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हिंदी भाषा का महत्व पर निबंध

essay hindi bhasha par nibandh

By विकास सिंह

importance of hindi language

विषय-सूचि

हिंदी भाषा का महत्व पर निबंध (Importance of hindi language)

हिंदी भाषा विश्व में सबसे ज्यादा बोले जाने वाली भाषाओं में से एक है। हिंदी भाषा का महत्व सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पुरे विश्व में काफी अधिक है।

हिंदी भाषा में 11 स्वर और 35 व्यंजन होते हैं और इसे “देवनागरी” नामक एक लिपि में लिखा जाता है। हिंदी एक समृद्ध व्यंजन प्रणाली से सुसज्जित है, जिसमें लगभग 38 विशिष्ट व्यंजन हैं। हालाँकि, ध्वनि की इन इकाइयों के रूप में स्वरों की संख्या निर्धारित नहीं की जा सकती है, बड़ी संख्या में बोलियों की मौजूदगी के कारण, जो व्यंजन प्रदर्शनों की सूची के कई व्युत्पन्न रूपों को नियोजित करती हैं।

हालाँकि, व्यंजन प्रणाली का पारंपरिक मूल सीधे संस्कृत से विरासत में मिला है, जिसमें अतिरिक्त सात ध्वनियाँ हैं, जिन्हें फारसी और अरबी से लिया गया है।

हिंदी भाषा किन क्षेत्रों में बोली जाती है?

500 मिलियन से अधिक बोलने वालों के साथ, चीनी के बाद हिंदी दूसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। हिंदी को भारत के “राजभाषा” (राष्ट्रभाषा) के रूप में अपनाने से पहले इसमें काफी बदलाव आया है।

इंडो-आर्यन भाषाई वर्गीकरण प्रणाली के सिद्धांत के अनुसार, हिंदी भाषाओं के मध्य क्षेत्र में रहती है। 1991 की जनगणना की रिपोर्ट के अनुसार, हिंदी को “देश भर में एक भाषा” के रूप में भारतीय आबादी के 77% से अधिक द्वारा घोषित किया गया था। भारत की बड़ी आबादी के कारण हिंदी दुनिया में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषाओं में से एक है।

1991 की भारत की जनगणना के अनुसार (जिसमें हिंदी की सभी बोलियाँ शामिल हैं, जिनमें कुछ भाषाविदों द्वारा अलग-अलग भाषाएं मानी जा सकती हैं – जैसे, भोजपुरी), हिंदी लगभग 337 मिलियन भारतीयों की मातृभाषा है, या भारत के 40% लोगों की है। उस वर्ष जनसंख्या।  एसआईएल इंटरनेशनल के एथनोलॉग के अनुसार, भारत में लगभग 180 मिलियन लोग मानक (खारी बोलि) हिंदी को अपनी मातृभाषा के रूप में मानते हैं, और अन्य 300 मिलियन लोग इसे दूसरी भाषा के रूप में उपयोग करते हैं।

भारत के बाहर, नेपाल में हिंदी बोलने वालों की संख्या 8 मिलियन, दक्षिण अफ्रीका में 890,000, मॉरीशस में 685,000, अमेरिका में 317,000 है। यमन में 233,000, युगांडा में 147,000, जर्मनी में 30,000, न्यूजीलैंड में 20,000 और सिंगापुर में 5,000, जबकि यूके, यूएई, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया में भी हिंदी बोलने वालों और द्विभाषी या त्रिभाषी बोलने वालों की उल्लेखनीय आबादी है जो अंग्रेजी से हिंदी के बीच अनुवाद और व्याख्या करते हैं।

हिंदी भाषा का विकास (growth of hindi language)

1947 के विभाजन के बाद भारत सरकार द्वारा समर्थित संक्रांति दृष्टिकोण से हिंदी की वर्तमान बनावट बहुत प्रभावित है। स्वतंत्रता से पहले अपने मूल रूप में, हिंदी ने उर्दू के साथ मौखिक समानता की काफी हद तक साझा की है। हिंदी और उर्दू को अक्सर एक ही इकाई के रूप में संदर्भित किया जाता था जिसका शीर्षक था “हिंदुस्तानी”।

इसके साथ ही कई अन्य भाषाओं जैसे अवधी, बघेली, बिहारी (और इसकी बोलियाँ), राजस्थानी (और इसकी बोलियाँ) और छत्तीसगढ़ी। हालाँकि, यह दृष्टिकोण वस्तुतः प्रत्येक शैक्षणिक संस्थान और सार्वजनिक सूचना के माध्यम की वकालत करता है, जो वाराणसी बोली की तर्ज पर भारतीय विद्वानों द्वारा विकसित एक संस्कृत-उन्मुख भाषा को रोजगार देता है।

लिपि:

देवनागरी लिपि

महत्वपूर्ण लेखक:

रामधारी सिंह ‘दिनकर’, जयशंकर प्रसाद, सुमित्रानंदन पंत, मैथिली शरण गुप्त, सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’, महादेवी वर्मा, सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन, हरिवंश राय बच्चन, नागार्जुन, धर्मवीर भारती, अशोक बजाज, अशोक बजाज, अशोक बजाज चंद्र शुक्ला, महादेवी वर्मा, मुंशी प्रेमचंद, फणीश्वर नाथ रेणु, हरिशंकर परसाई, रामवृक्ष बेनीपुरी, चक्रधर शर्मा गुलेरी, विष्णु प्रभाकर, अमृत लाल नागर, भीष्म साहनी, सूर्यकांत निराला आदि को हिंदी के सबसे मशहूर लेखकों में गिना जाता है ।

हिंदी स्थानीयकरण और सूचना प्रौद्योगिकी

हिंदी टाइपिंग में इस्तेमाल किए जाने वाले कई लोकप्रिय फॉन्ट हैं; यूनिकोड, मंगल, क्रुतिदेव, आदि वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों की एक टीम पहले से ही मशीनी अनुवाद सॉफ्टवेयर को विकसित करने और हिंदी को मानकीकृत करने के लिए काम कर रही है, हालाँकि वे इसके माध्यम से कोई बड़ा तोड़ नहीं बना पाए हैं।

हिंदी भाषा की बढ़ती प्रोफ़ाइल के प्रति हाल की चेतना ने लाखों हिंदी बोलने वालों को आशा दी है और आशा है कि आने वाले समय में हिंदी को मान्यता मिलेगी और संयुक्त राष्ट्र आधिकारिक भाषा बन जाएगी। यह समय हिंदी केंद्र, हिंदी विश्वविद्यालयों, हिंदी गैर सरकारी संगठनों और लाखों हिंदी भाषियों को हिंदी की रूपरेखा बढ़ाने के लिए हाथ मिलाना चाहिए। हिंदी सिनेमा और बॉलीवुड ने पहले ही अच्छा योगदान दिया है, इसी तरह हिंदी मीडिया ने भी चमत्कार किया है।

वैश्विक मोर्चे पर हिंदी के बढ़ते महत्व के आधार पर, अंग्रेजी से हिंदी अनुवाद और हिंदी से अंग्रेजी अनुवाद के लिए भविष्य उज्ज्वल है। हालाँकि, भारतीय को अंग्रेज़ी शब्दकोश और अंग्रेज़ी से हिंदी शब्दकोश में ऑनलाइन हिंदी विकसित करने और ऑनलाइन हिंदी भाषा प्रशिक्षण कार्यक्रम विकसित करने के प्रयासों की आवश्यकता है।

[ratemypost]

विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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धन्यवाद !

Finally I got a nice speech

thank you vikas singh bhai

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भाषा का महत्व पर निबंध | Essay On The Importance Of Language In Hindi

नमस्कार फ्रेड्स आज हम  भाषा का महत्व पर निबंध Essay On The Importance Of Language In Hindi  पढ़ेगे.

आज के निबंध में जानेगे कि भाषा क्या होती है हिंदी भाषा का महत्व जीवन में भाषा की उपयोगिता के बारे में विस्तार से सरल भाषा में जानेगे.

भाषा का महत्व पर निबंध Essay On The Importance Of Language

भाषा का महत्व पर निबंध Essay On The Importance Of Language

भाषा भावों की वाहिका और विचारों की माध्यम होती है. अतएवं किसी भी जाति अथवा राष्ट्र की भावोंत्क्रष और विचारों की समर्थता उसकी भाषा से स्पष्ट होती है.

जब से मनुष्य ने इस भूमंडल पर होश संभाला है, तभी से भाषा की आवश्यकता रही है. भाषा व्यक्ति को व्यक्ति से, जाति को जाति से राष्ट्र को राष्ट्र से मिलाती है.

भाषा का महत्व पर निबंध Short Essay On The Importance Of Language

भाषा द्वारा ही राष्ट्र को एकता के सूत्र में पिरोया जा सकता है. राष्ट्र को सक्षम और धनवान बनाने के लिए भाषा और साहित्य की सम्पन्नता और उसका विकास परमआवश्यक है.

भाषा का भावना से गहरा सम्बन्ध है. और भावना तथा विचार व्यक्तिगत के आधार है. यदि हमारे भावों तथा विचारों को पोषक रस किसी विदेश अथवा पराई भाषा से मिलता है. तो निश्चय ही हमारी व्यक्तिगत भी भारतीय अथवा स्वदेशी न रहकर अभारतीय अथवा विदेशी हो जाएगा.

प्रत्येक भाषा और प्रत्येक साहित्य अपने देश काल और धर्म से परिचित तथा विकसित होता है. उस पर अपने महापुरुषों और चिंतको का, उनकी अपनी परिस्थतियों के अनुसार प्रभाव पड़ता है.

कोई दूसरा देश काल और समाज भी उस सुंदर स्वास्थ्यकारी संस्कृति से प्रभावित हो, यह आवश्यक नही है.

अतएवं व्यक्ति के व्यक्तित्व का समुचित विकास और उसकी शक्तियों को समुचित गति अपने पठन पाठन में मिल सकती है.

इसका कारण यह भी है कि मात्रभाषा में जितनी सहज गति से संभव है और इसमे जितनी कम शक्ति समय की आवश्यकता पडती है उतनी किसी भी विदेशी और पराई भाषा से संभव नही है.

यह भी सच है कि हमारे देश के प्रतिभाशाली और होनहार लोग पशिचमी भाषा और साहित्य में अपनी क्षमता को देखकर स्वयं भी चकिंत रह जाते है. जिसकी यह मातृभाषा नही है.

यह भी मानना पड़ेगा कि इन परिश्रमी लोगों ने अपनी शक्ति समय और तन्मयता पराई भाषा के लिए खपाई, वह यदि मातृभाषा के लिए प्रयोग की गई होती तो एक अद्भुत चमत्कार ही हो गया होता.

माइकेल मधुसूदन दत्त का द्रष्टान्त आपके सामने है. प्रतिभा के स्वामी इस बांगला कवि ने अंग्रेजी में काव्य रचना करके कीर्ति और गौरव कमाने के लिए भारी परिश्रम और प्रयत्न किया. यह तथ्य उनको तब समझ में आया जब वे इंग्लैंड यात्रा पर गये.

बहुत अच्छा लिखकर भी वह द्वितीय श्रेणी के लेखक और कवित से अधिक कुछ नही हो सके. यदि चाहते तो अपनी भाषा के कृतित्व के बल पर वह सहज ही प्रथम श्रेणी के कवियों में प्रतिष्टित हो सकते थे.

यह सब पता चलने के बाद उन्होंने अपनी भाषा में लिखने का निर्णय किया. प्रत्यक्ष के लिए प्रमाण की क्या आवश्यकता है.

श्रीमती सरोजनी नायडू यदि अपनी मातृभाषा में काव्यरचना करती तो निश्चय ही श्रेष्ट कवयित्री होने का गौरव प्राप्त करती. मै देखती हु कि उच्च ज्ञान विज्ञान का माध्यम अंग्रेजी होने पर पिछले डेढ़ सौ वर्षो में अंग्रेजी में एक भी रवीन्द्रनाथ, शरतचंद्र, महादेवी वर्मा, जयशंकर प्रसाद, सुमित्रानंदन पन्त और उमाशंकर जोशी आदि पैदा नही हो सके. राष्ट्रभाषा राष्ट्र की उन्नति की धौतक होती है.

मानव जाति के विकास के सिदीर्घ इतिहास में सर्वाधिक महत्व संप्रेषण के माध्यम का रहा है और वह माध्यम है भाषा. मनुष्य समाज की इकाई होता है तथा मनुष्यों से ही समाज बनता है.

समाज की इकाई होने के कारण परस्पर विचार, भावना, संदेश, सूचना आदि को अभिव्यक्त करने के लिए मनुष्य भाषा का ही प्रयोग करता हैं.

वह भाषा चाहे संकेत भाषा हो अथवा व्यवस्थित, ध्वनियों शब्दों या वाक्यों में प्रयुक्त कोई मानक भाषा हो. भाषा के माध्यम से ही हम अपने भाव एवं विचार दूसरे व्यक्ति तक पहुचाते हैं तथा दूसरे व्यक्ति के भाव एवं विचार जान पाते हैं.

भाषा ही वह साधन हैं. जिससे हम अपने इतिहास संस्कृति, संचित विज्ञान तथा महान परम्पराओं को जान पाते हैं.

हिंदी भाषा का महत्व पर निबंध Essay on importance of Hindi language

संसार में संस्कृत, हिंदी, अंग्रेजी, बंगला, गुजराती, उर्दू, मराठी, तेलगू, मलयालम, पंजाबी, उड़िया, जर्मन, फ्रेंच, इतालवी, चीनी जैसी अनेक भाषाएँ हैं. भारत अनेक भाषा भाषी देश हैं.

तथा अनेक बोली और भाषाओं से मिलकर ही भारत राष्ट्र बना हैं. संस्कृत हमारी सभी भारतीय भाषाओं की सूत्र भाषा है तथा वर्तमान में हिंदी हमारी राजकीय भाषा हैं.

भाषा के दो प्रकार होते है, पहला मौखिक व दूसरा लिखित. मौखिक भाषा आपस में बातचीत के द्वारा, भाषणों तथा उद्बोधन के रूप में प्रयोग में लाई जाती हैं.

तथा लिखित भाषा लिपि के माध्यम से लिखकर प्रयोग में लाई जाती हैं. यदपि भाषा भौतिक जीवन के पदार्थों तथा मनुष्य के व्यवहार व चिंतन की अभिव्यक्ति के साधन के रूप में विकसित हुई हैं.

जो हमेशा एक सी नहीं रहती हैं अपितु उसमें दूसरी बोलियों, भाषाओं से सम्पर्क भाषाओं से शब्दों का आदान प्रदान होता रहता हैं.

जीवन के प्रति रागात्मक सम्बन्ध भाषा के माध्यम से ही उत्पन्न होता हैं. किसी सभ्य समाज का आधार उसकी विकसित भाषा को ही माना जाता हैं.

हिंदी खड़ी बोली ने अपने शब्द भंडार का विकास दूसरी जनपदीय बोलियों, संस्कृत तथा अन्य समकालीन विदेशी भाषाओं के शब्द भंडार के मिश्रण से किया हैं. किन्तु हिंदी के व्याकरण के विविध रूप अपने ही रहे हैं.

हिंदी में अरबी फ़ारसी अंग्रेजी आदि विदेशी भाषाओं के शब्द भी प्रयोग के आधार पर तथा व्यवहार के आधार पर आकर समाहित हो गये हैं. भाषा स्थायी नहीं होती उसमें दूसरी भाषा के लोगों के सम्पर्क में आने से परिवर्तन होते रहते हैं.

भाषा में यह परिवर्तन धीरे धीरे होता हैं. और इन परिवर्तनों के कारण नई नई भाषाएँ बनती रहती हैं, इसी कारण संस्कृत, पालि, प्राकृत, अपभ्रंश आदि के क्रम में ही आज की हिंदी तथा राजस्थानी, गुजराती, पंजाबी, सिन्धी, बंगला, उड़िया, असमिया, मराठी आदि अनेक भाषाओं का विकास हुआ हैं.

भाषा के भेद प्रकार (Type of language)

जब हम आपस में बातचीत करते है तो मौखिक भाषा का प्रयोग करते है तथा पत्र, लेख, पुस्तक, समाचार पत्र आदि में लिखित भाषा का प्रयोग करते हैं. विचारों का संग्रह भी हम लिखित भाषा में ही करते हैं.

  • मौखिक भाषा (Oral language)
  • लिखित भाषा (written language)

मूलतः सामान्य जन जीवन के बीच बातचीत में मौखिक भाषा का ही प्रयोग होता हैं, इसे प्रयत्नपूर्वक सीखने की आवश्यकता नहीं होती हैं.

बल्कि जन्म के बाद बालक द्वारा परिवार व समाज के सम्पर्क तथा परस्पर सम्प्रेष्ण व्यवहार के कारण स्वाभा विक रूप से ही मौखिक भाषा सीखी जाती हैं.

जबकि लिखित भाषा की वर्तनी और उसी के अनुरूप उच्चारण प्रयत्नपूर्वक सीखना पड़ता हैं. मौखिक भाषा की ध्वनियों के लिए स्वतंत्र लिपि चिह्नों के द्वारा भी भाषा का निर्माण होता हैं.

भाषा और बोली में अंतर

एक सीमित क्षेत्र में बोले जाने वाले भाषा के स्थानीय रूप को बोली कहा जाता हैं, जिसे उप भाषा भी कहते हैं. कहा गया है कि कोस कोस पर पानी बदले पांच कोस पर बानी.

हर पांच सात मील पर बोली में बदलाव आ जाता हैं. भाषा का सीमित, अविक सित तथा आम बोलचाल वाला रूप बोली कहलाती हैं.

जिसमें साहित्य की रचना नहीं होती तथा जिसका व्याकरण नहीं होता व शब्दकोश भी नहीं होता, जबकि भाषा विस्तृत क्षेत्र में बोली जाती हैं, उसका व्याकरण तथा शब्दकोश होता हैं तथा उसमें साहित्य लिखा जाता हैं.

किसी बोली का संरक्षण तथा अन्य कारणों से यदि क्षेत्र विस्तृत होने लगता है तो उसमें साहित्य लिखा जाने लगता हैं. तो वह भाषा बनने लगती है तथा उसका व्याकरण निश्चित होने लगता हैं.

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हिंदी दिवस विशेष- हिंदी भाषा का महत्त्व, प्रसार और प्रासंगिकता.

  • 14 Sep, 2022 | संकर्षण शुक्ला

essay hindi bhasha par nibandh

मानव जाति अपने सृजन से ही स्वयं को अभिव्यक्त करने के तरह-तरह के माध्यम खोजती रही है। आपसी संकेतों के सहारे एक-दूसरे को समझने की ये कोशिशें अभिव्यक्ति के सर्वोच्च शिखर पर तब पहुँच गई जब भाषा का विकास हुआ। भाषा लोगों को आपस मे जोड़ने का सबसे सरल और जरूरी माध्यम है। आज यानी 14 सितंबर को हिंदी दिवस के अवसर पर, इस आलेख में हिंदी भाषा पर चर्चा की गई है।

14 सितंबर को ही हिंदी दिवस क्यों मनाया जाता है?

दरअसल इसी दिन संविधान सभा ने वर्ष 1949 में हिंदी को राजभाषा के रूप में अपनाया था। आजादी के बाद हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाए जाने के संबंध में तमाम बहस-मुहाबिसें हुईं। अहिंदी भाषी राज्य हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाए जाने के पक्षधर नहीं थे। इनमें भी दक्षिण भारतीय राज्य जैसे तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश पश्चिम बंगाल प्रमुख थे। उनका तर्क था कि हिंदी उनकी मातृभाषा नहीं है और यदि इसे राष्ट्रभाषा के रूप में स्वीकार किया जाएगा तो ये उनके साथ अन्याय सरीखा होगा। अहिंदी भाषी राज्यों के विरोध को देखते हुए संविधान निर्माताओं ने मध्यमार्ग अपनाते हुए हिंदी को राजभाषा का दर्जा दे दिया, इसके साथ ही अंग्रेजी को भी राज्यभाषा का दर्जा दिया गया। वर्ष 1953 में राष्ट्रभाषा प्रचार समिति वर्धा ने 14 सितंबर को हिंदी दिवस के रूप में मनाए जाने का प्रस्ताव दिया तब से ये दिन हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।

हिंदी भाषा की विकास यात्रा

एक भाषा के रूप में अगर हिंदी भाषा की विकास यात्रा की बात करें तो यह एक लंबी और सतत प्रक्रिया है। एक भाषा के विकास में उस समाज और संस्कृति की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है जहाँ पर ये बोली जाती है। हिंदी भाषा के विकास में भी समाज और संस्कृति की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है; खासकर उत्तर भारतीय राज्यों की भूमिका। भारत की प्राचीन भाषा संस्कृत रही है और इसी भाषा के विभिन्न काल खंडों में अलग-अलग स्वरूपों में हुए वियोजन से हिंदी का विकास हुआ है।

संस्कृत भाषा से पालि, पालि से प्राकृत, प्राकृत से अपभ्रंश, अपभ्रंश से अवहट्ट, अवहट्ट से पुरानी हिंदी और पुरानी हिंदी से आधुनिक हिंदी का विकास हुआ है जिसे आज हम बोलते है। हालांकि इसे लेकर मतभेद है कि अपभ्रंश से हिंदी का विकास हुआ है या पुरानी हिंदी से। मगर वर्तमान भाषाविज्ञानी इसे अपभ्रंश से ही विकसित हुआ मानते है।

अगर हिंदी भाषा के विकास के कालखंड की बात करें तो यह तीन कालों में विकसित हुई- पहला कालखंड 1100 ईस्वी - 1350 ईस्वी का माना जाता है, इसे प्राचीन हिंदी का काल कहा जाता है। दूसरा कालखंड मध्य काल (1350 ईस्वी - 1850 ईस्वी) कहा जाता है। इस काल में हिंदी भाषा की बोलियों अवधी और ब्रज में विपुल साहित्य रचा गया। तीसरा कालखंड 1850 ईस्वी से अब तक माना जाता है और इसे आधुनिक काल की संज्ञा दी जाती है। इस काल में हिंदी भाषा का स्वरूप बेहद तेजी से बदला है।

दरअसल इस काल में हिंदी जन-जन की भाषा बन गई। ये वो दौर था जब आजादी की लड़ाई लड़ी जा रही थी और इस दौरान हिंदी का संपर्क भाषा के रूप में प्रचलन खूब बढ़ा। ये हिंदी भाषा का ही असर था कि उत्तर भारत ही नहीं दक्षिण भारत से भी आने वाले आजादी के नायकों ने इसे राष्ट्रभाषा के रूप मे स्वीकार किये जाने की पुरजोर वकालत की। हालांकि हिंदी भाषा को आज तक राष्ट्रभाषा का दर्जा नहीं मिल सका है।

क्यों नहीं है हिंदी भारत की राष्ट्रभाषा?

