि मुंबई, महाराष्ट्र में सबसे प्रदूषित शहर और राष्ट्रीय स्तर पर प्रदूषण के मामले में 27वें स्थान पर था।
- इसी साल जून में सरकार ने लोकसभा के समक्ष केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आँकड़े पेश करते हुए बताया था कि मुंबई में वर्ष 2018 की वायु गुणवत्ता पिछले 20 वर्षों की तुलना में सबसे खराब थी।
- उल्लेखनीय है कि मुंबई के कई पर्यावरण जानकार आरे के जंगलों को राज्य के फेफडों की भी संज्ञा देते हैं।
- वर्ष 1949 में स्थापित इस मिल्क कॉलोनी में पक्षियों की लगभग 77 प्रजातियाँ और साँपों की लगभग 46 प्रजातियाँ पाई जाती हैं। साथ ही इस इलाके में तितलियों की भी अलग-अलग 86 प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
- हाल ही में इस क्षेत्र के अंतर्गत मकड़ी और बिच्छू की एक नई प्रजाति भी खोजी गई है।
- इस क्षेत्र में 0.4 मिलियन पेड़ों के साथ वनस्पतियों की अद्भुत विविधता है। यहाँ उन प्रजातियों की पुनः खोजा की गई है जो पहले विलुप्त घोषित कर दी गई थीं।
जंगल नहीं है आरे
आरे के इतिहास पर नज़र डालें तो पता चलता है कि इसकी स्थापना मुख्यतः व्यावसायिक गतिविधियों हेतु की गई थी, परंतु समय के साथ यहाँ इतने अधिक पेड़ लगाए गए कि यह एक जंगल जैसा लगने लगा। वर्तमान समय में यहाँ 4 लाख से अधिक पेड़, एक सक्रिय पारिस्थितिकी तंत्र, दुर्लभ पक्षी एवं जानवर, झीलें, खेत हैं और साथ ही कुछ आदिवासी समुदायों के लोग रहते हैं। ध्यातव्य है कि ये सभी विशेषताएँ किसी भी एक सामान्य जंगल में देखी जा सकती हैं। वर्ष 2015 में वनशक्ति नाम के एक NGO ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में याचिका दायर कर आग्रह किया कि आरे को "जंगल" घोषित किया जाए, परंतु यह याचिका सितंबर 2018 में खारिज कर दी गई। इसके अलावा कोर्ट में इस संदर्भ में दायर की गई कई अन्य याचिकाओं की सुनवाई अभी शेष है।
पर्यावरण पर प्रभाव
- प्रस्तावित कार शेड में मेट्रो की धुलाई, रखरखाव और मरम्मत जैसी सुविधाएँ होंगी। मेट्रो कार शेड एक ‘रेड श्रेणी’ उद्योग है, जिससे काफी अधिक मात्रा में प्रदूषण होता है।
- प्रदर्शन में शामिल लोगों का कहना है कि शेड में होने वाली गतिविधियों में तेल, ग्रीस और बिजली के कारण कचरा पैदा होता है, इसके अलावा एसिड और पेंट जैसी खतरनाक सामग्री भी यहाँ मिलती है जो आरे के पारिस्थितिक तंत्र को बर्बाद कर सकती है।
- उनका कहना है कि शेड का अपशिष्ट पास की मीठी नदी में प्रवाहित होगा और यह नदी को प्रदूषित करने के साथ-साथ भूजल को भी दूषित करेगा।
- इसके अलावा शेड के निर्माण से क्षेत्र विशेष में भूजल संसाधनों का दोहन बढ़ जाएगा।
मुंबई मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन का पक्ष
- मुंबई मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन के अनुसार, प्रस्तावित कार शेड केवल 33 हेक्टेयर में स्थापित किया जाएगा, जो कि आरे के कुल क्षेत्र का बमुश्किल 2 प्रतिशत है।
- कॉर्पोरेशन का कहना है कि शेड के लिये निर्धारित 33 हेक्टेयर के अतिरिक्त आरे का अन्य कोई भी हिस्सा प्रभावित नहीं होगा।
- साथ ही मेट्रो ने तर्क भी दिया है कि यह परियोजना समग्र कार्बन फुटप्रिंट को कम करके पर्यावरणीय लाभ प्राप्त करने में भी मदद करेगी।
- कॉर्पोरेशन द्वारा यह अनुमान लगाया गया है कि मेट्रो के 7 दिनों के परिचालन से कार्बन डाइऑक्साइड में उतनी ही कटौती की जा सकेगी जितनी 2700 पेड़ मिलकर एक साल के अंतर्गत करते हैं।
यह सत्य है कि मज़बूत आधारिक संरचना के अभाव में किसी भी समाज के लिये विकास करना अपेक्षाकृत काफी मुश्किल होता है, परंतु इस तथ्य का पालन करते हुए पर्यावरण को पूर्णतः नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। अतः यह आवश्यक है कि यदि कभी देश के विकास और पर्यावरण के मध्य द्वंद्व उत्पन्न हो तो विवेक के साथ इस विषय पर विचार किया जाए और ऐसे वैकल्पिक रास्तों की तलाश की जाए जो पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए हमें विकास की नई दिशा दिखाएँ।
प्रश्न: आरे जंगल का उदाहरण देते हुए समाज में विकास और पर्यावरण के मध्य द्वंद्व को स्पष्ट कीजिये।
Environment पर निबंध, कहानी, जानकारी | Environment essay in hindi
पर्यावरण पर निबंध, Environment essay on hindi, पर्यावरण पर essay, Environment essay in hindi, (500+ Words Essay On Environment ) पर्यावरण पर कैसे लिखे निबंध, how to write Environment essay.