यदि राष्ट्रभाषा और राजभाषा के अंतर की बात की जाए तो इनमें दो प्रमुख अंतर हैं। एक अंतर इन्हें बोलने वालों की संख्या से है और दूसरा अंतर इनके प्रयोग का है। राष्ट्रभाषा जहाँ जनसाधारण की भाषा होती है और लोग इससे भावात्मक और सांस्कृतिक रूप से जुड़े होते हैं तो वही राजभाषा का सीमित प्रयोग होता है। राजभाषा का प्रयोग अक्सर सरकारी कार्यालयों और सरकारी कार्मिकों द्वारा किया जाता है। कुछ देश जैसे ब्रिटेन की इंग्लिश, जर्मनी की जर्मन और पाकिस्तान की उर्दू; की राष्ट्रभाषा और राजभाषा एक ही है। मगर बहुभाषी देशों के साथ यह समस्या है। यहाँ राष्ट्रभाषा और राजभाषा अलग-अलग होती है।

राष्ट्रभाषा किसी देश को एक करने के लिहाज से बेहद महत्त्वपूर्ण होती है। यही कारण है कि महात्मा गांधी ने वर्ष 1917 में गुजरात के भरूच में हुए गुजरात शैक्षिक सम्मेलन में हिंदी भाषा को राष्ट्रभाषा बनाए जाने की वकालत की थी-

"भारतीय भाषाओं में केवल हिंदी ही एक ऐसी भाषा है जिसे राष्ट्रभाषा के रूप में अपनाया जा सकता है क्योंकि यह अधिकांश भारतीयों द्वारा बोली जाती है; यह समस्त भारत में आर्थिक, धार्मिक और राजनीतिक सम्पर्क माध्यम के रूप में प्रयोग के लिए सक्षम है तथा इसे सारे देश के लिए सीखना आवश्यक है।"

हालांकि आजादी के बाद इसे लेकर तमाम तरह के विवाद हुए और अंततः अंग्रेजी के साथ इसे राजभाषा के रूप में ही स्वीकार किया गया। शुरूआत में तो यह प्रावधान 15 वर्षों के लिए ही था और साथ ही संसद को भी ये शक्ति दी गई थी कि वो अंग्रेजी के प्रयोग को बढ़ा सकता है। वर्ष 1965 में हिंदी को एकमात्र राजभाषा बनाए जाने के समय के पूर्व ही अहिंदी भाषी राज्यों का विरोध इस कदर तीव्र हो गया कि अंततः तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को अहिंदी भाषी राज्यों को ये आश्वासन देना पड़ा कि आपकी सहमति के बिना हिंदी को एकमात्र राजभाषा नहीं बनाया जाएगा।

इसीलिए वर्ष 1963 में राजभाषा अधिनियम पारित किया गया। वर्ष 1967 में इसे संशोधित किया गया। इसमें किये गए प्रावधानों से अहिंदी भाषी राज्यों की तो चिंता खत्म हो गई मगर हिंदी को राष्ट्रीय एकता का प्रमुख तत्व मानने वाले लोगों की चिंताएं बढ़ गई। सरकार ने इन चिंताओं को संबोधित करते हुए त्रिभाषा फार्मूला दिया। इसके अंतर्गत पहली भाषा मातृभाषा होगी जिसमें प्रारंभिक शिक्षा दी जाएगी। दूसरी भाषा गैर हिन्दी भाषियों के लिए हिंदी और हिंदी भाषियों के लिए आठवीं अनुसूची में शामिल कोई भी भाषा होगी। तीसरी भाषा अंतर्राष्ट्रीय भाषा यानी अंग्रेजी होगी ताकि शिक्षित भारतीय विश्व से भी आसानी से जुड़ सकें।

हालांकि विभिन्न राज्यों की सहमति के अभाव में इसे लागू नहीं किया जा सका। इसी क्रम वर्ष 1976 में राजभाषा अधिनियम लाया गया और इसके अंतर्गत राजभाषा विभाग की स्थापना की गई। यह विभाग ही हिंदी के प्रचार-प्रसार से संबंधित विभिन्न समारोहों जैसे हिंदी दिवस, हिंदी पखवाड़ा और हिंदी सप्ताह का आयोजन करता है। इसी के तत्त्वाधान में 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस भी मनाया जाता है।

अगर हिंदी भाषा की संवैधानिक स्थिति की बात की जाए तो यह राजभाषा के रूप में संविधान के भाग 5, भाग 6, भाग 17 में समाविष्ट है। भाग 17 में राजभाषा शीर्षक के अंतर्गत 4 अध्याय है। इसमें संघ शासन, प्रादेशिक शासन, उच्चतम और उच्च न्यायालयों में इस्तेमाल की जाने वाली भाषा के संबंध में विशेष निर्देश दिए गए हैं।

भाग 5 के अनुच्छेद 120 में बताया गया है कि संसदीय कामकाज की भाषा हिंदी और अंग्रेजी होगी। यदि किन्हीं सदस्यो को इन्हें बोलने में दिक्कतें हैं तो वो अध्यक्ष की अनुमति लेकर अपनी भाषा में बात कह सकते हैं। भाग 6 के अंतर्गत अनुच्छेद 210 में राज्य विधानमंडल के लिए भी ऐसे प्रावधान हैं।

अगर हिंदी भाषा की वैश्विक स्थिति की बात की जाए तो यह विश्व के 150 से अधिक देशों में फैले 2 करोड़ भारतीयों द्वारा बोली जाती है। इसके अलावा 40 देशों के 600 से अधिक विश्वविद्यालयों और स्कूलों में पढाई जाती है। एक सर्वेक्षण के मुताबिक विश्व की सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा मंदारिन है तो दूसरा स्थान हिंदी भाषा का है। इसके अलावा भारत और फिजी की यह राजभाषा है। ब्रिटिश भारत काल के दौरान बहुत से श्रमिको को भारत से बाहर ले जाया गया था। इनमें से अधिकांश देशों में हिंदी भाषा आज एक क्षेत्रीय भाषा है; ये देश है- मॉरीशस, सूरीनाम, त्रिनिनाद, गुयाना आदि। मॉरीशस में तो विश्व हिंदी सचिवालय की भी स्थापना की गई है। हालांकि संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक भाषा का दर्जा अभी भी हिंदी को नहीं मिल सका है।

अगर हिंदी भाषा की एक भाषा के तौर पर सामयिक स्थिति का विश्लेषण किया जाए तो इसके समक्ष अनेक चुनौतियाँ हैं। सबसे बड़ी चुनौती तो इसे 'राष्ट्रभाषा की स्वीकार्यता' का न मिलना है। इसके अलावा एक उच्च शिक्षित अभिजात्य वर्ग ऐसा भी है जो हिंदी बोलने में शर्म और हिचकिचाहट महसूस करता है। हिंदी भारत की सार्वभौमिक संवाद भाषा भी नहीं है। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार भारत की 41 फीसदी आबादी की ही मातृभाषा हिंदी है। इसके अलावा लगभग 75 फीसदी भारतीयों की दूसरी भाषा हिंदी है जो इसे बोल और समझ सकते हैं।

हिंदी भाषा के सामने एक प्रमुख चुनौती यह है कि यह अब तक रोजगार की भाषा नहीं बन पाई है। आज तमाम मल्टीनेशनल कंपनियों के दैनिक कामकाज से लेकर कार्य संचालन की भाषा अंग्रेजी है। इसके अलावा तमाम क्षेत्रीय राजनीतिक और सामाजिक संगठन भी अपने निहित स्वार्थों के लिए हिंदी का विरोध करते हैं। अभी भी भारत में उच्च शिक्षा और तकनीकी शिक्षा का माध्यम ज्यादातर अंग्रेजी ही रहता है। हिंदी भाषा की हालत आज ऐसी है कि इसके संबंध में जागरूकता सृजन के लिए विभिन्न सेमिनारों, समारोहों और कार्यक्रमों का सहारा लेना पड़ता है।

हालांकि इंटरनेट के बढ़ते इस्तेमाल ने हिंदी भाषा के भविष्य के संबंध में भी नई राहें दिखाई है। गूगल के अनुसार भारत में अंग्रेजी भाषा में जहाँ विषयवस्तु निर्माण की रफ्तार 19 फीसदी है तो हिंदी के लिए ये आंकड़ा 94 फीसदी है। इसलिए हिंदी को नई सूचना-प्रौद्योगिकी की जरूरतों के मुताबिक ढाला जाए तो ये इस भाषा के विकास में बेहद उपयोगी सिद्ध हो सकता है। इसके लिए सरकारी और गैर सरकारी संगठनों के स्तर पर तो प्रयास किए ही जाने चाहिए, निजी स्तर पर भी लोगों को इसे खूब प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। इसके अतिरिक्त हिंदी भाषियों को भी गैर हिंदी भाषियों को खुले दिल से स्वीकार करना होगा। उनकी भाषा-संस्कृति को समझना होगा तभी वो हिंदी को खुले मन से स्वीकार करने को तैयार होंगे।

संकर्षण शुक्ला उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले से हैं। इन्होने स्नातक की पढ़ाई अपने गृह जनपद से ही की है। इसके बाद बीबीएयू लखनऊ से जनसंचार एवं पत्रकारिता में परास्नातक किया है। आजकल वे सिविल सर्विसेज की तैयारी करने के साथ ही विभिन्न वेबसाइटों के लिए ब्लॉग और पत्र-पत्रिकाओं में किताब की समीक्षा लिखते हैं।

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बचपन में जब मैं छोटी थी तो मुझे हिंदी बोलने में बहुत शर्म महसूस होती थी। हालांकि मेरी गलती भी नहीं थी। मेरी परवरिश ऐसी जगह हुई जहां पर यह माना जाता था कि अंग्रेजी बोलने से रुतबा बढ़ता है और हिंदी बोलने से रुतबा घटता है। मेरी स्कूल भी कैथोलिक थी। वहां पर अंग्रेजी में बात ना करने पर बच्चों पर फाइन के रूप में जुर्माना लगता था। मुझे अंग्रेजी बोलने और लिखने में बहुत मजा आने लगा। मैंने अंग्रेजी भाषा पर अपनी पकड़ बढ़ा दी। इसका नतीजा यह हुआ कि हिंदी भाषा में मेरे अंक कम आने लगे।

“जब से हमने अपनी भाषा का समादर करना छोड़ा तभी से हमारा अपमान और अवनति होने लगी।” 

– (राजा) राधिकारमण प्रसाद सिंह।

राधिकारमण प्रसाद सिंह जी के द्वारा लिखा गया यह वाक्य एकदम सही है। आज के समय में स्थिति कुछ ऐसी ही हो रखी है। आज भारत के लोग दुनियाभर की भाषाओं को सीखने में लगे हैं। फ्रेंच और स्पेनिश भाषा सीखना उनको सम्मान की बात लगती है। आजकल के समय में लोग अपने बच्चों को भी विदेशी भाषाओं को सिखाने में लगे हैं। वह यही चाहते हैं कि उनका बच्चा इन सभी भाषाओं में पारंगत हो।

जब भी उनका बच्चा हिंदी बोलता है तो उनको शर्म महसूस होने लगती है। सभी माँ-बाप यही चाहते हैं कि उनके बच्चे फर्राटेदार अंग्रेजी बोले। जब उनका बच्चा धाराप्रवाह अंग्रेजी बोलता है तो उनको बहुत अच्छा महसूस होता है। वह इसे गर्व की बात समझते हैं। लेकिन क्या आपको यह लगता है कि हम ऐसा करके सही दिशा में जा रहे हैं। नहीं बिल्कुल भी नहीं। ऐसा करके हम अपने आप को गर्त में ही धकेल रहे हैं। ऐसा होना बिल्कुल गलत है। क्योंकि ऐसा करके हम अपनी ही संस्कृति को नष्ट कर रहे हैं।

आज के दौर में भाषाएं

आज के समय में लोग अलग अलग प्रकार की भाषाएं सीखने में लगे हुए हैं। कोई जर्मन सीख रहा है तो कोई फ्रेंच और स्पेनिश भाषा सीखने में व्यस्त है। सारी भाषाओं का अपना अलग महत्व होता है। सभी की अपनी खूबियां है। लेकिन जो बात हमारी भाषा हिंदी में है वह किसी और में नहीं है। हिंदी बड़ी ही प्यारी और मीठी भाषा है। पूरी दुनिया में इस भाषा के कई जने दीवाने हैं। हम जब हिंदी भाषा का इस्तेमाल करते हैं तो ऐसा लगता है कि मानो मुँह में जैसे मिश्री घुल गई है। यह भाषा हमारी धड़कनों में बसी है।

हिंदी भाषा का इतिहास

जब भी हमें अपने विचारों को व्यक्त करना होता है तो हम उसे बोलकर व्यक्त करते हैं। बिना बोले या लिखे हम अपनी भावनाओं को दूसरों के सामने जाहिर नहीं कर पाते हैं। हम इंसान हमेशा से ही कोई ना कोई माध्यम से अपने विचारों को दूसरों के सामने व्यक्त करते आए हैं। हम काफी समय से अपने भावों को जाहिर करते आए हैं। जैसे आदिमानव की अपनी अलग भाषा हुआ करती होगी। हम यह नहीं कह सकते कि उस समय कौन सी भाषा का प्रयोग होता होगा। लेकिन अगर हम अपनी भाषा के इतिहास के बारे में देखें तो हमें यह ज्ञात होता है कि हमारी सबसे पुरानी भाषा संस्कृत रही है।

हिंदी भाषा कैसे विकसित हुई?

प्राचीनकाल में हमने संस्कृत भाषा को देवभाषा का दर्जा दे रखा था। उस समय सभी लोग संस्कृत ही बोलते और लिखते थे। राजा और प्रजा इसी भाषा का प्रयोग करती थी। बड़े बड़े ग्रंथ भी इसी भाषा में लिखे गए। संस्कृत भाषा से ही अन्य सभी भाषाओं का जन्म हुआ। हिंदी भाषा भी संस्कृत भाषा की ही देन है।

हिंदी भाषा तकरीबन 1000 वर्षों से हमारे दिलों पर राज कर रही है। सबसे पहले इस भाषा को प्रचलन में लाने का श्रेय ईरानी लोगों को जाता है। क्योंकि हम भारतीय सिंधु नदी के पास रहा करते थे इसलिए हमारा नाम सिंधु से हिंदू पड़ गया। हिंदी भाषा की उत्पत्ति का श्रेय उत्तर भारत को जाता है। हिंदी भाषा की उत्पत्ति अपभ्रंश से मानी जाती है।

हिंदी भाषा किन भाषाओं का मिश्रण है?

हिंदी विविध भाषाओं का मिला जुला रूप है। अगर हिंदी भाषा के विकास की हम बात करें तो हम अपनी प्रचीन संस्कृत को दो हिस्से में बाँट सकते है लौकिक संस्कृत भाषा और पहली प्राकृत भाषा। इससे ही आगे फिर दूसरी प्राकृत भाषा अस्तित्व में आई। इसी भाषा को हम सभी पाली नाम से भी जानते हैं।

बाद में आगे चलकर हमने पाली भाषा को तीन हिस्सों में बांट दिया था – मागधी, अर्धमागधी (प्राकृत) और शौरसेनी। पश्चिमी हिंदी, राजस्थानी, पहाड़ी, गुजराती को हम शौरसेनी की आधुनिक भाषा कह सकते हैं। नागर अप्रभंश को दो हिस्से में विभाजित कर सकते हैं- पूर्वी हिंदी और पश्चिमी हिंदी। और आखिर में वर्तमान हिंदी। खड़ी बोली को हम हिंदी भाषा का विकसित रूप मानते हैं। यह भाषा बोलने और लिखने में बहुत ही प्यारी लगती है।

हिंदी भाषा का महत्व

हमारे जीवन में हिंदी भाषा का महत्व बहुत ज्यादा है। हिंदी भाषा हमारे देश की जान है और पहचान भी। आज हिंदी की वजह से ही हम है। आज अंतरराष्ट्रीय मंच पर जो हमें पहचान और मान सम्मान मिला है वह सब हिंदी की बदौलत ही है। यह हम भी अच्छी तरह से जानते हैं कि हमारा देश बहुत बड़ा है।

इस देश में भिन्न भिन्न प्रकार की जाति और धर्म के लोग निवास करते हैं। उनका खान पान अलग है और पहनावा भी अलग है। पर एक चीज है जो उनको जोड़े रखती है। वह है हमारी राजभाषा। हम यहां पर हिंदी भाषा का बोल रहे हैं। हिंदी भाषा का उदय करीब हजार वर्ष पहले हुआ था। उस समय से लेकर आज तक यह भाषा हमारे लिए गौरव की भाषा बनी हुई है। इसका प्रमाण हम सभी के सामने है।

आज के समय में हमारी हिंदी फ़िल्मों और गानों को खूब पसंद किया जाता है। विदेशों में भी हमारी हिंदी फ़िल्मों को बड़ी चाव से देखा जाता है। यहां तक की हमारी आजादी के समय भी हिंदी भाषा ने बड़ा अहम योगदान दिया। उस समय कविताएं, कहानियां और भाषण इसी भाषा में लिखे और दिए गए। आजादी संग्राम के दौरान यह भाषा एक प्रमुख भाषा बनी रही। आज के दौर में तकरीबन करोड़ों की संख्या में लोग हिंदी बोल और समझ सकते हैं। हिंदी के महत्व को समझते हुए ही हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है।

हिंदी को राजभाषा का दर्जा कब प्राप्त हुआ?

यह हम सभी को पता है कि हिंदी को हमारी राजभाषा का दर्जा प्राप्त है। हिंदी से हम भारतीयों का गहरा जुड़ाव है। हिंदी ने हमें नया आयाम दिया है। अवधी, भोजपुरी, ब्रजभाषा, छत्तीसगढ़ी, गढ़वाली, हरियाणवी, कुमांऊनी, मागधी और मारवाड़ी सभी हिंदी भाषा का ही अंश है।

अमेरिका और कनाडा जैसे विकसित देशों में भी हिंदी को सीखने वालों की संख्या अधिक है। लेकिन हिंदी को राजभाषा का दर्जा कब प्राप्त हुआ, यह सोचने वाली बात है। हिंदी को राजभाषा बनाने का प्लान तो कभी से ही चल रहा था। बहुत से विदेशी आक्रमणकारियों ने यह सोचा कि हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा दे देते हैं।

लेकिन वह ऐसा नहीं कर पाए। फिर आजादी से पहले यह मांग उठनी शुरू हो गई थी कि हिंदी को ही भारत की राष्ट्रभाषा बना दी जाए। 15 अगस्त 1947 के बाद से यह मुद्दा बहुत गर्म हो गया था। क्योंकि भारत में अनेकों भाषाएँ बोली जाती थी इसलिए ऐसा हो नहीं पाया। लेकिन 1949 में अंतिम निर्णय यह लिया गया कि हिंदी को राष्ट्रभाषा की जगह राजभाषा का दर्जा दे दिया जाए। तब से लेकर आज तक हिंदी हमारी राजभाषा बनी हुई है।

हिंदी भाषा में रोजगार के अवसर

साल 2014 तक तो हिंदी भाषा को लेकर दुनिया में इतनी जागरूकता नहीं थी। लेकिन 2014 के बाद से हिंदी भाषा के प्रति दुनियाभर भर में सम्मान और उत्साह देखने को मिला। ऐसा बिल्कुल भी नहीं है कि इस भाषा को लेकर पहले कोई क्रेज नहीं था। हिंदी के प्रति दीवानगी तो हमेशा से ही रही है।

अब हम बात करते हैं कि क्या हम हिंदी भाषा में रोजगार के अवसर मिल सकते हैं? तो इसका सीधा सा उत्तर है – हाँ। आज के दौर में जब हिंदी भाषा को इतनी लोकप्रियता मिल गई है कि इस भाषा से हम रोजगार के अवसर भी प्राप्त कर सकते हैं। आज बैंकिंग सेक्टर से लेकर फिल्मी जगत और विज्ञापन की दुनिया में हिंदी भाषा का बोलबाला है।

आज के समय में हम हिन्‍दी राजभाषा अधिकारी, हिन्‍दी अध्यापन, हिन्‍दी पत्रकारिता, हिन्‍दी अनुवादक/दुभाषिया, रेडियो जॉकी और समाचार वाचक के रूप में धन अर्जन कर सकते हैं। आज मीडिया, फिल्म, जनसंपर्क, बैंकिंग क्षेत्र, विज्ञापन आदि क्षेत्रों में अनुवादकों की मांग भी काफी बढ़ गई है। इसलिए आज के समय में अगर हमारी हिंदी भाषा पर पकड़ अच्छी है तो हमारे सामने रोजगार के ढेरों अवसर है।

हिंदी भाषा के कुछ प्रसिद्ध लेखकों के नाम

  • सीताराम सेकसरिया
  • लीलाधर मंडलोई
  • प्रहलाद अग्रवाल
  • रविंद्र केलेकर
  • आचार्य रामचंद्र शुक्ल
  • जयशंकर प्रसाद
  • रामचन्द्र शुक्ल
  • हरिवंशराय बच्चन
  • महादेवी वर्मा
  • सुमित्रानंदन पन्त
  • सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
  • सुभद्राकुमारी चौहान
  • सोहनलाल द्विवेदी
  • माखनलाल चतुर्वेदी
  • भारतेन्दु हरिश्चंद
  • रामनरेश त्रिपाठी

हिंदी भाषा पर निबंध 200 शब्दों में

इस दुनिया में सभी को अपनी भाषा प्रिय होती है। उनको अपनी भाषा पर अभिमान और गर्व होता है। रूस में रहने वाले लोग रशियन बोलते हैं। तो वहीं जापान में रहने वाले लोग जापानी बोलते हैं। हमारे देश के लोग हिंदी बोलते हैं। हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है। हिंदी भाषा को भारत के दिल की धड़कन माना जाता है।

हमारी भाषा विदेशों में भी बड़े ही चाव के साथ बोली जाती है। इस भाषा की लोकप्रियता इतनी है कि आज अंग्रेजी के बाद अगर कोई दूसरी भाषा सीख रहा है तो वह हिंदी भाषा है। हिंदी भाषा बोलने और लिखने में बहुत ही सरल है। जब कोई विदेशी हमारी भाषा को अच्छे से बोलता है तो हमें बहुत गर्व महसूस होता है।

आज हिंदी भाषा का बोलबाला भी हर जगह नजर आता है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हमारी हिंदी सिनेमा और हिंदी गाने हर किसी को पसंद आते हैं। आज के दौर में हिंदी भाषा में रोजगार के अवसर भी अधिक हो गए हैं। आज आप हिंदी का लेखक या टीचर बनकर खूब कमा सकते हैं। यूट्यूब पर भी हजारों ऐसी वीडियो उपलब्ध है जिसमें आपको हिंदी भाषा के बारे में अच्छा ज्ञान दिया जाता है। आज के दौर में हिंदी भाषा ने अपनी अच्छी पहचान बना ली है।

हिंदी भाषा पर 10 लाइन

  • हिंदी हमारी राजभाषा के नाम से जानी जाती है।
  • आज के समय में 70 करोड़ लोग हिंदी भाषा को समझ और बोल सकते हैं।
  • 14 सितंबर 1949 को पहली बार हिंदी भाषा को भारत की राजभाषा होने का सम्मान मिला।
  • हमारे देश के बड़े बड़े नेता जैसे महात्मा गांधी और सुभाष चंद्र बोस आदि हिंदी का बड़ा सम्मान करते थे।
  • अंग्रेजी और चीनी भाषा के बाद दुनिया में सबसे ज्यादा प्रभाव हिंदी भाषा का है।
  • भारत हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाता है।
  • हिंदी भाषा समझने में बड़ी आसान और बोलने में बड़ी प्यारी भाषा है।
  • हिंदी भाषा का अविष्कार आज से 1000 वर्ष पहले ही हो गया था।
  • हमें लोगों में हिंदी भाषा के प्रति प्रेम और जागरूकता जगानी चाहिए।
  • मेरी भी प्रिय भाषा हिंदी ही है।

हिंदी भाषा ने हमें विश्व में नई पहचान और सम्मान दिलाया है। हिंदी भाषा से हमारी संस्कारों की जड़ें जुड़ी हुई है। हमें हिंदी भाषी होने पर बड़ा गर्व है। आज दुनियाभर के 70 करोड़ लोग हिंदी बोल सकते हैं। हम उम्मीद करते हैं कि आज आपको हमारे द्वारा तैयार किया गया यह निबंध जरूर पसंद आया होगा।

ये भी पढ़ें :-

  • हिंदी दिवस पर भाषण
  • विश्व हिंदी दिवस पर निबंध
  • हिंदी दिवस पर निबंध
  • हिंदी दिवस पर लेख

हिंदी भाष से सम्बंधित FAQs

Q1. हिंदी भाषा के बाद सर्वाधिक बोले जाने वाली भाषा कौन सी है?

A1. हिंदी भाषा के बाद सर्वाधिक बोले जाने वाली भाषा बांग्ला और तेलुगू है।

Q2. हिंदी को राजभाषा होने का सम्मान कब मिला था?

A2. 14 सितंबर 1949 को पहली बार हिंदी भाषा को भारत की राजभाषा होने का सम्मान मिला था।

Q3. हिंदी भाषा का जन्म कौन सी भाषा से हुआ?

A3. हिंदी भाषा का जन्म अपभ्रंश भाषा से हुआ था।

Q4. हिंदी के कुछ लेखकों का नाम बताइए?

A4. जयशंकर प्रसाद, कबीर, महादेवी वर्मा, मल्लिक मुहम्मद जायसी, मीराबाई, रसखान, संत रैदास, तुलसीदास, कालिदास, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला आदि।

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हिंदी भाषा का महत्व पर निबंध। Essay on Hindi Bhasha ka Mahatva

हिंदी भाषा का महत्त्व पर निबंध : किसी भी स्वतंत्र राष्ट्र की अपनी एक भाषा होती है जो उसका गौरव होती है। राष्ट्रीय एकता और राष्ट्र के स्थायित्व के लिए राष्ट्रभाषा अनिवार्य रूप से होनी चाहिए जो किसी भी राष्ट्र के लिये महत्वपूर्ण होती है। स्वतंत्र भारत की संविधान सभा ने 14 सितम्बर 1949 को ही हिंदी भाषा को भारत संघ की राजभाषा के रूप में मान्यता दे दी।

हिंदी भाषा का महत्व पर निबंध 

हिंदी भाषा का महत्त्व पर निबंध। Essay on Hindi Bhasha ka Mahatva

निजभाषा उन्नति अहै, सब उन्नति कौ मूल।  बिनु निज भाषा ज्ञान के, मिटे न हिय को सूल। 

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हौसला बढाने के लिए आपका धन्यवाद. आपको और सभी पाठकों को होली की शुभकामनाएं.