यहां, हमने पर्यावरण (Environment) निबंध प्रदान किया है। और परीक्षा के दौरान पर्यावरण (Environment) पर निबंध कैसे लिखना है, इस बारे में एक विचार प्राप्त करने के लिए छात्र इस पर्यावरण (Environment) निबंध के माध्यम से जा सकते हैं। और फिर, वे अपने शब्दों में भी एक निबंध लिखने का प्रयास कर सकते हैं।
Table of Contents
पर्यावरण पर एस्से (Essay on Environment)
हर साल 5 जून को हम सभी विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) मनाते हैं। पृथ्वी पर उपस्थित सभी सजीव और निर्जीव पर्यावरण का प्रतिनिधित्व करते हैं। हमारे Environment में पौधे, जीव, जल, वायु और अन्य जीवित चीजें मौजूद हैं। हमारा पर्यावरण जलवायु परिवर्तन, भूआकृतिक उपायों और जलीय उपायों से प्रभावित होता है। मनुष्य और जानवरों का जीवन पूरी तरह से जलवायु पर निर्भर है।
हमारा पर्यावरण पृथ्वी पर जीवन का समर्थन करता है। हम जो कुछ भी सांस लेते हैं, महसूस करते हैं और ऊर्जा पर्यावरण से आती है। Environment को एक आवरण माना जाता है जो पृथ्वी पर जीवन को बनाए रखने में मदद करता है। सभी ग्रहों में, यह हमारा ग्रह पृथ्वी ही है जो जीवन का समर्थन करता है।
पर्यावरण का महत्व (Importance of Environment)
आए दिन हमें पर्यावरण को होने वाले खतरों के बारे में सुनने को मिलता है। हमारे पर्यावरण में जंगलों से लेकर समुद्र तक सब कुछ शामिल है, जो हमारे दैनिक जीवन को प्रभावित करता है। यह वनों की कटाई, प्रदूषण, मिट्टी का कटाव आदि हो सकता है, जिसे गंभीरता से संबोधित करने की आवश्यकता है।
1. लोगों की आजीविका पर्यावरण पर निर्भर करती है
अरबों लोग अपनी आजीविका के लिए Environment पर निर्भर हैं। उदाहरण के लिए, 1.5 अरब से अधिक लोग भोजन, दवा, आश्रय आदि के लिए वनों पर निर्भर हैं। फसल खराब होने पर किसान जंगल की ओर रुख करते हैं। लगभग दो अरब लोग कृषि से जीविकोपार्जन करते हैं, और अन्य तीन अरब लोग समुद्र पर निर्भर हैं।
2. पर्यावरण की ताकत खाद्य सुरक्षा
जैव विविधता के नुकसान के कारण कई नकारात्मक परिणाम सामने आते हैं, लेकिन कमजोर खाद्य सुरक्षा व्यापक है। यदि हम अपने कीमती जानवरों और पौधों की प्रजातियों को खो देते हैं, तो हम कीटों और बीमारियों के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाते हैं। इसके कारण, हमारे स्वास्थ्य को मधुमेह और हृदय रोग जैसी संबंधित बीमारियों का अधिक खतरा होता है। इसलिए, हमें हर इंसान के लिए भोजन सुनिश्चित करने के लिए अपने महासागरों और जंगलों की रक्षा करनी चाहिए।
3. पेड़ हवा को साफ करते हैं
प्रदूषण एक महत्वपूर्ण मुद्दा है और हर साल 7 मिलियन लोग प्रदूषण के कारण मर जाते हैं। प्रदूषित हवा हमारे स्वास्थ्य और जीवन काल को प्रभावित करती है, जिसमें व्यवहार संबंधी समस्याएं, विकास संबंधी देरी और अल्जाइमर और पार्किंसंस जैसी बीमारियां शामिल हैं। पेड़ ऑक्सीजन छोड़ते समय कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड जैसे वायु प्रदूषकों को हटाने के लिए एक फिल्टर के रूप में काम करते हैं।
4. पर्यावरण कई बीमारियाँ लाता है
हमें यह भी पता चला कि कोविड-19 सबसे अधिक संभावना एक जूनोटिक (zoonotic) बीमारी है। रोग तब फैलते हैं जब मनुष्य अन्य जानवरों की प्रजातियों के क्षेत्र को परेशान करते हैं। शोध के अनुसार, लगभग 60% मानव संक्रमण जानवरों से उत्पन्न होते हैं। बर्ड फ्लू और स्वाइन फ्लू भी पशुओं से जुड़ी बीमारियां हैं।
पर्यावरण के लाभ (Benefits of the Environment)
हमारा Environment हमें अत्यधिक लाभ प्रदान करता है, जिसे हम अपने पूरे जीवन काल में चुका नहीं सकते हैं। पर्यावरण में जानवर, पानी, पेड़, जंगल और हवा शामिल हैं। पेड़ और जंगल हवा को फ़िल्टर करते हैं और हानिकारक गैसों को अंदर लेते हैं, और पौधे पानी को शुद्ध करते हैं, प्राकृतिक संतुलन बनाए रखते हैं और कई अन्य।
Environment अपने कामकाज पर नियमित रूप से नजर रखता है क्योंकि यह पारिस्थितिकी तंत्र के लिए आवश्यक महत्वपूर्ण प्रणालियों को विनियमित करने में मदद करता है। यह पृथ्वी पर संस्कृति और जीवन की गुणवत्ता को बनाए रखने में भी मदद करता है। पर्यावरण प्रतिदिन होने वाले प्राकृतिक चक्रों को नियंत्रित करता है। ये प्राकृतिक चक्र जीवित चीजों और पर्यावरण को संतुलित करते हैं। यदि हम इन प्राकृतिक चक्रों को बिगाड़ते हैं, तो यह अंततः मनुष्यों और अन्य जीवित प्राणियों को प्रभावित करेगा।
हज़ारों सालों से, Environment ने इंसानों, जानवरों और पौधों को फलने-फूलने और बढ़ने में मदद की है। यह हमें उपजाऊ भूमि, हवा, पशुधन, पानी और जीवित रहने के लिए आवश्यक चीजें भी प्रदान करता है।
पर्यावरणीय गिरावट का कारण
मानव गतिविधियाँ पर्यावरणीय क्षरण का प्राथमिक कारण हैं क्योंकि अधिकांश मनुष्य किसी न किसी तरह से Environment को नुकसान पहुँचाते हैं। मनुष्यों की गतिविधियाँ जो पारिस्थितिक क्षरण का कारण बनती हैं, वे हैं प्रदूषण, दोषपूर्ण पर्यावरण नीतियां, रसायन, ग्रीनहाउस गैसें, ग्लोबल वार्मिंग, ओजोन क्षरण आदि।
औद्योगिक क्रांति और जनसंख्या विस्फोट के कारण पर्यावरण संसाधनों की मांग में वृद्धि हुई है, लेकिन अत्यधिक उपयोग और दुरुपयोग के कारण उनकी आपूर्ति सीमित हो गई है। अक्षय और गैर-नवीकरणीय संसाधनों के व्यापक और गहन उपयोग के कारण कुछ महत्वपूर्ण संसाधन समाप्त हो गए हैं। संसाधनों के विलुप्त होने और तेजी से बढ़ती जनसंख्या से हमारा पर्यावरण भी अस्त-व्यस्त है।
विकसित दुनिया द्वारा उत्पन्न कचरा Environment की अवशोषण क्षमता से परे है। इसलिए, विकास प्रक्रिया के परिणामस्वरूप पर्यावरण प्रदूषण, पानी और वातावरण हुआ, अंततः पानी और वायु की गुणवत्ता को नुकसान पहुंचा। इसके परिणामस्वरूप श्वसन और जल जनित रोगों की घटनाओं में भी वृद्धि हुई है।
निष्कर्ष रूप में हम कह सकते हैं कि Environment ही है जो हमें जीवित रखता है। पर्यावरण के कंबल के बिना, हम जीवित नहीं रहेंगे।
इसके अलावा, जीवन में पर्यावरण के योगदान को चुकाया नहीं जा सकता है। इसके अलावा पर्यावरण ने हमारे लिए जो कुछ किया है, उसे हमने ही नुकसान पहुंचाया है।
FAQ (Frequently Asked Questions)
Environment का उचित रखरखाव मनुष्य को कैसे मदद करता है.
मनुष्य अपनी अधिकांश दैनिक आवश्यकताओं को पर्यावरण से प्राप्त करता है। इसके अलावा, पर्यावरण प्रदूषण से बीमारियों का खतरा भी बढ़ सकता है।
हम अपने आसपास के Environment की रक्षा कैसे कर सकते हैं?
पहला कदम हमारी मानसिकता को बदलना है, और सार्वजनिक स्थानों पर कूड़ा डालना बंद करना है। प्लास्टिक के उपयोग को कम करने के लिए कदम उठाएं क्योंकि यह हमारे पर्यावरण के लिए सबसे बड़े खतरों में से एक है। साथ ही ‘ Reduce, Reuse और Recycle ‘ के नारे को याद रखें और पर्यावरण की रक्षा की दिशा में एक साहसिक कदम उठाएं। और हर कीमत पर, जल, मिट्टी और वायु के प्रदूषण से बचें।
Environment प्रदूषण के मुख्य कारण क्या हैं?
पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक उपयोग, पर्यावरण संरक्षण में कमी, प्राकृतिक संसाधनों का विनाश पर्यावरण प्रदूषण के प्रमुख कारण हैं।
निबंध लिखते समय किन नियमों का पालन करना चाहिए?