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हिंदी का महत्व ( Importance of Hindi )

आज के युग में हम हिंदी के महत्व को उजागर करने जा रहे हैं। हिंदी के उद्भव , विकास और प्रसिद्धि इन सभी बिंदुओं पर विस्तार पूर्वक चर्चा करने की कोशिश करेंगे। यह लेख हिंदी भाषी तथा गैर हिंदी भाषी लोगों के लिए भी लाभदायक है , जिसके माध्यम से वह हिंदी को और विस्तार पूर्वक समझ सकेंगे।

यह लेख हिंदी के महत्व को ध्यान में रखकर तैयार किया जा रहा है। जिसके माध्यम से आपके ज्ञान की वृद्धि और जिज्ञासा की शांति हो सके। ऐसा इस लेख का उद्देश्य  है –

Table of Contents

हिंदी का महत्व ( निबंध के रूप में प्रस्तुत )

पृष्ठभूमि – हिंदी की प्रसिद्धि आज देश ही नहीं अभी तो विदेश मे भी है। हिंदी का सरलतम रूप आज समाज में व्याप्त है।  हिंदी का अध्ययन देश ही नहीं अपितु विदेश में भी किया जा रहा है। हिंदी भाषी क्षेत्रों का दायरा व्यापक और विस्तृत होता जा रहा है , जिसमें संभावनाएं असामान्य रूप से बढ़ती जा रही है।

खड़ी बोली को पीछे छोड़कर हिंदी भाषा में एक नया रूप धारण किया , जिसमें इसके पाठकों और श्रोताओं का साथ मिलता गया। हिंदी भाषी लोग भारत में बेहद ज्यादा संख्या में उपलब्ध है , जिसके कारण भारतीय साहित्य में हिंदी भाषा ने अपनी प्रतिष्ठा प्राप्त कर ली। वर्तमान शोध में यह पाया गया है कि इंटरनेट की दुनिया में गुणात्मक रूप से वृद्धि करने वाली भाषा हिंदी है।

जिसके अध्ययन के लिए विदेशी लोग भी लालाहित हैं।

माना जाता है हिंदी का जन्म उर्दू , अरबी और फारसी भाषाओं से हुआ है। मेरा ऐसा मानना है काफी शब्द उनसे ग्रहण किया गया है , किंतु संस्कृत का यह सरलतम रूप है। हिंदी मे  , संस्कृत और उर्दू के शब्दों भाषा के शब्दों का प्रयोग देखने को मिलता है।

हिंदी भाषा के उद्भव के कारण

हिंदी के उद्भव से पूर्व की जो भाषाएं भारत में प्रचलित थी वह सामान्य जनमानस की भाषा नहीं थी। संस्कृत पढ़े लिखे और विद्वानों की भाषा मानी जाती थी।  इस भाषा का प्रयोग सामान्य जीवन में नहीं किया जाता था। जिसके कारण इस भाषा से सामान्य जन परिचित नहीं थे। भारत की अधिकतर आबादी गांव में निवास करती थी , जहां के लोग अपनी क्षेत्रीय भाषा में बातचीत किया करते थे। इन ग्रामीणों को बैंक अथवा कार्यालय में हिंदी भाषा का प्रयोग करने में सुविधा होती है। अतः ऐसे क्षेत्र बहुतायत संख्या में है जहां कार्यालय भाषा हिंदी है।

हिंदी के शब्द सरल और सुविधाजनक माने जाते हैं। इस प्रकार यह लोग सम्मानीय की भाषा बनती है। हिंदी का साहित्य में आगमन एक क्रांतिकारी चरण है। हिंदी से पूर्व प्राकृत , अपभ्रंश , खड़ी बोली आदि का प्रयोग था जो बेहद ही जटिल भाषा मानी जाती है। इसको लिखना और बोलना बेहद कठिन माना जाता है।

अतः नवजागरण काल में हिंदी भाषा का चलन आरंभ हुआ।

भारतेंदु हरिश्चंद्र और उनकी सहयोगी टोलियों ने हिंदी भाषा के क्षेत्र में बेहद सराहनीय कार्य किया। भारतेंदु को हिंदी भाषा के विकास का श्रेय दिया जाता है इससे पूर्व खड़ी बोली प्रचलन में थी।

जनसामान्य की रुचि को ध्यान में रखते हुए भारतेंदु ने हिंदी भाषा का चलन आरंभ किया।

तत्काल समय में कविता नाटक और उपन्यास की रचना हिंदी में की गई जिसे लोगों ने खूब सराहा और धीरे-धीरे मध्यमवर्गीय पाठकों का उदय हुआ। इन पाठकों की प्रमुख भाषा हिंदी थी।

अतः उन्होंने हाथों-हाथ इन उपन्यास और साहित्य को अपनाया।

हिंदी भाषी क्षेत्र की जानकारी

हिंदी भाषा का क्षेत्र आज व्यापक हो गया है , पूर्व समय में उत्तर भारत का संपूर्ण भाग हिंदी भाषी माना जाता था। जिसमें प्रमुख मध्य प्रदेश , उत्तर प्रदेश , बिहार आदि है। इन प्रदेशों में अधिक आबादी और संख्या होने के कारण हिंदी भारत में लोकप्रिय भाषा बन गई।  आज वैश्विक स्तर पर हिंदी भाषा उभर कर सामने आई है। वर्तमान समय में देश ही नहीं अपितु विदेश में भी हिंदी भाषा की सराहना की जा रही है। हिंदी भाषा इतनी सरल है कि जो शब्द का उच्चारण होता है वही शब्द लिखित रूप में होता है।

जबकि अन्य भाषाओं में शब्द का उच्चारण और लेख विभिन्न होते हैं।

विदेशी पाठक भी हिंदी का अध्ययन कर रहे हैं और इस क्षेत्र में उभरती संभावनाओं की तलाश कर रहे हैं।

इंटरनेट पर हिंदी भाषी लोगों का निरंतर गुणात्मक रूप से वृद्धि हो रही है।

जिसका यही कारण है कि हिंदी सरल और सुगम भाषा बनती जा रही है। यह एक विशाल समूह की भाषा है जो सरल और सुगम मानी गई है।

वैश्विक स्तर पर हिंदी का महत्व – Hindi ka mahatva vaishvik star par

भारत सदैव से विश्व गुरु माना गया है , बीच में कुछ कालखंड ऐसे रहे जहां भारत अपनी राजनीतिक परिस्थितियों में घिर गया था। किंतु वह आज भी विश्व गुरु बनने की राह में पीछे नहीं है। भारत में वैदिक गुरुकुल और शिक्षा को ग्रहण करने के लिए देश-विदेश से शिक्षार्थी आया करते थे यहां के गुरुकुल की शिक्षा दुर्लभ थी। नालंदा विश्वविद्यालय इसका एक प्रमुख उदाहरण है।

  • भारत ने ही विश्व को वेद और योग तथा विज्ञान की शिक्षा दी।
  • भारतीय वेद पुराणों में निहित विज्ञानों को आज के वैज्ञानिक खोज कर रहे हैं।
  • जबकि उन सभी को भारतीय वेद पुराण में लिखा जा चुका था।

इसको आप झुठला नहीं सकते।

ठीक इसी प्रकार हिंदी की पकड़ विश्व स्तर पर हो गई है। इसके पाठकों के माध्यम से हिंदी भाषा का विस्तार हो रहा है। आज विदेशी लोग भी व्यापार करने के लिए भारत की ओर ताक रहे हैं। ऐसी स्थिति में वह हिंदी भाषा का गहन अध्ययन कर रहे हैं। आए दिन शोध में यह पाया जा रहा है कि भारतीय हिंदी भाषा का निरंतर गुणात्मक रूप से विकास हो रहा है। अतः इनकी आबादी और पाठकों की संख्या बेहद अधिक है ऐसे में विदेशी भी भारत की ओर अपनी संभावनाएं तलाश रहे हैं।

इंटरनेट पर इंग्लिश और चाइना भाषा के बाद हिंदी ही सबसे लोकप्रिय भाषा मानी जा रही है। देश विदेश के लोग हिंदी सीखने के लिए मोटी रकम खर्च कर रहे हैं।

हिंदी के साहित्य

हिंदी के साहित्य का वर्तमान में वैश्विक स्तर पर मांग बढ़ गई है। हिंदी के साहित्य व्यक्ति के जीवन से जुड़े होते हैं। उसमें हर्ष , विषाद , संवेदना सभी प्रकार के भाव निहित होते हैं। हिंदी साहित्य मानवीय संवेदनाओं को प्रकट करने में सक्षम है। आप इन साहित्य को पढ़कर यह महसूस करेंगे कि यह हूबहू आपके सामने आपके आंखों के दृश्य को प्रकट कर रहा है। हिंदी से पूर्व खड़ी बोली और अवधी भाषा का प्रचलन जोर पर था।

किंतु इन साहित्य को पढ़ने में उनके शब्दों को समझने में काफी कठिनाई का अनुभव करना पड़ता था। तत्कालीन लेखकों और कवियों ने इस पर विचार विमर्श कर हिंदी भाषा में साहित्य का रूपांतरण और रचना आरंभ की। जयशंकर प्रसाद , भारतेंदु हरिश्चंद्र , प्रेमचंद , आदि प्रमुख कवियों ने सामाजिक जीवन को हूबहू हिंदी साहित्य में पाठक के सामने प्रकट किया है।

यही कारण है कि प्रेमचंद को कलम का सिपाही माना जाता है।

उनकी रचना ग्रामीण परिवेश से जुड़ी हुई थी , यह साहित्य ग्रामीण जीवन को प्रकट करने का सामर्थ्य रखती थी। इन कवियों के साहित्य को ग्रामीण जीवन का महाकाव्य भी माना गया है।

हिंदी साहित्य जनसामान्य का साहित्य है।

इस साहित्य के पाठक का दायरा बेहद विस्तृत और व्यापक है।

शब्द और उच्चारण

हिंदी विश्व की एक इकलौती ऐसी भाषा है जो शब्द उच्चारण किए जाते हैं वही शब्द लिखे जाते हैं। हिंदी के अतिरिक्त अन्य सभी भाषाओं में उच्चारण और लेखन में बेहद ही अंतर देखने को मिलता है।

कई बार शब्दों को पढ़कर उसके उच्चारण में अस्पष्टता होती है।

हिंदी को इन्हीं सभी कठिनाइयों को ध्यान में रखकर विस्तार मिला। हिंदी जन सामान्य और मध्यम वर्ग की सशक्त भाषा है। इस भाषा में अनेक भाषाओं के शब्दों को समाहित किया गया है।

जिसमें प्रमुख अरबी , फारसी , उर्दू , संस्कृत आदि भाषाएं शामिल है।

इंटरनेट पर भी हिंदी का प्रयोग इसलिए प्रसिद्ध है , क्योंकि इसके शब्दों का लिखना और उच्चारण करना पाठकों के लिए सुलभ है। दिन – प्रतिदिन इसी सुगमता के कारण हिंदी का निरंतर विकास होता जा रहा है।

वह दिन दूर नहीं जब हिंदी विश्व स्तर की सर्वश्रेष्ठ भाषा कहलाई जाएगी।

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5 thoughts on “हिंदी का महत्व ( Importance of Hindi )”

हिंदी का महत्व सिर्फ वही व्यक्ति समझ सकता है जो इसमें छुपे रास को ग्रहण कर सकने की क्षमता रखता है। आपका लेख वाकई काबिले तारीफ है। आशा है आपसे इसी प्रकार के लेखन की।

धन्यवाद शुभाष जी। हमें इस बात की ख़ुशी है कि ये लेख आपको अच्छा लगा।

आज के जमाने में हिंदी का महत्व बढ़ता ही जा रहा है और इसलिए मेरा सभी से अनुरोध है की हिंदी विभाग की सहायता लेकर अपनी हिंदी मजबूत करें और अपने आप को बेहतर बनाएं।

बहुत अच्छा लेख तैयार किया है आपने, हिंदी का महत्व बहुत है अगर सामने वाला समझना चाहे तो

राष्ट्रपती रामनाथ कोविन्द जी ने कहा है.. “हिंदी अनुवाद की नहीं बल्कि संवाद की भाषा है। हिंदी मौलिक सोच की भाषा है।”

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हिंदी दिवस 2024 पर बड़े और छोटे निबंध स्कूली छात्रों और बच्चों के लिए

हिंदी दिवस पर निबंध: हिंदी, भारत की मातृभाषा है। यह सबसे अधिक बोली जाने वाली और सम्मानित भाषाओं में से एक है। छात्रों को नीचे दिए गए निबंधों को पढ़कर इसके बारे में अधिक जानना चाहिए।   हिंदी दिवस 2024 पर 150 - 200 शब्दों का निबंध हिंदी में पाने के लिए इस लेख को पढ़ें।.

Atul Rawal

Hindi Diwas Par Nibandh: भारत में 14 सितंबर को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिन भारत की आधिकारिक भाषाओं में से एक हिंदी भाषा को बढ़ावा देने और उसका जश्न मनाने के लिए मनाया जाता है। यह दिन राष्ट्रीय एकता और विविध सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देता है।   इस अवसर पर, स्कूल, छात्रों को हिंदी और इसके महत्व के बारे में शिक्षित करने के लिए स्कूल प्राधिकारी और शिक्षक कार्यक्रम आयोजित करते हैं। स्कूल छात्रों को अधिक जानकार और खुद को अभिव्यक्त करने में आत्मविश्वासी बनाने के लिए निबंध लेखन और भाषण प्रतियोगिताओं का आयोजन करते हैं।

यहां आपको हिंदी दिवस पर निबंधों के कुछ उदाहरण मिलेंगे। ये हिंदी दिवस निबंध हिंदी में हैं, जिसका उद्देश्य हिंदी दिवस 2024 के लिए आयोजित निबंध लेखन प्रतियोगिताओं में छात्रों को बेहतर प्रदर्शन करने में मदद करना है। हिंदी दिवस निबंध 150-200 शब्दों के हैं। छात्रों के लिए हिंदी दिवस पर निबंध देखें।

  • Hindi Diwas Essay in English
  • Hindi Diwas Speech For Students
  • Hindi Diwas Slogans

हिंदी दिवस पर 10 पंक्तियां (10 Lines on Hindi Diwas)

  • हिंदी दिवस हर साल 14 सितंबर को मनाया जाता है।
  • यह भारत की राष्ट्रीय भाषा हिंदी को बढ़ावा देने और मनाने के लिए है।
  • हिंदी भारत की सांस्कृतिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
  • हिंदी भाषा का प्रयोग भारत में व्यापक रूप से किया जाता है।
  • हिंदी दिवस पर विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
  • इन कार्यक्रमों में कविता पाठ, नाटक, गायन आदि शामिल होते हैं।
  • हिंदी दिवस का उद्देश्य लोगों को हिंदी भाषा के महत्व के बारे में जागरूक करना है।
  • यह दिन हमें हिंदी भाषा का सम्मान करने और इसका उपयोग बढ़ाने के लिए प्रेरित करता है।
  • हिंदी दिवस पर स्कूलों और कॉलेजों में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
  • हिंदी भाषा का प्रयोग भारत के विकास और प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

  हिंदी दिवस पर निबंध हिंदी में (Essay on Hindi Diwas in Hindi)

हिंदी दिवस पर निबंध हिंदी में (150 शब्द).

अधिकांश भारतीयों के लिए हिंदी एक भाषा नहीं बल्कि एक भावना है। 14 सितंबर इसी भावना को मनाने के लिए समर्पित दिन है। भारतीय इस दिन को हिंदी दिवस के रूप में मनाते हैं, क्योंकि यह देश की आधिकारिक भाषाओं में से एक के रूप में हिंदी को अपनाने की याद दिलाता है। इस दिन को इसलिए चुना गया क्योंकि यह ब्योहर राजेंद्र सिम्हा की जन्मतिथि है। वह एक प्रमुख हिंदी विद्वान थे और हिंदी को बढ़ावा देने के लिए जाने जाते थे।

हिंदी एक ऐसी भाषा है जिसकी लिपि देवनागरी है। यह भाषा विविध भाषाई और सांस्कृतिक परिदृश्य को एक साथ जोड़ने में एकीकृत भूमिका निभाती है। एक भाषा के रूप में हिंदी संचार के माध्यम के रूप में कार्य करती है जो लोगों और क्षेत्रों को जोड़ती है, राष्ट्रीय पहचान की भावना को बढ़ावा देती है।

हिंदी दिवस 2024 के अवसर पर हमें अपनी भाषा का सम्मान करने और इसके संरक्षण के लिए आवश्यक कदम उठाने की शपथ लेनी चाहिए। हिंदी दिवस का उत्सव भाषाई और सांस्कृतिक बहुलवाद के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

हिंदी दिवस पर निबंध हिंदी में (200 शब्द)

हिंदी दिवस पर, यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि भारत कई क्षेत्रीय भाषाओं और बोलियों के साथ भाषाई विविधता का देश है। हिंदी दिवस राष्ट्रीय एकता के प्रतीक के रूप में हिंदी को कायम रखते हुए इस विविधता को संरक्षित और सम्मान करने की आवश्यकता की याद दिलाता है। हिंदी दिवस सिर्फ एक भाषा का उत्सव नहीं बल्कि भारत की विविधता में एकता का भी उत्सव है।

14 सितंबर इसी भावना को मनाने के लिए समर्पित दिन है। भारतीय इस दिन को हिंदी दिवस के रूप में मनाते हैं, क्योंकि यह देश की आधिकारिक भाषाओं में से एक के रूप में हिंदी को अपनाने की याद दिलाता है। इस दिन को इसलिए चुना गया क्योंकि यह ब्योहर राजेंद्र सिम्हा की जन्मतिथि है। वह एक प्रमुख हिंदी विद्वान थे और हिंदी को बढ़ावा देने के लिए जाने जाते थे।

हिंदी दिवस पर निबंध हिंदी में (250 शब्द)

14 सितंबर इसी भावना को मनाने के लिए समर्पित दिन है। भारतीय इस दिन को हिंदी दिवस के रूप में मनाते हैं, क्योंकि यह देश की आधिकारिक भाषाओं में से एक के रूप में हिंदी को अपनाने की याद दिलाता है। 26 जनवरी, 1950 को हिंदी को भारत की आधिकारिक भाषाओं में से एक के रूप में अपनाया गया था, उसी दिन जब भारतीय संविधान लागू हुआ था। इस निर्णय को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 343 के माध्यम से औपचारिक रूप दिया गया, जिसने अंग्रेजी के साथ-साथ हिंदी को भारत सरकार की आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता दी, जिसका उपयोग एक संक्रमणकालीन अवधि के लिए किया जाना था।

14 सितंबर वह दिन है जब भारतीय हर साल हिंदी दिवस मनाते हैं। इस दिन को इसलिए चुना गया क्योंकि यह ब्योहर राजेंद्र सिम्हा की जन्मतिथि है। वह एक प्रमुख हिंदी विद्वान थे और हिंदी को बढ़ावा देने के लिए जाने जाते थे।

हिंदी दिवस मनाने के और भी कई कारण हैं; आइए उन पर चर्चा करें। समय के साथ, आधुनिकीकरण के इस दौर में विकसित होने के साथ-साथ हमारा हिंदी का ज्ञान भी कम होता जा रहा है। इस प्रकार, हिंदी दिवस का पहला और सबसे महत्वपूर्ण कारण हिंदी को एक भाषा के रूप में बढ़ावा देना है। दूसरा कारण राष्ट्र में भाषाई इकाइयों को बढ़ावा देना है। हिंदी दिवस का उद्देश्य सांस्कृतिक विरासत और बहुभाषावाद को बढ़ावा देना भी है। इससे हम अपनी राष्ट्रीय पहचान, शिक्षा और साक्षरता की रक्षा कर सकते हैं। दार्शनिकों और महान शिक्षाविदों ने कहा है कि जो राष्ट्र अपनी भाषा का सम्मान और पालन नहीं करता, उसका विनाश आसान होता है। इस प्रकार, हमें अपनी विरासत को जीवित रखना चाहिए और अपनी भावी पीढ़ियों और उनकी जड़ों के ज्ञान को मजबूत करने के लिए इसका पालन करना चाहिए। आइए मिलकर इस हिंदी दिवस को मनाएं। 

हिंदी दिवस पर निबंध हिंदी में (500 शब्द)

हिंदी दिवस, भारत की राष्ट्रीय भाषा हिंदी को बढ़ावा देने और मनाने के लिए मनाया जाता है। यह एक महत्वपूर्ण अवसर है जो हिंदी भाषा के महत्व और योगदान को उजागर करता है।

हिंदी दिवस का पहली बार मनाया जाना 1949 में हुआ था। उस समय, भारत की संविधान सभा ने हिंदी को देश की आधिकारिक भाषा के रूप में अपनाया था। हिंदी दिवस को मनाने का निर्णय इस महत्वपूर्ण अवसर को चिह्नित करने के लिए लिया गया था।

हिंदी भाषा भारत की सांस्कृतिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह देश की विभिन्न क्षेत्रों और समुदायों को जोड़ने में मदद करती है। हिंदी भाषा का व्यापक रूप से भारत में और दुनिया भर में उपयोग किया जाता है। यह शिक्षा, व्यापार, और सरकारी कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

हिंदी दिवस के अवसर पर विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इन कार्यक्रमों में कविता पाठ, नाटक, गायन, और भाषण शामिल होते हैं। इन कार्यक्रमों का उद्देश्य हिंदी भाषा के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना और लोगों को हिंदी भाषा का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करना है।

हिंदी दिवस का भारत पर गहरा प्रभाव पड़ा है। यह हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाया है। हिंदी भाषा का उपयोग बढ़ने से देश की एकता और राष्ट्रीय पहचान को मजबूत करने में मदद मिली है। हिंदी भाषा का व्यापक उपयोग भारत के विकास और प्रगति में भी योगदान देता है।

यदि आपको 500 शब्दों का हिंदी दिवस निबंध दिया गया है, तो शब्द संख्या बढ़ाने के लिए उपरोक्त हिंदी दिवस निबंध में अधिक जानकारी जोड़ें। अधिक जानकारी के लिए आप ऊपर दिए गए हिंदी दिवस भाषण को देख सकते हैं। अपने निबंध में हिंदी दिवस के नारे जोड़ने से यह और अधिक आकर्षक हो जाएगा।

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  • हिंदी दिवस पर निबंध में क्या शामिल करना चाहिए? + आप हिंदी का इतिहास, भारतीय संस्कृति में इसका महत्व और हिंदी सीखने और बोलने के फायदों के बारे में लिख सकते हैं। आप हिंदी भाषा से जुड़े अपने व्यक्तिगत अनुभवों या कहानियों को भी साझा कर सकते हैं।
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हिंदी का महत्व पर निबंध | Essay on Importance of Hindi

by Meenu Saini | Jul 25, 2023 | Hindi | 0 comments

Essay on Importance of Hindi

Hindi Ka Mahatva Par Nibandh Hindi Essay

Hindi Diwas Quotes, Wishes, Slogans | हिंदी दिवस की शुभकामनाएं

हिंदी का महत्व (Importance of Hindi ) Par Nibandh Hindi mein

जहां अंग्रेजी अधिकांश देशों में व्यापक रूप से बोली जाती है और इसे दुनिया की शीर्ष दस सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषाओं में से एक माना जाता है, वहीं दूसरी ओर हिंदी इस सूची में तीसरे स्थान पर है।

देश के कई राज्यों में हिंदी अभी भी कई लोगों के लिए मातृभाषा है और ज्ञान प्रदान करने के माध्यम के रूप में इस्तेमाल की जाने वाली अंग्रेजी एक बड़ी बाधा बनी हुई है। यह भी कहा गया है कि संख्यात्मकता और साक्षरता में मजबूत आधार कौशल सुनिश्चित करने के लिए, पाठ्यक्रम उस भाषा में प्रदान किया जाना चाहिए जिसे बच्चा समझता है।

हिंदी के महत्व के निबंध में हम आज हिंदी का महत्व, हिंदी के विकास के प्रभाव और भारत की आजादी के बाद संविधान सभा में हिंदी को लेकर हुए बवाल, समाधान और प्रमुख अनुच्छेदों की बात करेंगे, जो हिंदी की जरूरत और महत्व का वर्णन करते हैं।

हिंदी और भारतीय संविधान

भारतीय संविधान के प्रमुख भाषा संबंधी अनुच्छेद, अन्य प्रमुख अनुच्छेद, हिंदी भाषा पर ही क्यों हो रही है बहस, हिंदी का महत्व.

जैसे अंग्रेजी दुनिया को एक सूत्र में बांधती है, वैसे ही हमारे देश में हिंदी एक पुल है जो लोगों को जोड़ती है । मतलब जब दुनिया की सबसे बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ हिंदी भाषा के महत्व और शक्ति को समझ सकती हैं, तो हम भारतीय इसकी सुंदरता और प्रासंगिकता को क्यों नहीं समझ सकते?

हमें यह जानकर बहुत आश्चर्य हुआ कि भारत में केवल 10% लोग ही अंग्रेजी बोलते हैं। हालाँकि, 2011 की भाषाई जनगणना के अनुसार, हिंदी कुल जनसंख्या के लगभग 44% की मातृभाषा है। इतने स्पष्ट आँकड़ों के बावजूद, भारत भर के स्कूल इंग्लिश मीडियम होने की होड़ में लगे हुए हैं।

नई शिक्षा नीति छात्रों को उनकी क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाने का भी समर्थन करती है। नीति के अंशों में उल्लेख किया गया है कि छोटे बच्चे अपनी घरेलू भाषा/मातृभाषा में अवधारणाओं को अधिक तेज़ी से सीखते और समझते हैं। नीति में आगे कहा गया है कि जहां भी संभव हो, कम से कम ग्रेड 5 तक, लेकिन अधिमानतः ग्रेड 8 और उससे आगे तक शिक्षा का माध्यम मातृभाषा ही होगी।

बी.एन. राव ने कहा कि “भारत के नए संविधान के निर्माण में सबसे कठिन समस्याओं में से एक, भाषाई प्रांतों की मांग और समान प्रकृति की अन्य मांगों को पूरा करना होगा”। इस मुद्दे ने संविधान सभा को उसके तीन साल के जीवनकाल तक परेशान और परेशान किया।

संविधान सभा ने ऐसा नहीं किया, लेकिन इस मुद्दे को हल करने के लिए कड़ी मेहनत की क्योंकि भाषाई-सह-सांस्कृतिक आधार पर प्रांतों के पुनर्गठन के लिए मजबूत दबाव और मांग थी, जिससे संविधान की सामग्री प्रभावित हो रही थी।

जनवरी 1950 में संविधान के उद्घाटन के साथ, विधानसभा को इस मुद्दे से राहत मिली क्योंकि उन्होंने संविधान निर्माण के दौरान भाषाई प्रांतों के गठन को शामिल करने से इनकार कर दिया था।

भारत का संविधान राष्ट्रभाषा के मुद्दे पर मौन है। इस प्रकार, हिंदी भारत की क्षेत्रीय भाषाओं में से एक है, न कि हमारी राष्ट्रीय भाषा।

संविधान को 26 जनवरी 1950 को अपनाया गया था और इसमें कहा गया था कि अनुच्छेद 343 के अनुसार देवनागरी लिपि में हिंदी और अंग्रेजी को पंद्रह साल की अवधि के लिए संघ की आधिकारिक भाषाओं के रूप में नामित किया गया था। नतीजतन, दक्षिणी राज्यों से इसका कड़ा विरोध हुआ, जहां द्रविड़ भाषा बोली जाती थी।

कानून में अंग्रेजी का उपयोग जारी रखने को प्राथमिकता दी गई, जो अधिक स्वीकार्य थी। हिन्दी के विपरीत इसका संबंध किसी विशेष समूह से नहीं था। इसके अलावा, राष्ट्रभाषा के मुद्दे पर संविधान मौन है। यह संविधान की आठवीं अनुसूची के तहत उल्लिखित किसी भी धार्मिक भाषा को चुनने की स्वतंत्रता प्रदान करता है, जिसमें हिंदी सहित 22 क्षेत्रीय भाषाएं शामिल हैं। बंगाली, गुजराती, मराठी, उड़िया या कन्नड़ की तरह, हिंदी भी देश के विशिष्ट क्षेत्रों तक ही सीमित है।

अनुच्छेद 343 को पढ़ते समय भ्रम और झूठ की गुंजाइश पैदा होने लगती है और यह स्पष्ट कथन न होने के कारण भी कि भारत की कोई राष्ट्रभाषा नहीं है।

भ्रम को और बढ़ाते हुए, अनुच्छेद 351, जो हिंदी भाषा के विकास के लिए एक निर्देशात्मक आदेश है, कहता है कि सरकार को भारत की समग्र संस्कृति को व्यक्त करने के माध्यम के रूप में काम करने के लिए हिंदी के प्रसार को बढ़ावा देना होगा।

संविधान राज्यों को एक या अधिक भाषाओं को आधिकारिक भाषा के रूप में अपनाने की अनुमति देता है। उदाहरण के लिए, उत्तर प्रदेश राज्य ने उत्तर प्रदेश राजभाषा (अनुपूरक प्रावधान) अधिनियम, 1969 के तहत हिंदी को अपनी आधिकारिक भाषा के रूप में नामित किया है।

अनुच्छेद 120 (संसद में प्रयोग की जाने वाली भाषा): अनुच्छेद 120 के अनुसार, संसद में कामकाज हिंदी या अंग्रेजी में किया जाएगा। हालाँकि, यदि कोई सदस्य किसी भी आधिकारिक भाषा में पर्याप्त रूप से पारंगत नहीं है तो वह अपनी मातृभाषा में खुद को अभिव्यक्त कर सकता है।

अनुच्छेद 344 (राजभाषा आयोग एवं संसद समिति): अनुच्छेद 344 में एक समिति की स्थापना का प्रावधान है और समिति का कर्तव्य होगा कि वह आयोगों की सिफारिशों की जांच करे और हिंदी भाषा के प्रगतिशील उपयोग पर राष्ट्रपति को रिपोर्ट करे। इसलिए, संविधान के प्रावधान हिंदी भाषा के उपयोग की दिशा में प्रगति पर प्रकाश डालते हैं।

अनुच्छेद 345 (किसी राज्य की आधिकारिक भाषा या भाषाएँ): अनुच्छेद 345 किसी राज्य की विधायिका को संबंधित राज्य में किसी एक या अधिक भाषाओं को अपनाने या सभी आधिकारिक उद्देश्यों के लिए हिंदी का उपयोग करने का प्रावधान करता है, जब तक कि राज्य की विधायिका आधिकारिक उद्देश्यों के लिए अंग्रेजी भाषा का उपयोग करने का प्रावधान नहीं करती।

अनुच्छेद 346 (एक राज्य और दूसरे राज्य के बीच या एक राज्य और संघ के बीच संचार के लिए आधिकारिक भाषा): अनुच्छेद 346 संघ में एक राज्य और दूसरे राज्य के बीच या एक राज्य और संघ के बीच आधिकारिक प्रयोजन या संचार के लिए उपयोग की जाने वाली आधिकारिक भाषा प्रदान करता है। इसके अलावा, यदि दो या दो से अधिक राज्य इस बात पर सहमत हैं कि आधिकारिक उद्देश्यों या संचार के लिए हिंदी भाषा आधिकारिक भाषा होनी चाहिए।

अनुच्छेद 347 (किसी राज्य की जनसंख्या के एक वर्ग द्वारा बोली जाने वाली भाषा से संबंधित विशेष प्रावधान): अनुच्छेद 347 के अनुसार, यदि राष्ट्रपति इस बात से संतुष्ट हैं कि राज्य की जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा उनके द्वारा बोली जाने वाली भाषा को राज्य द्वारा मान्यता प्राप्त भाषा के रूप में चाहता है, तो वह ऐसी भाषा को राज्य में मान्यता प्राप्त भाषा बनाने का निर्देश दे सकते हैं।

अनुच्छेद 348 (सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों और अधिनियमों, विधेयकों आदि के लिए प्रयुक्त भाषा): अनुच्छेद 348 में कहा गया है कि जब तक संसद द्वारा अन्यथा प्रदान नहीं किया जाता है, सर्वोच्च न्यायालय और प्रत्येक उच्च न्यायालय में सभी कार्यवाही, आधिकारिक पाठ, संसद में पेश किए गए बिल, संसद द्वारा पारित अधिनियम या सभी आदेश, नियम और विनियम अंग्रेजी में होने चाहिए।

भारत एक विविधतापूर्ण देश है जिसमें अलग-अलग पृष्ठभूमि, धर्म, समुदाय, समूह, खान-पान, संस्कृति आदि के लोग शामिल हैं।

एक लोकप्रिय नारा है जिसमें कहा गया है कि भारत में हर कुछ किलोमीटर पर पानी की तरह भाषा बदल जाती है।

जनगणना 2011 के अनुसार, भारत में हिंदी 44 प्रतिशत से भी कम भारतीयों की भाषा है और लगभग 25 प्रतिशत लोगों की मातृभाषा है। इसलिए, भारत के लिए एक राष्ट्रीय भाषा का चुनाव कठिन है और अक्सर हिंसा और गरमागरम बहस देखी जाती है।

भारत जैसे बहुभाषी देश में सत्तासीन सरकार ने अपने राजनीतिक एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए कई बार घोषणा की है कि ‘हिंदी’ भारत की राष्ट्रीय भाषा है।

उदाहरण के लिए, 2017 में उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने एक सार्वजनिक संबोधन में कहा था कि हिंदी भारत की राष्ट्रीय भाषा है। उसी वर्ष, सत्तासीन सरकार ने संयुक्त राष्ट्र (यूएन) की भाषा के रूप में हिंदी में संशोधन करने का प्रयास किया।

ताजा बहस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई राष्ट्रीय शैक्षिक नीति, 2020 से सामने आई है। नीति में सरकार ने गैर-हिंदी भाषी राज्यों में अंग्रेजी और संबंधित क्षेत्रीय भाषा के साथ हिंदी पढ़ाना अनिवार्य करने की सिफारिश की थी। हालाँकि, बाद में सरकार ने नीति को संशोधित किया और इसे गैर-अनिवार्य घोषित कर दिया।

हिंदी दिवस क्यों मनाया जाता है

14 सितंबर 1949 को हिंदी भारतीय संघ की पहली मान्यता प्राप्त आधिकारिक भाषा थी। इसके बाद 1950 में, भारत के संविधान ने देवनागरी लिपि में हिंदी को भारत की आधिकारिक भाषा घोषित किया। हिंदी के अलावा अंग्रेजी को भी भारत की आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता दी गई।

हिंदी भाषा का निम्न महत्व है;

हिंदी उर्दू के शब्दों में समानता है

हिंदी का उर्दू, एक अन्य इंडो-आर्यन भाषा से गहरा संबंध है। इसलिए, यदि आप हिंदी भाषा सीख रहे हैं तो इसे उर्दू सीखने में भी आसानी से लागू किया जा सकता है।

दोनों भाषाओं की उत्पत्ति एक समान है और ये परस्पर सुगम हैं। हालाँकि, हिंदी का अपना व्याकरण और वाक्यविन्यास है, लेकिन हिंदी वर्णमाला सीखने से अंततः आपको उर्दू शब्दों का उच्चारण करने में मदद मिलेगी क्योंकि दोनों की शब्दावली समान है।

व्यवसाय में उपयोगी

भारत की आधिकारिक भाषा होने के अलावा, हिंदी का उपयोग भारत के बाहर रहने वाले लोगों द्वारा दूसरी भाषा के रूप में भी किया जाता है। यह इसे अंतर्राष्ट्रीय संचार के लिए एक बहुत उपयोगी भाषा बनाता है। हिंदी बोलने वालों की इतनी बड़ी आबादी होने के कारण, यह भाषा दुनिया भर के स्कूलों में भी आमतौर पर पढ़ाई जाती है।

जो कोई भी विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धा करना चाहता है उसे भारत में अपना व्यवसाय बढ़ाने के लिए कुछ प्रयास करने की आवश्यकता होगी। भारत वर्तमान में अमेरिका, चीन और जापान के बाद (जीडीपी के हिसाब से) दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। अनुमान है कि 2025 तक भारत जापान से आगे निकल जाएगा। भारत की विकास और नवाचार की विशाल क्षमता ने हिंदी को वैश्विक भाषा के रूप में महत्व दिया है।

पर्यटन के अलावा, भारत विज्ञान, वाणिज्य, व्यवसाय और अन्य सूचना प्रणाली/डिजिटल मीडिया जैसे हर पहलू में बढ़ रहा है।

हालाँकि देश के अंदर अभी भी कुछ सामाजिक समस्याएँ हैं। भारत की वृद्धि अजेय प्रतीत होती है और धीमी होने का कोई संकेत नहीं दिख रहा है। दक्षिण एशिया क्षेत्र में परिचालन और बिक्री विस्तार पर नजर रखने वाली कंपनियां ज्यादातर ऐसे लोगों को भर्ती कर रही हैं जो भारतीय संस्कृति से परिचित हैं और जो स्पष्ट और धाराप्रवाह हिंदी बोल और लिख सकते हैं।

जो लोग धाराप्रवाह हिंदी बोल और लिख सकते हैं, उन्हें दक्षिण एशिया की कंपनियों के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर की कंपनियों में भी सक्रिय रूप से भर्ती किया जाता है। यदि आप हिंदी बोलने और लिखने में सक्षम होंगे तो यह वास्तव में आपके लिए फायदेमंद होगा।

चाहे आप भारत में प्रवास करने की योजना बनाएं या नहीं, अंत में, आप निश्चित रूप से हिंदी भाषा के महत्व को सीखने के अपने निर्णय को बहुत फायदेमंद पाएंगे।

भारतीय संस्कृति की समझ को व्यापक बनाता है

दुनिया भर में हिंदी बोलने वालों की संख्या 1 अरब से अधिक है। इसे “भारत की मातृभाषा” कहा गया है क्योंकि अंग्रेजी के व्यापक प्रसार से पहले यह बहुसंख्यक भारतीयों की पहली भाषा थी। हिंदी उत्तर प्रदेश राज्य की भी प्राथमिक भाषा है, जहां भारत की लगभग आधी आबादी रहती है। हिंदी बोलना सीखना आपको देश के लोगों और उनकी संस्कृति को बेहतर ढंग से जोड़ने और समझने में मदद कर सकता है।

हिंदी सीखने से अन्य भाषाएँ सीखने में मदद मिलती है

किसी भाषा को सीखने का सबसे अच्छा लाभ यह है कि यह आपको अन्य भाषाएँ सीखने में मदद करती है। यदि आप हिंदी भाषा सीखने का प्रयास कर रहे हैं, तो स्पेनिश, फ्रेंच या जर्मन जैसी अन्य भाषाएँ अपनी मूल भाषा या उन भाषाओं से आसानी से सीखी जा सकती हैं जो आपने पहले सीखी हैं।

दूसरी भाषा सीखने से न केवल आपको अंग्रेजी में अधिक पारंगत होने में मदद मिलेगी। लेकिन अन्य विदेशी भाषाएँ सीखने पर भी आपको लाभ मिलता है।

उदाहरण के लिए, यदि आप स्पैनिश सीखने से पहले हिंदी सीखते हैं, तो आपके लिए स्पैनिश में शब्द और वाक्यांश सीखना आसान हो जाएगा क्योंकि वे परिचित लगेंगे। इसी तरह, कुछ बुनियादी अरबी शब्द सीखने से फ़ारसी सीखना बहुत आसान हो सकता है और इसके विपरीत भी।

हिन्दी भाषा भारतीय संस्कृति एवं अस्मिता का एक अनिवार्य अंग है। हिंदी भारत में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है, और यह भारतीय जीवन के विभिन्न पहलुओं, जैसे सरकार, व्यवसाय, शिक्षा और मनोरंजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

दूसरी भाषा के रूप में हिंदी सीखना उन लोगों के लिए फायदेमंद हो सकता है जो भारत में काम करने की योजना बना रहे हैं।

हालाँकि, हिंदी भाषा को बढ़ावा देने में कुछ चुनौतियाँ भी हैं, जैसे क्षेत्रीय विविधता और अंग्रेजी का बढ़ता प्रभाव। इन चुनौतियों के बावजूद, हिंदी भाषा के महत्व को कम नहीं किया जा सकता है, और भाषा को बढ़ावा देने और इसके सांस्कृतिक महत्व को संरक्षित करने के प्रयास किए जाने चाहिए।

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हमारी राष्ट्र भाषा: हिन्दी पर निबंध | Essay on Hindi-Our National Language in Hindi

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हमारी राष्ट्र भाषा: हिन्दी पर निबंध | Essay on Hindi-Our National Language in Hindi!

भाषा के द्वारा मनुष्य अपने विचारों को आदान-प्रदान करता है । अपनी बात को कहने के लिए और दूसरे की बात को समझने के लिए भाषा एक सशक्त साधन है ।

जब मनुष्य इस पृथ्वी पर आकर होश सम्भालता है तब उसके माता-पिता उसे अपनी भाषा में बोलना सिखाते हैं । इस तरह भाषा सिखाने का यह काम लगातार चलता रहता है । प्रत्येक राष्ट्र की अपनी अलग-अलग भाषाएं होती हैं । लेकिन उनका राज-कार्य जिस भाषा में होता है और जो जन सम्पर्क की भाषा होती है उसे ही राष्ट्र-भाषा का दर्जा प्राप्त होता है ।

भारत भी अनेक रज्य हैं । उन रध्यों की अपनी अलग-अलग भाषाएं हैं । इस प्रकार भारत एक बहुभाषी राष्ट्र है लेकिन उसकी अपनी एक राष्ट्रभाषा है- हिन्दी । 14 सितंबर 1949 को हिन्दी को यह गौरव प्राप्त हुआ । 26 जनवरी 1950 को भारत का अपना संविधान बना । हिन्दी को राजभाषा का दर्जा दिया गया । यह माना कि धीरे-धीरे हिन्दी अंग्रेजी का स्थान ले लेगी और अंग्रेजी पर हिन्दी का प्रभुत्व होगा ।

आजादी के इतने वर्षो बाद भी हिन्दी को जो गौरवपूर्ण स्थान प्राप्त होना चाहिए था वह उसे नहीं मिला । अब प्रश्न यह उत्पन्न होता है कि हिन्दी को उस का यह पद कैसे दिलाया जाए ? कौन से ऐसे उपाय किए जाएं जिससे हम अपने लक्ष्य तक पहुँच सकें ।

ADVERTISEMENTS:

यद्यपि हमारी राष्ट्र भाषा हिन्दी है, परन्तु हमारा चिंतन आज भी विदेशी है । हम वार्तालाप करते समय अंग्रेजी का प्रयोग करने में गौरव समझते हैं, भले ही अशुद्ध अंग्रेजी हो । इनमें इस मानसिकता का परित्याग करना चाहिए और हिन्दी का प्रयोग करने में गर्व अनुभव करना चाहिए । हम सरकारी कार्यालय बैंक, अथवा जहां भी कार्य करते हैं, हमें हिन्दी में ही कार्य करना चाहिए ।

निमन्त्रण-पत्र, नामपट्‌ट हिन्दी में होने चाहिए । अदालतों का कार्य हिन्दी में होना चाहिए । बिजली, पानी, गृह कर आदि के बिल जनता को हिन्दी में दिये जाने चाहिए । इससे हिन्दी का प्रचार और प्रसार होगा । प्राथमिक स्तर से स्नातक तक हिन्दी अनिवार्य विषय के रूप में पढ़ाई जानी चाहिए ।

जब विश्व के अन्य देश अपनी मातृ भाषा में पढ़कर उन्नति कर सकते हैं, तब हमें राष्ट्र भाषा अपनाने में झिझक क्यों होनी चाहिए । राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पत्र-व्यवहार हिन्दी में होना चाहिए । स्कूल के छात्रों को हिन्दी पत्र-पत्रिकाएं पढ़ने की प्रेरणा देनी चाहिए । जब हमारे विद्यार्थी हिन्दी प्रेमी बन जायेंगे तब हिन्दी का धारावाह प्रसार होगा । हिन्दी दिवस के अवसर पर हमें संकल्प लेना चाहिए:

गूंज उठे भारत की धरती , हिन्दी के जय गानों से । पूजित पोषित परिवर्द्धित हो बालक वृद्ध जवानों से ।।

-जगदीश चन्द्र त्यागी ।

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हिंदी भाषा पर निबंध और हिंदी का महत्व

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किसी भी राष्ट्र की पहचान उसके भाषा और उसके संस्कृति से होती है और पूरे विश्व में हर देश की एक अपनी भाषा और अपनी एक संस्कृति है जिसे छाव में उस देश के लोग पले बड़े होते है यदि कोई देश अपनी मूल भाषा को छोड़कर दुसरे देश की भाषा पर आश्रित होता है उसे सांस्कृतिक रूप से गुलाम माना जाता है,

क्यूकी जिस भाषा को लोग अपने पैदा होने से लेकर अपने जीवन भर बोलते है लेकिन आधिकारिक रूप से दुसरे भाषा पर निर्भर रहना पड़े तो कही न कही उस देश के विकास में उस देश की अपनाई गयी भाषा ही सबसे बड़ी बाधक बनती है क्यूकी आप कल्पना कर सकते है जिस भाषा अपने बचपन से बोलते है और उसी भाषा में अपने सारे कार्य करने पढ़े तो आपको आगे बढने में ज्यादा परेशानी नही होगी लेकिन यदि आप जो बोलते है उसे छोड़कर कोई दूसरी भाषा में आपको कार्य करना पड़े तो कही न कही यही दूसरी भाषा हमारे विकास में बाधक जरुर बनती है,

यानी हमे दुसरो की भाषा सीखने का मौका मिले तो यह अच्छी बात है लेकिन दुसरो की भाषा के चलते अपनी मातृभाषा को छोड़ना पड़े तो कही न कही दिक्कत का सामना जरुर करना पड़ता है तो ऐसे में आज हम बात करते है अपने देश भारत के राजभाषा हिंदी के बारे में जो हमारी मातृभाषा भी है और हमे इसे बोलने में फक्र महसूस करना चाहिए.

विश्व भाषा के रूप में हमारी राष्ट्रभाषा हिंदी पर निबन्ध

Essay on hindi.

हमारे देश की मूल भाषा हिंदी है लेकिन भारत में अंग्रेजो की गुलामी के बाद हमारे देश के भाषा पर भी अंग्रेजी भाषा का आधिपत्य हुआ भारत देश तो आजाद हो गया लेकिन हिंदी भाषा पर अंग्रेजी भाषा का आज भी आधिपत्य आज तक कायम है अक्सर अपने देश के लोग के मुह से यह कहते हुए सुना जाता है की हमारी हिंदी थोड़ी कमजोर है ऐसा कहने का तात्पर्य यही होता है की उनकी अंगेजी भाषा हिंदी के मुकाबले काफी अच्छी है और यदि भूल से यह कह दे की हमारी अंग्रेजी कमजोर है तो उसे लोग कम पढ़ा लिखा मान लेते है क्या यह सही है किसी भाषा पर अगर हमारी अच्छी पकड न हो तो क्या इसे अनपढ़ मान लिया जाय शायद ऐसा होना हमारे देश की विडम्बना है,

Table of Contents :-

लेकिन आईये आज आप सभी को हिंदी भाषा के बारे में कुछ ऐसे महत्वपूर्ण तथ्य बतलाते है जिसे आप सभी जानकर जरुर गर्व महसूस करेगे.

हिंदी भाषा के महत्वपूर्ण तथ्य | हिंदी का महत्व

  • Hindi Ka Mahatva

भले ही आज हमारी सारी पढाई लिखाई और सारे कार्य अंग्रेजी में होता है लेकिन भारत के लोग की मूलभाषा हिंदी है और आप भारत के किसी भी कोने में चले जाईये अगर आपको हिंदी आता है तो आपको रहने कार्य करने में कोई परेशानी नही होगी और हिंदी एक ऐसी भाषा है जो पूरे भारत को एकता में जोड़ता है तो आईये जानते है हिंदी भाषा से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य | Interesting Facts about Hindi और हमारे देश में हिंदी का महत्व | Hindi Ka Mahatva के बारे में जानते है.

1 – हिंदी शब्द की उत्पत्ति संस्कृत भाषा के सिन्धु शब्द से हुई है सिन्धु नदी के क्षेत्र में आने कारण ईरानी लोग सिन्धु न कहकर हिन्दू कहने लगे जिसके कारण यहाँ के लोग हिन्द, हिन्दू और हिंदुस्तान कहलाने लगे

2 – हिंदी भारत की सवैंधानिक राजभाषा है जिसे 14 सितम्बर 1949 को अधिकारिक रूप से राष्ट्रभाषा का दर्जा दिया गया

3 – भारत में अनेक भाषा और बोलिया बोली जाती है हमारे देश में इतनी भाषाए है की ये कहावत कही गयी है

“ कोस कोस पर बदले पानी और चार कोस पर वानी ”

अर्थात हमारे देश भारत में हर एक कोस की दुरी पर पानी का स्वाद बदल जाता है और 4 कोस पर भाषा यानि वाणी भी बदल जाती है लेकिन इन सभी भाषाओ में सबसे अधिक भाषा बोले जाने वाली हिंदी है.

4 – हिंदी विश्व की चीनी भाषा के बाद दूसरी सबसे ज्यादा बोले जाने वाली भाषा है हिंदी हमारे देश भारत के अतिरिक्त पाकिस्तान, फिजी, मारिसस, गयाना, सूरीनाम और नेपाल में सबसे अधिक हिंदी भाषा बोली जाती है.

5 – हिंदी भाषा भारत के अतिरिक्त जहा जहा प्रवासी भारतीय रहते है उनमे भी अधिक संख्या में हिंदी बोली जाती है जैसे अमेरिका, दक्षिण अफ्रीका, यमन, कनाडा, युंगाडा, सिंगापूर, न्यूजीलैंड, जर्मनी, ब्रिटेन के अतिरिक्त बहुत से देशो में बोली जाती है.

6 – विश्व के सबसे उन्नत भाषाओ में हिंदी भाषा सबसे अधिक व्यवस्थित भाषा है अर्थात हम जो हिंदी में लिखते है वही बोलते भी है और वही उसका मतलब भी होता है जबकि अन्य भाषाओ में ऐसा नही है.

7 – हिंदी भाषा बोलने में ससे अधिक सरल और लचीली भाषा है हिंदी भाषा को बोलना और समझना बहुत ही आसन है.