1. यह व्याकरणिक के रूप से सही हो। 2. इसमें पूर्ण वाक्य का इस्तेमाल करे। 3. इसमें किसी भी तरह का abbreviations का उपयोग नहीं करे।
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पर्यावरण पर निबंध | Essay on Environment in Hindi
by Meenu Saini | Jul 13, 2022 | Hindi | 0 comments
Hindi Essay Writing – पर्यावरण (Environment)
पर्यावरण पर निबंध – इस लेख हम पर्यावरण से तात्पर्य, पर्यावरण के प्रकार, पर्यावरण और मानव का संबंध, पर्यावरण असंतुलन, पर्यावरण संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण आदि के बारे में जानेगे |
अनादिकाल से मानव का अस्तित्व वनस्पति और जीव-जंतुओं के ऊपर निर्भर रहा है। जीवन और पर्यावरण एक दूसरे से संबद्ध है । समस्त जीवधारियों का जीवन पर्यावरण की उपज होता है। अतः हमारे तन मन की रचना, शक्ति, सामर्थ्य एवं विशेषता और संपूर्ण पर्यावरण से नियंत्रित होती है। उसी में पनपती हैं और विकास पाती हैं। वस्तुतः जीवन और पर्यावरण एक दूसरे से इतने जुड़े हुए हैं कि दोनों का सहअस्तित्व बहुत आवश्यक है।
पर्यावरण मूलतः प्रकृति की देन है। यह भूमि, वन, पर्वतों, झरने, मरुस्थल, मैदानों, घास, रंग-बिरंगे पशु पक्षी, स्वच्छ जल से भरी लहलहाती झीलों और सरोवरों से भरा है। सौरमंडल के ग्रहों में पृथ्वी एकलौता ऐसा ग्रह है जहां जीवन संभव है। इसका कारण यहां का पर्यावरण है।
- पर्यावरण से तात्पर्य
- पर्यावरण के प्रकार
पर्यावरण और मानव का संबंध
- पर्यावरण असंतुलन
पर्यावरण संरक्षण
पर्यावरण प्रदूषण, पर्यावरण प्रबंधन, विश्व पर्यावरण दिवस, पर्यावरण से तात्पर्य .
पर्यावरण दो शब्दों से मिलकर बना है – परि+ आवरण। परि का अर्थ है चारों ओर, आवरण का अर्थ है घेरे हुए । इस प्रकार ऐसा आवरण जो हमें चारों ओर से घेरे हुए है, पर्यावरण कहलाता है। पर्यावरण को अंग्रेजी में एनवायरनमेंट कहते हैं। एनवायरनमेंट शब्द फ्रेंच भाषा के “environner” शब्द से लिया गया है। जिसका अर्थ है घिरा हुआ या घेरा होना।
यह एक तरह से हमारा सुरक्षा कवच है, जो हमें प्रकृति से विरासत में मिला है।
दूसरे शब्दों में पर्यावरण का अर्थ जैविक और अजैविक घटकों एवं उनके आसपास के वातावरण के सम्मिलित रूप से है, जो जीवन के आधार को संभव बनाते है।
पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 के अनुसार पर्यावरण,किसी किसी जीव के चारों ओर घिरी भौतिक एवं जैविक दशा व उनके साथ अंतक्रिया को सम्मिलित करता है ।
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पर्यावरण के प्रकार
पर्यावरण में पाए जाने वाले कारकों के आधार पर हम इसे दो भागों में बांट सकते हैं ।
प्राकृतिक पर्यावरण
मानव निर्मित पर्यावरण.
प्राकृतिक पर्यावरण के अंतर्गत वे सभी संसाधन आते हैं, जो हमें प्रकृति से प्राप्त है या जिन के निर्माण में मनुष्य की कोई सहभागिता नहीं है। जो अनादि काल से इस धरती पर अस्तित्व में है। प्राकृतिक पर्यावरण के अंतर्गत नदी, पर्वत, जंगल, गुफा, मरुस्थल, समुद्र आदि आते हैं।
हमें प्रकृति से भरपूर मात्रा में खनिज, पेट्रोलियम, लकड़ियां, फल, फूल, औषधियां प्राप्त होती है, जिनका उपयोग अपने दैनिक जीवन की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए करते हैं। सबसे महत्वपूर्ण है – प्राणदायी ऑक्सीजन, जो हमें पेड़ों से प्राप्त होती है। इन सब के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती।
मानव निर्मित पर्यावरण में तालाब, कुंए, खेत , बगीचे, घर-आवास, इमारतें, उद्योग आदि आते हैं। यह सब मिलकर मनुष्य जीवन का आधार विकसित करते हैं और एक तरह से मानव जीवन की प्रगति का सूचक है कि – किस तरह झोपड़ियों में रहने वाला मानव, आज गगनचुंबी इमारतों का निर्माण कर रहा है।
जैसे सभ्यताओं का विकास हुआ, मनुष्य ने नए-नए आविष्कार किए और अपने जीवन को सुविधाजनक बनाने हेतु, वह प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक उपयोग करने लगा, और आज मानव निर्मित पर्यावरण, धरती के कोने-कोने पर विस्तृत होता जा रहा है।
पानी के अंदर हो या आसमान में, मनुष्य सब जगह अपना साम्राज्य स्थापित करने में लगा है । अब तो हमने दूसरे ग्रहों पर भी जीवन की तलाश करना शुरू कर दिया है।
प्राचीन काल से ही वृक्षों के प्रति भारतीय समाज का अनुराग सांस्कृतिक परंपरा के रूप में विकसित हुआ हैं। चाहे कोई भी धार्मिक त्यौहार हो या शुभ अवसर। हिंदू धर्म में पेड़ों को शुभ मानकर पूजा जाता है। पौराणिक कथाओं में तुलसी, पीपल, वट जैसे वृक्षों का विशेष महत्व बताया गया है। हमारे ऋषि मुनि आदिमानव प्रकृति के साथ तालमेल मिलाकर जीवन यापन करते थे। गुफाओं में रहते थे। कंदमूल फल खाते थे और प्रकृति का सम्मान करते थे। एक तरह से उन्होंने पर्यावरण के साथ सामंजस्य बिठाना सीख लिया था और आज भी मानव का अस्तित्व वनस्पति और जीव-जंतुओं के ऊपर निर्भर है। पर्यावरण हम सबका पालनहार और जीवनाधार है। किंतु आश्चर्य होता है कि मनुष्य धरती के स्त्रोतों का कितना अंधाधुंध दोहन करता जा रहा है। जिससे सारा प्रकृति तंत्र गड़बड़ा गया है। अब वह दिन दूर नहीं लगता, जब धरती पर हजारों शताब्दियों पुराना हिम युग लौट आएगा अथवा ध्रुवों पर जमी बर्फ की मोटी परत पिघल जाने से समुद्र की प्रलयकारी लहरें नगरो, वन ,पर्वतो, और जंतुओं को निगल जाएंगी।
पर्यावरण असंतुलन
हम सभी जानते हैं कि धरती पर जीवन, प्रकृति संतुलन से संभव हो सका है। धरती वनस्पतियों से ढक ना जाए, इसलिए घास खाने वाले जानवर पर्याप्त संख्या में थे। इन घास खाने वाले जानवरों की संख्या को संतुलित, सीमित रखने के लिए हिंसक जंतु भी थे। इन तीनों का अनुपात, संतुलित और नियंत्रित था।
किंतु समय के साथ पर्यावरण का संतुलन तेजी से बिगड़ता जा रहा है। मनुष्य, प्रकृति द्वारा प्रदत्त संसाधनों का अविवेकपूर्ण ढंग से दुरुपयोग कर रहा है, जिससे सारा प्रकृति तंत्र गड़बड़ा गया है। इसी असंतुलन से भूमि, वायु, जल और ध्वनि के प्रदूषण उत्पन्न हो रहे हैं। पर्यावरण प्रदूषण से फेफड़ों के रोग, हृदय, पेट की बीमारियां, दृष्टि और श्रवण क्षतियां, मानसिक तनाव और तनाव संबंधी रोग पैदा हो रहे हैं।
आधुनिक युग में वैज्ञानिक आविष्कारों और उद्योग धंधों के विकास, फैलाव के साथ-साथ जनसंख्या का भयावाह विस्फोट हुआ है। इन सभी कारकों ने पर्यावरण असंतुलन उत्पन्न किया है।
पर्यावरण को विकृत और दूषित करने वाली समस्त विपदाएं हमारी ही लाई हुई है। हम स्वयं प्रकृति का संतुलन बिगड़ रहे हैं, इसी असंतुलन से पर्यावरण की रक्षा हेतु, इसका संरक्षण आवश्यक है। पर्यावरण संरक्षण, कोई आज का मुद्दा नहीं है , वर्षों से पर्यावरण संरक्षण के लिए अनेक आंदोलन चलाए जा रहे हैं-
- विश्नोई आंदोलन
यह प्रकृति पूजकों का अहिंसात्मक आंदोलन था। आज से 286 साल पहले सन 1730 में राजस्थान के खेजड़ली गांव में 263 बिश्नोई समुदाय की स्त्री-पुरुषों ने पेड़ों की रक्षा हेतु अपना बलिदान दिया था।
- चिपको आंदोलन
उत्तराखंड के चमोली जिले में सुंदरलाल बहुगुणा चंडी प्रसाद भट्ट के नेतृत्व में यह आंदोलन चलाया गया था। उत्तराखंड सरकार के वन विभाग के ठेकेदारों द्वारा वनों का कटाई की जा रही थी । उनके खिलाफ लोगों ने पेड़ों से चिपककर विरोध जताया था।
- साइलेंट वैली
केरल की साइलेंट वैली या शांति घाटी जो अपनी सघन जैव विविधता हेतु प्रसिद्ध है। सन 1980 में कुंतीपूंझ नदी पर 200 मेगावाट बिजली निर्माण हेतु बांध बनाने का प्रस्ताव रखा गया था । लेकिन इस परियोजना से वहां स्थित कई विशिष्ट पेड़-पौधों की प्रजातियां नष्ट हो जाती है। अतः कई समाजसेवी व वैज्ञानिकों, पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने इसका विरोध किया और अंततः सन 1985 में केरल सरकार ने साइलेंट वैली को राष्ट्रीय आरक्षित वन घोषित कर दिया गया।
- जंगल बचाओ आंदोलन
जंगल बचाओ आंदोलन इसकी शुरुआत सन 1980 में बिहार में हुई थी, बाद में उड़ीसा झारखंड तक फैल गया । सन् 1980 में सरकार ने बिहार के जंगलों को, सागोन के पेड़ों में बदलने की योजना पेश की थी । इसी के विरोध में बिहार के आदिवासी कबीले एकजुट हुए और उन्होंने अपने जंगलों को बचाने के लिए आंदोलन चलाया।