8 – दुनिया की एकमात्र हिंदी ही एक ऐसी भाषा है जो की सबसे अधिक और तेजी से प्रसारित होने वाली भाषाओ में से एक है हिंदी भाषा के बोले जाने में लगभग 94% की दर से वृद्धि हो रही है जो की हिंदी बोलने वालो के लिए एक अच्छीखबर है.

9 – हिंदी भाषा एक ऐसी भाषा है जिसमे त्रुटी न के बराबर है अर्थात हिंदी भाषा जो लिखी जाती है वही बोली भी जाती है.

10 – हिंदी भाषा का शब्दकोश बहुत ही बड़ा है हिंदी भाषा में अपनी किसी भी एक भावना को व्यक्त करने के लिए अनेक शब्द है जो की अन्य भाषाओ की तुलना में अपने आप में अद्भुत है.

11 – हिंदी भाषा को लिखने के लिए देवनागरी लिपि का प्रयोग किया जाता है जो की हिंदी भाषा वैज्ञानिक तथ्यों पर खरी उतरती है.

12 – हिंदी भाषा के मूल शब्दों में लगभग ढाई लाख से अधिक शब्द है और हिंदी भाषा की यह भी विशेषता है की देशी और बोले जाने वाली बोलियों के शब्दों को अपने आप में आत्मसात कर लेती है.

13 – हिंदी भाषा अपने आप में इतनी महत्वपूर्ण है की हिंदी की सभी साहित्य सभी दृष्टियों से परिपूर्ण है.

14 – हिंदी भाषा को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए कई बार आन्दोलन हो चुके है सबसे पहले दयानंद सरस्वती ने किया था जिसे बाद में महात्मा गांधीजी ने भी आन्दोलन चलाये.

15 – कंप्यूटर और मोबाइल के आ जाने के बाद पूरे विश्व में सुचना क्रांति आ गयी और लोग घर बैठे इन्टरनेट पर विश्व की कही भी जानकारी प्राप्त कर लेते है जिसके कारण कंप्यूटर क्रांति में भी हिंदी का तेजी से प्रचार और प्रसार हो रहा है.

16 – हिंदी भाषा का इतना अधिक मांग है की दुनिया के सबसे बड़े Search Engine Google ने भी वर्ष 2009 में हिंदी भाषा को अपना लिया और हिंदी की लोकप्रियता इतनी अधिक है की दुसरे भाषा के मुकाबले हिंदी 94% की वृद्धि दर से सबसे आगे बढने वाली भाषा है जिसे गूगल भी मानता है.

17 – हिंदी भाषा इन्टरनेट की दुनिया में इतनी तेजी से बढ़ा है की इन्टरनेट पर लाखो सजाल ( Website) चिट्ठे (Blogs), गपशप (Chats), विपत्र (Email), वेबखोज (Search Engine), मोबाइल सन्देश (SMS) , अनेक प्रकार के हिंदी मोबाइल एप्प मौजूद है.

18 – एक समय ऐसा सोचा जाता था की कंप्यूटर और इन्टरनेट केवल अंग्रेजी भाषाओ के लिए है लेकीन हिंदी भाषा की इतनी अधिक मांग है की अब हर जगह इन्टरनेट पर हिंदी भाषा के रूप में कुछ भी Search कर सकते है और कोई भी जानकरी हिंदी में भी प्राप्त कर सकते है.

19 – हिंदी भाषा का हिंदी सिनेमा पर भी खास प्रभाव है पूरे भारत में हिंदी सिनेमा लोगो के दिलो की धड़कन है और हिंदी गाने तो लोगो के दिल को सुकून देने वाली होती है.

20 – हिंदी भाषा इतनी अधिक प्रसिद्द है कोई भी Social Network Site बिना हिंदी को अपनाये आगे तरक्की नही पा सकता है इसका जीता जागता उदाहरण Facebook है और यहाँ तक की गूगल खुद ऑनलाइन हिंदी टाइपिंग के लिए Google Hindi Typing Tool सेवा प्रदान करता है.

हिंदी भाषा का महत्व

H indi bhasha ka mahatva in hindi.

हमारे देश भारत की मुख्य भाषा हिंदी है बिना हिंदी के हम कोई भी अपनी दिनचर्या नही बिता सकते है लेकिन आज भी हमारे देश में अंग्रेजी भाषा का आधिपत्य है जो हमारी भाषा हिंदी को सम्मान मिलना चाहिए शायद वो आज तक अभी नही मिला है लेकिन बिना हिंदी के हम अपने विकास की कल्पना नही कर सकते है.

हिंदी भाषा के प्रचार प्रसार के लिए भारतेंदु हरीशचन्द्र के योगदान को भुलाया नही जा सकता है और सौभाग्य में हमे भी भारतेंदु हरीशचन्द्र के वाराणसी में स्थित हरीशचन्द्र कॉलेज में इंटर की पढाई करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ . हिंदी भाषा का महत्व भारतेंदु हरीशचन्द्र के इस कथन से लगाया जा सकता है.

निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल।

बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल।।

विविध कला शिक्षा अमित, ज्ञान अनेक प्रकार।

शब्दार्थ –

निज यानी अपनी मूल भाषा से ही उन्नति सम्भव है, क्योंकि यही सारी हमारी मूल भाषा ही सभी उन्नतियों का मूलाधार है।  और मातृभाषा के ज्ञान के बिना हृदय की पीड़ा का निवारण सम्भव नहीं है। हमे विभिन्न प्रकार की कलाएँ, असीमित शिक्षा तथा अनेक प्रकार का ज्ञान सभी देशों से जरूर लेने चाहिये, परन्तु उनका प्रचार मातृभाषा में ही करना चाहिये.

हिन्दी दिवस के 100 नारे स्लोगन Hindi Diwas Naare Slogan in Hindi

हिंदी भाषा का इतना अधिक महत्व है की बिना हिंदी को इन्टरनेट से जोड़े लोगो को इन्टरनेट से नही जोड़ सकते है और जब कोई भी काम अपने भाषा में हो तो यह लोगो को जल्दी समझ में आती है इसी कारण अब इन्टरनेट की दुनिया भी हिंदी को अपनी अधिकारिक भाषा के रूप में अपना लिया है जिससे हर भारतीय अब आसानी से इन्टरनेट से जुड़ सकता है.

सही अर्थो में कहा जाय तो अगर हम अपने मूलभाषा हिंदी का प्रचार प्रसार करे तो निश्चित ही विविधता वाले भारत को अपनी हिंदी भाषा के माध्यम से एकता मे जोड़ा सकता है.

हिंदी के महत्व को देखते हुए प्रत्येक 14 सितम्बर को हिंदी दिवस | Hindi Diwas के रूप में मान्य जाता है हिंदी दिवस एक ऐसा अवसर होता है जिसके माध्यम से सभी भारतीयों को एकता के सूत्र में बाधा जा सकता है.

तो आईये हम सब लोगो को अधिक से अधिक हिंदी भाषा के महत्व को समझाए और पूरे विश्व में हिंदी भाषा को उचित सम्मान दिलाये और खुद एक हिन्दीभाषी बने.

हिन्दी दिवस की शुभकामनाए Hindi Diwas Shubhkamnaye Wishes

तो आप सभी को Essay on Hindi Language | Hindi ka Mahatva Essay कैसा लगा प्लीज अपने विचारो को कमेंट बॉक्स में जरुर बताये.

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Aap hmesha acche lekh likhte hai

Bahut sunder laga . Bahut gyanbardhak raha.

I don’t know hindi… I thought I could find something easily from this web, but it was too difficult for me to find full stops from this, so I have a suggestion, please add full stops when you write a paragraph or an essay…. please.

Hindi ki nibhand ke liye angrezi sabd kyu ???

आयन इन्टरनेट अभी भी अंग्रेजी ही समझता है सो कुछ शब्द अग्रेजी के उपयोग करने पड़ते है

Hindi bhasha par nibandh likhne ke liye dhanyawad sir…

Bahut hi acha laga apka Ye nibandh. Thank you

It’s lovely, mere teacher ko bahout Pasand Aaya….

Aapka nibandh bahut hi accha hai

Yah nibandh bahut hi sundar ek ek cheej ko spasht kiya bahut sundar lekin isme vakya mein misprint hai, Thank You,

Dhanywad. Hmari Hindi bhasha amar rahe.

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Home » Essay Hindi » हिंदी भाषा का महत्व पर निबंध Essay On Hindi Language

हिंदी भाषा का महत्व पर निबंध Essay On Hindi Language

हिंदी भाषा का महत्व पर निबंध Essay On Hindi Language Importance

दोस्तों, हिंदी भारत की सबसे आम बोलचाल भाषा है। हिंदी भाषा उत्तर भारत में ज्यादातर बोली जाती है। वैसे तो भारत देश में तमिल, तेलुगु, मलयालम, बंगाली, गुजराती, कन्नड़, उर्दू इत्यादि कई भाषाएं है जो एक खास राज्य में विशेषकर बोली जाती है। परंतु हिंदी भाषा का अपना एक विशेष महत्व है। संस्कृत से निकली हिंदी ने कई भाषाओं से शब्दों को ग्रहण किया है। चाहे वो भाषा विदेशी हो या फिर क्षेत्रीय, हिंदी ने सभी भाषाओं से शब्दों को लिया है। तो मित्रों हिंदी भाषा का महत्व पर निबंध ( Hindi Bhasha Par Nibandh Hindi Me ) में इसकी महत्वत्ता पर चर्चा करते है।

हिंदी भाषा का महत्व पर निबंध Essay On Hindi Language –

हिंदी ( Hindi Language ) का उदय संस्कृत भाषा से हुआ है। देवनागरी लिपि में हिंदी भाषा लिखी जाती है। यह दुनिया की सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषाओं में से एक है। हिंदी भारत देश की राजभाषा भी है। भोजपुरी, मारवाड़ी इत्यादि भाषाएं हिंदी से ही निकली है। वर्तमान में हिंदी अपने मूल देश में ही अपना महत्व खोती जा रही है।

वर्तमान में दुनिया के लगभग हर कोने में हिंदी भाषी लोग मिल जाते है। भारत में मुख्य हिंदी भाषी राज्यों में राजस्थान, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, बिहार इत्यादि आते है। वैसे दोस्तों हिंदी गुजरात, महाराष्ट्र, पंजाब, पश्चिम बंगाल इत्यादि राज्यों में भी बोली जाती है। इन राज्यों में हिंदी आम बोलचाल की प्रथम भाषा नही है। फिर भी हिंदी यहां पर समझी और बोली जाती है।

हिंदी भाषा भारत को एकता के सूत्र में बांधती है। भारत में हिंदी के अलावा तेलुगु, तमिल, मलयालम, गुजराती, मराठी, बंगाली, असमी, उर्दू इत्यादि भाषाएं बोली जाती है। इतनी सारी भाषाओं के बावजूद हिंदी का खास महत्व है। क्योंकि गैर हिंदी भाषी राज्यों के लोग हिंदी सीखते है। हिंदी उत्तर भारतीयों की मातृभाषा है। दक्षिण भारतीयों के लिए हिंदी समझना मुश्किल होता है। इसका मुख्य कारण है कि हिंदी उनकी मातृभाषा नही है। दक्षिण भारत के लोग हिंदी सीखते है। भारत में विभिन्न भाषाओं का बोले जाना विविधता है। भारत में विविधता में ही एकता है।

हिंदी भाषा का महत्व Hindi Language Importance –

Essay On Hindi Language – संस्कृत भाषा से हिंदी का उदगम हुआ है। यह विश्व की प्राचीन भाषा है। हिंदी भाषा में कालांतर में काफी बदलाव भी हुआ है। समय समय पर कई भाषाओं का प्रभाव हिंदी पर रहा है। वर्तमान में बोली जाने वाली हिंदी भाषा शुद्ध नही है। भारत में प्रान्त, राज्य, स्थान पर हिंदी बोली बदल जाती है।

हिंदी की विशेषता यह भी है कि दूसरी भाषाओं के शब्द भी इसमें आसानी से समाहित हो जाते है। जैसे कि “बटन” एक अंग्रेजी भाषा का शब्द है लेकिन हिंदी में आमतौर पर इस्तेमाल किया जाता है। हिंदी शब्द का उद्गम सिंधु शब्द से हुआ है। ईरान के लोग “स” शब्द को “ह” कहते थे। इससे सिंधु का हिन्दू हुआ और हिन्दू से भाषा “हिंदी” कहलाई।

हिंदी भाषा की ग्रामर बहुत सरल है जिसे समझना बहुत आसान है। हिंदी में जैसा लिखा होता है, वैसा ही बोला जाता है। किसी भी भाषा की सुंदरता, उसकी सरलता होती है। भाषा जितनी सरल होगी, उतनी ही सुंदर होगी। हिंदी की व्याकरण में सभी तरह के भावार्थ है। मानवीय विचारों को भाषा के रूप में प्रकट करने के लिए हिंदी में काफी शब्दावली है।

भारतीय हिंदी भाषा में वर्णों की संख्या 52 है। इनमें 11 स्वर और और 41 कि संख्या में व्यंजन है –

  • हिंदी भाषा में स्वर – अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ।
  • हिंदी भाषा में व्यंजन – क, ख, ग, घ …… क्ष, त्र, ज्ञ इत्यादि होते है।

भारतीय हिंदी भाषा पर निबंध Hindi Bhasha Par Nibandh –

हिंदी भाषा (Hindi Language) भारत के अलावा विदेशों में भी बोली जाती है। नेपाल, मॉरीशस, फिजी इत्यादि देशों में हिंदी अधिकतर बोली जाती है। मंदारिन और अंग्रेजी भाषा के बाद “हिंदी” तीसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। वर्तमान में गूगल और फेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म भी हिंदी कंटेंट को बढ़ावा दे रहे है। ऑनलाइन सर्वर पर लाखों की संख्या में हिंदी वेबसाइट है। आपका अपना नॉलेज डब्बा ब्लॉग भी हिंदी भाषा में है।

14 सितम्बर को हर वर्ष हिंदी दिवस मनाया जाता है। इस तिथि को हिंदी दिवस मनाने के पीछे का कारण 14 सितम्बर, 1949 में हिंदी को आधिकारिक राजभाषा के रूप में स्वीकार होना था। हिंदी दिवस के दिन विद्यालयों में कई कार्यक्रम आयोजित किये जाते है। इस दिन हिंदी भाषा का महत्व पर चर्चा की जाती है। हिंदी भाषा पर निबंध, विचार और कविता लेखन होता है। हिंदी दिवस के अवसर पर भारत सरकार राजभाषा कीर्ति पुरस्कार देती है।

भारतवासियों को हिंदी भाषा का सम्मान करना चाहिए। हिंदी को सम्मान देना, हमारे लिए गर्व और स्वाभिमान का विषय है। भाषा किसी भी राष्ट्र के लिए उसकी सांस्कृतिक पहचान होती है। हिंदी भारत की पहचान और हमारी संस्कृति है।

यह भी पढ़े – 

  • विद्यालय पर निबंध
  • अनुशासन पर निबंध
  • मानवता पर निबंध

Note – प्यारे दोस्तों, हिंदी भाषा का महत्व पर निबंध ( Essay On Hindi Language ) आपको अच्छा लगा होगा। हिंदी का महत्व ( Hindi Language Importance ) और भाषा के बारे में जानकारी आपके लिए ज्ञानवर्धक साबित हुई होगी। इस पोस्ट “Hindi Bhasha Par Nibandh” को शेयर भी अवश्य करे।

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नॉलेज डब्बा ब्लॉग टीम आपको विज्ञान, जीव जंतु, इतिहास, तकनीक, जीवनी, निबंध इत्यादि विषयों पर हिंदी में उपयोगी जानकारी देती है। हमारा पूरा प्रयास है की आपको उपरोक्त विषयों के बारे में विस्तारपूर्वक सही ज्ञान मिले।

3 thoughts on “हिंदी भाषा का महत्व पर निबंध Essay On Hindi Language”

bahut shandar essay likha hai

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राष्ट्रभाषा हिन्दी पर निबंध

Essay on Rashtrabhasha Hindi: हर देश की अपनी अलग भाषा होती है, जिसे राष्ट्रभाषा के तौर पर कहा जाता है। हर देश की अपनी अपनी अलग-अलग भाषाएं हैं। उसी प्रकार से भारत की राष्ट्रभाषा हिंदी है। राष्ट्रभाषा का दर्जा किसी भी भाषा को तब दिया जाता है जब उस देश के सभी व्यक्ति उस भाषा को आसानी से लिख सकते हैं और बोल सकते हैं।

Essay-on-Rashtra-Bhasha-In-Hindi

हम यहां पर राष्ट्रभाषा हिन्दी पर निबंध (Rashtrabhasha Hindi Par Nibandh) शेयर कर रहे है। इस निबंध में राष्ट्रभाषा हिन्दी के संदर्भित सभी माहिति को आपके साथ शेयर किया गया है। यह निबंध सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए मददगार है।

Read Also:  हिंदी के महत्वपूर्ण निबंध

राष्ट्रभाषा हिन्दी पर निबंध | Essay on Rashtrabhasha Hindi

राष्ट्र भाषा हिन्दी पर निबंध 250 शब्दों में (rastrabhasa hindi par nibandh).

दुनिया में हर देश की अपनी भाषा है, उसे राष्ट्रभाषा कहते है। हमारे देश भारत की राष्ट्रभाषा हिंदी है। यह हमारे देश में सामान्य संचार की भाषा है। यह हमारे देश की राजभाषा भी कहलाती है। 1947 में स्वतंत्रता प्राप्ति के तुरंत बाद संविधान सभा द्वारा इसे अपनाया गया था। देश में  प्रतिवर्ष 14 सितंबर का दिन हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है।

देश में राष्ट्रीय एकता को बनाए रखने के लिए भी राष्ट्रभाषा की आवश्यकता होती है। राष्ट्रभाषा को बोलने से मानसिक सन्तोष का अनुभव होता है। हिंदी पूरे विश्व में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषाओं में चौथे स्थान पर है। हिंदी की लिपी देवनागरी है, जो कि देवों की लिपी है।

इस भाषा का विशेष रूप से उत्तर भारत में ज्यादा उपयोग होता है। दक्षिण भारत के लोग ज्यादातर अंग्रेजी भाषा का इस्तेमाल करते है, जो हिंदी को ठीक से नहीं समझते हैं। भारत में लाखों लोग अभी भी हिंदी नहीं जानते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि इसमें संस्कृत शब्दों को शामिल करने से इसे कठिन बना दिया गया है।

आज देश में हर जगह पर अंग्रेजी भाषा ने अपना कब्ज़ा जमा लिया है। इसमें कोई शक नहीं है कि अंग्रेजी अंतरराष्ट्रीय बातचीत के लिए जरुरी है लेकिन हिंदी को सिखने के लिए आज बच्चों को सख्ती से मजबूर किया जाता है। हमें अपनी राष्ट्रभाषा को बचाने के लिए कदम उठाने होंगे। हमें हिंदी को सरल बनाना होगा और इसे कठिन संस्कृत संस्करणों से मुक्त करना होगा।

अगर हमने हिंदी को बढ़ावा देने के लिए तत्काल प्रयास चालू नहीं किये तो हमें हिंदी को उसकी ही धरती यानी हिंदुस्तान में विलुप्त होते देखना होगा।

Essay on Rashtrabhasha Hindi

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राष्ट्रभाषा हिंदी पर निबंध 500 शब्दों में (Rashtra Bhasha Hindi Essay in Hindi)

देश के हर राज्य की अलग भाषा है। हर राज्य में बहुत सारी भाषाएं बोली जाती है। लेकिन राष्ट्रभाषा का दर्जा सिर्फ हिंदी को ही मिला हुआ है। क्योंकि राष्ट्रभाषा का दर्जा हर किसी भाषा को नहीं मिल सकता। उस भाषा को देश का हर व्यक्ति आसानी से लिख सके और समझ सके उसे ही राष्ट्रभाषा के तौर पर चयनित किया जाता है।

हमारी राष्ट्रभाषा की विशेषता

  • हमारी राष्ट्रभाषा हिंदी विषय संस्कृत की बेटी कहा जाता है। क्योंकि संस्कृत से ही हिंदी का जन्म हुआ है।
  • हिंदी भाषा समझने और लिखने के लिए बहुत ही आसान है और हिंदी व्याकरण के सभी नियमों को सिर्फ एक पन्ने पर लिखा जा सकता है।
  • आज के समय में हिंदी भाषा में बहुत सारे अनगिनत विदेशी शब्द भी शामिल हो गए हैं। शुद्ध हिंदी भाषा हर किसी को नहीं आती है।
  • हमारी भाषा हिंदी का एक विषय विद्यार्थियों को स्कूल में पढ़ाया जाता है और यूनिवर्सिटी में हिंदी साहित्य का सब्जेक्ट भी विद्यार्थियों के लिए मौजूद है, जो हमारे देश की एकता को बनाए रखता है।
  • पुरानी हिंदी भाषा में संस्कृत और देवनागरी का मिश्रण देखने को मिलता है।

हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा कब मिला

जब हमारा देश भारत आजाद हुआ तो उसके करीब 2 साल बाद 14 सितंबर 1950 को संविधान सभा में राष्ट्रभाषा की घोषणा को लेकर एक सभा का गठन किया गया और जिसमें इस बात का निर्णय लेने का प्रयास किया गया कि हमारे देश की राष्ट्रभाषा किस भाषा को चुना जाए। उस सभा में वहां पर हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा मिला था, इसीलिए आज के समय में 14 सितंबर को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है।

राष्ट्रभाषा का क्या महत्व रहता है?

देश में राष्ट्रभाषा का प्रयोग करना देश की एकता का प्रतीक होता है। देश की एकता को बनाए रखने के लिए राष्ट्रभाषा का प्रयोग बेहद जरूरी है। हर व्यक्ति को राष्ट्रभाषा बोलना और समझना आना चाहिए। व्यक्ति कितना भी अंग्रेजी का ज्ञान क्यों ना झाड़ दे। लेकिन हिंदी भाषा में बात करने से जो संतुष्टि मिलती है, वह संतुष्टि अंग्रेजी में बात करने से नहीं मिलती है।

हिंदी भाषा का प्रयोग करना आपके बौद्धिक विकास के लिए बहुत ही ज्यादा जरूरी है और अपने बच्चों को भी हिंदी भाषा का ज्ञान मुख्य रूप से देना चाहिए। इतना ही नहीं हिंदी भाषा का प्रयोग करके आप भविष्य में राष्ट्र भाषा के महत्व को और अधिक बढ़ा देंगे।

भविष्य में राष्ट्रभाषा हिंदी का हाल

आज के समय में भी ज्यादातर लोग जो उच्च पदों पर कार्यरत है। यह अच्छी यूनिवर्सिटी के पढ़ाई कर चुके हैं, उनको हिंदी की बजाय अंग्रेजी में बात करना अच्छा लगता है। लेकिन आपको बताना चाहूंगा कि हमारी राष्ट्रभाषा हिंदी जिसे हम कभी नहीं भूल सकते हिंदी भाषा बोलने से हमें एक सुकून की अनुभूति होती है, जो अंग्रेजी भाषा में बिल्कुल नहीं है।

यह बात बिल्कुल सच है कि अंग्रेजी भाषा अंतरराष्ट्रीय भाषा है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अंग्रेजी भाषा के साथ आप बातचीत कर सकते हैं। लेकिन ऐसे में आप देश की खुद की हिंदी भाषा को पीछे नहीं छोड़ सकते हैं। देश में रहते हुए आपको हिंदी भाषा को बढ़ावा देना चाहिए। अगर ऐसा ही चलता रहा तो भविष्य में राष्ट्रभाषा हिंदी का नामोनिशान खत्म हो जाएगा और अंग्रेजी भाषा का सिक्का जम जाएगा।

राष्ट्रभाषा हिंदी जिसका प्रयोग आज के समय में दिन-प्रतिदिन कम होते जा रहा है। क्योंकि लोगों को अंग्रेजी बोलना बहुत अच्छा लगने लग गया है। हमारी राष्ट्रभाषा को बचाने के लिए हमें निरंतर हिंदी भाषा का प्रयोग करना चाहिए और लोगों को भी हिंदी भाषा बोलने के प्रति जागरूक करना चाहिए, जिससे हमारी राष्ट्रभाषा और देश की एकता पर कोई आंच नहीं आएगी।

राष्ट्रभाषा हिन्दी पर निबंध 800 शब्दों में (Rashtrabhasha Hindi Essay)

राष्ट्रभाषा का शाब्दिक अर्थ होता है किसी राष्ट्र यानि के देश की जनता की भाषा। किसी भी व्यक्ति अपनी भावनाओं अपनी ही मातृभाषा में आसानी से व्यक्त कर सकता है। मनुष्य चाहे जितनी भी भाषाओं का ज्ञान प्राप्त कर लें लेकिन उसे मानसिक सन्तोष केवल अपनी भाषा बोलने से ही मिलता है।

हिंदी भाषा का इतिहास लगभग एक हजार वर्ष पुराना है। हिन्दी विश्व की प्राचीन, समृद्ध और सरल भाषा होने के साथ-साथ हमारी ‘राष्ट्रभाषा’ भी है। पूरे विश्व में सबसे अधिक भाषा बोलने वाली सूचि में हिंदी भाषा चौथे स्थान पर है। हिन्‍दी भाषा को भारतीय विचार और संस्‍कृति का वाहक माना जाता है। हिंदी भारत की पहचान है। भारत में हिंदी लगभग 77% लोग हिंदी बोलते और समझते है।

राष्ट्रभाषा हिंदी का चुनाव

भारत देश एक विशाल और विविधता से भरपूर देश है। इस देश में अनेक जातियों, धर्मों और अलग अलग भाषाओं के लोग रहते हैं। इन सब में एकता बनाए रखना बेहद जरुरी है। अलग अलग भाषा होने के कारण ऐसी भाषा की आवश्यकता आन पड़ी, जिसके द्वारा राष्ट्र के सभी नागरिक एक दूसरे साथ आसानी से बातचीत कर सके और राष्ट्र के सभी सरकारी कार्य  भी उस भाषा के द्वारा हो सके।

भारत में राष्ट्रभाषा का चुनाव करना सबसे जटिल समस्या बन गई है। क्योंकि हर प्रांत के लोग अपनी भाषा को ही महत्व देते है। 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने एकमत से यह निर्णय लिया कि हिन्दी  ही भारत की राजभाषा होगी। इसलिए प्रतिवर्ष 14 सितंबर का दिन हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है।

हिंदी भाषा को राष्ट्र भाषा के रूप में चुना गया क्योंकि इस भाषा का इस्तेमाल देश में अधिकतर लोग करते है। हिंदी को सरलता से बोला भी जाता और सिखा भी जाता है। हिंदी एक ऐसी भाषा है, जो जिस प्रकार बोली जाती है उसी प्रकार लिखी भी जाती है। हिंदी भाषा भारत की प्राचीन भाषा संस्कृत और देवनागरी का मिश्रण है।

राष्ट्रभाषा का महत्व

देश में एकता बनाए रखने के लिए राष्ट्र भाषा बेहद जरुरी है। राष्ट्र भाषा का उपयोग हम देश के किसी भी कोने में दूसरे लोगों से अपना तालमेल बढ़ाने के लिए कर सकते है। राष्ट्र भाषा हमे मानसिक सन्तोष की अनुभूति करवाती है। हिंदी भाषा मारे जीवन मूल्यों, संस्कृति एवं संस्कारों की सच्ची संवाहक, संप्रेषक और परिचायक भी है।

किसी भी व्यक्ति के बौद्धिक विकास के लिए अपनी राष्ट्र भाषा का इस्तेमाल करना फायदेमंद रहता है। भारत के इतिहास के महान नेताओं जैसे महात्मा गांधी, लाल बहादुर शास्त्री, लाला लाजपत राय, जवाहरलाल नेहरू आदि ने हिंदी को एक सशक्त भाषा के रूप में स्वीकार किया था।

वर्तमान में हिंदी का हाल

आजादी के इतने साल बाद भी हिंदी पूरी तरह से भारत की राष्ट्रभाषा नही बन पाई हैं। उत्तर भारत में हिंदी बोलने वाले लोग ज्यादा है जबकि दक्षिण भारत के लोग हिंदी के बदले अपनी मातृभाषा और अंग्रेजी का इस्तेमाल ज्यादा करते है।

टेक्नोलॉजी बढ़ने के कारण आज पूरी दुनिया एक परिवार के समान बन गई है। लोग दुनिया के एक कोने से दूसरे कोने तक आसानी से अपना तालमेल बढ़ा रहे है। इसके लिए वो अंग्रेजी भाषा को इस्तेमाल कर रहे है। आर्थिक समृद्धि बढ़ने के कारण आज अंग्रेजी भाषा पूरे देश पर हावी होती जा रही है।

हिन्दी जानते हुए भी लोग हिन्दी में बोलने, पढ़ने या काम करने से हीनता की अनुभूति कर रहे है। आज के माता पिता अपने बच्चों को जबरदस्ती अंग्रेजी मीडियम में पढ़ा रहे है ताकि समाज में उनका गौरव बना रहे। हिन्दी देश की राजभाषा होने के बावजूद भी आज हर जगह अंग्रेजी भाषा ने अपना सिक्का जमा दिया है।

राष्ट्रभाषा के विकास संबंधी प्रयत्न

देश में आज हिंदी भाषा को जो अधिकार मिलना चाहिए था, वह उसकी अधिकारिणी नहीं बन पायी। आज भी अंग्रेजी बोलने वाले को लोग मान की नजरों से देखते है। पूरे देश को एकजुट होकर राष्ट्र भाषा और राजभाषा हिंदी को बचाने के लिए जरूरी प्रयास करने होंगे। सरकार भी आज हिंदी भाषा को प्रोत्साहित कर रही है। हिंदी दिवस के अवसर पर सरकारी विभागों में हिंदी की प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जाती हैं।

हिंदी भाषा को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने अनेक पुरस्कार योजनाएं शुरू की हैं। सरकार द्वारा हिंदी में अच्छे कार्य के लिए ‘‘राजभाषा कीर्ति पुरस्कार योजना’’ के अंतर्गत शील्ड प्रदान की जाती है। सरकार द्वारा हिंदी में लेखन के लिए राजभाषा गौरव पुरस्कार भी प्रदान किया जाता है।

सारे देश को एकता के सूत्र में पिरोने के लिए हमें हिंदी के महत्व को समझना होगा। हिन्दी पहले राष्ट्र भाषा थी, आज भी है और आगे भी रहेगी। हिन्दी को समृद्ध करना, इसका उपयोग बढ़ाना और इसे सम्मान देना और दिलाना यह प्रत्येक भारतीय का पहला कर्तव्य है।

अगर आप चाहते हो की राजभाषा और राष्ट्र भाषा हिन्दी का अतीत शानदार हो, भविष्य भी भव्यता के साथ जानदार हो तो हमें वर्तमान के हर क्षण का उपयोग हिन्दी को सँवारने के लिए और इसकी विकास-यात्रा को आगे बढ़ाने के लिए करना होगा।

राष्ट्रभाषा हिन्दी पर निबंध pdf

हमने यहाँ पर राष्ट्रभाषा हिंदी निबंध पीडीऍफ़ के रूप में उपलब्ध किया है, आप इसे आसानी से डाउनलोड करके अपने प्रोजेक्ट आदि के रूप में प्रयोग में ले सकते है।

हमने यहां पर राष्ट्रभाषा हिन्दी पर निबंध (Essay on Rashtrabhasha Hindi ) शेयर किया है। उम्मीद करते हैं कि आपको यह निबंध पसंद आया होगा, इसे आगे शेयर जरूर करें। आपको यह निबन्ध कैसा लगा, हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।

  • साक्षरता का महत्व पर निबंध
  • शिक्षा का महत्त्व पर निबंध
  • ज्ञान पर निबंध
  • यातायात के नियम पर निबंध

Rahul Singh Tanwar

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Comments (3).

THANK YOU SO MUCH ……

Tq so much ☺️ very useful matter

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निबंध (Hindi Essay)

आजकल के समय में निबंध लिखना एक महत्वपूर्ण विषय बन चुका है, खासतौर से छात्रों के लिए। ऐसे कई अवसर आते हैं, जब आपको विभिन्न विषयों पर निबंधों की आवश्यकता होती है। निबंधों के इसी महत्व को ध्यान में रखते हुए हमने इन निबंधों को तैयार किया है। हमारे द्वारा तैयार किये गये निबंध बहुत ही क्रमबद्ध तथा सरल हैं और हमारे वेबसाइट पर छोटे तथा बड़े दोनो प्रकार की शब्द सीमाओं के निबंध उपलब्ध हैं।

निबंध क्या है?

कई बार लोगो द्वारा यह प्रश्न पूछा जाता है कि आखिर निबंध क्या है? और निबंध की परिभाषा क्या है? वास्तव में निबंध एक प्रकार की गद्य रचना होती है। जिसे क्रमबद्ध तरीके से लिखा गया हो। एक अच्छा निबंध लिखने के लिए हमें कुछ बातों का ध्यान देना चाहिए जैसे कि – हमारे द्वारा लिखित निबंध की भाषा सरल हो, इसमें विचारों की पुनरावृत्ति न हो, निबंध के विभिन्न हिस्सों को शीर्षकों में बांटा गया हो आदि।

यदि आप इन बातों का ध्यान रखगें तो एक अच्छा निबंध(Hindi Nibandh) अवश्य लिख पायेंगे। अपने निबंधों के लेखन के पश्चात उसे एक बार अवश्य पढ़े क्योंकि ऐसा करने पर आप अपनी त्रुटियों को ठीक करके अपने निबंधों को और भी अच्छा बना पायेंगे।

हम अपने वेबसाइट पर कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 और कॉलेज विद्यार्थियों के लिए विभिन्न प्रकार के निबंध(Essay in Hindi) उपलब्ध करा रहे हैं| इस प्रकार के निबंध आपके बच्चों और विद्यार्थियों की अतिरिक्त पाठ्यक्रम गतिविधियों जैसे: निबंध लेखन, वाद-विवाद प्रतियोगिता और विचार-विमर्श में बहुत सहायक हो साबित होंगे।

ये सारे ‎हिन्दी निबंध (Hindi Essay) बहुत आसान शब्दों का प्रयोग करके बहुत ही सरल और आसान भाषा में लिखे गए हैं। इन निबंधों को कोई भी व्यक्ति बहुत ही आसानी से समझ सकता है। हमारे वेबसाइट पर स्कूलों में दिये जाने वाले निबंधों के साथ ही अन्य कई प्रकार के निबंध उपलब्ध है। जो आपके परीक्षाओं तथा अन्य कार्यों के लिए काफी सहायक सिद्ध होंगे, इन दिये गये निबंधों का आप अपनी आवश्यकता अनुसार उपयोग कर सकते हैं। ऐसे ही अन्य सामग्रियों के लिए भी आप हमारी वेबसाइट का प्रयोग कर सकते हैं।

Essay in Hindi

 
 
 
 
 
 
 
 
 
  
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

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हिंदी भाषा पर निबंध हिंदी में | हिंदी दिवस पर निबंध हिंदी में | essay on hindi diwas | essay on hindi language

समय समय पर हमें छोटी कक्षाओं में या बड़ी प्रतियोगी परीक्षाओं में निबंध लिखने को दिए जाते हैं। निबंध हमारे जीवन के विचारों एवं क्रियाकलापों से जुड़े होते है। आज hindiamrit.com   आपको निबंध की श्रृंखला में  हिंदी भाषा पर निबंध हिंदी में | हिंदी दिवस पर निबंध हिंदी में | essay on hindi diwas | essay on hindi language पर निबंध प्रस्तुत करता है।

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निबंध की रूपरेखा

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प्रत्येक राष्ट्र में एक ऐसी भाषा होती है जो राष्ट्र के सभी व्यापारों के लिए सर्वमान्य हो। इसी भाषा के द्वारा राष्ट्र के सब कार्य- व्यवहार चलते हैं । सरकारी दफ्तरों, कचहरियों आदि में इसी भाषा का प्रयोग होता है।

इसी भाषा को राष्ट्र की राष्ट्रभाषा कहा जाता है। वास्तव में राष्ट्रभाषा ही राष्ट्र का प्राण होती है।

इसी के आधार पर देश का उत्थान व पतन निर्भर करता है। इस भाषा में राष्ट्र की भावना व्यक्त होती है। इसी के द्वारा राष्ट्र के नागरिकों में ज्ञान का संचार होता है।

अत: राष्ट्रभाषा का चृनाव करते समय बड़ी सावधानी की आवश्यकता होती है। इसके उत्थान और विकास के लिए राष्ट्र को उचित व्यवस्था करनी पड़ती है।

राष्ट्रभाषा हिन्दी

सन् 1947 में स्वतन्त्र ता-प्राप्ति के बाद संविधान का निर्माण हुआ। हमारे संविधान निर्माताओं के सामने एक विचारणीय प्रश्न था कि किस भारतीय भाषा को राष्ट्रभाषा के पद पर सुशोभित किया जाये।

भारत एक विशाल देश है। यहाँ के भिन्न-भिन्न प्रान्तों में भिन्न-भिन्न भाषाएँ बोली जाती हैं। उनमें से किसको यह महत्त्व दिया जाये ? यह एक भारी समस्या थी।

विचारवान संविधान निर्माताओं ने इस विषय में गम्भीर विचार किया और वे इस निर्णय पर पहुँचे कि हिन्दी ही एक ऐसी भाषा है जो सर्वथा राष्ट्रभाषा के महत्त्वपूर्ण पद पर अलंकृत होने की क्षमता रखती है।

अब प्रश्न यह होता है कि हिन्दी ही को क्यों यह महत्त्वपूर्ण पद दिया जाये, भारत में अन्य भाषाएँ भी बोली जाती हैं, यहाँ यह विचार कर लेना आवश्यक है कि राष्ट्रभाषा होने के लिए किसी भाषा में किन-किन गुणों का होना आवश्यक है।

राष्ट्रभाषा के लिए आवश्यक विशेषताएँ

किसी भाषा को राष्ट्रभाषा बनने के लिए उसमें निम्नांकित विशेषताओं का होना आवश्यक है-

(1) वह भाषा देश की सबसे अधिक जनता की बोलचाल की भाषा हो।

(2) उस भाषा में ऐसी योग्यता हो कि वह भन्य प्रान्तीय भाषाओं को भी निकट ला सके तथा सभी प्रान्तोंके लोग उसे आसानी से सीख सकें।

(3)उस भाषा के पास एक विशाल तथा उन्नत साहित्य हो।

(4) वह भाषा देश के नागरिकों के कर्तव्य, आचार-व्यवहार तथा संस्कृति को व्यक्त करती हो।

(5)  उस भाषा के पास एक विशाल शब्दको ष हो जिससे बह दूसरी भाषाओं के ज्ञान विज्ञान तथा विविध विषयों को सरलता से व्यक्त कर सके।

हिंदी में राष्ट्रभाषा की योग्यता

इनबातों को ध्यान में रखकर हमारे संविधान निर्माताओं ने यह निर्णय किया कि राष्ट्रभाषा का गौरवपूर्ण पद हिन्दी को ही दिया जाये क्योंकि हिन्दी में उपर्युक्त सभी गुण पाये जाते हैं ।

यह देश के सबसे अधिक विस्तृत भूभाग में बोली जाती है। यह उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश,विहार, हरियाणा, दिल्ली तथा राजस्थान, कई प्रान्तों की बोलचाल की भाषा है। इस भाषा के बोलने वालों की संख्या देश में सबसे अधिक है।

दूसरी बात यह है कि हिन्दी भारत की अन्य प्रान्तीय भाषाओं को निकट लाने में समर्थ है।

हिन्दी के पास एक विस्तृत तथा समुन्नत साहित्य है और संस्कृत की उत्तराधिकारिणी होने के कारण यह भारतीय धर्म, संस्कृति तथा आचार-व्यवहार आदि को अभिव्यक्त करने में समर्थ हो सकती है।

इसके अतिरिक्त हिन्दी के पास एक विशाल शब्दकोष है । दूसरी प्रात्तीय भाषाओं के शब्दों को भी वह अपने में समा सकती है।

सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि हिन्दी का सम्बन्ध संस्कृत से है और संस्कृत शब्दकोष संसार की सब भाषाओं से अधिक विस्तृत तथा समृद्ध है; अत: हिन्दी संस्कृत से जितने चाहे शब्द ग्रहण कर सकती है।

अन्य किसी भी भारतीय भाषा में ये सब गुण इतनी मात्रा में तथा एक साथ नहीं पाये जाते हैं; अत: हिन्दी को ही भारत की राष्ट्रभाषा होने के लिए सर्वथा उपयुक्त पाया गया।

एक बात और है-वह यह कि हिन्दी में देवनागरी लिपि का प्रयोग किया जाता है और देवनागरी लिपि सबसे अधिक वैज्ञानिक तथा सरल है; अतः संविधान सभा ने देवनागरी लिपि में लिखित हिन्दी को राष्ट्भाषा के रूप में स्वीकार किया।

राष्ट्रभाषा विषयक विवाद

हिन्दी के राष्ट्रभाषा होने पर भारी विवाद उपस्थित हुआ है। पश्चिम से प्रभावित तथा अँग्रेजी के भक्त लोगों का कहना था कि हिन्दी के राष्ट्रभाषा होने पर भिन्न-भिन्न भाषा बोलने वाले लोगों में झगड़ा और विवाद होगा; अतः भारत की एकता को बनाये रखने के लिए अंग्रेजी का राष्ट्रभाषा रहना बहुत आवश्यक है।

इन लोगों का यह कहना था कि हिन्दी में वैज्ञानिक साहित्य का अभाव है और आज के वैज्ञानिक युग में वह राष्ट्रभाषा के लिए उपयुक्त नहीं हो सकती है।

उन लोगों की यह भी युक्ति थी कि हिन्दी के पास पारिभाषिक शब्दों का अभाव है और वह पूर्ण विकसित नहीं है।

यद्यपि यह उन लोगों निरा भ्रम था क्योंकि हिन्दी के राष्ट्रभाषा होने पर विभिन्न भाषा बोलने वाले भिन्न-भिन्न प्रान्तो के लोगों में झगड़े विवाद का कोई कारण नहीं था।

सभी प्रात्तों के लोग हिन्दी से प्रेम करते हैं । अन्य भाषा-भाषी प्रान्तों में भी हिन्दी के अच्छे विद्वान् तथा हिन्दी-प्रेमी लोग हुए हैं ।

गाडगिल, काका कालेलकर तथा के०एम० मुंशी आदि का नाम उदाहरण के लिए प्रस्तुत किया जा सकता है। वैज्ञानिक साहित्य का हिन्दी में अनुवाद हो सकता है।

पारिभाषिक शब्दों की कमी तथा अविकास का दोष देना तो केवल अपनी अज्ञानता ही का परिचय देना है। हिन्दी के पास एक ऐसा विकसित और उन्नत साहित्य है जिसकी संसार की किसी भी अन्य उन्नत भाव से तुलना की जा सकती है।

पारिभाषिक-शब्द तो उसमें संस्कृत के आधार पर बहुत आसानी से तैयार किये जा सकते हैं । रही पूर्ण विकास की बात, तो उसके लिए हमारी निम्नांकित सम्मति है।

हिंदी के विकास के उपाय

हिन्दी के विकास और उसे राष्ट्रभाषा के पद पर प्रतिष्ठित करने के लिए निम्न उपाय उपयुक्त हो सकते हैं-

(1) केन्द्रीय सरकार के कार्यालयों में नियुक्ति करने से पूर्व हिन्दी का ज्ञान अनिवार्य कर दिया जाये।

(2)  जिले में अदालतों की सारी कार्यवाही हिन्दी या प्रान्तीय भाषाओं में ही की जाये और धीरे धीरे कुछ समय पश्चात् उच्च और सर्वोच्च न्यायालयों में भी हिन्दी का प्रवेश हो।

(3) उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान तथा दिल्ली आदि में परस्पर राजकीय पत्र व्यवहार हिन्दी में ही प्रारम्भ होने चाहिए।

(4)  महाविद्यालयो में शिक्षा का माध्यम हिन्दी कर देना चाहिए।

(5) केन्द्र के सब सरकारी दफ्तरों की नाम-पट्टिकाएँ हिन्दी में लिखी जानी चाहिए-जहाँ अनिवार्य आवश्यकता हो, वहाँ कोष्ठक में अंग्रेजी नाम देने में कोई हानि नहीं है।

(6) हिन्दी को अधिकाधिक सुगम और प्रचलित करने के लिए यह आवश्यक है कि शब्दों के पारिभाषिक पर्यायों (रुपों) का शीघ्र ही निश्चय कर लेना चाहिए।

(7) क्षेत्रीय भाषाओं को एक-दूसरे के निकट लाने के लिए यह आवश्यक है कि सब क्षेत्रीय भाषाओं की लिपि देवनागरी हो।

(8) सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण कार्य हिन्दी-भाषी और हिन्दी-प्रेमियों का है। जब तक वे हिन्दी को अपने दैनिक जीवन में यथोचित स्थान नहीं देंगे, तब तक वे हिन्दी को राष्ट्रभाषा बना देने का दाबा ही नही कर सकते।

आज हम स्वतन्त्र देश के निवासी हैं परन्तु हम बिदेशीपन के इस प्रवाह में अधिक दिन तक नहीं बहेगे।

अब समय आ गया है और भारत ने अपने आत्मगौरव का ध्यान करना शुरू कर दिया है। भाषा की दृष्टि से भी हमें इस विदेशीपन को दूर करना होगा।

हिन्दी हमारी अपनी मातृभाषा है। उसे पूर्ण अधिकार के साथ राष्ट्रभाषा पद पर आरूढ़ होना हो चाहिए और वह होकर रहेगी।

वह समय दूर नहीं है कि हिन्दी से भारतीय ही नही, विदेशी भी प्रेम करंगे और इस अपनी राष्ट्रभाषा हिन्दी के माध्यम से विश्व को विश्व- शान्ति का उपदेश देगे।

राष्ट्रकवि मैथिलीशरण के शब्दों में राष्ट्र की हार्दिक कामना इस प्रकार व्यक्त हई है-

“मानस-भवन में आर्यजन जिसकी उतारे आरती। भगवान् भारतवर्ष में गूँजे हमारी भारती ॥ हो भव्य भावोन्मेषिनी वह भारती हे सुरपते। सीतापते ! सीतापते ! गीता मते गीता मते ।॥ .

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राष्ट्रभाषा हिन्दी पर निबंध- Essay on National Language in Hindi

In this article, we are providing an Essay on National Language in Hindi / Essay on Rashtrabhasha Hindi. राष्ट्रभाषा हिन्दी पर निबंध | Nibandh in 200, 300, 500, 600, 800 words For class 3,4,5,6,7,8,9,10,11,12 Students.  