मनुष्य जिस तेजी के साथ विकास कर रहा है उतनी ही तेजी से पर्यावरण को प्रदूषित भी कर रहा है । हमने पर्यावरण में पाए जाने वाले सभी जैविक और अजैविक घटकों का अंधाधुंध उपयोग किया है जिसकी वजह से पर्यावरण प्रदूषण उत्पन्न हुआ है।
प्राकृतिक पर्यावरण के भौतिक , रासायनिक ,जैविक विशेषताओं में अवांछनीय परिवर्तन लाने वाले पदार्थ को प्रदूषक कहते हैं। सामान्यतया प्रदूषण, मानव क्रियाकलापों के कारण होता है।
पर्यावरण प्रदूषण को चार भागों में बांट सकते है-
जल प्रदूषण
जल मानव के जीवन का एक महत्वपूर्ण अंग है । स्वच्छ जल , स्वास्थ्य और मानव विकास के लिए अनिवार्य है । जल की भौतिक ,रासायनिक तथा जैविक विशेषताओं में परिवर्तन,जिससे मानव तथा जलीय जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता हो, जल प्रदूषण कहलाता है।
जल प्रदूषण का दुष्प्रभाव
प्रदूषित जल का विपरीत प्रभाव लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ता है । प्रदूषित जल के कारण अनेक बीमारियां फैलती हैं। जैसे हैजा, पेचिस, अतिसार, पीलिया तथा क्षय रोग। भारत में पेट से जुड़ी हुई 80% बीमारियां जल संक्रमण के कारण होती हैं । बीमारियों में सबसे अधिक प्रभावित नगरीय गंदी बस्तियों तथा ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले बच्चे होते हैं।
जल प्रदूषण के मुख्य कारण है –
- औद्योगिकीकरण
- नदियों के जल का उपयोग
- फसलों की सुरक्षा के लिए रसायनों का उपयोग
- धार्मिक सांस्कृतिक रीति-रिवाजों के कारण नदियों में बढ़ता प्रदूषण
जल प्रदूषण रोकने के उपाय-
- प्रदूषित जल को उपचारित किया जाए ।
- नदी और समुद्र तटों की समय-समय पर सफाई हो।
- पीने के पानी की बचत हो।
- वाटर हार्वेस्टिंग को बढ़ावा ।
- वर्षा जल संरक्षण।
वायु प्रदूषण
पृथ्वी के वायुमंडल में मानव निर्मित प्रदूषक को का मौजूद होना वायु प्रदूषण कहलाता है । जिससे पेड़ पौधों एवं मनुष्य के जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है । सामान्यता वायु प्रदूषण में कार्बन डाई आक्साइड , कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइडस, सल्फर डाइऑक्साइड, ओजोन आदि गैसें शामिल हैं ।
वायु प्रदूषण के कारण
कई स्वास्थ्य संबंधी रोग जैसे खांसी ,दमा ,जुकाम ,निमोनिया, फेफड़े का संक्रमण, रक्त क्षीणता, उच्च रक्तचाप ,ह्रदय रोग विभिन्न प्रकार के कैंसर आदि से पीड़ित लोगों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है ।
प्रदूषण रोकने के उपाय
- इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग को बढ़ावा दिया जाए।
- चूल्हे की जगह एलपीजी का उपयोग को बढ़ावा।
- पब्लिक ट्रांसपोर्ट का अधिक उपयोग करें ।
- वाहनों को विकसित करने की तकनीक में सुधार लाएं ।
मृदा प्रदूषण
मृदा, मानव जाति के लिए अत्यंत उपयोगी तथा जीवनदायिनी है । मृदा, मनुष्यों के क्रियाकलापों अथवा कभी-कभी पर्यावरणीय संकट के कारण प्रदूषित हो जाती है ।
मृदा तथा भूमि प्रदूषण के मुख्य कारक हैं –
- मृदा अपरदन।
- रसायनिक खादों तथा फसलों की सुरक्षा हेतु रसायनों का अत्यधिक उपयोग।
- उद्योगों कारखानों से निकले ठोस अपशिष्ट ।
- जंगल की आग।
- खनन अपशिष्टों द्वारा।
मृदा प्रदूषण के दुष्प्रभाव
- मृदा की उर्वरता शक्ति में कमी आ जाती है ।
- मिट्टी में कटाव उत्पन्न हो जाता है।
- भूमि कृषि योग्य नहीं रहती।
मृदा प्रदूषण रोकने के उपाय
रासायनिक खादों , कीटनाशक का नियंत्रित उपयोग कर मृदा प्रदूषण को कम किया जा सकता है । नगरी तथा औद्योगिक अपशिष्टों का उचित निपटान कर, मृदा को प्रदूषण से बचाया जा सकता है।
ध्वनि प्रदूषण
ध्वनि प्रदूषण, वायुमंडलीय प्रदूषण का एक मुख्य भाग है। किसी अवांछनीय अत्यधिक तीव्र ध्वनि द्वारा लोगों को पहुंचे असुविधा एवं शांति को ध्वनि प्रदूषण कहते हैं।
ध्वनि प्रदूषण के कारण
- नगरीकरण तथा औद्योगिकरण के कारण ध्वनि प्रदूषण बढ़ गया है ।
- ऑटोमोबाइल, फैक्ट्री मशीनें धार्मिक स्थानों पर लाउडस्पीकर ध्वनि प्रदूषण का मुख्य कारण है ।
ध्वनि प्रदूषण के दुष्प्रभाव
- ध्वनि प्रदूषण के कारण सुनने की क्षमता प्रभावित होती है।
- मानसिक तनाव , हृदय रोग, रक्तचाप चिड़चिड़ापन आदि समस्याएं उत्पन्न होती हैं ।
प्रदूषण रोकने के उपाय