राष्ट्रभाषा हिन्दी पर निबंध- Essay on National Language in Hindi

Rashtra Bhasha Hindi Essay ( 300 words )

प्रस्तावना- हम भारतीय लोग बचपन से बोलना शुरू करते हैं तब पहला शब्द हमारा हिंदी का ही होता है और उस हिंदी भाषा के सहारे ही हम दुनिया के तमाम तरह के जज्बात, भावनाओं को व्यक्त कर पाते हैं। लेकिन जब बात आए सम्मान की तो हम हिचकते हैं हिंदी को अपनी मातृभाषा कहते हुए।

हमारी राष्ट्रभाषा हिन्दी पर हम सब गर्व तो करते हैं, फिर भी हिंदी को बोलने में हमें शर्म क्यों आती हैं। हम कहीं बाहर जाकर किसी से मिलते हैं तो हिंदी के बजाय अंग्रेजी में बात करने को ज्यादा मान्यता देते हैं।

दुनिया मे बोली जाने वाली अनेकों भाषाएं है, लेकिन उनमें से एक भाषा जिसमें हम बड़ी सहजता के साथ अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हैं  ‘हमारी राष्ट्रभाषा कहलाती है’ । हमारी राष्ट्रभाषा पूरी दुनिया मे हमारी बोली, हमारी सभ्यता को एक पहचान देती है।

14 सितंबर वर्ष 1949 में संविधान सभा ने एक बैठक में राष्ट्रभाषा के बारे में वार्तालाप की, जिसके बाद कई राजकीय भाषाओं को राष्ट्रभाषा बनाने का सुझाव दिया गया, लेकिन उस समय भी ज्यादातर लोग हिंदी के पक्ष में खड़े थे जिसके बाद बहुमत के साथ हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा दे दिया गया।

प्रत्येक वर्ष हम 14 सितंबर को हिंदी दिवस के रूप में मनाते हैं, इस दिन सरकारी और गैरसरकारी स्थानों पर आयोजन किए जाते हैं और बड़े-बड़े भाषण के साथ हिंदी को मां का दर्जा भी दिया जाता है।

उपसंहार- हमें चाहिए कि जो हम इज्जत हिंदी को दुनिया के सामने देने का ढोंग करते हैं, उसे असल जिंदगी में भी दें। जिससे हमारी हिंदी भाषा दुनिया में तरक्की कर सके बिल्कुल वैसे जैसे आज अंग्रेजी भाषा भारत सहित दुनिया के तमाम देशों में अपनी पहचान बनाए हुए है।

Rashtrabhasha Hindi Par Nibandh ( 800 words )

प्रस्तावना- ‘राष्ट्र’ शब्द का प्रयोग किसी देश तथा वहाँ बसने वाले लोगों के लिए किया जाता है। प्रत्येक राष्ट्र का अपना स्वतंत्र अस्तित्व होता है। उसमें विभिन्न जातियों एवं धर्मों के लोग रहते हैं। विभिन्न स्थानों अथवा प्रांतों में रहने वाले लोगों की भाषा भी अलग-अलग होती है। इस भिन्नता के साथ-साथ उनमें एकता भी बनी रहती है। पूरे राष्ट्र के शासन का एक केद्र होता है। अत: राष्ट्र की एकता को और दृढ़ बनाने के लिए एक ऐसी भाषा की आवश्यकता होती है, जिसका प्रयोग संपूर्ण राष्ट्र में महत्वपूर्ण कार्यों के लिए किया जाता है। ऐसी व्यापक भाषा ही राष्ट्रभाषा कहलाती है। भारतवर्ष में अनेक भाषाएँ बोली जाती हैं। भारतवर्ष को यदि भाषाओं का अजायबघर भी कहा जाए तो अतिशयोक्ति न होगी लेकिन एक संपर्क भाषा के बिना आज पूरे राष्ट्र का काम नहीं चल सकता।

सन 1947 में भारतवर्ष को स्वतंत्रता प्राप्त हुई। जब तक भारत में अंग्रेज़ शासक रहे, तब तक अंग्रेज़ी का बोलबाला था किंतु अंग्रेज़ों के जाने के बाद यह असंभव था की देश के सारे कार्य अंग्रेजी में हो। जब देश के सविधान का निर्माण किआ गया तो यह प्रशन भी उपस्थित हुआ कि राष्ट्र की भाषा कौन-सी होगी ? क्योंकि राष्ट्रभाषा के बिना राष्ट्र के स्वतंत्र अस्तित्व की पहचान नहीं होगी। कुछ लोग अंग्रेज़ी भाषा को ही राष्ट्रभाषा बनाए रखने के पक्ष में थे परंतु अंग्रेज़ी को राष्ट्रभाषा इसलिए घोषित नहीं किया जा सकता था क्योंकि देश में बहुत कम लोग ऐसे थे जो अंग्रेज़ी बोल सकते थे। दूसरे, उनकी भाषा को यहाँ बनाए रखने का तात्पर्य यह था कि हम किसी-न-किसी रूप में उनकी दासता में फंसे रहें।

हिंदी को राष्ट्रभाषा  घोषित करने का प्रमुख तर्क यह है की हिंदी एक भारतीय भाषा है। दूसरे, जितनी संख्या यहां हिंदी बोलने वाले लोगों की थीं, उतनी किसी अन्य प्रांतीय भाषा बोलने वालों की नहीं। तीसरे, हिंदी समझना बहुत आसान है। देश के प्रत्येक अंचल में हिंदी सरलता से समझी जाती है, भले ही इसे बोल न सके। चौथी बात यह है कि हिंदी भाषा अन्य भारतीय भाषाओं की तुलना में सरल है, इसमें शब्दों का प्रयोग तकपूर्ण है। यह भाषा दो-तीन महीनों के अल्प समय में ही सीखी जा सकती है। इन सभी विशेषताओं के कारण भारतीय संविधान सभा ने यह निश्चय किया कि हिंदी को भारत की राष्ट्रभाषा तथा देवनागरी लिपि को राष्ट्रलिपि बनाया जाए।

हिंदी को राष्ट्रभाषा घोषित करने के बाद उसका एकदम प्रयोग करना कठिन था। अत: राजकीय कर्मचारियों को यह सुविधा दी गई थी कि सन 1965 तक केद्रीय शासन का कार्य व्यावहारिक रूप से अंग्रेज़ी में चलता रहे और पंद्रह वर्षों में हिंदी को पूर्ण – समृद्धिशाली बनाने के लिए प्रयत्न किए जाएँ। इस बीच सरकारी कर्मचारी भी हिंदी सीख लें। कर्मचारियों को हिंदी पढ़ने की विशेष सुविधाएँ दी गई। शिक्षा में हिंदी को अनिवार्य विषय बना दिया गया। शिक्षा मंत्रालय की ओर से हिंदी के पारिभाषिक शब्द-निर्माण का कार्य प्रारंभ हुआ तथा इसी प्रकार की अन्य सुविधाएँ हिंदी को दी गई ताकि हिंदी, अंग्रेज़ी का स्थान पूर्ण रूप से ग्रहण कर ले। अनेक भाषा-विशेषज्ञों की राय में यदि भारतीय भाषाओं की लिपि को देवनागरी स्वीकार कर लिया जाए तो राष्ट्रीय भावात्मक एकता स्थापित करने में सुविधा होगी। सभी भारतीय एक-दूसरे की भाषा में रचे हुए साहित्य का रसास्वादन कर सकेंगे!/

आज जहाँ शासन और जनता हिंदी को आगे बढ़ाने और उसका विकास करने के लिए प्रयत्नशील हैं वहाँ ऐसे लोगों की भी कमी नहीं है जो उसकी टाँग पकड़कर पीछे घसीटने का प्रयत्न कर रहे हैं। इन लोगों में कुछ ऐसे भी हैं जो हिंदी को संविधान के अनुसार सरकारी भाषा बनाने से तो सहमत हैं किंतु उसे राष्ट्रभाषा के रूप में स्वीकार नहीं करना चाहते। कुछ ऐसे भी हैं जो उर्दू का निर्मूल पक्ष में समर्थन करके राज्य-कार्य में विध्न डालते रहते हैं। धीरे-धीरे पंजाब, बंगाल और चेन्नई के निवासी भी प्रांतीयता की संकीर्णता में फंसकर अपनी-अपनी भाषाओं की मांग कर रहे हैं परंतु हिंदी ही एक ऐसी भाषा है जिसके द्वारो संपूर्ण भारत को एक सूत्र में पिरोया जा सकता है।

नि:संदेह हिंदी एक ऐसी भाषा है जिसमें राष्ट्रभाषा बनने की पूर्ण क्षमता है। इसका समृद्ध साहित्य और इसके प्रतिभा संपन्न साहित्यकार इसे समूचे देश की संपर्क भाषा का दर्जा देते हैं किंतु आज हमारे सामने सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि हिंदी का प्रचार-प्रसार कैसे किया जाए ? सर्वप्रथम तो हिंदी भाषा को रोज़गार से जोड़ा जाए। हिंदी सीखने वालों को सरकारी नौकरियों में प्राथमिकता दी जाए। सरकारी कायलियों तथा न्यायालयों में केवल हिंदी भाषा का ही प्रयोग होना चाहिए। अहिंदी भाषी क्षेत्रों में हिंदी का अधिकाधिक प्रचार होना चाहिए। वहाँ हिंदी की पत्र-पत्रिकाओं के प्रकाशकों एवं संपादकों को और आर्थिक अनुदान दिया जाए।

उपसंहार- आज हिंदी के प्रचार-प्रसार में कुछ बाधाएँ अवश्य हैं किंतु दूसरी ओर केद्रीय सरकार, राज्य सरकारें एवं जनता सभी एकजुट होकर हिंदी के विकास के लिए प्रयत्नशील हैं। सरकार द्वारा अनेक योजनाएँ बनाई गई हैं। उत्तर भारत में अधिकांश राज्यों में सरकारी कामकाज हिंदी में किया जा रहा है। राष्ट्रीयकृत बैंकों ने भी हिंदी में कार्य करना आरंभ कर दिया है। विभिन्न संस्थाओं एवं अकादमियों द्वारा हिंदी लेखकों की श्रेष्ठ पुस्तकों को पुरुस्कृत किआ जा रहा है। दूरदर्शन और आकाशवाणी द्वारा भी इस दिशा में काफी प्रयास किए जा रहे है।

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Essay on National Flag in Hindi

Essay on National Bird in Hindi

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हिन्दी भाषा पर निबंध – Hindi Bhasha Par Nibandh

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Hindi Bhasha Par Nibandh : नमस्कार दोस्तों! आपका Hindipool पर स्वागत है| आज हमने बहुत सरल और आसान भाषा में हिन्दी, भारत की मातृभाषा पर निबंध लिखा है| इससे पहले हमने हिंदी दिवस पर शायरियां शेयर करि थी|

हिन्दी भारत की मातृभाषा और राष्ट्रभाषा है| हर साल 14 सितंबर को भारत में हिन्दी दिवस के रूप में मनाया जाता है| हिन्दी दिवस को पूरे भारत में ख़ुशी से मनाया जाता है|

हमने हमारे इस लेख में हिन्दी दिवस का महत्व भी बताया है और आप हमारे इस लेख कि सहायता लेकर हिन्दी दिवस पर भाषण, हिन्दी दिवस पर निबंध, हिन्दी दिवस पर स्पीच भी लिख सकते हैं|

  • 1.1 प्रस्तावना
  • 1.2 हिन्दी भाषा का इतिहास
  • 1.3 हिन्दी दिवस का महत्व
  • 1.4 हिन्दी भाषा का प्रयोग
  • 1.5 उपसंहार

Hindi Bhasha Par Nibandh

हिन्दी हमारी राष्ट्रभाषा है| हर वर्ष पूरे भारत में 14 सितंबर को हिन्दी दिवस के रूप में मनाया जाता है| पूरे विश्व में सबसे ज्यादा बोले जाने वाली भाषाओं में तीसरे नंबर पर हिन्दी भाषा आती है| हिन्दी भाषा हमारे भारत की शान है और यह सभी भारतीयों की पहचान है| सभी भारतवासियों को अपनी मातृभाषा हिन्दी पर बेहद गर्व का स्वाभिमान है| हिन्दी हमारे देश के सभी सरकारी कार्यालयों में इस्तेमाल होने वाली आधिकारिक भाषा है|

हिन्दी भाषा का इतिहास

हमारे देश के आजाद होने के बाद 14 सितम्बर को हमारी संविधान सभा ने एक निर्णय लिया था| इस निर्णय में उन्होंने हिन्दी को भारत की राष्ट्रभाषा घोषित किया था| और इस महान निर्णय को महत्व देते हुए और पुरे विश्व में हिन्दी को हर क्षेत्र में आगे बढ़ाते हुए 1953 में यह निर्णय लिया गया किया हर वर्ष 14 सितम्बर को पुरे भारत देश में हिन्दी दिवस मनाया जायेगा|

आज हिन्दी केवल भारत में ही नहीं पूरे विश्व में प्रसिद्ध है और यह कई सारे अंग्रेजों द्वारा भी बोली जाती है|

हिन्दी दिवस का महत्व

हिन्दी दिवस पुरे भारत देश में 14 सितम्बर 1953 से बनाया जा रहा है| यह दिन हिन्दी भाषा को महत्व देने के लिए और उसे हर क्षेत्र में आगे बढ़ाने के लिए मनाया जाता है| कुछ वर्षो पहले तक पुरे भारत में हिन्दी बहुत ज्यादा लोगो द्वारा बोली जाती थी ऐसा नहीं है की अब लोग इसको उपयोग नहीं करते है परन्तु अब लोग अंग्रेजी भाषा और कई सारी अन्य भाषाओ की और ज्यादा आकर्षित होने लगे हैं|

इसलिए पुरे भारत देश में हर स्कूल, कॉलेज और कई सारे कार्यालयों में हिन्दी भाषा को महत्वता देते हुए हिन्दी दिवस बहुत ख़ुशी और धूमधाम से मनाया जाता है|

यह भी जरूर पढ़े: हिंदी दिवस पर 5 बेहतरीन कवितायें – Poem on Hindi Diwas

हिन्दी भाषा का प्रयोग

वैसे तो पुरे भारत में अधिकतर घरो में हिन्दी बोली जाती है परन्तु आज के युग में बच्चो का इंटरनेट पर नई नई चीज़े देखकर अंग्रेजी, जर्मन आदि जैसे भाषाओ में रूचि बढ़ गई है, में इस चीज़ को गलत नहीं कहूंगा सबको ज़िन्दगी में हर दिन कुछ ना कुछ नया सीखना चाहिए परन्तु साथ ही हमे हमारी मातृभाषा का भी सम्मान करना चाहिए और इसका प्रयोग करना चाहिए|

इसलिए मेरी आप सभी से एक विनती है की हिन्दी भाषा का ज्यादा से ज्यादा प्रयोग करे और इसको हर क्षेत्र में आगे बढ़ाने की कोशिश करे और सभी माता पिता से भी मेरी विनती है की आप अपने बच्चो को हिन्दी भाषा का महत्व जरूर समझाएं|

अभी के युग में सभी को यह ही लगता है की अंग्रेज़ी और अन्य भाषाएँ उन्हें ज़िन्दगी में ज्यादा तरक्की दिलाएगी इसलिए वो हिन्दी को बिलकुल ही अनदेखा कर देते हैं इतना ही नहीं स्कूलों में भी बड़ी कक्षाओं में हिन्दी भाषा को इतना महत्व नहीं दिया जाता है|

सभी माँ बाप से में दरख्वास्त करूँगा की अपने बच्चो को बड़े विद्यालयों में जरूर भेजे उन्हें सभी भाषाएँ भी पढाये परन्तु साथ ही साथ उन्हें भारत की मातृभाषा हिन्दी का महत्व भी समझाए|

यह भी जरूर पढ़े:

हिंदी दिवस पर 21 सर्वश्रेष्ठ नारे – Slogans on Hindi Diwas

हिंदी दिवस पर कोट्स – Hindi Diwas Quotes

हमे पूरी उम्मीद है दोस्तों आपको हमारा Hindi Bhasha Par Nibandh पसंद आया होगा| आप इस निबंध को Hindi Divas Par Nibandh के रूप में भी इस्तेमाल कर सकते हैं|

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हिंदी को राष्ट्र भाषा का दर्जा कब मिला?

14 सितम्बर 1949 में हिंदी भारत की राष्ट्रभाषा बनी थी|

हिंदी को राष्ट्रभाषा क्यों कहते हैं?

हिंदी हमारे देश भारत में अधिकतर बोले जाने वाली भाषा है, इसलिए महात्मा गाँधी जी ने इससे भारत की राज्यभाषा चुनने को कहा था, और कठोर प्रयासों के बाद 14 सितम्बर 1949 में हिंदी को भारत की राष्ट्रभाषा का दर्जा मिला था|

हिंदी को भारत की राष्ट्रभाषा बनाने के लिए कोनसी पार्टी सबसे आगे थी?

हिंदी को भारत की राष्ट्रभाषा बनाने के लिए भारतीय संगठन पार्टी सबसे आगे थी|

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Rahul हिंदी ब्लॉग इंडस्ट्री के प्रमुख लेखकों में से एक हैं, इनकी पढ़ाई-लिखाई, टेक्नोलॉजी, आदि विषय में असीम रूचि होने के कारण, इन्होने ब्लोग्स के जरिये लोगो की मदद करके अपना करियर बनाने का एक अनोखा एवं बेहतरीन फैसला लिया है|

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निबंध की परिभाषा, विशेषताएं और प्रकार | Essay (Definition, Characteristics and Types) in Hindi

Essay (Definition, Characteristics and Types) in Hindi

हिंदी भाषा में निबंध (Nibandh) की परिभाषा, विशेषताएं और प्रकार | Essay (Definition, Characteristics and Types) in Hindi

निबंध गद्य रचना को कहते हैं जिसमें किसी विषय का वर्णन किया गया हो. निबंध के माध्यम से लेखक उस विषय के बारे में अपने विचारों और भावों को बड़े प्रभावशाली ढंग से व्यक्त करने की कोशिश करता है. एक श्रेष्ठ संगठित एवं सुव्यवस्थित निबंध लेखक को विषय का अच्छा ज्ञान होना चाहिए, उसकी भाषा पर अच्छी पकड़ होना चाहिए. प्रत्येक व्यक्ति की अपनी अभिव्यक्ति होती है. इसलिए एक ही विषय पर हमें अलग-अलग तरीकों से लिखे गए निबंध मिलते हैं.

किसी एक विषय पर विचारों को क्रमबद्ध कर सुंदर, सुगठित और सुबोध भाषा में लिखी रचना को निबंध कहते हैं.

अनेक विद्वानों द्वारा निबंध शब्द की प्रथक प्रथक व्याख्या की है-

  • निबंध अनियमित, असीमित और असम्बद्ध रचना है.
  • निबंध वह लेख है जिसमें किसी गहन विषय पर विस्तृत और पांडित्यपूर्ण विचार किया जाता है.
  • मन की उन्मुक्त उड़ान निबंध कहलाती है.
  • मानसिक विश्व का बुद्धि विलास से निबंध है.
  • सीमित समय और सीमित शब्दों में क्रम बद्ध विचारों की अभिव्यक्ति ही निबंध है.

अच्छे निबंध की विशेषताएं (Characteristics of Essay in Hindi)

एक अच्छे निबंध की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं.

  • निबंध की भाषा विषय के अनुरूप होनी चाहिए.
  • विचारों में परस्पर तारतम्यता होनी चाहिए.
  • विषय से सम्बंधित सभी पहलुओं पर निबंध में चर्चा की जानी चाहिए.
  • निबंध के अंतिम अनुच्छेद में ऊपर कहीं गई सभी बातों का सारांश होना चाहिए.
  • वर्तनी शुद्ध होनी चाहिए तथा उसमें विराम चिन्हों का उचित प्रयोग किया जाना चाहिए.
  • निबंध लिखते समय शब्दों की सीमा का अवश्य ध्यान रखना चाहिए.
  • निबंध के लेखक का व्यक्तित्व प्रतिफल होना आवश्यक है.
  • निबंध अधिक विस्तृत न होकर संक्षेप में होना चाहिए.
  • निबंध लेखन विचारों की एक अखंड धारा होती है उसका एक निश्चित परिणाम होना चाहिए.

निबंध के अंग (Types of Essay)

मुख्य रूप से निबंध के तीन अंग होते हैं- भूमिका, विस्तार और उपसंहार.

भूमिका विषय प्रवेश है. इसमें विषय का परिचय दिया जाता है. यहीं से निबंध प्रारंभ होता है. यह जितना आकर्षक होगा, लोगों को निबंध पढ़ने में उतना ही अधिक आनंद आएगा. भूमिका छोटी और सारगर्भित होनी चाहिए. भूमिका ऐसी हो जिसे पढ़कर पाठक पुरे निबंध को पढ़ने के लिए प्रेरित हो सके.

यह निबंध का मुख्य अंग है. इसमें विषय का वर्णन विवेचन होता है. जो सामग्री आपके पास है उसे क्रमबद्ध कर लीजिए तथा अलग-अलग अनुच्छेदों में प्रस्तुत कीजिए. इसके विवेचन में पूर्वापर क्रम होना चाहिए. प्रत्येक दूसरा अनुच्छेद पहले अनुच्छेद से सम्बद्ध होना चाहिए.

उपसंहार निबंध का अंतिम अंग है. यहां तक आते-आते विषय की चर्चा समाप्त हो जाती है. यहां तो निबंध में कही गई सही बातों को सारांश रूप में प्रस्तुत किया जाता है.

निबंध के भेद

विषय के प्रतिपादन की दृष्टि से निबंध के चार प्रकार माने गए हैं.

वर्णनात्मक निबंध

इस प्रकार के निबंधों में स्थानों, वस्तुओं, ऋतुओं, दृश्यों, त्योहारों आदि का वर्णन किया जाता है. जैसे होली, दीपावली, दशहरा आदि.

विवरणात्मक निबंध

इन निबंधों में घटनाओं, यात्राओं, उत्सवों तथा व्यक्तियों के परिचयात्मक निबंध लिखे जाते हैं जैसे रेल यात्रा, विद्यालय का वार्षिकोत्सव आदि.

विचारात्मक निबंध

इसमें किसी विचार, समस्या, मनोभाव आदि के विषय में परिचयात्मक, व्याख्यात्मक अथवा विश्लेषणात्मक लेखन विचारात्मक निबंध कहलाता है. जैसे दूरदर्शन और शिक्षा, मित्रता, विज्ञान के लाभ और हानि आदि इसी प्रकार के निबंध के उदाहरण है.

भावनात्मक निबंध

निबंधों में भाव की प्रधानता रहती है. ऐसे निबंधों में परोपकार, सदाचार, देश प्रेम और राष्ट्रभाषा आदि विषयों के निबंध आते हैं.

  • बेरोजगारी पर निबंध
  • जनसंख्या वृद्धि पर निबंध
  • सदाचार पर निबंध

4 thoughts on “निबंध की परिभाषा, विशेषताएं और प्रकार | Essay (Definition, Characteristics and Types) in Hindi”

bahut sara sukriya apna jo share kiya ham ko bahut kam aya phere sa ap ki bahut sukriya

This para is very helpful thank you so much ❤️❤️

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हिंदी पर निबंध (राष्ट्रभाषा हिंदी पर निबंध)

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हिंदी भाषा का सामान्य परिचय:-   चीनी भाषा के बाद हिंदी विश्व में सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है। भारत और विदेश में करीब 50 करोड़ लोग हिंदी बोलते हैं तथा इस भाषा को समझने वाले लोगों की कुल संख्या करीब 90 करोड़ है। हिंदी भाषा का मूल प्राचीन संस्कृत भाषा में है। इस भाषा ने अपना वर्तमान स्वरूप कई शताब्दियों के पश्चात हासिल किया है और बड़ी संख्या में बोलीगत विभिन्नताएं अब भी मौजूद हैं। हिंदी की लिपि देवनागरी है, जो कि कई अन्य भारतीय भाषाओं के लिए संयुक्त है। हिंदी के अधिकतम शब्द संस्कृत से आए हैं। इसकी व्याकरण की भी संस्कृत भाषा के साथ समानता है। “हिंदी” भारत की राज(राष्ट्रीय) भाषा है. .

राजभाषा के रूप में हिंदी : भारत के संविधान में देवनाग री लिपि में हिंदी को संघ की राजभाषा घोषित किया गया है। हिंदी की गिनती भारत के संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल पच्चीस भाषाओं में की जाती है। भारतीय संविधान में व्यवस्था है कि केंद्र सरकार की पत्राचार की भाषा हिंदी और अंग्रेजी होगी। यह विचार किया गया था कि 1965 तक हिंदी पूर्णतः केंद्र सरकार के कामकाज की भाषा बन जाएगी अनुच्छेद 344 और अनुच्छेद 351 में वर्णित निदेशों के अनुसार, साथ में राज्य सरकारें अपनी पंसद की भाषा में कामकाज संचालित करने के लिए स्वतंत्र होंगी। लेकिन राजभाषा अधिनियम (1963) को पारित करके यह व्यवस्था की गई कि सभी सरकारी प्रयोजनों के लिए अंग्रेजी का प्रयोग भी अनिश्चित काल के लिए जारी रखा जाए अतः अब भी सरकारी दस्तावेजों, न्यायालयों आदि में अंग्रेजी का इस्तेमाल होता है। हालांकि, हिंदी के विस्तार के संबंध में संवैधानिक निदेश बरकरार रखा गया।

राज्य स्तर पर हिंदी भारत के निम्नलिखित राज्यों की राजभाषा है: बिहार, झारखण्ड, उत्तराखण्ड, मध्य-प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली ये प्रत्येक राज्य अपनी सह-राजभाषा भी बना सकते हैं।  उदाहरण के तौर पर उत्तर प्रदेश में यह भाषा उर्दू है।  इसी प्रकार कई राज्यों में हिंदी को भी सह-राजभाषा का दर्जा प्रदान किया गया है।

वैश्विक भाषा के रूप में हिंदी-भाषा : यह उल्लेख करना उचित होगा कि विदेशियों में भी भारत की धनी संस्कृति को समझने की रुचि बढ़ी है। यही वजह है कि कई देशों ने अपने यहां भारतीय भाषाओं को प्रोत्साहन देने के लिए शिक्षण केंद्रों की स्थापना की है।

भारतीय धर्म, इतिहास और संस्कृति पर विभिन्न पाठ्यक्रम संचालित करने के अलावा इन केंद्रों में हिंदी, उर्दू और संस्कृत जैसी कई भारतीय भाषाओं में भी पाठ्यक्रम संचालित किए जाते हैं।  वैश्वीकरण और निजीकरण के इस परिदृश्य में अन्य देशों के साथ भारत के बढ़ते व्यापारिक संबंधों को देखते हुए संबंधित व्यापारिक साझेदार देशों की भाषाओं की अन्तर–शिक्षा की जरूरत महसूस की जाने लगी है।

इस घटनाक्रम ने अन्य देशों में हिंदी को लोकप्रिय और सरलता से सीखने योग्य भारतीय भाषा बनाने में काफी योगदान किया है। अमरीका में कुछ स्कूलों ने फ्रेंच, स्पेनिश और जर्मन के साथ-साथ हिंदी को भी विदेशी भाषा के रूप में शुरू करने का फैसला किया है। हिंदी ने भाषा-विषयक कार्य-क्षेत्र में स्वयं के लिए एक वैश्विक मान्यता अर्जित कर ली है।

तकनीकी भाषा के रूप में हिंदी :  भाषाओं और विशेष रूप से हिंदी में भाषा प्रौद्योगिकी में विकास की शुरूआत 1991 में इलेक्ट्रॉनिकी विभाग के अधीन भारतीय भाषा प्रौद्योगिकी विकास मिशन (टीडीआईएल) की स्थापना के साथ हुई। इसके उपरांत मिशन के तहत बड़ी संख्या में गतिविधियां संचालित की गईं।  भारतीय भाषाओं की स्मृद्धि को ध्यान में रखते हुए 1991 में हिंदी सहित संवैधानिक रूप से स्वीकार्य प्रत्येक भाषा में तीन लाख शब्दों का संग्रह विकसित करने का फैसला किया गया। तदनुसार हिंदी शब्द संग्रह विकसित करने का काम आईआईटी दिल्ली को सौंपा गया।

1981-1990 के दौरान मुद्रित पुस्तकें, जर्नल्स, पत्रिकाएं, समाचार पत्र और सरकारी दस्तावेज हैं। इन्हें छः मुख्य श्रेणियों में बांटा गया है, समाज विज्ञान, भौतिक एवं व्यावसायिक विज्ञान, सौन्दर्यविषयक, प्राकृतिक विज्ञान, वाणिज्य, सरकारी और मीडिया भाषाएं तथा अनुदित सामग्री शब्द स्तरीय टैगिंग, शब्द गणना, अक्षर गणना, फ्रीक्वेन्सी गणना के लिए सॉफ्टवेयर टूल्स भी विकसित किए गए। विभिन्न संस्थानों द्वारा करीब तीस लाख शब्दों को मशीन से पढ़ने योग्य संग्रह विकसित किया गया है।

हिंदी भाषा में रोजगार के अवसर : हमारी राष्ट्रीय भाषा की अत्यधिक लोकप्रियता और बढ़ते अंतर्राष्ट्रीय महत्व के साथ-साथ, हिंदी भाषा के क्षेत्र में रोजगार के अवसरों में भी जबर्दस्त प्रगति हुई है। केंद्र सरकार, राज्य सरकारों (हिंदी भाषी राज्यों में) के विभिन्न विभागों में, हिंदी भाषा में काम करना अनिवार्य है। अतः केंद्र/राज्य सरकारों के विभिन्न विभागों और इकाइयों में हिंदी अधिकारी, हिंदी अनुवादक, हिंदी सहायक, प्रबंधक (राजभाषा) जैसे विभिन्न पदों की भरमार है।

निजी टीवी और रेडियो चैनलों की शुरूआत और स्थापित पत्रिकाओं/ समाचार-पत्रों के हिंदी रूपान्तर आने से रोजगार के अवसरों में कई गुणा वृद्धि हुई है। हिंदी मीडिया के क्षेत्र में संपादकों, संवाददाताओं, रिपोर्टरों, न्यजरीडर्स, उप-संपादकों, प्रूफ रीडरों, रेडियो जॉकी, एंकसे आदि। रॉकी, एंकर्स आदि की बहुत आवश्यकता है। इनमें रोजगार की इच्छा रखने वालों के लिए पत्रकारिता/जन-संचार में डिग्री/डिप्लोमा के साथ-साथ हिंदी में अकादमिक योग्यता रखना महत्वपूर्ण है।

इसमें प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय लेखकों के कार्यों का हिंदी में अनुवाद तथा हिंदी लेखकों की कृतियों का अंग्रेजी और अन्य विदेशी भाषाओं में अनुवाद कार्य करना भी सम्मिलित होता है। फिल्मों की स्क्रिप्टों/ विज्ञापनों को हिंदी/अंग्रेजी में अनुवाद करने का भी कार्य होता है।

हिंदी भाषा में स्नातकोत्तरों, विशेषकर जिन्होंने अपनी पीएच.डी पूरी कर ली है, के लिए विदेशों में भी रोजगार के अवसर हैं। कुछ देशों द्वारा हिंदी को बिजनेस की भाषा स्वीकार किए जाने के फलस्वरूप विदेशी विश्वविद्यालयों में हिंदी भाषा और भाषा-विज्ञान के शिक्षण की जबर्दस्त मांग बढ़ी है। भारत में स्कूलों, कालेजों और विश्वविद्यालयों में शिक्षक के तौर पर भी परंपरागत शिक्षण व्यवसाय को चुना जा सकता है।

हिंदी भाषा का सम्मान:- प्रतियेक वर्ष 14 सितम्बर को हिन्दी दिवस मनाया जाता है। इस अवसर पर सरकारी, अर्द्धसरकारी तथा निजी संस्थाओं में कहीं हिन्दी सप्ताह तो कही पखवाड़ा मनाया जायेगा। सभी जगह जो कार्यक्रम आयोजित होंगे उसमें निबंध, कहानी तथा कविता लेखन के साथ ही वादविवाद प्रतियोगितायें होंगी। कहीं परिचर्चा आयोजित होगी। भारत में हर कागज़ पर जब हिन्दी लिखा जायेगा, तभी हिन्दी दिवस का पावन लक्ष्य पूरा होगा । जय हिन्द..जय हिन्दी । ‘हिन्दी है हम, वतन है न्दुस्तान हमारा।।

एकता की जान है, हिन्दी देश की शान है । हिन्दी का सम्मान, देश का सम्मान है । हिन्दी का विकास, देश का विकास ।। हिन्दी भारत माता की बिंदी । हिन्दी है मेरे हिन्द की धड़कन । हिन्दी अपनाओ, देश का मान बढाओ । हिन्दी-उर्दू भाई-भाई, संस्कृत-हिंदी दीदी-बहन जो राष्ट्रप्रेमी हो, वह राष्ट्रभाषा प्रेमी हो । हिन्दी ही हिन्द का नारा है. प्रवाहित हिन्दी धारा है।

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राष्ट्रभाषा हिंदी पर निबंध

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हिंदी भाषा पर निबंध - राष्ट्रभाषा पर निबंध

रूपरेखा: राष्ट्र की शान - संविधान में हिंदी की स्थान - हिंदी को उचित सम्मान नहीं - हिंदी के विरुद्ध - उपसंहार।

राष्ट्र की शान

राष्ट्रभाषा हिंदी हमारे राष्ट्र की शान है। भारत की समानता की धुरी है। भारत की संस्कृति और सभ्यता की मूल चेतना को शुद्धता से अभिव्यक्त करने का माध्यम है । राष्ट्रीय विचारों का कोश है। भारतीय होने का प्रतीक है। स्वतंत्र भारत के संविधान निर्माण के समय हिंदी को राष्ट्रभाषा घोषित करवाने के लिए कई हिंदी प्रेमियों और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सेवक ने प्रदर्शन किए, लाठियों का सामना किया। भारत के सविधान द्वारा कही हुए बात की अधीन संसद्‌ की कार्यवाही हिंदी अथवा अंग्रेजी में सम्पन्न होगी। 26 जनवरी, 1965 के पश्चात्‌ संसद्‌ की कार्यवाही केवल हिंदी में ही निस्पादित हो गयी थी।

संविधान में हिंदी की स्थान

चाहिए तो यह था कि संविधान में हिंदी को ही राष्ट्रभाषा माना जाता। अंग्रेजी के सहयोग की बात ही नहीं आनी चाहिए थी। कारण, राष्ट्रभाषा राष्ट्र की आत्मा का प्रतीक है। हमारे साथ स्वतंत्र होने वाले पाकिस्तान ने उर्दू को राष्ट्रभाषा घोषित कर दिया था। तुर्की के जनप्रिय नेता कमाल पाशा ने स्वतंत्र होने के तत्काल पश्चात्‌ वहाँ तुर्की को राष्ट्रभाषा बना दिया था। इतना ही नहीं अपने नाम के साथ ' पाशा विदेशी शब्द हटाकर अपना नाम कमाल अतार्तुक कर दिया। हमारे पश्चात्‌ स्वंतंत्र होने वाले अनेक राष्ट्रों ने अपनी-अपनी राष्ट्रभाषा की घोषणा कर दी थी, किन्तु भारत के कर्णधार 'सबको खुश करने ' की प्रणाली पर चलते हैं। सबको खुश करने का अर्थ सबको नाराज करना होता है। उसके बाद वही हुआ जो नहीं होना चाहिए था।

हिंदी को उचित सम्मान नहीं

राजभाषा अधिनियम 1963 के अन्तर्गत हिंदी के साथ अंग्रेजी के प्रयोग को सदैव के लिए प्रयोगशील बना दिया गया। संसद में भी हिंदी के साथ अंग्रेजी के प्रयोग को अनुमति मिल गई और कहा गया कि जब तक भारत का एक भी राज्य हिंदी का विरोध करेगा, हिंदी को राष्ट्रभाषा के पद पर सिंहासनारूढ़ नहीं किया जाएगा।

हिंदी के विरुद्ध

देश के हिंदी रक्षक ने नेहरू के विरुद्ध बात कहने का साहस ही नहीं था। राष्ट्रकवि, राष्ट्रीय लेखक, राष्ट्रीय झंडा फहराने वाले हिंदी-लेखकों, हिंदी-संस्थाओं के संचालकों को काठ मार गया। वह नेहरू जी की भाषा में बोलने लगे, उन्ही के अनुरूप विचार प्रकट करने लगे। हिंदी शुभचिंतक को कुचलता हुआ देख आँखों में आसूं ना आयी। हाँ, एक मात्र कांग्रेसी, माँ-भारती का सच्चा सपूत सेठ गोविंद दास ही इस अग्नि-परीक्षा में सफल हुआ। जिन्होंने डंके की चोट सीना तान कर राजभाषा अधिनियम 1963 के विरुद्ध मत दिया। वे संसद्‌ में दहाड़ उठे, ' भले ही मुझे कांग्रेस छोड़नी पड़े, पर मैं आँखों देखा विष नहीं खा सकता। लोकततन्त्र के महान्‌ समर्थक पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा हिंदी को सिंहासनारूढ़ करने की अंतिम शर्त लोकतंत्र का अनादर है, जनतंत्र के आधारभूत नियमों के विरुद्ध है, प्रजातंत्र का गला घोंटना है । लोकतंत्र बहुमत की बात करता है, सबके साक्ष्य की नहीं । न सारे प्रांत कभी हिंदी को चाहेंगे, न हिंदी सिंहासनारूढ़ होगी। कांग्रेसी शासकों ने अंग्रेजों से सीखा था--'फूट डालो, राज्य करो।' यह सिद्धांत शासन-संचालन की अचूक औषध है। भाषा के प्रश्न पर उत्तर-दक्षिण की बात खड़ी करके भारतीय समाज को अलग कर दिया गया। हिन्दू-संस्कृति और सभ्यता, वैदिक-साहित्य का अध्ययन की क्षमता दक्षिण की उत्तर दान रही है। दक्षिण में आज भी हिन्दू-संस्कृति की झंडा फहरा रहे हैं। आज भी वेदों के पंडित तथा विद्वान्‌ उत्तर की अपेक्षा दक्षिण भारत में अधिक हैं।

हिंदी कहने को राष्ट्रभाषा है, किन्तु प्रांतीय भाषाएँ भी उसके इस अधिकार की अधिकारिणी बना दी गई हैं । अंग्रेजी-साप्राज्य की गुलामी की प्रतीक अंग्रेजी आज भी भारत पर राज्य करती है। राज्य-कार्यों में आज भी उसका उपयोग किया जाता है। लेकिन आज भी और आगे भी हिंदी ही हमारी राष्ट्रभाषा हैं।

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राजभाषा हिन्दी पर निबंध Essay on Rajbhasha Hindi (पूरी जानकारी)

भारतीय राजभाषा हिन्दी पर निबंध Essay on Rajbhasha Hindi

इस लेख में हमने भारतीय राजभाषा हिन्दी पर निबंध Essay on Rajbhasha Hindi लिखा है। इसे कब घोषित किया गया था, राजभाषा और राष्ट्र भाषा में अंतर, इसके विकास में किए गए कार्य तथा इसके महत्व से जुड़ी सभी जानकारी इस लेख में आप पढ़ेंगे।

Table of Content

दोस्तों वैसे तो संसार में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषाओं में मैंडेरिन चीनी , अंग्रेजी और स्पैनिश के बाद हिन्दी चौथे स्थान पर अपना स्थान सुनिश्चित करती हैl

हिंदी को राजभाषा कब घोषित किया गया When Was Hindi Declared as Rajbhasha

वैसे तो भारत देश में बहुत भाषायें बोली जाती है परन्तु हिंदी भाषा का अपना ही एक महत्व है जिसके कारण यह लोगो के हृदय में एक महत्वपूर्ण स्थान लिए हुए है l

राष्ट्रभाषा बनाम राजभाषा Rashtrabhasha Vs Rajbhasha

समाज में जिस भाषा का प्रयोग करके एक बहुत सारे लोग अपने विचार प्रकट करते है और उस भाषा का प्रभाव क्षेत्र और अधिक विस्तृत होकर पुरे राष्ट्र में फ़ैल जाता है तब वह भाषा ‘ राष्ट्रभाषा ’  कहलाती है।

राष्ट्रभाषा के रूप में हिन्दी Hindi Language as Rashtra Bhasha

चाहे वो पत्रकारिता का, स्वाधीनता संग्राम का , क्षेत्र क्यों न हो हर जगह हिन्दी ही जनता के विचार-विनिमय का साधन बनी है।

स्वतंत्रता के बाद राजभाषा आयोग द्वारा यह निर्णय लिया गया कि हिन्दी को भारत की राजभाषा बनाया जाए। इस निर्णय के बाद ही संविधान ने इसे राजभाषा घोषित किया था। प्रादेशिक प्रशासन में हिमाचल प्रदेश , उत्तराखण्ड , मध्यप्रदेश , हरियाणा , राजस्थान , छत्तीसगढ़ , बिहार , झारखण्ड राजभाषा हिन्दी का प्रयोग कर रहे हैं।

राजभाषा हिन्दी की विशेषताएँ Features of Rajbhasha Hindi

क्यों है हिंदी हमारी राजभाषा why hindi is selected as rajbhasha in india.

उपयुक्त लक्षणों के कारण ही हिंदी भाषा को राजभाषा का दर्जा दिया गया।

हिंदी को राजभाषा बनाने के लिए संघर्ष व इतिहास Struggle to Make Hindi Language as Rajbhasha

14 सितंबर हिंदी को राजभाषा का दर्जा देने के कारण इस दिन को हिन्दी दिवस के रूप में मनाया जाता हैl परन्तु हिंदी को राजभाषा के रूप में चुने जाने के कारण गैर हिन्दी भाषी राज्य खासकर दक्षिण भारत के लोगों ने इसका विरोध किया परिणाम स्वरुप अंग्रेजी को भी राजभाषा का दर्जा देना पड़ा।

राजभाषा हिंदी के विकास के लिए कार्य Works Done for Improvement in Rajbhasha Hindi

हिन्दी भाषा की अजीब विडम्बना we have to respect our rajbhasha hindi.

वैसे तो भारत देश की राजभाषा के रूप में हिंदी बोली जाती है l राजभाषा होने के बावजूद हिन्दी बोलने-लिखने वालों को एक अलग ही दृष्टि से देखा जाता है जिसके कारण एक हिंदी बोलने वाला व्यक्ति अपने आप को हीन समझता है।

निष्कर्ष Conclusion

यदि हम सच में चाहते है कि हिंदी भाषा का प्रभुत्व राज भाषा के रूप में बना रहे तो हमें प्रचार-प्रसार को बढ़ाबा देना होगा। सरकारी कामकाज में हिंदी को प्राथमिकता देनी होगी तभी हिंदी भाषा को जिंदा रखा जा सकता है और इसका प्रभुत्व कायम भीl आशा करते हैं आपको भारतीय राजभाषा हिन्दी पर निबंध Essay on Rajbhasha Hindi अच्छा लगा होगा।

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Hindi Diwas Nibandh: हिंदी दिवस पर निबंध कैसे लिखें? ये 300 शब्द लिखकर इनाम कर लें अपने नाम

Hindi diwas par nibandh hindi me: 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जा रहा है। इस मौके पर स्कूल, कॉलेजों में कई कार्यक्रम होते हैं, जिनमें से निबंध प्रतियोगिता भी एक है। अगर आपको भी हिंदी दिवस पर निबंध लिखना है, तो ये लेख आपकी मदद करेगा। बताई गई बातें आपको हिंदी दिवस पर भाषण देने में भी सहयोग करेंगी।.

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हिंदी दिवस कब मनाया जाता है?

हिंदी दिवस कब मनाया जाता है?

हिंदी दिवस हर साल 14 सितंबर को मनाया जाता है। इस दिन 1949 में, भारतीय संविधान सभा ने हिंदी को भारत की राजभाषा के रूप में स्वीकार किया था। हिंदी दिवस का उद्देश्य हिंदी भाषा को प्रोत्साहित करना और उसके प्रति लोगों में जागरूकता फैलाना है। यह दिन हमें हिंदी के महत्व और इसके प्रति हमारी जिम्मेदारी की याद दिलाता है। हिंदी हमारी अखंडता को बनाए रखने का एक माध्यम भी है। (फोटो- Freepik)

हिंदी भाषा का महत्व

हिंदी भाषा का महत्व

हिंदी सिर्फ एक भाषा नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और एकता का प्रतीक है। यह हमें हमारे समृद्ध इतिहास, साहित्य और परंपराओं से जोड़ती है। हिंदी दुनिया भर में करोड़ों लोगों द्वारा बोली जाती है, जो इसे दुनिया की सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषाओं में से एक बनाता है। हिंदी हमारी राष्ट्रीय एकता को मजबूत बनाती है और हमें विश्व में एक अलग पहचान दिलाती है।

हिंदी को 14 सितंबर 1949 को भारत की राजभाषा का दर्जा मिला था। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 343 के तहत हिंदी को देवनागरी लिपि में राजभाषा के रूप में मान्यता दी गई। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान हिंदी ने देश को एकजुट करने में अहम भूमिका निभाई थी। (फोटो- Freepik)

हमारे साहित्य में हिंदी का योगदान

हमारे साहित्य में हिंदी का योगदान

हिंदी ने भारतीय साहित्य में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। हिंदी के कवियों में प्रेमचंद, महादेवी वर्मा, भारतेंदु हरिश्चंद्र, तुलसीदास, सूरदास और मीराबाई जैसे प्रसिद्ध लेखक और कवि शामिल हैं। उनके कार्यों ने भारतीय समाज और संस्कृति की हमारी समझ को आकार दिया है। हिंदी साहित्य हमें जीवन के मूल्यों और आदर्शों की शिक्षा देता है। हिंदी देश के विभिन्न राज्यों, संस्कृतियों और धर्मों को जोड़ने वाली भाषा है। हिंदी साहित्य, कला, संगीत और सिनेमा का महत्वपूर्ण स्तंभ है। (फोटो- Freepik)

आधुनिक युग में हिंदी का प्रयोग

आधुनिक युग में हिंदी का प्रयोग

आज के डिजिटल युग में भी हिंदी फल-फूल रही है। हिंदी भाषा को विभिन्न देशों द्वारा भी अपनाया गया है, जिनमें नेपाल, भूटान और मॉरीशस शामिल हैं। हिंदी हमें विश्व में एक अलग पहचान दिलाती है और हमारी संस्कृति को पूरे विश्व में फैलाती है। हिंदी का इंटरनेट, सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर उपयोग बढ़ता जा रहा है। हिंदी फिल्मों और गीतों के माध्यम से इसको अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रियता मिल रही है। (फोटो- Freepik)

मिलकर मनाएं हिंदी दिवस

मिलकर मनाएं हिंदी दिवस

हिंदी दिवस मनाते हुए हमें अपनी भाषा और संस्कृति पर गर्व होना चाहिए। आइए, हम हिंदी को भविष्य की पीढ़ियों के लिए बढ़ावा देने का प्रयास करें। हिंदी दिवस हमें हमारी भाषा और संस्कृति की विरासत की याद दिलाता है। हमें हिंदी के प्रचार-प्रसार में योगदान देना चाहिए। हिंदी में अधिक से अधिक लेखन, पठन-पाठन और संवाद करें। अपनी मातृभाषा को गर्व से अपनाएं और नई पीढ़ी को इससे जोड़ें। हमें हिंदी का अधिक से अधिक उपयोग करना चाहिए और इसे अपने दैनिक जीवन का हिस्सा बनाना चाहिए। (फोटो- Freepik)

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Hindi Diwas Essay: स्कूल में लिखने के लिए सबसे अच्छा है हिंदी दिवस का यह निबंध, बच्चों को जरूर पढ़ना चाहिए एकबार 

Hindi diwas short essay: बच्चों को विद्यालय के लिए हिंदी दिवस का निबंध लिखना हो या भाषण तैयार करना हो, यहां दिया लेख बच्चों के बेहद काम आएगा. .

Hindi Diwas Essay: स्कूल में लिखने के लिए सबसे अच्छा है हिंदी दिवस का यह निबंध, बच्चों को जरूर पढ़ना चाहिए एकबार 

Hindi Diwas 2024: हर साल 14 सितंबर के दिन हिंदी दिवस मनाया जाता है. इस मौके पर स्कूलों और शैक्षिक संस्थानों समेत हिंदी भाषी कामकाजी क्षेत्रों में भी इस दिन को मनाया जाता है. हिंदी दिवस के मौके पर विद्यालयों में खासतौर से बच्चों के बीच तरह-तरह की प्रतियोगिताएं करवाई जाती हैं. बच्चों को हिंदी के लेख (Hindi Essay) लिखने के लिए कहा जाता है, कविताएं पढ़ी व सुनाई जाती हैं और हिंदी के महत्व पर बात होती है. ऐसे में यहां पढ़िए हिंदी दिवस का ऐसा निबंध जिसे बच्चे स्कूल में लिखने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं. 

हिंदी दिवस का निबंध | Hindi Diwas Essay 

उत्तर भारत की प्रमुख बोली है हिंदी. बच्चा जब बोलना सीखता है तो उसके मुंह से हिंदी के शब्द निकलते हैं. लेकिन, बड़े होते-होते सामाजिक और औपचारिक रूप से इंग्लिश की जरूरत देखते हुए हिंदी से बच्चे दूर जाने लगते हैं. हिंदी के खोते हुए महत्व को बनाए रखने और इसकी जरूरत व हिंदी के विशालकाय इतिहास (History) व साहित्य पर प्रकाश डालने के लिए हर साल हिंदी दिवस मनाया जाता है. इस दिन का मकसद हिंदी की प्रासंगिकता और महत्व को अखंडित बनाए रखना भी है. 

हिंदी को 14 सितंबर, 1949 में भारत की राजभाषा का दर्जा दिया गया था. हिंदी भाषा (Hindi Language) का साहित्य भी भारत की सामाजिक स्थिति पर प्रकाश डालने वाला साबित हुआ. हिंदी ने कई महान कवि और उपन्यासकार भी दिए हैं जिनमें प्रेमचंद, भारतेंदू हरिश्चंद्र, सूरदास, तुलसीदास और मीराबाई के नाम शामिल हैं. हिंदी सिनेमा का भी एक बड़ा इतिहास रहा है. भारत में कला, साहित्य , संगीत और सिनेमा के क्षेत्र में हिंदीभाषी कलाकारों का बड़ा हाथ रहा है. 

आधुनिक युग में हिंदी की बात करें तो धीरे-धीरे हिंदी के स्तर को कमतर समझने की गलती की जा रही है. व्यक्ति अगर हिंदी बोलता है और उसे अंग्रेजी भाषा नहीं आती है तो उसे अक्सर ही बाकी लोगों की तुलना में कम समझा जाता है. ऐसे में हिंदी का महत्व (Importance) बनाए रखना जरूरी है. इस भाषा में आज भी अनेक गाने हैं, साहित्य है और फिल्म आदि हैं जिन्हें बढ़ावा देना जरूरी है जिससे हिंदी की लोकप्रियता बनी रहे. 

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    अनुशासन पर निबंध. मानवता पर निबंध. Note - प्यारे दोस्तों, हिंदी भाषा का महत्व पर निबंध ( Essay On Hindi Language) आपको अच्छा लगा होगा। हिंदी का महत्व ( Hindi Language Importance) और भाषा के बारे में जानकारी आपके लिए ज्ञानवर्धक साबित हुई होगी। इस पोस्ट "Hindi Bhasha Par Nibandh" को शेयर भी अवश्य करे।.

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  18. राष्ट्रभाषा हिन्दी पर निबंध- Essay on National Language in Hindi

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  21. निबंध की परिभाषा, विशेषताएं और प्रकार

    हिंदी भाषा में निबंध (Nibandh) की परिभाषा, विशेषताएं और प्रकार | Essay (Definition, Characteristics and Types) in Hindi. निबंध गद्य रचना को कहते हैं जिसमें किसी विषय का वर्णन किया गया हो. निबंध के माध्यम से लेखक उस विषय के बारे में अपने विचारों और भावों को बड़े प्रभावशाली ढंग से व्यक्त करने की कोशिश करता है.

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  24. हिंदी दिवस 2024 पर रोचक निबंध : Hindi Diwas Essay

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    इस लेख में हमने भारतीय राजभाषा हिन्दी पर निबंध Essay on Rajbhasha Hindi लिखा है। कब घोषित किया गया था, राजभाषा और राष्ट्रभाषा में अंतर, विकास

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    हिन्दी निबंध गद्य लेखन की एक विधा है, यहाँ आप सभी आयु वर्ग के निबंध पढ़ सकते है साथ ही निबंध लेखन भी सिख सकते है! Free Hindi Nibandh on variety of category for school going kids.

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    Hindi Diwas Par Nibandh Hindi Me: 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जा रहा है। इस मौके पर ...

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