- उद्योगों को आवासीय क्षेत्रों से दूर ले जाकर बसाना चाहिए।
- पुराने मशीनों का प्रतिस्थापन करना चाहिए
- हार्न का उपयोग न्यूनतम करना चाहिए।
- रेल पटरी में सुधार।
- नई पीढ़ी को ध्वनि प्रदूषण के प्रतिकूल प्रभाव के बारे में जागरूक करना ।
हमारे आवश्यकता असीमित है तथा प्राकृतिक संसाधन सीमित । प्राकृतिक संसाधनों का उचित उपयोग इसे धारणीय बनाने के लिए आवश्यक है इसलिए संसाधनों का संरक्षण जरूरी है । पर्यावरण के संरक्षण का अर्थ है संसाधनों का इस तरह से उपयोग किया जाए कि वर्तमान पीढ़ी अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति आने वाली पीढ़ी की आवश्यकताओं से बगैर समझौता किए कर सके ।
इस संरक्षण के मुख्य उद्देश्य होने चाहिए-
पारिस्थितिक तंत्र को संतुलित रखा जाए
जैव विविधता को बनाए रखा जाए।
वनों का संरक्षण किया जाए ।
वृक्षारोपण को बढ़ावा दिया जाए।
मानव क्रियाकलापों के कारण पर्यावरण में तेजी से बदलाव आ रहा है। इस बदलाव के अनेक रूप है । जैसे ओजोन क्षरण, वनों की कटाई, अम्ल वर्षा, वायुमंडल में ग्रीन हाउस गैसों की अधिकता, फलस्वरुप भूमंडलीय तापमान में वृद्धि।
घटते प्राकृतिक संसाधनों की समस्या से निपटने के लिए समाज के सभी स्तर पर पर्यावरण संबंधी जागरूकता अनिवार्य है । वैज्ञानिकों ,राजनीतिज्ञों, नियोजकों तथा लोगों को सम्मिलित रूप से पर्यावरण की स्थिति सुधारने के लिए काम करना होगा । जिसके लिए संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग आवश्यक है । इन उद्देश्यों को पूरा करने के लिए कुछ उपाय निम्नलिखित हो सकते हैं-
- विकासशील देशों की जनसंख्या नीति में परिवर्तन ताकि और नियंत्रित जनसंख्या वृद्धि को रोका जा सके ।
- विकसित देशों में नियंत्रित उपभोक्तावाद।
- ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को घटाना ।
- विकास की नीतियों का मुख्य ध्यान देसी वैज्ञानिक तकनीक पर आधारित हो।
- विश्व के सभी विकास कार्यक्रमों का सख्त पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन होना चाहिए ।
- सभी स्तर के शिक्षा में पर्यावरण की शिक्षा एक अनिवार्य विषय होना चाहिए ।
- व्यापक शिक्षा तथा पर्यावरण जागरूकता के कार्यक्रमों में निवेश के द्वारा निजी क्षेत्र की सहभागिता जरूरी ।
- सरकारी तथा गैर सरकारी संस्थानों की मदद से लोगों को पर्यावरण संबंधी मुद्दों के बारे में शिक्षित करना ।
- देश के विभिन्न भागों में पर्यावरण जागरूकता विकसित करने के लिए नियमित सम्मेलनों, संगोष्ठी, टेलीविजन एवं रेडियो पर वार्ताओं का आयोजन करना ।
- पर्यावरण अनुसंधान के लिए अतिरिक्त फंड की आवश्यकता।
- पर्यावरण संरक्षण में मीडिया की भूमिका।
- जनमानस में पर्यावरण की पूर्णता और मानव की महत्ता संबंधी शिक्षा की आवश्यकता पर बल।
हर साल 5 जून को वैश्विक स्तर पर पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। दरअसल 1972 में स्टॉकहोम में संयुक्त राष्ट्र महासभा का सम्मेलन हुआ था । जिसमें पर्यावरण संरक्षण को प्रोत्साहन देने के लिए , हर वर्ष 5 जून को पर्यावरण दिवस मनाने की शुरुआत की गई ।
हर वर्ष अलग देश द्वारा इसका आयोजन किया जाता है ।
इस वर्ष 2022 में हमने 50 वां पर्यावरण दिवस मनाया। भारत ने इस अवसर पर पर्यावरण के लिए जीवन शैली (LiFE लाइफ स्टाइल फॉर द एनवायरनमेंट ) आंदोलन की शुरुआत की है।
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10 Lines On Environment: छात्रों के लिए पर्यावरण पर 10 लाइन
- Updated on
- जून 5, 2024
पर्यावरण शब्द दो शब्दों के मेल से बना है। परि + आवरण। इसका अर्थ है हमारे आसपास मौजूद सबकुछ जैसे वायु, जल, धरती, जीव जंतु और वनस्पतियां। पर्यावरण जीवन का आधार है और यह सेहत के लिए भी बहुत ज़रूरी है। पर्यावरण को साफ़ रखना हम सबकी जिम्मेदारी है। हम पेड़ लगाकर और अपने आसपास को साफ रखकर पर्यावरण को दूषित होने से बचा सकते हैं। यहाँ 10 Lines On Environment in Hindi दी जा रही हैं। इनकी मदद से छात्र अपने होम असाइनमेंट के लिए पर्यावरण पर हिंदी में 10 लाइन का निबंध लिख सकते हैं।
पर्यावरण क्या है?
पर्यावरण शब्द का अर्थ है परिवेश जिसमें जीव रहते हैं। पर्यावरण एक समष्टिगत इकाई है जो किसी जीवधारी या पारितंत्रीय समुदाय को प्रभावित करने वाले सभी भौतिक, सांस्कृतिक, और जैविक कारकों को शामिल करता है और उनके रूप, जीवन, और जीविता को निर्धारित करता है। पर्यावरण वह है जो कि प्रत्येक जीव के साथ जुड़ा हुआ है।
10 Lines On Environment in Hindi: पर्यावरण पर 10 लाइन
यहाँ पर्यावरण पर 10 Lines On Environment in Hindi दी जा रही हैं :
- हमारे आसपास मौजूद चीज़ों और जीव जंतुओं और पेड़ पौधों को मिलाकर पर्यावरण बनता है।
- पर्यावरण हमारे जीवन का आधार है।
- पर्यावरण हमारी सेहत के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
- पर्यावरण को साफ रखना हम सबकी ज़िम्मेदारी है।
- हम अपने आसपास कचरा साफ करके और गंदगी न फैलाकर पर्यावरण को साफ़ रख सकते हैं।
- हम गाड़ियों और बिजली का उपयोग कम करके भी पर्यावरण को बचा सकते हैं।
- हमें पर्यावरण का सम्मान करना चाहिए।
- हमें पर्यावरण को बचाने के लिए अपने आसपास पेड़ पौधे लगाने चाहिए।
- हमें पेड़ों को काटने से बचना चाहिए।
- हमें पर्यावरण को साफ रखने के लिए कचरा हमेशा कुड़ेदान में डालना चाहिए।
यह भी पढ़ें : 10 Lines On Mount Everest: माउंट एवरेस्ट के बारे में 10 लाइन और 10 रोचक तथ्य
10 Lines On Environment in Hindi: पर्यावरण पर 10 स्लोगन लाइन
यहाँ पर्यावरण पर 10 स्लोगन लाइन दी जा रही हैं :
- धरती है हमारा घर, साफ़ रखें इसे हर पल।
- चल हम नदियां, तालाब, झीलें बचाएं, जीवन का आधार हैं ये।
- प्रदूषण मिटाएं, पर्यावरण बचाएं।
- चीज़ों को रिसाइकल करके, धरती को बचाएं कचरा कम करके।
- पौधे लगाएं, हरियाली बढ़ाएं, जीवन को हरा भरा बनाएं।
- प्रकृति से करें प्यार, इसको बचाने के लिए हम जिम्मेदार।
- आओ मिलकर करें प्रयास, पेड़ पौधे लगाएं अपने आसपास।
- प्रदूषण को घटाना है, पर्यावरण को बचाना है।
- पानी बचाएं, धरती बचाएं, जीवन बचाएं
- हर दिन पर्यावरण दिवस मनाएं, हर दिन धरती को पेड़ों से सजाएं।
यह भी पढ़ें: गाय के बारे में 10 लाइन और गाय के बारे में 10 रोचक तथ्य
पर्यावरण पर 10 वाक्य
पर्यावरण से जुड़े 10 वाक्य यहाँ दिए गए हैं :
- परि और आवरण से मिलकर पर्यावरण शब्द बना है जिसका अर्थ है ‘चारों तरफ से घिरा हुआ’।
- नदी, तालाब, भूमि, वायु, पौधे, पशु-पक्षी आदि मिलकर पर्यावरण का निर्माण करते हैं।
- पर्यावरण मनुष्यों के साथ-साथ धरती के सभी जीवों के जीवन को प्रभावित करता है।
- सन 1973 से प्रत्येक वर्ष 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है।
- पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए यह दिन मनाया जाता है।
- पर्यावरण सभी प्रकार के जैविक व अजैविक घटकों और घटनाओं से मिलकर बनता है।
- सभी मानवीय गतिविधियां पर्यावरण को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करती हैं।
- मानव गतिविधियों ने पर्यावरण को बड़े स्तर पर प्रदूषित कर दिया है।
- अपने पर्यावरण को बनाए रखने के लिए अधिक से अधिक पेड़ लगाना चाहिए।
- प्रकृति में हस्तक्षेप किए बिना इसे स्वच्छ और हरा-भरा रखना हमारी जिम्मेदारी है।
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आशा है कि इस ब्लाॅग में आपको 10 Lines On Environment in Hindi से जुड़ी पूरी जानकारी मिल गई होगी। इसी तरह के अन्य ट्रेंडिंग आर्टिकल्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।
Leverage Edu स्टडी अब्रॉड प्लेटफार्म में बतौर एसोसिएट कंटेंट राइटर के तौर पर कार्यरत हैं। अंशुल को कंटेंट राइटिंग और अनुवाद के क्षेत्र में 7 वर्ष से अधिक का अनुभव है। वह पूर्व में भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय के लिए ट्रांसलेशन ऑफिसर के पद पर कार्य कर चुके हैं। इसके अलावा उन्होंने Testbook और Edubridge जैसे एजुकेशनल संस्थानों के लिए फ्रीलांसर के तौर पर कंटेंट राइटिंग और अनुवाद कार्य भी किया है। उन्होंने डॉ भीमराव अम्बेडकर यूनिवर्सिटी, आगरा से हिंदी में एमए और केंद्रीय हिंदी संस्थान, नई दिल्ली से ट्रांसलेशन स्टडीज़ में पीजी डिप्लोमा किया है। Leverage Edu में काम करते हुए अंशुल ने UPSC और NEET जैसे एग्जाम अपडेट्स पर काम किया है। इसके अलावा उन्होंने विभिन्न कोर्सेज से सम्बंधित ब्लॉग्स भी लिखे हैं।
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